Riky007
उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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The reason...“अक्षिता!!” एकांश की मा ने धीमे से कहा, वो शॉक थी वही अक्षिता नीचे देखते हुए वैसे ही नर्वसली वहा खड़ी थी
“तुम यहा क्या कर रही हो?” उन्होंने पूछा, वो अब भी शॉक थी
“मैं.... वो... मैं.... एक्चुअल्ली...”
“मा..” एकांश भी वहा पहुच गया था
उनदोनों ने एकांश को देखा फिर एकदूसरे को देखा और वापिस एकांश को देखने लगे
“आप दोनों एकदूसरे को जानते हो क्या?” एकांश ने पूछा
“नहीं!” दोनों ने एकस्थ कहा जिसने एकांश को थोड़ा चौकाया
“तो फिर क्या बात कर रहे थे?” एकांश अब उनके पास पहुच चुका था
“कुछ नहीं मैं बस कुछ नहीं थी वो हमारे गार्डन मे क्या कर रही है तो”
Mata ji Ekansh ka biyah bade Ghar me karna chahti thi shayad.