लड़की - जिसकी तबियत बहुत खराब है। लड़की - जो शायद कभी भी स्वर्ग सिधार सकती है। लड़की - जिसको सबसे बेहतरीन इलाज़ की ज़रुरत है।
लड़का - जो उस लड़की से बेइन्तहाँ प्यार करता है। लड़का - जो उस लड़की के न होने पर निष्प्राण हो जाता है। लड़का - जिसके अंदर इतना सामर्थ्य है कि उस लड़की को सबसे बेहतरीन इलाज़ मुहैया करवा सके।
लेकिन आईये देखें कि लड़के की चॉइस क्या है? लड़का, लड़की के पड़ोस में रह कर, उसे दूर से ही निहारता रहेगा - किसी पीपिंग टॉम की तरह। लड़की के पास अगर किसी चीज़ की कमी है, तो है वक़्त की। लेकिन लड़के भाई साहब के पास वक़्त की अफ़रात है। इतनी कि वो कितना भी वक़्त जाया कर सकते हैं, अपनी चूटिया सोच पर।
अरे भाई, इतनी ही मोहब्बत है, तो अपनी मोहब्बत के सामने नत होना सीखो। मोहब्बत में ग़ुमान का कोई रोल नहीं है। पहले ग़ुमान छोड़ो।
और फिर जा कर कहो अक्षिता से कि मेरे महबूब, मैं चूतिया हूँ... मुझसे ग़लतियाँ हुई हैं। माफ़ कर दो। तुम मेरी जान हो। तो मुझे अपनी जान बचा लेने का एक मौका दो। चलो मेरे संग, और चलो अपना इलाज़ करवाने। अब ये लड़ाई एक दिन की हो, या एक साल की, या एक सदी की, साथ ही रह कर लड़ेंगे।
ख़ैर...
माफ़ करना भाई। इतने दिनों बाद कुछ लिखा, और वो भी इतना कड़वा कड़वा।
लेकिन क्या करूँ? एकांश का किरदार सच में महा-चूतिया है।