Rajkumaar ji
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Superb updateUpdat: 34
।। ठंडी ठंडी हवाएं चल रही थी,, सर्दियों का मौसम शुरू होने वाला था,, इसी बीच इस महा दंगल का आयोजन किया गया था,, जिसमें दूर दूर से आए गांव के पहलवानों ने भाग लिया हुआ था,, और सभी पहलवानों के साथ उनके गांव वाले दर्शक के रूप में अपने पहलवान का हौसला बढ़ाने के लिए आए हुए थे,, दर्शकों में गांव की महिलाएं भी आई हुई थी सभी महिलाओं के लिए अलग बैठने की व्यवस्था की गई थी,, महिलाओं के बैठने के स्थान पर सभी महिलाएं अपना-अपना घुंघट किए हुए थी सभी की निगाहें अपने अपने गांव के पहलवानों पर टिकी हुई थी और घुंघट में से झांकते हुए दो सुंदर आंखे किशन को देख रही थी,,
सभी को अपने-अपने पहलवानों पर पूर्ण विश्वास था की उनका पहलवान ही दंगल का,, विजेता होगा,, परंतु वास्तविकता कोई नहीं जानता था की क्या होने वाला है,, किशन की मां ने कभी भी दंगल में आकर कुश्ती का प्रदर्शन नहीं देखा था वह पहली बार इस दंगल में अपने बेटे को देखने के लिए आई हुई थी,, सभी महिलाएं अपने-अपने पहलवानों पर विश्वास कर उन्हें बड़े प्यार से देख रही थी,,
"दंगल का शुभारंभ किया जाता है एक पहलवान दूसरे पहलवान के लिए खड़ा होकर बोली लगाता है,,
पहलवान:: दंगल में मौजूद सभी पहलवानों को मैं अब आमंत्रित करता हूं कि कोई भी मेरे साथ कुश्ती कर सकता है,,
""पहलवान की बात सुन दूसरा पहलवान तुरंत खड़ा हो जाता है,, और अपनी वस्त्र उतारकर रख देता है पहलवान केवल लंगोट में ही था,, पहलवान के खड़ा होते ही गांव के सभी लोग तालियां बजाते हैं ! वस्त्र उतार के देख रामो देवी, पहलवान को देखकर अपनी बड़ी बहन से कहती है,,
रामो देवी: दीदी क्या यह लोग कपड़े उतार कर, कुश्ती करेंगे,??
दीदी: हां कुश्ती तो ऐसे ही की जाती है,,
"दोनों पहलवानों के हाथ मिलाई होती है उसके बाद दोनों पहलवानों में कुश्ती शुरू हो जाती है कुछ समय के बाद एक पहलवान विजेता होता है और वह विजेता होने के बाद फिर से दूसरे पहलवान,,, को कुश्ती के लिए आमंत्रित करता है विजेता पहलवान के साथ कोई भी पहलवान कुश्ती लड़ सकता था उस को हराने के बाद वह दूसरे पहलवान के साथ कुश्ती लड़ता था इस प्रकार सभी से जीतने के बाद जो पहलवान ,, अंतिम विजेता होगा वही इस महा दंगल का विजेता माना जाएगा,,, इस महा दंगल में मुन्ने भी आया हुआ था जो बहुत ही क्रोध से किशन की ओर देख रहा था दंगल के दौरान उसके मन में जो साजिश रची हुई थी वह उसका जिसको अंजाम देने के लिए यह कुश्ती देख रहा था,, फिर से एक पहलवान खड़ा होकर विजेता पहलवान से हाथ मिलाता है,, दोनों पहलवानों में कुश्ती शुरू हो जाती है,,
पहलवानोंं की कद और काठी को देखकर किशन की मांं को पसीने छूट रहे थे,, और वह अपने मन में,, विचार करते हुए क्याया मेरा बेटा,, इन पहलवानोंं के साथ,, लड़ेगा,,,
रामो देवी: दीदी,, मुझे तो बहुत डर लग रहा है,,, क्या किशन,, भी इन के साथ लड़ेगा,,?
दीदी: अरे तू चिंता मत कर,, अपना किशन भी किसी से कम नहीं हैं,,,
"इसी प्रकार पहलवानों की कुश्ती चल रही थी एक के बाद एक पहलवान विजेता हो रहा था,, मुन्ने,, अपने दिमाग में कोई साजिश रची हुए था और चुपचाप किशन की ओर देख रहा था किशन की मां और उसकी मौसी के बीच दंगल की बातें चल रही थी किशन की मां को बहुत डर लग रहा था उसका शरीर पहलवानों के शरीर के आकार को देखकर कांप रहा था,, पहले उसने कभी भी ऐसा नहीं देखा था परंतु गांव वालों के कहने पर वह किशन का हौसला बढ़ाने के लिए दंगल देखने के लिए आई थी,, उसकी निगाहें बार-बार किशन को ही देख रही थी,, विजेता होने के बाद एक पहलवान जोर से चिल्लाता है,,
पहलवान: और किसी की मां ने दूध पिलाया है किसी के बाजू में इतनी ताकत है कि मेरा मुकाबला कर सके,,
।। सभी पहलवान अपनी हार स्वीकार कर चुपचाप बैठे थे परंतु उसके अभिमान भरे बोल सुनकर किशन को गुस्सा आता है और वह दंगल में कूद जाता है दंगल में आते ही वह अपने ऊपर के वस्त्र उतार देता है,,
जैसे ही किशन दंगल में होता है दंगल का माहौल तालियों से गूंज उठता है और सभी किशन की प्रशंसा करते हैं,, कुछ लोग,, किशन को एक उम्मीद भरी नजरों से देख रहे थे,, और किशन की मां भी अपने बेटे को देखकर उसके शरीर का आकार नापने की मन में कोशिश करती है,, उसकी चौड़ी छाती मुझे कंधे बाहर को निकले हुए बाजू उभरा हुआ सीना,, देख,, रामो देवी, की नजरों में चमक आ जाती है पास में बैठी किशन की मौसी भी किशन की मां को ही देख रही थी जैसे उसके मन मैं क्या है जानने की कोशिश कर रही थी,, किशन पहलवान के सामने जाकर खड़ा हो जाता है,,
मौसी: अपने किशन जैसा, कहीं नहीं मिलेगा,,
रामो देवी: चौंकते हुए कहती है,,"क्या दीदी क्या कहा आपने,??
मौसी: मैं कह रही थी कि अपने किशन जैसा पहलवान कहीं नहीं है,, और तू बड़े गौर से देख रही है उसे,,
रामो देवी: मैं देख रही थी दीदी,, क्या मेरा किशन जीत जाएगा,,
मौसी: मुझे तो किशन पर पूरा विश्वास है,, तेरे मन की तो जाने हैं अगर जीतेगा तो ,, वही,,,
रामो देवी: मेरे मन की क्या मैं भी तो यही चाहती हूं कि मेरा बेटा ही जीते,, परंतु वह पहलवान किशन से भी ताकतवर लग रहा है,,
मौसी: तू चिंता मत कर और, और देखती जा,,
।। किशन के सामने आते ही पहलवान गुस्से में मजाक उड़ाते हुए कहता है,,।।
पहलवान: तू लड़ेगा मुझसे अरे तूने तो अपनी मां का दूध भी नहीं पिया होगा अभी जा पहले अपनी मां का दूध पीकर आ,,
किशन: मेरे मां के दूध की ताकत तो तुझे कुछ देर में पता चल ही जाएगी,,
पहलवान: इतनी ताकत है तेरी मां के दूध में,, देख लेंगे,,
"दोनों पहलवानों में कुश्ती शुरू हो जाती है"हाथ मिलाने के तुरंत बाद किशन गुस्से में आकर पहलवान को अपने दाहिने हाथ से पूरा वजन उठाते हुए पटक देता है!!
जैसे ही किशन पहलवान को पटकता है पूरा माहौल तालियोंंंंं से गूंज उठता है,,,,, सभी कृष्णण की भीड़ मेंं मौजूद,, एक व्यक्ति चिल्लाकर कहता है।
व्यक्ति: अब पता चला कितनी ताकत है इसकी मां के दूध में,,,
""यह बोल सुनते ही एक बार फिर से किशन की जय बोलते हुए लोग तालियां बजाते हैं""और किशन की मौसी किशन की मां की भरी हुई छाती को देखते वह कहती है,,,
किशन की मौसी : वाकई बहुत ताकत है मेरी बहन की दूध में, अभी तो पूरा दूध पिलाया भी नहीं है,,
।। रामो देवी''शर्मा कर अपनी नजरें अपनी उभरे हुए स्तनों पर डालती है और कपड़े से ढक ते हुए अपनी बहन की ओर देखते हुए कहती है''
रामो देवी: क्या दीदी आप यहां भी शुरू हो गई धीरे बोलो और भी औरतें बैठे हैं यहां पर,,
मौसी: धीरे से कान में बोलते हुए,,, मैं यही तो कह रही हूं ऐसा लगता है कि अभी तो दूध से भरी हुई है देखना कितनी उभरी हुई है अरे ऐसी तो जवान लड़कियों को भी नसीब नहीं होती कितना मचलती है वे अपने हाथों से ही आजकल की लड़कियां,, परंतु तेरी तरह नुकीली नहीं बना पाती तेरा तो बेटा भी जवान है,, मैं तो कहती हूं की और पिला दे उसको अपना दूध फिर तो उसे कोई भी नहीं हरा सकता जंगल में ना मंगल में,,,
""यह कहकर किशन की मौसी,, मुस्कुराने लगती है किशन की मां को यह सब सुनने के बाद एक अजीब सी हलचल अपने यौवन में महसूस होती है ना चाहते हुए भी उसकी छातियों में एक अकड़न शुरू हो जाती है जैसे कि उसके स्तन कह रहे हो की किशन को उनके हवाले कर दे और इनकी सारी अकड़ चूस ले वह अपने मुंह से,, और निकाल दे, इनकी सारी अकड़,,, रामो देवी,, इस प्रकार की कोई बात सुनना नहीं चाहती थी,, परंतु बार-बार एक ही बात जब दिमाग में पढ़ती है तो ना चाहते हुए भी हमारा ध्यान उस और आकर्षित होता है चाहे वह हमारे मन या दिलो-दिमाग से हटकर ही क्यों ना हो फिर भी हमारा मन्न उस ओर आकर्षित,, होने लगता है,, अपने सीने में बहुत सालों बाद किशन की मां इस प्रकार की हलचल महसूस कर रही थी कि जैसे उसकी छातियों में फिर से दूध का सैलाब उमड़ रहा है और वह अपने बच्चे को वह दूध पिला कर और बलवान बना देना चाहती हो,, अपनी अकड़ती हुई छातियों से विवश होकर एक हाथ से छाती को डरते हुए,,
रामो देवी: आप दीदी इस प्रकार की बातें क्यों करते हैं आखिर आप चाहती क्या है,,
"किशन की मौसी किशन की मां का प्रशन भरा शब्द सुनकर तुरंत उसके चेहरे को देखते हुए कहती है,,!!
मौसी: देख मैं तेरी दुश्मन नहीं तेरी दोस्त हूं,,, और मैं यह नहीं चाहती कि तू कभी दुखी रहे या तेरा बेटा तेरी वजह से कोई अनहोनी कर ले,, इसलिए मैं तुझसे किशन की मन की बात बोलना चाहती हूं,,
रामो देवी: किशन के मन की बात कौन सी बात,,? हैरान होते हुए किशन की मां अपनी बहन से पूछती है,,
मौसी: धीरे से कहती है,, यही कि किशन तुझसे बहुत प्यार करता है और वह तुझे अपनी पत्नी बनाना चाहता है तुझ से शादी करना चाहता है,,
रामो देवी: हैरान रह जाती है अपनी बहन के शब्दों को सुनकर,, दीदी आप क्या बोल रही हैं आपको मालूम है वह मेरा बेटा है और यह एक बहुत बड़ा पाप है यह सोचना भी पाप है,,
मौसी: मैं जानती हूं परंतु इस संसार में कोई किसी को नहीं देखता और तू यह सोच अगर तेरा बेटा ही तुझसे दूर हो जाएगा तो इस जीवन और इस मां बेटे के बीच के रिश्ते ओ किसके साथ निभाएगी क्या रह जाएगा तेरे जीवन में दुख के सिवा,,, इस दुनिया में सबसे पहले जो भी आया था क्या उसने अपने रिश्ते में संभोग नहीं किया होगा अपनी मां या बहन के साथ तभी तो यह संसार इतना बड़ा,,, और एक माही अपने बेटे को वह सुख नहीं दे सकती इसकी वह इच्छा करता है तो उस मां का अपने बेटे के प्रति क्या दायित्व बनता है,,, मैं तो कहती हूं कि अपना ले उसे उसके प्यार को मुझे जिंदगी भर खुश रखेगा खुशियों से भर देगा तेरी झोली और ऐसा प्यार करने वाला तो किस्मत वालों को ही मिलता है कब तक कब तक जवानी की आग में ,, तड़पती रहेगी तू,,,
""इसी प्रकार दोनों में बातें चल रही थी और उधर किशन पहलवान के साथ दंगल लड़ रहा था परंतु पहलवान भी हार मानने के लिए तैयार नहीं था दोनों ही लड़ते लड़ते थक जाते हैं परंतु किसी ने भी अभी तक हार नहीं मानी थी
अपने अपने बाहुबल का प्रयोग करते हुए दोनों लड़ रहे थे किशन की मांंं और उस मौसी अपनी अपनी बातों में लगे हुए थे,, किशन की मौसी अपनी बहन को मनाने की कोशिश कर रही थी परंतु 1 मा अपने बेटे से,, शादी करने के लिए कैसे तैयार हो सकती थी,, यह एक बड़ीी चुनौत किशन की मां के सामने थी,, उधर किशन और पहलवान की हालत लड़ते लड़ते खराब हो चुकी थी,, परंतु कोई भी अपनी हार मानने के लिए तैयार नहींं था,,, कुछ देर और लड़ने के बाद किशन पहलवान को चित कर देता है,, तभी सहारा माहौल तालियोंं से गूंंंज उठता ,,,है,,,,
रामो देवी,, और किशन की मौसी का ध्यान किशन की ओर जाता है,, तभी एक व्यक्ति शोर मचाते हुए कहता है,,
व्यक्ति: तो आज के हमारे इस महा दंगल के विजेता हैं किशन,,,
""व्यक्ति यह बोल भी नहीं पाया था कि तभी एक पहलवान जो किशन के दोगुने भजन का प्रतीत होता था उठ खड़ा होता है और कहता है,,
पहलवान: ठहरो विजेता होने से पहले इसको मुझे हराना होगा,,, उसके बाद ही इसे विजेता घोषित किया जा सकता है,, मैं भी देखना चाहता हूं किसकी बाजुओं में कितनी ताकत है,,।।
।। किशन काफी देर से लड़ रहा था पास में खड़ा अपने व्यक्तियों के साथ मुन्नी भी मुस्कुरा रहा था और अपनी व्यक्ति की ओर इशारा करते हुए कुछ समझा रहा था,, किशन की हालत को देखकर सभी को ऐसा लग रहा था कि अब किशन के बस का और किसी के साथ लड़ना उचित नहीं होगा,, यदि वह किसी और पहलवान के साथ लड़ता है तो उसकी हार निश्चित है और वह जीता हुआ दंगल हार जाएगा,, परंतु किशन को है चुनौती ना चाहते हुए भी स्वीकार करनी थी नहीं तो वह विजेता घोषित नहीं हो सकता था क्योंकि वह पहलवान आखरी पहलवान था जिसकी साथ अभी कुश्ती होनी बाकी थी,, किशन पहलवान से हाथ मिला लेता है,, हाथ मिलाते समय किशन अपनी मां की ओर नजरे करता है वह देखता है कि,, उसकी मां उसे ही देख रही है और वह ना लड़ने के लिए गर्दन हिलाकर किशन को इशारा करती है,,,
परंतु किसन मुस्कुराते हुए अपनी गर्दन घुमा लेता है किशन की मांं के चेहरे पर,, चिंता की लकीरे नजर आ रही थी और उसके दिमाग में किशन के प्रति कही गई अपनी बड़ीीीीीीी बहन की बातें घूम रही थी,,,
रामो देवी: दीदी रोको ना किसी को वह थक चुका है और वह पहलवान उसे मार देगा,,
मौसी: उसे कोई नहीं मार सकता बस तेरे प्यार का सहारा चाहिए मैं तुझसे सच्चा प्यार करता है,, और यदि तू भी उससे प्यार करती है तो अपना ले उसे और उसके प्यार,, को,,, तेरा प्यार ही उसे विजेता बना सकता है इसके जैसे , और कई पहलवान से वह लड़ सकता है यदि तो उसका साथ दे दो देख इतनी प्यार से तुझे ही देख रहा है,,
"किशन की मां चुपचाप अपनी बहन के चेहरे को देखती रहती है दूसरी तरफ लड़ाई शुरू हो जाती है और किशन इस बार उस पहलवान के,,, पंजों में झगड़ा हुआ था पहलवान ने किशन की गर्दन को जकड़ रखा था,, किशन केवल अपने हाथ पैर ही चला रहा था और पहलवान के पकड़ से छुटने की नाकाम कोशिश कर रहा था,,, उसके शरीर में इतनी ताकत नहीं बची थी कि वह उसकी पकड़ से आजाद हो सके यह सब देखकर किशन की मां का कलेजा भड़क जाता है और वह दौड़ती हुई दंगल में पहुंच जाती है,,
दंगल में पहुंचते ही किशन की मां पहलवान के हाथों को पकड़कर अपने बेटे को छुड़ाने की कोशिश करती है तभी लोग यह दृश्य अपनी आंखों से देख रहे थे परंतु कोई भी दंगल में नहीं पहुंचता,, इसी बीच मुन्ने,, अपने लोगों को कहता है कि जाओ जाकर उसे खत्म कर दो,, एक व्यक्ति हाथ में तलवार लिए जंगल में जाता है,,
रामो देवी: छोड़ दे मेरे बेटे को छोड़ दे, हरामि,,
।। किशन की मां अपने हाथों से अपने बेटे को छुड़ाने की नाकाम कोशिश कर रही थी पहलवान देखता है कि किशन की मां अपने नाखून उसके हाथों में गुस्सा आ रही है वह गुस्से में आकर किशन की मां को धक्का देता है और किशन की मां दूर जाकर गिर जाती है,,
जीएचएचएचजेएचएचजेजेएचजेएनएचबीजेएच
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।। ठंडी ठंडी हवाएं चल रही थी,, सर्दियों का मौसम शुरू होने वाला था,, इसी बीच इस महा दंगल का आयोजन किया गया था,, जिसमें दूर दूर से आए गांव के पहलवानों ने भाग लिया हुआ था,, और सभी पहलवानों के साथ उनके गांव वाले दर्शक के रूप में अपने पहलवान का हौसला बढ़ाने के लिए आए हुए थे,, दर्शकों में गांव की महिलाएं भी आई हुई थी सभी महिलाओं के लिए अलग बैठने की व्यवस्था की गई थी,, महिलाओं के बैठने के स्थान पर सभी महिलाएं अपना-अपना घुंघट किए हुए थी सभी की निगाहें अपने अपने गांव के पहलवानों पर टिकी हुई थी और घुंघट में से झांकते हुए दो सुंदर आंखे किशन को देख रही थी,,
सभी को अपने-अपने पहलवानों पर पूर्ण विश्वास था की उनका पहलवान ही दंगल का,, विजेता होगा,, परंतु वास्तविकता कोई नहीं जानता था की क्या होने वाला है,, किशन की मां ने कभी भी दंगल में आकर कुश्ती का प्रदर्शन नहीं देखा था वह पहली बार इस दंगल में अपने बेटे को देखने के लिए आई हुई थी,, सभी महिलाएं अपने-अपने पहलवानों पर विश्वास कर उन्हें बड़े प्यार से देख रही थी,,
"दंगल का शुभारंभ किया जाता है एक पहलवान दूसरे पहलवान के लिए खड़ा होकर बोली लगाता है,,
पहलवान:: दंगल में मौजूद सभी पहलवानों को मैं अब आमंत्रित करता हूं कि कोई भी मेरे साथ कुश्ती कर सकता है,,
""पहलवान की बात सुन दूसरा पहलवान तुरंत खड़ा हो जाता है,, और अपनी वस्त्र उतारकर रख देता है पहलवान केवल लंगोट में ही था,, पहलवान के खड़ा होते ही गांव के सभी लोग तालियां बजाते हैं ! वस्त्र उतार के देख रामो देवी, पहलवान को देखकर अपनी बड़ी बहन से कहती है,,
रामो देवी: दीदी क्या यह लोग कपड़े उतार कर, कुश्ती करेंगे,??
दीदी: हां कुश्ती तो ऐसे ही की जाती है,,
"दोनों पहलवानों के हाथ मिलाई होती है उसके बाद दोनों पहलवानों में कुश्ती शुरू हो जाती है कुछ समय के बाद एक पहलवान विजेता होता है और वह विजेता होने के बाद फिर से दूसरे पहलवान,,, को कुश्ती के लिए आमंत्रित करता है विजेता पहलवान के साथ कोई भी पहलवान कुश्ती लड़ सकता था उस को हराने के बाद वह दूसरे पहलवान के साथ कुश्ती लड़ता था इस प्रकार सभी से जीतने के बाद जो पहलवान ,, अंतिम विजेता होगा वही इस महा दंगल का विजेता माना जाएगा,,, इस महा दंगल में मुन्ने भी आया हुआ था जो बहुत ही क्रोध से किशन की ओर देख रहा था दंगल के दौरान उसके मन में जो साजिश रची हुई थी वह उसका जिसको अंजाम देने के लिए यह कुश्ती देख रहा था,, फिर से एक पहलवान खड़ा होकर विजेता पहलवान से हाथ मिलाता है,, दोनों पहलवानों में कुश्ती शुरू हो जाती है,,
पहलवानोंं की कद और काठी को देखकर किशन की मांं को पसीने छूट रहे थे,, और वह अपने मन में,, विचार करते हुए क्याया मेरा बेटा,, इन पहलवानोंं के साथ,, लड़ेगा,,,
रामो देवी: दीदी,, मुझे तो बहुत डर लग रहा है,,, क्या किशन,, भी इन के साथ लड़ेगा,,?
दीदी: अरे तू चिंता मत कर,, अपना किशन भी किसी से कम नहीं हैं,,,
"इसी प्रकार पहलवानों की कुश्ती चल रही थी एक के बाद एक पहलवान विजेता हो रहा था,, मुन्ने,, अपने दिमाग में कोई साजिश रची हुए था और चुपचाप किशन की ओर देख रहा था किशन की मां और उसकी मौसी के बीच दंगल की बातें चल रही थी किशन की मां को बहुत डर लग रहा था उसका शरीर पहलवानों के शरीर के आकार को देखकर कांप रहा था,, पहले उसने कभी भी ऐसा नहीं देखा था परंतु गांव वालों के कहने पर वह किशन का हौसला बढ़ाने के लिए दंगल देखने के लिए आई थी,, उसकी निगाहें बार-बार किशन को ही देख रही थी,, विजेता होने के बाद एक पहलवान जोर से चिल्लाता है,,
पहलवान: और किसी की मां ने दूध पिलाया है किसी के बाजू में इतनी ताकत है कि मेरा मुकाबला कर सके,,
।। सभी पहलवान अपनी हार स्वीकार कर चुपचाप बैठे थे परंतु उसके अभिमान भरे बोल सुनकर किशन को गुस्सा आता है और वह दंगल में कूद जाता है दंगल में आते ही वह अपने ऊपर के वस्त्र उतार देता है,,
जैसे ही किशन दंगल में होता है दंगल का माहौल तालियों से गूंज उठता है और सभी किशन की प्रशंसा करते हैं,, कुछ लोग,, किशन को एक उम्मीद भरी नजरों से देख रहे थे,, और किशन की मां भी अपने बेटे को देखकर उसके शरीर का आकार नापने की मन में कोशिश करती है,, उसकी चौड़ी छाती मुझे कंधे बाहर को निकले हुए बाजू उभरा हुआ सीना,, देख,, रामो देवी, की नजरों में चमक आ जाती है पास में बैठी किशन की मौसी भी किशन की मां को ही देख रही थी जैसे उसके मन मैं क्या है जानने की कोशिश कर रही थी,, किशन पहलवान के सामने जाकर खड़ा हो जाता है,,
मौसी: अपने किशन जैसा, कहीं नहीं मिलेगा,,
रामो देवी: चौंकते हुए कहती है,,"क्या दीदी क्या कहा आपने,??
मौसी: मैं कह रही थी कि अपने किशन जैसा पहलवान कहीं नहीं है,, और तू बड़े गौर से देख रही है उसे,,
रामो देवी: मैं देख रही थी दीदी,, क्या मेरा किशन जीत जाएगा,,
मौसी: मुझे तो किशन पर पूरा विश्वास है,, तेरे मन की तो जाने हैं अगर जीतेगा तो ,, वही,,,
रामो देवी: मेरे मन की क्या मैं भी तो यही चाहती हूं कि मेरा बेटा ही जीते,, परंतु वह पहलवान किशन से भी ताकतवर लग रहा है,,
मौसी: तू चिंता मत कर और, और देखती जा,,
।। किशन के सामने आते ही पहलवान गुस्से में मजाक उड़ाते हुए कहता है,,।।
पहलवान: तू लड़ेगा मुझसे अरे तूने तो अपनी मां का दूध भी नहीं पिया होगा अभी जा पहले अपनी मां का दूध पीकर आ,,
किशन: मेरे मां के दूध की ताकत तो तुझे कुछ देर में पता चल ही जाएगी,,
पहलवान: इतनी ताकत है तेरी मां के दूध में,, देख लेंगे,,
"दोनों पहलवानों में कुश्ती शुरू हो जाती है"हाथ मिलाने के तुरंत बाद किशन गुस्से में आकर पहलवान को अपने दाहिने हाथ से पूरा वजन उठाते हुए पटक देता है!!
जैसे ही किशन पहलवान को पटकता है पूरा माहौल तालियोंंंंं से गूंज उठता है,,,,, सभी कृष्णण की भीड़ मेंं मौजूद,, एक व्यक्ति चिल्लाकर कहता है।
व्यक्ति: अब पता चला कितनी ताकत है इसकी मां के दूध में,,,
""यह बोल सुनते ही एक बार फिर से किशन की जय बोलते हुए लोग तालियां बजाते हैं""और किशन की मौसी किशन की मां की भरी हुई छाती को देखते वह कहती है,,,
किशन की मौसी : वाकई बहुत ताकत है मेरी बहन की दूध में, अभी तो पूरा दूध पिलाया भी नहीं है,,
।। रामो देवी''शर्मा कर अपनी नजरें अपनी उभरे हुए स्तनों पर डालती है और कपड़े से ढक ते हुए अपनी बहन की ओर देखते हुए कहती है''
रामो देवी: क्या दीदी आप यहां भी शुरू हो गई धीरे बोलो और भी औरतें बैठे हैं यहां पर,,
मौसी: धीरे से कान में बोलते हुए,,, मैं यही तो कह रही हूं ऐसा लगता है कि अभी तो दूध से भरी हुई है देखना कितनी उभरी हुई है अरे ऐसी तो जवान लड़कियों को भी नसीब नहीं होती कितना मचलती है वे अपने हाथों से ही आजकल की लड़कियां,, परंतु तेरी तरह नुकीली नहीं बना पाती तेरा तो बेटा भी जवान है,, मैं तो कहती हूं की और पिला दे उसको अपना दूध फिर तो उसे कोई भी नहीं हरा सकता जंगल में ना मंगल में,,,
""यह कहकर किशन की मौसी,, मुस्कुराने लगती है किशन की मां को यह सब सुनने के बाद एक अजीब सी हलचल अपने यौवन में महसूस होती है ना चाहते हुए भी उसकी छातियों में एक अकड़न शुरू हो जाती है जैसे कि उसके स्तन कह रहे हो की किशन को उनके हवाले कर दे और इनकी सारी अकड़ चूस ले वह अपने मुंह से,, और निकाल दे, इनकी सारी अकड़,,, रामो देवी,, इस प्रकार की कोई बात सुनना नहीं चाहती थी,, परंतु बार-बार एक ही बात जब दिमाग में पढ़ती है तो ना चाहते हुए भी हमारा ध्यान उस और आकर्षित होता है चाहे वह हमारे मन या दिलो-दिमाग से हटकर ही क्यों ना हो फिर भी हमारा मन्न उस ओर आकर्षित,, होने लगता है,, अपने सीने में बहुत सालों बाद किशन की मां इस प्रकार की हलचल महसूस कर रही थी कि जैसे उसकी छातियों में फिर से दूध का सैलाब उमड़ रहा है और वह अपने बच्चे को वह दूध पिला कर और बलवान बना देना चाहती हो,, अपनी अकड़ती हुई छातियों से विवश होकर एक हाथ से छाती को डरते हुए,,
रामो देवी: आप दीदी इस प्रकार की बातें क्यों करते हैं आखिर आप चाहती क्या है,,
"किशन की मौसी किशन की मां का प्रशन भरा शब्द सुनकर तुरंत उसके चेहरे को देखते हुए कहती है,,!!
मौसी: देख मैं तेरी दुश्मन नहीं तेरी दोस्त हूं,,, और मैं यह नहीं चाहती कि तू कभी दुखी रहे या तेरा बेटा तेरी वजह से कोई अनहोनी कर ले,, इसलिए मैं तुझसे किशन की मन की बात बोलना चाहती हूं,,
रामो देवी: किशन के मन की बात कौन सी बात,,? हैरान होते हुए किशन की मां अपनी बहन से पूछती है,,
मौसी: धीरे से कहती है,, यही कि किशन तुझसे बहुत प्यार करता है और वह तुझे अपनी पत्नी बनाना चाहता है तुझ से शादी करना चाहता है,,
रामो देवी: हैरान रह जाती है अपनी बहन के शब्दों को सुनकर,, दीदी आप क्या बोल रही हैं आपको मालूम है वह मेरा बेटा है और यह एक बहुत बड़ा पाप है यह सोचना भी पाप है,,
मौसी: मैं जानती हूं परंतु इस संसार में कोई किसी को नहीं देखता और तू यह सोच अगर तेरा बेटा ही तुझसे दूर हो जाएगा तो इस जीवन और इस मां बेटे के बीच के रिश्ते ओ किसके साथ निभाएगी क्या रह जाएगा तेरे जीवन में दुख के सिवा,,, इस दुनिया में सबसे पहले जो भी आया था क्या उसने अपने रिश्ते में संभोग नहीं किया होगा अपनी मां या बहन के साथ तभी तो यह संसार इतना बड़ा,,, और एक माही अपने बेटे को वह सुख नहीं दे सकती इसकी वह इच्छा करता है तो उस मां का अपने बेटे के प्रति क्या दायित्व बनता है,,, मैं तो कहती हूं कि अपना ले उसे उसके प्यार को मुझे जिंदगी भर खुश रखेगा खुशियों से भर देगा तेरी झोली और ऐसा प्यार करने वाला तो किस्मत वालों को ही मिलता है कब तक कब तक जवानी की आग में ,, तड़पती रहेगी तू,,,
""इसी प्रकार दोनों में बातें चल रही थी और उधर किशन पहलवान के साथ दंगल लड़ रहा था परंतु पहलवान भी हार मानने के लिए तैयार नहीं था दोनों ही लड़ते लड़ते थक जाते हैं परंतु किसी ने भी अभी तक हार नहीं मानी थी
अपने अपने बाहुबल का प्रयोग करते हुए दोनों लड़ रहे थे किशन की मांंं और उस मौसी अपनी अपनी बातों में लगे हुए थे,, किशन की मौसी अपनी बहन को मनाने की कोशिश कर रही थी परंतु 1 मा अपने बेटे से,, शादी करने के लिए कैसे तैयार हो सकती थी,, यह एक बड़ीी चुनौत किशन की मां के सामने थी,, उधर किशन और पहलवान की हालत लड़ते लड़ते खराब हो चुकी थी,, परंतु कोई भी अपनी हार मानने के लिए तैयार नहींं था,,, कुछ देर और लड़ने के बाद किशन पहलवान को चित कर देता है,, तभी सहारा माहौल तालियोंं से गूंंंज उठता ,,,है,,,,
रामो देवी,, और किशन की मौसी का ध्यान किशन की ओर जाता है,, तभी एक व्यक्ति शोर मचाते हुए कहता है,,
व्यक्ति: तो आज के हमारे इस महा दंगल के विजेता हैं किशन,,,
""व्यक्ति यह बोल भी नहीं पाया था कि तभी एक पहलवान जो किशन के दोगुने भजन का प्रतीत होता था उठ खड़ा होता है और कहता है,,
पहलवान: ठहरो विजेता होने से पहले इसको मुझे हराना होगा,,, उसके बाद ही इसे विजेता घोषित किया जा सकता है,, मैं भी देखना चाहता हूं किसकी बाजुओं में कितनी ताकत है,,।।
।। किशन काफी देर से लड़ रहा था पास में खड़ा अपने व्यक्तियों के साथ मुन्नी भी मुस्कुरा रहा था और अपनी व्यक्ति की ओर इशारा करते हुए कुछ समझा रहा था,, किशन की हालत को देखकर सभी को ऐसा लग रहा था कि अब किशन के बस का और किसी के साथ लड़ना उचित नहीं होगा,, यदि वह किसी और पहलवान के साथ लड़ता है तो उसकी हार निश्चित है और वह जीता हुआ दंगल हार जाएगा,, परंतु किशन को है चुनौती ना चाहते हुए भी स्वीकार करनी थी नहीं तो वह विजेता घोषित नहीं हो सकता था क्योंकि वह पहलवान आखरी पहलवान था जिसकी साथ अभी कुश्ती होनी बाकी थी,, किशन पहलवान से हाथ मिला लेता है,, हाथ मिलाते समय किशन अपनी मां की ओर नजरे करता है वह देखता है कि,, उसकी मां उसे ही देख रही है और वह ना लड़ने के लिए गर्दन हिलाकर किशन को इशारा करती है,,,
परंतु किसन मुस्कुराते हुए अपनी गर्दन घुमा लेता है किशन की मांं के चेहरे पर,, चिंता की लकीरे नजर आ रही थी और उसके दिमाग में किशन के प्रति कही गई अपनी बड़ीीीीीीी बहन की बातें घूम रही थी,,,
रामो देवी: दीदी रोको ना किसी को वह थक चुका है और वह पहलवान उसे मार देगा,,
मौसी: उसे कोई नहीं मार सकता बस तेरे प्यार का सहारा चाहिए मैं तुझसे सच्चा प्यार करता है,, और यदि तू भी उससे प्यार करती है तो अपना ले उसे और उसके प्यार,, को,,, तेरा प्यार ही उसे विजेता बना सकता है इसके जैसे , और कई पहलवान से वह लड़ सकता है यदि तो उसका साथ दे दो देख इतनी प्यार से तुझे ही देख रहा है,,
"किशन की मां चुपचाप अपनी बहन के चेहरे को देखती रहती है दूसरी तरफ लड़ाई शुरू हो जाती है और किशन इस बार उस पहलवान के,,, पंजों में झगड़ा हुआ था पहलवान ने किशन की गर्दन को जकड़ रखा था,, किशन केवल अपने हाथ पैर ही चला रहा था और पहलवान के पकड़ से छुटने की नाकाम कोशिश कर रहा था,,, उसके शरीर में इतनी ताकत नहीं बची थी कि वह उसकी पकड़ से आजाद हो सके यह सब देखकर किशन की मां का कलेजा भड़क जाता है और वह दौड़ती हुई दंगल में पहुंच जाती है,,
दंगल में पहुंचते ही किशन की मां पहलवान के हाथों को पकड़कर अपने बेटे को छुड़ाने की कोशिश करती है तभी लोग यह दृश्य अपनी आंखों से देख रहे थे परंतु कोई भी दंगल में नहीं पहुंचता,, इसी बीच मुन्ने,, अपने लोगों को कहता है कि जाओ जाकर उसे खत्म कर दो,, एक व्यक्ति हाथ में तलवार लिए जंगल में जाता है,,
रामो देवी: छोड़ दे मेरे बेटे को छोड़ दे, हरामि,,
।। किशन की मां अपने हाथों से अपने बेटे को छुड़ाने की नाकाम कोशिश कर रही थी पहलवान देखता है कि किशन की मां अपने नाखून उसके हाथों में गुस्सा आ रही है वह गुस्से में आकर किशन की मां को धक्का देता है और किशन की मां दूर जाकर गिर जाती है,,
जीएचएचएचजेएचएचजेजेएचजेएनएचबीजेएच
Thanks bro for butyfull coment
mast update.
"किशन की मां को धक्का देता है और किशन की मां दूर जाकर गिर जाती है".
oooooo.........h no wrong step.
abb gaye pure munnaaka gang
कोशिश करूंगा,,bhai plz ab regular updates diega.its only a request