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Adultery Ek Ajib Gav

Manju143

New Member
73
23
8
Update 16

उस रात चाचा अपने कमरे में सो गया । उसे लगा कि सीमा चाची हमेशा की तरह उसके पिताजी को दूध पिलाने मैन हॉल में सोने वाली है। पर उस रात सीमा चाची ने अपने ससुरजी को थोडासा ही दूध पिला दिया और फिर उनको जल्दी सुला भी दे दिया। मैं अपने कमरे में उसका बहुत वेट कर रहा था। आखिर कार करीब करीब एक घंटे बाद सीमा चाची मेरे कमरे में आ गई। उसने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया और मेरे पास बेड पर आकर लेट गई।
"उफss ! मर गई दिनभर ये सब काम करके । "
मैने उसे हंसते हुए कहा,
"अब तुम शांत रहो मुझे काम करने दो। "
सीमा चाची ने ब्लू रंग की साड़ी और ब्लाऊज़ पहना था और पसीने से उसका वो ब्लाउज कंधे की जगह थोडासा भीग भी गया था। उसके पसीने की गंध मुझे और भी उत्तेजित करने लगी।
"जो करना है एक घंटे में कर लो। मुझे वापस ससुरजी के पास जाकर सोना है। वो उठ गए तो उनको फिरसे दूध पिलाना पड़ेगा। "
उसे अब इतनी ही जल्दी थी तो मैंने सोचा की अपना काम निपट लू । मै उसके पल्लू के नीचे हाथ डालकर उसके भरे हुए मुम्मे बारी बारी से दबाने लगा। वो नाजुक स्तन छूतेही मेरी पैंट टाइट हो गई। सीमा चाची लंबी सांसे लेने लगी । एकदम से मैने उसके एक स्तन का निपल अपने दो उमलियों के बीच लेकर मसल दिया तो वो चीख पड़ी। वो हंसते हुए मेरी तरफ पलट गई और उसने उसका एक हाथ मेरे पैंट के अंदर डाल दिया और मेरे हथियार को सहलाने लगी। अब मुझे भी दर्द होने लगा। में अब जोर जोर से उसके मुम्मे दबाने लगा । थोड़ी देर ऐसाही चलता रहा । मैं अब थक रहा था यह देखकर सीमा चाची ने अचानक से मुझे अपने शरीर पर खीच लिया। मैं फिर से जोश में आ गया और उसके शरीर पर मेरा पूरा वजन डालकर उसके बदन को चूमने लगा। वो बहुत खुश हो गई और उसने अपना एक पाव मेरे पैरो के पीछे सरकाकर मुझे उसके शरीर पर रगड़ने को राजी कर लिया। अब मेरा हथियार बहुत देर तक सहन नही कर सकता था। मैने बेड पर थोड़ा नीचे खिसक कर उसकी पैंटी निकाल दी और फिर उसे जोर जोर से चोदने लगा। वो फिर से खुशी के मारे चीखने लगी तो मेरा जोश और बढ़ गया। मेरे मन में विचार आया कि अब चाचा भी कमरे में आ जाता तो भी में सीमा चाची को ऐसेही चोदता रह जाता । पर हमारे नसीब से कोई आया नही और में करीब करीब दस मिनट तक चाची को पेलता रहा। आखिर में मेरा पानी निकल आते ही सीमा चाची के मुंह से और एक चीख आ गई। थोड़ी देर बाद हम दोनो बहुत लंबी सांसे लेते हुए बेड पर कुछ समय तक खामोशी में पड़े रहे। मुझे बहुत नींद आ रही थी इसलिए सीमा चाची ने हंसते हुए मेरे उपर कंबल डाल दिया और अपने कपड़े ठीक करते हुए वो कमरे से बाहर चली गई। पर उसके नसीब में अभी भी नींद नहीं लिखी हुई थी। उसने मेन हॉल में आकर देखा तो उसके ससुरजी जाग चुके थे और अस्वस्थ होकर बहुत हलचल कर रहे थे। सीमा वापस उनके पास सो गई और उनको अपनी बाहों में लेकर उनको बच्चे की तरह सुलाने लगी। उसे पेलते समय राजुने दूध नहीं पिया था इसलिए सीमा चाची ने हंसते हुए उसके ब्लाउज के कुछ बटन खोल दिए और अपने ससुरजी के सर के ऊपर से पल्लू ओढ़कर वो उनको दूध पिलाने लगी। वो धीरे धीरे शांत हो गए।

दूसरे दिन सुबह मैं डॉक्टर के क्लिनिक पोहोच गया क्योंकि उसने मुझे क्लिनिक में मदद के लिए बुलाया था। मैंने पहिले ही नाश्ता कर लिया था। थोड़ी देर बाद वो बूढ़ा डॉक्टर अपनी बहु कविता के साथ आया और उसने क्लिनिक खोल दिया। मैं उन दोनो के साथ अंदर गया। कविता ने आज पिंक कलर की सलवार कमीज पहनी थी। मैने और कविता ने मिलके थोड़ी साफ सफाई कर दी । मरीज आने के लिए थोड़ा टाइम था इसलिए फिर कविता ने मरीजों के बेड पर बैठते हुए अपने ससुर को कहा,
"आपने नाश्ता करने के बाद दूध नहीं पिया । अब थोड़ा टाइम है तो पी लो चलो। "
डॉक्टर हंसते हुए उसके पास गया ,
"बहु हो तो ऐसी ! कितना खयाल रखती हो मेरा। "
कविता ने उस बूढ़े को अपनी गोद में सुला दिया और अपने कमीज के बटन खोल दिए । फिर वो मेरे सामने ही उसको अपना दूध पिलाने लगी। कविता ने बूढ़े का सर भी पल्लू से ढका नही था। मुझे ये सब देखने की अब आदत हों चुकी थीं इसलिए मैं उन दोनो को प्राइवेसी देने के लिए कमरे के बाहर आकर मरीजों का इंतजार करने लगा। कविता लगभग बीस मिनट डॉक्टर को दूध पिला रही थी। तबतक एक मरीज क्लिनिक में आ गया था । मैंने उसे थोड़ी देर वेट करने को कहा। कविता अपने कमीज के बटन लगाते हुए बाहर आ गई और उसने उस मरीज को अंदर आने को कहा।
मैं दोपहर तक क्लिनिक में काम करता रहा। उस दिन सिर्फ एक ही बूढ़ा मरीज आया । बाकी मरीज मध्यम वयस्क थे कुछ महिलाएं भी थी। डॉक्टर ने उस बूढ़े को इंजेक्शन दे दिया और फिर कविता को उसे बाजुके कमरे में दूध पिलाने को कहा । यह सुनकर वो बूढ़ा डर गया। उसे इंजेक्शन लेते समय तो कोई डर नहीं लगा था ! कविता ने मुझे भी उसके साथ कमरे में आने को कहा। मैं उस बूढ़े को लेकर कविता के पीछे उस कमरे में गया। कविता ने दरवाजा बंद कर दिया और नीचे बैठ गई । मैंने उस बूढ़े को उसकी गोद में सुला दिया। वो बूढ़ा शर्म के मारे कविता के गोद से उठने की कोशिश करने लगा पर कविता ने उसे जबरदस्ती लिटा के रखा।
"क्या बाबूजी ! दूध ही तो पीला रही हूं ना ? इंजेक्शन तो आपने सहजता से ले लिया। चलो अब दूध भी पी लो। "
कविता ने उस बूढ़े को एक हाथ से पकड़कर रखा और दूसरे हाथ से कमीज के बटन खोल दिए। फिर अपना एक भरा हुआ स्तन बाहर निकलकर वो इस बूढ़े को जबरदस्ती स्तनपान करने लगी। थोड़ी देर कविता से झूंझने के बाद वो बूढ़ा शांत हो गया और फिर अपने आप दूध पीने लगा। मैंने हंसते हुए उसे कहा ,
"उनको नहीं चाहिए तो मुझे पीला देती ना।"
कविताने जवाब दिया ,
"उनको दूध पीने की सक्त जरूरत है इसलिए जबरदस्ती पीला रही हूं राजू।"
दस मिनिट बाद एक स्तन खाली होने पर कविता ने उस बूढ़े को तुरंत अपना दूसरा स्तन पीने दिया। अब उसे पकड़कर रखने को कोई जरूरत नहीं पड़ी क्योंकि वो किसी बच्चे को तरह पी रहा था।

बूढ़े को सारा दूध पिलाने के बाद कविता ने अपने कमीज के बटन लगा लिए और उस बूढ़े को अगले हफ्ते फिरसे क्लिनिक में आने को कहा। वो बूढ़ा खुश होकर चला गया।


Next update please
 

Manju143

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73
23
8
Update 16

उस रात चाचा अपने कमरे में सो गया । उसे लगा कि सीमा चाची हमेशा की तरह उसके पिताजी को दूध पिलाने मैन हॉल में सोने वाली है। पर उस रात सीमा चाची ने अपने ससुरजी को थोडासा ही दूध पिला दिया और फिर उनको जल्दी सुला भी दे दिया। मैं अपने कमरे में उसका बहुत वेट कर रहा था। आखिर कार करीब करीब एक घंटे बाद सीमा चाची मेरे कमरे में आ गई। उसने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया और मेरे पास बेड पर आकर लेट गई।
"उफss ! मर गई दिनभर ये सब काम करके । "
मैने उसे हंसते हुए कहा,
"अब तुम शांत रहो मुझे काम करने दो। "
सीमा चाची ने ब्लू रंग की साड़ी और ब्लाऊज़ पहना था और पसीने से उसका वो ब्लाउज कंधे की जगह थोडासा भीग भी गया था। उसके पसीने की गंध मुझे और भी उत्तेजित करने लगी।
"जो करना है एक घंटे में कर लो। मुझे वापस ससुरजी के पास जाकर सोना है। वो उठ गए तो उनको फिरसे दूध पिलाना पड़ेगा। "
उसे अब इतनी ही जल्दी थी तो मैंने सोचा की अपना काम निपट लू । मै उसके पल्लू के नीचे हाथ डालकर उसके भरे हुए मुम्मे बारी बारी से दबाने लगा। वो नाजुक स्तन छूतेही मेरी पैंट टाइट हो गई। सीमा चाची लंबी सांसे लेने लगी । एकदम से मैने उसके एक स्तन का निपल अपने दो उमलियों के बीच लेकर मसल दिया तो वो चीख पड़ी। वो हंसते हुए मेरी तरफ पलट गई और उसने उसका एक हाथ मेरे पैंट के अंदर डाल दिया और मेरे हथियार को सहलाने लगी। अब मुझे भी दर्द होने लगा। में अब जोर जोर से उसके मुम्मे दबाने लगा । थोड़ी देर ऐसाही चलता रहा । मैं अब थक रहा था यह देखकर सीमा चाची ने अचानक से मुझे अपने शरीर पर खीच लिया। मैं फिर से जोश में आ गया और उसके शरीर पर मेरा पूरा वजन डालकर उसके बदन को चूमने लगा। वो बहुत खुश हो गई और उसने अपना एक पाव मेरे पैरो के पीछे सरकाकर मुझे उसके शरीर पर रगड़ने को राजी कर लिया। अब मेरा हथियार बहुत देर तक सहन नही कर सकता था। मैने बेड पर थोड़ा नीचे खिसक कर उसकी पैंटी निकाल दी और फिर उसे जोर जोर से चोदने लगा। वो फिर से खुशी के मारे चीखने लगी तो मेरा जोश और बढ़ गया। मेरे मन में विचार आया कि अब चाचा भी कमरे में आ जाता तो भी में सीमा चाची को ऐसेही चोदता रह जाता । पर हमारे नसीब से कोई आया नही और में करीब करीब दस मिनट तक चाची को पेलता रहा। आखिर में मेरा पानी निकल आते ही सीमा चाची के मुंह से और एक चीख आ गई। थोड़ी देर बाद हम दोनो बहुत लंबी सांसे लेते हुए बेड पर कुछ समय तक खामोशी में पड़े रहे। मुझे बहुत नींद आ रही थी इसलिए सीमा चाची ने हंसते हुए मेरे उपर कंबल डाल दिया और अपने कपड़े ठीक करते हुए वो कमरे से बाहर चली गई। पर उसके नसीब में अभी भी नींद नहीं लिखी हुई थी। उसने मेन हॉल में आकर देखा तो उसके ससुरजी जाग चुके थे और अस्वस्थ होकर बहुत हलचल कर रहे थे। सीमा वापस उनके पास सो गई और उनको अपनी बाहों में लेकर उनको बच्चे की तरह सुलाने लगी। उसे पेलते समय राजुने दूध नहीं पिया था इसलिए सीमा चाची ने हंसते हुए उसके ब्लाउज के कुछ बटन खोल दिए और अपने ससुरजी के सर के ऊपर से पल्लू ओढ़कर वो उनको दूध पिलाने लगी। वो धीरे धीरे शांत हो गए।

दूसरे दिन सुबह मैं डॉक्टर के क्लिनिक पोहोच गया क्योंकि उसने मुझे क्लिनिक में मदद के लिए बुलाया था। मैंने पहिले ही नाश्ता कर लिया था। थोड़ी देर बाद वो बूढ़ा डॉक्टर अपनी बहु कविता के साथ आया और उसने क्लिनिक खोल दिया। मैं उन दोनो के साथ अंदर गया। कविता ने आज पिंक कलर की सलवार कमीज पहनी थी। मैने और कविता ने मिलके थोड़ी साफ सफाई कर दी । मरीज आने के लिए थोड़ा टाइम था इसलिए फिर कविता ने मरीजों के बेड पर बैठते हुए अपने ससुर को कहा,
"आपने नाश्ता करने के बाद दूध नहीं पिया । अब थोड़ा टाइम है तो पी लो चलो। "
डॉक्टर हंसते हुए उसके पास गया ,
"बहु हो तो ऐसी ! कितना खयाल रखती हो मेरा। "
कविता ने उस बूढ़े को अपनी गोद में सुला दिया और अपने कमीज के बटन खोल दिए । फिर वो मेरे सामने ही उसको अपना दूध पिलाने लगी। कविता ने बूढ़े का सर भी पल्लू से ढका नही था। मुझे ये सब देखने की अब आदत हों चुकी थीं इसलिए मैं उन दोनो को प्राइवेसी देने के लिए कमरे के बाहर आकर मरीजों का इंतजार करने लगा। कविता लगभग बीस मिनट डॉक्टर को दूध पिला रही थी। तबतक एक मरीज क्लिनिक में आ गया था । मैंने उसे थोड़ी देर वेट करने को कहा। कविता अपने कमीज के बटन लगाते हुए बाहर आ गई और उसने उस मरीज को अंदर आने को कहा।
मैं दोपहर तक क्लिनिक में काम करता रहा। उस दिन सिर्फ एक ही बूढ़ा मरीज आया । बाकी मरीज मध्यम वयस्क थे कुछ महिलाएं भी थी। डॉक्टर ने उस बूढ़े को इंजेक्शन दे दिया और फिर कविता को उसे बाजुके कमरे में दूध पिलाने को कहा । यह सुनकर वो बूढ़ा डर गया। उसे इंजेक्शन लेते समय तो कोई डर नहीं लगा था ! कविता ने मुझे भी उसके साथ कमरे में आने को कहा। मैं उस बूढ़े को लेकर कविता के पीछे उस कमरे में गया। कविता ने दरवाजा बंद कर दिया और नीचे बैठ गई । मैंने उस बूढ़े को उसकी गोद में सुला दिया। वो बूढ़ा शर्म के मारे कविता के गोद से उठने की कोशिश करने लगा पर कविता ने उसे जबरदस्ती लिटा के रखा।
"क्या बाबूजी ! दूध ही तो पीला रही हूं ना ? इंजेक्शन तो आपने सहजता से ले लिया। चलो अब दूध भी पी लो। "
कविता ने उस बूढ़े को एक हाथ से पकड़कर रखा और दूसरे हाथ से कमीज के बटन खोल दिए। फिर अपना एक भरा हुआ स्तन बाहर निकलकर वो इस बूढ़े को जबरदस्ती स्तनपान करने लगी। थोड़ी देर कविता से झूंझने के बाद वो बूढ़ा शांत हो गया और फिर अपने आप दूध पीने लगा। मैंने हंसते हुए उसे कहा ,
"उनको नहीं चाहिए तो मुझे पीला देती ना।"
कविताने जवाब दिया ,
"उनको दूध पीने की सक्त जरूरत है इसलिए जबरदस्ती पीला रही हूं राजू।"
दस मिनिट बाद एक स्तन खाली होने पर कविता ने उस बूढ़े को तुरंत अपना दूसरा स्तन पीने दिया। अब उसे पकड़कर रखने को कोई जरूरत नहीं पड़ी क्योंकि वो किसी बच्चे को तरह पी रहा था।

बूढ़े को सारा दूध पिलाने के बाद कविता ने अपने कमीज के बटन लगा लिए और उस बूढ़े को अगले हफ्ते फिरसे क्लिनिक में आने को कहा। वो बूढ़ा खुश होकर चला गया।


Raju ke pitaji ki entry karo
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उस रात चाचा अपने कमरे में सो गया । उसे लगा कि सीमा चाची हमेशा की तरह उसके पिताजी को दूध पिलाने मैन हॉल में सोने वाली है। पर उस रात सीमा चाची ने अपने ससुरजी को थोडासा ही दूध पिला दिया और फिर उनको जल्दी सुला भी दे दिया। मैं अपने कमरे में उसका बहुत वेट कर रहा था। आखिर कार करीब करीब एक घंटे बाद सीमा चाची मेरे कमरे में आ गई। उसने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया और मेरे पास बेड पर आकर लेट गई।
"उफss ! मर गई दिनभर ये सब काम करके । "
मैने उसे हंसते हुए कहा,
"अब तुम शांत रहो मुझे काम करने दो। "
सीमा चाची ने ब्लू रंग की साड़ी और ब्लाऊज़ पहना था और पसीने से उसका वो ब्लाउज कंधे की जगह थोडासा भीग भी गया था। उसके पसीने की गंध मुझे और भी उत्तेजित करने लगी।
"जो करना है एक घंटे में कर लो। मुझे वापस ससुरजी के पास जाकर सोना है। वो उठ गए तो उनको फिरसे दूध पिलाना पड़ेगा। "
उसे अब इतनी ही जल्दी थी तो मैंने सोचा की अपना काम निपट लू । मै उसके पल्लू के नीचे हाथ डालकर उसके भरे हुए मुम्मे बारी बारी से दबाने लगा। वो नाजुक स्तन छूतेही मेरी पैंट टाइट हो गई। सीमा चाची लंबी सांसे लेने लगी । एकदम से मैने उसके एक स्तन का निपल अपने दो उमलियों के बीच लेकर मसल दिया तो वो चीख पड़ी। वो हंसते हुए मेरी तरफ पलट गई और उसने उसका एक हाथ मेरे पैंट के अंदर डाल दिया और मेरे हथियार को सहलाने लगी। अब मुझे भी दर्द होने लगा। में अब जोर जोर से उसके मुम्मे दबाने लगा । थोड़ी देर ऐसाही चलता रहा । मैं अब थक रहा था यह देखकर सीमा चाची ने अचानक से मुझे अपने शरीर पर खीच लिया। मैं फिर से जोश में आ गया और उसके शरीर पर मेरा पूरा वजन डालकर उसके बदन को चूमने लगा। वो बहुत खुश हो गई और उसने अपना एक पाव मेरे पैरो के पीछे सरकाकर मुझे उसके शरीर पर रगड़ने को राजी कर लिया। अब मेरा हथियार बहुत देर तक सहन नही कर सकता था। मैने बेड पर थोड़ा नीचे खिसक कर उसकी पैंटी निकाल दी और फिर उसे जोर जोर से चोदने लगा। वो फिर से खुशी के मारे चीखने लगी तो मेरा जोश और बढ़ गया। मेरे मन में विचार आया कि अब चाचा भी कमरे में आ जाता तो भी में सीमा चाची को ऐसेही चोदता रह जाता । पर हमारे नसीब से कोई आया नही और में करीब करीब दस मिनट तक चाची को पेलता रहा। आखिर में मेरा पानी निकल आते ही सीमा चाची के मुंह से और एक चीख आ गई। थोड़ी देर बाद हम दोनो बहुत लंबी सांसे लेते हुए बेड पर कुछ समय तक खामोशी में पड़े रहे। मुझे बहुत नींद आ रही थी इसलिए सीमा चाची ने हंसते हुए मेरे उपर कंबल डाल दिया और अपने कपड़े ठीक करते हुए वो कमरे से बाहर चली गई। पर उसके नसीब में अभी भी नींद नहीं लिखी हुई थी। उसने मेन हॉल में आकर देखा तो उसके ससुरजी जाग चुके थे और अस्वस्थ होकर बहुत हलचल कर रहे थे। सीमा वापस उनके पास सो गई और उनको अपनी बाहों में लेकर उनको बच्चे की तरह सुलाने लगी। उसे पेलते समय राजुने दूध नहीं पिया था इसलिए सीमा चाची ने हंसते हुए उसके ब्लाउज के कुछ बटन खोल दिए और अपने ससुरजी के सर के ऊपर से पल्लू ओढ़कर वो उनको दूध पिलाने लगी। वो धीरे धीरे शांत हो गए।

दूसरे दिन सुबह मैं डॉक्टर के क्लिनिक पोहोच गया क्योंकि उसने मुझे क्लिनिक में मदद के लिए बुलाया था। मैंने पहिले ही नाश्ता कर लिया था। थोड़ी देर बाद वो बूढ़ा डॉक्टर अपनी बहु कविता के साथ आया और उसने क्लिनिक खोल दिया। मैं उन दोनो के साथ अंदर गया। कविता ने आज पिंक कलर की सलवार कमीज पहनी थी। मैने और कविता ने मिलके थोड़ी साफ सफाई कर दी । मरीज आने के लिए थोड़ा टाइम था इसलिए फिर कविता ने मरीजों के बेड पर बैठते हुए अपने ससुर को कहा,
"आपने नाश्ता करने के बाद दूध नहीं पिया । अब थोड़ा टाइम है तो पी लो चलो। "
डॉक्टर हंसते हुए उसके पास गया ,
"बहु हो तो ऐसी ! कितना खयाल रखती हो मेरा। "
कविता ने उस बूढ़े को अपनी गोद में सुला दिया और अपने कमीज के बटन खोल दिए । फिर वो मेरे सामने ही उसको अपना दूध पिलाने लगी। कविता ने बूढ़े का सर भी पल्लू से ढका नही था। मुझे ये सब देखने की अब आदत हों चुकी थीं इसलिए मैं उन दोनो को प्राइवेसी देने के लिए कमरे के बाहर आकर मरीजों का इंतजार करने लगा। कविता लगभग बीस मिनट डॉक्टर को दूध पिला रही थी। तबतक एक मरीज क्लिनिक में आ गया था । मैंने उसे थोड़ी देर वेट करने को कहा। कविता अपने कमीज के बटन लगाते हुए बाहर आ गई और उसने उस मरीज को अंदर आने को कहा।
मैं दोपहर तक क्लिनिक में काम करता रहा। उस दिन सिर्फ एक ही बूढ़ा मरीज आया । बाकी मरीज मध्यम वयस्क थे कुछ महिलाएं भी थी। डॉक्टर ने उस बूढ़े को इंजेक्शन दे दिया और फिर कविता को उसे बाजुके कमरे में दूध पिलाने को कहा । यह सुनकर वो बूढ़ा डर गया। उसे इंजेक्शन लेते समय तो कोई डर नहीं लगा था ! कविता ने मुझे भी उसके साथ कमरे में आने को कहा। मैं उस बूढ़े को लेकर कविता के पीछे उस कमरे में गया। कविता ने दरवाजा बंद कर दिया और नीचे बैठ गई । मैंने उस बूढ़े को उसकी गोद में सुला दिया। वो बूढ़ा शर्म के मारे कविता के गोद से उठने की कोशिश करने लगा पर कविता ने उसे जबरदस्ती लिटा के रखा।
"क्या बाबूजी ! दूध ही तो पीला रही हूं ना ? इंजेक्शन तो आपने सहजता से ले लिया। चलो अब दूध भी पी लो। "
कविता ने उस बूढ़े को एक हाथ से पकड़कर रखा और दूसरे हाथ से कमीज के बटन खोल दिए। फिर अपना एक भरा हुआ स्तन बाहर निकलकर वो इस बूढ़े को जबरदस्ती स्तनपान करने लगी। थोड़ी देर कविता से झूंझने के बाद वो बूढ़ा शांत हो गया और फिर अपने आप दूध पीने लगा। मैंने हंसते हुए उसे कहा ,
"उनको नहीं चाहिए तो मुझे पीला देती ना।"
कविताने जवाब दिया ,
"उनको दूध पीने की सक्त जरूरत है इसलिए जबरदस्ती पीला रही हूं राजू।"
दस मिनिट बाद एक स्तन खाली होने पर कविता ने उस बूढ़े को तुरंत अपना दूसरा स्तन पीने दिया। अब उसे पकड़कर रखने को कोई जरूरत नहीं पड़ी क्योंकि वो किसी बच्चे को तरह पी रहा था।

बूढ़े को सारा दूध पिलाने के बाद कविता ने अपने कमीज के बटन लगा लिए और उस बूढ़े को अगले हफ्ते फिरसे क्लिनिक में आने को कहा। वो बूढ़ा खुश होकर चला गया।


Raju ke pitaji ki entry karo. Vo bahut bimar huye hai aur age 60 saal dikha do. Seema Sasur ji ke sath apne jeth ka bhi khayal rakhegi.
Ye varnan next part me karo. Next update pls
 

Manju143

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Update 16

उस रात चाचा अपने कमरे में सो गया । उसे लगा कि सीमा चाची हमेशा की तरह उसके पिताजी को दूध पिलाने मैन हॉल में सोने वाली है। पर उस रात सीमा चाची ने अपने ससुरजी को थोडासा ही दूध पिला दिया और फिर उनको जल्दी सुला भी दे दिया। मैं अपने कमरे में उसका बहुत वेट कर रहा था। आखिर कार करीब करीब एक घंटे बाद सीमा चाची मेरे कमरे में आ गई। उसने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया और मेरे पास बेड पर आकर लेट गई।
"उफss ! मर गई दिनभर ये सब काम करके । "
मैने उसे हंसते हुए कहा,
"अब तुम शांत रहो मुझे काम करने दो। "
सीमा चाची ने ब्लू रंग की साड़ी और ब्लाऊज़ पहना था और पसीने से उसका वो ब्लाउज कंधे की जगह थोडासा भीग भी गया था। उसके पसीने की गंध मुझे और भी उत्तेजित करने लगी।
"जो करना है एक घंटे में कर लो। मुझे वापस ससुरजी के पास जाकर सोना है। वो उठ गए तो उनको फिरसे दूध पिलाना पड़ेगा। "
उसे अब इतनी ही जल्दी थी तो मैंने सोचा की अपना काम निपट लू । मै उसके पल्लू के नीचे हाथ डालकर उसके भरे हुए मुम्मे बारी बारी से दबाने लगा। वो नाजुक स्तन छूतेही मेरी पैंट टाइट हो गई। सीमा चाची लंबी सांसे लेने लगी । एकदम से मैने उसके एक स्तन का निपल अपने दो उमलियों के बीच लेकर मसल दिया तो वो चीख पड़ी। वो हंसते हुए मेरी तरफ पलट गई और उसने उसका एक हाथ मेरे पैंट के अंदर डाल दिया और मेरे हथियार को सहलाने लगी। अब मुझे भी दर्द होने लगा। में अब जोर जोर से उसके मुम्मे दबाने लगा । थोड़ी देर ऐसाही चलता रहा । मैं अब थक रहा था यह देखकर सीमा चाची ने अचानक से मुझे अपने शरीर पर खीच लिया। मैं फिर से जोश में आ गया और उसके शरीर पर मेरा पूरा वजन डालकर उसके बदन को चूमने लगा। वो बहुत खुश हो गई और उसने अपना एक पाव मेरे पैरो के पीछे सरकाकर मुझे उसके शरीर पर रगड़ने को राजी कर लिया। अब मेरा हथियार बहुत देर तक सहन नही कर सकता था। मैने बेड पर थोड़ा नीचे खिसक कर उसकी पैंटी निकाल दी और फिर उसे जोर जोर से चोदने लगा। वो फिर से खुशी के मारे चीखने लगी तो मेरा जोश और बढ़ गया। मेरे मन में विचार आया कि अब चाचा भी कमरे में आ जाता तो भी में सीमा चाची को ऐसेही चोदता रह जाता । पर हमारे नसीब से कोई आया नही और में करीब करीब दस मिनट तक चाची को पेलता रहा। आखिर में मेरा पानी निकल आते ही सीमा चाची के मुंह से और एक चीख आ गई। थोड़ी देर बाद हम दोनो बहुत लंबी सांसे लेते हुए बेड पर कुछ समय तक खामोशी में पड़े रहे। मुझे बहुत नींद आ रही थी इसलिए सीमा चाची ने हंसते हुए मेरे उपर कंबल डाल दिया और अपने कपड़े ठीक करते हुए वो कमरे से बाहर चली गई। पर उसके नसीब में अभी भी नींद नहीं लिखी हुई थी। उसने मेन हॉल में आकर देखा तो उसके ससुरजी जाग चुके थे और अस्वस्थ होकर बहुत हलचल कर रहे थे। सीमा वापस उनके पास सो गई और उनको अपनी बाहों में लेकर उनको बच्चे की तरह सुलाने लगी। उसे पेलते समय राजुने दूध नहीं पिया था इसलिए सीमा चाची ने हंसते हुए उसके ब्लाउज के कुछ बटन खोल दिए और अपने ससुरजी के सर के ऊपर से पल्लू ओढ़कर वो उनको दूध पिलाने लगी। वो धीरे धीरे शांत हो गए।

दूसरे दिन सुबह मैं डॉक्टर के क्लिनिक पोहोच गया क्योंकि उसने मुझे क्लिनिक में मदद के लिए बुलाया था। मैंने पहिले ही नाश्ता कर लिया था। थोड़ी देर बाद वो बूढ़ा डॉक्टर अपनी बहु कविता के साथ आया और उसने क्लिनिक खोल दिया। मैं उन दोनो के साथ अंदर गया। कविता ने आज पिंक कलर की सलवार कमीज पहनी थी। मैने और कविता ने मिलके थोड़ी साफ सफाई कर दी । मरीज आने के लिए थोड़ा टाइम था इसलिए फिर कविता ने मरीजों के बेड पर बैठते हुए अपने ससुर को कहा,
"आपने नाश्ता करने के बाद दूध नहीं पिया । अब थोड़ा टाइम है तो पी लो चलो। "
डॉक्टर हंसते हुए उसके पास गया ,
"बहु हो तो ऐसी ! कितना खयाल रखती हो मेरा। "
कविता ने उस बूढ़े को अपनी गोद में सुला दिया और अपने कमीज के बटन खोल दिए । फिर वो मेरे सामने ही उसको अपना दूध पिलाने लगी। कविता ने बूढ़े का सर भी पल्लू से ढका नही था। मुझे ये सब देखने की अब आदत हों चुकी थीं इसलिए मैं उन दोनो को प्राइवेसी देने के लिए कमरे के बाहर आकर मरीजों का इंतजार करने लगा। कविता लगभग बीस मिनट डॉक्टर को दूध पिला रही थी। तबतक एक मरीज क्लिनिक में आ गया था । मैंने उसे थोड़ी देर वेट करने को कहा। कविता अपने कमीज के बटन लगाते हुए बाहर आ गई और उसने उस मरीज को अंदर आने को कहा।
मैं दोपहर तक क्लिनिक में काम करता रहा। उस दिन सिर्फ एक ही बूढ़ा मरीज आया । बाकी मरीज मध्यम वयस्क थे कुछ महिलाएं भी थी। डॉक्टर ने उस बूढ़े को इंजेक्शन दे दिया और फिर कविता को उसे बाजुके कमरे में दूध पिलाने को कहा । यह सुनकर वो बूढ़ा डर गया। उसे इंजेक्शन लेते समय तो कोई डर नहीं लगा था ! कविता ने मुझे भी उसके साथ कमरे में आने को कहा। मैं उस बूढ़े को लेकर कविता के पीछे उस कमरे में गया। कविता ने दरवाजा बंद कर दिया और नीचे बैठ गई । मैंने उस बूढ़े को उसकी गोद में सुला दिया। वो बूढ़ा शर्म के मारे कविता के गोद से उठने की कोशिश करने लगा पर कविता ने उसे जबरदस्ती लिटा के रखा।
"क्या बाबूजी ! दूध ही तो पीला रही हूं ना ? इंजेक्शन तो आपने सहजता से ले लिया। चलो अब दूध भी पी लो। "
कविता ने उस बूढ़े को एक हाथ से पकड़कर रखा और दूसरे हाथ से कमीज के बटन खोल दिए। फिर अपना एक भरा हुआ स्तन बाहर निकलकर वो इस बूढ़े को जबरदस्ती स्तनपान करने लगी। थोड़ी देर कविता से झूंझने के बाद वो बूढ़ा शांत हो गया और फिर अपने आप दूध पीने लगा। मैंने हंसते हुए उसे कहा ,
"उनको नहीं चाहिए तो मुझे पीला देती ना।"
कविताने जवाब दिया ,
"उनको दूध पीने की सक्त जरूरत है इसलिए जबरदस्ती पीला रही हूं राजू।"
दस मिनिट बाद एक स्तन खाली होने पर कविता ने उस बूढ़े को तुरंत अपना दूसरा स्तन पीने दिया। अब उसे पकड़कर रखने को कोई जरूरत नहीं पड़ी क्योंकि वो किसी बच्चे को तरह पी रहा था।

बूढ़े को सारा दूध पिलाने के बाद कविता ने अपने कमीज के बटन लगा लिए और उस बूढ़े को अगले हफ्ते फिरसे क्लिनिक में आने को कहा। वो बूढ़ा खुश होकर चला गया।


Raju ke pataji jab gav aaye the tab vo bahut hi kamjor lag rahe the aur unke hath-pav bhi kap rahe the unake sharir me takad nahi thi. Seema ko raju ke pataji halat dekhi nahi ja rahi thi. Seema ko raju ke pitaji ke upar bahut hi daya aane lagi. Fir seema decision leti hai ki vo Sasurji ke sath sath seema apne jeth ko stanpan karegi. Seema sasur aur jeth ko stanpan karne ka time table bana degi..
Agle part me varnan karo. Next update pls
 

millerjeff373

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Update 16

उस रात चाचा अपने कमरे में सो गया । उसे लगा कि सीमा चाची हमेशा की तरह उसके पिताजी को दूध पिलाने मैन हॉल में सोने वाली है। पर उस रात सीमा चाची ने अपने ससुरजी को थोडासा ही दूध पिला दिया और फिर उनको जल्दी सुला भी दे दिया। मैं अपने कमरे में उसका बहुत वेट कर रहा था। आखिर कार करीब करीब एक घंटे बाद सीमा चाची मेरे कमरे में आ गई। उसने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया और मेरे पास बेड पर आकर लेट गई।
"उफss ! मर गई दिनभर ये सब काम करके । "
मैने उसे हंसते हुए कहा,
"अब तुम शांत रहो मुझे काम करने दो। "
सीमा चाची ने ब्लू रंग की साड़ी और ब्लाऊज़ पहना था और पसीने से उसका वो ब्लाउज कंधे की जगह थोडासा भीग भी गया था। उसके पसीने की गंध मुझे और भी उत्तेजित करने लगी।
"जो करना है एक घंटे में कर लो। मुझे वापस ससुरजी के पास जाकर सोना है। वो उठ गए तो उनको फिरसे दूध पिलाना पड़ेगा। "
उसे अब इतनी ही जल्दी थी तो मैंने सोचा की अपना काम निपट लू । मै उसके पल्लू के नीचे हाथ डालकर उसके भरे हुए मुम्मे बारी बारी से दबाने लगा। वो नाजुक स्तन छूतेही मेरी पैंट टाइट हो गई। सीमा चाची लंबी सांसे लेने लगी । एकदम से मैने उसके एक स्तन का निपल अपने दो उमलियों के बीच लेकर मसल दिया तो वो चीख पड़ी। वो हंसते हुए मेरी तरफ पलट गई और उसने उसका एक हाथ मेरे पैंट के अंदर डाल दिया और मेरे हथियार को सहलाने लगी। अब मुझे भी दर्द होने लगा। में अब जोर जोर से उसके मुम्मे दबाने लगा । थोड़ी देर ऐसाही चलता रहा । मैं अब थक रहा था यह देखकर सीमा चाची ने अचानक से मुझे अपने शरीर पर खीच लिया। मैं फिर से जोश में आ गया और उसके शरीर पर मेरा पूरा वजन डालकर उसके बदन को चूमने लगा। वो बहुत खुश हो गई और उसने अपना एक पाव मेरे पैरो के पीछे सरकाकर मुझे उसके शरीर पर रगड़ने को राजी कर लिया। अब मेरा हथियार बहुत देर तक सहन नही कर सकता था। मैने बेड पर थोड़ा नीचे खिसक कर उसकी पैंटी निकाल दी और फिर उसे जोर जोर से चोदने लगा। वो फिर से खुशी के मारे चीखने लगी तो मेरा जोश और बढ़ गया। मेरे मन में विचार आया कि अब चाचा भी कमरे में आ जाता तो भी में सीमा चाची को ऐसेही चोदता रह जाता । पर हमारे नसीब से कोई आया नही और में करीब करीब दस मिनट तक चाची को पेलता रहा। आखिर में मेरा पानी निकल आते ही सीमा चाची के मुंह से और एक चीख आ गई। थोड़ी देर बाद हम दोनो बहुत लंबी सांसे लेते हुए बेड पर कुछ समय तक खामोशी में पड़े रहे। मुझे बहुत नींद आ रही थी इसलिए सीमा चाची ने हंसते हुए मेरे उपर कंबल डाल दिया और अपने कपड़े ठीक करते हुए वो कमरे से बाहर चली गई। पर उसके नसीब में अभी भी नींद नहीं लिखी हुई थी। उसने मेन हॉल में आकर देखा तो उसके ससुरजी जाग चुके थे और अस्वस्थ होकर बहुत हलचल कर रहे थे। सीमा वापस उनके पास सो गई और उनको अपनी बाहों में लेकर उनको बच्चे की तरह सुलाने लगी। उसे पेलते समय राजुने दूध नहीं पिया था इसलिए सीमा चाची ने हंसते हुए उसके ब्लाउज के कुछ बटन खोल दिए और अपने ससुरजी के सर के ऊपर से पल्लू ओढ़कर वो उनको दूध पिलाने लगी। वो धीरे धीरे शांत हो गए।

दूसरे दिन सुबह मैं डॉक्टर के क्लिनिक पोहोच गया क्योंकि उसने मुझे क्लिनिक में मदद के लिए बुलाया था। मैंने पहिले ही नाश्ता कर लिया था। थोड़ी देर बाद वो बूढ़ा डॉक्टर अपनी बहु कविता के साथ आया और उसने क्लिनिक खोल दिया। मैं उन दोनो के साथ अंदर गया। कविता ने आज पिंक कलर की सलवार कमीज पहनी थी। मैने और कविता ने मिलके थोड़ी साफ सफाई कर दी । मरीज आने के लिए थोड़ा टाइम था इसलिए फिर कविता ने मरीजों के बेड पर बैठते हुए अपने ससुर को कहा,
"आपने नाश्ता करने के बाद दूध नहीं पिया । अब थोड़ा टाइम है तो पी लो चलो। "
डॉक्टर हंसते हुए उसके पास गया ,
"बहु हो तो ऐसी ! कितना खयाल रखती हो मेरा। "
कविता ने उस बूढ़े को अपनी गोद में सुला दिया और अपने कमीज के बटन खोल दिए । फिर वो मेरे सामने ही उसको अपना दूध पिलाने लगी। कविता ने बूढ़े का सर भी पल्लू से ढका नही था। मुझे ये सब देखने की अब आदत हों चुकी थीं इसलिए मैं उन दोनो को प्राइवेसी देने के लिए कमरे के बाहर आकर मरीजों का इंतजार करने लगा। कविता लगभग बीस मिनट डॉक्टर को दूध पिला रही थी। तबतक एक मरीज क्लिनिक में आ गया था । मैंने उसे थोड़ी देर वेट करने को कहा। कविता अपने कमीज के बटन लगाते हुए बाहर आ गई और उसने उस मरीज को अंदर आने को कहा।
मैं दोपहर तक क्लिनिक में काम करता रहा। उस दिन सिर्फ एक ही बूढ़ा मरीज आया । बाकी मरीज मध्यम वयस्क थे कुछ महिलाएं भी थी। डॉक्टर ने उस बूढ़े को इंजेक्शन दे दिया और फिर कविता को उसे बाजुके कमरे में दूध पिलाने को कहा । यह सुनकर वो बूढ़ा डर गया। उसे इंजेक्शन लेते समय तो कोई डर नहीं लगा था ! कविता ने मुझे भी उसके साथ कमरे में आने को कहा। मैं उस बूढ़े को लेकर कविता के पीछे उस कमरे में गया। कविता ने दरवाजा बंद कर दिया और नीचे बैठ गई । मैंने उस बूढ़े को उसकी गोद में सुला दिया। वो बूढ़ा शर्म के मारे कविता के गोद से उठने की कोशिश करने लगा पर कविता ने उसे जबरदस्ती लिटा के रखा।
"क्या बाबूजी ! दूध ही तो पीला रही हूं ना ? इंजेक्शन तो आपने सहजता से ले लिया। चलो अब दूध भी पी लो। "
कविता ने उस बूढ़े को एक हाथ से पकड़कर रखा और दूसरे हाथ से कमीज के बटन खोल दिए। फिर अपना एक भरा हुआ स्तन बाहर निकलकर वो इस बूढ़े को जबरदस्ती स्तनपान करने लगी। थोड़ी देर कविता से झूंझने के बाद वो बूढ़ा शांत हो गया और फिर अपने आप दूध पीने लगा। मैंने हंसते हुए उसे कहा ,
"उनको नहीं चाहिए तो मुझे पीला देती ना।"
कविताने जवाब दिया ,
"उनको दूध पीने की सक्त जरूरत है इसलिए जबरदस्ती पीला रही हूं राजू।"
दस मिनिट बाद एक स्तन खाली होने पर कविता ने उस बूढ़े को तुरंत अपना दूसरा स्तन पीने दिया। अब उसे पकड़कर रखने को कोई जरूरत नहीं पड़ी क्योंकि वो किसी बच्चे को तरह पी रहा था।

बूढ़े को सारा दूध पिलाने के बाद कविता ने अपने कमीज के बटन लगा लिए और उस बूढ़े को अगले हफ्ते फिरसे क्लिनिक में आने को कहा। वो बूढ़ा खुश होकर चला गया।


 

millerjeff373

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Please story continue rakhe. Aage ke part me kavita chachi par jyada focus ki jiye. Wo ek Dr. he aur pati ke alawa sasur ko chuswa chuki he. To story aage badhate huye kavita ka stan paan uske sasur ke saath Raju ko bh karwayi ga. Aage ke part me raju aur kavita ka secret relationship pe jyada focus ki jiye. Jesi raju kisi akeli aurat ki (kavita ki) manisha puri kr raha ho.
 
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