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Fantasy Dark Love (Completed)

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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354
Update - 09
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मैं बेतहाशा भागता ही चला जा रहा था। दिलो दिमाग़ में आंधी तूफ़ान मचा हुआ था। रह रह कर आँखों के सामने मेघा का चेहरा उभर आता और ज़हन में उसके ख़याल जिसकी वजह से मेरी आँखों से आंसू छलक पड़ते थे। मुझे नहीं पता कि मैं कब तक यूं ही भागता रहा। रुका तब जब एकाएक मैं जंगल से बाहर आ गया।

जंगल के बाहर आ कर रुक गया था मैं। बुरी तरह हांफ रहा था, ऐसा लगता था जैसे साँसें मेरे काबू में ही न आएंगी। वही हाल दिल की धड़कनों का भी था। मैं घुटनों के बल वहीं गिर कर अपनी साँसों को नियंत्रित करने लगा। नज़र दूर दूर तक फैले हुए खाली मैदान पर घूमने लगी थी। कोहरे की धुंध ज़्यादा नहीं थी क्योंकि सूर्य का हल्का प्रकाश धुंध से छंट कर ज़मीन पर आ रहा था। मेरे पीछे तरफ विशाल जंगल था जिसकी चौड़ाई का कोई अंत नहीं दिख रहा था जबकि सामने तरफ खाली मैदान था। खाली मैदान में हरी हरी घांस तो थी लेकिन कहीं कहीं बर्फ़ की ऐसी चादर भी पड़ी हुई दिख रही थी जो उस खाली मैदान की सुंदरता को चार चाँद लगा रही थी।

मेरी नज़र चारो तरफ घूमते हुए एक जगह जा कर ठहर गई। मुझे ऐसा प्रतीत हुआ जैसे सामने कुछ दूरी पर ज़मीन का किनारा था और उसके आगे ज़मीन नहीं थी। मेरी साँसें अब काफी हद तक नियंत्रित हो गईं थी इस लिए मैं फ़ौरन ही उठा और ज़मीन के उस छोर की तरफ तेज़ी बढ़ता चला गया। जैसे जैसे मैं क़रीब पहुंच रहा था वैसे वैसे उधर का मंज़र साफ़ होता जा रहा था। कुछ समय बाद जब मैं उस छोर पर पहुंचा तो देखा सच में उस जगह पर ज़मीन ख़त्म थी। हालांकि ज़मीन तो आगे भी थी लेकिन इधर की तरह समतल नहीं थी बल्कि एकदम से गहराई पर थी। मैं किनारे पर खड़ा बिल्कुल अपने नीचे देखने लगा था और अगले ही पल मैं ये देख कर चौंका कि नीचे गहराई में वैसे ही महल बने हुए थे जिन्हें मैंने ख़्वाब में देखा था। उन महलों को देखते ही मुझे ये सोच कर झटका सा लगा कि अगर इन महलों का वजूद सच है तो फिर ख़्वाब में मैंने जो कुछ देखा था वो भी सच ही होगा। इस एहसास ने मेरी आत्मा तक को झकझोर कर रख दिया। मैं ये सोच कर तड़पने लगा कि मेरी मेघा सच में मर चुकी है। पलक झपकते ही मेरी हालत ख़राब हो गई और मैं एक बार फिर से फूट फूट कर रोने लगा।

अचानक ही मुझे झटका लगा और मेरे चेहरे पर बेहद ही शख़्त भाव उभर आए। ज़हन में ख़याल उभरा कि अगर मेरी मेघा ही नहीं रही तो अब मैं भी जी कर क्या करुंगा? एक वही तो थी जिसके लिए जीने का मकसद मिला था मुझे और अब जब वही नहीं रही तो मैं किसके लिए और क्यों ज़िंदा रहूं? जहां मेरी मेघा है मुझे भी वहां जल्दी से पहुंच जाना चाहिए। इस ख़याल के साथ ही मैं उस गहरी खाई में छलांग लगाने के लिए तैयार हो गया। असहनीय पीड़ा से मेरी आँखें आंसू बहाए जा रहीं थी। मैंने आँखें बंद कर के मेघा को याद किया और उससे कहने लगा_____'मैं आ रहा हूं मेघा। अब तुम्हें मेरे बिना दुःख दर्द सहने की कोई ज़रूरत नहीं है। तुम्हारा ध्रुव तुम्हारे पास आ रहा है। अब दुनिया की कोई भी ताक़त हमें एक होने से नहीं रोक पाएगी। मैं आ रहा हूं मेघा। मैं अब तुम्हारी जुदाई का दर्द नहीं सह सकता।'

अभी मैं मन ही मन ये सब मेघा से कह ही रहा था कि तभी ज़हन में एक सवाल उभर आया____किसने मेरी मेघा को इतनी बेदर्दी से मारा होगा? जिसने भी मेरी मेघा की जान ली है उसे इस दुनिया में जीने का कोई अधिकार नहीं है। मेरे दिल को तब तक सुकून नहीं मिलेगा जब तक मैं अपनी मेघा के हत्यारे को मार नहीं डालूंगा।

ज़हन में उभरे इन ख़यालों के साथ ही मेरा चेहरा पत्थर की तरह शख़्त हो गया और मुट्ठिया कस ग‌ईं। मैंने जान देने का इरादा मुल्तवी किया और अपने बाएं तरफ मुड़ कर चल दिया। मुझे अच्छी तरह पता था कि अब मुझे कहां जाना है और किस तरह से जाना है। गहराई में दिखे वो महल इस बात का सबूत थे कि मेरा ख़्वाब भी सच ही था। यानि मेरी मेघा उन्हीं महलों के अंदर हाल में बेजान सी पड़ी होगी।

मुझसे रहा न गया तो मैं एकदम से दौड़ते हुए आगे बढ़ने लगा। मेरा दिल कर रहा था कि मैं कितना जल्दी उन महलों में पहुंच जाऊं और मेघा को अपने कलेजे से लगा कर उसे अपने अंदर समा लूं। जिस किसी ने भी उसकी हत्या की है उसे ऐसी भयानक मौत दूं कि ऊपर वाले का भी कलेजा दहल जाए।

मुझे अपनी हालत का ज़रा भी एहसास नहीं था। भागते भागते मेरे पाँव जवाब देने लगे थे और मेरी साँसें उखड़ने लगीं थी लेकिन मैं इसके बावजूद दौड़ता ही चला जा रहा था। आँखों के सामने ख़्वाब में देखा हुआ बस एक वही मंज़र उभर आता था जिसमें मैं मेघा को अपने सीने से लगाए रो रहा था और पूरी शक्ति से चीखते हुए उसका नाम ले कर उसे पुकार रहा था। तभी किसी पत्थर से मेरा पैर टकराया और मैं किसी फुटबॉल की तरफ उछल कर हवा में तैरते हुए ज़मीन पर पेट के बल गिरा। आगे ढलान थी जिसकी वजह से मैं फिसलता हुआ बड़ी तेज़ी से जा कर किसी बड़े पत्थर से टकरा गया। चोट बड़ी तेज़ लगी थी जिसके चलते आँखों के सामने पलक झपकते ही अँधेरा छा गया और मैं वहीं पर अचेत होता चला गया।

✮✮✮

"ये हम कहां आ गए हैं मेघा?" मैंने चारो तरफ दूर दूर तक दिख रही खूबसूरत वादियों और रंग बिरंगे फूलों को देखते हुए मेघा से पूछा____"ये कौन सी जगह है?"

"क्या तुम्हें यहाँ अच्छा नहीं लग रहा ध्रुव?" मेघा ने मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देख कर कहा___"क्या तुम्हें इस सबको देख कर कुछ महसूस नहीं हो रहा?"

"अच्छा तो बहुत लग रहा है मेघा।" मैंने एक बार फिर से चारो तरफ के खूबसूरत नज़ारे को देखते हुए कहा____"और ये भी मन करता है कि यहाँ से अब हम कहीं न जाएं लेकिन मुझे अब भी समझ में नहीं आ रहा कि तुम मुझे यहाँ क्यों ले कर आई हो? आख़िर ये कौन सी जगह है?"

"तुम भी न ध्रुव बड़े ही बुद्धू हो।" मेघा ने बड़ी शेखी से मुस्कुराते हुए कहा____"अरे! बाबा कुछ तो समझो कि ये कौन सी जगह हो सकती है।"

"तुम हमेशा यूं पहेलियों में बात क्यों किया करती हो?" मैंने बुरा सा मुँह बना के कहा____"तुम जानती हो न कि मुझे पहेलियों वाली बातें कभी समझ में नहीं आती हैं। अब साफ़ साफ़ बताओ न कि ये कौन सी जगह है और तुम मुझे यहाँ क्यों ले कर आई हो?"

"अरे! बुद्धू राम इतना भी नहीं समझे कि ये कौन सी जगह हो सकती है।" मेघा ने प्यार से मेरे दाएं गाल को हल्के से खींच कर कहा_____"अरे! ये वो जगह है जहां पर हम अपने पवित्र प्रेम की दुनिया बसाएंगे। क्या तुम्हें इस जगह को देख कर नहीं लगता कि यहीं पर हमें अपने प्रेम का संसार बसाना चाहिए?"

"क्या??? सच में???" मैं मेघा की बातें सुन कर ख़ुशी से झूम उठा____"ओह! मेघा क्या सच में ऐसा हो सकता है?"
"तुम न सच में बुद्धू हो।" मेघा ने खिलखिला कर हंसने के बाद कहा____"अरे! मेरे भोले सनम हम सच में यहीं पर अपने प्रेम की दुनिया बसाएंगे। इसी लिए तो मैं तुम्हें इस खूबसूरत जगह पर लाई हूं। तुम्हारी तरह मैं भी तो यही चाहती हूं कि हमारे प्रेम की एक ऐसी दुनिया हो जहां पर हमारे सिवा दूसरा कोई न हो। हमारे प्रेम की उस दुनिया में ना तो कोई दुःख हो और ना ही कोई परेशानी हो। हर जगह एक ऐसा मंज़र हो जो हम दोनों को सिर्फ और सिर्फ खुशियां दे और हम दोनों उन खुशियों में डूबे रहें।"

मेघा की ये खूबसूरत बातें सुन कर मैं मंत्रमुग्ध हो गया। मेरा जी चाहा कि जिन होठों से उसने ऐसी खूबसूरत बातें की थी उन्हें चूम लूं। मेरा मन मयूर एकदम से मचल उठा। मैं आगे बढ़ा और मेघा के चेहरे को अपनी दोनों हथेलियों के बीच ले कर हल्के से उसके गुलाब की पंखुड़ियों जैसे होठों पर अपने होठ रख दिए। मेरे ऐसा करते ही मेघा एकदम से शांत पड़ गई। ऐसा लगा जैसे प्रकृति की हर चीज़ अपनी जगह पर रुक गई हो। मेघा के होठों को चूमने का एक अलग ही सुखद एहसास हो रहा था और यकीनन वो भी ऐसा ही एहसास कर रही थी।

हम दोनों एक झटके से अलग हुए। ऐसा लगा जैसे किसी ने हमें अंजानी दुनिया से ला कर हक़ीक़त की दुनिया में पटक दिया हो। हम दोनों की नज़र एक दूसरे से मिली तो हम दोनों ही शरमा ग‌ए। मेघा का गोरा चेहरा एकदम से सुर्ख पड़ गया था और उसके होठों पर शर्मो हया में घुली मुस्कान थिरकने लगी थी।

"तुम बहुत गंदे हो।" मेघा ने शरमा कर किन्तु उसी थिरकती मुस्कान के साथ कहा____"कोई ऐसा भी करता है क्या?"
"कोई क्या करता है इससे मुझे कोई मतलब नहीं है मेघा।" मैंने हल्की मुस्कान के साथ कहा_____"मुझे तो बस इस बात से मतलब है कि मेरे कुछ करने से मेरी मेघा पर बुरा असर न पड़े। तुम्हारी खूबसूरत बातें सुन कर मेरा दिल इतना ज़्यादा ख़ुशी से झूम उठा था कि वो पलक झपकते ही जज़्बातों में बह गया।"

"अच्छा जी।" मेघा मुस्कुराते हुए मेरे पास आई____"बड़ा जल्दी तुम्हारा दिल जज़्बातों में बह गया। अब अगर मैं भी बह जाऊं तो?"
"तो क्या? शौक से बह जाओ।" मैंने उसकी नीली गहरी आँखों में झांकते हुए मुस्कुरा कर कहा____"हम दोनों अपने प्रेम में बह ही तो जाना चाहते हैं।"

"हां, लेकिन उससे पहले हमें कुछ ज़रूरी काम भी करने हैं मेरे भोले सनम।" मेघा ने मेरे चेहरे को प्यार से सहलाते हुए कहा____"हमे अपने लिए इस खूबसूरत जगह पर एक अच्छा सा घर बनाना है। क्या हम बिना घर के यहाँ रहेंगे?"

"ये खूबसूरत वादियां हमारा घर ही तो है।" मैंने चारो तरफ देखते हुए कहा_____"अब और क्या चाहिए?"
"फिर भी लोक मर्यादा के लिए कोई ऐसा घर तो होना ही चाहिए जिसे सच मुच का घर कहा जा सके।" मेघा ने कहा____"और जिसके अंदर हम लोक मर्यादा के अनुसार अपना जीवन गुज़ारें।"

"ठीक है।" मैंने कहा____"अगर तुम ऐसा सोचती हो तो ऐसा ही करते हैं।"
"ये हुई न बात।" मेघा ने मुस्कुरा कर कहा_____"अब आओ उस तरफ चलते हैं। उस तरफ यहाँ से ऊँचा स्थान है। मुझे लगता है वहीं पर हमें अपने प्रेम का आशियाना बनाना चाहिए।"

मैंने मेघा की बात पर हाँ में सिर हिलाया और उसके पीछे चल पड़ा। चारो तरफ खूबसूरत वादियां थी। हरी भरी ज़मीन और सुन्दर सुन्दर पेड़ पौधे। जहां तक नज़र जाती थी वहां तक हरी हरी घांस थी। चारो तरफ पहाड़ थे। एक तरफ कोई सुन्दर नदी बहती दिख रही थी। दाहिने तरफ उँचाई से गिरता हुआ झरने का खूबसूरत जल प्रवाह। हरी हरी घांस के बीच रंग बिरंगे फूल ऐसा नज़ारा पेश कर रहे थे कि बस देखते ही रहने का मन करे। इसके पहले न तो मैंने कभी ऐसा खूबसूरत नज़ारा देखा था और ना ही इतना खुश हुआ था। आँखों के सामने ऐसी खूबसूरती को देख कर मैं अपने नसीब पर गर्व करने लगा था। कुछ पल के लिए ज़हन में ये ख़याल भी आ जाता था कि कहीं ये सब कोई ख़्वाब तो नहीं? अगर ये ख़्वाब ही था तो मैं ऊपर वाले से दुआ करना चाहूंगा कि वो मुझे ऐसे ख़्वाब में ही जीने दे।

"ये जगह ठीक रहेगी न ध्रुव?" ऊंचाई पर पहुंचते ही मेघा ने मेरी तरफ पलट कर पूछा_____"यहां से दूर दूर तक प्रकृति की खूबसूरती दिख रही है।"

"प्रकृति की सबसे बड़ी खूबसूरती तो तुम हो मेघा।" मैंने सहसा गंभीर भाव से कहा____"मुझे यकीन ही नहीं हो रहा कि मुझे तुम मिल गई हो और अब मैं तुम्हारे साथ अपना जीवन जीने वाला हूं। मुझे सच सच बताओ मेघा कहीं ये कोई ख़्वाब तो नहीं है? देखो, मुझे अपने नसीब पर ज़रा भी भरोसा नहीं है। बचपन से ले कर अब तक मैंने सिर्फ और सिर्फ दुःख दर्द ही सहे हैं और अपने नसीब से हमेशा ही मेरा छत्तीस का आंकड़ा रहा है। इस लिए मुझे सच सच बताओ क्या मैं कोई ख़्वाब देख रहा हूं?"

"नहीं मेरे ध्रुव।" मेघा ने तड़प कर मुझे अपने सीने से लगा लिया_____"ये कोई ख़्वाब नहीं है, बल्कि ये वो हक़ीक़त है जिसे तुम अपनी खुली आँखों से देख रहे हो। तुम सोच भी कैसे सकते हो कि मैं अपने ध्रुव के साथ ऐसा मज़ाक करुँगी?"

"हां, मैं जानता हूं।" मैंने दुखी भाव से कहा____"मुझे मेरी मेघा पर पूर्ण भरोसा है कि वो मुझे इस तरह का कोई दुःख नहीं देगी लेकिन....।"
"लेकिन क्या ध्रुव?" मेघा ने मेरे सिर के बालों पर हाथ फेरते हुए पूछा।

"लेकिन अगर ये सच में कोई ख़्वाब ही है तो मेरी तुमसे प्रार्थना है कि इसे ख़्वाब ही रहने देना।" मेरी आँखों से आंसू छलक पड़े____"मुझे नींद से मत जगाना। मैंने तुम्हें पाने के लिए बहुत दुःख सहे हैं। अब मैं तुम्हें किसी भी कीमत पर खोना नहीं चाहता। अब अगर तुम मुझसे जुदा हुई तो तुम्हारी क़सम मैं एक पल भी जी नहीं पाऊंगा।"

"तो क्या मैं तुम्हारे बिना जी पाऊंगी?" मेघा ने मुझे और भी ज़ोरों से अपने सीने में भींच लिया, फिर भारी गले से बोली_____"नहीं मेरे ध्रुव, मैं भी अब तुम्हारे बिना जी नहीं पाऊंगी। इसी लिए तो सब कुछ छोड़ कर तुम्हारे पास आ गई हूं। मेरा अब इस दुनिया में तुम्हारे अलावा किसी से कोई रिश्ता नहीं रहा। मेरा मन करता है कि मैं अपने ध्रुव को हर वो ख़ुशी दूं जिसके लिए अब तक वो तरसता रहा है।"

"क्या तुम सच कह रही हो?" मैं एकदम से उससे अलग हो कर बोल पड़ा____"इसका मतलब ये सच में कोई ख़्वाब नहीं है, है ना?"
"हां ध्रुव।" मेघा ने मेरे चेहरे को अपनी हथेलियों में भर कर प्यार से कहा____"ये कोई ख़्वाब नहीं है। तुम्हारी ये मेघा सच में तुम्हारे सामने है और अब तुम्हें छोड़ कर कहीं नहीं जाएगी।"

मेघा की बात सुन कर मैं किसी छोटे बच्चे की तरह खुश हो गया। मैंने देखा मेघा की आँखों से आंसू बहे थे इस लिए मैंने जल्दी से अपना हाथ बढ़ा कर उसके आंसू पोंछे। मेघा ने भी अपने हाथों से मेरे आंसू पोंछे। मैं अब ये सोच कर मुतमईन हो गया कि अब ये कोई ख़्वाब नहीं है बल्कि सच में मेघा मेरे साथ ही है।

हम दोनों जब सामान्य हो गए तो मेघा मेरा हाथ पकड़ कर पास ही पड़े एक पत्थर पर बैठा दिया, जबकि वो पलटी और आँखें बंद कर के अपने दोनों हाथों को हवा में उठा लिया। उसकी दोनों हथेलियां सामने की तरफ थीं। मुझे पहले तो कुछ समझ न आया किन्तु अगले कुछ ही पलों में मैं ये देख कर आश्चर्य चकित रह गया कि मेघा की दोनों हथेलियों के बीच से गाढ़े सफ़ेद रंग का धुआँ निकलने लगा जो आगे की तरफ ज़मीन पर जा कर टकराने लगा। कुछ ही पलों में ज़मीन पर बहुत ज़्यादा धुआँ एकत्रित हो कर ऊपर की तरफ उठने लगा। दो मिनट के अंदर ही जब वो इकठ्ठा हुआ धुआँ ग़ायब हुआ तो मेरी आँखों के सामने एक बेहद ही सुन्दर महल बना हुआ नज़र आया। वो महल ना ही ज़्यादा छोटा था और ना ही ज़्यादा बड़ा।

"देखो ध्रुव।" मेघा की आवाज़ पर मेरी तन्द्रा टूटी तो मैंने चौंक कर उसकी तरफ देखा, जबकि उसने मुस्कुराते हुए कहा_____"ये है हमारे प्रेम का आशियाना। कैसा लगा तुम्हें?"

"बहुत ही सुन्दर है।" मैंने महल की तरफ देखते हुए कहा____"मैं तो ऐसे महल के बारे में कल्पना भी नहीं कर सकता था लेकिन....।"
"लेकिन क्या ध्रुव?" मेघा के चेहरे पर शंकित भाव उभरे____"क्या अभी कोई कमी है इस महल में?"

"नहीं, कमी तो कोई नहीं है।" मैंने कहा____"लेकिन मैं ये सोच रहा था कि हम किसी महल में नहीं बल्कि किसी साधारण से दिखने वाले घर में रहते।"

"तुम अगर ऐसा चाहते हो तो मैं इसकी जगह पर साधारण सा दिखने वाला घर ही बना दूंगी।" मेघा ने कहा_____"लेकिन मैंने महल इस लिए बनाया क्योंकि मैं चाहती हूं कि मेरे ध्रुव को हर वो सुख मिले जैसे सुख की उसने कल्पना भी न की हो। तुम मेरे सब कुछ हो और मैं चाहती हूं कि तुम किसी राजा महाराजा की तरह मेरे दिल के साथ साथ इस महल में भी मेरे साथ राज करो।"

"तुम्हारी ख़ुशी के लिए मैं इस तरह भी रहने को तैयार हूं मेघा।" मैंने कहा_____"लेकिन मेरी ख़्वाहिश ये थी कि हम अपनी मेहनत से कोई साधारण सा घर बनाएं और साधारण इंसान की तरह ही यहाँ पर रहते हुए अपना जीवन बसर करें। मैं यहाँ की ज़मीन पर मेहनत कर के खेती करूं और तुम घर के अंदर घर के काम करो, बिल्कुल किसी साधारण इंसानों की तरह।"

"तुम सच में बहुत अच्छे हो ध्रुव।" मेघा ने मेरे चेहरे को सहलाते हुए कहा____"और मुझे बहुत ख़ुशी हुई तुम्हारी ये बातें सुन कर। मैं भी तुम्हारे साथ वैसे ही रहना चाहती हूं जैसे कोई साधारण औरत अपने पति के साथ रहती है। ओह! ध्रुव तुमने ये सब कह कर मेरे मन में एक अलग ही ख़ुशी भर दी है। मैं भी साधारण इंसान की तरह तुम्हारे साथ जीवन गुज़ारना चाहती हूं।"

"तो फिर इस महल को गायब कर दो मेघा।" मैंने कहा_____"और कोई साधारण सा लकड़ी का बना हुआ घर बना दो। उसके बाद हम अपनी मेहनत से यहाँ की ज़मीन को खेती करने लायक बनाएंगे। उस ज़मीन से हम फसल उगाएंगे और उसी से अपना जीवन गुज़ारेंगे।"

"जैसी मेरे ध्रुव की इच्छा।" मेघा ने कहा और पलट कर उसने फिर से अपने दोनों हाथ हवा में लहराए जिससे उसकी दोनों हथेलियों से गाढ़ा सफ़ेद धुआँ निकलने लगा। उस धुएं ने पूरे महल को ढँक दिया और जब धुआँ गायब हुआ तो महल की जगह लकड़ी का बिल्कुल वैसा ही घर नज़र आया जैसे घर की मैंने इच्छा ज़ाहिर की थी।


images-3

बाद मुद्दत के बहार आई है ज़िन्दगी में।
मर न जाऊं कहीं ऐ दोस्त इस खुशी में।।

छुपा ले मुझको आंखों में आंसू की तरह,
बड़े अज़ाब सहे दिल ने तेरी बेरुखी में।‌।

दुवा करो के फिर कोई ग़म पास न आए,
बहुत हुआ जीना मरना इस ज़िन्दगी में।।

याद आए तो कांप उठता है बदन ऐ दोस्त
ऐसे गुज़री है शब-ए-फ़िराक़ बेखुदी में।।

अब कोई शिकवा कोई ग़म नहीं मेरे ख़ुदा,
विसाले-यार हुआ मुझको तेरी बंदगी में।।

✮✮✮
 

parkas

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Update - 09
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मैं बेतहाशा भागता ही चला जा रहा था। दिलो दिमाग़ में आंधी तूफ़ान मचा हुआ था। रह रह कर आँखों के सामने मेघा का चेहरा उभर आता और ज़हन में उसके ख़याल जिसकी वजह से मेरी आँखों से आंसू छलक पड़ते थे। मुझे नहीं पता कि मैं कब तक यूं ही भागता रहा। रुका तब जब एकाएक मैं जंगल से बाहर आ गया।

जंगल के बाहर आ कर रुक गया था मैं। बुरी तरह हांफ रहा था, ऐसा लगता था जैसे साँसें मेरे काबू में ही न आएंगी। वही हाल दिल की धड़कनों का भी था। मैं घुटनों के बल वहीं गिर कर अपनी साँसों को नियंत्रित करने लगा। नज़र दूर दूर तक फैले हुए खाली मैदान पर घूमने लगी थी। कोहरे की धुंध ज़्यादा नहीं थी क्योंकि सूर्य का हल्का प्रकाश धुंध से छंट कर ज़मीन पर आ रहा था। मेरे पीछे तरफ विशाल जंगल था जिसकी चौड़ाई का कोई अंत नहीं दिख रहा था जबकि सामने तरफ खाली मैदान था। खाली मैदान में हरी हरी घांस तो थी लेकिन कहीं कहीं बर्फ़ की ऐसी चादर भी पड़ी हुई दिख रही थी जो उस खाली मैदान की सुंदरता को चार चाँद लगा रही थी।

मेरी नज़र चारो तरफ घूमते हुए एक जगह जा कर ठहर गई। मुझे ऐसा प्रतीत हुआ जैसे सामने कुछ दूरी पर ज़मीन का किनारा था और उसके आगे ज़मीन नहीं थी। मेरी साँसें अब काफी हद तक नियंत्रित हो गईं थी इस लिए मैं फ़ौरन ही उठा और ज़मीन के उस छोर की तरफ तेज़ी बढ़ता चला गया। जैसे जैसे मैं क़रीब पहुंच रहा था वैसे वैसे उधर का मंज़र साफ़ होता जा रहा था। कुछ समय बाद जब मैं उस छोर पर पहुंचा तो देखा सच में उस जगह पर ज़मीन ख़त्म थी। हालांकि ज़मीन तो आगे भी थी लेकिन इधर की तरह समतल नहीं थी बल्कि एकदम से गहराई पर थी। मैं किनारे पर खड़ा बिल्कुल अपने नीचे देखने लगा था और अगले ही पल मैं ये देख कर चौंका कि नीचे गहराई में वैसे ही महल बने हुए थे जिन्हें मैंने ख़्वाब में देखा था। उन महलों को देखते ही मुझे ये सोच कर झटका सा लगा कि अगर इन महलों का वजूद सच है तो फिर ख़्वाब में मैंने जो कुछ देखा था वो भी सच ही होगा। इस एहसास ने मेरी आत्मा तक को झकझोर कर रख दिया। मैं ये सोच कर तड़पने लगा कि मेरी मेघा सच में मर चुकी है। पलक झपकते ही मेरी हालत ख़राब हो गई और मैं एक बार फिर से फूट फूट कर रोने लगा।

अचानक ही मुझे झटका लगा और मेरे चेहरे पर बेहद ही शख़्त भाव उभर आए। ज़हन में ख़याल उभरा कि अगर मेरी मेघा ही नहीं रही तो अब मैं भी जी कर क्या करुंगा? एक वही तो थी जिसके लिए जीने का मकसद मिला था मुझे और अब जब वही नहीं रही तो मैं किसके लिए और क्यों ज़िंदा रहूं? जहां मेरी मेघा है मुझे भी वहां जल्दी से पहुंच जाना चाहिए। इस ख़याल के साथ ही मैं उस गहरी खाई में छलांग लगाने के लिए तैयार हो गया। असहनीय पीड़ा से मेरी आँखें आंसू बहाए जा रहीं थी। मैंने आँखें बंद कर के मेघा को याद किया और उससे कहने लगा_____'मैं आ रहा हूं मेघा। अब तुम्हें मेरे बिना दुःख दर्द सहने की कोई ज़रूरत नहीं है। तुम्हारा ध्रुव तुम्हारे पास आ रहा है। अब दुनिया की कोई भी ताक़त हमें एक होने से नहीं रोक पाएगी। मैं आ रहा हूं मेघा। मैं अब तुम्हारी जुदाई का दर्द नहीं सह सकता।'

अभी मैं मन ही मन ये सब मेघा से कह ही रहा था कि तभी ज़हन में एक सवाल उभर आया____किसने मेरी मेघा को इतनी बेदर्दी से मारा होगा? जिसने भी मेरी मेघा की जान ली है उसे इस दुनिया में जीने का कोई अधिकार नहीं है। मेरे दिल को तब तक सुकून नहीं मिलेगा जब तक मैं अपनी मेघा के हत्यारे को मार नहीं डालूंगा।

ज़हन में उभरे इन ख़यालों के साथ ही मेरा चेहरा पत्थर की तरह शख़्त हो गया और मुट्ठिया कस ग‌ईं। मैंने जान देने का इरादा मुल्तवी किया और अपने बाएं तरफ मुड़ कर चल दिया। मुझे अच्छी तरह पता था कि अब मुझे कहां जाना है और किस तरह से जाना है। गहराई में दिखे वो महल इस बात का सबूत थे कि मेरा ख़्वाब भी सच ही था। यानि मेरी मेघा उन्हीं महलों के अंदर हाल में बेजान सी पड़ी होगी।

मुझसे रहा न गया तो मैं एकदम से दौड़ते हुए आगे बढ़ने लगा। मेरा दिल कर रहा था कि मैं कितना जल्दी उन महलों में पहुंच जाऊं और मेघा को अपने कलेजे से लगा कर उसे अपने अंदर समा लूं। जिस किसी ने भी उसकी हत्या की है उसे ऐसी भयानक मौत दूं कि ऊपर वाले का भी कलेजा दहल जाए।

मुझे अपनी हालत का ज़रा भी एहसास नहीं था। भागते भागते मेरे पाँव जवाब देने लगे थे और मेरी साँसें उखड़ने लगीं थी लेकिन मैं इसके बावजूद दौड़ता ही चला जा रहा था। आँखों के सामने ख़्वाब में देखा हुआ बस एक वही मंज़र उभर आता था जिसमें मैं मेघा को अपने सीने से लगाए रो रहा था और पूरी शक्ति से चीखते हुए उसका नाम ले कर उसे पुकार रहा था। तभी किसी पत्थर से मेरा पैर टकराया और मैं किसी फुटबॉल की तरफ उछल कर हवा में तैरते हुए ज़मीन पर पेट के बल गिरा। आगे ढलान थी जिसकी वजह से मैं फिसलता हुआ बड़ी तेज़ी से जा कर किसी बड़े पत्थर से टकरा गया। चोट बड़ी तेज़ लगी थी जिसके चलते आँखों के सामने पलक झपकते ही अँधेरा छा गया और मैं वहीं पर अचेत होता चला गया।

✮✮✮

"ये हम कहां आ गए हैं मेघा?" मैंने चारो तरफ दूर दूर तक दिख रही खूबसूरत वादियों और रंग बिरंगे फूलों को देखते हुए मेघा से पूछा____"ये कौन सी जगह है?"

"क्या तुम्हें यहाँ अच्छा नहीं लग रहा ध्रुव?" मेघा ने मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देख कर कहा___"क्या तुम्हें इस सबको देख कर कुछ महसूस नहीं हो रहा?"

"अच्छा तो बहुत लग रहा है मेघा।" मैंने एक बार फिर से चारो तरफ के खूबसूरत नज़ारे को देखते हुए कहा____"और ये भी मन करता है कि यहाँ से अब हम कहीं न जाएं लेकिन मुझे अब भी समझ में नहीं आ रहा कि तुम मुझे यहाँ क्यों ले कर आई हो? आख़िर ये कौन सी जगह है?"

"तुम भी न ध्रुव बड़े ही बुद्धू हो।" मेघा ने बड़ी शेखी से मुस्कुराते हुए कहा____"अरे! बाबा कुछ तो समझो कि ये कौन सी जगह हो सकती है।"

"तुम हमेशा यूं पहेलियों में बात क्यों किया करती हो?" मैंने बुरा सा मुँह बना के कहा____"तुम जानती हो न कि मुझे पहेलियों वाली बातें कभी समझ में नहीं आती हैं। अब साफ़ साफ़ बताओ न कि ये कौन सी जगह है और तुम मुझे यहाँ क्यों ले कर आई हो?"

"अरे! बुद्धू राम इतना भी नहीं समझे कि ये कौन सी जगह हो सकती है।" मेघा ने प्यार से मेरे दाएं गाल को हल्के से खींच कर कहा_____"अरे! ये वो जगह है जहां पर हम अपने पवित्र प्रेम की दुनिया बसाएंगे। क्या तुम्हें इस जगह को देख कर नहीं लगता कि यहीं पर हमें अपने प्रेम का संसार बसाना चाहिए?"

"क्या??? सच में???" मैं मेघा की बातें सुन कर ख़ुशी से झूम उठा____"ओह! मेघा क्या सच में ऐसा हो सकता है?"
"तुम न सच में बुद्धू हो।" मेघा ने खिलखिला कर हंसने के बाद कहा____"अरे! मेरे भोले सनम हम सच में यहीं पर अपने प्रेम की दुनिया बसाएंगे। इसी लिए तो मैं तुम्हें इस खूबसूरत जगह पर लाई हूं। तुम्हारी तरह मैं भी तो यही चाहती हूं कि हमारे प्रेम की एक ऐसी दुनिया हो जहां पर हमारे सिवा दूसरा कोई न हो। हमारे प्रेम की उस दुनिया में ना तो कोई दुःख हो और ना ही कोई परेशानी हो। हर जगह एक ऐसा मंज़र हो जो हम दोनों को सिर्फ और सिर्फ खुशियां दे और हम दोनों उन खुशियों में डूबे रहें।"

मेघा की ये खूबसूरत बातें सुन कर मैं मंत्रमुग्ध हो गया। मेरा जी चाहा कि जिन होठों से उसने ऐसी खूबसूरत बातें की थी उन्हें चूम लूं। मेरा मन मयूर एकदम से मचल उठा। मैं आगे बढ़ा और मेघा के चेहरे को अपनी दोनों हथेलियों के बीच ले कर हल्के से उसके गुलाब की पंखुड़ियों जैसे होठों पर अपने होठ रख दिए। मेरे ऐसा करते ही मेघा एकदम से शांत पड़ गई। ऐसा लगा जैसे प्रकृति की हर चीज़ अपनी जगह पर रुक गई हो। मेघा के होठों को चूमने का एक अलग ही सुखद एहसास हो रहा था और यकीनन वो भी ऐसा ही एहसास कर रही थी।

हम दोनों एक झटके से अलग हुए। ऐसा लगा जैसे किसी ने हमें अंजानी दुनिया से ला कर हक़ीक़त की दुनिया में पटक दिया हो। हम दोनों की नज़र एक दूसरे से मिली तो हम दोनों ही शरमा ग‌ए। मेघा का गोरा चेहरा एकदम से सुर्ख पड़ गया था और उसके होठों पर शर्मो हया में घुली मुस्कान थिरकने लगी थी।

"तुम बहुत गंदे हो।" मेघा ने शरमा कर किन्तु उसी थिरकती मुस्कान के साथ कहा____"कोई ऐसा भी करता है क्या?"
"कोई क्या करता है इससे मुझे कोई मतलब नहीं है मेघा।" मैंने हल्की मुस्कान के साथ कहा_____"मुझे तो बस इस बात से मतलब है कि मेरे कुछ करने से मेरी मेघा पर बुरा असर न पड़े। तुम्हारी खूबसूरत बातें सुन कर मेरा दिल इतना ज़्यादा ख़ुशी से झूम उठा था कि वो पलक झपकते ही जज़्बातों में बह गया।"

"अच्छा जी।" मेघा मुस्कुराते हुए मेरे पास आई____"बड़ा जल्दी तुम्हारा दिल जज़्बातों में बह गया। अब अगर मैं भी बह जाऊं तो?"
"तो क्या? शौक से बह जाओ।" मैंने उसकी नीली गहरी आँखों में झांकते हुए मुस्कुरा कर कहा____"हम दोनों अपने प्रेम में बह ही तो जाना चाहते हैं।"

"हां, लेकिन उससे पहले हमें कुछ ज़रूरी काम भी करने हैं मेरे भोले सनम।" मेघा ने मेरे चेहरे को प्यार से सहलाते हुए कहा____"हमे अपने लिए इस खूबसूरत जगह पर एक अच्छा सा घर बनाना है। क्या हम बिना घर के यहाँ रहेंगे?"

"ये खूबसूरत वादियां हमारा घर ही तो है।" मैंने चारो तरफ देखते हुए कहा_____"अब और क्या चाहिए?"
"फिर भी लोक मर्यादा के लिए कोई ऐसा घर तो होना ही चाहिए जिसे सच मुच का घर कहा जा सके।" मेघा ने कहा____"और जिसके अंदर हम लोक मर्यादा के अनुसार अपना जीवन गुज़ारें।"

"ठीक है।" मैंने कहा____"अगर तुम ऐसा सोचती हो तो ऐसा ही करते हैं।"
"ये हुई न बात।" मेघा ने मुस्कुरा कर कहा_____"अब आओ उस तरफ चलते हैं। उस तरफ यहाँ से ऊँचा स्थान है। मुझे लगता है वहीं पर हमें अपने प्रेम का आशियाना बनाना चाहिए।"

मैंने मेघा की बात पर हाँ में सिर हिलाया और उसके पीछे चल पड़ा। चारो तरफ खूबसूरत वादियां थी। हरी भरी ज़मीन और सुन्दर सुन्दर पेड़ पौधे। जहां तक नज़र जाती थी वहां तक हरी हरी घांस थी। चारो तरफ पहाड़ थे। एक तरफ कोई सुन्दर नदी बहती दिख रही थी। दाहिने तरफ उँचाई से गिरता हुआ झरने का खूबसूरत जल प्रवाह। हरी हरी घांस के बीच रंग बिरंगे फूल ऐसा नज़ारा पेश कर रहे थे कि बस देखते ही रहने का मन करे। इसके पहले न तो मैंने कभी ऐसा खूबसूरत नज़ारा देखा था और ना ही इतना खुश हुआ था। आँखों के सामने ऐसी खूबसूरती को देख कर मैं अपने नसीब पर गर्व करने लगा था। कुछ पल के लिए ज़हन में ये ख़याल भी आ जाता था कि कहीं ये सब कोई ख़्वाब तो नहीं? अगर ये ख़्वाब ही था तो मैं ऊपर वाले से दुआ करना चाहूंगा कि वो मुझे ऐसे ख़्वाब में ही जीने दे।

"ये जगह ठीक रहेगी न ध्रुव?" ऊंचाई पर पहुंचते ही मेघा ने मेरी तरफ पलट कर पूछा_____"यहां से दूर दूर तक प्रकृति की खूबसूरती दिख रही है।"

"प्रकृति की सबसे बड़ी खूबसूरती तो तुम हो मेघा।" मैंने सहसा गंभीर भाव से कहा____"मुझे यकीन ही नहीं हो रहा कि मुझे तुम मिल गई हो और अब मैं तुम्हारे साथ अपना जीवन जीने वाला हूं। मुझे सच सच बताओ मेघा कहीं ये कोई ख़्वाब तो नहीं है? देखो, मुझे अपने नसीब पर ज़रा भी भरोसा नहीं है। बचपन से ले कर अब तक मैंने सिर्फ और सिर्फ दुःख दर्द ही सहे हैं और अपने नसीब से हमेशा ही मेरा छत्तीस का आंकड़ा रहा है। इस लिए मुझे सच सच बताओ क्या मैं कोई ख़्वाब देख रहा हूं?"

"नहीं मेरे ध्रुव।" मेघा ने तड़प कर मुझे अपने सीने से लगा लिया_____"ये कोई ख़्वाब नहीं है, बल्कि ये वो हक़ीक़त है जिसे तुम अपनी खुली आँखों से देख रहे हो। तुम सोच भी कैसे सकते हो कि मैं अपने ध्रुव के साथ ऐसा मज़ाक करुँगी?"

"हां, मैं जानता हूं।" मैंने दुखी भाव से कहा____"मुझे मेरी मेघा पर पूर्ण भरोसा है कि वो मुझे इस तरह का कोई दुःख नहीं देगी लेकिन....।"
"लेकिन क्या ध्रुव?" मेघा ने मेरे सिर के बालों पर हाथ फेरते हुए पूछा।

"लेकिन अगर ये सच में कोई ख़्वाब ही है तो मेरी तुमसे प्रार्थना है कि इसे ख़्वाब ही रहने देना।" मेरी आँखों से आंसू छलक पड़े____"मुझे नींद से मत जगाना। मैंने तुम्हें पाने के लिए बहुत दुःख सहे हैं। अब मैं तुम्हें किसी भी कीमत पर खोना नहीं चाहता। अब अगर तुम मुझसे जुदा हुई तो तुम्हारी क़सम मैं एक पल भी जी नहीं पाऊंगा।"

"तो क्या मैं तुम्हारे बिना जी पाऊंगी?" मेघा ने मुझे और भी ज़ोरों से अपने सीने में भींच लिया, फिर भारी गले से बोली_____"नहीं मेरे ध्रुव, मैं भी अब तुम्हारे बिना जी नहीं पाऊंगी। इसी लिए तो सब कुछ छोड़ कर तुम्हारे पास आ गई हूं। मेरा अब इस दुनिया में तुम्हारे अलावा किसी से कोई रिश्ता नहीं रहा। मेरा मन करता है कि मैं अपने ध्रुव को हर वो ख़ुशी दूं जिसके लिए अब तक वो तरसता रहा है।"

"क्या तुम सच कह रही हो?" मैं एकदम से उससे अलग हो कर बोल पड़ा____"इसका मतलब ये सच में कोई ख़्वाब नहीं है, है ना?"
"हां ध्रुव।" मेघा ने मेरे चेहरे को अपनी हथेलियों में भर कर प्यार से कहा____"ये कोई ख़्वाब नहीं है। तुम्हारी ये मेघा सच में तुम्हारे सामने है और अब तुम्हें छोड़ कर कहीं नहीं जाएगी।"

मेघा की बात सुन कर मैं किसी छोटे बच्चे की तरह खुश हो गया। मैंने देखा मेघा की आँखों से आंसू बहे थे इस लिए मैंने जल्दी से अपना हाथ बढ़ा कर उसके आंसू पोंछे। मेघा ने भी अपने हाथों से मेरे आंसू पोंछे। मैं अब ये सोच कर मुतमईन हो गया कि अब ये कोई ख़्वाब नहीं है बल्कि सच में मेघा मेरे साथ ही है।

हम दोनों जब सामान्य हो गए तो मेघा मेरा हाथ पकड़ कर पास ही पड़े एक पत्थर पर बैठा दिया, जबकि वो पलटी और आँखें बंद कर के अपने दोनों हाथों को हवा में उठा लिया। उसकी दोनों हथेलियां सामने की तरफ थीं। मुझे पहले तो कुछ समझ न आया किन्तु अगले कुछ ही पलों में मैं ये देख कर आश्चर्य चकित रह गया कि मेघा की दोनों हथेलियों के बीच से गाढ़े सफ़ेद रंग का धुआँ निकलने लगा जो आगे की तरफ ज़मीन पर जा कर टकराने लगा। कुछ ही पलों में ज़मीन पर बहुत ज़्यादा धुआँ एकत्रित हो कर ऊपर की तरफ उठने लगा। दो मिनट के अंदर ही जब वो इकठ्ठा हुआ धुआँ ग़ायब हुआ तो मेरी आँखों के सामने एक बेहद ही सुन्दर महल बना हुआ नज़र आया। वो महल ना ही ज़्यादा छोटा था और ना ही ज़्यादा बड़ा।

"देखो ध्रुव।" मेघा की आवाज़ पर मेरी तन्द्रा टूटी तो मैंने चौंक कर उसकी तरफ देखा, जबकि उसने मुस्कुराते हुए कहा_____"ये है हमारे प्रेम का आशियाना। कैसा लगा तुम्हें?"

"बहुत ही सुन्दर है।" मैंने महल की तरफ देखते हुए कहा____"मैं तो ऐसे महल के बारे में कल्पना भी नहीं कर सकता था लेकिन....।"
"लेकिन क्या ध्रुव?" मेघा के चेहरे पर शंकित भाव उभरे____"क्या अभी कोई कमी है इस महल में?"

"नहीं, कमी तो कोई नहीं है।" मैंने कहा____"लेकिन मैं ये सोच रहा था कि हम किसी महल में नहीं बल्कि किसी साधारण से दिखने वाले घर में रहते।"

"तुम अगर ऐसा चाहते हो तो मैं इसकी जगह पर साधारण सा दिखने वाला घर ही बना दूंगी।" मेघा ने कहा_____"लेकिन मैंने महल इस लिए बनाया क्योंकि मैं चाहती हूं कि मेरे ध्रुव को हर वो सुख मिले जैसे सुख की उसने कल्पना भी न की हो। तुम मेरे सब कुछ हो और मैं चाहती हूं कि तुम किसी राजा महाराजा की तरह मेरे दिल के साथ साथ इस महल में भी मेरे साथ राज करो।"

"तुम्हारी ख़ुशी के लिए मैं इस तरह भी रहने को तैयार हूं मेघा।" मैंने कहा_____"लेकिन मेरी ख़्वाहिश ये थी कि हम अपनी मेहनत से कोई साधारण सा घर बनाएं और साधारण इंसान की तरह ही यहाँ पर रहते हुए अपना जीवन बसर करें। मैं यहाँ की ज़मीन पर मेहनत कर के खेती करूं और तुम घर के अंदर घर के काम करो, बिल्कुल किसी साधारण इंसानों की तरह।"

"तुम सच में बहुत अच्छे हो ध्रुव।" मेघा ने मेरे चेहरे को सहलाते हुए कहा____"और मुझे बहुत ख़ुशी हुई तुम्हारी ये बातें सुन कर। मैं भी तुम्हारे साथ वैसे ही रहना चाहती हूं जैसे कोई साधारण औरत अपने पति के साथ रहती है। ओह! ध्रुव तुमने ये सब कह कर मेरे मन में एक अलग ही ख़ुशी भर दी है। मैं भी साधारण इंसान की तरह तुम्हारे साथ जीवन गुज़ारना चाहती हूं।"

"तो फिर इस महल को गायब कर दो मेघा।" मैंने कहा_____"और कोई साधारण सा लकड़ी का बना हुआ घर बना दो। उसके बाद हम अपनी मेहनत से यहाँ की ज़मीन को खेती करने लायक बनाएंगे। उस ज़मीन से हम फसल उगाएंगे और उसी से अपना जीवन गुज़ारेंगे।"

"जैसी मेरे ध्रुव की इच्छा।" मेघा ने कहा और पलट कर उसने फिर से अपने दोनों हाथ हवा में लहराए जिससे उसकी दोनों हथेलियों से गाढ़ा सफ़ेद धुआँ निकलने लगा। उस धुएं ने पूरे महल को ढँक दिया और जब धुआँ गायब हुआ तो महल की जगह लकड़ी का बिल्कुल वैसा ही घर नज़र आया जैसे घर की मैंने इच्छा ज़ाहिर की थी।


images-3

बाद मुद्दत के बहार आई है ज़िन्दगी में।
मर न जाऊं कहीं ऐ दोस्त इस खुशी में।।

छुपा ले मुझको आंखों में आंसू की तरह,
बड़े अज़ाब सहे दिल ने तेरी बेरुखी में।‌।

दुवा करो के फिर कोई ग़म पास न आए,
बहुत हुआ जीना मरना इस ज़िन्दगी में।।

याद आए तो कांप उठता है बदन ऐ दोस्त
ऐसे गुज़री है शब-ए-फ़िराक़ बेखुदी में।।

अब कोई शिकवा कोई ग़म नहीं मेरे ख़ुदा,
विसाले-यार हुआ मुझको तेरी बंदगी में।।


✮✮✮
Nice and beautiful update...
 
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कहानी में अच्छा खासा सस्पेंस आ गया है शुभम भाई ! मेघा के लिए हमारे मन में पहले से ही संदेह था कि वो आम इंसान नहीं है और यह भी कि वो ध्रुव से प्रेम कर ही नहीं सकती ।
लेकिन इस अपडेट से कुछ कुछ बदला जैसा लगता है । उसने ध्रुव की मोहब्बत को स्वीकार कर लिया था ।
जहां तक मुझे याद है मेघा ने अपनी अंतिम मुलाकात में ध्रुव को उस वीराने एवं जंगल से विदा करके जंगलों में अदृश्य हो गई थी और उसके प्रेम प्रस्ताव को भी सिरे से नकार दिया था फिर कब उसने ध्रुव को अपने दिल में जगह दे दिया ? कब उसने ध्रुव के प्रेम प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया था ?

अलादीन के जादुई चिराग की तरह पल भर में ही एक महल और उसके तुरंत बाद एक छोटा सा आशियाना तक बना डाली थी । ऐसा कोई इंसान तो कर ही नहीं सकता था । इसका मतलब वो जरूर ही कोई अलौकिक शक्ति थी ।
लेकिन इसके बावजूद भी ध्रुव सपनों की जिंदगी में जी रहा है ।

कहानी में कुछ कुछ दिलिप कुमार और वैजयंती माला अभिनित " मधुमति " एवं राजेश खन्ना और हेमा मालिनी अभिनित " महबूबा " की झलक दिखाई देती है । इन्हीं फिल्मों पर आधारित शाहरुख खान और दीपिका पादुकोण की " ओम शांति ओम " मूवी भी आई थी ।
तीनों फिल्मों में नायिका की मौत हो चुकी थी और उनकी आत्मा ने अपने कातिल को पकड़वाने में मदद की थी ।

एक चीज तो श्योर लग रहा है कि नायिका की मौत हो चुकी है और अब देखना यह है कि उसकी मौत हुई कैसे थी ! उसके लाइफ की ट्रेजेडी क्या थी ?

बहुत ही खूबसूरत अपडेट था शुभम भाई । प्रकृति की सुंदरता का भी बहुत ही खूबसूरत विवरण दिया है आपने ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग ।
 
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lovely update ...dhruv ne megha ka katil ko maarne ka faisla kar liya aur khudko maarne ka khayal tyag diya ye achchi baat hai ..
ab ye sapna hai ya kuch aur par usme megha ne dhruv ke pyar ko sweekar kar liya hai aur apni nayi duniya basane chale hai dono 😍..
dhruv ek sadharan jindagi chahta hai usi hisaab se megha ko lakdi ka ghar banane ko kaha aur kheti karne ka soch raha hai 😍..

agar pyar saath ho to kaise bhi halat me jindagi jee sakte hai ye dhruv ki baato se pata chalta hai .
 

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
Supreme
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आठवाँ भाग

बहुत ही बेहतरीन और जबरदस्त।।।

ध्रुव का सपना तो सच मे बहुत ही खतरनाक था। वो ऐसा सपना देख रहा था जैसे किसी भूत पिशाच की नगरी में पहुंच गया हो। जहां पर नदी की बहती कल कल धारा उसके मन को शांति पहुंचा रहे थे तो उस महल में जाने के बाद सबकुछ बदल से गया था। उसके सामने मेघा को चाकू लगा था और वो तड़प कर मर गई। भले ही ये सपना ही था लेकिन ध्रुव के लिए तो उसकी जान पर बन आई थी। जब वो सपने के दुनिया से बाहर आया।।

आखिरकार दो वर्ष पूर्व ध्रुव के ठीक होते होते मेघा को भी ध्रुव के सच्चे प्यार का एहसास हो ही गया। वो भी ध्रुव से प्रेम करने लगी, लेकिन वो डरती थी अपने अतीत से या फिर आने वाले वर्तमान से। मेघा की न जाने क्या मजबूरी रही होगी जो उसने इतना प्यार करने वाले ध्रुव के प्यार को स्वीकार तो किया प्रणति साथ रहने से इनकार कर दिया। जिसके जवाब शायद आगे मिल जाए।।
Tumhari parwah karte karte kitna roya tanha main..
jis raat tumhari zarurat thi us raat ko soya tanha main..

bojhal bojhal palkein lekar mandir maszid jata hun..
wahi takht par baithe baithe yaad mein roya tanha main..

bade masihaa ho tum mere mujhe bachaane aa jao..
patthar dil ko moti samjha haar piroya tanha main..
 

Mahi Maurya

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Supreme
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नौवां भाग

बहुत ही बेहतरीन महोदय।।

ये सब क्या था। दो वर्ष से ध्रुव ने सारे जंगल और आस पास के इलाकों की खाक छान डाली थी मगर उसे कुछ मिला नहीं था, परंतु जब से वो झरना उसे दिखा है तब से मेघा से संबंधित हर वो चीज़ उसे नजर आने लगी है जो वो हकीकत ने देखा था या जो वो ख्वाब में देखता है। ये महज एक इत्तेफाक नहीं है। मेघा शुरू से रहस्यमयी लग रही थी, अब लगभग लगभग इस बात की पुष्टि हो गई है कि मेघा इंसान तो बिल्कुल भी नहीं है।।

अगर ये महल दिखा है तो इसका मतलब यही हुआ कि मेघा की मृत्यु या हत्या हो चुकी है।। तो उसका हत्यारा भी जरूर है। लेकिन मेघा का खून लाल के बजाय काला था मतलब वो मामूली तो नहीं है तो उसका हत्यारा भी मामूली नहीं है। ध्रुव मेघा के हत्यारे से बदला लेना चाहता है लेकिन वो बदला लेगा कैसे। क्योंकि ये सब बहुत ही मायावी लग रहा है। कहानी लगता है अपने आखिरी मुकाम तक आ चुकी है और सस्पेन्स भी अब खुलने वाले है। देखते हैं आगे क्या होता है।।
 

kamdev99008

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इलेक्शन में कुछ भी छिपा हुआ नहीं था । कामदेव भाई को भी पता था कि वो जितने वाले नहीं हैं । आप शायद उतना नहीं जानते जितना मैं जानता हूं । अब वो सब पुरानी बातें हो गई ।
लेकिन उन्होंने स्पोर्ट्स मैन स्पिरिट दिखाया और उसके लिए मैं उन्हें नमन करता हूं ।

जहां तक अमिता जी के बारे में कहा वो शत प्रतिशत सही है । उसके बाद ही वो बहुत ज्यादा डिफेंडिंग मुड में आ गए । इसके अलावा खुद की भी पारिवारिक मैटर होती हैं , इससे कोई भी इंकार नहीं कर सकता । इसके अलावा काम भी तो करना होता है न ! आमदनी के लिए भी गार्जियन को मेहनत करनी होती है न !

बाकी अब कामदेव भाई ही कहेंगे ।‌ :D

Amita ji ke sath unka kya lafda hua tha iske bare me mujhe kuch bhi pata nahi hai lekin itna zarur kahuga ki ek hi baat ko le kar baith jana uchit nahi hai. Rahi baat pariwarik matter aur vyaktigat jeewan ki to main samajh sakta hu ki ghar ka mukhya sadasya hone ke naate unke paas kayi saari pareshaniya hongi lekin sawaal hai ki kya iske pahle aisa nahi raha hoga? Yakeenan raha hoga lekin tab bhi to wo yaha aate the aur stories par apne reviews se writers ka utsaahvardhan karte the. Unhe samajhna chhaiye ki har writer ko unki kitni zarurat hai. Mera unka sath is forum se nahi balki dusre forum se raha hai aur main dil se kabool karta hu ki agar unka sath aur unka protsahan mujhe na mila hota to aaj main yaha par is makaam par nahi hota. Khair ab kya kahu, wo mujhse bahut bade hain. Unko samjhane laayak nahi hu, bas yahi prarthna karta hu ki wo usi roop me waapas aa kar yaha par apna kaam kare jiske liye ham sab unhe jaante hain aur unki izzat karte hain. :dazed:
Sanju bhai aur shubham bhai... Me na amita ji ki wajah se yahan kam ata hu aur na election ki wajah se....
Ye sab saansarik kriya-pratikriya hain jo mere aadhyatmik man ko vichalit nahin karti...
Ab bat pariwarik jimmedariyon ki karun... To,
Mere upar sirf patni bachchon ki hi nahin.... Ek marte huye gaon ki bhi jimmedari hai... Jo meine 12 varsh purv noida se yahan akar apne upar le li... Waqt ke sath log kam hote ja rahe hain aur jimmedari badhti ja rahi hai
Mera beta abhi 15 varsh ka ho chuka hai aur 12th ke exam dene ja raha hai... Uske liye kuchh aisa karna chahta hu ki vo apne jeevan ke liye khud kuchh karna seekhe, na ki exams, certificate v resume ke bhanwar me doobta jaye...
Gaon ke yuva bahar nikal gaye aur bujurg upar nikal gaye... Gaon sirf ek Mere pariwar ka hi hai... 32 makano me se sirf 14 me rahnewale bache hain... Jinme se sirf 5-6 kisaan hain.... Is gaon ko bachaye rakhne ke liye bhi bahut kuchh karne ki koshish kar raha hu.... Samay dena padta hai uske liye bhi... Democracy ko jhelna asaan kaam nahi, har sarkari karmchari azad hai... Har politician dabang... Sarkar se janta tak sab bhrast.. Badlav ke liye koi sath nahi, rokne ko bheed khadi hai samne...
Thode likhe se hi bahut samajhna... Isliye... Sharir se na sahi, dimag se bahut mehnat karni padti hai.. Ghar me bhi aur gaon-samaj me bhi...
Ek FPC (farmer Producer Company) bana raha hu pure India se apne janne wale kisaano ko sath milakar, bete ke liye bhi Technology especially IT ki training arrange kara raha hu jo ki wo yahan se bahar nikle bina hi online business operate kar sake....
Bada sochna hi kafi nahi uske liye usse bada karna bhi padta hai
........ Bahut kuchh kah liya
Ab mudde par ata hu....
Kahaniyon par reviews jaldi hi dene shuru karunga.... Mera laptop kharab hain pandemic (corona) time se hi, 2 sal hone ko aye..gaon se town tak bhi nahi jata..

Bachchon ka laptop use nahi kar sakta in sites par
Aur
Smart phone se utna familiar nahin ...

Mood fresh hota hai to infrastructure comfortable na hone ki wajah se jyada likh nahi pata... Isliye like karke chupchap nikal jata hu :)
 
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