Update: 9
,,,, वीर सिंह अपने मारे गए लोगो की लाश और रघुवीर कि लाश को ठिकाने लगता है और गुस्से में आकर रामु के घर की ओर चल देता है,,,,
,,,, किशन गाँव के पास बह रही नदी के किनारे बैठा हुआ था और आज उसे अपने शरीर में कुछ अलग तरह की अनुभुति हो रही थी और एक तरह से उसे यह अच्छा भी लग रहा था,,,, जिसका उसने कभी अहसास भी नहीं किया था,,,,,,,
,,, परन्तु अपनी माँ के साथ किए गए हादसे से वह बहुत सर्मिंदा था।,,, जिसका उसे अहसास भी था,,, घर पर जाने के बाद अपनी माँ से बह नजरे नहीं मिला पायेगा इस प्रकार की सर्मिंदगी के कारण,,, वह अपने घर जाने की हिम्मत नहीं जूता पाया,,,,,
,,,, किशन तु अरे तु यहाँ पर क्या कर रहा है,, एक लड़के ने किशन को देखकर पूछा जो की अपनी मटर की फसल की रखवाली करने रोज रात को अपने खेतों में आता था,,,,,
किशन:: अरे कुछ नही भाई मैं तो बस ऐसे ही,,,,, मगर तु इतनी रात को यहाँ कैसे,,,,
लड़का::: मै तो रोज अपने खेतों को देखने आता हूँ मगर तुझे पहली बार इतनी रात को यहाँ देख रहा हूँ कुछ परेशान दिखाई देते हो क्या बात है भाई,,,
,,,, कुछ नही भाई मैं तो बस ऐसे ही आगया था,,,,
,,, कुछ तो है भाई देख किसी ने कहा था कि दिल की बात किसी को बताने से मन का बोझ हलका हो जाता है और फिर तु तो मेरे छोटे भाई की तरह हैं,, सायद मैं तेरी कोई मदद कर दूँ,,,
,,, किशन लड़के की बात सुनकर कुछ सोचता है और फिर उस लड़के को अपने पास बैठने को कहता है,,, लड़का किशन के पास बैठ जाता है,,,,
किशन,,,,, भाई मेरे बापू मेरी शादी करने वाले हैं,,, लेकिन तुम तो जानते हो की मेरा मन तो बस दंगल में ही रहता है तो शादी के बारे में मुझे कुछ आता जाता नहीं,,,,, और ना लड़कियों के बारे में,,, कुछ पता है,,,,
,,, इसलिए मै सोमवीर के पास गया था क्योकि उसकी शादी हो चुकी है,,,
लड़का,,, हाँ तो फिर,,,
किशन,,,, तो उसने मुझे एक कामसूत्र नामक पुस्तक दी जिसमें स्त्री और पुरूष नग्न अवस्था में थे,,,
लड़का,,, हाँ तो क्या हुआ वह पुस्तक इसीलिए तो हैं,,,
किशन:,,, यार जबसे वह पुस्तक मैने देखी है तबसे मुझे एक अजीब सी बेचैनी हैं भूख भी नहीं है और कुछ करने का भी मन नहीं हो रहा है,,, ऐसा लगता है जैसे शरीर तप्प रहा है,,,,
लड़का,,,, ओ हो,,, तो ये बात है बेटा इस तपन को ही काम वासना कहते हैं,, और जबतक तुम्हारी कामवासना की इच्छा पूरी नहीं होगी तब तक तुम्हे इस तपन से छुटकारा नहीं मिल सकता,,,,
किशन,,,, कामवासना की इच्छापूर्ति,, बो कैसे होगी,,,,।
लड़का: मै तुम्हे एक ऐसी औरत का नाम बताता हूँ जो इस तरह के काम करने मे माहिर है और वह तुझे सब कुछ समझा देगी,,,,
किशन,,, अच्छा कोन है बो,,,,, किशन खुश होता है,,,
लड़का: तारावति काकि वह कुछ पैसे लेकर यह काम करती है,, चल मिलबता हु तुझे,,,
,,,
,,, लड़के के बार बार कहने पर किशन उसके साथ चला जाता है,,,,
,,, काफी रात हो चुकी थी किशन की मां रामो को अब चिंता खाए जा रही थी कि न जाने किशन कहाँ हैं ये सब कुछ मेरी बजह से हुआ है,,, एक ही तो बेटा है मेरा अगर उसे कुछ हो गया तो,,, नही,, नही,,, उसे कुछ नहीं होगा,,,
,,,, रामो देवी,,,, मन में,,, आज के बाद मैं उसे कुछ नहीं कहूँगी इस उम्र में तो असर लड़के बहक जाते हैं,, फिर उसका क्या कसूर है,, मुझे उसे देखना है कहाँ हैं मेरा लाल,,,
,,,,, रामो देवी घर का दरबाजे बंद कर के किशन को तलाश करने के लिए निकल जाती है,,,,
,,, सभी के घर जाकर रामो देवी पता करती है परंतु किशन उसे कहीँ नहीं मिलता है,,,,,गाँव में रामो देवी की एक सहेली थी जिसका नाम केलो था,, रामो देवी अपनी दोस्त के घर जाती है,,, और
रामो देवी,,,, किलों ओ किलो कहाँ है????,,
किलो,,,, एक चारपाई पे लेती थी और रामो देवी की आबाज सुनकर,,, अंगड़ाई लेती है अरे,,, रामो इतनी रात को क्या बात है,,,,
,,, रामो घबराते हुए,,, देख ना मेरा किशन ना जाने कंहा चला गया है आज दोपहर से घर नहीं आया,,,
,,,, अरे ऐसा क्या हुआ जो वो घर नहीं आया तुमने कुछ कहा था क्या?????,,
,,, नहीं...... बस,,, बो, मैंने,,,
,,, तुमने क्या,,,,
,,, तुझे क्या बताऊ किलो,,, उसने हरकत ही ऐसी की थी कि मुझे गुस्सा आ गया था,,,
,, क्या किया था उसने???
,,, बो,,, बो,,, मेरे इन्हे घुर् रहा था,,,। रामो अपने सीने की ओर उंगली कर के कहती है,,,
,,,, अरे तो क्या हुआ देखने देती बेचारे को,,,
,,, तु पागल है क्या मैं उसकी माँ हूँ,,,, रामो गुस्से में कहती है,,,,,
,,, अरे तु तो बुरा मान गई,, मै तो मजाक की थी,,, मगर तेरे जैसी को तो कोई भी देख ले तो ऐसा ही करेगा,, कितनी उम्र में तेरा बदन कैसा कैसा हुआ है,,, तेरे जैसी,,, कद् काठि बाली औरत को तो किशन जैसा हि संभाल सकता है,,,,,,,
,,, तु फिर,,, तुझसे तो बात करना ही बेकार है,,,
,, अच्छा भाई ठीक हैं अब नहीं करूँगी,, मगर तु उसकी शादी क्यो नही करती,,,
बो शादी नही करना चाहता,,, अभी
,,,, तभी किलो का बता राजू वहाँ आता है,, अरे काकि आप,,
,,,,, हाँ मै किशन को देखने आई थी दोपह से,, घर नहीं आया,, तुमने देखा क्या???
,, राजू हाँ काकी वो तारा वति काकी के घर जाते देखा था मैंने,,,, कुछ देर पहले,,,,
,, तारा वती बो तो बहुत ही गंदी औरत है,, किलो मेरा बेटा वहाँ क्यू गया है,,,,
,,, किशन उस लड़के के साथ तरावती के घर पहुँचता है और किशन को बाहर खड़ा कर अंदर जाता है,,,,
,,,, कुछ देर बाद एक साबलि सी सूरत की औरत जिसकी उम्र 50,, वर्ष की होगी पेटीकोट और बिलौच मे बाहर आती है और किशन को देखकर मुस्कुराते हुए,,,
,,, तरवाती,,, ये तो रघुवीर का पहलवान हैं,,, तो ये मेरी आग बुझायेगा,,, चल देखती हूँ इस की कुस्ती क्या करता है ये,,,
,,, कितने पैसे देने है काकी,,, लड़का पूछता है,,,
,,, अरे इस के जैसे गबरू से तो मै एक पैसा भी ना लु,,, बश् ये मेरी आग बुझा दे,, जो आज तक कोई ठंडी नहीं कर सका,,, फिर भी तु कहता है तो 10,, रुपये में दे गूंगी इसे,,,
,,, लड़का,,, किशन दे दे पैसे,,, किशन अपनी कुर्ते की जेब से पैसे निकाल कर दे देता है,,
,,, तरवाती मगर मेरे घर मे मेरा बेटा सोता है तो इसे सामने वाली जोपडी मे करना है,,,
,,, किशन की नजरे तो बस तरवाती के लटके हूए बक्ष पर तिकी हुई थी और बह कुछ बोल भी नहीं रहा था,,, तारावती किशन की नजरो का पीछा करते हुए मुस्कराती है,, और फिर किशन का हाथ पकड़ कर झोपड़ी की ओर ले जाती है,,,
,,, लड़का काकि मैं जाता हूँ अपने खेतों में,,, तुम दोनों,, मस्ती करो,,, और वह लड़का वहाँ से चला जाता है,,,
,,, तरवाती किशन को झोपड़ी में लेकर चली जाती है,,,
,,, तेरा दोस्त मुझे बता रहा था कि तूने कभी कुछ किया नहीं है,,,
,,, किशन,,, हकलाते हूए,,,,,,हाँ बो,,, बो मुझे कुछ आता नहीं है,, काकी,,,
,,,, देखने मे तो,, तु पर्वत के समान है,,, छोटी मोती औरत की तो,,, चटनी बना कर रख देगा,,,, क्या कभी हाथ से भी नहीं किया तूने,,,,,
,,, नही काकी,,, मैंने कुछ नहीं किया,,,,
,,, तभी तो पर्वत के समान है,, सारी गर्मी रोक के रखी है,,,,तु तो एक ही बार मे ओखली भर देगा मेरी,,,
,,, तरावती अपना ब्लाउच् निकालते हुए कहती है और अपने बक्ष पर हाथ रखकर,,, इन्हे ही देख रहा था ना,,,
,,, हाँ काकि,,, बो मैं,,,,
,,, अरे डरता क्यों है,, आना छु कर देख,,, किशन के नजरो के सामने जैसे अंधकार छा गया था और वह कुछ बोल नहीं रहा था,,, मगर उसके पाजामे मे बना हुआ उभार किसी नाग की बामि के समान दिख रहा था,,,
,, जिसे देख बह तजुर्वेकार औरत भी दंग थी,,,
,,,,, हे भगवान,,, क्या ये बही चीज है जो मै सोच रही हूँ,,, और वह अपने मन की संतुष्टि करने के लिए,, किशन के पाजामे मे बने हुए उभार पर हाथ रखती है,,,,
,,, उधर किशन की माँ रामो देवी किशन को ढूढते हुए तारा वती के घर आ रही थी,,, की आचानक उसके कानों में किशन की सिसकि गूंजती हैं,,,, तरावती के घर के पास बनी झोपड़ी में से आ रही थी,,,, रामो देवी उस झोपड़ी के पास जाति है और धीरे से अंदर देखने की कोशीश करती है,,,
,,, जैसे ही रामो देवी अंदर देखती है,, उसके होश उड़ने लगते हैं,,,
,,,, अंदर तरावती ने जैसे ही अपना हाथ किशन के पाजामे पर रखा,,
,,, किशन ने सिसकि लेते हुए तरावती को अपनी बाहो मे जकड़ लिया,,,,
,,, हे राम,,, ये क्या है बेटा लोहे जैसा,,, तरावती पूरी कोशिश कर रही थी की किशन के लिंग की मोटाई मापने की मगर उसकी लाख कोशिश के बाद भी किशन,,, का लिंग उसके हाथ में नहीं आरहा था,,,
,,, तरावती मैं इसे तो किसी भी कीमत पर नहीं लुंगी मर जाउंगी, मै,,, नही नहीं,,,और ये देखने के लिए की उसकी लंबाई कितनी है,,, धीरे धीरे उसके पाजामे मे हाथ डालती है,,,,
,, जैसे ही तरावती के हाथ किशन के नग्न लिंग को छूते है,, उसका बजूद हिल् जाता है और किशन,,,,
,,,, सी,,,, सी सी,,,,, सी सी सी,,,, काकी बस ऐसे ही पकड़ लो,,,,
,, रामो देवी जो की उन दोनों को देख रही थी,,, अपने बेटे के मुंह से यह सुनकर जैसे सोचती है की कितना बेचैन है उसका बेटा,,,,,