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Romance Ek Duje ke Vaaste..

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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“अक्षिता!!” एकांश की मा ने धीमे से कहा, वो शॉक थी वही अक्षिता नीचे देखते हुए वैसे ही नर्वसली वहा खड़ी थी

“तुम यहा क्या कर रही हो?” उन्होंने पूछा, वो अब भी शॉक थी

“मैं.... वो... मैं.... एक्चुअल्ली...”

“मा..” एकांश भी वहा पहुच गया था

उनदोनों ने एकांश को देखा फिर एकदूसरे को देखा और वापिस एकांश को देखने लगे

“आप दोनों एकदूसरे को जानते हो क्या?” एकांश ने पूछा

“नहीं!” दोनों ने एकस्थ कहा जिसने एकांश को थोड़ा चौकाया

“तो फिर क्या बात कर रहे थे?” एकांश अब उनके पास पहुच चुका था

“कुछ नहीं मैं बस कुछ नहीं थी वो हमारे गार्डन मे क्या कर रही है तो”
The reason...

Mata ji Ekansh ka biyah bade Ghar me karna chahti thi shayad. 😌
 

Aakash.

ᴇᴍʙʀᴀᴄᴇ ᴛʜᴇ ꜰᴇᴀʀ
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Pyaar to Akshita ko pahle bhi tha or aaz bhi hai Akshita ki aakho se jhalkte aasu is baat ka sabut hai rahi baat meeting ke waqt jalan ki to ye bhaavno ka khel hai sab :D

Akshita jab ekaash ki maa se mili to shauk kyu ho gayi kuch to yaha bhi miss hai... or mujhe lagta hai Akshita ne jo leave li thi office se us waqt wo apni family ke saath thi shayad uske rishte ki baat chal rahi hai..

Plot Me kuch twist add Karo mitra​
 

Chinturocky

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शायद अर्पिता और एकांश की मां का कोई मेलजोल तो जरूर है।
और अर्पिता की बीमारी या जो भी कारण था, दाल में कुछ तो काला है।
या पूरी दाल ही काली है।
 

parkas

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Update 11



जैसे ही एकांश ने अक्षिता के बारे मे ना सोचने के बारे मे सोचा उसके केबिन का दरवाजा खुला, उसने उधर देखा तो वहा उसके सामने अक्षिता खड़ी थी और उसके हाथ मे उसकी कॉफी थी।

“तुम वापिस आ गई!” अक्षिता को देख एकांश ने लगभग चिल्लाते हुए अपनी जगह से उठते हुए कहा..

एकांश को अपने को ऐसे एक्सईटेड देख अक्षिता थोड़ा चौकी, उसके चेहरे पर कन्फ़्युशन साफ देखा जा सकता था जब उसे देख एकांश अपनी जगह से उठ खड़ा हुआ था

“सर, आप ठीक तो है ना?” अक्षिता ने केबिन मे आते हुए कहा

और जल्द ही एकांश ने अपने आप को संभाला और वापिस से सख्त लहजा अपनाया

“हा” और बगैर अक्षिता की ओर देखे अपनी जगह पर बैठ गया

“आपकी कॉफी” अक्षिता ने कॉफी टेबल पर रखी

एकांश ने एक नजर अक्षिता को देखा जो ऐसे लग रही थी मानो उसने अपने कंधे पर कोई बहुत भरी बोझ उठाया हुआ हो, आंखे ऐसी मानो कई दिनों से सोई ना हो

“where were you?” एकांश ने सपाट आवाज मे पूछा

“मैं छुट्टी पर थी सर” अक्षिता ने भी शांत सपाट आवाज मे जवाब दिया

“पता है लेकिन छुट्टी की जरूरत क्यू लगी?” उसने पूछा

“मेरी तबीयत ठीक नहीं थी”

“ओके, अब जो सच है वो बताओ” एकांश ने पूछा और अक्षिता थोड़ा नर्वस होने लगी

“कैसा सच?” अक्षिता पैनिक कर रही थी लेकिन वैसा महसूस नहीं होने दे रही थी

“तुम्हारी छुट्टी के बारे मे” एकांश ने कहा और अक्षिता की हालत खराब होने लगी, एकांश आगे बोला “तुम्हारे दोस्तों ने बताया तुम्हें बुखार है, वाइरल फीवर लेकिन उसके हावभाव साफ बता रहे थे के वो झूठ बोल रहे है” एकांश ने अपने लैपटॉप मे काम करते हुए कहा

“इडियट्स” अक्षिता पुटपुटाई

“क्या कहा?”

“नहीं... कुछ नहीं सर... लेकिन मैंने मेरी छुट्टी मे क्या किया है इससे आपको कोई मतलब नहीं होना चाहिए” अक्षिता ने अपने आप को संभालते हुए थोड़ा रुडली कहा और एकांश ने अपनी मुट्ठीया भींच ली

“मैं तुम्हारा बॉस हु तुम मेरी एम्प्लोयी हो तो इट इस माइ कन्सर्न डैम इट!” एकांश ने झटके से टेबल पर हाथ मारा

“सर आपको और कुछ चाहिए?” एकांश के गुस्से को इग्नोर करते हुए अक्षिता ने पूछा

“पहले मैंने जो पूछा है उसका जवाब देना सीखो” एकांश दाँत पीसते हुए बोला

“ओके सर... लेकिन मैं मेरे पर्सनल मैटर मेरे बॉस के साथ शेयर नहीं करती” अक्षिता ने कहा

“लीव” एकांश गुस्से मे पुटपुटाया

“क्या सर?”

“मैंने कहा जाओ यहा से” एकांश गुस्से मे चिल्लाया और वो बगैर कुछ बोले उसके केबिन से चली गई...

--

रोहन और स्वरा अक्षिता को देख रही थे जो चेहरे पर सूनापन लिए चुप चाप अपना काम करने मे लगी हुई थी एक तो वो लोग उसकी हालत देख कर शॉक मे थे दूसरा उन्हे उसकी काफी चिंता भी हो रही थी कई वापिस आने के बाद उसने उनसे कुछ दूरी सी बना रखी थी

ना तो अक्षिता ने उनसे बात की थी ना तो स्माइल ही दी थी हसना तो दूर की बात और ना ही अक्षिता ने उसकी कीसी बात का जवाब दिया था जब उन्होंने छुट्टी के बारे मे पूछा था, और वो और आज अक्षिता ने उनके साथ लंच भी नहीं किया था

एकांश अपने केबिन की ग्लास विंडो के पास खड़े होकर अपने स्टाफ को देख रहा था, उसके देखा के रोहन और स्वरा दोनों खड़े है और अक्षिता को देख रहे थे, उनके चेहरे पर चिंता की लकिरे साफ दिख रही थी वही फिर उसने अक्षिता को देखा जो एकतक अपने सामने रखी स्क्रीन को देख रही थी

अक्षिता को देखते हुए एकांश को इस खयाल ने थोड़ा और दुखी किया के आज जिस तरह अक्षिता ने उससे बात की थी वैसे पहले कभी नहीं की थी, उसके इस ऑफिस को टेकओवर करने के बाद भी... एकांश यही सब सोच रहा था के उसे एक कॉल आया और वो कॉल अटेन्ड करते हुए अपनी जगह पर जाकर बैठ गया

--

“मिस पांडे”

अक्षिता ने जैसे की अपना नाम सुना वो पलटी तो दकहया के वहा उसके पीछे एकांश अपने सपाट चेहरे के खड़ा था, ऑफिस के लोग उनको ही देख रहे थे और चेहरे पर सवालिया निशान लिए अक्षिता ने एकांश को देखा

“मेरी एक होटल मे मीटिंग है और तुम मुझे उस मीटिंग के लिए असिस्ट करने वाली हो, कम विथ मी” एकांश ने ऑर्डर छोड़ा और वहा से निकल गया

अक्षिता ने भी जल्दी से अपना पर्स और फोन उठाया और एकांश के पीछे पीछे बिल्डिंग से बाहर आ गई जहा एकांश खड़ा था और फोन पर कीसी से बात कर रहा था

“जल्दी करो हमारे पास पूरा दिन नहीं है” एकांश ने कार मे बैठते हुए अक्षिता से कहा जो वहा कीसी बुत की तरह खड़ी थी

अक्षिता ने उसे देखा और फिर उसकी बड़ी से कार के पैसेंजर सीट का दरवाजा खोलने लगी

“सीट एट बैक” वापिस एकांश का आवाज आया और अक्षिता को उसके बाजू मे पीछे की सीट पे बैठना पड़ा

एकांश गाड़ी मे भी लैपटॉप लिए कुछ काम कर रहा था वही अक्षिता चुप चाप बैठी खिड़की से बाहर देख रही थी, एकांश भी बीच बीच मे काम करते हुए उसे झलक भर देख लेता था हो अपने ही खयालों मे खोई हुई थी

जब कार रुकी तो अक्षिता ने पाया के कार एक बड़े से मेनशन के सामने खड़ी है

“हम कहा है?” अक्षिता ने उस बड़े से घर को देखते हुए पूछा

“मेरे घर पर” एकांश ने गाड़ी से उतरते हुए कहा

‘क्या! क्यू?” अक्षिता ने थोड़ा पैनिक होते हुए कार से नीचे उतरते पूछा

“मुझे मीटिंग के लिए कुछ फाइलस् चाहिए थी बस वही लेनी है” एकांश ने आराम से कहा और घर मे जाने लगा, उसने पीछे देखा तो अक्षिता नर्वसली वही खड़ी थी

“तुम अंदर नहीं आओगी?” उसने पूछा

“नहीं सर मैं यही वेट करती हु” अक्षिता ने कहा

‘ठीक” इतना कह कर एकांश घर मे चला गया

अक्षिता कार से टिक कर खड़ी थी और उसने राहत की सास ली..

एकांश का इंतजार करते हुए अक्षिता ने इधर उधर देखा तो मेनशन मे बने गार्डन ने उसका ध्यान खिचा जो की बहुत खूबसूरत था और बढ़िया तरीके से मैन्टैन किया था

इधर एकांश अपने रूम मे पहुचा और जो चाहिए थी वो फाइलस् ढूँढने लगा जो उसे जल्द ही मिल भी गई और जब वो निकल ही रहा था के खिड़की से उसने एक नजारा देखा जिसे देख वो वही रुक गया

अक्षिता गार्डन मे थी और अपने घुटनों पे बैठ कर गार्डन मे लगे गुलाब के फूलों को देख रही थी, एकांश ने देखा के वहा अक्षिता थोड़ा खुश लग रही थी, उन गुलाब के फूलों की खुशबू लेटे हुए अक्षिता ने अपनी आंखे बंद कर रखी थी और उसके चेहरे पर एक स्माइल आ गई थी

वही दूसरी तरफ एकांश की मा भी वहा पहुच गई थी और वो कार से उतर कर घर मे जा ही रही थी के उन्होंने देखा के एक लड़की उनके गार्डन मे बैठी है जिसकी उनकी ओर पीठ थी, वो मुस्कुराई और उस लड़की की ओर बढ़ गई

“बेटे कौन हो तुम?” एकांश की मा ने पूछा

अक्षिता झट से आवाज सुन खड़ी हुई और उसने इस आवाज की ओर मूड कर देखा तो वो दोनों ही अपनी जगह जम गई और एकदूसरे को देखने लगी

“अक्षिता!!” एकांश की मा ने धीमे से कहा, वो शॉक थी वही अक्षिता नीचे देखते हुए वैसे ही नर्वसली वहा खड़ी थी

“तुम यहा क्या कर रही हो?” उन्होंने पूछा, वो अब भी शॉक थी

“मैं.... वो... मैं.... एक्चुअल्ली...”

“मा..” एकांश भी वहा पहुच गया था

उनदोनों ने एकांश को देखा फिर एकदूसरे को देखा और वापिस एकांश को देखने लगे

“आप दोनों एकदूसरे को जानते हो क्या?” एकांश ने पूछा

“नहीं!” दोनों ने एकस्थ कहा जिसने एकांश को थोड़ा चौकाया

“तो फिर क्या बात कर रहे थे?” एकांश अब उनके पास पहुच चुका था

“कुछ नहीं मैं बस कुछ नहीं थी वो हमारे गार्डन मे क्या कर रही है तो”

“ओह... वैसे ये मेरी अससिस्टेंट है, वो मेरा ही इंतजार कर रही थी मैं कुछ फाइलस् लेने अंदर गया था” एकांश ने अपनी मा को बताया

एकांश की मा ने झटके के साथ अक्षिता को देखा उन्हे यकीन नहीं हो रहा था के अक्षिता उसकी अससिस्टेंट है, अक्षिता ने भी एक नजर उनको देखा और फिर नीचे देखने लगी

“चलो चलते है मीटिंग के लिए देर हो रही है” एकांश ने अक्षिता से कहा और कार की ओर बढ़ गया, अक्षिता भी चुप चाप उसके पीछे हो ली वही एकांश की मा उन्हे जाते हुए देखने लगी

--

एकांश और अक्षिता दोनों होटल मे आ गए थे और सभी की नजरे उनकी तरफ थी या यू काहू एकांश की तरफ... एक तो वो दिखने मे हैन्डसम था हु दूसरा उसका चार्म उसका औरा ऐसा था के लोग उसकी ओर खिचे जाते थे, दूसरा अभी बिजनस जगत मे एकांश अपना नाम बना रहा था और खासा फेमस था

होटल स्टाफ ने एकांश को अच्छे से रीस्पेक्ट के साथ वेलकम किया वही फीमेल स्टाफ के साथ साथ वह मौजूद लड़किया भी उसकी ओर ही देख रही थी

वही लड़कियों का यू एकांश को देखना अक्षिता को पसंद नहीं आ रहा था, वही एक होटल की फीमेल स्टाफ एकांश के बहुत पास खड़ी होकर उससे बात कर रही थी या यू कहे उसे रिझाने की कोशिश कर रही थी और अब ये अक्षिता से बर्दाश्त नहीं हो रहा था,

अक्षिता ने बड़ी हु चतुराई से उस लड़की को एकांश से दूर हटाया और उन दोनों के बीच आकार खाइड हो गई और उस लड़की को थोड़ा घूरने लगी

एकांश ने सप्राइज़ होकर अक्षिता को देखा, वो समझ गया था उसे जलन हो रही थी और ये देख उसके चेहरे पर स्माइल आ गई, अक्षिता ने एकांश को देखा तो वो मुस्कुरा रहा था तो बदले मे अक्षिता ने उसे भी घूर के देखा और उस लड़की को दूर हटाया, अक्षिता और एकांश नजरों से ही एकदूसरे को टशन दे रहे थे

और जहा एक ओर ये आँखों की गुस्ताखिया चल रही थी वही मीटिंग के लिए आए डेलीगटेस और होटल स्टाफ उन्हे देख रहे थे और मीटिंग शुरू होने की राह देख रहे थे और जब उन दोनों के ध्यान मे आया के सब उन्हे देख रहे है तो उन्होंने अपने आप को संभाला और एकांश ने अपना गला साफ किया और बोलना शुरू किया

जिस तरगफ से एकांश डील कर रहा था बात कर रहा अथॉरिटी बता रहा था वो देख अक्षिता इम्प्रेस होने से अपने आप को रोक नहीं पाई, एकांश ने डील की इतने बढ़िया तरीके से हँडल किया था क्व वो लोग उसकी सभी बाते मानते चले गए,

एकांश का स्टाइल, कान्फिडन्स सब कुछ अक्षिता पर आज अलग छाप छोड़ रहा था..

मीटिंग खत्म कर दोनों वापिस ऑफिस आने के लिए निकल गए थे... और दोनों के ही दिमाग मे अपने अपने खयाल दौड़ रहे थे.....



क्रमश:
Bahut hi badhiya update diya hai Adirshi bhai...
Nice and awesome update....
 

Yasasvi3

Darkness is important 💀
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Update 11



जैसे ही एकांश ने अक्षिता के बारे मे ना सोचने के बारे मे सोचा उसके केबिन का दरवाजा खुला, उसने उधर देखा तो वहा उसके सामने अक्षिता खड़ी थी और उसके हाथ मे उसकी कॉफी थी।

“तुम वापिस आ गई!” अक्षिता को देख एकांश ने लगभग चिल्लाते हुए अपनी जगह से उठते हुए कहा..

एकांश को अपने को ऐसे एक्सईटेड देख अक्षिता थोड़ा चौकी, उसके चेहरे पर कन्फ़्युशन साफ देखा जा सकता था जब उसे देख एकांश अपनी जगह से उठ खड़ा हुआ था

“सर, आप ठीक तो है ना?” अक्षिता ने केबिन मे आते हुए कहा

और जल्द ही एकांश ने अपने आप को संभाला और वापिस से सख्त लहजा अपनाया

“हा” और बगैर अक्षिता की ओर देखे अपनी जगह पर बैठ गया

“आपकी कॉफी” अक्षिता ने कॉफी टेबल पर रखी

एकांश ने एक नजर अक्षिता को देखा जो ऐसे लग रही थी मानो उसने अपने कंधे पर कोई बहुत भरी बोझ उठाया हुआ हो, आंखे ऐसी मानो कई दिनों से सोई ना हो

“where were you?” एकांश ने सपाट आवाज मे पूछा

“मैं छुट्टी पर थी सर” अक्षिता ने भी शांत सपाट आवाज मे जवाब दिया

“पता है लेकिन छुट्टी की जरूरत क्यू लगी?” उसने पूछा

“मेरी तबीयत ठीक नहीं थी”

“ओके, अब जो सच है वो बताओ” एकांश ने पूछा और अक्षिता थोड़ा नर्वस होने लगी

“कैसा सच?” अक्षिता पैनिक कर रही थी लेकिन वैसा महसूस नहीं होने दे रही थी

“तुम्हारी छुट्टी के बारे मे” एकांश ने कहा और अक्षिता की हालत खराब होने लगी, एकांश आगे बोला “तुम्हारे दोस्तों ने बताया तुम्हें बुखार है, वाइरल फीवर लेकिन उसके हावभाव साफ बता रहे थे के वो झूठ बोल रहे है” एकांश ने अपने लैपटॉप मे काम करते हुए कहा

“इडियट्स” अक्षिता पुटपुटाई

“क्या कहा?”

“नहीं... कुछ नहीं सर... लेकिन मैंने मेरी छुट्टी मे क्या किया है इससे आपको कोई मतलब नहीं होना चाहिए” अक्षिता ने अपने आप को संभालते हुए थोड़ा रुडली कहा और एकांश ने अपनी मुट्ठीया भींच ली

“मैं तुम्हारा बॉस हु तुम मेरी एम्प्लोयी हो तो इट इस माइ कन्सर्न डैम इट!” एकांश ने झटके से टेबल पर हाथ मारा

“सर आपको और कुछ चाहिए?” एकांश के गुस्से को इग्नोर करते हुए अक्षिता ने पूछा

“पहले मैंने जो पूछा है उसका जवाब देना सीखो” एकांश दाँत पीसते हुए बोला

“ओके सर... लेकिन मैं मेरे पर्सनल मैटर मेरे बॉस के साथ शेयर नहीं करती” अक्षिता ने कहा

“लीव” एकांश गुस्से मे पुटपुटाया

“क्या सर?”

“मैंने कहा जाओ यहा से” एकांश गुस्से मे चिल्लाया और वो बगैर कुछ बोले उसके केबिन से चली गई...

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रोहन और स्वरा अक्षिता को देख रही थे जो चेहरे पर सूनापन लिए चुप चाप अपना काम करने मे लगी हुई थी एक तो वो लोग उसकी हालत देख कर शॉक मे थे दूसरा उन्हे उसकी काफी चिंता भी हो रही थी कई वापिस आने के बाद उसने उनसे कुछ दूरी सी बना रखी थी

ना तो अक्षिता ने उनसे बात की थी ना तो स्माइल ही दी थी हसना तो दूर की बात और ना ही अक्षिता ने उसकी कीसी बात का जवाब दिया था जब उन्होंने छुट्टी के बारे मे पूछा था, और वो और आज अक्षिता ने उनके साथ लंच भी नहीं किया था

एकांश अपने केबिन की ग्लास विंडो के पास खड़े होकर अपने स्टाफ को देख रहा था, उसके देखा के रोहन और स्वरा दोनों खड़े है और अक्षिता को देख रहे थे, उनके चेहरे पर चिंता की लकिरे साफ दिख रही थी वही फिर उसने अक्षिता को देखा जो एकतक अपने सामने रखी स्क्रीन को देख रही थी

अक्षिता को देखते हुए एकांश को इस खयाल ने थोड़ा और दुखी किया के आज जिस तरह अक्षिता ने उससे बात की थी वैसे पहले कभी नहीं की थी, उसके इस ऑफिस को टेकओवर करने के बाद भी... एकांश यही सब सोच रहा था के उसे एक कॉल आया और वो कॉल अटेन्ड करते हुए अपनी जगह पर जाकर बैठ गया

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“मिस पांडे”

अक्षिता ने जैसे की अपना नाम सुना वो पलटी तो दकहया के वहा उसके पीछे एकांश अपने सपाट चेहरे के खड़ा था, ऑफिस के लोग उनको ही देख रहे थे और चेहरे पर सवालिया निशान लिए अक्षिता ने एकांश को देखा

“मेरी एक होटल मे मीटिंग है और तुम मुझे उस मीटिंग के लिए असिस्ट करने वाली हो, कम विथ मी” एकांश ने ऑर्डर छोड़ा और वहा से निकल गया

अक्षिता ने भी जल्दी से अपना पर्स और फोन उठाया और एकांश के पीछे पीछे बिल्डिंग से बाहर आ गई जहा एकांश खड़ा था और फोन पर कीसी से बात कर रहा था

“जल्दी करो हमारे पास पूरा दिन नहीं है” एकांश ने कार मे बैठते हुए अक्षिता से कहा जो वहा कीसी बुत की तरह खड़ी थी

अक्षिता ने उसे देखा और फिर उसकी बड़ी से कार के पैसेंजर सीट का दरवाजा खोलने लगी

“सीट एट बैक” वापिस एकांश का आवाज आया और अक्षिता को उसके बाजू मे पीछे की सीट पे बैठना पड़ा

एकांश गाड़ी मे भी लैपटॉप लिए कुछ काम कर रहा था वही अक्षिता चुप चाप बैठी खिड़की से बाहर देख रही थी, एकांश भी बीच बीच मे काम करते हुए उसे झलक भर देख लेता था हो अपने ही खयालों मे खोई हुई थी

जब कार रुकी तो अक्षिता ने पाया के कार एक बड़े से मेनशन के सामने खड़ी है

“हम कहा है?” अक्षिता ने उस बड़े से घर को देखते हुए पूछा

“मेरे घर पर” एकांश ने गाड़ी से उतरते हुए कहा

‘क्या! क्यू?” अक्षिता ने थोड़ा पैनिक होते हुए कार से नीचे उतरते पूछा

“मुझे मीटिंग के लिए कुछ फाइलस् चाहिए थी बस वही लेनी है” एकांश ने आराम से कहा और घर मे जाने लगा, उसने पीछे देखा तो अक्षिता नर्वसली वही खड़ी थी

“तुम अंदर नहीं आओगी?” उसने पूछा

“नहीं सर मैं यही वेट करती हु” अक्षिता ने कहा

‘ठीक” इतना कह कर एकांश घर मे चला गया

अक्षिता कार से टिक कर खड़ी थी और उसने राहत की सास ली..

एकांश का इंतजार करते हुए अक्षिता ने इधर उधर देखा तो मेनशन मे बने गार्डन ने उसका ध्यान खिचा जो की बहुत खूबसूरत था और बढ़िया तरीके से मैन्टैन किया था

इधर एकांश अपने रूम मे पहुचा और जो चाहिए थी वो फाइलस् ढूँढने लगा जो उसे जल्द ही मिल भी गई और जब वो निकल ही रहा था के खिड़की से उसने एक नजारा देखा जिसे देख वो वही रुक गया

अक्षिता गार्डन मे थी और अपने घुटनों पे बैठ कर गार्डन मे लगे गुलाब के फूलों को देख रही थी, एकांश ने देखा के वहा अक्षिता थोड़ा खुश लग रही थी, उन गुलाब के फूलों की खुशबू लेटे हुए अक्षिता ने अपनी आंखे बंद कर रखी थी और उसके चेहरे पर एक स्माइल आ गई थी

वही दूसरी तरफ एकांश की मा भी वहा पहुच गई थी और वो कार से उतर कर घर मे जा ही रही थी के उन्होंने देखा के एक लड़की उनके गार्डन मे बैठी है जिसकी उनकी ओर पीठ थी, वो मुस्कुराई और उस लड़की की ओर बढ़ गई

“बेटे कौन हो तुम?” एकांश की मा ने पूछा

अक्षिता झट से आवाज सुन खड़ी हुई और उसने इस आवाज की ओर मूड कर देखा तो वो दोनों ही अपनी जगह जम गई और एकदूसरे को देखने लगी

“अक्षिता!!” एकांश की मा ने धीमे से कहा, वो शॉक थी वही अक्षिता नीचे देखते हुए वैसे ही नर्वसली वहा खड़ी थी

“तुम यहा क्या कर रही हो?” उन्होंने पूछा, वो अब भी शॉक थी

“मैं.... वो... मैं.... एक्चुअल्ली...”

“मा..” एकांश भी वहा पहुच गया था

उनदोनों ने एकांश को देखा फिर एकदूसरे को देखा और वापिस एकांश को देखने लगे

“आप दोनों एकदूसरे को जानते हो क्या?” एकांश ने पूछा

“नहीं!” दोनों ने एकस्थ कहा जिसने एकांश को थोड़ा चौकाया

“तो फिर क्या बात कर रहे थे?” एकांश अब उनके पास पहुच चुका था

“कुछ नहीं मैं बस कुछ नहीं थी वो हमारे गार्डन मे क्या कर रही है तो”

“ओह... वैसे ये मेरी अससिस्टेंट है, वो मेरा ही इंतजार कर रही थी मैं कुछ फाइलस् लेने अंदर गया था” एकांश ने अपनी मा को बताया

एकांश की मा ने झटके के साथ अक्षिता को देखा उन्हे यकीन नहीं हो रहा था के अक्षिता उसकी अससिस्टेंट है, अक्षिता ने भी एक नजर उनको देखा और फिर नीचे देखने लगी

“चलो चलते है मीटिंग के लिए देर हो रही है” एकांश ने अक्षिता से कहा और कार की ओर बढ़ गया, अक्षिता भी चुप चाप उसके पीछे हो ली वही एकांश की मा उन्हे जाते हुए देखने लगी

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एकांश और अक्षिता दोनों होटल मे आ गए थे और सभी की नजरे उनकी तरफ थी या यू काहू एकांश की तरफ... एक तो वो दिखने मे हैन्डसम था हु दूसरा उसका चार्म उसका औरा ऐसा था के लोग उसकी ओर खिचे जाते थे, दूसरा अभी बिजनस जगत मे एकांश अपना नाम बना रहा था और खासा फेमस था

होटल स्टाफ ने एकांश को अच्छे से रीस्पेक्ट के साथ वेलकम किया वही फीमेल स्टाफ के साथ साथ वह मौजूद लड़किया भी उसकी ओर ही देख रही थी

वही लड़कियों का यू एकांश को देखना अक्षिता को पसंद नहीं आ रहा था, वही एक होटल की फीमेल स्टाफ एकांश के बहुत पास खड़ी होकर उससे बात कर रही थी या यू कहे उसे रिझाने की कोशिश कर रही थी और अब ये अक्षिता से बर्दाश्त नहीं हो रहा था,

अक्षिता ने बड़ी हु चतुराई से उस लड़की को एकांश से दूर हटाया और उन दोनों के बीच आकार खाइड हो गई और उस लड़की को थोड़ा घूरने लगी

एकांश ने सप्राइज़ होकर अक्षिता को देखा, वो समझ गया था उसे जलन हो रही थी और ये देख उसके चेहरे पर स्माइल आ गई, अक्षिता ने एकांश को देखा तो वो मुस्कुरा रहा था तो बदले मे अक्षिता ने उसे भी घूर के देखा और उस लड़की को दूर हटाया, अक्षिता और एकांश नजरों से ही एकदूसरे को टशन दे रहे थे

और जहा एक ओर ये आँखों की गुस्ताखिया चल रही थी वही मीटिंग के लिए आए डेलीगटेस और होटल स्टाफ उन्हे देख रहे थे और मीटिंग शुरू होने की राह देख रहे थे और जब उन दोनों के ध्यान मे आया के सब उन्हे देख रहे है तो उन्होंने अपने आप को संभाला और एकांश ने अपना गला साफ किया और बोलना शुरू किया

जिस तरगफ से एकांश डील कर रहा था बात कर रहा अथॉरिटी बता रहा था वो देख अक्षिता इम्प्रेस होने से अपने आप को रोक नहीं पाई, एकांश ने डील की इतने बढ़िया तरीके से हँडल किया था क्व वो लोग उसकी सभी बाते मानते चले गए,

एकांश का स्टाइल, कान्फिडन्स सब कुछ अक्षिता पर आज अलग छाप छोड़ रहा था..

मीटिंग खत्म कर दोनों वापिस ऑफिस आने के लिए निकल गए थे... और दोनों के ही दिमाग मे अपने अपने खयाल दौड़ रहे थे.....



क्रमश:
As always very soomthly updated....🤔why the both said hum ek dusre ko nahi jante 🧐🧐kya wo ristedaar the?ya aksita ke gyab hone ke piche wahi sab tha ya...aksita ko uski maa phala se janti ho ....kuch bhi ho sakta h dekhte h kya hota h.....zallan is a very good conductor of love
 

Sweetkaran

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Update 11



जैसे ही एकांश ने अक्षिता के बारे मे ना सोचने के बारे मे सोचा उसके केबिन का दरवाजा खुला, उसने उधर देखा तो वहा उसके सामने अक्षिता खड़ी थी और उसके हाथ मे उसकी कॉफी थी।

“तुम वापिस आ गई!” अक्षिता को देख एकांश ने लगभग चिल्लाते हुए अपनी जगह से उठते हुए कहा..

एकांश को अपने को ऐसे एक्सईटेड देख अक्षिता थोड़ा चौकी, उसके चेहरे पर कन्फ़्युशन साफ देखा जा सकता था जब उसे देख एकांश अपनी जगह से उठ खड़ा हुआ था

“सर, आप ठीक तो है ना?” अक्षिता ने केबिन मे आते हुए कहा

और जल्द ही एकांश ने अपने आप को संभाला और वापिस से सख्त लहजा अपनाया

“हा” और बगैर अक्षिता की ओर देखे अपनी जगह पर बैठ गया

“आपकी कॉफी” अक्षिता ने कॉफी टेबल पर रखी

एकांश ने एक नजर अक्षिता को देखा जो ऐसे लग रही थी मानो उसने अपने कंधे पर कोई बहुत भरी बोझ उठाया हुआ हो, आंखे ऐसी मानो कई दिनों से सोई ना हो

“where were you?” एकांश ने सपाट आवाज मे पूछा

“मैं छुट्टी पर थी सर” अक्षिता ने भी शांत सपाट आवाज मे जवाब दिया

“पता है लेकिन छुट्टी की जरूरत क्यू लगी?” उसने पूछा

“मेरी तबीयत ठीक नहीं थी”

“ओके, अब जो सच है वो बताओ” एकांश ने पूछा और अक्षिता थोड़ा नर्वस होने लगी

“कैसा सच?” अक्षिता पैनिक कर रही थी लेकिन वैसा महसूस नहीं होने दे रही थी

“तुम्हारी छुट्टी के बारे मे” एकांश ने कहा और अक्षिता की हालत खराब होने लगी, एकांश आगे बोला “तुम्हारे दोस्तों ने बताया तुम्हें बुखार है, वाइरल फीवर लेकिन उसके हावभाव साफ बता रहे थे के वो झूठ बोल रहे है” एकांश ने अपने लैपटॉप मे काम करते हुए कहा

“इडियट्स” अक्षिता पुटपुटाई

“क्या कहा?”

“नहीं... कुछ नहीं सर... लेकिन मैंने मेरी छुट्टी मे क्या किया है इससे आपको कोई मतलब नहीं होना चाहिए” अक्षिता ने अपने आप को संभालते हुए थोड़ा रुडली कहा और एकांश ने अपनी मुट्ठीया भींच ली

“मैं तुम्हारा बॉस हु तुम मेरी एम्प्लोयी हो तो इट इस माइ कन्सर्न डैम इट!” एकांश ने झटके से टेबल पर हाथ मारा

“सर आपको और कुछ चाहिए?” एकांश के गुस्से को इग्नोर करते हुए अक्षिता ने पूछा

“पहले मैंने जो पूछा है उसका जवाब देना सीखो” एकांश दाँत पीसते हुए बोला

“ओके सर... लेकिन मैं मेरे पर्सनल मैटर मेरे बॉस के साथ शेयर नहीं करती” अक्षिता ने कहा

“लीव” एकांश गुस्से मे पुटपुटाया

“क्या सर?”

“मैंने कहा जाओ यहा से” एकांश गुस्से मे चिल्लाया और वो बगैर कुछ बोले उसके केबिन से चली गई...

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रोहन और स्वरा अक्षिता को देख रही थे जो चेहरे पर सूनापन लिए चुप चाप अपना काम करने मे लगी हुई थी एक तो वो लोग उसकी हालत देख कर शॉक मे थे दूसरा उन्हे उसकी काफी चिंता भी हो रही थी कई वापिस आने के बाद उसने उनसे कुछ दूरी सी बना रखी थी

ना तो अक्षिता ने उनसे बात की थी ना तो स्माइल ही दी थी हसना तो दूर की बात और ना ही अक्षिता ने उसकी कीसी बात का जवाब दिया था जब उन्होंने छुट्टी के बारे मे पूछा था, और वो और आज अक्षिता ने उनके साथ लंच भी नहीं किया था

एकांश अपने केबिन की ग्लास विंडो के पास खड़े होकर अपने स्टाफ को देख रहा था, उसके देखा के रोहन और स्वरा दोनों खड़े है और अक्षिता को देख रहे थे, उनके चेहरे पर चिंता की लकिरे साफ दिख रही थी वही फिर उसने अक्षिता को देखा जो एकतक अपने सामने रखी स्क्रीन को देख रही थी

अक्षिता को देखते हुए एकांश को इस खयाल ने थोड़ा और दुखी किया के आज जिस तरह अक्षिता ने उससे बात की थी वैसे पहले कभी नहीं की थी, उसके इस ऑफिस को टेकओवर करने के बाद भी... एकांश यही सब सोच रहा था के उसे एक कॉल आया और वो कॉल अटेन्ड करते हुए अपनी जगह पर जाकर बैठ गया

--

“मिस पांडे”

अक्षिता ने जैसे की अपना नाम सुना वो पलटी तो दकहया के वहा उसके पीछे एकांश अपने सपाट चेहरे के खड़ा था, ऑफिस के लोग उनको ही देख रहे थे और चेहरे पर सवालिया निशान लिए अक्षिता ने एकांश को देखा

“मेरी एक होटल मे मीटिंग है और तुम मुझे उस मीटिंग के लिए असिस्ट करने वाली हो, कम विथ मी” एकांश ने ऑर्डर छोड़ा और वहा से निकल गया

अक्षिता ने भी जल्दी से अपना पर्स और फोन उठाया और एकांश के पीछे पीछे बिल्डिंग से बाहर आ गई जहा एकांश खड़ा था और फोन पर कीसी से बात कर रहा था

“जल्दी करो हमारे पास पूरा दिन नहीं है” एकांश ने कार मे बैठते हुए अक्षिता से कहा जो वहा कीसी बुत की तरह खड़ी थी

अक्षिता ने उसे देखा और फिर उसकी बड़ी से कार के पैसेंजर सीट का दरवाजा खोलने लगी

“सीट एट बैक” वापिस एकांश का आवाज आया और अक्षिता को उसके बाजू मे पीछे की सीट पे बैठना पड़ा

एकांश गाड़ी मे भी लैपटॉप लिए कुछ काम कर रहा था वही अक्षिता चुप चाप बैठी खिड़की से बाहर देख रही थी, एकांश भी बीच बीच मे काम करते हुए उसे झलक भर देख लेता था हो अपने ही खयालों मे खोई हुई थी

जब कार रुकी तो अक्षिता ने पाया के कार एक बड़े से मेनशन के सामने खड़ी है

“हम कहा है?” अक्षिता ने उस बड़े से घर को देखते हुए पूछा

“मेरे घर पर” एकांश ने गाड़ी से उतरते हुए कहा

‘क्या! क्यू?” अक्षिता ने थोड़ा पैनिक होते हुए कार से नीचे उतरते पूछा

“मुझे मीटिंग के लिए कुछ फाइलस् चाहिए थी बस वही लेनी है” एकांश ने आराम से कहा और घर मे जाने लगा, उसने पीछे देखा तो अक्षिता नर्वसली वही खड़ी थी

“तुम अंदर नहीं आओगी?” उसने पूछा

“नहीं सर मैं यही वेट करती हु” अक्षिता ने कहा

‘ठीक” इतना कह कर एकांश घर मे चला गया

अक्षिता कार से टिक कर खड़ी थी और उसने राहत की सास ली..

एकांश का इंतजार करते हुए अक्षिता ने इधर उधर देखा तो मेनशन मे बने गार्डन ने उसका ध्यान खिचा जो की बहुत खूबसूरत था और बढ़िया तरीके से मैन्टैन किया था

इधर एकांश अपने रूम मे पहुचा और जो चाहिए थी वो फाइलस् ढूँढने लगा जो उसे जल्द ही मिल भी गई और जब वो निकल ही रहा था के खिड़की से उसने एक नजारा देखा जिसे देख वो वही रुक गया

अक्षिता गार्डन मे थी और अपने घुटनों पे बैठ कर गार्डन मे लगे गुलाब के फूलों को देख रही थी, एकांश ने देखा के वहा अक्षिता थोड़ा खुश लग रही थी, उन गुलाब के फूलों की खुशबू लेटे हुए अक्षिता ने अपनी आंखे बंद कर रखी थी और उसके चेहरे पर एक स्माइल आ गई थी

वही दूसरी तरफ एकांश की मा भी वहा पहुच गई थी और वो कार से उतर कर घर मे जा ही रही थी के उन्होंने देखा के एक लड़की उनके गार्डन मे बैठी है जिसकी उनकी ओर पीठ थी, वो मुस्कुराई और उस लड़की की ओर बढ़ गई

“बेटे कौन हो तुम?” एकांश की मा ने पूछा

अक्षिता झट से आवाज सुन खड़ी हुई और उसने इस आवाज की ओर मूड कर देखा तो वो दोनों ही अपनी जगह जम गई और एकदूसरे को देखने लगी

“अक्षिता!!” एकांश की मा ने धीमे से कहा, वो शॉक थी वही अक्षिता नीचे देखते हुए वैसे ही नर्वसली वहा खड़ी थी

“तुम यहा क्या कर रही हो?” उन्होंने पूछा, वो अब भी शॉक थी

“मैं.... वो... मैं.... एक्चुअल्ली...”

“मा..” एकांश भी वहा पहुच गया था

उनदोनों ने एकांश को देखा फिर एकदूसरे को देखा और वापिस एकांश को देखने लगे

“आप दोनों एकदूसरे को जानते हो क्या?” एकांश ने पूछा

“नहीं!” दोनों ने एकस्थ कहा जिसने एकांश को थोड़ा चौकाया

“तो फिर क्या बात कर रहे थे?” एकांश अब उनके पास पहुच चुका था

“कुछ नहीं मैं बस कुछ नहीं थी वो हमारे गार्डन मे क्या कर रही है तो”

“ओह... वैसे ये मेरी अससिस्टेंट है, वो मेरा ही इंतजार कर रही थी मैं कुछ फाइलस् लेने अंदर गया था” एकांश ने अपनी मा को बताया

एकांश की मा ने झटके के साथ अक्षिता को देखा उन्हे यकीन नहीं हो रहा था के अक्षिता उसकी अससिस्टेंट है, अक्षिता ने भी एक नजर उनको देखा और फिर नीचे देखने लगी

“चलो चलते है मीटिंग के लिए देर हो रही है” एकांश ने अक्षिता से कहा और कार की ओर बढ़ गया, अक्षिता भी चुप चाप उसके पीछे हो ली वही एकांश की मा उन्हे जाते हुए देखने लगी

--

एकांश और अक्षिता दोनों होटल मे आ गए थे और सभी की नजरे उनकी तरफ थी या यू काहू एकांश की तरफ... एक तो वो दिखने मे हैन्डसम था हु दूसरा उसका चार्म उसका औरा ऐसा था के लोग उसकी ओर खिचे जाते थे, दूसरा अभी बिजनस जगत मे एकांश अपना नाम बना रहा था और खासा फेमस था

होटल स्टाफ ने एकांश को अच्छे से रीस्पेक्ट के साथ वेलकम किया वही फीमेल स्टाफ के साथ साथ वह मौजूद लड़किया भी उसकी ओर ही देख रही थी

वही लड़कियों का यू एकांश को देखना अक्षिता को पसंद नहीं आ रहा था, वही एक होटल की फीमेल स्टाफ एकांश के बहुत पास खड़ी होकर उससे बात कर रही थी या यू कहे उसे रिझाने की कोशिश कर रही थी और अब ये अक्षिता से बर्दाश्त नहीं हो रहा था,

अक्षिता ने बड़ी हु चतुराई से उस लड़की को एकांश से दूर हटाया और उन दोनों के बीच आकार खाइड हो गई और उस लड़की को थोड़ा घूरने लगी

एकांश ने सप्राइज़ होकर अक्षिता को देखा, वो समझ गया था उसे जलन हो रही थी और ये देख उसके चेहरे पर स्माइल आ गई, अक्षिता ने एकांश को देखा तो वो मुस्कुरा रहा था तो बदले मे अक्षिता ने उसे भी घूर के देखा और उस लड़की को दूर हटाया, अक्षिता और एकांश नजरों से ही एकदूसरे को टशन दे रहे थे

और जहा एक ओर ये आँखों की गुस्ताखिया चल रही थी वही मीटिंग के लिए आए डेलीगटेस और होटल स्टाफ उन्हे देख रहे थे और मीटिंग शुरू होने की राह देख रहे थे और जब उन दोनों के ध्यान मे आया के सब उन्हे देख रहे है तो उन्होंने अपने आप को संभाला और एकांश ने अपना गला साफ किया और बोलना शुरू किया

जिस तरगफ से एकांश डील कर रहा था बात कर रहा अथॉरिटी बता रहा था वो देख अक्षिता इम्प्रेस होने से अपने आप को रोक नहीं पाई, एकांश ने डील की इतने बढ़िया तरीके से हँडल किया था क्व वो लोग उसकी सभी बाते मानते चले गए,

एकांश का स्टाइल, कान्फिडन्स सब कुछ अक्षिता पर आज अलग छाप छोड़ रहा था..

मीटिंग खत्म कर दोनों वापिस ऑफिस आने के लिए निकल गए थे... और दोनों के ही दिमाग मे अपने अपने खयाल दौड़ रहे थे.....



क्रमश:
Awesome fab update bro
 

park

Well-Known Member
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Update 11



जैसे ही एकांश ने अक्षिता के बारे मे ना सोचने के बारे मे सोचा उसके केबिन का दरवाजा खुला, उसने उधर देखा तो वहा उसके सामने अक्षिता खड़ी थी और उसके हाथ मे उसकी कॉफी थी।

“तुम वापिस आ गई!” अक्षिता को देख एकांश ने लगभग चिल्लाते हुए अपनी जगह से उठते हुए कहा..

एकांश को अपने को ऐसे एक्सईटेड देख अक्षिता थोड़ा चौकी, उसके चेहरे पर कन्फ़्युशन साफ देखा जा सकता था जब उसे देख एकांश अपनी जगह से उठ खड़ा हुआ था

“सर, आप ठीक तो है ना?” अक्षिता ने केबिन मे आते हुए कहा

और जल्द ही एकांश ने अपने आप को संभाला और वापिस से सख्त लहजा अपनाया

“हा” और बगैर अक्षिता की ओर देखे अपनी जगह पर बैठ गया

“आपकी कॉफी” अक्षिता ने कॉफी टेबल पर रखी

एकांश ने एक नजर अक्षिता को देखा जो ऐसे लग रही थी मानो उसने अपने कंधे पर कोई बहुत भरी बोझ उठाया हुआ हो, आंखे ऐसी मानो कई दिनों से सोई ना हो

“where were you?” एकांश ने सपाट आवाज मे पूछा

“मैं छुट्टी पर थी सर” अक्षिता ने भी शांत सपाट आवाज मे जवाब दिया

“पता है लेकिन छुट्टी की जरूरत क्यू लगी?” उसने पूछा

“मेरी तबीयत ठीक नहीं थी”

“ओके, अब जो सच है वो बताओ” एकांश ने पूछा और अक्षिता थोड़ा नर्वस होने लगी

“कैसा सच?” अक्षिता पैनिक कर रही थी लेकिन वैसा महसूस नहीं होने दे रही थी

“तुम्हारी छुट्टी के बारे मे” एकांश ने कहा और अक्षिता की हालत खराब होने लगी, एकांश आगे बोला “तुम्हारे दोस्तों ने बताया तुम्हें बुखार है, वाइरल फीवर लेकिन उसके हावभाव साफ बता रहे थे के वो झूठ बोल रहे है” एकांश ने अपने लैपटॉप मे काम करते हुए कहा

“इडियट्स” अक्षिता पुटपुटाई

“क्या कहा?”

“नहीं... कुछ नहीं सर... लेकिन मैंने मेरी छुट्टी मे क्या किया है इससे आपको कोई मतलब नहीं होना चाहिए” अक्षिता ने अपने आप को संभालते हुए थोड़ा रुडली कहा और एकांश ने अपनी मुट्ठीया भींच ली

“मैं तुम्हारा बॉस हु तुम मेरी एम्प्लोयी हो तो इट इस माइ कन्सर्न डैम इट!” एकांश ने झटके से टेबल पर हाथ मारा

“सर आपको और कुछ चाहिए?” एकांश के गुस्से को इग्नोर करते हुए अक्षिता ने पूछा

“पहले मैंने जो पूछा है उसका जवाब देना सीखो” एकांश दाँत पीसते हुए बोला

“ओके सर... लेकिन मैं मेरे पर्सनल मैटर मेरे बॉस के साथ शेयर नहीं करती” अक्षिता ने कहा

“लीव” एकांश गुस्से मे पुटपुटाया

“क्या सर?”

“मैंने कहा जाओ यहा से” एकांश गुस्से मे चिल्लाया और वो बगैर कुछ बोले उसके केबिन से चली गई...

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रोहन और स्वरा अक्षिता को देख रही थे जो चेहरे पर सूनापन लिए चुप चाप अपना काम करने मे लगी हुई थी एक तो वो लोग उसकी हालत देख कर शॉक मे थे दूसरा उन्हे उसकी काफी चिंता भी हो रही थी कई वापिस आने के बाद उसने उनसे कुछ दूरी सी बना रखी थी

ना तो अक्षिता ने उनसे बात की थी ना तो स्माइल ही दी थी हसना तो दूर की बात और ना ही अक्षिता ने उसकी कीसी बात का जवाब दिया था जब उन्होंने छुट्टी के बारे मे पूछा था, और वो और आज अक्षिता ने उनके साथ लंच भी नहीं किया था

एकांश अपने केबिन की ग्लास विंडो के पास खड़े होकर अपने स्टाफ को देख रहा था, उसके देखा के रोहन और स्वरा दोनों खड़े है और अक्षिता को देख रहे थे, उनके चेहरे पर चिंता की लकिरे साफ दिख रही थी वही फिर उसने अक्षिता को देखा जो एकतक अपने सामने रखी स्क्रीन को देख रही थी

अक्षिता को देखते हुए एकांश को इस खयाल ने थोड़ा और दुखी किया के आज जिस तरह अक्षिता ने उससे बात की थी वैसे पहले कभी नहीं की थी, उसके इस ऑफिस को टेकओवर करने के बाद भी... एकांश यही सब सोच रहा था के उसे एक कॉल आया और वो कॉल अटेन्ड करते हुए अपनी जगह पर जाकर बैठ गया

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“मिस पांडे”

अक्षिता ने जैसे की अपना नाम सुना वो पलटी तो दकहया के वहा उसके पीछे एकांश अपने सपाट चेहरे के खड़ा था, ऑफिस के लोग उनको ही देख रहे थे और चेहरे पर सवालिया निशान लिए अक्षिता ने एकांश को देखा

“मेरी एक होटल मे मीटिंग है और तुम मुझे उस मीटिंग के लिए असिस्ट करने वाली हो, कम विथ मी” एकांश ने ऑर्डर छोड़ा और वहा से निकल गया

अक्षिता ने भी जल्दी से अपना पर्स और फोन उठाया और एकांश के पीछे पीछे बिल्डिंग से बाहर आ गई जहा एकांश खड़ा था और फोन पर कीसी से बात कर रहा था

“जल्दी करो हमारे पास पूरा दिन नहीं है” एकांश ने कार मे बैठते हुए अक्षिता से कहा जो वहा कीसी बुत की तरह खड़ी थी

अक्षिता ने उसे देखा और फिर उसकी बड़ी से कार के पैसेंजर सीट का दरवाजा खोलने लगी

“सीट एट बैक” वापिस एकांश का आवाज आया और अक्षिता को उसके बाजू मे पीछे की सीट पे बैठना पड़ा

एकांश गाड़ी मे भी लैपटॉप लिए कुछ काम कर रहा था वही अक्षिता चुप चाप बैठी खिड़की से बाहर देख रही थी, एकांश भी बीच बीच मे काम करते हुए उसे झलक भर देख लेता था हो अपने ही खयालों मे खोई हुई थी

जब कार रुकी तो अक्षिता ने पाया के कार एक बड़े से मेनशन के सामने खड़ी है

“हम कहा है?” अक्षिता ने उस बड़े से घर को देखते हुए पूछा

“मेरे घर पर” एकांश ने गाड़ी से उतरते हुए कहा

‘क्या! क्यू?” अक्षिता ने थोड़ा पैनिक होते हुए कार से नीचे उतरते पूछा

“मुझे मीटिंग के लिए कुछ फाइलस् चाहिए थी बस वही लेनी है” एकांश ने आराम से कहा और घर मे जाने लगा, उसने पीछे देखा तो अक्षिता नर्वसली वही खड़ी थी

“तुम अंदर नहीं आओगी?” उसने पूछा

“नहीं सर मैं यही वेट करती हु” अक्षिता ने कहा

‘ठीक” इतना कह कर एकांश घर मे चला गया

अक्षिता कार से टिक कर खड़ी थी और उसने राहत की सास ली..

एकांश का इंतजार करते हुए अक्षिता ने इधर उधर देखा तो मेनशन मे बने गार्डन ने उसका ध्यान खिचा जो की बहुत खूबसूरत था और बढ़िया तरीके से मैन्टैन किया था

इधर एकांश अपने रूम मे पहुचा और जो चाहिए थी वो फाइलस् ढूँढने लगा जो उसे जल्द ही मिल भी गई और जब वो निकल ही रहा था के खिड़की से उसने एक नजारा देखा जिसे देख वो वही रुक गया

अक्षिता गार्डन मे थी और अपने घुटनों पे बैठ कर गार्डन मे लगे गुलाब के फूलों को देख रही थी, एकांश ने देखा के वहा अक्षिता थोड़ा खुश लग रही थी, उन गुलाब के फूलों की खुशबू लेटे हुए अक्षिता ने अपनी आंखे बंद कर रखी थी और उसके चेहरे पर एक स्माइल आ गई थी

वही दूसरी तरफ एकांश की मा भी वहा पहुच गई थी और वो कार से उतर कर घर मे जा ही रही थी के उन्होंने देखा के एक लड़की उनके गार्डन मे बैठी है जिसकी उनकी ओर पीठ थी, वो मुस्कुराई और उस लड़की की ओर बढ़ गई

“बेटे कौन हो तुम?” एकांश की मा ने पूछा

अक्षिता झट से आवाज सुन खड़ी हुई और उसने इस आवाज की ओर मूड कर देखा तो वो दोनों ही अपनी जगह जम गई और एकदूसरे को देखने लगी

“अक्षिता!!” एकांश की मा ने धीमे से कहा, वो शॉक थी वही अक्षिता नीचे देखते हुए वैसे ही नर्वसली वहा खड़ी थी

“तुम यहा क्या कर रही हो?” उन्होंने पूछा, वो अब भी शॉक थी

“मैं.... वो... मैं.... एक्चुअल्ली...”

“मा..” एकांश भी वहा पहुच गया था

उनदोनों ने एकांश को देखा फिर एकदूसरे को देखा और वापिस एकांश को देखने लगे

“आप दोनों एकदूसरे को जानते हो क्या?” एकांश ने पूछा

“नहीं!” दोनों ने एकस्थ कहा जिसने एकांश को थोड़ा चौकाया

“तो फिर क्या बात कर रहे थे?” एकांश अब उनके पास पहुच चुका था

“कुछ नहीं मैं बस कुछ नहीं थी वो हमारे गार्डन मे क्या कर रही है तो”

“ओह... वैसे ये मेरी अससिस्टेंट है, वो मेरा ही इंतजार कर रही थी मैं कुछ फाइलस् लेने अंदर गया था” एकांश ने अपनी मा को बताया

एकांश की मा ने झटके के साथ अक्षिता को देखा उन्हे यकीन नहीं हो रहा था के अक्षिता उसकी अससिस्टेंट है, अक्षिता ने भी एक नजर उनको देखा और फिर नीचे देखने लगी

“चलो चलते है मीटिंग के लिए देर हो रही है” एकांश ने अक्षिता से कहा और कार की ओर बढ़ गया, अक्षिता भी चुप चाप उसके पीछे हो ली वही एकांश की मा उन्हे जाते हुए देखने लगी

--

एकांश और अक्षिता दोनों होटल मे आ गए थे और सभी की नजरे उनकी तरफ थी या यू काहू एकांश की तरफ... एक तो वो दिखने मे हैन्डसम था हु दूसरा उसका चार्म उसका औरा ऐसा था के लोग उसकी ओर खिचे जाते थे, दूसरा अभी बिजनस जगत मे एकांश अपना नाम बना रहा था और खासा फेमस था

होटल स्टाफ ने एकांश को अच्छे से रीस्पेक्ट के साथ वेलकम किया वही फीमेल स्टाफ के साथ साथ वह मौजूद लड़किया भी उसकी ओर ही देख रही थी

वही लड़कियों का यू एकांश को देखना अक्षिता को पसंद नहीं आ रहा था, वही एक होटल की फीमेल स्टाफ एकांश के बहुत पास खड़ी होकर उससे बात कर रही थी या यू कहे उसे रिझाने की कोशिश कर रही थी और अब ये अक्षिता से बर्दाश्त नहीं हो रहा था,

अक्षिता ने बड़ी हु चतुराई से उस लड़की को एकांश से दूर हटाया और उन दोनों के बीच आकार खाइड हो गई और उस लड़की को थोड़ा घूरने लगी

एकांश ने सप्राइज़ होकर अक्षिता को देखा, वो समझ गया था उसे जलन हो रही थी और ये देख उसके चेहरे पर स्माइल आ गई, अक्षिता ने एकांश को देखा तो वो मुस्कुरा रहा था तो बदले मे अक्षिता ने उसे भी घूर के देखा और उस लड़की को दूर हटाया, अक्षिता और एकांश नजरों से ही एकदूसरे को टशन दे रहे थे

और जहा एक ओर ये आँखों की गुस्ताखिया चल रही थी वही मीटिंग के लिए आए डेलीगटेस और होटल स्टाफ उन्हे देख रहे थे और मीटिंग शुरू होने की राह देख रहे थे और जब उन दोनों के ध्यान मे आया के सब उन्हे देख रहे है तो उन्होंने अपने आप को संभाला और एकांश ने अपना गला साफ किया और बोलना शुरू किया

जिस तरगफ से एकांश डील कर रहा था बात कर रहा अथॉरिटी बता रहा था वो देख अक्षिता इम्प्रेस होने से अपने आप को रोक नहीं पाई, एकांश ने डील की इतने बढ़िया तरीके से हँडल किया था क्व वो लोग उसकी सभी बाते मानते चले गए,

एकांश का स्टाइल, कान्फिडन्स सब कुछ अक्षिता पर आज अलग छाप छोड़ रहा था..

मीटिंग खत्म कर दोनों वापिस ऑफिस आने के लिए निकल गए थे... और दोनों के ही दिमाग मे अपने अपने खयाल दौड़ रहे थे.....



क्रमश:
Nice and superb update....
 
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इस अपडेट की प्रमुख बातें दो थी - पहला था अक्षिता का अपना इलाज करा कर वापस आफिस ज्वाइन करना , और दूसरा अक्षिता और एकांश की मां का पहली बार एकांश के समक्ष प्रस्तुत होना ।
कहने की जरूरत नही है कि अक्षिता और माता जी पहले से ही एक दूसरे से परिचित थे । लेकिन इनका यह मेल मुलाकात हुआ कब था ? यह दोनो कब और कहां मिले थे ?
हमे न तो एकांश के माता जी का नाम पता और न ही उनके प्रोफेशन का पता । माता जी हाउस वाइफ है या किसी प्रोफेशन से जुड़ी हुई है ?

मुझे लगता है वह जरूर डाॅक्टर होगी । शायद अक्षिता का इलाज ये स्वयं कर रही होगी !
इसके अलावा और कोई कारण मुझे तो नही सूझ रहा है ।

बहुत खुबसूरत अपडेट आदि भाई ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट।
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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Update 11



जैसे ही एकांश ने अक्षिता के बारे मे ना सोचने के बारे मे सोचा उसके केबिन का दरवाजा खुला, उसने उधर देखा तो वहा उसके सामने अक्षिता खड़ी थी और उसके हाथ मे उसकी कॉफी थी।

“तुम वापिस आ गई!” अक्षिता को देख एकांश ने लगभग चिल्लाते हुए अपनी जगह से उठते हुए कहा..

एकांश को अपने को ऐसे एक्सईटेड देख अक्षिता थोड़ा चौकी, उसके चेहरे पर कन्फ़्युशन साफ देखा जा सकता था जब उसे देख एकांश अपनी जगह से उठ खड़ा हुआ था

“सर, आप ठीक तो है ना?” अक्षिता ने केबिन मे आते हुए कहा

और जल्द ही एकांश ने अपने आप को संभाला और वापिस से सख्त लहजा अपनाया

“हा” और बगैर अक्षिता की ओर देखे अपनी जगह पर बैठ गया

“आपकी कॉफी” अक्षिता ने कॉफी टेबल पर रखी

एकांश ने एक नजर अक्षिता को देखा जो ऐसे लग रही थी मानो उसने अपने कंधे पर कोई बहुत भरी बोझ उठाया हुआ हो, आंखे ऐसी मानो कई दिनों से सोई ना हो

“where were you?” एकांश ने सपाट आवाज मे पूछा

“मैं छुट्टी पर थी सर” अक्षिता ने भी शांत सपाट आवाज मे जवाब दिया

“पता है लेकिन छुट्टी की जरूरत क्यू लगी?” उसने पूछा

“मेरी तबीयत ठीक नहीं थी”

“ओके, अब जो सच है वो बताओ” एकांश ने पूछा और अक्षिता थोड़ा नर्वस होने लगी

“कैसा सच?” अक्षिता पैनिक कर रही थी लेकिन वैसा महसूस नहीं होने दे रही थी

“तुम्हारी छुट्टी के बारे मे” एकांश ने कहा और अक्षिता की हालत खराब होने लगी, एकांश आगे बोला “तुम्हारे दोस्तों ने बताया तुम्हें बुखार है, वाइरल फीवर लेकिन उसके हावभाव साफ बता रहे थे के वो झूठ बोल रहे है” एकांश ने अपने लैपटॉप मे काम करते हुए कहा

“इडियट्स” अक्षिता पुटपुटाई

“क्या कहा?”

“नहीं... कुछ नहीं सर... लेकिन मैंने मेरी छुट्टी मे क्या किया है इससे आपको कोई मतलब नहीं होना चाहिए” अक्षिता ने अपने आप को संभालते हुए थोड़ा रुडली कहा और एकांश ने अपनी मुट्ठीया भींच ली

“मैं तुम्हारा बॉस हु तुम मेरी एम्प्लोयी हो तो इट इस माइ कन्सर्न डैम इट!” एकांश ने झटके से टेबल पर हाथ मारा

“सर आपको और कुछ चाहिए?” एकांश के गुस्से को इग्नोर करते हुए अक्षिता ने पूछा

“पहले मैंने जो पूछा है उसका जवाब देना सीखो” एकांश दाँत पीसते हुए बोला

“ओके सर... लेकिन मैं मेरे पर्सनल मैटर मेरे बॉस के साथ शेयर नहीं करती” अक्षिता ने कहा

“लीव” एकांश गुस्से मे पुटपुटाया

“क्या सर?”

“मैंने कहा जाओ यहा से” एकांश गुस्से मे चिल्लाया और वो बगैर कुछ बोले उसके केबिन से चली गई...

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रोहन और स्वरा अक्षिता को देख रही थे जो चेहरे पर सूनापन लिए चुप चाप अपना काम करने मे लगी हुई थी एक तो वो लोग उसकी हालत देख कर शॉक मे थे दूसरा उन्हे उसकी काफी चिंता भी हो रही थी कई वापिस आने के बाद उसने उनसे कुछ दूरी सी बना रखी थी

ना तो अक्षिता ने उनसे बात की थी ना तो स्माइल ही दी थी हसना तो दूर की बात और ना ही अक्षिता ने उसकी कीसी बात का जवाब दिया था जब उन्होंने छुट्टी के बारे मे पूछा था, और वो और आज अक्षिता ने उनके साथ लंच भी नहीं किया था

एकांश अपने केबिन की ग्लास विंडो के पास खड़े होकर अपने स्टाफ को देख रहा था, उसके देखा के रोहन और स्वरा दोनों खड़े है और अक्षिता को देख रहे थे, उनके चेहरे पर चिंता की लकिरे साफ दिख रही थी वही फिर उसने अक्षिता को देखा जो एकतक अपने सामने रखी स्क्रीन को देख रही थी

अक्षिता को देखते हुए एकांश को इस खयाल ने थोड़ा और दुखी किया के आज जिस तरह अक्षिता ने उससे बात की थी वैसे पहले कभी नहीं की थी, उसके इस ऑफिस को टेकओवर करने के बाद भी... एकांश यही सब सोच रहा था के उसे एक कॉल आया और वो कॉल अटेन्ड करते हुए अपनी जगह पर जाकर बैठ गया

--

“मिस पांडे”

अक्षिता ने जैसे की अपना नाम सुना वो पलटी तो दकहया के वहा उसके पीछे एकांश अपने सपाट चेहरे के खड़ा था, ऑफिस के लोग उनको ही देख रहे थे और चेहरे पर सवालिया निशान लिए अक्षिता ने एकांश को देखा

“मेरी एक होटल मे मीटिंग है और तुम मुझे उस मीटिंग के लिए असिस्ट करने वाली हो, कम विथ मी” एकांश ने ऑर्डर छोड़ा और वहा से निकल गया

अक्षिता ने भी जल्दी से अपना पर्स और फोन उठाया और एकांश के पीछे पीछे बिल्डिंग से बाहर आ गई जहा एकांश खड़ा था और फोन पर कीसी से बात कर रहा था

“जल्दी करो हमारे पास पूरा दिन नहीं है” एकांश ने कार मे बैठते हुए अक्षिता से कहा जो वहा कीसी बुत की तरह खड़ी थी

अक्षिता ने उसे देखा और फिर उसकी बड़ी से कार के पैसेंजर सीट का दरवाजा खोलने लगी

“सीट एट बैक” वापिस एकांश का आवाज आया और अक्षिता को उसके बाजू मे पीछे की सीट पे बैठना पड़ा

एकांश गाड़ी मे भी लैपटॉप लिए कुछ काम कर रहा था वही अक्षिता चुप चाप बैठी खिड़की से बाहर देख रही थी, एकांश भी बीच बीच मे काम करते हुए उसे झलक भर देख लेता था हो अपने ही खयालों मे खोई हुई थी

जब कार रुकी तो अक्षिता ने पाया के कार एक बड़े से मेनशन के सामने खड़ी है

“हम कहा है?” अक्षिता ने उस बड़े से घर को देखते हुए पूछा

“मेरे घर पर” एकांश ने गाड़ी से उतरते हुए कहा

‘क्या! क्यू?” अक्षिता ने थोड़ा पैनिक होते हुए कार से नीचे उतरते पूछा

“मुझे मीटिंग के लिए कुछ फाइलस् चाहिए थी बस वही लेनी है” एकांश ने आराम से कहा और घर मे जाने लगा, उसने पीछे देखा तो अक्षिता नर्वसली वही खड़ी थी

“तुम अंदर नहीं आओगी?” उसने पूछा

“नहीं सर मैं यही वेट करती हु” अक्षिता ने कहा

‘ठीक” इतना कह कर एकांश घर मे चला गया

अक्षिता कार से टिक कर खड़ी थी और उसने राहत की सास ली..

एकांश का इंतजार करते हुए अक्षिता ने इधर उधर देखा तो मेनशन मे बने गार्डन ने उसका ध्यान खिचा जो की बहुत खूबसूरत था और बढ़िया तरीके से मैन्टैन किया था

इधर एकांश अपने रूम मे पहुचा और जो चाहिए थी वो फाइलस् ढूँढने लगा जो उसे जल्द ही मिल भी गई और जब वो निकल ही रहा था के खिड़की से उसने एक नजारा देखा जिसे देख वो वही रुक गया

अक्षिता गार्डन मे थी और अपने घुटनों पे बैठ कर गार्डन मे लगे गुलाब के फूलों को देख रही थी, एकांश ने देखा के वहा अक्षिता थोड़ा खुश लग रही थी, उन गुलाब के फूलों की खुशबू लेटे हुए अक्षिता ने अपनी आंखे बंद कर रखी थी और उसके चेहरे पर एक स्माइल आ गई थी

वही दूसरी तरफ एकांश की मा भी वहा पहुच गई थी और वो कार से उतर कर घर मे जा ही रही थी के उन्होंने देखा के एक लड़की उनके गार्डन मे बैठी है जिसकी उनकी ओर पीठ थी, वो मुस्कुराई और उस लड़की की ओर बढ़ गई

“बेटे कौन हो तुम?” एकांश की मा ने पूछा

अक्षिता झट से आवाज सुन खड़ी हुई और उसने इस आवाज की ओर मूड कर देखा तो वो दोनों ही अपनी जगह जम गई और एकदूसरे को देखने लगी

“अक्षिता!!” एकांश की मा ने धीमे से कहा, वो शॉक थी वही अक्षिता नीचे देखते हुए वैसे ही नर्वसली वहा खड़ी थी

“तुम यहा क्या कर रही हो?” उन्होंने पूछा, वो अब भी शॉक थी

“मैं.... वो... मैं.... एक्चुअल्ली...”

“मा..” एकांश भी वहा पहुच गया था

उनदोनों ने एकांश को देखा फिर एकदूसरे को देखा और वापिस एकांश को देखने लगे

“आप दोनों एकदूसरे को जानते हो क्या?” एकांश ने पूछा

“नहीं!” दोनों ने एकस्थ कहा जिसने एकांश को थोड़ा चौकाया

“तो फिर क्या बात कर रहे थे?” एकांश अब उनके पास पहुच चुका था

“कुछ नहीं मैं बस कुछ नहीं थी वो हमारे गार्डन मे क्या कर रही है तो”

“ओह... वैसे ये मेरी अससिस्टेंट है, वो मेरा ही इंतजार कर रही थी मैं कुछ फाइलस् लेने अंदर गया था” एकांश ने अपनी मा को बताया

एकांश की मा ने झटके के साथ अक्षिता को देखा उन्हे यकीन नहीं हो रहा था के अक्षिता उसकी अससिस्टेंट है, अक्षिता ने भी एक नजर उनको देखा और फिर नीचे देखने लगी

“चलो चलते है मीटिंग के लिए देर हो रही है” एकांश ने अक्षिता से कहा और कार की ओर बढ़ गया, अक्षिता भी चुप चाप उसके पीछे हो ली वही एकांश की मा उन्हे जाते हुए देखने लगी

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एकांश और अक्षिता दोनों होटल मे आ गए थे और सभी की नजरे उनकी तरफ थी या यू काहू एकांश की तरफ... एक तो वो दिखने मे हैन्डसम था हु दूसरा उसका चार्म उसका औरा ऐसा था के लोग उसकी ओर खिचे जाते थे, दूसरा अभी बिजनस जगत मे एकांश अपना नाम बना रहा था और खासा फेमस था

होटल स्टाफ ने एकांश को अच्छे से रीस्पेक्ट के साथ वेलकम किया वही फीमेल स्टाफ के साथ साथ वह मौजूद लड़किया भी उसकी ओर ही देख रही थी

वही लड़कियों का यू एकांश को देखना अक्षिता को पसंद नहीं आ रहा था, वही एक होटल की फीमेल स्टाफ एकांश के बहुत पास खड़ी होकर उससे बात कर रही थी या यू कहे उसे रिझाने की कोशिश कर रही थी और अब ये अक्षिता से बर्दाश्त नहीं हो रहा था,

अक्षिता ने बड़ी हु चतुराई से उस लड़की को एकांश से दूर हटाया और उन दोनों के बीच आकार खाइड हो गई और उस लड़की को थोड़ा घूरने लगी

एकांश ने सप्राइज़ होकर अक्षिता को देखा, वो समझ गया था उसे जलन हो रही थी और ये देख उसके चेहरे पर स्माइल आ गई, अक्षिता ने एकांश को देखा तो वो मुस्कुरा रहा था तो बदले मे अक्षिता ने उसे भी घूर के देखा और उस लड़की को दूर हटाया, अक्षिता और एकांश नजरों से ही एकदूसरे को टशन दे रहे थे

और जहा एक ओर ये आँखों की गुस्ताखिया चल रही थी वही मीटिंग के लिए आए डेलीगटेस और होटल स्टाफ उन्हे देख रहे थे और मीटिंग शुरू होने की राह देख रहे थे और जब उन दोनों के ध्यान मे आया के सब उन्हे देख रहे है तो उन्होंने अपने आप को संभाला और एकांश ने अपना गला साफ किया और बोलना शुरू किया

जिस तरगफ से एकांश डील कर रहा था बात कर रहा अथॉरिटी बता रहा था वो देख अक्षिता इम्प्रेस होने से अपने आप को रोक नहीं पाई, एकांश ने डील की इतने बढ़िया तरीके से हँडल किया था क्व वो लोग उसकी सभी बाते मानते चले गए,

एकांश का स्टाइल, कान्फिडन्स सब कुछ अक्षिता पर आज अलग छाप छोड़ रहा था..

मीटिंग खत्म कर दोनों वापिस ऑफिस आने के लिए निकल गए थे... और दोनों के ही दिमाग मे अपने अपने खयाल दौड़ रहे थे.....



क्रमश:
Ati uttam, jaisa ki pahle ek baar socha tha, wahi khayaal aaj bhi dimaag me aaya adirshi bhai 👍 ye sab kiya dhara ekansh ke ma baap me se kisi ek ka hi hai, kyu ki wo akshita ko jaanti hai or ekansh ke poochne par saaf mana kar rahi hai. Dono ko kisi dusre ke sath dekh kar jalan ki bhavna aana is baat ko sabit karta hai ki do hi ab tak ek dusre se pyar karte hai. :liplock: Dekhne wali baat ye hai ki saamne kab or kaise aata hai, or sochne waali baat ye hai ki, ekansh ke ghar walo ne akshita ko gareeb honi ki saja di hai ya or kuch??? Anyways amazing update and mind blowing writing by aadi bhai👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻❣️❣️❣️❣️
 
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