Bhai behen ki Majburi मे shaadhi
Update 8
माँ और नेहा दोनो नीचे आ जाते हैं।) नेहा नीचे आते ही अपने पापा या चाचा को बैठ कर टीवी देखते हुए देखती है और फिर वो पापा एवं चाचा दोनो के पांव छूती है। दोनो ही कहते है कि हमारी बच्ची बड़ी प्यारी लग रही है किसी की नजर ना लगे। या फिर रसोई में जाकर अपनी मम्मी के जो खाना बनाने में व्यस्त थी। उनके पैर छूती है।
नीरोज- आ गई मेरी बच्ची, सदा सुहागन रहो। .. चल अब खाना बना कितनी देर लगा दी। नेहा - पर खाना तो आपने एवं कुक ने बना लिया है। चाची - हाँ बेटू पर तुझे भी बनाना है जो कि लड़की की पहली रसोई होती है या उसका पति सबसे पहले वही खाता है। नेहा - पर अभी ने तो नाश्ता कर लिया। नीरोज- अब इतना देर मे उठेगी तो कोई बिना खाए रहेगा, चल वो तो उसकी मनपसंद सब्जी बनी थी फिर भी हमने उसको खाने नहीं दिया।
नेहा - ठीक है क्या बनाऊ। चाची - देख खाना तो हमने बना लिया है तू खीर बना ले। या तुझे तो इतनी अच्छी खीर आती नहीं इसलिए मैं सिखाती हूँ चल। (या फ़िर नेहा खीर बनाने लग जाती है।)
रसोई में आते ही वो नेहा को देखता है आज पहली बार वो अपनी बहनों को साड़ी में देख रहा था उसका मुँह खुला का खुला रह जाता है। नीरोज - अभी चल खाना खा ले बैठ। अभिषेक - हाँ बहुत भूख लगी है चलो। फिर अभिषेक डाइनिंग टेबल पर बैठ जाता है। अभिषेक - आप ने खा लिया क्या। मां - तेरे पापा या बड़े पापा ने तो खा लिया है हम बाद में खा लेंगे पहले तू खा ले। अभिषेक - ठीक है. संगीता - नेहा बेटा आजा तू भी।
अभिषेक घर के अंदर आता है उसके पापा या ताऊ उसे नहीं दिखते तो वो समझ जाता है कि वो किसी काम से घर के बाहर चला गया है। अभिषेक अंदर आकर.. मम्मी मैं आ गया कहां हो। माँ - हाँ आ गया यहाँ किचन में ले आ जा । अभिषेक रसोई में आते ही वो नेहा को देखता है आज पहली बार वो अपनी बहन को साड़ी में देख रहा था उसका मुँह खुला का खुला रह जाता है। ताई - अभी चल खाना खा ले बैठ। अभिषेक - हाँ बहुत भूख लगी है चलो। फिर में डाइनिंग टेबल पर बैठ जाता हूँ । अभिषेक - आप ने खा लिया क्या। माँ - तेरे पापा और बड़े पापा ने तो खा लिया है हम बाद में खा लेंगे पहले तू खा ले। अभिषेक - ठीक है ।
संगीता - नेहा बेटा आजा तू भी। नेहा भी आ जाती है किचन से बाहर पता नहीं उससे अभिषेक से अलग सी शर्म आ रही थी। जैसे ही नेहा बाहर आती है अभिषेक उसे देखता ही रह जाता है। फिर दीदी अपने हाथो से अभिषेक को खाना परोसती है। माँ - देख सबसे पहले खीर खाना।
में - क्यों? माँ - (गुस्से में) क्योंकि ये बहु ने बनाई है चल अब सवाल नहीं कर । फिर अभिषेक खीर का एक चम्मच से लेता है और फिर अजीब सा मुँह बनाता है, फिर पानी पीता है। दीदी - क्या हुआ अच्छी नहीं बनी क्या । ?
नेहा बड़ी ही मासूमियत से पूछती है। अभिषेक - बिलकुल नहीं, आपको खाना बनाना नहीं आता है। बिल्कुल नहीं आता इतनी चीनी कौन डालता है।
नीरोज - अच्छा ऐसा है हमें तो चाहिए भी नहीं ये तेरे लिए ही है। पर हमने तो सब कुछ बराबर डाला था। अभिषेक - (नेहा से) आपने खाया! नेहा ना में सर हिलाती है। अभिषेक - चलें बैठिये इधर । नेहा संगीता एव नीरोज की तरफ देखती है या वो दोनो ही उनको बैठने का इशारा करती है। नेहा फिर अभिषेक की पास वाली कुर्सी पर बैठ जाती है। या अभिषेक अपने हाथ से नेहा को खीर खिलाता है। खीर खाके नेहा कहती है। नेहा - इसमें चीनी तो नॉर्मल है।
अभिषेक - ऐसा है तो मेरे साथ बैठ कर खाओ या माँ या ताईजी आप भी बैठो या खाओ वरना मैं नहीं खाऊँगा। वरना मैं यहां से चला. फिर अभिषेक की बात सुनकर संगीता और नीरोज भी खाने की टेबल पर बैठ जाती है। नेहा दूसरी प्लेट में खाना लेती रहती है इतने में ही अभिषेक कहता है। अभिषेक - ये क्या कर रही है एक पत्नी को पति की प्लेट में से खाना चाहिए, अलग से नहीं। माँ और ताई ये देख कर मन ही मन मुस्कुराती है या एक दूसरे की तरफ देखती है। नेहा भी ये समझ जाती है इसलिए वो शरम से पानी पानी हो जाती है। फिर नेहा अभिषेक के साथ बैठकर खाना खाती है कभी-कभी अभिषेक भी नेहा को अपने हाथों से खिला रहा था।
नेहा मन मैं सोचती है कि कल इसने मेरे बदन पर लव बाइट्स की अपनी छाप छोड़ दी या अब मुझे अपने हाथ से खाना खिला रहा है वह भगवान कितना रोमांटिक है ये सब पर जब ये सोचती है कि ये मेरा ही भाई है तो ना जाने क्यूं अजीब सा लगने लगता है कि कहीं कुछ गलत तो नहीं पर इसके सामने मैंने कुछ कह क्यों नहीं पाती हूं। फिर नेहा और अभिषेक खाना ख़त्म कर लेते है। नेहा खाने के बाद अपने कमरे में चली जाती है वह अपनी परीक्षा की तैयारी कर रही थी तो उसको पढाई भी करनी होती है इसलिए वो पढाई करने चली जाती है।
अभिषेक भी नेहा के पीछे पीछे अपने कमरे में आ जाता है। वो एक दम से नेहा को पीछे से जाकर हग कर लेता है। नेहा एक दम से चौक जाती है या अभिषेक को अपने से दूर कर देती है ये कहते हुए की। नेहा - मेरा बनाया खाना तो तुम्हें पसंद नहीं आता ना। अभिषेक नेहा को पकड़ कर दीवार से शटा देता है। अभिषेक - खाना तो अच्छा था या हमारी बीवी बने या वो अच्छा ना बने ऐसा हो सकता है वो तो बस मैंने ऐसा ही कहा था कि कहीं नजर ना लगे जाए। नेहा नाराज़गी में अपना मुँह फेर लेती है। अभिषेक फिर से मुँह को अपने सामने कर के। अभिषेक - पहले तो आप इस बात का जवाब दो कि आपको सजा दी जाए जो आपने हमारी ये हालत करके रखी है। दीदी - मैंने क्या किया है । अभिषेक - अच्छा जी आपको पता है कि आप इस साड़ी में कितनी हॉट लग रही हैं। इतनी खूबसूरत और प्यारी है आप कि मेरा कंट्रोल करना अपना मुश्किल है, पता है यार मैं क्या क्या चल रहा है। नेहा अभिषेक की तरफ देखती रहती है बस या फिर कहती है। नेहा - वो मुझे पढाई करनी है और तुम्हारा भी कॉलेज का टाइम हो गया है।
अभिषेक - बात मत पलटो जाने तो मैं दूंगा नहीं।
एक बात बताओ मंगल सूत्र क्यों नहीं पहना आपने एवं ये सिंदूर भी इतना सा लगाया है क्यों। नेहा - वो... अगर कोई बाहर से घर आएगा तो उसे अजीब ना लगे इसलिए सिंदूर नहीं लगाया वो मंगल सूत्र बहुत बड़ा है साफ साफ दिखेगा कोई देख लेता तो क्या कहती। अभिषेक फिर नेहा की आँखों में देखता रहता है और अभी उसका लंड कठोर हो चुका था वो बस चाहता था कि नेहा को पकड़ कर चोद दे पर वो हडबडाना नहीं चाहता है।
मैंने नेहा का हाथ पकड़ कर अपने लन्ड पर लगा दिया और जोर से दबा दिया।
नेहा नाराज होते हुए...
नेहा - अभी मुझे पढना भी है जाने दो ना। अभिषेक - अच्छा चले जाना पर आप जो इतनी हॉट लग रही है इसका रिवॉर्ड तो देते जाइये। नेहा - कैसा इनाम . अभिषेक - एक चुम्बन . नेहा गुस्से से अभिषेक को देखने लग जाती है। मेरे से भी अब नहीं रहा जाता है वो नेहा की गर्दन के पीछे हाथ डालता है या उसको किस करना शुरू कर देता है।
अभी नेहा के होटो का पूरा रस निचोड़ के पी जाता है या नेहा भी अपने भाई को कुछ नहीं कहती बस जो वो करता है उसको करने देती है। किस के बाद अभिषेक थोड़ा पीछे हट जाता है या नेहा की आंखों में देखता है नेहा शरम के मारे आंखों को झुका लेती है। अभिषेक - ठीक है आप कर लो पढ़ाई मैं कॉलेज जाता हू शाम को मिलते है। हां यही ड्रेस पहन कर रखना शाम तक जब मैं आउ आप मुझे साड़ी में ही मिलना चेंज मत करना। नेहा तो घूर कर मेरे को देखती है जाते हुए टेढ़ी नजरो से।
या इतना बोलकर अभिषेक वहां से चला जाता है स्टडी वाले कमरे से अपना बैग उठाता है एवं फोन लेता है या फिर अपनी मम्मी को बोलकर कार लेकर कॉलेज के लिए निकल जाता है।
अभिषेक कॉलेज पर पहुंचता है।
अभिषेक के सारे दोस्त.
अरे भाई आओ कैसे 3 दिन कहाँ गायब थे ।
अभिषेक - अरे कुछ नहीं यार ऐसे ही कोई काम था, कुछ खास नहीं।
मार्केट मे रुक कर में कुछ लिपस्टिक खरीद लेता हूं।
फिर लौट के घर आ जाता है।
घर पर कार खड़ी करता है या अंदर आता है। अंदर पापा और ताऊजी बैठे थे।
अभिषेक चुप चाप अंदर आता है।
ताऊ जी पिता जी वो इस बात से उनकी भतीजी या बेटी है नेहा घर की लड़की है और सब उससे बहुत प्यार करते है इसलिए अभिषेक के पापा को उस पर गुस्सा आ रहा था कि नालायक कहीं का कहीं नेहा से जबरदस्ती तो नहीं किया।
अभिषेक के पापा - अभी रुक इतनी देर कैसे लगी कॉलेज की छुट्टी तो पहले ही हो जाती है।
अभिषेक - वो पापा मेरे पास 3 दिन से छुट्टी पे था तो दोस्त ने बोला चल बाहर घूमते है तो मैं वहां चला गया।
पापा - हाँ घुमता रह बस बहु का तो टाइम मत दे नई नई शादी है बहु के साथ घूम पर कुछ ऐसे के लिए टाइम नहीं है।
ताऊजी - तू क्यों चिल्ला रहा है इसके पे चला गया घूमने के दोस्त ले गए होंगे या पढ़ायी में तो अच्छा है ।
मैं - अच्छा - अच्छा ठीक है । नेहा दीदी को खोजता हूँ तो वो नीचे कहीं नजर नहीं आ रही है।
अपने रूम में कपड़े बदलनें गई है ताऊ जी ने बताया।
पापा फिर शांत हो जाते हैं या कुछ नहीं कहते।
पर वहा दीदी माँ के कमरे के गेट के पास खड़ी हुई ये देख कर हँस रही थी जैसा कि मानो मेरा मजाक उड़ा रही हो।
अभिषेक के पापा उनको घूर कर देख रहे थे क्योंकि उन्हें शक था की कल रात को उन्होंने नेहा को रुला रुला के चोदा होगा।
माँ ये सोच कर पापा को अपने पास बुला कर बताती है की अभी तक दोनों का जिस्म का समागम नहीं हुआ है और अभिषेक पर गुस्सा नहीं कीजिए।
तब पिताजी ने माँ को कहा की नेहा को सेक्स के बारे मे समझा दो।
माँ ने कहा ठीक है।
मैं अभी गुस्से में था क्योंकि पापा ने मुझे बे मतलब में दांत दिया था तो मैं दीदी के पास जाकर बोलता हूँ।
अभिषेक - आपको बड़ी हंसी आ रही है ना, मुझे डांट पड़ रही हैं तो मजा आ रहा है वाह एक बीवी होने के नाते ये कर रही हैं आप, साला मैं ही चूतिया हूं जो आपकी केयर करता हूं आपको कोई परवाह नहीं है कोई पति नहीं मानती है आप मुझे या ना ही प्यार करती है।
नेहा - अभी तुम गलत हो ।
अभिषेक - कितना गलत, कैसी गलत मुझे बात ही नहीं करनी आपसे। एवं इतना कह कर मैं ऊपर चला जाता हूं ।
ऊपर जाके अपना किताब वैगरह बिस्तर पर फेंक देता हूँ। पीछे पीछे दीदी भी आ जाती है। मैं यहीं बिस्तर पर बैठ जाता हूं अपना मुँह फेर के ।
नेहा भी कमरे में आती है कि उसका भाई गुस्से में ऊपर आ गया।
नेहा - क्या हुआ अभिषेक।
अभिषेक (जोर से) - आपको नहीं पता क्यों गुस्सा हुआ सच बात तो ये है कि आप को मुझसे मतलब ही नहीं है मैंने क्या किया था नीचे या आप मजे ले रही हो।
( अभी अभी भी गुस्से में था इसलिए इतनी बचकानी बातें कर रहा था )
नेहा - अच्छा तो मैं बिलकुल प्यार नहीं करती , मैं तुम्हारी बहन हूँ फिर भी कल रात और आज सुबह नहाते हुए वो सब । मैं अपने ही भाई की बीवी हूं अब या तुम कह रहे हो मुझे परवा नहीं है । अगर ऐसा नहीं होता तो मैं तुम्हारे पीछे नहीं आती या तुम्हारे गुस्सा होने पर।
अभिषेक नेहा के बस पास आ जाता है मतलब आपको हमसे प्यार है।
नेहा अपना मुँह नीचे कर लेती है।
अभिषेक - तो फिर आज आप मेरे को रात मे प्यार करेंगी ।
नेहा - वो तुम भी तो मुझे परेशान करते हो, मैंने कहा था ना अभी मुझे थोड़ा टाइम चाहिए।
तब मैंने कहा कि जो भी करूंगा अपनी बीवी के साथ करूंगा किसी के साथ नहीं। या फिर हाँ अभी तक सॉरी भी नहीं बोला आपने।
नेहा - अच्छा ठीक है सॉरी .
अभिषेक - ऐसे नहीं कान पकड़ के ।
दीदी कान पकड़ कर अभिषेक को सॉरी बोलती है।
नेहा - चलो अब खाना खा लो, खाना बन गया।
अभिषेक - पर माफ़ी में क्या मिलेगा ।
नेहा - कया मतलब।
अभिषेक - आज रात को मेरे साथ पति पत्नी का धर्म निभाना होगा।
नेहा शर्मा कर फिर उठ कर कमरे से बाहर चली जाती है। अभिषेक - कहा जा रही हो। नेहा - माफ़ी का मतलब ये नहीं कि तुम अपने आदमी की चलाओ। मैंने सॉरी कहा, दिया या दिल से कहा है।
अभिषेक - ठीक है तो मैं भी खाना नहीं खा रहा, जाओ आप खा लो।
नेहा - ऐसे खाने पर गुस्सा क्यों हो?
अभिषेक - ना ना ना.....मैं नहीं मानता पहले जवाब दो हाँ या नहीं बोलो क्या करना है।
नेहा फिर से गुस्से में बिस्तर पर बैठ जाती है या अपनी आंखें बंद कर लेती है।
नेहा - लो कर लो जो करना है ।अभिषेक - करना मुझे नहीं है आपको पहल करना है। नेहा फिर घुरके मेरे को देखती है और अपना मुँह नीचे कर लेती है। में दीदी के बहुत करीब जाता हूँ ।
अभिषेक - मुझे माफ करना जो पापा का गुस्सा आप पर उतार रहा हूँ। चलो खाना खाते हैं।नेहा इमोशनल हो कर मेरे तरफ़ देखती है।
फिर दोनो खाना खाने के लिए नीचे आते है।
माँ - चलो सब खाना खाओ, आज सब कुछ नेहा ने बनाया है।
फिर सब लोग पापा, ताऊ जी या ताई जी मम्मी या दीदी स्नेहा आदित्य भी खाने की टेबल पर बैठ जाते हैं या मैं भी टेबल पर बैठ जाती हूँ। दीदी मेरे बगल में आकर बैठ जाती है।
फिर हम लोग खाना शुरू करते हैं। खाना वकई में स्वादिष्ट था । फिर हम सब ने खाना खाया में खाना खाते वक़्त भी पापा मुझे घुर घुर के देख रहे थे। जैसे मेरे से कोई अपराध हुआ हो।
खाने खाने के बाद मैं अपने कमरे में आ जाता हूँ। दीदी अभी नीचे ही होती है शायद मम्मी या ताई जी ने रोका होगा। माँ - नेहा मेरे कमरे मे आना कुछ बात करनी है।
नेहा - चलिए और अपनी मम्मी (नीरोज) से कहती है मम्मी मे चाची के कमरे हूँ।
नेहा - बोलिए माँ।
माँ नेहा से कहती है बेटा अभी जो करना चाहता है उसे करने दो बेटा (सेक्स) शादी का यही धर्म है।
फिर रात में थोड़ा टाइम पास करती है माँ एवं ताई जी के साथ करीब 9 बज जाते है। अब माँ दीदी से कमरे में जाने बोलती है और आंख से इशारे से सेक्स के लिए समझाती है