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Romance Ek Duje ke Vaaste..

kas1709

Well-Known Member
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Update 36


"माँ, आप ये खाना कहाँ ले जा रही हैं?" अक्षिता ने अपनी माँ के हाथों में खाने की थाली देख पूछा।

"एकांश के लिए" सरिता जी ने भी आराम से जवाब दिया लेकिन बदले मे अक्षिता बस उन्हे देखती रही

" क्यों?"

"क्युकी वो लड़का अपना बिल्कुल भी ख्याल नहीं रखता यहाँ है और यहा आने के बाद से तो वो और दुबला-पतला हो गया है इसीलिए मैंने उससे कहा है कि अब से मैं उसके खाने का ध्यान रखूँगी" और वो एकांश के लिए खाना ले जाने लगी

" लेकिन......"

"अब ये मत कहना के तुम नाही चाहती के मैं उसे खाना देने जाऊ" सरिता जी ने कहा

"ऐसी बात नहीं है माँ.... बस डर लग रहा है के अब वापस उसमे उलझ ना जाए क्युकी अब हम उससे दूर हुए तो वो सह नहीं पाएगा"

"उलझे या नहीं लेकिन हम इस बार कहीं नहीं जा रहे हैं" सरिता जी ने सख्ती से कहा।

"माँ लेकिन...."

"कोई लेकिन वेकीन नहीं अक्षिता, भागना बंद करो और इसका सामना करो, कल क्या होगा ये सोचने मे तुम पहले काफी समय गाव चुकी हो अब अपनी जिंदगी इस सब मे मत लगाओ बेटा" सरिता जी ने थोड़ा सख्ती से कहा वही अक्षिता बस उन्हे देखती ही रही

"अब तुम्हें ये पसंद हो या ना हो लेकिन हम अब कही नहीं जाएंगे अक्षिता” सरिताजी ने आगे कहा वही अक्षिता की आंखों में आंसू आ गए

"यह सच है अक्षिता तुम्हारे जीवन का सच, तुम दोनों को इससे भागने के बजाय इसका सामना करना होगा, तुमने उससे कितना भी दूर भागने की कोशिश की हो, किस्मत ने फिर से तुम दोनों को एक साथ ला दिया है, इसलिए कल के बारे में सोचना बंद करो और अपने आप को संजोना सीखो, तुमसे बेहतर जिंदगी की कीमत कौन जान सकता है?" सरिता जी ने अक्षिता को प्यार से आराम से समझाते हुए कहा...

"तुमने उससे सच छुपाकर गलती की है अक्षु वो तुम्हारी जिंदगी का हिस्सा है, बल्कि तुम्हारी पूरी जिंदगी का, उसे सच जानने का हक है, बार-बार उसे दूर धकेलकर वही गलती मत दोहराओ" सरिता जी ने अक्षिता के आँसू पोंछते हुए कहा

सरिता जी की बातों ने अक्षिता को सोच मे डाल दिया था

"समझ आया?” सरिता जी ने मुसकुराते हुए पूछा और अक्षिता ने बस हा मे सर हिला दिया

"चलो अच्छा है अब कल क्या होने वाला है ये सोचना छोड़ो और आज मे जियो” जिसपर वापिस अक्षिता ने हा मे गर्दन हिला दी

“अच्छा अब तुम्हारे ये सवाल जवाब हो गए हो तो मैं जाऊ मुझे मेरी होने वाले दामाद को खाना देने जान है” सरिता जी ने मुसकुराते हुए कहा वही अक्षिता बस उन्हे शॉक मे देखती रही

सरिता जी तो वहा से चली गई लेकीन उनकी कही बाते अभी भी अक्षिता के दिमाग मे गूंज रही थी और वो उन्ही बातों के बारे मे सोच रही थी

******

" अक्षिता! "

" हा मा! "

"जाओ और जरा ये कॉफ़ी एकांश को दे आओ"

"क्या? मैं नहीं जा रही तुम ही रखो उसका खयाल" अक्षिता ने कहा

"प्लीज अक्षु, मुझे और भी काम है" सरिता जी ने कहा और अक्षिता ने उनके साथ से कॉफी का कप लिया और मन ही मन बड़बड़ाते हुए एकांश के कमरे की ओर बढ़ गई

अक्षिता ने दरवाज़ा खटखटाया जो की हमेशा की तरह खुला था और अंदर से कोई आवाज नहीं आ रहा था और इसीलिए अक्षिता कमरे के अंदर चली गई और उसने कॉफी टेबल पर रखी और जैसे ही जाने के लिए मुड़ी तो उसने देखा के एकांश उसके सामने खड़ा था जिसे देख वो वही जाम गई थी

एकांश कमर पर सिर्फ तौलिया लपेटे खड़ा था और अक्षिता ने एकांश को आजतक इस पोजीशन मे तो नहीं देखा था इसीलिए अब क्या बोले या करे उसके समझ नहीं आ रहा था वही एकांश से नजर भी नहीं हट रही थी वही एकांश भी पहले तो उसे अपने कमरे मे देख चौका था लेकिन लेकिन कुछ बोला नहीं

दोनों एक दूसरे को घूरते हुए खड़े थे अक्षिता नजरे हटाना चाहती थी लेकिन उससे वो हो नहीं आ रहा था और आगे फिर कभी मौका मिले ना मिले इसीलिए अक्षिता ने अब अपनी फीलिंगस को ना छुपने का मन बना लिया था

दोनों के बीच सेक्शुअल टेंशन साफ था और न केवल अब से बल्कि जिन दिन ऑफिस मे वो दोबारा मिले थे तब से जिसे अक्षिता ने तब नजरंदाज कर दिया था क्युकी वो खुद एकांश से दूर जाना चाहती थी वही एकांश ने अपनी फीलिंग के ऊपर नफरत की चादर ओढ़ रखी थी, उसके रीलैशनशिप के दौरान भी हालत कुछ ऐसे ही थे दोनों एकदूसरे के साथ होकर एकदूसरे का स्पर्श पाकर खुश थे

बेशक उन्होंने किस करने के अलावा कुछ नहीं किया था लेकिन ये तनाव हमेशा बना रहा जैसे वे सिर्फ़ किस करने से ज़्यादा बहुत कुछ चाहते थे लेकिन अक्षिता अपनी सीमाएँ जानती थी और एकांश ने कभी अपनी सीमाएँ नहीं लांघीं...

इसलिए सालों का जो सेक्शुअल टेंशन दबा हुआ था उसी का ये असर हुआ के एकांश धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ने लगा और वो वहीं खड़ी उसे देखती रही

"तुम यहा क्या कर रही हो?" एकांश ने अक्षिता सामने खड़े होकर धीरे से पूछा

"मैं... बस...." अक्षिता के मुह से शब्द नहीं निकल रही थे साथ ही एकांश के इतने करीब होने से उसे कुछ होने लगा था

"तुम क्या?" एकांश उसके इतने करीब था के अक्षिता उसके साँसे अपने चेहरे पर महसूस कर सकती थी

"क... कॉफी...." वह पीछे हटते हुए फुसफुसायी

अक्षिता को पीछे सरकता देख एकांश ने अपनी हाथों से उसकी कमर पकड़े उसे अपने पास खिचा, दोनों के शरीर एकदूसरे से लगभग चिपक गए थे, सारी दूरिया समाप्त होने लगी थी एकांश ने हल्के से अक्षिता के माथे, उसके गालों को चूमा... उसके चेहरे पर हर जगह चूमा सिवाय उसके होंठों के, अक्षिता की आंखे बंद थी वो बस इस पल को जीना चाहती थी आज वो एकांश को नहीं रोकने वाली थी एकांश अक्षिता के होंठों पर किस करने झुका, उनके होंठ मिलने की वाले थे के तभी एकांश का फोन जोर से ब्याज उठा और उनके इस रोमांटिक मोमेंट मे खलल पड गया, अक्षिता एकदम से एकांश से दूर हटी वही एकांश मन ही मन गाली देते हुए फोन की ओर लपका

फोन स्वरा का था जिसे एकांश नेकाट दिया और अक्षिता की तरफ़ देखा जो नीचे की ओर देख रही दोनों की एकदूसरे से नजरे नहीं मिला रहे थे एकांश कुछ कहने ही वाला था के तभी उसका फोन फिर से बजा और इसबार उसके कॉल उठाया

"अब क्या मुसीबत आ गई स्वरा?" एकांश फोन उठाते ही चिल्लाया वही अक्षिता ने जब स्वरा का नाम सुना तो उत्सुकता से एकांश को देखने लाही

"आह... ये बंद हमेशा इतने सड़े हुए मूड मे क्यों रहता है?" स्वरा ने कहा

"बकवास बंद करो और फोन क्यू किया बताओ" एकांश ने चिढ़कर कहा

"चिढ़ो मत मैंने तुम्हें मीटिंग के लिए याद दिलाने के लिए फोन किया था जो आधे घंटे में है बस" स्वरा ने कहा और तब जाकर एकांश ने घड़ी की ओर देखा

"ओह शिट!"



"yeah… it happens" स्वरा ने कहा



"शट अप... मुझे लेट हो रहा मैं तुमसे बाद में बात करूंगा" और ये कहते हुए एकांश ने फोन काट दिया और स्वरा जो अक्षिता के बारे में पूछने ही वाली थी उसकी बात अधूरी रह गई

एकांश ने झट से अपना सूट निकाला और पहनने लगा

"अरे! मैं अभी भी यहीं हूँ!" एकांश अपना तौलिया निकालने ही वाला था के अक्षिता बोल पड़ी

"जानता हु और मुझे पता है कि तुम इस सीन का मजा का ले रही हो" एकांश ने अक्षिता को देख आँख मारते हुए कहा

"शट अप!" अक्षिता ने बुदबुदाते हुए कहा और दरवाजे की ओर जाने लगी और जाते जाते अचानक रुकी और पलट कर एकांश को देखा और पूछा

"वे लोग कैसे है?”

"कौन?"

" रोहन और स्वरा"

"ठीक हैं" एकांश ने अपनी फाइल और लपटॉप बैग मे रखते हुए कहा

"ओके" और अक्षिता वहा से जाने लगी के तभी एकांश ने उसे रोका

"अरे! हमने जो शुरू किया था, उसे पूरा कौन करेगा?" एकांश ने कहा जिसपर अक्षिता शरमा गई और वप उसे देख मुस्कुराया।

"जाओ काम करो जाकर” अक्षिता ने कहा और वहा से चली गई

******

शाम के वक्त जब एकांश ऑफिस से आया तब उसी वक्त अक्षिता ने भी बाहर वाक पर जाने का मन बनाया था और एक बार फिर दोनों दरवाले पर एकदूसरे के आमने सामने खड़े थे और कोई भी दूसरे को अंदर जाने का रास्ता नहीं दे रहा था नतिजन दोनों की दरवाजे पर खड़े बच्चों की तरह लड़ने लगी जिसे बाहर से आते अक्षिता के पिताजी को रोकना पड़ा, और जब वो घर के अंदर चले गए तब अक्षिता को एकांश अपनी की इस बेवकूफी पर हसने लगे,

हालत सुधर रहे थे अक्षिता की तबीयत भी अब कुछ ठीक थी लेकिन सबकी के मन मे एक डर था, कभी भी कुछ भी हो सकता था, एकांश डॉक्टर अवस्थी से बराबर टच मे था उन्हे अक्षिता के बारे मे हर खबर देते रहता था और उनके हाथ मे जितना था वो सब कर रहे थे, अक्षिता की रेपोर्ट्स भी दुनिया के बड़े बड़े डॉक्टरस को बताई जा रही थी, अक्षिता के बचने का 1% भी चांस क्यू न हो एकांश को चांस लेने तरह था लेकिन कई डॉक्टरस ने वही कहा जो डॉक्टर अवस्थी ने बताया था, इसीलिए जितना भी समय बचा था एकांश ने अब वो सब अक्षिता के साथ बिताने का फैसला किया था, उसका तो ऑफिस मे भी मन नहीं लगता था जिसके चलते रोहन और स्वरा पर काम का बोझ बढ़ रहा था लेकिन वो भी एकांश की हालत जानते थे, अक्षिता ने भी अपनी मा की बात सुन आगे हो होन होगा हो जाएगा सोच आज मे जीने का फैसला किया था और एकांश के साथ अब जीतने भी पल जिने मिले वो उन सब को जीना चाहती थी

दोनों इस वक्त घर के दरवाजे पर खड़े हास रही थे वही अक्षिता के माता-पिता उन दोनों के हंसते हुए चेहरों को देखकर मुस्कुरा रहे थे उन्होंने अपनी बेटी को कई महीनों बाद आज इस तरह खुल कर हंसते हुए देखा था, उन्हें नहीं पता कि भविष्य में क्या होगा, लेकिन उन्होंने भगवान से प्रार्थना की कि वे उन दोनों को खुश रखे....




क्रमश:
Nice update....
 
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अक्षिता की माता - सरिता जी ने अक्षिता से जो कुछ कहा वही तो मैने अपने सिग्नेचर मे लिख रखा है ।
Tomorrow is not promised us so let us take today and make the most of it .
कल की चिंता मे हम अपने आज का दिन क्यों खराब करें ! कल क्या होगा , इसकी फिक्र मे आज पुरे दिन हम मातम क्यों मनाएं ! जरूरत है आज के दिन को एन्जॉय किया जाए , वह कार्य किया जाए जो भविष्य की रूप-रखा निर्धारित कर सके । परिणाम आशानुरूप हो या न हो आप अपने कर्म करते जाएं ।

शायद इस बात को अक्षिता ने गहराई से चिंतन मनन किया । यही कारण था कि इतने दिनों के बाद वह पहली बार खुलकर एकांश से आत्मीयता से मिली ।
लेकिन ऐसे बीमारी के सिचुएशन मे सेक्स की खुमारी भला कहां पैदा होती है ! ऐसे हालात मे भला कौन सेक्सुअली उत्तेजित होता है ! अक्षिता और एकांश दोनो का ही सेक्सुअल हार्मोन एक्टिव होना , मुझे समझ नही आया ।

खैर , देर से ही सही अक्षिता अपने जीवन से प्रेम करने लगी है । इस प्रेम मे बड़ी ताकत होती है । इस प्रेम के सामने स्वयं परमात्मा अपनी हार स्वीकार कर लेते है । जीवन रेखा की लाइन आश्चर्यजनक रूप से बढ़ जाती है ।

खुबसूरत अपडेट आदि भाई ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट ।
 

dhparikh

Well-Known Member
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Update 36


"माँ, आप ये खाना कहाँ ले जा रही हैं?" अक्षिता ने अपनी माँ के हाथों में खाने की थाली देख पूछा।

"एकांश के लिए" सरिता जी ने भी आराम से जवाब दिया लेकिन बदले मे अक्षिता बस उन्हे देखती रही

" क्यों?"

"क्युकी वो लड़का अपना बिल्कुल भी ख्याल नहीं रखता यहाँ है और यहा आने के बाद से तो वो और दुबला-पतला हो गया है इसीलिए मैंने उससे कहा है कि अब से मैं उसके खाने का ध्यान रखूँगी" और वो एकांश के लिए खाना ले जाने लगी

" लेकिन......"

"अब ये मत कहना के तुम नाही चाहती के मैं उसे खाना देने जाऊ" सरिता जी ने कहा

"ऐसी बात नहीं है माँ.... बस डर लग रहा है के अब वापस उसमे उलझ ना जाए क्युकी अब हम उससे दूर हुए तो वो सह नहीं पाएगा"

"उलझे या नहीं लेकिन हम इस बार कहीं नहीं जा रहे हैं" सरिता जी ने सख्ती से कहा।

"माँ लेकिन...."

"कोई लेकिन वेकीन नहीं अक्षिता, भागना बंद करो और इसका सामना करो, कल क्या होगा ये सोचने मे तुम पहले काफी समय गाव चुकी हो अब अपनी जिंदगी इस सब मे मत लगाओ बेटा" सरिता जी ने थोड़ा सख्ती से कहा वही अक्षिता बस उन्हे देखती ही रही

"अब तुम्हें ये पसंद हो या ना हो लेकिन हम अब कही नहीं जाएंगे अक्षिता” सरिताजी ने आगे कहा वही अक्षिता की आंखों में आंसू आ गए

"यह सच है अक्षिता तुम्हारे जीवन का सच, तुम दोनों को इससे भागने के बजाय इसका सामना करना होगा, तुमने उससे कितना भी दूर भागने की कोशिश की हो, किस्मत ने फिर से तुम दोनों को एक साथ ला दिया है, इसलिए कल के बारे में सोचना बंद करो और अपने आप को संजोना सीखो, तुमसे बेहतर जिंदगी की कीमत कौन जान सकता है?" सरिता जी ने अक्षिता को प्यार से आराम से समझाते हुए कहा...

"तुमने उससे सच छुपाकर गलती की है अक्षु वो तुम्हारी जिंदगी का हिस्सा है, बल्कि तुम्हारी पूरी जिंदगी का, उसे सच जानने का हक है, बार-बार उसे दूर धकेलकर वही गलती मत दोहराओ" सरिता जी ने अक्षिता के आँसू पोंछते हुए कहा

सरिता जी की बातों ने अक्षिता को सोच मे डाल दिया था

"समझ आया?” सरिता जी ने मुसकुराते हुए पूछा और अक्षिता ने बस हा मे सर हिला दिया

"चलो अच्छा है अब कल क्या होने वाला है ये सोचना छोड़ो और आज मे जियो” जिसपर वापिस अक्षिता ने हा मे गर्दन हिला दी

“अच्छा अब तुम्हारे ये सवाल जवाब हो गए हो तो मैं जाऊ मुझे मेरी होने वाले दामाद को खाना देने जान है” सरिता जी ने मुसकुराते हुए कहा वही अक्षिता बस उन्हे शॉक मे देखती रही

सरिता जी तो वहा से चली गई लेकीन उनकी कही बाते अभी भी अक्षिता के दिमाग मे गूंज रही थी और वो उन्ही बातों के बारे मे सोच रही थी

******

" अक्षिता! "

" हा मा! "

"जाओ और जरा ये कॉफ़ी एकांश को दे आओ"

"क्या? मैं नहीं जा रही तुम ही रखो उसका खयाल" अक्षिता ने कहा

"प्लीज अक्षु, मुझे और भी काम है" सरिता जी ने कहा और अक्षिता ने उनके साथ से कॉफी का कप लिया और मन ही मन बड़बड़ाते हुए एकांश के कमरे की ओर बढ़ गई

अक्षिता ने दरवाज़ा खटखटाया जो की हमेशा की तरह खुला था और अंदर से कोई आवाज नहीं आ रहा था और इसीलिए अक्षिता कमरे के अंदर चली गई और उसने कॉफी टेबल पर रखी और जैसे ही जाने के लिए मुड़ी तो उसने देखा के एकांश उसके सामने खड़ा था जिसे देख वो वही जाम गई थी

एकांश कमर पर सिर्फ तौलिया लपेटे खड़ा था और अक्षिता ने एकांश को आजतक इस पोजीशन मे तो नहीं देखा था इसीलिए अब क्या बोले या करे उसके समझ नहीं आ रहा था वही एकांश से नजर भी नहीं हट रही थी वही एकांश भी पहले तो उसे अपने कमरे मे देख चौका था लेकिन लेकिन कुछ बोला नहीं

दोनों एक दूसरे को घूरते हुए खड़े थे अक्षिता नजरे हटाना चाहती थी लेकिन उससे वो हो नहीं आ रहा था और आगे फिर कभी मौका मिले ना मिले इसीलिए अक्षिता ने अब अपनी फीलिंगस को ना छुपने का मन बना लिया था

दोनों के बीच सेक्शुअल टेंशन साफ था और न केवल अब से बल्कि जिन दिन ऑफिस मे वो दोबारा मिले थे तब से जिसे अक्षिता ने तब नजरंदाज कर दिया था क्युकी वो खुद एकांश से दूर जाना चाहती थी वही एकांश ने अपनी फीलिंग के ऊपर नफरत की चादर ओढ़ रखी थी, उसके रीलैशनशिप के दौरान भी हालत कुछ ऐसे ही थे दोनों एकदूसरे के साथ होकर एकदूसरे का स्पर्श पाकर खुश थे

बेशक उन्होंने किस करने के अलावा कुछ नहीं किया था लेकिन ये तनाव हमेशा बना रहा जैसे वे सिर्फ़ किस करने से ज़्यादा बहुत कुछ चाहते थे लेकिन अक्षिता अपनी सीमाएँ जानती थी और एकांश ने कभी अपनी सीमाएँ नहीं लांघीं...

इसलिए सालों का जो सेक्शुअल टेंशन दबा हुआ था उसी का ये असर हुआ के एकांश धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ने लगा और वो वहीं खड़ी उसे देखती रही

"तुम यहा क्या कर रही हो?" एकांश ने अक्षिता सामने खड़े होकर धीरे से पूछा

"मैं... बस...." अक्षिता के मुह से शब्द नहीं निकल रही थे साथ ही एकांश के इतने करीब होने से उसे कुछ होने लगा था

"तुम क्या?" एकांश उसके इतने करीब था के अक्षिता उसके साँसे अपने चेहरे पर महसूस कर सकती थी

"क... कॉफी...." वह पीछे हटते हुए फुसफुसायी

अक्षिता को पीछे सरकता देख एकांश ने अपनी हाथों से उसकी कमर पकड़े उसे अपने पास खिचा, दोनों के शरीर एकदूसरे से लगभग चिपक गए थे, सारी दूरिया समाप्त होने लगी थी एकांश ने हल्के से अक्षिता के माथे, उसके गालों को चूमा... उसके चेहरे पर हर जगह चूमा सिवाय उसके होंठों के, अक्षिता की आंखे बंद थी वो बस इस पल को जीना चाहती थी आज वो एकांश को नहीं रोकने वाली थी एकांश अक्षिता के होंठों पर किस करने झुका, उनके होंठ मिलने की वाले थे के तभी एकांश का फोन जोर से ब्याज उठा और उनके इस रोमांटिक मोमेंट मे खलल पड गया, अक्षिता एकदम से एकांश से दूर हटी वही एकांश मन ही मन गाली देते हुए फोन की ओर लपका

फोन स्वरा का था जिसे एकांश नेकाट दिया और अक्षिता की तरफ़ देखा जो नीचे की ओर देख रही दोनों की एकदूसरे से नजरे नहीं मिला रहे थे एकांश कुछ कहने ही वाला था के तभी उसका फोन फिर से बजा और इसबार उसके कॉल उठाया

"अब क्या मुसीबत आ गई स्वरा?" एकांश फोन उठाते ही चिल्लाया वही अक्षिता ने जब स्वरा का नाम सुना तो उत्सुकता से एकांश को देखने लाही

"आह... ये बंद हमेशा इतने सड़े हुए मूड मे क्यों रहता है?" स्वरा ने कहा

"बकवास बंद करो और फोन क्यू किया बताओ" एकांश ने चिढ़कर कहा

"चिढ़ो मत मैंने तुम्हें मीटिंग के लिए याद दिलाने के लिए फोन किया था जो आधे घंटे में है बस" स्वरा ने कहा और तब जाकर एकांश ने घड़ी की ओर देखा

"ओह शिट!"



"yeah… it happens" स्वरा ने कहा



"शट अप... मुझे लेट हो रहा मैं तुमसे बाद में बात करूंगा" और ये कहते हुए एकांश ने फोन काट दिया और स्वरा जो अक्षिता के बारे में पूछने ही वाली थी उसकी बात अधूरी रह गई

एकांश ने झट से अपना सूट निकाला और पहनने लगा

"अरे! मैं अभी भी यहीं हूँ!" एकांश अपना तौलिया निकालने ही वाला था के अक्षिता बोल पड़ी

"जानता हु और मुझे पता है कि तुम इस सीन का मजा का ले रही हो" एकांश ने अक्षिता को देख आँख मारते हुए कहा

"शट अप!" अक्षिता ने बुदबुदाते हुए कहा और दरवाजे की ओर जाने लगी और जाते जाते अचानक रुकी और पलट कर एकांश को देखा और पूछा

"वे लोग कैसे है?”

"कौन?"

" रोहन और स्वरा"

"ठीक हैं" एकांश ने अपनी फाइल और लपटॉप बैग मे रखते हुए कहा

"ओके" और अक्षिता वहा से जाने लगी के तभी एकांश ने उसे रोका

"अरे! हमने जो शुरू किया था, उसे पूरा कौन करेगा?" एकांश ने कहा जिसपर अक्षिता शरमा गई और वप उसे देख मुस्कुराया।

"जाओ काम करो जाकर” अक्षिता ने कहा और वहा से चली गई

******

शाम के वक्त जब एकांश ऑफिस से आया तब उसी वक्त अक्षिता ने भी बाहर वाक पर जाने का मन बनाया था और एक बार फिर दोनों दरवाले पर एकदूसरे के आमने सामने खड़े थे और कोई भी दूसरे को अंदर जाने का रास्ता नहीं दे रहा था नतिजन दोनों की दरवाजे पर खड़े बच्चों की तरह लड़ने लगी जिसे बाहर से आते अक्षिता के पिताजी को रोकना पड़ा, और जब वो घर के अंदर चले गए तब अक्षिता को एकांश अपनी की इस बेवकूफी पर हसने लगे,

हालत सुधर रहे थे अक्षिता की तबीयत भी अब कुछ ठीक थी लेकिन सबकी के मन मे एक डर था, कभी भी कुछ भी हो सकता था, एकांश डॉक्टर अवस्थी से बराबर टच मे था उन्हे अक्षिता के बारे मे हर खबर देते रहता था और उनके हाथ मे जितना था वो सब कर रहे थे, अक्षिता की रेपोर्ट्स भी दुनिया के बड़े बड़े डॉक्टरस को बताई जा रही थी, अक्षिता के बचने का 1% भी चांस क्यू न हो एकांश को चांस लेने तरह था लेकिन कई डॉक्टरस ने वही कहा जो डॉक्टर अवस्थी ने बताया था, इसीलिए जितना भी समय बचा था एकांश ने अब वो सब अक्षिता के साथ बिताने का फैसला किया था, उसका तो ऑफिस मे भी मन नहीं लगता था जिसके चलते रोहन और स्वरा पर काम का बोझ बढ़ रहा था लेकिन वो भी एकांश की हालत जानते थे, अक्षिता ने भी अपनी मा की बात सुन आगे हो होन होगा हो जाएगा सोच आज मे जीने का फैसला किया था और एकांश के साथ अब जीतने भी पल जिने मिले वो उन सब को जीना चाहती थी

दोनों इस वक्त घर के दरवाजे पर खड़े हास रही थे वही अक्षिता के माता-पिता उन दोनों के हंसते हुए चेहरों को देखकर मुस्कुरा रहे थे उन्होंने अपनी बेटी को कई महीनों बाद आज इस तरह खुल कर हंसते हुए देखा था, उन्हें नहीं पता कि भविष्य में क्या होगा, लेकिन उन्होंने भगवान से प्रार्थना की कि वे उन दोनों को खुश रखे....




क्रमश:
Nice update....
 

randibaaz chora

Active Member
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Yeh story sirf usko acchi nahin lagegi jisne kabhi pyar na kiya ho apni zindagi main. Maine kiya hai aur kar raha hun iss liye yeh bahut hi acchi story lagti hai.
Bhai pyaar nahi jiske mann me thode bhi emotion hai unhe ye story achhi lag ni chahiye...
Jinko achhi nahin lag rahi wo keval dhakaam peli dekhna chahte hai........
Har story ka genre alag hota hai writer bhai acha likh rahe hai aise hi likhte raho
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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*तियापा जारी है एकांश और अक्षिता - दोनों का।

सबसे पहली बात यह है कि कोई महामूर्ख ही होगा, जो ये न समझ सके, कि उसका पुराना आशिक़ उसके ही घर में - पड़ोस के कमरे में किराएदार बन कर क्यों रह रहा है। लेकिन अक्षिता देवी बुद्धिमत्ता का घोल बना कर नाली में बहा चुकी लगती हैं। उनको यह बात समझ में नहीं आई! धन्य हैं वो! और जब एकांश के स्वांग की पोल खुल ही गई है, तो साफ शब्दों में अपने दिल की बातें कहने में उसका अधो-भाग क्यों चिरा जा रहा है? कम से कम यह बात इस नाचीज़ की समझ के बहुत बाहर है।

अधिकतर रिश्ते (शायद 95 प्रतिशत) इसी बात पर टूट जाते हैं क्योंकि हिस्सेदार पार्टियाँ आपस में बैठ कर, शांति से दो बातें नहीं कर पाते। बिना किसी वार्तालाप के हम अपनी ग़लतफ़हमियाँ कैसे दूर कर सकते हैं? अक्षिता का बेहोशी वाला एपिसोड एकांश की ही देन है - इतना तो उसकी अम्मा ने भी बता दिया। फिर भी *तियापा जारी है! यह गति चलती रही, तो अक्षिता ऊपर जाने वाली एक्सप्रेस ट्रेन पकड़ लेगी, जल्दी ही।

और वाह भाई वाह! जब अक्षिता एकांश का पिण्ड छोड़ने की नौटंकी बघारती फिरती है, तो छोड़ क्यों नहीं देती? एक कहावत याद आ गई -- “न हगे, न राह छोड़े”! सोचिए -- आप कहीं जाने को निकले हैं, और एक व्यक्ति आपके सामने सड़क पर शौच करने बैठ जाए। लेकिन वो न तो शौच ही करे, और न ही आपके रास्ते से हटे! अक्षिता पर यह कहावत पूरी तरह से फ़िट बैठती है।

अरे मोहतरमा, अगर एकांश के किसी अन्य लड़की में इंटरेस्ट होने पर आपके अधो-भाग में जुन्ना काट रहा है, तो फिर उससे कटे रहने की ये नौटंकी करने की क्या ज़रुरत है? इतनी बचकाना हरकतें शायद बच्चे भी नहीं करते।

आप ग़लत मत समझिए -- आप अच्छा लिखते हैं। लेकिन अब, इतने दिनों बाद, वही नौटंकी पढ़ कर मन ऊब गया। या तो इनको मिलवाओ, या फिर दोनों में से एक को ऊपर कटा ही दो! शायद अगले एक दो अपडेट्स में इन दोनों में से किसी एक को अकल आ जाए!
Agree 💯 😂😂😂😂
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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Update 36


"माँ, आप ये खाना कहाँ ले जा रही हैं?" अक्षिता ने अपनी माँ के हाथों में खाने की थाली देख पूछा।

"एकांश के लिए" सरिता जी ने भी आराम से जवाब दिया लेकिन बदले मे अक्षिता बस उन्हे देखती रही

" क्यों?"

"क्युकी वो लड़का अपना बिल्कुल भी ख्याल नहीं रखता यहाँ है और यहा आने के बाद से तो वो और दुबला-पतला हो गया है इसीलिए मैंने उससे कहा है कि अब से मैं उसके खाने का ध्यान रखूँगी" और वो एकांश के लिए खाना ले जाने लगी

" लेकिन......"

"अब ये मत कहना के तुम नाही चाहती के मैं उसे खाना देने जाऊ" सरिता जी ने कहा

"ऐसी बात नहीं है माँ.... बस डर लग रहा है के अब वापस उसमे उलझ ना जाए क्युकी अब हम उससे दूर हुए तो वो सह नहीं पाएगा"

"उलझे या नहीं लेकिन हम इस बार कहीं नहीं जा रहे हैं" सरिता जी ने सख्ती से कहा।

"माँ लेकिन...."

"कोई लेकिन वेकीन नहीं अक्षिता, भागना बंद करो और इसका सामना करो, कल क्या होगा ये सोचने मे तुम पहले काफी समय गाव चुकी हो अब अपनी जिंदगी इस सब मे मत लगाओ बेटा" सरिता जी ने थोड़ा सख्ती से कहा वही अक्षिता बस उन्हे देखती ही रही

"अब तुम्हें ये पसंद हो या ना हो लेकिन हम अब कही नहीं जाएंगे अक्षिता” सरिताजी ने आगे कहा वही अक्षिता की आंखों में आंसू आ गए

"यह सच है अक्षिता तुम्हारे जीवन का सच, तुम दोनों को इससे भागने के बजाय इसका सामना करना होगा, तुमने उससे कितना भी दूर भागने की कोशिश की हो, किस्मत ने फिर से तुम दोनों को एक साथ ला दिया है, इसलिए कल के बारे में सोचना बंद करो और अपने आप को संजोना सीखो, तुमसे बेहतर जिंदगी की कीमत कौन जान सकता है?" सरिता जी ने अक्षिता को प्यार से आराम से समझाते हुए कहा...

"तुमने उससे सच छुपाकर गलती की है अक्षु वो तुम्हारी जिंदगी का हिस्सा है, बल्कि तुम्हारी पूरी जिंदगी का, उसे सच जानने का हक है, बार-बार उसे दूर धकेलकर वही गलती मत दोहराओ" सरिता जी ने अक्षिता के आँसू पोंछते हुए कहा

सरिता जी की बातों ने अक्षिता को सोच मे डाल दिया था

"समझ आया?” सरिता जी ने मुसकुराते हुए पूछा और अक्षिता ने बस हा मे सर हिला दिया

"चलो अच्छा है अब कल क्या होने वाला है ये सोचना छोड़ो और आज मे जियो” जिसपर वापिस अक्षिता ने हा मे गर्दन हिला दी

“अच्छा अब तुम्हारे ये सवाल जवाब हो गए हो तो मैं जाऊ मुझे मेरी होने वाले दामाद को खाना देने जान है” सरिता जी ने मुसकुराते हुए कहा वही अक्षिता बस उन्हे शॉक मे देखती रही

सरिता जी तो वहा से चली गई लेकीन उनकी कही बाते अभी भी अक्षिता के दिमाग मे गूंज रही थी और वो उन्ही बातों के बारे मे सोच रही थी

******

" अक्षिता! "

" हा मा! "

"जाओ और जरा ये कॉफ़ी एकांश को दे आओ"

"क्या? मैं नहीं जा रही तुम ही रखो उसका खयाल" अक्षिता ने कहा

"प्लीज अक्षु, मुझे और भी काम है" सरिता जी ने कहा और अक्षिता ने उनके साथ से कॉफी का कप लिया और मन ही मन बड़बड़ाते हुए एकांश के कमरे की ओर बढ़ गई

अक्षिता ने दरवाज़ा खटखटाया जो की हमेशा की तरह खुला था और अंदर से कोई आवाज नहीं आ रहा था और इसीलिए अक्षिता कमरे के अंदर चली गई और उसने कॉफी टेबल पर रखी और जैसे ही जाने के लिए मुड़ी तो उसने देखा के एकांश उसके सामने खड़ा था जिसे देख वो वही जाम गई थी

एकांश कमर पर सिर्फ तौलिया लपेटे खड़ा था और अक्षिता ने एकांश को आजतक इस पोजीशन मे तो नहीं देखा था इसीलिए अब क्या बोले या करे उसके समझ नहीं आ रहा था वही एकांश से नजर भी नहीं हट रही थी वही एकांश भी पहले तो उसे अपने कमरे मे देख चौका था लेकिन लेकिन कुछ बोला नहीं

दोनों एक दूसरे को घूरते हुए खड़े थे अक्षिता नजरे हटाना चाहती थी लेकिन उससे वो हो नहीं आ रहा था और आगे फिर कभी मौका मिले ना मिले इसीलिए अक्षिता ने अब अपनी फीलिंगस को ना छुपने का मन बना लिया था

दोनों के बीच सेक्शुअल टेंशन साफ था और न केवल अब से बल्कि जिन दिन ऑफिस मे वो दोबारा मिले थे तब से जिसे अक्षिता ने तब नजरंदाज कर दिया था क्युकी वो खुद एकांश से दूर जाना चाहती थी वही एकांश ने अपनी फीलिंग के ऊपर नफरत की चादर ओढ़ रखी थी, उसके रीलैशनशिप के दौरान भी हालत कुछ ऐसे ही थे दोनों एकदूसरे के साथ होकर एकदूसरे का स्पर्श पाकर खुश थे

बेशक उन्होंने किस करने के अलावा कुछ नहीं किया था लेकिन ये तनाव हमेशा बना रहा जैसे वे सिर्फ़ किस करने से ज़्यादा बहुत कुछ चाहते थे लेकिन अक्षिता अपनी सीमाएँ जानती थी और एकांश ने कभी अपनी सीमाएँ नहीं लांघीं...

इसलिए सालों का जो सेक्शुअल टेंशन दबा हुआ था उसी का ये असर हुआ के एकांश धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ने लगा और वो वहीं खड़ी उसे देखती रही

"तुम यहा क्या कर रही हो?" एकांश ने अक्षिता सामने खड़े होकर धीरे से पूछा

"मैं... बस...." अक्षिता के मुह से शब्द नहीं निकल रही थे साथ ही एकांश के इतने करीब होने से उसे कुछ होने लगा था

"तुम क्या?" एकांश उसके इतने करीब था के अक्षिता उसके साँसे अपने चेहरे पर महसूस कर सकती थी

"क... कॉफी...." वह पीछे हटते हुए फुसफुसायी

अक्षिता को पीछे सरकता देख एकांश ने अपनी हाथों से उसकी कमर पकड़े उसे अपने पास खिचा, दोनों के शरीर एकदूसरे से लगभग चिपक गए थे, सारी दूरिया समाप्त होने लगी थी एकांश ने हल्के से अक्षिता के माथे, उसके गालों को चूमा... उसके चेहरे पर हर जगह चूमा सिवाय उसके होंठों के, अक्षिता की आंखे बंद थी वो बस इस पल को जीना चाहती थी आज वो एकांश को नहीं रोकने वाली थी एकांश अक्षिता के होंठों पर किस करने झुका, उनके होंठ मिलने की वाले थे के तभी एकांश का फोन जोर से ब्याज उठा और उनके इस रोमांटिक मोमेंट मे खलल पड गया, अक्षिता एकदम से एकांश से दूर हटी वही एकांश मन ही मन गाली देते हुए फोन की ओर लपका

फोन स्वरा का था जिसे एकांश नेकाट दिया और अक्षिता की तरफ़ देखा जो नीचे की ओर देख रही दोनों की एकदूसरे से नजरे नहीं मिला रहे थे एकांश कुछ कहने ही वाला था के तभी उसका फोन फिर से बजा और इसबार उसके कॉल उठाया

"अब क्या मुसीबत आ गई स्वरा?" एकांश फोन उठाते ही चिल्लाया वही अक्षिता ने जब स्वरा का नाम सुना तो उत्सुकता से एकांश को देखने लाही

"आह... ये बंद हमेशा इतने सड़े हुए मूड मे क्यों रहता है?" स्वरा ने कहा

"बकवास बंद करो और फोन क्यू किया बताओ" एकांश ने चिढ़कर कहा

"चिढ़ो मत मैंने तुम्हें मीटिंग के लिए याद दिलाने के लिए फोन किया था जो आधे घंटे में है बस" स्वरा ने कहा और तब जाकर एकांश ने घड़ी की ओर देखा

"ओह शिट!"



"yeah… it happens" स्वरा ने कहा



"शट अप... मुझे लेट हो रहा मैं तुमसे बाद में बात करूंगा" और ये कहते हुए एकांश ने फोन काट दिया और स्वरा जो अक्षिता के बारे में पूछने ही वाली थी उसकी बात अधूरी रह गई

एकांश ने झट से अपना सूट निकाला और पहनने लगा

"अरे! मैं अभी भी यहीं हूँ!" एकांश अपना तौलिया निकालने ही वाला था के अक्षिता बोल पड़ी

"जानता हु और मुझे पता है कि तुम इस सीन का मजा का ले रही हो" एकांश ने अक्षिता को देख आँख मारते हुए कहा

"शट अप!" अक्षिता ने बुदबुदाते हुए कहा और दरवाजे की ओर जाने लगी और जाते जाते अचानक रुकी और पलट कर एकांश को देखा और पूछा

"वे लोग कैसे है?”

"कौन?"

" रोहन और स्वरा"

"ठीक हैं" एकांश ने अपनी फाइल और लपटॉप बैग मे रखते हुए कहा

"ओके" और अक्षिता वहा से जाने लगी के तभी एकांश ने उसे रोका

"अरे! हमने जो शुरू किया था, उसे पूरा कौन करेगा?" एकांश ने कहा जिसपर अक्षिता शरमा गई और वप उसे देख मुस्कुराया।

"जाओ काम करो जाकर” अक्षिता ने कहा और वहा से चली गई

******

शाम के वक्त जब एकांश ऑफिस से आया तब उसी वक्त अक्षिता ने भी बाहर वाक पर जाने का मन बनाया था और एक बार फिर दोनों दरवाले पर एकदूसरे के आमने सामने खड़े थे और कोई भी दूसरे को अंदर जाने का रास्ता नहीं दे रहा था नतिजन दोनों की दरवाजे पर खड़े बच्चों की तरह लड़ने लगी जिसे बाहर से आते अक्षिता के पिताजी को रोकना पड़ा, और जब वो घर के अंदर चले गए तब अक्षिता को एकांश अपनी की इस बेवकूफी पर हसने लगे,

हालत सुधर रहे थे अक्षिता की तबीयत भी अब कुछ ठीक थी लेकिन सबकी के मन मे एक डर था, कभी भी कुछ भी हो सकता था, एकांश डॉक्टर अवस्थी से बराबर टच मे था उन्हे अक्षिता के बारे मे हर खबर देते रहता था और उनके हाथ मे जितना था वो सब कर रहे थे, अक्षिता की रेपोर्ट्स भी दुनिया के बड़े बड़े डॉक्टरस को बताई जा रही थी, अक्षिता के बचने का 1% भी चांस क्यू न हो एकांश को चांस लेने तरह था लेकिन कई डॉक्टरस ने वही कहा जो डॉक्टर अवस्थी ने बताया था, इसीलिए जितना भी समय बचा था एकांश ने अब वो सब अक्षिता के साथ बिताने का फैसला किया था, उसका तो ऑफिस मे भी मन नहीं लगता था जिसके चलते रोहन और स्वरा पर काम का बोझ बढ़ रहा था लेकिन वो भी एकांश की हालत जानते थे, अक्षिता ने भी अपनी मा की बात सुन आगे हो होन होगा हो जाएगा सोच आज मे जीने का फैसला किया था और एकांश के साथ अब जीतने भी पल जिने मिले वो उन सब को जीना चाहती थी

दोनों इस वक्त घर के दरवाजे पर खड़े हास रही थे वही अक्षिता के माता-पिता उन दोनों के हंसते हुए चेहरों को देखकर मुस्कुरा रहे थे उन्होंने अपनी बेटी को कई महीनों बाद आज इस तरह खुल कर हंसते हुए देखा था, उन्हें नहीं पता कि भविष्य में क्या होगा, लेकिन उन्होंने भगवान से प्रार्थना की कि वे उन दोनों को खुश रखे....




क्रमश:
ये बढ़िया था गुरु, पर ये पहले होना था। 😌
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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एक अटकी हुई कन्फ्यूज स्टोरी 😌
 
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