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Update 42
Wedding night
Wedding night
वेसे तो जिन्होनें मना ली है वो इसका उत्तर अधिक अच्छे से दे पायंगे, फिर भी यदि इसका शाब्दिक अर्थ भी करे तो
सुहाग+रात
सुहाग का एक अर्थ सौभाग्य भी होता है। तो नव दंपति को उनके सौभाग्य से यह रात प्राप्त होती है। तो यह उनके लिए सौभाग्य की रात भी है।
दूसरा इसे पत्नी के दृष्टिकोण से देंखे तो क्योकि कन्या पहली बार सुहागन बनती है इसलिए उसकी पहली रात उसके पति यानी उसके सुहाग के साथ होती है। तो उसके सुहाग के साथ उसकी पहली रात होती है।
ओर भी अनेक कारण हो सकते है, जिस कारण हमारे पूर्वजों ने इसे सुहागरात नाम दिया।
सुहागरात एक दूसरे को समझने की रात होती हैं, एक दूसरे को मन से अपनाने की रात होती हैं, एक दूसरे को ये एहसास करवाने की रात होती हैं की अब आप में और उन में कोई फर्क नहीं हैं। लेकिन दोनों जोड़े की रिश्ते कुछ अलग प्रकार के थे ।
Room no 1
तपन तानिया की जिस्म से हर एक गहने के साथ हर एक वस्त्र उतार देता हे । माना जाता है सर्दी में शादी करने का मजा ही कुछ अलग होती है योन संबंध में लुफ्त ज्यादा होता हे ।
लेकिन ठंड की वजह से तपन और तानिया कंबल के अंदर थी जो दोनो निबस्त्र । तपन तानिया की जिस्म पर हर एक अंग को चूमना चाहता था लेकिन कंबल के अंदर मुस्किल होता है रोसनी पर तानिया की गोरी चिकनी त्वचा दिखाई जो नहीं पड़ती थी ।
तपन फिर भी तानिया की टांगो के बीच जीव से कामुक खेल की शुरुवात करता हे कंबल के अंदर ही । तानिया की हाथो पे रची महंगी उसकी चेहरे की चमकती हुई मेकअप की वज़ह से कुंवारी दुल्हन लग रही थी । खटिए पे काम सुख से सिसिया रही थी ।
Room 2
जिशु हर एक अंग चूमते हुए शीतल को नंगी कर देती है । शीतल कसमसाती हुई शर्म से अपने आपको कंबल में छुपाने की नाकाम कशिश करती हे । जिशु भी कंबल के अंदर नंगा था ।
जिशु शीतल की शर्माती हुई चेहरे को प्यार कर के बोला ,,, क्या तुम तैयार हो । अगर तुम्हे वक्त चाहिए तो हम जब तक चाहे रूक सकते हे ।
शीतल आज प्यार की प्यासी थी वो जिशू के आगोश में समा के बिन लफ्जों से ही बयां कर देती है दिल की बात ।
Room no 1
तपन और तानिया के बीच की रिश्ते में अब तक एक गेहरी रिश्ते बन चुका था । जो एक दूसरे से जिस्मानी होने एक शर्म मिट के एक समझ बनती है को एक दूसरे की भाव से ही समझ जाते थे की एक दूसरे को क्या चाहिए वो बंधन पहले ही बंध चुकी थी ।
कम्बल से बाहर सिर्फ दोनो के ही गर्दन निकले हुए थे । दोनो अब बस मिलन की आनंद उठाना चाहते थे ।
तपन तानिया की आखों में देखते हुए ,, बेबी आज हमारा सुहागरात हे कुछ नया होना चाहिए ना ,,
तानिया उसकी नाक में नाक रगड़ती हुई,, जानू नया करने को बचा ही क्या है अब अब तक हमने 156 बार कर चुके हे और तुमने हर पोजीशन में किया हे । कम्बल के अंदर और क्या नया करोगे । में खुश इस बात से की तुम रीति रिवाज से मेरे पति बन गए हो चाहे जो भी हो पति तो बन गए मेरे ,,
तपन उसकी कान फुसफुसाता है ,, एक जगह हे जो तूने मुझे अब तक छूने भी नहीं दी ,,
तानिया समझ जाती है उसकी होंठो पे मुस्कान आ जाती है ,, नहीं बाबा वाहा नेही ,,
तपन,, क्यूं आज ट्राय कर लो । और तुमने तो बताया था की वाहा पहले भी किया है,,
तानिया ,, उम्म्म तुम क्या चाहते हो सुबह अपने बेटे और तुम्हारे दोस्तो के सामने लंगड़ाती फिरू । क्या सोचेंगे मेरे बारे में मुझे शर्म नही आयेगी क्या ,,
तपन मजाक करते हुए ,, सुना है गाओ में अगर सुहागरात के दूसरे दिन लंगड़ा के ना चले तब दूल्हे कि बड़ी खिंचाई होती है । और में वो खिंचाई अपने दोस्तो से नही सुनना चाहता ,,
तानिया जूठी गुस्से से ,, तो अपने दोस्तों के आगे मर्दानगी दिखाने के लिए मेरे साथ ऐसा करोगे ,, फिर मजाक करते हुए ,, में भी जिशु बोल दूंगा फिर शीतल की हालत खराब करने के लिए,,
तपन हस पड़ता है ,, धेत्त । में तो मजाक कर रहा था । वैसे ऐसा हुआ तो में भी तुम्हे नहीं छोडूंगा खा जाऊंगा तुझे ।
तानिया उसकी गाल सेहलाके ,, मन कर रहा है क्या ,,
तपन शीर हिला कर ,, हम्म लेकिन तुम ना करो तो नही करूंगा ,,
तानिया ,, तुम्हे कैसे माना कर सकती हूं में । आज तो कतई नही । कुछ तेल जैसा कुछ चीज है ,,
तपन ,, हा विशु ने एक लुब्रिकेंट और चेतन ने कंडोम दिया था हम दोनो को ,,
तानिया मुस्कुराती है ,, बदमाश कहिका ये सब भी दिया है । अच्छा कंडोम से करना सही होगा आसानी होगी । तुम्हे बुरा तो नहीं लगा ,,
तपन ,, नहीं इसमें क्या बुरा लगेगा मेने भी अब तक कंडोम से ट्राई नहीं किया आज कर लेटे हे । ,,
तपन अपनी शेरवानी की जैप से लुब्रिकेंट की सीसी और कंडोम निकाल लेता हे ,,
Room no 2
जिशु शीतल को कंबल के अंदर निबस्त्र कर के हर एक अंग चूमने लगा था । शीतल आंखे बंद कर के बस जिशु को अपनी जिस्म को हर एक चुम्बन के साथ सोप दे रही थी । सुखद आनंद की आहे मुंह में दबा रही थी क्यू की उसे शर्म आ रही थी ।
जिशु उसकी चूत की भगनासा को जीव से भोग रहा था । जिशु मन में (क्या आंटी को भी मेरा चुसवा दूं । अरे नही वो शर्म के मारे मर जायेगी लेकिन उस दिन तो चूसा था । नहीं उस दिन नशे में थी आज की बात अलग है एक होश में और ऊपर से पति भी बन गया हू आज नही कर पाएगी )
जिशु उसकी चूत काफी देर तक चूसता है जिससे शीतल पानी छोड़ रही थी और आनंद में नई जगत की लुप्त हो जा रही थी । जिशु उसकी मोटी जांघो को चूमता हुए उसकी नाभी से खेलने के साथ उसकी मखमल पेट भी मसलते हुऐ चूम के शीतल को पूरी तरह से कामुत्तेजोक कर देता है । शीतल अपनी जिंदगी की अध्याय में पहली बार एक नई काम सुख की आनंद को महसूस कर रही थी एक गैर जो अब पति बन कर उसकी रोम रोम से जुड़ चुकी है ।
जिशु उसकी बड़ी आकर की चुचियों को मसल मसल के पीने लगती है । शीतल धीरे धीरे शर्म का परदा गिरा देती है और नशीली सुखमय कामुक नजरो से जिशु को देख रही थी लेकिन इस बार अपनी आह को खुल के निकलती है ।