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अगले दिन अपने दोनों कपल्स सुबह जल्दी ही बड़ी दादी के घर जाने के लिए निकले और गाड़ी मे बैठ कर श्वेता ने शेखर से उनके बारे मे पूछा
श्वेता- दादी कहा रहती है?
शेखर- गाँव मे, गाँव मे वहा पूषतेनी घर है वही दादी के माइके का पूरा परिवार रहता है, बहुत सी खेती है और बिजनस भी उनका वही से ऑपरेट होता है, गाँव ज्यादा बड़ा नहीं है ज्यादा से ज्यादा 100 घर होंगे लेकिन सब अच्छे खासे लोग है ऐसा समझो के वहा लाइफ काफी सुकून वाली है
अब जब शेखर श्वेता को ये सब बता ही रहा है तो मैं आपको दादी के माइके के परिवार का इन्ट्रो दे देता हु।
सबसे पहले कुमुद जी ये बड़ी दादी है और हमारी दादी की बड़ी बहन जिन्होंने अपने छोटे भाई बहन की जिम्मेदारी के चलते काभी शादी नही की, इनके बाबूजी की काफी जमीन थी जिसे उनके बाद इन्होंने संभाला और अपने भाई बहन को सही से सेटल किया लेकिन सबके बारे मे सोचते सोचते खुद के बारे मे सोचना भूल गई, ये रमाकांत और धनंजय की मौसी , फिर इनके छोटे भाई रमेश- आरती, यानि दादी के भाई, रमेश जी के दो बच्चे एक बेटा जो है शुभंकर और उनकी पत्नी संध्या, वही रमेश जी की बेटी है वो है ममता और उनके पति है सुरेश, अब शुभंकर और संध्या के दो बच्चे है आकाश और स्वाती वही ममता और सुरेश जी को दो बेटियाँ है, आँचल और निकिता, होप आपको समझ आया होगा नाही आया तो फॅमिली ट्री का फोटू डाल दूंगा कल तो अब कहानी की ओर आगे बढ़ते है,
गाड़ी मे शेखर ने श्वेता को यही फॅमिली ट्री अच्छे से समझाया हालांकि वो सब को अच्छे से जानती थी वो अपनी शादी मे इन सब से मिल चुकी थी सिवाय बड़ी दादी के वही नेहा इन सब लोगों को अच्छे से जानती थी इसीलिए वो खिड़की के बाहर देख रही थी और तभी उसकी नजर रीयर व्यू मिरर पर पड़ी तो उसने पाया के राघव चुपके चुपके उसे देख रहा था और जैसे ही नेहा ने उसे देखा उसने अपनी नजरे घुमा ली और नेहा भी वापिस बाहर की ओर देखने लगी लेकिन इस बार उसके चेहरे पर हल्की सी स्माइल थी और चेहरे पर लाली अभी तक तो ऐसी कोई खबर नहीं आई थी के कुछ बुरा हुआ है और सब इसी उम्मीद मे थे के सब ठीक हो।
वो लोग आधे घंटे मे अपनी मंजिल पर पहुच चुके थे।
घर पुराने जमाने का था लेकिन आधुनिक सुविधाओं से लेस था, वो एक पुराने जमाने का पूषतेनी वाडा था जिसमे इस पूरे परिवार के रहने के लिए पर्याप्त रूम थे और घर के बीचों बीच आँगन बना हुआ था और घर के पीछे ही तरफ बढ़िया छोटा सा बगीचा था जिसमे तरह तरह के फूलों के झाड लगे हुए थे साथ ही वहा बैठने की व्यवस्था भी थी।
जब ये चारों वहा पहुचे तो इनका स्वागत किया शांति ने, असल इंसान नही साइलन्स ने
राघव- चलो अंदर चलते है,
राघव के कहते ही वो चारों अंदर आए और अंदर आते ही वो थोड़ा सप्राइज़ हुए
श्वेता- भाभी किसी की मौत का शोक ऐसे मनाया जाता है क्या?
एकदम शांति और घर को देख कर श्वेता ने नेहा के कान मे पूछा बदले मे नेहा ने उसे थोड़ा घूर के देखा और फिर पता नहीं बोल के वो भी आजू बाजू देखने लगि क्युकी जिस चीज ने इन्हे सबसे ज्यादा सप्राइज़ किया था वो थी घर की सजावट, क्युकी पूरा घर फूलों से सजा हुआ था और तभी उन्हे किसी के हसने की आवाजे आई जिसने उन्हे और भी कन्फ्यूज़ कर दिया तभी वहा उन्हे रिद्धि एक उसी की उम्र की लड़की के साथ इधर उधर फुदकती दिखी
राघव- रिद्धि, स्वाती!
राघव ने उन्हे आवाज लगाई और वो दोनों भी इन्हे देख के खुश हो गई और उनके चेहरे पर एक मुस्कान आ गई
स्वाती- भईया आप आ गए फाइनली!
स्वाती ने उनकी तरफ आते हुए कहा, वैसे तो स्वाती ज्यादा बात नहीं करती थी सिवाय उनसे जो उसे पसंद आते थे जैसे की अपनी मंडली
शेखर- ये.. क्या चल रहा है कोई बताएगा ?
शेखर ने सब सजावट देख कर रिद्धि से पूछा
रिद्धि – वो भाई हमे भी ये सब यहा आकर ही पता चला
नेहा- मतलब?!
रिद्धि – अरे आप सब पहले बड़ी दादी के रूम मे चलो वही आपको सब बताते है
इतना बोल के रिद्धि और स्वाती वहा से चली गई और उनके पीछे पीछे ये चारों भी बड़ी दादी के रूम की ओर निकल गए और जब वो वहा पहुचे तो उन्होंने वहा अपनी दादी गायत्री को हस हस कर बाते करते देखा जिसने उन्हे और कन्फ्यूज़ कर दिया के बड़ी दादी की तबीयत तो सीरीअस थी न
कुमुद- अरे आ गए तुम सब लोग!
बड़ी दादी ने उन्हे देखते ही बेड पर लेटे लेटे कहा और उन्हे देखते ही शेखर जाकर उनके पास बेड पर बैठ गया और उन्होंने भी शेखर के सर पे हाथ घुमाया
कुमुद- अच्छा है सब लोग आ गए है, राघव!!
उन्होंने राघव को भी अपने पास बुलाया
राघव- जब कल किसी ने मेरा फोन नहीं उठाया तभी मुझे समझ जाना चाहिए था
कुमुद- बेटे जी अगर मैं वैसे ही तुम्हें फोन करके बुलाती ना तो तुम तो आ ही जाते है न??
शेखर- ये तो कोई रीज़न नहीं हुआ दादी, आपकों नहीं पता हमारी क्या हालत हुई थी
शेखर ने शिकायत करते हुए कहा और राघव उनके पास गया
गायत्री- वही तो, दीदी ने कल डरा ही दिया था
कुमुद- तो मैं और क्या करती कितने साल हो गए थे तुम सबको ऐसे साथ देखे और वैसे भी क्या पता मुझ बुढ़िया के पास और कितने दिन बचे है
गायत्री- दीदी!
राघव- बड़ी दादी!
गायत्री और राघव दोनों एकसाथ बोले
कुमुद- अच्छा अच्छा सॉरी... पर तुम सब को साथ देखे बहुत समय हो गया था और मैं ये बहाना न करती तो तुम सब ऐसे थोड़ी भागे भागे आते
राघव- फिर भी आपको ये नहीं करना चाहिए था, डरा दिया था आपने कितने चिंता मे थे हम पता है और हमे बुलाना ही था तो और कोई बहाना बनाती ये क्या बात हुई किसी को बुलाने की
कुमुद- वो तो ऐसे ही थोड़ा मजाक और वैसे ही आकाश की सगाई है तो रीज़न भी था सबको बुलाने का तो थोड़ी मस्ती कर ली
शेखर- क्या! आकाश की सगाई है और मुझे किसी ने बताया भी नहीं
कुमुद- बेटा जी बात करोगे तो पता चलेगा ना...
दादी ने एक और ताना मारा
राघव- आप ना ड्रामा क्वीन हो, उस टाइम फिल्मों मे क्यू नहीं गई आप! ऐसे डराता है क्या कोई!
कुमुद- हा हा ठीक है बस अब कल से वैसे भी सब मुझे सुना ही रहे है तू मत बोल अब
राघव- हा तो सही कर रहे है वो आपको डांट मिलनी भी चाहिए
कुमुद- तेरी दादी बहुत डांट चुकी है मुझे और मुझे बताओ इसे किसने बुलाया था? मुझे तो मेरे बच्चों से मिलना था, खैर छोड़ो मेरी बहुए कहा है
उन्होंने इधर उधर देखा तो पाया के नेहा और श्वेता दरवाजे पर ही खड़ी थी
कुमुद – अरे तुम लोग वहा क्यू खड़ी को आओ इधर आओ मैं तुम्हारी दादी सास जैसी डरावनी नहीं हु
उन दोनों ने जाके बड़ी दादी के पैर छूए
कुमुद- सदा सुहागन रहो और अपने पिया की प्यारी बनी रहो
गायत्री- आप लोग बैठो मैं किसी को कमरे तयार करने कहती हु, रिद्धि स्वाती चली मेरी मदद करो दोनों
इतना बोल के दादी वहा से चली गई
कुमुद- अब तुम लोग किसका इंतजार कर रहे हो इनसे मिलवाओ तो मुझे
दादी ने राघव और शेखर से कहा
शेखर- दादी ये श्वेता है
कुमुद- एकदम नाम की तरफ ही है गोरी गोरी, और तुम नहीं मिलवाओगे राघव
राघव- ये रही मेरी वाइफ... नेहा
बड़ी दादी ने कुछ पल नेहा को देखा
कुमुद- पता नहीं क्यू पर बेटा मुझे लगता है मैंने देखा है तुम्हें, तुम्हें देख के किसी की याद आती है
उन्होंने कुछ याद करते हुए कहा लेकिन कुछ याद नहीं आया वही नेहा ने बस एक स्माइल दे दी
कुमुद – जाने दो लेकिन राघव ये उससे काही ज्यादा सुन्दर है जैसी तुम्हें चाहिए थी, पता है नेहा ये जब बचपन मे यहा आता था ना तो बताता था के बड़ी दादी मेरी न पत्नी ऐसी होगी वैसी होगी..
दादी ने मुसकुराते हुए कहा जिसपर नेहा भी मुस्कुरा दी
राघव- अरे यार दादी
और ये बाते सुन के शेखर हसने लगा
कुमुद- तुम क्या हस रहे हो? श्वेता तुम्हारी तो लव मेरिज है न लेकिन पता है ये न मुझसे कहता था के मैं कभी शादी नहीं करूंगा लड़किया तो सर दर्द होती है तो अब बच्चू अब कहा गया तुम्हारा सर दर्द
दादी ने शेखर का कान खिचते हुए कहा
शेखर- अरे दादी वो तो बचपन की बात थी अब मैं बड़ा हो गया हु अब लड़किया सर दर्द थोड़ी है अब तो....
लेकिन जैसे ही उसकी नजर श्वेता पर पड़ी जो उसे देख रही थी शेखर बोलते बोलते रुक गया
शेखर- बाकी लोग कहा है कोई दिख नहीं रहा शेखर ने बात बदलते हुए पूछा
कुमुद- तुम्हारे पापा लोग तो बाहर गए है और तुम्हारी माए सगाई की तयारिया कर रही है पीछे, तुम लोग जाओ पहले फ्रेश हो जाओ थोड़ा फिर हम बात करते है
जिसके बाद ये सब लोग वहा से निकल गए वही दादी सोचने लागि के उन्हे नेहा जानी पहचानी क्यू लग रही थी।
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आरती- अरे बेटा श्वेता नेहा आओ तुम लोग भी अपने लिए साड़िया पसंद कर लो सगाई के लिए तुम लोग कहा उस तयारी से आए होंगे, आओ यहा से अपने लिए साड़िया और गहने देख लो
जब ये दोनों घर के पीछे की साइड पहुची तो आरती जी ने इन्हे देख के कहा
घर के सारे मर्द घर के सामने वाले आँगन मे बैठे अपनी बात चित कर रहे थे वही पीछे बने बगीचे में एक तरफ अपना अक्खा गैंग बैठ के गप्पे मार रहा तथा उन्मे आकाश और स्वाती भी थे और जो नहीं था वो था राघव वही दूसरी तरह सब महिलाये अपने लिए साड़िया और गहने पसंद कर रही थी जीसे एक आदमी उन्हे दिखा रहा था, श्वेता और नेहा भी अपने लिए साड़िया देखने लगी
श्वेता- चाचीजी यहा तो सब साड़िया साउथ इंडियन स्टाइल की है ऐसा क्यू?
श्वेता ने साड़ियों को देखते हुए संध्या जी से पूछा
संध्या- अरे क्युकी आकाश और राधिका (आकाश की मंगेतर) इनकी इच्छा थी के सगाई साउथ इंडियन थीम से हो इसीलिए ये ड्रेसकोड है
संध्या जी ने जानकी और मीनाक्षी को साड़ी दिखाते हुए कहा, ये लोग सब बाते करते हुए साड़िया पसंद कर ही रहे थे के तभी एक लड़की की आवाज ने इन सब का ध्यान अपनी ओर खिचा
“संध्या काकी ये मा ने डिब्बा वापिस भेजा है” उस लड़की ने डिब्बा संध्या जी को देते हुए कहा और फिर उसकी नजर श्वेता और नेहा पर पड़ी और वो उन्हे कन्फ़्युशन मे देखने लगी और फिर उसने दूसरी तरफ देखा तो उसे वहा शेखर दिखाई दिया
“हे शेखर कैसा है भाई?” उस लड़की ने शेखर को देखते ही कहा और उसके पास जाने लगी वही श्वेता भी उसे और शेखर को देखने लगी
शेखर- बस सब बढ़िया है रितु मैडम तुम बताओ
रितु- मैं भी मस्त, सुना तुम्हारी शादी हो गई है
शेखर- यप , वो देखो वो मेरी वाइफ है श्वेता
शेखर ने श्वेता की ओर इशारा करके कहा जो उन्हे ही देख रही थी
रितु- कब आए तुम लोग? कल जब बाकी लोग आए उनके साथ नहीं थे तुम?
शेखर- हा वो अभी सुबह ही आए है हम सब
रितु- सब मतलब राघव? राघव भी आया है?
रितु ने राघव के बारे मे उत्सुकता से पूछा जिससे नेहा का ध्यान उसपे चला गया क्युकी शेखर से बात करते हुए वो इतनी एक्साइटेड नहीं थी जितना राघव का नाम सुनते ही हो गई थी
रितु- कितने साल हो गए यार उसे देखे हुए कहा है वो?
शेखर- वो.. वो उधर है
शेखर ने उसके पीछे इशारा करते हुए बेमन से कहा क्युकी वो जानता था के राघव का नाम सुनते ही ये इतना चहकने क्यू लगी थी लेकिन वो कुछ नहीं कर सकता था, शेखर ने नेहा को देखा जो रितु को देख रही थी जो राघव को देखते ही उसकी ओर दौड़ कर गई जब राघव वहा आ रहा था
रितु- राघव यार गुड टू सी यू, कितने साल हो गए है,
और बोलते बोलते उसने अचानक राघव को गले लगा लिया जीससे राघव का बैलन्स बिगड़ गया
आरती- पता है नेहा राघव जब बचपन मे यहा आता था न तब भी ये रितु ऐसे ही उसके पीछे भागती थी उसके साथ खेलने लेकिन ये तब भी उसे ऐटिटूड दिखाता था और ये अब भी नहीं बदली है
आरती जी ने मुसकुराते हुए कहा वही नेहा बस उन दोनों को देख रही थी,
जब रितु राघव से अलग हुई तो राघव ने उसे देख स्माइल किया जो नेहा ने बराबर देखा
‘मेरे साथ तो ये ऐसे कभी नहीं मुसकुराते’ नेहा ने मन ही मन सोचा और राघव को उसके साथ हस कर बात करते देख उसका मुह खुला का खुला रह गया
श्वेता- भाभी मुह बंद कर लो मक्खी घुस जाएगी
श्वेता की बात सुन नेहा होश मे आई
रितु राघव से बात करते हुए उसे बार बार छु लेती थी लेकिन राघव उसका कोई विरोध नहीं कर रहा था उल्टा वो तो मस्त कंफर्टेबल होकर बाते कर रहा था
‘जब मैं छूती हु तो दूर सरक जाते है और यहा देखो ऐसे मजे से बाते कर रहे है’ नेहा ने अपने हाथ मे पकड़ी साड़ी को मरोड़ते हुए सोचा वही श्वेता उसके जले पे नामक छिड़कते हुए बोली
श्वेता- भाभी ये भईया से कुछ ज्यादा नहीं चिपक रही?
राघव रितु से मस्त हस कर बात कर रहा था वही नेहा उन्हे देख के जल रही थी अब पता नहीं ये रितु इन दोनों के बीच क्या गुल खिलाएगी देखते है अगले अपडेट मे.......
अगले दिन अपने दोनों कपल्स सुबह जल्दी ही बड़ी दादी के घर जाने के लिए निकले और गाड़ी मे बैठ कर श्वेता ने शेखर से उनके बारे मे पूछा
श्वेता- दादी कहा रहती है?
शेखर- गाँव मे, गाँव मे वहा पूषतेनी घर है वही दादी के माइके का पूरा परिवार रहता है, बहुत सी खेती है और बिजनस भी उनका वही से ऑपरेट होता है, गाँव ज्यादा बड़ा नहीं है ज्यादा से ज्यादा 100 घर होंगे लेकिन सब अच्छे खासे लोग है ऐसा समझो के वहा लाइफ काफी सुकून वाली है
अब जब शेखर श्वेता को ये सब बता ही रहा है तो मैं आपको दादी के माइके के परिवार का इन्ट्रो दे देता हु।
सबसे पहले कुमुद जी ये बड़ी दादी है और हमारी दादी की बड़ी बहन जिन्होंने अपने छोटे भाई बहन की जिम्मेदारी के चलते काभी शादी नही की, इनके बाबूजी की काफी जमीन थी जिसे उनके बाद इन्होंने संभाला और अपने भाई बहन को सही से सेटल किया लेकिन सबके बारे मे सोचते सोचते खुद के बारे मे सोचना भूल गई, ये रमाकांत और धनंजय की मौसी , फिर इनके छोटे भाई रमेश- आरती, यानि दादी के भाई, रमेश जी के दो बच्चे एक बेटा जो है शुभंकर और उनकी पत्नी संध्या, वही रमेश जी की बेटी है वो है ममता और उनके पति है सुरेश, अब शुभंकर और संध्या के दो बच्चे है आकाश और स्वाती वही ममता और सुरेश जी को दो बेटियाँ है, आँचल और निकिता, होप आपको समझ आया होगा नाही आया तो फॅमिली ट्री का फोटू डाल दूंगा कल तो अब कहानी की ओर आगे बढ़ते है,
गाड़ी मे शेखर ने श्वेता को यही फॅमिली ट्री अच्छे से समझाया हालांकि वो सब को अच्छे से जानती थी वो अपनी शादी मे इन सब से मिल चुकी थी सिवाय बड़ी दादी के वही नेहा इन सब लोगों को अच्छे से जानती थी इसीलिए वो खिड़की के बाहर देख रही थी और तभी उसकी नजर रीयर व्यू मिरर पर पड़ी तो उसने पाया के राघव चुपके चुपके उसे देख रहा था और जैसे ही नेहा ने उसे देखा उसने अपनी नजरे घुमा ली और नेहा भी वापिस बाहर की ओर देखने लगी लेकिन इस बार उसके चेहरे पर हल्की सी स्माइल थी और चेहरे पर लाली अभी तक तो ऐसी कोई खबर नहीं आई थी के कुछ बुरा हुआ है और सब इसी उम्मीद मे थे के सब ठीक हो।
वो लोग आधे घंटे मे अपनी मंजिल पर पहुच चुके थे।
घर पुराने जमाने का था लेकिन आधुनिक सुविधाओं से लेस था, वो एक पुराने जमाने का पूषतेनी वाडा था जिसमे इस पूरे परिवार के रहने के लिए पर्याप्त रूम थे और घर के बीचों बीच आँगन बना हुआ था और घर के पीछे ही तरफ बढ़िया छोटा सा बगीचा था जिसमे तरह तरह के फूलों के झाड लगे हुए थे साथ ही वहा बैठने की व्यवस्था भी थी।
जब ये चारों वहा पहुचे तो इनका स्वागत किया शांति ने, असल इंसान नही साइलन्स ने
राघव- चलो अंदर चलते है,
राघव के कहते ही वो चारों अंदर आए और अंदर आते ही वो थोड़ा सप्राइज़ हुए
श्वेता- भाभी किसी की मौत का शोक ऐसे मनाया जाता है क्या?
एकदम शांति और घर को देख कर श्वेता ने नेहा के कान मे पूछा बदले मे नेहा ने उसे थोड़ा घूर के देखा और फिर पता नहीं बोल के वो भी आजू बाजू देखने लगि क्युकी जिस चीज ने इन्हे सबसे ज्यादा सप्राइज़ किया था वो थी घर की सजावट, क्युकी पूरा घर फूलों से सजा हुआ था और तभी उन्हे किसी के हसने की आवाजे आई जिसने उन्हे और भी कन्फ्यूज़ कर दिया तभी वहा उन्हे रिद्धि एक उसी की उम्र की लड़की के साथ इधर उधर फुदकती दिखी
राघव- रिद्धि, स्वाती!
राघव ने उन्हे आवाज लगाई और वो दोनों भी इन्हे देख के खुश हो गई और उनके चेहरे पर एक मुस्कान आ गई
स्वाती- भईया आप आ गए फाइनली!
स्वाती ने उनकी तरफ आते हुए कहा, वैसे तो स्वाती ज्यादा बात नहीं करती थी सिवाय उनसे जो उसे पसंद आते थे जैसे की अपनी मंडली
शेखर- ये.. क्या चल रहा है कोई बताएगा ?
शेखर ने सब सजावट देख कर रिद्धि से पूछा
रिद्धि – वो भाई हमे भी ये सब यहा आकर ही पता चला
नेहा- मतलब?!
रिद्धि – अरे आप सब पहले बड़ी दादी के रूम मे चलो वही आपको सब बताते है
इतना बोल के रिद्धि और स्वाती वहा से चली गई और उनके पीछे पीछे ये चारों भी बड़ी दादी के रूम की ओर निकल गए और जब वो वहा पहुचे तो उन्होंने वहा अपनी दादी गायत्री को हस हस कर बाते करते देखा जिसने उन्हे और कन्फ्यूज़ कर दिया के बड़ी दादी की तबीयत तो सीरीअस थी न
कुमुद- अरे आ गए तुम सब लोग!
बड़ी दादी ने उन्हे देखते ही बेड पर लेटे लेटे कहा और उन्हे देखते ही शेखर जाकर उनके पास बेड पर बैठ गया और उन्होंने भी शेखर के सर पे हाथ घुमाया
कुमुद- अच्छा है सब लोग आ गए है, राघव!!
उन्होंने राघव को भी अपने पास बुलाया
राघव- जब कल किसी ने मेरा फोन नहीं उठाया तभी मुझे समझ जाना चाहिए था
कुमुद- बेटे जी अगर मैं वैसे ही तुम्हें फोन करके बुलाती ना तो तुम तो आ ही जाते है न??
शेखर- ये तो कोई रीज़न नहीं हुआ दादी, आपकों नहीं पता हमारी क्या हालत हुई थी
शेखर ने शिकायत करते हुए कहा और राघव उनके पास गया
गायत्री- वही तो, दीदी ने कल डरा ही दिया था
कुमुद- तो मैं और क्या करती कितने साल हो गए थे तुम सबको ऐसे साथ देखे और वैसे भी क्या पता मुझ बुढ़िया के पास और कितने दिन बचे है
गायत्री- दीदी!
राघव- बड़ी दादी!
गायत्री और राघव दोनों एकसाथ बोले
कुमुद- अच्छा अच्छा सॉरी... पर तुम सब को साथ देखे बहुत समय हो गया था और मैं ये बहाना न करती तो तुम सब ऐसे थोड़ी भागे भागे आते
राघव- फिर भी आपको ये नहीं करना चाहिए था, डरा दिया था आपने कितने चिंता मे थे हम पता है और हमे बुलाना ही था तो और कोई बहाना बनाती ये क्या बात हुई किसी को बुलाने की
कुमुद- वो तो ऐसे ही थोड़ा मजाक और वैसे ही आकाश की सगाई है तो रीज़न भी था सबको बुलाने का तो थोड़ी मस्ती कर ली
शेखर- क्या! आकाश की सगाई है और मुझे किसी ने बताया भी नहीं
कुमुद- बेटा जी बात करोगे तो पता चलेगा ना...
दादी ने एक और ताना मारा
राघव- आप ना ड्रामा क्वीन हो, उस टाइम फिल्मों मे क्यू नहीं गई आप! ऐसे डराता है क्या कोई!
कुमुद- हा हा ठीक है बस अब कल से वैसे भी सब मुझे सुना ही रहे है तू मत बोल अब
राघव- हा तो सही कर रहे है वो आपको डांट मिलनी भी चाहिए
कुमुद- तेरी दादी बहुत डांट चुकी है मुझे और मुझे बताओ इसे किसने बुलाया था? मुझे तो मेरे बच्चों से मिलना था, खैर छोड़ो मेरी बहुए कहा है
उन्होंने इधर उधर देखा तो पाया के नेहा और श्वेता दरवाजे पर ही खड़ी थी
कुमुद – अरे तुम लोग वहा क्यू खड़ी को आओ इधर आओ मैं तुम्हारी दादी सास जैसी डरावनी नहीं हु
उन दोनों ने जाके बड़ी दादी के पैर छूए
कुमुद- सदा सुहागन रहो और अपने पिया की प्यारी बनी रहो
गायत्री- आप लोग बैठो मैं किसी को कमरे तयार करने कहती हु, रिद्धि स्वाती चली मेरी मदद करो दोनों
इतना बोल के दादी वहा से चली गई
कुमुद- अब तुम लोग किसका इंतजार कर रहे हो इनसे मिलवाओ तो मुझे
दादी ने राघव और शेखर से कहा
शेखर- दादी ये श्वेता है
कुमुद- एकदम नाम की तरफ ही है गोरी गोरी, और तुम नहीं मिलवाओगे राघव
राघव- ये रही मेरी वाइफ... नेहा
बड़ी दादी ने कुछ पल नेहा को देखा
कुमुद- पता नहीं क्यू पर बेटा मुझे लगता है मैंने देखा है तुम्हें, तुम्हें देख के किसी की याद आती है
उन्होंने कुछ याद करते हुए कहा लेकिन कुछ याद नहीं आया वही नेहा ने बस एक स्माइल दे दी
कुमुद – जाने दो लेकिन राघव ये उससे काही ज्यादा सुन्दर है जैसी तुम्हें चाहिए थी, पता है नेहा ये जब बचपन मे यहा आता था ना तो बताता था के बड़ी दादी मेरी न पत्नी ऐसी होगी वैसी होगी..
दादी ने मुसकुराते हुए कहा जिसपर नेहा भी मुस्कुरा दी
राघव- अरे यार दादी
और ये बाते सुन के शेखर हसने लगा
कुमुद- तुम क्या हस रहे हो? श्वेता तुम्हारी तो लव मेरिज है न लेकिन पता है ये न मुझसे कहता था के मैं कभी शादी नहीं करूंगा लड़किया तो सर दर्द होती है तो अब बच्चू अब कहा गया तुम्हारा सर दर्द
दादी ने शेखर का कान खिचते हुए कहा
शेखर- अरे दादी वो तो बचपन की बात थी अब मैं बड़ा हो गया हु अब लड़किया सर दर्द थोड़ी है अब तो....
लेकिन जैसे ही उसकी नजर श्वेता पर पड़ी जो उसे देख रही थी शेखर बोलते बोलते रुक गया
शेखर- बाकी लोग कहा है कोई दिख नहीं रहा शेखर ने बात बदलते हुए पूछा
कुमुद- तुम्हारे पापा लोग तो बाहर गए है और तुम्हारी माए सगाई की तयारिया कर रही है पीछे, तुम लोग जाओ पहले फ्रेश हो जाओ थोड़ा फिर हम बात करते है
जिसके बाद ये सब लोग वहा से निकल गए वही दादी सोचने लागि के उन्हे नेहा जानी पहचानी क्यू लग रही थी।
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आरती- अरे बेटा श्वेता नेहा आओ तुम लोग भी अपने लिए साड़िया पसंद कर लो सगाई के लिए तुम लोग कहा उस तयारी से आए होंगे, आओ यहा से अपने लिए साड़िया और गहने देख लो
जब ये दोनों घर के पीछे की साइड पहुची तो आरती जी ने इन्हे देख के कहा
घर के सारे मर्द घर के सामने वाले आँगन मे बैठे अपनी बात चित कर रहे थे वही पीछे बने बगीचे में एक तरफ अपना अक्खा गैंग बैठ के गप्पे मार रहा तथा उन्मे आकाश और स्वाती भी थे और जो नहीं था वो था राघव वही दूसरी तरह सब महिलाये अपने लिए साड़िया और गहने पसंद कर रही थी जीसे एक आदमी उन्हे दिखा रहा था, श्वेता और नेहा भी अपने लिए साड़िया देखने लगी
श्वेता- चाचीजी यहा तो सब साड़िया साउथ इंडियन स्टाइल की है ऐसा क्यू?
श्वेता ने साड़ियों को देखते हुए संध्या जी से पूछा
संध्या- अरे क्युकी आकाश और राधिका (आकाश की मंगेतर) इनकी इच्छा थी के सगाई साउथ इंडियन थीम से हो इसीलिए ये ड्रेसकोड है
संध्या जी ने जानकी और मीनाक्षी को साड़ी दिखाते हुए कहा, ये लोग सब बाते करते हुए साड़िया पसंद कर ही रहे थे के तभी एक लड़की की आवाज ने इन सब का ध्यान अपनी ओर खिचा
“संध्या काकी ये मा ने डिब्बा वापिस भेजा है” उस लड़की ने डिब्बा संध्या जी को देते हुए कहा और फिर उसकी नजर श्वेता और नेहा पर पड़ी और वो उन्हे कन्फ़्युशन मे देखने लगी और फिर उसने दूसरी तरफ देखा तो उसे वहा शेखर दिखाई दिया
“हे शेखर कैसा है भाई?” उस लड़की ने शेखर को देखते ही कहा और उसके पास जाने लगी वही श्वेता भी उसे और शेखर को देखने लगी
शेखर- बस सब बढ़िया है रितु मैडम तुम बताओ
रितु- मैं भी मस्त, सुना तुम्हारी शादी हो गई है
शेखर- यप , वो देखो वो मेरी वाइफ है श्वेता
शेखर ने श्वेता की ओर इशारा करके कहा जो उन्हे ही देख रही थी
रितु- कब आए तुम लोग? कल जब बाकी लोग आए उनके साथ नहीं थे तुम?
शेखर- हा वो अभी सुबह ही आए है हम सब
रितु- सब मतलब राघव? राघव भी आया है?
रितु ने राघव के बारे मे उत्सुकता से पूछा जिससे नेहा का ध्यान उसपे चला गया क्युकी शेखर से बात करते हुए वो इतनी एक्साइटेड नहीं थी जितना राघव का नाम सुनते ही हो गई थी
रितु- कितने साल हो गए यार उसे देखे हुए कहा है वो?
शेखर- वो.. वो उधर है
शेखर ने उसके पीछे इशारा करते हुए बेमन से कहा क्युकी वो जानता था के राघव का नाम सुनते ही ये इतना चहकने क्यू लगी थी लेकिन वो कुछ नहीं कर सकता था, शेखर ने नेहा को देखा जो रितु को देख रही थी जो राघव को देखते ही उसकी ओर दौड़ कर गई जब राघव वहा आ रहा था
रितु- राघव यार गुड टू सी यू, कितने साल हो गए है,
और बोलते बोलते उसने अचानक राघव को गले लगा लिया जीससे राघव का बैलन्स बिगड़ गया
आरती- पता है नेहा राघव जब बचपन मे यहा आता था न तब भी ये रितु ऐसे ही उसके पीछे भागती थी उसके साथ खेलने लेकिन ये तब भी उसे ऐटिटूड दिखाता था और ये अब भी नहीं बदली है
आरती जी ने मुसकुराते हुए कहा वही नेहा बस उन दोनों को देख रही थी,
जब रितु राघव से अलग हुई तो राघव ने उसे देख स्माइल किया जो नेहा ने बराबर देखा
‘मेरे साथ तो ये ऐसे कभी नहीं मुसकुराते’ नेहा ने मन ही मन सोचा और राघव को उसके साथ हस कर बात करते देख उसका मुह खुला का खुला रह गया
श्वेता- भाभी मुह बंद कर लो मक्खी घुस जाएगी
श्वेता की बात सुन नेहा होश मे आई
रितु राघव से बात करते हुए उसे बार बार छु लेती थी लेकिन राघव उसका कोई विरोध नहीं कर रहा था उल्टा वो तो मस्त कंफर्टेबल होकर बाते कर रहा था
‘जब मैं छूती हु तो दूर सरक जाते है और यहा देखो ऐसे मजे से बाते कर रहे है’ नेहा ने अपने हाथ मे पकड़ी साड़ी को मरोड़ते हुए सोचा वही श्वेता उसके जले पे नामक छिड़कते हुए बोली
श्वेता- भाभी ये भईया से कुछ ज्यादा नहीं चिपक रही?
राघव रितु से मस्त हस कर बात कर रहा था वही नेहा उन्हे देख के जल रही थी अब पता नहीं ये रितु इन दोनों के बीच क्या गुल खिलाएगी देखते है अगले अपडेट मे.......
राघव और नेहा आवाज सुन कर दौड़ कर नीचे आए तो उन्हें नीचे का महोल देख कर थोड़ा शॉक लगा
राघव ने जब वहा की हालत देखि और अपनी दादी को देखा तो वो भाग के उसने पास गया और घुटनों पर उनके सामने बैठ गया, दादी सोफ़े पर अपने सर पर हाथ लगाये बैठी थी , नेहा भी राघव के पीछे पीछे दादी के पास आई
राघव- दादी क्या हुआ है?
राघव ने चिंता से पूछा लेकिन दादी ने कुछ जवाब नहीं दिया लेकिन उनकी आँखों मे पानी राघव देख सकता था और वही उसे सबसे ज्यादा परेशान कर रहे थे.. जब राघव ने अपनी दादी से कोई जवाब नही पाया तो वो जवाब की उम्मीद मे दादू की ओर मूडा
राघव- दादू क्या हुआ है? अरे बताओ कोई तो! पापा? चाचू?
राघव ने दादू से पूछा लेकिन वो भी कुछ बताने की हालत मे नहीं थे, दादू कही खोए हुए थे और अपने पापा और चाचा से भी राघव को कुछ जवाब नहीं मिला
राघव- अरे कोई मुझे बताएगा के क्या हुआ है?
किसी से भी जवाब ना पा कर राघव अब चिढ़ने लगा था और उसने चिल्ला के पूछा तभी शेखर उसके पास आया
शेखर- भाई बड़ी दादी ( दादी की बड़ी बहन)... उनकी... उनकी तबीयत बहुत सीरीअस है.... कुछ भी हो सकता है
शेखर ने धीमे से नीचे देखते हुए कहा
गायत्री- मुझे दीदी के पास जाना है, शिव मुझे वहा ले चलिए
दादी रोते हुए उठ कर दादू से बोली
शिवशंकर- हम्म, धनंजय ने सब तयारी कर दी है गायत्री, कार तयार है हम अभी वहा चल रहे है
दादू ने दादी को शांत कराते हुए कहा
गायत्री- तो जल्दी चलो फिर
दादी की हालत देख राघव ने उन्हे गले लगा लिया और उनकी पीठ सहलाने लगा
रमाकांत- मा ऐसे रोइए मत आप आपकी तबीयत खराब हो जाएगी और पापा आ रहे है आपके साथ और हमे भी मिलना है मौसी से हम भी चल रहे है
रमाकांत जी ने कहा जिसपर दादू ने हामी भर दी
शिवशंकर- ठीक है फिर मैं गायत्री, रमाकांत जानकी धनंजय और मीनाक्षी जाते है अभी, वो भी हमसे मिलना चाहती है
विवेक- हम भी आएंगे दादू
शेखर- हा दादू हम भी चलेंगे
रमाकांत- ठीक है फिर विवेक और रिद्धि हमारे साथ ही चलेंगे और किसी को सब मैनेज करने के लिए यहा रुकना पड़ेगा बेटा राघव नेहा तुम और शेखर और श्वेता तुम लोग यहा का सब मैनेज करके कल सुबह आ जाना, और शेखर तुम मेरे पार्टी ऑफिस मे जाकर खबर कर देना और कुछ काम होगा तो सेटल कर देना
शेखर- जी बड़े पापा
राघव- मैं ऑफिस के काम देख लूँगा बाकी सब शेखर देख लेगा
शिवशंकर- मुझे लगता है हमे वहा कुछ दिन रुकना पड़ेगा
ये लोग बात ही कर ही रहे थे के इतने मे ड्राइवर ने आकार गाड़ी रेडी है कहा
धनंजय- हम्म! हम लोग आ ही रहे है तुम तब तक कार शुरू करो
रमाकांत- मा पापा आप जाकर पॅकिंग कर लीजिए हम भी तयार हो जाते है
जिसके बाद दादू दादी को लेकर अपने कमरे मे चले गए वही घर के बड़े लोग सब पॅकिंग मे लग गए और राघव अपना सर पकड़ कर वही सोफ़े पर बैठ गया और शेखर उसके बाजू मे वही घर की दोनों बहु बड़ों की पॅकिंग मे मदद करने लगी, कुछ समय बाद विवेक और रिद्धि के साथ वो सब लोग निकल गए
राघव- शेखर तुम पहले डैड के पार्टी ऑफिस का काम निपटा कर ऑफिस पहुचो मैं ऑफिस के लिए निकल रहा हु आज सब मैनेज करके हम कल सुबह जल्दी ही निकलेंगे
राघव ने शेखर से कहा और सुबह जल्दी निकलने वाली लाइन उसने नेहा को देख कर बोली तो दोनों ने हामी भर दी जिसके बाद राघव और शेखर अपने अपने कामों से चले गए और अब उस बड़े से वाड़े मे बस नेहा और श्वेता बची थी।
नेहा- श्वेता शाम होने वाली है तुम भी जाकर अपने और शेखर के कपड़े पैक करने शुरू कर दो आज इन लोगों को आने में लेट होने वाला है, मैं हेलपर्स को सब समझ देती हु
श्वेता- भाभी रीलैक्स सब सही होगा
श्वेता ने नेहा के कंधे पर हाथ रख कर उसे शांत करते हुए कहा
नेहा- ये लोग बड़ी दादी को लेके बहुत सेंसिटिव है श्वेता, और इनका तो पूरा बचपन ही उनके साथ गुजरा है तो ये उनसे काफी ज्यादा क्लोज़ है अब ये और स्ट्रेस ले लेंगे, मैंने कभी बड़ी दादी को देखा नहीं है लेकिन उनके बारे मे बहुत सुना है वो तबीयत की वजह से हमारी शादी मे भी नहीं थी
श्वेता- हम इसमे कुछ नहीं कर सकते भाभी, अब असल बात तो वहा जाकर ही पता चलेगी
जिसके बाद श्वेता अपने रूम मे चली गई और नेहा ने घर के नौकरों को सब समझाया और वो भी पॅकिंग करने अपने कमरे मे चली गई...
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इस वक्त घड़ी मे रात के 12.30 बज रहे थे और राघव और शेखर अभी तक ऑफिस से नहीं लौटे थे और नेहा और श्वेता उनका इंतजार कर रही थी
जल्द ही उन्हे बेल बजने का आवाज आया तो श्वेता ने दरवाजा खोला, सामने राघव और शेखर थके हुए खड़े थे श्वेता ने उन्हे अंदर आने का रास्ता दिया
श्वेता- सब हो गया
श्वेता ने शेखर से पूछा तो उसने हा मे गर्दन हिला दी और वो और राघव सोफ़े पर आकार बैठ गए तो नेहा ने उनके लिए पानी ले लाई
नेहा- आपलोग जाकर चेंज कर आओ मैं खाना लगाती हु
नेहा उन दोनों के पानी के खाली ग्लास लेते हुए कहा, बादमे खाना उन लोगों ने शांति से ही खाया, नेहा खाते वक्त ज्यादा बोलती नहीं थी वही श्वेता भी ज्यादा कुछ नहीं बोली क्युकी राघव और शेखर काफी ज्यादा थके हुए लग रहे थे, अगले हफ्ते दस दिन का काम 1 दिन मे किया था उन्होंने जिसका असर उनके चेहरे पर साफ था , खाना होने के बाद दोनों अपने अपने रूम मे चले गए।
नेहा जब अपने रूम मे पहुची तो उसने देखा के राघव बेड पर आधा लेता हुया था और अपना सर सहला रहा था और उसकी आंखे बंद थी ।
नेहा- मैंने सारी पॅकिंग कर ली है!
राघव- हम्म!
राघव ने आंखे खोल के नेहा को एक पल देखा और वापिस आंखे बंद कर ली
नेहा- सर दर्द कर रहा है?
राघव- हम्म हल्का सा
राघव ने अपना सर पीछे बेड पर टिकाते हुए कहा
नेहा- मैं मालिश कर देती हु अच्छा लगेगा आपको
राघव- नहीं रहने दो हल्का सा दर्द है बस दवा ले लूँगा ठीक हो जाएगा
नेहा- जब हल्का सा ही दर्द है तो मालिश बढ़िया ऑप्शन है, हर बात पर दवाई नहीं खाई जाती
नेहा ने राघव ने पास आते हुए कहा
राघव- पक्का?
नेहा- जी, अब आइए यहा स्टूल पर बैठिए
जिसके बाद राघव ने चुप चाप नेहा की बात मान ली और नेहा ने उसके सर की तेल मालिश शुरू की जिससे राघव को रीलैक्स महसूस होने लगा
राघव- यार क्या सही लग रहा है ये
राघव ने आंखे मुंदे ही कहा
नेहा- रिद्धि ने शाम को मुझे मैसेज किया था वो सही से पहुच गए है
राघव- बड़ी दादी की तबीयत कैसी है अब? पूछा तुमने?
नेहा- मैंने कॉल किया था लेकिन बात नहीं हो पाई, फोन पर नेटवर्क नहीं था शायद मैसेज किया है लेकिन रिद्धि ने देखा नहीं है अभी
राघव- हम्म
नेहा- इतना स्ट्रेस मत लीजिए सब सही होगा
राघव- पता नहीं अब कल क्या होने वाला है
तभी नेहा ने अपनी उँगलिया राघव ने सर पर प्रेस की ठीक सर पर
राघव- आह हा यही, सही लग रहा
अब राघव का सर दर्द कम था
नेहा- मैंने कहा था अच्छा लगेगा आपको
कुछ समय बाद राघव ने नेहा को रुकने कहा जब उसे अच्छा लगने लगा और फिर वो बेड पर लेट गया और नेहा भी अपने हाथ धो कर वहा आ गई
राघव- हम कल सुबह 6 बजे निकलेंगे
राघव ने नेहा को कल का प्लान बताया जिसपर उसने हा मे गर्दन हिला दी जिसके बाद राघव ने नेहा का बाया हाथ पकड़ लिया जिससे नेहा पहले तो थोड़ा चौकी लेकिन कुछ बोली नहीं
राघव- वो ठीक होंगी ना?
राघव ने अचानक पूछा और नेहा ने अपना दाया हाथ राघव के हाथ पर रख कर उसे आश्वस्त किया
नेहा – सब सही होगा आप ज्यादा मत सोचो इस बारे मे
राघव- मैंने अपना बहुत सा बचपन, छुट्टिया उनके साथ बिताई है इसीलिए वो मेरे सबसे ज्यादा क्लोज़ है मैं नहीं जानता अगर उन्हे कुछ हुआ तो मैं क्या कर बैठूँगा
राघव की आवाज से साफ पता चल रहा था के उसे बड़ी दादी की कितनी फिक्र थी और वो कितना ज्यादा डरा हुआ था, नेहा उसकी चिंता को साफ महसूस कर पा रही रही वो उसके थोड़ा पास सरकी
नेहा- बस कुछ मत सोचिए, कल जो होगा हम साथ मे देखेंगे सब सही होगा आप बस आराम कीजिए अभी
नेहा ने राघव के सर को थपथपाना शुरू किया और राघव ने अपनी आंखे बंद कर ली और धीरे धीरे नींद के आग़ोश मे समा गया......
अगले दिन अपने दोनों कपल्स सुबह जल्दी ही बड़ी दादी के घर जाने के लिए निकले और गाड़ी मे बैठ कर श्वेता ने शेखर से उनके बारे मे पूछा
श्वेता- दादी कहा रहती है?
शेखर- गाँव मे, गाँव मे वहा पूषतेनी घर है वही दादी के माइके का पूरा परिवार रहता है, बहुत सी खेती है और बिजनस भी उनका वही से ऑपरेट होता है, गाँव ज्यादा बड़ा नहीं है ज्यादा से ज्यादा 100 घर होंगे लेकिन सब अच्छे खासे लोग है ऐसा समझो के वहा लाइफ काफी सुकून वाली है
अब जब शेखर श्वेता को ये सब बता ही रहा है तो मैं आपको दादी के माइके के परिवार का इन्ट्रो दे देता हु।
सबसे पहले कुमुद जी ये बड़ी दादी है और हमारी दादी की बड़ी बहन जिन्होंने अपने छोटे भाई बहन की जिम्मेदारी के चलते काभी शादी नही की, इनके बाबूजी की काफी जमीन थी जिसे उनके बाद इन्होंने संभाला और अपने भाई बहन को सही से सेटल किया लेकिन सबके बारे मे सोचते सोचते खुद के बारे मे सोचना भूल गई, ये रमाकांत और धनंजय की मौसी , फिर इनके छोटे भाई रमेश- आरती, यानि दादी के भाई, रमेश जी के दो बच्चे एक बेटा जो है शुभंकर और उनकी पत्नी संध्या, वही रमेश जी की बेटी है वो है ममता और उनके पति है सुरेश, अब शुभंकर और संध्या के दो बच्चे है आकाश और स्वाती वही ममता और सुरेश जी को दो बेटियाँ है, आँचल और निकिता, होप आपको समझ आया होगा नाही आया तो फॅमिली ट्री का फोटू डाल दूंगा कल तो अब कहानी की ओर आगे बढ़ते है,
गाड़ी मे शेखर ने श्वेता को यही फॅमिली ट्री अच्छे से समझाया हालांकि वो सब को अच्छे से जानती थी वो अपनी शादी मे इन सब से मिल चुकी थी सिवाय बड़ी दादी के वही नेहा इन सब लोगों को अच्छे से जानती थी इसीलिए वो खिड़की के बाहर देख रही थी और तभी उसकी नजर रीयर व्यू मिरर पर पड़ी तो उसने पाया के राघव चुपके चुपके उसे देख रहा था और जैसे ही नेहा ने उसे देखा उसने अपनी नजरे घुमा ली और नेहा भी वापिस बाहर की ओर देखने लगी लेकिन इस बार उसके चेहरे पर हल्की सी स्माइल थी और चेहरे पर लाली अभी तक तो ऐसी कोई खबर नहीं आई थी के कुछ बुरा हुआ है और सब इसी उम्मीद मे थे के सब ठीक हो।
वो लोग आधे घंटे मे अपनी मंजिल पर पहुच चुके थे।
घर पुराने जमाने का था लेकिन आधुनिक सुविधाओं से लेस था, वो एक पुराने जमाने का पूषतेनी वाडा था जिसमे इस पूरे परिवार के रहने के लिए पर्याप्त रूम थे और घर के बीचों बीच आँगन बना हुआ था और घर के पीछे ही तरफ बढ़िया छोटा सा बगीचा था जिसमे तरह तरह के फूलों के झाड लगे हुए थे साथ ही वहा बैठने की व्यवस्था भी थी।
जब ये चारों वहा पहुचे तो इनका स्वागत किया शांति ने, असल इंसान नही साइलन्स ने
राघव- चलो अंदर चलते है,
राघव के कहते ही वो चारों अंदर आए और अंदर आते ही वो थोड़ा सप्राइज़ हुए
श्वेता- भाभी किसी की मौत का शोक ऐसे मनाया जाता है क्या?
एकदम शांति और घर को देख कर श्वेता ने नेहा के कान मे पूछा बदले मे नेहा ने उसे थोड़ा घूर के देखा और फिर पता नहीं बोल के वो भी आजू बाजू देखने लगि क्युकी जिस चीज ने इन्हे सबसे ज्यादा सप्राइज़ किया था वो थी घर की सजावट, क्युकी पूरा घर फूलों से सजा हुआ था और तभी उन्हे किसी के हसने की आवाजे आई जिसने उन्हे और भी कन्फ्यूज़ कर दिया तभी वहा उन्हे रिद्धि एक उसी की उम्र की लड़की के साथ इधर उधर फुदकती दिखी
राघव- रिद्धि, स्वाती!
राघव ने उन्हे आवाज लगाई और वो दोनों भी इन्हे देख के खुश हो गई और उनके चेहरे पर एक मुस्कान आ गई
स्वाती- भईया आप आ गए फाइनली!
स्वाती ने उनकी तरफ आते हुए कहा, वैसे तो स्वाती ज्यादा बात नहीं करती थी सिवाय उनसे जो उसे पसंद आते थे जैसे की अपनी मंडली
शेखर- ये.. क्या चल रहा है कोई बताएगा ?
शेखर ने सब सजावट देख कर रिद्धि से पूछा
रिद्धि – वो भाई हमे भी ये सब यहा आकर ही पता चला
नेहा- मतलब?!
रिद्धि – अरे आप सब पहले बड़ी दादी के रूम मे चलो वही आपको सब बताते है
इतना बोल के रिद्धि और स्वाती वहा से चली गई और उनके पीछे पीछे ये चारों भी बड़ी दादी के रूम की ओर निकल गए और जब वो वहा पहुचे तो उन्होंने वहा अपनी दादी गायत्री को हस हस कर बाते करते देखा जिसने उन्हे और कन्फ्यूज़ कर दिया के बड़ी दादी की तबीयत तो सीरीअस थी न
कुमुद- अरे आ गए तुम सब लोग!
बड़ी दादी ने उन्हे देखते ही बेड पर लेटे लेटे कहा और उन्हे देखते ही शेखर जाकर उनके पास बेड पर बैठ गया और उन्होंने भी शेखर के सर पे हाथ घुमाया
कुमुद- अच्छा है सब लोग आ गए है, राघव!!
उन्होंने राघव को भी अपने पास बुलाया
राघव- जब कल किसी ने मेरा फोन नहीं उठाया तभी मुझे समझ जाना चाहिए था
कुमुद- बेटे जी अगर मैं वैसे ही तुम्हें फोन करके बुलाती ना तो तुम तो आ ही जाते है न??
शेखर- ये तो कोई रीज़न नहीं हुआ दादी, आपकों नहीं पता हमारी क्या हालत हुई थी
शेखर ने शिकायत करते हुए कहा और राघव उनके पास गया
गायत्री- वही तो, दीदी ने कल डरा ही दिया था
कुमुद- तो मैं और क्या करती कितने साल हो गए थे तुम सबको ऐसे साथ देखे और वैसे भी क्या पता मुझ बुढ़िया के पास और कितने दिन बचे है
गायत्री- दीदी!
राघव- बड़ी दादी!
गायत्री और राघव दोनों एकसाथ बोले
कुमुद- अच्छा अच्छा सॉरी... पर तुम सब को साथ देखे बहुत समय हो गया था और मैं ये बहाना न करती तो तुम सब ऐसे थोड़ी भागे भागे आते
राघव- फिर भी आपको ये नहीं करना चाहिए था, डरा दिया था आपने कितने चिंता मे थे हम पता है और हमे बुलाना ही था तो और कोई बहाना बनाती ये क्या बात हुई किसी को बुलाने की
कुमुद- वो तो ऐसे ही थोड़ा मजाक और वैसे ही आकाश की सगाई है तो रीज़न भी था सबको बुलाने का तो थोड़ी मस्ती कर ली
शेखर- क्या! आकाश की सगाई है और मुझे किसी ने बताया भी नहीं
कुमुद- बेटा जी बात करोगे तो पता चलेगा ना...
दादी ने एक और ताना मारा
राघव- आप ना ड्रामा क्वीन हो, उस टाइम फिल्मों मे क्यू नहीं गई आप! ऐसे डराता है क्या कोई!
कुमुद- हा हा ठीक है बस अब कल से वैसे भी सब मुझे सुना ही रहे है तू मत बोल अब
राघव- हा तो सही कर रहे है वो आपको डांट मिलनी भी चाहिए
कुमुद- तेरी दादी बहुत डांट चुकी है मुझे और मुझे बताओ इसे किसने बुलाया था? मुझे तो मेरे बच्चों से मिलना था, खैर छोड़ो मेरी बहुए कहा है
उन्होंने इधर उधर देखा तो पाया के नेहा और श्वेता दरवाजे पर ही खड़ी थी
कुमुद – अरे तुम लोग वहा क्यू खड़ी को आओ इधर आओ मैं तुम्हारी दादी सास जैसी डरावनी नहीं हु
उन दोनों ने जाके बड़ी दादी के पैर छूए
कुमुद- सदा सुहागन रहो और अपने पिया की प्यारी बनी रहो
गायत्री- आप लोग बैठो मैं किसी को कमरे तयार करने कहती हु, रिद्धि स्वाती चली मेरी मदद करो दोनों
इतना बोल के दादी वहा से चली गई
कुमुद- अब तुम लोग किसका इंतजार कर रहे हो इनसे मिलवाओ तो मुझे
दादी ने राघव और शेखर से कहा
शेखर- दादी ये श्वेता है
कुमुद- एकदम नाम की तरफ ही है गोरी गोरी, और तुम नहीं मिलवाओगे राघव
राघव- ये रही मेरी वाइफ... नेहा
बड़ी दादी ने कुछ पल नेहा को देखा
कुमुद- पता नहीं क्यू पर बेटा मुझे लगता है मैंने देखा है तुम्हें, तुम्हें देख के किसी की याद आती है
उन्होंने कुछ याद करते हुए कहा लेकिन कुछ याद नहीं आया वही नेहा ने बस एक स्माइल दे दी
कुमुद – जाने दो लेकिन राघव ये उससे काही ज्यादा सुन्दर है जैसी तुम्हें चाहिए थी, पता है नेहा ये जब बचपन मे यहा आता था ना तो बताता था के बड़ी दादी मेरी न पत्नी ऐसी होगी वैसी होगी..
दादी ने मुसकुराते हुए कहा जिसपर नेहा भी मुस्कुरा दी
राघव- अरे यार दादी
और ये बाते सुन के शेखर हसने लगा
कुमुद- तुम क्या हस रहे हो? श्वेता तुम्हारी तो लव मेरिज है न लेकिन पता है ये न मुझसे कहता था के मैं कभी शादी नहीं करूंगा लड़किया तो सर दर्द होती है तो अब बच्चू अब कहा गया तुम्हारा सर दर्द
दादी ने शेखर का कान खिचते हुए कहा
शेखर- अरे दादी वो तो बचपन की बात थी अब मैं बड़ा हो गया हु अब लड़किया सर दर्द थोड़ी है अब तो....
लेकिन जैसे ही उसकी नजर श्वेता पर पड़ी जो उसे देख रही थी शेखर बोलते बोलते रुक गया
शेखर- बाकी लोग कहा है कोई दिख नहीं रहा शेखर ने बात बदलते हुए पूछा
कुमुद- तुम्हारे पापा लोग तो बाहर गए है और तुम्हारी माए सगाई की तयारिया कर रही है पीछे, तुम लोग जाओ पहले फ्रेश हो जाओ थोड़ा फिर हम बात करते है
जिसके बाद ये सब लोग वहा से निकल गए वही दादी सोचने लागि के उन्हे नेहा जानी पहचानी क्यू लग रही थी।
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आरती- अरे बेटा श्वेता नेहा आओ तुम लोग भी अपने लिए साड़िया पसंद कर लो सगाई के लिए तुम लोग कहा उस तयारी से आए होंगे, आओ यहा से अपने लिए साड़िया और गहने देख लो
जब ये दोनों घर के पीछे की साइड पहुची तो आरती जी ने इन्हे देख के कहा
घर के सारे मर्द घर के सामने वाले आँगन मे बैठे अपनी बात चित कर रहे थे वही पीछे बने बगीचे में एक तरफ अपना अक्खा गैंग बैठ के गप्पे मार रहा तथा उन्मे आकाश और स्वाती भी थे और जो नहीं था वो था राघव वही दूसरी तरह सब महिलाये अपने लिए साड़िया और गहने पसंद कर रही थी जीसे एक आदमी उन्हे दिखा रहा था, श्वेता और नेहा भी अपने लिए साड़िया देखने लगी
श्वेता- चाचीजी यहा तो सब साड़िया साउथ इंडियन स्टाइल की है ऐसा क्यू?
श्वेता ने साड़ियों को देखते हुए संध्या जी से पूछा
संध्या- अरे क्युकी आकाश और राधिका (आकाश की मंगेतर) इनकी इच्छा थी के सगाई साउथ इंडियन थीम से हो इसीलिए ये ड्रेसकोड है
संध्या जी ने जानकी और मीनाक्षी को साड़ी दिखाते हुए कहा, ये लोग सब बाते करते हुए साड़िया पसंद कर ही रहे थे के तभी एक लड़की की आवाज ने इन सब का ध्यान अपनी ओर खिचा
“संध्या काकी ये मा ने डिब्बा वापिस भेजा है” उस लड़की ने डिब्बा संध्या जी को देते हुए कहा और फिर उसकी नजर श्वेता और नेहा पर पड़ी और वो उन्हे कन्फ़्युशन मे देखने लगी और फिर उसने दूसरी तरफ देखा तो उसे वहा शेखर दिखाई दिया
“हे शेखर कैसा है भाई?” उस लड़की ने शेखर को देखते ही कहा और उसके पास जाने लगी वही श्वेता भी उसे और शेखर को देखने लगी
शेखर- बस सब बढ़िया है रितु मैडम तुम बताओ
रितु- मैं भी मस्त, सुना तुम्हारी शादी हो गई है
शेखर- यप , वो देखो वो मेरी वाइफ है श्वेता
शेखर ने श्वेता की ओर इशारा करके कहा जो उन्हे ही देख रही थी
रितु- कब आए तुम लोग? कल जब बाकी लोग आए उनके साथ नहीं थे तुम?
शेखर- हा वो अभी सुबह ही आए है हम सब
रितु- सब मतलब राघव? राघव भी आया है?
रितु ने राघव के बारे मे उत्सुकता से पूछा जिससे नेहा का ध्यान उसपे चला गया क्युकी शेखर से बात करते हुए वो इतनी एक्साइटेड नहीं थी जितना राघव का नाम सुनते ही हो गई थी
रितु- कितने साल हो गए यार उसे देखे हुए कहा है वो?
शेखर- वो.. वो उधर है
शेखर ने उसके पीछे इशारा करते हुए बेमन से कहा क्युकी वो जानता था के राघव का नाम सुनते ही ये इतना चहकने क्यू लगी थी लेकिन वो कुछ नहीं कर सकता था, शेखर ने नेहा को देखा जो रितु को देख रही थी जो राघव को देखते ही उसकी ओर दौड़ कर गई जब राघव वहा आ रहा था
रितु- राघव यार गुड टू सी यू, कितने साल हो गए है,
और बोलते बोलते उसने अचानक राघव को गले लगा लिया जीससे राघव का बैलन्स बिगड़ गया
आरती- पता है नेहा राघव जब बचपन मे यहा आता था न तब भी ये रितु ऐसे ही उसके पीछे भागती थी उसके साथ खेलने लेकिन ये तब भी उसे ऐटिटूड दिखाता था और ये अब भी नहीं बदली है
आरती जी ने मुसकुराते हुए कहा वही नेहा बस उन दोनों को देख रही थी,
जब रितु राघव से अलग हुई तो राघव ने उसे देख स्माइल किया जो नेहा ने बराबर देखा
‘मेरे साथ तो ये ऐसे कभी नहीं मुसकुराते’ नेहा ने मन ही मन सोचा और राघव को उसके साथ हस कर बात करते देख उसका मुह खुला का खुला रह गया
श्वेता- भाभी मुह बंद कर लो मक्खी घुस जाएगी
श्वेता की बात सुन नेहा होश मे आई
रितु राघव से बात करते हुए उसे बार बार छु लेती थी लेकिन राघव उसका कोई विरोध नहीं कर रहा था उल्टा वो तो मस्त कंफर्टेबल होकर बाते कर रहा था
‘जब मैं छूती हु तो दूर सरक जाते है और यहा देखो ऐसे मजे से बाते कर रहे है’ नेहा ने अपने हाथ मे पकड़ी साड़ी को मरोड़ते हुए सोचा वही श्वेता उसके जले पे नामक छिड़कते हुए बोली
श्वेता- भाभी ये भईया से कुछ ज्यादा नहीं चिपक रही?
राघव रितु से मस्त हस कर बात कर रहा था वही नेहा उन्हे देख के जल रही थी अब पता नहीं ये रितु इन दोनों के बीच क्या गुल खिलाएगी देखते है अगले अपडेट मे.......
wo sham me thoda baahar chala gaya tha to thoda late hu jaanta hu but update thoda bada hai kuch naye characters aaye hai acche bhi bure bhi update kaisa laga mast review me batane ka dostlog
Kahani ko sensitive se jalane wali banaya ja raha he Milord
Par kya kare writer ki marji chalegi aur kiski !
Ritu ka aana ek khataas ki tarah he Shekhar ke liye par Raghav ki mook sehmati kuchh alag darshati he!
Khair he
अगले दिन अपने दोनों कपल्स सुबह जल्दी ही बड़ी दादी के घर जाने के लिए निकले और गाड़ी मे बैठ कर श्वेता ने शेखर से उनके बारे मे पूछा
श्वेता- दादी कहा रहती है?
शेखर- गाँव मे, गाँव मे वहा पूषतेनी घर है वही दादी के माइके का पूरा परिवार रहता है, बहुत सी खेती है और बिजनस भी उनका वही से ऑपरेट होता है, गाँव ज्यादा बड़ा नहीं है ज्यादा से ज्यादा 100 घर होंगे लेकिन सब अच्छे खासे लोग है ऐसा समझो के वहा लाइफ काफी सुकून वाली है
अब जब शेखर श्वेता को ये सब बता ही रहा है तो मैं आपको दादी के माइके के परिवार का इन्ट्रो दे देता हु।
सबसे पहले कुमुद जी ये बड़ी दादी है और हमारी दादी की बड़ी बहन जिन्होंने अपने छोटे भाई बहन की जिम्मेदारी के चलते काभी शादी नही की, इनके बाबूजी की काफी जमीन थी जिसे उनके बाद इन्होंने संभाला और अपने भाई बहन को सही से सेटल किया लेकिन सबके बारे मे सोचते सोचते खुद के बारे मे सोचना भूल गई, ये रमाकांत और धनंजय की मौसी , फिर इनके छोटे भाई रमेश- आरती, यानि दादी के भाई, रमेश जी के दो बच्चे एक बेटा जो है शुभंकर और उनकी पत्नी संध्या, वही रमेश जी की बेटी है वो है ममता और उनके पति है सुरेश, अब शुभंकर और संध्या के दो बच्चे है आकाश और स्वाती वही ममता और सुरेश जी को दो बेटियाँ है, आँचल और निकिता, होप आपको समझ आया होगा नाही आया तो फॅमिली ट्री का फोटू डाल दूंगा कल तो अब कहानी की ओर आगे बढ़ते है,
गाड़ी मे शेखर ने श्वेता को यही फॅमिली ट्री अच्छे से समझाया हालांकि वो सब को अच्छे से जानती थी वो अपनी शादी मे इन सब से मिल चुकी थी सिवाय बड़ी दादी के वही नेहा इन सब लोगों को अच्छे से जानती थी इसीलिए वो खिड़की के बाहर देख रही थी और तभी उसकी नजर रीयर व्यू मिरर पर पड़ी तो उसने पाया के राघव चुपके चुपके उसे देख रहा था और जैसे ही नेहा ने उसे देखा उसने अपनी नजरे घुमा ली और नेहा भी वापिस बाहर की ओर देखने लगी लेकिन इस बार उसके चेहरे पर हल्की सी स्माइल थी और चेहरे पर लाली अभी तक तो ऐसी कोई खबर नहीं आई थी के कुछ बुरा हुआ है और सब इसी उम्मीद मे थे के सब ठीक हो।
वो लोग आधे घंटे मे अपनी मंजिल पर पहुच चुके थे।
घर पुराने जमाने का था लेकिन आधुनिक सुविधाओं से लेस था, वो एक पुराने जमाने का पूषतेनी वाडा था जिसमे इस पूरे परिवार के रहने के लिए पर्याप्त रूम थे और घर के बीचों बीच आँगन बना हुआ था और घर के पीछे ही तरफ बढ़िया छोटा सा बगीचा था जिसमे तरह तरह के फूलों के झाड लगे हुए थे साथ ही वहा बैठने की व्यवस्था भी थी।
जब ये चारों वहा पहुचे तो इनका स्वागत किया शांति ने, असल इंसान नही साइलन्स ने
राघव- चलो अंदर चलते है,
राघव के कहते ही वो चारों अंदर आए और अंदर आते ही वो थोड़ा सप्राइज़ हुए
श्वेता- भाभी किसी की मौत का शोक ऐसे मनाया जाता है क्या?
एकदम शांति और घर को देख कर श्वेता ने नेहा के कान मे पूछा बदले मे नेहा ने उसे थोड़ा घूर के देखा और फिर पता नहीं बोल के वो भी आजू बाजू देखने लगि क्युकी जिस चीज ने इन्हे सबसे ज्यादा सप्राइज़ किया था वो थी घर की सजावट, क्युकी पूरा घर फूलों से सजा हुआ था और तभी उन्हे किसी के हसने की आवाजे आई जिसने उन्हे और भी कन्फ्यूज़ कर दिया तभी वहा उन्हे रिद्धि एक उसी की उम्र की लड़की के साथ इधर उधर फुदकती दिखी
राघव- रिद्धि, स्वाती!
राघव ने उन्हे आवाज लगाई और वो दोनों भी इन्हे देख के खुश हो गई और उनके चेहरे पर एक मुस्कान आ गई
स्वाती- भईया आप आ गए फाइनली!
स्वाती ने उनकी तरफ आते हुए कहा, वैसे तो स्वाती ज्यादा बात नहीं करती थी सिवाय उनसे जो उसे पसंद आते थे जैसे की अपनी मंडली
शेखर- ये.. क्या चल रहा है कोई बताएगा ?
शेखर ने सब सजावट देख कर रिद्धि से पूछा
रिद्धि – वो भाई हमे भी ये सब यहा आकर ही पता चला
नेहा- मतलब?!
रिद्धि – अरे आप सब पहले बड़ी दादी के रूम मे चलो वही आपको सब बताते है
इतना बोल के रिद्धि और स्वाती वहा से चली गई और उनके पीछे पीछे ये चारों भी बड़ी दादी के रूम की ओर निकल गए और जब वो वहा पहुचे तो उन्होंने वहा अपनी दादी गायत्री को हस हस कर बाते करते देखा जिसने उन्हे और कन्फ्यूज़ कर दिया के बड़ी दादी की तबीयत तो सीरीअस थी न
कुमुद- अरे आ गए तुम सब लोग!
बड़ी दादी ने उन्हे देखते ही बेड पर लेटे लेटे कहा और उन्हे देखते ही शेखर जाकर उनके पास बेड पर बैठ गया और उन्होंने भी शेखर के सर पे हाथ घुमाया
कुमुद- अच्छा है सब लोग आ गए है, राघव!!
उन्होंने राघव को भी अपने पास बुलाया
राघव- जब कल किसी ने मेरा फोन नहीं उठाया तभी मुझे समझ जाना चाहिए था
कुमुद- बेटे जी अगर मैं वैसे ही तुम्हें फोन करके बुलाती ना तो तुम तो आ ही जाते है न??
शेखर- ये तो कोई रीज़न नहीं हुआ दादी, आपकों नहीं पता हमारी क्या हालत हुई थी
शेखर ने शिकायत करते हुए कहा और राघव उनके पास गया
गायत्री- वही तो, दीदी ने कल डरा ही दिया था
कुमुद- तो मैं और क्या करती कितने साल हो गए थे तुम सबको ऐसे साथ देखे और वैसे भी क्या पता मुझ बुढ़िया के पास और कितने दिन बचे है
गायत्री- दीदी!
राघव- बड़ी दादी!
गायत्री और राघव दोनों एकसाथ बोले
कुमुद- अच्छा अच्छा सॉरी... पर तुम सब को साथ देखे बहुत समय हो गया था और मैं ये बहाना न करती तो तुम सब ऐसे थोड़ी भागे भागे आते
राघव- फिर भी आपको ये नहीं करना चाहिए था, डरा दिया था आपने कितने चिंता मे थे हम पता है और हमे बुलाना ही था तो और कोई बहाना बनाती ये क्या बात हुई किसी को बुलाने की
कुमुद- वो तो ऐसे ही थोड़ा मजाक और वैसे ही आकाश की सगाई है तो रीज़न भी था सबको बुलाने का तो थोड़ी मस्ती कर ली
शेखर- क्या! आकाश की सगाई है और मुझे किसी ने बताया भी नहीं
कुमुद- बेटा जी बात करोगे तो पता चलेगा ना...
दादी ने एक और ताना मारा
राघव- आप ना ड्रामा क्वीन हो, उस टाइम फिल्मों मे क्यू नहीं गई आप! ऐसे डराता है क्या कोई!
कुमुद- हा हा ठीक है बस अब कल से वैसे भी सब मुझे सुना ही रहे है तू मत बोल अब
राघव- हा तो सही कर रहे है वो आपको डांट मिलनी भी चाहिए
कुमुद- तेरी दादी बहुत डांट चुकी है मुझे और मुझे बताओ इसे किसने बुलाया था? मुझे तो मेरे बच्चों से मिलना था, खैर छोड़ो मेरी बहुए कहा है
उन्होंने इधर उधर देखा तो पाया के नेहा और श्वेता दरवाजे पर ही खड़ी थी
कुमुद – अरे तुम लोग वहा क्यू खड़ी को आओ इधर आओ मैं तुम्हारी दादी सास जैसी डरावनी नहीं हु
उन दोनों ने जाके बड़ी दादी के पैर छूए
कुमुद- सदा सुहागन रहो और अपने पिया की प्यारी बनी रहो
गायत्री- आप लोग बैठो मैं किसी को कमरे तयार करने कहती हु, रिद्धि स्वाती चली मेरी मदद करो दोनों
इतना बोल के दादी वहा से चली गई
कुमुद- अब तुम लोग किसका इंतजार कर रहे हो इनसे मिलवाओ तो मुझे
दादी ने राघव और शेखर से कहा
शेखर- दादी ये श्वेता है
कुमुद- एकदम नाम की तरफ ही है गोरी गोरी, और तुम नहीं मिलवाओगे राघव
राघव- ये रही मेरी वाइफ... नेहा
बड़ी दादी ने कुछ पल नेहा को देखा
कुमुद- पता नहीं क्यू पर बेटा मुझे लगता है मैंने देखा है तुम्हें, तुम्हें देख के किसी की याद आती है
उन्होंने कुछ याद करते हुए कहा लेकिन कुछ याद नहीं आया वही नेहा ने बस एक स्माइल दे दी
कुमुद – जाने दो लेकिन राघव ये उससे काही ज्यादा सुन्दर है जैसी तुम्हें चाहिए थी, पता है नेहा ये जब बचपन मे यहा आता था ना तो बताता था के बड़ी दादी मेरी न पत्नी ऐसी होगी वैसी होगी..
दादी ने मुसकुराते हुए कहा जिसपर नेहा भी मुस्कुरा दी
राघव- अरे यार दादी
और ये बाते सुन के शेखर हसने लगा
कुमुद- तुम क्या हस रहे हो? श्वेता तुम्हारी तो लव मेरिज है न लेकिन पता है ये न मुझसे कहता था के मैं कभी शादी नहीं करूंगा लड़किया तो सर दर्द होती है तो अब बच्चू अब कहा गया तुम्हारा सर दर्द
दादी ने शेखर का कान खिचते हुए कहा
शेखर- अरे दादी वो तो बचपन की बात थी अब मैं बड़ा हो गया हु अब लड़किया सर दर्द थोड़ी है अब तो....
लेकिन जैसे ही उसकी नजर श्वेता पर पड़ी जो उसे देख रही थी शेखर बोलते बोलते रुक गया
शेखर- बाकी लोग कहा है कोई दिख नहीं रहा शेखर ने बात बदलते हुए पूछा
कुमुद- तुम्हारे पापा लोग तो बाहर गए है और तुम्हारी माए सगाई की तयारिया कर रही है पीछे, तुम लोग जाओ पहले फ्रेश हो जाओ थोड़ा फिर हम बात करते है
जिसके बाद ये सब लोग वहा से निकल गए वही दादी सोचने लागि के उन्हे नेहा जानी पहचानी क्यू लग रही थी।
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आरती- अरे बेटा श्वेता नेहा आओ तुम लोग भी अपने लिए साड़िया पसंद कर लो सगाई के लिए तुम लोग कहा उस तयारी से आए होंगे, आओ यहा से अपने लिए साड़िया और गहने देख लो
जब ये दोनों घर के पीछे की साइड पहुची तो आरती जी ने इन्हे देख के कहा
घर के सारे मर्द घर के सामने वाले आँगन मे बैठे अपनी बात चित कर रहे थे वही पीछे बने बगीचे में एक तरफ अपना अक्खा गैंग बैठ के गप्पे मार रहा तथा उन्मे आकाश और स्वाती भी थे और जो नहीं था वो था राघव वही दूसरी तरह सब महिलाये अपने लिए साड़िया और गहने पसंद कर रही थी जीसे एक आदमी उन्हे दिखा रहा था, श्वेता और नेहा भी अपने लिए साड़िया देखने लगी
श्वेता- चाचीजी यहा तो सब साड़िया साउथ इंडियन स्टाइल की है ऐसा क्यू?
श्वेता ने साड़ियों को देखते हुए संध्या जी से पूछा
संध्या- अरे क्युकी आकाश और राधिका (आकाश की मंगेतर) इनकी इच्छा थी के सगाई साउथ इंडियन थीम से हो इसीलिए ये ड्रेसकोड है
संध्या जी ने जानकी और मीनाक्षी को साड़ी दिखाते हुए कहा, ये लोग सब बाते करते हुए साड़िया पसंद कर ही रहे थे के तभी एक लड़की की आवाज ने इन सब का ध्यान अपनी ओर खिचा
“संध्या काकी ये मा ने डिब्बा वापिस भेजा है” उस लड़की ने डिब्बा संध्या जी को देते हुए कहा और फिर उसकी नजर श्वेता और नेहा पर पड़ी और वो उन्हे कन्फ़्युशन मे देखने लगी और फिर उसने दूसरी तरफ देखा तो उसे वहा शेखर दिखाई दिया
“हे शेखर कैसा है भाई?” उस लड़की ने शेखर को देखते ही कहा और उसके पास जाने लगी वही श्वेता भी उसे और शेखर को देखने लगी
शेखर- बस सब बढ़िया है रितु मैडम तुम बताओ
रितु- मैं भी मस्त, सुना तुम्हारी शादी हो गई है
शेखर- यप , वो देखो वो मेरी वाइफ है श्वेता
शेखर ने श्वेता की ओर इशारा करके कहा जो उन्हे ही देख रही थी
रितु- कब आए तुम लोग? कल जब बाकी लोग आए उनके साथ नहीं थे तुम?
शेखर- हा वो अभी सुबह ही आए है हम सब
रितु- सब मतलब राघव? राघव भी आया है?
रितु ने राघव के बारे मे उत्सुकता से पूछा जिससे नेहा का ध्यान उसपे चला गया क्युकी शेखर से बात करते हुए वो इतनी एक्साइटेड नहीं थी जितना राघव का नाम सुनते ही हो गई थी
रितु- कितने साल हो गए यार उसे देखे हुए कहा है वो?
शेखर- वो.. वो उधर है
शेखर ने उसके पीछे इशारा करते हुए बेमन से कहा क्युकी वो जानता था के राघव का नाम सुनते ही ये इतना चहकने क्यू लगी थी लेकिन वो कुछ नहीं कर सकता था, शेखर ने नेहा को देखा जो रितु को देख रही थी जो राघव को देखते ही उसकी ओर दौड़ कर गई जब राघव वहा आ रहा था
रितु- राघव यार गुड टू सी यू, कितने साल हो गए है,
और बोलते बोलते उसने अचानक राघव को गले लगा लिया जीससे राघव का बैलन्स बिगड़ गया
आरती- पता है नेहा राघव जब बचपन मे यहा आता था न तब भी ये रितु ऐसे ही उसके पीछे भागती थी उसके साथ खेलने लेकिन ये तब भी उसे ऐटिटूड दिखाता था और ये अब भी नहीं बदली है
आरती जी ने मुसकुराते हुए कहा वही नेहा बस उन दोनों को देख रही थी,
जब रितु राघव से अलग हुई तो राघव ने उसे देख स्माइल किया जो नेहा ने बराबर देखा
‘मेरे साथ तो ये ऐसे कभी नहीं मुसकुराते’ नेहा ने मन ही मन सोचा और राघव को उसके साथ हस कर बात करते देख उसका मुह खुला का खुला रह गया
श्वेता- भाभी मुह बंद कर लो मक्खी घुस जाएगी
श्वेता की बात सुन नेहा होश मे आई
रितु राघव से बात करते हुए उसे बार बार छु लेती थी लेकिन राघव उसका कोई विरोध नहीं कर रहा था उल्टा वो तो मस्त कंफर्टेबल होकर बाते कर रहा था
‘जब मैं छूती हु तो दूर सरक जाते है और यहा देखो ऐसे मजे से बाते कर रहे है’ नेहा ने अपने हाथ मे पकड़ी साड़ी को मरोड़ते हुए सोचा वही श्वेता उसके जले पे नामक छिड़कते हुए बोली
श्वेता- भाभी ये भईया से कुछ ज्यादा नहीं चिपक रही?
राघव रितु से मस्त हस कर बात कर रहा था वही नेहा उन्हे देख के जल रही थी अब पता नहीं ये रितु इन दोनों के बीच क्या गुल खिलाएगी देखते है अगले अपडेट मे.......
अगले दिन अपने दोनों कपल्स सुबह जल्दी ही बड़ी दादी के घर जाने के लिए निकले और गाड़ी मे बैठ कर श्वेता ने शेखर से उनके बारे मे पूछा
श्वेता- दादी कहा रहती है?
शेखर- गाँव मे, गाँव मे वहा पूषतेनी घर है वही दादी के माइके का पूरा परिवार रहता है, बहुत सी खेती है और बिजनस भी उनका वही से ऑपरेट होता है, गाँव ज्यादा बड़ा नहीं है ज्यादा से ज्यादा 100 घर होंगे लेकिन सब अच्छे खासे लोग है ऐसा समझो के वहा लाइफ काफी सुकून वाली है
अब जब शेखर श्वेता को ये सब बता ही रहा है तो मैं आपको दादी के माइके के परिवार का इन्ट्रो दे देता हु।
सबसे पहले कुमुद जी ये बड़ी दादी है और हमारी दादी की बड़ी बहन जिन्होंने अपने छोटे भाई बहन की जिम्मेदारी के चलते काभी शादी नही की, इनके बाबूजी की काफी जमीन थी जिसे उनके बाद इन्होंने संभाला और अपने भाई बहन को सही से सेटल किया लेकिन सबके बारे मे सोचते सोचते खुद के बारे मे सोचना भूल गई, ये रमाकांत और धनंजय की मौसी , फिर इनके छोटे भाई रमेश- आरती, यानि दादी के भाई, रमेश जी के दो बच्चे एक बेटा जो है शुभंकर और उनकी पत्नी संध्या, वही रमेश जी की बेटी है वो है ममता और उनके पति है सुरेश, अब शुभंकर और संध्या के दो बच्चे है आकाश और स्वाती वही ममता और सुरेश जी को दो बेटियाँ है, आँचल और निकिता, होप आपको समझ आया होगा नाही आया तो फॅमिली ट्री का फोटू डाल दूंगा कल तो अब कहानी की ओर आगे बढ़ते है,
गाड़ी मे शेखर ने श्वेता को यही फॅमिली ट्री अच्छे से समझाया हालांकि वो सब को अच्छे से जानती थी वो अपनी शादी मे इन सब से मिल चुकी थी सिवाय बड़ी दादी के वही नेहा इन सब लोगों को अच्छे से जानती थी इसीलिए वो खिड़की के बाहर देख रही थी और तभी उसकी नजर रीयर व्यू मिरर पर पड़ी तो उसने पाया के राघव चुपके चुपके उसे देख रहा था और जैसे ही नेहा ने उसे देखा उसने अपनी नजरे घुमा ली और नेहा भी वापिस बाहर की ओर देखने लगी लेकिन इस बार उसके चेहरे पर हल्की सी स्माइल थी और चेहरे पर लाली अभी तक तो ऐसी कोई खबर नहीं आई थी के कुछ बुरा हुआ है और सब इसी उम्मीद मे थे के सब ठीक हो।
वो लोग आधे घंटे मे अपनी मंजिल पर पहुच चुके थे।
घर पुराने जमाने का था लेकिन आधुनिक सुविधाओं से लेस था, वो एक पुराने जमाने का पूषतेनी वाडा था जिसमे इस पूरे परिवार के रहने के लिए पर्याप्त रूम थे और घर के बीचों बीच आँगन बना हुआ था और घर के पीछे ही तरफ बढ़िया छोटा सा बगीचा था जिसमे तरह तरह के फूलों के झाड लगे हुए थे साथ ही वहा बैठने की व्यवस्था भी थी।
जब ये चारों वहा पहुचे तो इनका स्वागत किया शांति ने, असल इंसान नही साइलन्स ने
राघव- चलो अंदर चलते है,
राघव के कहते ही वो चारों अंदर आए और अंदर आते ही वो थोड़ा सप्राइज़ हुए
श्वेता- भाभी किसी की मौत का शोक ऐसे मनाया जाता है क्या?
एकदम शांति और घर को देख कर श्वेता ने नेहा के कान मे पूछा बदले मे नेहा ने उसे थोड़ा घूर के देखा और फिर पता नहीं बोल के वो भी आजू बाजू देखने लगि क्युकी जिस चीज ने इन्हे सबसे ज्यादा सप्राइज़ किया था वो थी घर की सजावट, क्युकी पूरा घर फूलों से सजा हुआ था और तभी उन्हे किसी के हसने की आवाजे आई जिसने उन्हे और भी कन्फ्यूज़ कर दिया तभी वहा उन्हे रिद्धि एक उसी की उम्र की लड़की के साथ इधर उधर फुदकती दिखी
राघव- रिद्धि, स्वाती!
राघव ने उन्हे आवाज लगाई और वो दोनों भी इन्हे देख के खुश हो गई और उनके चेहरे पर एक मुस्कान आ गई
स्वाती- भईया आप आ गए फाइनली!
स्वाती ने उनकी तरफ आते हुए कहा, वैसे तो स्वाती ज्यादा बात नहीं करती थी सिवाय उनसे जो उसे पसंद आते थे जैसे की अपनी मंडली
शेखर- ये.. क्या चल रहा है कोई बताएगा ?
शेखर ने सब सजावट देख कर रिद्धि से पूछा
रिद्धि – वो भाई हमे भी ये सब यहा आकर ही पता चला
नेहा- मतलब?!
रिद्धि – अरे आप सब पहले बड़ी दादी के रूम मे चलो वही आपको सब बताते है
इतना बोल के रिद्धि और स्वाती वहा से चली गई और उनके पीछे पीछे ये चारों भी बड़ी दादी के रूम की ओर निकल गए और जब वो वहा पहुचे तो उन्होंने वहा अपनी दादी गायत्री को हस हस कर बाते करते देखा जिसने उन्हे और कन्फ्यूज़ कर दिया के बड़ी दादी की तबीयत तो सीरीअस थी न
कुमुद- अरे आ गए तुम सब लोग!
बड़ी दादी ने उन्हे देखते ही बेड पर लेटे लेटे कहा और उन्हे देखते ही शेखर जाकर उनके पास बेड पर बैठ गया और उन्होंने भी शेखर के सर पे हाथ घुमाया
कुमुद- अच्छा है सब लोग आ गए है, राघव!!
उन्होंने राघव को भी अपने पास बुलाया
राघव- जब कल किसी ने मेरा फोन नहीं उठाया तभी मुझे समझ जाना चाहिए था
कुमुद- बेटे जी अगर मैं वैसे ही तुम्हें फोन करके बुलाती ना तो तुम तो आ ही जाते है न??
शेखर- ये तो कोई रीज़न नहीं हुआ दादी, आपकों नहीं पता हमारी क्या हालत हुई थी
शेखर ने शिकायत करते हुए कहा और राघव उनके पास गया
गायत्री- वही तो, दीदी ने कल डरा ही दिया था
कुमुद- तो मैं और क्या करती कितने साल हो गए थे तुम सबको ऐसे साथ देखे और वैसे भी क्या पता मुझ बुढ़िया के पास और कितने दिन बचे है
गायत्री- दीदी!
राघव- बड़ी दादी!
गायत्री और राघव दोनों एकसाथ बोले
कुमुद- अच्छा अच्छा सॉरी... पर तुम सब को साथ देखे बहुत समय हो गया था और मैं ये बहाना न करती तो तुम सब ऐसे थोड़ी भागे भागे आते
राघव- फिर भी आपको ये नहीं करना चाहिए था, डरा दिया था आपने कितने चिंता मे थे हम पता है और हमे बुलाना ही था तो और कोई बहाना बनाती ये क्या बात हुई किसी को बुलाने की
कुमुद- वो तो ऐसे ही थोड़ा मजाक और वैसे ही आकाश की सगाई है तो रीज़न भी था सबको बुलाने का तो थोड़ी मस्ती कर ली
शेखर- क्या! आकाश की सगाई है और मुझे किसी ने बताया भी नहीं
कुमुद- बेटा जी बात करोगे तो पता चलेगा ना...
दादी ने एक और ताना मारा
राघव- आप ना ड्रामा क्वीन हो, उस टाइम फिल्मों मे क्यू नहीं गई आप! ऐसे डराता है क्या कोई!
कुमुद- हा हा ठीक है बस अब कल से वैसे भी सब मुझे सुना ही रहे है तू मत बोल अब
राघव- हा तो सही कर रहे है वो आपको डांट मिलनी भी चाहिए
कुमुद- तेरी दादी बहुत डांट चुकी है मुझे और मुझे बताओ इसे किसने बुलाया था? मुझे तो मेरे बच्चों से मिलना था, खैर छोड़ो मेरी बहुए कहा है
उन्होंने इधर उधर देखा तो पाया के नेहा और श्वेता दरवाजे पर ही खड़ी थी
कुमुद – अरे तुम लोग वहा क्यू खड़ी को आओ इधर आओ मैं तुम्हारी दादी सास जैसी डरावनी नहीं हु
उन दोनों ने जाके बड़ी दादी के पैर छूए
कुमुद- सदा सुहागन रहो और अपने पिया की प्यारी बनी रहो
गायत्री- आप लोग बैठो मैं किसी को कमरे तयार करने कहती हु, रिद्धि स्वाती चली मेरी मदद करो दोनों
इतना बोल के दादी वहा से चली गई
कुमुद- अब तुम लोग किसका इंतजार कर रहे हो इनसे मिलवाओ तो मुझे
दादी ने राघव और शेखर से कहा
शेखर- दादी ये श्वेता है
कुमुद- एकदम नाम की तरफ ही है गोरी गोरी, और तुम नहीं मिलवाओगे राघव
राघव- ये रही मेरी वाइफ... नेहा
बड़ी दादी ने कुछ पल नेहा को देखा
कुमुद- पता नहीं क्यू पर बेटा मुझे लगता है मैंने देखा है तुम्हें, तुम्हें देख के किसी की याद आती है
उन्होंने कुछ याद करते हुए कहा लेकिन कुछ याद नहीं आया वही नेहा ने बस एक स्माइल दे दी
कुमुद – जाने दो लेकिन राघव ये उससे काही ज्यादा सुन्दर है जैसी तुम्हें चाहिए थी, पता है नेहा ये जब बचपन मे यहा आता था ना तो बताता था के बड़ी दादी मेरी न पत्नी ऐसी होगी वैसी होगी..
दादी ने मुसकुराते हुए कहा जिसपर नेहा भी मुस्कुरा दी
राघव- अरे यार दादी
और ये बाते सुन के शेखर हसने लगा
कुमुद- तुम क्या हस रहे हो? श्वेता तुम्हारी तो लव मेरिज है न लेकिन पता है ये न मुझसे कहता था के मैं कभी शादी नहीं करूंगा लड़किया तो सर दर्द होती है तो अब बच्चू अब कहा गया तुम्हारा सर दर्द
दादी ने शेखर का कान खिचते हुए कहा
शेखर- अरे दादी वो तो बचपन की बात थी अब मैं बड़ा हो गया हु अब लड़किया सर दर्द थोड़ी है अब तो....
लेकिन जैसे ही उसकी नजर श्वेता पर पड़ी जो उसे देख रही थी शेखर बोलते बोलते रुक गया
शेखर- बाकी लोग कहा है कोई दिख नहीं रहा शेखर ने बात बदलते हुए पूछा
कुमुद- तुम्हारे पापा लोग तो बाहर गए है और तुम्हारी माए सगाई की तयारिया कर रही है पीछे, तुम लोग जाओ पहले फ्रेश हो जाओ थोड़ा फिर हम बात करते है
जिसके बाद ये सब लोग वहा से निकल गए वही दादी सोचने लागि के उन्हे नेहा जानी पहचानी क्यू लग रही थी।
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आरती- अरे बेटा श्वेता नेहा आओ तुम लोग भी अपने लिए साड़िया पसंद कर लो सगाई के लिए तुम लोग कहा उस तयारी से आए होंगे, आओ यहा से अपने लिए साड़िया और गहने देख लो
जब ये दोनों घर के पीछे की साइड पहुची तो आरती जी ने इन्हे देख के कहा
घर के सारे मर्द घर के सामने वाले आँगन मे बैठे अपनी बात चित कर रहे थे वही पीछे बने बगीचे में एक तरफ अपना अक्खा गैंग बैठ के गप्पे मार रहा तथा उन्मे आकाश और स्वाती भी थे और जो नहीं था वो था राघव वही दूसरी तरह सब महिलाये अपने लिए साड़िया और गहने पसंद कर रही थी जीसे एक आदमी उन्हे दिखा रहा था, श्वेता और नेहा भी अपने लिए साड़िया देखने लगी
श्वेता- चाचीजी यहा तो सब साड़िया साउथ इंडियन स्टाइल की है ऐसा क्यू?
श्वेता ने साड़ियों को देखते हुए संध्या जी से पूछा
संध्या- अरे क्युकी आकाश और राधिका (आकाश की मंगेतर) इनकी इच्छा थी के सगाई साउथ इंडियन थीम से हो इसीलिए ये ड्रेसकोड है
संध्या जी ने जानकी और मीनाक्षी को साड़ी दिखाते हुए कहा, ये लोग सब बाते करते हुए साड़िया पसंद कर ही रहे थे के तभी एक लड़की की आवाज ने इन सब का ध्यान अपनी ओर खिचा
“संध्या काकी ये मा ने डिब्बा वापिस भेजा है” उस लड़की ने डिब्बा संध्या जी को देते हुए कहा और फिर उसकी नजर श्वेता और नेहा पर पड़ी और वो उन्हे कन्फ़्युशन मे देखने लगी और फिर उसने दूसरी तरफ देखा तो उसे वहा शेखर दिखाई दिया
“हे शेखर कैसा है भाई?” उस लड़की ने शेखर को देखते ही कहा और उसके पास जाने लगी वही श्वेता भी उसे और शेखर को देखने लगी
शेखर- बस सब बढ़िया है रितु मैडम तुम बताओ
रितु- मैं भी मस्त, सुना तुम्हारी शादी हो गई है
शेखर- यप , वो देखो वो मेरी वाइफ है श्वेता
शेखर ने श्वेता की ओर इशारा करके कहा जो उन्हे ही देख रही थी
रितु- कब आए तुम लोग? कल जब बाकी लोग आए उनके साथ नहीं थे तुम?
शेखर- हा वो अभी सुबह ही आए है हम सब
रितु- सब मतलब राघव? राघव भी आया है?
रितु ने राघव के बारे मे उत्सुकता से पूछा जिससे नेहा का ध्यान उसपे चला गया क्युकी शेखर से बात करते हुए वो इतनी एक्साइटेड नहीं थी जितना राघव का नाम सुनते ही हो गई थी
रितु- कितने साल हो गए यार उसे देखे हुए कहा है वो?
शेखर- वो.. वो उधर है
शेखर ने उसके पीछे इशारा करते हुए बेमन से कहा क्युकी वो जानता था के राघव का नाम सुनते ही ये इतना चहकने क्यू लगी थी लेकिन वो कुछ नहीं कर सकता था, शेखर ने नेहा को देखा जो रितु को देख रही थी जो राघव को देखते ही उसकी ओर दौड़ कर गई जब राघव वहा आ रहा था
रितु- राघव यार गुड टू सी यू, कितने साल हो गए है,
और बोलते बोलते उसने अचानक राघव को गले लगा लिया जीससे राघव का बैलन्स बिगड़ गया
आरती- पता है नेहा राघव जब बचपन मे यहा आता था न तब भी ये रितु ऐसे ही उसके पीछे भागती थी उसके साथ खेलने लेकिन ये तब भी उसे ऐटिटूड दिखाता था और ये अब भी नहीं बदली है
आरती जी ने मुसकुराते हुए कहा वही नेहा बस उन दोनों को देख रही थी,
जब रितु राघव से अलग हुई तो राघव ने उसे देख स्माइल किया जो नेहा ने बराबर देखा
‘मेरे साथ तो ये ऐसे कभी नहीं मुसकुराते’ नेहा ने मन ही मन सोचा और राघव को उसके साथ हस कर बात करते देख उसका मुह खुला का खुला रह गया
श्वेता- भाभी मुह बंद कर लो मक्खी घुस जाएगी
श्वेता की बात सुन नेहा होश मे आई
रितु राघव से बात करते हुए उसे बार बार छु लेती थी लेकिन राघव उसका कोई विरोध नहीं कर रहा था उल्टा वो तो मस्त कंफर्टेबल होकर बाते कर रहा था
‘जब मैं छूती हु तो दूर सरक जाते है और यहा देखो ऐसे मजे से बाते कर रहे है’ नेहा ने अपने हाथ मे पकड़ी साड़ी को मरोड़ते हुए सोचा वही श्वेता उसके जले पे नामक छिड़कते हुए बोली
श्वेता- भाभी ये भईया से कुछ ज्यादा नहीं चिपक रही?
राघव रितु से मस्त हस कर बात कर रहा था वही नेहा उन्हे देख के जल रही थी अब पता नहीं ये रितु इन दोनों के बीच क्या गुल खिलाएगी देखते है अगले अपडेट मे.......
अगले दिन अपने दोनों कपल्स सुबह जल्दी ही बड़ी दादी के घर जाने के लिए निकले और गाड़ी मे बैठ कर श्वेता ने शेखर से उनके बारे मे पूछा
श्वेता- दादी कहा रहती है?
शेखर- गाँव मे, गाँव मे वहा पूषतेनी घर है वही दादी के माइके का पूरा परिवार रहता है, बहुत सी खेती है और बिजनस भी उनका वही से ऑपरेट होता है, गाँव ज्यादा बड़ा नहीं है ज्यादा से ज्यादा 100 घर होंगे लेकिन सब अच्छे खासे लोग है ऐसा समझो के वहा लाइफ काफी सुकून वाली है
अब जब शेखर श्वेता को ये सब बता ही रहा है तो मैं आपको दादी के माइके के परिवार का इन्ट्रो दे देता हु।
सबसे पहले कुमुद जी ये बड़ी दादी है और हमारी दादी की बड़ी बहन जिन्होंने अपने छोटे भाई बहन की जिम्मेदारी के चलते काभी शादी नही की, इनके बाबूजी की काफी जमीन थी जिसे उनके बाद इन्होंने संभाला और अपने भाई बहन को सही से सेटल किया लेकिन सबके बारे मे सोचते सोचते खुद के बारे मे सोचना भूल गई, ये रमाकांत और धनंजय की मौसी , फिर इनके छोटे भाई रमेश- आरती, यानि दादी के भाई, रमेश जी के दो बच्चे एक बेटा जो है शुभंकर और उनकी पत्नी संध्या, वही रमेश जी की बेटी है वो है ममता और उनके पति है सुरेश, अब शुभंकर और संध्या के दो बच्चे है आकाश और स्वाती वही ममता और सुरेश जी को दो बेटियाँ है, आँचल और निकिता, होप आपको समझ आया होगा नाही आया तो फॅमिली ट्री का फोटू डाल दूंगा कल तो अब कहानी की ओर आगे बढ़ते है,
गाड़ी मे शेखर ने श्वेता को यही फॅमिली ट्री अच्छे से समझाया हालांकि वो सब को अच्छे से जानती थी वो अपनी शादी मे इन सब से मिल चुकी थी सिवाय बड़ी दादी के वही नेहा इन सब लोगों को अच्छे से जानती थी इसीलिए वो खिड़की के बाहर देख रही थी और तभी उसकी नजर रीयर व्यू मिरर पर पड़ी तो उसने पाया के राघव चुपके चुपके उसे देख रहा था और जैसे ही नेहा ने उसे देखा उसने अपनी नजरे घुमा ली और नेहा भी वापिस बाहर की ओर देखने लगी लेकिन इस बार उसके चेहरे पर हल्की सी स्माइल थी और चेहरे पर लाली अभी तक तो ऐसी कोई खबर नहीं आई थी के कुछ बुरा हुआ है और सब इसी उम्मीद मे थे के सब ठीक हो।
वो लोग आधे घंटे मे अपनी मंजिल पर पहुच चुके थे।
घर पुराने जमाने का था लेकिन आधुनिक सुविधाओं से लेस था, वो एक पुराने जमाने का पूषतेनी वाडा था जिसमे इस पूरे परिवार के रहने के लिए पर्याप्त रूम थे और घर के बीचों बीच आँगन बना हुआ था और घर के पीछे ही तरफ बढ़िया छोटा सा बगीचा था जिसमे तरह तरह के फूलों के झाड लगे हुए थे साथ ही वहा बैठने की व्यवस्था भी थी।
जब ये चारों वहा पहुचे तो इनका स्वागत किया शांति ने, असल इंसान नही साइलन्स ने
राघव- चलो अंदर चलते है,
राघव के कहते ही वो चारों अंदर आए और अंदर आते ही वो थोड़ा सप्राइज़ हुए
श्वेता- भाभी किसी की मौत का शोक ऐसे मनाया जाता है क्या?
एकदम शांति और घर को देख कर श्वेता ने नेहा के कान मे पूछा बदले मे नेहा ने उसे थोड़ा घूर के देखा और फिर पता नहीं बोल के वो भी आजू बाजू देखने लगि क्युकी जिस चीज ने इन्हे सबसे ज्यादा सप्राइज़ किया था वो थी घर की सजावट, क्युकी पूरा घर फूलों से सजा हुआ था और तभी उन्हे किसी के हसने की आवाजे आई जिसने उन्हे और भी कन्फ्यूज़ कर दिया तभी वहा उन्हे रिद्धि एक उसी की उम्र की लड़की के साथ इधर उधर फुदकती दिखी
राघव- रिद्धि, स्वाती!
राघव ने उन्हे आवाज लगाई और वो दोनों भी इन्हे देख के खुश हो गई और उनके चेहरे पर एक मुस्कान आ गई
स्वाती- भईया आप आ गए फाइनली!
स्वाती ने उनकी तरफ आते हुए कहा, वैसे तो स्वाती ज्यादा बात नहीं करती थी सिवाय उनसे जो उसे पसंद आते थे जैसे की अपनी मंडली
शेखर- ये.. क्या चल रहा है कोई बताएगा ?
शेखर ने सब सजावट देख कर रिद्धि से पूछा
रिद्धि – वो भाई हमे भी ये सब यहा आकर ही पता चला
नेहा- मतलब?!
रिद्धि – अरे आप सब पहले बड़ी दादी के रूम मे चलो वही आपको सब बताते है
इतना बोल के रिद्धि और स्वाती वहा से चली गई और उनके पीछे पीछे ये चारों भी बड़ी दादी के रूम की ओर निकल गए और जब वो वहा पहुचे तो उन्होंने वहा अपनी दादी गायत्री को हस हस कर बाते करते देखा जिसने उन्हे और कन्फ्यूज़ कर दिया के बड़ी दादी की तबीयत तो सीरीअस थी न
कुमुद- अरे आ गए तुम सब लोग!
बड़ी दादी ने उन्हे देखते ही बेड पर लेटे लेटे कहा और उन्हे देखते ही शेखर जाकर उनके पास बेड पर बैठ गया और उन्होंने भी शेखर के सर पे हाथ घुमाया
कुमुद- अच्छा है सब लोग आ गए है, राघव!!
उन्होंने राघव को भी अपने पास बुलाया
राघव- जब कल किसी ने मेरा फोन नहीं उठाया तभी मुझे समझ जाना चाहिए था
कुमुद- बेटे जी अगर मैं वैसे ही तुम्हें फोन करके बुलाती ना तो तुम तो आ ही जाते है न??
शेखर- ये तो कोई रीज़न नहीं हुआ दादी, आपकों नहीं पता हमारी क्या हालत हुई थी
शेखर ने शिकायत करते हुए कहा और राघव उनके पास गया
गायत्री- वही तो, दीदी ने कल डरा ही दिया था
कुमुद- तो मैं और क्या करती कितने साल हो गए थे तुम सबको ऐसे साथ देखे और वैसे भी क्या पता मुझ बुढ़िया के पास और कितने दिन बचे है
गायत्री- दीदी!
राघव- बड़ी दादी!
गायत्री और राघव दोनों एकसाथ बोले
कुमुद- अच्छा अच्छा सॉरी... पर तुम सब को साथ देखे बहुत समय हो गया था और मैं ये बहाना न करती तो तुम सब ऐसे थोड़ी भागे भागे आते
राघव- फिर भी आपको ये नहीं करना चाहिए था, डरा दिया था आपने कितने चिंता मे थे हम पता है और हमे बुलाना ही था तो और कोई बहाना बनाती ये क्या बात हुई किसी को बुलाने की
कुमुद- वो तो ऐसे ही थोड़ा मजाक और वैसे ही आकाश की सगाई है तो रीज़न भी था सबको बुलाने का तो थोड़ी मस्ती कर ली
शेखर- क्या! आकाश की सगाई है और मुझे किसी ने बताया भी नहीं
कुमुद- बेटा जी बात करोगे तो पता चलेगा ना...
दादी ने एक और ताना मारा
राघव- आप ना ड्रामा क्वीन हो, उस टाइम फिल्मों मे क्यू नहीं गई आप! ऐसे डराता है क्या कोई!
कुमुद- हा हा ठीक है बस अब कल से वैसे भी सब मुझे सुना ही रहे है तू मत बोल अब
राघव- हा तो सही कर रहे है वो आपको डांट मिलनी भी चाहिए
कुमुद- तेरी दादी बहुत डांट चुकी है मुझे और मुझे बताओ इसे किसने बुलाया था? मुझे तो मेरे बच्चों से मिलना था, खैर छोड़ो मेरी बहुए कहा है
उन्होंने इधर उधर देखा तो पाया के नेहा और श्वेता दरवाजे पर ही खड़ी थी
कुमुद – अरे तुम लोग वहा क्यू खड़ी को आओ इधर आओ मैं तुम्हारी दादी सास जैसी डरावनी नहीं हु
उन दोनों ने जाके बड़ी दादी के पैर छूए
कुमुद- सदा सुहागन रहो और अपने पिया की प्यारी बनी रहो
गायत्री- आप लोग बैठो मैं किसी को कमरे तयार करने कहती हु, रिद्धि स्वाती चली मेरी मदद करो दोनों
इतना बोल के दादी वहा से चली गई
कुमुद- अब तुम लोग किसका इंतजार कर रहे हो इनसे मिलवाओ तो मुझे
दादी ने राघव और शेखर से कहा
शेखर- दादी ये श्वेता है
कुमुद- एकदम नाम की तरफ ही है गोरी गोरी, और तुम नहीं मिलवाओगे राघव
राघव- ये रही मेरी वाइफ... नेहा
बड़ी दादी ने कुछ पल नेहा को देखा
कुमुद- पता नहीं क्यू पर बेटा मुझे लगता है मैंने देखा है तुम्हें, तुम्हें देख के किसी की याद आती है
उन्होंने कुछ याद करते हुए कहा लेकिन कुछ याद नहीं आया वही नेहा ने बस एक स्माइल दे दी
कुमुद – जाने दो लेकिन राघव ये उससे काही ज्यादा सुन्दर है जैसी तुम्हें चाहिए थी, पता है नेहा ये जब बचपन मे यहा आता था ना तो बताता था के बड़ी दादी मेरी न पत्नी ऐसी होगी वैसी होगी..
दादी ने मुसकुराते हुए कहा जिसपर नेहा भी मुस्कुरा दी
राघव- अरे यार दादी
और ये बाते सुन के शेखर हसने लगा
कुमुद- तुम क्या हस रहे हो? श्वेता तुम्हारी तो लव मेरिज है न लेकिन पता है ये न मुझसे कहता था के मैं कभी शादी नहीं करूंगा लड़किया तो सर दर्द होती है तो अब बच्चू अब कहा गया तुम्हारा सर दर्द
दादी ने शेखर का कान खिचते हुए कहा
शेखर- अरे दादी वो तो बचपन की बात थी अब मैं बड़ा हो गया हु अब लड़किया सर दर्द थोड़ी है अब तो....
लेकिन जैसे ही उसकी नजर श्वेता पर पड़ी जो उसे देख रही थी शेखर बोलते बोलते रुक गया
शेखर- बाकी लोग कहा है कोई दिख नहीं रहा शेखर ने बात बदलते हुए पूछा
कुमुद- तुम्हारे पापा लोग तो बाहर गए है और तुम्हारी माए सगाई की तयारिया कर रही है पीछे, तुम लोग जाओ पहले फ्रेश हो जाओ थोड़ा फिर हम बात करते है
जिसके बाद ये सब लोग वहा से निकल गए वही दादी सोचने लागि के उन्हे नेहा जानी पहचानी क्यू लग रही थी।
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आरती- अरे बेटा श्वेता नेहा आओ तुम लोग भी अपने लिए साड़िया पसंद कर लो सगाई के लिए तुम लोग कहा उस तयारी से आए होंगे, आओ यहा से अपने लिए साड़िया और गहने देख लो
जब ये दोनों घर के पीछे की साइड पहुची तो आरती जी ने इन्हे देख के कहा
घर के सारे मर्द घर के सामने वाले आँगन मे बैठे अपनी बात चित कर रहे थे वही पीछे बने बगीचे में एक तरफ अपना अक्खा गैंग बैठ के गप्पे मार रहा तथा उन्मे आकाश और स्वाती भी थे और जो नहीं था वो था राघव वही दूसरी तरह सब महिलाये अपने लिए साड़िया और गहने पसंद कर रही थी जीसे एक आदमी उन्हे दिखा रहा था, श्वेता और नेहा भी अपने लिए साड़िया देखने लगी
श्वेता- चाचीजी यहा तो सब साड़िया साउथ इंडियन स्टाइल की है ऐसा क्यू?
श्वेता ने साड़ियों को देखते हुए संध्या जी से पूछा
संध्या- अरे क्युकी आकाश और राधिका (आकाश की मंगेतर) इनकी इच्छा थी के सगाई साउथ इंडियन थीम से हो इसीलिए ये ड्रेसकोड है
संध्या जी ने जानकी और मीनाक्षी को साड़ी दिखाते हुए कहा, ये लोग सब बाते करते हुए साड़िया पसंद कर ही रहे थे के तभी एक लड़की की आवाज ने इन सब का ध्यान अपनी ओर खिचा
“संध्या काकी ये मा ने डिब्बा वापिस भेजा है” उस लड़की ने डिब्बा संध्या जी को देते हुए कहा और फिर उसकी नजर श्वेता और नेहा पर पड़ी और वो उन्हे कन्फ़्युशन मे देखने लगी और फिर उसने दूसरी तरफ देखा तो उसे वहा शेखर दिखाई दिया
“हे शेखर कैसा है भाई?” उस लड़की ने शेखर को देखते ही कहा और उसके पास जाने लगी वही श्वेता भी उसे और शेखर को देखने लगी
शेखर- बस सब बढ़िया है रितु मैडम तुम बताओ
रितु- मैं भी मस्त, सुना तुम्हारी शादी हो गई है
शेखर- यप , वो देखो वो मेरी वाइफ है श्वेता
शेखर ने श्वेता की ओर इशारा करके कहा जो उन्हे ही देख रही थी
रितु- कब आए तुम लोग? कल जब बाकी लोग आए उनके साथ नहीं थे तुम?
शेखर- हा वो अभी सुबह ही आए है हम सब
रितु- सब मतलब राघव? राघव भी आया है?
रितु ने राघव के बारे मे उत्सुकता से पूछा जिससे नेहा का ध्यान उसपे चला गया क्युकी शेखर से बात करते हुए वो इतनी एक्साइटेड नहीं थी जितना राघव का नाम सुनते ही हो गई थी
रितु- कितने साल हो गए यार उसे देखे हुए कहा है वो?
शेखर- वो.. वो उधर है
शेखर ने उसके पीछे इशारा करते हुए बेमन से कहा क्युकी वो जानता था के राघव का नाम सुनते ही ये इतना चहकने क्यू लगी थी लेकिन वो कुछ नहीं कर सकता था, शेखर ने नेहा को देखा जो रितु को देख रही थी जो राघव को देखते ही उसकी ओर दौड़ कर गई जब राघव वहा आ रहा था
रितु- राघव यार गुड टू सी यू, कितने साल हो गए है,
और बोलते बोलते उसने अचानक राघव को गले लगा लिया जीससे राघव का बैलन्स बिगड़ गया
आरती- पता है नेहा राघव जब बचपन मे यहा आता था न तब भी ये रितु ऐसे ही उसके पीछे भागती थी उसके साथ खेलने लेकिन ये तब भी उसे ऐटिटूड दिखाता था और ये अब भी नहीं बदली है
आरती जी ने मुसकुराते हुए कहा वही नेहा बस उन दोनों को देख रही थी,
जब रितु राघव से अलग हुई तो राघव ने उसे देख स्माइल किया जो नेहा ने बराबर देखा
‘मेरे साथ तो ये ऐसे कभी नहीं मुसकुराते’ नेहा ने मन ही मन सोचा और राघव को उसके साथ हस कर बात करते देख उसका मुह खुला का खुला रह गया
श्वेता- भाभी मुह बंद कर लो मक्खी घुस जाएगी
श्वेता की बात सुन नेहा होश मे आई
रितु राघव से बात करते हुए उसे बार बार छु लेती थी लेकिन राघव उसका कोई विरोध नहीं कर रहा था उल्टा वो तो मस्त कंफर्टेबल होकर बाते कर रहा था
‘जब मैं छूती हु तो दूर सरक जाते है और यहा देखो ऐसे मजे से बाते कर रहे है’ नेहा ने अपने हाथ मे पकड़ी साड़ी को मरोड़ते हुए सोचा वही श्वेता उसके जले पे नामक छिड़कते हुए बोली
श्वेता- भाभी ये भईया से कुछ ज्यादा नहीं चिपक रही?
राघव रितु से मस्त हस कर बात कर रहा था वही नेहा उन्हे देख के जल रही थी अब पता नहीं ये रितु इन दोनों के बीच क्या गुल खिलाएगी देखते है अगले अपडेट मे.......
अगले दिन अपने दोनों कपल्स सुबह जल्दी ही बड़ी दादी के घर जाने के लिए निकले और गाड़ी मे बैठ कर श्वेता ने शेखर से उनके बारे मे पूछा
श्वेता- दादी कहा रहती है?
शेखर- गाँव मे, गाँव मे वहा पूषतेनी घर है वही दादी के माइके का पूरा परिवार रहता है, बहुत सी खेती है और बिजनस भी उनका वही से ऑपरेट होता है, गाँव ज्यादा बड़ा नहीं है ज्यादा से ज्यादा 100 घर होंगे लेकिन सब अच्छे खासे लोग है ऐसा समझो के वहा लाइफ काफी सुकून वाली है
अब जब शेखर श्वेता को ये सब बता ही रहा है तो मैं आपको दादी के माइके के परिवार का इन्ट्रो दे देता हु।
सबसे पहले कुमुद जी ये बड़ी दादी है और हमारी दादी की बड़ी बहन जिन्होंने अपने छोटे भाई बहन की जिम्मेदारी के चलते काभी शादी नही की, इनके बाबूजी की काफी जमीन थी जिसे उनके बाद इन्होंने संभाला और अपने भाई बहन को सही से सेटल किया लेकिन सबके बारे मे सोचते सोचते खुद के बारे मे सोचना भूल गई, ये रमाकांत और धनंजय की मौसी , फिर इनके छोटे भाई रमेश- आरती, यानि दादी के भाई, रमेश जी के दो बच्चे एक बेटा जो है शुभंकर और उनकी पत्नी संध्या, वही रमेश जी की बेटी है वो है ममता और उनके पति है सुरेश, अब शुभंकर और संध्या के दो बच्चे है आकाश और स्वाती वही ममता और सुरेश जी को दो बेटियाँ है, आँचल और निकिता, होप आपको समझ आया होगा नाही आया तो फॅमिली ट्री का फोटू डाल दूंगा कल तो अब कहानी की ओर आगे बढ़ते है,
गाड़ी मे शेखर ने श्वेता को यही फॅमिली ट्री अच्छे से समझाया हालांकि वो सब को अच्छे से जानती थी वो अपनी शादी मे इन सब से मिल चुकी थी सिवाय बड़ी दादी के वही नेहा इन सब लोगों को अच्छे से जानती थी इसीलिए वो खिड़की के बाहर देख रही थी और तभी उसकी नजर रीयर व्यू मिरर पर पड़ी तो उसने पाया के राघव चुपके चुपके उसे देख रहा था और जैसे ही नेहा ने उसे देखा उसने अपनी नजरे घुमा ली और नेहा भी वापिस बाहर की ओर देखने लगी लेकिन इस बार उसके चेहरे पर हल्की सी स्माइल थी और चेहरे पर लाली अभी तक तो ऐसी कोई खबर नहीं आई थी के कुछ बुरा हुआ है और सब इसी उम्मीद मे थे के सब ठीक हो।
वो लोग आधे घंटे मे अपनी मंजिल पर पहुच चुके थे।
घर पुराने जमाने का था लेकिन आधुनिक सुविधाओं से लेस था, वो एक पुराने जमाने का पूषतेनी वाडा था जिसमे इस पूरे परिवार के रहने के लिए पर्याप्त रूम थे और घर के बीचों बीच आँगन बना हुआ था और घर के पीछे ही तरफ बढ़िया छोटा सा बगीचा था जिसमे तरह तरह के फूलों के झाड लगे हुए थे साथ ही वहा बैठने की व्यवस्था भी थी।
जब ये चारों वहा पहुचे तो इनका स्वागत किया शांति ने, असल इंसान नही साइलन्स ने
राघव- चलो अंदर चलते है,
राघव के कहते ही वो चारों अंदर आए और अंदर आते ही वो थोड़ा सप्राइज़ हुए
श्वेता- भाभी किसी की मौत का शोक ऐसे मनाया जाता है क्या?
एकदम शांति और घर को देख कर श्वेता ने नेहा के कान मे पूछा बदले मे नेहा ने उसे थोड़ा घूर के देखा और फिर पता नहीं बोल के वो भी आजू बाजू देखने लगि क्युकी जिस चीज ने इन्हे सबसे ज्यादा सप्राइज़ किया था वो थी घर की सजावट, क्युकी पूरा घर फूलों से सजा हुआ था और तभी उन्हे किसी के हसने की आवाजे आई जिसने उन्हे और भी कन्फ्यूज़ कर दिया तभी वहा उन्हे रिद्धि एक उसी की उम्र की लड़की के साथ इधर उधर फुदकती दिखी
राघव- रिद्धि, स्वाती!
राघव ने उन्हे आवाज लगाई और वो दोनों भी इन्हे देख के खुश हो गई और उनके चेहरे पर एक मुस्कान आ गई
स्वाती- भईया आप आ गए फाइनली!
स्वाती ने उनकी तरफ आते हुए कहा, वैसे तो स्वाती ज्यादा बात नहीं करती थी सिवाय उनसे जो उसे पसंद आते थे जैसे की अपनी मंडली
शेखर- ये.. क्या चल रहा है कोई बताएगा ?
शेखर ने सब सजावट देख कर रिद्धि से पूछा
रिद्धि – वो भाई हमे भी ये सब यहा आकर ही पता चला
नेहा- मतलब?!
रिद्धि – अरे आप सब पहले बड़ी दादी के रूम मे चलो वही आपको सब बताते है
इतना बोल के रिद्धि और स्वाती वहा से चली गई और उनके पीछे पीछे ये चारों भी बड़ी दादी के रूम की ओर निकल गए और जब वो वहा पहुचे तो उन्होंने वहा अपनी दादी गायत्री को हस हस कर बाते करते देखा जिसने उन्हे और कन्फ्यूज़ कर दिया के बड़ी दादी की तबीयत तो सीरीअस थी न
कुमुद- अरे आ गए तुम सब लोग!
बड़ी दादी ने उन्हे देखते ही बेड पर लेटे लेटे कहा और उन्हे देखते ही शेखर जाकर उनके पास बेड पर बैठ गया और उन्होंने भी शेखर के सर पे हाथ घुमाया
कुमुद- अच्छा है सब लोग आ गए है, राघव!!
उन्होंने राघव को भी अपने पास बुलाया
राघव- जब कल किसी ने मेरा फोन नहीं उठाया तभी मुझे समझ जाना चाहिए था
कुमुद- बेटे जी अगर मैं वैसे ही तुम्हें फोन करके बुलाती ना तो तुम तो आ ही जाते है न??
शेखर- ये तो कोई रीज़न नहीं हुआ दादी, आपकों नहीं पता हमारी क्या हालत हुई थी
शेखर ने शिकायत करते हुए कहा और राघव उनके पास गया
गायत्री- वही तो, दीदी ने कल डरा ही दिया था
कुमुद- तो मैं और क्या करती कितने साल हो गए थे तुम सबको ऐसे साथ देखे और वैसे भी क्या पता मुझ बुढ़िया के पास और कितने दिन बचे है
गायत्री- दीदी!
राघव- बड़ी दादी!
गायत्री और राघव दोनों एकसाथ बोले
कुमुद- अच्छा अच्छा सॉरी... पर तुम सब को साथ देखे बहुत समय हो गया था और मैं ये बहाना न करती तो तुम सब ऐसे थोड़ी भागे भागे आते
राघव- फिर भी आपको ये नहीं करना चाहिए था, डरा दिया था आपने कितने चिंता मे थे हम पता है और हमे बुलाना ही था तो और कोई बहाना बनाती ये क्या बात हुई किसी को बुलाने की
कुमुद- वो तो ऐसे ही थोड़ा मजाक और वैसे ही आकाश की सगाई है तो रीज़न भी था सबको बुलाने का तो थोड़ी मस्ती कर ली
शेखर- क्या! आकाश की सगाई है और मुझे किसी ने बताया भी नहीं
कुमुद- बेटा जी बात करोगे तो पता चलेगा ना...
दादी ने एक और ताना मारा
राघव- आप ना ड्रामा क्वीन हो, उस टाइम फिल्मों मे क्यू नहीं गई आप! ऐसे डराता है क्या कोई!
कुमुद- हा हा ठीक है बस अब कल से वैसे भी सब मुझे सुना ही रहे है तू मत बोल अब
राघव- हा तो सही कर रहे है वो आपको डांट मिलनी भी चाहिए
कुमुद- तेरी दादी बहुत डांट चुकी है मुझे और मुझे बताओ इसे किसने बुलाया था? मुझे तो मेरे बच्चों से मिलना था, खैर छोड़ो मेरी बहुए कहा है
उन्होंने इधर उधर देखा तो पाया के नेहा और श्वेता दरवाजे पर ही खड़ी थी
कुमुद – अरे तुम लोग वहा क्यू खड़ी को आओ इधर आओ मैं तुम्हारी दादी सास जैसी डरावनी नहीं हु
उन दोनों ने जाके बड़ी दादी के पैर छूए
कुमुद- सदा सुहागन रहो और अपने पिया की प्यारी बनी रहो
गायत्री- आप लोग बैठो मैं किसी को कमरे तयार करने कहती हु, रिद्धि स्वाती चली मेरी मदद करो दोनों
इतना बोल के दादी वहा से चली गई
कुमुद- अब तुम लोग किसका इंतजार कर रहे हो इनसे मिलवाओ तो मुझे
दादी ने राघव और शेखर से कहा
शेखर- दादी ये श्वेता है
कुमुद- एकदम नाम की तरफ ही है गोरी गोरी, और तुम नहीं मिलवाओगे राघव
राघव- ये रही मेरी वाइफ... नेहा
बड़ी दादी ने कुछ पल नेहा को देखा
कुमुद- पता नहीं क्यू पर बेटा मुझे लगता है मैंने देखा है तुम्हें, तुम्हें देख के किसी की याद आती है
उन्होंने कुछ याद करते हुए कहा लेकिन कुछ याद नहीं आया वही नेहा ने बस एक स्माइल दे दी
कुमुद – जाने दो लेकिन राघव ये उससे काही ज्यादा सुन्दर है जैसी तुम्हें चाहिए थी, पता है नेहा ये जब बचपन मे यहा आता था ना तो बताता था के बड़ी दादी मेरी न पत्नी ऐसी होगी वैसी होगी..
दादी ने मुसकुराते हुए कहा जिसपर नेहा भी मुस्कुरा दी
राघव- अरे यार दादी
और ये बाते सुन के शेखर हसने लगा
कुमुद- तुम क्या हस रहे हो? श्वेता तुम्हारी तो लव मेरिज है न लेकिन पता है ये न मुझसे कहता था के मैं कभी शादी नहीं करूंगा लड़किया तो सर दर्द होती है तो अब बच्चू अब कहा गया तुम्हारा सर दर्द
दादी ने शेखर का कान खिचते हुए कहा
शेखर- अरे दादी वो तो बचपन की बात थी अब मैं बड़ा हो गया हु अब लड़किया सर दर्द थोड़ी है अब तो....
लेकिन जैसे ही उसकी नजर श्वेता पर पड़ी जो उसे देख रही थी शेखर बोलते बोलते रुक गया
शेखर- बाकी लोग कहा है कोई दिख नहीं रहा शेखर ने बात बदलते हुए पूछा
कुमुद- तुम्हारे पापा लोग तो बाहर गए है और तुम्हारी माए सगाई की तयारिया कर रही है पीछे, तुम लोग जाओ पहले फ्रेश हो जाओ थोड़ा फिर हम बात करते है
जिसके बाद ये सब लोग वहा से निकल गए वही दादी सोचने लागि के उन्हे नेहा जानी पहचानी क्यू लग रही थी।
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आरती- अरे बेटा श्वेता नेहा आओ तुम लोग भी अपने लिए साड़िया पसंद कर लो सगाई के लिए तुम लोग कहा उस तयारी से आए होंगे, आओ यहा से अपने लिए साड़िया और गहने देख लो
जब ये दोनों घर के पीछे की साइड पहुची तो आरती जी ने इन्हे देख के कहा
घर के सारे मर्द घर के सामने वाले आँगन मे बैठे अपनी बात चित कर रहे थे वही पीछे बने बगीचे में एक तरफ अपना अक्खा गैंग बैठ के गप्पे मार रहा तथा उन्मे आकाश और स्वाती भी थे और जो नहीं था वो था राघव वही दूसरी तरह सब महिलाये अपने लिए साड़िया और गहने पसंद कर रही थी जीसे एक आदमी उन्हे दिखा रहा था, श्वेता और नेहा भी अपने लिए साड़िया देखने लगी
श्वेता- चाचीजी यहा तो सब साड़िया साउथ इंडियन स्टाइल की है ऐसा क्यू?
श्वेता ने साड़ियों को देखते हुए संध्या जी से पूछा
संध्या- अरे क्युकी आकाश और राधिका (आकाश की मंगेतर) इनकी इच्छा थी के सगाई साउथ इंडियन थीम से हो इसीलिए ये ड्रेसकोड है
संध्या जी ने जानकी और मीनाक्षी को साड़ी दिखाते हुए कहा, ये लोग सब बाते करते हुए साड़िया पसंद कर ही रहे थे के तभी एक लड़की की आवाज ने इन सब का ध्यान अपनी ओर खिचा
“संध्या काकी ये मा ने डिब्बा वापिस भेजा है” उस लड़की ने डिब्बा संध्या जी को देते हुए कहा और फिर उसकी नजर श्वेता और नेहा पर पड़ी और वो उन्हे कन्फ़्युशन मे देखने लगी और फिर उसने दूसरी तरफ देखा तो उसे वहा शेखर दिखाई दिया
“हे शेखर कैसा है भाई?” उस लड़की ने शेखर को देखते ही कहा और उसके पास जाने लगी वही श्वेता भी उसे और शेखर को देखने लगी
शेखर- बस सब बढ़िया है रितु मैडम तुम बताओ
रितु- मैं भी मस्त, सुना तुम्हारी शादी हो गई है
शेखर- यप , वो देखो वो मेरी वाइफ है श्वेता
शेखर ने श्वेता की ओर इशारा करके कहा जो उन्हे ही देख रही थी
रितु- कब आए तुम लोग? कल जब बाकी लोग आए उनके साथ नहीं थे तुम?
शेखर- हा वो अभी सुबह ही आए है हम सब
रितु- सब मतलब राघव? राघव भी आया है?
रितु ने राघव के बारे मे उत्सुकता से पूछा जिससे नेहा का ध्यान उसपे चला गया क्युकी शेखर से बात करते हुए वो इतनी एक्साइटेड नहीं थी जितना राघव का नाम सुनते ही हो गई थी
रितु- कितने साल हो गए यार उसे देखे हुए कहा है वो?
शेखर- वो.. वो उधर है
शेखर ने उसके पीछे इशारा करते हुए बेमन से कहा क्युकी वो जानता था के राघव का नाम सुनते ही ये इतना चहकने क्यू लगी थी लेकिन वो कुछ नहीं कर सकता था, शेखर ने नेहा को देखा जो रितु को देख रही थी जो राघव को देखते ही उसकी ओर दौड़ कर गई जब राघव वहा आ रहा था
रितु- राघव यार गुड टू सी यू, कितने साल हो गए है,
और बोलते बोलते उसने अचानक राघव को गले लगा लिया जीससे राघव का बैलन्स बिगड़ गया
आरती- पता है नेहा राघव जब बचपन मे यहा आता था न तब भी ये रितु ऐसे ही उसके पीछे भागती थी उसके साथ खेलने लेकिन ये तब भी उसे ऐटिटूड दिखाता था और ये अब भी नहीं बदली है
आरती जी ने मुसकुराते हुए कहा वही नेहा बस उन दोनों को देख रही थी,
जब रितु राघव से अलग हुई तो राघव ने उसे देख स्माइल किया जो नेहा ने बराबर देखा
‘मेरे साथ तो ये ऐसे कभी नहीं मुसकुराते’ नेहा ने मन ही मन सोचा और राघव को उसके साथ हस कर बात करते देख उसका मुह खुला का खुला रह गया
श्वेता- भाभी मुह बंद कर लो मक्खी घुस जाएगी
श्वेता की बात सुन नेहा होश मे आई
रितु राघव से बात करते हुए उसे बार बार छु लेती थी लेकिन राघव उसका कोई विरोध नहीं कर रहा था उल्टा वो तो मस्त कंफर्टेबल होकर बाते कर रहा था
‘जब मैं छूती हु तो दूर सरक जाते है और यहा देखो ऐसे मजे से बाते कर रहे है’ नेहा ने अपने हाथ मे पकड़ी साड़ी को मरोड़ते हुए सोचा वही श्वेता उसके जले पे नामक छिड़कते हुए बोली
श्वेता- भाभी ये भईया से कुछ ज्यादा नहीं चिपक रही?
राघव रितु से मस्त हस कर बात कर रहा था वही नेहा उन्हे देख के जल रही थी अब पता नहीं ये रितु इन दोनों के बीच क्या गुल खिलाएगी देखते है अगले अपडेट मे.......
अगले दिन अपने दोनों कपल्स सुबह जल्दी ही बड़ी दादी के घर जाने के लिए निकले और गाड़ी मे बैठ कर श्वेता ने शेखर से उनके बारे मे पूछा
श्वेता- दादी कहा रहती है?
शेखर- गाँव मे, गाँव मे वहा पूषतेनी घर है वही दादी के माइके का पूरा परिवार रहता है, बहुत सी खेती है और बिजनस भी उनका वही से ऑपरेट होता है, गाँव ज्यादा बड़ा नहीं है ज्यादा से ज्यादा 100 घर होंगे लेकिन सब अच्छे खासे लोग है ऐसा समझो के वहा लाइफ काफी सुकून वाली है
अब जब शेखर श्वेता को ये सब बता ही रहा है तो मैं आपको दादी के माइके के परिवार का इन्ट्रो दे देता हु।
सबसे पहले कुमुद जी ये बड़ी दादी है और हमारी दादी की बड़ी बहन जिन्होंने अपने छोटे भाई बहन की जिम्मेदारी के चलते काभी शादी नही की, इनके बाबूजी की काफी जमीन थी जिसे उनके बाद इन्होंने संभाला और अपने भाई बहन को सही से सेटल किया लेकिन सबके बारे मे सोचते सोचते खुद के बारे मे सोचना भूल गई, ये रमाकांत और धनंजय की मौसी , फिर इनके छोटे भाई रमेश- आरती, यानि दादी के भाई, रमेश जी के दो बच्चे एक बेटा जो है शुभंकर और उनकी पत्नी संध्या, वही रमेश जी की बेटी है वो है ममता और उनके पति है सुरेश, अब शुभंकर और संध्या के दो बच्चे है आकाश और स्वाती वही ममता और सुरेश जी को दो बेटियाँ है, आँचल और निकिता, होप आपको समझ आया होगा नाही आया तो फॅमिली ट्री का फोटू डाल दूंगा कल तो अब कहानी की ओर आगे बढ़ते है,
गाड़ी मे शेखर ने श्वेता को यही फॅमिली ट्री अच्छे से समझाया हालांकि वो सब को अच्छे से जानती थी वो अपनी शादी मे इन सब से मिल चुकी थी सिवाय बड़ी दादी के वही नेहा इन सब लोगों को अच्छे से जानती थी इसीलिए वो खिड़की के बाहर देख रही थी और तभी उसकी नजर रीयर व्यू मिरर पर पड़ी तो उसने पाया के राघव चुपके चुपके उसे देख रहा था और जैसे ही नेहा ने उसे देखा उसने अपनी नजरे घुमा ली और नेहा भी वापिस बाहर की ओर देखने लगी लेकिन इस बार उसके चेहरे पर हल्की सी स्माइल थी और चेहरे पर लाली अभी तक तो ऐसी कोई खबर नहीं आई थी के कुछ बुरा हुआ है और सब इसी उम्मीद मे थे के सब ठीक हो।
वो लोग आधे घंटे मे अपनी मंजिल पर पहुच चुके थे।
घर पुराने जमाने का था लेकिन आधुनिक सुविधाओं से लेस था, वो एक पुराने जमाने का पूषतेनी वाडा था जिसमे इस पूरे परिवार के रहने के लिए पर्याप्त रूम थे और घर के बीचों बीच आँगन बना हुआ था और घर के पीछे ही तरफ बढ़िया छोटा सा बगीचा था जिसमे तरह तरह के फूलों के झाड लगे हुए थे साथ ही वहा बैठने की व्यवस्था भी थी।
जब ये चारों वहा पहुचे तो इनका स्वागत किया शांति ने, असल इंसान नही साइलन्स ने
राघव- चलो अंदर चलते है,
राघव के कहते ही वो चारों अंदर आए और अंदर आते ही वो थोड़ा सप्राइज़ हुए
श्वेता- भाभी किसी की मौत का शोक ऐसे मनाया जाता है क्या?
एकदम शांति और घर को देख कर श्वेता ने नेहा के कान मे पूछा बदले मे नेहा ने उसे थोड़ा घूर के देखा और फिर पता नहीं बोल के वो भी आजू बाजू देखने लगि क्युकी जिस चीज ने इन्हे सबसे ज्यादा सप्राइज़ किया था वो थी घर की सजावट, क्युकी पूरा घर फूलों से सजा हुआ था और तभी उन्हे किसी के हसने की आवाजे आई जिसने उन्हे और भी कन्फ्यूज़ कर दिया तभी वहा उन्हे रिद्धि एक उसी की उम्र की लड़की के साथ इधर उधर फुदकती दिखी
राघव- रिद्धि, स्वाती!
राघव ने उन्हे आवाज लगाई और वो दोनों भी इन्हे देख के खुश हो गई और उनके चेहरे पर एक मुस्कान आ गई
स्वाती- भईया आप आ गए फाइनली!
स्वाती ने उनकी तरफ आते हुए कहा, वैसे तो स्वाती ज्यादा बात नहीं करती थी सिवाय उनसे जो उसे पसंद आते थे जैसे की अपनी मंडली
शेखर- ये.. क्या चल रहा है कोई बताएगा ?
शेखर ने सब सजावट देख कर रिद्धि से पूछा
रिद्धि – वो भाई हमे भी ये सब यहा आकर ही पता चला
नेहा- मतलब?!
रिद्धि – अरे आप सब पहले बड़ी दादी के रूम मे चलो वही आपको सब बताते है
इतना बोल के रिद्धि और स्वाती वहा से चली गई और उनके पीछे पीछे ये चारों भी बड़ी दादी के रूम की ओर निकल गए और जब वो वहा पहुचे तो उन्होंने वहा अपनी दादी गायत्री को हस हस कर बाते करते देखा जिसने उन्हे और कन्फ्यूज़ कर दिया के बड़ी दादी की तबीयत तो सीरीअस थी न
कुमुद- अरे आ गए तुम सब लोग!
बड़ी दादी ने उन्हे देखते ही बेड पर लेटे लेटे कहा और उन्हे देखते ही शेखर जाकर उनके पास बेड पर बैठ गया और उन्होंने भी शेखर के सर पे हाथ घुमाया
कुमुद- अच्छा है सब लोग आ गए है, राघव!!
उन्होंने राघव को भी अपने पास बुलाया
राघव- जब कल किसी ने मेरा फोन नहीं उठाया तभी मुझे समझ जाना चाहिए था
कुमुद- बेटे जी अगर मैं वैसे ही तुम्हें फोन करके बुलाती ना तो तुम तो आ ही जाते है न??
शेखर- ये तो कोई रीज़न नहीं हुआ दादी, आपकों नहीं पता हमारी क्या हालत हुई थी
शेखर ने शिकायत करते हुए कहा और राघव उनके पास गया
गायत्री- वही तो, दीदी ने कल डरा ही दिया था
कुमुद- तो मैं और क्या करती कितने साल हो गए थे तुम सबको ऐसे साथ देखे और वैसे भी क्या पता मुझ बुढ़िया के पास और कितने दिन बचे है
गायत्री- दीदी!
राघव- बड़ी दादी!
गायत्री और राघव दोनों एकसाथ बोले
कुमुद- अच्छा अच्छा सॉरी... पर तुम सब को साथ देखे बहुत समय हो गया था और मैं ये बहाना न करती तो तुम सब ऐसे थोड़ी भागे भागे आते
राघव- फिर भी आपको ये नहीं करना चाहिए था, डरा दिया था आपने कितने चिंता मे थे हम पता है और हमे बुलाना ही था तो और कोई बहाना बनाती ये क्या बात हुई किसी को बुलाने की
कुमुद- वो तो ऐसे ही थोड़ा मजाक और वैसे ही आकाश की सगाई है तो रीज़न भी था सबको बुलाने का तो थोड़ी मस्ती कर ली
शेखर- क्या! आकाश की सगाई है और मुझे किसी ने बताया भी नहीं
कुमुद- बेटा जी बात करोगे तो पता चलेगा ना...
दादी ने एक और ताना मारा
राघव- आप ना ड्रामा क्वीन हो, उस टाइम फिल्मों मे क्यू नहीं गई आप! ऐसे डराता है क्या कोई!
कुमुद- हा हा ठीक है बस अब कल से वैसे भी सब मुझे सुना ही रहे है तू मत बोल अब
राघव- हा तो सही कर रहे है वो आपको डांट मिलनी भी चाहिए
कुमुद- तेरी दादी बहुत डांट चुकी है मुझे और मुझे बताओ इसे किसने बुलाया था? मुझे तो मेरे बच्चों से मिलना था, खैर छोड़ो मेरी बहुए कहा है
उन्होंने इधर उधर देखा तो पाया के नेहा और श्वेता दरवाजे पर ही खड़ी थी
कुमुद – अरे तुम लोग वहा क्यू खड़ी को आओ इधर आओ मैं तुम्हारी दादी सास जैसी डरावनी नहीं हु
उन दोनों ने जाके बड़ी दादी के पैर छूए
कुमुद- सदा सुहागन रहो और अपने पिया की प्यारी बनी रहो
गायत्री- आप लोग बैठो मैं किसी को कमरे तयार करने कहती हु, रिद्धि स्वाती चली मेरी मदद करो दोनों
इतना बोल के दादी वहा से चली गई
कुमुद- अब तुम लोग किसका इंतजार कर रहे हो इनसे मिलवाओ तो मुझे
दादी ने राघव और शेखर से कहा
शेखर- दादी ये श्वेता है
कुमुद- एकदम नाम की तरफ ही है गोरी गोरी, और तुम नहीं मिलवाओगे राघव
राघव- ये रही मेरी वाइफ... नेहा
बड़ी दादी ने कुछ पल नेहा को देखा
कुमुद- पता नहीं क्यू पर बेटा मुझे लगता है मैंने देखा है तुम्हें, तुम्हें देख के किसी की याद आती है
उन्होंने कुछ याद करते हुए कहा लेकिन कुछ याद नहीं आया वही नेहा ने बस एक स्माइल दे दी
कुमुद – जाने दो लेकिन राघव ये उससे काही ज्यादा सुन्दर है जैसी तुम्हें चाहिए थी, पता है नेहा ये जब बचपन मे यहा आता था ना तो बताता था के बड़ी दादी मेरी न पत्नी ऐसी होगी वैसी होगी..
दादी ने मुसकुराते हुए कहा जिसपर नेहा भी मुस्कुरा दी
राघव- अरे यार दादी
और ये बाते सुन के शेखर हसने लगा
कुमुद- तुम क्या हस रहे हो? श्वेता तुम्हारी तो लव मेरिज है न लेकिन पता है ये न मुझसे कहता था के मैं कभी शादी नहीं करूंगा लड़किया तो सर दर्द होती है तो अब बच्चू अब कहा गया तुम्हारा सर दर्द
दादी ने शेखर का कान खिचते हुए कहा
शेखर- अरे दादी वो तो बचपन की बात थी अब मैं बड़ा हो गया हु अब लड़किया सर दर्द थोड़ी है अब तो....
लेकिन जैसे ही उसकी नजर श्वेता पर पड़ी जो उसे देख रही थी शेखर बोलते बोलते रुक गया
शेखर- बाकी लोग कहा है कोई दिख नहीं रहा शेखर ने बात बदलते हुए पूछा
कुमुद- तुम्हारे पापा लोग तो बाहर गए है और तुम्हारी माए सगाई की तयारिया कर रही है पीछे, तुम लोग जाओ पहले फ्रेश हो जाओ थोड़ा फिर हम बात करते है
जिसके बाद ये सब लोग वहा से निकल गए वही दादी सोचने लागि के उन्हे नेहा जानी पहचानी क्यू लग रही थी।
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आरती- अरे बेटा श्वेता नेहा आओ तुम लोग भी अपने लिए साड़िया पसंद कर लो सगाई के लिए तुम लोग कहा उस तयारी से आए होंगे, आओ यहा से अपने लिए साड़िया और गहने देख लो
जब ये दोनों घर के पीछे की साइड पहुची तो आरती जी ने इन्हे देख के कहा
घर के सारे मर्द घर के सामने वाले आँगन मे बैठे अपनी बात चित कर रहे थे वही पीछे बने बगीचे में एक तरफ अपना अक्खा गैंग बैठ के गप्पे मार रहा तथा उन्मे आकाश और स्वाती भी थे और जो नहीं था वो था राघव वही दूसरी तरह सब महिलाये अपने लिए साड़िया और गहने पसंद कर रही थी जीसे एक आदमी उन्हे दिखा रहा था, श्वेता और नेहा भी अपने लिए साड़िया देखने लगी
श्वेता- चाचीजी यहा तो सब साड़िया साउथ इंडियन स्टाइल की है ऐसा क्यू?
श्वेता ने साड़ियों को देखते हुए संध्या जी से पूछा
संध्या- अरे क्युकी आकाश और राधिका (आकाश की मंगेतर) इनकी इच्छा थी के सगाई साउथ इंडियन थीम से हो इसीलिए ये ड्रेसकोड है
संध्या जी ने जानकी और मीनाक्षी को साड़ी दिखाते हुए कहा, ये लोग सब बाते करते हुए साड़िया पसंद कर ही रहे थे के तभी एक लड़की की आवाज ने इन सब का ध्यान अपनी ओर खिचा
“संध्या काकी ये मा ने डिब्बा वापिस भेजा है” उस लड़की ने डिब्बा संध्या जी को देते हुए कहा और फिर उसकी नजर श्वेता और नेहा पर पड़ी और वो उन्हे कन्फ़्युशन मे देखने लगी और फिर उसने दूसरी तरफ देखा तो उसे वहा शेखर दिखाई दिया
“हे शेखर कैसा है भाई?” उस लड़की ने शेखर को देखते ही कहा और उसके पास जाने लगी वही श्वेता भी उसे और शेखर को देखने लगी
शेखर- बस सब बढ़िया है रितु मैडम तुम बताओ
रितु- मैं भी मस्त, सुना तुम्हारी शादी हो गई है
शेखर- यप , वो देखो वो मेरी वाइफ है श्वेता
शेखर ने श्वेता की ओर इशारा करके कहा जो उन्हे ही देख रही थी
रितु- कब आए तुम लोग? कल जब बाकी लोग आए उनके साथ नहीं थे तुम?
शेखर- हा वो अभी सुबह ही आए है हम सब
रितु- सब मतलब राघव? राघव भी आया है?
रितु ने राघव के बारे मे उत्सुकता से पूछा जिससे नेहा का ध्यान उसपे चला गया क्युकी शेखर से बात करते हुए वो इतनी एक्साइटेड नहीं थी जितना राघव का नाम सुनते ही हो गई थी
रितु- कितने साल हो गए यार उसे देखे हुए कहा है वो?
शेखर- वो.. वो उधर है
शेखर ने उसके पीछे इशारा करते हुए बेमन से कहा क्युकी वो जानता था के राघव का नाम सुनते ही ये इतना चहकने क्यू लगी थी लेकिन वो कुछ नहीं कर सकता था, शेखर ने नेहा को देखा जो रितु को देख रही थी जो राघव को देखते ही उसकी ओर दौड़ कर गई जब राघव वहा आ रहा था
रितु- राघव यार गुड टू सी यू, कितने साल हो गए है,
और बोलते बोलते उसने अचानक राघव को गले लगा लिया जीससे राघव का बैलन्स बिगड़ गया
आरती- पता है नेहा राघव जब बचपन मे यहा आता था न तब भी ये रितु ऐसे ही उसके पीछे भागती थी उसके साथ खेलने लेकिन ये तब भी उसे ऐटिटूड दिखाता था और ये अब भी नहीं बदली है
आरती जी ने मुसकुराते हुए कहा वही नेहा बस उन दोनों को देख रही थी,
जब रितु राघव से अलग हुई तो राघव ने उसे देख स्माइल किया जो नेहा ने बराबर देखा
‘मेरे साथ तो ये ऐसे कभी नहीं मुसकुराते’ नेहा ने मन ही मन सोचा और राघव को उसके साथ हस कर बात करते देख उसका मुह खुला का खुला रह गया
श्वेता- भाभी मुह बंद कर लो मक्खी घुस जाएगी
श्वेता की बात सुन नेहा होश मे आई
रितु राघव से बात करते हुए उसे बार बार छु लेती थी लेकिन राघव उसका कोई विरोध नहीं कर रहा था उल्टा वो तो मस्त कंफर्टेबल होकर बाते कर रहा था
‘जब मैं छूती हु तो दूर सरक जाते है और यहा देखो ऐसे मजे से बाते कर रहे है’ नेहा ने अपने हाथ मे पकड़ी साड़ी को मरोड़ते हुए सोचा वही श्वेता उसके जले पे नामक छिड़कते हुए बोली
श्वेता- भाभी ये भईया से कुछ ज्यादा नहीं चिपक रही?
राघव रितु से मस्त हस कर बात कर रहा था वही नेहा उन्हे देख के जल रही थी अब पता नहीं ये रितु इन दोनों के बीच क्या गुल खिलाएगी देखते है अगले अपडेट मे.......