फिर अपने होठों पे जीभ फेरते हुए बोली-
“आपका पानी तो बहुत मीठा है…”
मैं- होगा ही ना… पहली बार आपने चखा है।
रसीला- कैसा लगा देवरजी?
मैं- बहुत अच्छा, ऐसा मजा मैंने पहले कभी नहीं लिया था, आपने तो मुझे जन्नत की सैर करा दी।
रसीला- “अभी सही जन्नत तो बाकी है।
वैसे आपका लण्ड भी बहुत मस्त है, मेरे पति का तो सिर्फ अंगूठे जैसा है, जब की आपका तो पूरा डंडा है डंडा…”
मैं- हाँ, वो तो है। मुझे अब पता चला की पूरी दुनियां चूत में क्यों डूबी हुई है?
तभी राशि भाभी बोली-
“चलो देवरजी, अब बहुत मजा किया, घर जाने में देर होगी तो कही सासू माँ इधर ना आ जाएं?”
रसीला बोली-
जाओ मेरे राजा, कल आना, बाकी की जन्नत भी देख लेना।
और बाद में भाभी बोली- “चलो देवरजी, बस दो मिनट… मैं नहा लेती हूँ, बाद में हम चलते हैं…”
मैं- “भाभी, मुझे भी आपके साथ नहाना है…”
राशि- ठीक है, तुम भी आ जाओ।
मैं वैसे ही नंगा उनके पास चला गया, सभी औरतें मुझे ही देख रही थी। मैं अब पानी में घुस गया।
भाभी ने किनारे पे बैठकर मेरे सामने ही कामुक स्टाइल में पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया, पेटीकोट ‘सर्र्र्र्रर’ से नीचे गिर गया।
मैं तो देखकर हैरान था… लगता नहीं था की वो दो बच्चों की माँ थी। पतली कमर नीचे जाते ही इतने चौड़े कूल्हों में समा जाती थी की बस। उनके कूल्हे एकदम बड़े और गद्देदार थे और चूत वाला हिस्सा पूरा गीला था। शायद कपड़े धोने से उनकी पैंटी गीली हो गई थी। पैंटी एकदम गीली और सफेद होने की वजह से उसकी चूत की लकीर साफ दिख रही थी।
तभी उसने मेरे सामने ही अपनी पैंटी को उतारने के लिये, दो साइड से दो उंगलियां डालकर पैंटी को धीरे-धीरे नीचे उतारना चालू किया।
वाओ… क्या नजारा था… उसकी चूत चमक रही थी, एकदम सफाचट, जैसे अभी ही शेविंग की हो वैसी। बीच में से उसके होंठ बाहर दिख रहे थे, जैसे बुला रहे हों की आओ मुझे चूसो। होंठों के साइड की मुलायम दीवारें जो की एकदम चिकनी दिख रही थीं और वो नीचे जाकर आदृश्य हो जाती थीं, और गाण्ड के छेद से मिल जाती थीं। चूत की दीवारें इतनी दबी हुई थी की, ऐसा लगता था जैसे पहले कभी वो चुदी ही ना हो।
धीरे-धीरे वो मेरी तरफ बढ़ रही थी और फाइनली पानी में घुस गई। भाभी ने पानी में आते ही मुझसे बोला- “
एक चूत से जी नहीं भरा, जो दूसरी देख रहे हो? सारे मर्द ऐसे ही होते हैं…”
मैं- “तो उसमें गलत क्या है? भगवान ने चूत बनाई ही इसलिये है ताकी मर्द उसे देख सकें, चाट सकें और फाड़ सकें…”
राशि- “हाँ देवरजी, मेरी चूत में भी बहुत खुजली होती है,
और तुम्हारे भैया से वो मिटती ही नहीं, क्या तुम मेरी खुजली मिटाओगे?”
मैं- “भला, आपका ये गद्देदार शरीर कोई मूरख ही होगा जो चोदने को ना बोले?”
राशि- “ठीक है, मैं आज घर जाकर तुम्हें मजे कराती हूँ। रात को तुम तैयार रहना…”.इतना कहके भाभी नदी में नहाने के लिए डूबकी लगाने लगी...