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Romance Ek Duje ke Vaaste..

Adirshi

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Yo guys XF pe cricket contest ho Raha hai, asan sawalo ke jawab do har match me aur end me prize jito jisme 1500₹ cash aur XF membership bhi hai

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Gaurav1969

Nobody dies as Virgin. .... Life fucks us all.
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Update 51



एकांश के मुह से अपने लिए I love you सुन अक्षिता का मन भर आया था, वो बहुत समय से यही शब्द एकांश मुह से सुनना चाहती थी और आज एकांश ने वो कह दिए थे और अब वो एकांश को क्या कहर उसे सूझ नहीं रहा था वो बस अपलक उसे देखे जा रही थी और एकांश के समझ नहीं आ रहा था के अब क्या हुआ अक्षिता कुछ बोल क्यू नहीं रही

"अक्षिता, क्या हुआ?" एकांश ने चिंतित होकर पूछा

"तुमने अभी अभी क्या कहा?" अक्षिता ने आँखों मे पनि लिए मुसकुराते हुए उससे पूछा

एकांश अक्षिता की बात का मतलब समझ गया था और यही ऐसी ही कुछ फीलिंग उसके मन मे भी थी

"मैंने कहा मैं तुमसे प्यार करता हूँ" एकांश ने अक्षिता के गालों को सहलाते हुए मुस्कुराते हुए कहा

"I love you too अंश.... मैं भी तुमसे बहुत प्यार करती हूँ" उसने रोते हुए कहा

अक्षिता ने भी वो कह दिया था जिसे सुनने के लिए एकांश के कान तरस रहे थे

"आई लव यू... आई लव यू... आई लव यू... आई लव यू... आई लव यू...." अक्षिता बस शब्द दोहरा रही थी और एकांश ने उसे गले लगा लिया था

"शशशश...... सब ठीक है अक्षिता, रोना बंद करो चलो" एकांश ने कहा

"नहीं! तुम नहीं जानते कि मेरे लिए उन शब्दों का क्या मोल है, मैं तो उसी दिन मर गई थी जब मैंने तुमसे कहा था कि मैं तुमसे प्यार नहीं करती, तुम्हारे चेहरे पर दिख रही उस चोट ने मुझे मार डाला था अंश..... उसने मुझे तोड़ के रख दिया है" अक्षिता रो पड़ी थी उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे

"मैंने तुम्हारे साथ जो किया था, वो मुझे आज भी हर रात जब आँखें बंद करती हु तो तकलीफ देता है, मैंने तुम्हें जो दर्द दिया वो मेरे लिए भी किसी मौत से ज़्यादा दर्दनाक था अंश, मुझे उस दिन तुम्हारा दिल इतनी बेरहमी से तोड़ने के लिए आज भी बहुत अफसोस है, लेकिन मेरे पास कोई और रास्ता नहीं था क्योंकि मैं नहीं चाहती थी कि तुम मेरे साथ रहकर अपनी ज़िंदगी बर्बाद करो" अक्षिता ने अपनी लाल नम आँखों से एकांश को देखते हुए कहा और अक्षिता को वैसे देख एकांश के दिल मे भी टीस उठ रही थी

"मैंने हमेशा तुमसे प्यार किया है अंश, हमेशा और मेरा प्यार तुम्हारे लिए काभी कम नहीं होगा” अक्षिता ने मुसकुराते हुए कहा और एकांश ने भी मुसकुराते हुए उसके माथे को चूम लिया

"अक्षिता, तुम्हें दुखी होने की इस बारे मे परेशान होने की कोई ज़रूरत नहीं है, मैं समझता हूँ कि तुमने जो कुछ भी किया, वो मेरे लिए था, लेकिन मैं तुम्हें एक बात साफ साफ कहना चाहता हु और वो ये की मेरी खुशी बस तुम्हारे साथ है, मेरी जिंदगी, मेरी खुशी, मेरी भलाई, मेरा सब कुछ तुम हो..... सिर्फ तुम इसलिए प्लीज खुद को दोष देना बंद करो, मैं तुम्हें इस दुनिया की किसी भी चीज़ से ज़्यादा प्यार करता हूँ और मैं तभी खुश रहूँगा जब तुम खुश रहोगी" एकांश ने पूरी बात सीधे अक्षिता की आँखों में देखते हुए कही

"मैंने जरूर जिंदगी मे कुछ अच्छा काम किया होगा जो तुम मेरी जिंदगी मे आए" अक्षिता ने एकांश को देखते हुए धीमे से कहा और एकांश बस उसे देख मुस्कुराया

"मैं एक और बात कहना चाहता हूँ, उस दिन जो कुछ हुआ उसके बाद, मैं पूरी तरह बदल गया था लेकिन तुम्हारे लिए मेरा प्यार कभी कम नहीं हो पाया, हालाँकि मुझे लगता था कि मैं तुमसे नफरत करता हूँ लेकिन अंदर से मैं जानता था कि मैं तुमसे कभी नफरत कर ही नहीं सकता था और मैंने भी तुमसे प्यार करना कभी नहीं छोड़ा" कुछ देर तक दोनों एकदूजे को गले लगाये वैसे ही खड़े रहे और कुछ समय बाद

"मेरे खयाल से अब हामे चलना चाहिए" अक्षिता ने टाइम देखते हुए कहा जिसके बाद दोनों एकांश के पेरेंट्स से विदा लेकर वहा से निकल गए

******

अगले दिन सुबह, सभी लोग अस्पताल जाने के लिए तैयार हो गए थे अक्षिता के पेरेंट्स परेशान थे, जबकि एकांश अपनी भावनाएँ जाहिर नहीं होने दे रहा था और अक्षिता हर समय बस मुस्कुरा रही थी



उन्होंने सभी जरूरी चीजें पैक कर लीं थी और बस जाने के लिए रेडी थे

"कोई तुमसे मिलने आया है" एकांश अक्षिता के कमरे में आते हुए बोला

"कौन?"

"तुम खुद जाकर देख लो" एकांश ने कहा और कंधे उचकाते हुए कमरे से बाहर चला गया अब अक्षिता को भी जनन था के कौन आया था और ये देखने वो बाहर आई तो खुश होकर चिल्लाई

" रोहन! स्वरा!"

अक्षिता लिविंग रूम में अपने सबसे अच्छे दोस्तों को देखकर खुशी से बोली, उन्होंने भी अक्षिता को कस कर गले लगाया और उससे उसका हाल चाल जाना

"तुम लोग यहाँ क्या कर रहे हो?" अक्षिता ने उन दोनों से पूछा

"हम बस तुमसे मिलने आये हैं" रोहन ने कहा

"तो क्या तुम्हारा बॉस तुम लोगों पर छुट्टी लेने पर नाराज नहीं होगा, वो bhi tab जब वो खुद ऑफिस मे ना हो?" अक्षिता ने एकांश की ओर देखते हुए उसे चिढ़ाते हुए पूछा, जो उसकी बातों पर हंस पड़ा

"हमारे बॉस को कोई दिक्कत नहीं होगी क्योंकि हमारे बॉस ने ही इस सप्राइज़ का प्लान बनाया था" स्वरा ने मुस्कुराते हुए कहा जिससे अक्षिता एकांश की ओर देखने लगी

"ये अपना मुंह बंद नहीं रख सकती ना?" एकांश ने स्वरा की ओर घूरते हुए कहा रोहन से पूछा

"ये तो दिक्कत है" रोहन ने भी अपना सिर हिलाते हुए जवाब दिया और अब स्वरा रोहन को घूर रही थी

"अब क्या तुम दोनों रुककर बताओगे कि तुम यहाँ किस लिए आये हो?" एकांश ने झुंझलाकर कहा

"हाँ" रोहन और स्वरा ने एक दूसरे की ओर देखा

वो दोनों एक दूसरे का हाथ पकड़कर अक्षिता की ओर मुड़े जो उन्हें उत्सुकता से देख रही थी

"we are together" उन्होंने मुस्कुराते हुए एकसाथ कहा

अक्षिता बस हैरान होकर उन्हे देख रही थी, उसने पहले उन दोनों की तरफ देखा, फिर उनके हाथों की ओर और फिर वापिस उनकी तरफ

"oh my god! Oh my god! Oh my god!" अक्षिता ने उन दोनों को गले लगाते हुए कहा खुशी से चिल्लाते हुए कहा

"मैं तुम दोनों के लिए बहुत खुश हूँ" अक्षिता उन दोनों को देखकर मुस्कुराई

"तुम्हें पता है मैं हमेशा से चाहती थी कि तुम दोनों एक साथ रहो, कपल वाली वाइब तो थी तुममे" अक्षिता ने खुश होकर कहा बदले मे रोहन बस मुस्कुराया और स्वरा वापिस अक्षिता को गले लगा लिया

"एक सप्राइज़ अभी और बाकी है" एकांश ने अक्षिता से कहा

"क्या?"

"जानती हो अमर अभी कहाँ है?" एकांश ने पूछा

"नहीं." अक्षिता ने सोचते हुए कहा

"सो रहा होगा अपने घर पर" स्वरा ने धीमे से कहा जिसे सबने सुना जिसपर अक्षिता हँस पड़ी

"वो अभी पेरिस में है" एकांश ने कहा

"क्या? वो वहा कब गया?" अक्षिता ने पूछा

"कल ही...... वो वहाँ गया था क्योंकि श्रेया भी वही है" एकांश ने कहा

और जैसे ही अक्षिता ने ये सुना उसका चेहरा 1000 वाट के बल्ब की तरह चमक उठा

"उसने मुझे तुम्हें थैंक्स कहने के लिए कहा है , तुम्हारी वजह से ही उसे उम्मीद थी और तुम्हारी वजह से ही उसे अपनी फीलिंगस को व्यक्त करने का हौसला मिला था, वो न सिर्फ श्रेया के इम्पॉर्टन्ट दिन पर उसके साथ रहने के लिए गया है, बल्कि अपनी फीलिंगस को इसे बताने गया है" एकांश ने कहा जिसे सुन अक्षिता एकदम खुश हो गई थी

"टाइम ज़ोन की वजह से वो तुम्हें कॉल नहीं कर सका, लेकिन उसने कहा है कि वो जल्द से जल्द तुम्हें कॉल करेगा और उसने तुम्हें अपना ख्याल रखने के लिए कहा है" एकांश ने अपनी बात पूरी की

अक्षिता ये जानकर बहुत खुश हुई कि अमर ने अपने प्यार की ओर पहला कदम बढ़ा दिया था और उसे उम्मीद थी कि उसे उसका प्यार मिल जाएगा

"आज मैं बहुत खुश हूँ" अक्षिता ने वहा मौजूद सब की तरफ देखते हुए कहा

उसके माता-पिता खुश थे क्योंकि उनकी बेटी खुश थी और उसे ऐसे अच्छे दोस्त मिले थे, उन्होंने एकांश को देखा और सोचा कि वो भले मुस्कुरा रहा है लेकिन अंदर ही अंदर वो डर भी रहा था, अक्षिता के मा पापा को दुनिया के इस अंधेरे मे एकांश रोशनी की किरण नजर आ रहा था

जब उन्हें लगा था कि कुछ नहीं हो सकता, तब उन्हें एक उम्मीद मिली और वो था एकांश

जब उन्हें कोई रास्ता नहीं नजर आ रहा था तो एकांश की वजह से उन्हें रास्ता मिला था

जब उनके पास आंसू और दर्द के अलावा कुछ नहीं बचा था तो एकांश की वजह से उन्हें खुशी और मुस्कान मिली थी

जब उन्होंने अपनी बेटी को बचाने के लिए भगवान से प्रार्थना की, तो उनके पास एक देवदूत भेजा गया और वो था एकांश

अपने देवदूत को देखकर उनकी आंखों में आंसू आ गए और उन्होंने भगवान से उसकी रक्षा करने की प्रार्थना की

******

अक्षिता को जब हॉस्पिटल मे ऐड्मिट किया तब वो सभी लोग साथ मे थे

अक्षिता ने उस कमरे को देखा जिसमें उसे ऐड्मिट कराया गया था जो बहुत बड़ा और आराम दायक था और कीसी भी तरीके से अस्पताल या पैशन्ट के रूम जैसा नहीं लग रहा था, वहाँ एक बड़ा एलईडी टीवी, शानदार पर्दे, ए/सी, बुक शेल्फ और अक्षिता की सभी ज़रूरतों के सामान के साथ एक रैक थी और उसके लिए फल और नाश्ते के लिए एक साइड टेबल भी थी

अक्षिता ने उस कमरे को देख अपने मा पापा को देखा जिन्होंने कुछ नहीं कहा और बस कंधे उचकाकर वहा से चले गए और कुछ ही देर मे रोहन और स्वरा भी ऑफिस के लिए निकल गए थे

अक्षिता झल्लाकर बेड पर बैठ गई जो कीसी भी तरह से हॉस्पिटल के बेड जैसा नहीं था और तभी एकांश अंदर आया और उसने अक्षिता की तरफ देखा तक नहीं, वो कमरे में मौजूद हर चीज़ का निरीक्षण कर रहा था उसने पूरे कमरे को बहुत ध्यान से देखा कि सब कुछ सही से मौजूद है या नहीं

"अंश?" अक्षिता ने उसे पुकारा

"हा अक्षिता, ये रूम ठीक है ना? या मैं कोई दूसरा रूम बुक करूँ? मुझे लगता है कि यहाँ कुछ कमी है" एकांश ने इधर-उधर देखते हुए पूछा

"अंश?" इसबार अक्षिता ने और सख्ती से उसे आवाज दी

"हा." और आबकी बार एकांश ने उसकी ओर देखा

"ये हॉस्पिटल है अंश, तुम्हें हॉस्पिटल के रूम को होटल सुइट रूम में नहीं बदलना चाहिए था" अक्षिता ने सीरीअस टोन मे कहा

"सुइट रूम? ये कमरा किसी भी तरह से सुइट रूम जैसा नहीं है, मैं बस ये देख रहा हूँ कि जब तक तुम यहा ऐड्मिट हो तुम्हें कोई परेशानी न हो, मैं नहीं चाहता कि यहाँ धूल का एक कतरा भी घुस आए और मैं नहीं चाहता कि तुम्हें ऐसा लगे कि तुम एक पैशन्ट हो और हॉस्पिटल के कमरे में फसी हुई हो" एकांश ने कहा और अक्षिता बस उसे घूरती रही

"मुझे लगता है कि यहा कुछ और कुशन की जरूरत है और थोड़े खाने की भी" एकांश टेबल और बेड को देखने हुए कहा और तभी

"हेलो अक्षिता!" डॉक्टर ने अंदर आते हुए कहा, जिससे एकांश और अक्षिता दोनों डॉक्टर को देखने लगे, डॉक्टर ने चारों ओर कमरे मे नजर घुमा कर देखा और फ़र एकांश को घूरने लगे वही एकांश उनसे नजरे नहीं मिला रहा था

"डॉक्टर, आपने इसे कमरे मे ये सब चेंजेस करने की पर्मिशन कैसे दे दी? ये तो हॉस्पिटल के रुल्स के खिलाफ होगा न?" अक्षिता ने डॉक्टर से सवाल किया

"हाँ रूल के खिलाफ तो है, लेकिन कोई नियम तोड़ने पर ही तुला हुआ है तो क्या करे" डॉक्टर ने अब भी एकांश को देखते हुए कहा और अब अक्षिता भी सू घूरने लगी थी और एकांश बस अक्षिता को देख मुस्कुरा रहा था

"खैर अक्षिता तुम्हारे टेस्टस का टाइम हो गया है, चलो" डॉक्टर ने कमरे से बाहर जाते हुए कहा और अक्षिता भी बगैर एकांश की ओर देखा डॉक्टर के पीछे चलीगई और एकांश जो अकसजित से बात करना चाहता था वही रुक गया

कई टेस्टस के बाद, डॉक्टर ने अक्षिता को कुछ निर्देश और दवा देकर वो रूम से चले गए, अब वहा एकांश और अक्षिता ही थे

"अक्षिता यार! बात तो करो प्लीज" एकांश ने अक्षिता से कहा

"अंश, तुम्हें ये सब नहीं करना चाहिए था" अक्षिता ने एकांश की आँखों मे देखते हुए कहा

" क्यों?"

"क्या क्यों? इन सब चीजों की क्या जरूरत है बताओ मुझे?" अक्षिता ने कहा

"अरे बिल्कुल जरूरत है, इस कमरे में जो बेड पहले था वो बहुत गंदा था और मैं ये सोचना भी नहीं चाहता कि कितने लोगों ने उसका इस्तमाल किया होगा, इसलिए मैंने उसे बदल दिया, ये बुक्शेल्फ तुम्हारे लिए है ताकि जब तुम बोर हो जाओ और तुम्हारे दिमाग मे उलटे सीधे खयाल आए तो कितबे पढ़ के उस खयालों को दूर कर सकरों, इस टेबल पर सभी फ्रूइट्स हैं जो तुम्हारी सहब के लिए अच्छे है और मैंने नर्स से तुम्हें टाइम टाइम पर जूस देने भी कह दिया है" एकांश ने कहा और अक्षिता बस उसकी बात सुनती रही

"मैं चाहता हूँ कि तुम आराम से रहो, किसी थाके हुए डिप्रेस पैशन्ट की तरह नहीं, जानती हो पहले ये कमरा कैसा था? कमरे को देखकर ही लोग बीमार हो जाते.... किसी और बीमारी की ज़रूरत ही नहीं थी, मैं नहीं चाहता कि तुम इतने डिप्रेस महसूस करो, मैं नहीं चाहता कि तुम ज़बरदस्ती यह रहो, मैं तुम्हें घर जैसा महसूस कराना चाहता था, इसीलिए मैंने ये सारे बदलाव किए हैं" एकांश ने सीरीअस टोन मे कहा

अक्षिता धीरे-धीरे एकांश के पास आई और उसने अपने हाथों मे एकांश के चेहरे को थामा, वो उसकी ओर झुकी हुई, प्यार भरी निगाहों से उसे देख रही थी, उसका दिल जोरों से धडक रहा था और उसने हल्के से एकांश होठों को चूम लिया और उसे देख मुस्कुराई वही एकांश उस हल्की सी किस से ही थोड़ा शॉक मे था



और इधर अक्षिता अपने बेड पर जाकर बुक पढ़ने लगी जैसे कुछ हुआ ही न हो, एकांश का फोन बजने पर वो अपनी तंद्री से बाहर आया और फोन उठाने के लिए बाहर चला गया वही अक्षिता उसके इक्स्प्रेशन देख मुस्कुरा रही थी

एकांश ने जर्मनी में डॉक्टर से बात की, जिन्होंने उसे बताया कि वो कुछ ज़रूरी सर्जरी निपटाने के बाद दो दिन में भारत आ जाएगा, एकांश ये सुन काफी खुश था क्योंकि अब उसे कुछ उम्मीद दिख रही थी

रात को एकांश ने अक्षिता के माता-पिता को आराम करने के लिए घर भेज दिया ये कहकर वो रात को वो अक्षिता के पास रुक जाएगा

एकांश जब वापिस रूम मे आया तो उसने देखा के अक्षिता बेड पर बैठी सामने की दीवार को घूर रही थी, अक्षिता को यू देख एकांश का गला भर आया था लेकिन उसने अपने आप को संभाला और बेड की ओर चल पड़ा

उसने अपना गला साफ़ किया ताकि आवाज हो लेकिन अक्षिता ने उसे नोटिस नहीं किया फिर एकांश ने झुककर अक्षिता के गाल पर चूमा जिससे अक्षिता एकदम से चौकी और झटके से अपनी जगह से उठ खडी हुई

"एकांश! तुमने तो डरा ही दिया" अक्षिता ने चिल्लाते हुए कहा वही एकांश उसे यू देख हस रहा था

"तुम तो तब हल्का स किस देकर चली गई थी लेकिन मैं ये मौका कैसे छोड़ता.... I want more" एकांश ने कहा

"क्या!"

"I want more" एकांश ने अक्षिता के होंठों की ओर झुकते हुए कहा

"तुम बेशर्म हो, ये हॉस्पिटल है और कोई भी कभी भी यहाँ आ सकता है" अक्षिता ने एकांश को अपने से दूर हटाते हुए कहा और ठीक उसी वाक्य एक नर्स वहा आ गई और टेबल पर खाना रख चली गई

“ये क्या है? ये आधा उबला हुआ खाना मैं नहीं खाने वाली" अक्षिता ने खाने की तरफ मुंह बनाते हुए कहा

"लेकिन यही तुम्हारे लिए अभी सबसे बेस्ट है अक्षिता" एकांश ने कहना अक्षिता के पास लाते हुए कहा

"नहीं! मैं इसे नहीं खाऊँगी।" अक्षिता ने प्लेट दूर धकेलते हुए कहा

"अक्षिता प्लीज...."

"ठीक है." आखिर मे अक्षिता ने एकांश के आगे हार मानते हुए कहा और एकांश ने भी दूसरी प्लेट ली और उसके साथ ही खाना शुरू कर दिया

"तुम क्या कर रहे हो? तुम ये खाना क्यू खा रहे हो?" अक्षिता ने एकांश के हाथ से प्लेट लेते हुए कहा

"बस खाना खा रहा हु यार और मैं क्या खा रहा हूँ इससे कोई फर्क नहीं पड़ता जब तक वो तुम्हारे साथ है" एकांश ने मुस्कुराते हुए कहा

"नहीं, पैशन्ट मैं हु और मैं अपनी वजह से तुम्हें ऐसा खाना नहीं खाने दूँगी"

"मुझे बहुत भूख लगी है और रात भी हो चुकी है, और मैं अभी बाहर नहीं जाने वाला साथ मे कहा लेते है ना अक्षु" और इस बार अक्षिता ने एकांश की बात मान ली

उन्होंने बातें करते हुए और हंसते हुए खाना खत्म किया और फिर अक्षिता ने अपनी दवा ले ली और अब उसके सोने का समय हो गया था, एकांश ने अपना फोन कॉल खत्म करके टेबल पर रख दिया और देखा कि अक्षिता बुक पढ़ रही थी

"तुम्हें अब सो जाना चाहिए" एकांश ने अक्षिता के हाथ से बुक लेटे हुए कहा

"मैंने कोशिश की लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही है" अक्षिता ने कहा

"पहले तुम बेड पर पीठ टिका लो, नींद अपने आप आ जाएगी" ये कहकर एकांश ने अक्षिता को बेड पर लेटाया

"तुम कहाँ जा रहे हो?" एकांश जब जाने के लिए मुड़ा तो अक्षिता ने उसका हाथ पकड़ कर पूछा

"मैं सोफे पर सोऊँगा" एकांश ने कहा

“तुम यह बेड पर ही सो सकते हो" अक्षिता ने कहा

"नहीं, तुम्हें आराम से सोना चाहिए और मैं सोफे पर सो सकता हूँ कोई प्रॉब्लेम नहीं है" एकांश ने अक्षिता को समझाते हुए कहा

"अंश, मैं चाहती हूँ कि तुम यहा मुझे गले लगा कर मेरे बगल में सोओ" अक्षिता ने कहा और उसके इतना कहने के बाद एकांश उसे मना नहीं कर पाया

" ठीक है" ये कहकर एकांश वही अक्षिता के बगल मे बेड पर लेट गया और अक्षिता उससे चिपककर उसके सिने पर सर रखे सो गई

"गुड नाइट" एकांश ने अक्षिता के माथे को चूमते हुए कहा

"गुड नाइट"

सोने की कोशिश दोनों कर रहे थे लेकिन नींद उनकी आँखों से कोसों दूर थी

"अंश?"

" हम्म?"

"चाहे कुछ भी हो जाए, हमेशा याद रखना कि मैं तुमसे प्यार करती हूँ, और हमेशा अकरती रहूँगी, चाहे मैं रहु ना रहु" इतना कहकर अक्षिता सो गई

"मैं भी तुमसे प्यार बहुत करता हूँ अक्षिता.... and I promise you तुम्हें कुछ नहीं होगा" एकांश ने बंद आँको के साथ कहा और उसकी बंद बालकों से आँसू की एक बंद झलक पड़ी....



क्रमश:
Dukh ki kaali raat ke baad ,sukh ki subeh akshita ki jindagi mein dekhne ko mili .Ekansh jitna toot kar Akshita ko chahta hai aisa kabhi laga hi nahi ki inke bich kabhi duriya bhi aayi thi .
Rohan aur Swara bhi ek ho gye ,Amar bhi apni dil ki baat kehne Shreya ko chala gya .
Ab bas sath hai to Ekansh aur Akshita .
Germany se doctor jaldi nahi aa paa raha hai kahi kuch bura na ghatit ho jaye.
Hope so Dono ki jindagi phir se raah pe aa jaye 🧡.
Update was awesome bro keep writing
 
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park

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एकांश के मुह से अपने लिए I love you सुन अक्षिता का मन भर आया था, वो बहुत समय से यही शब्द एकांश मुह से सुनना चाहती थी और आज एकांश ने वो कह दिए थे और अब वो एकांश को क्या कहर उसे सूझ नहीं रहा था वो बस अपलक उसे देखे जा रही थी और एकांश के समझ नहीं आ रहा था के अब क्या हुआ अक्षिता कुछ बोल क्यू नहीं रही

"अक्षिता, क्या हुआ?" एकांश ने चिंतित होकर पूछा

"तुमने अभी अभी क्या कहा?" अक्षिता ने आँखों मे पनि लिए मुसकुराते हुए उससे पूछा

एकांश अक्षिता की बात का मतलब समझ गया था और यही ऐसी ही कुछ फीलिंग उसके मन मे भी थी

"मैंने कहा मैं तुमसे प्यार करता हूँ" एकांश ने अक्षिता के गालों को सहलाते हुए मुस्कुराते हुए कहा

"I love you too अंश.... मैं भी तुमसे बहुत प्यार करती हूँ" उसने रोते हुए कहा

अक्षिता ने भी वो कह दिया था जिसे सुनने के लिए एकांश के कान तरस रहे थे

"आई लव यू... आई लव यू... आई लव यू... आई लव यू... आई लव यू...." अक्षिता बस शब्द दोहरा रही थी और एकांश ने उसे गले लगा लिया था

"शशशश...... सब ठीक है अक्षिता, रोना बंद करो चलो" एकांश ने कहा

"नहीं! तुम नहीं जानते कि मेरे लिए उन शब्दों का क्या मोल है, मैं तो उसी दिन मर गई थी जब मैंने तुमसे कहा था कि मैं तुमसे प्यार नहीं करती, तुम्हारे चेहरे पर दिख रही उस चोट ने मुझे मार डाला था अंश..... उसने मुझे तोड़ के रख दिया है" अक्षिता रो पड़ी थी उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे

"मैंने तुम्हारे साथ जो किया था, वो मुझे आज भी हर रात जब आँखें बंद करती हु तो तकलीफ देता है, मैंने तुम्हें जो दर्द दिया वो मेरे लिए भी किसी मौत से ज़्यादा दर्दनाक था अंश, मुझे उस दिन तुम्हारा दिल इतनी बेरहमी से तोड़ने के लिए आज भी बहुत अफसोस है, लेकिन मेरे पास कोई और रास्ता नहीं था क्योंकि मैं नहीं चाहती थी कि तुम मेरे साथ रहकर अपनी ज़िंदगी बर्बाद करो" अक्षिता ने अपनी लाल नम आँखों से एकांश को देखते हुए कहा और अक्षिता को वैसे देख एकांश के दिल मे भी टीस उठ रही थी

"मैंने हमेशा तुमसे प्यार किया है अंश, हमेशा और मेरा प्यार तुम्हारे लिए काभी कम नहीं होगा” अक्षिता ने मुसकुराते हुए कहा और एकांश ने भी मुसकुराते हुए उसके माथे को चूम लिया

"अक्षिता, तुम्हें दुखी होने की इस बारे मे परेशान होने की कोई ज़रूरत नहीं है, मैं समझता हूँ कि तुमने जो कुछ भी किया, वो मेरे लिए था, लेकिन मैं तुम्हें एक बात साफ साफ कहना चाहता हु और वो ये की मेरी खुशी बस तुम्हारे साथ है, मेरी जिंदगी, मेरी खुशी, मेरी भलाई, मेरा सब कुछ तुम हो..... सिर्फ तुम इसलिए प्लीज खुद को दोष देना बंद करो, मैं तुम्हें इस दुनिया की किसी भी चीज़ से ज़्यादा प्यार करता हूँ और मैं तभी खुश रहूँगा जब तुम खुश रहोगी" एकांश ने पूरी बात सीधे अक्षिता की आँखों में देखते हुए कही

"मैंने जरूर जिंदगी मे कुछ अच्छा काम किया होगा जो तुम मेरी जिंदगी मे आए" अक्षिता ने एकांश को देखते हुए धीमे से कहा और एकांश बस उसे देख मुस्कुराया

"मैं एक और बात कहना चाहता हूँ, उस दिन जो कुछ हुआ उसके बाद, मैं पूरी तरह बदल गया था लेकिन तुम्हारे लिए मेरा प्यार कभी कम नहीं हो पाया, हालाँकि मुझे लगता था कि मैं तुमसे नफरत करता हूँ लेकिन अंदर से मैं जानता था कि मैं तुमसे कभी नफरत कर ही नहीं सकता था और मैंने भी तुमसे प्यार करना कभी नहीं छोड़ा" कुछ देर तक दोनों एकदूजे को गले लगाये वैसे ही खड़े रहे और कुछ समय बाद

"मेरे खयाल से अब हामे चलना चाहिए" अक्षिता ने टाइम देखते हुए कहा जिसके बाद दोनों एकांश के पेरेंट्स से विदा लेकर वहा से निकल गए

******

अगले दिन सुबह, सभी लोग अस्पताल जाने के लिए तैयार हो गए थे अक्षिता के पेरेंट्स परेशान थे, जबकि एकांश अपनी भावनाएँ जाहिर नहीं होने दे रहा था और अक्षिता हर समय बस मुस्कुरा रही थी



उन्होंने सभी जरूरी चीजें पैक कर लीं थी और बस जाने के लिए रेडी थे

"कोई तुमसे मिलने आया है" एकांश अक्षिता के कमरे में आते हुए बोला

"कौन?"

"तुम खुद जाकर देख लो" एकांश ने कहा और कंधे उचकाते हुए कमरे से बाहर चला गया अब अक्षिता को भी जनन था के कौन आया था और ये देखने वो बाहर आई तो खुश होकर चिल्लाई

" रोहन! स्वरा!"

अक्षिता लिविंग रूम में अपने सबसे अच्छे दोस्तों को देखकर खुशी से बोली, उन्होंने भी अक्षिता को कस कर गले लगाया और उससे उसका हाल चाल जाना

"तुम लोग यहाँ क्या कर रहे हो?" अक्षिता ने उन दोनों से पूछा

"हम बस तुमसे मिलने आये हैं" रोहन ने कहा

"तो क्या तुम्हारा बॉस तुम लोगों पर छुट्टी लेने पर नाराज नहीं होगा, वो bhi tab जब वो खुद ऑफिस मे ना हो?" अक्षिता ने एकांश की ओर देखते हुए उसे चिढ़ाते हुए पूछा, जो उसकी बातों पर हंस पड़ा

"हमारे बॉस को कोई दिक्कत नहीं होगी क्योंकि हमारे बॉस ने ही इस सप्राइज़ का प्लान बनाया था" स्वरा ने मुस्कुराते हुए कहा जिससे अक्षिता एकांश की ओर देखने लगी

"ये अपना मुंह बंद नहीं रख सकती ना?" एकांश ने स्वरा की ओर घूरते हुए कहा रोहन से पूछा

"ये तो दिक्कत है" रोहन ने भी अपना सिर हिलाते हुए जवाब दिया और अब स्वरा रोहन को घूर रही थी

"अब क्या तुम दोनों रुककर बताओगे कि तुम यहाँ किस लिए आये हो?" एकांश ने झुंझलाकर कहा

"हाँ" रोहन और स्वरा ने एक दूसरे की ओर देखा

वो दोनों एक दूसरे का हाथ पकड़कर अक्षिता की ओर मुड़े जो उन्हें उत्सुकता से देख रही थी

"we are together" उन्होंने मुस्कुराते हुए एकसाथ कहा

अक्षिता बस हैरान होकर उन्हे देख रही थी, उसने पहले उन दोनों की तरफ देखा, फिर उनके हाथों की ओर और फिर वापिस उनकी तरफ

"oh my god! Oh my god! Oh my god!" अक्षिता ने उन दोनों को गले लगाते हुए कहा खुशी से चिल्लाते हुए कहा

"मैं तुम दोनों के लिए बहुत खुश हूँ" अक्षिता उन दोनों को देखकर मुस्कुराई

"तुम्हें पता है मैं हमेशा से चाहती थी कि तुम दोनों एक साथ रहो, कपल वाली वाइब तो थी तुममे" अक्षिता ने खुश होकर कहा बदले मे रोहन बस मुस्कुराया और स्वरा वापिस अक्षिता को गले लगा लिया

"एक सप्राइज़ अभी और बाकी है" एकांश ने अक्षिता से कहा

"क्या?"

"जानती हो अमर अभी कहाँ है?" एकांश ने पूछा

"नहीं." अक्षिता ने सोचते हुए कहा

"सो रहा होगा अपने घर पर" स्वरा ने धीमे से कहा जिसे सबने सुना जिसपर अक्षिता हँस पड़ी

"वो अभी पेरिस में है" एकांश ने कहा

"क्या? वो वहा कब गया?" अक्षिता ने पूछा

"कल ही...... वो वहाँ गया था क्योंकि श्रेया भी वही है" एकांश ने कहा

और जैसे ही अक्षिता ने ये सुना उसका चेहरा 1000 वाट के बल्ब की तरह चमक उठा

"उसने मुझे तुम्हें थैंक्स कहने के लिए कहा है , तुम्हारी वजह से ही उसे उम्मीद थी और तुम्हारी वजह से ही उसे अपनी फीलिंगस को व्यक्त करने का हौसला मिला था, वो न सिर्फ श्रेया के इम्पॉर्टन्ट दिन पर उसके साथ रहने के लिए गया है, बल्कि अपनी फीलिंगस को इसे बताने गया है" एकांश ने कहा जिसे सुन अक्षिता एकदम खुश हो गई थी

"टाइम ज़ोन की वजह से वो तुम्हें कॉल नहीं कर सका, लेकिन उसने कहा है कि वो जल्द से जल्द तुम्हें कॉल करेगा और उसने तुम्हें अपना ख्याल रखने के लिए कहा है" एकांश ने अपनी बात पूरी की

अक्षिता ये जानकर बहुत खुश हुई कि अमर ने अपने प्यार की ओर पहला कदम बढ़ा दिया था और उसे उम्मीद थी कि उसे उसका प्यार मिल जाएगा

"आज मैं बहुत खुश हूँ" अक्षिता ने वहा मौजूद सब की तरफ देखते हुए कहा

उसके माता-पिता खुश थे क्योंकि उनकी बेटी खुश थी और उसे ऐसे अच्छे दोस्त मिले थे, उन्होंने एकांश को देखा और सोचा कि वो भले मुस्कुरा रहा है लेकिन अंदर ही अंदर वो डर भी रहा था, अक्षिता के मा पापा को दुनिया के इस अंधेरे मे एकांश रोशनी की किरण नजर आ रहा था

जब उन्हें लगा था कि कुछ नहीं हो सकता, तब उन्हें एक उम्मीद मिली और वो था एकांश

जब उन्हें कोई रास्ता नहीं नजर आ रहा था तो एकांश की वजह से उन्हें रास्ता मिला था

जब उनके पास आंसू और दर्द के अलावा कुछ नहीं बचा था तो एकांश की वजह से उन्हें खुशी और मुस्कान मिली थी

जब उन्होंने अपनी बेटी को बचाने के लिए भगवान से प्रार्थना की, तो उनके पास एक देवदूत भेजा गया और वो था एकांश

अपने देवदूत को देखकर उनकी आंखों में आंसू आ गए और उन्होंने भगवान से उसकी रक्षा करने की प्रार्थना की

******

अक्षिता को जब हॉस्पिटल मे ऐड्मिट किया तब वो सभी लोग साथ मे थे

अक्षिता ने उस कमरे को देखा जिसमें उसे ऐड्मिट कराया गया था जो बहुत बड़ा और आराम दायक था और कीसी भी तरीके से अस्पताल या पैशन्ट के रूम जैसा नहीं लग रहा था, वहाँ एक बड़ा एलईडी टीवी, शानदार पर्दे, ए/सी, बुक शेल्फ और अक्षिता की सभी ज़रूरतों के सामान के साथ एक रैक थी और उसके लिए फल और नाश्ते के लिए एक साइड टेबल भी थी

अक्षिता ने उस कमरे को देख अपने मा पापा को देखा जिन्होंने कुछ नहीं कहा और बस कंधे उचकाकर वहा से चले गए और कुछ ही देर मे रोहन और स्वरा भी ऑफिस के लिए निकल गए थे

अक्षिता झल्लाकर बेड पर बैठ गई जो कीसी भी तरह से हॉस्पिटल के बेड जैसा नहीं था और तभी एकांश अंदर आया और उसने अक्षिता की तरफ देखा तक नहीं, वो कमरे में मौजूद हर चीज़ का निरीक्षण कर रहा था उसने पूरे कमरे को बहुत ध्यान से देखा कि सब कुछ सही से मौजूद है या नहीं

"अंश?" अक्षिता ने उसे पुकारा

"हा अक्षिता, ये रूम ठीक है ना? या मैं कोई दूसरा रूम बुक करूँ? मुझे लगता है कि यहाँ कुछ कमी है" एकांश ने इधर-उधर देखते हुए पूछा

"अंश?" इसबार अक्षिता ने और सख्ती से उसे आवाज दी

"हा." और आबकी बार एकांश ने उसकी ओर देखा

"ये हॉस्पिटल है अंश, तुम्हें हॉस्पिटल के रूम को होटल सुइट रूम में नहीं बदलना चाहिए था" अक्षिता ने सीरीअस टोन मे कहा

"सुइट रूम? ये कमरा किसी भी तरह से सुइट रूम जैसा नहीं है, मैं बस ये देख रहा हूँ कि जब तक तुम यहा ऐड्मिट हो तुम्हें कोई परेशानी न हो, मैं नहीं चाहता कि यहाँ धूल का एक कतरा भी घुस आए और मैं नहीं चाहता कि तुम्हें ऐसा लगे कि तुम एक पैशन्ट हो और हॉस्पिटल के कमरे में फसी हुई हो" एकांश ने कहा और अक्षिता बस उसे घूरती रही

"मुझे लगता है कि यहा कुछ और कुशन की जरूरत है और थोड़े खाने की भी" एकांश टेबल और बेड को देखने हुए कहा और तभी

"हेलो अक्षिता!" डॉक्टर ने अंदर आते हुए कहा, जिससे एकांश और अक्षिता दोनों डॉक्टर को देखने लगे, डॉक्टर ने चारों ओर कमरे मे नजर घुमा कर देखा और फ़र एकांश को घूरने लगे वही एकांश उनसे नजरे नहीं मिला रहा था

"डॉक्टर, आपने इसे कमरे मे ये सब चेंजेस करने की पर्मिशन कैसे दे दी? ये तो हॉस्पिटल के रुल्स के खिलाफ होगा न?" अक्षिता ने डॉक्टर से सवाल किया

"हाँ रूल के खिलाफ तो है, लेकिन कोई नियम तोड़ने पर ही तुला हुआ है तो क्या करे" डॉक्टर ने अब भी एकांश को देखते हुए कहा और अब अक्षिता भी सू घूरने लगी थी और एकांश बस अक्षिता को देख मुस्कुरा रहा था

"खैर अक्षिता तुम्हारे टेस्टस का टाइम हो गया है, चलो" डॉक्टर ने कमरे से बाहर जाते हुए कहा और अक्षिता भी बगैर एकांश की ओर देखा डॉक्टर के पीछे चलीगई और एकांश जो अकसजित से बात करना चाहता था वही रुक गया

कई टेस्टस के बाद, डॉक्टर ने अक्षिता को कुछ निर्देश और दवा देकर वो रूम से चले गए, अब वहा एकांश और अक्षिता ही थे

"अक्षिता यार! बात तो करो प्लीज" एकांश ने अक्षिता से कहा

"अंश, तुम्हें ये सब नहीं करना चाहिए था" अक्षिता ने एकांश की आँखों मे देखते हुए कहा

" क्यों?"

"क्या क्यों? इन सब चीजों की क्या जरूरत है बताओ मुझे?" अक्षिता ने कहा

"अरे बिल्कुल जरूरत है, इस कमरे में जो बेड पहले था वो बहुत गंदा था और मैं ये सोचना भी नहीं चाहता कि कितने लोगों ने उसका इस्तमाल किया होगा, इसलिए मैंने उसे बदल दिया, ये बुक्शेल्फ तुम्हारे लिए है ताकि जब तुम बोर हो जाओ और तुम्हारे दिमाग मे उलटे सीधे खयाल आए तो कितबे पढ़ के उस खयालों को दूर कर सकरों, इस टेबल पर सभी फ्रूइट्स हैं जो तुम्हारी सहब के लिए अच्छे है और मैंने नर्स से तुम्हें टाइम टाइम पर जूस देने भी कह दिया है" एकांश ने कहा और अक्षिता बस उसकी बात सुनती रही

"मैं चाहता हूँ कि तुम आराम से रहो, किसी थाके हुए डिप्रेस पैशन्ट की तरह नहीं, जानती हो पहले ये कमरा कैसा था? कमरे को देखकर ही लोग बीमार हो जाते.... किसी और बीमारी की ज़रूरत ही नहीं थी, मैं नहीं चाहता कि तुम इतने डिप्रेस महसूस करो, मैं नहीं चाहता कि तुम ज़बरदस्ती यह रहो, मैं तुम्हें घर जैसा महसूस कराना चाहता था, इसीलिए मैंने ये सारे बदलाव किए हैं" एकांश ने सीरीअस टोन मे कहा

अक्षिता धीरे-धीरे एकांश के पास आई और उसने अपने हाथों मे एकांश के चेहरे को थामा, वो उसकी ओर झुकी हुई, प्यार भरी निगाहों से उसे देख रही थी, उसका दिल जोरों से धडक रहा था और उसने हल्के से एकांश होठों को चूम लिया और उसे देख मुस्कुराई वही एकांश उस हल्की सी किस से ही थोड़ा शॉक मे था



और इधर अक्षिता अपने बेड पर जाकर बुक पढ़ने लगी जैसे कुछ हुआ ही न हो, एकांश का फोन बजने पर वो अपनी तंद्री से बाहर आया और फोन उठाने के लिए बाहर चला गया वही अक्षिता उसके इक्स्प्रेशन देख मुस्कुरा रही थी

एकांश ने जर्मनी में डॉक्टर से बात की, जिन्होंने उसे बताया कि वो कुछ ज़रूरी सर्जरी निपटाने के बाद दो दिन में भारत आ जाएगा, एकांश ये सुन काफी खुश था क्योंकि अब उसे कुछ उम्मीद दिख रही थी

रात को एकांश ने अक्षिता के माता-पिता को आराम करने के लिए घर भेज दिया ये कहकर वो रात को वो अक्षिता के पास रुक जाएगा

एकांश जब वापिस रूम मे आया तो उसने देखा के अक्षिता बेड पर बैठी सामने की दीवार को घूर रही थी, अक्षिता को यू देख एकांश का गला भर आया था लेकिन उसने अपने आप को संभाला और बेड की ओर चल पड़ा

उसने अपना गला साफ़ किया ताकि आवाज हो लेकिन अक्षिता ने उसे नोटिस नहीं किया फिर एकांश ने झुककर अक्षिता के गाल पर चूमा जिससे अक्षिता एकदम से चौकी और झटके से अपनी जगह से उठ खडी हुई

"एकांश! तुमने तो डरा ही दिया" अक्षिता ने चिल्लाते हुए कहा वही एकांश उसे यू देख हस रहा था

"तुम तो तब हल्का स किस देकर चली गई थी लेकिन मैं ये मौका कैसे छोड़ता.... I want more" एकांश ने कहा

"क्या!"

"I want more" एकांश ने अक्षिता के होंठों की ओर झुकते हुए कहा

"तुम बेशर्म हो, ये हॉस्पिटल है और कोई भी कभी भी यहाँ आ सकता है" अक्षिता ने एकांश को अपने से दूर हटाते हुए कहा और ठीक उसी वाक्य एक नर्स वहा आ गई और टेबल पर खाना रख चली गई

“ये क्या है? ये आधा उबला हुआ खाना मैं नहीं खाने वाली" अक्षिता ने खाने की तरफ मुंह बनाते हुए कहा

"लेकिन यही तुम्हारे लिए अभी सबसे बेस्ट है अक्षिता" एकांश ने कहना अक्षिता के पास लाते हुए कहा

"नहीं! मैं इसे नहीं खाऊँगी।" अक्षिता ने प्लेट दूर धकेलते हुए कहा

"अक्षिता प्लीज...."

"ठीक है." आखिर मे अक्षिता ने एकांश के आगे हार मानते हुए कहा और एकांश ने भी दूसरी प्लेट ली और उसके साथ ही खाना शुरू कर दिया

"तुम क्या कर रहे हो? तुम ये खाना क्यू खा रहे हो?" अक्षिता ने एकांश के हाथ से प्लेट लेते हुए कहा

"बस खाना खा रहा हु यार और मैं क्या खा रहा हूँ इससे कोई फर्क नहीं पड़ता जब तक वो तुम्हारे साथ है" एकांश ने मुस्कुराते हुए कहा

"नहीं, पैशन्ट मैं हु और मैं अपनी वजह से तुम्हें ऐसा खाना नहीं खाने दूँगी"

"मुझे बहुत भूख लगी है और रात भी हो चुकी है, और मैं अभी बाहर नहीं जाने वाला साथ मे कहा लेते है ना अक्षु" और इस बार अक्षिता ने एकांश की बात मान ली

उन्होंने बातें करते हुए और हंसते हुए खाना खत्म किया और फिर अक्षिता ने अपनी दवा ले ली और अब उसके सोने का समय हो गया था, एकांश ने अपना फोन कॉल खत्म करके टेबल पर रख दिया और देखा कि अक्षिता बुक पढ़ रही थी

"तुम्हें अब सो जाना चाहिए" एकांश ने अक्षिता के हाथ से बुक लेटे हुए कहा

"मैंने कोशिश की लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही है" अक्षिता ने कहा

"पहले तुम बेड पर पीठ टिका लो, नींद अपने आप आ जाएगी" ये कहकर एकांश ने अक्षिता को बेड पर लेटाया

"तुम कहाँ जा रहे हो?" एकांश जब जाने के लिए मुड़ा तो अक्षिता ने उसका हाथ पकड़ कर पूछा

"मैं सोफे पर सोऊँगा" एकांश ने कहा

“तुम यह बेड पर ही सो सकते हो" अक्षिता ने कहा

"नहीं, तुम्हें आराम से सोना चाहिए और मैं सोफे पर सो सकता हूँ कोई प्रॉब्लेम नहीं है" एकांश ने अक्षिता को समझाते हुए कहा

"अंश, मैं चाहती हूँ कि तुम यहा मुझे गले लगा कर मेरे बगल में सोओ" अक्षिता ने कहा और उसके इतना कहने के बाद एकांश उसे मना नहीं कर पाया

" ठीक है" ये कहकर एकांश वही अक्षिता के बगल मे बेड पर लेट गया और अक्षिता उससे चिपककर उसके सिने पर सर रखे सो गई

"गुड नाइट" एकांश ने अक्षिता के माथे को चूमते हुए कहा

"गुड नाइट"

सोने की कोशिश दोनों कर रहे थे लेकिन नींद उनकी आँखों से कोसों दूर थी

"अंश?"

" हम्म?"

"चाहे कुछ भी हो जाए, हमेशा याद रखना कि मैं तुमसे प्यार करती हूँ, और हमेशा अकरती रहूँगी, चाहे मैं रहु ना रहु" इतना कहकर अक्षिता सो गई

"मैं भी तुमसे प्यार बहुत करता हूँ अक्षिता.... and I promise you तुम्हें कुछ नहीं होगा" एकांश ने बंद आँको के साथ कहा और उसकी बंद बालकों से आँसू की एक बंद झलक पड़ी....



क्रमश:
Nice and superb update....
 

kas1709

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Update 51



एकांश के मुह से अपने लिए I love you सुन अक्षिता का मन भर आया था, वो बहुत समय से यही शब्द एकांश मुह से सुनना चाहती थी और आज एकांश ने वो कह दिए थे और अब वो एकांश को क्या कहर उसे सूझ नहीं रहा था वो बस अपलक उसे देखे जा रही थी और एकांश के समझ नहीं आ रहा था के अब क्या हुआ अक्षिता कुछ बोल क्यू नहीं रही

"अक्षिता, क्या हुआ?" एकांश ने चिंतित होकर पूछा

"तुमने अभी अभी क्या कहा?" अक्षिता ने आँखों मे पनि लिए मुसकुराते हुए उससे पूछा

एकांश अक्षिता की बात का मतलब समझ गया था और यही ऐसी ही कुछ फीलिंग उसके मन मे भी थी

"मैंने कहा मैं तुमसे प्यार करता हूँ" एकांश ने अक्षिता के गालों को सहलाते हुए मुस्कुराते हुए कहा

"I love you too अंश.... मैं भी तुमसे बहुत प्यार करती हूँ" उसने रोते हुए कहा

अक्षिता ने भी वो कह दिया था जिसे सुनने के लिए एकांश के कान तरस रहे थे

"आई लव यू... आई लव यू... आई लव यू... आई लव यू... आई लव यू...." अक्षिता बस शब्द दोहरा रही थी और एकांश ने उसे गले लगा लिया था

"शशशश...... सब ठीक है अक्षिता, रोना बंद करो चलो" एकांश ने कहा

"नहीं! तुम नहीं जानते कि मेरे लिए उन शब्दों का क्या मोल है, मैं तो उसी दिन मर गई थी जब मैंने तुमसे कहा था कि मैं तुमसे प्यार नहीं करती, तुम्हारे चेहरे पर दिख रही उस चोट ने मुझे मार डाला था अंश..... उसने मुझे तोड़ के रख दिया है" अक्षिता रो पड़ी थी उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे

"मैंने तुम्हारे साथ जो किया था, वो मुझे आज भी हर रात जब आँखें बंद करती हु तो तकलीफ देता है, मैंने तुम्हें जो दर्द दिया वो मेरे लिए भी किसी मौत से ज़्यादा दर्दनाक था अंश, मुझे उस दिन तुम्हारा दिल इतनी बेरहमी से तोड़ने के लिए आज भी बहुत अफसोस है, लेकिन मेरे पास कोई और रास्ता नहीं था क्योंकि मैं नहीं चाहती थी कि तुम मेरे साथ रहकर अपनी ज़िंदगी बर्बाद करो" अक्षिता ने अपनी लाल नम आँखों से एकांश को देखते हुए कहा और अक्षिता को वैसे देख एकांश के दिल मे भी टीस उठ रही थी

"मैंने हमेशा तुमसे प्यार किया है अंश, हमेशा और मेरा प्यार तुम्हारे लिए काभी कम नहीं होगा” अक्षिता ने मुसकुराते हुए कहा और एकांश ने भी मुसकुराते हुए उसके माथे को चूम लिया

"अक्षिता, तुम्हें दुखी होने की इस बारे मे परेशान होने की कोई ज़रूरत नहीं है, मैं समझता हूँ कि तुमने जो कुछ भी किया, वो मेरे लिए था, लेकिन मैं तुम्हें एक बात साफ साफ कहना चाहता हु और वो ये की मेरी खुशी बस तुम्हारे साथ है, मेरी जिंदगी, मेरी खुशी, मेरी भलाई, मेरा सब कुछ तुम हो..... सिर्फ तुम इसलिए प्लीज खुद को दोष देना बंद करो, मैं तुम्हें इस दुनिया की किसी भी चीज़ से ज़्यादा प्यार करता हूँ और मैं तभी खुश रहूँगा जब तुम खुश रहोगी" एकांश ने पूरी बात सीधे अक्षिता की आँखों में देखते हुए कही

"मैंने जरूर जिंदगी मे कुछ अच्छा काम किया होगा जो तुम मेरी जिंदगी मे आए" अक्षिता ने एकांश को देखते हुए धीमे से कहा और एकांश बस उसे देख मुस्कुराया

"मैं एक और बात कहना चाहता हूँ, उस दिन जो कुछ हुआ उसके बाद, मैं पूरी तरह बदल गया था लेकिन तुम्हारे लिए मेरा प्यार कभी कम नहीं हो पाया, हालाँकि मुझे लगता था कि मैं तुमसे नफरत करता हूँ लेकिन अंदर से मैं जानता था कि मैं तुमसे कभी नफरत कर ही नहीं सकता था और मैंने भी तुमसे प्यार करना कभी नहीं छोड़ा" कुछ देर तक दोनों एकदूजे को गले लगाये वैसे ही खड़े रहे और कुछ समय बाद

"मेरे खयाल से अब हामे चलना चाहिए" अक्षिता ने टाइम देखते हुए कहा जिसके बाद दोनों एकांश के पेरेंट्स से विदा लेकर वहा से निकल गए

******

अगले दिन सुबह, सभी लोग अस्पताल जाने के लिए तैयार हो गए थे अक्षिता के पेरेंट्स परेशान थे, जबकि एकांश अपनी भावनाएँ जाहिर नहीं होने दे रहा था और अक्षिता हर समय बस मुस्कुरा रही थी



उन्होंने सभी जरूरी चीजें पैक कर लीं थी और बस जाने के लिए रेडी थे

"कोई तुमसे मिलने आया है" एकांश अक्षिता के कमरे में आते हुए बोला

"कौन?"

"तुम खुद जाकर देख लो" एकांश ने कहा और कंधे उचकाते हुए कमरे से बाहर चला गया अब अक्षिता को भी जनन था के कौन आया था और ये देखने वो बाहर आई तो खुश होकर चिल्लाई

" रोहन! स्वरा!"

अक्षिता लिविंग रूम में अपने सबसे अच्छे दोस्तों को देखकर खुशी से बोली, उन्होंने भी अक्षिता को कस कर गले लगाया और उससे उसका हाल चाल जाना

"तुम लोग यहाँ क्या कर रहे हो?" अक्षिता ने उन दोनों से पूछा

"हम बस तुमसे मिलने आये हैं" रोहन ने कहा

"तो क्या तुम्हारा बॉस तुम लोगों पर छुट्टी लेने पर नाराज नहीं होगा, वो bhi tab जब वो खुद ऑफिस मे ना हो?" अक्षिता ने एकांश की ओर देखते हुए उसे चिढ़ाते हुए पूछा, जो उसकी बातों पर हंस पड़ा

"हमारे बॉस को कोई दिक्कत नहीं होगी क्योंकि हमारे बॉस ने ही इस सप्राइज़ का प्लान बनाया था" स्वरा ने मुस्कुराते हुए कहा जिससे अक्षिता एकांश की ओर देखने लगी

"ये अपना मुंह बंद नहीं रख सकती ना?" एकांश ने स्वरा की ओर घूरते हुए कहा रोहन से पूछा

"ये तो दिक्कत है" रोहन ने भी अपना सिर हिलाते हुए जवाब दिया और अब स्वरा रोहन को घूर रही थी

"अब क्या तुम दोनों रुककर बताओगे कि तुम यहाँ किस लिए आये हो?" एकांश ने झुंझलाकर कहा

"हाँ" रोहन और स्वरा ने एक दूसरे की ओर देखा

वो दोनों एक दूसरे का हाथ पकड़कर अक्षिता की ओर मुड़े जो उन्हें उत्सुकता से देख रही थी

"we are together" उन्होंने मुस्कुराते हुए एकसाथ कहा

अक्षिता बस हैरान होकर उन्हे देख रही थी, उसने पहले उन दोनों की तरफ देखा, फिर उनके हाथों की ओर और फिर वापिस उनकी तरफ

"oh my god! Oh my god! Oh my god!" अक्षिता ने उन दोनों को गले लगाते हुए कहा खुशी से चिल्लाते हुए कहा

"मैं तुम दोनों के लिए बहुत खुश हूँ" अक्षिता उन दोनों को देखकर मुस्कुराई

"तुम्हें पता है मैं हमेशा से चाहती थी कि तुम दोनों एक साथ रहो, कपल वाली वाइब तो थी तुममे" अक्षिता ने खुश होकर कहा बदले मे रोहन बस मुस्कुराया और स्वरा वापिस अक्षिता को गले लगा लिया

"एक सप्राइज़ अभी और बाकी है" एकांश ने अक्षिता से कहा

"क्या?"

"जानती हो अमर अभी कहाँ है?" एकांश ने पूछा

"नहीं." अक्षिता ने सोचते हुए कहा

"सो रहा होगा अपने घर पर" स्वरा ने धीमे से कहा जिसे सबने सुना जिसपर अक्षिता हँस पड़ी

"वो अभी पेरिस में है" एकांश ने कहा

"क्या? वो वहा कब गया?" अक्षिता ने पूछा

"कल ही...... वो वहाँ गया था क्योंकि श्रेया भी वही है" एकांश ने कहा

और जैसे ही अक्षिता ने ये सुना उसका चेहरा 1000 वाट के बल्ब की तरह चमक उठा

"उसने मुझे तुम्हें थैंक्स कहने के लिए कहा है , तुम्हारी वजह से ही उसे उम्मीद थी और तुम्हारी वजह से ही उसे अपनी फीलिंगस को व्यक्त करने का हौसला मिला था, वो न सिर्फ श्रेया के इम्पॉर्टन्ट दिन पर उसके साथ रहने के लिए गया है, बल्कि अपनी फीलिंगस को इसे बताने गया है" एकांश ने कहा जिसे सुन अक्षिता एकदम खुश हो गई थी

"टाइम ज़ोन की वजह से वो तुम्हें कॉल नहीं कर सका, लेकिन उसने कहा है कि वो जल्द से जल्द तुम्हें कॉल करेगा और उसने तुम्हें अपना ख्याल रखने के लिए कहा है" एकांश ने अपनी बात पूरी की

अक्षिता ये जानकर बहुत खुश हुई कि अमर ने अपने प्यार की ओर पहला कदम बढ़ा दिया था और उसे उम्मीद थी कि उसे उसका प्यार मिल जाएगा

"आज मैं बहुत खुश हूँ" अक्षिता ने वहा मौजूद सब की तरफ देखते हुए कहा

उसके माता-पिता खुश थे क्योंकि उनकी बेटी खुश थी और उसे ऐसे अच्छे दोस्त मिले थे, उन्होंने एकांश को देखा और सोचा कि वो भले मुस्कुरा रहा है लेकिन अंदर ही अंदर वो डर भी रहा था, अक्षिता के मा पापा को दुनिया के इस अंधेरे मे एकांश रोशनी की किरण नजर आ रहा था

जब उन्हें लगा था कि कुछ नहीं हो सकता, तब उन्हें एक उम्मीद मिली और वो था एकांश

जब उन्हें कोई रास्ता नहीं नजर आ रहा था तो एकांश की वजह से उन्हें रास्ता मिला था

जब उनके पास आंसू और दर्द के अलावा कुछ नहीं बचा था तो एकांश की वजह से उन्हें खुशी और मुस्कान मिली थी

जब उन्होंने अपनी बेटी को बचाने के लिए भगवान से प्रार्थना की, तो उनके पास एक देवदूत भेजा गया और वो था एकांश

अपने देवदूत को देखकर उनकी आंखों में आंसू आ गए और उन्होंने भगवान से उसकी रक्षा करने की प्रार्थना की

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अक्षिता को जब हॉस्पिटल मे ऐड्मिट किया तब वो सभी लोग साथ मे थे

अक्षिता ने उस कमरे को देखा जिसमें उसे ऐड्मिट कराया गया था जो बहुत बड़ा और आराम दायक था और कीसी भी तरीके से अस्पताल या पैशन्ट के रूम जैसा नहीं लग रहा था, वहाँ एक बड़ा एलईडी टीवी, शानदार पर्दे, ए/सी, बुक शेल्फ और अक्षिता की सभी ज़रूरतों के सामान के साथ एक रैक थी और उसके लिए फल और नाश्ते के लिए एक साइड टेबल भी थी

अक्षिता ने उस कमरे को देख अपने मा पापा को देखा जिन्होंने कुछ नहीं कहा और बस कंधे उचकाकर वहा से चले गए और कुछ ही देर मे रोहन और स्वरा भी ऑफिस के लिए निकल गए थे

अक्षिता झल्लाकर बेड पर बैठ गई जो कीसी भी तरह से हॉस्पिटल के बेड जैसा नहीं था और तभी एकांश अंदर आया और उसने अक्षिता की तरफ देखा तक नहीं, वो कमरे में मौजूद हर चीज़ का निरीक्षण कर रहा था उसने पूरे कमरे को बहुत ध्यान से देखा कि सब कुछ सही से मौजूद है या नहीं

"अंश?" अक्षिता ने उसे पुकारा

"हा अक्षिता, ये रूम ठीक है ना? या मैं कोई दूसरा रूम बुक करूँ? मुझे लगता है कि यहाँ कुछ कमी है" एकांश ने इधर-उधर देखते हुए पूछा

"अंश?" इसबार अक्षिता ने और सख्ती से उसे आवाज दी

"हा." और आबकी बार एकांश ने उसकी ओर देखा

"ये हॉस्पिटल है अंश, तुम्हें हॉस्पिटल के रूम को होटल सुइट रूम में नहीं बदलना चाहिए था" अक्षिता ने सीरीअस टोन मे कहा

"सुइट रूम? ये कमरा किसी भी तरह से सुइट रूम जैसा नहीं है, मैं बस ये देख रहा हूँ कि जब तक तुम यहा ऐड्मिट हो तुम्हें कोई परेशानी न हो, मैं नहीं चाहता कि यहाँ धूल का एक कतरा भी घुस आए और मैं नहीं चाहता कि तुम्हें ऐसा लगे कि तुम एक पैशन्ट हो और हॉस्पिटल के कमरे में फसी हुई हो" एकांश ने कहा और अक्षिता बस उसे घूरती रही

"मुझे लगता है कि यहा कुछ और कुशन की जरूरत है और थोड़े खाने की भी" एकांश टेबल और बेड को देखने हुए कहा और तभी

"हेलो अक्षिता!" डॉक्टर ने अंदर आते हुए कहा, जिससे एकांश और अक्षिता दोनों डॉक्टर को देखने लगे, डॉक्टर ने चारों ओर कमरे मे नजर घुमा कर देखा और फ़र एकांश को घूरने लगे वही एकांश उनसे नजरे नहीं मिला रहा था

"डॉक्टर, आपने इसे कमरे मे ये सब चेंजेस करने की पर्मिशन कैसे दे दी? ये तो हॉस्पिटल के रुल्स के खिलाफ होगा न?" अक्षिता ने डॉक्टर से सवाल किया

"हाँ रूल के खिलाफ तो है, लेकिन कोई नियम तोड़ने पर ही तुला हुआ है तो क्या करे" डॉक्टर ने अब भी एकांश को देखते हुए कहा और अब अक्षिता भी सू घूरने लगी थी और एकांश बस अक्षिता को देख मुस्कुरा रहा था

"खैर अक्षिता तुम्हारे टेस्टस का टाइम हो गया है, चलो" डॉक्टर ने कमरे से बाहर जाते हुए कहा और अक्षिता भी बगैर एकांश की ओर देखा डॉक्टर के पीछे चलीगई और एकांश जो अकसजित से बात करना चाहता था वही रुक गया

कई टेस्टस के बाद, डॉक्टर ने अक्षिता को कुछ निर्देश और दवा देकर वो रूम से चले गए, अब वहा एकांश और अक्षिता ही थे

"अक्षिता यार! बात तो करो प्लीज" एकांश ने अक्षिता से कहा

"अंश, तुम्हें ये सब नहीं करना चाहिए था" अक्षिता ने एकांश की आँखों मे देखते हुए कहा

" क्यों?"

"क्या क्यों? इन सब चीजों की क्या जरूरत है बताओ मुझे?" अक्षिता ने कहा

"अरे बिल्कुल जरूरत है, इस कमरे में जो बेड पहले था वो बहुत गंदा था और मैं ये सोचना भी नहीं चाहता कि कितने लोगों ने उसका इस्तमाल किया होगा, इसलिए मैंने उसे बदल दिया, ये बुक्शेल्फ तुम्हारे लिए है ताकि जब तुम बोर हो जाओ और तुम्हारे दिमाग मे उलटे सीधे खयाल आए तो कितबे पढ़ के उस खयालों को दूर कर सकरों, इस टेबल पर सभी फ्रूइट्स हैं जो तुम्हारी सहब के लिए अच्छे है और मैंने नर्स से तुम्हें टाइम टाइम पर जूस देने भी कह दिया है" एकांश ने कहा और अक्षिता बस उसकी बात सुनती रही

"मैं चाहता हूँ कि तुम आराम से रहो, किसी थाके हुए डिप्रेस पैशन्ट की तरह नहीं, जानती हो पहले ये कमरा कैसा था? कमरे को देखकर ही लोग बीमार हो जाते.... किसी और बीमारी की ज़रूरत ही नहीं थी, मैं नहीं चाहता कि तुम इतने डिप्रेस महसूस करो, मैं नहीं चाहता कि तुम ज़बरदस्ती यह रहो, मैं तुम्हें घर जैसा महसूस कराना चाहता था, इसीलिए मैंने ये सारे बदलाव किए हैं" एकांश ने सीरीअस टोन मे कहा

अक्षिता धीरे-धीरे एकांश के पास आई और उसने अपने हाथों मे एकांश के चेहरे को थामा, वो उसकी ओर झुकी हुई, प्यार भरी निगाहों से उसे देख रही थी, उसका दिल जोरों से धडक रहा था और उसने हल्के से एकांश होठों को चूम लिया और उसे देख मुस्कुराई वही एकांश उस हल्की सी किस से ही थोड़ा शॉक मे था



और इधर अक्षिता अपने बेड पर जाकर बुक पढ़ने लगी जैसे कुछ हुआ ही न हो, एकांश का फोन बजने पर वो अपनी तंद्री से बाहर आया और फोन उठाने के लिए बाहर चला गया वही अक्षिता उसके इक्स्प्रेशन देख मुस्कुरा रही थी

एकांश ने जर्मनी में डॉक्टर से बात की, जिन्होंने उसे बताया कि वो कुछ ज़रूरी सर्जरी निपटाने के बाद दो दिन में भारत आ जाएगा, एकांश ये सुन काफी खुश था क्योंकि अब उसे कुछ उम्मीद दिख रही थी

रात को एकांश ने अक्षिता के माता-पिता को आराम करने के लिए घर भेज दिया ये कहकर वो रात को वो अक्षिता के पास रुक जाएगा

एकांश जब वापिस रूम मे आया तो उसने देखा के अक्षिता बेड पर बैठी सामने की दीवार को घूर रही थी, अक्षिता को यू देख एकांश का गला भर आया था लेकिन उसने अपने आप को संभाला और बेड की ओर चल पड़ा

उसने अपना गला साफ़ किया ताकि आवाज हो लेकिन अक्षिता ने उसे नोटिस नहीं किया फिर एकांश ने झुककर अक्षिता के गाल पर चूमा जिससे अक्षिता एकदम से चौकी और झटके से अपनी जगह से उठ खडी हुई

"एकांश! तुमने तो डरा ही दिया" अक्षिता ने चिल्लाते हुए कहा वही एकांश उसे यू देख हस रहा था

"तुम तो तब हल्का स किस देकर चली गई थी लेकिन मैं ये मौका कैसे छोड़ता.... I want more" एकांश ने कहा

"क्या!"

"I want more" एकांश ने अक्षिता के होंठों की ओर झुकते हुए कहा

"तुम बेशर्म हो, ये हॉस्पिटल है और कोई भी कभी भी यहाँ आ सकता है" अक्षिता ने एकांश को अपने से दूर हटाते हुए कहा और ठीक उसी वाक्य एक नर्स वहा आ गई और टेबल पर खाना रख चली गई

“ये क्या है? ये आधा उबला हुआ खाना मैं नहीं खाने वाली" अक्षिता ने खाने की तरफ मुंह बनाते हुए कहा

"लेकिन यही तुम्हारे लिए अभी सबसे बेस्ट है अक्षिता" एकांश ने कहना अक्षिता के पास लाते हुए कहा

"नहीं! मैं इसे नहीं खाऊँगी।" अक्षिता ने प्लेट दूर धकेलते हुए कहा

"अक्षिता प्लीज...."

"ठीक है." आखिर मे अक्षिता ने एकांश के आगे हार मानते हुए कहा और एकांश ने भी दूसरी प्लेट ली और उसके साथ ही खाना शुरू कर दिया

"तुम क्या कर रहे हो? तुम ये खाना क्यू खा रहे हो?" अक्षिता ने एकांश के हाथ से प्लेट लेते हुए कहा

"बस खाना खा रहा हु यार और मैं क्या खा रहा हूँ इससे कोई फर्क नहीं पड़ता जब तक वो तुम्हारे साथ है" एकांश ने मुस्कुराते हुए कहा

"नहीं, पैशन्ट मैं हु और मैं अपनी वजह से तुम्हें ऐसा खाना नहीं खाने दूँगी"

"मुझे बहुत भूख लगी है और रात भी हो चुकी है, और मैं अभी बाहर नहीं जाने वाला साथ मे कहा लेते है ना अक्षु" और इस बार अक्षिता ने एकांश की बात मान ली

उन्होंने बातें करते हुए और हंसते हुए खाना खत्म किया और फिर अक्षिता ने अपनी दवा ले ली और अब उसके सोने का समय हो गया था, एकांश ने अपना फोन कॉल खत्म करके टेबल पर रख दिया और देखा कि अक्षिता बुक पढ़ रही थी

"तुम्हें अब सो जाना चाहिए" एकांश ने अक्षिता के हाथ से बुक लेटे हुए कहा

"मैंने कोशिश की लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही है" अक्षिता ने कहा

"पहले तुम बेड पर पीठ टिका लो, नींद अपने आप आ जाएगी" ये कहकर एकांश ने अक्षिता को बेड पर लेटाया

"तुम कहाँ जा रहे हो?" एकांश जब जाने के लिए मुड़ा तो अक्षिता ने उसका हाथ पकड़ कर पूछा

"मैं सोफे पर सोऊँगा" एकांश ने कहा

“तुम यह बेड पर ही सो सकते हो" अक्षिता ने कहा

"नहीं, तुम्हें आराम से सोना चाहिए और मैं सोफे पर सो सकता हूँ कोई प्रॉब्लेम नहीं है" एकांश ने अक्षिता को समझाते हुए कहा

"अंश, मैं चाहती हूँ कि तुम यहा मुझे गले लगा कर मेरे बगल में सोओ" अक्षिता ने कहा और उसके इतना कहने के बाद एकांश उसे मना नहीं कर पाया

" ठीक है" ये कहकर एकांश वही अक्षिता के बगल मे बेड पर लेट गया और अक्षिता उससे चिपककर उसके सिने पर सर रखे सो गई

"गुड नाइट" एकांश ने अक्षिता के माथे को चूमते हुए कहा

"गुड नाइट"

सोने की कोशिश दोनों कर रहे थे लेकिन नींद उनकी आँखों से कोसों दूर थी

"अंश?"

" हम्म?"

"चाहे कुछ भी हो जाए, हमेशा याद रखना कि मैं तुमसे प्यार करती हूँ, और हमेशा अकरती रहूँगी, चाहे मैं रहु ना रहु" इतना कहकर अक्षिता सो गई

"मैं भी तुमसे प्यार बहुत करता हूँ अक्षिता.... and I promise you तुम्हें कुछ नहीं होगा" एकांश ने बंद आँको के साथ कहा और उसकी बंद बालकों से आँसू की एक बंद झलक पड़ी....



क्रमश:
Nice update....
 

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एकांश के मुह से अपने लिए I love you सुन अक्षिता का मन भर आया था, वो बहुत समय से यही शब्द एकांश मुह से सुनना चाहती थी और आज एकांश ने वो कह दिए थे और अब वो एकांश को क्या कहर उसे सूझ नहीं रहा था वो बस अपलक उसे देखे जा रही थी और एकांश के समझ नहीं आ रहा था के अब क्या हुआ अक्षिता कुछ बोल क्यू नहीं रही

"अक्षिता, क्या हुआ?" एकांश ने चिंतित होकर पूछा

"तुमने अभी अभी क्या कहा?" अक्षिता ने आँखों मे पनि लिए मुसकुराते हुए उससे पूछा

एकांश अक्षिता की बात का मतलब समझ गया था और यही ऐसी ही कुछ फीलिंग उसके मन मे भी थी

"मैंने कहा मैं तुमसे प्यार करता हूँ" एकांश ने अक्षिता के गालों को सहलाते हुए मुस्कुराते हुए कहा

"I love you too अंश.... मैं भी तुमसे बहुत प्यार करती हूँ" उसने रोते हुए कहा

अक्षिता ने भी वो कह दिया था जिसे सुनने के लिए एकांश के कान तरस रहे थे

"आई लव यू... आई लव यू... आई लव यू... आई लव यू... आई लव यू...." अक्षिता बस शब्द दोहरा रही थी और एकांश ने उसे गले लगा लिया था

"शशशश...... सब ठीक है अक्षिता, रोना बंद करो चलो" एकांश ने कहा

"नहीं! तुम नहीं जानते कि मेरे लिए उन शब्दों का क्या मोल है, मैं तो उसी दिन मर गई थी जब मैंने तुमसे कहा था कि मैं तुमसे प्यार नहीं करती, तुम्हारे चेहरे पर दिख रही उस चोट ने मुझे मार डाला था अंश..... उसने मुझे तोड़ के रख दिया है" अक्षिता रो पड़ी थी उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे

"मैंने तुम्हारे साथ जो किया था, वो मुझे आज भी हर रात जब आँखें बंद करती हु तो तकलीफ देता है, मैंने तुम्हें जो दर्द दिया वो मेरे लिए भी किसी मौत से ज़्यादा दर्दनाक था अंश, मुझे उस दिन तुम्हारा दिल इतनी बेरहमी से तोड़ने के लिए आज भी बहुत अफसोस है, लेकिन मेरे पास कोई और रास्ता नहीं था क्योंकि मैं नहीं चाहती थी कि तुम मेरे साथ रहकर अपनी ज़िंदगी बर्बाद करो" अक्षिता ने अपनी लाल नम आँखों से एकांश को देखते हुए कहा और अक्षिता को वैसे देख एकांश के दिल मे भी टीस उठ रही थी

"मैंने हमेशा तुमसे प्यार किया है अंश, हमेशा और मेरा प्यार तुम्हारे लिए काभी कम नहीं होगा” अक्षिता ने मुसकुराते हुए कहा और एकांश ने भी मुसकुराते हुए उसके माथे को चूम लिया

"अक्षिता, तुम्हें दुखी होने की इस बारे मे परेशान होने की कोई ज़रूरत नहीं है, मैं समझता हूँ कि तुमने जो कुछ भी किया, वो मेरे लिए था, लेकिन मैं तुम्हें एक बात साफ साफ कहना चाहता हु और वो ये की मेरी खुशी बस तुम्हारे साथ है, मेरी जिंदगी, मेरी खुशी, मेरी भलाई, मेरा सब कुछ तुम हो..... सिर्फ तुम इसलिए प्लीज खुद को दोष देना बंद करो, मैं तुम्हें इस दुनिया की किसी भी चीज़ से ज़्यादा प्यार करता हूँ और मैं तभी खुश रहूँगा जब तुम खुश रहोगी" एकांश ने पूरी बात सीधे अक्षिता की आँखों में देखते हुए कही

"मैंने जरूर जिंदगी मे कुछ अच्छा काम किया होगा जो तुम मेरी जिंदगी मे आए" अक्षिता ने एकांश को देखते हुए धीमे से कहा और एकांश बस उसे देख मुस्कुराया

"मैं एक और बात कहना चाहता हूँ, उस दिन जो कुछ हुआ उसके बाद, मैं पूरी तरह बदल गया था लेकिन तुम्हारे लिए मेरा प्यार कभी कम नहीं हो पाया, हालाँकि मुझे लगता था कि मैं तुमसे नफरत करता हूँ लेकिन अंदर से मैं जानता था कि मैं तुमसे कभी नफरत कर ही नहीं सकता था और मैंने भी तुमसे प्यार करना कभी नहीं छोड़ा" कुछ देर तक दोनों एकदूजे को गले लगाये वैसे ही खड़े रहे और कुछ समय बाद

"मेरे खयाल से अब हामे चलना चाहिए" अक्षिता ने टाइम देखते हुए कहा जिसके बाद दोनों एकांश के पेरेंट्स से विदा लेकर वहा से निकल गए

******

अगले दिन सुबह, सभी लोग अस्पताल जाने के लिए तैयार हो गए थे अक्षिता के पेरेंट्स परेशान थे, जबकि एकांश अपनी भावनाएँ जाहिर नहीं होने दे रहा था और अक्षिता हर समय बस मुस्कुरा रही थी



उन्होंने सभी जरूरी चीजें पैक कर लीं थी और बस जाने के लिए रेडी थे

"कोई तुमसे मिलने आया है" एकांश अक्षिता के कमरे में आते हुए बोला

"कौन?"

"तुम खुद जाकर देख लो" एकांश ने कहा और कंधे उचकाते हुए कमरे से बाहर चला गया अब अक्षिता को भी जनन था के कौन आया था और ये देखने वो बाहर आई तो खुश होकर चिल्लाई

" रोहन! स्वरा!"

अक्षिता लिविंग रूम में अपने सबसे अच्छे दोस्तों को देखकर खुशी से बोली, उन्होंने भी अक्षिता को कस कर गले लगाया और उससे उसका हाल चाल जाना

"तुम लोग यहाँ क्या कर रहे हो?" अक्षिता ने उन दोनों से पूछा

"हम बस तुमसे मिलने आये हैं" रोहन ने कहा

"तो क्या तुम्हारा बॉस तुम लोगों पर छुट्टी लेने पर नाराज नहीं होगा, वो bhi tab जब वो खुद ऑफिस मे ना हो?" अक्षिता ने एकांश की ओर देखते हुए उसे चिढ़ाते हुए पूछा, जो उसकी बातों पर हंस पड़ा

"हमारे बॉस को कोई दिक्कत नहीं होगी क्योंकि हमारे बॉस ने ही इस सप्राइज़ का प्लान बनाया था" स्वरा ने मुस्कुराते हुए कहा जिससे अक्षिता एकांश की ओर देखने लगी

"ये अपना मुंह बंद नहीं रख सकती ना?" एकांश ने स्वरा की ओर घूरते हुए कहा रोहन से पूछा

"ये तो दिक्कत है" रोहन ने भी अपना सिर हिलाते हुए जवाब दिया और अब स्वरा रोहन को घूर रही थी

"अब क्या तुम दोनों रुककर बताओगे कि तुम यहाँ किस लिए आये हो?" एकांश ने झुंझलाकर कहा

"हाँ" रोहन और स्वरा ने एक दूसरे की ओर देखा

वो दोनों एक दूसरे का हाथ पकड़कर अक्षिता की ओर मुड़े जो उन्हें उत्सुकता से देख रही थी

"we are together" उन्होंने मुस्कुराते हुए एकसाथ कहा

अक्षिता बस हैरान होकर उन्हे देख रही थी, उसने पहले उन दोनों की तरफ देखा, फिर उनके हाथों की ओर और फिर वापिस उनकी तरफ

"oh my god! Oh my god! Oh my god!" अक्षिता ने उन दोनों को गले लगाते हुए कहा खुशी से चिल्लाते हुए कहा

"मैं तुम दोनों के लिए बहुत खुश हूँ" अक्षिता उन दोनों को देखकर मुस्कुराई

"तुम्हें पता है मैं हमेशा से चाहती थी कि तुम दोनों एक साथ रहो, कपल वाली वाइब तो थी तुममे" अक्षिता ने खुश होकर कहा बदले मे रोहन बस मुस्कुराया और स्वरा वापिस अक्षिता को गले लगा लिया

"एक सप्राइज़ अभी और बाकी है" एकांश ने अक्षिता से कहा

"क्या?"

"जानती हो अमर अभी कहाँ है?" एकांश ने पूछा

"नहीं." अक्षिता ने सोचते हुए कहा

"सो रहा होगा अपने घर पर" स्वरा ने धीमे से कहा जिसे सबने सुना जिसपर अक्षिता हँस पड़ी

"वो अभी पेरिस में है" एकांश ने कहा

"क्या? वो वहा कब गया?" अक्षिता ने पूछा

"कल ही...... वो वहाँ गया था क्योंकि श्रेया भी वही है" एकांश ने कहा

और जैसे ही अक्षिता ने ये सुना उसका चेहरा 1000 वाट के बल्ब की तरह चमक उठा

"उसने मुझे तुम्हें थैंक्स कहने के लिए कहा है , तुम्हारी वजह से ही उसे उम्मीद थी और तुम्हारी वजह से ही उसे अपनी फीलिंगस को व्यक्त करने का हौसला मिला था, वो न सिर्फ श्रेया के इम्पॉर्टन्ट दिन पर उसके साथ रहने के लिए गया है, बल्कि अपनी फीलिंगस को इसे बताने गया है" एकांश ने कहा जिसे सुन अक्षिता एकदम खुश हो गई थी

"टाइम ज़ोन की वजह से वो तुम्हें कॉल नहीं कर सका, लेकिन उसने कहा है कि वो जल्द से जल्द तुम्हें कॉल करेगा और उसने तुम्हें अपना ख्याल रखने के लिए कहा है" एकांश ने अपनी बात पूरी की

अक्षिता ये जानकर बहुत खुश हुई कि अमर ने अपने प्यार की ओर पहला कदम बढ़ा दिया था और उसे उम्मीद थी कि उसे उसका प्यार मिल जाएगा

"आज मैं बहुत खुश हूँ" अक्षिता ने वहा मौजूद सब की तरफ देखते हुए कहा

उसके माता-पिता खुश थे क्योंकि उनकी बेटी खुश थी और उसे ऐसे अच्छे दोस्त मिले थे, उन्होंने एकांश को देखा और सोचा कि वो भले मुस्कुरा रहा है लेकिन अंदर ही अंदर वो डर भी रहा था, अक्षिता के मा पापा को दुनिया के इस अंधेरे मे एकांश रोशनी की किरण नजर आ रहा था

जब उन्हें लगा था कि कुछ नहीं हो सकता, तब उन्हें एक उम्मीद मिली और वो था एकांश

जब उन्हें कोई रास्ता नहीं नजर आ रहा था तो एकांश की वजह से उन्हें रास्ता मिला था

जब उनके पास आंसू और दर्द के अलावा कुछ नहीं बचा था तो एकांश की वजह से उन्हें खुशी और मुस्कान मिली थी

जब उन्होंने अपनी बेटी को बचाने के लिए भगवान से प्रार्थना की, तो उनके पास एक देवदूत भेजा गया और वो था एकांश

अपने देवदूत को देखकर उनकी आंखों में आंसू आ गए और उन्होंने भगवान से उसकी रक्षा करने की प्रार्थना की

******

अक्षिता को जब हॉस्पिटल मे ऐड्मिट किया तब वो सभी लोग साथ मे थे

अक्षिता ने उस कमरे को देखा जिसमें उसे ऐड्मिट कराया गया था जो बहुत बड़ा और आराम दायक था और कीसी भी तरीके से अस्पताल या पैशन्ट के रूम जैसा नहीं लग रहा था, वहाँ एक बड़ा एलईडी टीवी, शानदार पर्दे, ए/सी, बुक शेल्फ और अक्षिता की सभी ज़रूरतों के सामान के साथ एक रैक थी और उसके लिए फल और नाश्ते के लिए एक साइड टेबल भी थी

अक्षिता ने उस कमरे को देख अपने मा पापा को देखा जिन्होंने कुछ नहीं कहा और बस कंधे उचकाकर वहा से चले गए और कुछ ही देर मे रोहन और स्वरा भी ऑफिस के लिए निकल गए थे

अक्षिता झल्लाकर बेड पर बैठ गई जो कीसी भी तरह से हॉस्पिटल के बेड जैसा नहीं था और तभी एकांश अंदर आया और उसने अक्षिता की तरफ देखा तक नहीं, वो कमरे में मौजूद हर चीज़ का निरीक्षण कर रहा था उसने पूरे कमरे को बहुत ध्यान से देखा कि सब कुछ सही से मौजूद है या नहीं

"अंश?" अक्षिता ने उसे पुकारा

"हा अक्षिता, ये रूम ठीक है ना? या मैं कोई दूसरा रूम बुक करूँ? मुझे लगता है कि यहाँ कुछ कमी है" एकांश ने इधर-उधर देखते हुए पूछा

"अंश?" इसबार अक्षिता ने और सख्ती से उसे आवाज दी

"हा." और आबकी बार एकांश ने उसकी ओर देखा

"ये हॉस्पिटल है अंश, तुम्हें हॉस्पिटल के रूम को होटल सुइट रूम में नहीं बदलना चाहिए था" अक्षिता ने सीरीअस टोन मे कहा

"सुइट रूम? ये कमरा किसी भी तरह से सुइट रूम जैसा नहीं है, मैं बस ये देख रहा हूँ कि जब तक तुम यहा ऐड्मिट हो तुम्हें कोई परेशानी न हो, मैं नहीं चाहता कि यहाँ धूल का एक कतरा भी घुस आए और मैं नहीं चाहता कि तुम्हें ऐसा लगे कि तुम एक पैशन्ट हो और हॉस्पिटल के कमरे में फसी हुई हो" एकांश ने कहा और अक्षिता बस उसे घूरती रही

"मुझे लगता है कि यहा कुछ और कुशन की जरूरत है और थोड़े खाने की भी" एकांश टेबल और बेड को देखने हुए कहा और तभी

"हेलो अक्षिता!" डॉक्टर ने अंदर आते हुए कहा, जिससे एकांश और अक्षिता दोनों डॉक्टर को देखने लगे, डॉक्टर ने चारों ओर कमरे मे नजर घुमा कर देखा और फ़र एकांश को घूरने लगे वही एकांश उनसे नजरे नहीं मिला रहा था

"डॉक्टर, आपने इसे कमरे मे ये सब चेंजेस करने की पर्मिशन कैसे दे दी? ये तो हॉस्पिटल के रुल्स के खिलाफ होगा न?" अक्षिता ने डॉक्टर से सवाल किया

"हाँ रूल के खिलाफ तो है, लेकिन कोई नियम तोड़ने पर ही तुला हुआ है तो क्या करे" डॉक्टर ने अब भी एकांश को देखते हुए कहा और अब अक्षिता भी सू घूरने लगी थी और एकांश बस अक्षिता को देख मुस्कुरा रहा था

"खैर अक्षिता तुम्हारे टेस्टस का टाइम हो गया है, चलो" डॉक्टर ने कमरे से बाहर जाते हुए कहा और अक्षिता भी बगैर एकांश की ओर देखा डॉक्टर के पीछे चलीगई और एकांश जो अकसजित से बात करना चाहता था वही रुक गया

कई टेस्टस के बाद, डॉक्टर ने अक्षिता को कुछ निर्देश और दवा देकर वो रूम से चले गए, अब वहा एकांश और अक्षिता ही थे

"अक्षिता यार! बात तो करो प्लीज" एकांश ने अक्षिता से कहा

"अंश, तुम्हें ये सब नहीं करना चाहिए था" अक्षिता ने एकांश की आँखों मे देखते हुए कहा

" क्यों?"

"क्या क्यों? इन सब चीजों की क्या जरूरत है बताओ मुझे?" अक्षिता ने कहा

"अरे बिल्कुल जरूरत है, इस कमरे में जो बेड पहले था वो बहुत गंदा था और मैं ये सोचना भी नहीं चाहता कि कितने लोगों ने उसका इस्तमाल किया होगा, इसलिए मैंने उसे बदल दिया, ये बुक्शेल्फ तुम्हारे लिए है ताकि जब तुम बोर हो जाओ और तुम्हारे दिमाग मे उलटे सीधे खयाल आए तो कितबे पढ़ के उस खयालों को दूर कर सकरों, इस टेबल पर सभी फ्रूइट्स हैं जो तुम्हारी सहब के लिए अच्छे है और मैंने नर्स से तुम्हें टाइम टाइम पर जूस देने भी कह दिया है" एकांश ने कहा और अक्षिता बस उसकी बात सुनती रही

"मैं चाहता हूँ कि तुम आराम से रहो, किसी थाके हुए डिप्रेस पैशन्ट की तरह नहीं, जानती हो पहले ये कमरा कैसा था? कमरे को देखकर ही लोग बीमार हो जाते.... किसी और बीमारी की ज़रूरत ही नहीं थी, मैं नहीं चाहता कि तुम इतने डिप्रेस महसूस करो, मैं नहीं चाहता कि तुम ज़बरदस्ती यह रहो, मैं तुम्हें घर जैसा महसूस कराना चाहता था, इसीलिए मैंने ये सारे बदलाव किए हैं" एकांश ने सीरीअस टोन मे कहा

अक्षिता धीरे-धीरे एकांश के पास आई और उसने अपने हाथों मे एकांश के चेहरे को थामा, वो उसकी ओर झुकी हुई, प्यार भरी निगाहों से उसे देख रही थी, उसका दिल जोरों से धडक रहा था और उसने हल्के से एकांश होठों को चूम लिया और उसे देख मुस्कुराई वही एकांश उस हल्की सी किस से ही थोड़ा शॉक मे था



और इधर अक्षिता अपने बेड पर जाकर बुक पढ़ने लगी जैसे कुछ हुआ ही न हो, एकांश का फोन बजने पर वो अपनी तंद्री से बाहर आया और फोन उठाने के लिए बाहर चला गया वही अक्षिता उसके इक्स्प्रेशन देख मुस्कुरा रही थी

एकांश ने जर्मनी में डॉक्टर से बात की, जिन्होंने उसे बताया कि वो कुछ ज़रूरी सर्जरी निपटाने के बाद दो दिन में भारत आ जाएगा, एकांश ये सुन काफी खुश था क्योंकि अब उसे कुछ उम्मीद दिख रही थी

रात को एकांश ने अक्षिता के माता-पिता को आराम करने के लिए घर भेज दिया ये कहकर वो रात को वो अक्षिता के पास रुक जाएगा

एकांश जब वापिस रूम मे आया तो उसने देखा के अक्षिता बेड पर बैठी सामने की दीवार को घूर रही थी, अक्षिता को यू देख एकांश का गला भर आया था लेकिन उसने अपने आप को संभाला और बेड की ओर चल पड़ा

उसने अपना गला साफ़ किया ताकि आवाज हो लेकिन अक्षिता ने उसे नोटिस नहीं किया फिर एकांश ने झुककर अक्षिता के गाल पर चूमा जिससे अक्षिता एकदम से चौकी और झटके से अपनी जगह से उठ खडी हुई

"एकांश! तुमने तो डरा ही दिया" अक्षिता ने चिल्लाते हुए कहा वही एकांश उसे यू देख हस रहा था

"तुम तो तब हल्का स किस देकर चली गई थी लेकिन मैं ये मौका कैसे छोड़ता.... I want more" एकांश ने कहा

"क्या!"

"I want more" एकांश ने अक्षिता के होंठों की ओर झुकते हुए कहा

"तुम बेशर्म हो, ये हॉस्पिटल है और कोई भी कभी भी यहाँ आ सकता है" अक्षिता ने एकांश को अपने से दूर हटाते हुए कहा और ठीक उसी वाक्य एक नर्स वहा आ गई और टेबल पर खाना रख चली गई

“ये क्या है? ये आधा उबला हुआ खाना मैं नहीं खाने वाली" अक्षिता ने खाने की तरफ मुंह बनाते हुए कहा

"लेकिन यही तुम्हारे लिए अभी सबसे बेस्ट है अक्षिता" एकांश ने कहना अक्षिता के पास लाते हुए कहा

"नहीं! मैं इसे नहीं खाऊँगी।" अक्षिता ने प्लेट दूर धकेलते हुए कहा

"अक्षिता प्लीज...."

"ठीक है." आखिर मे अक्षिता ने एकांश के आगे हार मानते हुए कहा और एकांश ने भी दूसरी प्लेट ली और उसके साथ ही खाना शुरू कर दिया

"तुम क्या कर रहे हो? तुम ये खाना क्यू खा रहे हो?" अक्षिता ने एकांश के हाथ से प्लेट लेते हुए कहा

"बस खाना खा रहा हु यार और मैं क्या खा रहा हूँ इससे कोई फर्क नहीं पड़ता जब तक वो तुम्हारे साथ है" एकांश ने मुस्कुराते हुए कहा

"नहीं, पैशन्ट मैं हु और मैं अपनी वजह से तुम्हें ऐसा खाना नहीं खाने दूँगी"

"मुझे बहुत भूख लगी है और रात भी हो चुकी है, और मैं अभी बाहर नहीं जाने वाला साथ मे कहा लेते है ना अक्षु" और इस बार अक्षिता ने एकांश की बात मान ली

उन्होंने बातें करते हुए और हंसते हुए खाना खत्म किया और फिर अक्षिता ने अपनी दवा ले ली और अब उसके सोने का समय हो गया था, एकांश ने अपना फोन कॉल खत्म करके टेबल पर रख दिया और देखा कि अक्षिता बुक पढ़ रही थी

"तुम्हें अब सो जाना चाहिए" एकांश ने अक्षिता के हाथ से बुक लेटे हुए कहा

"मैंने कोशिश की लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही है" अक्षिता ने कहा

"पहले तुम बेड पर पीठ टिका लो, नींद अपने आप आ जाएगी" ये कहकर एकांश ने अक्षिता को बेड पर लेटाया

"तुम कहाँ जा रहे हो?" एकांश जब जाने के लिए मुड़ा तो अक्षिता ने उसका हाथ पकड़ कर पूछा

"मैं सोफे पर सोऊँगा" एकांश ने कहा

“तुम यह बेड पर ही सो सकते हो" अक्षिता ने कहा

"नहीं, तुम्हें आराम से सोना चाहिए और मैं सोफे पर सो सकता हूँ कोई प्रॉब्लेम नहीं है" एकांश ने अक्षिता को समझाते हुए कहा

"अंश, मैं चाहती हूँ कि तुम यहा मुझे गले लगा कर मेरे बगल में सोओ" अक्षिता ने कहा और उसके इतना कहने के बाद एकांश उसे मना नहीं कर पाया

" ठीक है" ये कहकर एकांश वही अक्षिता के बगल मे बेड पर लेट गया और अक्षिता उससे चिपककर उसके सिने पर सर रखे सो गई

"गुड नाइट" एकांश ने अक्षिता के माथे को चूमते हुए कहा

"गुड नाइट"

सोने की कोशिश दोनों कर रहे थे लेकिन नींद उनकी आँखों से कोसों दूर थी

"अंश?"

" हम्म?"

"चाहे कुछ भी हो जाए, हमेशा याद रखना कि मैं तुमसे प्यार करती हूँ, और हमेशा अकरती रहूँगी, चाहे मैं रहु ना रहु" इतना कहकर अक्षिता सो गई

"मैं भी तुमसे प्यार बहुत करता हूँ अक्षिता.... and I promise you तुम्हें कुछ नहीं होगा" एकांश ने बंद आँको के साथ कहा और उसकी बंद बालकों से आँसू की एक बंद झलक पड़ी....



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एकांश के मुह से अपने लिए I love you सुन अक्षिता का मन भर आया था, वो बहुत समय से यही शब्द एकांश मुह से सुनना चाहती थी और आज एकांश ने वो कह दिए थे और अब वो एकांश को क्या कहर उसे सूझ नहीं रहा था वो बस अपलक उसे देखे जा रही थी और एकांश के समझ नहीं आ रहा था के अब क्या हुआ अक्षिता कुछ बोल क्यू नहीं रही

"अक्षिता, क्या हुआ?" एकांश ने चिंतित होकर पूछा

"तुमने अभी अभी क्या कहा?" अक्षिता ने आँखों मे पनि लिए मुसकुराते हुए उससे पूछा

एकांश अक्षिता की बात का मतलब समझ गया था और यही ऐसी ही कुछ फीलिंग उसके मन मे भी थी

"मैंने कहा मैं तुमसे प्यार करता हूँ" एकांश ने अक्षिता के गालों को सहलाते हुए मुस्कुराते हुए कहा

"I love you too अंश.... मैं भी तुमसे बहुत प्यार करती हूँ" उसने रोते हुए कहा

अक्षिता ने भी वो कह दिया था जिसे सुनने के लिए एकांश के कान तरस रहे थे

"आई लव यू... आई लव यू... आई लव यू... आई लव यू... आई लव यू...." अक्षिता बस शब्द दोहरा रही थी और एकांश ने उसे गले लगा लिया था

"शशशश...... सब ठीक है अक्षिता, रोना बंद करो चलो" एकांश ने कहा

"नहीं! तुम नहीं जानते कि मेरे लिए उन शब्दों का क्या मोल है, मैं तो उसी दिन मर गई थी जब मैंने तुमसे कहा था कि मैं तुमसे प्यार नहीं करती, तुम्हारे चेहरे पर दिख रही उस चोट ने मुझे मार डाला था अंश..... उसने मुझे तोड़ के रख दिया है" अक्षिता रो पड़ी थी उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे

"मैंने तुम्हारे साथ जो किया था, वो मुझे आज भी हर रात जब आँखें बंद करती हु तो तकलीफ देता है, मैंने तुम्हें जो दर्द दिया वो मेरे लिए भी किसी मौत से ज़्यादा दर्दनाक था अंश, मुझे उस दिन तुम्हारा दिल इतनी बेरहमी से तोड़ने के लिए आज भी बहुत अफसोस है, लेकिन मेरे पास कोई और रास्ता नहीं था क्योंकि मैं नहीं चाहती थी कि तुम मेरे साथ रहकर अपनी ज़िंदगी बर्बाद करो" अक्षिता ने अपनी लाल नम आँखों से एकांश को देखते हुए कहा और अक्षिता को वैसे देख एकांश के दिल मे भी टीस उठ रही थी

"मैंने हमेशा तुमसे प्यार किया है अंश, हमेशा और मेरा प्यार तुम्हारे लिए काभी कम नहीं होगा” अक्षिता ने मुसकुराते हुए कहा और एकांश ने भी मुसकुराते हुए उसके माथे को चूम लिया

"अक्षिता, तुम्हें दुखी होने की इस बारे मे परेशान होने की कोई ज़रूरत नहीं है, मैं समझता हूँ कि तुमने जो कुछ भी किया, वो मेरे लिए था, लेकिन मैं तुम्हें एक बात साफ साफ कहना चाहता हु और वो ये की मेरी खुशी बस तुम्हारे साथ है, मेरी जिंदगी, मेरी खुशी, मेरी भलाई, मेरा सब कुछ तुम हो..... सिर्फ तुम इसलिए प्लीज खुद को दोष देना बंद करो, मैं तुम्हें इस दुनिया की किसी भी चीज़ से ज़्यादा प्यार करता हूँ और मैं तभी खुश रहूँगा जब तुम खुश रहोगी" एकांश ने पूरी बात सीधे अक्षिता की आँखों में देखते हुए कही

"मैंने जरूर जिंदगी मे कुछ अच्छा काम किया होगा जो तुम मेरी जिंदगी मे आए" अक्षिता ने एकांश को देखते हुए धीमे से कहा और एकांश बस उसे देख मुस्कुराया

"मैं एक और बात कहना चाहता हूँ, उस दिन जो कुछ हुआ उसके बाद, मैं पूरी तरह बदल गया था लेकिन तुम्हारे लिए मेरा प्यार कभी कम नहीं हो पाया, हालाँकि मुझे लगता था कि मैं तुमसे नफरत करता हूँ लेकिन अंदर से मैं जानता था कि मैं तुमसे कभी नफरत कर ही नहीं सकता था और मैंने भी तुमसे प्यार करना कभी नहीं छोड़ा" कुछ देर तक दोनों एकदूजे को गले लगाये वैसे ही खड़े रहे और कुछ समय बाद

"मेरे खयाल से अब हामे चलना चाहिए" अक्षिता ने टाइम देखते हुए कहा जिसके बाद दोनों एकांश के पेरेंट्स से विदा लेकर वहा से निकल गए

******

अगले दिन सुबह, सभी लोग अस्पताल जाने के लिए तैयार हो गए थे अक्षिता के पेरेंट्स परेशान थे, जबकि एकांश अपनी भावनाएँ जाहिर नहीं होने दे रहा था और अक्षिता हर समय बस मुस्कुरा रही थी



उन्होंने सभी जरूरी चीजें पैक कर लीं थी और बस जाने के लिए रेडी थे

"कोई तुमसे मिलने आया है" एकांश अक्षिता के कमरे में आते हुए बोला

"कौन?"

"तुम खुद जाकर देख लो" एकांश ने कहा और कंधे उचकाते हुए कमरे से बाहर चला गया अब अक्षिता को भी जनन था के कौन आया था और ये देखने वो बाहर आई तो खुश होकर चिल्लाई

" रोहन! स्वरा!"

अक्षिता लिविंग रूम में अपने सबसे अच्छे दोस्तों को देखकर खुशी से बोली, उन्होंने भी अक्षिता को कस कर गले लगाया और उससे उसका हाल चाल जाना

"तुम लोग यहाँ क्या कर रहे हो?" अक्षिता ने उन दोनों से पूछा

"हम बस तुमसे मिलने आये हैं" रोहन ने कहा

"तो क्या तुम्हारा बॉस तुम लोगों पर छुट्टी लेने पर नाराज नहीं होगा, वो bhi tab जब वो खुद ऑफिस मे ना हो?" अक्षिता ने एकांश की ओर देखते हुए उसे चिढ़ाते हुए पूछा, जो उसकी बातों पर हंस पड़ा

"हमारे बॉस को कोई दिक्कत नहीं होगी क्योंकि हमारे बॉस ने ही इस सप्राइज़ का प्लान बनाया था" स्वरा ने मुस्कुराते हुए कहा जिससे अक्षिता एकांश की ओर देखने लगी

"ये अपना मुंह बंद नहीं रख सकती ना?" एकांश ने स्वरा की ओर घूरते हुए कहा रोहन से पूछा

"ये तो दिक्कत है" रोहन ने भी अपना सिर हिलाते हुए जवाब दिया और अब स्वरा रोहन को घूर रही थी

"अब क्या तुम दोनों रुककर बताओगे कि तुम यहाँ किस लिए आये हो?" एकांश ने झुंझलाकर कहा

"हाँ" रोहन और स्वरा ने एक दूसरे की ओर देखा

वो दोनों एक दूसरे का हाथ पकड़कर अक्षिता की ओर मुड़े जो उन्हें उत्सुकता से देख रही थी

"we are together" उन्होंने मुस्कुराते हुए एकसाथ कहा

अक्षिता बस हैरान होकर उन्हे देख रही थी, उसने पहले उन दोनों की तरफ देखा, फिर उनके हाथों की ओर और फिर वापिस उनकी तरफ

"oh my god! Oh my god! Oh my god!" अक्षिता ने उन दोनों को गले लगाते हुए कहा खुशी से चिल्लाते हुए कहा

"मैं तुम दोनों के लिए बहुत खुश हूँ" अक्षिता उन दोनों को देखकर मुस्कुराई

"तुम्हें पता है मैं हमेशा से चाहती थी कि तुम दोनों एक साथ रहो, कपल वाली वाइब तो थी तुममे" अक्षिता ने खुश होकर कहा बदले मे रोहन बस मुस्कुराया और स्वरा वापिस अक्षिता को गले लगा लिया

"एक सप्राइज़ अभी और बाकी है" एकांश ने अक्षिता से कहा

"क्या?"

"जानती हो अमर अभी कहाँ है?" एकांश ने पूछा

"नहीं." अक्षिता ने सोचते हुए कहा

"सो रहा होगा अपने घर पर" स्वरा ने धीमे से कहा जिसे सबने सुना जिसपर अक्षिता हँस पड़ी

"वो अभी पेरिस में है" एकांश ने कहा

"क्या? वो वहा कब गया?" अक्षिता ने पूछा

"कल ही...... वो वहाँ गया था क्योंकि श्रेया भी वही है" एकांश ने कहा

और जैसे ही अक्षिता ने ये सुना उसका चेहरा 1000 वाट के बल्ब की तरह चमक उठा

"उसने मुझे तुम्हें थैंक्स कहने के लिए कहा है , तुम्हारी वजह से ही उसे उम्मीद थी और तुम्हारी वजह से ही उसे अपनी फीलिंगस को व्यक्त करने का हौसला मिला था, वो न सिर्फ श्रेया के इम्पॉर्टन्ट दिन पर उसके साथ रहने के लिए गया है, बल्कि अपनी फीलिंगस को इसे बताने गया है" एकांश ने कहा जिसे सुन अक्षिता एकदम खुश हो गई थी

"टाइम ज़ोन की वजह से वो तुम्हें कॉल नहीं कर सका, लेकिन उसने कहा है कि वो जल्द से जल्द तुम्हें कॉल करेगा और उसने तुम्हें अपना ख्याल रखने के लिए कहा है" एकांश ने अपनी बात पूरी की

अक्षिता ये जानकर बहुत खुश हुई कि अमर ने अपने प्यार की ओर पहला कदम बढ़ा दिया था और उसे उम्मीद थी कि उसे उसका प्यार मिल जाएगा

"आज मैं बहुत खुश हूँ" अक्षिता ने वहा मौजूद सब की तरफ देखते हुए कहा

उसके माता-पिता खुश थे क्योंकि उनकी बेटी खुश थी और उसे ऐसे अच्छे दोस्त मिले थे, उन्होंने एकांश को देखा और सोचा कि वो भले मुस्कुरा रहा है लेकिन अंदर ही अंदर वो डर भी रहा था, अक्षिता के मा पापा को दुनिया के इस अंधेरे मे एकांश रोशनी की किरण नजर आ रहा था

जब उन्हें लगा था कि कुछ नहीं हो सकता, तब उन्हें एक उम्मीद मिली और वो था एकांश

जब उन्हें कोई रास्ता नहीं नजर आ रहा था तो एकांश की वजह से उन्हें रास्ता मिला था

जब उनके पास आंसू और दर्द के अलावा कुछ नहीं बचा था तो एकांश की वजह से उन्हें खुशी और मुस्कान मिली थी

जब उन्होंने अपनी बेटी को बचाने के लिए भगवान से प्रार्थना की, तो उनके पास एक देवदूत भेजा गया और वो था एकांश

अपने देवदूत को देखकर उनकी आंखों में आंसू आ गए और उन्होंने भगवान से उसकी रक्षा करने की प्रार्थना की

******

अक्षिता को जब हॉस्पिटल मे ऐड्मिट किया तब वो सभी लोग साथ मे थे

अक्षिता ने उस कमरे को देखा जिसमें उसे ऐड्मिट कराया गया था जो बहुत बड़ा और आराम दायक था और कीसी भी तरीके से अस्पताल या पैशन्ट के रूम जैसा नहीं लग रहा था, वहाँ एक बड़ा एलईडी टीवी, शानदार पर्दे, ए/सी, बुक शेल्फ और अक्षिता की सभी ज़रूरतों के सामान के साथ एक रैक थी और उसके लिए फल और नाश्ते के लिए एक साइड टेबल भी थी

अक्षिता ने उस कमरे को देख अपने मा पापा को देखा जिन्होंने कुछ नहीं कहा और बस कंधे उचकाकर वहा से चले गए और कुछ ही देर मे रोहन और स्वरा भी ऑफिस के लिए निकल गए थे

अक्षिता झल्लाकर बेड पर बैठ गई जो कीसी भी तरह से हॉस्पिटल के बेड जैसा नहीं था और तभी एकांश अंदर आया और उसने अक्षिता की तरफ देखा तक नहीं, वो कमरे में मौजूद हर चीज़ का निरीक्षण कर रहा था उसने पूरे कमरे को बहुत ध्यान से देखा कि सब कुछ सही से मौजूद है या नहीं

"अंश?" अक्षिता ने उसे पुकारा

"हा अक्षिता, ये रूम ठीक है ना? या मैं कोई दूसरा रूम बुक करूँ? मुझे लगता है कि यहाँ कुछ कमी है" एकांश ने इधर-उधर देखते हुए पूछा

"अंश?" इसबार अक्षिता ने और सख्ती से उसे आवाज दी

"हा." और आबकी बार एकांश ने उसकी ओर देखा

"ये हॉस्पिटल है अंश, तुम्हें हॉस्पिटल के रूम को होटल सुइट रूम में नहीं बदलना चाहिए था" अक्षिता ने सीरीअस टोन मे कहा

"सुइट रूम? ये कमरा किसी भी तरह से सुइट रूम जैसा नहीं है, मैं बस ये देख रहा हूँ कि जब तक तुम यहा ऐड्मिट हो तुम्हें कोई परेशानी न हो, मैं नहीं चाहता कि यहाँ धूल का एक कतरा भी घुस आए और मैं नहीं चाहता कि तुम्हें ऐसा लगे कि तुम एक पैशन्ट हो और हॉस्पिटल के कमरे में फसी हुई हो" एकांश ने कहा और अक्षिता बस उसे घूरती रही

"मुझे लगता है कि यहा कुछ और कुशन की जरूरत है और थोड़े खाने की भी" एकांश टेबल और बेड को देखने हुए कहा और तभी

"हेलो अक्षिता!" डॉक्टर ने अंदर आते हुए कहा, जिससे एकांश और अक्षिता दोनों डॉक्टर को देखने लगे, डॉक्टर ने चारों ओर कमरे मे नजर घुमा कर देखा और फ़र एकांश को घूरने लगे वही एकांश उनसे नजरे नहीं मिला रहा था

"डॉक्टर, आपने इसे कमरे मे ये सब चेंजेस करने की पर्मिशन कैसे दे दी? ये तो हॉस्पिटल के रुल्स के खिलाफ होगा न?" अक्षिता ने डॉक्टर से सवाल किया

"हाँ रूल के खिलाफ तो है, लेकिन कोई नियम तोड़ने पर ही तुला हुआ है तो क्या करे" डॉक्टर ने अब भी एकांश को देखते हुए कहा और अब अक्षिता भी सू घूरने लगी थी और एकांश बस अक्षिता को देख मुस्कुरा रहा था

"खैर अक्षिता तुम्हारे टेस्टस का टाइम हो गया है, चलो" डॉक्टर ने कमरे से बाहर जाते हुए कहा और अक्षिता भी बगैर एकांश की ओर देखा डॉक्टर के पीछे चलीगई और एकांश जो अकसजित से बात करना चाहता था वही रुक गया

कई टेस्टस के बाद, डॉक्टर ने अक्षिता को कुछ निर्देश और दवा देकर वो रूम से चले गए, अब वहा एकांश और अक्षिता ही थे

"अक्षिता यार! बात तो करो प्लीज" एकांश ने अक्षिता से कहा

"अंश, तुम्हें ये सब नहीं करना चाहिए था" अक्षिता ने एकांश की आँखों मे देखते हुए कहा

" क्यों?"

"क्या क्यों? इन सब चीजों की क्या जरूरत है बताओ मुझे?" अक्षिता ने कहा

"अरे बिल्कुल जरूरत है, इस कमरे में जो बेड पहले था वो बहुत गंदा था और मैं ये सोचना भी नहीं चाहता कि कितने लोगों ने उसका इस्तमाल किया होगा, इसलिए मैंने उसे बदल दिया, ये बुक्शेल्फ तुम्हारे लिए है ताकि जब तुम बोर हो जाओ और तुम्हारे दिमाग मे उलटे सीधे खयाल आए तो कितबे पढ़ के उस खयालों को दूर कर सकरों, इस टेबल पर सभी फ्रूइट्स हैं जो तुम्हारी सहब के लिए अच्छे है और मैंने नर्स से तुम्हें टाइम टाइम पर जूस देने भी कह दिया है" एकांश ने कहा और अक्षिता बस उसकी बात सुनती रही

"मैं चाहता हूँ कि तुम आराम से रहो, किसी थाके हुए डिप्रेस पैशन्ट की तरह नहीं, जानती हो पहले ये कमरा कैसा था? कमरे को देखकर ही लोग बीमार हो जाते.... किसी और बीमारी की ज़रूरत ही नहीं थी, मैं नहीं चाहता कि तुम इतने डिप्रेस महसूस करो, मैं नहीं चाहता कि तुम ज़बरदस्ती यह रहो, मैं तुम्हें घर जैसा महसूस कराना चाहता था, इसीलिए मैंने ये सारे बदलाव किए हैं" एकांश ने सीरीअस टोन मे कहा

अक्षिता धीरे-धीरे एकांश के पास आई और उसने अपने हाथों मे एकांश के चेहरे को थामा, वो उसकी ओर झुकी हुई, प्यार भरी निगाहों से उसे देख रही थी, उसका दिल जोरों से धडक रहा था और उसने हल्के से एकांश होठों को चूम लिया और उसे देख मुस्कुराई वही एकांश उस हल्की सी किस से ही थोड़ा शॉक मे था



और इधर अक्षिता अपने बेड पर जाकर बुक पढ़ने लगी जैसे कुछ हुआ ही न हो, एकांश का फोन बजने पर वो अपनी तंद्री से बाहर आया और फोन उठाने के लिए बाहर चला गया वही अक्षिता उसके इक्स्प्रेशन देख मुस्कुरा रही थी

एकांश ने जर्मनी में डॉक्टर से बात की, जिन्होंने उसे बताया कि वो कुछ ज़रूरी सर्जरी निपटाने के बाद दो दिन में भारत आ जाएगा, एकांश ये सुन काफी खुश था क्योंकि अब उसे कुछ उम्मीद दिख रही थी

रात को एकांश ने अक्षिता के माता-पिता को आराम करने के लिए घर भेज दिया ये कहकर वो रात को वो अक्षिता के पास रुक जाएगा

एकांश जब वापिस रूम मे आया तो उसने देखा के अक्षिता बेड पर बैठी सामने की दीवार को घूर रही थी, अक्षिता को यू देख एकांश का गला भर आया था लेकिन उसने अपने आप को संभाला और बेड की ओर चल पड़ा

उसने अपना गला साफ़ किया ताकि आवाज हो लेकिन अक्षिता ने उसे नोटिस नहीं किया फिर एकांश ने झुककर अक्षिता के गाल पर चूमा जिससे अक्षिता एकदम से चौकी और झटके से अपनी जगह से उठ खडी हुई

"एकांश! तुमने तो डरा ही दिया" अक्षिता ने चिल्लाते हुए कहा वही एकांश उसे यू देख हस रहा था

"तुम तो तब हल्का स किस देकर चली गई थी लेकिन मैं ये मौका कैसे छोड़ता.... I want more" एकांश ने कहा

"क्या!"

"I want more" एकांश ने अक्षिता के होंठों की ओर झुकते हुए कहा

"तुम बेशर्म हो, ये हॉस्पिटल है और कोई भी कभी भी यहाँ आ सकता है" अक्षिता ने एकांश को अपने से दूर हटाते हुए कहा और ठीक उसी वाक्य एक नर्स वहा आ गई और टेबल पर खाना रख चली गई

“ये क्या है? ये आधा उबला हुआ खाना मैं नहीं खाने वाली" अक्षिता ने खाने की तरफ मुंह बनाते हुए कहा

"लेकिन यही तुम्हारे लिए अभी सबसे बेस्ट है अक्षिता" एकांश ने कहना अक्षिता के पास लाते हुए कहा

"नहीं! मैं इसे नहीं खाऊँगी।" अक्षिता ने प्लेट दूर धकेलते हुए कहा

"अक्षिता प्लीज...."

"ठीक है." आखिर मे अक्षिता ने एकांश के आगे हार मानते हुए कहा और एकांश ने भी दूसरी प्लेट ली और उसके साथ ही खाना शुरू कर दिया

"तुम क्या कर रहे हो? तुम ये खाना क्यू खा रहे हो?" अक्षिता ने एकांश के हाथ से प्लेट लेते हुए कहा

"बस खाना खा रहा हु यार और मैं क्या खा रहा हूँ इससे कोई फर्क नहीं पड़ता जब तक वो तुम्हारे साथ है" एकांश ने मुस्कुराते हुए कहा

"नहीं, पैशन्ट मैं हु और मैं अपनी वजह से तुम्हें ऐसा खाना नहीं खाने दूँगी"

"मुझे बहुत भूख लगी है और रात भी हो चुकी है, और मैं अभी बाहर नहीं जाने वाला साथ मे कहा लेते है ना अक्षु" और इस बार अक्षिता ने एकांश की बात मान ली

उन्होंने बातें करते हुए और हंसते हुए खाना खत्म किया और फिर अक्षिता ने अपनी दवा ले ली और अब उसके सोने का समय हो गया था, एकांश ने अपना फोन कॉल खत्म करके टेबल पर रख दिया और देखा कि अक्षिता बुक पढ़ रही थी

"तुम्हें अब सो जाना चाहिए" एकांश ने अक्षिता के हाथ से बुक लेटे हुए कहा

"मैंने कोशिश की लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही है" अक्षिता ने कहा

"पहले तुम बेड पर पीठ टिका लो, नींद अपने आप आ जाएगी" ये कहकर एकांश ने अक्षिता को बेड पर लेटाया

"तुम कहाँ जा रहे हो?" एकांश जब जाने के लिए मुड़ा तो अक्षिता ने उसका हाथ पकड़ कर पूछा

"मैं सोफे पर सोऊँगा" एकांश ने कहा

“तुम यह बेड पर ही सो सकते हो" अक्षिता ने कहा

"नहीं, तुम्हें आराम से सोना चाहिए और मैं सोफे पर सो सकता हूँ कोई प्रॉब्लेम नहीं है" एकांश ने अक्षिता को समझाते हुए कहा

"अंश, मैं चाहती हूँ कि तुम यहा मुझे गले लगा कर मेरे बगल में सोओ" अक्षिता ने कहा और उसके इतना कहने के बाद एकांश उसे मना नहीं कर पाया

" ठीक है" ये कहकर एकांश वही अक्षिता के बगल मे बेड पर लेट गया और अक्षिता उससे चिपककर उसके सिने पर सर रखे सो गई

"गुड नाइट" एकांश ने अक्षिता के माथे को चूमते हुए कहा

"गुड नाइट"

सोने की कोशिश दोनों कर रहे थे लेकिन नींद उनकी आँखों से कोसों दूर थी

"अंश?"

" हम्म?"

"चाहे कुछ भी हो जाए, हमेशा याद रखना कि मैं तुमसे प्यार करती हूँ, और हमेशा अकरती रहूँगी, चाहे मैं रहु ना रहु" इतना कहकर अक्षिता सो गई

"मैं भी तुमसे प्यार बहुत करता हूँ अक्षिता.... and I promise you तुम्हें कुछ नहीं होगा" एकांश ने बंद आँको के साथ कहा और उसकी बंद बालकों से आँसू की एक बंद झलक पड़ी....



क्रमश:
Nice update....
 

dhparikh

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Update 51



एकांश के मुह से अपने लिए I love you सुन अक्षिता का मन भर आया था, वो बहुत समय से यही शब्द एकांश मुह से सुनना चाहती थी और आज एकांश ने वो कह दिए थे और अब वो एकांश को क्या कहर उसे सूझ नहीं रहा था वो बस अपलक उसे देखे जा रही थी और एकांश के समझ नहीं आ रहा था के अब क्या हुआ अक्षिता कुछ बोल क्यू नहीं रही

"अक्षिता, क्या हुआ?" एकांश ने चिंतित होकर पूछा

"तुमने अभी अभी क्या कहा?" अक्षिता ने आँखों मे पनि लिए मुसकुराते हुए उससे पूछा

एकांश अक्षिता की बात का मतलब समझ गया था और यही ऐसी ही कुछ फीलिंग उसके मन मे भी थी

"मैंने कहा मैं तुमसे प्यार करता हूँ" एकांश ने अक्षिता के गालों को सहलाते हुए मुस्कुराते हुए कहा

"I love you too अंश.... मैं भी तुमसे बहुत प्यार करती हूँ" उसने रोते हुए कहा

अक्षिता ने भी वो कह दिया था जिसे सुनने के लिए एकांश के कान तरस रहे थे

"आई लव यू... आई लव यू... आई लव यू... आई लव यू... आई लव यू...." अक्षिता बस शब्द दोहरा रही थी और एकांश ने उसे गले लगा लिया था

"शशशश...... सब ठीक है अक्षिता, रोना बंद करो चलो" एकांश ने कहा

"नहीं! तुम नहीं जानते कि मेरे लिए उन शब्दों का क्या मोल है, मैं तो उसी दिन मर गई थी जब मैंने तुमसे कहा था कि मैं तुमसे प्यार नहीं करती, तुम्हारे चेहरे पर दिख रही उस चोट ने मुझे मार डाला था अंश..... उसने मुझे तोड़ के रख दिया है" अक्षिता रो पड़ी थी उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे

"मैंने तुम्हारे साथ जो किया था, वो मुझे आज भी हर रात जब आँखें बंद करती हु तो तकलीफ देता है, मैंने तुम्हें जो दर्द दिया वो मेरे लिए भी किसी मौत से ज़्यादा दर्दनाक था अंश, मुझे उस दिन तुम्हारा दिल इतनी बेरहमी से तोड़ने के लिए आज भी बहुत अफसोस है, लेकिन मेरे पास कोई और रास्ता नहीं था क्योंकि मैं नहीं चाहती थी कि तुम मेरे साथ रहकर अपनी ज़िंदगी बर्बाद करो" अक्षिता ने अपनी लाल नम आँखों से एकांश को देखते हुए कहा और अक्षिता को वैसे देख एकांश के दिल मे भी टीस उठ रही थी

"मैंने हमेशा तुमसे प्यार किया है अंश, हमेशा और मेरा प्यार तुम्हारे लिए काभी कम नहीं होगा” अक्षिता ने मुसकुराते हुए कहा और एकांश ने भी मुसकुराते हुए उसके माथे को चूम लिया

"अक्षिता, तुम्हें दुखी होने की इस बारे मे परेशान होने की कोई ज़रूरत नहीं है, मैं समझता हूँ कि तुमने जो कुछ भी किया, वो मेरे लिए था, लेकिन मैं तुम्हें एक बात साफ साफ कहना चाहता हु और वो ये की मेरी खुशी बस तुम्हारे साथ है, मेरी जिंदगी, मेरी खुशी, मेरी भलाई, मेरा सब कुछ तुम हो..... सिर्फ तुम इसलिए प्लीज खुद को दोष देना बंद करो, मैं तुम्हें इस दुनिया की किसी भी चीज़ से ज़्यादा प्यार करता हूँ और मैं तभी खुश रहूँगा जब तुम खुश रहोगी" एकांश ने पूरी बात सीधे अक्षिता की आँखों में देखते हुए कही

"मैंने जरूर जिंदगी मे कुछ अच्छा काम किया होगा जो तुम मेरी जिंदगी मे आए" अक्षिता ने एकांश को देखते हुए धीमे से कहा और एकांश बस उसे देख मुस्कुराया

"मैं एक और बात कहना चाहता हूँ, उस दिन जो कुछ हुआ उसके बाद, मैं पूरी तरह बदल गया था लेकिन तुम्हारे लिए मेरा प्यार कभी कम नहीं हो पाया, हालाँकि मुझे लगता था कि मैं तुमसे नफरत करता हूँ लेकिन अंदर से मैं जानता था कि मैं तुमसे कभी नफरत कर ही नहीं सकता था और मैंने भी तुमसे प्यार करना कभी नहीं छोड़ा" कुछ देर तक दोनों एकदूजे को गले लगाये वैसे ही खड़े रहे और कुछ समय बाद

"मेरे खयाल से अब हामे चलना चाहिए" अक्षिता ने टाइम देखते हुए कहा जिसके बाद दोनों एकांश के पेरेंट्स से विदा लेकर वहा से निकल गए

******

अगले दिन सुबह, सभी लोग अस्पताल जाने के लिए तैयार हो गए थे अक्षिता के पेरेंट्स परेशान थे, जबकि एकांश अपनी भावनाएँ जाहिर नहीं होने दे रहा था और अक्षिता हर समय बस मुस्कुरा रही थी



उन्होंने सभी जरूरी चीजें पैक कर लीं थी और बस जाने के लिए रेडी थे

"कोई तुमसे मिलने आया है" एकांश अक्षिता के कमरे में आते हुए बोला

"कौन?"

"तुम खुद जाकर देख लो" एकांश ने कहा और कंधे उचकाते हुए कमरे से बाहर चला गया अब अक्षिता को भी जनन था के कौन आया था और ये देखने वो बाहर आई तो खुश होकर चिल्लाई

" रोहन! स्वरा!"

अक्षिता लिविंग रूम में अपने सबसे अच्छे दोस्तों को देखकर खुशी से बोली, उन्होंने भी अक्षिता को कस कर गले लगाया और उससे उसका हाल चाल जाना

"तुम लोग यहाँ क्या कर रहे हो?" अक्षिता ने उन दोनों से पूछा

"हम बस तुमसे मिलने आये हैं" रोहन ने कहा

"तो क्या तुम्हारा बॉस तुम लोगों पर छुट्टी लेने पर नाराज नहीं होगा, वो bhi tab जब वो खुद ऑफिस मे ना हो?" अक्षिता ने एकांश की ओर देखते हुए उसे चिढ़ाते हुए पूछा, जो उसकी बातों पर हंस पड़ा

"हमारे बॉस को कोई दिक्कत नहीं होगी क्योंकि हमारे बॉस ने ही इस सप्राइज़ का प्लान बनाया था" स्वरा ने मुस्कुराते हुए कहा जिससे अक्षिता एकांश की ओर देखने लगी

"ये अपना मुंह बंद नहीं रख सकती ना?" एकांश ने स्वरा की ओर घूरते हुए कहा रोहन से पूछा

"ये तो दिक्कत है" रोहन ने भी अपना सिर हिलाते हुए जवाब दिया और अब स्वरा रोहन को घूर रही थी

"अब क्या तुम दोनों रुककर बताओगे कि तुम यहाँ किस लिए आये हो?" एकांश ने झुंझलाकर कहा

"हाँ" रोहन और स्वरा ने एक दूसरे की ओर देखा

वो दोनों एक दूसरे का हाथ पकड़कर अक्षिता की ओर मुड़े जो उन्हें उत्सुकता से देख रही थी

"we are together" उन्होंने मुस्कुराते हुए एकसाथ कहा

अक्षिता बस हैरान होकर उन्हे देख रही थी, उसने पहले उन दोनों की तरफ देखा, फिर उनके हाथों की ओर और फिर वापिस उनकी तरफ

"oh my god! Oh my god! Oh my god!" अक्षिता ने उन दोनों को गले लगाते हुए कहा खुशी से चिल्लाते हुए कहा

"मैं तुम दोनों के लिए बहुत खुश हूँ" अक्षिता उन दोनों को देखकर मुस्कुराई

"तुम्हें पता है मैं हमेशा से चाहती थी कि तुम दोनों एक साथ रहो, कपल वाली वाइब तो थी तुममे" अक्षिता ने खुश होकर कहा बदले मे रोहन बस मुस्कुराया और स्वरा वापिस अक्षिता को गले लगा लिया

"एक सप्राइज़ अभी और बाकी है" एकांश ने अक्षिता से कहा

"क्या?"

"जानती हो अमर अभी कहाँ है?" एकांश ने पूछा

"नहीं." अक्षिता ने सोचते हुए कहा

"सो रहा होगा अपने घर पर" स्वरा ने धीमे से कहा जिसे सबने सुना जिसपर अक्षिता हँस पड़ी

"वो अभी पेरिस में है" एकांश ने कहा

"क्या? वो वहा कब गया?" अक्षिता ने पूछा

"कल ही...... वो वहाँ गया था क्योंकि श्रेया भी वही है" एकांश ने कहा

और जैसे ही अक्षिता ने ये सुना उसका चेहरा 1000 वाट के बल्ब की तरह चमक उठा

"उसने मुझे तुम्हें थैंक्स कहने के लिए कहा है , तुम्हारी वजह से ही उसे उम्मीद थी और तुम्हारी वजह से ही उसे अपनी फीलिंगस को व्यक्त करने का हौसला मिला था, वो न सिर्फ श्रेया के इम्पॉर्टन्ट दिन पर उसके साथ रहने के लिए गया है, बल्कि अपनी फीलिंगस को इसे बताने गया है" एकांश ने कहा जिसे सुन अक्षिता एकदम खुश हो गई थी

"टाइम ज़ोन की वजह से वो तुम्हें कॉल नहीं कर सका, लेकिन उसने कहा है कि वो जल्द से जल्द तुम्हें कॉल करेगा और उसने तुम्हें अपना ख्याल रखने के लिए कहा है" एकांश ने अपनी बात पूरी की

अक्षिता ये जानकर बहुत खुश हुई कि अमर ने अपने प्यार की ओर पहला कदम बढ़ा दिया था और उसे उम्मीद थी कि उसे उसका प्यार मिल जाएगा

"आज मैं बहुत खुश हूँ" अक्षिता ने वहा मौजूद सब की तरफ देखते हुए कहा

उसके माता-पिता खुश थे क्योंकि उनकी बेटी खुश थी और उसे ऐसे अच्छे दोस्त मिले थे, उन्होंने एकांश को देखा और सोचा कि वो भले मुस्कुरा रहा है लेकिन अंदर ही अंदर वो डर भी रहा था, अक्षिता के मा पापा को दुनिया के इस अंधेरे मे एकांश रोशनी की किरण नजर आ रहा था

जब उन्हें लगा था कि कुछ नहीं हो सकता, तब उन्हें एक उम्मीद मिली और वो था एकांश

जब उन्हें कोई रास्ता नहीं नजर आ रहा था तो एकांश की वजह से उन्हें रास्ता मिला था

जब उनके पास आंसू और दर्द के अलावा कुछ नहीं बचा था तो एकांश की वजह से उन्हें खुशी और मुस्कान मिली थी

जब उन्होंने अपनी बेटी को बचाने के लिए भगवान से प्रार्थना की, तो उनके पास एक देवदूत भेजा गया और वो था एकांश

अपने देवदूत को देखकर उनकी आंखों में आंसू आ गए और उन्होंने भगवान से उसकी रक्षा करने की प्रार्थना की

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अक्षिता को जब हॉस्पिटल मे ऐड्मिट किया तब वो सभी लोग साथ मे थे

अक्षिता ने उस कमरे को देखा जिसमें उसे ऐड्मिट कराया गया था जो बहुत बड़ा और आराम दायक था और कीसी भी तरीके से अस्पताल या पैशन्ट के रूम जैसा नहीं लग रहा था, वहाँ एक बड़ा एलईडी टीवी, शानदार पर्दे, ए/सी, बुक शेल्फ और अक्षिता की सभी ज़रूरतों के सामान के साथ एक रैक थी और उसके लिए फल और नाश्ते के लिए एक साइड टेबल भी थी

अक्षिता ने उस कमरे को देख अपने मा पापा को देखा जिन्होंने कुछ नहीं कहा और बस कंधे उचकाकर वहा से चले गए और कुछ ही देर मे रोहन और स्वरा भी ऑफिस के लिए निकल गए थे

अक्षिता झल्लाकर बेड पर बैठ गई जो कीसी भी तरह से हॉस्पिटल के बेड जैसा नहीं था और तभी एकांश अंदर आया और उसने अक्षिता की तरफ देखा तक नहीं, वो कमरे में मौजूद हर चीज़ का निरीक्षण कर रहा था उसने पूरे कमरे को बहुत ध्यान से देखा कि सब कुछ सही से मौजूद है या नहीं

"अंश?" अक्षिता ने उसे पुकारा

"हा अक्षिता, ये रूम ठीक है ना? या मैं कोई दूसरा रूम बुक करूँ? मुझे लगता है कि यहाँ कुछ कमी है" एकांश ने इधर-उधर देखते हुए पूछा

"अंश?" इसबार अक्षिता ने और सख्ती से उसे आवाज दी

"हा." और आबकी बार एकांश ने उसकी ओर देखा

"ये हॉस्पिटल है अंश, तुम्हें हॉस्पिटल के रूम को होटल सुइट रूम में नहीं बदलना चाहिए था" अक्षिता ने सीरीअस टोन मे कहा

"सुइट रूम? ये कमरा किसी भी तरह से सुइट रूम जैसा नहीं है, मैं बस ये देख रहा हूँ कि जब तक तुम यहा ऐड्मिट हो तुम्हें कोई परेशानी न हो, मैं नहीं चाहता कि यहाँ धूल का एक कतरा भी घुस आए और मैं नहीं चाहता कि तुम्हें ऐसा लगे कि तुम एक पैशन्ट हो और हॉस्पिटल के कमरे में फसी हुई हो" एकांश ने कहा और अक्षिता बस उसे घूरती रही

"मुझे लगता है कि यहा कुछ और कुशन की जरूरत है और थोड़े खाने की भी" एकांश टेबल और बेड को देखने हुए कहा और तभी

"हेलो अक्षिता!" डॉक्टर ने अंदर आते हुए कहा, जिससे एकांश और अक्षिता दोनों डॉक्टर को देखने लगे, डॉक्टर ने चारों ओर कमरे मे नजर घुमा कर देखा और फ़र एकांश को घूरने लगे वही एकांश उनसे नजरे नहीं मिला रहा था

"डॉक्टर, आपने इसे कमरे मे ये सब चेंजेस करने की पर्मिशन कैसे दे दी? ये तो हॉस्पिटल के रुल्स के खिलाफ होगा न?" अक्षिता ने डॉक्टर से सवाल किया

"हाँ रूल के खिलाफ तो है, लेकिन कोई नियम तोड़ने पर ही तुला हुआ है तो क्या करे" डॉक्टर ने अब भी एकांश को देखते हुए कहा और अब अक्षिता भी सू घूरने लगी थी और एकांश बस अक्षिता को देख मुस्कुरा रहा था

"खैर अक्षिता तुम्हारे टेस्टस का टाइम हो गया है, चलो" डॉक्टर ने कमरे से बाहर जाते हुए कहा और अक्षिता भी बगैर एकांश की ओर देखा डॉक्टर के पीछे चलीगई और एकांश जो अकसजित से बात करना चाहता था वही रुक गया

कई टेस्टस के बाद, डॉक्टर ने अक्षिता को कुछ निर्देश और दवा देकर वो रूम से चले गए, अब वहा एकांश और अक्षिता ही थे

"अक्षिता यार! बात तो करो प्लीज" एकांश ने अक्षिता से कहा

"अंश, तुम्हें ये सब नहीं करना चाहिए था" अक्षिता ने एकांश की आँखों मे देखते हुए कहा

" क्यों?"

"क्या क्यों? इन सब चीजों की क्या जरूरत है बताओ मुझे?" अक्षिता ने कहा

"अरे बिल्कुल जरूरत है, इस कमरे में जो बेड पहले था वो बहुत गंदा था और मैं ये सोचना भी नहीं चाहता कि कितने लोगों ने उसका इस्तमाल किया होगा, इसलिए मैंने उसे बदल दिया, ये बुक्शेल्फ तुम्हारे लिए है ताकि जब तुम बोर हो जाओ और तुम्हारे दिमाग मे उलटे सीधे खयाल आए तो कितबे पढ़ के उस खयालों को दूर कर सकरों, इस टेबल पर सभी फ्रूइट्स हैं जो तुम्हारी सहब के लिए अच्छे है और मैंने नर्स से तुम्हें टाइम टाइम पर जूस देने भी कह दिया है" एकांश ने कहा और अक्षिता बस उसकी बात सुनती रही

"मैं चाहता हूँ कि तुम आराम से रहो, किसी थाके हुए डिप्रेस पैशन्ट की तरह नहीं, जानती हो पहले ये कमरा कैसा था? कमरे को देखकर ही लोग बीमार हो जाते.... किसी और बीमारी की ज़रूरत ही नहीं थी, मैं नहीं चाहता कि तुम इतने डिप्रेस महसूस करो, मैं नहीं चाहता कि तुम ज़बरदस्ती यह रहो, मैं तुम्हें घर जैसा महसूस कराना चाहता था, इसीलिए मैंने ये सारे बदलाव किए हैं" एकांश ने सीरीअस टोन मे कहा

अक्षिता धीरे-धीरे एकांश के पास आई और उसने अपने हाथों मे एकांश के चेहरे को थामा, वो उसकी ओर झुकी हुई, प्यार भरी निगाहों से उसे देख रही थी, उसका दिल जोरों से धडक रहा था और उसने हल्के से एकांश होठों को चूम लिया और उसे देख मुस्कुराई वही एकांश उस हल्की सी किस से ही थोड़ा शॉक मे था



और इधर अक्षिता अपने बेड पर जाकर बुक पढ़ने लगी जैसे कुछ हुआ ही न हो, एकांश का फोन बजने पर वो अपनी तंद्री से बाहर आया और फोन उठाने के लिए बाहर चला गया वही अक्षिता उसके इक्स्प्रेशन देख मुस्कुरा रही थी

एकांश ने जर्मनी में डॉक्टर से बात की, जिन्होंने उसे बताया कि वो कुछ ज़रूरी सर्जरी निपटाने के बाद दो दिन में भारत आ जाएगा, एकांश ये सुन काफी खुश था क्योंकि अब उसे कुछ उम्मीद दिख रही थी

रात को एकांश ने अक्षिता के माता-पिता को आराम करने के लिए घर भेज दिया ये कहकर वो रात को वो अक्षिता के पास रुक जाएगा

एकांश जब वापिस रूम मे आया तो उसने देखा के अक्षिता बेड पर बैठी सामने की दीवार को घूर रही थी, अक्षिता को यू देख एकांश का गला भर आया था लेकिन उसने अपने आप को संभाला और बेड की ओर चल पड़ा

उसने अपना गला साफ़ किया ताकि आवाज हो लेकिन अक्षिता ने उसे नोटिस नहीं किया फिर एकांश ने झुककर अक्षिता के गाल पर चूमा जिससे अक्षिता एकदम से चौकी और झटके से अपनी जगह से उठ खडी हुई

"एकांश! तुमने तो डरा ही दिया" अक्षिता ने चिल्लाते हुए कहा वही एकांश उसे यू देख हस रहा था

"तुम तो तब हल्का स किस देकर चली गई थी लेकिन मैं ये मौका कैसे छोड़ता.... I want more" एकांश ने कहा

"क्या!"

"I want more" एकांश ने अक्षिता के होंठों की ओर झुकते हुए कहा

"तुम बेशर्म हो, ये हॉस्पिटल है और कोई भी कभी भी यहाँ आ सकता है" अक्षिता ने एकांश को अपने से दूर हटाते हुए कहा और ठीक उसी वाक्य एक नर्स वहा आ गई और टेबल पर खाना रख चली गई

“ये क्या है? ये आधा उबला हुआ खाना मैं नहीं खाने वाली" अक्षिता ने खाने की तरफ मुंह बनाते हुए कहा

"लेकिन यही तुम्हारे लिए अभी सबसे बेस्ट है अक्षिता" एकांश ने कहना अक्षिता के पास लाते हुए कहा

"नहीं! मैं इसे नहीं खाऊँगी।" अक्षिता ने प्लेट दूर धकेलते हुए कहा

"अक्षिता प्लीज...."

"ठीक है." आखिर मे अक्षिता ने एकांश के आगे हार मानते हुए कहा और एकांश ने भी दूसरी प्लेट ली और उसके साथ ही खाना शुरू कर दिया

"तुम क्या कर रहे हो? तुम ये खाना क्यू खा रहे हो?" अक्षिता ने एकांश के हाथ से प्लेट लेते हुए कहा

"बस खाना खा रहा हु यार और मैं क्या खा रहा हूँ इससे कोई फर्क नहीं पड़ता जब तक वो तुम्हारे साथ है" एकांश ने मुस्कुराते हुए कहा

"नहीं, पैशन्ट मैं हु और मैं अपनी वजह से तुम्हें ऐसा खाना नहीं खाने दूँगी"

"मुझे बहुत भूख लगी है और रात भी हो चुकी है, और मैं अभी बाहर नहीं जाने वाला साथ मे कहा लेते है ना अक्षु" और इस बार अक्षिता ने एकांश की बात मान ली

उन्होंने बातें करते हुए और हंसते हुए खाना खत्म किया और फिर अक्षिता ने अपनी दवा ले ली और अब उसके सोने का समय हो गया था, एकांश ने अपना फोन कॉल खत्म करके टेबल पर रख दिया और देखा कि अक्षिता बुक पढ़ रही थी

"तुम्हें अब सो जाना चाहिए" एकांश ने अक्षिता के हाथ से बुक लेटे हुए कहा

"मैंने कोशिश की लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही है" अक्षिता ने कहा

"पहले तुम बेड पर पीठ टिका लो, नींद अपने आप आ जाएगी" ये कहकर एकांश ने अक्षिता को बेड पर लेटाया

"तुम कहाँ जा रहे हो?" एकांश जब जाने के लिए मुड़ा तो अक्षिता ने उसका हाथ पकड़ कर पूछा

"मैं सोफे पर सोऊँगा" एकांश ने कहा

“तुम यह बेड पर ही सो सकते हो" अक्षिता ने कहा

"नहीं, तुम्हें आराम से सोना चाहिए और मैं सोफे पर सो सकता हूँ कोई प्रॉब्लेम नहीं है" एकांश ने अक्षिता को समझाते हुए कहा

"अंश, मैं चाहती हूँ कि तुम यहा मुझे गले लगा कर मेरे बगल में सोओ" अक्षिता ने कहा और उसके इतना कहने के बाद एकांश उसे मना नहीं कर पाया

" ठीक है" ये कहकर एकांश वही अक्षिता के बगल मे बेड पर लेट गया और अक्षिता उससे चिपककर उसके सिने पर सर रखे सो गई

"गुड नाइट" एकांश ने अक्षिता के माथे को चूमते हुए कहा

"गुड नाइट"

सोने की कोशिश दोनों कर रहे थे लेकिन नींद उनकी आँखों से कोसों दूर थी

"अंश?"

" हम्म?"

"चाहे कुछ भी हो जाए, हमेशा याद रखना कि मैं तुमसे प्यार करती हूँ, और हमेशा अकरती रहूँगी, चाहे मैं रहु ना रहु" इतना कहकर अक्षिता सो गई

"मैं भी तुमसे प्यार बहुत करता हूँ अक्षिता.... and I promise you तुम्हें कुछ नहीं होगा" एकांश ने बंद आँको के साथ कहा और उसकी बंद बालकों से आँसू की एक बंद झलक पड़ी....



क्रमश:
Nice update....
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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259
Update 48



"मिस्ड मि?"

"तुम!!"

अक्षिता ने जैसे ही दरवाजा खोला वो अपने सामने खड़े शक्स को देख चौकी

"आई थिंक तुमने मुझे बहुत ज्यादा मिस किया" दरवाजे पर खड़े बंदे ने अक्षिता की ओर मुस्कुराकर देखते हुए कहा

"नहीं" अक्षिता अचानक सीधे सीधे बोली और ये सुन उस बंदे की मुस्कुराहट गायब हो गई और वो एकटक अक्षिता को देखने लगा

"तुम इस वक्त यहाँ क्या कर रहे हो?" अक्षिता ने उस बंदे से पूछा जो अब भी दरवाजे पर ही खड़ा था वही उस बंदे की नजर उसके पीले चेहरे और थकी हुई आंखो पे पड़ी

"मैं बस तुमसे मिलने आया था।" उस बंदे ने कहा और अक्षिता गौर से देखा

"इस वक्त?" अक्षिता ने वापिस उस बंदे को घूरते हुए पूछा

"हाँ, उसमे क्या है" उसने कहा और घर में चला आया वही अक्षिता बस उसे देखती रही

वो बंदा सीधा घर में आया और डाइनिंग टेबल के पास गया और उसने वहा रखी सेब उठाई और खाने लगा और खाते खाते ही आकर सोफे पर बैठ गया वही अक्षिता बस उसे देखती रही और फिर वो भी उसके सामने सोफे पर बैठ गई

"तुम यहा क्या कर रहे ही तुम्हें तो उसके साथ होना चाहिए था" अक्षिता ने उस बंदे की ओर देखते हुए कहा

"हाँ पता है और मैं उसके साथ ही था, लेकिन मुझे कुछ ज़रूरी काम आगया था इसलिए मुझे जल्दी वापस आना पड़ा" उस बंदे ने कहा जैसी अक्षिता चुप रही

"तुम मुझसे एक वादा करोगी?" उसने अचानक से अक्षिता से पूछा जिसपर अक्षिता चौकी

"क्या?" अक्षिता ने पूछा

"प्लीज दोबारा एकांश का साथ मत छोड़ना तुम नही जानती तुम्हारे बगैर उसका क्या हाल था" अमर ने अक्षिता की ओर देखते हुए कहा

"अमर मैं...." अक्षिता से आगे कुछ बोला ही नही गया वो ये वादा कैसे।कर सकती थी जबकि को तो अपने जीवन की सच्चाई जानती थी, वो ये भी नही जानती थी के अगले ही पल उसके साथ क्या होगा, यही सोचते हुए अक्षिता की आंखे वापिस भर आई थी और उसने आँसू भरी आँखों से उसकी ओर देखा

"मुझे पता है कुछ तो है जो तुम्हें वादा करने से रोक रहा है और मैं तुमसे नहीं पूछूंगा कि वो क्या बात है, लेकिन अब उससे फिर से दूर मत भागना, वो इस बार बर्दाश्त नहीं कर पाएगा अक्षिता" अमर ने अपनी आँखों में आँसू भरकर कहा और अक्षिता ने नीचे देखते हुए बस अपना सिर हिला दिया

अक्षिता ने अमर की ओर देखा, उसके चेहरे को देखा जिसपर थोड़ी हताशा थी और आंखो में सुनापन लिए वो सामने की कर देख रहा था

"तुम किसी से प्यार करते हो ना" अक्षिता ने पूछा और अमर ने चौंककर उसे देखा

"क्या? नहीं!" अमर ने एकदम से कहा जिसपर अक्षिता हस दी

"तुम्हारे चेहरे पर जो ये एक्सप्रेशंस है ना मिस्टर मैं उसे अच्छे से समझती हु, समझे" अक्षिता ने कहा और अमर से एक लंबी सास छोड़ी और फिर बोला

"मैं उससे प्यार तो करता हूँ, लेकिन वो अपने करियर से प्यार करती है, मैं चाहता हूँ कि वो मेरे साथ रहे, लेकिन वो पूरी दुनिया घूमना चाहती है, मैं उसके साथ घूमने के लिए भी तैयार हूँ, लेकिन वो किसी के साथ रहने के लिए तैयार नहीं है...... और बस यही कहानी है जो यहीं खत्म होती है" अमर ने कहा

पहली बार अक्षिता को अमर की आवाज़ में उदासी और शब्दों में दर्द महसूस हुआ था

"तुमने अपनी फीलिंग्स उसे बताई?" अक्षिता ने पूछा

"नहीं" अमर ने धीमे से कहा

"और ये क्यों?"

"मैं उसे और उसकी प्रायोरिटीज को जानता हु अक्षिता और अगर मैंने उसे अपनी फीलिंग्स बता दी तो वो इसे कभी एक्सेप्ट नही करेगी और शायद फिर मैं उसकी दोस्ती भी खो बैठु" अमर ने दुखी होकर कहा

"लेकिन वो लड़की है कौन?" अक्षिता ने आखिर में मेन सवाल किया

"तुम जानती हो उसे" अमर ने अक्षिता की ओर देखते हुए कहा जिससे अब अक्षिता की भी उत्सुकता बढ़ने लगी थी

"क्या! वो कौन है?"

"श्रेया" उसने कहा.

फिर अक्षिता ने उन सभी श्रेया के बारे मे सोच जिन्हे वो जानती थी और उसकी आँखों के सामने बस एक ही चेहरा घूमने लगा और जब उसे ध्यान आया के अमर किस श्रेय की बात कर रहा था तो उसने चौक कर अमर को देखा

"तुम्हारा मतलब है.... श्रेया मेहता?" उसने मुस्कुराते हुए पूछा जिसपर अमर ने बस हा मे गर्दन हिला दी

"गजब! पर तुम्हें उससे अपने दिल की बात कहनी तो चाहिए मुझे नहीं लगता वो तुम्हें ना करेगी?" अक्षिता ने कहा

"उसके पास इन सबके लिए समय नहीं है, वो सिर्फ अपने काम पर फोकस करना चाहती है" अमर ने उदास होकर कहा जिसपर अक्षिता बस चुप रही

"खैर मैनचलता हु बस तुमसे मिलने का मन किया था तो आ गया था" अमर ने कहा और उठ खड़ा हुआ

"इतना लेट हो गया है कहा जाओगे एकांश के कमरे में जाकर सो जाओ" अक्षिता ने कहा

"नहीं, ठीक है। चिंता मत करो...." अमर ने कहा लेकिन जब उसने देखा के अक्षिता उसे घूर के देख रही थी वो वो बोलते बोलते चुप हो गया

"उसका कमरा कहाँ है?" आखिर मे अक्षिता के आगे हार मानते हुए अमर बोला

"ऊपर" अक्षिता ने कहा और अमर एकांश के कमरे की ओर बढ़ गया वही अक्षिता भी एकांश के बारे मे सोचते हुए सो गई

******

सुबह भी जब अमर जाना चाहता था तो अक्षिता की मा ने उसे नाश्ते के लिए रोक लिया जिसके बाद अमर ने उन सभी के साथ नाश्ता किया और जब वो जा रहा था तब

"तुम्हें उसे अपनी फीलिंग बतानी चाहिए" अक्षिता ने अपनी कार की ओर जाते अमर से कहा जिससे अमर थोड़ा रुक और अक्षिता ने आगे बोलना शुरू किया

"तुम्हें पता है कि हर लड़की बचपन से ही अपने राजकुमार का सपना देखती है, हर लड़की एक ऐसा लड़का ऐसा इंसान चाहती है जो उससे प्यार करे और उसका ख्याल रखे, हर लड़की एक ऐसे आदमी के साथ खुश रहने का सपना देखती है जिससे वो प्यार करती है" अक्षिता बोल रही थी और अमर सुन रहा था

"शायद वो भी अपने राजकुमार का इंतज़ार कर रही हो, शायद वो अपने मिस्टर राइट का इंतज़ार कर रही हो, शायद वो इस सब दिलचस्पी इसीलिए नहीं रखती क्योंकि वो अभी तब उस सही इंसान से मिली ही नहीं है" अक्षिता ने कहा

"और हो सकता है तुम उसे अपनी फीलिंगस बताओ तो वो तुम्हारे बारे मे सोचना शुरू करे, शायद वो तुममे अपना राजकुमार देख सके और हो सकता है उसे तुममे अपना मिस्टर राइट दिखे" अक्षिता ने हर शब्द को ध्यान से कहा एक पाज़िटिव अप्रोच के साथ जिसने अमर के दिल मे भी एक खुशी की उम्मीद की किरण जगाई

"मेरे अंदर होप जगाने के लिए थैंक्स" अमर ने अक्षिता को गले लगाते हुए कहा जिसके बाद वो उससे विदा लेकर वहा से निकल गया जब अक्षिता उसकी नजरों से दूर अपने घर मे चली गई अमर ने अपना फोन निकाला और एक नंबर डाइल किया और जब सामने से कॉल रीसीव हुआ तब वो भारी मन से बोला

"you need to come back soon, हमारे पास ज्यादा वक्त नहीं है"

******

अक्षिता ने अपने हाथ मे रखी बुक को मुस्कुरा कर देखा

वो उस बुक में कुछ लिख रही थी और लिखते समय वो लगातार मुस्कुरा रही थी

और अचानक, उसकी वो मुस्कान जैसे गायब हो गई और वो कुछ सोचते हुए शून्य में देखने लगी और उसकी आँख से एक आँसू बह निकला

अक्षिता ने अपने सभी विचारों दिमाग से हटाते हुए अपना सिर हिलाया और फिर से लिखना शुरू कीया, लेकिन उसके आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे, वो अपने आंसू पोंछने की परवाह नहीं कर रही थी और लिखती जा रही थी

और आखिर मे उसने जोर से आह भरते हुए किताब बंद की और एकांश के बारे में सोचने लगी, उसे दो दिन पहले ही भारत वापस आ जाना चाहिए था, लेकिन वो नहीं आया था और उसने उससे बस इतना कहा था कि कोई महत्वपूर्ण काम उसके हाथ लग गया है

एकांश ने उससे कहा कि वो 3-4 दिन में आ जाएगा जिसपर अक्षिता ने भी उससे कुछ नहीं कहा था, लेकिन उसके अंदर का डर बहुत बढ़ गया था वो किताब को साइन से लागए ही सो गयी

दूसरी तरफ़, अक्षिता के माता-पिता बहुत चिंतित थे क्योंकि अक्षिता डॉक्टर के पास जाने के लिए राज़ी ही नहीं थी जब उन्होंने उसे डॉक्टर के पास ले जाने के लिए मजबूर किया, तो वो उन पर चिल्लाने लगी और उसने खुद को अपने कमरे में बंद कर लिया

उसके पेरेंट्स उसके व्यवहार से हैरान थे क्योंकि अक्षिता ने काभी ऐसे बर्ताव नहीं किया था उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि उसके साथ क्या हो रहा है और जब उन्होंने एकांश से इस बारे में बात की, तो उसने उन्हें बताया कि वो जल्द ही वापस आ रहा है और फिर सब ठीक हो जाएगा

******

डोरबेल की आवाज से अक्षिता की गहरी नींद मे खलल पड़ा था और उसने समय देखा तो अपनी भौंहें सिकोड़ लीं, क्योंकि रात के दस बज रहे थे और उसे आश्चर्य हुआ कि लोग उसके घर पर घंटी बजाते क्यों आते हैं, वो भी रात में ही

वो आह भरकर लिविंग रूम में आई उसे फिर इस बात पर आश्चर्य हुआ कि उसके माता-पिता कभी भी दरवाज़े की घंटी बजने पर क्यों नहीं उठते लेकिन फिर उसने जैसे ही दरवाजा खोला तो सामने खड़े व्यक्ति को देख खुशी से उछल पड़ी

"अंश” उसने एकांश को ऊपर से नीचे तक देखते हुए धीमे से कहा, उसे अब भी यकीन नहीं हो रहा था के एकांश सही मे वहा था

"अक्षिता.." एकांश भी अक्षिता को देख उतना ही खुश था और उसकी आँखों में भी आँसू थे

और तभी अक्षिता को ये एहसास हुआ कि वो सपना नहीं देख रही थी और एक कदम उसकी ओर बढ़ाते हुए उसने उसे कसकर गले लगा लिया

वो उसकी बाहों में रो रही थी और उसे छोड़ने को तैयार नहीं थी, एकांश खुद भी रो रहा था क्योंकि उसे भी अक्षिता की बहुत याद आई थी

"I missed you so much" एकांश ने धीमे से उसके काम मे कहा वही अक्षिता ने उसे और भी कस कर पकड़ लिया

और कुछ पल वैसे ही रहने के बाद अक्षिता ने खुद को उससे दूर किया और उसके पूरे चेहरे को चूमने लगी वही एकांश ने भी झुककर हल्के से अक्षिता के होठों को चूमा जिससे वो आँसूओ के साथ साथ मुस्कुराई फिर से उसने एकांश को कसकर गले लगाया और रो पड़ी क्योंकि उसे लगा था कि वो उसे देखे बिना ही मर जाएगी।

"शशश..... मैं यही हु तुम्हारे साथ..... अब रोना बंद करो" एकांश ने धीरे से अक्षिता की पीठ सहलाते हुए कहा

"मुझे डर लग रहा है अंश..... मैं..... मैं...." वो बोल नहीं पा रही थी

"कोई बात नहीं..... मैं हूँ ना..... अब सब ठीक हो जाएगा" एकांश ने अक्षिता को आश्वस्त करते हुए कहा

वो दोनों कुछ देर तक एक दूसरे को गले लगाए ऐसे ही बैठे रहे

"अब तुम जाकर सो जाओ, हम कल सुबह बात करेंगे" एकांश ने अक्षिता के आँसू पोंछते हुए कहा

लेकिन अक्षिता ने उसे जाने देने से मना कर दिया

"just stay with me..... please" अक्षिता ने एकांश के शर्ट को पकड़ते हुए कहा

" लेकिन....."

" प्लीज....."

और फी एकांश ने बगैर एक पल की देरी कीये अक्षिता को बाहर की ओर खिचा और दरवाजा बंद कर एक झटके मे उसे अपनी बाहों मे उठा लिया और अपने कमरे मे ले गया वही अक्षिता पूरे समय बगाऊर पलके झपकाए उसे देखती रही मानो उसने आंखे बंद की तो कही एकांश गायब ना हो जाए, अपने कमरे मे आकार एकांश ने अक्षिता को बेड पर सुलाया और खुद फ्रेश होने चला गया और जबतक वो बाहर आया अक्षिता सो चुकी थी, एकांश ने उसके पीले पड़े चेहरे और कमजोर शरीर की ओर देखा, अक्षिता की हालत एकांश का भी दिल दुख रहा था, उसने उसके माथे को चूमा और फिर उसे एक कंबल से धक दिया

एकांश फिर अपने कमरे से निकला और नीचे आया जहा अक्षिता के पेरेंट्स उसका इंतजार कर रहे थे

"उस डॉक्टर ने क्या कहा बेटा?" सरिताजी ने चिंतित होकर पूछा

"मैं उनसे मिला और अक्षिता की हालत के बारे में बताया, उन्होंने कहा है कि उन्होंने पहले भी इस तरह का ऑपरेशन किया था और वो सफल रहा था" एकांश ने रुककर उनकी तरफ देखा और उनके चेहरों पर उम्मीद की एक किरण देखी

"डैड के दोस्त उन्हें पहले से ही जानते थे, इसलिए उन्हें यहा इंडिया आने के लिए मनाना थोड़ा आसान था, उन्होंने मुझे कुछ और सिम्प्टम भी बताए है और कहा है कि जब हम उन्हें अक्षिता मे देखे तो हमें उसे तुरंत अस्पताल में भर्ती कराना होगा और डॉक्टर यहाँ बुला लेना होगा" एकांश मे बात खतम की वही अक्षिता के पेरेंट्स ये काम कर खुश थे के वो डॉक्टर अक्षिता के लिए भारत आने को राजी हो गया था

"वीडियो कॉल पर जब मैंने उसकी हालत देखी तो मैं समझ गया था के मामला और खराब हो रहा है, इसलिए मैंने अमर को यहाँ भेजा था ताकि वो उसके सिम्प्टम देख सके और मुझे बता सके, आप लोगों ने जो सिम्प्टम मुझे बताए थे और अमर ने जो सिम्प्टम पहचाने, वे बिल्कुल वही थे जो डॉक्टर ने हमें बताए थे, अमर ने तुरंत मुझे फ़ोन किया और कहा कि वापस आ जाओ ताकि हम उसका इलाज शुरू कर सकें" एकांश ने कहा

"मैं 2 दिन पहले ही वापस आ जाता, लेकिन मुझे डॉक्टर से एक बार और बात करनी थी और अक्षिता की हालत के बारे में बताने के लिए रुकना पड़ा, उन्होंने ही मुझे जल्द से जल्द इंडिया वापस जाने और उसे जल्द से जल्द अस्पताल में भर्ती कराने के लिए कहा" एकांश ने भीगी पलको के साथ कहा और सारी बात सुन सरिता जी अपने पति के गले लगकर रो पड़ी

"क्या ऑपरेशन के बाद वो ठीक हो जाएगी?" अक्षिता के पिता ने डरते हुए पूछा जिसपर एकांश चुप रहा और इससे अक्षीता के पेरेंट्स और भी चिंतित हो गए

"हम अभी इस बारे में कुछ नहीं कह सकते लेकिन हमें उसे तुरंत अस्पताल में भर्ती कराना होगा क्योंकि आंटी आपने कहा था कि आजकल उसे चक्कर बहुत ज्यादा आ रहे है जो की ठीक नहीं है, और सबसे बड़ी बात ये है कि उसका सर कुछ यू धडक रहा होगा जैसे कोई हथोड़ा मार रहा हो और काफी दर्द भी हो रहा होता क्या उसने इस बारे में आपसे कुछ कहा?" एकांश ने चिंतित होकर पूछा

"नहीं, उसने ऐसा कुछ नहीं बताया और वैसे भी अगर उसे दर्द भी होगा तो वो बताएगी नहीं और खुद ही सहेगी" अक्षिता की माँ ने रोते हुए कहा

"आप चिंता मत करो आंटी, मैं उसे कुछ नहीं होने दूंगा लेकिन पहले हमें उसे हॉस्पिटल में ऐड्मिट कराना होगा" एकांश ने कहा

"लेकिन इसके लिए तुम्हें उससे सच बोलना होगा कि तुम यहाँ क्यों हो" अक्षिता के पिता ने कहा

एकांश ने भी इस बारे में काफी सोचा कि उसे उसे सच बताना ही होगा क्योंकि शायद तब तक अक्षिता हॉस्पिटल में ऐड्मिट होने के लिए नहीं मानेगी जब तक वो उसके साथ नहीं है क्योंकि एकांश सच्चाई जानने के डर से तो वो सहमत नहीं होगी

"मैं कल उसे सब सच बता दूंगा" एकांश ने कहा जिसपर अक्षिता के पेरेंट्स भी थोड़े डरे हुए थे के क्या पता अक्षिता कैसे रीऐक्ट करेगी

******

एकांश को सारी रात नींद नहीं आई वो बस अक्षिता के सोते हुए चेहरे को देखता रहा उसे नहीं पता था कि वो कैसे कहेगा और क्या कहेगा, लेकिन उसने अक्षिता सब कुछ बताने का फैसला कर लिया था

अगले दिन जब अक्षिता अपनी नींद से जागी औ उसने अपने आसपास एकांश को देखा तो वो कही नहीं था, अक्षिता जल्दी जल्दी नीचे आई तो उसने देखा के एकांश मस्त डाईनिंग टेबल पर बैठा नाश्ता कर रहा था

जब अक्षिता ने उसकी तरफ देखा तो वो मुस्कुराया और वो भी मुस्कुराई, अक्षिता के अपने मा पापा को घर मे देखा तो वो कही नहीं थे तब एकांश ने उसे बताया के वो दोनों मंदिर गए थे और अब अक्षिता को भी भूख लगी थी इसीलिए वो भी फ्रेश होकर नाश्ता करने आ गई और जब अक्षिता नाश्ता कर रही थी एकांश फोन पर कुछ बाते कर रहा था

" अक्षिता."

एकांश ने अक्षिता को पुकारा और उसने भी उसकी ओर देखा

"मुझे तुमसे कुछ बात करनी है" एकांश ने उदास चेहरे से कहा, लेकिन अंदर ही अंदर उसका दिल जोर-जोर से धड़क रहा था

वो दोनों जाकर सोफे पर बैठ गये

अक्षिता एकांश की घबराहट को उसकी झिझक को महसूस कर रही थी और उसने एकांश को पहले काभी ऐसे नहीं देखा था

"अंश, क्या हुआ? तुम क्या बात करना चाहते थे?" अक्षिता ने चिंतित होकर उससे पूछा

"यही की मैं यहाँ क्यों हूँ?" एकांश ने आराम से कहा और अब अक्षिता भी गौर से उसकी बात सुनने लगी

"अक्षिता...... मैं......"

" मुझे पता है, सब पता है" अक्षिता ने कहा

"क्या?"

"मैं जानती हूँ की तुम यहाँ क्यों हो एकांश" अक्षिता ने कहा

एकांश ने अक्षिता की ओर देखा और उसे याद आया कि उसने तो पहले ही अक्षिता को था कि वो ऑफिस के काम से यहां आया था

"नहीं अक्षिता.... मैं ऑफिस के काम से यहाँ नहीं आया हूँ...... मैं तो यहाँ......"

"एकांश, मैं ऑफिस के काम की बात नहीं कर रही हूँ" अक्षिता ने नीचे देखते हुए कहा

"फिर?"

"मुझे पता है कि तुम मेरे बारे में सब सच जानते हो एकांश"




क्रमश:
अक्षिता सब जानती है भाई, वो एक सींसियर ओर भावुक लडकी है, साथ ही मे वो एकांश को बेहद प्यार करती है। एकांश के लोटने से सबके मन में एक उम्मीद की किरण जगी है, हमारे भी :approve: उधर अमर ने श्रेया मेहता के बारे मे बताया, जो की मुझे भी लगता है की बिना बात किये कुछ नहीं हो सकता, खैर एक बार फिर तुम अपनी लेखनी से हमारा दिल जीत लिया है मित्र।
शानदार अपडेट :claps::claps::claps:
 

kas1709

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दो दिन , दो दिन बाद अक्षिता और एकांश की अयोध्या दीवाली की रौशनी से जगमग जगमग हो उठेगी , या फिर अक्षिता सदा के लिए धरती मां की गोद मे समा जायेगी , यह हमे नही पता , पर कहते हैं विश्वास पर ही दुनिया टिकी है तो हम अब भी इस विश्वास पर कायम है कि सबकुछ अच्छा ही होगा ।

अक्षिता ने इस दौरान स्वरा और रोहन , एवं श्रेया और अमर मतलब दो जोड़े को एक कर दिया । दो प्रेमी को एक करना कोई पुण्य कर्म से कम नही ।
यह पुण्य कर्म कभी निष्फल नही जाते ।

इस अपडेट मे सबसे अच्छी बात मुझे लगी और यह है अक्षिता और एकांश का एक दूसरे से खुलकर प्रणय निवेदन करना ।
आप अगर किसी को चाहते हैं , वह आप का जीवनसाथी हो , आप के अभिभावक हो , आप के भाई-बहन हो , आप के पुत्र हो , आप का मित्र हो , वह जो भी हो आप को उनसे खुलकर कहनी चाहिए कि आप उन्हे बहुत बहुत प्यार करते है ।
प्यार के दो मीठे बोल आप के जीवन मे खुशियाँ ला सकती है ।

खुबसूरत अपडेट आदि भाई ।
 
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