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Adultery Freinds Forever (ek daastaan) - (COMPLETED)

Kitno ko lagta he story


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    31
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Polakh555

𝕱𝖔𝖑𝖑𝖔𝖜 𝖞𝖔𝖚𝖗 𝖎𝖓𝖓𝖊𝖗 𝖒𝖔𝖔𝖓𝖑𝖎𝖌𝖍
1,484
3,343
144
Vaha tono dost aram se so rahe hai aor idhar tapan Taniya ki baho mi pyaar bhri bate karte huye कामकिड़ा ka maza le raha tha. Dono ke bich pyaar ka ek adbhut rishta sa banta ja raha hai jisme umr ka koyi lihaj nehi n hi samjh ke bandhno ki koyi parvaha hai. Agar kuch hai to tan ki bhuk jo dono ek dusre se mita rahe hai. Pyaar ki piyas jo Taniya ki abhi tak bujhi nehi aur tapan me perm piyas abhi jagna shooroo hua hai.

Adbhut atulniya update the:applause::applause:
:applause:
:claps: :claps: :claps: :thanx: :thanks: dost
 
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Polakh555

𝕱𝖔𝖑𝖑𝖔𝖜 𝖞𝖔𝖚𝖗 𝖎𝖓𝖓𝖊𝖗 𝖒𝖔𝖔𝖓𝖑𝖎𝖌𝖍
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Thap thapa ke kaho bete so ja abhi uchal kud karne ka samay nehi hai. Rat me tujhe tanda kar dunga. Abhi phir se so ja.
:lol:
 

Polakh555

𝕱𝖔𝖑𝖑𝖔𝖜 𝖞𝖔𝖚𝖗 𝖎𝖓𝖓𝖊𝖗 𝖒𝖔𝖔𝖓𝖑𝖎𝖌𝖍
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Polakh555

𝕱𝖔𝖑𝖑𝖔𝖜 𝖞𝖔𝖚𝖗 𝖎𝖓𝖓𝖊𝖗 𝖒𝖔𝖔𝖓𝖑𝖎𝖌𝖍
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Bada hi ajab dhang nikala maafi kabul karvane ka baharo jo bhi ho jishu ke samjh me n aaya ki Shital ko manaye kaise. Tab jakar ye kamd oothaya pagle ne itna bhi na socha uski ma ka kiya hoga uske dost kiya rect karenge.khair jo karna tha vo kar diya lekin agar masia ban sabji Bala aur machhli wala nehi aata to jashu ka kaam tamam ho jana tha.

Adbhut atulniya update the:applause:
:applause::applause:
Bohot bohot shukriya dost ..... :thanks: :thank_you:
 

Polakh555

𝕱𝖔𝖑𝖑𝖔𝖜 𝖞𝖔𝖚𝖗 𝖎𝖓𝖓𝖊𝖗 𝖒𝖔𝖔𝖓𝖑𝖎𝖌𝖍
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3,343
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O bhai aap kis prifix me pahuch gaye ye koyi thriller story nehi hai jo Taniya apne bete ko marne dega aor paise aur uske dost se maje lega
:thank_you:
 

Polakh555

𝕱𝖔𝖑𝖑𝖔𝖜 𝖞𝖔𝖚𝖗 𝖎𝖓𝖓𝖊𝖗 𝖒𝖔𝖔𝖓𝖑𝖎𝖌𝖍
1,484
3,343
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Update 37



Vishu's villa (कोठी)



शीतल घर लौट के आती है । वो पूरी कोठी सान मारती हे लेकिन किसी को मजूद नहीं पाती वो । (अरे कहा गए सब लोग । सब लोग एक साथ तेहलने तो नहीं गए है ) वो अपने कमरे में जा सबसे पहले फोन उठाती है और दीपाली को कॉल लगाती है ।


एक लंबी रिंग के बाद उसका कॉल रिसिव होता हे लेकिन दीपाली नहीं तराली उसकी फोन रिसीव करती है ।


तराली जिज्ञासा और परेशान स्वर में " शीतल कहा थी तू "

शीतल उसकी आवाज भांपते हुए ।" क्यू क्या हुआ और तुम लोग कहा हो । यहां तो कोई भी नहीं है कोठी पे । शामू काका भी नही हे "

तराली ।" तू पहले बता कहा गई थी "

शीतल ।" क्या हुआ तू इतनी परेशान क्यूं लग रही है । में मॉर्निंग वॉक पे गई थी तूझे तो पता ही है में हर सुबह वॉक पे निकलती हूं ।"


तराली ।" परेशान । तुझे पाता नही हे क्या । पाता भी कैसे होगा तुझे तू तो थी ही नहीं ।"

शीतल को भाप कुछ भाप होती है कुछ तो हुआ है ।" अरे पर हुआ क्या है ये तो बाता ।"

तराली ।" जिशु का सायेद एक्सीडेंट हुआ हे । हम उसे हॉस्पिटल ले के आए हे शीर पर गहरी छोट आई है । 12 टाके लगे हे शीर पर ।"

शीतल बौचक्का रह जाती है ये सुन के । जैसे पेड़ो तले जमीन खींचक जाती है । उसके हाथ से मोबाइल छूट जाता हे और नीचे कोई टप्पा खा के गिरती है और फोन ऑफ हो जाती है । शीतल धडम से बिस्तर पर बैठ जाती है । आखों के सामने भले ही कमरे का नजारा था लेकिन उन नजरो में जिशु का दुख और दर्द दिखाई दे रही थी जो वो तब समझ ही नही पाई थी । (उसने सोच में ऐसा किया सचमुच अपने शिर फोड़ लि उसने । और एक बार भी मुड़ कर नहीं देखा । ये उसने क्या किया पागल लड़का । उसे कुछ हो ना जाए है प्रभु उसकी रक्षा करना । क्या पागल लड़का है जिशू मुझे उसे संभालना चाहिए था समझना चाहिए था उफ ये लड़का क्यू ऐसा किया । क्या सच मे उसके मन में )



शीतल जिशू के पास जाने के लिए बेकरार हो जाती है एक तड़प उसके दिल में जाग जाती हे । और वो जल्दी जल्दी में बाथरूम में जा के बिना नहा धो के बस मुंह हाथ धो के कपड़े चेंज करती है और जिशु के पास जाने के लिए निकल पड़ती है । लेकिन तभी उसे याद आया की उसे तो पता ही नही हे जिशू को किस हॉस्पिटल में ले के गया हे । और वो दौर कर अपनी कमरे जा के टूटी हुई मोबाइल उठाती हे देखती है उसका मोबाइल अब ऑन होने से रहा नही । वो परेशान हो कर बापच मोबाइल को पटक के जमीन पे रोने लगती है ।




हर आसू की बूंद में मूल सिर्फ़ और सिर्फ़ जिशू की फिक्र थी । दिल में दुआ थी की जिशू को कुछ हो ना जाए । एक पछतावा थी की उसने खुद को वाहा पे रोका क्यू नही जब जिशु उसे रुकने को बोल रहा था और कह रहा था की नही रुका तो वो खुद का शीर फोड़ लेगा । कैसे क्यू उसका विश्वास नही किया उसने क्या इतनी नफरत थी जिशु के लिए ।



शीतल दुबारा गेट पे जाती हे । सुबाह के 6 बज रहे थे और उस वक्त रास्ते पे कोई नजर नहीं आ रहा था । एक तो उसे कोई ऑटो या टैक्सी नही मिल रही थी जो वोहा पिछड़ी गांव में मिलना मुस्किल ही था । और ऊपर से उसे पता भी नही हे किस हॉस्पिटल जाना है ।



वो बस इंतजार करती रही की कोई सवारी उठाने वाला गाड़ी मिल जाए बाकी पूछ ताछ कर के किसी से हॉस्पिटल के बारे में पता कर लेगी । लेकिन एक प्राणी भी नही मिल रहा था गांव में सहल पहल दिखाई ही नहीं दे रही थी ।



कुदरत बनाने वालो को भी शीतल के ऊपर तरस आता है और इसकी मदत के लिए एक औरत और उसके साथ एक बच्चे को उसे रास्ते भेजती हे ।


शीतल उस एक बच्चे को गोद में ले कर आती हुई औरत को देख कर बोहोत खुश हो जाती है और इस औरत की रास्ता काट देती है । वो औरत शीतल की आखों में परेसनी और आसूं साफ देख पा रही थी और उसे भी दया की भाव आ जाती हे ।


शीतल ।" बहन जी आपके पास फोन हे क्या । मुझे एक कॉल करने दीजिए ना प्लीज बोहोत जरूरी है ।"


औरत हाथ में रखी अपना मोबाइल शीतल को दे के बोलती है ।" आप रो रही हे कुछ हुआ है क्या ?"

शीतल ।" हा वो मेरे .......... मेरे बेटा हॉस्पिटल में है ।"

और वो तपन के नंबर पे कॉल लगाती हे जो उसे पहले से याद हे । वो औरत उसे देखती रहती है ये सोच के की क्या हुआ होगा इसके बेटे को ।




तपन फोन उठता है ।" हेलो "

शीतल ।" बेटा में हूं में । "

तपन ।" मम्मी आप । "

शीतल ।" हा में । बेटा वो कैसा है ठीक तो है ना ।"

तपन ।" हा ठीक हे । मम्मी आप दोनो के बीच क्या हुआ था ।"

शीतल के पास कोई जवाब नही थी उस सवाल की । " कौनसे हॉस्पिटल ले गए हो उसे ।"

तपन ।" गांव में कोई हॉस्पिटल नहीं था तो गांव के बाहर एक हॉस्पिटल पे ले कर आया हूं ।"

शीतल ।" बेटा तुम मुझे लेने आओ यहां । मुझे कोई गाड़ी कोई ऑटो नही मिल रहा है । प्लीज लेने आ जाओ ।"

तपन देर जवाबी में बोला ।" ठीक हे में अभी जाता हूं आप बस आधा घंटा रुको ।"

शीतल खुश हो कर ।" हा में यही हूं । आ जाओ ।"

शीतल फोन रख के औरत को बापच देती हे ।" बोहोत बोहोत धन्यवाद आपका । "

औरत ।" शुक्रिया की कोई बात नही जी । वैसे हुआ क्या है ।"

शीतल ।" जी मेरा एक भतीजे का सुबाह एक्सीडेंट हुआ है और वो हॉस्पिटल मे हे ।"

औरत ।" आप परेशान मत हो सब ठीक होगा मालिक देख रहा है आपके लिए दुआ करूंगी । चलती हूं ।"

शीतल ।" हम्मम "


औरत अपने बच्चे को गोद में लिए चली जाती है । क्या कायनात जिशू और शीतल को मिलाने के लिए ये खेल खेल रहा है । शीतल को इंतजार के हर एक पल काटे की तरह चुबती हुई महसूस हो रही थी ।



वक्त आज तक किसी के लिए कहा रुका है आधा घंटा बीत गया और तपन अकेले ही कार ले के आ जाता है । जैसे ही यू टर्न ले के कार रोका शीतल तुरंत बैठ गई ।



शीतल ।" कितनी छोट लगी हे उसे । "

तपन कार आगे बढ़ाते हुए ।" छोट तो ज्यादा ही आया है बोहोत खून बह चुका है । "

शीतल को एक दर लगने लगी ।" क्या वो ठीक हे ।"

तपन अपनी मम्मी को आखों में देख के बोला ।" फिलहाल तो होश में आया है डॉक्टर ने टाके लगा के इलाज कर दिया हे । लेकिन हुआ क्या था । वो बोल रहा हे की जोगिंग करते समय पत्थर से टकरा गया था और गिरने से किसी चीज से चोट आ गई । मुझे पता हे वो जूठ बोल रहा है ।"


शीतल नज़रे चुराने लगी ।" वो वो ।"

तपन ।" अब आप भी जूठ मत बोलना प्लीज मुझे सच जानना है ।"


शीतल थोड़ी संकोच के साथ पूरी कहानी बाता देती है । तपन जिशू के ऊपर गुस्सा हो कर ।" ये जिशू भी ना ।"



शीतल ।" मुझे क्या पाता था वो सच में ऐसा कर लेगा ।"

तपन ।" मम्मी आप उसे जानती हो वो कितना जिद्दी हे । "

शीतल कुछ याद कर के ।" बेटा उसे तो आलौकिक शक्ति मिली है ना ।"

तपन ।" हा तो क्या वो इससे इंसान नही बन जाता क्या । हम चारो की अलग अलग शक्ति है उसे तेलीपोर्ट होने की शक्ति मिला हे ना की पत्थर जैसा शरीर बनने की । "

शीतल ।" माफ करना मेरा वो मतलब नही था ।

तपन गंभीर हो कर ।" मम्मी आप समाज की नजरो से देखोगी तो कभी आपको खुद को खुशी नहीं मिलेगी । अपनी नजरिए से देखो मम्मी बस एक बार देखो अपनी मन की नजरों से । आपकी आंखों में दिखती है जिशू के लिए प्यार ।"

शीतल शर्मा जाती है अपने बेटे के बातों से । और वो दोनों आधे घंटे मे हॉस्पिटल पोहोच जाते हे पूरे रास्ते तपन अपनी मम्मी को प्रेम अनुभवी गुरु की तरह अपनी मम्मी को समझाए जा रहा था ।
 

MomLuV

New Member
79
191
34
प्रेम अनुभवी गु
:awoo:
Update 37



Vishu's villa (कोठी)



शीतल घर लौट के आती है । वो पूरी कोठी सान मारती हे लेकिन किसी को मजूद नहीं पाती वो । (अरे कहा गए सब लोग । सब लोग एक साथ तेहलने तो नहीं गए है ) वो अपने कमरे में जा सबसे पहले फोन उठाती है और दीपाली को कॉल लगाती है ।


एक लंबी रिंग के बाद उसका कॉल रिसिव होता हे लेकिन दीपाली नहीं तराली उसकी फोन रिसीव करती है ।


तराली जिज्ञासा और परेशान स्वर में " शीतल कहा थी तू "

शीतल उसकी आवाज भांपते हुए ।" क्यू क्या हुआ और तुम लोग कहा हो । यहां तो कोई भी नहीं है कोठी पे । शामू काका भी नही हे "

तराली ।" तू पहले बता कहा गई थी "

शीतल ।" क्या हुआ तू इतनी परेशान क्यूं लग रही है । में मॉर्निंग वॉक पे गई थी तूझे तो पता ही है में हर सुबह वॉक पे निकलती हूं ।"


तराली ।" परेशान । तुझे पाता नही हे क्या । पाता भी कैसे होगा तुझे तू तो थी ही नहीं ।"

शीतल को भाप कुछ भाप होती है कुछ तो हुआ है ।" अरे पर हुआ क्या है ये तो बाता ।"

तराली ।" जिशु का सायेद एक्सीडेंट हुआ हे । हम उसे हॉस्पिटल ले के आए हे शीर पर गहरी छोट आई है । 12 टाके लगे हे शीर पर ।"

शीतल बौचक्का रह जाती है ये सुन के । जैसे पेड़ो तले जमीन खींचक जाती है । उसके हाथ से मोबाइल छूट जाता हे और नीचे कोई टप्पा खा के गिरती है और फोन ऑफ हो जाती है । शीतल धडम से बिस्तर पर बैठ जाती है । आखों के सामने भले ही कमरे का नजारा था लेकिन उन नजरो में जिशु का दुख और दर्द दिखाई दे रही थी जो वो तब समझ ही नही पाई थी । (उसने सोच में ऐसा किया सचमुच अपने शिर फोड़ लि उसने । और एक बार भी मुड़ कर नहीं देखा । ये उसने क्या किया पागल लड़का । उसे कुछ हो ना जाए है प्रभु उसकी रक्षा करना । क्या पागल लड़का है जिशू मुझे उसे संभालना चाहिए था समझना चाहिए था उफ ये लड़का क्यू ऐसा किया । क्या सच मे उसके मन में )



शीतल जिशू के पास जाने के लिए बेकरार हो जाती है एक तड़प उसके दिल में जाग जाती हे । और वो जल्दी जल्दी में बाथरूम में जा के बिना नहा धो के बस मुंह हाथ धो के कपड़े चेंज करती है और जिशु के पास जाने के लिए निकल पड़ती है । लेकिन तभी उसे याद आया की उसे तो पता ही नही हे जिशू को किस हॉस्पिटल में ले के गया हे । और वो दौर कर अपनी कमरे जा के टूटी हुई मोबाइल उठाती हे देखती है उसका मोबाइल अब ऑन होने से रहा नही । वो परेशान हो कर बापच मोबाइल को पटक के जमीन पे रोने लगती है ।




हर आसू की बूंद में मूल सिर्फ़ और सिर्फ़ जिशू की फिक्र थी । दिल में दुआ थी की जिशू को कुछ हो ना जाए । एक पछतावा थी की उसने खुद को वाहा पे रोका क्यू नही जब जिशु उसे रुकने को बोल रहा था और कह रहा था की नही रुका तो वो खुद का शीर फोड़ लेगा । कैसे क्यू उसका विश्वास नही किया उसने क्या इतनी नफरत थी जिशु के लिए ।



शीतल दुबारा गेट पे जाती हे । सुबाह के 6 बज रहे थे और उस वक्त रास्ते पे कोई नजर नहीं आ रहा था । एक तो उसे कोई ऑटो या टैक्सी नही मिल रही थी जो वोहा पिछड़ी गांव में मिलना मुस्किल ही था । और ऊपर से उसे पता भी नही हे किस हॉस्पिटल जाना है ।



वो बस इंतजार करती रही की कोई सवारी उठाने वाला गाड़ी मिल जाए बाकी पूछ ताछ कर के किसी से हॉस्पिटल के बारे में पता कर लेगी । लेकिन एक प्राणी भी नही मिल रहा था गांव में सहल पहल दिखाई ही नहीं दे रही थी ।



कुदरत बनाने वालो को भी शीतल के ऊपर तरस आता है और इसकी मदत के लिए एक औरत और उसके साथ एक बच्चे को उसे रास्ते भेजती हे ।


शीतल उस एक बच्चे को गोद में ले कर आती हुई औरत को देख कर बोहोत खुश हो जाती है और इस औरत की रास्ता काट देती है । वो औरत शीतल की आखों में परेसनी और आसूं साफ देख पा रही थी और उसे भी दया की भाव आ जाती हे ।


शीतल ।" बहन जी आपके पास फोन हे क्या । मुझे एक कॉल करने दीजिए ना प्लीज बोहोत जरूरी है ।"


औरत हाथ में रखी अपना मोबाइल शीतल को दे के बोलती है ।" आप रो रही हे कुछ हुआ है क्या ?"

शीतल ।" हा वो मेरे .......... मेरे बेटा हॉस्पिटल में है ।"

और वो तपन के नंबर पे कॉल लगाती हे जो उसे पहले से याद हे । वो औरत उसे देखती रहती है ये सोच के की क्या हुआ होगा इसके बेटे को ।




तपन फोन उठता है ।" हेलो "

शीतल ।" बेटा में हूं में । "

तपन ।" मम्मी आप । "

शीतल ।" हा में । बेटा वो कैसा है ठीक तो है ना ।"

तपन ।" हा ठीक हे । मम्मी आप दोनो के बीच क्या हुआ था ।"

शीतल के पास कोई जवाब नही थी उस सवाल की । " कौनसे हॉस्पिटल ले गए हो उसे ।"

तपन ।" गांव में कोई हॉस्पिटल नहीं था तो गांव के बाहर एक हॉस्पिटल पे ले कर आया हूं ।"

शीतल ।" बेटा तुम मुझे लेने आओ यहां । मुझे कोई गाड़ी कोई ऑटो नही मिल रहा है । प्लीज लेने आ जाओ ।"

तपन देर जवाबी में बोला ।" ठीक हे में अभी जाता हूं आप बस आधा घंटा रुको ।"

शीतल खुश हो कर ।" हा में यही हूं । आ जाओ ।"

शीतल फोन रख के औरत को बापच देती हे ।" बोहोत बोहोत धन्यवाद आपका । "

औरत ।" शुक्रिया की कोई बात नही जी । वैसे हुआ क्या है ।"

शीतल ।" जी मेरा एक भतीजे का सुबाह एक्सीडेंट हुआ है और वो हॉस्पिटल मे हे ।"

औरत ।" आप परेशान मत हो सब ठीक होगा मालिक देख रहा है आपके लिए दुआ करूंगी । चलती हूं ।"

शीतल ।" हम्मम "


औरत अपने बच्चे को गोद में लिए चली जाती है । क्या कायनात जिशू और शीतल को मिलाने के लिए ये खेल खेल रहा है । शीतल को इंतजार के हर एक पल काटे की तरह चुबती हुई महसूस हो रही थी ।



वक्त आज तक किसी के लिए कहा रुका है आधा घंटा बीत गया और तपन अकेले ही कार ले के आ जाता है । जैसे ही यू टर्न ले के कार रोका शीतल तुरंत बैठ गई ।



शीतल ।" कितनी छोट लगी हे उसे । "

तपन कार आगे बढ़ाते हुए ।" छोट तो ज्यादा ही आया है बोहोत खून बह चुका है । "

शीतल को एक दर लगने लगी ।" क्या वो ठीक हे ।"

तपन अपनी मम्मी को आखों में देख के बोला ।" फिलहाल तो होश में आया है डॉक्टर ने टाके लगा के इलाज कर दिया हे । लेकिन हुआ क्या था । वो बोल रहा हे की जोगिंग करते समय पत्थर से टकरा गया था और गिरने से किसी चीज से चोट आ गई । मुझे पता हे वो जूठ बोल रहा है ।"


शीतल नज़रे चुराने लगी ।" वो वो ।"

तपन ।" अब आप भी जूठ मत बोलना प्लीज मुझे सच जानना है ।"


शीतल थोड़ी संकोच के साथ पूरी कहानी बाता देती है । तपन जिशू के ऊपर गुस्सा हो कर ।" ये जिशू भी ना ।"



शीतल ।" मुझे क्या पाता था वो सच में ऐसा कर लेगा ।"

तपन ।" मम्मी आप उसे जानती हो वो कितना जिद्दी हे । "

शीतल कुछ याद कर के ।" बेटा उसे तो आलौकिक शक्ति मिली है ना ।"

तपन ।" हा तो क्या वो इससे इंसान नही बन जाता क्या । हम चारो की अलग अलग शक्ति है उसे तेलीपोर्ट होने की शक्ति मिला हे ना की पत्थर जैसा शरीर बनने की । "

शीतल ।" माफ करना मेरा वो मतलब नही था ।

तपन गंभीर हो कर ।" मम्मी आप समाज की नजरो से देखोगी तो कभी आपको खुद को खुशी नहीं मिलेगी । अपनी नजरिए से देखो मम्मी बस एक बार देखो अपनी मन की नजरों से । आपकी आंखों में दिखती है जिशू के लिए प्यार ।"

शीतल शर्मा जाती है अपने बेटे के बातों से । और वो दोनों आधे घंटे मे हॉस्पिटल पोहोच जाते हे पूरे रास्ते तपन अपनी मम्मी को प्रेम अनुभवी गुरु की तरह अपनी मम्मी को समझाए जा रहा था ।
Fantastic updated ab shital ko bhi jishu ka pyaar ehsaas ho raha he ....... Bobot khub mind blowing
 

Paromita

New Member
89
255
53
Update 37



Vishu's villa (कोठी)



शीतल घर लौट के आती है । वो पूरी कोठी सान मारती हे लेकिन किसी को मजूद नहीं पाती वो । (अरे कहा गए सब लोग । सब लोग एक साथ तेहलने तो नहीं गए है ) वो अपने कमरे में जा सबसे पहले फोन उठाती है और दीपाली को कॉल लगाती है ।


एक लंबी रिंग के बाद उसका कॉल रिसिव होता हे लेकिन दीपाली नहीं तराली उसकी फोन रिसीव करती है ।


तराली जिज्ञासा और परेशान स्वर में " शीतल कहा थी तू "

शीतल उसकी आवाज भांपते हुए ।" क्यू क्या हुआ और तुम लोग कहा हो । यहां तो कोई भी नहीं है कोठी पे । शामू काका भी नही हे "

तराली ।" तू पहले बता कहा गई थी "

शीतल ।" क्या हुआ तू इतनी परेशान क्यूं लग रही है । में मॉर्निंग वॉक पे गई थी तूझे तो पता ही है में हर सुबह वॉक पे निकलती हूं ।"


तराली ।" परेशान । तुझे पाता नही हे क्या । पाता भी कैसे होगा तुझे तू तो थी ही नहीं ।"

शीतल को भाप कुछ भाप होती है कुछ तो हुआ है ।" अरे पर हुआ क्या है ये तो बाता ।"

तराली ।" जिशु का सायेद एक्सीडेंट हुआ हे । हम उसे हॉस्पिटल ले के आए हे शीर पर गहरी छोट आई है । 12 टाके लगे हे शीर पर ।"

शीतल बौचक्का रह जाती है ये सुन के । जैसे पेड़ो तले जमीन खींचक जाती है । उसके हाथ से मोबाइल छूट जाता हे और नीचे कोई टप्पा खा के गिरती है और फोन ऑफ हो जाती है । शीतल धडम से बिस्तर पर बैठ जाती है । आखों के सामने भले ही कमरे का नजारा था लेकिन उन नजरो में जिशु का दुख और दर्द दिखाई दे रही थी जो वो तब समझ ही नही पाई थी । (उसने सोच में ऐसा किया सचमुच अपने शिर फोड़ लि उसने । और एक बार भी मुड़ कर नहीं देखा । ये उसने क्या किया पागल लड़का । उसे कुछ हो ना जाए है प्रभु उसकी रक्षा करना । क्या पागल लड़का है जिशू मुझे उसे संभालना चाहिए था समझना चाहिए था उफ ये लड़का क्यू ऐसा किया । क्या सच मे उसके मन में )



शीतल जिशू के पास जाने के लिए बेकरार हो जाती है एक तड़प उसके दिल में जाग जाती हे । और वो जल्दी जल्दी में बाथरूम में जा के बिना नहा धो के बस मुंह हाथ धो के कपड़े चेंज करती है और जिशु के पास जाने के लिए निकल पड़ती है । लेकिन तभी उसे याद आया की उसे तो पता ही नही हे जिशू को किस हॉस्पिटल में ले के गया हे । और वो दौर कर अपनी कमरे जा के टूटी हुई मोबाइल उठाती हे देखती है उसका मोबाइल अब ऑन होने से रहा नही । वो परेशान हो कर बापच मोबाइल को पटक के जमीन पे रोने लगती है ।




हर आसू की बूंद में मूल सिर्फ़ और सिर्फ़ जिशू की फिक्र थी । दिल में दुआ थी की जिशू को कुछ हो ना जाए । एक पछतावा थी की उसने खुद को वाहा पे रोका क्यू नही जब जिशु उसे रुकने को बोल रहा था और कह रहा था की नही रुका तो वो खुद का शीर फोड़ लेगा । कैसे क्यू उसका विश्वास नही किया उसने क्या इतनी नफरत थी जिशु के लिए ।



शीतल दुबारा गेट पे जाती हे । सुबाह के 6 बज रहे थे और उस वक्त रास्ते पे कोई नजर नहीं आ रहा था । एक तो उसे कोई ऑटो या टैक्सी नही मिल रही थी जो वोहा पिछड़ी गांव में मिलना मुस्किल ही था । और ऊपर से उसे पता भी नही हे किस हॉस्पिटल जाना है ।



वो बस इंतजार करती रही की कोई सवारी उठाने वाला गाड़ी मिल जाए बाकी पूछ ताछ कर के किसी से हॉस्पिटल के बारे में पता कर लेगी । लेकिन एक प्राणी भी नही मिल रहा था गांव में सहल पहल दिखाई ही नहीं दे रही थी ।



कुदरत बनाने वालो को भी शीतल के ऊपर तरस आता है और इसकी मदत के लिए एक औरत और उसके साथ एक बच्चे को उसे रास्ते भेजती हे ।


शीतल उस एक बच्चे को गोद में ले कर आती हुई औरत को देख कर बोहोत खुश हो जाती है और इस औरत की रास्ता काट देती है । वो औरत शीतल की आखों में परेसनी और आसूं साफ देख पा रही थी और उसे भी दया की भाव आ जाती हे ।


शीतल ।" बहन जी आपके पास फोन हे क्या । मुझे एक कॉल करने दीजिए ना प्लीज बोहोत जरूरी है ।"


औरत हाथ में रखी अपना मोबाइल शीतल को दे के बोलती है ।" आप रो रही हे कुछ हुआ है क्या ?"

शीतल ।" हा वो मेरे .......... मेरे बेटा हॉस्पिटल में है ।"

और वो तपन के नंबर पे कॉल लगाती हे जो उसे पहले से याद हे । वो औरत उसे देखती रहती है ये सोच के की क्या हुआ होगा इसके बेटे को ।




तपन फोन उठता है ।" हेलो "

शीतल ।" बेटा में हूं में । "

तपन ।" मम्मी आप । "

शीतल ।" हा में । बेटा वो कैसा है ठीक तो है ना ।"

तपन ।" हा ठीक हे । मम्मी आप दोनो के बीच क्या हुआ था ।"

शीतल के पास कोई जवाब नही थी उस सवाल की । " कौनसे हॉस्पिटल ले गए हो उसे ।"

तपन ।" गांव में कोई हॉस्पिटल नहीं था तो गांव के बाहर एक हॉस्पिटल पे ले कर आया हूं ।"

शीतल ।" बेटा तुम मुझे लेने आओ यहां । मुझे कोई गाड़ी कोई ऑटो नही मिल रहा है । प्लीज लेने आ जाओ ।"

तपन देर जवाबी में बोला ।" ठीक हे में अभी जाता हूं आप बस आधा घंटा रुको ।"

शीतल खुश हो कर ।" हा में यही हूं । आ जाओ ।"

शीतल फोन रख के औरत को बापच देती हे ।" बोहोत बोहोत धन्यवाद आपका । "

औरत ।" शुक्रिया की कोई बात नही जी । वैसे हुआ क्या है ।"

शीतल ।" जी मेरा एक भतीजे का सुबाह एक्सीडेंट हुआ है और वो हॉस्पिटल मे हे ।"

औरत ।" आप परेशान मत हो सब ठीक होगा मालिक देख रहा है आपके लिए दुआ करूंगी । चलती हूं ।"

शीतल ।" हम्मम "


औरत अपने बच्चे को गोद में लिए चली जाती है । क्या कायनात जिशू और शीतल को मिलाने के लिए ये खेल खेल रहा है । शीतल को इंतजार के हर एक पल काटे की तरह चुबती हुई महसूस हो रही थी ।



वक्त आज तक किसी के लिए कहा रुका है आधा घंटा बीत गया और तपन अकेले ही कार ले के आ जाता है । जैसे ही यू टर्न ले के कार रोका शीतल तुरंत बैठ गई ।



शीतल ।" कितनी छोट लगी हे उसे । "

तपन कार आगे बढ़ाते हुए ।" छोट तो ज्यादा ही आया है बोहोत खून बह चुका है । "

शीतल को एक दर लगने लगी ।" क्या वो ठीक हे ।"

तपन अपनी मम्मी को आखों में देख के बोला ।" फिलहाल तो होश में आया है डॉक्टर ने टाके लगा के इलाज कर दिया हे । लेकिन हुआ क्या था । वो बोल रहा हे की जोगिंग करते समय पत्थर से टकरा गया था और गिरने से किसी चीज से चोट आ गई । मुझे पता हे वो जूठ बोल रहा है ।"


शीतल नज़रे चुराने लगी ।" वो वो ।"

तपन ।" अब आप भी जूठ मत बोलना प्लीज मुझे सच जानना है ।"


शीतल थोड़ी संकोच के साथ पूरी कहानी बाता देती है । तपन जिशू के ऊपर गुस्सा हो कर ।" ये जिशू भी ना ।"



शीतल ।" मुझे क्या पाता था वो सच में ऐसा कर लेगा ।"

तपन ।" मम्मी आप उसे जानती हो वो कितना जिद्दी हे । "

शीतल कुछ याद कर के ।" बेटा उसे तो आलौकिक शक्ति मिली है ना ।"

तपन ।" हा तो क्या वो इससे इंसान नही बन जाता क्या । हम चारो की अलग अलग शक्ति है उसे तेलीपोर्ट होने की शक्ति मिला हे ना की पत्थर जैसा शरीर बनने की । "

शीतल ।" माफ करना मेरा वो मतलब नही था ।

तपन गंभीर हो कर ।" मम्मी आप समाज की नजरो से देखोगी तो कभी आपको खुद को खुशी नहीं मिलेगी । अपनी नजरिए से देखो मम्मी बस एक बार देखो अपनी मन की नजरों से । आपकी आंखों में दिखती है जिशू के लिए प्यार ।"

शीतल शर्मा जाती है अपने बेटे के बातों से । और वो दोनों आधे घंटे मे हॉस्पिटल पोहोच जाते हे पूरे रास्ते तपन अपनी मम्मी को प्रेम अनुभवी गुरु की तरह अपनी मम्मी को समझाए जा रहा था ।
शानदार शब्द के साथ मजेदार अपडेट
 
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