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Sorry for by mistake ho gya tha
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गुरु को इसीलिए पहले करने बोला ताकि उस जैसा गलीच आदमी और किसी बच्चे की जिंदगी ना खराब कर सके। और सबसे बड़ी गलती उसकी इसीलिए है क्योंकि पूरा ठाकुर खानदान इस पर अंधविश्वास करता था। मान लिया कि उसने अभय को एक अलग कमरे में रखवा कर उस समय के हिसाब से सही काम किया था, लेकिन बच्चे की जिंदगी तो तबाह ही कर दी, फिर कभी उसकी कोई खोज खबर ली भी नही उस गुरु घंटाल ने।Bhai shi kha aapne
Lekin
Guru ji bad me pehle to Family se revenge bnta hai Q ki Guru ji to bol kr nikl gy the lekin ABHAY to jada samay family me rha tha wha uske sath jo hua wo to usse be jada bda kand hai
Q ki family ko apne khoon ke sath km se km esa ni krna chahey tha
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Rhe Guru ji ki bat uska or baki ka number bi bech bech me lgta rhe to jada mja aayga
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Bhai bhle Family ke dushman koi bi ho lekin ABHAY to baccha tha jise us time na sukh ka pta na dukh ka bs uske lye to uske Maa or Baap he brose tha but unhone to pehle sath chordia
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Mujhe esa lgta hai bhai baki writer ki ichha
Koi nahi bhai, Isi ko edit kar dena.Sorry for by mistake ho gya tha
Ha bhai aapki thinking bi bilkul shi haiगुरु को इसीलिए पहले करने बोला ताकि उस जैसा गलीच आदमी और किसी बच्चे की जिंदगी ना खराब कर सके। और सबसे बड़ी गलती उसकी इसीलिए है क्योंकि पूरा ठाकुर खानदान इस पर अंधविश्वास करता था। मान लिया कि उसने अभय को एक अलग कमरे में रखवा कर उस समय के हिसाब से सही काम किया था, लेकिन बच्चे की जिंदगी तो तबाह ही कर दी, फिर कभी उसकी कोई खोज खबर ली भी नही उस गुरु घंटाल ने।
और जहां ऐसा इनफ्लुएंस होता है वहां ऐसी बातें हो ही जाती है, हो सकता हो कि अभय को साथ रख लेते लेकिन बर्ताव तो उसके साथ नौकरों से भी बुरा करते, और वो भी केवल उसी गुरु घंटाल के चक्कर में, इसीलिए पहला वार उसी पर होना चाहिए। और ये बात भौतिक नही अध्यात्मिक होना चाहिए, ऐसा कुछ जिससे उसके परिवार की आंखें कुछ खुलें।
बिलकुल हम लोग बस राइटर को अपना नजरिया बता सकते हैं, पर कहानी राइटर की अपनी रचना है तो उसने जो सोच कर रखा है, वैसा ही लिखना चाहिए, वरना कहानी का गुड गोबर होने में समय नही लगता।Ha bhai aapki thinking bi bilkul shi hai
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Bs esa tb ho jb ABHAY ke Maaa or Baap samne ho khas kr ke tb jada he intresting hoga Q ki baki ka smj aaya pr Maa or Baap esa kre apne he sge bete ke sath glt hai uska silha unhe milna chahey
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Ha ye bat alag hai ise writer apne hisab se kaisa krta hai
Hum writer ki jo marji hogi wahi hogaबिलकुल हम लोग बस राइटर को अपना नजरिया बता सकते हैं, पर कहानी राइटर की अपनी रचना है तो उसने जो सोच कर रखा है, वैसा ही लिखना चाहिए, वरना कहानी का गुड गोबर होने में समय नही लगता।
लेखक जी, ये बस मेरा नजरिया है, आप अपनी लेखनी अपने हिसाब से ही चलाएं, कोई प्रेशर नहीं है आप पर।
चाहे तो फिजिकल लड़ाई दिखाएं या शास्त्रार्थ से सुधारे सबको, आपकी मर्जी।
लेकिन इस गुरु घंटाल ने तो अभय को उससे भी वंचित कर दिया न, और जब बात कमाने की ही है, तो अरव ने खुद क्या कमाया, उसे तो सब मिला ही न, वो भी बड़े भाई की कीमत पर, दादा की गद्दी तक उसकी ना खुद की थी ना कमाई हुई।Hum writer ki jo marji hogi wahi hogaAb suno duniya me kuch bhi free nai hai sab hasil karna padta hai agar aap me dam hai to sab aapko chahegen han ek cheez free me mil jati aksar ma ki mamta baki sab kamana padta hai bhai
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story hai ye real noi hai uske baad kahun to jo bhi hota achche ke liye hota hai aap jaisa bol rahe wo sab normal aadmi ke liye sahi hai lekin jo special hote unko jada sangharsh karna padhta I think you understandलेकिन इस गुरु घंटाल ने तो अभय को उससे भी वंचित कर दिया न, और जब बात कमाने की ही है, तो अरव ने खुद क्या कमाया, उसे तो सब मिला ही न, वो भी बड़े भाई की कीमत पर, दादा की गद्दी तक उसकी ना खुद की थी ना कमाई हुई।
तो भाई जिंदगी के कम से कम 15 से 20 साल आप दूसरों के ऊपर ही डिपेंड रहते हो, अब उन सालों को आपके माता पिता चलाएं या कोई और, यहां वो गुरु घंटाल ने सब किया, प्राईमा फेसी।