Nice update....Update 43
एकांश अक्षिता को लेकर एक स्ट्रीट फूड मार्केट के पास आया था ताकि कुछ खा सके और वहा पहुच कर उसने अक्षिता को देखा तो उसके चेहरे पर एक अलग ही चमक थी, अपने सामने अलग अलग चाट की गाड़िया देख अक्षिता के मुह मे पानी आने लगा था, अपनी तबीयत के चलते उसे बाहर का कुछ भी यू खाने की इजाजत नहीं थी, इसीलिए एकांश का उसे वहा लाना उसके लिए फिलहाल तो एक बेहतरीन ट्रीट था
वही एकांश को भी अब ये एहसास हो गया था के उसे यहा नहीं आना चाहिए था, फ़्लो फ़्लो मे अक्षिता और अपना मूड ठीक करने कुछ थोड़ा खाने वो यहा आया था लेकिन यहा की गर्दी और खाने पीने का महोल अक्षिता और उसकी सेहत के लिए ठीक नहीं है इसका एहसास उसे हो गया था और वैसे ही उसने अक्षिता को वहा से चलने के लिए कह दिया था....
अक्षिता अभी चाट की एक रेडी की ओर बढ़ ही रही थी के एकांश ने उसका हाथ पकड़ा
"अक्षिता, चलो..." एकांश ने कहा
"हा हा चलो वहा से शुरुवात करते है" अक्षिता ने एक और इशारा करते हुए कहा, उसे एकांश के चलो का मतलब ही नहीं समझ आया था, वो तो कुछ बढ़िया खाने के लिए उत्सुक थी
"अक्षिता, यहा से चलो, किसी बढ़िया रेस्टोरेंट में खायेंगे" एकांश ने अपनी बात रखते हुए कहा ये जानते हुए के अक्षिता को अब यहा से ले जाना उसके लिए मुश्किल होने वाला था
"पर क्यों??? अभी अभी तो आए है यही से कुछ खा कर चलते है ना" अक्षिता ने कहा
"कही और बढ़िया जगह खा लेंगे पर यहा नही" एकांश ने कहा, उसे अब अक्षिता को यहा लाने का अफसोस हो रहा था साथ ही डर भी लग रहा था के यहा का खाना खा कर उसकी तबियत बिगड़ जाएगी वही अक्षिता जो तो उसकी मन पसंद चीज दिख रही थी तो वो तो अब वहा से हटने वाली नही थी
"अब चलो भी अक्षिता" एकांश ने वापिस नही
"यही कुछ खा लेते है ना, प्लीज" अक्षिता ने कहा
"नही"
"प्लीज प्लीज प्लीज"
"No!"
"तो फिर मुझे यहा लेकर ही क्यों आए थे" अब अक्षिता ने थोड़ा गुस्से में कहा
"गलती हो गई मुझसे, मैं भूल गया था के स्ट्रीट फूड ठीक नहीं है तुम्हारे लिए" एकांश ने कहा
"बकवास मत करो ठीक है, थोड़ा बहुत स्ट्रीट फूड खाने से कुछ नही होने वाला"
"अक्षिता, प्लीज, तुम्हे खुद की सेहत का ध्यान रखना चाहिए और वैसे भी ये सब खाना तुम्हारी सेहत के लिए ठीक नहीं है" एकांश ने अक्षिता को समझाते हुए कहा
"थोड़ा खाने से कुछ नही होने वाला, और अब तुम चाहे मानो या ना मानो मैं यहा से अपनी पसंद की चीजे खाए बगैर नही जा रही" अक्षिता ने कहा और अब एकांश के पास भी उसकी बात मानने के अलावा कोई रास्ता ही नही था
"ठीक है जैसी तुम्हारी मर्जी" एकांश ने कहा
"ओह हेलो मुझे वैसे भी मेरी पसंद का खाने के लिए तुम्हारी परमिशन नही चाहिए समझे ना"
"तो फिर ये प्लीज प्लीज किस बात का कह रही थी"
"वो तो मुझे लगा तुम सडा सा मुंह बना के कुछ नही खाओगे तो तुम्हे मेरे साथ खाने के लिए कह रही थी" अक्षिता ने कहा, उसे एकांश की आदत पता थी, वो अपनी डायट का ध्यान रखने वाला था और उनके रिलेशनशिप के दौरान भी उसने उसे कभी स्ट्रीट फूड खाते नही देखा था और आज भी वो नही खायेगा उसका अक्षिता को अंदाजा था
"अब चलो भी मुझे भूख लगी है" अक्षिता ने एकांश का हाथ पकड़ कर उसे अपने साथ ले जाते हुए कहा, एकांश भी कुछ नही बोला वो बस अक्षिता के साथ मिले इस पल को एंजॉय करना चाहता था...
अक्षिता अलग अलग चीजे खा रही थी और एकांश बस उसे खाते हुए देख रहा था, वो बस उस पल को इन्जॉय कर रहा था और इस पल मे अक्षिता को खुश करने के लिए उसे बचाने के लिए वो अपना सब कुछ कुर्बान करने को तयार था, अक्षिता को खो देने के खयाल से ही उसकी आँखों मे पानी आने लगा था और वो अक्षिता न देख ले इसीलिए उसने झट से अपने ईमोशनस् पर कंट्रोल करते हुए अपनी आंखे साफ की
अक्षिता ने वहा अपनी पसंद की सभी चीजे खाई थी और एकांश को भी खिलाई थी और पानी पूरी वाले के पास से हट कर वो एकांश के पास आई तो एकांश ने पूछा
"अब कहाँ?" एकांश ने पूछा
"I just want to sleep now" अक्षिता ने थोड़े थके हुए अंदाज मे कहा और एकांश भी उसे देख कर समझ गया के वो काफी थक गई थी और उसे दवाईया भी लेनी थी
"ठीक है तो फिर घर चलते है" एकांश ने कहा और वो दोनों उसकी कार की ओर बढ़ गए
"एकांश..."
"हम्म...."
"थैंक यू" अक्षिता ने मुस्कुराते हुए कहा
"अब ये क्यू?" एकांश ने चौक कर पूछा
"मुझे अपने साथ पार्टी में ले जाने के लिए, मेरे साथ स्ट्रीट फूड खाने के लिए और मेरे दिन को इतना खास बनाने के लिए" अक्षिता ने एकांश की आँखों मे देखते हुए कहा वही एकांश को समझ नहीं आ रहा था के इसपर क्या बोले
"अरे ठीक है यार, तुम्हें अच्छा लगा न बात खतम" एकांश ने मुस्कुराते हुए कहा
"इस दिन को यादगार बनाने के लिए थैंक्स, क्योंकि मैं अपनी आखिरी सांस तक इन यादों को अपने साथ रखूंगी" अक्षिता ने स्माइल के साथ कहा, जबकि एकांश की मुस्कान ये सुनकर गायब हो गई
"चलो चलते है" एकांश ने नीचे देखते हुए कहा और वो दोनों कार मे जाकर बैठे
अक्षिता सीट पर सिर टिकाकर बैठी थी और एकांश ने कार चला रहा था, उसके दिमाग में इस वक्त कई विचार चल रहे थे, उसे नहीं पता कि अक्षिता को कुछ हो गया तो वो क्या करेगा
अक्षिता खिड़की पर झुककर सो गई थी और एकांश चुपचाप गाड़ी चलाता रहा और बीच-बीच में उसे देखता रहा, वे घर पहुचने पर एकांश ने गाड़ी रोकी और जल्दी से नीचे उतरा और अक्षिता की साइड जाकर हल्के से दरवाजा खोला उसने बिना अक्षिता की नींद में खलल डाले उसे धीरे से अपनी बाहों में उठाया और उसे घर के अंदर ले आया
"ये सो गई?" सरिता जी ने दरवाज़ा खोलते हुए पूछा
"हाँ." एकांश ने धीमे से कहा और अक्षिता के कमरे की ओर बढ़ गया वही सरिता जी ने उसके लिए बेडरूम का दरवाजा खोला और एकांश ने आराम से अक्षिता को बेड पर सुला दिया और उसके माथे को चूमा
"उसनेन खाना खाया?" सरिता जी ने एकांश को देख पूछा
"हाँ" उसने अक्षिता की ओर देखते हुए कहा
"और तुमने?" सरिता जी ने एकांश के सर पर हाथ रखते हुए पूछा जो अक्षिता के पास बेड पर बैठा हुआ था, एकांश ने बस हा मे अपना सर हिला दिया
"क्या हुआ एकांश?" सरिता जी ने पूछा, जबकि एकांश अभी भी बस अक्षिता को ही देख रहा था
एकांश से कुछ बोलते ही नहीं बन रहा था और आखिर मे वो बोला
"मुझे डर लग रहा है आंटी" एकांश ने एकदम धीमी आवाज मे कहा और सरिता जी बस उसे देखती रही
"मुझे डर है कि अगर मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं, तो वो गायब हो जाएगी, मुझे डर है कि अगर मैं एक मिनट के लिए भी उसके साथ नहीं रहा, तो मैं उसे फिर कभी नहीं देख पाऊँगा, मुझे डर है कि अगर उसे कुछ हो गया तो...." एकांश का गला रुँध गया था उससे कुछ बोलते ही नहीं बन रहा था, वो आगे कुछ बोलता तो शायद वही रो पड़ता
सरिता जी भी एकांश की इस उधेड़बुन को समझ रही थी, उसके मन मे मची उथल पुछल को भांप रही थी, एकांश भले ही ऊपर से अपने आप को मजबूत दिखने की कोशिश कर रहा था लेकिन अंदर ही अंदर अक्षिता को खोने के खयाल से हजार बार मर रहा था
सरिता जी को समझ नहीं आ रहा था के एकांश से क्या कहे, कैसे उसे सांत्वना दे क्योंकि वो खुद भी अपनी बेटी की जान के लिए डरी हुई थी इसलिए उन्होंने वही किया जो वो कर सकती थी
उन्होंने एकांश की पीठ सहलाते हुए उसे गले लगा लिया और जैसे ही एकांश ने सरिता जी के स्पर्श मे मा की ममता को महसूस किया उससे और नहीं रहा गया और वो उन्हे गले लगाये रो पड़ा
"तुम्हें अपने आप को संभालना होगा एकांश, चाहे जो हो जाए ऐसे टूटना नहीं है, वो भी यही चाहती है" सरिता जी ने एकांश को समझाते हुए कहा और एकांश ने भी हा मे गर्दन हिला दी
"आंटी, उसे जगाकर दवाई दे देना प्लीज" एकांश ने कहा और वहा जाने के लिए मुड़ा लेकिन फिर एक पल रुक कर उसने सऑटु हुई अक्षिता को देखा और मन ही कहा
"I will be strong for you and let nothing happen to you"
क्रमश: