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”अरे तुम मुझे अपने अंकल के साथ हुए हादसे के बारे में बताने जा रहे थे।“ ‘‘वापस आ गयी लगता है।‘‘ ‘‘क्या?‘‘ ‘‘तुम्हारी यादाश्त।‘‘ मैं हंसा, उसने मेरी हंसी में साथ दिया। ”उस रोज जूही का जन्मदिन था“ - वो याद करता हुआ बोला - ‘‘उसके बर्थ-डे पर हर साल हवेली में एक बड़ी पार्टी रखी जाती है, जिसमें शहर के तमाम नामी-गिरामी लोगों को आमंत्रित किया जाता है - उस रोज की पार्टी में भी इसी तरह के लोगों की शिरकत थी। तकरीबन साढ़े आठ बजे जबकि पार्टी अपने जलाल पर थी तभी अंकल के क्लोज फ्रेंड शेष नारायण शुक्ला जी ने अंकल को खोजना शुरू किया।‘‘ ‘‘उन्होंने अंकल की तलाश में इधर-उधर लोगों से पूछना शुरू कर दिया, फिर जूही से पूछा तो उसने बताया कि वे इस वक्त छत पर हो सकते थे। तत्काल एक नौकर को हवेली की छत पर भेजा गया जिसने आकर बताया कि अंकल वहां भी नहीं थे। थोड़ी ही देर में पार्टी का मजा किरकिरा हो गया, लोग बाग इंज्वाय की जगह अंकल को तलाश करने में लग गये।‘‘