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।। किशन गीता के मन की बात समझने के बाद किशन धीरे से अपना हाथ लिंग पर ले जाता है और गीता की योनि के द्वार पर लिंग का अगला हिस्सा रगड़ता है जिसकी रबड़न महसूस कर गीता अपनी योनि की ओर देखती है परंतु किशन के द्वारा छिपाए गए योनि के द्वार तक उसकी नजरें नहीं देख पाती गीता की योनि से काम रस की बूंदी टपक रही थी वह जानती थी कि योनि में लिंग प्रवेश करते ही उसे बहुत दर्द सहना पड़ेगा परंतु वह किसी भी तरह अपने शरीर में हो रही है उत्तेजना को शांत करना चाहती थी उसकी इसी भावना को समझ कर किशन उसकी योनि पर अपना लिंग रगड़ता है और प्यार से उसकी ओर देखता है इस तरह की जकड़न से गीता की योनि के मूत्र द्वार से पेशाब की कुछ बूंदे निकल जाती है।। गीता के शरीर मैं एक अजीब सी झनझनाहट महसूस होने से यह सब हुआ था।।
। किशन देखता है कि गीता ने अब अपने शरीर को बहुत कस लिया है जिसकी वजह से लिंग प्रवेश कराना बहुत कठिन हो सकता है और इस वजह से हो सकता है गीता यह दर्द बर्दाश्त ना कर सके और दर्द अधिक हो सकता है यदि इस प्रकार शरीर को कसा जाए तो वह गीता की आंखों में देखते हुए कहता है।।
किशन:-शरीर को ढीला छोड़ दो गीता... नहीं तो तुम्हें बहुत दर्द होगा।
।। गीता दर्द की परवाह किए बिना उसकी आंखों में देखते हुए अपने शरीर को ढीला छोड़ कर किशन की ओर देखते हुए मन में विचार करती है कि दर्द तो होना ही है लेकिन दर्द के बाद जो सुख़ मिलता है उसकी इच्छा हर स्त्री को होती है।।
गीता:-हां.. जी लो छोड़ दिया ढीला अब जल्दी करो ना....
।। गीता जोश में आकर यह शब्द बोल देती है और उसके बाद शर्मा कर अपनी गर्दन घुमा लेती है किशन देखता है कि गीता को इस समय बहुत उत्तेजना चढ़ी हुई है यही समय है जब वह जोश के साथ दर्द की परवाह किए बिना लिंक अपनी योनि में प्रवेश करवा सकती है और किशन उसकी योनि पर लिंग का दबाव बढ़ा देता है और एक जोरदार धक्का अपनी कमर से लगाता है।।
,, इस प्रकार धक्का लगने से गीता बिस्तर से ऊपर की ओर खिसक जाती है परंतु योनि का छेद छोटा होने की वजह से लिंग उसमें प्रवेश नहीं कर पाता और वह रगड़ता हुआ गीता की नाभि की ओर चला जाता है इस प्रकार के घर्षण से गीता का उस शरीर थरथरा जाता है और उसके मुंह से एक सिसकी निकल गई,,
गीता:-उई.. मां.. प्यार से.. कीजिए ना...
"किशन इस प्रकार तिलमिला जाता है कि वह गीता की टांगो को जांग के पास से मजबूती से पकड़ लेता है और इस बार अपने लिंग पर पास में रखी है सरसों के तेल उठाकर अच्छे से लगा लेता है और इस बार गीता की योनि को लिंग के हिस्से पर टीका कर गीता की ओर देखता है गीता इस बार मन में भगवान से प्रार्थना करती है""
गीता (भगवान शक्ति देना प्रभु....)
""किशन एक जोरदार धक्का फिर से लगाता है और इस बार योनि के छोटे से छेद को फैलाता हुआ लिंग योनि के अंदर प्रवेश करता है गीता की योनि की कौमार्य भंग होने से उसकी योनि में बहुत तेज पीड़ा होती है जिसकी वजह से उसकी चीख निकल जाती है""
गीता:-हाय... मां..... आ.. मर गई.... ई. मैं तो.. जी..
।। गीता के मुंह से चीख कितनी तेज आवाज मैं निकलती है कि उसकी चीख की गूंज किशन की मां के कानों तक पहुंच जाती है गीता तेज सीखते हुए किशन को अपने पैरों से धक्का देने की नाकाम कोशिश करती है गीता के मन में यही विचार था कि किसी भी तरह उसकी योनि में धंसा हुआ लिंक जिसका अगला हिस्सा ही अभी योनि के अंदर गया था बाहर आ जाए उसकी पीड़ा और दर्द गीता के लिए असहनीय था जिसे वह बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी और गीता की चीख सुनकर किशन की मां की आंख खुल जाती है वह तुरंत उस दरवाजे की ओर देखती है और उसके दिल की धड़कन तेज गति से चल रही थी पास में सो रही किशन की मौसी भी इस आवाज को सुनकर उठती है और वह रामो देवी की ओर देखकर कहती है।
रामो देवी,,,(हे भगवान क्या हुआ)
किशन की मौसी;-अरे क्या हुआ क्यों बैठी है।।
रामो देवी:- कु.. कुछ…भी तो नहीं.. मैं तो
मौसी:- देख तू मेरी छोटी बहन है और मैं सब जानती हूं की तेरे मन में क्या है जो आवाज तूने भी सुनी वह मैंने भी सुनी इसी आवाज को सुनकर तेरी आंखें खुल गई है ना।।
रामो:-आवाज कौन सी आवाज..
"सब कुछ जानते हुए भी रामो देवी ने अनजान बनते हुए अपनी बहन से कहा लेकिन एक औरत औरत के मन की बात बहुत अच्छी तरीके से समझ सकती है किशन की मौसी उसकी मां से बड़ी थी और वह मजाक करने किया दी थी इसलिए उसने हंसते हुए रामो देवी से कहा।।
'''किशन की मौसी,,,,
""अपना किशन एक ताकतवर और पहलवान बहादुर लड़का है उसकी टक्कर झेलना हर किसी के बस का थोड़ी है जब चूत में धक्का तेज लगेगा तो च चीख तो निकलेगी ही""
।। रामो देवी को अपनी बहन की बात सुनकर बहुत शर्म महसूस होती है और वह उसकी और आंखें दिखा कर कहती है।।
रामो देवी:- छी.. छी. दीदी कितनी गंदी बातें करती हो आप आपको शर्म नहीं आती..
मौसी:- अरे इसमें शर्म की कोन सी बात है,, क्या तू ये सब नहीं जानती,,?
रामो देवी:-(लारजते हुए सब्दो से),, बस कीजए, दीदी,, ओर अब सो जाओ,,
मौसी:- अरे अब नींद कहां आएगी,,
रामो देवी:- क्या,??
मौसी:- अंजान बनते हुए,, कुछ नहीं,, अच्छा तू जरा मेरे साथ बाहर तक चल ना, बहुत ज़ोर से लगी है,,
रामो देवी:- नहीं दीदी,, आप ही जाओ,,
मौसी: अरे चल भी,, मुझे अकेले अंधेरे में दर लगता है,,
।। मौसी के जिद करने पर रामा देवी उसके साथ पेशाब घर की ओर चल देती है और उधर किशन गीता की योनि में लिंग अगला हिस्सा ही डाल पाया था की गीता ने अपने पैरों का जोर लगा कर किशन की छाती पर रखा इस परिस्थिति में किशन का लिंग योनि के अंदर प्रवेश नहीं कर पा रहा था किशन ने गीता की जांघों को अपने बाहुबल से जकड़ रखा था गीता मन में यही विचार कर रही थी कि एक बार यह किसी भी तरीके से योनि से निकल जाए और वह आंखों में आंसू लिए सिसकते हुए कहती है।।
गीता:- सी... सी.. बहुत दर्द हो रहा है... जी... निकाल लो ना.. इसे..
किशन:- बस कुछ देर और बर्दाश्त कर लो जान... उसके बाद दर्द कम हो जाएगा...
""गीता के आंखों से आंसू निकल रहे थे परंतु किशन जानता था कि यदि एक बार लिंग बाहर आ गया तो गीता उसे दोबारा अपनी योनि में नहीं लेगी इसलिए वह धीरे-धीरे घर्षण करता है और गीता की चेहरे को देखते हुए अपना लिंग उसकी योनि में "
। इस बार लिंग और आगे को चला जाता है जिसकी वजह से किशन के लिंग का कुछ हिस्सा योनि में प्रवेश कर जाता है गीता को योनि के अंदर लिंग जाते ही ऐसा महसूस होता है कि किसी ने उसकी योनि में लोहे की गरम कोटा ठोक दिया हो इस दर्द को रहना उसके लिए नामुमकिन था लेकिन किशन को योनि में लिंग डालने से एक अजीब अनुभूति महसूस हो रही थी उसे ऐसा महसूस होता है जैसे उसके लिंग को किसी रबड़ के छल्ले ने जकड़ लिया हो इस अहसास से वह गीता की योनि में थोड़ा बल लगा कर 1धक्का बलपूर्वक लगाता है और उसके मुंह से एक आनंद भरी आवाज निकलती है।।
किशन:- ओ.. हो.. गया.. मेरी जान... कितनी कसी हुई है... तेरी चूत...
।। इस प्रकार का धक्का गीता के लिए असहनीय हो जाता है और उसके मुंह से एक जोरदार चीख निकल जाती हैं। जो किशन की मां और उसकी मौसी के कानों तक साफ-साफ सुनाई देती है।।
गीता:- नहीं... मय्या.. मेरी जान निकल गई... छोड़ दो मुझे.... हाए मा.... मर जाऊंगी...
।। गीता की चीख सुनकर किशन की मां और उसकी मौसी के कदम पेशाब घर के पास रुक जाते हैं और वह दोनों एक दूसरे के चेहरे को देखते हैं परंतु कुछ ना कह कर किशन की मां अपनी नजरें झुका लेते हैं और किशन की मौसी पेशाब घर के अंदर चली जाती है उसके चेहरे पर एक अजीब मुस्कान फैल जाती है जिसे किशन की मां देख लेती है और वह मन में सोचती है की कितनी गंदी है मेरी दीदी और बाहर खड़ी उसके पेशाब करने का इंतजार करती है किशन की मौसी अंदर जाकर हिसाब करने के लिए अपना पेटीकोट घुटनों से ऊपर उठाती है और जैसे ही पेशाब करने के लिए बैठती है उसकी योनि से पेशाब की तेज धार निकलती है जिसकी सिटी की गूंज रामू देवी के कानों तक जाती है उसे सुनकर उसकी योनि में भी पेशाब की धार उसे जाती हुई महसूस होती है अब स्थिति यह थी कि किशन उधर धीरे धीरे गीता की योनि में अपने लिंग को रगड़ रहा था किशन को ऐसा करते हुए पहली बार एक परमानंद प्राप्त हो रहा था परंतु गीता को अभी भी दर्द का एहसास था पहले के प्रति उसका दर्द थोड़ा कम हो चुका था।।
।। किशन के लिंग का कुछ भाग ही अभी योनि के अंदर था पूरा लिंग और उसकी मोटाई के सामने गीता की योनि इस प्रकार प्रतीत हो रही थी जैसे किसी रबड़ के छल्ले में कोई मोटी चीज जबरन ठोक दी गई हो किशन के लिंग को गीता की योनि में बुरी तरह जकड़े हुआ था इस प्रकार लिंग पर योनि का दबाव किशन को एक अजीब आनंद दे रहा था किशन को इस आनंद को महसूस कर बहुत अच्छा लग रहा था किशन गीता के सुंदर मुखड़े की ओर देखता है उसके चेहरे पर दमक रही उसकी नाक में नथनी को देख मुझसे याद आता है कि अब इस नथनी को उतारने का समय है और वह धीरे धीरे योनि में धक्के लगाता है उधर किशन की मां बाहर खड़ी अपनी बड़ी बहन का इंतजार कर रही थी कि कब वह पेशाब घर से बाहर आएगी और उसके बाद उसे पेशाब करके राहत मिलेगी,,,,,
!! कुछ समय बाद किशन की मौसी पेशाब घर से मुस्कुराती हुई अपनी योनि पर लगी पेशाब की बूंदों को पेटीकोट के ऊपर से ही झगड़ते हुए बाहर निकलती है और किशन की मां को देखकर मुस्कुराती है।। रामा देवी उसे कुछ ना कह कर सीधी यह सब घर के अंदर चली जाती है क्योंकि उसे महसूस हो रहा था की गीता की तेज जी के सुनकर कहीं उसकी योनि से पेशाब ना निकल जाए और वह तेज गति से पेशाब घर में जाती है।
।। रामो देवी पेशाब घर में जाकर जल्दी से अपने पेटिकोट को ऊपर उठाती है और अपने सुंदर और बाहरी नितंब को बाहर निकलते ही पीछे की ओर झुकती है तो उसकी मादक और फूली हुई योनि से पेशाब की एक तेज धार निकलती है जिस की सीटी की आवाज उसकी बड़ी बहन के कानों तक जाती है पेशाब की धार बाहर आते ही किशन की मां को एक राहत महसूस होती है जैसे कि उसकी योनि में खुजली के साथ पेशाब की धार निकल रही हो और उसकी योनि में हो रही मीठी-मीठी खुजली उसे महसूस होती है जिसकी वजह से उसका बदन थरथर आ जाता है।,,, और उसके मुंह से एक मीठी सी आहा कि सिसकी गूंजती है।।
रामो देवी:- मुहू...म.. हाए.... मां....
।। उधर किशन अब धीरे-धीरे अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा देता है गीता को भी उसमें आनंद अब मिल रहा था और वह अपने शरीर को ढीला छोड़े हुए थी उसके मुंह से लगातार मीठी-मीठी सिसकारी गूंज रही थी और उसके मादक शरीर को देखकर किशन बड़े प्यार से धक्के लगा रहा था किशन के धक्कों की आवाज बंद दरवाजे के अंदर गूंज रही थी जो बाहर भी महसूस हो रही थी गीता के चूड़ी और पैरों में पहने हुए पायल की आवाज छन छन बाहर साफ सुनाई दे रही थी उसके मेहंदी रची हाथ और उसमें पहनी चूड़ियां जो एक अलग ही आनंद किशन के कानून में बोल रहे थे जिससे किशन और आनंदित होता जा रहा था।।। और अपनी धक्के की रफ्तार धीरे धीरे बढ़ा रहा था।।
किशन:- अब कैसा महसूस हो रहा है मेरी जान...
गीता:- अब दर्द.. ओहो.. थोड़ा कम हुआ... जी.. बस धीरे धीरे...
किशन:- तो अब और अंदर डालो अभी तो आधा भी नहीं गया...।।
।। किशन की बात सुनकर गीता को एक झटका लगता है और वह सोचती है कि जब अभी आधार लिंक भी अंदर नहीं गया और इतनी पीड़ा तो पूरा लिंग अंदर जाने के बाद क्या होगा और क्या इतना बड़ा है इनका यह सोचते हुए गीता किशन के लिंग की ओर देखती है और लिंग देखने के बाद उसे एक धक्का सा लगता है उसके मन का मनोबल टूटता हुआ महसूस होता है इससे ज्यादा कहने की हिम्मत उसके अंदर नहीं थी और वह कहती है।।
गीता:- ए जी... और अंदर मत करना.…जी.. नहीं तो मैं मर जाऊंगी... ऐसे ही धीरे-धीरे करते रहो..
किशन:- हाए... कितनी सुंदर लग रही हो और तुम्हारी नाक में यह नथनी दमक रही है बस तुम मेरी आंखों में देखती रहो और अपना चेहरा मेरी आंखों के सामने रखो मैं धीरे-धीरे करूंगा..... जान.... बहुत तड़प रहा था मैं इस चीज के लिए आज मेरी प्यास बुझेगी गीता मेरी जान.....
गीता:-। जी.... भूझा... लो... अपनी आंखें की... हाए... राम..... हा... जी... करो.…हाए मेरी मां....
।। गीता के मुंह से तेज तेज सिसकारी गूंज रही थी जो बाहर जाते हुए किशन की मौसी और उसकी मां सुन रही थी किशन की मौसी रामो देवी,,,, की ओर देखकर मुस्कुराते हुए कहती है।।
मौसी:- ऐसा लगता है अपना किशन अच्छे से चोट मार रहा है।।
रामो देवी:-। दीदी आप भी कैसी बातें करती हो जल्दी से चलो..
मौसी:- अरे क्या तुम नहीं जानती जब तक च** पर ल** की चोट नहीं लगती तब तक मजा नहीं आता और अपना किशन लगता है सोजा देगा...
।। मौसी की बात सुनकर किशन की मां शर्म से अपना सर झुका लेती है और कुछ कह नहीं पाती।।
, किशन की मां का शर्म से झुका हुआ सर देखकर उसकी बहन फिर से उसे छेड़ते हुए कहती है।।
मौसी:- क्यों रामो.. मैं सही कह रही हूं ना जब लौड़े की चोट लगती हैं।। तो पेशाब की साथ जो सिटी बस्ती है वह भी बंद हो जाती है।।
रामो देवी:- छी.. दीदी.. कितनी बेशरम हो आप चलो अंदर चलो जल्दी..
।। और किशन की मां उसका हाथ पकड़ कर उसे अंदर ले जाती है दोनों मैं कुछ देर इसी प्रकार की बातें चलती है और किशन की मां गुस्सा कर कर उसे सोने के लिए बोल देती है और चुपचाप लेट जाती है। दूसरी तरफ किशन अपने धक्कों की रफ़्तार लगातार बढ़ा रहा था।।
किशन:-। हाए.. गीता... मेरी जान... आज पता चला की लोग शादी क्यों करते हैं.. तुम हमेशा मुझे इसी प्रकार है.. चूत दोगी ना..
गीता:-। जी... हाए मैं... क्या करू जी... बड़ा अच्छा लग रहा है... मुझे तो...
किशन:- ओ मां... कितना... मजा.. हाए...
।। किशन गीता की योनि की गर्मी को ज्यादा देर सह नहीं पाता और उसका स्क्लर्न हो जाता है अपनी योनि के अंदर गर्म गर्म वीर्य महसूस कर गीता को भी चरम सुख प्राप्त होता है और वह जोश में आते हुए कहती है।।
गीता:-। हां.. ओर.. करो तो...जी.. ए जी.... स.…स.स...
किशन:- गीता.. मेरी जान....
गीता:- ए जी.. मुझे अपनी बाहों में भर लो... भिच लो ना....
।। और इस प्रकार दोनों चरम सुख को प्राप्त करते हैं गीता की योनि किशन के वीर्य से भर चुकी थी और उसका पहली बार वीर्य गीता की योनि में बच्चेदानी तक निवेश करता है जिसके आनंद स्वरूप गीता आवेश में आकर किशन के गले में पड़ी हुई माला को जकड़ लेती है और माला के इस प्रकार खिंचाव से किशन के गले में पड़ी कोई दिव्य माला टूट कर बिखर जाती है माला के टूटते ही किशन के दिल में एक तेज दर्द उड़ता है और वह चिल्लाता हुआ बिस्तर के दूसरी ओर गिर जाता है ऐसा लगता है कि जैसे किशन के हृदय की गति रुक गई थी यह देख गीता घबरा जाती है और वह चिल्ला कर पुकारती है।।
गीता:- मां.... आ... जी... हे भगवान... कोई है...
।। गीता के मुंह से जोरदार आवाज सुनकर किशन की मां की आंख खुलती है और वह घबराकर किशन की मौसी से कहती है क्या हुआ।।
।। आज के लिए इतना ही दोस्तों आगे क्या होगा जानने के लिए पढ़ते रहिए बेटे से उम्मीद।।