Tarif ke liye shabd nehi heUpdate 54
Twist
समय दस मिनट पहले ।
दीपाली , तानिया और तराली सोने के लिए बिस्तर लगा रही थी कमरे में दो और औरत भी थी ।
तानिया नाक सिकुड़ कर बोली ,,, ये बेडसीट बोहोत गंदा है बु आ रही है ,,,
तराली ,, हा में नही सोने वाली इस बिस्तर पर में नीचे ही बेड लगा लूंगी ,,
दीपाली ,,, रुको में दूसरी बेड शीट लाती हूं ,,,
दीपाली कमरे से निकल कर ऊपर चट्ट पर गई (दीपाली को रिधिमा पहले से बता रखी थी की बेड शीट गद्दे वगैरा कुछ भी चाहिए तो ऊपर वाले स्टोर रूम ले के आए) दीपाली स्टोर रूम गई और टॉर्च जला कर बेडशीट ढूंढने लगी ।
वर्तमान समय
दीपाली को एक झटका लगा एक पल के लिए उसे कुछ समझ नहीं आया उसके साथ क्या हो रहा है । पर जब परिस्थिति की आभाष हुई तब उसने सोचा (लगता है जिशु गलत स्टोर रूम आया है और मुझे ही शीतल समझ रही हे) और वो जिशू समझ कर अपने बेटे के छाती पे हाथ रख पीछे की तरह पुश कर रही थी और मुंह हटाने की कशिश कर रही थी ताकि वो बोल सके की वो शीतल नहीं दीपाली आंटी हे उसकी ।
लेकिन आचार्य की बात थी चेतन को अपनी मम्मी भी अपनी ताई रिधिमा जैसी लग रही थी कारण था दोनो को बदन की धंसा एक जैसा होना काठ काठी एक जैसी जो थी । और दीपाली को भी सूक हो गई की उसका बेटा जैसा बेटे का दोस्त नहीं अपना ही खुद का बेटा है कारण था चेतन और जिशू की काठ काठी एक जैसा ही होना और दोनो थोड़े लंबे बाल रखने की एक जैसा ही स्टाइल करता था ।
चेतन मेहसूस हुआ की उसकी ताई (दीपाली) उसे धकेल रही है । लेकिन वो वासना में लिप्त था और उसे लगा औरतों की नखरा करना स्वाभिक है । उसने फिर चूमते चूमते अंधेरे में एक कोने में गिरा दिया और उसके ऊपर चढ़ गए लेकिन चेतन ने उसकी निचली होंठ दातों में ही दबा के रखा जिससे दीपाली खुल कर बोल भी नहीं पा रही थी बस उम्मम्म उम्मम्म नेईईई उम्मम्म कर पाई थी । दोनों एक कोने में पुराने डॉनलॉप वाले सोफे की पीछे थे गिर गए थे या लेते थे ।
भले ही दीपाली ताकतवर थी लेकिन एक मर्द की ताकत और औरत की ताकत में बोहोत फर्क होता है चेतन ने उसे गले में माला डाल कस पकड़ रखा और उसका भारी शरीर के नीचे दीपाली की शरीर पीच गई वो चाह कर भी कुछ नही कर पा रही थी बस हाथ मारने की अलावा पर चेतन पर उसका कोई असर नही हो रहा था वो बस वाइल्ड किस किए जा रहा था ।
दीपाली को उसका वाइल्ड किस एक नई एहसास लगी । दिमाग में जिशू के लंड की छवि आई । और वो सायेद उसकी कोमजोरी बन गई ना चाहते हुए वो जिशू समझ कर अपने बेटे वाइल्ड किस अच्छा लगने लगी । उसका भारी गठीले बदन का एहसास जकड़ रखे मजबूत बाहों का एहसास कही न कही दीपाली की मन खुशनुमा बना गई और और कामुक एहसास जाग उठी उसकी मन में । दिमाग कह रही थी वो जिशू (चेतन) को रोके लेकिन उसकी शरीर अब साथ नहीं दे रही थी । वो भले ही किस का जवाब नही दे रही थी पर उसकी हाथ कि पंजों का जोर कमजोर पड़ गई थी और जिशू (चेतन)के पीठ पर नाजुक पड़ गई उंगलियां हरकत देनी छोड़ दी ।
सासें फूलने लगी उसकी और चेतन के भी । चेतन धीरे धीरे बड़े आराम से ताई (अपनी मम्मी) की होंठ चूसने लगे कभी ऊपर तो कभी नीचे वाले लब को । दीपाली की और सोचने समझने की शक्ति नही बची थी नियति को अपना ली उसने उस वक्त गलत नही लगा उसकी भी मन बेईमान हो उठी मोह से ।
दोनो की गर्म सांसें एक दूसरे से टकरा रही थी और एक दूसरे को मेहसूस हो रहे थे सासें । अंधेरे में तो कुछ दिख नहीं रहे थे दोनो को बस एहसास कर रहे थे । जिशू हल्के करवट ले के चुम्बन तोड़े बिना अपनी ताई (ममी)की चूची पकड़ लिया ब्लाउज के ऊपर से ही ।
एक मर्दाना एहसास पा कर चूची पे आनंद की लहर मेहसूस हुई दीपाली को और तड़प कर जिशू (चेतन) हाथ पर हाथ रख कर हाथ को कस के दबा दी । चेतन एक चूची धीरे धीरे मसलने लगा ।
दीपाली तब तक जिशु समझ कर अपने बेटे साथ अपनी जिस्म शॉप दी । दीपाली खुद जिशु (चेतन) की होठ पीने लगी । चेतन को अपनी ताई (मम्मी) की नारी लुभावना मेहैक पा कर जोश दुगना हो गया और वोही दीपाली को जिशू (बेटे) की मर्दाना गंध जेहन में उतर कर काफी गर्म हुई जा रही थी । दोनो के जिस्म के तापमान हादसे बढ़ गए थे एक दूसरे की जिस्म को मेहसूस कर रहे थे खेल रहे थे हाथो की मेहसूस से । और दोनो फिर भी नही पता चल रहे थे दोनो मां बेटे कामक्रीड़ा में मगन हो गए थे।
चेतन मोरसा संभाल रहा था वो एक खिलाड़ी की तरह आगे बढ़ रहा था । दीपाली की गर्दन से चूमना शुरू किया दीपाली धीमी धीमी सासों के साथ आह्ह्ह्ह लेने लगी । और फिर धीरे धीरे उसकी कंधे से चूमने लगे कभी जीव से चाट भी लेता था चेतन और दीपाली को गीला एहसास और आनंद दे रही थी ।
फिर चेतन ने दीपाली की ब्लाउज की हुक खोल के निकलने का इशारा किया और दीपाली ने भी खुद को ऊपर उठा कर उसे ब्लाउज निकलने में मदत की और चेतन ने ब्लाउज को नाक में ले के सूंघा गहरी सांस के साथ दीपाली की बदन की खुशबू से वो और मोधोश हो गया और उसने ब्रा भी उतार दी ।
चेतन दोनो तरफ पेड़ फैला के दीपाली की छाती पर चढ़ गया और दोनो हाथो से एक एक चूची दबोचा और एक एक कर के चूसने लगा । दीपाली आनंद में उफ्फ इस्सस आह्ह्ह्ह हल्की हल्की सिसकारियां लेने लगी ।
चेतन चुप्पी लगाने लगा और दीपाली उसकी लंबे बालों के साथ खेलने लगी । चेतन मन भर की दीपाली की चूची चूस के धीरे धीरे नीचे हो रहा था और मखमली समतल पेट चाटने लगा दीपाली की थोरी पेट उभरी हुई एक 40 + औरत की हिसाब से सही मात्रा में थी चर्बी और उसकी हुस्न की शोभा भी बढ़ाती थी ।
चेतन उसकी पेट चाट चाट कर उसकी गहरी नाभी पे जीव कुरेदने लगा दीपाली तड़प उठी और दोनों हाथो से नीचे बचे पुराने गड्डे को कस ली और लंबी सिसकी ली आईससस कर के चूत पानी पानी हो रही थी उसकी जिस्म पर अकड़ मेहसूस हुई
चेतन फिर चाटने का लुफ्त उठा कर दीपाली की सारी और पेटीकोट की गांठ पर हाथ दिया तो दीपाली ने उसे हाथ पकड़ कर रोक दिया । एक औरत शर्म के कारण आखरी बार रोकती है लेकिन वो सेफ़्टी के लिए था ।
दीपाली कहना चाहती की दरवाजा बंद कर लो लेकिन शर्म उसे संबंधित करने नही दे रही थी लेकिन वैसे उसे लगा अब इतनी रात को कौन यहां स्टोर रूम में आएगा फिर भी एक संका तो थी इसलिए उसने सारी पहने रखा सही समझा और अपनी टांग मोड़ कर फैला दी ।
चेतन भी समाज गया और उसकी सारी पेटीकोट के साथ साथ कमर तक उठा दिया और उसकी पैंटी निकाल दिया । चेतन मुंह ले के दीपाली की टांगो के बीच झुक गया और मोटी जांघें पकड़ कर जीव लगा दिया दीपाली की चूत पर ।दीपाली तड़प उठी अःह्ह्ह अअह्ह्ह्ह आह्ह्ह आईस उफ्फ करने लगी । उसकी चूत सफसत थी हाइजिन का बोहोत ध्यान रखती थी चूत ज्यादा गीली या फिर सुखी ना हो जाए उसके लिए मेडिसिन भी लगती रहती थी आखिर एक डॉक्टर जो थी और उसकी चूत की होठ भी फिरंगी या फिर कश्मीरी मौसम में रहने वाली औरत की तरह गुलाबी चूत थी । जो बदकिस्मती से चेतन उसकी छूट नेही देख पा रहा था वरना खा ही जाता सायेद ।
काफी देर तक चूत की हर हिस्से को जीव से चाट के अपने कपरे उतारने लगते है और सिर्फ चड्डी को नीचे सड़का के अपने लंड पर ठुक मल के वो चोदने जा रहा है ये सोच कर उसका दिल दिल धक धक करने लगता हे ।
चेतन दीपाली के टांगो के बीच घुटने मोड़ कर आगे हो कर एक हाथ से अंदाजे से चूत पर लंड रख के धक्का देता है लेकिन लंड पिछल जाता है फिर चूत की रगड़ दीपाली की मुंह से आह्ह्ह्ह निकल देती है । चेतन फिर ट्राय करता है और इस बार सुपाड़ा घुस जाता हे ।
दीपाली चेतन के कंधे पर हाथ रख कर चीखती हे आउंफफ्फ । चेतन और धीरे से धक्का देता लंड पिछल कर आधे से ज्यादा घुसते चला जाता है दीपाली अपने मुंह से आवाज करती है उन्ह्ह्ह्हहुऊऊ हुह्ह्ह्ह्ह यूईईईआ और सोचती है (कितना मोटा हे रे इसका शीतल कैसे लेती है इस गाढ़े का)
चेतन उसे बाहों में भर लेता है दीपाली उसे गले लगा लेती हे और चेतन धक्का देके पूरा लन्ड घुसा देता है और दीपाली की चीख आहहाहा उह्ह्ह उफ्फफ्फ (उई मम्मी कितना लंबा हे ये तो अपनी बीवी की गर्भाशय ही खराब कर देगा ठोकर मार मार कर कितनी तकलीफ हो रही है)
चेतन आराम आराम से थोड़ा लंड बाहर करता है और घुसा देता है चेतन का पहली अनुभव था बेहद ही उसे आनंद होता हे बस फिर क्या आनंद प्राप्त करते ही रहना चाहता है । दीपाली को तकलीफ हो रही थी पर आनंद भी उतना ही आ रही थी और उसके लिए भी एक नया अनुभव था ।
सबसे ज्यादा उसे जिशु (चेतन) पर गर्व हो रहा था की उसका मर्दाना ताकत मेहसूस कर और खुद को इस पल की भाग्यशाली समझ रही थी उसे अच्छा लगा की जिशू (चेतन) ने शुरुआत में ही जोर आजमाना शुरू नहीं किया महीन तरीके से धक्के लगाना महीन तरीके से उसकी होंठ चूसते रहने गाल चूमने रहने कंधे पे चूमते रहना चोदते टाइम । प्यारी हरकत पर उसे भी प्यार उमंग आई और चेतन के होंठ चूम कर उसकी बाल सेहलाने लगी पीठ सहलाने लगी और मुंह से आनन्द की प्रतीत को जताने लगी आह्ह्ह अअह्ह्ह्ह उन्ह्ह्ह्ह अअआझह उफफ्फ्फ ना अअह्ह्ह्ह ह्विसस्स हिस्स्स इससस आह्ह्ह्ह्ह ।
चूत दिवारे रगड़ खा खा के पानी छोड़ रही थी जिससे लंड महीन तरीके से अंदर बाहर हो रहे थे । दीपाली को भी आदत हो गई और सुखद एहसास से जीव निकाल कर चेतन के मुंह में दे दी और चेतन उसकी जीव पीने लगा ।
तभी दरवाजे की कुंडी हिलने की आवाज गूंजी और दोनो सोक गए दर से लेकिन दोनो कुछ कर पाते स्टोर रूम में कदमों की आहट हुई और लाइट जल उठी । दोनो की किस्मत अच्छी थी या फिर नियति यही थी कि सोफे के आड़ और उसके ऊपर कुछ सामान रखने की वजह एक दीवार बनी हुई थी । लाइट काम वॉट की जिसके कारण हल्की रोशनी हो रही थी ।
लेकिन वाहा एक बॉम्ब फूटा । दीपाली और चेतन दोनो एक दूसरे की चेहरे को देख कर जहा सोक गए जैसे दुनिया से उठ गए दोनो वोही शर्म से पानी पानी हो गए । दीपाली की जिस्म ठंडी पड़ गई और चेतन का लंड अपने आप सिकुड़ कर चूत में सो गया ।
शर्मनाक दर्शन से एक दूसरे से मुंह फेर लिया और पछतावे में खुद से घृणा कर बैठे दोनो । लेकिन दोनो जारा सी आहट नहीं कर सकते थे नेही पकड़े जाएंगे और लोगो को पता चला कि दोनो मां बेटे ही । इस दर से कांप उठे दोनो अब शर्म से ज्यादा दर लगने लगे थे ।
कमरे पर तीन औरतों की आवाज थी जो बात कर रहे थे ।
" ठीक से गद्दे लगा रीता ,,,
,,, लगा दिया अब बोतल खोल,,,
,,, ये ले पी इंजॉय कर ,,,
,,, में इसलिए लोकेलिटी शादी फंक्शन पर नही जाती देखो कैसे पीना पड़ रहा हे ,,,
,, अरे सीमा इसमें भी एक मजा है चुप के पीने में ,,,,
कुछ तीन मॉडर्न शराबी औरते शराब पीने आई थी और गप्पे लड़ा रही थी चुगली कर रही थी ।
दीपाली को थोरी राहत मिली इस बात से की तीनों औरते थी । अगर मर्द होते तो कैसे लगती उससे एक कमरे में तीन शराबी मर्द और अपने बेटे के नीचे लेती हुई हालाकि अनजाने में लेकिन अब तो जान गई थी ।
दोनो मां बेटे एक दूसरे से नज़रे तक नहीं मिला पा रहे थे पर अलग भी नही हो सकते थे एक दूसरे की नंगे बदन को मेहसूस कर के अब शर्म आ रहे थे । सांस भी धीरे धीरे आ रहे थे ताकि तीन औरतों को सुनाई ना दे सासों की आवाज ।वो तीन औरतों को भी पता नही चली की उनके बगल में सोफे के पीछे ही कांड हो रहा है जो इस वक्त विराम लग चुका हे ।
,,,, यार वो पुलिस वाला मुझे घूर रहा ,,,
,, कौन वो मुसवाला ,,,
,,, जा वोही रीता ,,,
,, मस्त है लाइन दे दे काल शादी की रात किसी रूम में मेज ले पाएगी और पोलिस वाला हे तो आगे भी काम आएगा पावर बड़ेगी ,,,,
ये तीन औरते गंदी गंदी बाते कर रही थी । दोनो मां बेटे को बोहोत शर्म आ रही थी ।
वो दोनो सोच रहे थे की ये तीन औरते पी कर चले जायेंगे लेकिन 5 मिनट 10 मिनिट कर कर के 50 मिनिट से ज्यादा हो गए थे । दीपाली और चेतन का भी एक वक्त तक दर थोड़ा कम हो गए थे । दीपाली मन में तीनो औरतों को गालियां दे रही थी कोच रही थी ।
लेकिन चेतन का हल कुछ अलग था । उसकी नजर अपनी मम्मी की बंद आखों की चेहरे पे टिकी हुई थी चाह कर भी अपनी खूबसूरत मम्मी की चेहरे से नजर नही हटा पाया । एक तुक देखे जा रहा था अपनी मम्मी की नंगे बदन को बाहों में भर रखा था और चूत पे लंड डाल रखा था फिर एक उत्तेजना मेहसूस होने लगा उसे काम शक्ति शक्ति ऐसी थी मर्दो की अपने बस में नही कर सकता था कामक्रीड़ा की वजह से कितने लूट गए कितने बरबाद हो गए ।
चेतन का लंड अचानक सख्त होने लगा और दीपाली को मेहसूस हुई (हे ****** ये क्या इसकी फिर से । कैसे) चेतन आराम से अपनी ममी की कंधे पर मुंह छुपा लिया और हल्के हल्के एक दम धीरे से धक्का मारने लगा बिना आहट किए जैसे इंजिन आइडियल पर चल रहा हो ।
दीपाली गुस्से में (असभ्य इसे तो में । सिखाती हूं सबक । लेकिन ये यहां क्यों आया था । इसकी भी किसके साथ । और उसे समझ कर मेरे साथ ही । और में समझ रही थी जिशु । उफ्फ तब क्यूं में बेहेक गई उफ्फ अब क्या करू ये बेशर्म मेरा ही बेटा है उफ्फ रूको ऐसा मत करो)
चेटन पूरे 15 - 20 से लगातार होले होले से धक्के लगा रखा था । लंड की सुपाड़े को जन चूत की रगड़ का मजा अनुभव हो रहा हो तो कोई भी बेलाग हो ही जाता है काम आनंद में भूल गया की अपनी मम्मी को चूत नही चोदनी चाहिए पर वो चोद रहा था उसे मम्मी की ही चूत की आनंद चाहिए अब जान बूझ कर ही ।
तीन औरते अभी भी बात कर रहे थे उनको काफी नशा भी हो रही थी आवाज से ऐसा ही लग रही थी ।
दीपाली की गुस्सा धीरे धीरे शांत हो गई उसे भी धीरे धीरे अच्छा लगने लगा आनंद मिलने लगी थोड़ी ही सही चूत में हलचल हो तो रही लंड का रगड़ हो तो रही थी लेकिन अभी भी आंख खोल कर अपने बेटे की नजरो में देखने की हिम्मत नेही हुई और वो छुपाना चाहती थी अपने बेटे से की अब उसे भी आनंद आ रही है ।
और दस मिनट बाद वो तीन औरत वोहा से चली जाती है । फिर क्या था चेतन जोश में लंड बाहर निकाल के पूरा घुसा के दो कस के धक्के मारते है । दीपाली की आंख खुल जाती है और अन्छझ अन्ह्ह्ह्ह कर के सीधा अपने बेटे के आंखों में आंखे डाल के देखती है दोनो के चेहरे के करीब बस नाक रहड़ खाने की फासले थे ।
चेतन को अपनी मम्मी पर एक अलग सा प्यार भी आता हे और एक हवास भी जाग जाता है उसके मानसिक पर और जोर से खींच के धक्के मारता है । दीपाली दात पीच के छटपटाती है । चेतन को क्या मजा आता है और एक खींच के फिर एक और खींच के ऐसे तीन चार बार धक्के मारता हे और दीपाली चीखती है आईया मम्मी आआआ नही । और अपने बेटे के ऊपर हाथ उठा देती है उसके गाल पर थप्पड़ मार देती है । चेतन शर्म से मुंह छुपा लेता है ।
दो मिनट तक शांति शायी हुई थी जब दीपाली को कंधे पर गिला गीला मेहसूस होती हे तो उसका दिल भी पिघल जाती है और बेटे के चेहरे को हाथो पे उठा के देखती है । यूं तो पैदा होने से ले के कोई सौ बार रोते हुए देखा हे लेकिन आज चेहरे पे एक अलग दर्द था ।
दीपाली प्यार से बोली ,,, अब क्यूं रो रहे हो ,,,
चेतन रो रो कर बोला ,,,,,, आईएम सॉरी में रोक नही पाया खुद को अच्छा लग रहा था सॉरी माफ कर दो ,,,,,
ऐसे रोने पर की मां की ममता नहीं रोएगी और चेतन की हाथ चूम कर आसू पॉच कर प्यार से बोली ,,,,, मैंने माना थोड़ी किया है वो तो तुमने ऐसे जानवर जैसे किया तो गुस्से में । अच्छा चलो माफ कर दो अब रो मत वरना में भी रो दूंगा ,,,,
चेतन चुबकते हुए ,,, सॉरी गलती हो गई ,,
और उठ गया एक झटके में और अपने कपरे उठाने लगे । दीपाली भी उठ गई और वो अपने बेटे का रोना बर्दास्त नही कर पा रही थी । और वो कमरे की दरवाजे खिड़की बंद कर के लाइट भी बंद कर दी ।
चेतन के पास आई कमरे में अंधेरा था दोनो को कुछ दिखाई नहीं दे रहा था अब पहले की तरह । दीपाली उसकी बाहों में समा गई ,,, तुम्हारी कोई गलती नही थी में जानती हूं किसी और के लिए आए थे और में भी वेहेक गई थी ।,,,
चेतन ,,, पर किया तो गलत ना मम्मी । मुझे घिन आना चाहिए खुद पर ।
दीपाली प्यार से समझती हुई ,,,, हिस्सस्स चुप बिलकुल चुप । तुझे मेरि कसम अब सिर्फ और सिर्फ मम्मी की बात मान । जो हो गया वो पूरा ही होने से । आजा मुझे प्यार कर ,,,
दीपाली उसका हाथ पकड़ सोफे पे बैठा दिया और खुद टांगे फैला के बेटे के लंड पर बैठ जाती है और आईसस आह्ह्ह कितना बड़ा है उफ्फफ्फ और अपनी चूची में बेटे के शिर को छुपा लेती हे फिर धीरे धीरे आगे पीछे होने लगती है कमर लचकाती हुई ।
दोनो को फिर एक बार आनंद आना शुरू हुए सांस गर्म होने लगे रोगों में बस कामसुख डोरने लगे दोनो के बदन में दीपाली की सिसकियां पूरे कमरे गूंज उठी ।
कुछ देर बाद चेतन अपनी मम्मी को सोफे पे लिटा के बाहों में भर कर चोदने लगता है और रफ्तार बढ़ा देता हे इस बीच दो तीन बार दीपाली की कमर नाचने लगती है स्खलन की वजह से पूरी तृप्ति से वो शर्मसुख पर एहसास की
,,, मम्मी मजा आ रहा है ,,,
,,, आह्ह्ह्ह हाआआ बेटा आअह्ह्ह बोहोत ,,,,
,,, आपको मौखिक सेक्स पसंद है हैं हल्ह्ह्ह,,,
,,, हुन्ह्ह्ह ,,,
,, अब दर्द हो रहा हे क्या ,,,,
,, नहीं बेटा आह्ह्ह बड़ा है तो क्या आह्ह्ह्ह हर वक्त दर्द ही होगा क्या उन्ह्ह्ह्ह ,,,,
,,,, नही वो मतलब नही था ,,,
,,,, जोर से करू ,,,,
,,,,, हा जैसी उन्ह्ह्ह तेरी मर्जी पर खींच के आघ्ह उस तरीके से मत करना आआह्ह्हह्ह जान निकल जाती है उफफ्फ बोहोत मजा आ रहा है ,,,,
चेतन तेजी से कमर आगे पीछे आगे पीछे करने लगता है दीपाली सहन नही कर पाती और एक बार फिर झड़ जाती है । चेतन भी कुछ देर बाद झड़ जाता है ।
दोनो एक दूसरे को चुम्मा चाटी कर के प्यार जताते है फिर एक आखरी चुम्बन के साथ स्टोर रूम से बाहर निकल जाते है ।
Note: next update me ridhima tai ki kya huya uske baare me jaanne ke liye dher saare review dalo mitra
Har koi yehi to soch ke read karta heAisa lag raha hai ki charo ke rup me sabhi ko mai hi chod raha hu
Bhai maja agaya ,akhir dipali ka bhi no lag gaya