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Adultery Diwali ka Jua - 3 (Incest + Adultery)

Rocky 1975

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मस्त है मित्र, अपडेट देते रहना वक्त से, बाकी लोगो की तरह Mr.India मत बन जाना
 
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uniqueQ

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Update 5

अगले दिन मोनू के उठने से पहले रश्मी स्कूल के लिए निकल गयी..मोनू भी लगभग 11 बजे उठा और नाश्ता वगेरह करके माँ के पास बैठा रहा , उन्हे खाना भी खिलाया, दवाई भी दी और पास ही के डॉक्टर को बुलवा कर वो इंजेक्शन भी लगवा दिया.
उसके बाद पूरी दोपहर वो रात के बारे मे सोचता रहा...उसे अब पूरी उम्मीद हो चुकी थी की वो अपनी सेक्सी बहन रश्मी के साथ हर तरह के मज़े ले सकता है...पर उसे जो भी करना था वो सब काफ़ी सोच समझ कर ही करना था.
उसने एक चीज़ नोट की, वो ये की रश्मी उसकी हर बात मान लेती है...चाहे वो उसके दोस्तों के सामने कपड़े बदलकर आने वाली हो, उनके साथ जुआ खेलने वाली..या फिर कल रात को उसके कमरे मे कही गयी सारी बातें..
उसे लग रहा था की शायद रश्मी काफ़ी दिनों से यही सब कुछ चाहती है..और शायद इसलिए वो उसकी बात एक ही बार मे मान लेती है..उसने मन में सोच लिया की आज वो इस बात का इत्मीनान करके रहेगा की वो जो बात सोच रहा है वो सही भी है या नही...अगर है तो उसके तो काफ़ी मज़े होने वाले हैं..और उसके दिमाग़ के घोड़े काफ़ी दूर तक भागने लगे.
खैर, इन सब बातों के अलावा उसने अपने दोस्तों को भी फोन करके बोल दिया आज की रात को दोबारा आने के लिए...रिशू और राजू तो कल भी वापिस जाना नही चाहते थे...सेक्सी रश्मी के साथ 3 पत्ती खेलने का मज़ा ही कुछ और था.
शाम को 7 बजे के आस पास रश्मी भी आ गयी..मोनू ने दरवाजा खोला तो दोनों के चेहरों पर एक अलग ही स्माइल थी ...मोनू का तो मन कर रहा था की वहीं के वहीं उसके गले लग जाए..पर वो पहले ये यकीन भी कर लेना चाहता था की कल वाली बात से वो नाराज़ तो नही है.
रश्मी उपर अपने कमरे मे चली गयी...कुछ देर माँ के पास बैठी...अपने कपड़े बदले और नीचे आकर किचन मे चाय बनाने लगी.
मोनू अंदर बैठा टीवी देख रहा था...रश्मी ने किचन से ही आवाज़ लगाई : "मोनू...तूने भी चाय पीनी है क्या..''
मोनू सीधा उठकर किचन मे ही चला गया और बोला : "आप पिलाओगी तो कुछ भी पी लूँगा...''
रश्मी उसकी बात का दूसरा मतलब समझकर मंद-2 मुस्कुराने लगी...मोनू ठीक उसके पीछे आकर खड़ा हो गया..और बोला : "दीदी...वो कल रात वाली बात से...आप नाराज़ तो नही है ना..''
रश्मी एकदम से उसकी तरफ पलटी...वो इतना पास खड़ा था की पलटते हुए रश्मी के बूब्स उसकी बाजुओं से छू गये..
रश्मी : "तू पागल है क्या...हम छोटे बच्चे हैं जो इन बातों की समझ नही है हमें...आजकल सब कुछ ओपन है...सब चलता है...हम दोनो ही अगर एक दूसरे की हेल्प नही करेंगे तो कौन करेगा...''
मोनू : "यानी....आप भी यही चाहती हैं...थैंक गॉड ...मैं तो पूरी रात सो नही पाया...ये सोचकर की पता नही आप क्या सोच रही होंगी ...''
रश्मी ने उसके दोनो हाथ अपने हाथों मे पकड़ लिए : "रिलेक्स ....ज़्यादा मत सोचा करो...''
और फिर उसने मोनू को अपने गले से लगा लिया...मोनू ने भी अपनी बाहें उसकी कमर मे डाल कर उसे अपनी तरफ खींच लिया...और आज की ये हग और दिनों से कुछ ज़्यादा ही ज़ोर से थी और कुछ ज़्यादा ही लंबी..
मोनू के हाथ उसकी कमर पर उपर नीचे हो रहे थे..उसके दोनो बूब्स को वो अपनी छाती पर महसूस कर पा रहा था..उसके जिस्म से आ रही खुश्बू को वो सूंघ कर मदहोश सा हुए जा रहा था..
उसका लंड खड़ा होकर रश्मी के नीचे वाले दरवाजे पर दस्तक दे रहा था...रश्मी को फिर से वही रात वाला सीन याद आ गया...जब वो उसके लंड को पकड़कर हिला रही थी..और उसे चूमने भी वाली थी.
रश्मी ने एकदम से उसके लंड के उपर हाथ रख दिया...और धीरे-2 सहलाने लगी..


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रश्मी : "इसको थोड़ी तमीज़ नही सिखाई तुमने...अपनी बहन को देखकर भी खड़ा हो रहा है ये तो...''
मोनू : "बहन तो मेरी हो तुम...इसकी नही...ये तो मेरा दोस्त है...और आजकल अपने दोस्त की बहन पर ही सबसे ज़्यादा लोग लाइन मारते हैं...''
रश्मी : "अच्छा जी...इसका मतलब है की तुम भी अपने दोस्तों की बहन पर लाइन मारते हो...या फिर हो सकता ही की वो मुझपर लाइन मारते हो..''
मोनू : "मैं तो बस तुम्हारी फ्रेंड पर लाइन मारता हू...वो तो आपको पता चल ही चुका है...और रही बात आपके उपर लाइन मारने की तो सबसे पहला हक मेरे इस दोस्त का है आपके उपर..उसके बाद किसी और का..''
रश्मी ये सोचने मात्र से ही सिहर उठी की उसके भाई के अलावा उसके सारे दोस्त भी उसे चोदने लिए तैयार बैठे हैं.. एकदम से चाय उबल गयी

रश्मी : "ओहो ...चलो छोड़ो मुझे...अंदर जाओ...मैं चाय लेकर आती हू...''
मोनू ने बेमन से उसे छोड़ दिया...और अंदर जाकर बैठ गया..कुछ ही देर मे रश्मी चाय लेकर आ गयी और दोनों चुस्कियाँ लेते हुए चाय पीने लगे...और बातें करने लगे.
रश्मी : "आज भी आ रहे हैं क्या वो दोनों ...रात को खेलने''
मोनू : "वो तो कल भी जाना नही चाहते थे...मैने उन्हे दिन में ही फोन कर दिया था...वो ठीक 9 बजे आ जाएँगे..''
अभी 7:30 बज रहे थे..
रश्मी : "ओहो ....मुझे थोड़ा जल्दी करना होगा...खाना भी बनाना है..माँ को दवाई भी देनी है बाद मे...उन लोगो के आने से पहले माँ को सुला देना है...वरना उन्हे बेकार की परेशानी होगी.
मोनू समझ गया की अभी कुछ नही हो सकता...अंदर किचन मे ही एक-दो किस्सेस ले लेनी चाहिए थी उसको...
चाय पीने के बाद रश्मी फटाफट काम पर लग गयी...खाना बनाकर उसने माँ को खिलाया और मोनू को भी..और बाद मे खुद ऊपर कमरे में चली गयी .ये सब करते-करते 9 बज गये और ठीक 9 बजे उनके घर की बेल बजी...मोनू ने जाकर दरवाजा खोला तो दोनो बाहर खड़े थे...उनके मुँह से शराब की भी महक आ रही थी..शायद शाम से ही दोनो पीने मे लगे थे..रश्मी के बारे मे सोच-सोचकर..
मोनू ने उन्हे अंदर बिठाया और भागकर उपर गया, माँ सो चुकी थी और रश्मी अपना खाना खा रही थी.
मोनू : "दीदी ...वो लोग आ गये हैं...आप जल्दी से चेंज करके नीचे आ जाओ..''
ये मोनू का इशारा था की वो अपने वही वाले कपड़े पहन कर नीचे आ जाए, जिसमें वो जीत रही थी.
और फिर वो नीचे आकर बैठ गया और पत्ते बाँटने लगा..
वो पहली बार मे ही रश्मी को गेम खिलाकर उनके मन मे शक़ पैदा नही करना चाहता था.
जब पत्ते बंट गये और सभी की बूट के बाद 2-2 चाल भी आ गयी तो मोनू ने सबसे पहले पत्ते उठा कर देख लिए..उसके पास सिर्फ़ एक इक्का था और दो छोटे पत्ते...उसने पेक कर दिया.
राजू और रिशू खेलने लगे..
खेलते-2 राजू बोला : "आज रश्मी नही खेलेगी क्या...?"
वो दोनो शायद काफ़ी देर से वो बात पूछना चाहते थे...मोनू भी मन ही मन मे उनकी बात सुनकर हंस दिया..
मोनू : "पता नही....मैने बोला तो था...पर शायद कल वो काफ़ी बार हार गयी थी...इसलिए मना कर रही थी...शायद आ भी जाए..''
रिशू : "अरे, ये तो खेल है...कोई ना कोई तो हारता रहता है...इसमे दिल छोटा करने वाली क्या बात है..''
मोनू कुछ नही बोला और दोनो की गेम चलती रही...वो गेम रिशू जीता , उसके पास पेयर आया था.
जैसे ही रिशू ने पत्ते बाँटने शुरू किए, उन्हे रश्मी के नीचे उतरने की आवाज़ आई...सभी के सभी सीडियों की तरफ देखने लगे..रिशू भी पत्ते बाँटकर उसी तरफ देखने लगा.
और जैसे ही अपनी गेंदे उछालती हुई वो नीचे उतरी ,

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उसके अलग ही अंदाज मे डांस करते हुए मुम्मे देखकर वो दोनो हरामी समझ गये की उसने अंदर कुछ नही पहना है...और सभी की तेज नज़रें टी शर्ट के पतले कपड़े के नीचे उसके निप्पल ढूँढने लगे और उन्हे एक ही बार मे सफलता भी मिल गयी , एक तो उसने अंदर ब्रा नही पहनी थी और उपर से उसके निप्पल आम लड़कियों के मुक़ाबले कुछ ज़्यादा ही मोटे थे...इसलिए नन्ही-2 चोंच सॉफ दिख रही थी.
रश्मी : "मोनू ..मुझे खेलने दो ना...''
मोनू हंसता हुआ उठ गया...और रश्मी को सामने देखकर दोनो के मुँह से पानी टपकने लगा..
मोनू : "रिशू...अब रश्मी आ गयी है, इसलिए पत्ते दोबारा बाँटो...''
रिशू को कोई परेशानी नही थी, उसने ताश दोबारा फेंटी और फिर से पत्ते बाँटने लगा..
रश्मी की तरफ से चाल चलने और पत्ते देखने का काम मोनू का ही था...इसलिए 2-2 ब्लाइंड के बाद मोनू ने एकदम से डबल ब्लाइंड चल दी..उसकी देखा देखी रिशू और राजू ने भी डबल ब्लाइंड चल दी..वो तो बस रश्मी को घूरने में लगे थे...
मोनू ने फिर से ब्लाइंड का अमाउंट बड़ा दिया और 600 रुपय बीच मे फेंक दिए...अब राजू की फटने लगी..उसने अपने पत्ते उठा लिए..और फिर कुछ सोचकर उसने 1200 बीच मे फेंके और चाल चल दी..
अब चाल बीच मे आ चुकी थी, इसलिए राजू ने भी अपने पत्ते देख लिए..वो काफ़ी देर तक सोचता रहा और आख़िर मे जाकर उसने पेक ही कर दिया..
अब बारी थी रश्मी की...उसने मोनू की तरफ़ देखा तो मोनू ने 600 की ब्लाइंड फिर से चल दी..
रिशू ने भी 1200 की चाल रिपीट कर दी..
अब थी असली इम्तिहान की घड़ी...रश्मी के इम्तिहान की घड़ी...उसकी किस्मत के इम्तिहान की घड़ी..
मोनू ने पत्ते उठाए ...उन्हे चूमा...और फिर एक-एक करते हुए उन्हे देखा..
पहला हुकुम का पत्ता था 10 नंबर..
दूसरा भी हुकुम का ही निकला ...बेगम...
अब तो मोनू को पक्का विश्वास हो गया की उसके पास हुकुम का कलर आया है..
पर जैसे ही उसने तीसरा पत्ता देखा, लाल रंग देखकर उसका दिल टूट गया...
पर अगले ही पल वो खुशी से उछाल पड़ा...क्योंकि वो लाल रंग मे ही सही पर गुलाम था...
यानी उसके पास सीक़ुवेंस आया था...10,11,12..
उसने वो सब शो नही होने दिया...और बड़े ही आराम से रिशू की चाल से डबल चाल चलते हुए 2400 रुपय बीच मे फेंक दिए..
अब रिशू भी समझ चुका था की मोनू के पास बाड़िया वाले पत्ते आए हैं...इसलिए उसने एकदम से डबल की चाल चली है...पर उसके पास भी पत्ते चाल चलने लायक थे, इसलिए वो अभी तक खेल रहा था...वो आगे चाल तो चलना नही चाहता था पर शो ज़रूर माँग लिया उसने...
मोनू ने शो करते हुए अपने पत्ते सलीके से उसके सामने फेंक दिए...
उन्हे देखकर एक दर्द सा उभर आया रिशू के चेहरे पर...जैसे अक्सर जुआ हारने वाले के चेहरे पर आ जाता है..
उसने भी अपने पत्ते फेंक दिए..
उसके पास 9 का पेयर था..
और मोनू ने हंसते हुए सारे पैसे अपनी तरफ खिसका लिए..
इतने सारे पैसे अपने सामने देखकर रश्मी खुशी से चिल्ला पड़ी..
वो लगभग 10 हज़ार थे , जो एक ही बार मे उनके पास आ गये थे..
हारने का गम मनाते हुए रिशू को रश्मी के उछलते हुए मुम्मो को देखकर कुछ देर के लिए सांत्वना ज़रूर मिली...पर उसका मूड खराब हो चुका था.
एकदम से रश्मी बोली : "मैं कुछ खाने के लिए लाती हूं अंदर से...''
और वो उठकर अंदर चली गयी..

उसके जाते ही मोनू उसकी सीट पर आकर बैठ गया...ये सोचकर की एक गेम वो भी खेल ले, और हार जाए, ताकि वो खेलने के लिए बैठे रहे...वरना जुआरियों को हमेशा यही लगा रहता है की अगर कोई बड़ी गेम हार जाते हैं तो उसके बाद निकलने की सोचते हैं..
पर उसके बैठते ही रिशू एकदम से बोला : "अब तुम रश्मी को ही खेलने दो...ऐसे बीच मे बदल-2 कर मत खेलो...''
मोनू चुपचाप उठ गया...और वापिस सोफे के हत्थे पर बैठ गया..
रिशू और राजू एक तरफ ही बैठे थे...दोनो एक दूसरे के पास मुँह लेजाकर ख़ुसर फुसर करने लगे..
रिशू : "यार...ये तो मेरा बैठे-2 निकलवा कर रहेगी आज...साली बिना ब्रा के बैठी है सामने...मन तो कर रहा है की इसके मोटे-2 निप्पल पकड़कर ज़ोर से दबा दूं...''
राजू फुसफुसाया : "हाँ यार...साली बिल्कुल सामने बैठकर ऐसे हिला रही है अपने दूधों को की मन कर रहा है उन्हे दबोचने का...साली रंडी लग रही है बिल्कुल....एक बार बस मिल जाए इसकी...ये सारे पैसे हारने का भी गम नही रहेगा...''
और दोनो खी-2 करते हुए हँसने लगे...
मोनू उनकी बातें सुनने की कोशिश कर रहा था पर उसे कुछ सुनाई ही नही दे रहा था..
पर ये तो वो समझ ही चुका था की वो दोनो रश्मी के बारे मे ही बात कर रहे हैं..
तभी रश्मी की आवाज़ आई अंदर से : "मोनू...वो बेसन वाली मूँगफली कहाँ रखी है...मिल नही रही मुझे...''
मोनू उठकर अंदर चला गया...
अब राजू और रिशू थोड़ा खुलकर बाते करने लगे रश्मी के बारे मे...
मोनू जैसे ही अंदर पहुँचा, रश्मी ने उसे अपनी तरफ खींचकर उसे अपने सीने से लगा लिया..
एकदम से रश्मी की इस हरकत पर वो बोखला सा गया...क्योंकि उन दोनो के बाहर बैठे हुए रश्मी से ऐसी हरकत की उम्मीद नही थी उसको पर उसके नर्म मुलायम मुम्मो के एहसास को अपनी छाती पर महसूस करके उसे मज़ा बहुत आया...और वो एक ही पल मे ये भूल गया की उसके दोनो दोस्त कुछ ही दूर यानी बाहर बैठे हैं. रश्मी की खुशी देखते ही बनती थी
रश्मी : "मोनू....तुमने बिल्कुल सच बोला था...हम जीत गये...वो भी इतने सारे पैसे एक साथ....वाव....आई एम सो हैप्पी ......''
और इतना कहते हुए उसने एकदम से उपर होते हुए मोनू के होंठों को चूम लिया...वो स्मूच तो नही था पर उसके नर्म और ठन्डे होंठों के एहसास को एक पल के लिए ही सही, महसूस करते ही उसके तन बदन मे आग सी लग गयी...उसने भी रश्मी के चेहरे को पकड़ कर उसे चूमना चाहा पर तभी बाहर से रिशू की आवाज़ आई
''अरे भाई...मूँगफली मिली या नही....''
रश्मी एकदम से मोनू से अलग हो गयी...पर उसकी आँखो की शरारत साफ़ बता रही थी की वो भी मोनू के लिए अभी उतनी ही उतावली हो रही थी ,जितना की वो हो रहा था उसके लिए..
अचानक मोनू ने उसके दोनो मुम्मों को दबोच लिया और ज़ोर से दबा दिया...
रश्मी एक दम से चिहुंक उठी...ये उसके भाई का सीधा और प्रहार था उसके स्तनों पर...जिसे महसूस करके उसका बदन भी ऐंठने लगा..
रश्मी फुसफुसाई : "छोड़ो मोनू....वो बाहर ही बैठे हैं...कोई अंदर ना आ जाए ...छोड़ो ना...ये कर क्या रहे हो तुम....''
मोनू ने भी शरारत भरी मुस्कान से कहा : "मूँगफली ढूँढ रहा हू ...''
और इतना कहते-2 उसने रश्मी के दोनो निप्पल पकड़ कर ज़ोर से भींच दिए..
और बोला : "मिल गयी मूँगफलियाँ....''
रश्मी कसमसाकर बोली : "कमीने हो तुम एक नंबर के....जाओ अभी बाहर...ये मूँगफलियाँ रात को मिलेंगी...''
मोनू बेचारा बेमन से बाहर निकल आया..पर ये सांत्वना भी थी की आज रात को ज़रूर कुछ ख़ास होकर रहेगा..
मोनू के आने के एक मिनट के अंदर ही रश्मी भी आ गयी...और आदत के अनुसार रिशू और राजू की नज़रें फिर से एक बार उसके निप्पल्स पर चली गयी...और इस बार उन्हे ये देखकर और भी आश्चर्य हुआ की वो तो पहले से भी बड़े दिख रहे थे...ऐसा क्या हो गया रश्मी को एकदम से...ऐसा तो तब होता है जब लड़की पूरी तरह से उत्तेजित होती है...
तो क्या रश्मी उन्हे देखकर ही उत्तेजित हो रही है...
क्योंकि मूँगफली की प्लेट नीचे रखते हुए वो जिस तरीके से उन्हे देख रही थी...सॉफ पता चल रहा था की वो भी उनमे इंटरस्ट ले रही है...
उन दोनो के लंड तो खड़े होकर बग़ावत करने लगे...
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खेल की माँ की चूत ...उन्हे तो बस रश्मी मिल जाए इस वक़्त, वो अपने सारे पैसे ऐसे ही उसे देने के लिए तैयार थे...
पर रश्मी तो अलग ही दुनिया में थी...उनके मन मे क्या चल रहा है इस बात से भी अंजान..
और इस बार रश्मी ने पत्ते बाँटने शुरू किए...और वो बेचारे बेमन से अगली गेम खेलने लगे..
रश्मी के चेहरे की हँसी जाने का नाम ही नही ले रही थी...ऐसा अक्सर होता है, नये-2 जुआरियो के साथ...
अगली गेम के लिए बूट और ब्लाइंड की राशि 500 कर दी गयी...और 3-3 ब्लाइंड चलने के बाद जब एक बार और रश्मी की तरफ से मोनू ने ब्लाइंड चली तो राजू और रिशू का मन हुआ की पत्ते उठा कर देख ले...पर फिर ना जाने क्या सोचकर दोनो एक-2 बाजी और ब्लाइंड की खेल गये...यही तो मोनू भी चाहता था..क्योंकि उसे तो पक्का विश्वास था की रश्मी के पत्ते तो अच्छे होंगे ही...इसलिए उसने इस बार ब्लाइंड की रकम भी दुगनी करते हुए 1000 कर दी.
अब तो सबसे पहले रिशू की फटी...क्योंकि पिछली गेम में वो काफ़ी पैसे हार चुका था...और ये ग़लती वो इस बार नही करना चाहता था..
उसने अपने पत्ते उठा लिए...उसके पास 2 का पेयर आया था...पत्ते तो काफ़ी छोटे थे...पर चाल चलने लायक थे...उसका एक मन तो हुआ की पेक कर दे..पर फिर रिस्क लेते हुए उसने 2000 बीच मे फेंक कर चाल चल दी.
राजू की बारी आई तो उसने झट से अपने पत्ते उठा लिए...उसके पास इक्का और बादशाह आए थे...साथ में था 7 नंबर...कोई मेल ही नही था...चाल चलने का तो मतलब ही नही था. उसने पेक कर दिया..
अब एक चाल बीच मे आ ही चुकी थी...पर फिर भी मोनू ने रश्मी के पत्ते देखे बिना एक और ब्लाइंड चल दी...और हज़ार का नोट बीच मे फेंक दिया..
इतनी डेयरिंग तो आज तक इनमे से किसी ने नही दिखाई थी...ऐसा लग रहा था की मोनू को पूरा विश्वास था की वो ही जीतेगा...इतना कॉन्फिडेंस कही उसका ओवर कॉन्फिडेंस ना बन जाए..
अब रिशू के सामने चुनोती थी...पर एक तरह से देखा जाए तो उसका पलड़ा ही भारी था अब तक ...मोनू ने पत्ते देखे नही थे...और उसके पास पेयर था 2 का...ऐसे में उसके मुक़ाबले के पत्ते होना एक रिस्क ही था मोनू के लिए...पर फिर भी वो चाल के उपर ब्लाइंड खेल गया...शायद ये सोचकर की अगर जीत गया तो तगड़ा माल आएगा हाथ...और अगर हार भी गया तो कोई गम नही..क्योंकि पिछली गेम में वो काफ़ी माल जीत ही चुका था..
रिशू की नज़रें रश्मी के उपर थी...तो थोड़ी टेंशन मे आ चुकी थी अपने भाई को ऐसे ब्लाइंड पर ब्लाइंड चलते देखकर..
रिशू ने फिर से एक बार रिस्क लेते हुए 2000 की चाल चल दी...अब तो रश्मी की टेंशन और भी बढ़ गयी....टेंशन के मारे उसके निप्पल उबल कर बाहर की तरफ निकल आए...और उसने जाने अंजाने मे ही अपने दाँये निप्पल को पकड़कर ना जाने क्यो उमेठ दिया...
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