यार, ये अपडेट पढ़कर तो मेरा दिल ही टूट गया!

एकांश की हालत देखकर रूह काँप गई. एक तरफ अक्षिता की डायरी के वो शब्द, जो उसे सहारा देने की कोशिश कर रहे हैं, और दूसरी तरफ उसकी अपनी बेबसी. सच कहूं, तो ये अपडेट सिर्फ इमोशंस का सैलाब था.
जब एकांश अक्षिता की डायरी पढ़ रहा था, तब ऐसा लगा जैसे अक्षिता खुद बोल रही हो. उसके हर शब्द में प्यार, चिंता और एकांश के लिए तड़प साफ झलक रही थी. "अगर तुम ये पढ़ रहे हो... तो शायद मैं अब तुम्हारे पास नहीं हूं" - ये लाइन पढ़कर ही आँखों में आंसू आ गए.

वो जानती थी कि एकांश टूट जाएगा, और इसीलिए उसने वो सब लिखा. ये दिखाता है कि उनका प्यार कितना गहरा था. वो एकांश को खुद को कोसने से रोक रही है, उसे आगे बढ़ने के लिए कह रही है, और कह रही है कि वो हमेशा उसके साथ रहेगी, उसकी मुस्कान में. ये बहुत ही खूबसूरत और दर्दनाक था एक साथ.
एकांश जिस तरह से पसीने में भीगा हुआ उठा, अक्षिता की तस्वीर देखकर रोया, और फिर डायरी को सीने से चिपका कर रोता रहा, वो सब दिल दहला देने वाला था. उसकी सिसकियाँ पूरे कमरे में गूँज रही थीं, और लेखक ने इसे इतनी बखूबी लिखा है कि वो दर्द हम रीडर्स तक भी पहुँच रहा था. "हमें उसे नहीं खोया..." ये सुनकर उसकी ज़िद और दर्द दोनों महसूस हुए. वो अपनी दुनिया को कैसे स्वीकारेगा जहाँ अक्षिता नहीं है? ये देखना बाकी है.
अक्षिता की मम्मी का एकांश को थप्पड़ मारना और फिर उसकी चिंता करना, ये दिखाता है कि वो सब कितने टूट चुके हैं. उनके गुस्से में भी प्यार और एकांश को खोने का डर था. "हमने अपनी बेटी खो दी है एकांश... हम तुम्हें भी नहीं खोना चाहते..." ये लाइन सुनकर आँखों में पानी आ गया.

दोनों परिवारों का एकांश के साथ खड़ा होना, उसे समझाना, ये सब बहुत मार्मिक था. खासकर जब अक्षिता के पापा ने उससे पूछा, "कब... आख़िरी बार तुम्हारा चेहरा नॉर्मल दिखा था?" - ये सीधा दिल पर लगा.
अंत में, जब ये पता चलता है कि अक्षिता कोमा में है और डॉक्टर्स ने 3-4% चांस बताए थे, और अब बस इंतज़ार ही बाकी है, तो एक अजीब सी उम्मीद और डर का मिश्रण होता है. एकांश की माँ का गुस्सा और फिर समझाना कि एकांश को हार नहीं माननी चाहिए, ये सब बहुत अच्छा लिखा गया था. "तुम ही हो जो ये साबित कर रहे हो कि तुम्हारा प्यार कमज़ोर था..." ये लाइन एकांश को अंदर तक हिला गई होगी.
कुल मिलाकर, ये अपडेट भावनाओं से भरा था. एकांश का दर्द, अक्षिता का प्यार, और परिवार की चिंता - सब कुछ बहुत अच्छे से उभर कर आया.
नमस्ते लेखक महोदय,
मैं आपकी कहानी की एक बहुत बड़ी फैन हूँ, और "एक दूजे के वास्ते" मेरी पसंदीदा कहानियों में से एक है. लेकिन, मुझे आपसे एक बहुत बड़ी शिकायत है!

आपने पिछली बार मार्च में अपडेट दिया था और तब वादा किया था कि "डेली अपडेट" मिलेंगे. और फिर सीधे 15 जून को ही दर्शन दिए! ये कहाँ का न्याय है? हम पाठक इतनी उत्सुकता से इंतज़ार करते हैं, और आप ऐसे गायब हो जाते हैं.
अब आपने फिर से "डेली अपडेट" का वादा किया है, लेकिन क्या गारंटी है कि आप उसे पूरा करेंगे? सच कहूँ तो, अब मुझे आप पर भरोसा करना मुश्किल हो रहा है. ये बिल्कुल भी सही नहीं है कि हम पाठक आपकी कहानी से इतना जुड़ें और फिर आपको महीनों इंतज़ार करवाएँ.
मैं आपसे हाथ जोड़कर प्रार्थना करती हूँ, कि अगर आप अपडेट नहीं दे सकते, तो कृपया वादा न करें. यह हम रीडर्स को बहुत निराश करता है.
और अब, एक आखिरी बात. मैं इस थ्रेड पर अब तभी आऊँगी जब यह कहानी पूरी तरह से कम्पलीट हो जाएगी.

मैं अब और ऐसे टुकड़ों में इंतज़ार नहीं कर सकती. जब पूरी कहानी एक साथ पढ़ने को मिलेगी, तभी मैं इसे फिर से शुरू करूँगी. उम्मीद है आप मेरी इस बात को समझेंगे और आगे से हम पाठकों की भावनाओं का ध्यान रखेंगे.
धन्यवाद,
आपकी एक नाराज़ पाठक