• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Fantasy HAWELI (purani haweli, suspence, triller, mystry)

gauravrani

Active Member
910
1,312
123
”अरे तुम मुझे अपने अंकल के साथ हुए हादसे के बारे में बताने जा रहे थे।“ ‘‘वापस आ गयी लगता है।‘‘ ‘‘क्या?‘‘ ‘‘तुम्हारी यादाश्त।‘‘ मैं हंसा, उसने मेरी हंसी में साथ दिया। ”उस रोज जूही का जन्मदिन था“ - वो याद करता हुआ बोला - ‘‘उसके बर्थ-डे पर हर साल हवेली में एक बड़ी पार्टी रखी जाती है, जिसमें शहर के तमाम नामी-गिरामी लोगों को आमंत्रित किया जाता है - उस रोज की पार्टी में भी इसी तरह के लोगों की शिरकत थी। तकरीबन साढ़े आठ बजे जबकि पार्टी अपने जलाल पर थी तभी अंकल के क्लोज फ्रेंड शेष नारायण शुक्ला जी ने अंकल को खोजना शुरू किया।‘‘ ‘‘उन्होंने अंकल की तलाश में इधर-उधर लोगों से पूछना शुरू कर दिया, फिर जूही से पूछा तो उसने बताया कि वे इस वक्त छत पर हो सकते थे। तत्काल एक नौकर को हवेली की छत पर भेजा गया जिसने आकर बताया कि अंकल वहां भी नहीं थे। थोड़ी ही देर में पार्टी का मजा किरकिरा हो गया, लोग बाग इंज्वाय की जगह अंकल को तलाश करने में लग गये।‘‘
 
  • Like
Reactions: Obaid Khan

gauravrani

Active Member
910
1,312
123
तकरीबन आधे घंटे बाद किसी ने आकर बताया कि वे हवेली के बाईं ओर वाले हिस्से में मृत पड़े हैं, सब लोग फौरन उस जगह पर जा पहुँचे। पार्टी में उस रोज कोतवाली इंचार्ज जसवंत सिंह भी आया हुआ था, उसने तत्काल वहां की कमान अपने हाथ में ले ली और बड़ी मुश्किल से लोगों को लाश से दूर रहने के लिए तैयार कर पाया।‘‘ ‘‘बाद में काफी पूछताछ के बाद पुलिस ने निष्कर्ष निकाला, कि पार्टी के दौरान वे आठ बजे छत पर पहुँचे। वहां किसी कारण से रेलिंग से नीचे झांक रहे थे। तभी उनका बैलेंस बिगड़ गया। अत्याधिक पिये होने की वजह से वे खुद को सम्भाल नहीं सके, नतीजतन दूसरी मंजिल की छत से नीचे जा गिरे।“ ”मगर पार्टी छोड़कर वे उतनी रात गये वे छत पर क्यों पहुँच गये?“ ”ये उनका रूटीन वॉक का टाइम था, वे रोज रात आठ बजे हवेली की छत पर टहलने चले जाया करते थे। तभी तो जूही ने मेहमानों को बताया था कि वे छत पर हो सकते थे।‘‘ ”ओह! बाई दी वे ये भूतों और नर कंकालों का क्या चक्कर है?“ ”वो कोई चक्कर नहीं है दोस्त बल्कि हकीकत है। कई लोग देख चुके हैं। खुद मैंने भी कई दफा अंकल ke
 
  • Like
Reactions: Obaid Khan

gauravrani

Active Member
910
1,312
123
भूत को बाहर कम्पाउंड में टहलते देखा है। आये दिन कुछ नर कंकाल भी दिखाई दे जाते हैं, मगर यह सब बाहर ही दिखाई पड़ता है, किसी ने भी उनको हवेली के अंदर नहीं देखा और ना ही वे किसी को नुकसान पहुँचाते हैं। अब तो ये बात हमारे सभी जानने वालों और रिश्तेदारों को भी पता है, तभी तो जूही के बुलाने पर भी कोई उसके साथ हवेली में रहने के लिए नहीं आया।“ ”तुम्हारे जैसे पढ़े-लिखे लड़के के मुंह से ऐसी बातें सुनकर हैरानी होती है।‘‘ ”मुझे मालूम है तुम मेरी बात पर यकीन नहीं कर रहे हो मगर यही सच्चाई है। आज ही तो पहुंचे हो कुछ दिन ठहरोगे तो खुद अपनी आंखों से देख लेना।“ ”जरूर देखूँगा“ - मैं बोला - ”वैसे इस हवेली में और कौन रहता है, मेरा मतलब है तुम्हारे और जूही के अलावा।“ ”बस कुछ नौकर-चाकर।“ ”कुछ! कितने?“ ”चार नौकर, तीन नौकरानी, एक रसोइया बस!... इनके अलावा एक चौकीदार भी था मगर दस दिन पहले वो नर-कंकालों के खौफ से नौकरी छोड़कर भाग गया।“ ‘‘और कोई।‘‘
 
  • Like
Reactions: Obaid Khan

gauravrani

Active Member
910
1,312
123
कोई नहीं है भाई, अंकल जिन्दा थे तो हवेली के कमरे रिश्तेदारों और जानने वालों से भरे रहते थे। मगर अब तो लोगों ने लाल हवेली को भूतिया हवेली कहना शुरू कर दिया है। भला ऐसी जगह पर कौन टिकेगा।‘‘ ”एक आखिरी सवाल का जवाब दो, अगर जूही को यहाँ इतना डर लगता है तो उसे कुछ दिनों के लिए कहीं बाहर क्यों नहीं ले जाते, कहीं भी किसी भी जगह, यहां से मीलों दूर कहीं।“ ”वो नहीं मानती, मैंने उसे बहुत समझाया। पापा ने भी समझाया कि वो हमारे साथ मुम्बई चल कर रहे मगर वो तो बस एक ही रट पकड़ कर बैठ हुई है कि यहाँ से कहीं नहीं जायेगी, तुम भी कोशिश करना, अगर वो मान जाय तो मैं उसे लेकर मुम्बई चला जाऊंगा, या और किसी जगह जहां भी वो जाना चाहे।“ - कहकर वो तनिक रूका फिर आगे बोला - ‘‘मुझे नहीं लगता कि तुम जूही के लिए कुछ कर पाओगे क्योंकि वह एक मनोवैज्ञानिक केस है, और तुम जासूस हो ना कि कोई साइकिएट्रिस्ट।“ ”मैं समय आने पर साइकिएट्रिस्ट का बाप भी बनकर दिखा सकता हूँ। तुम इत्मिनान रखो मैं इससे पहले पागलखाने में ही था, लिहाजा पागलों को सम्भालने का काफी अच्छा तजुर्बा है मुझे और रही बात हवेली में घूमते भूतों और नर कंकालों की तो तुम उनकी चिन्ता मत karo
 
  • Like
Reactions: Obaid Khan

gauravrani

Active Member
910
1,312
123
मेरी शक्ल देखने के बाद तो जिन्दा इन्सान भाग खड़ा होता है, फिर मुर्दों की बिसात ही क्या है?“ जवाब में वह ठठाकर हंस पड़ा। ”अगर तुम जूही के लिए कुछ कर सके तो मैं आजीवन तुम्हारा अहसानमंद रहूँगा।‘‘ - वो उठता हुआ बोला - ‘‘फिलहाल तो मैं चला, मुझे कहीं बाहर जाना है, शाम को फिर मुलाकात होगी।“ ”जरूर।“ - मैं भी उठ खड़ा हुआ - ‘‘वैसे तुम्हारे अंकल माल-पानी कितना छोड़ गये हैं।‘‘ ‘‘तुम्हारी उम्मीदों से कहीं ज्यादा। बहरहाल उनकी कुल जमा असेस्ट का मुझे भी कोई अंदाजा नहीं हैं।“ कहकर प्रकाश बाहर निकल गया। मैं भी उसके पीछे-पीछे ही बाहर निकला और दोबारा मेन हॉल में पहुंचा। वहां से गुजरते एक नौकर से जूही के बारे में पूछा तो पता चला वो कॉफी लेकर उसी के पास जा रहा था। जूही के कमरे के आगे पहुंचकर मैंने दरवाजा खटखटा दिया। ”आ जाइए जनाब यहां पर्दानशीं कोई नहीं है, सब अपने ही हैं, बशर्ते की आप उन्हें अपना समझते हों।“ अंदर से आती शीला की आवाज मुझे सुनाई दी। ऐसी ही थी कम्बख्त, सीधे-सीधे कोई बात कहना तो जैसे उसने सीखा ही नहीं था।
 

gauravrani

Active Member
910
1,312
123
मैं दरवाजे के पल्ले को भीतर धकेलता हुआ कमरे में दाखिल हो गया। वह बैड पर अधलेटी अवस्था में बैठकर किसी पत्रिका के पन्ने पलट रही थी, मुझे देखकर सीधी होकर बैठ गई। नौकर कॉफी रखकर चला गया। ”कहाँ चले गये थे तुम, मैं पिछले आधे घंटे से तुम्हें ढूँढ रही थी।“ ”यूं ही बिस्तर पर लेटे-लेटे।“ ”यहाँ तो अभी पहुंची हूं तनहाई में रोने के लिए।“ ‘‘अरे नहीं रोना मत प्लीज।‘‘ कहता हुआ मैं उसके समीप बैठ गया। वो फौरन बैड से नीचे उतर गई। ”क्या हुआ?“ ”खबरदार अगर तुमने यहाँ मुझे छूने की कोशिश की।“ ‘‘ठीक है बाहर चल वहां छू लूंगा, आई हैव नो प्राब्लम।‘‘ ‘‘शटअप, खबरदार जो कोई खुराफात दिखाई तुमने।‘‘ ”नहीं दिखाउंगा बदले में बस एक किस दे दे मुझे।“ ”नहीं दे सकती।“
 

gauravrani

Active Member
910
1,312
123
अरे लो वोल्टेज, लो कैलोरीज वाली ही दे दे, वो वाली जिसमें अश्लीलता नहीं होती।‘‘ ‘‘ऊं-हुं-नहीं दे सकती।‘‘ ”क्यों?“ ”मेरे होंठ बहुत रसीले और मीठे हैं।“ ‘‘तो क्या हुआ?‘‘ ‘‘मेरे आखिरी ब्वायफ्रेंड ने मुझे किस किया तो शूगर से मर गया था, अब तुम्हें भी कुछ हो गया तो मैं कहां जाऊंगी, तुम्हारे सिवाय मेरा है ही कौन, ये पहाड़ जैसी जिन्दगी मैं किसके सहारे काटूंगी।‘‘ ‘‘तू मुझे मजबूर कर रही है।‘‘ ‘‘किस बात के लिए?‘‘ ”जबरदस्ती के लिए।“ कहता हुआ मैं उठ खड़ा हुआ। ‘‘ओह नो प्लीज ऐसा मत करो?‘‘ ‘‘क्यों ना करूं, इसलिए की मुझे शूगर हो जायेगी।‘‘ ‘‘एक दूसरी कदरन छोटी वजह भी है।‘‘ ‘‘अच्छा! चल वो भी बता दे।‘‘ कहकर मैं उसकी ओर बढ़ा। ”खबरदार जो मेरी तरफ बढ़े।“ गुर्राते हुए वह दो कदम पीछे हट गई। मैं एकदम से उस पर झपट पड़ा, मेरा इरादा उसे दबोच लेने का tha
 

gauravrani

Active Member
910
1,312
123
अरे लो वोल्टेज, लो कैलोरीज वाली ही दे दे, वो वाली जिसमें अश्लीलता नहीं होती।‘‘ ‘‘ऊं-हुं-नहीं दे सकती।‘‘ ”क्यों?“ ”मेरे होंठ बहुत रसीले और मीठे हैं।“ ‘‘तो क्या हुआ?‘‘ ‘‘मेरे आखिरी ब्वायफ्रेंड ने मुझे किस किया तो शूगर से मर गया था, अब तुम्हें भी कुछ हो गया तो मैं कहां जाऊंगी, तुम्हारे सिवाय मेरा है ही कौन, ये पहाड़ जैसी जिन्दगी मैं किसके सहारे काटूंगी।‘‘ ‘‘तू मुझे मजबूर कर रही है।‘‘ ‘‘किस बात के लिए?‘‘ ”जबरदस्ती के लिए।“ कहता हुआ मैं उठ खड़ा हुआ। ‘‘ओह नो प्लीज ऐसा मत करो?‘‘ ‘‘क्यों ना करूं, इसलिए की मुझे शूगर हो जायेगी।‘‘ ‘‘एक दूसरी कदरन छोटी वजह भी है।‘‘ ‘‘अच्छा! चल वो भी बता दे।‘‘ कहकर मैं उसकी ओर बढ़ा। ”खबरदार जो मेरी तरफ बढ़े।“ गुर्राते हुए वह दो कदम पीछे हट गई। मैं एकदम से उस पर झपट पड़ा, मेरा इरादा उसे दबोच लेने का tha
 

gauravrani

Active Member
910
1,312
123
मगर वह झुकाई देकर बच गई इस दौरान उसकी कलाई मेरी पकड़ में आ गई, मैंने उसे अपनी तरफ खींचा। ”बाबूजी भगवान के लिए मुझ अबला पर रहम कीजिए, मेरी कलाई छोड़ दीजिए, किसी ने देख लिया तो मैं रूसवा हो जाऊंगी।“ वह यूं बोली मानों अभी रो पड़ेगी। ‘‘कौन देखेगा हमें इस तनहाई में।‘‘ ‘‘वही जो दूसरी कदरन छोटी वजह है।‘‘ ‘‘मतलब।‘‘ तभी कोई जोर से खाँसा, हड़बड़ाकर मैंने उसकी कलाई छोड़ दी और आवाज की दिशा में देखा, बायें बाजू पलंग के पास एक चेयर पर जूही बैठी हुई थी। मुझे अपनी ओर देखकता पाकर उसने कुटिलता से अपनी एक आंख दबा दी और खिलखिलाकर हंस पड़ी। ”सच्ची यार बड़ा मजा आ रहा था।“ वो चहकती हुई बोली। मैं झेंपकर रह गया। पता नहीं क्या सोच रही होगी वह मेरे बारे में। कम्बख्त शीला का गला घोंट देने को जी करने लगा, कमीनी बता नहीं सकती थी कि कमरे में हम दोनों के अलावा भी कोई था।
 

gauravrani

Active Member
910
1,312
123
और इस वक्त कैसी शरम से गड़ी जाने की एक्टिंग कर रही थी। सिर झुकाये हुए अंगूठे से फर्श को कुरेदने की कोशिश करती हुई। कमरे में खामोशी छाई हुई थी, मगर जूही और शीला की सूरतें बता रही थीं कि दोनों ठठाकर हंसना चाहती थीं, जैसे मेरी रैगिंग करके बहुत बड़ा तीर मार दिया हो। ‘‘कॉफी ठंडी हो रही है।‘‘ - कहते हुए जूही ने दो कपों में हमें कॉफी सर्व की और तीसरा खुद लेकर बेड पर आलथी-पालथी मारकर बैठ गयी। ”अब बताओ किस्सा क्या है?“ जवाब में दोनों में से कोई कुछ नहीं बोला। शीला की निगाहें जूही पर टिकी थीं और जूही के चेहरे से यूं महसूस हो रहा था जैसे वो किसी दुविधा की शिकार हो। ”क्या हुआ?“ ”सोच रही हूँ“ - वह बोली - ”कहाँ से शुरू करूँ?“ ”फिर तो शुरू से ही शुरू करो, क्योंकि शुरूआत के लिए वही सबसे अच्छी जगह होती है।“ उसने समझने वाले अंदाज में सिर हिलाया फिर बोली - ”देखो मैं जो कुछ कहने जा रही हूँ वो सुनने में तो बेहद अटपटा लगता है, मगर सौ फीसदी सच है।“ ”सच कभी भी अटपटा नहीं होता ब्राईट आईज, तुम अपनी बात शुरू करो।“
 
Top