Maf karna bahot dino bad vapas loti hu. Pichhe ke update padhne ki jarurat nahi padi kyo ki story ka flow bilkul bhi nahi gaya tha.Update 20
“क्या चल रहा है यहा” एकांश ने कहा और उसने अपनी कडक और रौबदार आवाज से सबका ध्यान अपनी ओर खिच लिया था सब उसके चेहरे को देख रहे थे जो एकदम ईमोशनलेस था....
“एकांश अच्छा हुआ तुम आ गए, सब तुम्हारी ही राह देख रहे थे” एकांश को देख उसकी मा ने मुसकुराते हुए उसके पास आते हुए कहा
“मेरी राह दकह रहे थे और कीसी ने मुझे फोन भी नहीं किया?” एकांश ने थोड़े रुडली कहा और उसके ऐसे रुडली बात करने से उसकी मा थोड़ा चौकी
“मॉम क्या चल रहा है यहा?” एकांश ने वहा मौजूद सभी को इग्नोर कर कहा
“मेहतास् हमसे मिलने आए है बेटा” उसकी मा ने आराम से कहा
“और वो क्यू?”
अब एकांश के पिता अपनी जगह से उठे उन्होंने बोलने के लिए अपना गला साफ किया और सबका ध्यान उसकी ओर गया वही अमर, रोहन और स्वरा को वहा उस फॅमिली मीटिंग मे थोड़ा ऑक्वर्ड लग रहा था
“एकांश, तुम तो जानते ही हो मैं और मेहता कितने अच्छे दोस्त है, तुमने बचपन से देखा और तुम और श्रेया भी काफी अच्छे दोस्त हो तो मैंने दोस्ता क्यू ना इस दोस्ती को रिश्तेदरी मे बदला जाए” एकांश ने पिता ने उससे मुसकुराते हुए कहा
“और वो कैसे?” एकांश ने आराम से नीचे देखते हुए पूछा
एकांश की शांत आवाज ने अमर को डरा दिया था, वो समझ गया था के ये तूफान के पहले की शांति है
“तुम दोनों का रिश्ता जोड़ कर, शादी करवा कर” एकांश ने पिताजी ने कहा
“और आपने इस बारे मे मुझे बताना या मुझसे पूछना भी जरूरी नहीं समझा” एकांश ने कहा
“नहीं बेटे, हम तुम्हारे आने का ही इंतजार कर रहे थे ताकि तुमसे इस बारे मे बात करे” अब एकांश की मा बोली
एकांश ने एक नजर श्रेया को देखा, जो नीचे देख रही थी उसे समझ नहीं आ रहा था के क्या करे
“श्रेया, तुमको मुझसे शादी करनी है?” एकांश ने डायरेक्ट श्रेया से पूछा
श्रेया ने उसे चौक कर देखा उसे ऐसे डायरेक्ट सवाल की उम्मीद नहीं थी, उसने अपने पेरेंट्स को देखा जो उसे ही देख रहे थे
“नहीं और तुम्हें?” श्रेया ने अपनी मर्जी बताई और एकांश से पूछा
“नहीं!” एकांश ने भी कहा
और उनदोनों ने अपने पेरेंट्स को देखा जो उनके इस डिसिशन पर थोड़ा हैरान थे
“लेकिन क्यू? तुम दोनों तो एकदूसरे को पसंद करते हो ना?” ये मिस्टर मेहता थे, श्रेया के पिताजी
“हा मैं एकांश को पसंद करती हु बट एज अ फ्रेंड ओन्ली और मैं अभी शादी के लिए तयार ही नहीं हु, मेरा पूरा फोकस अभी पेरिस के फैशन वीक पर है और मुझे अभी अपने करिअर पर फोकस करना है” श्रेया ने अपने पेरेंट्स से कहा और उन्होंने फिर एकांश के पेरेंट्स को देखा
“ठीक है अगर यही तुम दोनों की मर्जी है तो फिर हमलोग कौन होते है तुम्हें फोर्स करने वाले जैसी तुमदोनों की मर्जी” एकांश के पापा ने स्माइल के साथ कहा जिसपर श्रेया भी अब थोड़ी खुश हो गई थी वही एकांश ने अपनी मा को देखा जो थोड़ी उदास थी
“आप इतनी उदास क्यू लग रही है मॉम?” एकांश ने उनके सामने खड़े होकर पूछा और फिर आगे बोला “ओह समझ गया, मुझे दोबारा अक्षिता से दूर रखने का चांस मिस हो गया इसीलिए” एकांश ने कहा
अब चौकने की बारी एकांश की मा की थी वही अमर के अलावा बाकी सभी वहा कन्फ्यूज़ लग रहे थे
“तुम ये क्या कह रहे हो एकांश?”
“मॉम, मैं ना थक गया हु और अब मुझमे जरा बिह पैशन्स नहीं बचा है और आज मुझे हर कीमत पर जवाब चाहिए” एकांश ने वापिस से रुडली कहा
“तुम किस बारे मे बात कर रहे हो कौनसे जवाब” उसकी मा ने कहा वही बाकी सब लोग वह शॉक और कन्फ्यूज़ खड़े थे क्युकी आज से पहले कीसी ने भी एकांश को अपनी मा से इस टोन मे बात करते नहीं सुना था
“अक्षिता के बारे मे” एकांश ने कहा और उसकी मा का चेहरा सफेद पड गया था “अक्षिता कहा है मॉम” एकांश ने आगे पूछा वही उसकी मा चुप चाप नीचे देखते हुए खड़ी थी
“मॉम बताओ कहा है वो, उसने जॉब से रिजाइन कर दिया है उसका घर बंद है वो चली गई है तो अब और मेरा पैशन्स टेस्ट मत करो और बताओ” एकांश ने कहा वही उसकी बात से उसकी मा भी थोड़ा चौकी थी
“मुझे कुछ नहीं पता है”
“मॉम प्लीज बात दो कहा है वो? मुझे बात करनी है उससे, आपने उसे जाने के लिए कहा?” एकांश ने उनके हाथ पकड़ कर उनसे पूछा
“नहीं एकांश, मैं ऐसा क्यू करूंगी” उन्होंने कहा, अब उनकी आँखों मे भी पानी था
“क्युकी आप नहीं चाहती के हम दोनों साथ रहे” एकांश ने चिल्ला कर कहा
“एकांश! तुम अपनी मा से इस आवाज मे बात नहीं कर सकते, और बात क्या है वो बताओ पहले” एकांश के पिता ने कहा
“मॉम, आज मुझे सच जानना है, आप अक्षिता को जानती है ना?”
“हा” उन्होंने आँखों मे आँसू लिए कहा
“आप उसको पहले से जानती है ना, मेरी अससिस्टेंट बनने के पहले से?” एकांश ने आगे पूछा और उन्होंने नीचे देखते हुए बस हा मे गर्दन हिला दी एकांश ने अपने हाथों की मुट्ठीया भींच ली और वो अपने अंदर उबलते गुस्से को कंट्रोल करने मे लगा हुआ था
“आप उसे कैसे जानती है?” एकांश ने अगला सवाल किया
“मैं उससे बस एक बार मिली हु” उन्होंने ऊपर एकांश को देखते हुए कहा और अब उनके गालों से आँसू बह रहे थे
एकांश अपनी मा को इस तरह हर्ट करके ये बात नहीं करना चाहता था लेकिन इस वक्त ये उनके दिल मे उठ रहे दर्द के आगे कुछ नहीं था
“तो आप मिली थी उससे... आपही ने उसे जाने के लिए कहा था? आपकी ही वजह से उसने मेरे साथ ब्रेकअप किया था??” एकांश का आवाज वापिस चढ़ने लगा था
“नहीं! नहीं नहीं, एकांश ये सच नहीं है” उन्होंने कहा लेकिन एकांश ने ये बात सुनी ही नहीं
“आप मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकती है मॉम, आप जानती है मैं उससे कितना प्यार करता था और जब वो मुझे छोड़ कर चली गई थी तब मेरी क्या हालत थी” अब एकांश भी रोने लगा था
“एकांश अपने आप को संभालो बेटा, मुझे बताओ क्या हुआ है” एकांश ने पिताजी ने उसे शांत करने की कोशिश की
“आइ लव हर पापा, वो चली गई है मुझे छोड़ कर, मैं उसके बिना नहीं रह सकता” एकांश अपने पिता के गले लग रो रहा था
वहा मौजूद कीसी से भी एकांश की हालत नहीं देखि जा रही थी, रोहन और स्वरा ने भी एकदूसरे को देखा था क्युकी उनदोनों को भी उस पार्टी के बाद क्या हो रहा है इसका आइडीया हो गया था
“एकांश बेटा, मेरी बात सुनो, मैं जानती थी अक्षिता को मैं मिली भी थी उससे लेकिन उसके तुमसे अलग होने मे मेरा कोई हाथ नहीं है” एकांश की मा ने उसे समझाना चाहा और एकांश ने उन्हे देखा, उसकी आंखे उन्हे दोषी ठहर रही थी
“मेरा यकीन करो बेटा”
“अगर इस सब के पीछे आप नहीं है तो फिर और क्या रीज़न है?’ एकांश ने अपने आँसू पोंछते हुए पूछा
“मुझे नहीं पता” उन्होंने कहा लेकिन एकांश से नजरे नहीं मिलाई
“आप झूठ बोल रही है, आप अक्षिता से मिली थी, आप ही ने उसे मेरी जिंदगी से मुझसे दूर जाने के लिए कहा और इसीलिए उसने उस दिन मुझसे कहा था के वो मुझसे प्यार नहीं करती और मुझे छोड़ गई थी और आज भी वो रिजाइन करके सबकुछ छोड़ छाड़ के चली गई है और आज की आपको मेरी श्रेया के साथ शादी करवाने का खयाल आया?” एकांश ने गुस्से मे चीख कर कहा
“और ये सब कोई इत्तेफाक नहीं हो सकता मॉम” एकांश के गुस्से को देख सब जहा थे जम गए थे वही उसकी मा अब भी उससे नजरे नहीं मिला रही थी और वो भी रो रही थी
“साधना ये सब क्या हो रहा है? एकांश जो कह रहा है क्या वो सच है? जवाब दो साधना अपने बेटे को देखो टूट गया है वो” एकांश ने पिता ने कहा लेकिन उसकी मा वैसी ही रोती हुई खड़ी रही
“मॉम प्लीज बताइए मुझे”
“मैं नहीं बता सकती” उन्होंने धीमी आवाज मे कहा
“क्यू”
“मैं कुछ नहीं बता सकती बस इतना कह सकती हु के अक्षिता के जाने के लिए ना मैं तब जिम्मेदार थी ना अब हु”
“झूठ, एक और झूठ लेकिन आज मैं बस सच सुनने के मूड मे हु” एकांश ने कहा
“यही सच है एकांश”
“तो मुझे बताइए आप उस दूँ अक्षिता से क्यू मिली थी और उसने मुझसे ब्रेकअप क्यू किया था?”
“एकांश मैं सच कह रही हु मेरा यकीन करो बेटा, मेरा तुम्हारे और अक्षिता के ब्रेकअप से कुछ लेना देना नहीं है मैं उससे उस घटना के एक महीने बाद मिली थी” अब एकांश की मा का भी आवाज चढ़ने लगा था
“तो उसने मेरे साथ ब्रेकअप क्यू किया था?” एकांश ने पूछा लेकिन वो चुप रही, “मॉम, आप उससे क्यू मिली थी?” एकांश ने पूछा और उन्होंने एक लंबी सास छोड़ी
“जब तुमने मुझे बताया था के तुम कीसी से प्यार करते की कीसी को पसंद करते हो तब मैं बहुत खुश थी एकांश, हा पहले मझे तुम्हारे पापा की चिंता थी के वो इस बारे मे क्या कहेंगे लेकिन जब मैंने तुम्हारी आँखों मे खुशी देखि तो उसके आगे बाकी सब फीका था और फिर अचानक मैंने तुम्हें टूटते हुए देखा, तुम्हारा ब्रेकअप होने के बाद तुम टूट से गए थे लग रहा था मानो तुम्हारे शरीर से प्राण खिच लिए गए हो, पहले मुझे लगा के तुम कुछ दिनों मे ठीक हो जाओगे लेकिन तुम्हारी हालत और भी खराब हो रही थी तुमने कीसी से भी मिलना बात करना ही बंद कर दिया था बस अपने कमरे मे रहते थे और ये मुझसे नहीं देखा जा रहा था इसीलिए मैंने उससे मिलने का फैसला लिया था जिसकी वजह से ये सब हो रहा था, मैंने उसका पता निकलवाया था और इसीलिए उससे मिली थी” उन्होंने एकांश के गालों को अपने हाथों मे थामते हुए उससे कहा
“फिर? क्या हुआ आगे?”
“इससे आगे मैं नहीं बता सकती बेटे प्लीज मुझसे मत पूछो” उन्होंने एकांश से दूर सरकते हुए कहा
“क्यू? आप पूरी बात क्यू नहीं बता सकती?” एकांश ने वापिस फ्रस्ट्रैशन मे चिल्ला कर सवाल किया
“क्युकी मैंने उससे वादा किया है के मैं इस बारे मे तुम्हें कुछ नहीं बताऊँगी” साधनाजी ने भी चिल्ला कर कहा
“वादा?? मॉम मुझे कुछ नहीं सुनना है मुझे बस आज पूरी बात जननी है, कौनसा वादा कैसा वादा क्या वादा लिया था उसने और आपने उसे कुछ नहीं कहा?” एकांश वापिस चीखा
सभी लोग जहा थे वही जम गए थे और ये सारा सीन देख रहे थे, अमर तो स्तब्ध सा खड़ा था वही रोहन और स्वरा टेंशन मे थे के अगर एकांश ने उनसे पुछ लिया तो वो क्या करेंगे
“एकांश बेटा प्लीज मुझसे कुछ मत पूछो” साधनाजी ने अपने दोनों हाथों से अपना मुह छिपाते हुए कहा
“नहीं मॉम आज आपको बताना ही होगा”
“मैं नहीं बता सकती”
एकांश को समझ नहीं आ रहा था के क्या करे उसने फ्रस्ट्रैशन मे वहा रखे कांच के vase पर हाथ दे मार जो शीशे के टूटने के आवाज के साथ चकनाचूर हो गया, थोड़ी चोट एकांश के हाथ पर भी लगी और जब वहा मौजूद लोग उसकी ओर बढ़ने लगे तब
“नहीं! कोई मेरे पास नहीं आएगा”
स्वरा ने पनियाई आँखों से रोहन को देखा और उसे कुछ इशारा किया और वो एकांश की ओर बढ़ी और एकांश के सामने जाकर रुकी और एकांश ने उसे देखा, तब तक घर का एक मौकार फर्स्ट ऐड ले आया था स्वरा ने एकांश के साथ से खून साफ करना शुरू किया
“अक्षिता कभी नहीं चाहती के आपको कोई तकलीफ हो” स्वरा ने एकांश की आँखों मे देखते हुए कहा और उसके हाथ पर पट्टी बांध दी और वो बस उसे ही देख रहा था
“तुम भी सब कुछ जानती हो ना? उसके जाने के पीछे का रीज़न?” एकांश ने पूछा और स्वरा ने बस हा मे गर्दन हिला दी
“तो बताओ फिर” एकांश ने उम्मीद से पूछा
“हम नहीं बता सकते” रोहन ने कहा और उसकी इस बात पर एकांश हसा
“समझ गया! उसने तुम लोगों से भी वादा लिया होगा ना, ठीक है”
“वो नहीं चाहती के आपकोसच पता चले” स्वरा ने कहा
“ओके, लेकिन मैं तो पता करके रहूँगा और वो भी आज ही” इतना बोल कर एकांश अपनी मा की ओर बढ़ा
“आप उससे वादा किया है ना मॉम” एकांश ने पूछा और साधनाजी ने हा मे गर्दन हिलाई और एकांश ने उनका हाथ पकड़ा और उठा कर अपने सर पर रखा
“आपको मेरे सर की कसम है मॉम आप मुझे सब कुछ सच बताएंगी, आप आप पर है वादा निभाना है या बेटे को खोना है” एकांश ने कहा और उसकी बात सुन सभी लोग वहा एकदम शॉक थे
“एकांश! पागल हो गए हो क्या?” साधनाजी चीखी और उन्होंने अपना हाथ एकांश के सर से हटाया
“हा ऐसा हि कुछ समझ लो अब ये आपके ऊपर है या तो अक्षिता से किया वादा तोडो या अपने बेरे के सर ली कसम” एकांश ने कहा
“तुम सच नहीं सुन पाओगे बेटा” बोलते हुए साधनाजी की आँखों से आँसू की बंद गिरी
एकांश का दिल जोरों से धडक रहा था
“मैं फिर भी सुनना चाहता हु मॉम”
“ठीक है”
रोहन ने स्वरा का हाथ पकड़ लिया था वही अमर और श्रेया अब क्या नया खुलासा होने वाला है इसपर कान टिकाए थे ये उनके दोस्त की लव स्टोरी का मामला था वही बाकी सब भी क्या बात है जानने के बेचैन थे
साधनाजी ने एक गहरी सास ली, अपनी आंखे बंद की और वो बात बोल ही दी जो एकांश की दुनिया हिलाने वाली थी
“वो मरने वाली है और वो नहीं चाहती थी ये बात तुम्हें कभी पता चले........”
क्रमश:
Vo writer hi kya jo apni kalam se har us mahol ko feel na karva sake. Aap ki skil to la jawab hai magar jo update padha uske bad dill bahot dukhi bhi ho gaya. But amezing update.Update 21
जैसे ही एकांश को अक्षिता के बारे मे पता चला वो एकदम से सुन्न हो गया था मानो उसके आजू बाजू का सबकुछ सभी लोग उसके लिए एकदम साइलन्ट मोड मे चले गए हो, उसका दिमाग इस बात को प्रोसेस ही नहीं कर पा रहा था, वो जानता था के कुछ तो गलत है उसका दिल उससे कह रहा था के कुछ बुरा होने वाला है लेकिन अब जब सच सामने था तो उसे पचा पान एकांश के लिए आसान नहीं था, एकांश को अब भी अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था उसका गला सुख सा गया था
“नहीं ये सच नहीं है... ये सच नहीं है” एकांश ने ना मे गर्दन हिलाने हुए अपने आप से कहा
वहा मौजूद सभी की निगहे बस एकांश की तरफ थी
“नहीं ये नहीं हो सकता...” एकांश ने फिर एक बार जोर से अपनी गर्दन ना मे हिलाते हुए कहा
“एकांश...” अमर उसे संभालने उसकी ओर बढ़ा
“नहीं! आप अभी भी झूठ बोल रही हो वो नहीं........” एकांश चिल्लाया “मॉम प्लीज सच बताइए” एकांश के लिए यकीन करना मुश्किल था उसने हाथ जोड़े वापिस पूछा
“यही सच बेटा”
“नहीं!! आप झूठ बोल रही है... आपने.... आपने कहा था ना आप सच नहीं बता सकती? इसीलिए झूठ बोल रही हो ना?”
साधना जी ने अपने बेटे को देखा और ना मे गर्दन हिला दी
“नहीं!! नहीं नहीं नहीं.... ये नहीं हो सकता... वो नहीं मर सकती... वो मुझे छोड़ के नहीं जा सकती...”
एकांश ने रोहन और स्वरा को देखा जो वही था जहा रोहन अपनी भावनाओ को कंट्रोल करने की कोशिश कर रहा था और नीचे की ओर देख रहा था वही स्वरा अपने आँसुओ को नहीं रोक पाई थी
“रोहन, स्वरा ये सब झूठ है ना?”
उन दोनों ने एकांश की ओर देखा और फिर रोहन वापिस नीचे देखने लगा वही स्वरा ने अपने नजरे फेर ली
“बोलो ये सब झूठ है ना!!!” एकांश ने वापिस चीख कर पूछा
“ये सच है” रोहन ने कांपती आवाज मे कहा, एकांश ने स्वरा की ओर देखा तो उसने भी अपनी मुंडी हा मे हिला दी और अपने हाथों से अपना चेहरा ढके जोर से रोने लगी
“नहीं!!” एकांश चिल्लाया
“एकांश भाई संभाल अपने आप को” अमर ने उसे शांत कराने की कोशिश की
एकांश एकदम से चुप हो गया था उसे कुछ फ़ील नहीं हो रहा था, वो बस सुन्न हो गया था दिमाग ने शरीर से मानो रीऐक्टोर करना ही बंद कर दिया था
उसका दिमाग अब भी इस सच को प्रोसेस करने की कोशिश कर रहा था.. सच सामने था लेकिन एकांश उसे मानना नहीं चाहता था
एकांश जहा था वही सुन्न सा खड़ा था और उसकी हालत ठीक नहीं लग रही है, काफी बड़ा झटका था ये उसके लिए खास तौर पर तब जब उसे ये लगने लगा था के अक्षिता उसकी जिंदगी मे वापिस आ रही है वही अब वहा मौजूद सबको उसकी चिंता होने लगी थी
“एकांश”
“बेटा”
“भाई”
“सर”
“एकांश”
एकांश कीसी को भी रीस्पान्स नहीं दे रहा था
“एकांश!!” अमर ने एकांश को कंधे से पकड़ कर हिलाया
अब जाकर एकांश की तंद्री टूटी उसने अपने सामने अमर को देखा जो चिंतित नजरों से उसे ही देख रहा था फिर उसने अपनी मा को देखा और उनके पास गया
“क्या हुआ है उसे?” एकांश ने बगैर कीसी ईमोशन के सपाट आवाज मे पूछा
“पता नहीं”
“वापिस झूठ बोल रही हो ना मॉम?”
“नहीं बेटा, मुझे सच मे नहीं पता, जब मैं उससे मिली थी तब उसने ऐसे जताया था जैसे तुम दोनों के बीच कभी कुछ था ही नहीं, मुझे काफी गुस्सा आया था और तुम्हारी फीलिंगस से खेलने के लिए मैंने उसे काफी कुछ सुना दिया था.. मुझे मेरा बेटा पहले जैसा चाहिए था.. यहा तक के मैंने उसे बर्बाद करने की धमकी तक दे दी थी लेकिन वो बगैर कुछ बोले वही खड़ी रही थी, मैंने उसे तुम्हारे बारे मे बताया था तुम्हारी जिंदगी मे उसे वापिस लाने उसके सामने हाथ भी जोड़े थे” साधनाजी सब रोते हुए बोल रही रही, “उसने बस एक ही बात कही जिसने मुझे हिला कर रख दिया, उसके कहा के उसके पास वक्त नहीं है she is dying और वो नहीं चाहती थी के ये बात तुम्हें पता चले क्युकी वो जानती थी के तुम ये बात बर्दाश्त नहीं कर पाओगे और उसके साथ साथ तुम्हारी जिंदगी भी बर्बाद होगी... उसने मुझसे तुम्हें कुछ ना बताने का वादा लिया और जब मैंने उससे उसकी बीमारी के बारे मे पूछा तो वो बगैर कुछ बोले बस मुस्कुरा कर चली गई और जाते जाते इतना बोल गई के मैं तुम्हारा खयाल रखू, मैंने उसके बाद उससे मिलने की बहुत कोशिश की लेकिन कभी उससे नहीं मिल पाई” साधनाजी ने रोते हुए कहा वही एकांश ने अपनी आंखे बंद कर रखी थी
“हमे भी उसकी बीमारी के बारे मे कुछ समय पहले ही पता चला आपके ऑफिस टेकओवर करने के बाद हमने जब भी उससे इस बारे मे बात करने की कोशिश की उसने हमेशा बात टाल दी बस कहती थी वो जल्द ही ठीक होने वाली है” रोहन ने एकांश के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा
“मैंने उससे कई बार उसकी तबीयत के बारे मे पूछने की कोशिश की, उसकी बीमारी, उसकी ट्रीट्मन्ट लेकिन उसने हमेशा ये बाते टाल दी, उसकी ममी पापा से भी पूछा लेकिन वो अलग ही परिवार है कोई कुछ नहीं बोला बस अपने मे ही सिमटे रहे, और जब वो मेरे सवालों से परेशान हो गई तो उसने मुझे कसम दे दी की मैं इस बारे मे उससे कोई बात ना करू, कहती थी ट्रीट्मन्ट चल रहा है वो ठीक है”
उन लोगों ने जो जो कहा एकांश ने सबकुछ सुना और उसे ये तो समझ आ गया के अक्षिता अपनी तकलीफ मे कीसी को भागीदार नहीं बनाना चाहती थी, उसे अक्षिता को देखना था, अपनी बाहों मे लेकर आश्वस्त करना था के वो सब ठीक कर देगा, वो उससे पूछना चाहता था के वो ठीक है ना, उसे सपोर्ट करना था, उसे बचाने के लिए कीसी भी हद तक जाने को तयार था, लेकिन सब मे से वो अभी कुछ नहीं कर सकता था, उसने उसे दोबारा खो दिया था और उससे भी ज्यादा तकलीफ देने वाला खयाल ये था के उसका प्यार उससे कही दूर मौत से जूझ रहा था और वो कुछ नहीं कर पा रहा था
अक्षिता के मरने का खयाल ही एकांश के दिल के टुकड़े करने काफी था, एकांश हार गया था, उससे खड़ा भी नहीं रहा जा रहा था पैरो मे जैसे जान ही नहीं थी और वो अपने घुटनों के बल नीचे बैठा या यू कहो के गिर बैठा, निराश, हेल्पलेस, रोते हुए, और यही कुछ ना कर पाने की भावना उसे और फ्रस्ट्रैट कर रही थी...
एकांश को इस कदर टूट कर बिखरते हुए उसके दोस्त उसके घरवाले देख रहे थे, उसे ऐसे देख उन्हे भी अच्छा नहीं लग रहा था लेकिन वो कुछ नहीं कर पा रहे थे, एकांश इस वक्त जिस मानस्तिथि मे था वो सोच भी नहीं पा रहे थे
एकांश अक्षिता के बारे मे उसकी कन्डिशन के बारे मे सोचते हुए रोए जा रहा था, उसे खोने का डर उसके मरने की खबर का दुख एकांश के रोने को और बढ़ा रहा था वो अक्षिता का नाम चिल्ला कर रो रहा था वही बाकी सभी लोग उसे शांत कराने मे लगे हुए थे
एकांश इस वक्त जिस दर्द मे था वो कोई नहीं समझ सकता था और उसका ये दर्द अब दिन बा दिन बढ़ने वाला था,
एकांश को आज सच जानना था अक्षिता के साथ एक नया सफर शुरू करना था लेकिन उसे ये नहीं पता था के वो सच उसे इतनी तकलीफ देगा, ऐसे सच का सामना तो एकांश ने अपने बुरे से बुरे सपने मे भी नहीं सोचा था
उसकी मा उसके पास बैठ कर उसकी पीठ सहला रही थी, वो भी जानती थी के इस दर्द से इतनी जल्दी राहत नहीं मिलने वाली थी, वो जानती थी के सच एकांश नहीं सह पाएगा इसीलिए उनको वो बात छिपानी पड़ी थी और आज उनके लिए अपने बेटे को इस हाल मे देखना मुश्किल हो रहा था
दूसरी तरफ अमर के दिमाग मे ये चल रहा था के सच का पीछा कर उसने ठीक किया या गलत, एकांश को सच जाने मजबूर करना क्या सही था क्युकी उसका दोस्त भले ही दिल टूटा आशिक था लेकिन ठीक था और उसकी हालत अमर से नहीं देखि जा रही थी
रोहन और स्वरा एकदूसरे को देख रहे थे, पार्टी के बाद जब स्वरा के सवालों मे जवाब मे अक्षिता ने उन्हे अपने और एकांश के बारे मे सब बताया था और ये भी के एकांश सच बर्दाश्त नहीं कर पाएगा, वो टूट जाएगा और इसीलिए अक्षिता उसे कुछ नहीं बताना चाहती थी
श्रेया को तो समझ नहीं आ रहा था के क्या हुआ है, उसने कभी एकांश को ऐसे नहीं देखा और वो एकदूसरे को इतना चाहते है के उसने प्यार प्यार कुरवां किया और ये उसके लिए रो रहा था
एकांश के अंदर इस वक्त कई फीलिंगस थी, डर था गुस्सा था निराशा थी, प्यार था... आसू रुक नहीं रहे थे दिमाग मे बस ये बात चल रही थी के इतने दिनों से वो उसके सामने थी फिर भी वो ये बात नहीं समझ पाया था
उसकी सास फूलने लगी थी, अक्षिता की बीमारी के बारे मे उसकी तबीयत के बारे मे सोच कर दिल मे टीस उठ रही थी, एकांश का शरीर कपकपा रहा था, मुह से शब्द नहीं निकल रहे थे और वो अचानक उठ खड़ा हुआ और सीधा अपने रूम की ओर भागा और थड़ की आवाज के साथ दरवाजा बंद कर दिया
उसके मा बाप को ये डर सताने लगा था के एकांश अपने साथ कुछ गलत ना कर ले लेकिन अमर जानता था के उसका दोस्त टूटा जरूर है लेकिन इतना कमजोर नहीं के खुद के साथ कुछ कर ले
“उसे अकेला रहने दो कुछ वक्त लगेगा अंकल” अमर ने एकांश के पिताजी से कहा
एकांश के चीखने की अवजे रूम के बाहर आ रही थी चीज़े के टूटने की आवाज भी आ रही थी, जोर जोर से दिमार पर कुछ मारने का आवाज आ रहा था लेकिन कीसी ने एकांश को अभी नहीं रोका, ये दर्द बाहर आना जरूरी था
एक एक कर मेहता फॅमिली, अमर वहा से चले गए, रोहन और स्वरा भी निकल गए थे लेकिन सब के मन मे एक डर था के कही एकांश अपने आप को चोट ना पहुचा ले... एकांश के मा बाप कुछ वक्त तक एकांश के कमरे के बाहर उसके बाहर आने का इंतजार करते रहे फिर वो भी अपने कमरे मे चले गए....
क्रमश:
Ansh ki esi halat dekhi nahi ja rahi yaar. Jaldi use milva do. Amezing update.Update 22
रघुवंशी परिवार अपने एकलौते बेटे के लिए परेशान था, उसका बेटा उनकी खुशी था गुरूर था जिसने अपने आप को सच जानने के बाद से ही अपने कमरे मे बंद करके रखा हुआ था, आज तीन दिन बीत चुके थे जब एकांश को सच पता चला था और वो इन तीन दिनों से अपने कमरे मे बंद था, घरवालों ने उससे बात करने की काफी कोशिश की लेकिन एकांश ने कीसी की भी बात का कोई जवाब नहीं दिया, कमरे से आती आवाजे बस उसके वहा होने का प्रमाण दे रही थी, एकांश ने एक बात भी अपने कमरे का दरवाजा नहीं खोला था, घरवालों ने दूसरी चाबी से दरवाजा खोलना चाहा लेकिन एकांश ने सबसे उसे अकेला छोड़ने कह दिया था
एकांश की मा उसे ऐसे देख रोए जा रही थी वही उसके पिताजी उन्हे संभालने मे लगे हुए थे, एकांश ने इन तीन दिनों से कुछ खाया भी नहीं था और ऑफिस जाने का तो सवाल ही नहीं था, ऑफिस का काम उसके पिताजी को देखना पड रहा था जिसमे रोहन और स्वरा उनकी मदद कर रहे थे एकांश के कई काम अधूरे थे जो अगर उसके पिताजी न देखते तो भारी नुकसान हो सकता था
अमर भी रोज एकांश से मिलने आ रहा था, उसे कमरे से बाहर निकालने की कोशिश कर रहा था लेकिन एकांश उसकी भी कीसी बात का जवाब नहीं दे रहा था, अमर कऐसे भी करके अपने दोस्त को पहले जैसे देखना चाहता था और अब वो अपने आप को ही दोष दे रहा था के शायद एकांश को सच पता ना चलता तो वो इस हाल मे ना होता, लेकिन सच जो था वो कभी ना कभी तो सामने आना ही था
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एकांश झटके के साथ नींद से जागा, उसका पूरा शरीर पसीने से तरबतर था और वो जोर जोर से हाफ रहा था, वो अक्षिता का नाम चिल्लाते हुए ही नींद से जागा था और जब उसने अपने आजू बाजू देखा तो अपने आप को अपने कमरे मे पाया और उसके ध्यान मे आया के वो बस एक बुरा सपना था, एकांश बेड के सहारे टिक कर बैठा और अपने हाथ से अपने माथे पर जमे पसीने को पोंछा
एकांश ने एक नजर खुद पर डाली और फिर आजू बाजू देखा तो पाया के वो जमीन पर ही सो गया था, उसका अपने पूरे बिखरे कमरे को देखा, आईना टूट गया था और उसके कांच के टुकड़े फर्श पर बिखरे पड़े थे, कमरे का आधे से ज्यादा सामान जमीन पर बिखरा हुआ था, अस कमरे की हालत ऐसी थी जैसे वहा भूकंप आया हो
फिर एकांश की नजर अपने बाजू मे रखी कुछ तस्वीरों पर गई, उसकी और अक्षिता की तस्वीरे, बस यही वो यादे थी जो उसके पास बची थी, उन तस्वीरों को देखते हुए उसकी आँखों से आँसू की एक बंद गिरी, वो अब भी इस सच को नहीं पचा पा रहा था के अक्षिता बस कुछ और दिनों की मेहमान है और यही सोचते हुए उसे और रोना आ रहा था
और सबसे ज्यादा तकलीफ उसे इस बात से हो रही थी के वो इस बारे मे कुछ नहीं कर पा रहा था, उसे तो ये भी नहीं पता था के अक्षिता है कहा और यही बात उसे खाए जा रही थी, इतने समय तक वो उसकी नजरों के सामने थी लेकिन वो कुछ नहीं समझ पाया था, वो उसे समझ ही नहीं पता था, उसकी बीमारी को नहीं भांप पाया था, अब उसे इस बात का भी पछतावा हो रहा था के उसने उस वक्त ही सब कुछ जानने की कोशिश क्यों नहीं नहीं, क्यू जाने दिया था उसे
सबकुछ उसकी आँखों के सामने था, वो अक्षिता की बिगड़ती सेहत को दिन बा दिन देख रहा था, उसकी चेहरे का उड़ता तेज आँखों के नीचे पड़ने वाले गड्ढे, उसकी वो लाल आंखे जैसे वो खूब रोई हो सब कुछ एकांश की आँखों के सामने था, वो तकलीफ मे थी और वो समझ नहीं पाया था, इन सब बातों को उसने इग्नोर कर दिया था और नहीं खयाल अब एकांश को तड़पा रहा था
एकांश ने अक्षिता की तस्वीर को देखा जिसमे वो कैमरा मे देख मुस्कुरा रही थी, एकांश उस तस्वीर मे अक्षिता की आँखों की चमक उसके चेहरे से झलकती खुशी को देख रहा था, वो अक्सर सोचता था के जब अक्षिता ने उससे कहा था के वो उससे प्यार नहीं करती तो क्या उनके साथ बिताए वो सभी लम्हे झूठ थे? वो किस झूठी थी? उसके कुछ फीलिंगस नहीं थी? वो सभी यादे झूठी थी?
आज उसके पास जवाब था, वो सबकुछ सच था, हर एक पल झूठ था तो बस एक के अक्षिता उससे प्यार नहीं करती,
एकांश ने अपना चोटिल हाथ जमीन पर दे मारा जब उसके ध्यान मे आया के उसके बताए काम की वजह से अक्षिता को बेहोश होना पड़ा था, वो तब तक अपना हाथ जमीन पर मारता रहा जब तक उसमे से खून नहीं निकलने लगा
‘मुझे उस वक्त ही उसका यकीन ही करना चाहिए था’ एकांश ने अपने आप से कहा
‘जब वो मेरी जिंदगी से गई थी मुझे तब ही सच जानने की कोशिश करनी चाहिए थी’
‘अब क्या करू? क्या करू मैं अब वो वापिस कही चली गई है, कहा खोजू उसे? कैसे ढूंढू? मैं कुछ नहीं कर सकता अब’ एकांश अपने आप पर ही चिढ़ने लगा था
‘आइ एम सॉरी अक्षु मुझे माफ कर दो लेकिन प्लीज वापिस आ जाओ’ एकांश ने अक्षिता की तस्वीर को देखते हुए कहा
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“हैलो”
“हैलो अमर बेटा”
“हा आंटी, बोलिए सब ठीक?”
“जब तक एकांश सही नहीं होगा कुछ ठीक कैसे हो सकता है बेटा”
“मैं समझता हु आंटी, वो अब भी कमरे मे ही है ना? वो फोन का भी जवाब नहीं दे रहा है, मैं घर ही आ रहा हु”
“प्लीज आ जाओ, मैं उसे ऐसे नहीं देख सकती अमर, वो अपने आप को ही चोट ना पहुचा दे”
“डोन्ट वरी आंटी मैं करता हु कुछ”
“थैंक यू बेटा’
जिसके बाद फोन कट गया और अमर कुछ सोचने लगा
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अमर ने अपने कार रोकी और बिल्डिंग के अंदर आया, उसने अंदर देखा तो सभी लोग अपने अपने काम मे बिजी थे, अमर थोड़ा और आगे बढ़ा और उन लोगों को देखने लगा जिनके लिए वो वहा आया था और वो उसे मिल भी गए
अमर अभी एकांश के ऑफिस मे आया हुआ था और वो रोहन और स्वरा को देख रहा था, तभी उसे स्वरा का आवाज आया जो कीसी से काम के बारे मे बात कर रही थी
“स्वरा..”
“अमर?” स्वरा अमर वो इस वक्त वहा देख थोड़ा चौकी तब तक अमर उसके पास आ गया था
“रोहन कहा है?”
“वो कीसी प्रेज़न्टैशन पर काम कर रहा है, क्यू?”
“एकांश के बारे मे बात करनी है” अमर ने कहा
“सर के बारे मे? क्या हुआ है उन्हे? वो ठीक है?” स्वरा ने चिंतित होते हुए पूछा, एकांश की हालत खराब है इसका तो उनको अंदाजा था लेकिन उस दिन उनके एकांश के घर से आने के बाद क्या हुआ ये उन्हे नहीं पता था, उन दोनों की बात सुन वहा मौजूद ऑफिस के कुछ लोगों ने उन्हे देखा जिसे उन दोनों ने ही इग्नोर कर दिया
“तुमने उससे कान्टैक्ट करने की कोशिश की?” अमर ने पूछा के अगर स्वरा का अक्षिता से कोई कान्टैक्ट हुआ हो तो..
“हा लेकिन उसका फोन बंद आ रहा है, उसके पेरेंट्स का फोन भी बंद है, मैंने उसे ईमेल किया लेकिन कोई जवाब नहीं आया, उसने अपने सभी सोशल मीडिया अकाउंट भी बंद कर दिए है” स्वरा ने कहा और जैसा अमर को अंदाज था उसे निराशा ही मिली
“क्या हो रहा है?” रोहन ने अमर को वहा देखा तो उनके पास आते हुए पूछा
“वो एकांश सर...” स्वरा ने बताना चाहा
“क्या हुआ है उन्हे?”
“उसने अपने आप को तीन दिन से कमरे मे बंद कर लिया है, कीसी की भी कीसी भी बात का कोई जवाब नहीं दे रहा है” अमर ने बताया
अब इसपर क्या बोले ये रोहन और स्वरा दोनों को ही समझ नहीं आ रहा था... और तबही स्वरा के दिमाग मे कुछ आया... उसने रोहन और अमर को देखा फिर अपने कलीग को कुछ काम बता कर बोली
“चलो...” स्वरा ने अपने फोन और पर्स लेते हुए कहा
“लेकिन कहा?”
“बॉस को कमरे से बाहर निकालने..” और इतना बोल स्वरा वहा से निकल गई और उसके पीछे पीछे रोहन और अमर भी...
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वो तीनों एकांश के घर पहुचे तो वहा अलग ही उदासी भरा महोल था...
अमर उन दोनों दो एकांश के रूम तक ले आया था फिर स्वरा ने रोहन को देखा जिसने रूम का दरवाजा खटखटाया लेकिन कोई रीस्पान्स नहीं आया
“सर?” रोहन ने आवाज दी लेकिन कोई रीस्पान्स नहीं मिला
“रोहन थोड़ा जोर से बोलो न” स्वरा ने कहा
“सर, मैं रोहन प्लीज दरवाजा खोलिए हमे आपने जरूरी बात करनी है” रोहन ने कहा जिसके बाद फिर से वहा शांती छा गई
“सर प्लीज, दरवाजा खोलिए जरूरी बात करनी है वरना भारी नुकसान हो सकता है” रोहन ने वापिस बहाना बनाया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ और अब स्वरा आगे आई और उसने एक लंबी सास ली
“सर, मैं स्वरा प्लीज दरवाजा खोलिए...” लेकिन सैम रिजल्ट
“सर, आपको पता है अक्षु आपके बारे मे क्या कहती थी....” और ये छोड़ा स्वरा ने तीर, वो जानती थी एकांश उन्हे सुन रहा था तो उसने आगे बोलना शुरू किया
“वो कहती थी के आपके साथ बिताए पल उसकी जिंदगी की सबसे खूबसूरत याद है, आपके उसकी जिंदगी मे आने के बाद उसके प्यार का मतलब सीखा था,” स्वरा ने अक्षिता की बात को याद करते हुए कहा जब उसने अक्षिता से उसके और एकांश के बारे मे पूछा था
सब लोग शांति से स्वरा को सुन रहे थे और ये भी जानते थे के एकांश भी सुन रहा है
“वो आपसे बहुत प्यार करती है और हमेशा करती रहेगी और इसी प्यार की वजह से ही उसे आपसे दूर होना पड़ा है” स्वरा ने कहा और उन्हे एकांश के दरवाजे तक आने का आवाज आया
“आप जानते है उसने आपने तब और अब दूरी क्यू बनाई?’ स्वरा बोलते हए रुकी ताकि एकांश कुछ रीस्पान्स दे लेकिन वो कुछ नहीं बोला तब उसने आगे कहा
“इसीलिए नहीं क्युकी वो आपसे प्यार नहीं करती बल्कि इसलिए क्युकी वो आपसे बहुतउ प्यार करती है, वो जानती है आपके लिए वो क्या मायने रखती है, उसे पता था के आज इस सच का सामना नहीं कर पाएंगे, वो जानती थी के उसके जाने के बाद उसकी यादों मे आप अपनी जिंदगी तबाह कर लेंगे, कहती थी कुछ पल की नफरत से आप जिंदगी मे कमसे कम आगे तो बढ़ेंगे लेकिन सच आपको तोड़ के रख देगा, जब मैंने उसे आपको सब सच बताने कहा था तब उसकी कहा था के आप सच बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे” स्वरा ने कहा और बोलते हुए उसकी स्वज टूट रही थी...
“अक्षु कभी नहीं चाहती थी के आपको सच जान कर तकलीफ हो, अगर उसको आपकी इन हालत का पता चला तो वो इसका दोष भी अपने आप को देगी और उसकी तबीयत शायद और भी खराब हो क्या आप ये चाहते है? वो कभी नहीं चाहती के आप इस तरह अपने आप को तकलीफ दे और इसीलिए वो चली गई है और आप उसकी बात को सच साबित कर रहे है के आप सच बर्दाश्त नहीं कर सकते...” स्वरा ने कहा और तबही कमरे का दरवाजा खुला और एकांश सबके सामने था,
एकांश के कमरे का दरवाजा खुलते ही सबने राहत की सास ली लेकिन उसकी हालत देख कीसी को भी अच्छा नहीं लग रहा था, एकांश की हालत एकदम खस्ता थी, बिखरे बाद रो रो कर सूजी हुई आंखे बेढब हुए कपड़े...
और जिस बात ने उन्हे सबसे ज्यादा चौकाया वो एकांश के हाथ से बेहता खून.. क्लीन और नीट रहने वाले एकांश का कमरा पूरा बिखरा हुआ था
“एकांश....” साधनाजी ने रोते हुए अपने बेटे को लगे लगाया लेकिन एकांश कीसी बुत की तरह खड़ा रहा
“अक्षु?” एकांश ने मुह से रोहन को स्वरा को देखते हुए बस यही निकला
“हमे उसे ढूँढना होगा, हैना?” स्वरा ने कहा
“हा लेकिन कैसे?”
“बताती हु लेकिन उसके पहले कुछ और करना है.......” स्वरा ने कहा
क्रमश:
Jab koi kisi se sachi mahobbat karta hai to puri kaynat unhe milane me jut jati hai. Swara rohan sabhi ansh ke sath nikal pade. Aur hospital bilkul sahi jagah par aae hai. Pata mil hi jaega. Amezing updateUpdate 23
आपने सुना होगा के प्यार मे इंसान जो है पागल हो जाता है, प्यार आपकी पूरी दुनिया बदल देता है, प्यार ये है प्यार वो है, प्यार सख्त से सख्त इंसान को पिघला देता है वगैरा वगैरा,
अब प्यार की कहानिया पढ़ने मे बहुत ही बढ़िया लगती है लेकिन वास्तविक जीवन मे प्रेम करना आसान नहीं है और उसे निभाना तो बिल्कुल भी आसान नहीं नहीं है, अक्सर इसमे लोग टूटे दिल के साथ रह जाते है...
अपने सामने खड़े एकांश को देख रोहन यही सोच रहा था के प्यार ने इसे क्या बना दिया है, रोहन ने जब भी एकांश को देखा था उसकी पर्सनैलिटी मे एक रिचनेस था ऐरगन्स था जो की अब पूरा गायब था अब उसके सामने प्यार मे हार एक निराश बंदा खड़ा था जो अपने प्रेमी को ढूँढने के लिए कीसी भी हद से गुजरने को तयार था.. रोहन हमेशा से ही एकांश के बिजनस सेन्स से उसकी सक्सेस से उसके कन्ट्रोलिंग नेचर से उसके लोगों को हैन्डल करने के तरीके से इन्स्पायर्ड था लेकिन आज वो एकांश का एक नया रूप भी देख रहा था, उसे हमेशा लगता था के अक्षिता ने एकांश मे ऐसा क्या देखा होगा, आज उसके पास जवाब था, एकांश अक्षिता से बेहद प्यार करता था...
वही दूसरी तरफ स्वरा थी जो पहले पहले एकांश के स्वभाव से थोड़ा डरती थी उससे आंखे मिला कर बात करना उसके लिए मुश्किल होता था और जो सवाल रोहन के मन मे था वही स्वरा के मन मे भी कई बार आया था के अक्षिता ने उसमे ऐसा क्या देखा और आज उसे भी जवाब मिल गया था... उसे पता भी नहीं चला के वो जितनी केयर अक्षिता की करती थी उतनी ही एकांश की भी करने लगी थी... और वो एकांश को ऐसी बिखरी हुई हालत मे नहीं रहने देना चाहती थी, उसका दिल अक्षिता और एकांश दोनों के लिए दुख रहा था...
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“अब बताओ क्या प्लान है कैसे पता लगाना है उसका?” एकांश ने पूछा
“सब पता चलेगा तू पहले कमरे से बाहर आ...” अमर ने एकांश को हाथ पकड़ कर कमरे से बाहर निकाला और एकांश भी बाहर आया
“पहले आपकी चोट का इलाज कर ले?” स्वरा ने कहा
“आंटी आप कीसी से कह कर एकांश का कमरा साफ करवा दीजिए” अमर ने साधनाजी को देखते हुए कहा और उन्होंने भी हा मर गर्दन हिला दी
“रुको!” एकांश ने अचानक से कहा और वापिस कमरे मे गया वही बाकी लोग उसे देखने लगे
कुछ समय बाद एकांश अपने साथ अक्षिता की तस्वीरे ले आया था जो उसके कमरे मे जमीन पर पड़ी थी
“कोई भी कीसी भी उस चीज को हाथ नहीं लगाएगा जो अक्षिता से जुड़ी हुई है” एकांश ने कहा
स्वरा ने रोहन को देखा, और रोहन मुस्कुराया, जैसी हालत अक्षिता की थी वैसी ही एकांश की भी, वो उससे नाराज था लेकिन नफरत तो उसे अक्षिता से कभी हो ही नहीं पाई थी...
“चलो” इतना कह कर स्वरा एकांश के साथ नीचे आ गई थी
स्वरा ने बड़े ध्यान से एकांश की पट्टी कर दी थी वही एकांश बस अक्षिता की फोटो को देखता हुआ बैठा था.. साधनाजी ने अपने बेटे को देखा जो खोया हुआ था, और इस वक्त एकांश के चेहरे पर कोई भाव नहीं थे...
अमर एकांश के कमरे से उसके कपड़े ले आया था और एकांश के बगल मे आकार बैठा था.. उसके एकांश को देखा लेकिन एकांश का उसकी ओर ध्यान ही नहीं था.. एकांश को देख अमर को उसकी और चिंता होने लगी थी क्युकी अगर अक्षिता का पता नहीं चला तो एकांश की हालत और बिगड़ सकती थी इसका उसे डर था
“नाउ यू गो एण्ड टेक अ वॉर्म शॉवर” स्वरा ने कहा
“ठीक है लेकिन उसके बाद तुम अक्षिता को कैसे ढूँढना है बताओगी” एकांश ने कहा जिसपर स्वरा ने हा मे गर्दन हिला दी और एकांश वहा से चला गया और उसके जाते ही अमर ने पूछा
“क्या करने वाली हो, क्या प्लान है?”
“मुझे भी नहीं पता” स्वरा ने कहा
“क्या!!” अमर और रोहन एकसाथ बोले
“लेकिन बेटे जब वो बाहर आएगा तब उससे क्या कहोगी” साधनाजी ने पूछा
“एक प्लान तो है दिमाग मे लेकिन काम करेगा या नहीं पता नहीं”
“पागल हो गई हो क्या? यहा से कोई भी बात का बिगाड़ना एकांश को और तोड़ के रख देगा” अमर ने कहा
“जानती हु लेकिन कुछ तो करना है और भूलो मत मैंने ही सर को रूम मे बाहर निकाला है तुम्हारी तरह नहीं हु... यूजलेस”
“शट अप...”
अब अमर और स्वरा आपस मे भिड़ने लगे थे और ये देख कर रोहन पहले ही बीच मे बोल पड़ा
“चुप करो यार पहले ही कम टेंशन नहीं है अब लड़ कर बात मत बढ़ाओ”
रोहन की बात उन दोनों को भी जाम गई और सभी लोग अब एकांश की राह देखते सोफ़े पर बैठे थे
“सबसे पहले सर को कुछ खिलते है फिर आगे की बात करेंगे” रोहन ने कहा
कुछ देख बाद एकांश बाहर आया तो उसने देखा के सभी लोग वही बैठे उसकी राह देख रहे थे
“एकांश!” साधनाजी एकांश के पास गई और उन्होंने अपने बेटे को गले लगाया लेकिन एकांश ने कोई रीस्पान्स नहीं दिया
“एकांश चलो पहले कुछ खा लो” उन्होंने एकांश का हाथ पकड़ते हुए कहा लेकिन एकांश ने अपना हाथ उसके हाथ से छुड़ाया और अपने मा को इग्नोर करते हुए रोहन और स्वरा के पास पहुचा, वो अपनी मा से भी काफी नाराज था, यही बात अगर वो उसे डेढ़ साल पहले बता देती तो शायद... शायद आज हालत कुछ और होते... उसे अक्षिता को खोना नहीं पड़ता... एकांश के पिता की उसकी मा को शांत कराने मे लगे हुए थे...
“एकांश तूने तीन दिन से कुछ नहीं खाया है, पहले थोड़ा खाना खा ले फिर आगे बढ़ते है” अमर ने एकांश से कहा
“अभी नहीं भाई, पहले अक्षिता को ढूँढना है तुम बस बताओ क्या करना है अब” एकांश भी कम जिद्दी नहीं था
“सर ढूँढने के लिए एनर्जी भी तो चाहिए कुछ खा कर चलते है” रोहन ने कहा लेकिन एकांश ने उसे इग्नोर कर दिया, उसके दिमाग मे बस स्वरा के कहे शब्द थे के उसके पास अक्षिता को ढूँढने का प्लान है
“सर, हम पहले कुछ खा ले प्लीज, मैंने भी सुबह से कुछ नहीं खाया है” स्वरा ने कहा और एकांश ने उसको देखा और फिर नीचे देखने लगा
“सर, मैं वादा करता हु जैसे ही खाना खतम हुआ अगले ही मिनट हम आगे क्या करना है उसपर बात करेंगे” रोहन ने कहा और अब एकांश भी मान गया था
रोहन और स्वरा के साथ सभी लोग डाइनिंग टेबल पर बैठे थे और साधनाजी ने सभी को खाना सर्व किया, अपने सामने खाना देख स्वरा से कंट्रोल ही नहीं हुआ वही एकांश के पिताजी ने भी उसे कह दिया था उसे खाने मे जो भी चाहिए मिल जाएगा वही इधर एकांश ने जल्दी जल्दी खाना शुरू किया ताकि वो जल्द से जल्द अक्षिता को ढूँढने जा सके
यहा ये लोग अभी खाना खा ही रहे थे के तबही एकांश का आवाज आया
“हो गया!” एकांश ने इतनी जल्दी अपना खाना निपटाया था के स्वरा का खाना उसके गले मे ही अटक गया
“हो गया?” स्वरा ने पानी पिते हुए पूछा
“हा और अब देर ना करो और चलो” एकांश ने अपनी जगह से उठते हुए कहा
“लेकिन मेरा नहीं हुआ है” स्वरा ने कहा
“बाद मे खा लेना, चाहे हो मुझसे पार्टी ले लेना अभी चलो और बताओ आगे क्या करना है मेरा दिमाग काम नहीं कर रहा है” एकांश ने स्वरा को लगभग उसकी जगह से उठाते हुए कहा
“लेकिन...”
“बाद मे...”
अब स्वरा के पास कोई चारा नहीं था वो एकांश के साथ लिविंग रूम मे आई और उनके पीछे बाकी लोग भी अपना खाना निपटा कर आ गए थे
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सभी लोग लिविंग रूम मे बैठे थे और एकांश स्वरा और रोहन के बात शुरू करने की राह देख रहा था वही स्वरा को समझ नहीं आ रहा था के बात कहा से शुरू करे और क्या बोले रही रोहन ने स्वरा को आंखों से आगे बढ़ने का इशारा किया
“सर इन तीन दिन मे हमने काम के साथ साथ अक्षिता को ढूँढने की हर कोशिश की है लेकिन कही कुछ पता नहीं चला, ईविन रोहन ने उसके कार्ड डिटेल्स ट्रैक करने की भी कोशिश की लेकिन उसका कुछ पता नहीं चला” बोलते हुए स्वरा रुकी और उसने एकांश को देखा जो थोड़ा निराश लग रहा था
“तो अब क्या करना है?” एकांश ने कहा
“आपको वो दिन याद है जब वो ऑफिस मे बेहोश हुई थी?” स्वरा ने पूछा और एकांश ने हा मे गर्दन हिलाई थी
“वो वही अस्पताल है यह अक्षिता का ट्रीट्मन्ट चल रहा था और वो वही डॉक्टर था जिनके पास अक्षिता हमेशा जाती थी” स्वरा ने कहा और एकांश ने चौक कर उसे देखा
“हम उस अस्पताल मे जाकर बात कर सकते है क्या पता हमे कुछ क्लू मिल जाए अक्षिता के बारे मे, शायद अब भी वही उसका ट्रीट्मन्ट चल रहा हो” रोहन ने कहा और अब एकांश की नजरों मे उम्मीद की किरने नजर आने लगी थी और एकांश झट से अपनी जगह से उठा
“तो चलो फिर देर किस बात की है” एकांश ने कहा
“अभी?”
“हा अभी!” एकांश ने दरवाजे की ओर जाते हुए कहा
“लेकिन?”
“मैं जा रहा हु तुमको आना है तो ठीक वरना ना भी आओ तो चलेगा” एकांश के कहा और वो घर के बाहर चला गया
उन लोगों ने एकदूसरे को देखा, एकांश को वो अभी अकेला नहीं छोड़ सकते थे इसीलिए अमर रोहन और स्वरा झट से उसके पीछे गए...
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वो लोग अस्पताल पहुच गए थे और वहा से इंक्वैरि सेक्शन मे पहुचे
“इक्स्क्यूज़ मी क्या आप हमे अक्षिता पांडे नाम के पैशन्ट की डिटेल्स दे सकती है” स्वरा ने आराम से रीसेप्शनिस्ट से पूछा
“सॉरी मैडम, लेकिन हम पैशन्ट की इनफार्मेशन नहीं बता सकते”
“देखिए हम उसके दोस्त है, हमे बस ये जानना है के वो यह रिसेंट्लि चेकअप के लिए आई है या नहीं, प्लीज क्या आप वो बता सकती है?” रोहन ने पूछा
“सॉरी सर लेकिन हम नहीं बता सकती”
“ओके क्या हम डॉक्टर सुरेश अवस्थी से मिल सकते है?” स्वरा ने पूछा
“नहीं मैडम आप अभी उनसे नहीं मिल सकती, आपको पहले अपॉइन्ट्मन्ट लेनी होगी”
“ok, give us the appointment. Now” एकांश ने कहा
“लेकिन सर आज की सभी अपॉइन्ट्मन्टस् हो गई है”
“तो कल की दे दो” अमर ने कहा
“डॉक्टर सर बहुत बिजी है, आपको एक हफ्ता पहले अपॉइन्ट्मन्ट बुक करनी होगी” रीसेप्शनिस्ट ने कहा और अब एकांश उससे इरिटैट हो रहा था
“क्या कहा? एक हफ्ता? मुझे अभी मिलना है डॉक्टर से” एकांश ने थोड़ी उची आवाज मे कहा वही अमर उसे शांत कराने लगा वही अब वहा मौजूद लोग भी उसे देखने लगे थे
“मुझे अभी के अभी डॉक्टर से मिलना है, do you understand? जानती को कौन हु मैं? मैं एकांश रघुवंशी हो लोग लाइन लगते है मेरी अपपोइनट्स के लिए मैं नहीं...” एकांश ने कहा
“लेकिन सर डॉक्टर इस वक्त अस्पताल मे नहीं है, आप प्लीज कल आइए मैं आपकी अपॉइन्ट्मन्ट फिक्स करती हु” रीसेप्शनिस्ट भी एकांश के गुस्से से थोड़ा डर रही थी
“कल कीसी भी हालत मे डॉक्टर से मुलाकात होनी चाहिए, उनसे कहो के अपने स्केजूल मे से वक्त निकले, मैं जितनी चाहे फीस देने तयार हु” एकांश ने कहा वही सब लोग उसे ही देख रहे थे
“एकांश शांत हो जा हम कल आएंगे” अमर ने एकांश को लगभग अस्पताल से बाहर खिचते हुए कहा उसके पीछे स्वरा और रोहन भी आ गए, वो सभी उसे शांत करने मे लगे हुए थे..
और आखिर मे एकांश ने कल आने की बात मानी और अमर उसे अपने साथ घर ले आया वही रोहन और स्वरा वही से ऑफिस की ओर बढ़ गए....
क्रमश:
Chalo akshita ke bare me kuchh to pata chala. Ansh ne uske lie puri takat laga di. Akshita ko brain tumor jesi bimari hai. Par heroine hero ko nahi mili to dill tut jaega. Jaldi milao yaarUpdate 24
एकांश रात भर सो नहीं पाया था, जब से उसे अक्षिता की बीमारी का उसके मरने का पता चला था उसे रातों को बुरे सपने आते थे और अब डॉक्टर क्या बोलेगा ये सोच सोच कर वो घबरा रहा रहा था, अक्षिता के बारे मे सोच सोच कर वो अंदर ही अंदर डर रहा था
जैसे ही सुबह हुई एकांश उठ बैठा था, आज उसे अक्षिता के बारे मे पता करने अस्पताल जाना था और वो तयार होने लगा था, एकांश ने अस्पताल मे अपॉइन्ट्मन्ट कन्फर्म करने फोन किया जो की कल उसके धमकाने के बाद कन्फर्म हो ही जानी थी और रीसेप्शनिस्ट ने उसे सुबह 10 बजे वहा पहुचने का कहा, रीसेप्शनिस्ट भी उससे थोड़ा डर कर ही बात कर रही थी... उसे भी डर था के डॉक्टर शायद अपॉइन्ट्मन्ट ना दे लेकिन उस रीसेप्शनिस्ट ने एकांश की अपॉइन्ट कन्फर्म कर ली थी, डॉक्टर ने उसका नाम सुनते ही उससे मिलने के लिए हामी भरी थी, डॉक्टर को वो दिन याद था जब अक्षिता बेहोश हुई थी और एकांश की उनसे मुलाकात हुई थी
एकांश जल्दी जल्दी अपने घर से निकला, उसके पेरेंट्स उसे पुकार ही रहे थे लेकिन एकांश ने उन सब की आवाज को इग्नोर कर अपनी कार उठाई और जितनी तेज हो सकती थी चला कर वो 15 मिनट मे अस्पताल मे था, उसने अपनी कार पार्क की और अस्पताल मे आया
“आइ वॉन्ट टु मीट डॉक्टर सुरेश अवस्थी” एकांश ने अस्पताल मे अंदर आते हुए रीसेप्शनिस्ट से कहा जिसपर उसने बस एकांश को यस सर कह कर डॉक्टर के केबिन का रास्ता बता दिया और एकांश उस ओर बढ़ गया
डॉक्टर का केबिन कॉरिडर के आखिर मे बना हुआ था और केबिन के गेट कर नेम प्लेट लगी थी, डॉक्टर. सुरेश अवस्थी, एमडी, सर्जन, नुरालजिस्ट
एकांश ने नाम पढ़ते हुए दरवाजा खटखटाया
“कम इन”
डॉक्टर का आवाज सुनते ही एकांश केबिन मे इंटर हुआ,
“आइए आइए रघुवंशी एम्पायर के मालिक, द ग्रेट एकांश रघुवंशी, जिन्होंने मेरी अपॉइन्ट्मन्ट के लिए मेरे स्टाफ को धमकाया था, आइए...” डॉक्टर ने एकांश को देख तंज कसते हुए कहा लेकिन एकांश शांत रहा
“मैंने कीसी को नहीं धमकाया डॉक्टर, मैं बस अपॉइन्ट्मन्ट चाहता था लेकिन नहीं मिल रही इसीलिए....”
“इसीलिए आपने उसे डराया, और जबरदस्ती मुझसे मिलने की अपॉइन्ट्मन्ट ली... खैर जाने दीजिए बताइए ऐसी क्या बात तो जो आप मुझसे मिलने इतने उतावले थे” डॉक्टर ने अपने सामने रखी पैशन्ट फाइलस् को देखते हुए पूछा
“मुझे कुछ इनफार्मेशन चाहिए थी” एकांश ने कहा
“तो बताइए मैं क्या मदद कर सकता हु आपकी क्या जानना है आपको”
“मुझे अक्षिता पांडे के बारे मे जानना है” एकांश ने कहा लेकिन अक्षिता का नाम लेते हुए उसकी आवाज मे कंपन था, डॉक्टर ने अपने पैशन्ट का नाम सुनते ही एकांश को देखा
“अक्षिता के बारे मे?”
“जी, उसकी उसकी तबीयत के बारे मे उसकी बीमारी के बारे मे जानना है”
“मैं इस बारे मे आपको कुछ नहीं बता सकता”
“प्लीज डॉक्टर मेरा इस बारे मे जानना बहुत जरूरी है, मुझे जानना है उसे क्या हुआ है, कीस बीमारी से जूझ रही है वो” एकांश ने कहा, वो लगभग रोने ही वाला था
“क्या मैं जान सकता हु आप कौन है उसके?” डॉक्टर ने सवाल किया
मैं... वो... वैसे तो मैं अभी उसका कुछ नहीं हु डॉक्टर लेकिन वो मेरे लिए सबकुछ है, मेरी जिंदगी है और इसीलिए मेरे लिए ये सब जानना बहूत जरूरी है” एकांश ने कहा उसकी आवाज कांप रही थी और आंखे भर आई थी
डॉक्टर भी एकांश को इतना वुलनरेबल देख कर हैरान था जो एक लड़की के लिए रो रहा रहा
“आइ एम सॉरी मिस्टर रघुवंशी लेकिन मैं पैशन्ट की फॅमिली के अलावा उसके बारे मे कीसी और को नहीं बता सकता” डॉक्टर ने एकांश को समझाते हुए कहा
“प्लीज डॉक्टर बात समझिए, मैं उसे नहीं खो सकता, मुझे उसे ढूँढना है बचना है और इसके लिए मेरा ये बात जानना जरूरी है के क्या हुआ है उसे” एकांश ने एक बार को बिनती की
अब डॉक्टर को भी थोड़ा बुरा लग रहा था लेकिन वो इसमे कुछ नहीं कर सकते
“मैं आपकी बात समझ रहा हु मिस्टर रघुवंशी लेकिन मैं अस्पताल के नियमों के खिलाफ जाकर आपको कुछ नहीं बता सकता उपर से ये मेरे उसूलों के भी खिलाफ है, मुझे माफ कीजिए लेकिन मैं इस मामले मे आपकी कोई मदद नहीं कर सकता” एकांश ने कहा
एकांश ने डॉक्टर की बात सुन एक लंबी सास छोड़ी, अक्षिता के बारे मे सोचते हुए उसकी आँखों से एक आँसू की बंद टपकी, डॉक्टर भी अब मामला समझ चुका था लेकिन वो कुछ नहीं बता सकता थे, उन्होंने एकांश को सांत्वना दी और एकांश वहा से उठाया और चुप चाप चलते हुए बाहर आ गया
एकांश दीवार से अपना सर टीका कर खड़ा था और ये सोच रहा था के अब आगे क्या किया जाए, और मन ही मन ये दुआ कर रहा था के अक्षिता ठीक हो
--
एकांश अस्पताल से बाहर आकार अपनी कार से टिक कर खड़ा था और ये सोच रहा था के आगे क्या करना है, कोई रास्ता ना मिलने से अब वो फ्रस्ट्रैट हो रहा था
“सर?”
एकांश ने जैसे ही सुना उसने पलट कर देखा तो वह स्वरा और रोहन उसे चिंतित नजरों से देख रहे थे
“क्या हुआ है कुछ पता चला?” रोहन ने पूछा
“आपको अपॉइन्ट्मन्ट मिली?” स्वरा ने अगला सवाल किया
वो लोग अब एकांश के पास आ गए थे...
“मेरी बात हो गई है डॉक्टर से और उन्होंने कहा है के फॅमिली मेम्बर के अलावा वो अपने पैशन्ट की इनफार्मेशन कीसी और को नहीं दे सकते” एकांश ने हल्के गुस्से मे कहा
एकांश की बात सुन स्वरा और रोहन भी निराश हो गए थे क्युकी अक्षिता के बारे मे जानने का अभी तो यही सबसे सरल तरीका उन्हे नजर आ रहा था
“कोई और भी तो रास्ता होगा पता करने का” स्वरा ने सोचते हुए कहा और एकांश ने उसे देखा
“आइडीया” स्वरा ने अचानक कहा....
“नहीं” रोहन एकदम बोला
“क्यू?”
“स्वरा तुम्हारे आइडियास् नाम नहीं करते है और कुछ ऊटपटाँग करने का ये वक्त नहीं है मेहरबानी करके अपने दिमाग का यूज मत करो हम सोचते है कुछ” रोहन ने कहा और स्वरा ने उसे गुस्से मे घूरा
“एक बार सुन तो लो फिर कहना”
“ना सुनना भी नहीं है”
और इसीके साथ सीरीअस महोल मे वो दोनों झगड़ने लगे थे और उन दोनों की ये नोकझोंक देख एकांश अपने आप को हसने से नहीं रोक पाया और उसे हसता देख वो दोनों रुक गए
“क्या हुआ, कन्टिन्यू करो ऐसी हैरान शकले क्यू बनाई है” एकांश ने उन्हे चुप देखा तो बोला
“वो आप हस रहे थे ना तो...” रोहन बोला
“तो...?” एकांश
“वो... सर हमने आपको कभी ऐसे हसते हुए नॉर्मल इंसान जैसा नहीं देखा न तो...” स्वरा ने कहा
जिसपर एकांश ने अपनी गर्दन हिलाई
“तुम लोगों ने मुझे देखा ही कितना है अभी” एकांश ने कहा
“तो अब आगे क्या करना है सर”
“मुझे पता है आगे क्या करना है”
“मतलब”
“मतलब ये के मेरा नॉर्मल रहना काम नहीं आया तो अब बताना पड़ेगा न के एकांश रघुवंशी कौन है और वो क्या कर सकता है” एकांश ने कहा और अब स्वरा और रोहन ने अपने उस रुड बॉस को वापिस आते देखा
एकांश ने अपना फोन निकाला और कीसी को फोन लगाया
“एकांश रघुवंशी स्पीकिंग, मुझे सिटी अस्पताल के एक डॉक्टर से कुछ इनफार्मेशन चाहिए” एकांश ने कहा
“हो जाएगा, कौन डॉक्टर है?”
“डॉक्टर सुरेश अवस्थी”
जिसके बाद एकांश ने फोन काट दिया और अस्पताल को देखने लगा वही रोहन और स्वरा इस बात का इंतजार करने लगे के आगे क्या होगा
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अगले आधे घंटे मे ही अस्पताल मे अफर तफरी मैच गई थी, सारे फोन बजने लगे थे, अस्पताल के चेयरमैन बोर्ड मेम्बर, सभी अस्पताल मे आ रहे थे,
अस्पताल के सभी नर्स, वार्डबॉय, डॉक्टर, सभी लोग रीसेप्शन कर उन लोगों को रिसीव करने खड़े थे, सभी को इस अचानक वाली विज़िट का कारण जानना था....
और फिर अस्पताल मे एंट्री होती है एकांश की, फूल पावर के साथ जैसे ये अस्पताल ही उसका हो, उसके साथ साथ स्वरा और रोहन भी थे और साथ मे अस्पताल के सभी बोर्ड मेम्बर्स एकांश से बात करते हुए अंदर आ रहे थे,
वो लोग अंदर आकार डॉक्टरस् के सामने रुके, एकांश ने उन्हों देखा और वो लोग सीधे डॉक्टर सुरेश अवस्थी की ओर गए
इस सब मे भी डॉक्टर सुरेश अवस्थी अपने आप को क्षांत रखे हुए थे क्युकी वो जानते थे के वो अपनी जगह सही थे ये तो एकांश की जिद थी जो अस्पताल के सभी हाइयर अथॉरिटी के मेम्बर वहा आए थे,
“डॉक्टर अवस्थी, मिस्टर रघुवंशी जो भी जानना चाहते है प्लीज बात दीजिए उन्हे” अस्पताल के चेयरमैन ने कहा
“लेकिन सर...”
“डॉक्टर, हम आपके उसूलों की कद्र करते है लेकिन ये बात अभी ज्यादा जरूरी है, हम आपको पर्मिशन दे रहे है मिस्टर रघुवंशी जो भी जानना चाहते है उन्हे बता दीजिए”
“ठीक है, आइए मिस्टर रघुवंशी मेरे केबिन मे बात करते है” डॉक्टर अवस्थी ने हार मानते हुए कहा
एकांश ने भी हा मे गर्दन हिलाई और बगैर कीसी की ओर देखे वो डॉक्टर के पीछे उनके केबिन की ओर बढ़ गया, स्वरा और रोहन ने अस्पताल के बोर्ड मेम्बरस् को थैंक यू कहा और वो भी एकांश के पीछे हो लिए...
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“आप काफी जिद्दी है मिस्टर रघुवंशी, जो चाहिए था वो मिल रहा है आपको” डॉक्टर ने अपने केबिन मे बैठे एकांश को देखते हुए कहा
“मुझे हो चाहिए होता है वो मैं ले कर ही रहता हु डॉक्टर” एकांश ने कहा
“डॉन्ट माइन्ड डॉक्टर लेकिन सर अक्षिता को लेकर परेशान है और इसीलिए ये सब...” रोहन ने कहा
“तो बताए क्या जानना है आपको”
“उसकी सेहत के बारे मे सबकुछ”
“ठीक है”
और अब वो तीनों गौर से डॉक्टर की बात सुनने लगे
“मिस अक्षिता पांडे को ब्रैन हेमरेज है” डॉक्टर ने अपने सामने रखे सिस्टम पर देखते हुए कहा, वही उन तीनों को इसपर कैसे रीऐक्ट करे समझ नहीं आ रहा था...
“मैं आपलोगों को आसान भाषा मे बताता हु, ये एक तरह का ब्रैन स्ट्रोक है, जो दिमाग मे जो नसे होती है उनके फटने के कारण होता है, ब्रैन के एक हिस्से मे रक्त वाहिकाये काफी सूज जाती है और फटने लगती है जिससे ब्रैन मे ब्लीडिंग होने लगती है जो की काफी खतरनाक है, अब इसके कई प्रकार होते है, इस मामले मे ये इन्टरसेरेब्रल हेमरेज है यानि पैशन्ट के दिमाग मे इन्टर्नल ब्लीडिंग है, इसमे ब्रैन का एक हिस्सा सूज जाता है जिससे नसों के फटने से इन्टर्नल ब्लीडिंग होती है” बोलते हुए डॉक्टर रुके और उन तीनों को देखा, वहा रोहन के चेहरे पर दर्द के भाव थे थी स्वरा की आँखों मे पानी था और एकांश कीसी मूर्ति की तरह बैठा सब सुन रहा था
“इससे बचने के क्या चांस है डॉक्टर?” रोहन ने कांपती आवाज मे पूछा
“फिलहाल चल रही है लेकिन ये सब इन्टर्नल ब्लीडिंग पर निर्भर करता है, कई लोग इस बीमारी से बच भी जाते है लेकिन ब्लीडिंग ज्यादा हो तो बच पाना मुश्किल होता है”
“और अक्षिता की कन्डिशन कितनी सीरीअस है?” स्वरा ने पूछा और एकांश ने डॉक्टर को देखा लेकिन डॉक्टर कुछ नहीं बोल रहे थे, उनके हावभाव से साफ था के मामले काफी सीरीअस है
डॉक्टर ने उन्हे उदास होकर देखा, खास कर एकांश को को अपने आप को संभाले बैठा था और वहा हिमायत दिखने की पूरी कोशिश कर रहा था, डॉक्टर भी अब तक समझ गए थे के उन लोगों के लिए अक्षिता क्या मायने रखती है लेकिन किस्मत को कोई हरा सका है क्या....
क्रमश: