Awesome updateUpdate 41
अक्षिता क्या कर रही है ये देखने एकांश अपने कमरे से निकल कर जब नीचे आया तो उसने पाया के घर मे एकदम सन्नाटा था, उसने अंदर आकार अक्षिता को आवाज लगाई सरिताजी को आवाज लगाई लेकिन कोई रीस्पान्स नहीं आता और अब एकांश ये सोच कर चौका एक सब कहा चले गए के तभी उसे पानी गिरने का आवाज सुनाई दिया, आवाज घर के पीछे की ओर से आ रहा था तो एकांश अस ओर बढ़ गया और वहा पहुच कर उसने पाया के अक्षिता वहा खड़ी पौधों को पानी दे रही थी और वो अपनी धुन मे इतनी खोई हुई थी के ना तो उसने एकांश का आवाज सुनाई दिया न वो वहा पहुचा इसकी भनक लगी
"अक्षिता..." एकांश ने उसे पुकारा लेकिन उसने सुना नहीं
"अक्षिता...." उसने फिर से पुकारा लेकिन कोई जवाब नहीं मिला और अब एकांश जाकर अक्षिता के पास खड़ा हो गया
"अक्षिता..." एकांश ने उसके कंधे को छूते हुए उसे एक और बार पुकारा
एकांश के उसका कंधा छूते ही अक्षिता एकदम से दचकी और अपनी जगह से तेजी से मुड़ी, यू अचानक दचकने से उसकी सांस ऊपर नीचे होने लगी थी और वो थोड़ा हाफने लगी वही अक्षिता के यू मुड़ने के साथ ही उसने हाथ मे पकड़े पनि के पाइप ने भी अपनी डिरेक्शिन बदली जिससे पानी जो है वो एकांश के ऊपर गिरने लगा और जब तक अक्षिता को होश आया एकांश पानी से भीग चुका था
अक्षिता ने पाइप नीचे गिरा दिया और एकांश ऊपर से नीचे तक देखा जो पूरा भीग चुका था, उसने अपना पूरा खुला मुंह अपनी हथेली से बंद कर लिया था और एकांश के पूरी तरह से गीले शरीर को देख रही थी
एकांश अक्षिता को गुस्से से देख रहा था वही अक्षिता अपनी हसी को कंट्रोल करने की बहुत कोशिश कर रही थी और तभी एकांश ने तेजी से जमीन पर पड़ा वो पानी का पाइप उठाया और उसका मुह अक्षिता की ओर कर दिया और जब ठंडे पानी की तेज धार अक्षिता पर गिरी तो वह जोर से चीखी और चौंककर उस इंसान को देखने लगी जो अब उसपर पानी उड़ाते हुए मुस्कुरा रहा था
"एकांश रुको!" वो चिल्लाई और उसने एकांश के हाथ से पाइप लेने की कोशिश की लेकिन कामयाब नहीं हो पाई
"अब भी हसी आ रही है या ठंडे पानी का मजा आ रहा है?" एकांश ने मुसकुराते हुए पूछा
"मैंने जानबूझकर नहीं किया था" अक्षिता ने कहा
"जानता हु लेकिन मैंने तो जानबूझकर किया ना" एकांश ने हसते हुए कहा
अब अक्षिता ने एकांश को घूर कर देखा और उसके हाथ से पाइप लेकर वापिस पाइप का रुख उसकी ओर कर दिया....
दोनों ही कुछ देर इसी तरह पानी से लड़ते रहे जब तक की पाइप से पानी आना बंद नहीं हुआ और जब पानी आना रुक गया तब दोनों ही एक दूसरे को देखकर हंसने लगे, एकांश ने अक्षिता को देखते हुए उसके चेहरे से उसके गीले बालों को हटाया, अब अक्षिता का ध्यान भी अपने कपड़ों की ओर गया जो इस वक्त उसके शरीर से चिपके हुए थे, उसने एकांश की ओर देखा जो उसे ही देख रहा था वही अक्षिता को अब हल्की सी शर्म आने लगी थी वही एकांश उसके भीगे बदन को देख अपने आप पर काबू पाने की कोशिश मे लगा हुआ था और जब अक्षिता शर्मा क मूड गई तब एकांश अपने आप पर कंट्रोल खो पैठा और उसने अक्षिता को अपने पास खिचा
अक्षिता बड़ी बड़ी आँखों से एकांश को देख रही थी दोनों के ही भीगे हुए शरीर एक दूसरे के एकदम पास थे, चिपके हुए थे दोनों की एकदूसरे की आँखों मे देख रहे थे जो एक दूसरे के लिए तरस रही थी, उनके चेहरे एकदूसरे की ओर झुके हुए थे और बस ये मोमेंट बना ही हुआ था के तभी उन्होंने अपना नाम पुकारे जाने की आवाज सुनी और तुरंत एकदूसरे से दूर हट गए
"अक्षिता?"
"एकांश?"
उन्होंने अक्षिता की माँ को उन्हें पुकारते हुए सुना और उस ओर देखने लगे जहा से उनकी आवाज़ आ रही थी और कुछ ही पालो मे सरिताजी वहा पहुची और इन दोनों को देखा
"तुम दोनों यहा क्या कर रहे थे?"
"हम...." दोनों को ही समझ नहीं आ रहा था कि क्या कहे
"तुम दोनों बच्चे नहीं हो जो पानी से खेल रहे थे" सरिताजी ने थोड़ी सख्ती के साथ कहा
"सॉरी" दोनों ने एक साथ नीचे देखते हुए कहा
उन दोनों को यू देख सरिताजी मन ही मन मुस्कुरा रही थी
"चलो जाओ पहले जाकर कपड़े बादलों वरना बीमार पड जाओगे" सरिताजी ने कहा और वो दोनों सिर हिलाते हुए वहा चले गए
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दरवाजे पर हुई दस्तक ने अक्षिता को उसकी सोच से बाहर निकाला और उसने जैसे ही दरवाजा खोला तो पाया के एकांश चेहरे पर चिंता के भाव लिए वहा खड़ा था
"तुम ठीक हो?" एकांश ने अक्षिता से पूछा
"हा.., लेकिन तुम ऐसे क्यों पूछ रहे हो?" अक्षिता ने एकांश को थोड़ा शक को नजर से देखते हुए पूछा
"मुझे तुम्हें ठंडे पानी से नहीं भिगोना चाहिए था..... मैं... वो...."
एकांश से बोला नही जा रहा था उसके शब्द लड़खड़ा रहे थे और ये देख अक्षिता थोड़ा शॉक थी, वो दोनो इस वक्त अक्षिता के रूम के दरवाजे पर थे और तभी अक्षिता को अचानक याद आया कि उसका कमरा एकांश तस्वीरों से भरा पड़ा था और वो ये एकांश को बताना नही चाहती थी इसीलिए वो थोड़ा घबरा गई कि कहीं वो उन्हें देख न ले, वो जल्दी से अपने कमरे का दरवाज़ा बंद करके बाहर आई
एकांश ने उसकी इस हरकत पर मन ही मन थोड़ी नाराजगी जताई लेकिन फिर उसे समझ में आ गया कि उसने ऐसा क्यों किया होगा
" तुम यहा सिर्फ ये देखने आए हो कि मैं ठीक हूँ या नहीं?" अक्षिता ने पूछा
"उम्म.... हा..... वो..... नहीं, दरअसल मैं तुमसे कुछ बात करना चाहता हू" एकांश बोलते हुए हकलाया और अक्षिता उसकी हकलाहट पर चकित होउसकी ओर देखने लगी
"क्या तुम घबरा रहे हो? मुझसे?" अक्षिता ने शरारती अंदाज में कहा
"क्या? नहीं!" एकांश ने हल्का सा हसते हुए कहा
"फिर?"
एकांश ने एक बार अपनी आंख बंद करके खोली और फिर अक्षिता को देख बोला
"वो दरअसल यहा एक पार्टी है और मैं चाहता हू कि तुम मेरे साथ उस पार्टी ने आओ" एकांश ने अक्षिता की आँखों में देखते हुए कहा
"तुम्हें नहीं लगता कि तुम्हें इस बारे में पहले मुझसे पूछना चाहिए था?" अक्षिता ने मुस्कुराते हुए कहा और जाने के लिए मुड़ गई लेकिन तभी एकांश ने उसका हाथ पकड़ा और उसे अपनी ओर खींचा
"तुम मेरे साथ पार्टी में चल रही हो" एकांश ने कहा
"और अगर मैं ऐसा न करूँ तो?" अक्षिता ने कहा ये बताने को कोशिश करते हुए के उसके एकांश के उसके इतने करीब होने का कुछ असर नही हो रहा
"तुम चलोगी" एकांश ने अक्षिता के पास झुकते हुए उसके कान में कहा, "I dare you to say NO"
एकांश न अक्षिता की कमर को अपने हाथो से पकड़े रखा था वही अब अक्षिता उसमे खोने लगी थी
"तो तुम मेरे चल रही हो?" एकांश ने अक्षिता को आंखो में देखते हुए पूछा और उसने अनजाने में ही अपना सिर हिला दिया जिसके साथ ही एकांश उससे थोड़ा दूर हटा
"नाइस, शाम को रेडी रहना मैं आ जाऊंगा....." ये बोल कर वो मुस्कुराते हुए वहा से चला गया
अक्षिता कुछ देर तक अपनी जगह पर ही खड़ी रही, लेकिन जब तक उसे एहसास हुआ कि क्या हुआ, एकांश पहले ही घर से बाहर जा चुका था
"एकांश! You idiot! You tricked me!" अक्षिता एकांश पर चिल्लाई पर तब तक वो अपनी कार में बैठ चुका था
वो बस जोर से हंसा और उसने उसकी ओर देख आख मार दी, जिससे अक्षिता आगे कुछ और बोल ही ना सकी
"रेडी रहना" एकांश ने कहा और वहा से चला गया वही अक्षिता हाथ बंधे थोड़ा झुंझलाते हुए अपने घर में वापिस आई तब अभी बीते कुछ पलों के बारे में सोच उसके चेहरे पर एक मुस्कान थी
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"क्या हुआ ऐसे मुस्कुरा क्यों रही हो?" सरिता जी ने अक्षुता के रूम में आते हुए पूछा जिसे अक्षिता ने बस ऐसे ही कह कर टाल दिया...
"और तुमने ये अपनी अलमारी को बिस्तर पर क्यों खाली कर रखा है?"
"मुझे समझ नहीं आ रहा कि क्या पहनू" अक्षिता ने कहा
"किसलिए? कही जा रही ही क्या"
"वो.. एकांश मुझे एक पार्टी में ले जा रहा है और मुझे समझ नहीं आ रहा कि क्या पहनूं" अक्षिता कहा
"ओह तुम एकांश के साथ डेट पर जा रही हो!" सरिताजी ने अचानक से कहा जिसे सुन अक्षिता थोड़ा चौकी
"नहीं मा ये तो बस एक नॉर्मल पार्टी है...." अक्षिता ने कहा
"तुम उसकी डेट के रूप में उस पार्टी में जा रही हो...... रुको, मैं तुम्हारे लिए ड्रेस ढूंढती हूँ" ये कहते हुए सरिताजी अब खुद अक्षिता के लिए ड्रेस ढूंढने लगी वही अक्षिता बस उन्हें देख रही थी क्युकी वो जानती थी कि उसकी मां से बहस करना बेकार था और काफी टाइम देखने के बाद सरिताजी ने तय किया कि अक्षिता क्या पहनेगी
"ये लो ये पहनो!" सरिताजी ने कहा
"माँ, हम पार्टी में जा रहे है और मुझे नहीं पता कौन सी पार्टी है और किसकी पार्टी है, लेकिन मुझे नहीं लगता कि कोई भी पार्टी में साड़ी पहनेगा" अक्षिता ने थोड़ा झिझकते हुए कहा
"इसलिए तो तुम्हे साडी पहननी चाहिए, कोई भी जगह हो या किसी की पार्टी, साड़ी में औरत हमेशा खूबसूरत और ग्रेसफुल दिखती है, मुझे पता है कि तुम इसमें बहुत अच्छी लगोगी" सरिताजी ने मुस्कुराते हुए कहा
" लेकिन..... "
"मुझे यकीन है कि एकांश तुम्हे साड़ी में देख खुश होगा"
"माँ, आपको नही लगता आप आजकल मुझसे ज्यादा उसकी साइड ले रही है"
"हा तो, वो मेरा होने वाला दामाद है तो क्या हुआ जो मैने उसकी साइड ले"
"माँ!" अक्षिता ने थोड़ा चिढ़ते हुए उनके हाथ से साड़ी ली और रेडी होने चली गई
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"वाह! देखना एकांश तुम पर से नजरे नही हटा पाएगा" जब अक्षिता साड़ी पहनकर बाहर आई तो उसे देख सरिताजी ने कहा जिसके बदले में अक्षिता बस मुस्कुरा दी और वो कुछ कहती उसके पहले ही उन्हें एक हॉर्न की आवाज़ सुनाई दी
अक्षिता का दिल जोरो से धड़क रहा था, वो मन ही मन अनश्योर थी के वो साड़ी में ठीक तो लग रही है ना, और इससे भी ज्यादा वो ये सोच कर थोड़ा घबरा रही थी की एकांश के ये पसंद आयेगी या नही
"अब जाओ, लगता है एकांश आ गया है" सरिताजी ने अक्षिता को दरवाजे को और भेजते हुए कहा
बाहर एकांश अपनी कार से टिक कर खड़ा अक्षिता के बाहर आने का इंतजार कर रहा था उसने स्वरा के मैसेज देखने के लिए अपने फोन पर नज़र डाली और तुरंत ही फोन बंद कर दिया
एकांश ने ऊपर की ओर नजर की तो जो उसने सामने देखा उसे देख वो अपनी जगह जम सा गया था, अक्षिता मरून रंग की साड़ी पहने उसकी ओर आ रही थी, उसने अपने बाल खुले छोड़ रखे थे जो हल्की हवा के साथ लहरा रहे थे.., एकांश के अक्षिता को साड़ी में देख मंत्रमुग्ध सा खड़ा था वही वो थोड़ी घबराई हुई उसके सामने आकर खड़ी हुई
"एकांश ?" अक्षिता ने एकांश को पुकारा जो बिना पलके झपकाए उसे देख रहा था
"हं?"
"क्या हुआ? मैं ठीक लग रही हु ना?"
"क्या?"
"मेरी साड़ी..... मेरा मतलब है......" एकांश ने कुछ कहा नहीं तो अक्षिता को लगा कही साड़ी में कोई गड़बड़ तो नही
"नहीं..... ठीक है..... आओ चलें" एकांश ने कहा और अक्षिता के लिए कार का दरवाज़ा खोला
एकांश ने कुछ नही बोला जिससे अक्षिता को ये लगने लगा के एकांश को उसकी साड़ी पसंद नही आई थी जबकि वो नही जानती थी के साड़ी पहनकर उसने एकांश के अंदर खलबली मचा दी थी
दोनो कार में बैठे थे और कार चुपचाप अपनी मंजिल की ओर बढ़ रही थी, अक्षिता कनखियो से एकांश को देख रही थी वही वो सख्ती से स्टीयरिंग व्हील पकड़े गाड़ी चला रहा था और अब तो अक्षिता को पक्का लगने लगा था के एकांश को उसका साड़ी पहने आना पसंद नही आया था
"हम कहाँ जा रहे हैं?" अक्षिता चुप्पी तोड़ते हुए पूछा
"सिटी साइड, वहा के 5 स्टार होटल में एक बिजनेस पार्टी है" एकांश ने अक्षिता को देखते हुए कहा
"तो फिर तुम मुझे उस पार्टी में क्यों ले जा रहे हो, बिजनेस पार्टीज बोरिंग होती है" अक्षिता ने थोड़ा झल्लाते हुए और वो उसने झल्लाए चेहरे को देख मुस्कुराया
अक्षिता ने भी अब ध्यान से अपने बाजू में बैठे एकांश को देखा, उसके मुस्कुराता देख उसके चेहरे पर भी मुस्कान आ गई, अब वो गौर से एकांश को देख रही थी और उसपर से नजरे हटने का उसका बिलकुल भी मूड नही था,
एकांश में वो सब कुछ था जो एक लड़की चाहती है, वो हैंडसम था अमीर था उसे शायद कोई भी लड़की मिल जाती लेकिन वो उस लड़की के साथ बैठा था जिसका भविष्य अनिश्चित था,
एकांश को देखते हुए बस यही खयाल अक्षिता के मन में चल रहे थे
एकांश ने अक्षिता की नजरो को अपने चेहरे पर महसूस किया लेकिन वो चुप रहा, कहता भी क्या, वो तो अपने आप को अक्षिता के नाम कर चुका था, उसने कई बार अक्षिता की ओर देखा लेकिन वो अपने ख्यालों में इतना खोई हुई थी के उसने उसपर ध्यान ही नही दिया बस उसे देखती रही
एकांश ने अपना गला साफ किया ताकि अक्षिता को उसके ख्यालों से बाहर लाए लेकिन कोई उसपर कोई असर नही हुआ, वो नही जानता था कि वो इतनी गहराई से क्या सोच रही थी वो बस उसे उसके ख्यालों से बाहर लाना चाहता था और इसीलिए उसने झटके के साथ कार रोक दी जिससे अक्षिता अपने ख्यालों से बाहर आई
"एकांश !" अक्षिता ने जोर से कहा
एकांश ने उसकी ओर देखा जो उसे बड़ी-बड़ी आँखों से देख रही थी
"कतुम पागल हो गए हो? ऐसा क्यों किया तुमने?" उसने गुस्से पूछा
"तुम ही हो जो मुझे घूर रही हो और इससे मुझे गाड़ी चलाने में दिक्कत हो रही है" एकांश ने अपने कंधे उचकाते हुए कहा
"देखो तुम फिर से मुझे घूर रही हो..... ऐसा करो मेरी एक फोटो ले लो और उसे घूरो, ये हम दोनो के लिए ठीक होगा" एकांश ने कहा जिसका अक्षिता के पास कोई जवाब नही था वो चुप होकर खिड़की के बाहर देखने लगी
कुछ समय बाद वो दोनो अपने डेस्टिनेशन पर पहुंच गए थे, चुकी वो एक हाई प्रोफाइल पार्टी थी इसीलिए वेन्यू के बाहर मीडिया के कुछ लोग भी थे जिन्हे देख अक्षिता थोड़ा असहज हो रही थी लेकिन एकांश ने उसका हाथ थामा और उन सब मीडिया वालो को इग्नोर करते हुए वो अक्षिता को लेकर होटल के अंदर आ गया और अंदर आने पर अक्षिता ने राहत की सास ली
"तुम ठीक हो?" एकांश ने पूछा जिसपर अक्षिता ने बस हा में गर्दन हिला दी
अंदर पार्टी में एकांश कई लोगो से मिला लेकिन वो जहा जहा गया अक्षिता उसके साथ ही थी, उसने एक पल के लिए भी अक्षिता का साथ नही छोड़ा जिससे अक्षिता भी खुश थी, वो भी उसका साथ नही छोड़ना चाहती थी...
पार्टी में कई लड़कियां ऐसी थी जिनकी नजरे एकांश के ऊपर थी और उन लड़कियों को देख अक्षिता ने एकांश के हाथ पर अपनी पकड़ मजबूत की, वही पार्टी ने कई ऐसे लोग भी थे जिनकी नजरे अक्षिता पर टिकी हुई थी और उन्हें देख एकांश ने अपना अधिकार बताते हुए अक्षिता की कमर पीआर हाथ रखे उसे अपने पास खींचा
एकांश ने अक्षिता की ओर देखा और उसने भी एकांश को देखा, दोनो को नजरे एक दूसरे से मिली और दोनो ही अपने आसपास की दुनिया को भूल कर एकदूजे की आंखो में खो गए...
क्रमश: