chandan misra
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अमर मूर्ख है और अब केवल डायरी से ही आस है के अक्षिता का ठिकाना पता चले, बढ़िया भाग हैUpdate 27
एकांश को जैसे ही स्वरा का फोन आया और उसने उसका भेजा हुआ पता देखा वो थोड़ा चौका, वो पता देख उसे थोड़ी हैरानी हुई और साथ ही ये उम्मीद भी जागी की शायद कुछ तो पता चला है या फिर शायद... शायद वही वापिस आ गई हो,
जिसके बाद एकांश ने एक पल की भी देरी किए बगैर अपनी गाड़ी निकाली और इस पते की ओर चल पड़ा,
वो अक्षिता के ही घर का पता था और जब एकांश वहा पहुंचा तो स्वरा रोहन और अमर पहले ही वहा मौजूद थे और आगे क्या करना है इस बारे में बहस कर रहे थे और जैसे ही एकांश वहा पहुंचा अमर उसके पास आया,
"भाई तू सही टाइम पे आ गया है, मुझे ये प्लान समझ नही आ रहा, हम ऐसे चोरी से किसी के घर में कैसे घुस सकते है यार, और किसी ने देख लिया और हमको चोर समझ लिया फिर?" अमर ने अपनी परेशानी एकांश को बताई जो अब भी वहा सिचुएशन का जायजा ले रहा था
एकांश को स्वरा ने बस वहा आने कहा था इसके अलावा कुछ नही बताया था ऐसे में वो किसी भी प्लान के बारे के नही जानता था, ऊपर से वो पिछले कुछ दिनों के काफी ज्यादा चिड़चिड़ा हो गया था, अक्षिता को ढूंढते हुए उसके हाथ लगातार निराशा लगी थी ऐसे में जब स्वरा ने उसे यहा बुलाया तो उसे लगा शायद... शायद अक्षिता लौट आई थी लेकिन उसने यहा आकर देखा तो मामला ही अलग था..
एकांश कुछ नही बोला बस सुनता रहा, अब स्वरा भी उनके पास आ गई थी
"तुम्हारे पास कुछ अच्छा रास्ता हो तो वो बताओ वरना हो बता रही हु वो करो" स्वरा से अमर से कहा बदले में अमर ने बस उसे घूर के देखा और फिर वापिस एकांश को ओर मुड़ा
"तू कुछ बोलेगा या ऐसे ही सुनता रहेगा" अमर ने एकांश से कहा
"पहले बात पता कर लू अभी मुझे कुछ समझ नही आ रहा और कसम से अभी दिमाग बहुत घुमा है सुबह से घूम घूम के परेशान हु मैं तू मत शुरू हो अब" एकांश ने अमर से कहा और फिर स्वरा की ओर रुख किया, "तुम बताओगी क्या चल रहा है और इस वक्त यहां क्यों बुलाया है, देखी स्वरा अगर कुछ काम का नही हुआ तो मुझसे बुरा कोई नही होगा, क्युकी यहां का एड्रेस देख मुझे लगा था शायद वो लौट आई है" एकांश ने हल्के गुस्से में कहा वही रोहन बस चुप चाप सुन रहा था
एकांश की नजरे अब स्वरा की ओर थी लेकिन वो कुछ नही बोली और फिर एकांश को वापिस बोलना पड़ा
"अब बताओगी क्या पता चला है, क्या हुआ है" एकांश ने कहा
और स्वरा ने आगे बोलना शुरू किया
"ज्यादा कुछ पता नहीं चला है, मैं और रोहन हमे अक्षिता से जुड़े जितने लोगो का पता था हमने सबसे पूछ के देख लिया, लेकिन किसी को भी कुछ नही पता है लेकिन अभी कुछ देख पहले जब मैं घर पहुंची तब मुझे ऐसा कुछ मिला जिसके बारे में मैं भूल ही गई थी" और इतना बोल कर स्वरा ने अपने हाथ में एकांश को एक चाबी दिखाई लेकिन अब भी एकांश को कुछ नही समझा और वो सवालिया नजरो से उसे देखने लगा और फिर स्वरा आगे बोली
"ये अक्षिता के घर को चाबी है जिसके बारे में शायद वो भूल गई है के ये मेरे पास है, और मुझे लगता है हमे उसके घर में चल कर देखना चाहिए, शायद वो और उसका परिवार कहा गया है हमे ये बात पता चल जाए, वैसे तो बाहर कुछ भी पता नहीं चल रहा है, हैं ना?" स्वरा ने उम्मीद भरी नजरो से एकांश को देखा जो अब सोच में था
"सर मुझे लगता है हमे एक बार देख लेना चाहिए क्या पता वो जहा गए हो उसके बारे में ही किसी पता चले" इतनी देर से चुप रोहन बोला और एकांश ने उसको देखा
"मैं अब भी बोलूंगा के अगर किसी ने देख लिया और और चोर समझ तो बड़ा पंगा हो सकता" अमर ने चेताते हुए कहा लेकिन स्वरा ने उसकी बात सुन आंखे घुमा ली
"हमारे पास वक्त बहुत कम है और हम ऐसी हर संभावना को चेक करना चाहिए जहा से कुछ क्लू मिलने वाला हो और हम कम से कम कुछ कर तो रहे है तुमने क्या किया है" स्वरा ने कहा और अमर उसे गुस्से से घूरने लगा
वही एकांश कुछ सोच रहा था, आज शाम ही वो पुलिस स्टेशन से लौटा था, अपनी पहुंच से उसने पुलिस पर अक्षिता को ढूंढने का दबाव तो बना दिया था लेकिन पुलिस प्रशासन से कोई खासी मदद नही मिल रही थी ऐसा नहीं था के पुलिस कुछ नही कर रही थी लेकिन साथ ही ये बात भी उतनी ही सही थी के अक्षिता का पता नही लगा पाए थे, दूसरी ओर जिस डिटेक्टिव को अमर ने इस काम में लगाया था वहा से भी अक्षिता के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली थी, अक्षिता जैसी मानो हवा में गायब हो गई हो
और इसमें अब जरा भी दोराय नहीं थी के एकांश भी अपनी उम्मीद खो रहा था और रह रह कर उसका मन इस डर से घिर जाता था के कही अक्षिता को कुछ हो न गया और और अब वो दोबारा उससे कभी नही मिल पाएगा ना ही उसे कभी देख पाएगा
एक और जहा ये चल रहा था उसे ऑफिस भी देखना पड रहा था, वैसे तो उसने सभी काम अपने कर्मचारियों पर छोड़ रखा था लेकिन कुछ बाते उसके बगैर नहीं हो सकती थी और इन सब बातो में उसे स्वरा को बात के एक हल्की तो उम्मीद की रोशनी नजर आई थी के शायद.... शायद अक्षिता के मौजूदा ठिकाने का पता उसके पुराने घर में चल जाए, चाबी उनके पास पहले से थी बस इतना ध्यान रखना था के कोई उन्हें ऐसे चोरी से घुसते देख शोर या हंगामा ना करे क्युकी इस वक्त वो कोई नया झमेला नही चाहता था...
एकांश ने स्वरा को देखा और फिर अमर पर नजर डाली और बोला
"चलो देखते है हो सकता है कुछ पता चल जाए"
एकांश की हामी सुन स्वरा थोड़ी खुश हो गई और रोहन भी वही अमर ने एकांश को देखा और बोला
"तू sure है क्युकी मुझे नही लगता हमे कुछ मिलेगा"
"तेरे पास कोई और रास्ता है या कोई ऐसी बात जिससे मैं उस तक पहुंच सकू?? अमर, भाई मैं हर बीतते घंटे से साथ उम्मीद खोता जा रहा हु ऐसे में मैं हर वो चीज करुंगा जो मुझे लगता है मुझे उसके करीब ले जा सकती है" एकांश ने कहा और स्वरा के साथ से चाबी ली और अक्षिता के घर को ओर बढ़ गया
अमर के पास एकांश की बात का कोई जवाब नही था, बस वो थोड़ा ज्यादा दिमाग लगा रहा था और उसके मन में ये गिल्ट भी था के सबकुछ सही चलता हुआ उसकी जासूसी से बिगड़ा था और वो भी अक्षिता को खोजना चाहता था बस उसके घर में चोरी से घुसने का खयाल उसे नही जमा था और अब चुकी बाकी लोग आगे बढ़ गए थे वो भी उनके पीछे चला गया
एकांश ने उस चाबी से जो स्वरा ने उसे दी थी अक्षिता के घर का दरवाजा खोला और वो चारो घर में दाखिल हुए, घर पूरा अंधेरे में डूबा हुआ था और वहा मौत सा सन्नाटा पसरा हुआ था,
रोहन आगे बढ़ा और लाइट के स्विच ढूंढने लगा और उसे वो मिलते ही उसने घर में रोशनी कर दी,
रोशनी होते ही उनके सामने अक्षिता का खाली पड़ा घर था जिसका फर्नीचर अब भी वैसे का वैसा रखा हुआ था, एकांश आंखो में पानी जमा किए उस घर को देख रहा था वही अमर और रोहन ने बाकी के लाइट्स लगा दिए थे,
घर में सब कुछ वैसा ही था जैसा उसमे रहने वाले छोड़ गए थे जब वहा थोड़ी धूल जमी हुई थी, एकांश उस घर में घुसते ही थोड़े इमोशनल स्टेट में पहुंच गया था, अक्षिता की यादें वैसे ही उसे अक्सर घेरे रहती थी जो यह आने के बाद उसपर हावी हो गई थी और उसको यू देख रोहन और स्वरा ने उसे वैसा ही रहने दिया और खुद घर में किसी क्लू की तलाश करने लगे ताकि अक्षिता के बारे में कुछ पता लगा सके,
कुछ पलों बाद एकांश ने भी अपनी भावनाओं पर काबू पा लिया था और वो भी आ घर का कोना कोना देखने में लगा हुआ था, वो लोग घर का चप्पा चप्पा छानने में लगे हुए थे और जब थोड़ी देर की मेहनत के बाद एकांश को कुछ नही लिया तो उसने बाकियों से पूछा
"कुछ मिला?"
लेकिन बाकी लोगो ने भी ना में गर्दन हिला दी
"मुझे लगता है हमे ऊपर जाकर अक्षिता का रूम भी चेक करना चाहिए क्या पता वहा कुछ हो" स्वरा ने कहा
स्वरा को बात से सहमत होते हुए अमर और रोहन भी ऊपर के फ्लोर की ओर जाने लगे वही अक्षिता के कमरे में जाने के खयाल से एकांश का दिल जोर से धड़कने लगा था..
एकांश के चेहरे के भाव पढ़ते हुए स्वरा के सोचा के उसे कुछ देर अक्षिता के कमरे में अकेला रहने देना सही होगा और इसी खयाल के साथ वो बोली
"आप यहा देखी हम तब तक बाकी के कमरों में देखते है" जिसके बाद स्वरा रोहन और अमर बाकी कमरों की तलाशी लेने वहा से चले गए और एकांश ने जोरो से धड़कते दिल के साथ अक्षिता के कमरे का दरवाजा खोला और अंदर आया,
कमरे में एकांश का स्वागत अंधेरे ने ही किया, उसने अपनी उंगलियों से टटोल के लाइट का स्विच दबाया और कमरा रोशनी से नहा गया, एकांश ने एक नजर पूरे कमरे में घुमाई, अक्षिता का कमरा एकदम बढ़िया तरीके से जचाया हुए, है सामान उसकी जगह पर रखा था, बाकी घर की तरह ही यहां भी धूल थी लेकिन थोड़ी कम थी,
कमरे में एक अलमारी, डबल बेड पालन, एक डेस्क और चेयर रखे हुए थे, है चीज बढ़िया तरीके से जमी हुई थी, और अचानक उस कमरे में इस वक्त अक्षिता को इमेजिन करते हुए एकांश के चेहरे पर अनायास ही मुस्कान आ गई, डेस्क पर कोई बुक पढ़ते, बेड पर लेटे हुए, ड्रेसिंग टेबल पर खुद को तयार करते हुए उसे अक्षिता नजर आ रही थी
इन सब खयालों ने उसके दिमाग पर कब्जा कर लिया था वो भावनाओं पर से अपना कंट्रोल खो रहा था लेकिन जल्द ही उसने ये खयाल झटके और पूरे कमरे में कोई क्लू खोजने लगा, एकांश उस कमरे का कोना कोना तलाशने लगा के कही से तो कुछ तो सूरज मिले जिससे पता चले वो कहा गई है, कोई टिकट कोई पेपर कुसी लिखा हुआ लेकिन कुछ नही मिल रहा था सिवाय निराशा के
वो उसकी डेस्क के पास आया और वहा रखा अक्षिता का नोटपैड चेक किया के शायद उसमे कुछ लिखा हो लेकिन फिर से उसे खाली हाथ ही रहना पड़ा, कही से भी कुछ नही मिल रहा था, अलमारी ड्रावर्स सब देख लिया था और फिर एकांश को नजर एक दीवार पर पड़ी जो पूरी फोटो फ्रेम्स से ढकी हुई थी...
एकांश एक पल ठिठका और फिर धीरे धीरे चलते हुए उन तस्वीरों के पास पहुंच कर उन्हे गौर से देखने लगा
पहली फोटो अक्षिता की थी, शायद उसके बचपन की जिसमे को मुस्कुरा रही थी, दूसरी में उसके माता पिता था और तीसरी फोटो उनकी फैमिली फोटो थी, वैसे ही चौथी और पांचवी फोटो भी और फिर जब एकांश की नजर अगली फोटो पर गई एक बार फिर उसकी आंखे भरने लगी थी,
अगली फोटो एकांश की थी जो साइड से ली गई थी जिसका उसे पता भी नही था, एकांश किसी चीज को देख रहा था जब अक्षिता ने उसकी ये तस्वीर खींची थी,
अगली फोटो ने वो दोनो थे जो एकदूसरे की आंखो से देख रहे थे, मुस्कुरा रहे थे इसी फोटो की कॉपी एकांश के पास भी थी, और फिर एकांश ने आखरी फोटो को देखा जिसमे वोही था और ये फोटो अभी अभी खींचा गया था, एकांश के ऑफिस में जिसमे वो ब्लू सूट पहने लैपटॉप पर काम कर रहा था,
एकांश के चेहरे पर उस तस्वीर को देखते हुए मुस्कान आ गई ये सोच कर के अक्षिता को उससे छिपा कर ये फोटो लेने में कितनी मेहनत लगी होगी...
एकांश वहा से पलट कर जाने ही वहा था के बेड और साइड टेबल के बीच रखी किसी चीज ने उसका ध्यान खींचा, उसके इस चीज को हाथ में लिया तो पाया के वो एक डायरी थी
अक्षिता को डायरी
एकांश का दिल अब और जोर से धड़कने लगा जब उसने उस डायरी को खोला
अंदर सूखे गुलाब की पंखुड़ियां थी जिसे एकांश ने हटाया और वहा अक्षिता का नाम लिखा हुआ था साथ ही नीचे भी कुछ लाइन्स लिखी हुई थी
‘अगर किसी को किसी भी तरह मेरी ये डायरी मिले तो प्लीज इसे ना पढ़े, इसमें कुछ भी खास नही है सिवाय में उदास और डिप्रेस्ड खयालों के, और आप शायद किसी डिप्रेस्ड लड़की के बारे में नहीं पढ़ना चाहेंगे... ‘
एकांश ने ये पढ़ा, उसे समझ नही आ रहा था क्यां करे, उसका मन पढ़े या ना पढ़े इस दुविधा में था लेकिन साथ ही मन ये ये खयाल भी चल रहा था के शायद डायरी के उसका पता ठिकाना लिखा हो और उससे उसके बारे में पता चल पाए और इसी उम्मीद में एकांश ने डायरी का पन्ना बदला....
क्रमश: