आप और हम जैसे लोग दोहरी जिंदगी जी रहे है, वास्तविक दुनिया में अलग और यहाँ आभाषि दुनिया में अलग। वास्तविक जीवन में हम बनावटी रूप से खुद को साबित करने के भरसक प्रयास कर रहे है, चाहे रिश्तों को निभाने में, जिम्मेदारियों को उठाने मे, रिश्तों नातो की मर्यादाओं में रहने का ये दिखावा करते करते जब हम थक जाते है तब इस आभाषि दुनिया में आते हैं। हालांकि आज के दौर में बहुत से ऐसे प्लेटफॉर्म है जैसे fb, insta, whtup etc etc लेकिन उसके बाबजूद हमने ये ही चुना जिसकी सबसे बड़ी वजह है कि "हम" यहाँ आकर "हम" हो जाते है, जैसे "हम" है, जैसे "हम" जीना चाहते है, बिना किसी दिखावे के, बिना किसी रिश्तों में बंधे हुए, जिम्मेदारियों से परे पूर्णता एकांत दुनियाँ में खुल कर लिखते है, कहते है, पढ़ते, अपने उन पंसदिदाद लोगों के साथ जिन्हे हम बिना किसी स्वार्थ के अपना मानते है, जो हमें समझते है हमारी भवानाओ को महसूस करते है।