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Romance Ek Duje ke Vaaste..

Shetan

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Update 25




“tell us doctor how severe is her condition?” जब कुछ पलों तक डॉक्टर कुछ नहीं बोले तो एकांश ने पूछा,

एकांश की आवाज मे कुछ जान नहीं थी, सब कुछ जानने के बाद भी वो अभी तक इस सच से उभर नहीं पाया था,

“जैसा की मैंने कहा ये सब उसके ब्रैन मे हो रही इन्टर्नल ब्लीडिंग पर निर्भर करता है लेकिन इस मामले मे अक्षिता थोड़ी लकी है” डॉक्टर ने कहा और अक्षिता लकी है सुनते ही उन तीनों ने एकसाथ डॉक्टर को देखा इस उम्मीद मे के शायद कोई अच्छी खबर मिले

“मतलब?” एकांश ने पूछा

“देखिए हमे उसकी कन्डिशन का पता बहुत लेट चला, जब पहली बार हमे उसकी बीमारी का पता चला लगभग डेढ़ साल पहले तब उसके रेपोर्ट्स के अनुसर उसके पास बस 6 महीने का वक्त था उससे ज्यादा नहीं” डॉक्टर ने कहा

“6 महीने का वक्त?” स्वरा ने पूछा

“उसके रिपोर्ट्स देखते हुए उसके बास बस 6 महीने की जिंदगी बची थी” डॉक्टर ने कहा और एकांश ने अपनी आंखे बंद कर ली...

उससे ये खयाल भी नहीं सहा जा रहा था के जब उन दोनों का ब्रेकअप हुआ था तब अक्षिता इस सब से जूझ रही थी उसके पास बस 6 महीने की जिंदगी थी और उसने कभी अपना दर्द चेहरे पर बयां नहीं होने दिया, और वो सोचता रहा के अक्षिता उसे धोका दे रही थी, ये दर्द ये गिल्ट अब उससे सहा नहीं जा रहा था...

डॉक्टर की बात सुन रोहन और स्वरा भी शॉक थे, उन्हे भी अक्षिता की कन्डिशन इतनी सीरीअस है पता ही नहीं था, ना की अक्षिता ने कभी इस बारे मे कीसी को पता चलने दिया था.., डॉक्टर अवस्थी ने आगे बोलना जारी रखा

“अक्षिता काफी लकी है क्युकी वो अभी तक ठीक है कुछ नहीं हुआ है, दवाईया और उसकी जीने इच्छाशक्ति ने अभी तक उसे बचा कर रखा है” डॉक्टर ने कहा

“वो ठीक हो जाएगी ना डॉक्टर?” एकांश ने उम्मीद भरी नजरों से पूछा

“मैं आपको कोई झूठी उम्मीद नहीं दूंगा मिस्टर रघुवंशी, उसके ब्रैन मे कभी भी सूजन बढ़ सकती है और मामला बिगड़ सकता है, आपलोगों को बस इसमे खुशी मनानी चाहिए के इस केस मे ये बहुत स्लो हो रहा है” डॉक्टर ने कहा और एकांश का चेहरा उतर गया

“हम समझे नहीं डॉक्टर?” रोहन ने पूछा

“मतलब ये के वो ठीक होगी या नहीं ये कहना काफी मुश्किल है, दवाईया और ट्रीट्मन्ट बस ब्रैन मे बढ़ने वाली सूजन को, सरदर्द और कमजोरी को कंट्रोल कर रहा है लेकिन इस सब से ये बीमारी पूरी तरफ ठीक नहीं हो सकती” बोलते हुए डॉक्टर अवस्थी रुके और उन तीनों को देखा फिर आगे बोलना शुरू किया

“ट्रीट्मन्ट के साथ साथ पैशन्ट को एक्स्ट्रा केयर की भी जरूरत है, ऐसा कुछ नहीं करना है जिससे सरदर्द, सर्दी बुखार कमजोरी जैसा कुछ हो, मैंने अक्षिता को ठंडी चीजों से जैसे आइसक्रीम कोल्डड्रिंक से एकदम दूर रहने कहा था, ठंडा पानी और बारिश मे भीगना भी उसकी सेहत के लिए घातक हो सकता है उसमे वो claustrophobic है तो थोड़े एक्स्ट्रा केयर की जरूरत है, कीसी भी तरह का कोई भी स्ट्रेस उसके लिए सही नहीं है” डॉक्टर ने कहा

रोहन और स्वरा इसमे से कई बाते जानते थे अक्षिता ने ही उन्हे बताया था इसीलिए वो पार्टी वाली रात अक्षिता को नशे मे देख ज्यादा चिंतित थे, उन दोनों ने एकांश को देखा जो अपने आप को कंट्रोल करे वहा बैठा था, उसके दिल मे अलग ही उथल पुथल मची हुई थी, उसके मन को ये गिल्ट घेरने लगा था के अक्षिता की हालत इतनी खराब थी फिर भी वो उससे ऑफिस मे जबरदस्ती काम करवाता रहा, हालांकि इसमे उसकी गलती नहीं थी उसे तो ये सब पता ही नहीं था लेकिन अब वो बाते रह रह कर उसके दिमाग मे आ रही थी के अक्षिता को उस वक्त कैसा लग रहा होगा

“डॉक्टर अक्षिता के बचने का कोई चांस है?” स्वरा ने पूछा

“आइ एम सॉरी लेकिन इस मामले मे उसके बचने का बहुत कम चांस है, बस इन्टर्नल ब्लीडिंग को कंट्रोल करके ही उसे बचाया जा सकता है और इस मामले मे पैशन्ट के पिछले रिपोर्ट्स कुछ ठीक नहीं है ब्रैन के बजे हिस्से मे सूजन बढ़ रही है केस काफी सीरीअस है, ऐसे मे उसके दिमाग की नसे साल भर पहले ही फट सकती थी और अब मुझे डर है कभी भी कुछ भी हो सकता है” डॉक्टर ने नीचे देखते हुए कहा

डॉक्टर की बात सुन एकांश की आँखों से आँसू की एक बूंद गिरी, वो अपने दातों से होंठ दबाए अपने आप को रोने से रोक रहा था

“डॉक्टर कितने पर्सेन्ट चांस है के वो बच सकती है?” एकांश ने पूछा

“मैंने पहले ही कहा है मिस्टर रघुवंशी, उसके बचने का बहुत कम चांस है, नॉर्मली इतने काम्प्लकैशन वाला इंसान जिंदा ही नहीं बच पाता है और अगर वो बच जाए तब भी वो कोमा मे जाने का रिस्क भी है”

“को.. कोमा....?” रोहन

“हा.. और वो कब तक कोमा मे रहे कोई नहीं बता सकता, शायद दिन, महीनों सालों तक या फिर पूरी जिंदगी भी... ये सब बाते पैशन्ट के ब्रैन पर निर्भर करती है के वो दवाइयों और ट्रीट्मन्ट को कैसा रीस्पान्स करता है”

“मैं उसे विदेश लेकर जाऊंगा, दुनिया के बेहतरीन से बेहतरीन डॉक्टर को दिखाऊँगा, मैं उसे बचाने के लिए कुछ भी करने को तयार हु डॉक्टर, आप बस बताइए हम उसे बचाने के लिए क्या कर सकते है और पैसों की चिंता ना करे, मैं चाहिए उतना पैसा खर्चने को तयार हु” एकांश ने एकदम से कहा

“मिस्टर रघुवंशी शांत हो जाइए, मैं समझ सकता हु आप कैसा महसूस कर रहे है लेकिन इस केस मे कोई भी ज्यादा कुछ नहीं कर सकता, मैं पहले ही कई बड़े डॉक्टरस् से बात कर चुका हु, उसका भी यही कहना है के ये सब ब्लीडिंग कितनी सिवीयर है उसपर निर्भर करता है” डॉक्टर अवस्थी ने एकांश को शांत कराते हुए कहा

“तो क्या हम उसे बचाने के लिए कुछ भी नहीं कर सकते?” एकांश ने पूछा

डॉक्टर को भी उसे देख बुरा लग रहा था, वो समझ गए थे के वो उससे प्यार करता था और उसे बचाने के लिए किस्मत से भी लड़ जाने को तयार था

“ऐसे केसेस मे पैशन्ट के बचने का बस 10 पर्सेन्ट चांस होता है” डॉक्टर ने कहा

“क्या?” एकांश ने जैसे ही ये सुना डॉक्टर को देखा

“अक्षिता के बचने का 105 चांस है?” एकांश ने थोड़ा खुश होते हुए पूछा

“हा... लेकिन ये सब बस पैशन्ट के ब्रैन और ब्लीडिंग कितनी सिवीयर है उसपर है और जैसा मैंने अभी बताया उस 10% मे भी 4% चांस है के पैशन्ट कोमा मे चला जाए” डॉक्टर ने कहा

“और बाकी 6%” एकांश ने पूछा

“पैशन्ट बच तो जाएगा लेकिन पहले जैसा नहीं रहेगा” डॉक्टर ने कहा

“इसका क्या मतलब है?” स्वरा ने पूछा

“मतलब के शायद पैशन्ट अपाहिज हो जाए, ब्रैन के किस हिस्से मे चोट है देखते हुए disability आ सकती है, कई मामलों मे पैशन्ट पैरलाइज़ हो सकता है, लेकिन ये सब ब्रैन का कौनसा हिस्सा डैमिज है उसपर है, कई बाते है, शायद पैशन्ट हमेशा के लिए अपनी आँखों की रोशनी खो दे या बेहरा हो जाए, या भी हो सकता है उसकी याददाश्त चली जाए” डॉक्टर ने डीटेल मे समझाया

उस रूम मे एकदम शांति थी कोई कुछ नहीं बोल रहा था हर कीसी के दिमाग मे अपने खयाल चल रहे थे और इस शांति हो भंग किया एकांश ने

“लेकिन वो जिंदा तो रहेगी न? मेरे साथ तो रहेगी न”

एकांश की बात पर रोहन स्वरा और डॉक्टर ने चौक कर उसे देखा

“मैं उसे बचाने का ये 6% चांस नहीं खोना चाहता डॉक्टर, मैं उसे अपने साथ जिंदा देखना चाहता हु, मैं उसे और नहीं खोना चाहता, मैं उसे बचाने का कोई मौका नहीं छोड़ूँगा, आप प्लीज कभी एक्स्पर्ट्स से स्पेशलिस्टस् से बात कीजिए और उसे जैसे बचाया जाए देखिए, अगर उसके बचने का 1% भी चांस है तो मैं ये चांस लेने तयार हु” एकांश ने कहा और डॉक्टर ने हा मे गर्दन हिला दी

“लेकिन उसे बचाने के लिए पहले उसे ढूँढना पड़ेगा ना, हमे तो यही नहीं पता के वो है कहा” स्वरा ने कहा

“डॉक्टर क्या आप बता सकते है के अक्षिता आखरीबार चेकअप के लिए कब आई थी?” रोहन ने पूछा

“पिछले हफ्ते..”

“क्या आप बता सकते है क्या बात हुई थी? उसने कुछ बताया था कही जाने के बारे मे?” एकांश ने पूछा

“नहीं, बस नॉर्मल चेकअप था, हमने कुछ टेस्टस किए थे, उसने मुझसे पूछा था के अब उसके पास कितना वक्त बचा है”

“और आपने क्या कहा?” एकांश ने पूछा

“वही जो आपको बताया है, पहले तो मैंने जब कहा के सब ठीक है उसे खुद को यकीन नहीं हुआ, मैंने उसे कहा था के सही ट्रीट्मन्ट उसका लाइफस्पैन बढ़ा सकता है लेकिन उसे देख कर ऐसा लग रहा था उसने सारी उमीदे ही छोड़ दी है, उसने किस्मत से समझौता कर लिया है” डॉक्टर ने कहा

अक्षिता ने ही अपने बचने की सभी उम्मीदे छोड़ दी है ये जानकर एकांश का भी चेहरा उतार गया था और अब एकांश से और बर्दाश्त नहीं हुआ वो वही डॉक्टर के चैम्बर मे रोने लगा था, रोहन और स्वरा की हालत भी कुछ अलग नहीं थी लेकिन एकांश का गम उनके आगे अभी बड़ा था, एकांश एकदम टूटा हुआ था और इतना सब पता करने के बाद भी कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था...

एकांश को ये सोच कर और रोना आ रहा था के अक्षिता ने उसे क्यू छोड़ा, वो नहीं चाहती थी के कीसी को उसकी कन्डिशन का पता चले...

“उसकी अगली अपॉइन्ट्मन्ट कब है डॉक्टर?” स्वरा ने पूछा

“अगले हफ्ते... और उसने कहा है वो जरूर आएगी” डॉक्टर ने कहा

“डॉक्टर प्लीज जब वो आए तब हमे इन्फॉर्म कीजिएगा, वो सब कुछ छोड़ कर चली गई है और हम उसे नहीं ढूंढ पा रहे है, वो जब आए प्लीज हमे बताइएगा” रोहन ने कहा जिसपर डॉक्टर ने हा मे गर्दन हिलाई

“जरूर”

“और प्लीज उसे हमारे बारे मे कुछ पता मत चलने दीजिएगा, ना ही ये बात के हम उसकी बीमारी के बारे मे जानते है” एकांश ने कहा

“ठीक है”

जिसके बाद अब बात करने को या जानने को कुछ नहीं बचा था, वो तीनों डॉक्टर के केबिन से निकल आए थे हर कीसी के दिमाग मे अपने अलग विचार चल रहे थे, अस्पताल का स्टाफ भी कुछ देर पहले वाले एकांश और अभी के एकांश को देख हैरान था, कहा कुछ देर पहले वो अपने ऐरगन्स के साथ आया था वही अब आँसू लिए जा रहा था...

एकांश को देख ऐसा लग रहा था जैसे वो कंधों पर लाश लिए चल रहा हो, उसने हार नहीं मानी थी लेकिन जीतने का मौका भी कम ही नजर आ रहा था, आंखे लाल हो गई थी और चेहरे पर डर था...

सीना भरी हो गया था और गला सुख गया था... अगले हफ्ते अक्षिता यही इसी अस्पताल मे आने वाली थी लेकिन तब तक उसे कुछ हो गया तो.... यही खयाल रह रह कर एकांश के दिमाग मे आ रहा था... दिल मे एक टीस उठ रही थी ऐसी जैसे कोई बार बार खंजर से उसपर वार कर रहा हो...

एकांश ने ठीक से चला भी नहीं जा रहा था, एक बार तो वो लड़खड़ाया भी जब रोहन ने उसे संभाला...

वो तीनों पार्किंग मे थे, कोई कुछ नहीं बोल रहा था, आगे क्या करना है कीसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था...

“उसे कुछ नहीं होगा सर... हम है ना हम ढूंढ लेंगे उसे” रोहन ने एकांश को समझाते हुए कहा

“हा सर, ऊपरवाला कोई ना कोई रास्ता जरूर निकालेगा” स्वरा ने कहा

एकांश को क्या बोले समझ नहीं आ रहा था, वो डरा हुआ था दुखी था... आगे के सारे रास्ते धुंधले नजर आ रहे थे लेकिन रास्ता तो निकालना था.... अक्षिता को ढूँढना अभी बाकी था.... सफर अभी बाकी था....



क्रमश:
Chalo ab bhi koi to umid hai. Lekin ansh ko ek hafte ka intjar karna padega. Amezing update. Superb.
 

Shetan

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Update 26



एक लड़की कॉफी शॉप मे बैठी अपनी कॉफी आने का इंतजार कर रही थी, उसे उसका फोन नहीं मिल रहा था तो वो अपने फोन अपनी बैग मे ढूँढने लगी और तभी

“क्या मैं यहा बैठ सकता हु?”

उसने ये आवाज सुनी और उस स्वज की ओर देखा के ये कौन है

जैसे ही उस लड़की ने उस आवाज के मालिक को देखा वो उसे पहचान गई थी जो उसकी ही ओर देखते हुए स्माइल कर रहा था और वो कुछ समय तक उसकी मुस्कुराहट मे खो गई थी उसकी आंखे मानो उसे उसकी अपनी ओर खिच रही थी, मानो वो आंखे उससे बहुत कुछ कहना चाह रही हो...

वही वो लड़का भी उसे देख रहा था, उसकी सादगी भरी खूबसूरती को निहार रहा था, वो अपनी जिंदगी मे कभी भी ऐसी लड़की से नहीं मिला था जो बिना मेकअप भी इतनी सुंदर लगे... उसके भी दिल की धड़कने बढ़ने लगी थी...

कुछ पालो तक वो दोनों ही एकदूसरे को देखते हुए खोए से वहा खड़े थे तब तक जब तक वेटर वहा कॉफी लेकर नहीं आ गया, वेटर ने जैसे ही कॉफी टेबल पर रखी वो दोनों भी होश मे आए, उस लड़की ने शर्मा कर नजरे झुका ली और उस लड़के ने भी मुस्कुरा कर चेहरा घुमा लिया...

“आपने अभी तक जवाब नहीं दिया” उस लड़के ने कहा

“हह... क्या?” उसने कन्फ़्युशन मे पूछा

“क्या मैं यहा बैठ सकता हु?” उसने उस लड़की को देख पूछा

“हा हा ओफकोर्स” उसने कहा

वो थोड़ा हसा और उसके सामने की खुर्ची पर बैठा और मेनू को देखने लगा और वो उस लड़के को देखने लगी, उसने अपने लिए ब्लैक कॉफी ऑर्डर की और फिर शुरू हुआ बातों को सिलसिला.. दोनों की ही बातों से ऐसा लग रहा था मानो दोनों एकदूसरे को सालों से जानते हो, वो एकदूसरे के साथ काफी कम्फ्टबल थे, काफी कम समय मे वो काफी अच्छे दोस्त बन गए थे... मॉल मे हुई उस मुलाकात के बाद ये बस उनकी तीसरी की मुलाकात थी...

कुछ देर और बात करने के बाद और अपनी कॉफी खतम कर वो कैफै से बाहर आए....

“it was nice talking to you Akshita” उसने मुसकुराते हुए कहा

“same here Ekansh but please call me akshu, मेरे सभी दोस्त मुझे अक्षु कहकर ही बुलाते है” अक्षिता ने भी मुसकुराते हुए जवाब दिया...

“ओके लेकिन फिर तुम्हें भी मुझे मेरे निकनेम से बुलाना होगा” एकांश ने कहा

“और वो क्या है”

“जो तुम्हें पसंद हो, मेरा कभी कोई निकनेम नहीं रहा है” एकांश ने कहा

“रियली??” अक्षिता के चेहरे पर एक अलग ही ग्लो था जिसे देख एकांश को भी काफी अच्छा लग रहा था, वो उसकी ओर खिचा जा रहा था

“यप” एकांश ने कहा

और अक्षिता एकांश को देख कुछ सोचने लगी वही एकांश बस उसे देख रहा था

“आइ गॉट इट” अक्षिता ने एकदम से कहा

“क्या?”

“अंश”

और बस एकांश ने जैसे हाइ उसके मुह से अपने लिए ये नया नाम सुना वो वही फ्रीज़ हो गया, वो इस पल को सँजो लेना चाहता था... उसे वो नाम काफी अच्छा लगने लगा था और उससे भी स्पेशल था ये अक्षिता का दिया नाम था... एकांश ने अक्षिता को देखा जो एकांश के रीस्पान्स की हि राह देख रही थी

“क्या हुआ? पसंद नहीं आया?” अक्षिता ने पूछा, उसका चेहरा उतारने लगा था जिसे देख एकांश एकदम बोला था

“नहीं नहीं, आइ लव्ड इट” एकांश ने एकदम कहा जिससे अक्षिता के चेहरे पर भी बड़ी सी स्माइल आ गई

“तो बस अब से मैं तुम्हें यही कह कर बुलाऊँगी” अक्षिता ने कहा

“बिल्कुल, और इस नाम से मुझे बुलाने का हक बस तुम्हें है कीसी और को नहीं” एकांश ने कहा जिसपर क्या बोले अक्षिता को कुछ समझ नहीं आया, अक्षिता को स्पेशल वाला फ़ील आ रहा था

“ओके”

वो लोग अब चलते हुए अपनी गाड़ियों तक आ गए थे, एकांश अपनी कार के पास था वही अक्षिता अपनी बाइक की ओर बढ़ रही थी और तभी जाते जाते अक्षिता रुकी, उसने मूड कर एकांश को देखा और कहा

“बाय अंश” और आगे बढ़ गई....


--

एकांश झटके के साथ पुरानी याद से बाहर आया जब उसने अपने आसपास कुछ आवाज सुनी... उसने देखा के रोहन और स्वरा उसके सामने की खुर्ची पर बैठ रहे थे और वो इस वक्त उसी कैफै मे था...

“तो यहा है आप” स्वरा ने कहा

“फाइनली मिल गए” रोहन बोला

“तुम दोनों यहा क्या कर रहे हो?” एकांश को उनको वहा देख सवाल किया

आज उन्हे अक्षिता को ढूंढते हुए तीन दिन हो गए थे लेकिन अक्षिता का कही कुछ पता नहीं चल रहा था... लेकिन इन तीन दिन मे एकांश, स्वरा और रोहन अब बस बॉस और एम्प्लोयी नहीं थे थोड़ी दोस्ती बन गई थी... स्वरा मुहफट थी तो वो अब ये बात भूल चुकी थी के एकांश उसका बॉस है और एकांश भी अब ज्यादा लोड नहीं लेता था, उसके लिए इस वक्त अक्षिता का मिलन सबसे ज्यादा जरूरी था

“आपको पता है न इस चीज को फोन कहते है और जब ये बजे तब इसे उठा कर जवाब देना होता है” स्वरा एक एकांश को उसका फोन दिखाते हुए कहा और उसके इस तंज पर एकांश कुछ नहीं बोला बस उसने उसे घूरा जिसका स्वरा पर कोई असर नहीं हुआ

“तो अब हमारे कॉल ना उठाने का रीज़न हम जान सकते है?” रोहन ने सवाल किया

“मुझे तुम लोगों को कुछ इक्स्प्लैन करने की जरूरत नहीं है” एकांश ने कहा

“एकांश प्लीज अपने आप को ऐसे अलग मत करो तुम अकेले नहीं हो” स्वरा ने कहा

“तुम लोग यहा क्या कर रहे हो” एकांश ने वापिस वही सवाल किया

“अक्षिता को के बारे मे पता कर रहे थे फिर यहा आए तो आप मिल गए” रोहन ने कहा

“कुछ पता चला?”

“नहीं” उन दोनों ने कहा

“और आपको?” स्वरा ने पूछा

“मैं उसे हर जगह ढूंढ रहा हु, हर पब्लिक प्लेस पर रेस्टोरेंट मे यहा तक के हर अस्पताल भी छान लिया है, पुलिस मे भी गया था लेकिन उनका कहना है के वो खुद गई है गायब नहीं हुई है, ऊपर से प्रेशर बनाया है उनपर देखते है क्या पता चलता है... फिलहाल तो कुछ पता नहीं है” एकांश ने हताशा के साथ कहा

“लेकिन वो जा कहा सकती है?” रोहन

“मुझे याद है उसने एक बार बताया था, उसका कही कोई रिश्तेदार नहीं है, दादा दादी थे लेकिन अब वो नहीं रहे, बस उसके पेरेंट्स ही उसकी फॅमिली है, और वो बचपन से इसी शहर मे रही है” स्वरा ने बताया

“तो?”

“तो ये ये वो इस शहर से बाहर तो नहीं गई है, मतलब जाएगी भी कहा और मुझे नहीं लगता के उसके पेरेंट्स उसकी डॉक्टर के साथ अपॉइन्ट्मन्ट मिस होने देंगे, तो हो ना हो वो है इसी शहर मे लेकिन उसे ढूँढना भूसे के ढेर मे सुई ढूँढने जैसा है” स्वरा ने कहा

“हम्म... ये बात नहीं सोची मैंने, मैं पुलिस को भी इस बारे मे इन्फॉर्म करता हु हो सकता है वो जल्दी पता लगा सके और आसपास के इलाकों मे भी खोजबीन शुरू करवाता हु” एकांश ने कुछ सोचते हुए कहा

“अमर को कुछ पता चला?” स्वरा ने पूछा

“नहीं, उसने एक डिटेक्टिव भी हायर किया है लेकिन उसने कहा के जो डिटेल्स हमने दी है वो काफी नहीं है, ऐसे मे उसे ढूँढना आसान काम नहीं है” एकांश ने निराशा के साथ कहा

“क्या? वो पागल है क्या? और आपका दोस्त कीसी काम का नहीं है जो ऐसा डिटेक्टिव ढूंढा, अगर हमपे सारी डिटेल्स होती तो हम खुद न ढूंढ लेते डिटेक्टिव की जरूरत की क्या थी? ये तो उसका काम है न अक्षिता को ट्रैस करना” स्वरा ने गुस्से मे चिल्ला के कहा

“मैंने भी उसे यही कहा, और अमर बोला के डिटेक्टिव को थोड़ा वक्त चाहिए” एकांश ने कहा

“वक्त ही तो नहीं है हमारे पास और प्लीज उससे कहो आसपास पता लगाये”

“हम्म बोल दूंगा”

“लेकिन हम बस डिटेक्टिव या पुलिस के भरोसे नहीं रह सकते हमे भी खोज करते रहना होगा” रोहन ने कहा जिसपर बाकी दोनों ने भी हामी भरी

“आप इस कॉफी शॉप मे बस बैठ कर सोचने आते है क्या?” स्वरा ने अचानक सवाल किया और एकांश ने उसकी ओर देखा

“क्या?”

“हम कुछ ऑर्डर क्यू नहीं कर रहे?”

एकांश मे अब और इससे बहस करने की हिम्मत नहीं थी इसीलिए उसने वेटर को बुला कर स्वरा के लिए खाना ऑर्डर किया और वो वापिस अब आगे क्या करना है इसपर बात करने लगे, एकांश डॉक्टर अवस्थी के भी टच मे था, और जिस दिन अक्षिता का चेकअप के लिए अपॉइन्ट्मन्ट था वो तारीख उसके दिमाग मे थी लेकीन तब तक वो खाली नहीं बैठ सकता था....

--

रात के 11 बज रहे थे, दिमाग भर अक्षिता को ढूंढ कर उसके बारे मे पता लगाने की कोशिश के बाद एकांश अपने घर मे आ गया था, वो अपने कमरे मे जमीन पर लेटा ऊपर छत को देख रहा था, उसके दिमाग मे उसकी और अक्षिता की पुरानी यादों की फिल्म चल रही थी, प्यार के वो पल गुजर रहे थे और आँखों से आँसू बह रहे थे... अक्षिता की तस्वीर सीने से लगी हुई टी

पिछले कुछ दिन एकांश के लिए ऐसे ही बीते थे, दिन अक्षिता को खोजने मे जाता और रात उसकी यादों मे बीतती, अक्षिता की तस्वीर को देखते हुए कब उसे नींद आती पता भी नहीं चलता था..

एकांश अपने खयालों मे खोया हुआ था के उसका फोन बजने लगा लेकिन वो इस कदर सोच मे डूबा था के उसे सुनाई ही नहीं दिया... जन फोन तीसरी बार बजा तब एकांश की तंद्री टूटी और उनसे फोन की तरफ देखा, उसे फोन उठाना ही नहीं था ना ही कीसी से बात करनी थी फोन वापिस बजना बंद हो गया और जब वापिस बजा तो एकांश ने फ्रस्ट्रैट होकर किसका फोन आ रहा है देखा तो पाया के स्वरा का कॉल था... वो इस वक्त क्यू कॉल कर रही है सोच एकांश ने फोन रिसीव किया हो सकता है उसे कुछ पता चला और और इसके पहले वो कुछ बोलता सामने से आवाज आई

“रोहन हमारा सडू बॉस वापिस फोन नहीं उठा रहा” स्वरा को पता ही नहीं था के एकांश लाइन पर है

“फिरसे एक बार ट्राइ करो” रोहन ने कहा

“ऑलरेडी 5 बार ट्राइ कर चुकी हु”

“शायद हो गया होगा”

“11 बजे है बस वो इतनी जल्दी सोने वालों मे से नहीं है वो जान कर मेरा फोन नहीं उठा रहा” स्वरा ने कहा

“तो उसके उस ईडियट दोस्त को लगाओ” रोहन ने कहा

“कौन? अमर? उसे मैसेज किया है वो कुछ देर मे पहुचने वाला होगा”

इन दोनों को खबर भी नहीं थी के एकांश इनकी बाते सुन रहा था

“ये ईडियट फोन क्यू नहीं उठा रहा यार!!” स्वरा ने वापिस कहा और तभी एकांश बोला

“मैं सब सुन रहा हु स्वरा”

और बस अब स्वरा की बोलती बंद

“एकांश...! ओह! हाउ आर यू” अब क्या बोले उसे सूझ ही नहीं रहा था

“कॉल क्यू किया वो बताओ”

“आप हमसे मिलने आ सकते हो अभी?” स्वरा ने पूछा

वैसे तो उसे पूछने की जरूरत नहीं थी वो बस कहती तो भी एकांश इस वक्त आ जाता क्युकी वो उन्हे ट्रस्ट करने लगा था...

“इस वक्त?”

“हा”

“क्यू?”

“उफ्फ़ कितने सवाल, सब बताती हु पहले आओ और अब कुछ मत पूछना” स्वरा ने कहा

“हा ठीक है लेकिन आना कहा है वो बताओ” एकांश ने पूछा

जिसके बास स्वरा ने एकांश को पता बताया जिसे सुन एकांश थोड़ा चौका के वो उसे वहा क्यू बुला रही है? लेकिन फिर फोन काटा और वहा जाने निकला, उसके दिमाग मे बस ये चल रहा था के शायद स्वरा को कुछ पता चला हो

एकांश अब स्वरा और रोहन को ट्रस्ट करने लगा था क्युकी ना सिर्फ वो अक्षिता के अच्छे दोस्त थे बल्कि उन्होंने उसकी भी काफी मदद की थी और अगर स्वरा नहीं होती तो शायद एकांश अब भी अक्षिता के जाने के गम मे अपने कमरे मे बंद रहता... लेकिन अब उसे एक नई उम्मीद मिली थी और एकांश इसे नहीं छोड़ सकता था.......



क्रमश:
Starting padha to laga ki dhudh liya. Lekin vo to past tha. Ansh ki halat dekhi nahi ja rahi. Swara ka call sayad koi clue mila hai. Jaldi nilvao yaar.
 

Shetan

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Update 27



एकांश को जैसे ही स्वरा का फोन आया और उसने उसका भेजा हुआ पता देखा वो थोड़ा चौका, वो पता देख उसे थोड़ी हैरानी हुई और साथ ही ये उम्मीद भी जागी की शायद कुछ तो पता चला है या फिर शायद... शायद वही वापिस आ गई हो,

जिसके बाद एकांश ने एक पल की भी देरी किए बगैर अपनी गाड़ी निकाली और इस पते की ओर चल पड़ा,

वो अक्षिता के ही घर का पता था और जब एकांश वहा पहुंचा तो स्वरा रोहन और अमर पहले ही वहा मौजूद थे और आगे क्या करना है इस बारे में बहस कर रहे थे और जैसे ही एकांश वहा पहुंचा अमर उसके पास आया,

"भाई तू सही टाइम पे आ गया है, मुझे ये प्लान समझ नही आ रहा, हम ऐसे चोरी से किसी के घर में कैसे घुस सकते है यार, और किसी ने देख लिया और हमको चोर समझ लिया फिर?" अमर ने अपनी परेशानी एकांश को बताई जो अब भी वहा सिचुएशन का जायजा ले रहा था

एकांश को स्वरा ने बस वहा आने कहा था इसके अलावा कुछ नही बताया था ऐसे में वो किसी भी प्लान के बारे के नही जानता था, ऊपर से वो पिछले कुछ दिनों के काफी ज्यादा चिड़चिड़ा हो गया था, अक्षिता को ढूंढते हुए उसके हाथ लगातार निराशा लगी थी ऐसे में जब स्वरा ने उसे यहा बुलाया तो उसे लगा शायद... शायद अक्षिता लौट आई थी लेकिन उसने यहा आकर देखा तो मामला ही अलग था..

एकांश कुछ नही बोला बस सुनता रहा, अब स्वरा भी उनके पास आ गई थी

"तुम्हारे पास कुछ अच्छा रास्ता हो तो वो बताओ वरना हो बता रही हु वो करो" स्वरा से अमर से कहा बदले में अमर ने बस उसे घूर के देखा और फिर वापिस एकांश को ओर मुड़ा

"तू कुछ बोलेगा या ऐसे ही सुनता रहेगा" अमर ने एकांश से कहा

"पहले बात पता कर लू अभी मुझे कुछ समझ नही आ रहा और कसम से अभी दिमाग बहुत घुमा है सुबह से घूम घूम के परेशान हु मैं तू मत शुरू हो अब" एकांश ने अमर से कहा और फिर स्वरा की ओर रुख किया, "तुम बताओगी क्या चल रहा है और इस वक्त यहां क्यों बुलाया है, देखी स्वरा अगर कुछ काम का नही हुआ तो मुझसे बुरा कोई नही होगा, क्युकी यहां का एड्रेस देख मुझे लगा था शायद वो लौट आई है" एकांश ने हल्के गुस्से में कहा वही रोहन बस चुप चाप सुन रहा था

एकांश की नजरे अब स्वरा की ओर थी लेकिन वो कुछ नही बोली और फिर एकांश को वापिस बोलना पड़ा

"अब बताओगी क्या पता चला है, क्या हुआ है" एकांश ने कहा

और स्वरा ने आगे बोलना शुरू किया

"ज्यादा कुछ पता नहीं चला है, मैं और रोहन हमे अक्षिता से जुड़े जितने लोगो का पता था हमने सबसे पूछ के देख लिया, लेकिन किसी को भी कुछ नही पता है लेकिन अभी कुछ देख पहले जब मैं घर पहुंची तब मुझे ऐसा कुछ मिला जिसके बारे में मैं भूल ही गई थी" और इतना बोल कर स्वरा ने अपने हाथ में एकांश को एक चाबी दिखाई लेकिन अब भी एकांश को कुछ नही समझा और वो सवालिया नजरो से उसे देखने लगा और फिर स्वरा आगे बोली

"ये अक्षिता के घर को चाबी है जिसके बारे में शायद वो भूल गई है के ये मेरे पास है, और मुझे लगता है हमे उसके घर में चल कर देखना चाहिए, शायद वो और उसका परिवार कहा गया है हमे ये बात पता चल जाए, वैसे तो बाहर कुछ भी पता नहीं चल रहा है, हैं ना?" स्वरा ने उम्मीद भरी नजरो से एकांश को देखा जो अब सोच में था

"सर मुझे लगता है हमे एक बार देख लेना चाहिए क्या पता वो जहा गए हो उसके बारे में ही किसी पता चले" इतनी देर से चुप रोहन बोला और एकांश ने उसको देखा

"मैं अब भी बोलूंगा के अगर किसी ने देख लिया और और चोर समझ तो बड़ा पंगा हो सकता" अमर ने चेताते हुए कहा लेकिन स्वरा ने उसकी बात सुन आंखे घुमा ली

"हमारे पास वक्त बहुत कम है और हम ऐसी हर संभावना को चेक करना चाहिए जहा से कुछ क्लू मिलने वाला हो और हम कम से कम कुछ कर तो रहे है तुमने क्या किया है" स्वरा ने कहा और अमर उसे गुस्से से घूरने लगा

वही एकांश कुछ सोच रहा था, आज शाम ही वो पुलिस स्टेशन से लौटा था, अपनी पहुंच से उसने पुलिस पर अक्षिता को ढूंढने का दबाव तो बना दिया था लेकिन पुलिस प्रशासन से कोई खासी मदद नही मिल रही थी ऐसा नहीं था के पुलिस कुछ नही कर रही थी लेकिन साथ ही ये बात भी उतनी ही सही थी के अक्षिता का पता नही लगा पाए थे, दूसरी ओर जिस डिटेक्टिव को अमर ने इस काम में लगाया था वहा से भी अक्षिता के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली थी, अक्षिता जैसी मानो हवा में गायब हो गई हो

और इसमें अब जरा भी दोराय नहीं थी के एकांश भी अपनी उम्मीद खो रहा था और रह रह कर उसका मन इस डर से घिर जाता था के कही अक्षिता को कुछ हो न गया और और अब वो दोबारा उससे कभी नही मिल पाएगा ना ही उसे कभी देख पाएगा

एक और जहा ये चल रहा था उसे ऑफिस भी देखना पड रहा था, वैसे तो उसने सभी काम अपने कर्मचारियों पर छोड़ रखा था लेकिन कुछ बाते उसके बगैर नहीं हो सकती थी और इन सब बातो में उसे स्वरा को बात के एक हल्की तो उम्मीद की रोशनी नजर आई थी के शायद.... शायद अक्षिता के मौजूदा ठिकाने का पता उसके पुराने घर में चल जाए, चाबी उनके पास पहले से थी बस इतना ध्यान रखना था के कोई उन्हें ऐसे चोरी से घुसते देख शोर या हंगामा ना करे क्युकी इस वक्त वो कोई नया झमेला नही चाहता था...

एकांश ने स्वरा को देखा और फिर अमर पर नजर डाली और बोला

"चलो देखते है हो सकता है कुछ पता चल जाए"

एकांश की हामी सुन स्वरा थोड़ी खुश हो गई और रोहन भी वही अमर ने एकांश को देखा और बोला

"तू sure है क्युकी मुझे नही लगता हमे कुछ मिलेगा"

"तेरे पास कोई और रास्ता है या कोई ऐसी बात जिससे मैं उस तक पहुंच सकू?? अमर, भाई मैं हर बीतते घंटे से साथ उम्मीद खोता जा रहा हु ऐसे में मैं हर वो चीज करुंगा जो मुझे लगता है मुझे उसके करीब ले जा सकती है" एकांश ने कहा और स्वरा के साथ से चाबी ली और अक्षिता के घर को ओर बढ़ गया

अमर के पास एकांश की बात का कोई जवाब नही था, बस वो थोड़ा ज्यादा दिमाग लगा रहा था और उसके मन में ये गिल्ट भी था के सबकुछ सही चलता हुआ उसकी जासूसी से बिगड़ा था और वो भी अक्षिता को खोजना चाहता था बस उसके घर में चोरी से घुसने का खयाल उसे नही जमा था और अब चुकी बाकी लोग आगे बढ़ गए थे वो भी उनके पीछे चला गया

एकांश ने उस चाबी से जो स्वरा ने उसे दी थी अक्षिता के घर का दरवाजा खोला और वो चारो घर में दाखिल हुए, घर पूरा अंधेरे में डूबा हुआ था और वहा मौत सा सन्नाटा पसरा हुआ था,

रोहन आगे बढ़ा और लाइट के स्विच ढूंढने लगा और उसे वो मिलते ही उसने घर में रोशनी कर दी,

रोशनी होते ही उनके सामने अक्षिता का खाली पड़ा घर था जिसका फर्नीचर अब भी वैसे का वैसा रखा हुआ था, एकांश आंखो में पानी जमा किए उस घर को देख रहा था वही अमर और रोहन ने बाकी के लाइट्स लगा दिए थे,

घर में सब कुछ वैसा ही था जैसा उसमे रहने वाले छोड़ गए थे जब वहा थोड़ी धूल जमी हुई थी, एकांश उस घर में घुसते ही थोड़े इमोशनल स्टेट में पहुंच गया था, अक्षिता की यादें वैसे ही उसे अक्सर घेरे रहती थी जो यह आने के बाद उसपर हावी हो गई थी और उसको यू देख रोहन और स्वरा ने उसे वैसा ही रहने दिया और खुद घर में किसी क्लू की तलाश करने लगे ताकि अक्षिता के बारे में कुछ पता लगा सके,

कुछ पलों बाद एकांश ने भी अपनी भावनाओं पर काबू पा लिया था और वो भी आ घर का कोना कोना देखने में लगा हुआ था, वो लोग घर का चप्पा चप्पा छानने में लगे हुए थे और जब थोड़ी देर की मेहनत के बाद एकांश को कुछ नही लिया तो उसने बाकियों से पूछा

"कुछ मिला?"

लेकिन बाकी लोगो ने भी ना में गर्दन हिला दी

"मुझे लगता है हमे ऊपर जाकर अक्षिता का रूम भी चेक करना चाहिए क्या पता वहा कुछ हो" स्वरा ने कहा

स्वरा को बात से सहमत होते हुए अमर और रोहन भी ऊपर के फ्लोर की ओर जाने लगे वही अक्षिता के कमरे में जाने के खयाल से एकांश का दिल जोर से धड़कने लगा था..

एकांश के चेहरे के भाव पढ़ते हुए स्वरा के सोचा के उसे कुछ देर अक्षिता के कमरे में अकेला रहने देना सही होगा और इसी खयाल के साथ वो बोली

"आप यहा देखी हम तब तक बाकी के कमरों में देखते है" जिसके बाद स्वरा रोहन और अमर बाकी कमरों की तलाशी लेने वहा से चले गए और एकांश ने जोरो से धड़कते दिल के साथ अक्षिता के कमरे का दरवाजा खोला और अंदर आया,

कमरे में एकांश का स्वागत अंधेरे ने ही किया, उसने अपनी उंगलियों से टटोल के लाइट का स्विच दबाया और कमरा रोशनी से नहा गया, एकांश ने एक नजर पूरे कमरे में घुमाई, अक्षिता का कमरा एकदम बढ़िया तरीके से जचाया हुए, है सामान उसकी जगह पर रखा था, बाकी घर की तरह ही यहां भी धूल थी लेकिन थोड़ी कम थी,

कमरे में एक अलमारी, डबल बेड पालन, एक डेस्क और चेयर रखे हुए थे, है चीज बढ़िया तरीके से जमी हुई थी, और अचानक उस कमरे में इस वक्त अक्षिता को इमेजिन करते हुए एकांश के चेहरे पर अनायास ही मुस्कान आ गई, डेस्क पर कोई बुक पढ़ते, बेड पर लेटे हुए, ड्रेसिंग टेबल पर खुद को तयार करते हुए उसे अक्षिता नजर आ रही थी

इन सब खयालों ने उसके दिमाग पर कब्जा कर लिया था वो भावनाओं पर से अपना कंट्रोल खो रहा था लेकिन जल्द ही उसने ये खयाल झटके और पूरे कमरे में कोई क्लू खोजने लगा, एकांश उस कमरे का कोना कोना तलाशने लगा के कही से तो कुछ तो सूरज मिले जिससे पता चले वो कहा गई है, कोई टिकट कोई पेपर कुसी लिखा हुआ लेकिन कुछ नही मिल रहा था सिवाय निराशा के

वो उसकी डेस्क के पास आया और वहा रखा अक्षिता का नोटपैड चेक किया के शायद उसमे कुछ लिखा हो लेकिन फिर से उसे खाली हाथ ही रहना पड़ा, कही से भी कुछ नही मिल रहा था, अलमारी ड्रावर्स सब देख लिया था और फिर एकांश को नजर एक दीवार पर पड़ी जो पूरी फोटो फ्रेम्स से ढकी हुई थी...

एकांश एक पल ठिठका और फिर धीरे धीरे चलते हुए उन तस्वीरों के पास पहुंच कर उन्हे गौर से देखने लगा

पहली फोटो अक्षिता की थी, शायद उसके बचपन की जिसमे को मुस्कुरा रही थी, दूसरी में उसके माता पिता था और तीसरी फोटो उनकी फैमिली फोटो थी, वैसे ही चौथी और पांचवी फोटो भी और फिर जब एकांश की नजर अगली फोटो पर गई एक बार फिर उसकी आंखे भरने लगी थी,

अगली फोटो एकांश की थी जो साइड से ली गई थी जिसका उसे पता भी नही था, एकांश किसी चीज को देख रहा था जब अक्षिता ने उसकी ये तस्वीर खींची थी,

अगली फोटो ने वो दोनो थे जो एकदूसरे की आंखो से देख रहे थे, मुस्कुरा रहे थे इसी फोटो की कॉपी एकांश के पास भी थी, और फिर एकांश ने आखरी फोटो को देखा जिसमे वोही था और ये फोटो अभी अभी खींचा गया था, एकांश के ऑफिस में जिसमे वो ब्लू सूट पहने लैपटॉप पर काम कर रहा था,

एकांश के चेहरे पर उस तस्वीर को देखते हुए मुस्कान आ गई ये सोच कर के अक्षिता को उससे छिपा कर ये फोटो लेने में कितनी मेहनत लगी होगी...

एकांश वहा से पलट कर जाने ही वहा था के बेड और साइड टेबल के बीच रखी किसी चीज ने उसका ध्यान खींचा, उसके इस चीज को हाथ में लिया तो पाया के वो एक डायरी थी

अक्षिता को डायरी

एकांश का दिल अब और जोर से धड़कने लगा जब उसने उस डायरी को खोला

अंदर सूखे गुलाब की पंखुड़ियां थी जिसे एकांश ने हटाया और वहा अक्षिता का नाम लिखा हुआ था साथ ही नीचे भी कुछ लाइन्स लिखी हुई थी



‘अगर किसी को किसी भी तरह मेरी ये डायरी मिले तो प्लीज इसे ना पढ़े, इसमें कुछ भी खास नही है सिवाय में उदास और डिप्रेस्ड खयालों के, और आप शायद किसी डिप्रेस्ड लड़की के बारे में नहीं पढ़ना चाहेंगे... ‘

एकांश ने ये पढ़ा, उसे समझ नही आ रहा था क्यां करे, उसका मन पढ़े या ना पढ़े इस दुविधा में था लेकिन साथ ही मन ये ये खयाल भी चल रहा था के शायद डायरी के उसका पता ठिकाना लिखा हो और उससे उसके बारे में पता चल पाए और इसी उम्मीद में एकांश ने डायरी का पन्ना बदला....



क्रमश:
Amezing kya romantic par pain dene vala seen taiyar kiya hai. Jabardast. Akshita ke ghar me rat ke wakt. Akshita kitni lucky hai yaar. Use sab dhudh rahe hai. Photos vala pal to la jawab tha. Aur ab diary mili hai. Jisme uski pyari pyari feelings ansh ke samne hongi.
 

Shetan

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Update 28



मैं तुमसे बहुत प्यार करती ही अंश, बहुत बहुत ज्यादा प्यार, इतना के मैं तुमसे दूर होने को भी तयार हू, मैं ये भी जानती हु के जो भी मैने किया उसके लिए तुम मुझसे नफरत कर रहे होगे लेकिन मुझे यही सबसे अच्छा तरीका लगा तुम्हे मुझसे और मेरी मौत से बचाने का..

एक महीने पहले कोई अगर मुझे बताता के मैं तुमसे प्यार नही करती या हम कभी मिल नही सकते और मैं एक दिन तुम्हारा दिल तोड़ दूंगी तो मुझे इस बात पर कभी विश्वास नही होता और ऐसी बात बोलने के लिए मैं उस इंसान को थप्पड़ मार देती लेकिन अब....

मुझे कुछ दिनों पहले ही मेरी जानलेवा बीमारी के बारे में पता चला है जिसमे मेरी दुनिया ही उलट के रख दी है, तुमसे, मम्मी पापा से दूर जाने का खयाल ही असहनीय है और यही सोच सोच के मुझे रोना आ रहा है

लेकिन..

मुझे अपने आप को संभालना होगा, मेरे बीमारी की वजह से मैं तुम्हे तड़पता नही देख सकती, मुझे अपने आप को संभालना होगा तुम्हारे सामने बुरा बनना होगा मुझे तुम्हे अपने से दूर करना होगा, मैं जानती हु तुम्हे मेरे बर्ताव से बहुत तकलीफ हुई है लेकिन अंश तुम जितने दर्द में मैं उससे हजार गुना ज्यादा दर्द महसूस कर रही हु..

मैं अपने आप से वादा किया था के तुम्हे कभी कोई तकलीफ नही होने दूंगी लेकिन मैं ये नही जानती थी के एक ना एक दिन मैं ही तुम्हारे दर्द का कारण बनूंगी

मैने ये जिंदगी तुम्हारे साथ बिताने का वादा तोड़ा है अंश होसके तो मुझे माफ करना

आई एम सॉरी अंश

तुम हमेशा मेरे दिल में मेरे करीब रहोगे, एक तुम ही हो जिसे मैं आखरी सास तक चाहूंगी..

मैने बस तुमसे प्यार किया था, करती ही और करती रहूंगी....




डायरी पढ़ते हुए एकांश रोने लगा था, अक्षिता ने ये उस वक्त लिखा था जब वो दोनो अलग हुए थे और उसका दर्द इन लिखे हुए पन्नो से बयान हो रहा था, डायरी के उस पन्ने पर आंसुओ की बूंदे भी एकांश को दिख रही थी जो अब सुख गई थी

सारा गिल्ट सारी गलतफहमियां सब एक के बाद एक एकांश के दिमाग में आ रही थी और अब एकांश से ये दर्द बर्दाश्त नही हो रहा था, अपनी भावनाओं पर उसका नियंत्रण नही था और इस सब में वो ये भी भूल गया था के वो क्या कर रहा था..

नेहा ने एकांश से पूरी डायरी चेक करने कहा के कही से कुछ पता चले लेकिन उसमे भी कोई क्लू नही था

वो सभी लोग अक्षिता के घर से खाली हाथ लौट आए थे लेकिन एकांश ने उसके घर को चाबी और वो डायरी अपने पास रख ली थी वो इस डायरी को अच्छे से पढ़ना चाहता था, अक्षिता की भावनाओ को समझना चाहता था,

ये डायरी उन दिनो को गवाह थी जहा अक्षिता अकेली थी और अपनी बीमारी से जूझ रही थी साथ ही इस गम में जी रही थी के उसने एकांश का दिल दुखाया है,

**

एक और दिन बीत गया था और उन्हें अक्षिता के बारे में कुछ पता नहीं चला था, समय रेत की भांति फिसल रहा था और अब एकांश का मन और भी ज्यादा व्याकुल होने लगा था, एक के बाद एक दिन बीत रहे थे और आखिर वो दिन भी आ गया जब अक्षिता की डॉक्टर के साथ अपॉइंटमेंट थी, एकांश अमर स्वरा और रोहन सुबह से ही हॉस्पिटल पहुंच गए थे के जैसे ही अक्षिता दिखे उसे मिले उससे यू अचानक जाने का जवाब मांगे,

आज अक्षिता से मुलाकात होगी बस इसी खयाल से एकांश रातभर सो भी नही पाया था लेकिन वो नहीं आई

वो लोग बस इंतजार करते रहे लेकिन वो नहीं आई, खुद के चेकअप के लिए भी नही आई

अब सभी लोगो को हिम्मत टूटने लगी थी, खास तौर पर एकांश की, उसने डॉक्टर से अक्षिता के आते ही उन्हें इनफॉर्म करने कहा और फिर वापिस अपनी खोज में लग गए



और फिर अगले दिन एकांश का फोन बजा, उसने अपनी गाड़ी साइड में लगाई और फोन देखा तो अनजान नंबर से कॉल आ रहा था जिसे एकांश से रिसीव किया

"हेलो?"

"हेलो मिस्टर रघुवंशी मैं डॉक्टर सुरेश बात कर रहा हु"

एकांश एकदम सचेत हो गया

"हा डॉक्टर बोलिए, कोई खबर?"

"हा, मैने वही बताने के लिए कॉल किया है, वो आज चेक अप के लिए आई थी" डॉक्टर ने कहा

एकांश एकदम शॉक था, अक्षिता हॉस्पिटल में थी यही सोच के उसकी सारी एनर्जी लौट आए थी, मालिन होती आशा में उम्मीद का दिया वापिस जलने लगा था

"मैं... मैं अभी.. अभी आ रहा हु डॉक्टर, आप उसे रोक के रखिए, उसे कही जाने मत दीजिएगा" एकांश ने जल्दी जल्दी कहा और गाड़ी शुरू करने लगा

"वो अभी यह नही है मिस्टर रघुवंशी, वो अभी अभी यह से गई है" डॉक्टर ने कहा

"क्या??? ये जानते हुए भी के हम उसे ढूंढने में लगे हुए है आप उसे ऐसे कैसे जाने दे सकते है??" एकांश गुस्से में चिल्लाया

"शांत हो जाइए मिस्टर रघुवंशी, मैं इसमें कुछ नही कर सकता था आज उसका अपॉइंटमेंट नही था वो अचानक आई थी और मैं उसके सामने आपको कैसे बताता?" डॉक्टर बोला

"आपके पास उसे रोकने के और भी रास्ते थे डॉक्टर, आपको उसे रोके रखना चाहिए था" एकांश ने वापिस गुस्से में कहा

"वो मेरी पेशेंट है मिस्टर रघुवंशी और उसे हालत को देखते हुए मैं उससे इंतजार नही करवा सकता था, आपको क्या लगता है मैंने कोशिश नही की है या आप मेरे कोई दुश्मन है, मैने उसे रोकने को बहुत कोशिश की है लेकिन वो बहुत जल्दी में थी और मेरे हाथ में कुछ नही था" डॉक्टर ने कहा

एक बार फिर एकांश को निराशा ने घेर लिया था

"वो अभी अभी यहा से गई है, ज्यादा दूर नही गई होगी अगर आप जल्द से जल्द आ जाए तो शायद आप उसे पकड़ सकते है" डॉक्टर ने आगे कहा

"ठीक है, मैं बस कुछ ही देर में पहुंच रहा हु" एकांश ने कहा और फोन काट दिया

फिर एकांश ने रोहन और अमर को भी बता दिया और जल्द से जल्द आने को कहा, स्वरा रोहन के साथ ही थी और कुछ हॉस्पिटल की ओर निकल गया

कुछ ही मिनटों में वो हॉस्पिटल में था और वो वहा का हर तरफ अक्षिता को ढूंढने लगा, हॉस्पिटल उसके आसपास का सब इलाका लेकिन अक्षिता उसे कही नही दिखी,

उसने हॉस्पिटल के अंदर भी हर तरफ चेक किया, आने जाने वाले सभी को देखा, जहा मरीजों के टेस्ट्स होते है वहा भी देखा लेकिन कोई फायदा नही हुआ

थोड़े समय बात रोहन स्वरा और अमर भी एकांश के पास पहुंच गए थे हो हाफ रहा था और दौड़ने की वजह से पूरा पसीने से तरबतर था

"एकांश सर आप ठीक हो?" स्वरा ने उसे देखते हुए पूछा

"भाई.." अमर ने एकांश के कंधे पर हाथ रखा, एकांश ने इन लोगो को बस जल्दी आने कहा था इस उम्मीद में के ज्यादा लोग होंगे तो अक्षिता को जल्दी खोजा जा सकता था लेकिन उसके पास पूरी बात बताने का वक्त नहीं था और अब शायद देर हो चुकी थी, वो वापिस जा चुकी थी

"वो चली गई, वापिस चली गई" एकांश हताश होते हुए वहा रखी एक बेंच पर बैठते हुए बोला वो अपने आप को एकदम ही हारा हुआ सा महसूस कर रहा था और उसकी टूटती हिम्मत देख बाकी लोग भी परेशान हो रहे थे

"एकांश उठो, हम ढूंढ लेंगे उसे" रोहन ने कहा, उसने एक दोस्त जैसे एकांश से कहा, अब वो बॉस एम्प्लॉय नही थे,

"हा, कमसे कम इतना तो पता ही चला के वो इसी शहर में है" स्वरा ने कहा

"चलो पहले डॉक्टर से मिलते है" अमर बोला और वो चारो डॉक्टर के केबिन को ओर गए

डॉक्टर ने एकांश को देखा, उसकी आंखे लाल हो गई थी और थोड़ी सूज गई थी

"क्या हुआ? बात बनी?" डॉक्टर ने अपनी जगह से उठते हुए पूछा

"हम उसे नही ढूंढ पाए" रोहन ने बताया

डॉक्टर ने एकांश को कुर्सी पर बैठने कहा और पानी का ग्लास उसकी ओर बढ़ाया

"लो पानी पियो"

एकांश ने वो ग्लास लिया और चुप चाप पानी पीने लगा, उसका यू शांत रहना बाकी लोगों को डरा रहा था

"आपको हमे तब ही कॉल कर देना चाहिए था जब वो यहां थी, तब शायद हम उसे पकड़ सकते थे" स्वरा ने डॉक्टर से कहा, एकांश ने जब उन्हें केबिन को ओर आते हुए पूरी बात बताई थी तभी से वो भी थोड़े गुस्से में थी

"मैडम मैं आपकी भावनाओं को कद्र करता हु लेकिन मैं एक डॉक्टर हु और मेरे लिए मेरे पेशेंट की जान ज्यादा इंपोर्टेंट है, मैने उसे कुछ टेस्ट्स करने का बोल कर चेकअप के बाद रोकने की कोशिश की थी लेकिन वो अचानक उठ कर चली गई अब इसमें मैं क्या कर सकता था बताइए" डॉक्टर अपना बचाव करते हुए बोला

"कैसी है वो?" इतनी देर से शांत एकांश ने पूछा और सबका ध्यान उसकी ओर गया

"वो.. वो ठीक है" डॉक्टर ने कहा लेकिन एकांश को इसपर यकीन नही हुआ

"बताओ डॉक्टर, उसकी कंडीशन कैसी है अब" एकांश ने डॉक्टर की ओर देखते हुए पूछा, उसकी आंखे से झलकता सर्द डॉक्टर भी महसूस कर सकता था, डॉक्टर कुछ नही बोला,

"बोलो डॉक्टर" एकांश ने दिए एक बार पूछा

"ना ज्यादा अच्छी है ना बहुत बुरी है, एक तरह से वो बीच में झूल रही है, कभी भी कुछ भी हो सकता है" डॉक्टर ने कहा

एकांश की आंखो से आंसू की एक बूंद गिरी लेकिन उसने डॉक्टर पर से अपनी नजरे नही हटाई और डॉक्टर से आगे बोलने कहा

"हमने बहुत से अलग स्पेशलिस्ट से भी कंसल्ट किया है और इस बार मैंने कुछ अलग दवाइया दी है जो ज्यादा एडवांस और पावरफुल है, देखिए मिस्टर रघुवंशी मैं झूठी उम्मीद नहीं दूंगा जो है सब आपको मैंने बता दिया है, मैने उससे कहा है के उसे कुछ भी लगे जरा भी तकलीफ हो तुरंत हॉस्पिटल आए ताकि हम आगे देख सके" डॉक्टर ने कहा

"अगली बार अगर वो आए तो प्लीज हमे छिप कर मैसेज कर दीजिएगा" स्वरा ने कहा

"ठीक है, और इस बार जब तक आपलोग नही आ जाते उसे रोकने को कोशिश भी करूंगा"

जिसके बाद वो सभी लोग वहा से निकल गए, एकांश सीधा अपने घर गया और उसने वापिस अपने आप को अपने कमरे में बंद कर लिया और बेड पर लेट गया तभी उसकी नज़र डायरी पर पड़ी, उसने उसे उठाया और पढ़ने लगा





मुझे नही पता था तुमसे दूर जाना मेरे लिए इतना मुश्किल होगा के मैं तुमसे दूरी का दर्द ही बर्दाश्त न कर पाऊं.

तुम्हे पता है जब मैने तुमसे ब्रेक अप किया और घर आई तो मैंने सोचा था के मैने तुम्हे मुझसे से बचा लिया था और इस बात से मुझे खुश होना चाहिए था लेकिन नही... तुमसे दूर रहना, तुमसे बात ना कर पाना, तुम्हे ना देख पाना दिन ब दिन मुझे पागल कर रहा है

मैने अपने आप को कमरे में बंद कर लिया है, सभी दरवाजे खिड़कियां सब बंद हैं और अब अंधेरे में ही दिन बीत रहे है

मैं शायद डिप्रेशन की शिकार हो गई ही ऐसा लगता है बस सोई रहु और कभी उठू ही ना, मेरी बीमारी, ये डिप्रेशन और ये अंधेरा सब मुझे पागल कर रहा है, समय से पहले ही मौत को मैंने तो स्वीकार कर लिया था लेकिन शायद मम्मी पापा नही कर पाए और उन्होंने मुझे बचा लिया, डॉक्टर्स और थेरेपिस्ट यहा कामियाब हो गए

मैने बंद कमरे और अंधेरे में इतना रह चुकी हु के अब वो अंधेरा और बर्दाश्त नही होता, पता चला है के अब मुझे claustrophobia भी है, जब भी अंधेरी बंद जगह में रहती हु सारा दर्द आंसू सबकुछ हावी होने लगता इतना ही सास भी नही ले पाती हु

मैने सोच लिया है अब मेरी वजह से मेरे मम्मी पापा को और तकलीफ नही होगी, वो पहले ही मेरी वजह से काफी कुछ सहन कर रहे है अब और नही,

मैं थेरेपी ले रही हु, डिप्रेशन से बाहर आ रही हु, थेरेपिस्ट ने कहा है के जिन्हे मैं किसी से कह नही सकती वो बाते लिख लिया करू, जो मैं फील करती ही लिख लिया करू बस इसीलिए ये डायरी लिख रही हु

शायद में मेरे भीतर छिपा दर्द बाहर ले आए

आई लव यू, अंश...




अब एकांश को उसके claustrophobia का रीजन समझ आया था और उसने एक बार फिर खुद को उससे उस दिन ज्यादा काम करवाने के लिए कोसा...

***

दो दिन और बीत गए लेकिन अक्षिता का कुछ पता नहीं चला ना ही उन्हें कही से कोई नई इनफॉर्मेशन मिल रही थी, एकांश जहा जहा ढूंढ सकता था हर जगह ढूंढ लिया था और एक बार फिर उसके हाथ में अक्षिता की डायरी थी

अंश! एक बहुत अच्छी खबर है, मुझे नौकरी मिल गई है!

बहुत सारी मिन्नतों और रोने धोने के बाद मम्मी पापा मेरी जॉब के लिए मान गए है और अब मैं बहुत ज्यादा एक्साइटेड हु

सारा दिन घर पर बस बीमारी के खयाल आते थे, में वापिस डिप्रेस्ड फील करने लगी थी तो डॉक्टर से कंसल्ट करने के बाद मैंने अपने आप को बीजी रखने जॉब करने का फैसला किया है

और मैं तुम्हे बहुत बहुत ज्यादा मिस कर रही हु

मैने तुम्हे एक मैगजीन के कवर पर देखा, तुम्हे अपने पापा को कंपनी को टेकओवर कर लिया है और मुझे इस बात की बहुत खुशी है फोटो में काफी हैंडसम दिख रहे हो लेकिन तुम्हारे चेहरे का दर्द वो फोटो भी नही छिपा पाया, मैं जानती हु तुम्हारी उन सुनी आंखो के लिए मैं ही जिम्मेदार हु

आई एम सॉरी

एंड

आई लव यू...




"आई लव यू टू" एकांश ने कहा और अपने पास के अक्षिता के फोटोंको चूम लिया और उसकी तस्वीर को देखते हुए ही नींद के आगोश में समा गया

एकांश की नींद उसके फोन के बजने से टूटी उसने नींद में देखा तो कोई नया नंबर था, एक पल को खयाल आया के शायद अक्षिता का फोन हो और उसने जल्दी से रिसीव किया

"हेलो?"

और जैसे ही उसे पता चला सामने अक्षिता नही है उसका चेहरा उतर गया

"हेलो सर"

"कौन बात कर रहा है"

"सर, मुझे मिस्टर अमर ने अपना नंबर दिया है ताकि मैं सीधा आपसे बात कर सकू" सामने से एक लड़की ने कहा

"हम्म्म बोलो"

"सर, मैं डिटेक्टिव मंदिरा बोल रही हु, क्या मैं आपने एक मिनट बात कर सकती हु?"

"हा"

"सर मुझे आपसे मिस अक्षिता के केस के सिलसिले में कुछ बात करनी है" उसने कहा और अब एकांश का दिमाग चमका

"तो आप ही है वो जिसे अमर ने हायर किया है"

"हा सर"

"बताइए क्या मैटर है"

"सर मुझे लगता है we have found a lead!"....



क्रमश:
Woe sayad ansh bahot karib hai. Vo hospital aai thi. Par kash mil jati. Diary me likhi bate dill me ek ajib sa pain feel karva rahi hai. Anjane me ansh se kai bar galti hui. Uska fobia bhi. Amezing update.
 

Shetan

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Update 29



"कहा है वो ?"

"मुझे नही पता"

"अगर उसे लेट ही आना था तो उसने हमे इतना अर्जेंटली क्यू बुलाया"

"स्वरा रिलैक्स, वो ट्राफिक में फस गया होगा"

"कैसे रिलैक्स करू रोहन, कितने काम है अभी घंटे भर में ऑफिस में इंपोर्टेंट मीटिंग है, अक्षु का कुछ पता नहीं चल रहा, हमारा बॉस ऑफिस से गायब है और क्यों है इसकी ऑफिस वालो को खबर भी नही है और हम भी नही रहे तो नुकसान तगड़ा हो जायेगा"

"स्वरा हम एकांश को दोष नही दे सकते वो किस कंडीशन में है हम जानते है"

"इसीलिए तो सब मैनेज कर रहे है" स्वरा ने कहा

"खैर उसने हमे बुलाया है तो जरूर कुछ न कुछ बहुत ही जरूरी बात होगी लेट्स वेट"

ये लोग बात कर ही रहे थे वही कैफे में इन्ही के टेबल के पास एक लड़की बैठी थी जो बस इन लोगो को ही देखे जा रही थी,

एक पल को उसकी और स्वरा की नजरे भी मिली लेकिन स्वरा ने उसे इग्नोर कर दिया लेकिन उसने अपनी नजरे उनपर बनाए रखी

थोड़े ही समय के बाद एकांश भी वहा पहुंच गया और उनलोगो के सामने वाली कुर्सी पर जाकर बैठा था,

स्वरा टेबल तब सर टिकाए बैठी और एकांश के आने की आवाज सुन वो सीधी बैठ गई वही रोहन भी एकांश को देखने लगा

एकांश कुछ नही बोल रहा था वो बस अपने फोन में लगा हुआ था और किसी को बार बार कॉल लगा रहा था लेकिन सामने वाला जवाब नही दे रहा था

जब कुछ समय तक एकांश कुछ नही बोला तो स्वरा ने पूछा

"एकांश क्या हुआ है ? क्या अर्जेंट बात है? अक्षू के बारे में कुछ पता चला?" स्वरा ने पूछा बदले में एकांश ने बस हा में सर हिलाया

"एकांश प्लीज बताओगे बात क्या है, देखो हमे ऑफिस पहुंचना है तुम नही हो ऐसे में वहा का काम भी बिखरा हुआ है"

"मैं जानता हूं रोहन, बस एक बार अक्षिता मिले सब सही हो जायेगा, अरे यार ये फोन क्यों नही उठा रही??" एकांश ने थोड़ा जोर से कहा

"कौन?" रोहन और स्वरा ने एकसाथ पूछा

"मैं"

सबने ये आवाज सुनी और उसकी ओर देखा जिसने 'मैं' कहा था , ये वही लड़की थी जो उन्हे देख रही थी

"क्या?" स्वरा ने सवालिया नजरो से पूछा

"मैं ही वो हु जिसका आपलोग इंतजार कर रहे थे" उस लड़की ने कहा,

स्वरा और रोहन को कुछ समझ नही आ रहा था क्युकी उन्हें पूरी बात बता ही नही थी एकांश ने तो उनसे बस वहा आने कहा था लेकिन एकांश उसे पहचान गया और उसने उसे बैठने कहा

"तो आप है डिटेक्टिव अमृता?" एकांश ने उस लड़की को देखते हुए या यू कर एक उसका एक्सरे करते हुए कहा

वैसे वो लड़की भी एक पल को एकांश की आंखो में खो गई थी, वो रियल में ज्यादा अच्छा दिखता था

"जी हा" उसने कहा

"रोहन, स्वरा ये वो डिटेक्टिव है जिन्हे हमने अक्षु को ढूंढने हायर किया था और मिस अमृता ये मेरे दोस्त है" एकांश ने फॉर्मल इंट्रोडक्शन कराया स्वरा और रोहन ने भी अमृता से हाथ मिलाया

"अब अहम बात पर आते है, मिस अमृता आपने कहा था आपको अक्षिता के बारे में कोई लीड मिली है, क्या पता चला?" एकांश ने कहा

"क्या?" स्वरा ने कहा

"क्या पता चला?" रोहन ने भी जल्दी पूछ लिया

"बताती हु, एक्चुअली उसे ट्रेस करना बहुत ही मुश्किल है क्युकी उसने अपने आप को बहुत बढ़िया तरीके से छिपाया हुआ है, she is keeping a very low profile, वो ना तो अपना पुराना फोन या न्यूज यूज कर रही है ना ही पुराना कोई भी कार्ड जिससे उस तक पहुंचा जाए" अमृता ने कहा

"ये मुझे पुलिस भी बता चुकी है, आगे?" एकांश ने कहा

"देखिए मैने अमर सर से उसके बारे में और डिटेल्स जानी उसके फैमिली के बारे में पता किया और अमर सर ने भी उन्हें जो जो पता था सब बताया, जो सब भी जो आपलोगों ने पता किया था, एड्रेस और जहा ट्रीटमेंट चल रहा है सब और फिर मैंने खोज शुरू की, मैने उसने पड़ोसियों से पूछा लेकिन जैसी उम्मीद थी उन्हें कुछ नही पता था बस इतना पता चला के अक्षिता के पिता एक रिटायर्ड गवर्मेंट ऑफिशियल है, मैने फिर उनके बारे में भी पता करना चाहा लेकिन वो लोग बहुत ही कम लोगो से कॉन्टैक्ट रखे हुए थे और बस आपस में ही खुश थे किसिसे या किसी बात में ज्यादा इन्वॉल्व नही होते थे और इसीलिए उन्हें ढूंढना ज्यादा मुश्किल काम है, मैने ये भी पता करने की कोशिश की के शायद ही सकता हो उनकी कोई दूसरी प्रॉपर्टी को जहा वो गए हो या किसी दूसरे शहर में कुछ हो लेकिन ऐसा भी कुछ पता नहीं चल पाया तो मिलाजुलाकार बस हॉस्पिटल और उसका घर ही था जहा से कुछ पता चल सकता था, वो घर नही आने वाले थे मुझे पता था इसीलिए मैं हॉस्पिटल पर अपनी नजरे बनाए हुए थे और जब अमर सर ने मुझे बताया के वो हॉस्पिटल में चेकअप के लिए आई थी तब मैं वही पास में ही थी और जब तक मैं वहा पहुंची तब तक या तो वो जा चुकी थी या फिर उसने अपने आप को कवर कर लिया था ताकि कोई उसे ना पहचाने या हो सकता है सब क्लीयर होने तक कही छिप गई हो, खैर मुझे लगता है उसे शक तो है के कोई पीछा कर सकता है इसीलिए वो चेकअप के बाद बगैर दवाइया लिए वहा से चली गई थी, उसने हॉस्पिटल ले मेडिकल से दवाइया नही ली थी जहा से वो हर बार लेती थी" अमृता बोलते बोलते रुकी और उसने उन लोगो को देखा जो उसकी बात ध्यान से सुन रहे थे

"तुम्हे हॉस्पिटल वाली बात कैसे पता?" रोहन ने पूछा

"अमर सर ने बताया था आप लोग डॉक्टर से मिले थे और शायद डॉक्टर ने आपको prescription की कॉपी भी दी थी मैंने उन्हें वाली कॉपी मांगी और उसी से आगे को छानबीन की, सबसे पहले तो मैंने हॉस्पिटल के ही मेडिकल हॉल में। इंक्वायरी की, उन्होंने बताया के अक्षिता नाम को पेशेंट हर महीने उन्हीं के पास से दवाइया लेती है लेकिन इस बार उसने वहा से दवाइया नही ली थी इसीलिए फिर मैने हॉस्पिटल के आसपास के भी सभी मेडिकल्स में पूछा और मेरे कॉन्टैक्ट के थ्रू मुझे ऐसी जगह का पता चला जहा से शहर के कई मेडिकल में दवाइया जाति थी, वहा से मुझे पता चला के एक छोटे से मेडिकल ने अभी रिसेंटली ही यही दवाइया ऑर्डर की थी और जब मैने चेक किया तो पाया के ये वो एक्जैक्ट दवाइया थी जो उस प्रिस्क्रिप्शन में थी" अमृता ने बात खतम की

"तो तुम्हारा मतलब है के वो अक्षिता ही है जिसने ये दवाइया मंगवाई है" स्वरा ने पूछा

"हा, क्युकी कोई भी दूसरा पेशेंट एक्जैक्ट सेम प्रिस्क्रिप्शन ऑर्डर नही कर सकता था"

"सही है" रोहन ने कहा

वहा एकांश इस पूरे वाकए में एकदम ही शांत था, पहले तो वो खुश हुआ के कुछ तो पता चला है लेकिन फिर उसके मन में ये डर भी था के कही से सब गलत ना हो

"वो मेडिकल कहा है?" एकांश ने पूछा

"वो ये छोटा सा मेडिकल है ठाणे में" अमृता ने कहा

"ठीक है तुम दोनो ऑफिस के लिए निकलो मैं वहा उस मेडिकल पर जाकर देखता हु वहा आसपास देखता हु" एकांश ने वहा से उठते हुए रोहन और स्वरा से कहा

"क्या? हम तुमको अकेला नही जाने देंगे" स्वरा ने कहा

"हा हम भी साथ चलेंगे" रोहन ने भी स्वरा की बात में हामी भरी

"अगर तुम लोग साथ चलोगे तो ऑफिस कौन संभालेगा?" एकांश ने कहा

"लेकिन...."

"बस मैं जा रहा हु और कोई बहस नही"

"एक मिनट मिस्टर रघुवंशी, मैं भी आपके साथ चलती हु" अमृता ने भी अपना पर्स उठते हुए कहा

"नही मैं अकेला ही जाऊंगा आप बस मुझे उस मेडिकल का एड्रेस बताए" एकांश ने कहा

"देखिए हो सकता है उसने वही से दवाइया ली हो लेकिन ये जरूरी नहीं के वो वही उसी इलाके में रहती हो, मैं उस एरिया को जानती हू और मेरे पास कुछ लोकेशन है जहा हम उसे ढूंढ सकते है, मेरे साथ रहने से आपको उसे ढूंढने में आसानी होगी" अमृता ने कहा

एकांश ने एक पल सोचा और फिर बोला

"ठीक है"

जिसके बाद एकांश और अमृता निकल गए, अमृता बस इस बात से खुश थी के वो एकांश के साथ थी, उसने उसकी तस्वीर एक बिजनेस मैगजीन में देखी थी तभी से उसे उसपर क्रश था और याहा साथ साथ उसका काम भी हो रहा था

वो लोग एकांश की कार के पास आए, एकांश ने उसे आगे ड्राइवर के बाजू में पैसेंजर सीट पे बैठने कहा और खुद पीछे बैठ गया, एकांश अब जहा भी जाता ड्राइवर साथ होता था जो की अमर ने कहा था क्युकी इस डिप्रेस्ड हालत में वो एकांश की ड्राइविंग पर भरोसा नहीं कर सकते थे

अमृता ने ड्राइवर को एड्रेस बताया और कार चल पड़ी, अमृता ने पीछे देखा तो पाया के एकांश की पढ़ रहा था, एक डायरी..



मुझे इस जगह से प्यार हो गया है

क्या सही जगह है यार, ये ऑफिस यहा का वातावरण, यहा के लोग सबकुछ अच्छा है, यहा तक की बॉस भी फ्रेंडली है

आज मैं दो अमेजिंग लोगो से मिली, रोहन और स्वरा, हमने साथ में ही आज ऑफिस ज्वाइन किया है बढ़िया लोग है, लगता है हम अच्छे दोस्त बन सकते है

मुझे लगता है ये लोग, ये ऑफिस ये माहोल कुछ वक्त के लिए ही सही मुझे मेरे दर्द से निकलने में बहुत मदद करेगा

और इस सब में भी मैं तुम्हे बहुत मिस करती ही अंश

आई लव यू




एकांश ने डायरी बंद की और अपनी आंखों से निकलती आंसू की बूंद साफ की और खिड़की के बाहर देखने लगा, अमृता अपना फोन चलाते हुए बीच बीच में एकांश को देख रही थी, उसने तो खबर भी नही थी के एकांश के मन में क्या चल रहा था

कुछ समय बाद एकांश वापिस डायरी के कुछ पन्ने पढ़ने लगा जिसमे अक्षिता के नए दोस्तो के बारे में लिखा हुआ है जिसे पढ़कर उसे भी हसी आई क्युकी स्वरा और रोहन थे भी वैसे, पक्के दोस्त लेकिन हर पन्ने में एक बार कॉमन थी, अक्षिता का उसे लिखा आई लव यू

एकांश ने डायरी बंद की और मन ही मन अक्षिता ने कहा

आई लव यू टू....



क्रमश:
Detective Amruta ne to pura mahol hi thriller bana diya. Maza aaya. Kuchh pal ke lie to feelings change hi ho gai thi. Amezing.

But badme dobara diary ke panne khule to vapis vahi mahol. Last ka love you hi kuchh alag mahol bana gaya. Love it. I love this update.
 

Shetan

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Update 30



पिछले दो दिन से एकांश अमृता के साथ अक्षिता को ढूंढने में लगा हुआ था, वो जरा भी नही चाहता था के अमृता उसके साथ रहे लेकिन उसकी मजबूरी थी, अगर उसे अक्षिता को जल्द से जल्द ढूंढना था तो अमृता को साथ रखना ही था..

वो अमृता के उसके बारे में उसकी लाइफ के बारे में अक्षिता के बारे में लगातार चलते सवालों से परेशान हो गया था , हालांकि उसने उनमें से कई सवालों का जवाब नही दिया था और उसे चुप कराने के लिए उसका बस गुस्से से घूरना ही काफी था

उन लोगो ने उस मेडिकल पर पूछताछ की थी तो उस मेडिकल वाले ने बताया था के उसने वो दवाइया बस एक स्पेशल ऑर्डर के लिए मंगवाई थी और जब उससे पूछा गया के वो दवाइया लेने कौन आया था तो उसने बताया था के एक लड़की आई थी और वो दवाइया लेकर गई थी,

एकांश ने अपने फोन में उस मेडिकल वाले को अक्षिता की तस्वीर दिखा कर पूछा था के ये ये वही थी जिसने दवाइया मंगवाई थी जिसपर उस मेडिकल वाले ने भी हा कहा था

एकांश ये जानकर अब बहुत ज्यादा खुश था के वो अक्षिता के आसपास ही था, एकांश के चेहरे पर अब एक स्माइल थी वही अमृता बस एकांश को स्माइल करता था अपने को उसने खोया हुआ सा महसूस कर रही थी

एकांश ने उस बंदे से आगे भी पूछताछ की के क्या वो अक्षिता को जानता है या उसका एड्रेस जानता है के वो कहा से आई थी लेकिन अफसोस उसे ज्यादा कुछ नही पता था, us बंदे ने कहा के वो अक्षिता के बारे में कुछ भी नही जानता था जिसे सुन एकांश थोड़ा निराश हो गया था

लेकिन फिर भी उसके चेहरे पर स्माइल थी, उसका मन उससे कह रहा था के अक्षिता कही उसके आसपास ही थी और अब वो इसे जरूर ढूंढ लेगा

और बस तभी से एकांश और अमृता नए जोश के साथ अक्षितांको ढूंढने में लगे हुए थे..

पिछले दो दिन में एक और बात हुई थी, वो ये की अमृता के मन में एकांश के लिए फीलिंग बनने लगी थी, उसे एकांश पर क्रश तो पहले ही था लेकिन अब ये फीलिंग्स बढ़ रही थी, उसके पहले भी बॉयफ्रेंड थे, पुरुष मित्र थे लेकिन उसने कभी किसी के लिए ऐसा महसूस नही किया था जैसा एकांश के लिए करने लगी थी

उसे पहले भी कई लड़कों ने एप्रोच किया था लेकिन उसने किसी को घास तक नही डाली थी लेकिन यह एकांश के लिए उसकी फीलिंग्स ही अलग थी

इन दो दिनों में उसने एकांश को जाना था, ऑब्जर्व किया था, वो उन लड़कों जैसा नही था जिन्हे वो जानती थी, वो समझ गई थी एकांश अलग था, वो ये भी समझ गई थी के एकांश जैसा दिखता है वैसा था नही, वो भले ही ऊपर से रुड बनता लेकिन उसका दिल मोम जैसा था

वो एकांश को देखती थी जब वो एक फोटो को देख मुस्कुराता था, कैसे वो एकदून गौर से उस डायरी को पढ़ता था, कैसे वो उस डायरी और उस तस्वीर को अपने सीने से लगाता था, उसके चेहरे पर आते वो दर्द के भाव, हर पल किसी को तलाशती उसकी आंखे, अमृता सब नोटिस कर रही थी

वो नही जानती थी के अक्षिता कौन थी और ये लोग उसे क्यों ढूंढ रहे थे लेकिन वो इतना तो जान गई थी के अक्षिता एकांश के दिल के बहुत ज्यादा करीब थी

उसने एकांश से उसके बारे में उसकी जिंदगी के बारे में पसंद ना पसंद के बारे में बात करनी चाही लेकिन बदले में उसे बस कुछ छोटे जवाब मिले का थोड़े गुस्से से घूरती एकांश की आंखे जिससे वो चुप हो जाती थी...

--

"एकांश बेटा..."

एकांश चलते चलते रुका लेकिन पलटा नही

"तुम कहा जा रहे हो?" उसकी मां ने उसे पूछा

लेकिन एकांश कुछ नही बोला

"एकांश, talk to me"

वो फिर भी चुप रहा

"एकांश प्लीज, I said I am sorry"

उन्होंने कहा लेकिन एकांश अब भी कुछ नही बोला, उसने अपनी आंखे बंद कर ली

"मैने तुम्हे इसीलिए नही बताया था क्युकी मैने उससे वादा किया था और मैंने तुम्हे तकलीफ में नही देखना चाहती थी बेटा" उन्होंने एकांश का हाथ पकड़ते हुए उससे कहा

एकांश पलटा और अपनी मां को देखा

"तो आपको क्या लगता है मां अभी मैं बहुत मजे में हु, आप नही जानती के इस वक्त मैं कैसा महसूस कर रहा हु कितनी तकलीफ में हु ये सोचते हुए के वो इतने समय मेरी आंखों के सामने थी लेकिन मैं उसे बचाने के लिए कुछ नही कर पाया, ये सोच के मेरा दिल जल रहा हैं के उसने कभी मुझसे प्यार करना बंद ही नही किया और मैं उसके लिए कुछ नही कर पाया, उसे अगर कुछ हो गया तो पता नही मैं क्या कर जाऊंगा" एकांश ने रोते हुए कहा

"बेटा मैं जानती हु वो बहुत अच्छी लड़की है और तुमसे बहुत प्यार करती है लेकिन वही नही चाहती थी के ये बात कभी तुम्हे पता चला और एक मां होने के नाते मैने भी वही किया जो मुझे तुम्हारे लिए सही लगा, प्लीज एकांश मुझे अपने से दूर मत करो, मैं तुम्हारी बेरुखी नही झेल पाऊंगी बेटा" उन्होंने रोते हुए कहा लेकिन एकांश कुछ नही बोला

"एकांश...."

"अगर आप मुझे पहले ही ये सब बता देती तो मैं उसे कभी अपने से दूर नही होने देता, शायद मैं उसे बचाने के लिए कुछ कर सकता या उस मुश्किल वक्त में उसका साथ ही दे सकता था" एकांश ने कहा और वहा से चला गया वही उसकी बार रोते हुए उसे जाता देखने लगी और फिर एकांश रुका और बोला

"मुझे आपसे कोई शिकायत नही है मां, मुझे बस अपने आप से चिढ़ है" और वहा से चला गया

--

"मिस्टर रघुवंशी मुझे नही लगता के वो ठाणे में है, शायद उसने हमे गुमराह किया हो, हम सब जगह देख चुके है" अमृता ने पीछे की सीट की ओर देखते हुए एकांश से कहा जो अपने फोन में स्वरा को मैसेज कर रहा था

"उसे पता ही नही है के मैं उसे खोज रहा हु तो गुमराह करने का सवाल ही नहीं है" एकांश ने कहा

"आपको कैसे पता?" अमृता

"बस पता है"

"लेकिन मुझे लगता है के अब हमे...." लेकिन एकांश ने एकदम से उसकी बात काट दी

"I don't want your opinions" एकांश ने एकदम कहा

"मैं तो बस..."

"बस!"

और इसी के साथ अमृता चुप हो गई, वो अब भी ये नही समझ पाई थी के एकांश इतने डेस्परेटली अक्षिता को क्यू ढूंढ रहा था जैसे ये उसके जीने मरने का सवाल हो

वही एकांश इस बात पर फ्रस्ट्रेट हो रहा था के वो अभी तक अक्षिता को नही ढूंढ पाया था ऊपर से उसकी मां के साथ हुई उसकी बातचीत ने उसका गुस्सा और बढ़ा दिया था

वो अपनी मां को हर्ट नही करता चाहता था लेकिन वो उनसे नाराज भी था ऊपर ये डिटेक्टिव कंटिन्यू बोलती रहती थी जिससे अब उसका दिमाग भन्ना रहा था, उसने कुछ पल अपनी आंखे बंद की और दिमाग शांत किया और फिर उस डायरी को देखा



अंश आज मैने तुम्हे देखा..

तुम मेरे सामने मेरे ऑफिस में खड़े थे..

मैं जानती थी के हमारा नया बॉस आ रहा है लेकिन वो तुम होगे ये मैने नही सोचा था, मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा था लग रहा था के मैं सपना देख रही हु ये मेरा वहम है क्युकी आजकल मैं तुम्हे मेरे आसपास ही महसूस कर रही हु लेकिन है सच था, तुम वहा थे

जब तुम अंदर आए मैं शॉक थी, मैं वहा कुछ देर किसी मूर्ति की तरह खड़ी थी जब तक रोहन ने मुझे होश में नहीं लाया, तुम सबसे मिल रहे थे और मैं वहा से निकलने की कोशिश कर रही थी लेकिन तभी बॉस ने मुझे बुला लिया

तुमने ऐसे जताया जैसे तुम मुझे जानते ही नहीं हो और मेरी तरफ देखा भी नहीं, हा थोड़ा दर्द हुआ पर मैं खुश हु के तुमसे मिली

पता है मुझे सबसे ज्यादा तकलीफ किससे हुई? तुम्हारे की बदले हुए एटीट्यूड और रुड बर्ताव से जो की ना सिर्फ मेरे लिए था बल्कि सभी के लिए था, you used to be the sweetest person I know लेकिन शायद तुम बदल चुके हो और इसके लिए कही न कही मैं ही जिम्मेदार हु

आई एम सॉरी अंश, मैने तुम्हारे साथ गलत किया है, मैं तुमसे माफी मांगना चाहती थी, तुम्हे बताना चाहती थी के मैं आज भी तुमसे कितना प्यार करती हु, तुमसे बात करना चाहती थी कितना कुछ बताना है तुम्हे... लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकती... दोबारा तुम्हे दर्द नही दे सकती....

मुझे रोज ये डर सताने लगा है के अपनी बीमारी को तुमसे जैसे छिपाऊंगी, तुम्हारे सामने ये कैसे बताऊंगी के तुम मेरे लिए कोई मायने नहीं रखते, मुझे तो ये सोच सोच कर छोटे पैनिक अटैक आने लगे है के तुम्हे सच पता चला तो क्या होगा

कई महीनो में पहली बार इतनी अच्छी नींद आई है, मैने कभी नहीं सोचा था के तुम्हे दोबारा देख भी पाऊंगी लेकिन लगता है अब सब सही हो सकता है...

आई लव यू अंश




"आई लव यू" एकांश ने धीमे से कहा और बाहर की ओर देखने लगा जब उसने पाया के अमृता उसे ही देख रही है

"कौन है वो?" अमृता ने धीरे से पूछा

"क्या?"

"Who is she to you?" अमृता ने नीचे देखते हुए पूछा

"It's none of your business" एकांश ने थोड़े गुस्से में कहा वही अमृता थोड़ा हर्ट फील करते हुए बाहर की ओर देखने लगी

और तभी एकांश का फोन लगा उसने नाम देखा और फोन उठाया

"क्या है स्वरा" एकांश ने कहा

"वाह, हेलो कहने का क्या बढ़िया तरीका है"

"मुद्दे पे आओ"

"तुम कहा हो?"

"ठाणे पहुंच रहा हु"

"उसके बारे में कुछ पता चला?" स्वरा ने उम्मीद से पूछा

"अभी तक नही"

"एकांश.... You need to forgive your mom, उनकी इस सब में कोई गलती नही है" स्वरा ने कहा

"तुम पागल हो गई हो क्या? तुम ऐसा कैसे कह सकती हो?" एकांश ने चिल्ला कर कहा जिससे अमृता भी थोड़ा चौकी

"एकांश...."

"स्वरा, उन्होंने मुझसे सच छिपाया है, पूरे डेढ़ साल तक, अगर मुझे पहले ही सब कुछ सच सच पता होता तो मैं उसे कभी अपने से दूर नही होने देता" एकांश ने चिल्ला कर कहा वही अमृता सब गौर से सुन रही थी

"जानती हु लेकिन वो और क्या करती? अपने बेटे को उसके प्यार को हर पल मारता देख तड़पने देती?" स्वरा ने भी गुस्से में कहा

"और आज मैं उस वक्त से ज्यादा तकलीफ में हु उसके बारे में सोच कर उसके ठिकाने के बारे में सोच कर, मैं अंदर से हर पल ये सोच कर मर रहा हु के शायद शायद मैं कुछ कर सकता था...." बोलते बोलते एकांश की आवाज कांपने लगी थी

अमृता को ज्यादा कुछ समझ नही आ रहा था लेकिन वो इतना तो जान गई थी के एकांश के लिया अक्षिता जितना उसने सोचा था उससे ज्यादा मायने रखती थी

"एकांश, आई एम सॉरी, देखी मैं सब जानती हू और समझती भी हु बस मैं नही चाहती थी के तुम अपनी मॉम को हर्ट करो... और शायद अक्षु भी यही चाहती" स्वरा ने आराम से कहा

"सॉरी तुम्हारे ऊपर इस तरह चिल्लाने के लिए" एकांश ने कहा वही अमृता ने चौक के उसे देखा क्युकी उसके लिया ये पार्टी किसी को सॉरी बोले ऐसी नही थी

" कोई न अब तो आदत है, पहली बार थोड़ी है" स्वरा ने कहा जिसे सुन एकांश भी मुस्कुरा दिया

"और कुछ?"

"हा.. वो तुम ठाणे ही जा रहे हो तो प्लीज उस डीलर से भी मिल लेना जिसके बारे में मैने कल बताया था" स्वरा ने कहा

"कौन सा वाला?"

"हमारे ठाणे के प्रोजेक्ट का, तुम्हे उससे एस्टीमेशन और टेंडर के बारे में बात करनी होगी ताकि आगे हम काम फाइनलाइज कर सके, अब वहा जा रहे हो तो मिल लो"

"नही नहीं मैने तुमसे कहा था जब तक मैं अक्षिता को ढूंढ नही लेता मैं कुछ नही करने वाला" एकांश ने कहा

"हा लेकिन इनसे प्लीज मिल हो, वो पहले ही कई बार तुम्हारे बारे में पूछ चुके है और मैं बात टाल चुकी हु, प्लीज एक बार मिल लो ताकि मैं बाकी बाते कर सकू" स्वरा मिन्नते करते हुए कहा

"ठीक है"

"और ये तुम्हारी कंपनी है यार कुछ काम तुम्ही को करने पड़ेंगे"

"हा हा ठीक है" और एकांश ने फोन काट दिया

एकांश ने देखा के अमृता उसे ही देख रही थी

"कोई प्राब्लम?" उसने पूछा

"नही" अमृता ने आगे देखते हुएं कहा

"आगे सर्च करने के पहले मुझे ठाणे में ही एक मीटिंग अटेंड करनी है" एकांश ने अमृता से कहा और अपना लैपटॉप खोला

"ओके"

--

कुछ देर बाद वो लोग मीटिंग की जगह पहुंचे और एकांश अंदर गया वही अमृता कार के पास ही उसका इंतजार करने लगी और केस की बाकी डिटेल्स के बारे में सोचने लगी

कुछ देर बार एकांश डील फाइनल करके आया और वो आगे बढ़ गए और एक रेस्टोरेंट पर खाने के लिए रुके, कोई कुछ नही बोल रहा था, अमृता लंच करने चली गई वही एकांश बाहर ही था, उसका खाने का मन नही था वो गाड़ी में बैठ कर अभी हुई मीटिंग के मेल भेज रहा था

तभी एक गाड़ी के टायर घिसने की जोरदार आवाज आई उसने बाहर देखा जहा से आवाज आया था वहा अब भीड़ जम गई थी और हंगामा हो रहा था

चुकी ये सब रोड के दूसरी साइड हुआ था इसीलिए एकांश को कुछ दिख नही रहा था और तब तक ड्राइवर और अमृता भी आ गए थे और ड्राइवर हंगामे की वजह से कार रिवर्स ले रहा था वही एकांश अपने अपने फोन निकाला और वहा की।लोकेशन देखने लगा

एकांश ने फिर देखा के वो हंगामा क्लीयर हुआ है या नही और अब भीड़ छटने लगी थी और एकांश को सब साफ दिख रहा था और तभी एकांश की नजरे रुकी, उसे एक जानी पहचानी फिगर दिखी

और

समय

रुक

गया.....



क्रमश:
Muje dar hai kahi Amrita mili hui akshita ko kahi fir apne swarth ke lie gum na karva de. Ansh to pura bokhlaya huaa hi hai. Bas akshita ki diary hi use shant rakh rahi hai. Par kahi usne akshita ko to nahi dekh liya.
 

Shetan

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Update 31



एकांश झटके के साथ कार से नीचे उतरा और उस तरफ बढ़ गया कहा हंगामा हो रहा था, अपने बॉस को यू अचानक गाड़ी से उतरता देख ड्राइवर ने भी गाड़ी का इंजन बंद कर दिया और बाहर आकर एकांश के देखने लगा वही अमृता को भी समझ नही आ रहा था के अचानक क्या हुआ है और एकांश यू अचानक गाड़ी से क्यू उतरा इसीलिए वो भी कार से बाहर आकर एकांश के पास आई

अमृता ने एकांश को देखा जो किसी चीज को एकटक देखे जा रहा था और पलके झपकाए जा रहा था, अमृता ने एकांश को नजरो का पीछा किया तो उसे वहा कई सारे लोग दिखे लेकिन फिर उसकी नजरे भी उस एक शक्स पर जाकर रुकी जो सामने एक बच्ची के सामने घुटने टक्कर बैठी थी

अमृता ने अपने फोन निकाला और उसमे रेफरेंस के लिए सेव किया हुआ फोटो देखा और फिर उस लड़की को देखा और फिर एकांश को एक नजर देखा जो अब भी उसी लड़की को देख रहा था और वहा किसी पुतले जैसा खड़ा था जिसके अंदर भावनाओ का तूफान उमड़ रहा था

एकांश उस लड़की को गौर से देख रहा था जिसने हल्के पीले रंग का ड्रेस पहना हुआ था और बाल खुले छोड़ रखे थे और उसके चेहरे पर कुछ चिंता के भाव थे, एकांश बार बार अपनी पलके झपका कर उसे देख रहा था मानो कन्फर्म कर रहा हो के ये सही मे वही है और उसका भ्रम नहीं है

वो एक छोटी लड़की के सामने घुटने के बल बैठी थी और उसे चेक कर रही थी और तभी एकांश को वो दिखा, वो लॉकेट जो उसने उसे दिया था जिसे उसने अब तक अपने से लगा कर रखा था

ये वही थी, अक्षिता

आज एकांश की खोज पूरी हो गई थी उसने अक्षिता को ढूंढ लिया था, उसकी जिंदगी को ढूंढ लिया था

एकांश की तंद्री तब टूटी जब उसने देखा के अक्षिता उस लड़की के साथ एक घर मे जा रही थी और साथ ही कुछ और लोग भी थे

“ये वही है, हैना?” एकांश को पीछे से आवाज आई और एकांश आगे बढ़ते हुए रुका और उसने पीछे देखा तो वहा अमृता बस उसे ही देख रही थी, एकांश ने अपना गला साफ किया और बोलना शुरू किया

“हा” एकांश ने आराम से कहा

“बढ़िया! तो हमने उसे ढूंढ लिया है” अमृता की आवाज मे ये बोलते हुए थोड़े उदासी का पुट था क्युकी उसका काम यहा खतम हो गया था और अब वो एकांश से नहीं मिल पाएगी

“आप वापिस जा सकती है, मेरा ड्राइवर आपको जहा चाहो ड्रॉप कर देगा” एकांश ने कहा

“क्या? क्यू?” अमृता ने एकदम से पूछा

“शायद आप भूल रही है मिस अमृता आपका काम अक्षिता को ढूँढना था और अब हमने उसे ढूंढ लिया है तो आपका काम यहा खतम होता है” एकांश ने अपने बिजनस टोन मे कहा और जाने के लिए मूडा

“लेकिन आप कहा जा रहे है” अमृता ने पूछा

“None of your concern, आप जा सकती है” एकांश ने बगैर पलटे थोड़ा जोर से कहा

अमृता को समझ नहीं आ रहा था उसके साथ क्या हो रहा था, उसका काम था अक्षिता को ढूँढना लेकिन अब जब उसका काम पूरा हो गया था और उसे इसके लिए खुश होना चाहिए था लेकिन वो इस वक्त खुश होने के बजाय उदास सा महसूस कर रही थी, वो जाने के लिए पलटी ही थी के उसके दिमाग मे एक खयाल आया और वो अचानक रुक गई और उस ओर जाने लगी जिधर एकांश गया था...

वही दूसरी तरह एकांश उस घर के दरवाजे पर जाकर रुक गया जहा अक्षिता अंदर गई थी और वो वही से झाक कर अक्षिता को देखने लगा जो उस लड़की की चोट पर बैन्डिज कर रही थी वही आसपास के लोग बात कर रहे थे के वो लड़की और उसका बाप बाल बाल बचे थे और बाइक से गिरने से बस हल्की चोटे आई थी और बड़ा नुकसान नहीं हुआ था

एकांश को इन सब बातों से अभी कोई मतलब नहीं था उसकी नजरे तो बस उस एक लड़की पर तहरी हुई थी जिसे वो इतने दिनों से पागलों की तरह ढूंढ रहा था और आज उसकी तलाश खतम हुई थी

अक्षिता पहले से ज्यादा कमजोर लग रही थी लेकिन एकांश को वो आज भी उतनी ही खूबसूरत लगी जितनी अस वक्त लगती थी जब वो दोनों रीलैशनशिप मे थे, एकांश बगैर नजरे हटाए अक्षिता को देख रहा था मानो उसके पालक झपकते ही वो गायब हो जाएगी

अमृता भी वहा आ गई थी और वो साइड से एकांश को देख रही थी, उसे समझ ने मे जरा भी देर नहीं लगी के एकांश छिप कर अक्षिता को देख रहा था वही उससे भी ज्यादा उसे हैरान किया एकांश के चेहरे पर आते भावों ने...

अक्षिता को देखते हुए उसके चेहरे पर चिंता थी, लगाव था, उदासी थी, आकर्षण था, उसे अपने करीब लाने की कसक थी और इन सबके बीच अमृता ने एकांश की आँखों मे उस भावना को देखा महसूस किया जिसके बारे मे उसे लगा था के एकांश उसके लिए बना ही नहीं था...

प्यार....

वो बस वैसे ही खड़े खड़े एकांश को देखती रही वही एकांश की आँखों से आँसू बह रहे थे, अपने प्यार के इतने करीब होकर भी वो उसके पास नहीं जा पा रहा था.. एकांश ने अपने आँसुओ को छिपाने की जरा भी कोशिश नहीं की उसका ध्यान तो अभी बस इस शक्स पर था जो उसके लिए उसकी दुनिया थी...

जब अक्षिता अपनी जगह से उठी और उसने दरवाजे की ओर देखा तो एकांश ने अपने आप को छिपा लिया, अक्षिता को भी ऐसा लगा था के कोई उसे देख रहा है, उसका दिल भी जोरों से धड़कने लगा था, वही फीलिंग फिर से जागने लगी थी जब आप उस इंसान के करीब होते हो जिसे आप चाहते हो लेकिन अक्षिता ने इन खयालों को झटका और वहा से चली गई

एकांश को यू छिपते और अक्षिता को बाहर आते देख अमृता ने सोचा के इन दोनों को अकेला छोड़ना ही बेहतर होगा, बुझे मन से वो कार के पास आई और ड्राइवर को उसे उसके ऑफिस छोड़ने कहा

वही अक्षिता उस घर से बाहर आगे और आगे जाकर एक गली की ओर मूड गई वही एकांश चुप चाप उसका पीछा करने लगा, थोड़ी देर बार अक्षिता एक बिल्डिंग के सामने रुकी और अंदर चली गई वही एकांश भी रुक गया था, उसने अक्षिता को उस घर मे जाते और गेट बंद करते देखा और वो समझ गया था के यही वो घर था जहा वो रह रही थी।

वो बस वही गली के मोड पर उस घर को देखते हुए खड़ा था और अब आगे क्या करना है उसे समझ नहीं आ रहा था और बस इस उम्मीद मे वहा खड़ा था के वो शायद दोबारा उसे देख ले,

कुछ देर बार एकांश थोड़ी हिम्मत जुटा कर उस घर के पास पहुचा और इधर उधर देखने लगा और फिर एक चीज ने उसका ध्यान खिचा जिसे देख उसके चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान आ गई

अब चाहे तुम मानो या ना मानो अक्षिता मैं एक मिनट के लिए भी तुम्हारा साथ नहीं छोड़ने वाला

एकांश ने मन ही मन सोचा

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एकांश ने अपने लिए एक कैब बुलाई और अपने ऑफिस की ओर बढ़ गया, उसने अपने पहले ये खबर अपने दोस्तों को बतानी थी और इसे सुन कर वो कितने खुश होने ये वो जानता था...

रास्ते मे ही एकांश ने अमर को भी कॉल करके अपने ऑफिस आने कहा था, ट्राफिक के चलते उसे ऑफिस पहुचते पहुचते शाम हो चुकी थी

एकांश दौड़ते हुए ऑफिस मे घुसा जिसने एक पल को तो सबको चौका दिया, एक तो आज सारे स्टाफ ने उसे कई दिनों बाद ऑफिस मे देखा था दूसरा वो दौड़ते हुए आया था ऐसे जैसे कोई उसके पीछे पड़ा हो तीसरा उसके चेहरे पर बड़ी सी स्माइल थी

हर कोई उसे देख के चौक गया था और एकांश को तो अभी कीसी और चीज की परवाह नहीं थी, वो जल्दी से सीढ़िया चढ़ते हुए ऊपर आया, उसने देखा के रोहन स्वरा और अमर एकदूसरे से बात कर रहे थे और जब उन्हे इस तरह हाफ़ता हुआ एकांश दिखा वो भी थोड़े चौके और इससे पहले के वो कुछ समझ पाते या बोल पाते एकांश ने हसते हुए उन्हे गले लगा लिया, स्वरा तो अमर और रोहन के बीच दब गई थी,

वही बाकी लोग इस नजारे को देख असमंजस मे थे, उनका बॉस अपने इम्प्लॉइस् को गले लगा रहा था,

“क्या हो गया है अब बताओ और पहले छोड़ो सास नहीं आ रही” स्वरा ने कहा और एकांश उन लोगों से अलग हुआ लेकिन उसकी मुस्कान बनी हुई थी वही बाकी लोग अब भी शॉक मे थे

“हमने उसे ढूंढ लिया है”

एकांश ने कहा, एक पल को तो उन लोगों ने कुछ नहीं बोला लेकिन फिर दिमाग मे एकांश की बात प्रोसेस होते ही स्वरा ने खुशी मे चिल्लाते हुए एकांश को गले लगा किया वही रोहन और अमर ने भी वही एकांश इसके लिए तयार नहीं था और उसका बैलन्स बिगड़ा, नतिजन वो चारों जमीन पर थे वही ऑफिस का बाकी का स्टाफ उन्हे ही देख रहा था...

एकांश को क्यू खुलके हसते देख ऑफिस के लोग पहले ही सदमे मे थे ऊपर से ये, खैर जब महोल शांत हुआ तब ये लोग एकांश के कैबिन मे बैठे थे और एकांश के पूरी बात बताने की राह देख रहे थे वही बाकी लोग अपने अपने काम मे लग चुके थे...

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“तुमको वो कहा मिली?”

“कैसी है वो?”

“सब कुछ शुरू से बताओ?”

जैसे ही वो तीनों खुर्ची पर बैठे वैसे ही तीनों ने सवाल पूछ डाले

“देखो ये कहा जा सकता है के आज किस्मत साथ थी, मैं और अमृता रोज के जैसे सर्च ऑपरेशन पर निकले और बीच मे ही स्वरा का कॉल आया के मैं एक मीटिंग अटेन्ड करू ठाणे मे, जो मैंने किया और जब तक मीटिंग खतम हुई लंच टाइम हो गया था तो मैंने अमृता और ड्राइवर को एक रेस्टोरेंट मे खाना खाने भेजा जो हमारे रास्ते मे ही था, जब वो वापिस आए और हम निकल ही रहे थे तभी रास्ते पर भीड़ इखट्टा हो गई थी क्युकी एक बाइक स्किड कर गई थी और उस भीड़ मे मुझे अक्षिता दिखी” एकांश ने कहा

“मैंने उसका पूछा किया तो जहा वो रह रही है उस घर का भी पता चल गया है” एकांश ने आगे बोल कर अपनी बात खतम की

“कैसी है वो” स्वरा ने चिंतित स्वर मे पूछा

“कमजोर है पर फिलहाल ठीक है”

“उसने तुम्हें देखा?” स्वरा ने आगे पूछा

“नहीं, मैंने अपने आप को छिपा लिया था”

“तो अब आगे क्या करना है?” रोहन ने सबसे अहम सवाल पूछा

“एक प्लान है” एकांश ने कहा

“क्या?” अमर

“जब मैं उस घर तक पहुचा जहा वो रह रही है वहा मुझे किरायेदार चाहिए का बोर्ड दिखा तो मैं उस जगह को रेंट पर ले रहा हु और वही उसी घर मे उसकी साथ रहूँगा” एकांश ने कहा

वही वो तीनों कुछ नहीं बोले

“पक्का?” अमर ने पूछा

“अरे एकदम पक्का 1000%” एकांश ने कहा

“लेकिन तुम ये करोगे कैसे?” रोहन ने पूछा

“हा क्युकी वो लोग तुम्हें अपने साथ थोड़ी रहने देंगे” स्वरा ने भी रोहन की बात मे आगे जोड़ा

“देखो मैं जानता हु मैं क्या कर रहा हु, मुझे पता है वो मुझे वहा नहीं रहने देंगे, उससे भी बड़ी बात अगर उनको पता चला के मैं हु तो शायद वो वापिस भाग जाएंगे, मैं इस सब के बारे मे सोच के ही बोल रहा हु, मैंने वहा बोर्ड पर नंबर देखा था संकेत अग्रवाल का, मैं उससे बात करके रेंट वगैरा का देख लूँगा”

तीनों मे से कोई कुछ नहीं बोला

“तुम जानते हो ना ये उतना आसान नहीं होने वाला जितना तुम कह रहे हो” रोहन ने कहा

“हा, तुमको बहुत ध्यान रखना पड़ेगा, तुम्हारे वहा रहने के रीज़न पर उन लोगों को भी भरोसा होन चाहिए” अमर ने कहा

“पता है, चिंता मत करो मैं जानता हु मैं क्या कर रहा हु” एकांश ने मुस्कराते हुए कहा

“क्या हम उसे देख सकते है?” स्वरा ने पूछा

“उसे देखने के बाद अपने आप को शांत रख पाओगी?” एकांश

“प्लीज.... मैं कोशिश करूंगी”

“नहीं.... अभी तो नहीं”

“प्लीज... एकांश”

“स्वरा हम अभी कोई रिस्क नहीं ले सकते... अगर उसे पता चला के हम उसका पता जानते है तो वो वहा से भी भाग जाएगी और मैं ऐसा नहीं चाहता, मैं चाहता ही वो बस अब अपनी जिंदगी आराम से जिए, ये भी है के कभी ना कभी उसे पता चलेगा ही के नया किरायेदार मैं हु लेकिन तब मैं उस सिचूऐशन को संभाल लूँगा, तुम लोगों को उससे मिलने के लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा” एकांश ने सीरीअस होकर कहा और स्वरा ने भी उसकी ये बात मान ली थी और फिर कुछ और बाते करके वो लोग अपने अपने घरों को चले गए और अपने बेड पर पड़े पड़े एकांश ने अक्षिता की डायरी खोली



अब तुम्हारे करीब होते हुए भी, तुम मेरी आँखों के सामने होते हुए भी तुमसे बात ना कर पान तुम्हें गले ना लगा पाना मेरे मीये मुश्किल हो रहा है

मैं समझ सकती हु के तुम मुझसे बहुत बहुत बहुत गुस्सा हो और शायद मुझसे नफरत भी करने लगे हो। जानते हो तुम्हारे साथ एक ही रूम मे रहना मेरे लिए कितना मुश्किल होता जा रहा है... तुम्हारे इतने करीब रहकर भी तुमसे दूरी बनानी पड रही है, मुझे पता है तुमने जानबुझ कर मुझे वो फाइल जमाने वाला काम दिया था, मैंने मा को कहा था के मेरी चिंता ना करे लेकिन फिर भी जब घर देरी से पहुची तो वो दरवाजे पर ही मेरा इंतजार कर रही थी, उसे लगा मुझे कुछ हो गया होगा

खैर मा हो तो मैंने समझ दिया लेकिन इस दिल को कैसे समझाउ जो वापिस तुम्हारी ओर खिचा जा रहा है, तुम्हारे खयालों की वजह से मुझे नींद नहीं आ रही है लेकिन मैं खुश हु, तुम्हारे करीब तो हु...

आइ लव यू




एकांश को एक पल उससे इतना काम करवाने का बुरा लगा लेकिन साथ ही वो खुश भी था, उसका अक्षिता पर वैसा ही असर होता था जैसा उसपर अक्षिता के करीब आने का होता था... आज सोते वक्त एकांश के चेहरे पर मुस्कुराहट थी, कल वो वापिस अक्षिता को देखने वाला था.....



क्रमश:
Oyyy yaar tadpa diya tumne to. Jab vo mil gai to ansh ko sidha milna tha us se. Ye sab ko milna sab kya jarurat thi. Kahi fir vo gayab ho gai to. Aur Amrita ka bhi thoda dar lag raha hai.
 

Tiger 786

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Oyyy yaar tadpa diya tumne to. Jab vo mil gai to ansh ko sidha milna tha us se. Ye sab ko milna sab kya jarurat thi. Kahi fir vo gayab ho gai to. Aur Amrita ka bhi thoda dar lag raha hai.
Shetan ji aap padh to rahe ho lazwaab story hai,par aap ka maza kirkira hone wala hai kyunki ADHI bhai aise ghayebh hai jaise gadhe ke sir se sing🤣🤣🤣🤣🤣
 
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Shetan ji aap padh to rahe ho lazwaab story hai,par aap ka maza kirkira hone wala hai kyunki ADHI bhai aise ghayebh hai jaise gadhe ke sir se sing🤣🤣🤣🤣🤣
Koi bat nahi. Aa jaenge. Unpar bahot jimmedariya hai.
 
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Update 32



अंश मुझे ना तुम्हें कुछ बताना है और अब मुझसे इंतजार नहीं हो रहा..

पता है मैंने ना आज कुछ नोटिस किया है, रोहन और स्वरा के बारे मे, उन दोनों के बीच कुछ तो है कोई स्पार्क है, जिस तरह रोहन स्वरा को देखता है और वो शरमाती है लेकिन फिर कुछ नहीं है ऐसा बताती है..

अगर ये दोनों कपल बन गए ना तो मुझे बड़ी खुशी होगी, आज ना मैंने दिनभर उन दोनों को ही अब्ज़र्व किया है और इतना तो कन्फर्म है के दोनों एकदूसरे को काफी पसंद करते है

मैंने ना रोहन को इस बारे मे चिढ़ाया भी लेकिन वो तो रोहन है उसने इस बात को सिरे से नकार दिया और स्वरा भी वैसे ही निकली ऐसा बता रही थी जैसे उसे कुछ पता ही ना हो, खैर समय आने पे सब पता चल ही जाएगा

मुझे ना शुरू से पता था के इनके बीच कुछ तो है खैर मुझे तो बस दोनों साथ मे खुश चाहिए और कुछ नहीं

काश मैं उन दोनों को एक होता देख पाउ......

आइ लव यू अंश...




एकांश डायरी को पढ़ते हुए सोचने लगता था के अक्षिता का नजरिया अपनी जिंदगी को लेकर कितना पाज़िटिव था.. जबकि किस पल क्या होगा कीसी को पता नहीं था... वही उसे इस बात से चिढ़ होती के उसका के पाज़िटिव माइन्ड्सेट बस औरों के लिए था वो उसे छोड़ कर चली गई थी..

एकांश ने अक्षिता के रोहन और स्वरा के लिए लिखे हुए नोट के बारे मे सोचा... ये सच था और ये बात वो भी समझ गया था के रोहन और स्वरा के बीच कुछ तो था लेकिन वो दोनों ही अपनी फीलिंग को बाहर नहीं आने दे रहे थे और अब उसे उन दोनों को मिलाना था ताकि अक्षिता की इच्छा पूरी कर सके..

बाहर अब भी अंधेरा था और एकांश को इस नई जगह नए महोल मे नींद नहीं आ रही थी... वो भी जानता था के यहा अजस्ट होने मे उसे थोड़ा समय लगने वाला था उसने एक आह भरी और डायरी का अगला पन्ना खोला



आज मैं तुम्हारे करीब थी... बहुत बहुत ज्यादा करीब...

हम एकदूसरे से टकरा गए थे और तुमने मुझे गिरने से पहले ही बचा लिया था, काफी लंबे समय बाद मैं तुम्हारे इतने करीब थी और उसने उन सभी भावनाओ को ऊपर ला दिया जिसे मैंने तुम्हारे सामने अपने अंदर दबा रखा था

पर मैं खुश हु, तुम्हारे स्पर्श से काफी समय बाद ऐसा लगा है जैसे मैं जिंदा हु....

पता है आज सुबह उठते साथ ही मेरा मूड काफी खराब था.. सर दर्द अब हद्द से ज्यादा बढ़ गया है और नींद कम हो गई है... डॉक्टर से कह कर नींद की गोली लेनी पड़ेगी ताकि चैन से सो पाउ

आज तो मूड इतना खराब था के मैंने अपने दोस्तों से भी ठीक से बात नहीं की, पता नहीं क्या हुआ मैं बस स्क्रीन को देखते हुए खो गई थी कुछ होश ही नहीं था वो तो रोहन ने आवाज डी तब मुझे होश आया तो पता चला के मैं रो रही थी, उसने बार बार पूछा भी के क्या हुआ है लेकिन मैंने उसे कुछ नहीं बताया, या मुझसे बताया ही नहीं गया लेकिन वो कहा मानने वाला था, मेरे चेहरे को देखते ही वो समझ गया था के सब ठीक नहीं है

अब मुझसे भी ईमोशन कंट्रोल नहीं हो रहे थे फिर क्या जब रोहन से मुझसे पूछा तो उसके गले लग के रो पड़ी और उसने मुझे समझाया, पता है वो काफी घबरा गया था मुझे ऐसे देख के लेकिन मैंने तबीयत ठीक नहीं का बहाना बनाया और स्वरा को कुछ ना बताने कहा

और सोने पे सुहाग ये के तुमको भी आज ही का दिन मिला मुझपर गुस्सा करके के लिए जो मुझे इतनी बार सीढ़ियों से ऊपर नीचे दौड़ाया, मुझे पता है तुमने ये जान बुझकर किया था ताकि मुझे तड़पा सको, काफी नफरत करने लगे हो ना मुझसे?

पर सच कहू, मुझे फर्क नहीं पड़ता क्युकी मैं जानती हु मैंने तुम्हारे साथ क्या किया है और शायद कही न कही मैं इस सजा की हकदार थी...

आइ लव यू अंश....




“आइ लव यू टू” एकांश ने धीमे से कहा

वो भी रो रहा था जिसका एहसास उसे तब हुआ जब उसके आँसू की बूंद ने डायरी के कागज को भिगोया, उस दिन के बारे मे सोच कर एकांश को वापिस अपने आप पर गुस्सा आ रहा था, उसे उस दिन रोहन से जलन हुई थी क्युकी उसने अक्षिता को लगे लगाया था जिसकी वजह से एकांश ने अक्षिता को ऊपर नीचे दौड़ाया, उसने गुस्से मे दीवार पर हाथ दे मारा...

“मैं तुमसे नफरत नहीं करता अक्षु, कभी कर ही नहीं पाया... ब्रेक अप के बाद भी... मैंने तुमसे नफरत करने की बहुत कोशिश की लेकिन बदले से तुम्हरे प्यार से और डूबता गया..... और हा तुम इस सब की हकदार बिल्कुल नहीं थी... जरा भी नहीं.... ना ही उस दर्द और तकलीफ की जिससे तुम गुजर रही हो... मेरा वादा है तुमसे तुम एकदम ठीक हो जाओगी मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूंगा” एकांश ने दीवार से टिक कर डायरी की ओर देखते हुए कहा



उसे कब नींद लगी उसे पता ही नहीं चला और बाहर से आती कुछ आवाजों से उसकी नींद टूटी, वो उठा और अपनी आंखे मसल कर अपने आजू बाजू देखा, पहले तो वो थोड़ा ठिठका लेकिन फिर उसके ध्यान मे आया के ये उसका नया घर था...

वो रात को वैसे ही रोते हुए सो गया था लेकिन ये आजकल उसके लिए नया नहीं था, वो उठा और खिड़की के पास गया और वहा से देखने लगा जब उसे और कुछ आवाजे सुनाई दी

जो एकांश ने देखा जो उसके चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए काफी था और वो और गौर से उस सीन को देखने लगा

बाहर वो थी... अक्षिता... पौधों को पानी डालते हुए... छोटे छोटे कुंडों मे कुछ पौधे लगाये हुए थे जो काफी खूबसूरत थे...

सुबह सुबह उठ कर उसके खूबसूरत चेहरे का दीदार होने से एकांश के दिल को सुकून मिला था और वो अब रोज ऐसी ही सुबह की कामना कर रहा था...

एकांश बस चुपचाप उसे देख रहा था... सूरज की रोशनी मे चमकते उसके चेहरे को.... हल्की की हवा से उड़ते उसके बालों को... उसके होंठों की उस मुस्कुराहट को....

एकांश ने उसे इस तरफ थोड़ा खुश देखने को बहुत ज्यादा मिस किया था, वो अभी जाकर उसे गले लगाना चाहता था, चूमना चाहता था लेकिन वो ऐसा नहीं कर सकता था... उसे अपने आप पर कंट्रोल रखना था.. उसे तो ये भी नहीं पता था के नया किरायेदार एकांश था जो उनके साथ रह रहा था...

एकांश के खयाल उसे उस दिन मे ले गए जब वो यह के मालिक से मिला था... संकेत अग्रवाल... उसने संकेत को बताया था के उसे एक घर की जरूरत है जो उसके ऑफिस के पास हो और जहा से वो काम को सूपर्वाइज़ कर सके, संकेत ने उसे और उसके महंगे कपड़ों को देखा बड़ी गाड़ी को देखा जिसके चलते उसे उसे ये यकीन करना मुश्किल हो रहा था के क्या सही मे इसको जरूरत है... या ये झूठ का चोरी का नया तरीका तो नहीं...

एकांश ने उसे अपना बिजनस कार्ड दिखाया और बताया के उसे सही मे रूम किराये पर चाहिए... बस कुछ दिनों के लिए... उसका काम होते ही वो चला जाएगा... तब जाकर वो माना और उसने एकांश को ऊपर वाला कमरा दिखाया साथ ही ये भी बताया के यह उसकी बहन और उसका परिवार रहता है...

अच्छी किस्मत कह लो या कुछ और एकांश का अब तक अक्षिता या उसके परिवार से आमना सामना नहीं हुआ था... एकांश ने कमरे का डिपाज़ट और रेंट पे किया और कमरा किराये पर ले लिया... उसने ये भी नहीं देखा के कमरा कैसा था कितना छोटा था, अभी बस उसके लिए अक्षिता के पास रहना ज्यादा जरूरी था....

वो कल रात ही अपने सामान के साथ यहा शिफ्ट हो गया था और सामान भी क्या था बस उसके कपड़े और कुछ जरूरी चीजे थी.. वो इतनी जल्दी मे था के उसने सब सही से पैक भी नहीं किया था

अमर रोहन और स्वरा तो बस देखते ही रहे जब उसने अपना सामान बैग मे फेक पर ठूसा था और कमरे से निकल गया था... उसने अपने पेरेंट्स को भी कुछ इक्स्प्लैन नहीं किया था और अमर से उन्हे बताने कहा था के उन्हे कहे वो जब तक एक प्रोजेक्ट पूरा नहीं होता होटल मे रहेगा और अमर ने भी वैसा ही किया था

लेकिन शायद एकांश की मा समझ गई थी... एकांश के चेहरे की लौटी रौनक उनसे छिपी हुई नहीं थी वो बस अब इतना चाहती थी के एकांश खुश रहे और ठीक रहे...

यही सब बाते दिमाग मे लिए एकांश अपने प्यार को देख रहा था जो उससे कुछ फुट दूर थी... एकांश अक्षिता को निहार ही रहा था के उसने देखा अक्षिता काम करते हुए अचानक रुकी और उसने ऊपर की ओर देखा और वैसे ही एकांश झुक गया और अपने आप को छिपाया, ये सब बहुत जल्दी मे हुआ और एकांश बस अब दुआ कर रहा था के अक्षिता ने उसे देखा न हो...

उसने राहत की सास ली जब देखा के अक्षिता वापिस घर मे जा रही थी... वो जल्दी जल्दी तयार हुआ और इससे पहले की कोई उसे देखे बाहर चला गया... सड़क के मोड पर ड्राइवर उसका कार के साथ इंतजार कर रहा था.. वो कार मे बैठा और साइट इन्स्पेक्शन करने चला गया, उसका नया प्रोजेक्ट शुरू होने वाला था....



वही दूसरी तरफ अक्षिता पक चुकी थी.. उसका एक टिपिकल रूटीन बन गया था सुबह उठो, दवा लो, कुछ छोटे काम करो खाओ और सो जाओ और अब अक्षिता इस स्केजूल से बोर हो गई थी, वो अपने काम को अपने दोस्तों को मिस कर रही थी, उसके साथ बाहर जाना मिस कर रही थी, घूमना मिस कर रही थी, और सबसे ज्यादा मिस कर रही थी एकांश को, उसके गुस्से से घूरने को, उसके साथ बहस करने को लड़ने को... उसकी खुशबू उसके एहसास को...

कुल मिला कर वो सबसे ज्यादा एकांश को ही मिस कर रही थी..

यहा इस जगह पर उसके पास ज्यादा करने को कुछ नहीं था, वो बाहर नहीं जा सकती थी, उसके पेरेंट्स उसे नया काम ढूँढने नहीं दे रहे थे और सबसे बड़ी बाद वो अक्षिता के अपनी डॉक्टर की अपॉइन्ट्मन्ट छोड़ने को लेकर काफी गुस्सा थे और वो उन्हे और दुखी नहीं करना चाहती थी इसीलिए वो ज्यादातर समय घर पर ही रहती थी..

वो बस एक बार ही चेकअप के लिए गई थी वो भी बिना बताए या डॉक्टर से बगैर पूछे वो भी तब हर उसका सर दर्द हद्द से ज्यादा बढ़ गया था और काफी चक्कर आ रहे थे... डॉक्टर भी उसे देख काफी हैरान था और उसने उसे कुछ पुरानी और कुछ नई दवैया लिख कर दी थी और डॉक्टर उसे वहा रोकने की कोशिश कर रहा था लेकिन अक्षिता को वो काफी अजीब लगा और वो ज्यादा समय नहीं रुक सकती थी उसे शाम होने से पहले घर पहुचना था

अक्षिता जब दवा लेने हमेशा वाले मेडिकल पर पहुची तब उसके पैर रुक गए, उसके रोहन और स्वरा को वहा आते हुए देखा... वो उसी पल जाकर उन दोनों को गले लगाना चाहती थी लेकिन वो ऐसा नहीं कर सकती थी क्युकी वो उसे फिर कही जाने नहीं देते

अपने दोस्तों को देख अक्षिता की आंखे भर आई थी वही वो इस सोच मे भी पड गई के वो लोग यहा अस्पताल मे क्या कर रहे थे लेकिन इसके बारे मे सोचने के लिए उसके पास वक्त नहीं था और इससे पहले के वो लोग उसे देख पाते उसने स्कार्फ से अपना मुह छिपाया और हॉस्पिटल के दूसरे दरवाजे से बाहर चली गई...

अक्षिता अगले दिन अपने घर के पास वाले मेडिकल पर गई लेकिन वहा उसे वो दवाईया नहीं मिली लेकिन उस मेडिकल वाले ने उसे कहा के वो उन दवाइयों को ऑर्डर कर देगा जिसपर अक्षिता ने भी हामी भरी और कुछ अड्वान्स पैसे देकर वापिस आ गई

दवाईया मिलने के पास अक्षिता का रूटीन वापिस से वैसा ही हो गया था सिवाय कल तक जब उसे अपने अंदर कुछ महसूस हुआ.. एक बहुत ही जाना पहचाना एहसास...

उसे ऐसा लगने लगा था जैसे एकांश उसके आसपास ही है और वो अभी इस फीलिंग को समझ नहीं पा रही थी और आज सुबह भी उसे ऐसा लगा था जैसे कोई उसे देख रहा है लेकिन वहा कूई नहीं था

अक्षिता ने अपने सभी खयालों को झटका और अपनी सुबह की दवाई ली, आजकल को काफी चीजे भूलने लगी थी, कभी कभी उसे करने वाले काम तक वो भूलने लगी थी, ये शायद इन दवाइयों का ही असर था ऐसा उसने सोचा, वो अपनी डायरी भी अपने घर भूल आई थी और इस बात ने ही उसे कई दिनों तक उदास रखा था

वो बस रोज भगवान से प्रार्थना करती थी थे वो आगे आने वाली हर बात से लड़ने की उसे शक्ति दे और एकांश को खुश रखे

वो जानती थी के उसके यू अचानक गायब होने को एकांश ने पाज़िटिव तरीके से नहीं लिया होगा और अब तो शायद वो उसके नाम से भी नफरत करने लगा होगा लेकिन उसे ये भी पता था के एकांश को उसकी चिंता भी होगी

वो अभी अपने घर मे बाहर घूम रही थी और उसने ऊपर के कमरे की ओर देखा जहा नया किरायेदार आ चुका था और कमरा अभी अंधेरे मे डूबा हुआ था, उसने एक पल को उस नए बंदे के बारे मे सोच जो वहा आया था लेकिन फिर सभी खयाल झटक कर अंदर चली गई

वही दूसरी तरफ शाम ढल चुकी थी, एकांश गली के मोड पर अपनी कार से उतरा और ड्राइवर को अगले दिन आने का कहा, एकांश ने अपनी घड़ी में वक्त देखा तो घड़ी 9 बजने की ओर इशारा कर रही थी.. वो घर को ओर बढ़ गया लेकिन रास्ते में उसे आजू बाजू वालो की नजरो का सामना करना पड़ा जो उसे कौतूहल से देख रहे थे और सोच रहे थे के ये कौनसा नया मेहमान है जो इस वक्त वहा बिजनेस सूट पहन कर आया था..

एकांश घर के पास आ गया था और उसने दरवाजे से झक कर अंदर की ओर देखा के कोई है तो नहीं और जब उसे वहा कोई नहीं दिखा तब उसने राहत की सास ली और जाली जल्दी सीढ़िया चढ़ते हुए अपने कमरे मे आ गया... सीढ़िया घर के बाहर से ही ऊपर की ओर जाती थी इसीलिए इसमे ज्यादा समस्या नहीं थी

एकांश ने जल्दी से अपने कपड़े बदले और पलंग पर लेट गया और अब उसे एहसास हुआ के उसे काफी ज्यादा भूख लगी थी और वो खाने के लिए लाना भूल चुका था और अब क्या करे उसे समझ नहीं आ रहा था, इसको बोलते है रईस और बेवकूफ का परफेक्ट काम्बनैशन, अब समस्या ये थी के वो वापिस बाहर भी नहीं जा सकता था क्युकी कोई उसे देख सकता था और वो अभी ये रिस्क नहीं लेना चाहता था, उसने अपना बैग देखा जिसमे स्वरा ने कुछ फ्रूट्स रखे थे और उसने उन्ही से काम चलाया

एकांश ने सोचा के अगर उसके दोस्तों को पता चला के वो ठीक ने कहा पी नहीं रहा तब उसकी सहमत आनी तय थी और उसने मन ही मन अपनी दिनचर्या का प्लान बनाया

एकांश दूसरी तरफ की खिड़की के पास आया जहा से वो घर के अंदर की ओर देख सकता था और वहा उसने उसे देखा जो सोफ़े पर बैठी टीवी देख रही थी

अक्षिता ऐसी लग रही थी जैसे उसे शरीर से प्राण सोख लिए गए हो उसके चेहरे की चमक जा चुकी थी

और एकांश को अपनी पहले वाली अक्षिता वापिस चाहिए थी और यही एकांश ने मन ही मन सोचा और वही खिड़की के पास बैठे बैठे उसको देखते हुए सो गया....



क्रमश:
Ansh kyo der kar raha hai. Samaz nahi aaa raha. Kahi akshita ke mamle me der na ho jae. Amezing update
 
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