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Incest Gaav me bhabhiyo ke sath masti

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मैं- हाँ भाभी, लेकिन अभी आपका नंगा बदन देखकर मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा। देखो रसीला भाभी के चूसने के बावजूद भी ये फिर से खड़ा हो गया है।



राशि- “लण्ड होता ही ऐसा है, गड्ढा


देखा और हुआ खड़ा…” और वो जोर से हँसने लगी।

मैं- भाभी, क्या मैं आपके चूचे छू सकता हूँ?

राशि- अरे, ये भी कोई पूछने की बात है क्या? छुओ क्या चूसो जितना चूसना है उतना।
फिर मैंने सीधा ही मेरे मुँह में भाभी का निपल भर लिया

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और दूसरे हाथ से पानी में उसकी योनि ढूँढ़ने लगा,

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और वो मुझे तुरंत मिल गई, एकदम चिकनी गीली-गीली सी। जैसे ही मैंने निपल चूसा, मेरे मुँह में दूध की धारा बहने लगी, ये मेरे लिए आश्चर्यजनक था।

तो मैंने मुँह हटा के भाभी को पूछा- “आपके चूचे में भी दूध आ रहा है…”

राशि- हाँ, क्यों कैसा लगा उसका टेस्ट?

मैं- बहुत बढ़िया। लेकिन… तो फिर अपने मुझे रसीला का दूध क्यों पिलाया? आपके पास भी तो था ना?

राशि- ये मैं तुम्हें सर्प्राइज देने वाली थी, और वैसे भी इसी बहाने आपको दूसरी औरत के चूचे का मजा भी देना चाहती थी।

मैं- “भाभी, आप मेरा कितना खयल रखती हैं…” और ऐसा बोलकर मैं फिर उनका दूध पीने लगा।

उधर रसीला भी ये सब देखकर गरम हो गई थी, वो हमारे बाजू में आई और बोली- “कम पड़े तो बोलना, इसमें फिर से भर गया है…”



मैं- “वाओ… मुझे आज घर पे खाना नहीं पड़ेगा, ऐसा लगता है…” बोलकर मैं कभी राशि के और कभी रसीला के चूचे चूस रहा था। इतना दूध तो मैंने अपनी माँ का भी नहीं पिया होगा।

दोनों की 36” की चूची पूरा दूध से भरी थी, और मैं उसे चूस-चूस के खाली कर रहा था। दूध का टेस्ट एकदम मीठा और थोड़ा साल्टी था।

तभी राशि ने बोला- “मजा आ रहा है ना देवरजी?” और ऐसा बोलकर मेरे मुँह में ली चूचियों को खुद दबा-दबा के मुझे पिलाने लगी, जिससे निपल से निकलती हर पिचकारी मेरे मुँह में गुदगुदी कर रही थी।

मुझे लगा की मैं सारी उमर बस दूध ही पिता रहूं। और मैं राशि भाभी की चूत में उंगली डालकर उसे छेड़ देता तो उसकी ‘आह्ह’ निकल जाती।

थोड़ी देर बाद जब दूध पी लिया तो भाभी बोली- “चलो अब चलते हैं, बाकी घर जाकर करेंगे…”

रसीला भी नहाके बाहर निकल गई, अपने शरीर को तौलिया से पोंछा, और ब्रा पहनने लगी, बाद में ब्लाउज़,

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पैंटी, पेटीकोट, और फिर साड़ी।



राशि बोली-


“लगता है देवरजी नंगी लड़की देखकर आपका मन अभी नहीं भरा है, आपका कुछ करना पड़ेगा?” और अचानक वो मेरे लौड़े को मुँह में लेकर चूसने लगी।

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RE: Bhabhi Sex Kahani भाभियों के साथ मस्ती
भाभी में भी इतनी वासना भरी हुई थी, जैसे बरसों की प्यासी हो। वो तो रसीला से भी अच्छा चाट रही थी, कभी पूरा लण्ड मुँह में लेकर


जीभ का स्पर्श करती


तो मेरे आनंद की सीमा नहीं रहती। ऐसे ही चूसने के बाद मेरा वीर्य निकलने की तैयारी ही थी तो भाभी को मैंने बोला। लेकिन उसने भी मेरे लण्ड को निकाला नहीं और चूसना चालू रखा। दो मिनट बाद मेरा शरीर अकड़ गया और मेरा लण्ड-रस भाभी के मुँह में ही छूटने लगा।

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वो गटागट मेरा सारा वीर्य पी गई।

बाद में मेरे सुपाड़े को साफ करके बोली- “अभी कैसा लग रहा है देवरजी?”

मैं- “भाभी आप बहुत अच्छी हैं, मुझे बहुत मजा आया, बस एक बार आपको चोदना है…”

भाभी मुश्कुराके बोली- “


वो भी हो जाएगा, बस थोड़ा धीरज रखे…” बाद में भाभी और मैं फटाफट नहाकर बाहर निकल गये और कपड़े पहनकर घर की ओर चल दिए।

जब वहां से नहाने के बाद हम घर पहुँचे, तो दूसरी दोनों भाभियां राशि भाभी को देखकर मुश्कुरा दीं।


शायद उनको अंदाजा था राशि भाभी के इरादों का, और उनमें से प्रीति भाभी मुझे बोली- “क्यों देवरजी, कैसी लगी हमारी बहती हुई नदी?” और वो धीमे-धीमे हँसने लगी।

मुझे तो आश्चर्य हुआ उसकी डबल मीनिंग की बात सुनकर।

तभी वो तीसरी और छोटी भाभी सोनिया बोली- “प्रीति, लगता है देवरजी ने हमारी नदियों में डुबकी नहीं लगाई है, लगाई होती तो कुछ ज्यादा खुश होते?”

अब मैंने स्माइल देकर बोला- “भाभी, ऐसा नहीं है। अभी तो सिर्फ मैंने नदी को दूर से देखा ही है, डुबकी लगानी बाकी है…”

वो दोनों मेरी बात को सुनकर हँस पड़ी,


और सोनिया बोली- “तो जल्दी ही लगा लेना, कहीं पानी सुख ना जाए?”

मैं- नहीं भाभी, मैंने नदी ध्यान से देखी है, और उसका पानी सूखने वाला नहीं है।

राशि भाभी आश्चर्य से मुझे देखने लगी और प्रीति और सोनिया को बोली- “लगता है एक ही दिन में नदी को नाप लिया है देवरजी ने। लेकिन शायद उन्हें मालूम नहीं की इन गहरी नदियों में कई लोग डूब भी जाते हैं…”

मैं- हाँ, लेकिन मैंने गोता लगाना सीख लिया है।

तभी दादी आ गई और हम सब दूसरी बातें करने लगे। दादी के आने से मैं भाभी को बोला- “भाभी, मैं थोड़ा गाँव में घूमकर आता हूँ…”
भाभी के बदले दादी बोली- “हाँ, जा बेटा, थोड़ा ध्यान रखना बेटा, और दोपहर को टाइम पे 12:00 बजे से पहले घर आ जाना…”

मैं- “ठीक है दादी जी…” कहकर मैं बाहर चला गया।

गाँव में पदार था, जहां मेन बस स्टैंड होता है और बुजुर्ग लोग बैठने आते हैं। वहां जाकर एक पान की दुकान से मैंने सिगरेट लिया।


हालाँकि मैं सिगरेट रोज नहीं पीता,


लेकिन कभी महीने में एकाध बार पी लेता हूँ। थोड़ी देर इधर-उधर घूमने के बाद मैं 12:00 बजे घर वापस आ गया।

आकर खाना खाया। और बाद में सोनिया भाभी बर्तन धोने लगी,


तो उसके भारी स्तन घुटनों से दबने से आधे बाहर छलक रहे थे। शायद वो मुझे जानबूझकर दिखा रही थी। क्योंकी जैसे ही दादी जी आई, उसने अपना पैर सही कर लिया और चूचियों को ढँक दिया। दादी के जाने क बाद उसने मुझे एक सेक्सी स्माइल दी।

मैं भी मुश्कुरा दिया।

तभी, प्रीति भाभी मेरे सभी भाइयों का टिफिन पैक करके


आई और खेत में देने जा रही थी।

तभी दादी ने प्रीति को बोला- प्रीति बेटा, जरा किशोर को भी साथ ले जा, वो भी खेत देख लेगा।

मेरे मन में तो अंदर से लड्डू फूटने लगे, शायद प्रीति भी खुश थी क्योंकी पलटकर मेरे सामने मुश्कुरा दी।


मैं तो तैयार ही था। तो चल पड़ा


अपनी मस्त चुदक्कड़ भाभी के साथ।

घर से निकलते ही प्रीति ने मुझसे पूछा- क्यों देवरजी, कोई गर्लफ्रेंड है की नहीं?

मैं- नहीं भाभी।

प्रीति- क्यों?

मैं- कोई मिली ही नहीं।

कुछ देर शांति के बाद उसने मुझसे पूछा- “कैसा रहा आज का नदी का स्नान? रशि भाभी ने सिर्फ नहलाया या कुछ और भी?” बोलकर वो रुक गई।

मैं- कुछ और का मतलब?

प्रीति- ज्यादा भोले मत बनो, जब तुम पदार में घूमने गये थे तो राशि ने हम दोनों को सब बताया था।

ब हैरानी की बारी मेरी थी, ये लोग आपस में सब शेयर करते हैं। आश्चर्य भी हुआ लेकिन मैंने अपने आपको शांत रखते हुए बोला- “आप सब जानती हैं, फिर भी क्यों पूछ रही हैं? लगता है आप भी भूखी हैं रशि भाभी की तरह?”

अब उसके चेहरे पे मुश्कान आ गई, उसे शायद मेरे ऐसे जवाब का अंदाजा नहीं था। फिर भी वो बोली- “हाँ, मैं भी भूखी ही हूँ, तुम्हारे भैया कहां रोज चढ़ते हैं मेरे ऊपर?”



मुझे उसकी ऊपर चढ़ने वाली देसी भाषा पे आश्चर्य हुआ। लेकिन सोचा गाँव की भाषा में ऐसे ही बोलते होंगे, चढ़ना और उतरना, जैसे ट्रेन हो।

मैं- तो आप क्या करती हैं, अपनी जवानी को शांत करने के लिए?

प्रीति- “और क्या? कभी कभी हम तीनों मिलके एक दूसरे की चाट देते हैं,


कभी गाजर तो,


कभी मूली


डालकर अपनी आग शांत करती हैं। वैसे आपको पता नहीं होगा, मेरे पति नमार्द हैं, राशि को और सोनिया को बच्चा हुआ लेकिन मुझे नहीं हो रहा…”
मैं- क्यों, किसमें प्राब्लम है?

प्रीति- मैंने चोरी छुपे मेरा चेकप कराया, वो नार्मल आया। वो अपनी चेकप के लिए राजी ही नहीं हैं।

मैं- भाभी उससे बच्चा नहीं होता, लेकिन चुदाई तो हो ही सकती है ना?
 
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