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Incest Garam Bahu

Rajizexy

Punjabi Doc
Supreme
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304

Rajizexy

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Premkumar65

Don't Miss the Opportunity
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महेन्द्र को जहाँ एक तरफ अपने किये पे शर्मिंदगी महसूस हो रही थी वहीँ चेहरे पे एक अलग सा satisfaction का भाव भी था l उसे आज़तक मुट्ठ मारने में उतना मज़ा नहीं आया जितना की आज l थोड़ी देर बाद महेन्द्र को नींद आ गई l

भाग 7

अगले दिन सुबह महेन्द्र काफी देर तक सोता रहा l माया झाड़ू लगा रही थी, और मानस ऑफिस के लिए निकल चूका था l
नींद खुलने पे महेन्द्र सबसे पहले पायजामा की डोरी बांधता है जो खुला ही रह गया था कल रात l रात हुवी वाकिये को ले कर महेन्द्र बहुत शर्मिंदा था उसने सपने में भी नहीं सोचा था की वो कभी अपनी बहु के बारे में इतना गन्दा सोचेगा, खैर महेन्द्र बाहर आया वो मानस को आवाज़ लगाया l

बहु रूम में झाड़ू लगा रही thi, बाबूजी की आवाज़ सुन वो बाहर आयी, बाबूजी उठ गए आप ?
माया इस वक़्त एक ढीले gown में थी ऊपर से नीचे तक dhaki हुई थी l
Good morning बहु, एक अच्छी हंसी देता हुवा वो माया को greet किया l
माया - good morning बाबूजी, मानस ऑफिस निकल गए, आप अच्छी नींद सो रहे थे तो डिस्टर्ब नहीं की l आखिर आप घर से आने के बाद वकील से मिलने चले गए थे din भर ऑफिसेस का चक्कर काटते थक गए होंगे l हैं ना ?

महेंद्र मन में सोचता है बहु इतनी अच्छी है मेरा कितना ख्याल रखती है, और एक मैं जो ऐसी नेक बहु के बारे में गन्दा सोच के.....अपना.. छी... मुझ जैसा पापी कोई नहीं होगा l ये सब सोच रहा था की तभी माया ने चुप्पी तोड़ी l बाबूजी आप फ्रेश हो जाइये मैंने आपकी पसंद की भिंडी बनायी है l

महेन्द्र - ओह थैंक यू बहु, तुम कितनी अच्छी हो l मैं अभी फ्रेश हो लेता हूँ l
(महेन्द्र वापस अपने कमरे में आता है कपड़े लेके वो सीधा बाथरूम चला जाता है l इधर माया नाश्ता निकालते हुवे मानस से फ़ोन पे बात कर रही होती है l )

माया - क्यों ऑफिस में क्यों नहीं मन लग रहा ?
मानस - 2 दिन से भूख लगी है जान l
माया - शरारत करते हुवे.... अच्छा तो भूख मिटा लो l
मानस - कैसे मिटा लूँ ?
माया - वाशरूम जा के l
मानस - क्या माया... tum हो फिर भी वाशरूम जाऊं l कबतक चलेगा ऐसे l
माया - क्या कर सकते हैं, बाबूजी को तुमने ही तो बुलाया l
मानस - हाँ मगर मुझे पता नहीं था इतनी तड़प होगी तुम्हारे पास ना होने सेl
माया - तो अब वेट करो उनके जाने तक l
मानस - माया.... तुम्हारा मन क्या कहता है, (मानस गर्म आहें भरते हुवे पूछा )
माया समझ गई थी की उसके पति बहुत प्यासे हैं तो वो भी मानस को सेक्सी आवाज़ में बोली

माया - तुम्हे टूट के प्यार करने को जी करता है l
मानस - कैसे ??
माया - सारे कपड़े उतार के tumhare सामने पूरी नंगी हो के l
मानस - ओह माया l और क्या करोगी ?
माया - (माहौल को और गरम करते हुवे ) तुम्हारा pant खोलूँगी और बड़े प्यार से लंड bahafमुँह में ले कर चूसूंगी l
मानस - तुम बहुत चालाक हो, फ़ोन पे सेक्सी बातें करती हो और सामने होने पर लंड को मुहँ नहीं लगाती l
माया - अरे नहीं बाबा सच, रात से मैं भी बहुत तड़प रही हूँ l
मानस - सच माया...
लेकिन मैं कैसे विशवास करूँ l
माया - सच... बहुत प्यासी हूँ l
मानस - मैं नहीं मानता प्रूफ दो l
माया - proof ?? वो कैसे ?
मानस - अपनी ऊँगली चूत में डालो और उसकी फोटो भेजो अभी l
माया - तुम्हे sach mein विशवास नहीं ना ruko.... फ़ोन रख देती है और मुस्कुराते हुवे उसे शरारत सूझती है l
वो किचन mein चासनी ढूँढ़ती है, उसमे दो ऊँगली डाल कर गीला करती है और उसकी फोटो मानस को भेज देती है l
मानस जब वो pic देखता है तो उत्तेजित हो जाता है, वो तुरंत माया को फ़ोन करता है l
माया फ़ोन का इंतज़ार ही कर रही थी l
मानस - ओह माया तुम इतनी wet हो l
माया - हाँ my love देखो ना कितनी wet hu subah से ही l (मन ही मन muskuraati हुई )
मानस - ओह माया.. (मानस ऑफिस में अपने केबिन में बैठा लंड बाहर निकाल रगड़ने लगता है, फ़ोन पे उसकी सांस तेज चलने लगती हैं )
माया साँसों की तेज आवाज़ सुन स्थिति को भांपते हुवे पूछती है, क्या कर रहे हो मानस ?

मानस - ओह माया masturbate कर रहा हूँ, u मेड me so crazy
माया - चौंकते हुवे... ओह माय गॉड ऑफिस में ??
मानस - हाँ माया door बंद है केबिन का आअह्ह्ह l
माया - पागल हो तुम, चासनी इतनी अच्छी लगी tumhe? खिलखिलाते हुवे l
मानस - स्पीड कम करते हुवे क्या मतलब है तुम्हारा l
माया जोर से हंस पड़ी.... मानस वो मेरा जूस नहीं... डब्बे से निकला चासनी था जिसे तुम कुछ और समझ रहे l और माया खिलखिलाने लगी l

मानस को माया का ये मजाक बिलकुल रास नहीं आया, गुस्से से उसका face लाल हो गया उसने गुस्से में फ़ोन काट दिया l

माया की हंसी बंद पड़ गई, वो दुबारा फ़ोन की लेकिन मानस ने फ़ोन नहीं उठाया वो कई बार कोशिश की लेकिन हर बार मानस फ़ोन काट देता l आखिरकार मानस ne फ़ोन स्विच ऑफ कर दिया l
माया कसोट के रह गई, उसे ऐसा मजाक नहीं करना चाहिए था l वो खुद पे बहुत शर्मिंदा थी l उसने कई बार sorry लिखा मगर कोई फ़ायदा नहीं मानस तो मोबाइल बंद कर दिया था l

वो उदास सी खड़ी थी जब महेन्द्र वाशरूम से बाहर आया l

महेन्द्र - क्या हुवा बहू ? सब ठीक तो है l
माया झूठी हंसी दिखाती सब ठीक होने का इशारा की, उसका गला भर आया था l
उदास मन से वो नाश्ता दी l महेन्द्र सिंह पेपर पढ़ते हुवे नाश्ता किये l

पुरे दिन माया मानस को फ़ोन लगाती रही लेकिन कोई फ़ायदा नहीं हुवा l देखते देखते शाम हो गई l
काफी देर तक राह देखने के बाद मानस घर आया l माया मानस से लिपट गई और सॉरी बोली l मानस झूटी smile दे बैडरूम में चला गया l बैडरूम से attach वाशरूम में वो फ्रेश हुवा तबतक माया टेबल पे खाना saja दी l dining टेबल पे मानस और महेन्द्र आमने सामने बैठे थे l महेन्द्र के सामने टीवी था तो वो बीच बीच में नज़रें टीवी पे gada देता जबकि मानस के पीछे टीवी थी और वो चुपचाप था l

माया टेबल के पास आती है, टेबल काफी बड़ा था तो वहां बहुत सारे प्लेट्स और हॉट case रखे थे महेन्द्र और मानस के लिए अलग अलग l

महेन्द्र ढक्कन खोल कुछ curry लेता है प्लेट में l मानस भी एक हॉट केस खोलता है curry लेता है मगर दूसरा हॉट केस खोलते ही उसे झटका लगता है l वो तुरंत अपनी हथेली से cover करता है और पापा की तरफ घबराये हुवे देखता hai l मानस के पापा महेंद्र singh तो टीवी में busy the l

माया वहीँ खड़ी मुस्कुरा रही थी l मानस वापस ढक्कन धीरे से खोल देखता है तो उसमे brown कलर की माया की पैंटी थी l और साथ में एक लेटर l मानस सावधानी से लेटर खींचता है l
तभी महेन्द्र सिंह देखते हैं...

महेन्द्र सिंह - अरे बेटा ये क्या तुम खाने के टेबल पे भी ऑफिस का काम लिए बैठे हो l पहले खा लो l

मानस - हाँ पापा its ओके, wo ek client ka कुछ नोटिस था important main padh nahi paya.. To socha dekh लूँ l आप खाइये ना पापा l

महेन्द्र - ओके बेटा l

लेटर.......

My dear husband,

मैं आज सुबह किये गए मजाक के लिए बहुत शर्मिंदा हूँ l मैं आज सारा दिन परेशान रही और dukhi भी l गलती मेरी थी, मुझे maaf कर दो l मैंने बड़ी मेहनत से ये dish ख़ास तुम्हारे लिए बनाई है l उम्मीद है तुम्हे पसंद आएगी l ये पैंटी मैं कल से पहनी थी और अभी 5 min पहले उतारी हूँ l yakeen ना हो तो सूंघ के देख लो l उसमे मेरी चूत की तीव्र महक समायी होगी l हाँ और एक बात पैंटी तुम्हारे सामने है और मैं भी तो तुम समझ ही गए होगे की मैं इस वक़्त गाउन के अंदर बिना पैंटी के तुम्हारे सामने खड़ी हूँ l मुझे subah की हरकत के लिए प्लीज माफ़ कर दो l अगर तुमने मेरी पैंटी सूंघी तो मैं समझूंगी तुमने मुझे माफ़ किया, और अगर नहीं तो पैंटी नीचे फेंक देना l मुझे तुम्हारा माफ़ ना करना भी मंजूर होगा l

तुम्हारी माया

इतनी pyaari letter पढ़ के मानस का गुस्सा ही शांत हो गया l wo माया से नज़रें मिलाये उसका हाथ pakad अपने पास बैठा लिया l उसने टेबल पे पड़े fruits की टोकरी हॉट केस के सामने रख दी l और झुक के ढक्कन खोलते हुवे माया की पैंटी smell किया l वाकई smell बहुत strong थी l माया ख़ुशी से झूम उठी l

तभी महेन्द्र ने उसे ऐसा करते देख लिया l

महेन्द्र - क्या हुवा बेटा कुछ बात है...? क्या smell कर रहे हो l
मानस - कुछ नहीं पापा बहुत भूख लगी है और ये तो माया ने स्पेशल curry बनाया है ख़ास मेरे लिए तो उसकी smell में ही इतना मज़ा है की भूख बढ़ जा रही है l क्यों maya.. मानस माया को छेड़ते हुवे कहा था l
मानस ने माया के जांघो पे गाउन के ऊपर से हाथ फेरा, दोनों एक दूसरे को देख smile दिए l अब सब ठीक हो गया था माया बहुत खुश थी, तभी ऐसा हुवा जिसने माया को शर्म से पानी पानी कर दिया l

महेन्द्र सिंह स्थिति से अनजान बड़े भोलेपन से बोले l
हाँ बहू तू तो बड़े स्वादिष्ट खाने बनाती है जादू है तेरे हाथों में l अरे बहू जरा मुझे भी तो वो curry दिखा तो... अगर मानस बेटा के लिए ही स्पेशल है तो कोई बात नहीं लेकिन इधर ला कम से कम मुझे भी तो अपनी curry ki महक लेने दे बहू l

महेन्द्र सिंह का इतना कहना था माया को जैसे 440 volt का झटका लगा हो l वो चौंक के खड़ी हो गई, जैसे कुछ काट दिया हो l

बाबूजी ईईईई....... (मुंह पे हाथ रखे वो चीख पड़ी और शर्मशार हो गई )

महेन्द्र - ऐसा क्या कह दिया मैंने बहू l
माया - क क क... कुछ नहीं.... आ ... (माया को कुछ नहीं समझ आ रहा था वो क्या बोले... )
उधर मानस की हंसी नहीं रुक रही थी l

मानस - हाँ हाँ दे दो माया l.... (मानस हँस हँस के पागल हुवे जा रहा था, माया को छेड़ने में वो कोई कसर नहीं छोड़ रहा था )

लेकिन माया के लिए तो वहां खड़ा होना भी दूभर हो गया था, वो भाग के किचन में आ गई l दिल की धड़कन किसी जनरेटर के सामान धक् धक् कर रही थी l
Woww very very sexy bahut.
 

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मानस - हाँ हाँ दे दो माया l.... (मानस हँस हँस के पागल हुवे जा रहा था, माया को छेड़ने में वो कोई कसर नहीं छोड़ रहा था )

लेकिन माया के लिए तो वहां खड़ा होना भी दूभर हो गया था, वो भाग के किचन में आ गई l दिल की धड़कन किसी जनरेटर के सामान धक् धक् कर रही थी l

भाग 8

महेन्द्र - अरे क्या हुवा कोई मुझे भी बताएगा l
मानस - कुछ नहीं पापा माया ये curry कल बनायी थी मुझे बहुत पसंद है थोड़ा बचा था तो तड़का लगा दी l और माया आपको बासी curry नहीं देना चाहती l (मानस स्थिति संभालने की कोशिश किया, उधर माया ने भी चालाकी से एक दूसरे कटोरे में अलग curry रख ले आयी l )
(मानस के बगल में बैठी उसकी नज़रें शर्म से अभी भी नीची थी )

महेन्द्र - बस इतनी सी बात बेटा l
क्या बहू तुम भी ना, इतना सोचती हो मेरे लिए l (महेन्द्र वापस टीवी देखते हुई dinner करने laga, स्थिति सम्भल गई थी माया और मानस वापस एक दूसरे को देखते हुवे मुस्कुराये l)

मानस खाते हुवे बाएं हाथ से माया की जांघो पे हाथ फेरता है ऊपर तक तो उसे kahin भी पैंटी की छोर नहीं मिलती, माया बिलकुल नंगी थी अंदर l वो इस अहसास से रोमानचित्त हो जाता है l
मानस - तुम भी khao ना माया l
महेन्द्र - हाँ बहू खाओ l

टेबल के नीचे मानस की उँगलियाँ माया चूत के आस पास हरकत कर रही होती हैं l
वो मुट्ठी बटोरते हुवे माया की गाउन ऊपर खींचने लगता है, कुछ ही देर में माया के घुटने नंगे हो जाते हैं l
माया सुबह हुवे वाकिये को दोहराना नहीं चाहती थी तो वो कोई विरोध नहीं करती बल्कि बड़ी नार्मल होकर अपने ससुर से बातें करती रहती है l

माया - तो पापा मानस के बारे में और बताइये कुछ बचपन के किस्से कितना शैतान थे मानस..
महेन्द्र - बहुत बदमाश था ये,.. स्कूल में एक बार इसने maths teacher की चेयर पे chwingum चिपका दिया था l बाद में इसे बहुत मार भी पड़ी थी l अपनी कॉपी पे मेरा नकली सिग्नेचर कर देता था l

माया - ओह मानस इतने बदमाश थे तुम ?
मानस - वो maths टीचर बहुत खड़ूस थे बच्चों को मारते थे l तो क्या करता l
(मानस ने जवाब dete हुवे टेबल के नीचे गाउन पूरी उठा दी और माया की नंगी खुली बुर को हाथ लगाया )
माया चेहरे का एक्सप्रेशन छिपाते हुवे थूक घोंट पानी पीते हुवे मानस से बोली l

माया - अच्छा और वो बाबूजी का signature वो क्या था l (माया सहमती दिखाते हुवे अपनी नंगी हो चुकी टाँगे फ़ैला दी, जिससे मानस की दो ऊँगली माया की बुर में समां गईं l )

मानस - वो तो मैं पापा के daant से बहुत डरता था l (मानस बहुत ही चालाकी से खाना भी खा रहा था और दूसरे हाथ की दो ऊँगली माया के बुर में पेल रहा था l माया को अब मज़ा आने लगा था, चेयर पे बैठे बैठे वो मचल जा रही थी l)

माया - उम्म्म मानस... तुम्मम तो बड़े बद.... हह..... बदमाश थे l (माया का बुर गीला होने लगा था )

महेन्द्र - बहुत बदमाश था बहू l अब तो शादी के बाद काफी sudhar गया है l

(माया के लिए chair पे बैठना अब मुश्किल हो रहा था, वो बीच बीच में टेबल पे सर झुका कर ससुर जी से छुपाते हुवे गर्म आह भरती l उसे डर था की कहीं वो बाबूजी के सामने ही स्खलित ना हो जाए l तो उसके दिमाग में आईडिया आया वो सोची अब जैसे को taisaa..करना पड़ेगा )

माया - अच्छा बाबूजी आप कैसे थे अपने बचपन में शरारती या शांत l (माया महेन्द्र को question में उलझाए रखी और नीचे से हाथ सीधा मानस के लंड पे रख दी )

महेन्द्र सब से अनजान भोलेपन से उत्तर देता और माया मानस के pant का ज़िप खोल लंड हाथ में ले चुकी थी l

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मानस माया में आये इस बदलाव को देख आनंदित था l माया बिलकुल सहज हो कर बात करते हुवे पति के लंड को stroke दे रही थी, अब मचलने की बारी मानस की थीl

दोनों के बीच जैसे कोई competition हो कभी माया मानस का लंड जोर से हिला देती तो कभी मानस कस के ऊँगली माया की गीली बुर में पेल देता l)

लेकिन मानस फिर भी माया पे भारी पड़ रहा था क्योंकि महेन्द्र माया से बातें कर रहा था और माया के लिए मस्ती भरा expression छिपाना बहुत मुश्किल था l आखिरकार वो कुछ सोच खड़ी हो गई...

माया - ओह मानस ये तुमने curry कैसे गिरा दी फर्श pe l मैं कुछ टॉवल ला के साफ़ करती हूँ l

मानस को कुछ समझ नहीं आया कौन सी curry यहाँ तो कुछ नहीं गिरा माया क्या बोल रही है l

महेन्द्र - अरे बहू डिनर कर लो पहले साफ़ बाद में कर देना l


माया - कोई बात नहीं बाबूजी मैं वैसे भी खा ली, आप खाइये ना l माया हाथ में एक छोटा टॉवल लिए वापस आ गई l

वो अब टेबल टेबल के नीचे बैठ गई l

महेन्द्र - मानस बेटा कल क्या काम हो jayega ?? मैं सोच रहा था काम जल्दी ख़तम कर घर चला जाऊं l

मानस - हाँ पापा कोशिश करता हूँ...
(मानस अपनी बात भी पूरी नहीं किया था की तभी उसे अपने लंड पे कुछ गर्म soft सा अनुभव हुवा l वो नीचे देखा तो शॉक हो गया l
माया के नर्म होंठ मानस के लंड पे फिसल रहे थे l ओह my गॉड क्या अहसास है, आज माया तो उफ़... ये मुझे blowjob दे रही है वो भी मेरे पापा के मौजूदगी में l)

माया टेबल के नीचे से ही मानस के आँखों में देखते हुवे ब्लोजॉब दे रही थी l

महेंद्र - अरे बहू बस भी कर, बाद में कर लेना साफ़ l
(माया टेबल के नीचे से ही लंड मुँह से बाहर निकाल बोली... बस बाबूजी हो गया... और दुबारा लंड चूसने लगी )
फिर उसने मानस का शर्ट पकड़ नीचे झुकाया और कान में धीरे से बोली.... मानस..... गिरा दो मेरे मुहँ में )

मानस को अपने कानों पे मानो यकीन ही ना हुवा l मस्ती में वो chair पे ढीला सा पड़ गया... सर पीछे कर वो कमर को धीरे धीरे झटका देने लगा l माया किसी पोर्न एक्ट्रेस की तरह लंड चूस रही थी मानस के सब्र का बाँध टूट गया वो झटके खाता माया के मुँह में स्खलित होता गया l नीचे नज़रें झुका के देखा तो माया उसे ही देख रही थी, माया का पूरा मुँह सफ़ेद वीर्य से भर गया था मुँह के किनारे से वीर्य बह रहा था फिर भी वो छप... छप.. चूसती रही l

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माया का ये रूप मानस ने कभी नहीं देखा था वो आनंद विभोर था l माया ने ना सिर्फ उसका लंड चूसा था बल्कि उसका सारा वीर्य भी पी गई थी l
माया सेक्सी अंदाज़ से मुँह पोछी और टेबल से बाहर आ गई l

महेन्द्र - हो गया बहू l

माया - हाँ बाबूजी सब साफ़ हो गया.... क्यों मानस सब साफ़ हो गया ना... (आँख मारते हुवे )

मानस तो शॉक में कुछ भी बोल नहीं पा रहा था l
What a kinky blowjob by Maya.
 

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माया - हाँ बाबूजी सब साफ़ हो गया.... क्यों मानस सब साफ़ हो गया ना... (आँख मारते हुवे )

मानस तो शॉक में कुछ भी बोल नहीं पा रहा था l

भाग 9

डिनर के बाद मानस और माया दोनों ही खुश थे वो अपने कमरे में बैठे बातें कर रहे थे l कुछ देर बातें करने के बाद मानस शॉर्ट्स पहन के बेड पे वापस आता है, माया भी बाल खोल कर बिस्तर पे आ गई l कमरे में हल्की रोशिनी छाई थी l
मानस माया को बाँहों में ले कर बेड पे लिटा देता है, होठों को चूमते हुवे उसके हाथ माया के बूब्स पे फिसल रहे थे l गाउन के अंदर ब्रा में माया के बूब काफी उभरे नज़र आ रहे थे l

मानस - आज तो तुमने कमाल कर दिया l
माया - kyon? तुम्हे अपना माल मेरे मुंह में गिराने दी इसलिए बोल रहे हो ?
मानस - हाँ इतना मज़ा पहले कभी नहीं आया माया, वैसे मेरे वीर्य का स्वाद कैसा लगा तुम्हे ?
माया - अच्छा था गरम नमकीन सा गाढ़ा पानी (माया खिलखिलाई )

मानस माया के ऊपर चढ़ उसे रोंदने लगा, माया उसे धकेलती लेकिन मानस तो उसे अच्छे से दबोच लिया था l माया के गाउन के सारे बटन खोल दिए, गाउन ढीला होने के कारण मानस को अंदर हाथ डालने mein कोई परेशानी नहीं हुई वो बड़ी asani से ब्रा उठा दियाl ब्रा उठाते ही माया के गोरे बूब बाहर को आ गए l


converted


मानस नंगे बूब को अपनी आँखों के सामने पा कर खुद को रोक नहीं पाया और नीचे झुक कर उसने माया के नंगे बूब को मुँह में भर लिया l वो दूसरे बूब को हाथों से मसलते हुवे मुहँ से जीभ निकाल माया के निप्पल पे घूमाने लगा l माया अब गरम होने लगी थी, उसकी सिसकारी निकलने लगी l

वो वासना की मस्त में मानस को अपने बूब्स पीला रही थी l
मस्ती में वो एक लम्बी सी moan की..

आआआअह्ह्ह्हह..... maaaanaaaas......
मानस माया की moan सुन उसके मुहँ पे हाथ रखा तो माया ने उसका हाँथ हटा दिया और जोर से moan करने लगी ....


aaaaaaaaaaahhhhhhhh ssssssssss aaaaaaahhhhhhhhhh maaaaaanaaaaas aaaaaaaannnnhhhhhhhh

मानस रुकते हुवे, क्या कर रही हो माया... बगल के रूम में पापा हैं l

माया - (मानस को चिढ़ाते हुवे ) तो क्या हो गया.. उस दिन तो वो दूध वाले काका को तुम मेरी आह सुनाना चाहते थे तुम्हे बड़ा मज़ा आ रहा था तो अब क्या हुवा l

माया और जोर से आह भरी l..... Sssss आआह्ह्ह्हह
मानस - तुम पागल हो गई हो l

माया - (हँसते हुवे ) अरे बुद्धू door बंद है और बाबूजी 10 बजे तक सो जाते hain l तुम करो ना.... माया सेक्स के लिए बहुत उतावली थी l

अपने कोमल निप्पल पे मानस के मुँह की गर्मी पाकर माया खुल के बेशर्मी से moan करने लगी l

उधर महेन्द्र अपने कमरे में बेड पे लेटा था, जब उसे चूड़ियों की खनखनाहट और माया की आह सुनाई दी l उसने सोचा माया और मानस कहीं झगड़ा तो नहीं कर रहे l वो कमरे से बाहर आया चूड़ियों और माया की moaning तेज हो गई वो dabey पाओं door के करीब आया तो उसके होश उड़ गए l

माया मानस से आग्रह कर रही थी...
माया - आह ससस मानस... एक ही को चुसते rahoge क्या ?? मेरी दूसरी बूब को भी तो पियो l

अपने कानो में बहू के उत्तेजक शब्द सुनते ही महेन्द्र के पाओं जम से गए l पायजामा के अंदर उसका लंड मुँह उठाने लगा l
अब चूड़ियों की आवाज़ एक रीदम में आ रही थी, महेन्द्र दोनों की पोजीशन imagine करने लगा मानस के मुँह से बस उमम की आवाज़ अा रही, इसका मतलब बहू की चूची उसके मुँह में है, और लगातार आ रही चूड़ियों की आवाज़ मतलब बहू मानस का लंड पकड़ हिला रही है l

महेन्द्र वासना से भर उठा उसे अपनी बहू का नंगा शरीर देखने की लालसा बढ़ चली थी, मगर कैसे... वो इधर उधर कोई छेद ढूंढ़ता रहा लेकिन कोई फ़ायदा नहीं एक key होल था भी तो उससे बेड की सिर्फ साइड देखा जा सकता था l समय बीतता जा रहा था उसे डर था की कहीं दोनों बाहर ना आ जाएं l तभी उसे door के ऊपर एक gap दिखा, वो बेचैनी से आस पास नज़रें दौड़ाया तो उसे एक चेयर दिखाई दी l

बड़ी सावधानी से वो chair उसने door ke पास लगाया l महेन्द्र को डर तो बहुत था कहीं बेटे बहू ने उसे ऐसा करते देख लिया तो वो जीवन भर उनसे आँख नहीं mila पायेगाl इन सब के बावजूद महेन्द्र की वासना उसके डर पे हावी थी l
वो चुपके से चेयर के ऊपर चढ़ा और अंदर धीमी रोशनी में जो उसने देखा, उसने शायद अपने जीवन में कभी नहीं देखा था l

बहू सर से पाऊँ तक पूरी नंगी थी वो doggy स्टाइल में बेड पे झुकी थी और मानस उसे पीछे से कमर पकड़ चोद रहा था l बहू की नंगी गांड में मानस का लंड लगातार अंदर बाहर हो रहा था l बहू को नंगा देखते हुवे महेन्द्र ने चेयर पे खड़े खड़े झटपट पायजामा नीचे कर दिया और लंड बाहर निकाल मुट्ठ मारते हुवे वो हवा में कमर हिलाने लगा जैसे की वो भी बहू को चोद रहा हो l

अन्दर मानस कभी माया को chodata kabhi उसकी चूत चाटता तो कभी अपना लंड उसके मुँह में डालता l माया भी आज भरपूर साथ दे रही थी l महेंद्र सब देख रहा था उसे तो मानो अपनी आँख पे यकीन नहीं था सबकुछ सपना जैसा लग रहा था l माया किसी रंडी की तरह सेक्स का मज़ा ले रही थी, मध्यम रौशनी में भी माया का gora बदन चमक रहा था l महेन्द्र हल्की रोशिनी में साफ़ साफ़ तो नहीं देख paya लेकिन बहू के शरीर का कटाव, उसकी चौड़ी गांड, मोटी दोनों जांघ और गदराया बदन उसके लंड में बेतहाशा हलचल मचा रही थी l


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माया कस कस के चुदवाती रही, गांड पे मानस का लंड फट फट ki आवाज़ के साथ टकरा रहा रहा था l
थोड़ी देर चुदाई के बाद बाद मानस अपने लंड का माल माया के face पे छोड़ देता है l माया मुट्ठ से नहा ली थी, उसकी फेस पे मानस वीर्य की लम्बी लम्बी धार छोड़ रहा था... माया चेहरे पे लगे मुट्ठ को उँगलियों से पोछ चाट रही thi.

964-450

महेन्द्र को पता नहीं था की उसकी संस्कारी बहू इतनी ज्यादा चुदक्कड़ है जो मुट्ठ को भी चाट के मज़ा लेती है l ये सब देख अब उसका भी पानी निकलने वाला ही था...वो माया का नंगा बदन देखते हुवे मुट्ठ मार रहा था, जैसे ही उसका क्लाइमेक्स आया उसने लंड को पायजामा के अंदर डाल दिया l लंड का ढेर सारा पानी पायजामा के अंदर ही बह गया l उसके बाद
Chair साइड में रख वो भीगे पायजामा में ही दबे अपने कमरे में आ गया l

बिस्तर पे लेटे हुवे महेन्द्र की आँखों के सामने बस उसकी बहू का नंगा शरीर था l उसकी चुदासी हरकत बार बार महेन्द्र के आँखों के सामने घूम रही थी l वो दुबारा गीले पायजामा में हाथ डाल लंड को सहलाने लगा l महेन्द सोचने लगा आज कल की लड़कियाँ कितना खुल गई हैं सेक्स का पूरा मज़ा लेती हैं l और बहू तो उफ़.... कितना चुदवा रही थी क्या वो और भी मर्दों से chudi होगी ? महेन्द्र के मन में हज़ारों सवाल थे l

बहू की चौड़ी गांड पे मानस का लंड कैसे थप थप कर रहा था... ओह........बहू मेरा भी लंड ले ले अपनी प्यासी बुर में l बोलते huwe... आआअह्ह्ह्हह.... बहू...... ये दूसरी बार था जब महेन्द्र के लंड ने पिचकारी छोड़ दी l

2 बार झड़ने के बाद भी महेन्द्र का लंड खड़ा था, होता भी क्यों नहीं उसने जो देखा था वो वाकई मज़ा से भरा था l

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महेन्द एक पल के लिए भी माया को बहू की तरह नहीं सोचता बल्कि उसे एक गरम बदन की मालकिन की तरह देखता l उसे तो बस बहू की बुर चोदना था l करीब 1 घंटा बीत चूका था लंड का तनाव ख़त्म ही नहीं हो रहा था की तभी माया के बैडरूम का door खुला और चूड़ियों की आवाज़ आयी l

ये बहू इस वक़्त... उफ़ उसने पास पड़े चादर को अपने ऊपर खींच लियाl

माया महेन्द्र के कमरे की तरफ ही आ रही थी l
माया - धीमी आवाज़ में... बाबूजी... बाबूजी...

महेन्द्र करवट लिए हुवे था l माया जैसे ही कमरे में आयी उसकी नथुनों में जैसे कोई जानी पहचानी महक समां गई,,, वो नाक पे ऊँगली रख कुछ सोच ही रही थी की महेन्द्र बोला... क्या हुवा बहू ?

आ.... बाबूजी अपने अपनी दवाई ली आज ?

महेन्द्र - ओह नहीं बहू l भूल गया l
माया बेड के पास खड़ी हुई, महेन्द्र भी जैसे ही बैठने के लिए चादर हटाया माया को वो अनजानी अजीब सी महक और तेज सुंघाई दी l

माया तुरंत पहचान गई... (अपने मन mein)...उफ़ ये तो वीर्य की स्मेल है, यहाँ kaise.. ??

माया ने चुपके से अपना गाउन सूंघा...उसे लगा शायद मानस का वीर्य की smell उसकी बॉडी से आ रही है l... यहाँ से to.नहीं आ रही मैं तो सब साफ़ कर दी थी.. और ये स्मेल तो बहुत strong है l जैसे ताज़ा निकला हुवा वीर्य l

तो क्या बाबूजी नहीं nahi nahi...
लेकिन क्यों नहीं हो सकता... हो ना हो बाबूजी अपनी पत्नी को मिस कर रहे hain... ओह मैं ये क्या सोच रही हूँ l... माया दुबारा बोली

माया - बाबूजी आप लिविंग हॉल में बैठिये मैं अभी लाती हूं दवाई l

महेन्द्र - ओके बहू,

महेन्द्र बेड से उठकर सीधा लिविंग hall में आ gaya.. माया किसी जासूस की तरह चादर उठा के सूंघी... वही smell, उसका धयान बेड पे गया जहाँ महेन्द्र का ताज़ा वीर्य गिरा था. वो देखते ही समझ गई फिर भी confirm करने के लिए वो झुक के स्मेल कीl गाढ़े मुट्ठ की smell मानस के मुट्ठ से कहीं ज्यादा थी उसे पक्का यकीन हो गया l

माया सोचने लगी लगता है बाबूजी सच mein सासू मां को बहुत मिस कर रहे hain....... बेचारे l मैं और मानस तो सेक्स के बगैर बिलकुल नहीं रह पाते और मानस भी तो जब मैं नहीं होती तो हाथ से ही वीर्य निकालते हैं l

शायद बाबूजी भी बहुत मजबूर हैं और हाथ से ही काम चला रहे हैं l अब समझी क्यों बोल रहे थे dinner के टाइम की घर जाना है l
माया ऐसे खुश हो रही थी जैसे उसने कोई क्राइम केस solve कर लिया हो l

महेन्द्र - लिविंग हॉल से... क्या हुवा बहू l
माया - (माया का ध्यान toota).....आ आ आयी बाबूजी ll

माया jhatpat dava ली और लिविंग हॉल की तरफ बढ़ चली l
महेन्द्र उसे आते हुवे चोदने वाली नज़र से देख रहा था, ख़ास कर कमर से नीचे का हिस्सा जहाँ माया ने जन्नत छुपा रखी थी गाउन के अंदर l

सोफे पे बैठा महेन्द्र लेकिन उसका लंड बिलकुल सीधा था खड़ा हवा में l

माया - ये लीजिये बाबूजी l
महेन्द्र दवा लिया और पूछा क्यों बहू तुम्हे नींद नहीं आ रही... क्या कर रही थी l(महेन्द्र का question में शरारत थी )

माया - कुछ नहीं बाबूजी बातें कर रही थी l
महेन्द्र - आ ना मेरे पास बैठ, मुझसे बातें नहीं करेगी ? आज मुझे भी नींद नहीं आ रही l
माया - जी बाबूजी क्यों नहीं.... l
महेंद्र - मानस क्या कर रहा है l
माया - वो सो गए बाबूजी l
Hot update. Mahendra trying to seduce Maya.
 
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