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Incest Ghar ki randiya

RishabhAN

New Member
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दोस्तो यह कहानी मैंने बहुत पहले सुरु किया था लेकिन परिचय देने के बाद इसको आगे नही लिख पाया लेकिन अब मैं इस कहानी को दुबारा से सुरु करने जा रहा हु एक नए रूप में इसमे incest के साथ हल्का फैंटसी भी होगा पर हीरो के पास कोई सुपरपॉवर नही होगा



अपडेट 1


अब पेपर खत्म हो चुका था इसलिए गर्मियों के मौषम में कोई और काम तो था नही ।खेतो में गेंहू की कटाई का काम था जिसे पापा ने मशीन से सब करवाकर गेंहू और भूषा दोनो ही एक ही दिन में घर मे आ गए थे और मई के महीने में धूप इतना तेज होता है कि कंही भी जाना संभव नही होता है तो मैं भी दिन में गांव से बाहर जो आम का बाग था उसमें ही अपने दोस्तों के साथ बैठ कर बाते और मौज मस्ती किया करते थे ।पूरे दिन हम लोगो के पास और कोई काम तो होता नही था । आज भी दोपहर को मैं और मेरे दोस्त कल्लू और मोहन तीनो बैठ कर आपस मे बाते ही कर रहे थे तभी कल्लू बोला
कल्लू " यार ऐसे तो दिन काटने से रहे चल ना किधर घूम कर आते है ।साला इस धूप में तो लडकिया भी बाहर नही आती है जिनके साथ थोडा मजा लिया जाय ।"
कल्लू की बात सुनकर मोहन बोला
मोहन " साले हर वक्त तेरे दिमाग मे यही सब बातें चलती रहती है ।पता है ना तुझे कल ठाकुर के बेटे ने हरिया के बेटी को उठा ले गया है और कल से अभी तक वह घर नही आई है और यह तो अब आये दिन का हो गया है ठाकुर का बेटा किसी ना किसी को उठा लेता है और डर की वजह से कोई कुछ करता नही है इसलिए उनकी हिम्मत बढ़ती जा रही है । "
मैं " हा यार यह तो ठीक बोल रहा है उस ठाकुर का कुछ तो करना पड़ेगा वरना किसी दिन साला हमारी बहनो पर भी हाथ डाल देगा ।"
कल्लू " जो भी करना होगा बहुत सोच समझ कर करना होगा वरना तुम सब तो जानते ही हो कि यंहा का दरोगा पाटिल भी उसका ही कुत्ता है एक बार गांव का एक आदमी गया था उसके पास शिकायत करने के लिए तो अगले दिन उस आदमी की और उसके दोनों बेटों की लाश मिली थी और उसकी घर की औरतें आज भी ठाकुर की रखैल बन कर रह गई है ।”
तभी मोहन को कुछ याद आया तो वह मुझसे बोला
मोहन "यार सुना है कि ठाकुर की बेटी कल की आई हुई है और बहुत ही खूबसूरत है अगर उसे कोई पटा ले तो काम बन जायेगा ।"
मैं " अबे साले पागल तो नही हो गया जो तू ऐसी बात कर रहा है ।अगर ठाकुर या उसके आदमियो ने देख लिया ना तो गांव में दौडा कर मारेंगे और कोई बचाने वाला भी नही आएगा। "
अभी हम यही बाते कर ही रहे थे कि तभी मेरी बहन सोनिया दीदी हमारी तरफ आती हुई दिखाई दी तो कल्लू बोला
कल्लू " यार तेरी दीदी आ रही है मैं तो जा रहा हु अगर उन्होंने मुझे देख लिया तो पक्का वाट लगा देंगी मेरी मैं तो चला साम को मिलता हु।"
मोहन "यार मेरी एक बात समझ मे नही आती है कि तू सोनिया दी को देख कर भागने क्यों लगता है ।"
कल्लू“ अभी तो मैं जा रहा हु बाद में इस बारे में तुझे बता दूंगा।”
इतना बोल कर कल्लू भी निकल लिया तो मैं मोहन से बोला
मै " यार अब तो दीदी भी आ रही है और मुझे पक्का यकीन है कि लिए बिना तो यह जाने से रही तो अब मैं भी घर चलता हूं शाम को मिलते है ठीक है।"
इतना बोलकर मैं भी सोनी दीदी की तरफ चल दिया। मुझे आते हुए देखकर वह रूक गई और जब मैं उनके पास गया तो वह बोली
सोनी दीदी " पूरे दिन सिर्फ घूमता रहता है चल मा बहुत गुस्सा है और तुझे बुला रही है ।वह तो खुद ही आ रही थी पर मैंने उन्हें मना किया और बुलाने को आ गयी ।"
दीदी की बात सुनकर मेरी गांड फट गई क्यूंकि माँ जल्दी किसी पर गुस्सा करती नही है और एक बार हो गयी तो फिर उनको मनाना बहुत मुश्किल हो जाता है और अगर मेरी किसी बात पर गुस्सा है तो पक्का मेरी वाट लगनी तय है आज । दीदी मुझे यू खड़ा देख कर बोली
सोनी दीदी ” अब यंहा पर खड़े हो कर क्या सोच रहा है चल जल्दी से वरना अगर मा गयी तो बहुत मार पड़ने वाली है तुझे"
दीदी की बात सुनकर मैं जल्दी जल्दी घर की तरफ चल दिया तो सोनी दीदी भी पीछे पीछे आने लगी ।जब मैं घर पर पहुचा तो देखा कि माँ बाहर ही पेड़ की नीचे खाट डाल कर पापा से बात कर रही थी मैं तुरन्त उसके पास गया और खडा हो गया कुछ देर तक माँ और पापा ने ध्यान नही दिया लेकिन मेरे इस तरह खड़े रहने पर माँ बोली
माँ " क्या बात है रोहन तू ऐसे क्यों खड़ा कोई बात है बोल ।"
मैं माँ के इस तरह से बोलने पर समझा कि माँ मुझसे नाराज है इसलिए ऐसा बोल रही है तो मैं बोला
मैं ” माँ अगर कोई गलती हुई है तो मार ले पर इस तरह से गुस्सा मत कर तू जानती है ना कि मैं तेरा गुस्सा नही सहन कर पाता हूं ।"
मेरी बात को ना समझ पाने के कारण बोली
माँ ” तू क्या बोल रहा है मैं कुछ समझ नही पा रही हु ।"
हमारी बात जो इतनी देर से पापा सुन रहे थे और सोनी दी को मेरे पीछे हस्ते हुए आते देखकर वह समझ गए कि सोनी दीदी ने कुछ बोला है जिसकी वजह से मैं ऐसा बोल रहा हु तो वह बोले
पापा " उर्मिला यह सब तेरी बेटी की कारस्तानी है उसने ही इसे कुछ बोला है जिसकी वजह से यह ऐसी बात कर रहा है ।पहले पूरी बात जान लो फिर कुछ बोलना।"
इसके बाद मैंने माँ को पूरी बात बता दिया जो कि सोनी दीदी ने मेरे को बोला था तो माँ गुस्से में बोली
माँ ” यह लड़कियां कभी नही सुधर सकती है ।हर वक्त बस इनको मजाक ही सूझता है बिना बात को ही मेरे बेटे को डरा दिया इन सबने ।तू यही रूक मैं देखती हूं उन सबको।"
इधर जब मेरी हालत देखकर हस्ती हुई सोनी दीदी अंदर गयी तो नीलू दीदी और भाभी बैठ कर आपस मे बात कर रही थी ।जब नीलू दीदी ने सोनी दीदी को देखा तो वह बोली
नीलू दीदी " क्यों रे यंहा से तो बोल कर गयी थी बिना उसे साथ लिए घर नही आएगी फिर अकेली क्यों आयी है ।"
सोनी दीदी " उसे भी लेकर आई हूं पर इस वक्त वह माँ के पास गया ।बस कुछ ही देर में आता ही होगा।”
भाभी सोनी दी की मुस्कान को देखकर बोली
भाभी ” सच बताओ कि तुमने देवर जी को क्या बोल कर बुलाई हो ।तुमने जरूर कुछ माँ जी के बारे में बोला है तभी वह सीधे उनके पास गए है ।लगता है यंहा पर भी तुमने अपनी मस्ती दिखा ही दिया ।"
नीलू दीदी भाभी की बात सुनकर सोनी दीदी की तरफ देखने लगी और अभी वह कुछ बोल पाती इससे पहले ही माँ बाहर से आते हुए सोनी दीदी के कान को पकड़ लिया और बोला
माँ "क्यों रे हर वक्त तुझे मस्ती सूझती है ।एक काम तो ठीक से करती नही है बस सारा दिन मस्ती में निकाल देती है और ऊपर से जब देखो तब रोहन को परेशान करने का कोई ना कोई तरीका खोजती ही रहती है ।"
माँ के कान पकड़ने से भाभी और नीलू दीदी को समझ मे आ गयी कि इसने कोई सरारत किया है जिसकी वजह से माँ इसके ऊपर गुस्सा कर रही है तो भाभी बोली
भाभी " माँ जी मैंने ही बोला था देवर जी को बुलाने के लिए वह मुझे उनसे कोई काम था इसमे इनकी कोई गलती नही है।"
माँ ” इसमे तुम्हारी कोई गलती नही है अब कोई काम होगा तो तुम उसे नही बुलाओगी तो फिर किसे बोलोगी पर जिस तरह से इसने बुलाया है उस वजह से इसे तो सजा मिलेगी दिन पर दिन घोड़ी होती जा रही है पर अक्ल थोडा भी नही है इसके पास।"
माँ की बात सुनकर जंहा नीलू दीदी और भाभी को हँसी आ गयी वंही पर सोनी दीदी के कान दर्द करने लगे क्यूंकि माँ ने अभी तक उनके कान को नही छोड़ा था तो सोनी दीदी बोली
सोनी दीदी "माँ मेरे कान तो छोड़ दो दर्द कर रही है मेरे कान ।"
माँ " तूने उसे झूठ क्यों बोला कि मैं उसके ऊपर गुस्सा हु तू उसे सीधे तरह से तो भी बोल सकती थी ना कि उसकी भाभी बुला रही है तो क्या वह आने से मना करता ।"
सोनी दीदी " माँ छोड़ दे ना मैंने बस हल्का सा मजाक किया था उसके साथ ।जब मैंने उसे बोला कि माँ गुस्से में तेरा इन्तजार कर रही है तो उसका मुंह देखने लायक हो गया था ।"
माँ " ठीक है आज तो छोड़ रही हु पर आगे से कोई मस्ती की तो मार पड़ेगी तुझे समझी और बहू मैं उसे भेज रही हु तुम देख लेना उसे ठीक है।"
भाभी ”जी माँ वह बाजार से कुछ सामान लेकर आना है इसलिए नीलू को लेकर उसे बाजार जाना है बस इसके लिए ही बुला रही थी और कोई बात नही थी ।"
माँ ” ठीक है मैं भेज रही हु पर जल्दी से ही वापस आ जाना तुम तो देख ही रही हो कि वह ठाकुर ताकत के नशे में आजकल पागल हो गया है इसलिए तू अंधेरा होने से पहले घर आ जाना समझी मेरी बात।"
नीलू दीदी " अरे माँ मुझे उतना समय कन्हा लगने वाला है बस एक घंटे में वापस आ जाउंगी और तू चिंता मत कर रोहन भी तो होगा मेरे साथ ।"
माँ इतना सुनकर बाहर आ गई और मुझसे बोली कि
माँ " रोहन वह तेरी भाभी का कुछ सामान मंगवाना है इसलिए उसने तुझे बुलाया था इसलिए वह तुझे बुलाने गई थी और उसे लगा कि तू ऐसे नही सुनेगा तो मेरा नाम ले लिया ।एक बात का ध्यान रखना नीलू तेरे साथ जा रही है तो तू गांव का हाल देख ही रहा है इसलिए उसका ध्यान रखना जितनी जल्दी हो सके घर आ जाना समझे मेरी बात ।"
मैं माँ की बात सुनकर घर मे गया और तैयार हो कर बाहर आ गया और अपनी बाइक साफ करने लगा तभी नीलू दीदी तैयार हो कर बाहर आई और जब वह आयी तो मैं उन्हें देखता ही रह गया ।वह पूरा कयामत लग रही थी मेरा मुह खुला ही रह गया उन्हें देखकर । वह इस ड्रेस में बहुत ही खूबसूरत लग रही थी।

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दीदी मेरे पास आई और मुझे धीरे से बोली
नीलू दीदी " मुह को बन्द कर ले वरना मक्खी घुस जाएगी मुँह में तू तो ऐसे देख रहा है जैसे कि आज से पहले तूने मुझे देखा ही नही हो।"
मैं दीदी की बात सुनकर शर्म से अपना सर झुका लिया और बाइक स्टार्ट करके बोला
मैं " दीदी ऐसी कोई बात नही है ।आज आप बहुत खूबसूरत लग रही है बस इसलिए आपको देखता रह गया चलिए हमे देर हो रही है ।"
तभी मेरी नजर बड़े चाचा के घर की तरफ पड़ी तो वंहा से सोनू दीदी(सोनम) अपनी स्कूटी निकाल रही थी और उनके साथ प्रीति भी तैयार होकर बाहर आ रही थी ।आज वह दोनों भी काफी खूबसूरत लग रही थी ।मैं तो बस आज अपनी बहनों के जलवे ही देख रहा था और यह सब देख कर मेरा बाबूराव भी अपनी औकात में आ रहा था इसलिये मैं अपना ध्यान उन दोनों लोगो पर से हटा कर नीलू दीदी से बोला
मैं "ओह तो इसका मतलब पूरी पलटन आज खरीदारी करने जा रही है ।"
नीलू दीदी " हा वह कुछ सामान लेना है हम सबको इसलिए जा रहे तुझे कोई दिक्कत है तो बोल।"
तभी पीछे से प्रीति आती हुई बोली
प्रीति " क्या दीदी आप भी इस बन्दर को हम अपने साथ लेकर जा रहे है यह कम थोडी और फिर भला इसे काम ही क्या है दिनभर अपने आवारा दोस्तो के साथ घूमता ही रहता है ।"


सोनू दीदी
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प्रीति
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अब सोनम दीदी तो जब भी बाहर जाती तो उनका ड्रेस ऐसा ही होता था पूरे गांव के लड़के इनके आगे पीछे घूमते है पर यह है कि किसी को भी घास नही डालती थी।अब ठाकुर के बाद हमारा परिवार था जो कि गांव में उसके बाद जमीन और रुपया पैसा में आता था और उसमें भी बड़े चाचा और छोटे चाचा दोनो ने अच्छी खासी जमीन और पैसा बना लिया था। उन दोनों लोगो की माली हालत हमसे कंही बेहतर थी। इधर मेरी बाइक पर दीदी और सोनू दी ने प्रीति को लेकर चल दिये ।अब हमारे गांव से सहर कोई चालीस मिनट के दूरी पर है और धूप भी कुछ तेज थी जिसकी वजह से उन तीनों ने अपने चेहरे को पूरी तरह से ढक रखा था ।ऐसे ही हम लोग बाजार आ गए ।
 

hiakarji

Incest lover 😘😘😘
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Dear is it possible, this story writing is change into roman english. Because some readers like me and others are not understand hindi font. If it's possible then all reader are read your story easily.
 
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Reactions: Jutt mastana

Masoom bacha

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Bhai ap hinglish mai liky gye tu sari usi mai likhna
Jesy abhi likhi hai humy pta nhi chal raha kiya lihka hai ab sab new likhna
 

hiakarji

Incest lover 😘😘😘
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thanks for comment
or aap logo ke bolne par hinglish me hi story age se likhunga
Dear,
Thanks 4 giving positive response. Hope u start story again in roman english.
Best of luck.
 

hiakarji

Incest lover 😘😘😘
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Dear,
Thanks 4 giving positive response. Hope u start story again in roman english.
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