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दीपाली बोर हो गई थी सालो से क्लिनिक चलाते चलाते बस पेसेंट के मुंह खोल के इंस्ट्रूमेंट डालो और चेक करो । कभी कभी सर्जरी करनी पड़ती थी उसे तब उसे उस काम में मजा आता था । लेकिन काफी दिनों से वो खुश नहीं थी वजह थी उसकी संसार में मूड भेद । मानसिक रूप तनाओं झेल रही थी जिसका असर धीरे धीरे उसकी दैहिक स्वस्थ पर रही थी । पिछले दो सालो से वो अपनी संसार को मुकम्मल करने की कशिश कर रही थी लेकिन बेचारी की किस्मत ही फूटी थी । कुटुम्ब की मर्यादा के अनुसार धर्मानुष्ठान करते हुए ईश्वर भक्त बनी हुई थी आस्था मन में ले के की एक दिन सब ठीक हो जायेगा । लेकिन वो दिन सायेद ही कभी देख पाए । उसकी
वामांग बिखर रही थी दिन प्रतिदिन कुट्ठी ढीली हो रही थी ।
चेतन 4 बजे कॉलेज से लौट आता हे । नीचे की मंजिल में एक बड़ा सा किचन था एक डाइनिंग हॉल साथ में ड्रॉइंग रूम या कह सकते हे बड़ा हॉल था TV के साथ और कोने में एक स्टोर रूम । वो थकान से बिंदास सोफे पे लेट जाता हे बेग वोही जमीन पे फेक देता हे ।
उसके घर में नौकरी करने वाला एक काका उसका बेग उठता हे और बोलता हे ,, चेतन बेटा बेग क्यूं फेक देते हो इसमें किताबे है ऐसा अपमान नही करते बेटा,,
चेतन आज 4 सेमिस्टर का फाइनल एग्जाम दे के आ रहा था । थोड़ा टेंस था लेकिन वो सबका इत्ज्जत करता था ,, काका क्या करू आदत बन गई हे अब तो । आप जा के मेरे रूम में रख दो ,,
चेतन का रूम ऊपर था पहली मंजिल पे जहा चार बेडरूम और उसके ऊपर खुली चट्ट । काका उसके बेग को सोफे पे रख कर बोला ,, बेटा में बाद में रख दूंगा पहले तुम खाना खा लो । फ्रेश हो जाओ में खाना लगा देता हूं ।
तभी ऊपर से चीज़े तोड़ फोड़ करने की और दो आवाज जो गुस्से में चिल्ला चिल्ला के बात कर रहे थे वो सुनाई देता है नीचे तक या ये कहे की पूरे घर में गूंज उठता है ।
चेतन का मन उदास हो जाता हे ,, आज भी ,,
काका बस नजरे झुकाए शीर हा में हिला देता है ।
चेतन उठ खड़ा होता है ,, कब से ,,
काका ,, बस मालकिन जब से आए है क्लिनिक से ,,
चेतन ऊपर कमरे की तरह जाने लगता है तभी पीछे से काका उसे रोक देता है ,, बेटा रहने दे कोई फायदा नेहि आग में घी डालने जैसा होगा ,,
चेतन ,, नहीं पानी शीर से ऊपर उठ चुका है ,,चेतन ऊपर जाने लगता है ।
पीछे से काका बोलते रह जाता है बस ,, नही बेटा रहने दे समय ठीक नही चल रहा है ,,
लेकिन चेतन नहीं सुनने वाला था आज । हमेशा से अपने काका की बाते सुनते आए है पर आज नेहा । उस घर काका भले ही एक नौकर था लेकिन घर का एक सदस्य बन गया था उसकी इतज्जत बड़े बुजुर्ग की तरह होती थी खास कर चेतन से । 15 साल से वो चेतन के घर में बबारजी से ले के साफ साफई करने तक सब कुछ करता था । चेतन को अपने बेटे जैसा मानता था हर छोटी बड़ी फ़िक्र काका ध्यान रखता था उसका । काका बोहोत गरीब था अघरी था उसके परिवार के नाम पर चेतन की परिवार ही थे । सालो पहले उसकी बीवी डेंगू से गुजर गई थी गांव में और फिर उसने दुसरी कभी शादी नही की । चेतन उसे दूसरी शादी को ले के मजाक किया करता था और काका उसे मजाक में दांत देता था ।
चेतन सीधा अपने मम्मी पापा की बेडरूम में जाता है । चेतन को देख कर दीपाली और राघव चेतन को घूरने लगते हे दोनो चुप हो जाते है । कमरे पे टूटे चीज़ों की टुकड़े पड़े थे चेतन संभाल कर कदम रखते हुए अंदर पोहोच जाता हे हर तरफ बिखरे समान को देख चेतन का शर सकरा जाता हे । आज तक वो वजह नही मालूम किया की किस वजह से उसके मम्मी पापा इतना लड़ाई जगड़ा करता रहता है । वो सोचता था कोई निजी मामला होगा उसे बीच में आने से उसके मम्मी पापा शर्मिंदा हो जायेगा । पति पत्नी तो लड़ते ही है तो उसमे बेटे का भूमिका है । लेकिन आज चेतन की सेहन शक्ति जवाब दे चुका था ।
अन्य दिन चेतन जब बीच में आ जाता है तो दोनो चुप हो जाते हे लेकिन आज की लड़ाई में कोई भी पक्ष चुप नही बैठने वाला था । और आज चेतन भी पंचायत बैठना चाहता था ।
चेतन ,, आप दोनो कब बंद करेंगे ये हरकत । थोरी भी शर्म नही आती आप दोनो को इतने वेल एजुकेटेड लोग हो कर भी लड़ाई करते रहते हो ,,
रतन ,, बेटा मुझे भी कोई चौक नहीं है लड़ाई जगरे करने की लेकिन तेरी मम्मी ही बेतुकी बातो को लेकर जगरा करती रहती है ,,
दीपाली गुस्से में चिल्लाती है ,, चुप कमीने । में करती हु ना तू करता है ,,
चेतन इतनी निज संबंधित सुन के शर्म से हाय हाय हो जाता हे । कभी सोचा नहीं था उसकी मम्मी ऐसी तू तराक करेगी अपने पति के साथ और कमीना हरामी शब्द से गाली देगी । लेकिन चेतन अगले ही पल मे अपने पापा की असली चेहरा देख पाता है जो एक भद्र सज्जन था एक स्कूल के हेडमास्टर था ।
रतन ,, साली कामिनी हरामजादी मुंह मत खुलवा ,, (चेतन से) बेटा तुझे नहीं पाता तेरी मम्मी क्या क्या गुल खिलाती है बाहर । डॉक्टर नवीन के साथ इसकी अफेयर चल रहा है । सुना बेटा, ,,
दीपाली तुरंत ही पलटवार करती है ,,, गंदी नाली के कीड़े गंदी सोच रखने वाले गवार कितनी बार कहा हे की वो बस मेरा दोस्त है । (चेतन से) सुन बेटा ऐसा कुछ नही है । में दिखाती हूं तेरे बाप का असली चेहरा ।
दीपाली अपने मोबाइल पर कुछ फोटोज दिखाने लगती हे चेतन को ,, देख बेटा तेरे बाप की करतूत । ये हैं तेरा महान बाप ये सब करता है बाहर और बच्चो को यही शिक्षा देता हे स्कूल में । देख अच्छे से देख ।,,
उन फोटोज में रतन भार्गव किसी पराई औरत को बाहों में ले के किसी पार्क में बैठा हे । फोटोज में साफ दिखाई दे रहा था उसके पापा सच में उसकी मम्मी को धोखा दे रहा है । उसने अपनी दिव्य शक्ति से पाता किया की फोटोज एडिटिंग तो नही है । लेकिन फोटोज असली थे ।
चेतन अपनी पापा की तरफ देखता हे । रतन ना में शीर हिलाने लगता हे ,, नहीं बेटा ये फोटोज असली नहीं है । तेरी मम्मी ने ये सब साजिज रचा हे ताकि मेझे रास्ते से हटा के अपनी आशिक के साथ इंजॉय कर सके ,,,
चेतन गुस्से में चिल्लाता है ,,, बस करो पापा । ये फोटोज असली हे मुझे पता हे । जूठ मत बोलो ,,
रतन निरुत्तर हो जाता हे लेकिन उसका दाओ था की में अकेला क्यूं कालीचरण बनूं ,,, बेटा तेरी मम्मी भी तो उस नवीन के साथ इंजॉय करती हे उसका क्या । ,,
दीपाली ,,, कुत्ते हरामी । खुद बाहर मुंह मारते हो और मुझे भी बदनाम करते हो मेरे बेटे के सामने । अगर ऐसा हे तो प्रूफ दिखाओ । हे तेरे पास कोई प्रूफ । हा हे तेरे पास कोई प्रूफ बताओ है कोई प्रूफ । धोखेवाज इंसान ,,
रतन को अपनी चोरी पकड़े जाने पर बेटे के सामने शर्मिंदा हो जाता है और अपनी बीवी पर उतना ही ज्यादा गुस्सा आता है और दीपाली की कलाई पकड़ कर जोर आजमाता है । चेतन अपने बाप को रोकने ही वाला था की दीपाली उसे धक्का दे के पीछे धकेल देती है । रतन लंबे काठ के थे लेकिन दुबले पतले थे और दीपाली खाती पीती हेल्थी हट्टी कट्टी थी औरत होते हुए भी काफी बलशाली थी खुद भी डॉक्टर थी तो खुद को सहेदमंद रखने का नुस्खा जानती थी हालाकि की पिछले कोई दिनों से ठीक से रूटीन फॉलो नहीं करती थी पर फिर भी अपने पति की सामना करने मे सक्षम थी ।
रतन को बोहोत ज्यादा गुस्सा आता है और बोलता है ,,, निकल जा मेरे घर से साली हरामजादी ,,,
चेतन कुछ बोलने वाला था लेकिन उसकी आवाज दब जाता है ।
दीपाली ,, तू जा वे । ये घर मेरे पैसे से खरीदी हुई है ये जमीन मेरी है तूने तो अपनी तंखा बाहर वाली की ब्रा पैंटी पर उड़ा देता है । और वैसे भी तुझ से दुगना में कमाती हूं । ये जो लग्जरी लाइफ जी रहा है ना सब मेरी कमाई हे ,,
रतन अपनी बे-इतज्जती सेहन नही होता है और दीपाली के गाल पर तमाचा मार देता है ,, हा कमाई तो दुगनी होगी ही धंधा जो कर रखी है ,,
दीपाली उसके गिरेबान पकड़ कर थप्पड़ बरसाने लगता हे । जुबान की लड़ाई अब हटापाई पर उतर आता है । चेतन दोनों के बीच जा के लड़ाई रुकवाता हे ।
चेतन ,, बस बोहोत हो गया अब । प्लीज लड़ना बंद करो ,,
रतन अपनी बीवी को उंगली दिखा के बोलता है ,, जा रहा हूं में कभी तेरी सकल नही दिखाना मुझे । और हा डाइवोर्स पेपर भेज दूंगा । (चेतन से) बेटा में जल्दी ही तुझे मेरे अपने घर लेने आऊंगा अपना ध्यान रखना बेटा ,,
रतन कमरे से बाहर निकल जाता है । दीपाली उसको जाते जाते सुनाती है ,, अबे जा जा बड़े आए तेरे जैसे । तू क्या डाइवोर्स पेपर भेजेगा उससे पहले में भेजती हूं ,,
दीपाली अपने बेटे के पास जाती है और प्यार से उसके गाल पे हाथ रखना चाहती हे मगर चेतन पीछे हो जाता है ।
चेतन ,,, मत छुओ मुझे । आज से में आप दोनो के साथ कभी नही रहूंगा ,,
चेतन कमरे से निकल जाता है । दीपाली तड़पती हुई उसके पीछे जाती हे ,,, नही बेटा सुनो तो । बेटा सुनो मेरी बात । चेतन चेतन प्लीज मेरी बात सुनो ,,,
लेकिन चेतन एक नही सुनता अपनी मम्मी कि और अपना बाइक ले के घर से भाग जाता है । दीपाली उसे लाख कशिश के बावजूद रोक नही पाती और भागती हुई घर में जाती है ,,, भैया भैया कहा हो ,,
काका किचन से दौर कर आता है ,, क्या हुआ मालकिन ,,
दीपाली परेशान हो कर ,, चेतन कहा गया देखो तो जरा ,,
काका ,, मालकिन आप परेशान मत होइए वो किसी दोस्त के घर ही जायेगा । आप थोड़ी देर बाद उसके दोस्त के घर फोन लगाना देखना वो वोही होगा ,,
दीपाली ,, लेकिन भैया ,,
काका ,, मालकिन शिंता मत करो वो दोस्त के घर ही जायेगा ,,
दीपाली परेशान हो कर अपने कमरे की तरफ जाती है । वो जानती थी उसका बेटा अपने तीन दोस्तो के घर ही जायेगा लेकिन फिर भी पेट का बच्चा था फिक्र तो होगी ही ।
जिशु को सात दिनों में हॉस्पिटल से रिलीज मिलता है । लेकिन उसके पापा शुबत मेहरा हिदायत देता हे की उसे घर लाया जाए । और बाकी सब भी वोही चाहते थे । तो जिशु को हॉस्पिटल से कोठी लेने के वजाए उसके अपनें घर ले के जाते हे सब लोग ।
जिशू काफी हद तक स्वास्थ्य लाभ करता है । लेकिन हर कोई उसके सेवा में लगे रहते थे । खासकर शीतल हर सुबह आती थी जिशु के घर और शाम को जाति थी । तानिया को लैब जाना पड़ता था उसकी भी कर्तव्य था कुछ ।
बहेरहाल जो हुआ अच्छा हुआ लेकिन गलत तरीके से हुआ था । लेकिन नतीजा अच्छा ही निकला जिशु और शीतल पास तो आ गए । प्यार मोहब्बत करने की इस्सुक को शांति तो मिली प्यासे की प्यास बूझेगी अब ।
In the playground
विशू ।" आह्ह्ह्ह कोई दिनों बाद शांति मिली हे "
शेतन ।" हा भाई सही कहा अब बला तली हे कितना अच्छा लग रहा है । चूस भाई चूस "
तपन ।" क्या चूस चूस लगा रखा है ।"
तपन कही से दोनो के पास आता है । और देखता है दोनो बंदर कुल्फी खा रहा है । जैसे तपती गर्मी में शीतल स्वाद का मनरंजन लेते हुए चहक रहा हो ।
तपन ।" क्या बे इस ठंड की मौसम में कुल्फी कहा से मिला वे ।"
शेतन ।" में ले के आया स्टार मीट से । पाता नहीं क्या वाहा हर चीज मिलता है । चूसेगा ।"
तपन भूरा सा मुंह बना कर ।" हट साला बेंचोद "
तभी जिशु भी वाहा टेलीपोर्ट हो के प्रकट हो जाता है । " क्या हो रहा है हर तरफ गाली ही गाली सुन रहा हूं "
विशु सरारती अंदाज में ।" तुझे किसने डांटा भाई । कहा से गाली सुन के आ रहा है ।"
जिशू कुछ नहीं बोलता है । (शीतल ने उसे घर से बाहर निकलने से सख्त मना किया था लेकिन जीशू फिर भी निकला था तो गाली तो सुनना ही जिशू को लेकिन प्यार वाली और भद्र शब्द के गाली लेकिन यहां तो अभद्र ही चलता है दोस्ती के बीच हाला की उसमे भी दोस्ती का प्यार होता है )
शेतन हास कर ।" और कहा सुनेगा । सुनाने वाली तो एक ही है ।"
लेकिन जली तपन की तपन ने एक लात मारी उसे । लेकिन दोनों हंसने लगे । खेर मस्ती मजाक तो चलते ही रहेंगे ।
जिशु आज एलान करनें जा रहा था अपने दोस्तो से । " ओए सुनो मुझे कुछ कहना है ।"
तीनों सुनने के लिए तैयार हो गए लेकिन जिशू बोलने के लिए मुंह खोलता है लेकिन बोलता नही या फिर बोल नहीं पाता ।
विशु ।" भोसरीके बोल साले ।"
जिशू फट से बोला देता है ।" में आंटी से शादी कर रहा हू।"
तीनों की मुंह खुला का खुला रह जाता है ।
शेतन ।" अबे तुझे पाता भी हे तू क्या बोल रहा हे । बची कूची खुशियां भी तबाह कर देगी । आबाद नहीं बर्बाद हो जाएगा समझा ।"
तपन ।" जीशू तू ये क्या बोल रहा हे । पागल तो नही हो गया ।"
जिशू ।" भाई लोग तुम सभी गलत समझ रहे हो । शादी करने का मतलब दुनिया को बताना नहीं है मुझे । बस हम एक कदम आगे बढ़ना चाहते हे । हमारे बीच ये बात राज रगेही । अब समझा तपन ।"
तपन गहरी सोच विचार करते हुए ।" आइडिया बुरा नही हे । में भी तानिया आंटी से शादी करूंगा फिर ।"
विशु ।" साफ साफ क्यूं नही बोलता एक दूसरे की मम्मी के साथ सुहागरात मानना है । हां हां "
शेतन भी हसने लगा हां हां हां हां
जिशु और तपन दोनो को कुटने लगते है । हां हां हां हां
विशू ।" अबे बस बस बोहोत मार लिया । हमें मार दोगे तो तुम दोनो की कौन शादी करवा देगा "
जिशु के शीर पर से बैंडेज उतार चुका था टाके भी निकल दिए गए थे । पहले जैसे ही सुस्थ हो चुका था बस घाव के निशान ताजे थे उसके लिए समय अनिवार्य थे । जिशू को जैसे नई जिंदगी मिला वो बेहद खुश था । कभी सोचा नही था की उसे शीतल से प्यार होगा । रिश्ते ऐसे बने थे की उसे कभी कभी हांसी आ जाता था सोच के रिश्तों की उलझुलुल बंधन सोच को ।
कुछ दिन बाद चारो दोस्तो की बैठक लगाता है अपने अड्डे play ground पर ।
विशू,, तो बेटा तैयार हे शादी के लिए ,,
शेतन,, अरे बेटा जवान हो गया है तो शादी तो करेगा ही ,,
जिशू और तपन चिढ़ जाता है । विशु और शेतन हस पड़ता है दोनो के ऊपर ।
तपन ,, बकवास बंद करो । शादी के लिए कैसे प्रपोज करते है उसका कुछ आइडिया बता,,
विशु मजाक कर के ,, वाह भाई खुटा गाड़ने में कोई आइडिया नही चाहिए लेकिन अब शादी के लिए प्रपोज करने पर आइडिया चाहिए ,,(शेतन से),, ए भाई दे रे कोई आईडिया इस सांड को,,
जिशू दोनो को दे धुलाई दोनो के पिछवाड़े में घुटना मारता हे और दोनो को भागने लगता है ।
तपन,, साले कोई जरूरत नही हे तुम दोनो की निकल यहां से साले । जो करना हे हम दोनो देख लेंगे । निकल साले ,,
विशू और शेतन हास हास के पागल हो जाते हे । खेर मजाक मस्ती एक तरफ कर के चारो गंभीर मुद्दा पे बैठ जाते हे ।
तपन,,(जिशू से) तूने तो बात फिर भी कह दिया ,,
चेतन,, अच्छा अच्छा मेरा के सवाल हे,,
जीशू,, कैसा सवाल?,,
चेतन,, शादी का मतलब क्या है तुम दोनो को पाता ही है लेकिन तुम दोनो जो शादी करनें जा रहे हो उसका क्या मतलब है । में समझ नही पा रहा हूं शादी का मतलब हे तुम लोगो का । वैसा कुछ नही जो तुम दोनो को शादी की जरूरत हे ।"
जिशु ,, भाई शादी एक पवित्र रिश्ता हे और हम भी उसी पवित्र रिश्ते में बंधना चाहते हे ,,
चेतन,, ठीक है ये बात पल्ले पड़ रहा है लेकिन शादी को तुम लोग छुपा के रखोगे है ना । पर वोही तो है जब कोई एक दूसरे से बंधन मे बंध जाते हे उसी को शादी माना जाता है समाज के नजरो में । लेकिन एक दूसरे के लिए तो बस दिल की बंधन ही काफी है ना ।"
तपन रोमांटिक हो कर ,, तू क्या जाने यारा फीलिंग क्या होती हे इस रुस का सुवास ही ऐसा है । "
चेतन और विशू तालिया मारने लगता,, वाह वाह ,,
जिशू मुस्कुराने लगता है ,, बस बस फिर से तुम दोनो शुरू मत हो जाना । तुम दोनो ये बताओ हमारी मदद करोगे या नहीं ,,
चेतन जिशू को गले लगा के ,, बस भाई बस और बेगर मत कर । शाम के 6 बजे तैयार रहना महफील जमाने के लिए ।,,
चारों दोस्त गले मिलते हे । चेतन झट से बिजली की तरह डोर लगाते हुए गायेब हो जाता है । तीनों दोस्त ,, लो ,,
चेतन,, ये साला आज काल बेहद उड़ रहा है रफ्तार भी बढ़ गया कमीना मुझे जलाता हे ।
तपन,, तो तू भी जला ना उसे ,,
चेतन ,, प्लान बनाया है एक । इस बार एग्जाम में देर से आंसर बताऊंगा साले को ,,
जिशु और तपन हास पड़ता हे,, हां हां हां सही है कमीने को थोड़ा मजा सखाना बनता है ,,
Amuzing restro
समय 7 pm
पूरा रेस्ट्रो विशू और चेतन बुक कर लिया था । और खुद दोनों वेटर बन गए थे बाकी वेटर की छुट्टी करवा के । दोनो अपने दोस्तो की शाम बनाने का जिम्मा उठाया जो था ।
तानिया और शीतल ठीक 7 बजे रेस्ट्रो पोहोच जाती है । लेकिन अभी तक दोनों हीरो आए नही थे । उसका कारण था विशू और चेतन । दोनो ने बदमाशी की और 7 बजे का समय तानिया और शीतल को बताया और उन दोनो को 7:30 pm का समय बता दिया । ताकि दोनो हीरो अपनी अपनी बैटर हाफ से दांत खाए ।
शीतल और तानिया विशू और चेतन को वेटर की ड्रेस में देख के हसने लगी और शर्मा भी रही थी ।
तानिया ,, बदमाश तुम दोनो यहां क्या कर रहे हो,,
शेतन,, मोहतरमा हम तो आपकी सेवा करने के लिए हाजिर हुए हे इस मेहफील में । हम तो तुच्छ दास है ,,
शीतल,, जूते चाहिए गाल पे नालायक ये सब करनें के लिए हम तुम्हे पढ़ा लिखा के बड़े कर रहे है ,,
दोनो जमूरे गर्दन झुका के अपने काम में लग जाते है ।
शीतल मुस्कुरा के ,,, शैतान तुम्हारे दोस्त का कोई आता पाता नही कहा हे दोनो । आयेंगे की नहीं ,,
विशू ,, मोहतरमा उनके लिए आप दोनो को और 20 मिनट वेट करना पड़ेगा ,,
तानिया ,, क्यू ?,,
शेतन,, ताकि आप दोनो उन दोनो की खिंचाई कर सके ,,
तानिया और शीतल की मुस्कान निकल जाती है दोनो की बदमासी पर ।
शीतल,, अच्छा किया इसके लिए तुम दोनो को मेरे तरफ 100 रुपए टिप,,
विशू और चेतन का मुंह खुल जाता है,,बस 100 रुपए,,
तानिया हस कर ,, जाओ अपना काम करो नहीं तो रुपए की जगह हमारी जुटी की टिप मिलेगी ,,
दोनो बंदर की तरह भागते हुए रेस्ट्रो के किचन में जाते है और मास्टर शेफ से जान कारी लेता है तैयारी कैसी हे ।
7:31 मिनट पर जिशू और तपन सूट बूट पे डेसिंग हैंडसम हंक बन कर हाथो में लाल गुलाब लिए पैंथर की चाल मे तानिया और शीतल के पास जाता है ।
तानिया और शीतल एक टेबल पर मुंह लटकाए बैठी थी हाला की दोनो की नाटक थी ।
जिशू अपना फूल अदाकार सज्जन की तरह शीतल की तरफ अपनी लाल गुलाब फूल आगे बढ़ा देता ,, हेलो मिस,,
तपन भी वैसी ही मुस्कुराता हुआ नजाकत से पेश आते हुए फूल तानिया की तरफ आगे बढ़ा देता है,, हेलो गॉरगाउस,,
लेकिन दोनों की कोई प्रतिक्रिया नहीं । ऐसा देख कर दोनो एक पल के लिए घबरा जाते हे और मन में सोचने लगते हे कही दोनो कुछ गलत तो नहीं कर दिया । दोनो का चेहरा बिलकुल सफेद हो जाता है ।
तानिया और शीतल मन ही मन हस रही थी । और बस मजाक का मजा ले रही थी ।
विशू और चेतन तभी पानी ले आता है । विशु और चेतन पानी ऑफर करते है । जिशू और तपन अपने दोनो कमीने दोस्त की तरफ इशारा करता है । लेकिन दोनों चेहरे की भाव से कुछ नही पाता का इशारा कर देता है ।
तानिया चालक थी उसने दोनो तरफ से मजा लेते हुए नाराजगी दिखा के विशू और चेतन की तरफ देख एक बोली ,, 7 बजे से हम यहां बैठे हे अब जा के हमे पानी ऑफर कर रहे हो how is this behavior,,
शीतल भी नाराजगी दिखा के ,, ये कोई तरीका है किसी को बेबजा आधे घंटे तक इंतजार करवा के हमारा समय बर्बाद करना,,
जिशू और तपन एक दूसरे को हैरान हो के देखे ने लगते हे । पेहले तो कुछ समझ नहीं पाया । अपने अपने मन में (हमे तो 7:30 pm का बताया था । ओह समझा इन दोनो की मसखरी थी साले सुवार यहां भी ) दोनो विशू और चेतन को कच्चा खा जाने वाली नजरो से देखता है ।
विशू और चेतन नजरे इधर उधर कर के पानी ग्लास टेबल पे रख कर चले जाते हे पीठ पीछे हंसते हुए ,, अब दोनो की बैंड बजेगी,,
जिशु मानते हुए,, हमे पाता नहीं था आ लोगो को इन दोनों ने 7 बजे का समय बताया था ,,
तपन मनाते हुए,, हा इन दोनो की बदमासी हे,,
शीतल और तानिया कोई जवाब नही देती (बोहोत इश्क लड़ाने की आग लगी है अब झेलो हमारा नखरा )
जिशू तपन के कान में कहता है ,, तू अपनी वाली को साइड में ले जा में अपनी वाले को साइड में ले जाता हूं लगता हे मामला बिगड़ गया है अब हम मनाना पड़ेगा,,
तपन हा में शीर हिला देता है ।
तपन (तानिया से),, जरा उस टेबल पर चल के बात करते है ,,
जिशु (शीतल से ) प्लीज उधर चलो ना ,,
शीतल और तानिया की नखरे और बढ़ ही जाती है दोनों मुंह फुलाए बैठे जाती हे ।
तानिया (शीतल से),, शीतल मुझे लगता हे हमे अब चलना चाहिए । येहा बैठ के अब क्या फायदा चलो हम किसी दूसरी रेस्ट्रो पे जा के खाना खाते हे,,
शीतल ,, हम्म सही कहा । चलो चलते हे,,
दोनो मजनू घुटनो पे गिरगिरानें लगते है ।
तानिया और शीतल खुद को रोक नहीं पाती अपनी अपनी सैया की हालत पे तरस खा के मुस्कुराने लग जाती है । तभी तपन और जिशू की सूखे होंठो पे मुस्कान आ जाता है ।
तभी एक रोमाटिक माहोल बन जाता है जगमगाती लाइट जल जाते है और दोनो लंगूर दोस्त रोमांटिक पियानो म्यूजिक लगा के खुद भी Saxophone और violin बजा के मधुर संगीत का माहोल बना देते हे । और ऊपर से गुलाब की पंखुड़ियां गिरने लगते हे ।
तपन एक घुटना फर्श पर और एक हवा में उठा के जैप से अंगूठी निकल के गले को थोड़ा खरस मार के ,, "तुम्हारी याद में आँखों का रतजगा है, कोई ख़्वाब नया आए तो कैसे आए.." इन आखों में सदा के लिए डूब जाना चाहता हूं क्या और इस डूबने को शादी का नाम देना चाहता हूं । क्या तुम्हे मंजूर हे ,,
जिशू खड़े हो के शीतल कि आंखो में देखते हुए ,, तेरे हुस्न के आगे मुझे लगता है सब कुछ सादा आस्मां में है पूरा चाँद पर मुझे लगता है आधा । बस इस हुस्न से डुबकी लगा के पवित्र होना चाहता हू और इस पवित्रता को शादी के बंधन देना चाहता हूं क्या ये परी राजी हे मेरी नेक दिल की अल्फाज को स्वीकार करने के लिए ,, और फिर झेप से रिंग निकल लेता है ।
तानिया और शीतल बस मुस्कान फैल जाती हे और शिर हा में हिला के शर्माती हुई बाई हाथ आगे कर देती हे । दोनो अपनी अपनी होने वाले वाली भावी पत्नी की उंगली अनामिका उंगली में अंगूठी पहना देती है ।
विशु और चेतन जोर जोर से तालिया बजाते हुए चिटी मारता हे और तभी आसमान में फटाके के फूटने लगते हे जिसमे दोनों की जोड़ी दार नाम आसमान में अंकित हो जाता है ।
जिशु के शीर पर से बैंडेज उतार चुका था टाके भी निकल दिए गए थे । पहले जैसे ही सुस्थ हो चुका था बस घाव के निशान ताजे थे उसके लिए समय अनिवार्य थे । जिशू को जैसे नई जिंदगी मिला वो बेहद खुश था । कभी सोचा नही था की उसे शीतल से प्यार होगा । रिश्ते ऐसे बने थे की उसे कभी कभी हांसी आ जाता था सोच के रिश्तों की उलझुलुल बंधन सोच को ।
कुछ दिन बाद चारो दोस्तो की बैठक लगाता है अपने अड्डे play ground पर ।
विशू,, तो बेटा तैयार हे शादी के लिए ,,
शेतन,, अरे बेटा जवान हो गया है तो शादी तो करेगा ही ,,
जिशू और तपन चिढ़ जाता है । विशु और शेतन हस पड़ता है दोनो के ऊपर ।
तपन ,, बकवास बंद करो । शादी के लिए कैसे प्रपोज करते है उसका कुछ आइडिया बता,,
विशु मजाक कर के ,, वाह भाई खुटा गाड़ने में कोई आइडिया नही चाहिए लेकिन अब शादी के लिए प्रपोज करने पर आइडिया चाहिए ,,(शेतन से),, ए भाई दे रे कोई आईडिया इस सांड को,,
जिशू दोनो को दे धुलाई दोनो के पिछवाड़े में घुटना मारता हे और दोनो को भागने लगता है ।
तपन,, साले कोई जरूरत नही हे तुम दोनो की निकल यहां से साले । जो करना हे हम दोनो देख लेंगे । निकल साले ,,
विशू और शेतन हास हास के पागल हो जाते हे । खेर मजाक मस्ती एक तरफ कर के चारो गंभीर मुद्दा पे बैठ जाते हे ।
तपन,,(जिशू से) तूने तो बात फिर भी कह दिया ,,
चेतन,, अच्छा अच्छा मेरा के सवाल हे,,
जीशू,, कैसा सवाल?,,
चेतन,, शादी का मतलब क्या है तुम दोनो को पाता ही है लेकिन तुम दोनो जो शादी करनें जा रहे हो उसका क्या मतलब है । में समझ नही पा रहा हूं शादी का मतलब हे तुम लोगो का । वैसा कुछ नही जो तुम दोनो को शादी की जरूरत हे ।"
जिशु ,, भाई शादी एक पवित्र रिश्ता हे और हम भी उसी पवित्र रिश्ते में बंधना चाहते हे ,,
चेतन,, ठीक है ये बात पल्ले पड़ रहा है लेकिन शादी को तुम लोग छुपा के रखोगे है ना । पर वोही तो है जब कोई एक दूसरे से बंधन मे बंध जाते हे उसी को शादी माना जाता है समाज के नजरो में । लेकिन एक दूसरे के लिए तो बस दिल की बंधन ही काफी है ना ।"
तपन रोमांटिक हो कर ,, तू क्या जाने यारा फीलिंग क्या होती हे इस रुस का सुवास ही ऐसा है । "
चेतन और विशू तालिया मारने लगता,, वाह वाह ,,
जिशू मुस्कुराने लगता है ,, बस बस फिर से तुम दोनो शुरू मत हो जाना । तुम दोनो ये बताओ हमारी मदद करोगे या नहीं ,,
चेतन जिशू को गले लगा के ,, बस भाई बस और बेगर मत कर । शाम के 6 बजे तैयार रहना महफील जमाने के लिए ।,,
चारों दोस्त गले मिलते हे । चेतन झट से बिजली की तरह डोर लगाते हुए गायेब हो जाता है । तीनों दोस्त ,, लो ,,
चेतन,, ये साला आज काल बेहद उड़ रहा है रफ्तार भी बढ़ गया कमीना मुझे जलाता हे ।
तपन,, तो तू भी जला ना उसे ,,
चेतन ,, प्लान बनाया है एक । इस बार एग्जाम में देर से आंसर बताऊंगा साले को ,,
जिशु और तपन हास पड़ता हे,, हां हां हां सही है कमीने को थोड़ा मजा सखाना बनता है ,,
Amuzing restro
समय 7 pm
पूरा रेस्ट्रो विशू और चेतन बुक कर लिया था । और खुद दोनों वेटर बन गए थे बाकी वेटर की छुट्टी करवा के । दोनो अपने दोस्तो की शाम बनाने का जिम्मा उठाया जो था ।
तानिया और शीतल ठीक 7 बजे रेस्ट्रो पोहोच जाती है । लेकिन अभी तक दोनों हीरो आए नही थे । उसका कारण था विशू और चेतन । दोनो ने बदमाशी की और 7 बजे का समय तानिया और शीतल को बताया और उन दोनो को 7:30 pm का समय बता दिया । ताकि दोनो हीरो अपनी अपनी बैटर हाफ से दांत खाए ।
शीतल और तानिया विशू और चेतन को वेटर की ड्रेस में देख के हसने लगी और शर्मा भी रही थी ।
तानिया ,, बदमाश तुम दोनो यहां क्या कर रहे हो,,
शेतन,, मोहतरमा हम तो आपकी सेवा करने के लिए हाजिर हुए हे इस मेहफील में । हम तो तुच्छ दास है ,,
शीतल,, जूते चाहिए गाल पे नालायक ये सब करनें के लिए हम तुम्हे पढ़ा लिखा के बड़े कर रहे है ,,
दोनो जमूरे गर्दन झुका के अपने काम में लग जाते है ।
शीतल मुस्कुरा के ,,, शैतान तुम्हारे दोस्त का कोई आता पाता नही कहा हे दोनो । आयेंगे की नहीं ,,
विशू ,, मोहतरमा उनके लिए आप दोनो को और 20 मिनट वेट करना पड़ेगा ,,
तानिया ,, क्यू ?,,
शेतन,, ताकि आप दोनो उन दोनो की खिंचाई कर सके ,,
तानिया और शीतल की मुस्कान निकल जाती है दोनो की बदमासी पर ।
शीतल,, अच्छा किया इसके लिए तुम दोनो को मेरे तरफ 100 रुपए टिप,,
विशू और चेतन का मुंह खुल जाता है,,बस 100 रुपए,,
तानिया हस कर ,, जाओ अपना काम करो नहीं तो रुपए की जगह हमारी जुटी की टिप मिलेगी ,,
दोनो बंदर की तरह भागते हुए रेस्ट्रो के किचन में जाते है और मास्टर शेफ से जान कारी लेता है तैयारी कैसी हे ।
7:31 मिनट पर जिशू और तपन सूट बूट पे डेसिंग हैंडसम हंक बन कर हाथो में लाल गुलाब लिए पैंथर की चाल मे तानिया और शीतल के पास जाता है ।
तानिया और शीतल एक टेबल पर मुंह लटकाए बैठी थी हाला की दोनो की नाटक थी ।
जिशू अपना फूल अदाकार सज्जन की तरह शीतल की तरफ अपनी लाल गुलाब फूल आगे बढ़ा देता ,, हेलो मिस,,
तपन भी वैसी ही मुस्कुराता हुआ नजाकत से पेश आते हुए फूल तानिया की तरफ आगे बढ़ा देता है,, हेलो गॉरगाउस,,
लेकिन दोनों की कोई प्रतिक्रिया नहीं । ऐसा देख कर दोनो एक पल के लिए घबरा जाते हे और मन में सोचने लगते हे कही दोनो कुछ गलत तो नहीं कर दिया । दोनो का चेहरा बिलकुल सफेद हो जाता है ।
तानिया और शीतल मन ही मन हस रही थी । और बस मजाक का मजा ले रही थी ।
विशू और चेतन तभी पानी ले आता है । विशु और चेतन पानी ऑफर करते है । जिशू और तपन अपने दोनो कमीने दोस्त की तरफ इशारा करता है । लेकिन दोनों चेहरे की भाव से कुछ नही पाता का इशारा कर देता है ।
तानिया चालक थी उसने दोनो तरफ से मजा लेते हुए नाराजगी दिखा के विशू और चेतन की तरफ देख एक बोली ,, 7 बजे से हम यहां बैठे हे अब जा के हमे पानी ऑफर कर रहे हो how is this behavior,,
शीतल भी नाराजगी दिखा के ,, ये कोई तरीका है किसी को बेबजा आधे घंटे तक इंतजार करवा के हमारा समय बर्बाद करना,,
जिशू और तपन एक दूसरे को हैरान हो के देखे ने लगते हे । पेहले तो कुछ समझ नहीं पाया । अपने अपने मन में (हमे तो 7:30 pm का बताया था । ओह समझा इन दोनो की मसखरी थी साले सुवार यहां भी ) दोनो विशू और चेतन को कच्चा खा जाने वाली नजरो से देखता है ।
विशू और चेतन नजरे इधर उधर कर के पानी ग्लास टेबल पे रख कर चले जाते हे पीठ पीछे हंसते हुए ,, अब दोनो की बैंड बजेगी,,
जिशु मानते हुए,, हमे पाता नहीं था आ लोगो को इन दोनों ने 7 बजे का समय बताया था ,,
तपन मनाते हुए,, हा इन दोनो की बदमासी हे,,
शीतल और तानिया कोई जवाब नही देती (बोहोत इश्क लड़ाने की आग लगी है अब झेलो हमारा नखरा )
जिशू तपन के कान में कहता है ,, तू अपनी वाली को साइड में ले जा में अपनी वाले को साइड में ले जाता हूं लगता हे मामला बिगड़ गया है अब हम मनाना पड़ेगा,,
तपन हा में शीर हिला देता है ।
तपन (तानिया से),, जरा उस टेबल पर चल के बात करते है ,,
जिशु (शीतल से ) प्लीज उधर चलो ना ,,
शीतल और तानिया की नखरे और बढ़ ही जाती है दोनों मुंह फुलाए बैठे जाती हे ।
तानिया (शीतल से),, शीतल मुझे लगता हे हमे अब चलना चाहिए । येहा बैठ के अब क्या फायदा चलो हम किसी दूसरी रेस्ट्रो पे जा के खाना खाते हे,,
शीतल ,, हम्म सही कहा । चलो चलते हे,,
दोनो मजनू घुटनो पे गिरगिरानें लगते है ।
तानिया और शीतल खुद को रोक नहीं पाती अपनी अपनी सैया की हालत पे तरस खा के मुस्कुराने लग जाती है । तभी तपन और जिशू की सूखे होंठो पे मुस्कान आ जाता है ।
तभी एक रोमाटिक माहोल बन जाता है जगमगाती लाइट जल जाते है और दोनो लंगूर दोस्त रोमांटिक पियानो म्यूजिक लगा के खुद भी Saxophone और violin बजा के मधुर संगीत का माहोल बना देते हे । और ऊपर से गुलाब की पंखुड़ियां गिरने लगते हे ।
तपन एक घुटना फर्श पर और एक हवा में उठा के जैप से अंगूठी निकल के गले को थोड़ा खरस मार के ,, "तुम्हारी याद में आँखों का रतजगा है, कोई ख़्वाब नया आए तो कैसे आए.." इन आखों में सदा के लिए डूब जाना चाहता हूं क्या और इस डूबने को शादी का नाम देना चाहता हूं । क्या तुम्हे मंजूर हे ,,
जिशू खड़े हो के शीतल कि आंखो में देखते हुए ,, तेरे हुस्न के आगे मुझे लगता है सब कुछ सादा आस्मां में है पूरा चाँद पर मुझे लगता है आधा । बस इस हुस्न से डुबकी लगा के पवित्र होना चाहता हू और इस पवित्रता को शादी के बंधन देना चाहता हूं क्या ये परी राजी हे मेरी नेक दिल की अल्फाज को स्वीकार करने के लिए ,, और फिर झेप से रिंग निकल लेता है ।
तानिया और शीतल बस मुस्कान फैल जाती हे और शिर हा में हिला के शर्माती हुई बाई हाथ आगे कर देती हे । दोनो अपनी अपनी होने वाले वाली भावी पत्नी की उंगली अनामिका उंगली में अंगूठी पहना देती है ।
विशु और चेतन जोर जोर से तालिया बजाते हुए चिटी मारता हे और तभी आसमान में फटाके के फूटने लगते हे जिसमे दोनों की जोड़ी दार नाम आसमान में अंकित हो जाता है ।
दीपाली बोर हो गई थी सालो से क्लिनिक चलाते चलाते बस पेसेंट के मुंह खोल के इंस्ट्रूमेंट डालो और चेक करो । कभी कभी सर्जरी करनी पड़ती थी उसे तब उसे उस काम में मजा आता था । लेकिन काफी दिनों से वो खुश नहीं थी वजह थी उसकी संसार में मूड भेद । मानसिक रूप तनाओं झेल रही थी जिसका असर धीरे धीरे उसकी दैहिक स्वस्थ पर रही थी । पिछले दो सालो से वो अपनी संसार को मुकम्मल करने की कशिश कर रही थी लेकिन बेचारी की किस्मत ही फूटी थी । कुटुम्ब की मर्यादा के अनुसार धर्मानुष्ठान करते हुए ईश्वर भक्त बनी हुई थी आस्था मन में ले के की एक दिन सब ठीक हो जायेगा । लेकिन वो दिन सायेद ही कभी देख पाए । उसकी
वामांग बिखर रही थी दिन प्रतिदिन कुट्ठी ढीली हो रही थी ।
चेतन 4 बजे कॉलेज से लौट आता हे । नीचे की मंजिल में एक बड़ा सा किचन था एक डाइनिंग हॉल साथ में ड्रॉइंग रूम या कह सकते हे बड़ा हॉल था TV के साथ और कोने में एक स्टोर रूम । वो थकान से बिंदास सोफे पे लेट जाता हे बेग वोही जमीन पे फेक देता हे ।
उसके घर में नौकरी करने वाला एक काका उसका बेग उठता हे और बोलता हे ,, चेतन बेटा बेग क्यूं फेक देते हो इसमें किताबे है ऐसा अपमान नही करते बेटा,,
चेतन आज 4 सेमिस्टर का फाइनल एग्जाम दे के आ रहा था । थोड़ा टेंस था लेकिन वो सबका इत्ज्जत करता था ,, काका क्या करू आदत बन गई हे अब तो । आप जा के मेरे रूम में रख दो ,,
चेतन का रूम ऊपर था पहली मंजिल पे जहा चार बेडरूम और उसके ऊपर खुली चट्ट । काका उसके बेग को सोफे पे रख कर बोला ,, बेटा में बाद में रख दूंगा पहले तुम खाना खा लो । फ्रेश हो जाओ में खाना लगा देता हूं ।
तभी ऊपर से चीज़े तोड़ फोड़ करने की और दो आवाज जो गुस्से में चिल्ला चिल्ला के बात कर रहे थे वो सुनाई देता है नीचे तक या ये कहे की पूरे घर में गूंज उठता है ।
चेतन का मन उदास हो जाता हे ,, आज भी ,,
काका बस नजरे झुकाए शीर हा में हिला देता है ।
चेतन उठ खड़ा होता है ,, कब से ,,
काका ,, बस मालकिन जब से आए है क्लिनिक से ,,
चेतन ऊपर कमरे की तरह जाने लगता है तभी पीछे से काका उसे रोक देता है ,, बेटा रहने दे कोई फायदा नेहि आग में घी डालने जैसा होगा ,,
चेतन ,, नहीं पानी शीर से ऊपर उठ चुका है ,,चेतन ऊपर जाने लगता है ।
पीछे से काका बोलते रह जाता है बस ,, नही बेटा रहने दे समय ठीक नही चल रहा है ,,
लेकिन चेतन नहीं सुनने वाला था आज । हमेशा से अपने काका की बाते सुनते आए है पर आज नेहा । उस घर काका भले ही एक नौकर था लेकिन घर का एक सदस्य बन गया था उसकी इतज्जत बड़े बुजुर्ग की तरह होती थी खास कर चेतन से । 15 साल से वो चेतन के घर में बबारजी से ले के साफ साफई करने तक सब कुछ करता था । चेतन को अपने बेटे जैसा मानता था हर छोटी बड़ी फ़िक्र काका ध्यान रखता था उसका । काका बोहोत गरीब था अघरी था उसके परिवार के नाम पर चेतन की परिवार ही थे । सालो पहले उसकी बीवी डेंगू से गुजर गई थी गांव में और फिर उसने दुसरी कभी शादी नही की । चेतन उसे दूसरी शादी को ले के मजाक किया करता था और काका उसे मजाक में दांत देता था ।
चेतन सीधा अपने मम्मी पापा की बेडरूम में जाता है । चेतन को देख कर दीपाली और राघव चेतन को घूरने लगते हे दोनो चुप हो जाते है । कमरे पे टूटे चीज़ों की टुकड़े पड़े थे चेतन संभाल कर कदम रखते हुए अंदर पोहोच जाता हे हर तरफ बिखरे समान को देख चेतन का शर सकरा जाता हे । आज तक वो वजह नही मालूम किया की किस वजह से उसके मम्मी पापा इतना लड़ाई जगड़ा करता रहता है । वो सोचता था कोई निजी मामला होगा उसे बीच में आने से उसके मम्मी पापा शर्मिंदा हो जायेगा । पति पत्नी तो लड़ते ही है तो उसमे बेटे का भूमिका है । लेकिन आज चेतन की सेहन शक्ति जवाब दे चुका था ।
अन्य दिन चेतन जब बीच में आ जाता है तो दोनो चुप हो जाते हे लेकिन आज की लड़ाई में कोई भी पक्ष चुप नही बैठने वाला था । और आज चेतन भी पंचायत बैठना चाहता था ।
चेतन ,, आप दोनो कब बंद करेंगे ये हरकत । थोरी भी शर्म नही आती आप दोनो को इतने वेल एजुकेटेड लोग हो कर भी लड़ाई करते रहते हो ,,
रतन ,, बेटा मुझे भी कोई चौक नहीं है लड़ाई जगरे करने की लेकिन तेरी मम्मी ही बेतुकी बातो को लेकर जगरा करती रहती है ,,
दीपाली गुस्से में चिल्लाती है ,, चुप कमीने । में करती हु ना तू करता है ,,
चेतन इतनी निज संबंधित सुन के शर्म से हाय हाय हो जाता हे । कभी सोचा नहीं था उसकी मम्मी ऐसी तू तराक करेगी अपने पति के साथ और कमीना हरामी शब्द से गाली देगी । लेकिन चेतन अगले ही पल मे अपने पापा की असली चेहरा देख पाता है जो एक भद्र सज्जन था एक स्कूल के हेडमास्टर था ।
रतन ,, साली कामिनी हरामजादी मुंह मत खुलवा ,, (चेतन से) बेटा तुझे नहीं पाता तेरी मम्मी क्या क्या गुल खिलाती है बाहर । डॉक्टर नवीन के साथ इसकी अफेयर चल रहा है । सुना बेटा, ,,
दीपाली तुरंत ही पलटवार करती है ,,, गंदी नाली के कीड़े गंदी सोच रखने वाले गवार कितनी बार कहा हे की वो बस मेरा दोस्त है । (चेतन से) सुन बेटा ऐसा कुछ नही है । में दिखाती हूं तेरे बाप का असली चेहरा ।
दीपाली अपने मोबाइल पर कुछ फोटोज दिखाने लगती हे चेतन को ,, देख बेटा तेरे बाप की करतूत । ये हैं तेरा महान बाप ये सब करता है बाहर और बच्चो को यही शिक्षा देता हे स्कूल में । देख अच्छे से देख ।,,
उन फोटोज में रतन भार्गव किसी पराई औरत को बाहों में ले के किसी पार्क में बैठा हे । फोटोज में साफ दिखाई दे रहा था उसके पापा सच में उसकी मम्मी को धोखा दे रहा है । उसने अपनी दिव्य शक्ति से पाता किया की फोटोज एडिटिंग तो नही है । लेकिन फोटोज असली थे ।
चेतन अपनी पापा की तरफ देखता हे । रतन ना में शीर हिलाने लगता हे ,, नहीं बेटा ये फोटोज असली नहीं है । तेरी मम्मी ने ये सब साजिज रचा हे ताकि मेझे रास्ते से हटा के अपनी आशिक के साथ इंजॉय कर सके ,,,
चेतन गुस्से में चिल्लाता है ,,, बस करो पापा । ये फोटोज असली हे मुझे पता हे । जूठ मत बोलो ,,
रतन निरुत्तर हो जाता हे लेकिन उसका दाओ था की में अकेला क्यूं कालीचरण बनूं ,,, बेटा तेरी मम्मी भी तो उस नवीन के साथ इंजॉय करती हे उसका क्या । ,,
दीपाली ,,, कुत्ते हरामी । खुद बाहर मुंह मारते हो और मुझे भी बदनाम करते हो मेरे बेटे के सामने । अगर ऐसा हे तो प्रूफ दिखाओ । हे तेरे पास कोई प्रूफ । हा हे तेरे पास कोई प्रूफ बताओ है कोई प्रूफ । धोखेवाज इंसान ,,
रतन को अपनी चोरी पकड़े जाने पर बेटे के सामने शर्मिंदा हो जाता है और अपनी बीवी पर उतना ही ज्यादा गुस्सा आता है और दीपाली की कलाई पकड़ कर जोर आजमाता है । चेतन अपने बाप को रोकने ही वाला था की दीपाली उसे धक्का दे के पीछे धकेल देती है । रतन लंबे काठ के थे लेकिन दुबले पतले थे और दीपाली खाती पीती हेल्थी हट्टी कट्टी थी औरत होते हुए भी काफी बलशाली थी खुद भी डॉक्टर थी तो खुद को सहेदमंद रखने का नुस्खा जानती थी हालाकि की पिछले कोई दिनों से ठीक से रूटीन फॉलो नहीं करती थी पर फिर भी अपने पति की सामना करने मे सक्षम थी ।
रतन को बोहोत ज्यादा गुस्सा आता है और बोलता है ,,, निकल जा मेरे घर से साली हरामजादी ,,,
चेतन कुछ बोलने वाला था लेकिन उसकी आवाज दब जाता है ।
दीपाली ,, तू जा वे । ये घर मेरे पैसे से खरीदी हुई है ये जमीन मेरी है तूने तो अपनी तंखा बाहर वाली की ब्रा पैंटी पर उड़ा देता है । और वैसे भी तुझ से दुगना में कमाती हूं । ये जो लग्जरी लाइफ जी रहा है ना सब मेरी कमाई हे ,,
रतन अपनी बे-इतज्जती सेहन नही होता है और दीपाली के गाल पर तमाचा मार देता है ,, हा कमाई तो दुगनी होगी ही धंधा जो कर रखी है ,,
दीपाली उसके गिरेबान पकड़ कर थप्पड़ बरसाने लगता हे । जुबान की लड़ाई अब हटापाई पर उतर आता है । चेतन दोनों के बीच जा के लड़ाई रुकवाता हे ।
चेतन ,, बस बोहोत हो गया अब । प्लीज लड़ना बंद करो ,,
रतन अपनी बीवी को उंगली दिखा के बोलता है ,, जा रहा हूं में कभी तेरी सकल नही दिखाना मुझे । और हा डाइवोर्स पेपर भेज दूंगा । (चेतन से) बेटा में जल्दी ही तुझे मेरे अपने घर लेने आऊंगा अपना ध्यान रखना बेटा ,,
रतन कमरे से बाहर निकल जाता है । दीपाली उसको जाते जाते सुनाती है ,, अबे जा जा बड़े आए तेरे जैसे । तू क्या डाइवोर्स पेपर भेजेगा उससे पहले में भेजती हूं ,,
दीपाली अपने बेटे के पास जाती है और प्यार से उसके गाल पे हाथ रखना चाहती हे मगर चेतन पीछे हो जाता है ।
चेतन ,,, मत छुओ मुझे । आज से में आप दोनो के साथ कभी नही रहूंगा ,,
चेतन कमरे से निकल जाता है । दीपाली तड़पती हुई उसके पीछे जाती हे ,,, नही बेटा सुनो तो । बेटा सुनो मेरी बात । चेतन चेतन प्लीज मेरी बात सुनो ,,,
लेकिन चेतन एक नही सुनता अपनी मम्मी कि और अपना बाइक ले के घर से भाग जाता है । दीपाली उसे लाख कशिश के बावजूद रोक नही पाती और भागती हुई घर में जाती है ,,, भैया भैया कहा हो ,,
काका किचन से दौर कर आता है ,, क्या हुआ मालकिन ,,
दीपाली परेशान हो कर ,, चेतन कहा गया देखो तो जरा ,,
काका ,, मालकिन आप परेशान मत होइए वो किसी दोस्त के घर ही जायेगा । आप थोड़ी देर बाद उसके दोस्त के घर फोन लगाना देखना वो वोही होगा ,,
दीपाली ,, लेकिन भैया ,,
काका ,, मालकिन शिंता मत करो वो दोस्त के घर ही जायेगा ,,
दीपाली परेशान हो कर अपने कमरे की तरफ जाती है । वो जानती थी उसका बेटा अपने तीन दोस्तो के घर ही जायेगा लेकिन फिर भी पेट का बच्चा था फिक्र तो होगी ही ।
रतन लंबे काठ के थे लेकिन दुबले पतले थे और दीपाली खाती पीती हेल्थी हट्टी कट्टी थी औरत होते हुए भी काफी बलशाली थी खुद भी डॉक्टर थी तो खुद को सहेदमंद रखने का नुस्खा जानती थी हालाकि की पिछले कोई दिनों से ठीक से रूटीन फॉलो नहीं करती थी पर फिर भी अपने पति की सामना करने मे सक्षम थी ।
दीपाली बोर हो गई थी सालो से क्लिनिक चलाते चलाते बस पेसेंट के मुंह खोल के इंस्ट्रूमेंट डालो और चेक करो । कभी कभी सर्जरी करनी पड़ती थी उसे तब उसे उस काम में मजा आता था । लेकिन काफी दिनों से वो खुश नहीं थी वजह थी उसकी संसार में मूड भेद । मानसिक रूप तनाओं झेल रही थी जिसका असर धीरे धीरे उसकी दैहिक स्वस्थ पर रही थी । पिछले दो सालो से वो अपनी संसार को मुकम्मल करने की कशिश कर रही थी लेकिन बेचारी की किस्मत ही फूटी थी । कुटुम्ब की मर्यादा के अनुसार धर्मानुष्ठान करते हुए ईश्वर भक्त बनी हुई थी आस्था मन में ले के की एक दिन सब ठीक हो जायेगा । लेकिन वो दिन सायेद ही कभी देख पाए । उसकी
वामांग बिखर रही थी दिन प्रतिदिन कुट्ठी ढीली हो रही थी ।
चेतन 4 बजे कॉलेज से लौट आता हे । नीचे की मंजिल में एक बड़ा सा किचन था एक डाइनिंग हॉल साथ में ड्रॉइंग रूम या कह सकते हे बड़ा हॉल था TV के साथ और कोने में एक स्टोर रूम । वो थकान से बिंदास सोफे पे लेट जाता हे बेग वोही जमीन पे फेक देता हे ।
उसके घर में नौकरी करने वाला एक काका उसका बेग उठता हे और बोलता हे ,, चेतन बेटा बेग क्यूं फेक देते हो इसमें किताबे है ऐसा अपमान नही करते बेटा,,
चेतन आज 4 सेमिस्टर का फाइनल एग्जाम दे के आ रहा था । थोड़ा टेंस था लेकिन वो सबका इत्ज्जत करता था ,, काका क्या करू आदत बन गई हे अब तो । आप जा के मेरे रूम में रख दो ,,
चेतन का रूम ऊपर था पहली मंजिल पे जहा चार बेडरूम और उसके ऊपर खुली चट्ट । काका उसके बेग को सोफे पे रख कर बोला ,, बेटा में बाद में रख दूंगा पहले तुम खाना खा लो । फ्रेश हो जाओ में खाना लगा देता हूं ।
तभी ऊपर से चीज़े तोड़ फोड़ करने की और दो आवाज जो गुस्से में चिल्ला चिल्ला के बात कर रहे थे वो सुनाई देता है नीचे तक या ये कहे की पूरे घर में गूंज उठता है ।
चेतन का मन उदास हो जाता हे ,, आज भी ,,
काका बस नजरे झुकाए शीर हा में हिला देता है ।
चेतन उठ खड़ा होता है ,, कब से ,,
काका ,, बस मालकिन जब से आए है क्लिनिक से ,,
चेतन ऊपर कमरे की तरह जाने लगता है तभी पीछे से काका उसे रोक देता है ,, बेटा रहने दे कोई फायदा नेहि आग में घी डालने जैसा होगा ,,
चेतन ,, नहीं पानी शीर से ऊपर उठ चुका है ,,चेतन ऊपर जाने लगता है ।
पीछे से काका बोलते रह जाता है बस ,, नही बेटा रहने दे समय ठीक नही चल रहा है ,,
लेकिन चेतन नहीं सुनने वाला था आज । हमेशा से अपने काका की बाते सुनते आए है पर आज नेहा । उस घर काका भले ही एक नौकर था लेकिन घर का एक सदस्य बन गया था उसकी इतज्जत बड़े बुजुर्ग की तरह होती थी खास कर चेतन से । 15 साल से वो चेतन के घर में बबारजी से ले के साफ साफई करने तक सब कुछ करता था । चेतन को अपने बेटे जैसा मानता था हर छोटी बड़ी फ़िक्र काका ध्यान रखता था उसका । काका बोहोत गरीब था अघरी था उसके परिवार के नाम पर चेतन की परिवार ही थे । सालो पहले उसकी बीवी डेंगू से गुजर गई थी गांव में और फिर उसने दुसरी कभी शादी नही की । चेतन उसे दूसरी शादी को ले के मजाक किया करता था और काका उसे मजाक में दांत देता था ।
चेतन सीधा अपने मम्मी पापा की बेडरूम में जाता है । चेतन को देख कर दीपाली और राघव चेतन को घूरने लगते हे दोनो चुप हो जाते है । कमरे पे टूटे चीज़ों की टुकड़े पड़े थे चेतन संभाल कर कदम रखते हुए अंदर पोहोच जाता हे हर तरफ बिखरे समान को देख चेतन का शर सकरा जाता हे । आज तक वो वजह नही मालूम किया की किस वजह से उसके मम्मी पापा इतना लड़ाई जगड़ा करता रहता है । वो सोचता था कोई निजी मामला होगा उसे बीच में आने से उसके मम्मी पापा शर्मिंदा हो जायेगा । पति पत्नी तो लड़ते ही है तो उसमे बेटे का भूमिका है । लेकिन आज चेतन की सेहन शक्ति जवाब दे चुका था ।
अन्य दिन चेतन जब बीच में आ जाता है तो दोनो चुप हो जाते हे लेकिन आज की लड़ाई में कोई भी पक्ष चुप नही बैठने वाला था । और आज चेतन भी पंचायत बैठना चाहता था ।
चेतन ,, आप दोनो कब बंद करेंगे ये हरकत । थोरी भी शर्म नही आती आप दोनो को इतने वेल एजुकेटेड लोग हो कर भी लड़ाई करते रहते हो ,,
रतन ,, बेटा मुझे भी कोई चौक नहीं है लड़ाई जगरे करने की लेकिन तेरी मम्मी ही बेतुकी बातो को लेकर जगरा करती रहती है ,,
दीपाली गुस्से में चिल्लाती है ,, चुप कमीने । में करती हु ना तू करता है ,,
चेतन इतनी निज संबंधित सुन के शर्म से हाय हाय हो जाता हे । कभी सोचा नहीं था उसकी मम्मी ऐसी तू तराक करेगी अपने पति के साथ और कमीना हरामी शब्द से गाली देगी । लेकिन चेतन अगले ही पल मे अपने पापा की असली चेहरा देख पाता है जो एक भद्र सज्जन था एक स्कूल के हेडमास्टर था ।
रतन ,, साली कामिनी हरामजादी मुंह मत खुलवा ,, (चेतन से) बेटा तुझे नहीं पाता तेरी मम्मी क्या क्या गुल खिलाती है बाहर । डॉक्टर नवीन के साथ इसकी अफेयर चल रहा है । सुना बेटा, ,,
दीपाली तुरंत ही पलटवार करती है ,,, गंदी नाली के कीड़े गंदी सोच रखने वाले गवार कितनी बार कहा हे की वो बस मेरा दोस्त है । (चेतन से) सुन बेटा ऐसा कुछ नही है । में दिखाती हूं तेरे बाप का असली चेहरा ।
दीपाली अपने मोबाइल पर कुछ फोटोज दिखाने लगती हे चेतन को ,, देख बेटा तेरे बाप की करतूत । ये हैं तेरा महान बाप ये सब करता है बाहर और बच्चो को यही शिक्षा देता हे स्कूल में । देख अच्छे से देख ।,,
उन फोटोज में रतन भार्गव किसी पराई औरत को बाहों में ले के किसी पार्क में बैठा हे । फोटोज में साफ दिखाई दे रहा था उसके पापा सच में उसकी मम्मी को धोखा दे रहा है । उसने अपनी दिव्य शक्ति से पाता किया की फोटोज एडिटिंग तो नही है । लेकिन फोटोज असली थे ।
चेतन अपनी पापा की तरफ देखता हे । रतन ना में शीर हिलाने लगता हे ,, नहीं बेटा ये फोटोज असली नहीं है । तेरी मम्मी ने ये सब साजिज रचा हे ताकि मेझे रास्ते से हटा के अपनी आशिक के साथ इंजॉय कर सके ,,,
चेतन गुस्से में चिल्लाता है ,,, बस करो पापा । ये फोटोज असली हे मुझे पता हे । जूठ मत बोलो ,,
रतन निरुत्तर हो जाता हे लेकिन उसका दाओ था की में अकेला क्यूं कालीचरण बनूं ,,, बेटा तेरी मम्मी भी तो उस नवीन के साथ इंजॉय करती हे उसका क्या । ,,
दीपाली ,,, कुत्ते हरामी । खुद बाहर मुंह मारते हो और मुझे भी बदनाम करते हो मेरे बेटे के सामने । अगर ऐसा हे तो प्रूफ दिखाओ । हे तेरे पास कोई प्रूफ । हा हे तेरे पास कोई प्रूफ बताओ है कोई प्रूफ । धोखेवाज इंसान ,,
रतन को अपनी चोरी पकड़े जाने पर बेटे के सामने शर्मिंदा हो जाता है और अपनी बीवी पर उतना ही ज्यादा गुस्सा आता है और दीपाली की कलाई पकड़ कर जोर आजमाता है । चेतन अपने बाप को रोकने ही वाला था की दीपाली उसे धक्का दे के पीछे धकेल देती है । रतन लंबे काठ के थे लेकिन दुबले पतले थे और दीपाली खाती पीती हेल्थी हट्टी कट्टी थी औरत होते हुए भी काफी बलशाली थी खुद भी डॉक्टर थी तो खुद को सहेदमंद रखने का नुस्खा जानती थी हालाकि की पिछले कोई दिनों से ठीक से रूटीन फॉलो नहीं करती थी पर फिर भी अपने पति की सामना करने मे सक्षम थी ।
रतन को बोहोत ज्यादा गुस्सा आता है और बोलता है ,,, निकल जा मेरे घर से साली हरामजादी ,,,
चेतन कुछ बोलने वाला था लेकिन उसकी आवाज दब जाता है ।
दीपाली ,, तू जा वे । ये घर मेरे पैसे से खरीदी हुई है ये जमीन मेरी है तूने तो अपनी तंखा बाहर वाली की ब्रा पैंटी पर उड़ा देता है । और वैसे भी तुझ से दुगना में कमाती हूं । ये जो लग्जरी लाइफ जी रहा है ना सब मेरी कमाई हे ,,
रतन अपनी बे-इतज्जती सेहन नही होता है और दीपाली के गाल पर तमाचा मार देता है ,, हा कमाई तो दुगनी होगी ही धंधा जो कर रखी है ,,
दीपाली उसके गिरेबान पकड़ कर थप्पड़ बरसाने लगता हे । जुबान की लड़ाई अब हटापाई पर उतर आता है । चेतन दोनों के बीच जा के लड़ाई रुकवाता हे ।
चेतन ,, बस बोहोत हो गया अब । प्लीज लड़ना बंद करो ,,
रतन अपनी बीवी को उंगली दिखा के बोलता है ,, जा रहा हूं में कभी तेरी सकल नही दिखाना मुझे । और हा डाइवोर्स पेपर भेज दूंगा । (चेतन से) बेटा में जल्दी ही तुझे मेरे अपने घर लेने आऊंगा अपना ध्यान रखना बेटा ,,
रतन कमरे से बाहर निकल जाता है । दीपाली उसको जाते जाते सुनाती है ,, अबे जा जा बड़े आए तेरे जैसे । तू क्या डाइवोर्स पेपर भेजेगा उससे पहले में भेजती हूं ,,
दीपाली अपने बेटे के पास जाती है और प्यार से उसके गाल पे हाथ रखना चाहती हे मगर चेतन पीछे हो जाता है ।
चेतन ,,, मत छुओ मुझे । आज से में आप दोनो के साथ कभी नही रहूंगा ,,
चेतन कमरे से निकल जाता है । दीपाली तड़पती हुई उसके पीछे जाती हे ,,, नही बेटा सुनो तो । बेटा सुनो मेरी बात । चेतन चेतन प्लीज मेरी बात सुनो ,,,
लेकिन चेतन एक नही सुनता अपनी मम्मी कि और अपना बाइक ले के घर से भाग जाता है । दीपाली उसे लाख कशिश के बावजूद रोक नही पाती और भागती हुई घर में जाती है ,,, भैया भैया कहा हो ,,
काका किचन से दौर कर आता है ,, क्या हुआ मालकिन ,,
दीपाली परेशान हो कर ,, चेतन कहा गया देखो तो जरा ,,
काका ,, मालकिन आप परेशान मत होइए वो किसी दोस्त के घर ही जायेगा । आप थोड़ी देर बाद उसके दोस्त के घर फोन लगाना देखना वो वोही होगा ,,
दीपाली ,, लेकिन भैया ,,
काका ,, मालकिन शिंता मत करो वो दोस्त के घर ही जायेगा ,,
दीपाली परेशान हो कर अपने कमरे की तरफ जाती है । वो जानती थी उसका बेटा अपने तीन दोस्तो के घर ही जायेगा लेकिन फिर भी पेट का बच्चा था फिक्र तो होगी ही ।
दीपाली बोर हो गई थी सालो से क्लिनिक चलाते चलाते बस पेसेंट के मुंह खोल के इंस्ट्रूमेंट डालो और चेक करो । कभी कभी सर्जरी करनी पड़ती थी उसे तब उसे उस काम में मजा आता था । लेकिन काफी दिनों से वो खुश नहीं थी वजह थी उसकी संसार में मूड भेद । मानसिक रूप तनाओं झेल रही थी जिसका असर धीरे धीरे उसकी दैहिक स्वस्थ पर रही थी । पिछले दो सालो से वो अपनी संसार को मुकम्मल करने की कशिश कर रही थी लेकिन बेचारी की किस्मत ही फूटी थी । कुटुम्ब की मर्यादा के अनुसार धर्मानुष्ठान करते हुए ईश्वर भक्त बनी हुई थी आस्था मन में ले के की एक दिन सब ठीक हो जायेगा । लेकिन वो दिन सायेद ही कभी देख पाए । उसकी
वामांग बिखर रही थी दिन प्रतिदिन कुट्ठी ढीली हो रही थी ।
चेतन 4 बजे कॉलेज से लौट आता हे । नीचे की मंजिल में एक बड़ा सा किचन था एक डाइनिंग हॉल साथ में ड्रॉइंग रूम या कह सकते हे बड़ा हॉल था TV के साथ और कोने में एक स्टोर रूम । वो थकान से बिंदास सोफे पे लेट जाता हे बेग वोही जमीन पे फेक देता हे ।
उसके घर में नौकरी करने वाला एक काका उसका बेग उठता हे और बोलता हे ,, चेतन बेटा बेग क्यूं फेक देते हो इसमें किताबे है ऐसा अपमान नही करते बेटा,,
चेतन आज 4 सेमिस्टर का फाइनल एग्जाम दे के आ रहा था । थोड़ा टेंस था लेकिन वो सबका इत्ज्जत करता था ,, काका क्या करू आदत बन गई हे अब तो । आप जा के मेरे रूम में रख दो ,,
चेतन का रूम ऊपर था पहली मंजिल पे जहा चार बेडरूम और उसके ऊपर खुली चट्ट । काका उसके बेग को सोफे पे रख कर बोला ,, बेटा में बाद में रख दूंगा पहले तुम खाना खा लो । फ्रेश हो जाओ में खाना लगा देता हूं ।
तभी ऊपर से चीज़े तोड़ फोड़ करने की और दो आवाज जो गुस्से में चिल्ला चिल्ला के बात कर रहे थे वो सुनाई देता है नीचे तक या ये कहे की पूरे घर में गूंज उठता है ।
चेतन का मन उदास हो जाता हे ,, आज भी ,,
काका बस नजरे झुकाए शीर हा में हिला देता है ।
चेतन उठ खड़ा होता है ,, कब से ,,
काका ,, बस मालकिन जब से आए है क्लिनिक से ,,
चेतन ऊपर कमरे की तरह जाने लगता है तभी पीछे से काका उसे रोक देता है ,, बेटा रहने दे कोई फायदा नेहि आग में घी डालने जैसा होगा ,,
चेतन ,, नहीं पानी शीर से ऊपर उठ चुका है ,,चेतन ऊपर जाने लगता है ।
पीछे से काका बोलते रह जाता है बस ,, नही बेटा रहने दे समय ठीक नही चल रहा है ,,
लेकिन चेतन नहीं सुनने वाला था आज । हमेशा से अपने काका की बाते सुनते आए है पर आज नेहा । उस घर काका भले ही एक नौकर था लेकिन घर का एक सदस्य बन गया था उसकी इतज्जत बड़े बुजुर्ग की तरह होती थी खास कर चेतन से । 15 साल से वो चेतन के घर में बबारजी से ले के साफ साफई करने तक सब कुछ करता था । चेतन को अपने बेटे जैसा मानता था हर छोटी बड़ी फ़िक्र काका ध्यान रखता था उसका । काका बोहोत गरीब था अघरी था उसके परिवार के नाम पर चेतन की परिवार ही थे । सालो पहले उसकी बीवी डेंगू से गुजर गई थी गांव में और फिर उसने दुसरी कभी शादी नही की । चेतन उसे दूसरी शादी को ले के मजाक किया करता था और काका उसे मजाक में दांत देता था ।
चेतन सीधा अपने मम्मी पापा की बेडरूम में जाता है । चेतन को देख कर दीपाली और राघव चेतन को घूरने लगते हे दोनो चुप हो जाते है । कमरे पे टूटे चीज़ों की टुकड़े पड़े थे चेतन संभाल कर कदम रखते हुए अंदर पोहोच जाता हे हर तरफ बिखरे समान को देख चेतन का शर सकरा जाता हे । आज तक वो वजह नही मालूम किया की किस वजह से उसके मम्मी पापा इतना लड़ाई जगड़ा करता रहता है । वो सोचता था कोई निजी मामला होगा उसे बीच में आने से उसके मम्मी पापा शर्मिंदा हो जायेगा । पति पत्नी तो लड़ते ही है तो उसमे बेटे का भूमिका है । लेकिन आज चेतन की सेहन शक्ति जवाब दे चुका था ।
अन्य दिन चेतन जब बीच में आ जाता है तो दोनो चुप हो जाते हे लेकिन आज की लड़ाई में कोई भी पक्ष चुप नही बैठने वाला था । और आज चेतन भी पंचायत बैठना चाहता था ।
चेतन ,, आप दोनो कब बंद करेंगे ये हरकत । थोरी भी शर्म नही आती आप दोनो को इतने वेल एजुकेटेड लोग हो कर भी लड़ाई करते रहते हो ,,
रतन ,, बेटा मुझे भी कोई चौक नहीं है लड़ाई जगरे करने की लेकिन तेरी मम्मी ही बेतुकी बातो को लेकर जगरा करती रहती है ,,
दीपाली गुस्से में चिल्लाती है ,, चुप कमीने । में करती हु ना तू करता है ,,
चेतन इतनी निज संबंधित सुन के शर्म से हाय हाय हो जाता हे । कभी सोचा नहीं था उसकी मम्मी ऐसी तू तराक करेगी अपने पति के साथ और कमीना हरामी शब्द से गाली देगी । लेकिन चेतन अगले ही पल मे अपने पापा की असली चेहरा देख पाता है जो एक भद्र सज्जन था एक स्कूल के हेडमास्टर था ।
रतन ,, साली कामिनी हरामजादी मुंह मत खुलवा ,, (चेतन से) बेटा तुझे नहीं पाता तेरी मम्मी क्या क्या गुल खिलाती है बाहर । डॉक्टर नवीन के साथ इसकी अफेयर चल रहा है । सुना बेटा, ,,
दीपाली तुरंत ही पलटवार करती है ,,, गंदी नाली के कीड़े गंदी सोच रखने वाले गवार कितनी बार कहा हे की वो बस मेरा दोस्त है । (चेतन से) सुन बेटा ऐसा कुछ नही है । में दिखाती हूं तेरे बाप का असली चेहरा ।
दीपाली अपने मोबाइल पर कुछ फोटोज दिखाने लगती हे चेतन को ,, देख बेटा तेरे बाप की करतूत । ये हैं तेरा महान बाप ये सब करता है बाहर और बच्चो को यही शिक्षा देता हे स्कूल में । देख अच्छे से देख ।,,
उन फोटोज में रतन भार्गव किसी पराई औरत को बाहों में ले के किसी पार्क में बैठा हे । फोटोज में साफ दिखाई दे रहा था उसके पापा सच में उसकी मम्मी को धोखा दे रहा है । उसने अपनी दिव्य शक्ति से पाता किया की फोटोज एडिटिंग तो नही है । लेकिन फोटोज असली थे ।
चेतन अपनी पापा की तरफ देखता हे । रतन ना में शीर हिलाने लगता हे ,, नहीं बेटा ये फोटोज असली नहीं है । तेरी मम्मी ने ये सब साजिज रचा हे ताकि मेझे रास्ते से हटा के अपनी आशिक के साथ इंजॉय कर सके ,,,
चेतन गुस्से में चिल्लाता है ,,, बस करो पापा । ये फोटोज असली हे मुझे पता हे । जूठ मत बोलो ,,
रतन निरुत्तर हो जाता हे लेकिन उसका दाओ था की में अकेला क्यूं कालीचरण बनूं ,,, बेटा तेरी मम्मी भी तो उस नवीन के साथ इंजॉय करती हे उसका क्या । ,,
दीपाली ,,, कुत्ते हरामी । खुद बाहर मुंह मारते हो और मुझे भी बदनाम करते हो मेरे बेटे के सामने । अगर ऐसा हे तो प्रूफ दिखाओ । हे तेरे पास कोई प्रूफ । हा हे तेरे पास कोई प्रूफ बताओ है कोई प्रूफ । धोखेवाज इंसान ,,
रतन को अपनी चोरी पकड़े जाने पर बेटे के सामने शर्मिंदा हो जाता है और अपनी बीवी पर उतना ही ज्यादा गुस्सा आता है और दीपाली की कलाई पकड़ कर जोर आजमाता है । चेतन अपने बाप को रोकने ही वाला था की दीपाली उसे धक्का दे के पीछे धकेल देती है । रतन लंबे काठ के थे लेकिन दुबले पतले थे और दीपाली खाती पीती हेल्थी हट्टी कट्टी थी औरत होते हुए भी काफी बलशाली थी खुद भी डॉक्टर थी तो खुद को सहेदमंद रखने का नुस्खा जानती थी हालाकि की पिछले कोई दिनों से ठीक से रूटीन फॉलो नहीं करती थी पर फिर भी अपने पति की सामना करने मे सक्षम थी ।
रतन को बोहोत ज्यादा गुस्सा आता है और बोलता है ,,, निकल जा मेरे घर से साली हरामजादी ,,,
चेतन कुछ बोलने वाला था लेकिन उसकी आवाज दब जाता है ।
दीपाली ,, तू जा वे । ये घर मेरे पैसे से खरीदी हुई है ये जमीन मेरी है तूने तो अपनी तंखा बाहर वाली की ब्रा पैंटी पर उड़ा देता है । और वैसे भी तुझ से दुगना में कमाती हूं । ये जो लग्जरी लाइफ जी रहा है ना सब मेरी कमाई हे ,,
रतन अपनी बे-इतज्जती सेहन नही होता है और दीपाली के गाल पर तमाचा मार देता है ,, हा कमाई तो दुगनी होगी ही धंधा जो कर रखी है ,,
दीपाली उसके गिरेबान पकड़ कर थप्पड़ बरसाने लगता हे । जुबान की लड़ाई अब हटापाई पर उतर आता है । चेतन दोनों के बीच जा के लड़ाई रुकवाता हे ।
चेतन ,, बस बोहोत हो गया अब । प्लीज लड़ना बंद करो ,,
रतन अपनी बीवी को उंगली दिखा के बोलता है ,, जा रहा हूं में कभी तेरी सकल नही दिखाना मुझे । और हा डाइवोर्स पेपर भेज दूंगा । (चेतन से) बेटा में जल्दी ही तुझे मेरे अपने घर लेने आऊंगा अपना ध्यान रखना बेटा ,,
रतन कमरे से बाहर निकल जाता है । दीपाली उसको जाते जाते सुनाती है ,, अबे जा जा बड़े आए तेरे जैसे । तू क्या डाइवोर्स पेपर भेजेगा उससे पहले में भेजती हूं ,,
दीपाली अपने बेटे के पास जाती है और प्यार से उसके गाल पे हाथ रखना चाहती हे मगर चेतन पीछे हो जाता है ।
चेतन ,,, मत छुओ मुझे । आज से में आप दोनो के साथ कभी नही रहूंगा ,,
चेतन कमरे से निकल जाता है । दीपाली तड़पती हुई उसके पीछे जाती हे ,,, नही बेटा सुनो तो । बेटा सुनो मेरी बात । चेतन चेतन प्लीज मेरी बात सुनो ,,,
लेकिन चेतन एक नही सुनता अपनी मम्मी कि और अपना बाइक ले के घर से भाग जाता है । दीपाली उसे लाख कशिश के बावजूद रोक नही पाती और भागती हुई घर में जाती है ,,, भैया भैया कहा हो ,,
काका किचन से दौर कर आता है ,, क्या हुआ मालकिन ,,
दीपाली परेशान हो कर ,, चेतन कहा गया देखो तो जरा ,,
काका ,, मालकिन आप परेशान मत होइए वो किसी दोस्त के घर ही जायेगा । आप थोड़ी देर बाद उसके दोस्त के घर फोन लगाना देखना वो वोही होगा ,,
दीपाली ,, लेकिन भैया ,,
काका ,, मालकिन शिंता मत करो वो दोस्त के घर ही जायेगा ,,
दीपाली परेशान हो कर अपने कमरे की तरफ जाती है । वो जानती थी उसका बेटा अपने तीन दोस्तो के घर ही जायेगा लेकिन फिर भी पेट का बच्चा था फिक्र तो होगी ही ।