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Fantasy HAWELI (purani haweli, suspence, triller, mystry)

gauravrani

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और इस वक्त कैसी शरम से गड़ी जाने की एक्टिंग कर रही थी। सिर झुकाये हुए अंगूठे से फर्श को कुरेदने की कोशिश करती हुई। कमरे में खामोशी छाई हुई थी, मगर जूही और शीला की सूरतें बता रही थीं कि दोनों ठठाकर हंसना चाहती थीं, जैसे मेरी रैगिंग करके बहुत बड़ा तीर मार दिया हो। ‘‘कॉफी ठंडी हो रही है।‘‘ - कहते हुए जूही ने दो कपों में हमें कॉफी सर्व की और तीसरा खुद लेकर बेड पर आलथी-पालथी मारकर बैठ गयी। ”अब बताओ किस्सा क्या है?“ जवाब में दोनों में से कोई कुछ नहीं बोला। शीला की निगाहें जूही पर टिकी थीं और जूही के चेहरे से यूं महसूस हो रहा था जैसे वो किसी दुविधा की शिकार हो। ”क्या हुआ?“ ”सोच रही हूँ“ - वह बोली - ”कहाँ से शुरू करूँ?“ ”फिर तो शुरू से ही शुरू करो, क्योंकि शुरूआत के लिए वही सबसे अच्छी जगह होती है।“ उसने समझने वाले अंदाज में सिर हिलाया फिर बोली - ”देखो मैं जो कुछ कहने जा रही हूँ वो सुनने में तो बेहद अटपटा लगता है, मगर सौ फीसदी सच है।“ ”सच कभी भी अटपटा नहीं होता ब्राईट आईज, तुम अपनी बात शुरू करो।“
 
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देखो जाने क्यों पिछले कुछ अरसे से मुझे ऐसा महसूस हो रहा है जैसे कि इस हवेली में मेरे खिलाफ कोई षणयंत्र रचा जा रहा है। जैसे कि कोई मुझे जान से मार डालना चाहता है। जैसे कि कोई जानबूझकर सुनियोजित तरीके से मुझे पागल साबित करने की कोशिश कर रहा है - और कामयाब हो रहा है। मुझे अपना वजूद खतरे में नजर आ रहा है, हर वक्त एक अंजाना सा डर मेरे दिलो-दिमाग पर हावी रहता है, लाख कोशिशों के बावजूद भी मैं खुद को उस डर से अलग नहीं कर पाती, मैं जितना अधिक इस बारे में सोचती हूँं उतना ही मेरे भीतर का डर मुझपर हावी होता जाता है। हर वक्त किसी अनदेखे खतरे को मैं अपने आस-पास मंडराता हुआ महसूस करती हूँ। मगर ऐसा क्यों है, इसका जवाब तलाशने की कोशिश में मैं और अधिक उलझकर रह जाती हूं। मैं मरने से नहीं डरती मगर किसी षणयंत्र का शिकार होकर अपनी जान गवां देना मुझे मंजूर नहीं। पागल साबित करके पागलखाने भेज दिया जाना भी मुझे मंजूर नहीं। उससे तो अच्छा है मैं खुद अपनी जान दे दूंं।“ बोलते-बोलते, उसके दिल का दर्द आंखों में छलक आया था। ”अभी-अभी तुमने कहा कि कोई तुम्हे जान से मार डालना चाहता है, कौन?“
 

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”मुझे नहीं मालूम।“ ”किसी पर शक है तुम्हे कि वो तुम्हारी जान ले सकता है।“ ”नहीं।“ ”फिर तुम्हें ऐसा क्यों महसूस होता है?“ ”क्योंकि.....क्योंकि, पहले भी एक बार ऐसी कोशिश की जा चुकी है, मगर कोई भी मेरी बात का यकीन नहीं करता, सब कहते हैं कि मैं पागल हो चुकी हूँ, मेरा दिमाग हिल गया है। हे भगवान! ये किस मुसीबत में फंस गई हूं मैं! अब तो हवेली के नौकर भी मेरी तरफ यूं देखते हैं मानों मुझपर तरस खा रहे हों।“ ”किसने की थी तुम्हारी जान लेने की कोशिश?“ ”मालूम नहीं वो अपने मुँह पर नकाब चढ़ाये हुए था ऊपर से कमरे में बहुत अंधेरा भी था। मैं तो यही सोचकर हैरान हूं कि कमरे का दरवाजा बंद होने और लाइट ऑफ होने के बावजूद वहां उतना उजाला कहां से था कि मैं उसे अपनी तरफ बढ़ता देख पाई। वरना वो बड़े आराम से अपना काम करके चला जाता फिर लोगों के ज्ञानचक्षु खुलते और लोगबाग कहते - अरे जूही सच ही कहती थी, कि कोई उसकी जान लेना चाहता है- उसने बड़े इत्तमिनान से मुझपर मेरे कमरे में गोली चलाई। जोरदार आवाज गूंजी थी मगर किसी को सुनाई नहीं दी। उसका निशाना miss
 
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हो गया, मै चीखती चिल्लाती उससे बचने की कोशिश में बाहर की तरफ भागी और उसी पल मेरी चीख सुनकर ऊपर आ रहे प्रकाश से इतनी बुरी तरह टकराई की उसे लिए-दिए सीढ़ियों पर लुढ़कती चली गई। मगर बाद में जब सभी ने मेरे कमरे में आकर देखा तो वहाँ कोई नहीं था और ना ही उसकी चलाई गई गोली ही बरामद हो सकी।“ ”तुमने उस घटना की पुलिस में रिपोर्ट लिखवाई।“ ”नहीं“ ”क्यों?“ ”क्योंकि सभी का कहना था कि मैंने कोई भयानक सपना देखा था और डर गई थी। हकीकतन वे सब कहना चाहते थे कि ये सब पागल का प्रलाप था, मगर मेरा लिहाज किया जो नहीं बोला।“ ”प्लीज डोंट माइंड, क्या ऐेसा हो सकता है कि वह सचमुच सपना ही रहा हो?“ ”मेरा दिल यह मानने को हरगिज भी तैयार नहीं है, मगर फिर भी मैंने प्रकाश की बात मानी! मैं पुलिस के पास नहीं गई।“ ”खैर फिर क्या हुआ, क्या दोबारा वैसी कोई और कोशिश हुई?‘‘ ”नहीं“ - वो बोली - ”मगर एक दूसरी घटना जरूर घटित हुई?“
 
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”वो क्या थी?“ ”मैं अपने कमरे में सोई हुई थी, तब तकरीबन बारह के आस-पास का वक्त हुआ होगा, अचानक ही किसी के जोर-जोर से हँसने की आवाज सुनकर मेरी नींद उचट गई। मैंने आँख खोलकर देखा तो मेरे सामने एक नर कंकाल खड़ा जोर-जोर से अट्टहास कर रहा था। उस कंकाल के शरीर से कोई अदभुत तेज निकल रहा था। मैं जोर से चिल्ला पड़ी और डर कर मैंने आँखें मींच ली। थोड़ी देर बाद किसी ने जोर-जोर से दरवाजा भड़भड़ाया, डरते-डरते मैंने आंखे खोलकर देखा तब कमरे में कहीं कोई नहीं था। मैंने उठकर दरवाजा खोला, दरवाजे पर प्रकाश खड़ा था, मेरी बात सुनकर वो हँसता हुआ बोला - लगता है तुमने फिर कोई डरावना सपना देख लिया है - मगर उसके पांच दिन बाद ही जब चौकीदार को भी कंकाल दिखाई दिये और वह डरकर नौकरी छोड़कर चला गया तो सबके मुंह पर जैसे ताला पड़ गया।“ ”अब जरा अपने पिता की मौत के वाकये पर आओ - भगवान उनकी आत्मा को शांति दें - मुझे पता चला है कि तुम्हारी बर्थ-डे पार्टी वाली रात को वो हादसा हुआ था।“ ”ठीक पता चला है, मगर मैं नहीं मानती की वो कोई हादसा था। नहीं वो दुर्घटना नहीं थी, बल्कि किसी ने socho
 
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समझे सुनियोजित ढंग से उनकी हत्या कर दी थी। वे छत से खुद नहीं गिरे थे, बल्कि किसी ने उन्हें धकेल कर नीचे गिरा दिया था।“ ”किसने?“ ”इसी बात का तो अफसोस है विक्रांत कि मेरे पास किसी भी प्रश्न का कोई जवाब नहीं है, होता तो इतनी लानत नहीं झेल रही होती।“ कहते हुए वह हौले से सिसक उठी। ”फिर भी ऐसा सोचने की कोई तो वजह होगी तुम्हारे पास।“ उसने सहमति में सिर हिलाया। ”मुझे बताओ।“ ”सुनो पुलिस का कहना है कि वे अत्याधिक नशे में थे, और नीचे गिरने से ठीक पहले वो रेलिंग से बाहर झुककर कुछ देख रहे थे या फिर किसी नौकर को आवाज लगा रहे थे। नशे में होने की वजह से उनका संतुलन बिगड़ गया और वे सिर के बल छत से नीचे गिर पड़े।‘‘ - इस बार वो लगभग रोती हुई बोली - ‘‘मैं ये नहीं कहती कि उन्होंने शराब नहीं पी थी, मगर जितनी शराब उन्होंने उस रोज पी थी, वो उनके लिए ऊँट के मुँह में जीरे समान थी। नशे में होने का तो सवाल ही नहीं उठता, तुम यकीन नहीं करोगे मेरे डैडी उन लोगों में से थे जो कि शराब की पूरी
 
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बोतल डकार कर भी सामान्य बने रहने की क्षमता रखते हैं।“ ”क्या पता उन्होंने तुम्हारे सामने कम शराब पी हो और बाद में, छत पर जाने से पहले किसी वक्त वो अपने कमरे में गये हों और वहां छककर पी ली हो।“ ”क्यों भई पार्टी में पीने पर क्या कोई पाबंदी थी?“ ”नहीं, फिर भी ऐसा हुआ हो सकता है।“ ”नहीं हो सकता क्योंकि पोस्टमार्टम कि रिपोर्ट के अनुसार जितनी अल्कोहल उनके शरीर में पाई गई, उस हिसाब से डैडी ने मुश्किल से दो या तीन पैग शराब पिया था, जितना पीते हुए मैंने या दूसरे मेहमानों ने उनको देखा था।“ ”ये बात तुमने पुलिस को बताई थी।“ ”हाँ मगर उन्होंने मेरी बात को नजरअंदाज कर दिया। सिर्फ इस बिना पर कि कत्ल का कोई भी सम्भावित कैंडिडेट उनकी निगाह में नहीं आया। डैडी के कत्ल से अगर किसी को तगड़ा फायदा पहुँच सकता था तो वो सिर्फ मैं थी, और मुझ पर शक की कोई गुंजाइश नहीं थी। क्योंकि मैं हर वक्त पार्टी में बनी रही थी, एक मिनट के लिए भी पार्टी छोड़कर कहीं नहीं गई। इसे इत्तेफाक ही कहो कि उस रोज मैं हर घड़ी पार्टी में मौजूद थी वरना अमूनन ऐसी पार्टियों से मैं बहुत जल्दी बोर हो जाती हूं और जाकr
 
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अपने कमरे में सो जाती हूं या पीछे बाग में टहलने चली जाती हूं।“ ‘‘प्रकाश ने बताया कि आठ बजे छत पर टहलने जाना उनकी रोजमर्रा की आदत थी।‘‘ ‘‘हां यह उनका रूटीन वॉक था, जो वह पिछले दस सालों से बिना नागा करते आ रहे थे। तुम यूं समझ लो रात को आठ बजे का टाइम जानने के लिए उन्हें घड़ी देखने की भी जरूरत नहीं पड़ती थी। ठीक आठ बजे उनके कदम खुद बा खुद छत की ओर चल पड़ते थे।‘‘ ”ओह! तुम्हारे बताने के अंदाज से लगता है कि उस रोज की पार्टी काफी बड़ी पार्टी थी।‘‘ ‘‘अफकोर्स बड़ी पार्टी थी और पार्टी में कई बड़ी हस्तियां शामिल थीं, इसलिए भी पुलिस ज्यादा बारीकी से इंवेस्टिगेशन को अंजाम नहीं दे पाई थी। कई तो ऐसे लोग भी थे जिनसे सवाल पूछना तो दूर उनके पास फटकने की हिम्मत भी पुलिस की नहीं हुई। लिहाजा औना-पौना, जां़च-पड़ताल के बाद पुलिस ने केस को ठंडे बस्ते में डाल दिया। फिर जब मैंने डैडी के कुछ दोस्तों की मदद से पुलिस पर दबाव डलवाने की कोशिश की तो इसे दुर्घटना का केस करार देकर फाइल क्लोज कर दी। उसी दौरान मैं खुद मुसीबतों के पहाड़ में जा दबी और डैडी को इं insaf
 
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दिलाने की बजाय अपनी सलामती की फिक्र करने लगी, इसके बाद जो हुआ वो मैं तुम्हे पहले ही बता चुकी हूं।‘‘ ‘‘उस रोज की पार्टी में घर के अलावा कौन-कौन से लोग शामिल थे?“ ”सबके बारे में तो कहना मुहाल है। वो एक बड़ी पार्टी थी, शहर के कई प्रतिष्ठित लोग उसमें शामिल थे। बहुत से लोग ऐसे भी थे जिनकी मैंने उस दिन से पहले सूरत तक नहीं देखी थी। कई लोग हमारे द्वारा आमंत्रित किये गये मेहमानों के साथ आये थे। कुछ ऐसे भी लोग थे शक्लो-सूरत से तो गुण्डे मवाली लगते थे मगर सज-धज ऐसी की बयान करने को शब्द कम पड़ जाएं। कहने का मतलब है कि उन सबके बारे में याद रख पाना निहायत मुश्किल काम था। ऐसी कोई जानकारी तुम्हे पुलिस स्टेशन से हांसिल हो सकती है, क्योंकि तहकीकात करने वाले इंस्पेक्टर ने पार्टी में मौजूद प्रत्येक व्यक्ति का नाम और पता नोट करने की हिम्मत - मिमियाते हुए, गिड़गिड़ाते हुए ही सही मगर दिखाई तो थी ही।‘‘ ”पार्टी के दौरान तुमने ऐसा कुछ नोट किया हो जो कि अजीब लगा हो या कोई ऐसा वाकया हुआ हो जो कि नहीं होना चाहिए था। कोई व्यक्ति दिखाई दिया जो कि हर वक्त तुम्हारे डैडी के इर्द-गिर्द मंडराता रहा हो, या फिर जबरन उनसे चिपकने की कोशिश करता प्रतीत हुआ हो
 
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