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Update 3
अचानक रश्मी ने देखा की अपने दोनो हाथ उपर करके रुची ने अपनी टी शर्ट को उतार कर नीचे फेंक दिया...नीचे उसने एक सेक्सी सी ब्रा पहनी हुई थी..
.जिसमे उसके 32 साइज़ के बूब्स क़ैद थे...फिर रश्मी के देखते ही देखते रुची ने अपनी स्कर्ट भी उतार दी...और अब वो उसके भाई के कमरे मे सिर्फ़ ब्रा-पेंटी मे खड़ी थी..
पेंटी की हालत देखकर रश्मी समझ गयी की वो कितनी ज़्यादा उत्तेजित है...क्योंकि वो पूरी तरह से गीली हो चुकी थी.
आज पहली बार रश्मी ने अपनी सहेली को ऐसी हालत मे देखा था...कपड़ो में तो वो साधारण सी ही लगती थी...पर अब उसका कसा हुआ बदन किसी लिंगरी मॉडेल से कम नही लग रहा था...बिल्कुल सही आकार के बूब्स थे उसके...सपाट पेट और भरी हुई सी गांड ...
वो उसकी सुंदरता का अवलोकन कर ही रही थी की रुची ने एक और दुसाहसी कदम उठाते हुए पहले अपनी पेंटी और फिर ब्रा भी खोल कर नीचे गिरा दी..और अब वो पूरी नंगी होकर खड़ी थी
उस छोटे से कमरे मे...जहाँ उसका भाई गहरी नींद मे सोया हुआ था...
रश्मी समझ गयी की अब ये क्या करने वाली है...वैसे भी कल रात को ही मोनू ने बता दिया था की वो उसके साथ फकिंग कर चुका है...इसलिए उसे अभी चुदाई के लिए तैयार होते देखकर रश्मी को ज़्यादा आष्चर्य नही हुआ..
रुची ने अपना हाथ अपनी चूत पर रगड़ा और ढेर सारा शहद निकाल कर मोनू के लंड पर मल दिया...और फिर अपना मुँह नीचे करके उसने उस शहद से डूबे भुट्टे को अपने मुँह मे लिया और ज़ोर-2 से चूसने लगी...
मोनू का शरीर कुछ देर के लिए कसमसाया...पर शायद गहरी नींद में था वो..इसलिए कुछ और नही किया...पर उसका सिर इधर-उधर होने लगा था...क्योंकि नींद मे ही सही, उसे ये एहसास हो रहा था की उसका लंड चूसा जा रहा है...
फिर रुची ने एक मिनट तक चूसने के बाद उसे बाहर निकाला और मोनू के पलंग पर चढ़ गयी ..उसके दोनों तरफ टांगे करते हुए उसने उसके लंड को ठीक अपनी चूत के उपर रखा और धप्प से उपर बैठ गयी..
''अहह....... उम्म्म्मममममममममम ............ ओह .... मोनू .............. ''
और अपने लंड पर दबाव का एहसास और रुची की चीख सुनकर मोनू की नींद एकदम से खुल गयी..और सोते हुए वो ये सपना देखा रहा था की उसका लंड रश्मी चूस रही है..और चुदाई भी वो करवा रही है...इसलिए आँखे खुलने से पहले उसके मुँह से एक उत्तेजना से भारी आवाज़ निकली : "ओह ..... रश्मी ..........''
और फिर जब उसने आँखे खोलकर देखा की असल मे उसके उपर रुची है तो उसके तो जैसे होश ही उड़ गये...
मोनू : " ये...ये क्या ..... रुची ...... तू ....यहाँ ....और ये क्या है ..... श तेरी ......''
और रुची उसे शक भारी नज़रों से देखते हुए ,गुस्से मे भरकर बोली : "क्या बोला तू अभी....रश्मी बोला था न ...''
तब तक मोनू की नज़र बाहर छुपकर उनकी चुदाई देख रही रश्मी पर जा चुकी थी..और उसे समझते देर नही लगी की असल मे हो क्या रहा है वहाँ...
वो एकदम से बोला : "अरी बेवकूफ़...अपने पीछे देख...रश्मी दीदी खड़ी है..उन्हें देखकर बोला था मैं ''
और इतना कहते हुए उसने नीचे गिरी हुई चादर अपने और रुची के नंगे जिस्म पर खींच ली..
रश्मी भी समझ गयी की अब छुपने का कोई फायदा नही है...वो बाहर निकल कर अंदर आ गयी..
और रुची की हालत तो ऐसी हो रही थी जैसे कोई चोर चोरी करते हुए पकड़ा गया हो...एक तो उसकी पुरानी सहेली , उपर से उससे बोलचाल बंद...और साथ ही वो उसके घर पर ही उसके भाई से चुदवाती हुई पकड़ी गयी..इससे ज़्यादा शरम की और क्या बात हो सकती है...
रश्मी के लिए ऐसे मोनू के कमरे मे खड़े रहना थोड़ा अजीब सा था...कल रात को उनके बीच वो बात चीत न हुई होती तो शायद मोनू के देख लेने के बाद वो भागकर नीचे चली जाती और बाद मे इस घटना के बारे मे कोई बात भी नही करती...पर अब दोनो के बीच हालात बदल चुके थे..
दूसरी तरफ मोनू को भी ज़्यादा डर नही लगा...क्योंकि इतनी अंडरस्टैंडिंग तो हो ही चुकी थी उनमें कल रात , जब वो अपनी बहन को देखकर और उसकी बहन उसको देखकर और वैसी बाते करके कितने उत्तेजित हो रहे थे...
रश्मी : "तो ये सब होता है रोज मेरे जाने के बाद...''
रुची ने अपना चेहरा चादर के अंदर छुपा लिया...बेचारी अपना मुँह तक नही दिखा पा रही थी अपनी पुरानी सहेली को..
रश्मी ने एकदम से हंसते हुए कहा : "इट्स ओके रुची ..... ऐसे शरमाने की या डरने की कोई ज़रूरत नही है... मुझे मोनू ने सब बता दिया है तुम दोनों के बारे में ...''
रुची ने एकदम से अपना सिर चादर से बाहर निकाला...और मोनू के चेहरे को घूरने लगी..
मोनू : "अरे .... कल रात ही बात हुई थी तुम्हे लेकर...इसलिए बताना पड़ा...डोंट वरी ... दीदी से डरने की कोई बात नही है..''
रश्मी : "हाँ ...रुची ....और मै किचन मे ही थी...जब तुम उपर आई...इसलिए मैने जब तक उपर आकर देखा की तुम क्या कर रही हो तो.....आधे से ज़्यादा मामला निपट चुका था....''
उसके चेहरे पर शरारत भरी मुस्कान थी.
उसकी बात सुनकर रुची के साथ-2 मोनू भी शरमा गया.
रश्मी : "अब जल्दी से बाकी का काम निपटा लो मोनू ...और तैयार हो जाओ...हॉस्पिटल भी जाना है...में नीचे नाश्ता बना रही हू...''
इतना कहकर वो नीचे उतर गयी...उन दोनों को उसी हालत मे छोड़कर..
पर रश्मी ने नीचे उतरने के 5 मिनट बाद ही रुची भी नीचे उतरी और रश्मी से बिना कुछ बोले बाहर निकल गयी.शायद उन्होंने रश्मी के घर पर रहते चुदाई के इरादे को त्याग दिया था
आधे घंटे बाद मोनू भी तैयार होकर नीचे आ गया...और दोनो हॉस्पिटल के लिए निकल पड़े..
अचानक रश्मी ने देखा की अपने दोनो हाथ उपर करके रुची ने अपनी टी शर्ट को उतार कर नीचे फेंक दिया...नीचे उसने एक सेक्सी सी ब्रा पहनी हुई थी..
.जिसमे उसके 32 साइज़ के बूब्स क़ैद थे...फिर रश्मी के देखते ही देखते रुची ने अपनी स्कर्ट भी उतार दी...और अब वो उसके भाई के कमरे मे सिर्फ़ ब्रा-पेंटी मे खड़ी थी..
पेंटी की हालत देखकर रश्मी समझ गयी की वो कितनी ज़्यादा उत्तेजित है...क्योंकि वो पूरी तरह से गीली हो चुकी थी.
आज पहली बार रश्मी ने अपनी सहेली को ऐसी हालत मे देखा था...कपड़ो में तो वो साधारण सी ही लगती थी...पर अब उसका कसा हुआ बदन किसी लिंगरी मॉडेल से कम नही लग रहा था...बिल्कुल सही आकार के बूब्स थे उसके...सपाट पेट और भरी हुई सी गांड ...
वो उसकी सुंदरता का अवलोकन कर ही रही थी की रुची ने एक और दुसाहसी कदम उठाते हुए पहले अपनी पेंटी और फिर ब्रा भी खोल कर नीचे गिरा दी..और अब वो पूरी नंगी होकर खड़ी थी
उस छोटे से कमरे मे...जहाँ उसका भाई गहरी नींद मे सोया हुआ था...
रश्मी समझ गयी की अब ये क्या करने वाली है...वैसे भी कल रात को ही मोनू ने बता दिया था की वो उसके साथ फकिंग कर चुका है...इसलिए उसे अभी चुदाई के लिए तैयार होते देखकर रश्मी को ज़्यादा आष्चर्य नही हुआ..
रुची ने अपना हाथ अपनी चूत पर रगड़ा और ढेर सारा शहद निकाल कर मोनू के लंड पर मल दिया...और फिर अपना मुँह नीचे करके उसने उस शहद से डूबे भुट्टे को अपने मुँह मे लिया और ज़ोर-2 से चूसने लगी...
मोनू का शरीर कुछ देर के लिए कसमसाया...पर शायद गहरी नींद में था वो..इसलिए कुछ और नही किया...पर उसका सिर इधर-उधर होने लगा था...क्योंकि नींद मे ही सही, उसे ये एहसास हो रहा था की उसका लंड चूसा जा रहा है...
फिर रुची ने एक मिनट तक चूसने के बाद उसे बाहर निकाला और मोनू के पलंग पर चढ़ गयी ..उसके दोनों तरफ टांगे करते हुए उसने उसके लंड को ठीक अपनी चूत के उपर रखा और धप्प से उपर बैठ गयी..
''अहह....... उम्म्म्मममममममममम ............ ओह .... मोनू .............. ''
और अपने लंड पर दबाव का एहसास और रुची की चीख सुनकर मोनू की नींद एकदम से खुल गयी..और सोते हुए वो ये सपना देखा रहा था की उसका लंड रश्मी चूस रही है..और चुदाई भी वो करवा रही है...इसलिए आँखे खुलने से पहले उसके मुँह से एक उत्तेजना से भारी आवाज़ निकली : "ओह ..... रश्मी ..........''
और फिर जब उसने आँखे खोलकर देखा की असल मे उसके उपर रुची है तो उसके तो जैसे होश ही उड़ गये...
मोनू : " ये...ये क्या ..... रुची ...... तू ....यहाँ ....और ये क्या है ..... श तेरी ......''
और रुची उसे शक भारी नज़रों से देखते हुए ,गुस्से मे भरकर बोली : "क्या बोला तू अभी....रश्मी बोला था न ...''
तब तक मोनू की नज़र बाहर छुपकर उनकी चुदाई देख रही रश्मी पर जा चुकी थी..और उसे समझते देर नही लगी की असल मे हो क्या रहा है वहाँ...
वो एकदम से बोला : "अरी बेवकूफ़...अपने पीछे देख...रश्मी दीदी खड़ी है..उन्हें देखकर बोला था मैं ''
और इतना कहते हुए उसने नीचे गिरी हुई चादर अपने और रुची के नंगे जिस्म पर खींच ली..
रश्मी भी समझ गयी की अब छुपने का कोई फायदा नही है...वो बाहर निकल कर अंदर आ गयी..
और रुची की हालत तो ऐसी हो रही थी जैसे कोई चोर चोरी करते हुए पकड़ा गया हो...एक तो उसकी पुरानी सहेली , उपर से उससे बोलचाल बंद...और साथ ही वो उसके घर पर ही उसके भाई से चुदवाती हुई पकड़ी गयी..इससे ज़्यादा शरम की और क्या बात हो सकती है...
रश्मी के लिए ऐसे मोनू के कमरे मे खड़े रहना थोड़ा अजीब सा था...कल रात को उनके बीच वो बात चीत न हुई होती तो शायद मोनू के देख लेने के बाद वो भागकर नीचे चली जाती और बाद मे इस घटना के बारे मे कोई बात भी नही करती...पर अब दोनो के बीच हालात बदल चुके थे..
दूसरी तरफ मोनू को भी ज़्यादा डर नही लगा...क्योंकि इतनी अंडरस्टैंडिंग तो हो ही चुकी थी उनमें कल रात , जब वो अपनी बहन को देखकर और उसकी बहन उसको देखकर और वैसी बाते करके कितने उत्तेजित हो रहे थे...
रश्मी : "तो ये सब होता है रोज मेरे जाने के बाद...''
रुची ने अपना चेहरा चादर के अंदर छुपा लिया...बेचारी अपना मुँह तक नही दिखा पा रही थी अपनी पुरानी सहेली को..
रश्मी ने एकदम से हंसते हुए कहा : "इट्स ओके रुची ..... ऐसे शरमाने की या डरने की कोई ज़रूरत नही है... मुझे मोनू ने सब बता दिया है तुम दोनों के बारे में ...''
रुची ने एकदम से अपना सिर चादर से बाहर निकाला...और मोनू के चेहरे को घूरने लगी..
मोनू : "अरे .... कल रात ही बात हुई थी तुम्हे लेकर...इसलिए बताना पड़ा...डोंट वरी ... दीदी से डरने की कोई बात नही है..''
रश्मी : "हाँ ...रुची ....और मै किचन मे ही थी...जब तुम उपर आई...इसलिए मैने जब तक उपर आकर देखा की तुम क्या कर रही हो तो.....आधे से ज़्यादा मामला निपट चुका था....''
उसके चेहरे पर शरारत भरी मुस्कान थी.
उसकी बात सुनकर रुची के साथ-2 मोनू भी शरमा गया.
रश्मी : "अब जल्दी से बाकी का काम निपटा लो मोनू ...और तैयार हो जाओ...हॉस्पिटल भी जाना है...में नीचे नाश्ता बना रही हू...''
इतना कहकर वो नीचे उतर गयी...उन दोनों को उसी हालत मे छोड़कर..
पर रश्मी ने नीचे उतरने के 5 मिनट बाद ही रुची भी नीचे उतरी और रश्मी से बिना कुछ बोले बाहर निकल गयी.शायद उन्होंने रश्मी के घर पर रहते चुदाई के इरादे को त्याग दिया था
आधे घंटे बाद मोनू भी तैयार होकर नीचे आ गया...और दोनो हॉस्पिटल के लिए निकल पड़े..
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