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Fantasy I am not a raiter but i like ths story and shar to all

mashish

BHARAT
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अगले दिन मुन्नी के पति वापस आ गए और 5-6 दिन बिना किसी हंगामे के निकल गए।

भाभी मुझसे बहुत खुश थीं और उन्होंने मुझे अपनी चूत का फ्री लाइसेंस दे दिया था। हर 2-3 दिन में एक बार उनकी चूत मार लेता था।

मुन्नी-भाभी की दोस्ती हो गई थी, जब मैं घर वापस आता था तो राखी, भाभी और मुन्नी अक्सर बातें करती दिख जाती थीं।

मुन्नी मुझे देख कर एक मीठी मुस्कान देती थी।

मुन्नी का मर्द एक हफ्ते बाद दुबारा ट्रक पर चला गया।

मुन्नी ने मुझसे नौकरी के लिए कहा, मैंने उसको डॉक्टरनी से मिलवा दिया। मुन्नी को नौकरी मिल गई।

मुन्नी की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा, अगले दिन से वो नौकरी पर जाने लगी। दो दिन बाद मुन्नी को आँख मारते हुए मैंने कहा- 3-4 दिन बाद महिना होने वाला है।

मुन्नी बोली- कल आपके पैसे दे दूँगी।

अगले दिन मुन्नी ने भाभी के सामने पैसे दे दिए।

भाभी उँगलियों से चूत का ईशारा करते हुए बोली- भैयाजी को ब्याज भी देना है।

मुन्नी बोली- ब्याज देने को तो मेरा भी मन कर रहा है।

मैंने आगे बढ़कर उसकी दाएँ तरफ की ब्लाउज ऊपर उठाकर उसका एक गोल गुदाज़ स्तन बाहर निकाला और उसकी निप्पल भाभी के सामने चूसी और बोला- कल इतवार है, पार्क में मिलते हैं।

मुन्नी बोली- पक्का ना?

और हम दोनों अगले दिन 12 बजे अपनी पुरानी जगह आ गए। मुन्नी सज़ धज कर आई थी।

मैंने उससे कहा- एक नई जगह चलते हैं।

मुन्नी को मैं एक घर में ले गया और उसकी मालकिन को दो सौ रुपए दो घंटे के दे दिए।

अंदर एक पलंग पड़ा था, दरवाज़ा बंद करने के बाद मुन्नी मेरी गोदी में आकर बैठ गई, उसने अपना ब्लाउज उतार दिया और मेरे हाथ अपनी चूचियों पर रख कर बोली- आपसे चुदने में बड़ा मज़ा आता है, आप हर इतवार मुझे चोदा करो ना।

मुन्नी ने मुझे अपनी चूत का फ्री लाइसेंस दे दिया था, उसकी माल चूचियाँ मलते हुए मैंने उसके होंट चूसे और इसके बाद एक घंटे तक उसकी जवानी का रस पिया।

इसके बाद मुन्नी और मैं एक दूसरे से लिपट कर लेट गए और बातें करने लगे।

मुन्नी ने बताया कि उसके महीने के दस दिन हुए थे, डॉक्टरनी ने डेढ़ हजार उसे दे दिए थे उससे उसने उधार चुका दिया।

मैंने मुन्नी को चूमते हुए कहा- तुम्हारे पैसे किसने चुराए होंगे?

मुन्नी बोली- पैसे 15 दिन पहले मेरे आदमी ने ट्रक पर जाने से पहले मेरे पास रखवाए थे और मैंने एक डिब्बे में रख दिए थे।

लेकिन मेरी समझ में यह नहीं आता कि चोर को यह कैसे पता चला कि पैसे उस डिब्बे में रखे हैं। और मैंने अपनी याद में कभी घर अकेला भी नहीं छोड़ा।

मैंने पूछा- तुम्हारे घर इन 15 दिन में कौन कौन औरत आदमी आये थे?

मुन्नी बोली- मेरी याद में तो मेरी जान पहचान की 5-6 औरतें ही आई थीं।

बातों बातों में मैंने पूछा- तुम्हारी सहेली कुसुम भी तो है।

हँसते हुए बोली- हाँ, वो तो मेरे गाँव की सहेली है, मेरा हाथ टूटा था तब उसी ने सारा घर देखा था। वो बेचारी एक दिन इस बीच आई थी, परेशान थी गाँव की लड़ाई में बाप और भाई जेल चले गए थे, मुझसे पैसे मांग रही थी, कह रही थी मनी आर्डर करना है। बेचारे अभी 7-8 दिन पहले छूटे हैं। उसके जाने के तो दो दिन बाद मैंने पैसे डिब्बे में देखे ही थे। कल रात को वो मेरे घर आएगी और दो दिन रहेगी भी।

मैंने मुन्नी की चूत में उंगली करते हुए कहा- उससे मुझे मिला देना।

मुन्नी बोली- तुमसे मिला दूँगी लेकिन बहुत तीखी लड़की है। एक बार तेरे मोहन भैया ने अकेला देखकर पीछे से उसके चूतड़ सहला दिए थे, उसने उन्हें एक थप्पड़ मार दिया था।

मैंने मुन्नी की चूत में लोड़ा लगाते हुए कहा- मेरी प्यारी मुन्नी रंडी, मैं उन्हीं औरतों को छेड़ता हूँ जो खुद मस्ती का इशारा करती हैं या बदमाश होती हैं और आज तक मैंने उन्हीं औरतों की चोदी है जिन्होंने खुद चूत खोलकर मुझसे चुदवाई है।

मुन्नी मेरी टांगों पर टांगें लपेटती हुई लण्ड और अंदर लेते हुई बोली- नाराज क्यों होते हो? चोदो न, पूरी आग लगा दी है इस चूत में तुमने !

और मैं एक बार फिर मुन्नी को चोदने लगा। चुदाई के बाद मुन्नी पेटीकोट पहनने लगी, मैंने उसके पेटीकोट का नाड़ा बाँधते हुए कहा- तुम्हारा चोर भी मैं जल्दी ही पकड़ लूँगा, यह पक्का है ! तुम्हारा चोर, चोर नहीं एक चोरनी है।

मुन्नी ब्लाउज पहनती हुई बोली- अगर मेरा चोर कोई औरत हुई तो मैं उसको कुतिया की तरह चुदवाऊँगी और साली की गांड पक्का फटवाऊँगी ! मेरी मदद करोगे न? मेरे सामने उसकी गांड चोदोगे न?

मैंने उसके दोनों स्तन उमेठते हुए उसके ब्लाउज के बटन लगाए और कहा- चिंता न कर, उस कुतिया को तो मैं दो दो लण्डों से एक साथ तुम्हारे सामने चुदवाऊँगा ! अपनी प्यारी मुन्नी की बेइज्ज़ती का बदला भी तो लेना है।

इसके बाद कपड़े पहन कर हम दोनों बाहर आ गए।

मुन्नी से बातें करके मुझे लगा कि कुसुम पैसे चुरा सकती है।

राखी ने मेरे कहे अनुसार कुसुम को बताया भी था कि मुन्नी के पास पच्चीस हजार की रकम है और कुसुम के बाप और भैया जेल से छूट भी चुके हैं साथ ही साथ कुसुम मुन्नी की रसोई में भी काम कर चुकी है।

मेरे दिमाग में विचार आया कि पोस्ट ऑफिस में चेक किया जाए, अगर मुन्नी ने पैसे चुराए होंगे तो उसने मनीआर्डर किया होगा।

अगले दिन शाम को मैं आया तो मुन्नी और कुसुम बाहर गली में खड़ी थी।

कुसुम एक पतली सी 23-24 साल की सेक्सी औरत थी। मुन्नी ने मुझे नमस्ते की और कुसुम को बताया- ये राकेश भाईसाहब हैं, गीता के देवर हैं।

मैंने एक मुस्कान कुसुम को मारी।

मेरे आगे निकलने पर कुसुम मजाक उड़ाने वाले लहजे में मुन्नी से बोली- ये उन्हीं मोहन जी के भाई हैं जिनके गाल पर मैंने पंजा छापा था और गीता भाभी वो ही हैं न जिनकी चुदती चूत का मज़ा हम दोनों ने लिया था।

मैंने मन ही मन सोच लिया कि इस कुसुम की चूत बजानी ही पड़ेगी।

अगले दिन समय निकाल कर मैं डाकघर गया और वहाँ पर बैठे बाबू को सौ का नोट देकर पता किया कि कुसुम ने कोई मनीआर्डर किया है या नहीं?

मेरा शक सही निकला, कुसुम ने एक महीने में पच्चीक हजार के दो मनी आर्डर अपने गाँव में किए थे।

एक मनीआर्डर उसी दिन हुआ था जिस दिन मुन्नी के पैसे चुराए गए थे। बाबू को सौ रुपए और देकर मैंने कागज़ की फोटोकॉपी ले ली।
अब मेरा शक पक्का हो गया कि कुसुम ने ही मुन्नी के पैसे चुराए हैं।
साथ ही साथ मेरे चेहरे पर एक कुटिल मुस्कराहट भी आ गई क्योंकि मेरी चाल सफल हो गई थी।

मुझे कुसुम की चूत का दरवाज़ा खोलने की चाभी भी मिल गई थी।

इसके अलावा गीता, मुन्नी की बेइज्ज़ती और मोहन भैया के थप्पड़ का भी बदला लेना था।

अगले दिन हम और मोहन भैया रात में चाल में खड़े थे, कुसुम नीचे से निकली। मोहन भैया की तरफ मैंने देखते हुए कहा- साली टनाटन माल है।

भैया बोले- मरखनी है, संभल कर रहना ! साली ने एक बार मुझे थप्पड़ मार दिया था।

मैंने कहा- भैया, तुम चिंता न करो, कुछ दिनों में हम दोनों इसकी चोदेंगे।

मोहन ने मेरी बात हंसी में उड़ा दी।

अगले दिन सुबह कुसुम सलवार सूट पहने सीढ़ियों से नीचे जा रही थी, आस पास कोई नहीं था, पीछे से मैंने उसके चूतड़ सहला दिए।
उसने गुस्से से मुझे देखा और थप्पड़ मारने वाली थी, मैं धीरे से बोला- पोस्टऑफिस- मनीआर्डर पच्चीस हजार !

उसका चेहरा सफ़ेद पड़ गया, उसके हाथ मैं पहले से लिखी अपने मोबाइल नंबर की चिट देकर मैंने उसकी गांड में पीछे से उंगली की और मुस्कराता हुआ वहाँ से खिसक लिया।

जैसा मैंने सोचा था वैसा ही हुआ मेरे घर से निकलने के थोड़ी देर के बाद ही उसका फ़ोन आ गया, उसने पूछा- तुम ये पच्चीस हजार क्या कह रहे थे?

मैंने हँसते हुए कहा- पूरी कहानी मुन्नी दीदी के सामने शाम को आकर बता दूँगा।

कुसम की आवाज़ अचकचा गई, बोली- तुम मुन्नी से कुछ नहीं कहना, मुझे तुमसे मिलना है।

मैंने उसे पार्क में बुला लिया।

पार्क में कुसुम आ गई, उसे लेकर मैं कमरे पर आ गया। पलंग पर हम दोनो बैठ गए, मैंने उससे पूछा- तुमने पैसे चुराए थे?

वो अचकचाती हुई बोली- यह झूठ है।

मैंने उसकी कुर्ती में हाथ घुसा दिया और उसकी छोटी छोटी चूचियाँ दबाते हुए मैंने उससे कहा- तुम्हारी चोरी अब पकड़ी गई है, सीधे सीधे बता दो कि पैसे कैसे चुराए हैं और बाकी के पच्चीस हजार कहाँ से आए नहीं तो मुन्नी और तुम्हारे आदमी को सब बता दूंगा।

अब कुसुम टूट गई थी, बोली- हाँ, मैंने ही चुराए थे। गाँव की लड़ाई में बाप और भाई जेल चले गए थे, मामला सुलझाने के लिए पचास हजार रुपए चाहिए थे। मेरे घर के लोग सोचते हैं कि हम मुंबई में बहुत पैसे कमा रहे हैं। उन्होंने मुझसे मदद मांगी, मेरे पास तो पाँच हजार भी नहीं थे। जब मैं परेशान थी तो एक दिन राखी मिल गई, उसने मुझे बताया कि मुन्नी के पास पच्चीस हजार रुपए ट्रक के रखे हैं। मुझे पता था कि मुन्नी किस डिब्बे में पैसे रखती है क्योंकि जब उसका हाथ टूटा था तब उसका खाना मैं ही बनाती थी। मेरे पास उसके ताले की डुप्लीकेट चाभी भी थी। अगले दिन मैं मुन्नी के घर गई, घर पर मुन्नी जब पेशाब करने गई तो चुपके से मैंने डिब्बा खोलकर देखा तो उसमें रुपए रखे थे। दो दिन बाद जब मुन्नी बाहर थी तब मैं राखी की एक साड़ी पहन कर आई और डिब्बे में से रुपए निकाल लिए।

इस बीच मैंने कुसुम का कुरता उतार दिया और उसके छोटे छोटे टमाटर जैसी चूचियाँ देखकर मैंने कहा- आह, आज तो मज़ा आ जाएगा, छोटी छोटी चूचियाँ पिए तो अरसा हो गया।

मैं अपने को रोक नहीं पाया और कुसुम की एक चूची पूरी मुँह में भर ली और स्तन का रस पीने लगा।

कुसुम ने बोलना जारी रखा, बोली- जब पैसे लेकर वापस जा रही थी तब गली के मोड़ पर मोहन भैया ने मेरे चूतड़ सहला दिए, मैंने घबरा कर एक थप्पड़ उन्हें मार दिया और जल्दी से वहाँ से भाग ली।

मैं दूसरे हाथ से उसकी पजामी का नाड़ा खोलते हुए बोला- मुन्नी को पता चल गया तो वो तुम्हारे गाँव में और तुम्हारे खसम को सब बता देगी।

मुझसे चिपकते हुए कुसुम बोली- आप मुन्नी दीदी को कुछ मत बताना ! आप जो कहोगे वो मैं करवा लूँगी।

मैंने उसके होंटों पर पप्पी लेते हुए उसके चुचूकों पर नाख़ून गड़ाए और कहा- पहले अपनी फुद्दी का दर्शन तो करा दो।

कुसुम ने बिना देर किये अपनी पजामी नीचे सरका दी, उसकी चिकनी जांघें और लड़कियों जैसी चूत अपनी जवानी का मुजरा पेश कर रही थीं। मैंने उसकी चूत के होंटों पर उंगली फिराते हुए कहा- आह, आज तो मज़ा आ जाएगा ! तुम्हारी जवानी तो बड़ी रसीली है !

उसकी टांगें फ़ैला कर मैंने अपना हाथ उसके योनि प्रदेश में घुसा दिया और उसकी चूत और जांघें सहलाने लगा।

कुसुम अब पूरी नंगी थी और मेरी जाँघों पर बैठी हुई थी।
superb update
 

bantoo

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superb update
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कुसुम रो पड़ी। गीता ने आगे बढ़कर उसके आंसू पौंछे और बोली- जब खुद की चुदती है तो आँसू आते ही हैं, और जब दूसरे की चुदती है तो मज़ा आता है। एक दिन की बात है, मुन्नी और मैं तो चुद ही चुकी हैं, अब तेरी बारी है थोड़ा मज़ा लेंगें, उसके बाद हम तीनों दुबारा दोस्त हो जाएँगे।

कुसुम सर झुकाकर बोली- मैं चुदने को तैयार हूँ।

मुन्नी आगे बढ़कर बोली- तुझे तो तैयार होना ही पड़ेगा। राकेश भैया कल इसकी चुदाई का मुजरा कराते हैं। जब आपका लण्ड इसकी गांड फाड़ेगा तब इसे मज़ा आएगा।

गीता चोर आँखों से मुझे देख कर मुस्करा रही थी।

अगले दिन कुसुम मुन्नी और गीता के साथ फ्लैट में गई। पीछे पीछे मैं और मोहन भी आ गए हमने अंदर घुसते ही कपड़े उतार कर लुंगी पहन ली।

दूसरे कमरे मैं भाभी और मुन्नी ने अपनी साड़ी उतार ली और कुसुम की साड़ी भी उतरवा दी।

भाभी कुसुम के पेटीकोट का नाड़ा खींचकर बोली- कुसुम प्यारी, हमारी तुम्हारे कपड़ों से कोई दुश्मनी नहीं है, इन्हें उतार दो न।

तभी मैं और मोहन भी उस कमरे में आ गए। मोहन को देखकर कुसुम ने नीचे सरकते हुए पेटीकोट को पकड़ लिया, वो शरमा रही थी। कुसुम बोली- मुझे मोहन भैया से शर्म आ रही है।

मुन्नी बोली- इतनी शर्म आ रही है तो मोहन भैया से ही तुझे नंगी करा देते हैं। बेचारे सीधे साधे भैया जी को तूने थप्पड़ मारा था। उस दिन तू जब पैसे चुरा कर भाग रही थी तब तूने राखी की साड़ी पहने हुई थी ताकि दूर से तुझे कोई पहचान नहीं पाए। राखी से ये मजाक करते रहते हैं, इन्होंने राखी के धोखे में तेरे चूतड़ों पर हाथ फेर दिया और तूने इनको थप्पड़ मार दिया। आज तेरे थप्पड़ का बदला ये प्यार से तेरे चूतड़ों में अपना लण्ड डालकर देगें।

मुन्नी मोहन को आँख मारते हुए बोली- जेठ जी, देवरानी जी को नंगी करिए ना ! ऐसा शुभ दिन रोज़ रोज़ कहाँ आता है।

मोहन आगे बढ़ा और उसने गीता का हाथ पेटीकोट से हटा दिया, पेटीकोट सरसराता हुआ नीचे गिर गया, कुसुम के चूत प्रदेश का एक सुंदर नज़ारा हम सभी ने देखा।

कुसुम ने शर्म से अपनी टांगें आपस में मिला लीं।

गीता मुँह बनाते हुए बोली- राकेश भैया, आप जाकर इसे पूरी नंगी करो, इनके बस का नहीं है, देखो कुतिया ने कैसे चूत को टांगों में छुपा कर रखा हुआ है जैसे कोई पतिव्रता औरत नंगी हो रही हो। इसने कम से कम दस लण्ड खा रखे हैं, पूरी रंडी है, इसकी चाल देखकर कोई भी औरत बता देगी।

मैं कुसुम के पीछे पहुँच गया। मोहन साइड में हट गए।

कुसुम के ब्लाउज के कप ऊपर उठा कर उसकी दोनों चूचियाँ बाहर निकाल दीं और उनको दबाते हुए कान में फुसफुसाया- अब बकरी बन गई हो तो थोड़ी बेशर्म हो जाओ और सबको मज़े दो और खुद भी लो ! सब अंदर के लोग ही हैं।

मैंने उसकी चूत पर एक हाथ ले जाकर उसकी टांगें चौड़ी की और चूत में उंगली घुसा दी।

मुन्नी बोली- यह हुई न बात ! क्या फ़ूली हुई चूत है !

गीता अपनी मैक्सी के ऊपर से चूत रगड़ते हुए बोली- जरा इसका पिछवाड़ा भी तो दिखा दो।

अब उसका ब्लाउज उतारते हुए कुसुम को अपनी तरफ सीधा किया और अपने से चिपका लिया उसके नंगे पिछवाड़े का मज़ा तीनों लोग ले रहे थे।

मैंने मोहन को आँख मारी तो मोहन ने कुसुम के पिछवाड़े पर हाथ फेरते हुए गांड में उंगली करी और होंट काटते हुए कहा- आह, क्या मस्त गांड है, चोदने में मज़ा आ जाएगा।

कुसुम अब पूरी नंगी थी। मोहन और मेरे लण्ड लुंगी मैं गर्म हो चुके थे और कुसुम के नंगे छेदों मैं घुसने के लिए तड़प रहे थे।

मुन्नी ने कुसुम के चूतड़ों को सहलाते हुए कहा- अब प्यार से मोहन जी का लण्ड निकाल कर एक रंडी की तरह सहलाओ और अपनी चूत में डलवाओ।

मोहन के पास आकर कुसुम ने उनकी लुंगी खोल दी मोहन का लम्बा टनाटन लण्ड बाहर निकल आया।

कुसुम मोहन का लण्ड धीरे धारे सहलाने लगी, मोहन कुसुम की चूचियाँ दबाने लगा, मुन्नी मुस्कराती हुई बोली- इस कुतिया को लोड़े पर बैठा लो आज ! गीता भाभी की तरफ से पूरी छूट है।

गीता बोली- मोहन, इसे अपने लण्ड पर बैठाओ, जब तुम्हारा लण्ड इसकी चूत में घुसेगा तब मेरे कलेजे को कितनी ठंडक पहुंचेगी, मुझे ही यह बात पता है।

मोहन जमीन पर दीवार के सहारे अपना टनकता लण्ड हाथ में पकड़े गद्दे पर बैठ गया, कुसुम को मुन्नी हाथ पकड़ कर खींच कर लाई और उसके दोनों नंगे चूतड़ों पर दो दो पटाख पटाख चांटे धरते हुए कहा- रानी, हमें तेरी चूत में लण्ड घुसते हुए देखना है, चुपचाप मोहन जी के लण्ड पर अपनी चूत टिका दे।

मोहन ने कुसुम की जांघें चौड़ी करवा दी और इस तरह से उसकी कमर को पकड़ा कि लण्ड का सुपारा उसकी चूत पर छुलने लगा।
सामने भाभी और मुन्नी उसकी चूत में लौड़ा घुसने का इंतज़ार करने लगीं।

मोहन ने एक जोर का झटका मारते हुए लोड़ा उसकी चूत में घुसा दिया और अब वो मोहन के लण्ड पर बैठी हुई थी।

मोहन ने उसकी कमर पकड़ कर उसे ऊपर नीचे करते हुए चोदना शुरू कर दिया था।

दोनों औरतें उसकी चूत में लोड़ा पिलता देख कर खुश हो रहीं थीं।
कुसुम के छोटे छोटे चूचे ऊपर नीचे होते हुए हिल रहे थे।

उसकी चूत मैं लण्ड अंदर-बाहर होते हुए बाहर से साफ़ दिख रहा था।

दोनों औरतें कुसुम की लुटती जवानी का मज़ा ले रही थीं।

मोहन ने कुसुम को उठा कर उसे लेटा दिया था और उसकी चूत की कमांड अपने हाथों में लेते हुए उसकी जांघें उठाकर उसकी चूत चोदनी शुरू कर दी, कुसुम उह… आः… उह… उई… उऊ… करने लगी।

कुछ देर बाद मोहन ने लण्ड निकाल कर अपने वीर्य की बारिश कुसुम के ऊपर कर दी। कुसुम ने शर्म से आँखें बंद कर ली थीं।

भाभी ने आँख मारी और बोली- यह शरमा बहुत रही है, इसकी घोड़ी चुदाई करवाते हैं और इसके मुँह और चूत में साथ साथ लण्ड डलवाते हैं।

कुसुम हाथ जोड़ते हुए बोली- मुझे शर्म आ रही है, प्लीज दीदी, मुझे छोड़ दो ! अकेले में आप जिससे कहोगी उससे चुद लूँगी।

मुन्नी बोली- आह, अब पता चला न जब खुले में चुदती है तब कैसा लगता है। चल अब तुझे दूसरे कमरे में चुदवाती हूँ।

दूसरे कमरे में गद्देदार सोफा पड़ा हुआ था, उस पर मोहन टांगें फ़ैलाकर बैठ गया।

कुसुम को मुन्नी ने घोड़ी बना दिया और उसका मुँह मोहन की जाँघों के बीच रखा दिया।

कुसुम ने आगे बढ़कर मुन्नी के इशारे पर मोहन का झड़ा हुआ लण्ड मुँह में ले लिया और चूसने लगी।

मोहन भैया लण्ड चुसवाते हुए कभी धीरे धीरे से उसके चूतड़ सहलाते और कभी उन पर चांटे मार देते।
आज कुसुम उनका निजी माल जो बनी हुई थी।

गीता और मुन्नी यह देखकर अपनी मैक्सी ऊपर उठाकर चूत में उंगली कर रही थीं।

गीता ने उसके नर्म नर्म गुदाज़ चूतड़ों की तरफ देखते हुए धीरे से मेरे कान मैं कहा- चूतड़ तो कुतिया के बड़े मस्त हैं ! उस दिन मेरी घोड़ी चुदाई देखकर बहुत खुश हो रही थी और मेरी गांड में मोमबत्ती घुसाई थी हरमिन ने, आज तुम्हारा लण्ड डलवाती हूँ इसकी गांड में ! दो दो लण्डों से चुदेगी, तब पता चलेगा कुतिया को कि गीता की चुदाई देखने का मज़ा क्या होता है।

मुन्नी ने गीता की आवाज़ सुन ली थी, बोली- राकेश भैया, देर क्यों कर रहे हैं, जाकर इसकी गांड चोदिये ना, मेरी चुदाई का बदला तो तभी पूरा होगा जब इसकी गांड चुदेगी और आपके टट्टे इसके चूतड़ों पर तबला बजाएंगे।

मैंने आगे बढ़कर कुसुम की गांड के मुँह पर अपना लण्ड रख दिया और एक चुटकी उसकी कमर पर ली, यह एक इशारा था जिसका मतलब था गांड चुदवाते हुए कुसुम को जोर जोर से ऐसे चीखना है जैसे कि कुंवारी लड़की की गांड खोली जा रही है।

कुसुम ने मोहन का लण्ड मुँह से बाहर निकाल दिया और बोली- ऊई, यह क्या कर रहे हैं, मर जाऊँगी मैं।

मैंने उसके चूचियाँ हाथ में पकड़ी और लण्ड अंदर पेल दिया। कुसुम चीखने का नाटक करने लगी- आह… ऊहूह… मर गई… मर गई…

मुन्नी यही सुनना चाह रही थी। यह कहानी आप xforum.live पर पढ़ रहे हैं !

‘दीदी छुड़वाओ… ऊई… दर्द हो रहा है… ऊऊ… ऊ… मर गई…’

मुन्नी ताली बजाते हुए बोली- आह, अब आया न असली मज़ा !

थोड़ी देर में पूरा लण्ड मैंने कुसुम की गांड में घुसा दिया मोहन और मैं उसकी कमर पकड़े हुए थे।

उसकी गांड अब मैं दनादन पेल रहा था मेरे टट्टे उसके चूतड़ों से टकरा रहे थे और तबला बजा रहे थे।

कुसुम चीखें मार रही थी, उत्तेजना में गीता और मुन्नी ने अपनी मैक्सी उतार दी थीं, दोनों एक दूसरे की चूत में उंगली करते हुए कुसुम की गांड चुदाई के मज़े ले रही थीं।

कुछ देर बाद मैंने अपना पूरा वीर्ये उसकी गांड में छोड़ दिया।

इसके बाद मैंने और मोहन ने सोफे पर बैठकर कुसुम को अपनी गोद में लेटा लिया और मोहन ने अपना लण्ड उसके मुँह में दुबारा लगा दिया और उसे चुसवाने लगे, कुछ देर बाद मोहन भैया का ढेर सारा वीर्य कुसुम के मुँह में भर गया।

अब मुन्नी एक चुदी हुई औरत की तरह हम दोनों की गोद में टांगें फेला कर सीधी लेट गई।

मुन्नी कुसुम के गालों पर पप्पी लेते हुए बोली- अब हम लोग चाय पीते हैं, उसके बाद दूसरी पारी होगी। पहली में तो तूने खूब मज़े लिए हैं। जान कर एसे चिल्ला रही थी जैसे तेरी कुंवारी गांड चुद रही हो। मेरी भी गांड चुदी हुई है और जिसकी चुदी होती है उसे पता होता है पहली गांड चुदाई का दर्द क्या होता है।

गीता बोली- इसे तो 3-3 लण्डों से पिलवाना पड़ेगा, तब सुधरेगी यह।

उसके बाद हम सब नंगे होकर प्रेम से चाय पीने लगे। मैंने मुन्नी के गले में हाथ डालते हुए कुसुम की तरफ देखते हुए कहा- मुन्नी, तुम्हें एक वादा करना होगा !

मुन्नी बोली- राकेश, तुमने मुझ पर इतने अहसान किये हैं, तुम कहोगे तो मैं तुम्हारा मूत भी ख़ुशी ख़ुशी पी लूँगी।

मैं बोला- आज की सजा के बाद तुम कुसुम से वैसा ही प्यार करोगी जैसा पहले करती थीं।

मुन्नी बोली- ठीक है, लेकिन आज के बदले के बाद !

कुसुम रोते हुए बोली- दीदी, सच मेरे कारण गीता भाभी और आपको बहुत सहना पड़ा, आप मेरी 3-3 से नहीं 4-4 लण्डों से मेरी चूत चुदवाओ पर आप मुझसे प्यार करना मत छोड़ना और मेरे गाँव में कुछ नहीं कहना ! आगे से मैं कभी आपको धोखा नहीं दूंगी।

चाय पीने के बाद आधा घंटा हम सब ने आराम किया।
 

bantoo

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update post enjoy B-)
 
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मैंने उसके होंटों पर पप्पी लेते हुए उसके चुचूकों पर नाख़ून गड़ाए और कहा- पहले अपनी फुद्दी का दर्शन तो करा दो।

कुसुम ने बिना देर किये अपनी पजामी नीचे सरका दी, उसकी चिकनी जांघें और लड़कियों जैसी चूत अपनी जवानी का मुजरा पेश कर रही थीं।

मैंने उसकी चूत के होंटों पर उंगली फिराते हुए कहा- आह, आज तो मज़ा आ जाएगा ! तुम्हारी जवानी तो बड़ी रसीली है !

उसकी टांगें फ़ैला कर मैंने अपना हाथ उसके योनि प्रदेश में घुसा दिया और उसकी चूत और जांघें सहलाने लगा।

कुसुम अब पूरी नंगी थी और मेरी जाँघों पर बैठी हुई थी उसकी चूत में उंगली करते हुए मैंने पूछा- यह बताओ, बाकी के रुपए कहाँ से आए?

कुसुम रोते हुए बोली- मैं रेलवे कॉलोनी में एक साहब के यहाँ नौकरी करती हूँ, पच्चीस हजार साहब से लिए थे। बदले में उन्होंने मेरी चूत और गांड दोनों चोद दी और मेरी फिल्म भी बना ली है, अब रोज़ मेरी जवानी लूटते हैं। मेरे साथ सब तरह का काम करते हैं। उनकी बीवी गाँव में रहती है। उन्होंने मुझे अपनी रखैल बना कर रखा हुआ है। ऊपर से पैसे और वापस मांग रहे थे। मुझसे कह रहे थे पैसे वापस कर नहीं तो मेरे दोस्तों से चुदना शुरू कर। आप मुन्नी दीदी की तरह मेरी भी नौकरी लगवा दो ना, मैं उनके पैसे लौटा दूंगी। उस 55 साल के बुड्ढे से तो अच्छा है आप पर अपनी जवानी लुटवाऊँ।

कुसुम की चिकनी जांघों और चूत पर हाथ फिराते हुए मैंने उसका दाना रगड़ा और कहा- तुम उसे अब चाहे जितने पैसे वापस कर दो वो तुम्हारी चूत का रस पीना नहीं छोड़ेगा, उसे उसके हथियार से ही मारना पड़ेगा। मैं तुम्हें उस बदमाश आदमी से छुट्टी दिला दूँगा।

मैंने उसकी चूत के होंट सहलाते हुए कहा- बदले में तुम्हें अपनी मुन्नी प्यार से मुझसे चुदवानी पड़ेगी।

कुसुम मेरी पैंट के बटन खोलते हुए बोली- आप मेरी आज ही चोद लीजिये पर आप मुझे उस कमीने से छुट्टी दिला दें।

कुसुम के दोनों चुच्चे दबाते हुए मैंने उसके चुचूक उमेठे और बोला- तुम उनका फिल्म वाला मोबाइल चुरा लाओ।

कुसुम मुझसे चिपकते हुए बोली- उनके कंप्यूटर में भी वो फिल्म है।

मैंने उसे चिपकाते हुए कहा- तुम भोली हो ! मोबाइल चुरा कर लाओ ! उसमें तुम्हारी चुदाई की फिल्म होनी चाहिए।

मैंने उसके कान में अपना प्लान बताया। कुसुम ने इस बीच मेरी पैंट खोलकर मेरा लण्ड बाहर निकाल लिया। उसे अपने हाथ से वो धीरे धीरे सहला रही थी, मुझसे बोली- आप मेरी इतनी मदद कर रहे हैं तो एक मदद और कर दो !

मैंने कहा- और क्या?

मेरे लण्ड के सुपारे पर उँगलियाँ फिराती हुई बोली- इस मोटू को जल्दी से मेरी चूत में डाल दो ना ! बहुत खुजली हो रही है।

मैंने कुसुम के स्तन दबाते हुए कहा- पहली बार जब भी मैं किसी औरत को चोदता हूँ तो वो मेरा लण्ड अपनी चूत में खुद लेती है, मैं जबरदस्ती किसी की चूत नहीं मारता।

कुसुम मुस्कराई और बोली- आपके लण्ड को चूत में लेकर मुझे बहुत खुशी होगी। आप अपने कपड़े तो उतार दीजिए !

मैंने उसकी पटाखा चूत की तरफ देखा चमचम चूत फड़क रही थी और मेरे लण्ड को कुश्ती के लिए बुला रही थी।
मैंने उसे उठाकर अपने कपडे उतारे और पलंग पर लेट गया।
मेरा तना हुआ लण्ड कुसुम को चुदने के लिए बुलाने लगा।

कुसुम नज़रें नीची करते हुए मेरे लौड़े के ऊपर आकर बैठने लगी उसकी चूत का छेद मेरे सुपाड़े से टकराया और उसके बाद चूत फिसलती हुई मेरे लण्ड को अपने अंदर लील गई।

मैंने कुसुम को अपने से चिपका लिया और मैंने उसकी गर्म जाँघों पर अपनी टांगें लपेट लीं और और उसके होंट चूसने लगा।

कुसम मस्ती भरी आहें भरने लगी मेरे बाल सहलाते हुए बोली- चोदो न बड़ा मज़ा आ रहा है।

मैंने उसे पलटी खिलाकर अपने नीचे कर लिया और उसकी चूत चोदना शुरू कर दिया।

वो चुदाई का मज़ा लेने लगी चूत फटी हुई थी लेकिन एक जवान औरत का मज़ा अलग ही होता है उह अह ईह की आवाज़ों ने सेक्स का आनन्द बढ़ा दिया था लण्ड उसकी सुरंग में दौड़ रहा था।

आज मैं एक नई हसीना की चूत का मज़ा ले रहा था।

हम दोनों का बदन एक दूसरे से रगड़ खा रहा था।

उसकी चूत का मज़ा 3-4 आसनों से चोद चोद कर मैंने खुद भी लिया और उसको भी दिया।

उसके बाद हम अलग हो गए, अगले दिन मिलने का वादा करके मैं आ गया।

अगले दिन कुसुम साहब का मोबाइल चुरा कर ले आई, उसकी चार मिनट की ब्लू फिल्म में उसका चेहरा और चुदती चूत दिख रही थी, साहब की सिर्फ पीठ दिख रही थी।

मैंने देखा साहब की पीठ पर 3-4 तिल थे और उनके हाथ पर ॐ लिखा था। इतना मेरे लिए काफी था।

फोन मैंने ओन कर दिया, उसमें रमेश के ऑफिस का नंबर था, उधर मेरी बात हुई, मैंने कहा- रमेश का मोबाइल एक कूड़ादान में पड़ा मिला है, अपने नंबर पर रिंग कर लें।

थोड़ी देर बाद रमेश का फोन आ गया।

मैंने हँसते हुए कहा- क्या रमेश, मोबाइल पर तुम्हारी और तुम्हारी नौकरानी की ब्लू फ़िल्म पड़ी हुई है। क्या मस्त लण्ड है तुम्हारा। हाथ पर लिखा ॐ और पीठ के तिल तो तुम्हारे चेहरे से भी सुंदर लग रहे हैं।

रमेश की आवाज़ से पता चल गया कि वो परेशान है।
वो बोला- तू हरामी कौन बोल रहा है? साले मरवा दूँगा।

मैं बोला- पहले तेरे बॉस से बात कर लूँ, फिर तुझसे बात करता हूँ।

मैंने फोन काट दिया।

थोड़ी देर बाद मैंने एक औरत को सौ रुपए देकर रमेश के नए नंबर पर PCO से फ़ोन कराया और उससे कहा- महिला विभाग से बोल रहे हैं, आपकी ब्लू फिल्म बनाने की शिकायत आई है, आप मामला सुलझा लो, वरना दिक्कत हो सकती है।

इस बीच रमेश के घर मैंने एक दोस्त से दूसरे नंबर से फ़ोन करवा दिया कि रमेश जी रण्डियों के चक्कर में पड़ गए हैं।

थोड़ी देर में रमेश का फोन आ गया, अब वो समझौते के मूड में था, मैंने उससे कहा- कल कुसुम को तीस हजार रुपए दे देना और उसके पैर छूकर माफ़ी मांग लेना ! तेरा मोबाइल नाली में डाल दूँगा और कुसुम की सारी फ़िल्में मिटा देना। कुसुम को कभी कोई दिक्कत हुई तो तेरी और तेरी नौकरी की खैर नहीं।

अगले दिन रमेश ने बिना कहे कुसुम को तीस हजार रुपए दे दिए और मेरे कहे मुताबिक पैर छुकर उससे माफ़ी मांग ली।

पैसे लेने के बाद कुसुम मुझसे मिलने पार्क मैं आ गई और मुझसे चिपक गई, बोली- रमेश जी, तो मेरे पैरों में पड़ गए। आपने मुझे बचा लिया !

मैंने उसके होंटों में होंट डालकर काटते हुए कहा- उस दिन तो टेंशन में तुमने अपनी चूत चुदवाई थी, आज ख़ुशी ख़ुशी मुझे खुश कर दो। कुसुम बोली- जब से मुझे रमेश जी से छुट्टी मिली है, मेरा भी आपसे चुदने का बहुत मन कर रहा है चलिए कमरे पर चलते हैं।

मैं कुसुम को परिचित अड्डे पर ले गया।

कुसुम बोली- ये रुपए आप रख लो।

उसके पास बीस नोट एक हज़ार के थे और एक सौ की गड्डी थी।

मैंने उसे पैसे वापस करते हुए कहा- ये तुम्हारे पैसे हैं, तुम चाहो तो मुन्नी को उसके पैसे वापस कर देना।

कुसुम से बोला- चलो पहले तुम्हारी मुन्नी से खेल लें, फिर आगे की सोचते हैं।

मैंने कहा- आज तुम्हारी प्यार वाली चुदाई करूँगा !

अपनी शर्ट पेंट उतारते हुए कहा- अब तुम भी अपने कपड़े उतार लो, प्यार भरी चुदाई का मज़ा अलग ही होता है।

कुसुम ने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए, ब्लाउज उतारते हुए बोली- आप दीदी को यह मत बताना कि मैंने पैसे चुराए थे !
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प्यार। आगे बढ़कर मैंने उसके दूध हाथों में बंद कर लिए और दबाते हुए बोला- ये सब बातें अब बाद में, पहले

कुसुम अब चड्डी में थी, उसका पूरा नंगा बदन मेरी आँखों के सामने था।
उसकी तराशी हुई मांसल जांघें, नंगी दूधिया चूचियाँ और चमकती गहरी नाभि ने मेरे लण्ड को फुला कर रख दिया था।

मुझसे रहा नहीं गया, मैंने अपनी चड्डी उतार कर लण्ड बाहर निकाल लिया।

कुसुम मेरी बाहों में आ गई मेरे लण्ड को पकड़ते हुए बोली- कितना सुंदर लोड़ा है आपका ! मेरी चूत में डालिए न, बहुत खुजला रही है। देर क्यों कर रहे हैं !

मैंने उसकी चूचियाँ मलते हुए कहा- पहले अपनी चड्डी तो उतार लो या चड्डी के ऊपर से ही घुसवाएगी?

कुसुम ने मेरे कहने पर अपनी चड्डी उतार ली और वो मेरी एक टांग पर जांघें फ़ैला कर बैठ गई, उसकी चिकनी चूत देखने लायक थी।
मैंने अपने एक हाथ से उसकी चूत के होंटों और दाने से खेलना शुरू कर दिया।

कुसुम मेरे लण्ड की मुठ मारने लगी।
उसके भावों से मुझे लग गया था कि वो पूरे दिलोजान से मुझसे चुदना चाह रही है।

उसे हटाकर मैं आराम से दीवार पर टेक लगा कर बैठ गया और बोला- आज यह लण्ड तुम्हारा है, आओ, इसके ऊपर बैठ जाओ।

कुसुम अपनी चूत को सुपाते के मुँह पर छुलाती हुई मेरे लोड़े पर बैठ गई और एक कुशल खिलाड़िन की तरह पूरा लोड़ा अपनी चूत में ले लिया और अपनी जीभ मेरे मुँह में घुसा कर चूसने लगी।

कुसुम की जवानी मसलने में मुझे मुन्नी और गीता की चुदाई से ज्यादा मज़ा आ रहा था।
नीचे से हौले हौले धक्के मारते हुए मैं उसकी चूत चोद रहा था और उसकी छोटी छोटी चूचियाँ दबा रहा था।

इस समय हम दोनों की आँखों में आनन्द का भाव था। थोड़ी देर इस तरह चोदने के बाद उसकी टांगें फ़ैलाकर उसे लेटा दिया, लण्ड उसकी चूत में पेल दिया और कुसुम के नुकीले चुचूकों को चूसते और उमेठते हुए उसे चोदने लगा।

एक दूसरे की सांसों और आहों का का मज़ा लेते हुए हम दोनों चुदाई का खेल खेल रहे थे।

कुछ देर में मेरा और उसका रस एक साथ छुटा।

दस मिनट आराम के बाद मैंने कुसुम को लोड़ा चूसने के लिए कहा, वो ख़ुशी ख़ुशी मेरे सिकुड़े हुए लण्ड को मुँह में लेकर चूसने लगी। लण्ड दुबारा उसके मुँह में गर्म होने लगा।

मैंने भी मुँह उसकी चूत के फलकों पर लगा दिया और जीभ उसकी चूत में घुसा दी। अब हम 69 में एक दूसरे के अंगों को चूस रहे थे।

मैंने उसकी गांड में उंगली करी तो गांड चुदी हुई थी। कुछ देर बाद कुसुम को अलग करते हुए बोला- तुम्हारी गांड तो अच्छी चुदी हुई लग रही है। किस किस से चुदवा चुकी हो?

मेरे से चिपकते हुए कुसुम बोली- शादी से पहले मेरे जीजाजी अक्सर मेरी गांड चोदते थे, उन्होंने ही मेरी गांड की सील तोड़ी थी और शादी के बाद से मेरे पति मेरी गांड ही ज्यादा मारते हैं, चूत में तो जब भी उन्होंने डाला तो 10 सेकंड में झड़ गए। रमेश जी का बुड्ढा लण्ड था एक मिनट से पहले ही वो झड़ जाते थे। सच बताऊँ तो कल पहली बार आपने चूत का असली मज़ा दिया है और आज तो आपने पूरा मस्त कर दिया, पहली बार चूत की पूरी आग बुझी है। अब तक तो मुझे गांड चुदवाने मैं ही ज्यादा मज़ा आता था। आप भी एक बार मेरी गांड चोदिये न।

मैंने कुसुम को घोड़ी बनाकर लण्ड उसकी गांड में डाल दिया प्यार से कुसुम ने गांड को आगे पीछे हिला कर लण्ड पूरा अंदर ले लिया मैंने उसकी गांड चोदनी शुरू कर दी।
चुदते हुए ‘आह… बड़ा मज़ा आया… आह… और चोदो…’ की आहें भर कर वो अपनी ख़ुशी प्रकट कर रही थी।

अगर औरत चुदने का मज़ा ले तो चुदाई का आनन्द दुगना हो जाता है। मैं आगे धक्का मारता तो पीछे हटते हुए चुदने लगती।

एक आनन्द का माहौल था, काफ़ी गांड चुदाई के बाद मैंने अपना वीर्य कुसुम की गांड में भर दिया।

इसके बाद कुसुम मेरी बाँहों में चिपक गई और बोली- यह चूत अब आपकी है !

और उसने अपनी चूत का फ्री लाइसेंस मुझे दे दिया। आज उसको तीनों छेदों का सुख जो मिला था।

मैंने उसको बाँहों में भरकर बताया कि मुन्नी को पैसे पाने के लिए क्या क्या करना पड़ा और अगर उसे पता चल गया कि तुम चोर हो तो वो तुम्हें दो दो लण्डों से गीता भाभी के सामने चुदवाएगी।

कुसुम रोते हुए बोली- मुन्नी मेरी अच्छी सहेली है। कल बेचारी ने पति से छुप कर हज़ार के दो नोट दिए थे, बोली थी ‘अपने घर भेज देना, तेरे मम्मी पापा मुश्किल में हैं।’ आप उसे कुछ मत बताना।

कुसुम बोली- मैं पच्चीस हजार उसके डिब्बे में वापस रख दूँगी, कम से कम मुन्नी को पैसे तो मिल जाएंगे
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दो दिन बाद मुन्नी का फ़ोन आया, वो मुझसे मिलना चाह रही थी। हम लोग अपने चुदाई अड्डे पर मिले। साड़ी उतारकर मुझसे चिपकते हुए मुन्नी बोली- चोर ने मेरे पैसे वापस उसी डिब्बे में रख दिए। ये देखो पूरे पच्चीस हजार हैं। उसने एक माफ़ी मांगने का पत्र भी लिखा है।

मुन्नी ने मेरे बचे हुए पैसे वापस कर दिए। मुन्नी थोड़ी उदास सी दिख रही थी, मैंने मुन्नी की पप्पी लेते हुए कहा- तुम उदास क्यों हो?

मुन्नी रोते हुए बोली- मेरे पैसे कुसुम ने चुराए थे।

मैंने अनजान बनते हुए पूछा- तुम्हें कैसे पता?

मुन्नी बोली- दो दिन पहले दया करके मैंने दो हज़ार के नोट उसे दिए थे, उसमें से एक के ऊपर मुन्नी लिखा था, जब भी मेरी डोक्टरनी मुझे पैसे देती है तो सबसे ऊपर वाले नोट पर मेरा नाम लिखा होता है। चोर ने जो पच्चीस हजार के नोट वापस रखे थे उनमें से एक नोट वो भी है जो मैंने कुसुम को दिया था।

मुन्नी गुस्से से बोली- कुतिया रंडी ने मेरे पैसे चुराए थे। कुसुम के लिए मैंने अपनी प्यारी सहेली गीता को चाल से निकलवाया, कुतिया ने मुझे धोखा दिया है। हरामिन को कुतिया की तरह चुदना पड़ेगा मेरे और गीता के सामने।

मुन्नी मुझसे बोली- तुम उसकी गांड मारोगे न, जैसे तुमने मेरी मारी थी, वैसे ही उसकी चोदना।

मैंने मुन्नी से कहा- कुसुम को तेरे सामने सजा देंगे और सब झगड़े की जड़ तो यही है, इसकी जवानी तो मैं तीन तीन लण्डों से चुदवाऊँगा। तेरे से भी ज्यादा इसकी चोदी जाएगी।

मुन्नी मुझसे चिपकी रही, उसकी आँखों में आँसू थे। मैंने उसका पल्लू हटाया और कान में बोला- दूध तो पिला दो !

मुन्नी ने ब्लाउज के बटन खोलकर दोनों स्तन बाहर निकाल दिए, मैंने बारी बारी उसकी दोनों निप्पल चूसीं और बोला- मुन्नी की मुन्नी मुझसे गुस्सा है क्या?

मुन्नी मुझे देखकर मुस्कराई और मुझसे चिपकते हुए बोली- मुन्नी की मुन्नी तो तुम्हारी गुलाम है, रोज़ तुम्हारे लण्ड की राह देखती है। मुन्नी ने अपने पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और अपनी टांगें फ़ैला कर चूत का दरवाज़ा मेरे लण्ड के लिए खोल दिया।

इसके बाद एक घंटे तक हम दोनों ने चुदाई का खेल खेला, अब मुन्नी सामान्य थी, मैंने मुन्नी से कहा- कुसुम को माफ़ कर दो ! अगर वो पैसे नहीं रखती, तो तुम्हें पता भी नहीं चलता। यह कहानी आप xforum.live पर पढ़ रहे हैं !

मुन्नी बोली मैं उसे माफ़ कर देती लेकिन जब गीता ने मुझे चुदवाया तब मुझे पता चला कि दूसरे की चुदती देखना कितनी बुरी बात है। मुझे कुसुम को यह अहसास करवाना ही पड़ेगा कि दूसरे की चुदती देखने का मज़ा लोगी तो एक दिन अपनी भी चुदवानी पड़ेगी। तुम मेरे साथ हो न? कुसुम की चोदोगे न?

मैंने हामी भरते हुए कहा- मुझे तो कुसुम से गीता भाभी और भैया की भी बेइज्ज़ती का बदला लेना है, उसकी चुदाई तो करवानी पड़ेगी ही। मैंने मुन्नी के कान में कुसुम की चुदाई का प्लान बताया। मेरा प्लान सुनकर मुन्नी बहुत खुश हुई, इसके बाद हम लोग अलग हो गए।

रात को जब मैं घर पहुँचा तो भाभी ने दरवाज़ा बंद किया और मेरे गालों पर पप्पी की बारिश करते हुए बोलीं- मज़ा आ गया। आज मुन्नी आई थी कह रही थी उसके पैसे कुसुम कुतिया ने ही चुराए हैं, उसको वो अब वैसे ही चुदवाएगी जैसे खुद चुदी थी। मुझसे कह रही थी उसी फ्लैट में कुसुम की गांड और चूत बजाएंगे। सच तुम्हारे कारण ही मैं बदला लेने मैं सफल हुई।

मैंने भाभी से कहा- मोहन भैया के थप्पड़ का भी बदला लेना है, कुसुम की चूत मोहन भैया से भी चुदवानी है। भाभी को पता नहीं था कि कुसुम ने मोहन को थप्पड़ मारा था। मैंने उन्हें पूरी बात बता दी। भाभी उत्साह से चिपकती हुई बोलीं- आह, बड़ा मज़ा आएगा जब मोहन का लण्ड उसकी चूत में घुसेगा, अपने सामने मोहन से चुदवाऊँगी कुतिया को।

भाभी के होंट चूसते हुए मैंने कहा- अब जरा प्यार वाला दूधू पिलाओ !

भाभी ने अपना ब्लाउज उठाया और अपने दोनों गोल संतरे बाहर निकाल दिए। मैंने के एक एक बार दोनों को दबाते हुए जी भरकर चूसा। शाम को मोहन भैया को भाभी ने बता दिया कि कुसुम उन्हीं हाथों से पकड़ कर प्यार से उनका लण्ड अपनी चूत में लगाएगी जिससे उसने आपको थप्पड़ मारा था, साथ ही साथ यह भी बताया ये सब मेरे कारण संभव हुआ है।

मोहन भैया कुसुम की चुदाई गीता के सामने की बात सुनकर बहुत खुश और उत्तेजित थे। अगले दिन मोहन भैया के जाने के बाद सुबह भाभी और मैं साथ साथ नहाए और खुशी ख़ुशी मैं भाभी ने मुझसे अपनी चूत का मर्दन दो बार करवाया।

घर से निकलने के बाद मैंने कुसुम को फोन किया और बता दिया कि कैसे मुन्नी को पता चल गया है कि पैसे उसने चुराए हैं। कुसुम को मैंने मिलने बुला लिया और उससे कहा- अब तुम्हें मुन्नी और गीता के सामने चुदना ही पड़ेगा नहीं तो मुन्नी तुम्हारे गाँव में सब बता देगी और तुम बदनाम हो जाओगी !

कुसुम पसीने से नहा रही थी, मैंने उसे बाँहों मैं भरा और उसकी पीठ सहलाते हुए कहा- बद अच्छा बदनाम बुरा ! मुन्नी की बात मान लेना और एक दिन मुन्नी और गीता के सामने चुद लेना ! नहीं तो पति और अपने गाँव की नज़रों में गिर जाओगी।

कुसुम डर गई और बोली- मेरे पति को और गाँव में पता नहीं चलना चाहिए।

कुसुम बोली- मैं मुन्नी और गीता के सामने चुदने को तयार हूँ।

कुसुम मुझसे चिपकती हुई बोली- आप ही चोदोगे न मुझे?

मैंने उसके होंटों को चूमते हुए कहा- कोशिश करूँगा लेकिन मैं तुम्हें बदनाम नहीं होने दूँगा। अब मुन्नी का जब फ़ोन आए तो गलती मान लेना और चुदने को तयार हो जाना। किसी को यह मत बताना कि तुम मेरी दोस्त बन गई हो।

हम लोग बात कर रहे थे, तभी मुन्नी का फ़ोन आ गया उसने कुसुम से कहा कि उसके बदन में दर्द है, थोड़ी देर को घर आ जा,वो गीता के घर मिलेगी।

कुसुम का चेहरा बुझ सा गया था। इसके बाद गीता भाभी का फ़ोन मुझे आया, बोली- मुन्नी ने कुसुम को बुलाया है, तुम भी आ जाओ। मैंने कुसुम को बाँहों में भरा और कहा- डरो नहीं, अब मैं भी वहाँ मिलूँगा।

कुसुम चिपकते हुए बोली- बड़ा डर लग रहा है, जाने से पहले एक बार मेरी चोद दो न।

मैंने कहा- ठीक है !

इसके बाद मैंने कुसुम की चुदाई करी और ऑटो में घर के लिए बैठा दिया। कुसुम से मैंने कहा कि मेरे बाद वो गीता के घर आए। इसके बाद मैंने घर के लिए ऑटो लिया।

कुसुम से पहले मैं घर पहुँच गया, वहाँ गीता पहले से बैठी थी।

तभी मुन्नी वहाँ आ गई और कमरे में घुस कर गीता को गले लगाते हुए मुन्नी बोली- गीता, मेरी प्यारी सहेली, इस कुतिया कुसुम के कारण ही मेरी बेइज्ज़ती हुई है, उसी हरामिन ने ही पैसे चुराए हैं इसके कारण ही मुझे कुतिया की तरह चुदना पड़ा। अब हम और तुम इस कुसुम को रंडी की तरह चुदवाएँगे।

मुन्नी मेरी तरफ देखती हुई बोली- राकेश भैया, आप को कुसुम की गांड और चूत वैसे ही चोदनी है जैसे आपने मेरी चोदी थी।

तभी कुसुम अंदर आ गई, मुन्नी उसे देखकर गुस्से से कांपने लगी, चिल्लाते हुए बोली- कुतिया रंडी, तूने मेरे पैसे चुराए थे। तेरे को चाल में बुलाने के लिए मैंने अपनी प्यारी सहेली गीता को चाल से निकालने के लिए खेल खेला और तू ही मेरे पैसे चुरा ले गई। तुझे तो दो दो लण्डों से चुदवाऊँगी।

गीता कुसुम के कंधे पर हाथ रखकर बोली- 2-2 से नहीं 3-3 से।

कुसुम रो पड़ी।

गीता ने आगे बढ़कर उसके आंसू पौंछे और बोली- जब खुद की चुदती है तो आँसू आते ही हैं, और जब दूसरे की चुदती है तो मज़ा आता है। एक दिन की बात है, मुन्नी और मैं तो चुद ही चुकी हैं, अब तेरी बारी है थोड़ा मज़ा लेंगें, उसके बाद हम तीनों दुबारा दोस्त हो जाएँगे।

कुसुम सर झुकाकर बोली- मैं चुदने को तैयार हूँ।

मुन्नी आगे बढ़कर बोली- तुझे तो तैयार होना ही पड़ेगा। राकेश भैया कल इसकी चुदाई का मुजरा कराते हैं। जब आपका लण्ड इसकी गांड फाड़ेगा तब इसे मज़ा आएगा।

गीता चोर आँखों से मुझे देख कर मुस्करा रही थी।
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कुसुम रो पड़ी। गीता ने आगे बढ़कर उसके आंसू पौंछे और बोली- जब खुद की चुदती है तो आँसू आते ही हैं, और जब दूसरे की चुदती है तो मज़ा आता है। एक दिन की बात है, मुन्नी और मैं तो चुद ही चुकी हैं, अब तेरी बारी है थोड़ा मज़ा लेंगें, उसके बाद हम तीनों दुबारा दोस्त हो जाएँगे।

कुसुम सर झुकाकर बोली- मैं चुदने को तैयार हूँ।

मुन्नी आगे बढ़कर बोली- तुझे तो तैयार होना ही पड़ेगा। राकेश भैया कल इसकी चुदाई का मुजरा कराते हैं। जब आपका लण्ड इसकी गांड फाड़ेगा तब इसे मज़ा आएगा।

गीता चोर आँखों से मुझे देख कर मुस्करा रही थी।

अगले दिन कुसुम मुन्नी और गीता के साथ फ्लैट में गई। पीछे पीछे मैं और मोहन भी आ गए हमने अंदर घुसते ही कपड़े उतार कर लुंगी पहन ली।

दूसरे कमरे मैं भाभी और मुन्नी ने अपनी साड़ी उतार ली और कुसुम की साड़ी भी उतरवा दी।

भाभी कुसुम के पेटीकोट का नाड़ा खींचकर बोली- कुसुम प्यारी, हमारी तुम्हारे कपड़ों से कोई दुश्मनी नहीं है, इन्हें उतार दो न।

तभी मैं और मोहन भी उस कमरे में आ गए। मोहन को देखकर कुसुम ने नीचे सरकते हुए पेटीकोट को पकड़ लिया, वो शरमा रही थी। कुसुम बोली- मुझे मोहन भैया से शर्म आ रही है।

मुन्नी बोली- इतनी शर्म आ रही है तो मोहन भैया से ही तुझे नंगी करा देते हैं। बेचारे सीधे साधे भैया जी को तूने थप्पड़ मारा था। उस दिन तू जब पैसे चुरा कर भाग रही थी तब तूने राखी की साड़ी पहने हुई थी ताकि दूर से तुझे कोई पहचान नहीं पाए। राखी से ये मजाक करते रहते हैं, इन्होंने राखी के धोखे में तेरे चूतड़ों पर हाथ फेर दिया और तूने इनको थप्पड़ मार दिया। आज तेरे थप्पड़ का बदला ये प्यार से तेरे चूतड़ों में अपना लण्ड डालकर देगें।

मुन्नी मोहन को आँख मारते हुए बोली- जेठ जी, देवरानी जी को नंगी करिए ना ! ऐसा शुभ दिन रोज़ रोज़ कहाँ आता है।

मोहन आगे बढ़ा और उसने गीता का हाथ पेटीकोट से हटा दिया, पेटीकोट सरसराता हुआ नीचे गिर गया, कुसुम के चूत प्रदेश का एक सुंदर नज़ारा हम सभी ने देखा।

कुसुम ने शर्म से अपनी टांगें आपस में मिला लीं।

गीता मुँह बनाते हुए बोली- राकेश भैया, आप जाकर इसे पूरी नंगी करो, इनके बस का नहीं है, देखो कुतिया ने कैसे चूत को टांगों में छुपा कर रखा हुआ है जैसे कोई पतिव्रता औरत नंगी हो रही हो। इसने कम से कम दस लण्ड खा रखे हैं, पूरी रंडी है, इसकी चाल देखकर कोई भी औरत बता देगी।

मैं कुसुम के पीछे पहुँच गया। मोहन साइड में हट गए।

कुसुम के ब्लाउज के कप ऊपर उठा कर उसकी दोनों चूचियाँ बाहर निकाल दीं और उनको दबाते हुए कान में फुसफुसाया- अब बकरी बन गई हो तो थोड़ी बेशर्म हो जाओ और सबको मज़े दो और खुद भी लो ! सब अंदर के लोग ही हैं।

मैंने उसकी चूत पर एक हाथ ले जाकर उसकी टांगें चौड़ी की और चूत में उंगली घुसा दी।

मुन्नी बोली- यह हुई न बात ! क्या फ़ूली हुई चूत है !

गीता अपनी मैक्सी के ऊपर से चूत रगड़ते हुए बोली- जरा इसका पिछवाड़ा भी तो दिखा दो।

अब उसका ब्लाउज उतारते हुए कुसुम को अपनी तरफ सीधा किया और अपने से चिपका लिया उसके नंगे पिछवाड़े का मज़ा तीनों लोग ले रहे थे।

मैंने मोहन को आँख मारी तो मोहन ने कुसुम के पिछवाड़े पर हाथ फेरते हुए गांड में उंगली करी और होंट काटते हुए कहा- आह, क्या मस्त गांड है, चोदने में मज़ा आ जाएगा।

कुसुम अब पूरी नंगी थी। मोहन और मेरे लण्ड लुंगी मैं गर्म हो चुके थे और कुसुम के नंगे छेदों मैं घुसने के लिए तड़प रहे थे।

मुन्नी ने कुसुम के चूतड़ों को सहलाते हुए कहा- अब प्यार से मोहन जी का लण्ड निकाल कर एक रंडी की तरह सहलाओ और अपनी चूत में डलवाओ।

मोहन के पास आकर कुसुम ने उनकी लुंगी खोल दी मोहन का लम्बा टनाटन लण्ड बाहर निकल आया।

कुसुम मोहन का लण्ड धीरे धारे सहलाने लगी, मोहन कुसुम की चूचियाँ दबाने लगा, मुन्नी मुस्कराती हुई बोली- इस कुतिया को लोड़े पर बैठा लो आज ! गीता भाभी की तरफ से पूरी छूट है।

गीता बोली- मोहन, इसे अपने लण्ड पर बैठाओ, जब तुम्हारा लण्ड इसकी चूत में घुसेगा तब मेरे कलेजे को कितनी ठंडक पहुंचेगी, मुझे ही यह बात पता है।

मोहन जमीन पर दीवार के सहारे अपना टनकता लण्ड हाथ में पकड़े गद्दे पर बैठ गया, कुसुम को मुन्नी हाथ पकड़ कर खींच कर लाई और उसके दोनों नंगे चूतड़ों पर दो दो पटाख पटाख चांटे धरते हुए कहा- रानी, हमें तेरी चूत में लण्ड घुसते हुए देखना है, चुपचाप मोहन जी के लण्ड पर अपनी चूत टिका दे।

मोहन ने कुसुम की जांघें चौड़ी करवा दी और इस तरह से उसकी कमर को पकड़ा कि लण्ड का सुपारा उसकी चूत पर छुलने लगा।
सामने भाभी और मुन्नी उसकी चूत में लौड़ा घुसने का इंतज़ार करने लगीं।

मोहन ने एक जोर का झटका मारते हुए लोड़ा उसकी चूत में घुसा दिया और अब वो मोहन के लण्ड पर बैठी हुई थी।

मोहन ने उसकी कमर पकड़ कर उसे ऊपर नीचे करते हुए चोदना शुरू कर दिया था।

दोनों औरतें उसकी चूत में लोड़ा पिलता देख कर खुश हो रहीं थीं।
कुसुम के छोटे छोटे चूचे ऊपर नीचे होते हुए हिल रहे थे।

उसकी चूत मैं लण्ड अंदर-बाहर होते हुए बाहर से साफ़ दिख रहा था।

दोनों औरतें कुसुम की लुटती जवानी का मज़ा ले रही थीं।

मोहन ने कुसुम को उठा कर उसे लेटा दिया था और उसकी चूत की कमांड अपने हाथों में लेते हुए उसकी जांघें उठाकर उसकी चूत चोदनी शुरू कर दी, कुसुम उह… आः… उह… उई… उऊ… करने लगी।

कुछ देर बाद मोहन ने लण्ड निकाल कर अपने वीर्य की बारिश कुसुम के ऊपर कर दी। कुसुम ने शर्म से आँखें बंद कर ली थीं।

भाभी ने आँख मारी और बोली- यह शरमा बहुत रही है, इसकी घोड़ी चुदाई करवाते हैं और इसके मुँह और चूत में साथ साथ लण्ड डलवाते हैं।

कुसुम हाथ जोड़ते हुए बोली- मुझे शर्म आ रही है, प्लीज दीदी, मुझे छोड़ दो ! अकेले में आप जिससे कहोगी उससे चुद लूँगी।

मुन्नी बोली- आह, अब पता चला न जब खुले में चुदती है तब कैसा लगता है। चल अब तुझे दूसरे कमरे में चुदवाती हूँ।

दूसरे कमरे में गद्देदार सोफा पड़ा हुआ था, उस पर मोहन टांगें फ़ैलाकर बैठ गया।

कुसुम को मुन्नी ने घोड़ी बना दिया और उसका मुँह मोहन की जाँघों के बीच रखा दिया।

कुसुम ने आगे बढ़कर मुन्नी के इशारे पर मोहन का झड़ा हुआ लण्ड मुँह में ले लिया और चूसने लगी।

मोहन भैया लण्ड चुसवाते हुए कभी धीरे धीरे से उसके चूतड़ सहलाते और कभी उन पर चांटे मार देते।
आज कुसुम उनका निजी माल जो बनी हुई थी।

गीता और मुन्नी यह देखकर अपनी मैक्सी ऊपर उठाकर चूत में उंगली कर रही थीं।

गीता ने उसके नर्म नर्म गुदाज़ चूतड़ों की तरफ देखते हुए धीरे से मेरे कान मैं कहा- चूतड़ तो कुतिया के बड़े मस्त हैं ! उस दिन मेरी घोड़ी चुदाई देखकर बहुत खुश हो रही थी और मेरी गांड में मोमबत्ती घुसाई थी हरमिन ने, आज तुम्हारा लण्ड डलवाती हूँ इसकी गांड में ! दो दो लण्डों से चुदेगी, तब पता चलेगा कुतिया को कि गीता की चुदाई देखने का मज़ा क्या होता है।

मुन्नी ने गीता की आवाज़ सुन ली थी, बोली- राकेश भैया, देर क्यों कर रहे हैं, जाकर इसकी गांड चोदिये ना, मेरी चुदाई का बदला तो तभी पूरा होगा जब इसकी गांड चुदेगी और आपके टट्टे इसके चूतड़ों पर तबला बजाएंगे।

मैंने आगे बढ़कर कुसुम की गांड के मुँह पर अपना लण्ड रख दिया और एक चुटकी उसकी कमर पर ली, यह एक इशारा था जिसका मतलब था गांड चुदवाते हुए कुसुम को जोर जोर से ऐसे चीखना है जैसे कि कुंवारी लड़की की गांड खोली जा रही है।

कुसुम ने मोहन का लण्ड मुँह से बाहर निकाल दिया और बोली- ऊई, यह क्या कर रहे हैं, मर जाऊँगी मैं।

मैंने उसके चूचियाँ हाथ में पकड़ी और लण्ड अंदर पेल दिया। कुसुम चीखने का नाटक करने लगी- आह… ऊहूह… मर गई… मर गई…

मुन्नी यही सुनना चाह रही थी। यह कहानी आप xforum.live पर पढ़ रहे हैं !

‘दीदी छुड़वाओ… ऊई… दर्द हो रहा है… ऊऊ… ऊ… मर गई…’

मुन्नी ताली बजाते हुए बोली- आह, अब आया न असली मज़ा !

थोड़ी देर में पूरा लण्ड मैंने कुसुम की गांड में घुसा दिया मोहन और मैं उसकी कमर पकड़े हुए थे।

उसकी गांड अब मैं दनादन पेल रहा था मेरे टट्टे उसके चूतड़ों से टकरा रहे थे और तबला बजा रहे थे।

कुसुम चीखें मार रही थी, उत्तेजना में गीता और मुन्नी ने अपनी मैक्सी उतार दी थीं, दोनों एक दूसरे की चूत में उंगली करते हुए कुसुम की गांड चुदाई के मज़े ले रही थीं।

कुछ देर बाद मैंने अपना पूरा वीर्ये उसकी गांड में छोड़ दिया।

इसके बाद मैंने और मोहन ने सोफे पर बैठकर कुसुम को अपनी गोद में लेटा लिया और मोहन ने अपना लण्ड उसके मुँह में दुबारा लगा दिया और उसे चुसवाने लगे, कुछ देर बाद मोहन भैया का ढेर सारा वीर्य कुसुम के मुँह में भर गया।

अब मुन्नी एक चुदी हुई औरत की तरह हम दोनों की गोद में टांगें फेला कर सीधी लेट गई।

मुन्नी कुसुम के गालों पर पप्पी लेते हुए बोली- अब हम लोग चाय पीते हैं, उसके बाद दूसरी पारी होगी। पहली में तो तूने खूब मज़े लिए हैं। जान कर एसे चिल्ला रही थी जैसे तेरी कुंवारी गांड चुद रही हो। मेरी भी गांड चुदी हुई है और जिसकी चुदी होती है उसे पता होता है पहली गांड चुदाई का दर्द क्या होता है।

गीता बोली- इसे तो 3-3 लण्डों से पिलवाना पड़ेगा, तब सुधरेगी यह।

उसके बाद हम सब नंगे होकर प्रेम से चाय पीने लगे। मैंने मुन्नी के गले में हाथ डालते हुए कुसुम की तरफ देखते हुए कहा- मुन्नी, तुम्हें एक वादा करना होगा !

मुन्नी बोली- राकेश, तुमने मुझ पर इतने अहसान किये हैं, तुम कहोगे तो मैं तुम्हारा मूत भी ख़ुशी ख़ुशी पी लूँगी।

मैं बोला- आज की सजा के बाद तुम कुसुम से वैसा ही प्यार करोगी जैसा पहले करती थीं।

मुन्नी बोली- ठीक है, लेकिन आज के बदले के बाद !

कुसुम रोते हुए बोली- दीदी, सच मेरे कारण गीता भाभी और आपको बहुत सहना पड़ा, आप मेरी 3-3 से नहीं 4-4 लण्डों से मेरी चूत चुदवाओ पर आप मुझसे प्यार करना मत छोड़ना और मेरे गाँव में कुछ नहीं कहना ! आगे से मैं कभी आपको धोखा नहीं दूंगी।

चाय पीने के बाद आधा घंटा हम सब ने आराम किया।
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