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Romance Ek Duje ke Vaaste..

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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Update 41





अक्षिता क्या कर रही है ये देखने एकांश अपने कमरे से निकल कर जब नीचे आया तो उसने पाया के घर मे एकदम सन्नाटा था, उसने अंदर आकार अक्षिता को आवाज लगाई सरिताजी को आवाज लगाई लेकिन कोई रीस्पान्स नहीं आता और अब एकांश ये सोच कर चौका एक सब कहा चले गए के तभी उसे पानी गिरने का आवाज सुनाई दिया, आवाज घर के पीछे की ओर से आ रहा था तो एकांश अस ओर बढ़ गया और वहा पहुच कर उसने पाया के अक्षिता वहा खड़ी पौधों को पानी दे रही थी और वो अपनी धुन मे इतनी खोई हुई थी के ना तो उसने एकांश का आवाज सुनाई दिया न वो वहा पहुचा इसकी भनक लगी

"अक्षिता..." एकांश ने उसे पुकारा लेकिन उसने सुना नहीं

"अक्षिता...." उसने फिर से पुकारा लेकिन कोई जवाब नहीं मिला और अब एकांश जाकर अक्षिता के पास खड़ा हो गया

"अक्षिता..." एकांश ने उसके कंधे को छूते हुए उसे एक और बार पुकारा

एकांश के उसका कंधा छूते ही अक्षिता एकदम से दचकी और अपनी जगह से तेजी से मुड़ी, यू अचानक दचकने से उसकी सांस ऊपर नीचे होने लगी थी और वो थोड़ा हाफने लगी वही अक्षिता के यू मुड़ने के साथ ही उसने हाथ मे पकड़े पनि के पाइप ने भी अपनी डिरेक्शिन बदली जिससे पानी जो है वो एकांश के ऊपर गिरने लगा और जब तक अक्षिता को होश आया एकांश पानी से भीग चुका था

अक्षिता ने पाइप नीचे गिरा दिया और एकांश ऊपर से नीचे तक देखा जो पूरा भीग चुका था, उसने अपना पूरा खुला मुंह अपनी हथेली से बंद कर लिया था और एकांश के पूरी तरह से गीले शरीर को देख रही थी

एकांश अक्षिता को गुस्से से देख रहा था वही अक्षिता अपनी हसी को कंट्रोल करने की बहुत कोशिश कर रही थी और तभी एकांश ने तेजी से जमीन पर पड़ा वो पानी का पाइप उठाया और उसका मुह अक्षिता की ओर कर दिया और जब ठंडे पानी की तेज धार अक्षिता पर गिरी तो वह जोर से चीखी और चौंककर उस इंसान को देखने लगी जो अब उसपर पानी उड़ाते हुए मुस्कुरा रहा था

"एकांश रुको!" वो चिल्लाई और उसने एकांश के हाथ से पाइप लेने की कोशिश की लेकिन कामयाब नहीं हो पाई

"अब भी हसी आ रही है या ठंडे पानी का मजा आ रहा है?" एकांश ने मुसकुराते हुए पूछा

"मैंने जानबूझकर नहीं किया था" अक्षिता ने कहा

"जानता हु लेकिन मैंने तो जानबूझकर किया ना" एकांश ने हसते हुए कहा

अब अक्षिता ने एकांश को घूर कर देखा और उसके हाथ से पाइप लेकर वापिस पाइप का रुख उसकी ओर कर दिया....

दोनों ही कुछ देर इसी तरह पानी से लड़ते रहे जब तक की पाइप से पानी आना बंद नहीं हुआ और जब पानी आना रुक गया तब दोनों ही एक दूसरे को देखकर हंसने लगे, एकांश ने अक्षिता को देखते हुए उसके चेहरे से उसके गीले बालों को हटाया, अब अक्षिता का ध्यान भी अपने कपड़ों की ओर गया जो इस वक्त उसके शरीर से चिपके हुए थे, उसने एकांश की ओर देखा जो उसे ही देख रहा था वही अक्षिता को अब हल्की सी शर्म आने लगी थी वही एकांश उसके भीगे बदन को देख अपने आप पर काबू पाने की कोशिश मे लगा हुआ था और जब अक्षिता शर्मा क मूड गई तब एकांश अपने आप पर कंट्रोल खो पैठा और उसने अक्षिता को अपने पास खिचा

अक्षिता बड़ी बड़ी आँखों से एकांश को देख रही थी दोनों के ही भीगे हुए शरीर एक दूसरे के एकदम पास थे, चिपके हुए थे दोनों की एकदूसरे की आँखों मे देख रहे थे जो एक दूसरे के लिए तरस रही थी, उनके चेहरे एकदूसरे की ओर झुके हुए थे और बस ये मोमेंट बना ही हुआ था के तभी उन्होंने अपना नाम पुकारे जाने की आवाज सुनी और तुरंत एकदूसरे से दूर हट गए


"अक्षिता?"

"एकांश?"

उन्होंने अक्षिता की माँ को उन्हें पुकारते हुए सुना और उस ओर देखने लगे जहा से उनकी आवाज़ आ रही थी और कुछ ही पालो मे सरिताजी वहा पहुची और इन दोनों को देखा

"तुम दोनों यहा क्या कर रहे थे?"

"हम...." दोनों को ही समझ नहीं आ रहा था कि क्या कहे

"तुम दोनों बच्चे नहीं हो जो पानी से खेल रहे थे" सरिताजी ने थोड़ी सख्ती के साथ कहा



"सॉरी" दोनों ने एक साथ नीचे देखते हुए कहा

उन दोनों को यू देख सरिताजी मन ही मन मुस्कुरा रही थी

"चलो जाओ पहले जाकर कपड़े बादलों वरना बीमार पड जाओगे" सरिताजी ने कहा और वो दोनों सिर हिलाते हुए वहा चले गए


******

दरवाजे पर हुई दस्तक ने अक्षिता को उसकी सोच से बाहर निकाला और उसने जैसे ही दरवाजा खोला तो पाया के एकांश चेहरे पर चिंता के भाव लिए वहा खड़ा था

"तुम ठीक हो?" एकांश ने अक्षिता से पूछा

"हा.., लेकिन तुम ऐसे क्यों पूछ रहे हो?" अक्षिता ने एकांश को थोड़ा शक को नजर से देखते हुए पूछा

"मुझे तुम्हें ठंडे पानी से नहीं भिगोना चाहिए था..... मैं... वो...."

एकांश से बोला नही जा रहा था उसके शब्द लड़खड़ा रहे थे और ये देख अक्षिता थोड़ा शॉक थी, वो दोनो इस वक्त अक्षिता के रूम के दरवाजे पर थे और तभी अक्षिता को अचानक याद आया कि उसका कमरा एकांश तस्वीरों से भरा पड़ा था और वो ये एकांश को बताना नही चाहती थी इसीलिए वो थोड़ा घबरा गई कि कहीं वो उन्हें देख न ले, वो जल्दी से अपने कमरे का दरवाज़ा बंद करके बाहर आई

एकांश ने उसकी इस हरकत पर मन ही मन थोड़ी नाराजगी जताई लेकिन फिर उसे समझ में आ गया कि उसने ऐसा क्यों किया होगा

" तुम यहा सिर्फ ये देखने आए हो कि मैं ठीक हूँ या नहीं?" अक्षिता ने पूछा

"उम्म.... हा..... वो..... नहीं, दरअसल मैं तुमसे कुछ बात करना चाहता हू" एकांश बोलते हुए हकलाया और अक्षिता उसकी हकलाहट पर चकित होउसकी ओर देखने लगी

"क्या तुम घबरा रहे हो? मुझसे?" अक्षिता ने शरारती अंदाज में कहा

"क्या? नहीं!" एकांश ने हल्का सा हसते हुए कहा

"फिर?"

एकांश ने एक बार अपनी आंख बंद करके खोली और फिर अक्षिता को देख बोला

"वो दरअसल यहा एक पार्टी है और मैं चाहता हू कि तुम मेरे साथ उस पार्टी ने आओ" एकांश ने अक्षिता की आँखों में देखते हुए कहा

"तुम्हें नहीं लगता कि तुम्हें इस बारे में पहले मुझसे पूछना चाहिए था?" अक्षिता ने मुस्कुराते हुए कहा और जाने के लिए मुड़ गई लेकिन तभी एकांश ने उसका हाथ पकड़ा और उसे अपनी ओर खींचा

"तुम मेरे साथ पार्टी में चल रही हो" एकांश ने कहा

"और अगर मैं ऐसा न करूँ तो?" अक्षिता ने कहा ये बताने को कोशिश करते हुए के उसके एकांश के उसके इतने करीब होने का कुछ असर नही हो रहा

"तुम चलोगी" एकांश ने अक्षिता के पास झुकते हुए उसके कान में कहा, "I dare you to say NO"

एकांश न अक्षिता की कमर को अपने हाथो से पकड़े रखा था वही अब अक्षिता उसमे खोने लगी थी

"तो तुम मेरे चल रही हो?" एकांश ने अक्षिता को आंखो में देखते हुए पूछा और उसने अनजाने में ही अपना सिर हिला दिया जिसके साथ ही एकांश उससे थोड़ा दूर हटा

"नाइस, शाम को रेडी रहना मैं आ जाऊंगा....." ये बोल कर वो मुस्कुराते हुए वहा से चला गया

अक्षिता कुछ देर तक अपनी जगह पर ही खड़ी रही, लेकिन जब तक उसे एहसास हुआ कि क्या हुआ, एकांश पहले ही घर से बाहर जा चुका था

"एकांश! You idiot! You tricked me!" अक्षिता एकांश पर चिल्लाई पर तब तक वो अपनी कार में बैठ चुका था

वो बस जोर से हंसा और उसने उसकी ओर देख आख मार दी, जिससे अक्षिता आगे कुछ और बोल ही ना सकी

"रेडी रहना" एकांश ने कहा और वहा से चला गया वही अक्षिता हाथ बंधे थोड़ा झुंझलाते हुए अपने घर में वापिस आई तब अभी बीते कुछ पलों के बारे में सोच उसके चेहरे पर एक मुस्कान थी

*******

"क्या हुआ ऐसे मुस्कुरा क्यों रही हो?" सरिता जी ने अक्षुता के रूम में आते हुए पूछा जिसे अक्षिता ने बस ऐसे ही कह कर टाल दिया...

"और तुमने ये अपनी अलमारी को बिस्तर पर क्यों खाली कर रखा है?"

"मुझे समझ नहीं आ रहा कि क्या पहनू" अक्षिता ने कहा


"किसलिए? कही जा रही ही क्या"

"वो.. एकांश मुझे एक पार्टी में ले जा रहा है और मुझे समझ नहीं आ रहा कि क्या पहनूं" अक्षिता कहा

"ओह तुम एकांश के साथ डेट पर जा रही हो!" सरिताजी ने अचानक से कहा जिसे सुन अक्षिता थोड़ा चौकी

"नहीं मा ये तो बस एक नॉर्मल पार्टी है...." अक्षिता ने कहा

"तुम उसकी डेट के रूप में उस पार्टी में जा रही हो...... रुको, मैं तुम्हारे लिए ड्रेस ढूंढती हूँ" ये कहते हुए सरिताजी अब खुद अक्षिता के लिए ड्रेस ढूंढने लगी वही अक्षिता बस उन्हें देख रही थी क्युकी वो जानती थी कि उसकी मां से बहस करना बेकार था और काफी टाइम देखने के बाद सरिताजी ने तय किया कि अक्षिता क्या पहनेगी

"ये लो ये पहनो!" सरिताजी ने कहा

"माँ, हम पार्टी में जा रहे है और मुझे नहीं पता कौन सी पार्टी है और किसकी पार्टी है, लेकिन मुझे नहीं लगता कि कोई भी पार्टी में साड़ी पहनेगा" अक्षिता ने थोड़ा झिझकते हुए कहा

"इसलिए तो तुम्हे साडी पहननी चाहिए, कोई भी जगह हो या किसी की पार्टी, साड़ी में औरत हमेशा खूबसूरत और ग्रेसफुल दिखती है, मुझे पता है कि तुम इसमें बहुत अच्छी लगोगी" सरिताजी ने मुस्कुराते हुए कहा

" लेकिन..... "

"मुझे यकीन है कि एकांश तुम्हे साड़ी में देख खुश होगा"

"माँ, आपको नही लगता आप आजकल मुझसे ज्यादा उसकी साइड ले रही है"

"हा तो, वो मेरा होने वाला दामाद है तो क्या हुआ जो मैने उसकी साइड ले"

"माँ!" अक्षिता ने थोड़ा चिढ़ते हुए उनके हाथ से साड़ी ली और रेडी होने चली गई

******

"वाह! देखना एकांश तुम पर से नजरे नही हटा पाएगा" जब अक्षिता साड़ी पहनकर बाहर आई तो उसे देख सरिताजी ने कहा जिसके बदले में अक्षिता बस मुस्कुरा दी और वो कुछ कहती उसके पहले ही उन्हें एक हॉर्न की आवाज़ सुनाई दी

अक्षिता का दिल जोरो से धड़क रहा था, वो मन ही मन अनश्योर थी के वो साड़ी में ठीक तो लग रही है ना, और इससे भी ज्यादा वो ये सोच कर थोड़ा घबरा रही थी की एकांश के ये पसंद आयेगी या नही

"अब जाओ, लगता है एकांश आ गया है" सरिताजी ने अक्षिता को दरवाजे को और भेजते हुए कहा

बाहर एकांश अपनी कार से टिक कर खड़ा अक्षिता के बाहर आने का इंतजार कर रहा था उसने स्वरा के मैसेज देखने के लिए अपने फोन पर नज़र डाली और तुरंत ही फोन बंद कर दिया

एकांश ने ऊपर की ओर नजर की तो जो उसने सामने देखा उसे देख वो अपनी जगह जम सा गया था, अक्षिता मरून रंग की साड़ी पहने उसकी ओर आ रही थी, उसने अपने बाल खुले छोड़ रखे थे जो हल्की हवा के साथ लहरा रहे थे.., एकांश के अक्षिता को साड़ी में देख मंत्रमुग्ध सा खड़ा था वही वो थोड़ी घबराई हुई उसके सामने आकर खड़ी हुई

"एकांश ?" अक्षिता ने एकांश को पुकारा जो बिना पलके झपकाए उसे देख रहा था

"हं?"

"क्या हुआ? मैं ठीक लग रही हु ना?"

"क्या?"

"मेरी साड़ी..... मेरा मतलब है......" एकांश ने कुछ कहा नहीं तो अक्षिता को लगा कही साड़ी में कोई गड़बड़ तो नही

"नहीं..... ठीक है..... आओ चलें" एकांश ने कहा और अक्षिता के लिए कार का दरवाज़ा खोला

एकांश ने कुछ नही बोला जिससे अक्षिता को ये लगने लगा के एकांश को उसकी साड़ी पसंद नही आई थी जबकि वो नही जानती थी के साड़ी पहनकर उसने एकांश के अंदर खलबली मचा दी थी

दोनो कार में बैठे थे और कार चुपचाप अपनी मंजिल की ओर बढ़ रही थी, अक्षिता कनखियो से एकांश को देख रही थी वही वो सख्ती से स्टीयरिंग व्हील पकड़े गाड़ी चला रहा था और अब तो अक्षिता को पक्का लगने लगा था के एकांश को उसका साड़ी पहने आना पसंद नही आया था

"हम कहाँ जा रहे हैं?" अक्षिता चुप्पी तोड़ते हुए पूछा

"सिटी साइड, वहा के 5 स्टार होटल में एक बिजनेस पार्टी है" एकांश ने अक्षिता को देखते हुए कहा

"तो फिर तुम मुझे उस पार्टी में क्यों ले जा रहे हो, बिजनेस पार्टीज बोरिंग होती है" अक्षिता ने थोड़ा झल्लाते हुए और वो उसने झल्लाए चेहरे को देख मुस्कुराया

अक्षिता ने भी अब ध्यान से अपने बाजू में बैठे एकांश को देखा, उसके मुस्कुराता देख उसके चेहरे पर भी मुस्कान आ गई, अब वो गौर से एकांश को देख रही थी और उसपर से नजरे हटने का उसका बिलकुल भी मूड नही था,

एकांश में वो सब कुछ था जो एक लड़की चाहती है, वो हैंडसम था अमीर था उसे शायद कोई भी लड़की मिल जाती लेकिन वो उस लड़की के साथ बैठा था जिसका भविष्य अनिश्चित था,

एकांश को देखते हुए बस यही खयाल अक्षिता के मन में चल रहे थे

एकांश ने अक्षिता की नजरो को अपने चेहरे पर महसूस किया लेकिन वो चुप रहा, कहता भी क्या, वो तो अपने आप को अक्षिता के नाम कर चुका था, उसने कई बार अक्षिता की ओर देखा लेकिन वो अपने ख्यालों में इतना खोई हुई थी के उसने उसपर ध्यान ही नही दिया बस उसे देखती रही

एकांश ने अपना गला साफ किया ताकि अक्षिता को उसके ख्यालों से बाहर लाए लेकिन कोई उसपर कोई असर नही हुआ, वो नही जानता था कि वो इतनी गहराई से क्या सोच रही थी वो बस उसे उसके ख्यालों से बाहर लाना चाहता था और इसीलिए उसने झटके के साथ कार रोक दी जिससे अक्षिता अपने ख्यालों से बाहर आई

"एकांश !" अक्षिता ने जोर से कहा

एकांश ने उसकी ओर देखा जो उसे बड़ी-बड़ी आँखों से देख रही थी

"कतुम पागल हो गए हो? ऐसा क्यों किया तुमने?" उसने गुस्से पूछा

"तुम ही हो जो मुझे घूर रही हो और इससे मुझे गाड़ी चलाने में दिक्कत हो रही है" एकांश ने अपने कंधे उचकाते हुए कहा

"देखो तुम फिर से मुझे घूर रही हो..... ऐसा करो मेरी एक फोटो ले लो और उसे घूरो, ये हम दोनो के लिए ठीक होगा" एकांश ने कहा जिसका अक्षिता के पास कोई जवाब नही था वो चुप होकर खिड़की के बाहर देखने लगी

कुछ समय बाद वो दोनो अपने डेस्टिनेशन पर पहुंच गए थे, चुकी वो एक हाई प्रोफाइल पार्टी थी इसीलिए वेन्यू के बाहर मीडिया के कुछ लोग भी थे जिन्हे देख अक्षिता थोड़ा असहज हो रही थी लेकिन एकांश ने उसका हाथ थामा और उन सब मीडिया वालो को इग्नोर करते हुए वो अक्षिता को लेकर होटल के अंदर आ गया और अंदर आने पर अक्षिता ने राहत की सास ली

"तुम ठीक हो?" एकांश ने पूछा जिसपर अक्षिता ने बस हा में गर्दन हिला दी

अंदर पार्टी में एकांश कई लोगो से मिला लेकिन वो जहा जहा गया अक्षिता उसके साथ ही थी, उसने एक पल के लिए भी अक्षिता का साथ नही छोड़ा जिससे अक्षिता भी खुश थी, वो भी उसका साथ नही छोड़ना चाहती थी...

पार्टी में कई लड़कियां ऐसी थी जिनकी नजरे एकांश के ऊपर थी और उन लड़कियों को देख अक्षिता ने एकांश के हाथ पर अपनी पकड़ मजबूत की, वही पार्टी ने कई ऐसे लोग भी थे जिनकी नजरे अक्षिता पर टिकी हुई थी और उन्हें देख एकांश ने अपना अधिकार बताते हुए अक्षिता की कमर पीआर हाथ रखे उसे अपने पास खींचा

एकांश ने अक्षिता की ओर देखा और उसने भी एकांश को देखा, दोनो को नजरे एक दूसरे से मिली और दोनो ही अपने आसपास की दुनिया को भूल कर एकदूजे की आंखो में खो गए...


क्रमश:
Akshita ki ma ko kahna chahiye tha, ja akshu jee le apni jindgi :D Waise ye hasi thitholi, ye nok jhonk yahi to mohabbat hai pyare, mujhe nahi lagta akshita ko ekansh ko apne kamre me uski photo na dekhne dene ki koi wajah honi chahiye,:idk1:Dono ek doosre ko chaahte hai, abb dono ek doosre ke halaat samjhte hai. Or akshita ki ma se permission bhi mil chuki hai:declare:To le de kar sharm ya jhijhak hi bachti hai, udhar akshita ko party 🥳 me le jaana acha nirnay bhi ho sakta hai:approve:Kyu ki us se thoda maahol bhi change hoga, abhi to dono ek doosre mekhoye hue hai,
Cham-chamata update, or Jham-jhamati writing ✍️ hamesha ki tarah favorite
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Tiger 786

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Update 39



होप.....

मैने होप खो दिया है अंश.....

मैं आजकल उलझन में हूँ, तुम्हारा मेरे साथ अच्छा व्यवहार करना, मुझे देखकर मुस्कुराना, मुझसे ठीक से बात करना, इन सब बातों ने मुझे उलझन में डाल दिया है..

मैं उलझन से ज़्यादा डरी हुई हू... तुम्हारी मुस्कुराहट से... वो मुझे ऐसी उम्मीद देती है जो मैं नहीं चाहती...

हाल ही में मेरे चेकअप के दौरान डॉक्टर ने मुझे बताया है के मेरे पास ज्यादा वक्त नहीं बचा है, कभी भी कुछ भी हो सकता है, मैं तुम्हारे बारे में सोचकर इतना रोई कि मैं तुम्हें फिर से खो दूंगी

मैं जीना चाहती हू अंश, मैं भविष्य की चिंता किए बिना खुशी से सास लेना चाहती हू, लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकती... हर दिन तुम्हें देखकर मुझे तुम्हारे साथ और जीने की इच्छा होती है..

लेकिन मैं तुम्हारे साथ ऐसा नहीं कर सकती... मैं तुम्हारी ज़िंदगी बर्बाद नहीं कर सकती, मैं चाहती हूँ कि तुम खुश रहो, चाहे मैं रहूँ या न रहूँ.. इसीलिए मैंने यह फ़ैसला लिया अंश

मुझे पता है कि तुम परेशान होगे और शायद मुझसे और भी नफ़रत करने लगोगे, लेकिन याद रखना कि मैं हमेशा तुमसे प्यार करूंगी..... अपनी आखिरी साँस तक सिर्फ़ तुमसे..

मैंने एक डिसीजन लिया है और मुझे उम्मीद है कि मैं शायद इसे पूरा कर पाऊंगी, आज जब मैंने तुम्हें देखा तो मैं तुम्हें देखती ही रह गई,

आज जब मैं उस पार्क के पास से गुजर रही थी जहा हम अक्सर मिला करते थे तो वही तुम मुझे वहा भी मिल गए, तुम मुझपर गुस्सा थे के में अंधेरे में सड़क पर अकेली चल रही थी लेकिन मैं खुश थी के एक बार और तुम्हे देख तो पाई, तुम्हारे साथ थोड़ा वक्त बिता पाई, मुझे नहीं पता आगे मैं तुम्हे कभी देख भी पाऊंगी या नही और शायद इसीलिए मैंने तुम्हे गले लगा लिया था, ये सोच कर के शायद अब हम दोबारा कभी ना मिले

मुझे माफ़ कर दो अंश , मुझे पता है कि ऐसा करके मैं तुम्हें और मेरे दोस्तों को दुख पहुंचा रही हु लेकिन मेरे पास और कोई रास्ता नहीं है

मै जा रही हु.....

बाय अंश...

आई लव यू



एकांश अक्षिता डायरी का आखिरी पन्ना पढ़ते हुए चुपचाप रो पड़ा उसे लगा कि उस समय उसके अंदर कितना कुछ चल रहा था, फिर भी वो अपनो के लिए मुस्कुरा रही थी एकांश मन में उथलपुथल लिए अक्षिता की उस डायरी को सीने से लगाकर वैसे ही सो गया..



******

अलार्म की आवाज़ सुनकर एकांश की नींद खुली, उसने अपना फ़ोन देखा और पाया कि वो रिमाइंडर अलार्म था, फिर उसे याद आया कि आज अक्षिता का डॉक्टर के पास चेकअप है,

वो अपने बिस्तर से उठकर जल्दी से तैयार हो गया और नीचे आकर दरवाजे के पास खड़ा हो उसका इंतजार करने लगा,

उसने अपनी घड़ी देखी और पाया कि सुबह के 10 बज चुके थे और अपॉइंटमेंट सुबह 11 बजे का था, इसलिए उन्हें वहाँ जल्दी पहुँचना था

"तुम यहाँ क्या कर रहे हो?" अक्षिता ने दरवाजे के पास खड़े एकांश को देखकर पूछा

"उह...." एकांश समझ नहीं आया कि क्या कहे

"एकांश, क्या तुम कही बाहर जा रहे हो बेटा?" सरिताजी ने मुस्कुराते हुए एकांश से पूछा

"हा आंटी"

तभी अक्षिता अपना हैंडबैग लेकर अपनी मा को बाय कहती हुई बाहर आई

"I'll drop you.." एकांश ने अक्षिता ने कहा निस्पर वो थोड़ा ठिठकी

"उम्म... नहीं, मैं अकेले चली जाऊंगी।" अक्षिता ने एकांश की।और बगैर देखे कहा

"मैं सिटी साइड ही जा रहा हूँ मैं तुम्हें वहाँ तक छोड़ दूँगा" एकांश ने कहा

"मैंने कहा न नहीं" अक्षिता ने सख्ती से कहा और आगे बढ़ है

"मैंने कहा कि मैं तुम्हें ड्रॉप रहा हूँ और अब बात फाइनल हो गई" एकांश ने अक्षिता के आगे जाते हुए बात को आगे ना खींचते हुए कहा

"तुम मुझे इस तरह हुकुम नहीं दे सकते" अक्षिता गुस्से से उसकी ओर बढ़ते हुए चिल्लाई

"बिलकुल दे सकता हु अब चलो" उसने अपनी कार की ओर इशारा करते हुए कहा

" नहीं!"

" हाँ!"

" नहीं।"

" हाँ।"

"नहीं।"

"हाँ।"

"नहीं।"

"तुम्हें देर हो जाएगी अक्षिता अब बहस बंद करो और कार में बैठो"

"एकांश तुम मुझे इस तरह मजबूर नहीं कर सकते मैं तुम्हारे साथ नहीं आना चाहती और मैं नहीं आऊँगी"

"अक्षिता प्लीज, बहस करना बंद करो और जो मैं कहता हूँ वो करो" उसने गुस्से से कहा वही अक्षिता को उसकी आंखों चिंता नजर आ रही थी

और वो उसे चिंतित नहीं करना चाहती लेकिन वो उसे ये भी नहीं बता सकती कि वो कहां जा रही है

"अक्षु चली जाओ उसके साथ तुम्हें देर हो रही है और तुम्हें अंधेरा होने से पहले घर वापस भी आना है" दोनो के बीच बहस रुकती ना देख सरिताजी को ही बीच में बोलना पड़ा

"लेकिन माँ...." लेकिन एकांश ने अक्षिता को उसकी बात पूरी ही नही करने दी

" अब चलो।" एकांश ने अपनी कार में बैठते हुए कहा

कुछ बुदबुदाते हुए अक्षिता गुस्से से कार में बैठ गई और एकांश सरिताजी को देखकर मुस्कुराया वही अक्षिता ये सोचकर चिंता में थी कि अब क्या होगा

अक्षिता के गाड़ी में बैठते एकांश ने राहत की सांस ली क्योंकि अब वो टाइम पर हॉस्पिटल पहुँच सकते थे, वो जानता था कि अक्षिता के चेहरे पर टेंशन क्यों था वो नही चाहती थी के एकांश को पता चले वो अस्पताल जा रही है, लेकिन एकांश उसे इस हालत में पब्लिक ट्रांसपोर्ट में नही जाने दे सकता था

"तुम्हारी कार आज यहाँ क्यों है? रोज़ तुम्हारा ड्राइवर आकर तुम्हे पिक करता है ना?"

"वो इसीलिए के मैंने ड्राइवर से कहा था की वो कार यहीं छोड़कर चला जाए क्योंकि अब से मैं गाड़ी चलाऊंगा"

एकांश का जवाब सुन अक्षिता कुछ नही बोली और दोनो पूरे रास्ते चुप ही रहे, दोनो के ही दिमाग में अपने अपने खयाल चल रहे थे

******

वो लोग हॉस्पिटल के इलाके के दाखिल हो चुके थे और जैसे ही अक्षिता ने देखा वो लोग हॉस्पिटल पहुंचने ही वाले थे वो थोड़ा घबराई और उसने एकांश को एकदम गाड़ी रोकने कहा

"रुको रुको, मुझे यही उतरना है" अक्षिता ने अपनी बाईं ओर एक मॉल कीमोर इशारा किया

"यहाँ?"

"हाँ, वो... मुझे... थोड़ी शॉपिंग करनी थी" अक्षिता ने वापिस मॉल की ओर इशारा करते हुए कहा

अक्षिता क्या करने की कोशिश कर रही है ये एकांश समझ गया था और इस बात का उसे गुस्सा भी आया था लेकिन वो इस वक्त बहस नही करना चाहता था इसीलिए उसने तुरंत गाड़ी रोक दी और वो तुरंत नीचे उतर गई और उसके वहा से जाने का इंतज़ार करने लगी

एकांश बिना अक्षिता की ओर देखे और उससे कुछ भी कहे बिना वहां से तेजी से चला गया, उसे अक्षिता के झूठ बोलने पर बुरा लगा लेकिन उसके पास कोई और रास्ता नहीं था, अक्षिता तब तक वहीं रुकी रही जब तक एकांश की कार उसकी नज़रों से ओझल नहीं हो गई और फिर अस्पताल की ओर चल पड़ी जो सिर्फ़ 5 मिनट की दूरी पर था

इधर एकांश ने हॉस्पिटल की पार्किंग में अपनी कार रोकी और गुस्से में अपना हाथ स्टीयरिंग व्हील पर पटक दिया

'वो मुझे अन्दर क्यों नहीं आने दे सकती? क्यों सच नही बोल सकती? तब चीजे कितनी आसान हो जाएगी लेकिन इस बारे में इससे बात करू भी तो कैसे करू वो टेंशन में आ जाएगी इससे तबियत और बिगड़ जाएगी'

एकांश ने मन ही मन सोचा और अपनी आँखें बंद कर लीं और पार्किंग में उसका इंतज़ार करने लगा

इधर अक्षिता हॉस्पिटल में पहुंच कर अपनी बारी का इंतजार करने लगी और जैसे ही उसका नंबर आया वो डॉक्टर के केबिन में चली गईवह अस्पताल में गई

"हेलो डॉक्टर अवस्थी" उसने हल्की मुस्कान के साथ कहा

"आओ अक्षिता, कैसी है आप?" डॉक्टर ने पूछा

"बढ़िया" अक्षिता ने कहा जिसके बाद डॉक्टर ने उसका रेगुलर चेकअप करना शुरू किया, आंखे, ब्लडप्रेशर यही सभी रेगुलर चेकअप वही अक्षिता थोड़ी डरी हुई दिख रही थी के डॉक्टर क्या कहेगा

"You're good" डॉक्टर ने कहा

"क्या?" अक्षिता को तो पहले यकीन ही नहीं हुआ

"अक्षिता, तुम्हारी सेहत में सुधार हो रहा है और ये साफ दिख रहा है, पिछले चेकअप के हिसाब से तुम अब बेटर लग रही हो, तुम्हारी स्किन का कलर भी पहले से कम पीला है, तुम्हारी आँखों के नीचे काले घेरे और बैग नहीं हैं, ब्लड प्रेशर भी नॉर्मल है..... इन सबका मतलब है कि तुम टेंशन फ्री हो जो एक बहुत अच्छा संकेत है और इसका तुम्हारे हेल्थ पर भी बहुत अच्छा असर पड़ेगा" डॉक्टर ने कहा

"थैंक यू डॉक्टर, शायद आपकी नई दवाइयां मुझ पर अच्छा असर दिखा रही हैं"

"हा ऐसा कह सकते है लेकिन अक्षिता, तुममें जो सुधार हुआ है, वह सिर्फ़ दवाइयों की वजह से नहीं है" डॉक्टर ने कहा

"आप कहना क्या चाहते है डॉक्टर?"

"पहले तुम्हारे कुछ टेस्ट कर लेते है फिर इस बारे में बात करेंगे" जिसके बाद उन्होंने अक्षिता के कुछ टेस्ट्स किए कुछ एक्स-रे और MRI के सत्र समाप्त होने के बाद, वो डॉक्टर के केबिन में वापस आ गए और कुछ ही समय में अक्षिता के रिपोर्ट्स भी उनके सामने थे

"See this is what I call improvement" डॉक्टर ने रिपोर्ट्स देखते हुए कहा वही अक्षिता अब भी थोड़ा डर रही थी लेकिन कुछ बोली नहीं तो डॉक्टर ने बोलना शुरू किया

"अक्षिता, अब शायद एक डॉक्टर के मुंह से ये बात सुन के तुम्हे अजीब लग सकता है, लेकिन इस दुनिया में दवाओं के अलावा भी ऐसी चीजे है जो आपको हिल कर सकती है, ऑफकोर्स दवाइयां जरूरी है लेकिन कुछ उससे भी ज्यादा जरूरी है"

"क्या?"

"प्यार..."

डॉक्टर के शब्द सुन अक्षिता सन्न रह गई

"प्यार घाव भर देता है, जिन लोगों से हम प्यार करते हैं उनसे मिलने वाला प्यार हमें यह भूला देता है कि हम क्या दुख झेल रहे हैं और जब हम उनके साथ होते हैं तो हम खुश होते है, जब आप अपने प्यार के साथ होते हैं तो आपको जो खुशी मिलती है वो आपके मन और आत्मा के सबसे गहरे घावों को भर देती है" डॉक्टर ने कहा और अक्षिता की ओर देखा जो उन्हें ही देख रही थी

"मैं किसी फिल्म की कहानी या किसी फेरी टेल की बात नहीं कर रहा हु ऐसा कई बार हुआ भी है, कभी-कभी आपको बस प्यार की जरूरत होती है..... सिर्फ प्यार की"

"जब आप अपने अपनो के साथ होते हैं तो आपको जो खुशी मिलती है, वह आपके शरीर में कुछ हार्मोन उत्पन्न करती है जो टेंशन को दूर करता है, अपने आप को ही देखो तुम टेंशन फ्री लग रही हो जो की हमारे ट्रीटमेंट के लिए काफी अच्छा है" डॉक्टर ने कहा

डॉक्टर की बातो पर अक्षिता ने गौर किया तो पाया
कि आजकल वो बहुत खुश है, उसे बुरे सपने नहीं आते और सोते समय वो रोती नहीं थी उसे चक्कर या बेचैनी भी नहीं होती थी, उसे अब सिर दर्द नहीं होता था, वह उठकर डॉक्टर के केबिन में लगे आईने के पास गई, उसने आईने में अपने आप देखा और उसे देखकर पलकें झपकाई, उसका चेहरा पहले की तरह सामान्य था और उसकी आँखों के नीचे कोई झुर्रियाँ या काले घेरे नहीं थे।,फिर उसे एहसास हुआ कि आजकल वह रोज़ाना शांति से सो रही थी और उसके चेहरे पर मुस्कान थी उसकी आँखों और चेहरे पर चमक लौट आई थी..

डॉक्टर ने ये बातें इसलिए नहीं कही क्योंकि उन्हें पता था कि एकांश अक्षिता से प्यार करता है, बल्कि इसलिए कही क्योंकि उनके सामने सुधार साफ तौर पर दिख रहा था एकांश उन्हें खुश रख रहा था और साथ ही उसकी जिंदगी को टेंशन फ्री भी कर रहा था

अक्षिता ने आईने में अपने आप को देखा और फिर डॉक्टर को देखा और फिर उसके ध्यान में आया के ये बस एक इंसान की वजह से था... एकांश की वजह से...


एकांश के बारे में सोचते ही उसकी आंखे भरने लगी थी वो इन दिनों खुश थी क्योंकि वह उसे खुश कर रहा था, उसे रोज़ देखना, उससे बात करना, उससे लड़ना, उसे चिढ़ाना, उसके साथ सितारों को निहारना..... एकांश के वहा होने से अक्षिता ने उसके बारे में सोचना चिंता करना बंद कर दिया था, एकांश के साथ होने से वो वापिस जिंदा महसूस करने लगी थी

इन सभी भावनाओं के बीच, जो वो अभी महसूस कर रही थी एक और फीलिंग थी जिसे वो नजरंदाज नहीं कर सकती थी जो उसके दिल में उठ रही थी...
होप


जीने ही आशा...

क्रमश:
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अक्षिता अपनी दवाइयाँ खरीदने के बाद गहरी सोच में डूबी हुई हॉस्पिटल से बाहर निकली, वो सड़क पर इधर-उधर देखती हुई चल रही थी, लेकिन उसका मन कहीं और था

वो चलते चलते रुकी जब उसने देखा कि एकांश कार पर टिका हुआ उसकी ओर ही देख रहा था और वो ठीक उसी जगह खड़ा था जहा उसने मॉल के सामने उसे छोड़ा था

वो घबरा गई क्योंकि जब उसने तो एकांश बताया था कि वो शॉपिंग करने आई है तो अगर उसने पूछ लिया कि वो दूसरी दिशा से क्यों आ रही है फिर वो क्या जवाब देगी, और यही सब सोचते हुए वो एकांश के सामने आकर खड़ी हो गई

लेकिन एकांश ने कुछ नहीं कहा, उसने बस उसे कार में बैठने का इशारा किया, तभी उसका फोन बजने लगा, उसने कार का दरवाज़ा बंद किया और फोन पर बात करने लगा...

इस दौरान अक्षिता बस उसे देखती रही, वो क्या बात कर रहा था सुन तो नहीं पाई लेकिन उसने उसके हाव-भाव देखे, फ़ोन पर बात करते वक्त एकांश थोड़ा टेंशन में था लेकिन बीच-बीच में उसके चेहरे के भाव नरम पड़ गए और आखिरकार उसके चेहरे पर कुछ डिटरमिनेशन वाले भाव आ गए

अपनी बात खत्म करने के बाद एकांश चुपचाप कार में बैठ गया और गाड़ी चलाने लगा, एक तरफ अक्षिता घबराई हुई थी कि जब वो उससे पूछेगा कि वो कहाँ थी या उसने क्या खरीदा तो वो क्या कहेगी, दूसरी तरफ एकांश ऐसे शांत था जैसे वो कार में मौजूद ही न हो

गाड़ी खामोशी से चल रही थी जिसे एकांश के फोन की रिंगटोन ने तोड़ा एकांश ने अपने फोन की तरफ देखा, लेकिन जवाब देने की जहमत नहीं उठाई, लेकिन फिर से उसका फोन बज उठा, जिससे अक्षिता के माथे पर बल पड़ गए, क्योंकि इस बार एकांश ने फोन की तरफ देखा तक नहीं

जब तीसरी बार फोन बजा तो अक्षिता फोन पर नज़र डाली जो उसकी सीट के पास सॉकेट में रखा था उसने नाम देखा तो पाया के फोन एकांश को मां का था जिसे वो रिसीव नही कर रहा था वही अक्षिता उलझन में थी के वो अपनी मां का फोन क्यों नहीं उठा रहा है

"तुम्हारा फ़ोन बज रहा है" अक्षिता ने कहा

"पता है" एकांश ने रास्ते पर ध्यान देते हुए कहा

"तो फिर रिसीव करो"

एकांश ने एक नज़र अक्षिता को देखा और फिर रोड की ओर देखने लगा

"एकांश तुम्हारी मां का कॉल है" अक्षिता ने एकांश को देखते हुए कहा

"जानता हु" एकांश ने कहा

"तो फिर इसका जवाब क्यों नहीं देते?"

लेकिन एकांश चुप रहा

"एकांश ?"

"मैं गाड़ी चलाते समय बात नहीं करना चाहता, घर पहुंचने पर कॉल कर लूंगा"

एकांश ने कह तो दिया लेकिन अक्षिता समझ गई थी के कुछ तो गड़बड़ है, वो एकांश को अच्छी तरह जानती थी और ये भी जानती थी के वो अपनी मां से बहुत प्यार करता है और वो उनके बेहद करीब भी है और वो कही भी कार रोक कर उनसे बात कर सकता था लेकिन उसने ऐसा नही किया साफ समझ आ रहा था के वो अपनी मां के कॉल को अनदेखा कर रहा था

******

कार रुकी तो अक्षिता को अचानक अपनी सोच से बाहर आई, उसने इधर-उधर देखा और एकांश को देखने लगी जो कार से बाहर निकल रहा था, वह उसके पास आया और उसने उसकी तरफ का दरवाज़ा खोला

"आओ कुछ खा लेते है" एकांश ने अक्षिता से कहा जो कार में बैठी हुई उसे देख रही थी

"हम तो घर ही जा रहे हैं ना वही खा लेंगे" अक्षिता ने सामने के आलीशान रेस्टोरेंट को देखते हुए कहा

"मुझे बहुत भूख लगी है अक्षिता प्लीज आ जाओ" एकांश ने कहा

"ठीक है" कहते हुए अक्षिता भी कार से बाहर निकली

वे उस रेस्तरां में गए जो किसी 5 स्टार होटल से कम नहीं था

"मैंने इस जगह के हिसाब से कपड़े नहीं पहने हैं।" अक्षिता ने वहा मौजूद दूसरी लड़कियों की तरफ देखते हुए कहा और एकांश ने चलते हुए रुककर रेस्टोरेंट में मौजूद दूसरी लड़कियों को देखा फिर उसने अक्षिता और उसकी ड्रेस को देखा

"क्यों क्या हुआ?" एकांश ने उलझन में पूछा

"यह ऐसे पॉश रेस्तरां के लिए ठीक नहीं है" अक्षिता ने धीमे से

"देखो अक्षिता..... कपड़ों को लेकर ऐसा कोई नियम नहीं है कि सिर्फ़ ऐसे ही कपड़े पहनने चाहिए, wearing revealing clothes doesn't make them posh or elegant it's one's attitude and decency that makes them look presentable" एकांश ने अक्षिता की आँखों में देखते हुए कहा वही अक्षिता कुछ नही बोली बस उसे देखती रही

"और मेरे लिए तो तुम एकदम... परफेक्ट हो।" एकांश ने अक्षिता को ऊपर से नीचे तक देखते हुए कहा

वही अक्षिता अपने चेहरे पर आई शर्म छिपाने दूसरी तरफ देखने लगी लेकिन उसके चेहरे पर एक स्माइल दी जिसे देख एकांश के चेहरे पर भी मुस्कान आ गई

वो अंदर जाने लगे और एकांश ने अक्षिता का हाथ पकड़ा और उसे अपने पास खींच लिया, अक्षिता हैरान होकर उसे देखती रही, जबकि वो चलते हुए बस आगे की ओर देख रहा था..

"गुड मॉर्निंग सर।" मैनेजर ने एकांश का स्वागत करते हुए कहा

"मॉर्निंग..... हमें पूल साइड में एक टेबल चाहिए" एकांश ने कहा

"श्योर सर..... मेरे साथ आइए।" उसने कहा और वे दोनो उसके पीछे चले गए

"तुमने पहले ही टेबल रिजर्व करा लिया है?" अक्षिता ने एकांश ने पूछा

"मुझे कोई रिजर्वेशन कराने की जरूरत नहीं है" एकांश ने कहा

"हा... बेशक... अमीर लोग" अक्षिता ने बुदबुदाते हुए कहा लेकिन एकांश ने सुन लिया

"मैंने सुना तुमने क्या कहा"

"अच्छा.." अक्षिता ने कहा और मासूमियत से उसकी ओर मुस्कुराई जिसके बाद एकांश कुछ नही बोला

मैनेजर ने उन्हें टेबल दिखाया और वे इधर-उधर देखने लगे एक वेटर वहा आया और उन्हें मेन्यू कार्ड थमा दिया अक्षिता को मेन्यू में लंबी लिस्ट देखकर समझ नहीं आया कि क्या ऑर्डर करें, इसलिए उसने अपनी पसंदीदा डिश ऑर्डर कर दी और एकांश ने भी वही डिश ऑर्डर की...

"पानी ज्यादा ठंडा नहीं होना चाहिए..... नॉर्मल वाटर" एकांश ने वेटर से कहा

वेटर ने अपना सिर हिलाया और उनका ऑर्डर लाने चला गया

"बाहर बहुत गर्मी है, तुमने ठंडा पानी क्यों नहीं मंगवाया?" अक्षिता ने पूछा

"बस यूंही मुझे ठंडा पानी पीने की इच्छा नहीं थी इसीलिए "

अक्षिता पूल की ओर देख रही थी वही एकांश उसे मुस्कुराते हुए देख रहा था

"You like it here?" एकांश ने पूछा

"Yeah..... It's beautiful" अक्षिता मुस्कुराते हुए कहा

जल्द ही उनका ऑर्डर आ गया और दोनो के दिमाग में इस वक्त कई खयाल चल रहे थे इसीलिए दोनो में से कोई ज्यादा बात नहीं कर रहा था और दोनो अभी खाना खा ही रहे थे के तभी

"हेलो मिस्टर रघुवंशी"

उन्होंने किसी की आवाज सुनी और ऊपर देखा तो स्कर्ट और टॉप पहने एक लड़की खड़ी थी जिसने अभी अभी एकांश को आवाज दी थी

"ओह! हेलो, मिस सक्सेना" एकांश ने मुस्कुराते हुए कहा

अक्षिता ने उस लड़की की तरफ देखा जो मुस्कुरा रही थी और एकांश को सेडेक्टिव नजरों से देख रही थी

"It's been a long time" उस लड़की ने कहा

"Yeah..."

"Why don't we hang out sometime?" उसने एकांश से पूछा और अक्षिता ने अपना जबड़ा कस लिया और उसे नहीं पता कि ये जलन थी या गुस्से की वजह से था लेकिन उसे अब ये एहसास हुआ कि अब उसका एकांश पर कोई अधिकार नहीं था और वह जिसके साथ चाहे रह सकता था और ये खयाल आया ही उसने अपनी नजरे प्लेट को और कर ली

एकांश ने अक्षिता की ओर देखा जो चुपचाप अपनी प्लेट की ओर देख रही थी

"मिस सक्सेना... We'll talk later when we meet again.. अभी मैं थोड़ा व्यस्त हु" एकांश ने पूरी विनम्रता से कहने की कोशिश की क्युकी वो उसकी क्लाइंट भी थी

"ओह, वैसे ये कौन है?" उसने अक्षिता की ओर देखते हुए पूछा

अक्षिता ने चुपचाप उसकी ओर देखा और फिर एकांश की ओर

"मेरी गर्लफ्रेंड..." एकांश ने दोनों लड़कियों को चौंकाते हुए एकदम से कहा

अक्षिता बस उसे चकित नजरो से देखती रही, जबकि वो लड़की अविश्वास भरी नज़रों से पहले एकांश को और फिर अक्षिता को देख रही थी

"Oh we are on a date... Will you please excuse us?" एकांश ने पूछा

"Umm..... Yeah..... Of course" इतना कह कर वो लड़की वहा से निकल गई

एकांश ने अक्षिता की ओर देखा जो उसकी ओर ही देख रही थी लेकिन उसने चुप रहना ही ठीक समझ

"एकांश ?"

"हम्म" एकांश ने खाना खाते हुए कहा

"तुमने अभी अभी क्या किया?"

"मैंने क्या किया? मैं तो बस खाना खा रहा हूँ" एकांश ने आराम से कहा

"नहीं, मेरा मतलब वही है जो तुमने अभी कहा?"

"किस बारे में?"

"तुमने उससे ये क्यों कहा कि मैं तुम्हारी गर्लफ्रेंड हूँ?" अक्षिता ने झल्लाकर पूछा

"म्म्म्म्म्म्म..... यहा का खाना काफी टेस्टी है यार" एकांश ने अक्षिता के सवाल को इग्नोर करते हुए कहा

"एकांश."

"क्या?"

अक्षिता घूर के एकांश को देखने लगी

"ठीक है ठीक है..... मैंने उससे छुटकारा पाने के लिए ऐसा कहा था.. अब खुश"

वैसे तो अक्षिता इस जवाब से संतुष्ट नही थी लेकिन उसने फिलहाल इस बात को नजरअंदाज कर दिया


खाना खत्म करने के बाद उन्होंने बिल चुकाया और रेस्टोरेंट से बाहर चले गए दोनों कुछ देर तक चुपचाप बैठे रहे लेकिन अक्षिता के पास पूछने के लिए कई सवाल थे...

"एकांश "

"हा?"

"तुमने उसे क्यों रिजेक्ट कर दिया?" अक्षिता ने धीमे से पूछा

"रिजेक्ट? किसे?"

"उस दिन जो लड़की तुम्हारे पास आई थी और जिसने तुम्हें प्रपोज किया था...... तुमने उसे क्यों मना कर दिया?" अक्षिता ने पूछा

"क्योंकि मैं उसके लिए वैसा फील नहीं करता" एकांश ने सीरियस टोन में कहा

"क्यों?" इस बार अक्षिता ने एकांश की ओर देखते हुए पूछा

एकांश ने स्टीयरिंग व्हील को कसकर पकड़ लिया और खुद को कंट्रोल करने की कोशिश करने लगा

"वो सुंदर है, इंडिपेंडेंट है और सबसे जरूरी बात यह है कि वह तुमसे प्यार करती है तुम्हें खुश होना चाहिए कि वह तुम्हें चाहती है" अक्षिता सभी बातो को जोड़ते हुए कहा

एकांश की आंखें नम हो गईं जब उसने अक्षिता की ओर देखा, ऐसा लग रहा था जैसे वह खुद की तुलना अमृता से कर रही हो

"हो सकता, लेकिन मुझे वह पसंद भी नहीं है" एकांश ने कहा।

" लेकिन..... "

"शशश......ज्यादा मत सोचो.. बस अपनी आँखें बंद करो और कुछ देर आराम करो" एकांश ने धीरे से कहा

अक्षिता अपनी आँखें बंद करके अपनी सीट पर पीछे झुक गई.. एकांश ने उसकी तरफ देखा और सोचा कि शायद अमृता वाली की घटना ने उसे उससे ज़्यादा प्रभावित किया है जितना उसने सोचा था क्योंकि वो अभी भी इसे नहीं भूली थी

कुछ ही देर में अक्षिता अपनी सीट पर सो गई और एकांश समय-समय पर उसे देखता रहा, वो घर पहुंचे और एकांश उसे उसके कमरे में ले गया, ताकि उसकी नींद में खलल न पड़े.. उसने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और उसके माथे को चूमा..

"Be strong अक्षू..... I love you"

क्रमश:
Mind-blowing update
 
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