Fantastic update BhaiUpdate 38
Hospital
शीतल वार्ड में डोरी भागी चली जाती है लेकिन एक नर्स ने उसे रोक लिया । शीतल को दीपाली और तराली समझती हे चारा कुछ लेकिन एक नजर जो शीतल को खा जाने वाली नजरो से देख रही थी । शीतल को उस नज़र का एहसास होती है की उसने उसकी बेटे की ये हालत कर दी है । शीतल को एहसास होता है जिशू का दोषी वो है । वो तानिया को माफी की नजर से देखती है लेकिन तानिया उससे मुंह फेर लेती है एक शब्द भी नहीं बोलती । तानिया दुख में थी और वो जिशू का दुर्दासा की जमीदार शीतल को समझ रही थी ।
दीपाली नर्स से कहती हे ।" प्लीज इसे एक बार मिलने दीजिए ।"
नर्स ।" देखिए आप लोगो को पहले से कह दिया है इतने लोगो को हॉस्पिटल एलाऊ नही करती है मिलने को । और आप है की यही डेरा जमाए बैठे हे । बार बार कह रही हूं कमसे कम आप हॉस्पिटल के बाहर जा के रुकिए । कैफेटेरिया में भी आप लोग रूक सकते हे ।"
खेर काफी निवेदन करने के बाद शीतल को जिशू से मिलने दिया जाता है । तपन , विशू , और शेतन एक दूसरे को इशारा करता है वो इस बात समझते हे अब तोता मैना को अकेला छोड़ देना चाहिए और तानिया, तराली,दीपाली को हॉस्पिटल के बाहर ले जाता है ।
शीतल जिशू को बेड पे अध लिया देखती हे जिसके शिर की ऊपरी हिस्से में मोती बेंदेज बंधा गया था । लेकिन जिशू के चेहरे पे ये क्या । शीतल को देखते ही बड़ी सी मुस्कान ।
शीतल की आसू निकल जाती हे और जिशू के बेड पे बैठ जाती है । जिशू को बस निहारने लगती है प्यार से ।
जिशु मुस्कुरा कर ।" आपकी आखों में आसू अच्छे नही लगती ।"
शीतल भावुक हो कर ।" तो फिर आसू आने क्यूं देते हो । क्या बिगाड़ा मेने तुम्हारा जो मुझे इतना छटा रहे हो । क्यूं किया ऐसा खुद को छोट पोहोछा के क्या साबित करना चाहता था । कबीर सिंग बनना चाहता था तू दारा रांग दारा रांग करना चाहता था तू हा । दिखा दी ना अपनी सड़क छाप आशिकी । तुम्हे क्या लगा मुझे खुशी होगी और में मान जाऊंगी हा । मेरे दिल से पूछ क्या महसूस कर रही हूं में । जब तू मिला था अपनी मम्मी की गोद * बसर का मिला था । यूं कर के गोद में लिया था तुझे और शर्मा के बापच अपनी मम्मी के गोद में गया था तू लेकिन मैने भी हार नही मानी और तुझे चॉकलेट डे के माना के अपनी गोद में खिलाया तेरे कमल गालों को दबाया । वो एहसास आज भी याद है मुझे जब तू मेरे गोद में खुशी से मुस्कुराया तब कितनी खुश हुई थी में । और आज ये सिला दिया मेरे प्यार का हा खुद को छोट पोहोचा के मेरे दिल में घाव भर दिया और ऊपर से एक मां की नाराजगी । तेरी मम्मी भी अब मुझसे नाराज़ हो गई हे ।"
जिशु पहले कबीर सिंह वाली बात पे मुस्कुराया और गंभीर हो के दिल की अल्फाज बयां किया ।" गलती हो गई क्या करू आप जैसा समझदार जो नही हूं । सही कहा में बस आपको दुख पोहचाना जानता हूं आपकी होंठो पे हसी लाने का जनता ही नही में । इसलिए तो आप मुझसे नाराज़ है माफ नही कर पा रही हे मुझे ।बोहोत दुख दिया है मैने आपको पर और दुख नही दूंगा में आपको ये मेरा वादा हे आपसे । में कभी आपको अपना चेहरा तक नहीं दिखाऊंगा । "
शीतल थप्पड़ की इशारा करती हुई ।" मारूंगी एक रख के । खुद को बोहोत बड़ा एहसानमंद हीरो समझ रहा है । "
जिशु आसू पोछ के उसका माथा चूम लेती हे । उसकी जुल्फे जिशू के चेहरे पे रोनौक लाने का काम करती है । दोनो की नजरे मिलती है करीब से और धीरे धीरे शीतल उसे देखती हुई सीधी हो जाती है । " बोहोत दर्द हो रहा है ।"
जिशु मुस्कुरा के अपनी दिल पे हाथ रख के बोला ।" पर यहां ज्यादा दर्द हो रहा है । इसका मलहम मुझे नही मिल रहा है ।"
शीतल सरारत से ।" मलहम बताओ में ला के दे देती हूं ।"
जिशु ।" ये तो इस दर्द की इलाज करने वाली ही जानती हे की कौनसा मलहम लगाना है । "
शीतल की मुस्कान बड़ी हो जाती हे और प्यार से उसे देख के उसकी तरफ झुकी चली जाती है और जिशु के होंठो के करीब होंठ रख देती है और चूमने का भाव कर के नीचे सड़क के जिशू के दिल पर चूम लेती है । जहा जिशू की धड़कन बढ़ गई थी की शीतल उसके लबों को पीने वाली है वोही शीतल की सरारत देख के हांसी निकल जाती हे । और शीतल को भी हांसी आ जाती हे अपनी शरारत पर ।
जिशू ।" यही हांसी तो में देखना चाहता था कब से पाता नहीं कहा गायब हो गई थी । "
शीतल ।" बस अब यहीं हसी देखने को मिलेगी । आखिर मेरा दिल जीत ही लिया तूने जिद्दी कही का ।"
दोनों बस आखों में आखों डाल के देखते रहते हे होंठो में मुस्कान लिए । जैसे आखों से दिल की हजारों बाते कह रहा हो ।
जिशू प्यार से शीतल की गाल सेहला देता हे जिससे शीतल को उसकी मजबूत हाथों का एहसास से उसकी आंखे बंद हो जाती हे एक पल के लिए ।
शीतल उसका हाथ थाम लेती है और चूम लेती है ।" सॉरी "
जिशु ।" प्लीज मत कहो ऐसा । मुझे शर्मिंदा ना करो । "
शीतल ।" पर आज हद पार कर दी मैंने ।"
जिशू ।" कुछ ना कहो । बस मेरी छीने में शीर रख दो आप मुझे आपको महसूस करना है दिल से लगा कर ।"
शीतल झुक जाती हे और जिशु छोड़ी छाती पे गाल रख के जिशू की दिल की धड़कनों को सुनती रहती है । जिशु उसकी एक पीठ पे रख देता है और दूसरा हाथ रेशमि बालो पे उंगलियां फिराने लगता हे । तभी उसकी नजर शीतल की सुन्न गले पर पड़ता हे ।(आंटी ने मंगलसूत्र नहीं पहनी है आज)
जिशु ।" आंटी आपने मंगलसूत्र नही पहना है आज ।"
शीतल कुछ पल रूक के ।" उस दिन के बाद कभी पहनी नही जो तूने उतारा था ।"
जिशु ।" अगर में आपको नया मंगलसूत्र पहनाऊँ तो पहनोगी ।"
शीतल उसके तरफ देखने लगती है प्यार से ।" क्यूं ।"
जिशू ।" में आपका नया पति जो बन जाऊंगा । पहनाने दोगी मुझे ।"
शीतल मुस्कुराती है ।" मुझे ऐसा अकरू पति नहीं चाहिए ।"
जिशू मुस्कुरा कर ।" आप सीधी कर देना मुझे बेलन से मार मार के ।"
हिहिहिही ।
दोनो एक दूसरे से प्यार भरी बातें करती रहती है ऐसे ही ।
लगता है तपन शीतल को लाइन पे ला रहा है जिशू के प्यार का एहसास कराने के लिए ।Update 37
Vishu's villa (कोठी)
शीतल घर लौट के आती है । वो पूरी कोठी सान मारती हे लेकिन किसी को मजूद नहीं पाती वो । (अरे कहा गए सब लोग । सब लोग एक साथ तेहलने तो नहीं गए है ) वो अपने कमरे में जा सबसे पहले फोन उठाती है और दीपाली को कॉल लगाती है ।
एक लंबी रिंग के बाद उसका कॉल रिसिव होता हे लेकिन दीपाली नहीं तराली उसकी फोन रिसीव करती है ।
तराली जिज्ञासा और परेशान स्वर में " शीतल कहा थी तू "
शीतल उसकी आवाज भांपते हुए ।" क्यू क्या हुआ और तुम लोग कहा हो । यहां तो कोई भी नहीं है कोठी पे । शामू काका भी नही हे "
तराली ।" तू पहले बता कहा गई थी "
शीतल ।" क्या हुआ तू इतनी परेशान क्यूं लग रही है । में मॉर्निंग वॉक पे गई थी तूझे तो पता ही है में हर सुबह वॉक पे निकलती हूं ।"
तराली ।" परेशान । तुझे पाता नही हे क्या । पाता भी कैसे होगा तुझे तू तो थी ही नहीं ।"
शीतल को भाप कुछ भाप होती है कुछ तो हुआ है ।" अरे पर हुआ क्या है ये तो बाता ।"
तराली ।" जिशु का सायेद एक्सीडेंट हुआ हे । हम उसे हॉस्पिटल ले के आए हे शीर पर गहरी छोट आई है । 12 टाके लगे हे शीर पर ।"
शीतल बौचक्का रह जाती है ये सुन के । जैसे पेड़ो तले जमीन खींचक जाती है । उसके हाथ से मोबाइल छूट जाता हे और नीचे कोई टप्पा खा के गिरती है और फोन ऑफ हो जाती है । शीतल धडम से बिस्तर पर बैठ जाती है । आखों के सामने भले ही कमरे का नजारा था लेकिन उन नजरो में जिशु का दुख और दर्द दिखाई दे रही थी जो वो तब समझ ही नही पाई थी । (उसने सोच में ऐसा किया सचमुच अपने शिर फोड़ लि उसने । और एक बार भी मुड़ कर नहीं देखा । ये उसने क्या किया पागल लड़का । उसे कुछ हो ना जाए है प्रभु उसकी रक्षा करना । क्या पागल लड़का है जिशू मुझे उसे संभालना चाहिए था समझना चाहिए था उफ ये लड़का क्यू ऐसा किया । क्या सच मे उसके मन में )
शीतल जिशू के पास जाने के लिए बेकरार हो जाती है एक तड़प उसके दिल में जाग जाती हे । और वो जल्दी जल्दी में बाथरूम में जा के बिना नहा धो के बस मुंह हाथ धो के कपड़े चेंज करती है और जिशु के पास जाने के लिए निकल पड़ती है । लेकिन तभी उसे याद आया की उसे तो पता ही नही हे जिशू को किस हॉस्पिटल में ले के गया हे । और वो दौर कर अपनी कमरे जा के टूटी हुई मोबाइल उठाती हे देखती है उसका मोबाइल अब ऑन होने से रहा नही । वो परेशान हो कर बापच मोबाइल को पटक के जमीन पे रोने लगती है ।
हर आसू की बूंद में मूल सिर्फ़ और सिर्फ़ जिशू की फिक्र थी । दिल में दुआ थी की जिशू को कुछ हो ना जाए । एक पछतावा थी की उसने खुद को वाहा पे रोका क्यू नही जब जिशु उसे रुकने को बोल रहा था और कह रहा था की नही रुका तो वो खुद का शीर फोड़ लेगा । कैसे क्यू उसका विश्वास नही किया उसने क्या इतनी नफरत थी जिशु के लिए ।
शीतल दुबारा गेट पे जाती हे । सुबाह के 6 बज रहे थे और उस वक्त रास्ते पे कोई नजर नहीं आ रहा था । एक तो उसे कोई ऑटो या टैक्सी नही मिल रही थी जो वोहा पिछड़ी गांव में मिलना मुस्किल ही था । और ऊपर से उसे पता भी नही हे किस हॉस्पिटल जाना है ।
वो बस इंतजार करती रही की कोई सवारी उठाने वाला गाड़ी मिल जाए बाकी पूछ ताछ कर के किसी से हॉस्पिटल के बारे में पता कर लेगी । लेकिन एक प्राणी भी नही मिल रहा था गांव में सहल पहल दिखाई ही नहीं दे रही थी ।
कुदरत बनाने वालो को भी शीतल के ऊपर तरस आता है और इसकी मदत के लिए एक औरत और उसके साथ एक बच्चे को उसे रास्ते भेजती हे ।
शीतल उस एक बच्चे को गोद में ले कर आती हुई औरत को देख कर बोहोत खुश हो जाती है और इस औरत की रास्ता काट देती है । वो औरत शीतल की आखों में परेसनी और आसूं साफ देख पा रही थी और उसे भी दया की भाव आ जाती हे ।
शीतल ।" बहन जी आपके पास फोन हे क्या । मुझे एक कॉल करने दीजिए ना प्लीज बोहोत जरूरी है ।"
औरत हाथ में रखी अपना मोबाइल शीतल को दे के बोलती है ।" आप रो रही हे कुछ हुआ है क्या ?"
शीतल ।" हा वो मेरे .......... मेरे बेटा हॉस्पिटल में है ।"
और वो तपन के नंबर पे कॉल लगाती हे जो उसे पहले से याद हे । वो औरत उसे देखती रहती है ये सोच के की क्या हुआ होगा इसके बेटे को ।
तपन फोन उठता है ।" हेलो "
शीतल ।" बेटा में हूं में । "
तपन ।" मम्मी आप । "
शीतल ।" हा में । बेटा वो कैसा है ठीक तो है ना ।"
तपन ।" हा ठीक हे । मम्मी आप दोनो के बीच क्या हुआ था ।"
शीतल के पास कोई जवाब नही थी उस सवाल की । " कौनसे हॉस्पिटल ले गए हो उसे ।"
तपन ।" गांव में कोई हॉस्पिटल नहीं था तो गांव के बाहर एक हॉस्पिटल पे ले कर आया हूं ।"
शीतल ।" बेटा तुम मुझे लेने आओ यहां । मुझे कोई गाड़ी कोई ऑटो नही मिल रहा है । प्लीज लेने आ जाओ ।"
तपन देर जवाबी में बोला ।" ठीक हे में अभी जाता हूं आप बस आधा घंटा रुको ।"
शीतल खुश हो कर ।" हा में यही हूं । आ जाओ ।"
शीतल फोन रख के औरत को बापच देती हे ।" बोहोत बोहोत धन्यवाद आपका । "
औरत ।" शुक्रिया की कोई बात नही जी । वैसे हुआ क्या है ।"
शीतल ।" जी मेरा एक भतीजे का सुबाह एक्सीडेंट हुआ है और वो हॉस्पिटल मे हे ।"
औरत ।" आप परेशान मत हो सब ठीक होगा मालिक देख रहा है आपके लिए दुआ करूंगी । चलती हूं ।"
शीतल ।" हम्मम "
औरत अपने बच्चे को गोद में लिए चली जाती है । क्या कायनात जिशू और शीतल को मिलाने के लिए ये खेल खेल रहा है । शीतल को इंतजार के हर एक पल काटे की तरह चुबती हुई महसूस हो रही थी ।
वक्त आज तक किसी के लिए कहा रुका है आधा घंटा बीत गया और तपन अकेले ही कार ले के आ जाता है । जैसे ही यू टर्न ले के कार रोका शीतल तुरंत बैठ गई ।
शीतल ।" कितनी छोट लगी हे उसे । "
तपन कार आगे बढ़ाते हुए ।" छोट तो ज्यादा ही आया है बोहोत खून बह चुका है । "
शीतल को एक दर लगने लगी ।" क्या वो ठीक हे ।"
तपन अपनी मम्मी को आखों में देख के बोला ।" फिलहाल तो होश में आया है डॉक्टर ने टाके लगा के इलाज कर दिया हे । लेकिन हुआ क्या था । वो बोल रहा हे की जोगिंग करते समय पत्थर से टकरा गया था और गिरने से किसी चीज से चोट आ गई । मुझे पता हे वो जूठ बोल रहा है ।"
शीतल नज़रे चुराने लगी ।" वो वो ।"
तपन ।" अब आप भी जूठ मत बोलना प्लीज मुझे सच जानना है ।"
शीतल थोड़ी संकोच के साथ पूरी कहानी बाता देती है । तपन जिशू के ऊपर गुस्सा हो कर ।" ये जिशू भी ना ।"
शीतल ।" मुझे क्या पाता था वो सच में ऐसा कर लेगा ।"
तपन ।" मम्मी आप उसे जानती हो वो कितना जिद्दी हे । "
शीतल कुछ याद कर के ।" बेटा उसे तो आलौकिक शक्ति मिली है ना ।"
तपन ।" हा तो क्या वो इससे इंसान नही बन जाता क्या । हम चारो की अलग अलग शक्ति है उसे तेलीपोर्ट होने की शक्ति मिला हे ना की पत्थर जैसा शरीर बनने की । "
शीतल ।" माफ करना मेरा वो मतलब नही था ।
तपन गंभीर हो कर ।" मम्मी आप समाज की नजरो से देखोगी तो कभी आपको खुद को खुशी नहीं मिलेगी । अपनी नजरिए से देखो मम्मी बस एक बार देखो अपनी मन की नजरों से । आपकी आंखों में दिखती है जिशू के लिए प्यार ।"
शीतल शर्मा जाती है अपने बेटे के बातों से । और वो दोनों आधे घंटे मे हॉस्पिटल पोहोच जाते हे पूरे रास्ते तपन अपनी मम्मी को प्रेम अनुभवी गुरु की तरह अपनी मम्मी को समझाए जा रहा था ।
एक और लव स्टोरी सेट हो गई। अब बस दो और बचती है। देखो उनका नंबर कब लगता है। Nice update Polakh555Update 38
Hospital
शीतल वार्ड में डोरी भागी चली जाती है लेकिन एक नर्स ने उसे रोक लिया । शीतल को दीपाली और तराली समझती हे चारा कुछ लेकिन एक नजर जो शीतल को खा जाने वाली नजरो से देख रही थी । शीतल को उस नज़र का एहसास होती है की उसने उसकी बेटे की ये हालत कर दी है । शीतल को एहसास होता है जिशू का दोषी वो है । वो तानिया को माफी की नजर से देखती है लेकिन तानिया उससे मुंह फेर लेती है एक शब्द भी नहीं बोलती । तानिया दुख में थी और वो जिशू का दुर्दासा की जमीदार शीतल को समझ रही थी ।
दीपाली नर्स से कहती हे ।" प्लीज इसे एक बार मिलने दीजिए ।"
नर्स ।" देखिए आप लोगो को पहले से कह दिया है इतने लोगो को हॉस्पिटल एलाऊ नही करती है मिलने को । और आप है की यही डेरा जमाए बैठे हे । बार बार कह रही हूं कमसे कम आप हॉस्पिटल के बाहर जा के रुकिए । कैफेटेरिया में भी आप लोग रूक सकते हे ।"
खेर काफी निवेदन करने के बाद शीतल को जिशू से मिलने दिया जाता है । तपन , विशू , और शेतन एक दूसरे को इशारा करता है वो इस बात समझते हे अब तोता मैना को अकेला छोड़ देना चाहिए और तानिया, तराली,दीपाली को हॉस्पिटल के बाहर ले जाता है ।
शीतल जिशू को बेड पे अध लिया देखती हे जिसके शिर की ऊपरी हिस्से में मोती बेंदेज बंधा गया था । लेकिन जिशू के चेहरे पे ये क्या । शीतल को देखते ही बड़ी सी मुस्कान ।
शीतल की आसू निकल जाती हे और जिशू के बेड पे बैठ जाती है । जिशू को बस निहारने लगती है प्यार से ।
जिशु मुस्कुरा कर ।" आपकी आखों में आसू अच्छे नही लगती ।"
शीतल भावुक हो कर ।" तो फिर आसू आने क्यूं देते हो । क्या बिगाड़ा मेने तुम्हारा जो मुझे इतना छटा रहे हो । क्यूं किया ऐसा खुद को छोट पोहोछा के क्या साबित करना चाहता था । कबीर सिंग बनना चाहता था तू दारा रांग दारा रांग करना चाहता था तू हा । दिखा दी ना अपनी सड़क छाप आशिकी । तुम्हे क्या लगा मुझे खुशी होगी और में मान जाऊंगी हा । मेरे दिल से पूछ क्या महसूस कर रही हूं में । जब तू मिला था अपनी मम्मी की गोद * बसर का मिला था । यूं कर के गोद में लिया था तुझे और शर्मा के बापच अपनी मम्मी के गोद में गया था तू लेकिन मैने भी हार नही मानी और तुझे चॉकलेट डे के माना के अपनी गोद में खिलाया तेरे कमल गालों को दबाया । वो एहसास आज भी याद है मुझे जब तू मेरे गोद में खुशी से मुस्कुराया तब कितनी खुश हुई थी में । और आज ये सिला दिया मेरे प्यार का हा खुद को छोट पोहोचा के मेरे दिल में घाव भर दिया और ऊपर से एक मां की नाराजगी । तेरी मम्मी भी अब मुझसे नाराज़ हो गई हे ।"
जिशु पहले कबीर सिंह वाली बात पे मुस्कुराया और गंभीर हो के दिल की अल्फाज बयां किया ।" गलती हो गई क्या करू आप जैसा समझदार जो नही हूं । सही कहा में बस आपको दुख पोहचाना जानता हूं आपकी होंठो पे हसी लाने का जनता ही नही में । इसलिए तो आप मुझसे नाराज़ है माफ नही कर पा रही हे मुझे ।बोहोत दुख दिया है मैने आपको पर और दुख नही दूंगा में आपको ये मेरा वादा हे आपसे । में कभी आपको अपना चेहरा तक नहीं दिखाऊंगा । "
शीतल थप्पड़ की इशारा करती हुई ।" मारूंगी एक रख के । खुद को बोहोत बड़ा एहसानमंद हीरो समझ रहा है । "
जिशु आसू पोछ के उसका माथा चूम लेती हे । उसकी जुल्फे जिशू के चेहरे पे रोनौक लाने का काम करती है । दोनो की नजरे मिलती है करीब से और धीरे धीरे शीतल उसे देखती हुई सीधी हो जाती है । " बोहोत दर्द हो रहा है ।"
जिशु मुस्कुरा के अपनी दिल पे हाथ रख के बोला ।" पर यहां ज्यादा दर्द हो रहा है । इसका मलहम मुझे नही मिल रहा है ।"
शीतल सरारत से ।" मलहम बताओ में ला के दे देती हूं ।"
जिशु ।" ये तो इस दर्द की इलाज करने वाली ही जानती हे की कौनसा मलहम लगाना है । "
शीतल की मुस्कान बड़ी हो जाती हे और प्यार से उसे देख के उसकी तरफ झुकी चली जाती है और जिशु के होंठो के करीब होंठ रख देती है और चूमने का भाव कर के नीचे सड़क के जिशू के दिल पर चूम लेती है । जहा जिशू की धड़कन बढ़ गई थी की शीतल उसके लबों को पीने वाली है वोही शीतल की सरारत देख के हांसी निकल जाती हे । और शीतल को भी हांसी आ जाती हे अपनी शरारत पर ।
जिशू ।" यही हांसी तो में देखना चाहता था कब से पाता नहीं कहा गायब हो गई थी । "
शीतल ।" बस अब यहीं हसी देखने को मिलेगी । आखिर मेरा दिल जीत ही लिया तूने जिद्दी कही का ।"
दोनों बस आखों में आखों डाल के देखते रहते हे होंठो में मुस्कान लिए । जैसे आखों से दिल की हजारों बाते कह रहा हो ।
जिशू प्यार से शीतल की गाल सेहला देता हे जिससे शीतल को उसकी मजबूत हाथों का एहसास से उसकी आंखे बंद हो जाती हे एक पल के लिए ।
शीतल उसका हाथ थाम लेती है और चूम लेती है ।" सॉरी "
जिशु ।" प्लीज मत कहो ऐसा । मुझे शर्मिंदा ना करो । "
शीतल ।" पर आज हद पार कर दी मैंने ।"
जिशू ।" कुछ ना कहो । बस मेरी छीने में शीर रख दो आप मुझे आपको महसूस करना है दिल से लगा कर ।"
शीतल झुक जाती हे और जिशु छोड़ी छाती पे गाल रख के जिशू की दिल की धड़कनों को सुनती रहती है । जिशु उसकी एक पीठ पे रख देता है और दूसरा हाथ रेशमि बालो पे उंगलियां फिराने लगता हे । तभी उसकी नजर शीतल की सुन्न गले पर पड़ता हे ।(आंटी ने मंगलसूत्र नहीं पहनी है आज)
जिशु ।" आंटी आपने मंगलसूत्र नही पहना है आज ।"
शीतल कुछ पल रूक के ।" उस दिन के बाद कभी पहनी नही जो तूने उतारा था ।"
जिशु ।" अगर में आपको नया मंगलसूत्र पहनाऊँ तो पहनोगी ।"
शीतल उसके तरफ देखने लगती है प्यार से ।" क्यूं ।"
जिशू ।" में आपका नया पति जो बन जाऊंगा । पहनाने दोगी मुझे ।"
शीतल मुस्कुराती है ।" मुझे ऐसा अकरू पति नहीं चाहिए ।"
जिशू मुस्कुरा कर ।" आप सीधी कर देना मुझे बेलन से मार मार के ।"
हिहिहिही ।
दोनो एक दूसरे से प्यार भरी बातें करती रहती है ऐसे ही ।