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Superb update bro maja aa gayaUpdate 29
राघव पूरे घर मे नेहा को ढूंढते हुए घूम रहा था लेकिन वो उसे कही नहीं दिख रही थी
रमेश- राघव, कुछ चाहिए क्या बेटा?
राघव- नहीं मामा दादू वो बस ऐसे...
रमेश- नेहा को ढूंढ रहे हो?
राघव- नहीं वो तो मैं.. वो...
रमेश- वो मा के कमरे मे है
इतना बोल के रमेश जी वहा से राघव का कंधा थपथपाते हुए मुस्कुराकर निकल गए और राघव झट से बड़ी दादी के कमरे की ओर लपका और जब वो कमरे मे पहुचा तो वहा कोई नहीं था सिवाय नेहा को जो अलमारी मे कुछ सामान रख रही थी और राघव की तरफ उसकी पीठ थी
राघव ने कमरे का दरवाजा धीरे से बंद किया ताकि नेहा को उसके आने का पता ना चले और कोई आवाज ना हो लेकिन वो पुराने जमाने का दरवाजा आवाज करते हुए बंद हुआ और नेहा का ध्यान उसकी ओर आ गया
नेहा ने पलट कर देखा तो वहा राघव को पाया, उसने सपाट चेहरे से राघव को देखा फिर वापिस अपने काम मे लग गई वही राघव भी चुप चाप वहा खड़ा उसके फ्री होने की राह देखने लगा ताकि उससे बात कर सके
नेहा ने अलमारी से एक बेडशीट निकाली और थड़ की आवाज से अलमारी का दरवाजा बंद कर दिया
‘ये मुझे ऐसा क्यू लग रहा है उसने उस दरवाजे मे मुझे इमेजिन करके उसे पटका है’ राघव के मन मे खयाल आया
वही नेहा उसे इग्नोर करते हुए बेड की ओर बढ़ी और उसने एक झटके मे पुरानी चादर हटा दी और नई बेड शीट बिछाने लगी और जब उसका काम खतम हो गया तो वो दरवाजे की तरफ आई
राघव- सुनो..!
राघव ने उसे आवाज दी जिसे सुन कर वो रुकी और राघव की ओर मुड़ी
राघव- ये....
लेकिन बोलते बोलते राघव रुक गया जब उसने देखा के नेहा ने उसे वापिस इग्नोर कर दिया है और वो बेड की ओर जा रही है जैसे वो वहा हो ही ना
नेहा ने बेड पर से पुराने पिलो कवर उठाए और वापिस दरवाजे की तरफ जाने लगी और वो दरवाजा खोलने की वाली थी के राघव ने उसकी कलाई पकड़ के उसे रोक दिया
राघव- मैं कुछ कह रहा हु
नेहा- कहिए!
नेहा ने बोला लेकिन इस बार उसकी आवाज सपाट थी
राघव- तुम मुझे इग्नोर क्यू कर रही हो?
नेहा- मैं कहा इग्नोर कर रही हु? इग्नोर करने का ठेका तो आपने लिया हुआ है
राघव- ताना मार रही हो?
नेहा- मैं कौन होती हु ताना मारने वाली? वैसे भी मुझसे क्या फ़र्क पड़ता है
नेहा ने धीमे से कहा
राघव- हुह? क्या कहा जोर से बोलो
नेहा- जाना है मुझे जाने दीजिए
नेहा ने थोड़ा चिल्लाके कहा
राघव- अरे यार चिल्ला क्यू रही हो?
नेहा- क्युकी पागल हु मैं
नेहा ने राघव के हाथ से अपना हाथ छुड़ाते हुए कहा
राघव- हा वो मैं जानता हु लेकिन चिल्लाके बताने की क्या जरूरत थी बाकी लोग सुन लेते तो? और सोचो वो लोग मेरे बारे मे क्या सोचते
राघव ने नेहा को चिढ़ाते वापिस उसका हाथ पकड़ते हुए कहा जिसने नेहा का मूड और खराब कर दिया
नेहा- हा तो जाइए न फिर अपनी उस दोस्त के पास यहा मुझे मत तंग कीजिए वैसे भी लोग आप दोनों को साथ देख के खुश होंगे
नेहा ने वापिस चिल्लाते हुए अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश की लेकिन इस बार राघव ने उसका हाथ अच्छे से पकड़ हुआ था और उसने नेहा को अपनी तरफ खिचा जिससे वो उसके सीने से जा टकराई
राघव- नेहा, क्या हुआ है तुम्हे? ऐसे बिहेव क्यू कर रही हो?
नेहा- कुछ नहीं हुआ है मुझे
नेहा ने बगैर राघव से नजरे मिलाए उसके हाथों मे कसमसाते हुए कहा
राघव- चुप चाप खड़ी रहो
राघव ने नेहा को ऑर्डर देने की कोशिश की सिर्फ कोशिश
नेहा- मुझे जाना है बहुत काम है मुझे
राघव- ना! पहले बताओ क्या हुआ है
नेहा- कहा ना कुछ नहीं हुआ है और आप मेरे पास क्या कर रहे है आपकी वो स्पेशल दोस्त चली गई क्या
अब राघव के माजरा ध्यान मे आने लगा था
राघव- तुम, तुम कही रितु से जल तो नहीं रही हो?
नेहा- मैं... मैं क्यू जलने लगी मुझे कोई फरक नहीं पड़ता
नेहा ने अपनी नजरे इधर उधर घुमाते हुए कहा और उसे ऐसे करते देख राघव के चेहरे पर स्माइल आ गई
राघव- ये लो
राघव ने साड़ी का पैकेट उसकी ओर बढ़ाया
नेहा- ये क्या है
राघव- ये वो है जिसे तुम आकाश की सगाई मे पहनोगी
नेहा- मैंने अपने लिए साड़ी पसंद कर ली है ये जाकर उसे दीजिए जिसके लिए पसंद कर रहे थे
राघव- अरे पर ये तुम्हारे लिए है मैंने सिलेक्ट की है
नेहा- कहा ना मुझे नहीं चाहिए, गो टू हेल
नेहा ने राघव को धकेलते हुए कहा और राघव आगे कुछ कहता उससे पहले की उन्हे किसी के गला साफ करने की आवाज आई, दरवाजे पर बड़ी दादी खड़ी थी और शरारती मुस्कान से उन्हे देख रही थी
कुमुद- तुम लोगों को तुम्हारा रूम दिया है ना फिर मेरे कमरे मे रोमांस क्यू ?
बड़ी दादी की बात सुन दोनों उन्हे चौक के देखने लगे
नेहा- न.. नहीं दादी आप सोच रही है वैसा कुछ नहीं है
कुमुद- फिर कैसा है? दोनों ऐसे चिपक के खड़े हो ये रोमांस नहीं तो लड़ने का नया तरीका है क्या?
और अब इसमे नेहा कुछ कहती इससे पहले ही राघव बोला
राघव- देखो ना दादी ये आपकी बहु मुझे टाइम ही नहीं देती है
राघव मासूम बनते हुए बोला और उसकी बात पर नेहा उसे शॉक होकर देखने लगी
‘ये आज नाश्ते मे कुछ गलत खा लिए थे क्या जो ऐसी बाते कर रहे’ नेहा ने सोचा
कुमुद- ये सब क्या है नेहा यहा पहले ही दिन मुझे शिकायाते मिल रही है
राघव- हा हा बताओ अब दादी को
राघव अब नेहा को छेड़ने के पूरे मूड मे था लेकिन वो भी कम नहीं थी
‘बड़ा भोला बन रहे है ना अभी बताती हु इनको’ नेहा ने रघाव को देखते हुए सोचा फिर स्लाइम के साथ बड़ी दादी से बोली
नेहा- देखिए ना दादी ये आकाश की सगाई के लिए मुझे साड़ी नहीं दिला रहे है कहते है कोई जरूरत नहीं है
कुमुद- क्या...!
राघव- हैं?
दादी और राघव के मुह से ये एकसाथ निकला और अब दादी ने अपना मोर्चा राघव की तरफ बढ़ाया
कुमुद- ये मैं क्या सुन रही हु राघव?
राघव- अरे दादी नहीं ये झूठ बोल थी है मैंने ऐसा कब कहा??
राघव ने नेहा को देखते हुए कहा
नेहा- मैंने तो एक साड़ी पसंद भी की थी लेकिन इन्होंने लेने नहीं दी
नेहा अपने झूठे आँसू पोंछते हुए बोली और राघव के हाथ मे पकड़ा साड़ी का पैकेट दिखाया
राघव- क्या??
राघव मुह फाड़े नेहा को देख रहा था के वो कितनी सफाई से झूठ बोल रही थी
कुमुद- राघव क्या है ये सब? ये कोई तरीका है क्या और तुम होते कौन हो उसे साड़ी लेने से रोकने वाले अभी के अभी उसे वो साड़ी दो
राघव- लेकिन दादी....
कुमुद- मैंने कहा ना
राघव ने आँखों के कोने से नेहा को देखा जो उसे दादी से डांट खाता देख मजे ले रही थी वो कुछ पुटपुटाया और वो पैकेट उसने उसे दे दिया
नेहा- दादी जी ये तो यहा से जल्दी जाने का भी कह रहे थे ताकि वापिस काम पर जा सके, अब मैं तो यहा पहली बार आई हु मुझे और कुछ दिन रहना है , कहते है मैं इन्हे टाइम नहीं देती और खुद सारा दिन लैपटॉप लिए रहते है फिर आप बताओ मैं कैसे इनके साथ टाइम बिताऊ, ये तो यहा भी अपना लैपटॉप लाए है ताकि दिन रात काम कर सके
नेहा ने मासूम बनते हुए राघव की शिकायाते की
राघव नेहा को ‘अब तो तुम गई’ वाले लुक से घूरे जा रहा था लेकिन नेहा को कहा फरक पड़ना था
कुमुद- मैं ये क्या सुन रही हु राघव, परेशान हो गई हु तुमसे उसकी तो शिकायत कर दी तुमने और तुम्हारा क्या? नेहा बेटा जाओ और इसका लैपटॉप लाकर दो मुझे अब इसे 1 हफ्ते तक लैपटॉप नहीं मिलेगा।
बस दादी की ये लाइन राघव को शॉक देने काफी थी वो अपनी जगह पर जम गया
राघव- नहीं... नहीं दादी आप ऐसा नहीं करोगी, अरे मैं तो मजाक कर रहा था के ये टाइम नहीं देती आप मेरा लैपटॉप नहीं ले सकती
लेकिन दादी ने राघव के शब्दों को इग्नोर कर दिया
कुमुद- नेहा जाओ इसका लैपटॉप लेकर आओ
राघव- नहीं!!!!
कुमुद- जाओ नेहा, मैं भी देखती हु ये आदमी अब एक हफ्ता काम कैसे करता है
राघव- एक हफ्ता!!! नहीं!!! ऐसा नहीं करोगी आप!! नेहा खबरदार जो मेरे लैपटॉप को हाथ लगाया तो पछताओगी मैं कह रहा हु
राघव ने नेहा की ओर बढ़ते हुए कहा लेकिन दादी ने रोक दिया उसे
कुमुद- ओ राघव देशपांडे खबरदार अगर मेरी बहु को कुछ कहा तो तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा, नेहा मैं कह रही हु न तुम जाओ
और नेहा मुंडी हिलाते हुए वहा से चली गई, हालांकि उसे भी समझ आ गया था के फ़्लो फ़्लो मे वो ज्यादा बोल गई थी लेकिन इससे अब जो ड्रामा होगा उसमे मजा भी बड़ा आने वाला था और यही तो चांस था राघव को उसके लैपटॉप से दूर करने का और अपनी सौतन लैपटॉप को हटाने का ये मौका नेहा कहा छोड़ने वाली थी
जब नेहा लैपटॉप लेने गई तो राघव भी उसके पीछे जाने लगा लेकिन दादी ने रोक दिया उसे और द ग्रेट राघव देशपांडे अपने लैपटॉप को बचाने अपनी दादी ने मिन्नते करने लगा लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ इतने मे नेहा उसका लैपटॉप ले आई और राघव उसे खुले मुह से देखने लगा
राघव- नेहा मैं कह रहा हु रुक जाओ
राघव लैपटॉप छीनने नेहा की ओर लपका लेकिन नेहा उससे ज्यादा तेज थी उसने उसके अपने पास आने से पहले ही लैपटॉप दादी के हाथ मे पकड़ा दिया
राघव- दादी, दादी लैपटॉप वापिस दे दो प्लीज, मैं.... मैं वादा करता हु बिल्कुल ज्यादा काम नहीं करूंगा और 1 हफ्ते से पहले तो यहां से हिलूँगा भी नहीं पक्का वादा
राघव बड़ी दादी के सामने करीब करीब गिड़गिड़ा रहा था वही उसकी हालत देख नेहा मंद मंद हस रही थी
कुमुद- ना अब तो ये तुम्हें मिलने से रहा! अब तुम्हें ये लैपटॉप तब ही मिलेगा जब नेहा मुझसे कहेगी
दादी ने शरारती मुस्कान के साथ राघव की मिन्नतों को इग्नोर कर दिया और राघव ने हसती हुई नेहा को देखा और उसके देखते ही नेहा ने अपना चेहरा सपाट कर लिया
राघव- बड़ी दादी से कहो के मुझे मेरा लैपटॉप अभी के अभी वापिस दे
राघव ने नेहा पर रौब झाड़ते हुए उसे अपनी मजा लेते देख इरिटेट होकर कहा
नेहा- ना.. मैं दादी जी की बात नहीं टाल सकती उन्हे अच्छे नहीं लगेगा ना
नेहा ने मासूम बनते हुए कहा और राघव सीरीअस चेहरे के साथ उसे देखने लगा
राघव- मेरे पेशंस को टेस्ट मत लो नेहा जो कहा है वो करो
कुमुद- राघव तुम उसे धमका रहे हो?
राघव – दादी मुझे मेरा लैपटॉप वापिस चाहिए
कुमुद- ना कहा ना, नेहा तुम जाओ बेटा ये अब कुछ नही करेगा
और दादी के कहते ही नेहा वहा से भाग ली
राघव- रुको ! दादी ये चीटिंग है
और आगे दादी की कोई बात बगैर सुने ही राघव वहा से निकल गया
राघव- तुम्हारी तो... नेहा मैंने कहा यहा आओ और दादी को लैपटॉप वापिस देने कहो
राघव ने नेहा के पीछे आते हुए कहा वही नेहा उससे दूर भाग रही थी
नेहा- नहीं!
राघव- नेहा.. देखो बात मानो जो कहा है करो
नेहा- कहा ना मैं उनसे कुछ भी नहीं कहने वाली
नेहा ने हसते हुए कहा और इनकी इस पकड़म पकड़ाई ने बाकी घरवालों का ध्यान इनकी ओर खिच लिया, घरवालों ने इन दोनों को कभी ऐसे बच्चो जैसे बर्ताव करते नहीं देखा था तो वो शॉक थे
मीनाक्षी- भाभी क्या हो रहा है ये?
मीनाक्षी जी ने जानकी से पूछा जो अपने बेटे बहु को खुले मुह के साथ देख रही थी
शुभंकर- ये सही मे राघव और नेहा है?
रमेश- ये क्या हमेशा ऐसे ही रहते है?
धनंजय- ना ऐसे तो नहीं रहते
उन दोनों को देख अपनी दादी गायत्री ने तो अपनी आंखे मल ली उनको तो यकीन ही नहीं हो रहा था और वही राघव और नेहा पूरे घर में इधर उधर दौड़ रहे थे उन्हे बाकी दुनिया की फिक्र ही नहीं थी
राघव- नेहा देखो मेरी बात मान लो वरना...
लेकिन नेहा ने उसकी एक बात नहीं सुनी और दौड़ते हुए पीछे वाली बगीचे की तरफ आई
नेहा- हॉ!! मैं तो आपसे डर गई
नेहा ने डरने वाले एक्सप्रेशन बनाए फिर हसते हुए कहा और उसे ऐसे हसता देख राघव के चेहरे पर भी मुस्कान आ गई ऐसी बड़ी सी स्माइल जिसे उसके चेहरे पर देखे घरवालों को अरसा हो गया था एकदम सच्ची
विवेक- ये सही मे भाभी है?
विवेक ने शेखर से पूछा जो उल्लू की तरह उन्हे ही देख रहा था जब वो पीछे की साइड आए थे
स्वाती- ये क्या कोई गेम खेल रहे है क्या?
स्वाती ने रिद्धि से पूछा जो अपनी पलके झपकते हुए इन सीन को पचाने की कोशिश कर रही थी
आकाश- राघव भाई? स्माइल करते हुए? ये सपना तो नहीं है ना?
लेकिन वहा एक ऐसा भी शक्स था जिसे इन दोनों की नजदीकिया पसंद नहीं आ रही थी, और वो थी रितु, साफ था उसे नेहा से जलन हो रही थी.... लेकिन क्यू...??
Nice and superb update....Update 29
राघव पूरे घर मे नेहा को ढूंढते हुए घूम रहा था लेकिन वो उसे कही नहीं दिख रही थी
रमेश- राघव, कुछ चाहिए क्या बेटा?
राघव- नहीं मामा दादू वो बस ऐसे...
रमेश- नेहा को ढूंढ रहे हो?
राघव- नहीं वो तो मैं.. वो...
रमेश- वो मा के कमरे मे है
इतना बोल के रमेश जी वहा से राघव का कंधा थपथपाते हुए मुस्कुराकर निकल गए और राघव झट से बड़ी दादी के कमरे की ओर लपका और जब वो कमरे मे पहुचा तो वहा कोई नहीं था सिवाय नेहा को जो अलमारी मे कुछ सामान रख रही थी और राघव की तरफ उसकी पीठ थी
राघव ने कमरे का दरवाजा धीरे से बंद किया ताकि नेहा को उसके आने का पता ना चले और कोई आवाज ना हो लेकिन वो पुराने जमाने का दरवाजा आवाज करते हुए बंद हुआ और नेहा का ध्यान उसकी ओर आ गया
नेहा ने पलट कर देखा तो वहा राघव को पाया, उसने सपाट चेहरे से राघव को देखा फिर वापिस अपने काम मे लग गई वही राघव भी चुप चाप वहा खड़ा उसके फ्री होने की राह देखने लगा ताकि उससे बात कर सके
नेहा ने अलमारी से एक बेडशीट निकाली और थड़ की आवाज से अलमारी का दरवाजा बंद कर दिया
‘ये मुझे ऐसा क्यू लग रहा है उसने उस दरवाजे मे मुझे इमेजिन करके उसे पटका है’ राघव के मन मे खयाल आया
वही नेहा उसे इग्नोर करते हुए बेड की ओर बढ़ी और उसने एक झटके मे पुरानी चादर हटा दी और नई बेड शीट बिछाने लगी और जब उसका काम खतम हो गया तो वो दरवाजे की तरफ आई
राघव- सुनो..!
राघव ने उसे आवाज दी जिसे सुन कर वो रुकी और राघव की ओर मुड़ी
राघव- ये....
लेकिन बोलते बोलते राघव रुक गया जब उसने देखा के नेहा ने उसे वापिस इग्नोर कर दिया है और वो बेड की ओर जा रही है जैसे वो वहा हो ही ना
नेहा ने बेड पर से पुराने पिलो कवर उठाए और वापिस दरवाजे की तरफ जाने लगी और वो दरवाजा खोलने की वाली थी के राघव ने उसकी कलाई पकड़ के उसे रोक दिया
राघव- मैं कुछ कह रहा हु
नेहा- कहिए!
नेहा ने बोला लेकिन इस बार उसकी आवाज सपाट थी
राघव- तुम मुझे इग्नोर क्यू कर रही हो?
नेहा- मैं कहा इग्नोर कर रही हु? इग्नोर करने का ठेका तो आपने लिया हुआ है
राघव- ताना मार रही हो?
नेहा- मैं कौन होती हु ताना मारने वाली? वैसे भी मुझसे क्या फ़र्क पड़ता है
नेहा ने धीमे से कहा
राघव- हुह? क्या कहा जोर से बोलो
नेहा- जाना है मुझे जाने दीजिए
नेहा ने थोड़ा चिल्लाके कहा
राघव- अरे यार चिल्ला क्यू रही हो?
नेहा- क्युकी पागल हु मैं
नेहा ने राघव के हाथ से अपना हाथ छुड़ाते हुए कहा
राघव- हा वो मैं जानता हु लेकिन चिल्लाके बताने की क्या जरूरत थी बाकी लोग सुन लेते तो? और सोचो वो लोग मेरे बारे मे क्या सोचते
राघव ने नेहा को चिढ़ाते वापिस उसका हाथ पकड़ते हुए कहा जिसने नेहा का मूड और खराब कर दिया
नेहा- हा तो जाइए न फिर अपनी उस दोस्त के पास यहा मुझे मत तंग कीजिए वैसे भी लोग आप दोनों को साथ देख के खुश होंगे
नेहा ने वापिस चिल्लाते हुए अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश की लेकिन इस बार राघव ने उसका हाथ अच्छे से पकड़ हुआ था और उसने नेहा को अपनी तरफ खिचा जिससे वो उसके सीने से जा टकराई
राघव- नेहा, क्या हुआ है तुम्हे? ऐसे बिहेव क्यू कर रही हो?
नेहा- कुछ नहीं हुआ है मुझे
नेहा ने बगैर राघव से नजरे मिलाए उसके हाथों मे कसमसाते हुए कहा
राघव- चुप चाप खड़ी रहो
राघव ने नेहा को ऑर्डर देने की कोशिश की सिर्फ कोशिश
नेहा- मुझे जाना है बहुत काम है मुझे
राघव- ना! पहले बताओ क्या हुआ है
नेहा- कहा ना कुछ नहीं हुआ है और आप मेरे पास क्या कर रहे है आपकी वो स्पेशल दोस्त चली गई क्या
अब राघव के माजरा ध्यान मे आने लगा था
राघव- तुम, तुम कही रितु से जल तो नहीं रही हो?
नेहा- मैं... मैं क्यू जलने लगी मुझे कोई फरक नहीं पड़ता
नेहा ने अपनी नजरे इधर उधर घुमाते हुए कहा और उसे ऐसे करते देख राघव के चेहरे पर स्माइल आ गई
राघव- ये लो
राघव ने साड़ी का पैकेट उसकी ओर बढ़ाया
नेहा- ये क्या है
राघव- ये वो है जिसे तुम आकाश की सगाई मे पहनोगी
नेहा- मैंने अपने लिए साड़ी पसंद कर ली है ये जाकर उसे दीजिए जिसके लिए पसंद कर रहे थे
राघव- अरे पर ये तुम्हारे लिए है मैंने सिलेक्ट की है
नेहा- कहा ना मुझे नहीं चाहिए, गो टू हेल
नेहा ने राघव को धकेलते हुए कहा और राघव आगे कुछ कहता उससे पहले की उन्हे किसी के गला साफ करने की आवाज आई, दरवाजे पर बड़ी दादी खड़ी थी और शरारती मुस्कान से उन्हे देख रही थी
कुमुद- तुम लोगों को तुम्हारा रूम दिया है ना फिर मेरे कमरे मे रोमांस क्यू ?
बड़ी दादी की बात सुन दोनों उन्हे चौक के देखने लगे
नेहा- न.. नहीं दादी आप सोच रही है वैसा कुछ नहीं है
कुमुद- फिर कैसा है? दोनों ऐसे चिपक के खड़े हो ये रोमांस नहीं तो लड़ने का नया तरीका है क्या?
और अब इसमे नेहा कुछ कहती इससे पहले ही राघव बोला
राघव- देखो ना दादी ये आपकी बहु मुझे टाइम ही नहीं देती है
राघव मासूम बनते हुए बोला और उसकी बात पर नेहा उसे शॉक होकर देखने लगी
‘ये आज नाश्ते मे कुछ गलत खा लिए थे क्या जो ऐसी बाते कर रहे’ नेहा ने सोचा
कुमुद- ये सब क्या है नेहा यहा पहले ही दिन मुझे शिकायाते मिल रही है
राघव- हा हा बताओ अब दादी को
राघव अब नेहा को छेड़ने के पूरे मूड मे था लेकिन वो भी कम नहीं थी
‘बड़ा भोला बन रहे है ना अभी बताती हु इनको’ नेहा ने रघाव को देखते हुए सोचा फिर स्लाइम के साथ बड़ी दादी से बोली
नेहा- देखिए ना दादी ये आकाश की सगाई के लिए मुझे साड़ी नहीं दिला रहे है कहते है कोई जरूरत नहीं है
कुमुद- क्या...!
राघव- हैं?
दादी और राघव के मुह से ये एकसाथ निकला और अब दादी ने अपना मोर्चा राघव की तरफ बढ़ाया
कुमुद- ये मैं क्या सुन रही हु राघव?
राघव- अरे दादी नहीं ये झूठ बोल थी है मैंने ऐसा कब कहा??
राघव ने नेहा को देखते हुए कहा
नेहा- मैंने तो एक साड़ी पसंद भी की थी लेकिन इन्होंने लेने नहीं दी
नेहा अपने झूठे आँसू पोंछते हुए बोली और राघव के हाथ मे पकड़ा साड़ी का पैकेट दिखाया
राघव- क्या??
राघव मुह फाड़े नेहा को देख रहा था के वो कितनी सफाई से झूठ बोल रही थी
कुमुद- राघव क्या है ये सब? ये कोई तरीका है क्या और तुम होते कौन हो उसे साड़ी लेने से रोकने वाले अभी के अभी उसे वो साड़ी दो
राघव- लेकिन दादी....
कुमुद- मैंने कहा ना
राघव ने आँखों के कोने से नेहा को देखा जो उसे दादी से डांट खाता देख मजे ले रही थी वो कुछ पुटपुटाया और वो पैकेट उसने उसे दे दिया
नेहा- दादी जी ये तो यहा से जल्दी जाने का भी कह रहे थे ताकि वापिस काम पर जा सके, अब मैं तो यहा पहली बार आई हु मुझे और कुछ दिन रहना है , कहते है मैं इन्हे टाइम नहीं देती और खुद सारा दिन लैपटॉप लिए रहते है फिर आप बताओ मैं कैसे इनके साथ टाइम बिताऊ, ये तो यहा भी अपना लैपटॉप लाए है ताकि दिन रात काम कर सके
नेहा ने मासूम बनते हुए राघव की शिकायाते की
राघव नेहा को ‘अब तो तुम गई’ वाले लुक से घूरे जा रहा था लेकिन नेहा को कहा फरक पड़ना था
कुमुद- मैं ये क्या सुन रही हु राघव, परेशान हो गई हु तुमसे उसकी तो शिकायत कर दी तुमने और तुम्हारा क्या? नेहा बेटा जाओ और इसका लैपटॉप लाकर दो मुझे अब इसे 1 हफ्ते तक लैपटॉप नहीं मिलेगा।
बस दादी की ये लाइन राघव को शॉक देने काफी थी वो अपनी जगह पर जम गया
राघव- नहीं... नहीं दादी आप ऐसा नहीं करोगी, अरे मैं तो मजाक कर रहा था के ये टाइम नहीं देती आप मेरा लैपटॉप नहीं ले सकती
लेकिन दादी ने राघव के शब्दों को इग्नोर कर दिया
कुमुद- नेहा जाओ इसका लैपटॉप लेकर आओ
राघव- नहीं!!!!
कुमुद- जाओ नेहा, मैं भी देखती हु ये आदमी अब एक हफ्ता काम कैसे करता है
राघव- एक हफ्ता!!! नहीं!!! ऐसा नहीं करोगी आप!! नेहा खबरदार जो मेरे लैपटॉप को हाथ लगाया तो पछताओगी मैं कह रहा हु
राघव ने नेहा की ओर बढ़ते हुए कहा लेकिन दादी ने रोक दिया उसे
कुमुद- ओ राघव देशपांडे खबरदार अगर मेरी बहु को कुछ कहा तो तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा, नेहा मैं कह रही हु न तुम जाओ
और नेहा मुंडी हिलाते हुए वहा से चली गई, हालांकि उसे भी समझ आ गया था के फ़्लो फ़्लो मे वो ज्यादा बोल गई थी लेकिन इससे अब जो ड्रामा होगा उसमे मजा भी बड़ा आने वाला था और यही तो चांस था राघव को उसके लैपटॉप से दूर करने का और अपनी सौतन लैपटॉप को हटाने का ये मौका नेहा कहा छोड़ने वाली थी
जब नेहा लैपटॉप लेने गई तो राघव भी उसके पीछे जाने लगा लेकिन दादी ने रोक दिया उसे और द ग्रेट राघव देशपांडे अपने लैपटॉप को बचाने अपनी दादी ने मिन्नते करने लगा लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ इतने मे नेहा उसका लैपटॉप ले आई और राघव उसे खुले मुह से देखने लगा
राघव- नेहा मैं कह रहा हु रुक जाओ
राघव लैपटॉप छीनने नेहा की ओर लपका लेकिन नेहा उससे ज्यादा तेज थी उसने उसके अपने पास आने से पहले ही लैपटॉप दादी के हाथ मे पकड़ा दिया
राघव- दादी, दादी लैपटॉप वापिस दे दो प्लीज, मैं.... मैं वादा करता हु बिल्कुल ज्यादा काम नहीं करूंगा और 1 हफ्ते से पहले तो यहां से हिलूँगा भी नहीं पक्का वादा
राघव बड़ी दादी के सामने करीब करीब गिड़गिड़ा रहा था वही उसकी हालत देख नेहा मंद मंद हस रही थी
कुमुद- ना अब तो ये तुम्हें मिलने से रहा! अब तुम्हें ये लैपटॉप तब ही मिलेगा जब नेहा मुझसे कहेगी
दादी ने शरारती मुस्कान के साथ राघव की मिन्नतों को इग्नोर कर दिया और राघव ने हसती हुई नेहा को देखा और उसके देखते ही नेहा ने अपना चेहरा सपाट कर लिया
राघव- बड़ी दादी से कहो के मुझे मेरा लैपटॉप अभी के अभी वापिस दे
राघव ने नेहा पर रौब झाड़ते हुए उसे अपनी मजा लेते देख इरिटेट होकर कहा
नेहा- ना.. मैं दादी जी की बात नहीं टाल सकती उन्हे अच्छे नहीं लगेगा ना
नेहा ने मासूम बनते हुए कहा और राघव सीरीअस चेहरे के साथ उसे देखने लगा
राघव- मेरे पेशंस को टेस्ट मत लो नेहा जो कहा है वो करो
कुमुद- राघव तुम उसे धमका रहे हो?
राघव – दादी मुझे मेरा लैपटॉप वापिस चाहिए
कुमुद- ना कहा ना, नेहा तुम जाओ बेटा ये अब कुछ नही करेगा
और दादी के कहते ही नेहा वहा से भाग ली
राघव- रुको ! दादी ये चीटिंग है
और आगे दादी की कोई बात बगैर सुने ही राघव वहा से निकल गया
राघव- तुम्हारी तो... नेहा मैंने कहा यहा आओ और दादी को लैपटॉप वापिस देने कहो
राघव ने नेहा के पीछे आते हुए कहा वही नेहा उससे दूर भाग रही थी
नेहा- नहीं!
राघव- नेहा.. देखो बात मानो जो कहा है करो
नेहा- कहा ना मैं उनसे कुछ भी नहीं कहने वाली
नेहा ने हसते हुए कहा और इनकी इस पकड़म पकड़ाई ने बाकी घरवालों का ध्यान इनकी ओर खिच लिया, घरवालों ने इन दोनों को कभी ऐसे बच्चो जैसे बर्ताव करते नहीं देखा था तो वो शॉक थे
मीनाक्षी- भाभी क्या हो रहा है ये?
मीनाक्षी जी ने जानकी से पूछा जो अपने बेटे बहु को खुले मुह के साथ देख रही थी
शुभंकर- ये सही मे राघव और नेहा है?
रमेश- ये क्या हमेशा ऐसे ही रहते है?
धनंजय- ना ऐसे तो नहीं रहते
उन दोनों को देख अपनी दादी गायत्री ने तो अपनी आंखे मल ली उनको तो यकीन ही नहीं हो रहा था और वही राघव और नेहा पूरे घर में इधर उधर दौड़ रहे थे उन्हे बाकी दुनिया की फिक्र ही नहीं थी
राघव- नेहा देखो मेरी बात मान लो वरना...
लेकिन नेहा ने उसकी एक बात नहीं सुनी और दौड़ते हुए पीछे वाली बगीचे की तरफ आई
नेहा- हॉ!! मैं तो आपसे डर गई
नेहा ने डरने वाले एक्सप्रेशन बनाए फिर हसते हुए कहा और उसे ऐसे हसता देख राघव के चेहरे पर भी मुस्कान आ गई ऐसी बड़ी सी स्माइल जिसे उसके चेहरे पर देखे घरवालों को अरसा हो गया था एकदम सच्ची
विवेक- ये सही मे भाभी है?
विवेक ने शेखर से पूछा जो उल्लू की तरह उन्हे ही देख रहा था जब वो पीछे की साइड आए थे
स्वाती- ये क्या कोई गेम खेल रहे है क्या?
स्वाती ने रिद्धि से पूछा जो अपनी पलके झपकते हुए इन सीन को पचाने की कोशिश कर रही थी
आकाश- राघव भाई? स्माइल करते हुए? ये सपना तो नहीं है ना?
लेकिन वहा एक ऐसा भी शक्स था जिसे इन दोनों की नजदीकिया पसंद नहीं आ रही थी, और वो थी रितु, साफ था उसे नेहा से जलन हो रही थी.... लेकिन क्यू...??
Bahut badhiya aur majedar update Brother ab raghav aur Neha ko dekhne me maja ayega keep rockingUpdate 29
राघव पूरे घर मे नेहा को ढूंढते हुए घूम रहा था लेकिन वो उसे कही नहीं दिख रही थी
रमेश- राघव, कुछ चाहिए क्या बेटा?
राघव- नहीं मामा दादू वो बस ऐसे...
रमेश- नेहा को ढूंढ रहे हो?
राघव- नहीं वो तो मैं.. वो...
रमेश- वो मा के कमरे मे है
इतना बोल के रमेश जी वहा से राघव का कंधा थपथपाते हुए मुस्कुराकर निकल गए और राघव झट से बड़ी दादी के कमरे की ओर लपका और जब वो कमरे मे पहुचा तो वहा कोई नहीं था सिवाय नेहा को जो अलमारी मे कुछ सामान रख रही थी और राघव की तरफ उसकी पीठ थी
राघव ने कमरे का दरवाजा धीरे से बंद किया ताकि नेहा को उसके आने का पता ना चले और कोई आवाज ना हो लेकिन वो पुराने जमाने का दरवाजा आवाज करते हुए बंद हुआ और नेहा का ध्यान उसकी ओर आ गया
नेहा ने पलट कर देखा तो वहा राघव को पाया, उसने सपाट चेहरे से राघव को देखा फिर वापिस अपने काम मे लग गई वही राघव भी चुप चाप वहा खड़ा उसके फ्री होने की राह देखने लगा ताकि उससे बात कर सके
नेहा ने अलमारी से एक बेडशीट निकाली और थड़ की आवाज से अलमारी का दरवाजा बंद कर दिया
‘ये मुझे ऐसा क्यू लग रहा है उसने उस दरवाजे मे मुझे इमेजिन करके उसे पटका है’ राघव के मन मे खयाल आया
वही नेहा उसे इग्नोर करते हुए बेड की ओर बढ़ी और उसने एक झटके मे पुरानी चादर हटा दी और नई बेड शीट बिछाने लगी और जब उसका काम खतम हो गया तो वो दरवाजे की तरफ आई
राघव- सुनो..!
राघव ने उसे आवाज दी जिसे सुन कर वो रुकी और राघव की ओर मुड़ी
राघव- ये....
लेकिन बोलते बोलते राघव रुक गया जब उसने देखा के नेहा ने उसे वापिस इग्नोर कर दिया है और वो बेड की ओर जा रही है जैसे वो वहा हो ही ना
नेहा ने बेड पर से पुराने पिलो कवर उठाए और वापिस दरवाजे की तरफ जाने लगी और वो दरवाजा खोलने की वाली थी के राघव ने उसकी कलाई पकड़ के उसे रोक दिया
राघव- मैं कुछ कह रहा हु
नेहा- कहिए!
नेहा ने बोला लेकिन इस बार उसकी आवाज सपाट थी
राघव- तुम मुझे इग्नोर क्यू कर रही हो?
नेहा- मैं कहा इग्नोर कर रही हु? इग्नोर करने का ठेका तो आपने लिया हुआ है
राघव- ताना मार रही हो?
नेहा- मैं कौन होती हु ताना मारने वाली? वैसे भी मुझसे क्या फ़र्क पड़ता है
नेहा ने धीमे से कहा
राघव- हुह? क्या कहा जोर से बोलो
नेहा- जाना है मुझे जाने दीजिए
नेहा ने थोड़ा चिल्लाके कहा
राघव- अरे यार चिल्ला क्यू रही हो?
नेहा- क्युकी पागल हु मैं
नेहा ने राघव के हाथ से अपना हाथ छुड़ाते हुए कहा
राघव- हा वो मैं जानता हु लेकिन चिल्लाके बताने की क्या जरूरत थी बाकी लोग सुन लेते तो? और सोचो वो लोग मेरे बारे मे क्या सोचते
राघव ने नेहा को चिढ़ाते वापिस उसका हाथ पकड़ते हुए कहा जिसने नेहा का मूड और खराब कर दिया
नेहा- हा तो जाइए न फिर अपनी उस दोस्त के पास यहा मुझे मत तंग कीजिए वैसे भी लोग आप दोनों को साथ देख के खुश होंगे
नेहा ने वापिस चिल्लाते हुए अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश की लेकिन इस बार राघव ने उसका हाथ अच्छे से पकड़ हुआ था और उसने नेहा को अपनी तरफ खिचा जिससे वो उसके सीने से जा टकराई
राघव- नेहा, क्या हुआ है तुम्हे? ऐसे बिहेव क्यू कर रही हो?
नेहा- कुछ नहीं हुआ है मुझे
नेहा ने बगैर राघव से नजरे मिलाए उसके हाथों मे कसमसाते हुए कहा
राघव- चुप चाप खड़ी रहो
राघव ने नेहा को ऑर्डर देने की कोशिश की सिर्फ कोशिश
नेहा- मुझे जाना है बहुत काम है मुझे
राघव- ना! पहले बताओ क्या हुआ है
नेहा- कहा ना कुछ नहीं हुआ है और आप मेरे पास क्या कर रहे है आपकी वो स्पेशल दोस्त चली गई क्या
अब राघव के माजरा ध्यान मे आने लगा था
राघव- तुम, तुम कही रितु से जल तो नहीं रही हो?
नेहा- मैं... मैं क्यू जलने लगी मुझे कोई फरक नहीं पड़ता
नेहा ने अपनी नजरे इधर उधर घुमाते हुए कहा और उसे ऐसे करते देख राघव के चेहरे पर स्माइल आ गई
राघव- ये लो
राघव ने साड़ी का पैकेट उसकी ओर बढ़ाया
नेहा- ये क्या है
राघव- ये वो है जिसे तुम आकाश की सगाई मे पहनोगी
नेहा- मैंने अपने लिए साड़ी पसंद कर ली है ये जाकर उसे दीजिए जिसके लिए पसंद कर रहे थे
राघव- अरे पर ये तुम्हारे लिए है मैंने सिलेक्ट की है
नेहा- कहा ना मुझे नहीं चाहिए, गो टू हेल
नेहा ने राघव को धकेलते हुए कहा और राघव आगे कुछ कहता उससे पहले की उन्हे किसी के गला साफ करने की आवाज आई, दरवाजे पर बड़ी दादी खड़ी थी और शरारती मुस्कान से उन्हे देख रही थी
कुमुद- तुम लोगों को तुम्हारा रूम दिया है ना फिर मेरे कमरे मे रोमांस क्यू ?
बड़ी दादी की बात सुन दोनों उन्हे चौक के देखने लगे
नेहा- न.. नहीं दादी आप सोच रही है वैसा कुछ नहीं है
कुमुद- फिर कैसा है? दोनों ऐसे चिपक के खड़े हो ये रोमांस नहीं तो लड़ने का नया तरीका है क्या?
और अब इसमे नेहा कुछ कहती इससे पहले ही राघव बोला
राघव- देखो ना दादी ये आपकी बहु मुझे टाइम ही नहीं देती है
राघव मासूम बनते हुए बोला और उसकी बात पर नेहा उसे शॉक होकर देखने लगी
‘ये आज नाश्ते मे कुछ गलत खा लिए थे क्या जो ऐसी बाते कर रहे’ नेहा ने सोचा
कुमुद- ये सब क्या है नेहा यहा पहले ही दिन मुझे शिकायाते मिल रही है
राघव- हा हा बताओ अब दादी को
राघव अब नेहा को छेड़ने के पूरे मूड मे था लेकिन वो भी कम नहीं थी
‘बड़ा भोला बन रहे है ना अभी बताती हु इनको’ नेहा ने रघाव को देखते हुए सोचा फिर स्लाइम के साथ बड़ी दादी से बोली
नेहा- देखिए ना दादी ये आकाश की सगाई के लिए मुझे साड़ी नहीं दिला रहे है कहते है कोई जरूरत नहीं है
कुमुद- क्या...!
राघव- हैं?
दादी और राघव के मुह से ये एकसाथ निकला और अब दादी ने अपना मोर्चा राघव की तरफ बढ़ाया
कुमुद- ये मैं क्या सुन रही हु राघव?
राघव- अरे दादी नहीं ये झूठ बोल थी है मैंने ऐसा कब कहा??
राघव ने नेहा को देखते हुए कहा
नेहा- मैंने तो एक साड़ी पसंद भी की थी लेकिन इन्होंने लेने नहीं दी
नेहा अपने झूठे आँसू पोंछते हुए बोली और राघव के हाथ मे पकड़ा साड़ी का पैकेट दिखाया
राघव- क्या??
राघव मुह फाड़े नेहा को देख रहा था के वो कितनी सफाई से झूठ बोल रही थी
कुमुद- राघव क्या है ये सब? ये कोई तरीका है क्या और तुम होते कौन हो उसे साड़ी लेने से रोकने वाले अभी के अभी उसे वो साड़ी दो
राघव- लेकिन दादी....
कुमुद- मैंने कहा ना
राघव ने आँखों के कोने से नेहा को देखा जो उसे दादी से डांट खाता देख मजे ले रही थी वो कुछ पुटपुटाया और वो पैकेट उसने उसे दे दिया
नेहा- दादी जी ये तो यहा से जल्दी जाने का भी कह रहे थे ताकि वापिस काम पर जा सके, अब मैं तो यहा पहली बार आई हु मुझे और कुछ दिन रहना है , कहते है मैं इन्हे टाइम नहीं देती और खुद सारा दिन लैपटॉप लिए रहते है फिर आप बताओ मैं कैसे इनके साथ टाइम बिताऊ, ये तो यहा भी अपना लैपटॉप लाए है ताकि दिन रात काम कर सके
नेहा ने मासूम बनते हुए राघव की शिकायाते की
राघव नेहा को ‘अब तो तुम गई’ वाले लुक से घूरे जा रहा था लेकिन नेहा को कहा फरक पड़ना था
कुमुद- मैं ये क्या सुन रही हु राघव, परेशान हो गई हु तुमसे उसकी तो शिकायत कर दी तुमने और तुम्हारा क्या? नेहा बेटा जाओ और इसका लैपटॉप लाकर दो मुझे अब इसे 1 हफ्ते तक लैपटॉप नहीं मिलेगा।
बस दादी की ये लाइन राघव को शॉक देने काफी थी वो अपनी जगह पर जम गया
राघव- नहीं... नहीं दादी आप ऐसा नहीं करोगी, अरे मैं तो मजाक कर रहा था के ये टाइम नहीं देती आप मेरा लैपटॉप नहीं ले सकती
लेकिन दादी ने राघव के शब्दों को इग्नोर कर दिया
कुमुद- नेहा जाओ इसका लैपटॉप लेकर आओ
राघव- नहीं!!!!
कुमुद- जाओ नेहा, मैं भी देखती हु ये आदमी अब एक हफ्ता काम कैसे करता है
राघव- एक हफ्ता!!! नहीं!!! ऐसा नहीं करोगी आप!! नेहा खबरदार जो मेरे लैपटॉप को हाथ लगाया तो पछताओगी मैं कह रहा हु
राघव ने नेहा की ओर बढ़ते हुए कहा लेकिन दादी ने रोक दिया उसे
कुमुद- ओ राघव देशपांडे खबरदार अगर मेरी बहु को कुछ कहा तो तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा, नेहा मैं कह रही हु न तुम जाओ
और नेहा मुंडी हिलाते हुए वहा से चली गई, हालांकि उसे भी समझ आ गया था के फ़्लो फ़्लो मे वो ज्यादा बोल गई थी लेकिन इससे अब जो ड्रामा होगा उसमे मजा भी बड़ा आने वाला था और यही तो चांस था राघव को उसके लैपटॉप से दूर करने का और अपनी सौतन लैपटॉप को हटाने का ये मौका नेहा कहा छोड़ने वाली थी
जब नेहा लैपटॉप लेने गई तो राघव भी उसके पीछे जाने लगा लेकिन दादी ने रोक दिया उसे और द ग्रेट राघव देशपांडे अपने लैपटॉप को बचाने अपनी दादी ने मिन्नते करने लगा लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ इतने मे नेहा उसका लैपटॉप ले आई और राघव उसे खुले मुह से देखने लगा
राघव- नेहा मैं कह रहा हु रुक जाओ
राघव लैपटॉप छीनने नेहा की ओर लपका लेकिन नेहा उससे ज्यादा तेज थी उसने उसके अपने पास आने से पहले ही लैपटॉप दादी के हाथ मे पकड़ा दिया
राघव- दादी, दादी लैपटॉप वापिस दे दो प्लीज, मैं.... मैं वादा करता हु बिल्कुल ज्यादा काम नहीं करूंगा और 1 हफ्ते से पहले तो यहां से हिलूँगा भी नहीं पक्का वादा
राघव बड़ी दादी के सामने करीब करीब गिड़गिड़ा रहा था वही उसकी हालत देख नेहा मंद मंद हस रही थी
कुमुद- ना अब तो ये तुम्हें मिलने से रहा! अब तुम्हें ये लैपटॉप तब ही मिलेगा जब नेहा मुझसे कहेगी
दादी ने शरारती मुस्कान के साथ राघव की मिन्नतों को इग्नोर कर दिया और राघव ने हसती हुई नेहा को देखा और उसके देखते ही नेहा ने अपना चेहरा सपाट कर लिया
राघव- बड़ी दादी से कहो के मुझे मेरा लैपटॉप अभी के अभी वापिस दे
राघव ने नेहा पर रौब झाड़ते हुए उसे अपनी मजा लेते देख इरिटेट होकर कहा
नेहा- ना.. मैं दादी जी की बात नहीं टाल सकती उन्हे अच्छे नहीं लगेगा ना
नेहा ने मासूम बनते हुए कहा और राघव सीरीअस चेहरे के साथ उसे देखने लगा
राघव- मेरे पेशंस को टेस्ट मत लो नेहा जो कहा है वो करो
कुमुद- राघव तुम उसे धमका रहे हो?
राघव – दादी मुझे मेरा लैपटॉप वापिस चाहिए
कुमुद- ना कहा ना, नेहा तुम जाओ बेटा ये अब कुछ नही करेगा
और दादी के कहते ही नेहा वहा से भाग ली
राघव- रुको ! दादी ये चीटिंग है
और आगे दादी की कोई बात बगैर सुने ही राघव वहा से निकल गया
राघव- तुम्हारी तो... नेहा मैंने कहा यहा आओ और दादी को लैपटॉप वापिस देने कहो
राघव ने नेहा के पीछे आते हुए कहा वही नेहा उससे दूर भाग रही थी
नेहा- नहीं!
राघव- नेहा.. देखो बात मानो जो कहा है करो
नेहा- कहा ना मैं उनसे कुछ भी नहीं कहने वाली
नेहा ने हसते हुए कहा और इनकी इस पकड़म पकड़ाई ने बाकी घरवालों का ध्यान इनकी ओर खिच लिया, घरवालों ने इन दोनों को कभी ऐसे बच्चो जैसे बर्ताव करते नहीं देखा था तो वो शॉक थे
मीनाक्षी- भाभी क्या हो रहा है ये?
मीनाक्षी जी ने जानकी से पूछा जो अपने बेटे बहु को खुले मुह के साथ देख रही थी
शुभंकर- ये सही मे राघव और नेहा है?
रमेश- ये क्या हमेशा ऐसे ही रहते है?
धनंजय- ना ऐसे तो नहीं रहते
उन दोनों को देख अपनी दादी गायत्री ने तो अपनी आंखे मल ली उनको तो यकीन ही नहीं हो रहा था और वही राघव और नेहा पूरे घर में इधर उधर दौड़ रहे थे उन्हे बाकी दुनिया की फिक्र ही नहीं थी
राघव- नेहा देखो मेरी बात मान लो वरना...
लेकिन नेहा ने उसकी एक बात नहीं सुनी और दौड़ते हुए पीछे वाली बगीचे की तरफ आई
नेहा- हॉ!! मैं तो आपसे डर गई
नेहा ने डरने वाले एक्सप्रेशन बनाए फिर हसते हुए कहा और उसे ऐसे हसता देख राघव के चेहरे पर भी मुस्कान आ गई ऐसी बड़ी सी स्माइल जिसे उसके चेहरे पर देखे घरवालों को अरसा हो गया था एकदम सच्ची
विवेक- ये सही मे भाभी है?
विवेक ने शेखर से पूछा जो उल्लू की तरह उन्हे ही देख रहा था जब वो पीछे की साइड आए थे
स्वाती- ये क्या कोई गेम खेल रहे है क्या?
स्वाती ने रिद्धि से पूछा जो अपनी पलके झपकते हुए इन सीन को पचाने की कोशिश कर रही थी
आकाश- राघव भाई? स्माइल करते हुए? ये सपना तो नहीं है ना?
लेकिन वहा एक ऐसा भी शक्स था जिसे इन दोनों की नजदीकिया पसंद नहीं आ रही थी, और वो थी रितु, साफ था उसे नेहा से जलन हो रही थी.... लेकिन क्यू...??
Bahut hi shaandar update diya hai Adirshi bhai....Update 29
राघव पूरे घर मे नेहा को ढूंढते हुए घूम रहा था लेकिन वो उसे कही नहीं दिख रही थी
रमेश- राघव, कुछ चाहिए क्या बेटा?
राघव- नहीं मामा दादू वो बस ऐसे...
रमेश- नेहा को ढूंढ रहे हो?
राघव- नहीं वो तो मैं.. वो...
रमेश- वो मा के कमरे मे है
इतना बोल के रमेश जी वहा से राघव का कंधा थपथपाते हुए मुस्कुराकर निकल गए और राघव झट से बड़ी दादी के कमरे की ओर लपका और जब वो कमरे मे पहुचा तो वहा कोई नहीं था सिवाय नेहा को जो अलमारी मे कुछ सामान रख रही थी और राघव की तरफ उसकी पीठ थी
राघव ने कमरे का दरवाजा धीरे से बंद किया ताकि नेहा को उसके आने का पता ना चले और कोई आवाज ना हो लेकिन वो पुराने जमाने का दरवाजा आवाज करते हुए बंद हुआ और नेहा का ध्यान उसकी ओर आ गया
नेहा ने पलट कर देखा तो वहा राघव को पाया, उसने सपाट चेहरे से राघव को देखा फिर वापिस अपने काम मे लग गई वही राघव भी चुप चाप वहा खड़ा उसके फ्री होने की राह देखने लगा ताकि उससे बात कर सके
नेहा ने अलमारी से एक बेडशीट निकाली और थड़ की आवाज से अलमारी का दरवाजा बंद कर दिया
‘ये मुझे ऐसा क्यू लग रहा है उसने उस दरवाजे मे मुझे इमेजिन करके उसे पटका है’ राघव के मन मे खयाल आया
वही नेहा उसे इग्नोर करते हुए बेड की ओर बढ़ी और उसने एक झटके मे पुरानी चादर हटा दी और नई बेड शीट बिछाने लगी और जब उसका काम खतम हो गया तो वो दरवाजे की तरफ आई
राघव- सुनो..!
राघव ने उसे आवाज दी जिसे सुन कर वो रुकी और राघव की ओर मुड़ी
राघव- ये....
लेकिन बोलते बोलते राघव रुक गया जब उसने देखा के नेहा ने उसे वापिस इग्नोर कर दिया है और वो बेड की ओर जा रही है जैसे वो वहा हो ही ना
नेहा ने बेड पर से पुराने पिलो कवर उठाए और वापिस दरवाजे की तरफ जाने लगी और वो दरवाजा खोलने की वाली थी के राघव ने उसकी कलाई पकड़ के उसे रोक दिया
राघव- मैं कुछ कह रहा हु
नेहा- कहिए!
नेहा ने बोला लेकिन इस बार उसकी आवाज सपाट थी
राघव- तुम मुझे इग्नोर क्यू कर रही हो?
नेहा- मैं कहा इग्नोर कर रही हु? इग्नोर करने का ठेका तो आपने लिया हुआ है
राघव- ताना मार रही हो?
नेहा- मैं कौन होती हु ताना मारने वाली? वैसे भी मुझसे क्या फ़र्क पड़ता है
नेहा ने धीमे से कहा
राघव- हुह? क्या कहा जोर से बोलो
नेहा- जाना है मुझे जाने दीजिए
नेहा ने थोड़ा चिल्लाके कहा
राघव- अरे यार चिल्ला क्यू रही हो?
नेहा- क्युकी पागल हु मैं
नेहा ने राघव के हाथ से अपना हाथ छुड़ाते हुए कहा
राघव- हा वो मैं जानता हु लेकिन चिल्लाके बताने की क्या जरूरत थी बाकी लोग सुन लेते तो? और सोचो वो लोग मेरे बारे मे क्या सोचते
राघव ने नेहा को चिढ़ाते वापिस उसका हाथ पकड़ते हुए कहा जिसने नेहा का मूड और खराब कर दिया
नेहा- हा तो जाइए न फिर अपनी उस दोस्त के पास यहा मुझे मत तंग कीजिए वैसे भी लोग आप दोनों को साथ देख के खुश होंगे
नेहा ने वापिस चिल्लाते हुए अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश की लेकिन इस बार राघव ने उसका हाथ अच्छे से पकड़ हुआ था और उसने नेहा को अपनी तरफ खिचा जिससे वो उसके सीने से जा टकराई
राघव- नेहा, क्या हुआ है तुम्हे? ऐसे बिहेव क्यू कर रही हो?
नेहा- कुछ नहीं हुआ है मुझे
नेहा ने बगैर राघव से नजरे मिलाए उसके हाथों मे कसमसाते हुए कहा
राघव- चुप चाप खड़ी रहो
राघव ने नेहा को ऑर्डर देने की कोशिश की सिर्फ कोशिश
नेहा- मुझे जाना है बहुत काम है मुझे
राघव- ना! पहले बताओ क्या हुआ है
नेहा- कहा ना कुछ नहीं हुआ है और आप मेरे पास क्या कर रहे है आपकी वो स्पेशल दोस्त चली गई क्या
अब राघव के माजरा ध्यान मे आने लगा था
राघव- तुम, तुम कही रितु से जल तो नहीं रही हो?
नेहा- मैं... मैं क्यू जलने लगी मुझे कोई फरक नहीं पड़ता
नेहा ने अपनी नजरे इधर उधर घुमाते हुए कहा और उसे ऐसे करते देख राघव के चेहरे पर स्माइल आ गई
राघव- ये लो
राघव ने साड़ी का पैकेट उसकी ओर बढ़ाया
नेहा- ये क्या है
राघव- ये वो है जिसे तुम आकाश की सगाई मे पहनोगी
नेहा- मैंने अपने लिए साड़ी पसंद कर ली है ये जाकर उसे दीजिए जिसके लिए पसंद कर रहे थे
राघव- अरे पर ये तुम्हारे लिए है मैंने सिलेक्ट की है
नेहा- कहा ना मुझे नहीं चाहिए, गो टू हेल
नेहा ने राघव को धकेलते हुए कहा और राघव आगे कुछ कहता उससे पहले की उन्हे किसी के गला साफ करने की आवाज आई, दरवाजे पर बड़ी दादी खड़ी थी और शरारती मुस्कान से उन्हे देख रही थी
कुमुद- तुम लोगों को तुम्हारा रूम दिया है ना फिर मेरे कमरे मे रोमांस क्यू ?
बड़ी दादी की बात सुन दोनों उन्हे चौक के देखने लगे
नेहा- न.. नहीं दादी आप सोच रही है वैसा कुछ नहीं है
कुमुद- फिर कैसा है? दोनों ऐसे चिपक के खड़े हो ये रोमांस नहीं तो लड़ने का नया तरीका है क्या?
और अब इसमे नेहा कुछ कहती इससे पहले ही राघव बोला
राघव- देखो ना दादी ये आपकी बहु मुझे टाइम ही नहीं देती है
राघव मासूम बनते हुए बोला और उसकी बात पर नेहा उसे शॉक होकर देखने लगी
‘ये आज नाश्ते मे कुछ गलत खा लिए थे क्या जो ऐसी बाते कर रहे’ नेहा ने सोचा
कुमुद- ये सब क्या है नेहा यहा पहले ही दिन मुझे शिकायाते मिल रही है
राघव- हा हा बताओ अब दादी को
राघव अब नेहा को छेड़ने के पूरे मूड मे था लेकिन वो भी कम नहीं थी
‘बड़ा भोला बन रहे है ना अभी बताती हु इनको’ नेहा ने रघाव को देखते हुए सोचा फिर स्लाइम के साथ बड़ी दादी से बोली
नेहा- देखिए ना दादी ये आकाश की सगाई के लिए मुझे साड़ी नहीं दिला रहे है कहते है कोई जरूरत नहीं है
कुमुद- क्या...!
राघव- हैं?
दादी और राघव के मुह से ये एकसाथ निकला और अब दादी ने अपना मोर्चा राघव की तरफ बढ़ाया
कुमुद- ये मैं क्या सुन रही हु राघव?
राघव- अरे दादी नहीं ये झूठ बोल थी है मैंने ऐसा कब कहा??
राघव ने नेहा को देखते हुए कहा
नेहा- मैंने तो एक साड़ी पसंद भी की थी लेकिन इन्होंने लेने नहीं दी
नेहा अपने झूठे आँसू पोंछते हुए बोली और राघव के हाथ मे पकड़ा साड़ी का पैकेट दिखाया
राघव- क्या??
राघव मुह फाड़े नेहा को देख रहा था के वो कितनी सफाई से झूठ बोल रही थी
कुमुद- राघव क्या है ये सब? ये कोई तरीका है क्या और तुम होते कौन हो उसे साड़ी लेने से रोकने वाले अभी के अभी उसे वो साड़ी दो
राघव- लेकिन दादी....
कुमुद- मैंने कहा ना
राघव ने आँखों के कोने से नेहा को देखा जो उसे दादी से डांट खाता देख मजे ले रही थी वो कुछ पुटपुटाया और वो पैकेट उसने उसे दे दिया
नेहा- दादी जी ये तो यहा से जल्दी जाने का भी कह रहे थे ताकि वापिस काम पर जा सके, अब मैं तो यहा पहली बार आई हु मुझे और कुछ दिन रहना है , कहते है मैं इन्हे टाइम नहीं देती और खुद सारा दिन लैपटॉप लिए रहते है फिर आप बताओ मैं कैसे इनके साथ टाइम बिताऊ, ये तो यहा भी अपना लैपटॉप लाए है ताकि दिन रात काम कर सके
नेहा ने मासूम बनते हुए राघव की शिकायाते की
राघव नेहा को ‘अब तो तुम गई’ वाले लुक से घूरे जा रहा था लेकिन नेहा को कहा फरक पड़ना था
कुमुद- मैं ये क्या सुन रही हु राघव, परेशान हो गई हु तुमसे उसकी तो शिकायत कर दी तुमने और तुम्हारा क्या? नेहा बेटा जाओ और इसका लैपटॉप लाकर दो मुझे अब इसे 1 हफ्ते तक लैपटॉप नहीं मिलेगा।
बस दादी की ये लाइन राघव को शॉक देने काफी थी वो अपनी जगह पर जम गया
राघव- नहीं... नहीं दादी आप ऐसा नहीं करोगी, अरे मैं तो मजाक कर रहा था के ये टाइम नहीं देती आप मेरा लैपटॉप नहीं ले सकती
लेकिन दादी ने राघव के शब्दों को इग्नोर कर दिया
कुमुद- नेहा जाओ इसका लैपटॉप लेकर आओ
राघव- नहीं!!!!
कुमुद- जाओ नेहा, मैं भी देखती हु ये आदमी अब एक हफ्ता काम कैसे करता है
राघव- एक हफ्ता!!! नहीं!!! ऐसा नहीं करोगी आप!! नेहा खबरदार जो मेरे लैपटॉप को हाथ लगाया तो पछताओगी मैं कह रहा हु
राघव ने नेहा की ओर बढ़ते हुए कहा लेकिन दादी ने रोक दिया उसे
कुमुद- ओ राघव देशपांडे खबरदार अगर मेरी बहु को कुछ कहा तो तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा, नेहा मैं कह रही हु न तुम जाओ
और नेहा मुंडी हिलाते हुए वहा से चली गई, हालांकि उसे भी समझ आ गया था के फ़्लो फ़्लो मे वो ज्यादा बोल गई थी लेकिन इससे अब जो ड्रामा होगा उसमे मजा भी बड़ा आने वाला था और यही तो चांस था राघव को उसके लैपटॉप से दूर करने का और अपनी सौतन लैपटॉप को हटाने का ये मौका नेहा कहा छोड़ने वाली थी
जब नेहा लैपटॉप लेने गई तो राघव भी उसके पीछे जाने लगा लेकिन दादी ने रोक दिया उसे और द ग्रेट राघव देशपांडे अपने लैपटॉप को बचाने अपनी दादी ने मिन्नते करने लगा लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ इतने मे नेहा उसका लैपटॉप ले आई और राघव उसे खुले मुह से देखने लगा
राघव- नेहा मैं कह रहा हु रुक जाओ
राघव लैपटॉप छीनने नेहा की ओर लपका लेकिन नेहा उससे ज्यादा तेज थी उसने उसके अपने पास आने से पहले ही लैपटॉप दादी के हाथ मे पकड़ा दिया
राघव- दादी, दादी लैपटॉप वापिस दे दो प्लीज, मैं.... मैं वादा करता हु बिल्कुल ज्यादा काम नहीं करूंगा और 1 हफ्ते से पहले तो यहां से हिलूँगा भी नहीं पक्का वादा
राघव बड़ी दादी के सामने करीब करीब गिड़गिड़ा रहा था वही उसकी हालत देख नेहा मंद मंद हस रही थी
कुमुद- ना अब तो ये तुम्हें मिलने से रहा! अब तुम्हें ये लैपटॉप तब ही मिलेगा जब नेहा मुझसे कहेगी
दादी ने शरारती मुस्कान के साथ राघव की मिन्नतों को इग्नोर कर दिया और राघव ने हसती हुई नेहा को देखा और उसके देखते ही नेहा ने अपना चेहरा सपाट कर लिया
राघव- बड़ी दादी से कहो के मुझे मेरा लैपटॉप अभी के अभी वापिस दे
राघव ने नेहा पर रौब झाड़ते हुए उसे अपनी मजा लेते देख इरिटेट होकर कहा
नेहा- ना.. मैं दादी जी की बात नहीं टाल सकती उन्हे अच्छे नहीं लगेगा ना
नेहा ने मासूम बनते हुए कहा और राघव सीरीअस चेहरे के साथ उसे देखने लगा
राघव- मेरे पेशंस को टेस्ट मत लो नेहा जो कहा है वो करो
कुमुद- राघव तुम उसे धमका रहे हो?
राघव – दादी मुझे मेरा लैपटॉप वापिस चाहिए
कुमुद- ना कहा ना, नेहा तुम जाओ बेटा ये अब कुछ नही करेगा
और दादी के कहते ही नेहा वहा से भाग ली
राघव- रुको ! दादी ये चीटिंग है
और आगे दादी की कोई बात बगैर सुने ही राघव वहा से निकल गया
राघव- तुम्हारी तो... नेहा मैंने कहा यहा आओ और दादी को लैपटॉप वापिस देने कहो
राघव ने नेहा के पीछे आते हुए कहा वही नेहा उससे दूर भाग रही थी
नेहा- नहीं!
राघव- नेहा.. देखो बात मानो जो कहा है करो
नेहा- कहा ना मैं उनसे कुछ भी नहीं कहने वाली
नेहा ने हसते हुए कहा और इनकी इस पकड़म पकड़ाई ने बाकी घरवालों का ध्यान इनकी ओर खिच लिया, घरवालों ने इन दोनों को कभी ऐसे बच्चो जैसे बर्ताव करते नहीं देखा था तो वो शॉक थे
मीनाक्षी- भाभी क्या हो रहा है ये?
मीनाक्षी जी ने जानकी से पूछा जो अपने बेटे बहु को खुले मुह के साथ देख रही थी
शुभंकर- ये सही मे राघव और नेहा है?
रमेश- ये क्या हमेशा ऐसे ही रहते है?
धनंजय- ना ऐसे तो नहीं रहते
उन दोनों को देख अपनी दादी गायत्री ने तो अपनी आंखे मल ली उनको तो यकीन ही नहीं हो रहा था और वही राघव और नेहा पूरे घर में इधर उधर दौड़ रहे थे उन्हे बाकी दुनिया की फिक्र ही नहीं थी
राघव- नेहा देखो मेरी बात मान लो वरना...
लेकिन नेहा ने उसकी एक बात नहीं सुनी और दौड़ते हुए पीछे वाली बगीचे की तरफ आई
नेहा- हॉ!! मैं तो आपसे डर गई
नेहा ने डरने वाले एक्सप्रेशन बनाए फिर हसते हुए कहा और उसे ऐसे हसता देख राघव के चेहरे पर भी मुस्कान आ गई ऐसी बड़ी सी स्माइल जिसे उसके चेहरे पर देखे घरवालों को अरसा हो गया था एकदम सच्ची
विवेक- ये सही मे भाभी है?
विवेक ने शेखर से पूछा जो उल्लू की तरह उन्हे ही देख रहा था जब वो पीछे की साइड आए थे
स्वाती- ये क्या कोई गेम खेल रहे है क्या?
स्वाती ने रिद्धि से पूछा जो अपनी पलके झपकते हुए इन सीन को पचाने की कोशिश कर रही थी
आकाश- राघव भाई? स्माइल करते हुए? ये सपना तो नहीं है ना?
लेकिन वहा एक ऐसा भी शक्स था जिसे इन दोनों की नजदीकिया पसंद नहीं आ रही थी, और वो थी रितु, साफ था उसे नेहा से जलन हो रही थी.... लेकिन क्यू...??
Lol kal launge ki backchodi main update hi bhul gya....aur abhi office main pad rha .....Update 29
राघव पूरे घर मे नेहा को ढूंढते हुए घूम रहा था लेकिन वो उसे कही नहीं दिख रही थी
रमेश- राघव, कुछ चाहिए क्या बेटा?
राघव- नहीं मामा दादू वो बस ऐसे...
रमेश- नेहा को ढूंढ रहे हो?
राघव- नहीं वो तो मैं.. वो...
रमेश- वो मा के कमरे मे है
इतना बोल के रमेश जी वहा से राघव का कंधा थपथपाते हुए मुस्कुराकर निकल गए और राघव झट से बड़ी दादी के कमरे की ओर लपका और जब वो कमरे मे पहुचा तो वहा कोई नहीं था सिवाय नेहा को जो अलमारी मे कुछ सामान रख रही थी और राघव की तरफ उसकी पीठ थी
राघव ने कमरे का दरवाजा धीरे से बंद किया ताकि नेहा को उसके आने का पता ना चले और कोई आवाज ना हो लेकिन वो पुराने जमाने का दरवाजा आवाज करते हुए बंद हुआ और नेहा का ध्यान उसकी ओर आ गया
नेहा ने पलट कर देखा तो वहा राघव को पाया, उसने सपाट चेहरे से राघव को देखा फिर वापिस अपने काम मे लग गई वही राघव भी चुप चाप वहा खड़ा उसके फ्री होने की राह देखने लगा ताकि उससे बात कर सके
नेहा ने अलमारी से एक बेडशीट निकाली और थड़ की आवाज से अलमारी का दरवाजा बंद कर दिया
‘ये मुझे ऐसा क्यू लग रहा है उसने उस दरवाजे मे मुझे इमेजिन करके उसे पटका है’ राघव के मन मे खयाल आया
वही नेहा उसे इग्नोर करते हुए बेड की ओर बढ़ी और उसने एक झटके मे पुरानी चादर हटा दी और नई बेड शीट बिछाने लगी और जब उसका काम खतम हो गया तो वो दरवाजे की तरफ आई
राघव- सुनो..!
राघव ने उसे आवाज दी जिसे सुन कर वो रुकी और राघव की ओर मुड़ी
राघव- ये....
लेकिन बोलते बोलते राघव रुक गया जब उसने देखा के नेहा ने उसे वापिस इग्नोर कर दिया है और वो बेड की ओर जा रही है जैसे वो वहा हो ही ना
नेहा ने बेड पर से पुराने पिलो कवर उठाए और वापिस दरवाजे की तरफ जाने लगी और वो दरवाजा खोलने की वाली थी के राघव ने उसकी कलाई पकड़ के उसे रोक दिया
राघव- मैं कुछ कह रहा हु
नेहा- कहिए!
नेहा ने बोला लेकिन इस बार उसकी आवाज सपाट थी
राघव- तुम मुझे इग्नोर क्यू कर रही हो?
नेहा- मैं कहा इग्नोर कर रही हु? इग्नोर करने का ठेका तो आपने लिया हुआ है
राघव- ताना मार रही हो?
नेहा- मैं कौन होती हु ताना मारने वाली? वैसे भी मुझसे क्या फ़र्क पड़ता है
नेहा ने धीमे से कहा
राघव- हुह? क्या कहा जोर से बोलो
नेहा- जाना है मुझे जाने दीजिए
नेहा ने थोड़ा चिल्लाके कहा
राघव- अरे यार चिल्ला क्यू रही हो?
नेहा- क्युकी पागल हु मैं
नेहा ने राघव के हाथ से अपना हाथ छुड़ाते हुए कहा
राघव- हा वो मैं जानता हु लेकिन चिल्लाके बताने की क्या जरूरत थी बाकी लोग सुन लेते तो? और सोचो वो लोग मेरे बारे मे क्या सोचते
राघव ने नेहा को चिढ़ाते वापिस उसका हाथ पकड़ते हुए कहा जिसने नेहा का मूड और खराब कर दिया
नेहा- हा तो जाइए न फिर अपनी उस दोस्त के पास यहा मुझे मत तंग कीजिए वैसे भी लोग आप दोनों को साथ देख के खुश होंगे
नेहा ने वापिस चिल्लाते हुए अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश की लेकिन इस बार राघव ने उसका हाथ अच्छे से पकड़ हुआ था और उसने नेहा को अपनी तरफ खिचा जिससे वो उसके सीने से जा टकराई
राघव- नेहा, क्या हुआ है तुम्हे? ऐसे बिहेव क्यू कर रही हो?
नेहा- कुछ नहीं हुआ है मुझे
नेहा ने बगैर राघव से नजरे मिलाए उसके हाथों मे कसमसाते हुए कहा
राघव- चुप चाप खड़ी रहो
राघव ने नेहा को ऑर्डर देने की कोशिश की सिर्फ कोशिश
नेहा- मुझे जाना है बहुत काम है मुझे
राघव- ना! पहले बताओ क्या हुआ है
नेहा- कहा ना कुछ नहीं हुआ है और आप मेरे पास क्या कर रहे है आपकी वो स्पेशल दोस्त चली गई क्या
अब राघव के माजरा ध्यान मे आने लगा था
राघव- तुम, तुम कही रितु से जल तो नहीं रही हो?
नेहा- मैं... मैं क्यू जलने लगी मुझे कोई फरक नहीं पड़ता
नेहा ने अपनी नजरे इधर उधर घुमाते हुए कहा और उसे ऐसे करते देख राघव के चेहरे पर स्माइल आ गई
राघव- ये लो
राघव ने साड़ी का पैकेट उसकी ओर बढ़ाया
नेहा- ये क्या है
राघव- ये वो है जिसे तुम आकाश की सगाई मे पहनोगी
नेहा- मैंने अपने लिए साड़ी पसंद कर ली है ये जाकर उसे दीजिए जिसके लिए पसंद कर रहे थे
राघव- अरे पर ये तुम्हारे लिए है मैंने सिलेक्ट की है
नेहा- कहा ना मुझे नहीं चाहिए, गो टू हेल
नेहा ने राघव को धकेलते हुए कहा और राघव आगे कुछ कहता उससे पहले की उन्हे किसी के गला साफ करने की आवाज आई, दरवाजे पर बड़ी दादी खड़ी थी और शरारती मुस्कान से उन्हे देख रही थी
कुमुद- तुम लोगों को तुम्हारा रूम दिया है ना फिर मेरे कमरे मे रोमांस क्यू ?
बड़ी दादी की बात सुन दोनों उन्हे चौक के देखने लगे
नेहा- न.. नहीं दादी आप सोच रही है वैसा कुछ नहीं है
कुमुद- फिर कैसा है? दोनों ऐसे चिपक के खड़े हो ये रोमांस नहीं तो लड़ने का नया तरीका है क्या?
और अब इसमे नेहा कुछ कहती इससे पहले ही राघव बोला
राघव- देखो ना दादी ये आपकी बहु मुझे टाइम ही नहीं देती है
राघव मासूम बनते हुए बोला और उसकी बात पर नेहा उसे शॉक होकर देखने लगी
‘ये आज नाश्ते मे कुछ गलत खा लिए थे क्या जो ऐसी बाते कर रहे’ नेहा ने सोचा
कुमुद- ये सब क्या है नेहा यहा पहले ही दिन मुझे शिकायाते मिल रही है
राघव- हा हा बताओ अब दादी को
राघव अब नेहा को छेड़ने के पूरे मूड मे था लेकिन वो भी कम नहीं थी
‘बड़ा भोला बन रहे है ना अभी बताती हु इनको’ नेहा ने रघाव को देखते हुए सोचा फिर स्लाइम के साथ बड़ी दादी से बोली
नेहा- देखिए ना दादी ये आकाश की सगाई के लिए मुझे साड़ी नहीं दिला रहे है कहते है कोई जरूरत नहीं है
कुमुद- क्या...!
राघव- हैं?
दादी और राघव के मुह से ये एकसाथ निकला और अब दादी ने अपना मोर्चा राघव की तरफ बढ़ाया
कुमुद- ये मैं क्या सुन रही हु राघव?
राघव- अरे दादी नहीं ये झूठ बोल थी है मैंने ऐसा कब कहा??
राघव ने नेहा को देखते हुए कहा
नेहा- मैंने तो एक साड़ी पसंद भी की थी लेकिन इन्होंने लेने नहीं दी
नेहा अपने झूठे आँसू पोंछते हुए बोली और राघव के हाथ मे पकड़ा साड़ी का पैकेट दिखाया
राघव- क्या??
राघव मुह फाड़े नेहा को देख रहा था के वो कितनी सफाई से झूठ बोल रही थी
कुमुद- राघव क्या है ये सब? ये कोई तरीका है क्या और तुम होते कौन हो उसे साड़ी लेने से रोकने वाले अभी के अभी उसे वो साड़ी दो
राघव- लेकिन दादी....
कुमुद- मैंने कहा ना
राघव ने आँखों के कोने से नेहा को देखा जो उसे दादी से डांट खाता देख मजे ले रही थी वो कुछ पुटपुटाया और वो पैकेट उसने उसे दे दिया
नेहा- दादी जी ये तो यहा से जल्दी जाने का भी कह रहे थे ताकि वापिस काम पर जा सके, अब मैं तो यहा पहली बार आई हु मुझे और कुछ दिन रहना है , कहते है मैं इन्हे टाइम नहीं देती और खुद सारा दिन लैपटॉप लिए रहते है फिर आप बताओ मैं कैसे इनके साथ टाइम बिताऊ, ये तो यहा भी अपना लैपटॉप लाए है ताकि दिन रात काम कर सके
नेहा ने मासूम बनते हुए राघव की शिकायाते की
राघव नेहा को ‘अब तो तुम गई’ वाले लुक से घूरे जा रहा था लेकिन नेहा को कहा फरक पड़ना था
कुमुद- मैं ये क्या सुन रही हु राघव, परेशान हो गई हु तुमसे उसकी तो शिकायत कर दी तुमने और तुम्हारा क्या? नेहा बेटा जाओ और इसका लैपटॉप लाकर दो मुझे अब इसे 1 हफ्ते तक लैपटॉप नहीं मिलेगा।
बस दादी की ये लाइन राघव को शॉक देने काफी थी वो अपनी जगह पर जम गया
राघव- नहीं... नहीं दादी आप ऐसा नहीं करोगी, अरे मैं तो मजाक कर रहा था के ये टाइम नहीं देती आप मेरा लैपटॉप नहीं ले सकती
लेकिन दादी ने राघव के शब्दों को इग्नोर कर दिया
कुमुद- नेहा जाओ इसका लैपटॉप लेकर आओ
राघव- नहीं!!!!
कुमुद- जाओ नेहा, मैं भी देखती हु ये आदमी अब एक हफ्ता काम कैसे करता है
राघव- एक हफ्ता!!! नहीं!!! ऐसा नहीं करोगी आप!! नेहा खबरदार जो मेरे लैपटॉप को हाथ लगाया तो पछताओगी मैं कह रहा हु
राघव ने नेहा की ओर बढ़ते हुए कहा लेकिन दादी ने रोक दिया उसे
कुमुद- ओ राघव देशपांडे खबरदार अगर मेरी बहु को कुछ कहा तो तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा, नेहा मैं कह रही हु न तुम जाओ
और नेहा मुंडी हिलाते हुए वहा से चली गई, हालांकि उसे भी समझ आ गया था के फ़्लो फ़्लो मे वो ज्यादा बोल गई थी लेकिन इससे अब जो ड्रामा होगा उसमे मजा भी बड़ा आने वाला था और यही तो चांस था राघव को उसके लैपटॉप से दूर करने का और अपनी सौतन लैपटॉप को हटाने का ये मौका नेहा कहा छोड़ने वाली थी
जब नेहा लैपटॉप लेने गई तो राघव भी उसके पीछे जाने लगा लेकिन दादी ने रोक दिया उसे और द ग्रेट राघव देशपांडे अपने लैपटॉप को बचाने अपनी दादी ने मिन्नते करने लगा लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ इतने मे नेहा उसका लैपटॉप ले आई और राघव उसे खुले मुह से देखने लगा
राघव- नेहा मैं कह रहा हु रुक जाओ
राघव लैपटॉप छीनने नेहा की ओर लपका लेकिन नेहा उससे ज्यादा तेज थी उसने उसके अपने पास आने से पहले ही लैपटॉप दादी के हाथ मे पकड़ा दिया
राघव- दादी, दादी लैपटॉप वापिस दे दो प्लीज, मैं.... मैं वादा करता हु बिल्कुल ज्यादा काम नहीं करूंगा और 1 हफ्ते से पहले तो यहां से हिलूँगा भी नहीं पक्का वादा
राघव बड़ी दादी के सामने करीब करीब गिड़गिड़ा रहा था वही उसकी हालत देख नेहा मंद मंद हस रही थी
कुमुद- ना अब तो ये तुम्हें मिलने से रहा! अब तुम्हें ये लैपटॉप तब ही मिलेगा जब नेहा मुझसे कहेगी
दादी ने शरारती मुस्कान के साथ राघव की मिन्नतों को इग्नोर कर दिया और राघव ने हसती हुई नेहा को देखा और उसके देखते ही नेहा ने अपना चेहरा सपाट कर लिया
राघव- बड़ी दादी से कहो के मुझे मेरा लैपटॉप अभी के अभी वापिस दे
राघव ने नेहा पर रौब झाड़ते हुए उसे अपनी मजा लेते देख इरिटेट होकर कहा
नेहा- ना.. मैं दादी जी की बात नहीं टाल सकती उन्हे अच्छे नहीं लगेगा ना
नेहा ने मासूम बनते हुए कहा और राघव सीरीअस चेहरे के साथ उसे देखने लगा
राघव- मेरे पेशंस को टेस्ट मत लो नेहा जो कहा है वो करो
कुमुद- राघव तुम उसे धमका रहे हो?
राघव – दादी मुझे मेरा लैपटॉप वापिस चाहिए
कुमुद- ना कहा ना, नेहा तुम जाओ बेटा ये अब कुछ नही करेगा
और दादी के कहते ही नेहा वहा से भाग ली
राघव- रुको ! दादी ये चीटिंग है
और आगे दादी की कोई बात बगैर सुने ही राघव वहा से निकल गया
राघव- तुम्हारी तो... नेहा मैंने कहा यहा आओ और दादी को लैपटॉप वापिस देने कहो
राघव ने नेहा के पीछे आते हुए कहा वही नेहा उससे दूर भाग रही थी
नेहा- नहीं!
राघव- नेहा.. देखो बात मानो जो कहा है करो
नेहा- कहा ना मैं उनसे कुछ भी नहीं कहने वाली
नेहा ने हसते हुए कहा और इनकी इस पकड़म पकड़ाई ने बाकी घरवालों का ध्यान इनकी ओर खिच लिया, घरवालों ने इन दोनों को कभी ऐसे बच्चो जैसे बर्ताव करते नहीं देखा था तो वो शॉक थे
मीनाक्षी- भाभी क्या हो रहा है ये?
मीनाक्षी जी ने जानकी से पूछा जो अपने बेटे बहु को खुले मुह के साथ देख रही थी
शुभंकर- ये सही मे राघव और नेहा है?
रमेश- ये क्या हमेशा ऐसे ही रहते है?
धनंजय- ना ऐसे तो नहीं रहते
उन दोनों को देख अपनी दादी गायत्री ने तो अपनी आंखे मल ली उनको तो यकीन ही नहीं हो रहा था और वही राघव और नेहा पूरे घर में इधर उधर दौड़ रहे थे उन्हे बाकी दुनिया की फिक्र ही नहीं थी
राघव- नेहा देखो मेरी बात मान लो वरना...
लेकिन नेहा ने उसकी एक बात नहीं सुनी और दौड़ते हुए पीछे वाली बगीचे की तरफ आई
नेहा- हॉ!! मैं तो आपसे डर गई
नेहा ने डरने वाले एक्सप्रेशन बनाए फिर हसते हुए कहा और उसे ऐसे हसता देख राघव के चेहरे पर भी मुस्कान आ गई ऐसी बड़ी सी स्माइल जिसे उसके चेहरे पर देखे घरवालों को अरसा हो गया था एकदम सच्ची
विवेक- ये सही मे भाभी है?
विवेक ने शेखर से पूछा जो उल्लू की तरह उन्हे ही देख रहा था जब वो पीछे की साइड आए थे
स्वाती- ये क्या कोई गेम खेल रहे है क्या?
स्वाती ने रिद्धि से पूछा जो अपनी पलके झपकते हुए इन सीन को पचाने की कोशिश कर रही थी
आकाश- राघव भाई? स्माइल करते हुए? ये सपना तो नहीं है ना?
लेकिन वहा एक ऐसा भी शक्स था जिसे इन दोनों की नजदीकिया पसंद नहीं आ रही थी, और वो थी रितु, साफ था उसे नेहा से जलन हो रही थी.... लेकिन क्यू...??
Nice update....Update 29
राघव पूरे घर मे नेहा को ढूंढते हुए घूम रहा था लेकिन वो उसे कही नहीं दिख रही थी
रमेश- राघव, कुछ चाहिए क्या बेटा?
राघव- नहीं मामा दादू वो बस ऐसे...
रमेश- नेहा को ढूंढ रहे हो?
राघव- नहीं वो तो मैं.. वो...
रमेश- वो मा के कमरे मे है
इतना बोल के रमेश जी वहा से राघव का कंधा थपथपाते हुए मुस्कुराकर निकल गए और राघव झट से बड़ी दादी के कमरे की ओर लपका और जब वो कमरे मे पहुचा तो वहा कोई नहीं था सिवाय नेहा को जो अलमारी मे कुछ सामान रख रही थी और राघव की तरफ उसकी पीठ थी
राघव ने कमरे का दरवाजा धीरे से बंद किया ताकि नेहा को उसके आने का पता ना चले और कोई आवाज ना हो लेकिन वो पुराने जमाने का दरवाजा आवाज करते हुए बंद हुआ और नेहा का ध्यान उसकी ओर आ गया
नेहा ने पलट कर देखा तो वहा राघव को पाया, उसने सपाट चेहरे से राघव को देखा फिर वापिस अपने काम मे लग गई वही राघव भी चुप चाप वहा खड़ा उसके फ्री होने की राह देखने लगा ताकि उससे बात कर सके
नेहा ने अलमारी से एक बेडशीट निकाली और थड़ की आवाज से अलमारी का दरवाजा बंद कर दिया
‘ये मुझे ऐसा क्यू लग रहा है उसने उस दरवाजे मे मुझे इमेजिन करके उसे पटका है’ राघव के मन मे खयाल आया
वही नेहा उसे इग्नोर करते हुए बेड की ओर बढ़ी और उसने एक झटके मे पुरानी चादर हटा दी और नई बेड शीट बिछाने लगी और जब उसका काम खतम हो गया तो वो दरवाजे की तरफ आई
राघव- सुनो..!
राघव ने उसे आवाज दी जिसे सुन कर वो रुकी और राघव की ओर मुड़ी
राघव- ये....
लेकिन बोलते बोलते राघव रुक गया जब उसने देखा के नेहा ने उसे वापिस इग्नोर कर दिया है और वो बेड की ओर जा रही है जैसे वो वहा हो ही ना
नेहा ने बेड पर से पुराने पिलो कवर उठाए और वापिस दरवाजे की तरफ जाने लगी और वो दरवाजा खोलने की वाली थी के राघव ने उसकी कलाई पकड़ के उसे रोक दिया
राघव- मैं कुछ कह रहा हु
नेहा- कहिए!
नेहा ने बोला लेकिन इस बार उसकी आवाज सपाट थी
राघव- तुम मुझे इग्नोर क्यू कर रही हो?
नेहा- मैं कहा इग्नोर कर रही हु? इग्नोर करने का ठेका तो आपने लिया हुआ है
राघव- ताना मार रही हो?
नेहा- मैं कौन होती हु ताना मारने वाली? वैसे भी मुझसे क्या फ़र्क पड़ता है
नेहा ने धीमे से कहा
राघव- हुह? क्या कहा जोर से बोलो
नेहा- जाना है मुझे जाने दीजिए
नेहा ने थोड़ा चिल्लाके कहा
राघव- अरे यार चिल्ला क्यू रही हो?
नेहा- क्युकी पागल हु मैं
नेहा ने राघव के हाथ से अपना हाथ छुड़ाते हुए कहा
राघव- हा वो मैं जानता हु लेकिन चिल्लाके बताने की क्या जरूरत थी बाकी लोग सुन लेते तो? और सोचो वो लोग मेरे बारे मे क्या सोचते
राघव ने नेहा को चिढ़ाते वापिस उसका हाथ पकड़ते हुए कहा जिसने नेहा का मूड और खराब कर दिया
नेहा- हा तो जाइए न फिर अपनी उस दोस्त के पास यहा मुझे मत तंग कीजिए वैसे भी लोग आप दोनों को साथ देख के खुश होंगे
नेहा ने वापिस चिल्लाते हुए अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश की लेकिन इस बार राघव ने उसका हाथ अच्छे से पकड़ हुआ था और उसने नेहा को अपनी तरफ खिचा जिससे वो उसके सीने से जा टकराई
राघव- नेहा, क्या हुआ है तुम्हे? ऐसे बिहेव क्यू कर रही हो?
नेहा- कुछ नहीं हुआ है मुझे
नेहा ने बगैर राघव से नजरे मिलाए उसके हाथों मे कसमसाते हुए कहा
राघव- चुप चाप खड़ी रहो
राघव ने नेहा को ऑर्डर देने की कोशिश की सिर्फ कोशिश
नेहा- मुझे जाना है बहुत काम है मुझे
राघव- ना! पहले बताओ क्या हुआ है
नेहा- कहा ना कुछ नहीं हुआ है और आप मेरे पास क्या कर रहे है आपकी वो स्पेशल दोस्त चली गई क्या
अब राघव के माजरा ध्यान मे आने लगा था
राघव- तुम, तुम कही रितु से जल तो नहीं रही हो?
नेहा- मैं... मैं क्यू जलने लगी मुझे कोई फरक नहीं पड़ता
नेहा ने अपनी नजरे इधर उधर घुमाते हुए कहा और उसे ऐसे करते देख राघव के चेहरे पर स्माइल आ गई
राघव- ये लो
राघव ने साड़ी का पैकेट उसकी ओर बढ़ाया
नेहा- ये क्या है
राघव- ये वो है जिसे तुम आकाश की सगाई मे पहनोगी
नेहा- मैंने अपने लिए साड़ी पसंद कर ली है ये जाकर उसे दीजिए जिसके लिए पसंद कर रहे थे
राघव- अरे पर ये तुम्हारे लिए है मैंने सिलेक्ट की है
नेहा- कहा ना मुझे नहीं चाहिए, गो टू हेल
नेहा ने राघव को धकेलते हुए कहा और राघव आगे कुछ कहता उससे पहले की उन्हे किसी के गला साफ करने की आवाज आई, दरवाजे पर बड़ी दादी खड़ी थी और शरारती मुस्कान से उन्हे देख रही थी
कुमुद- तुम लोगों को तुम्हारा रूम दिया है ना फिर मेरे कमरे मे रोमांस क्यू ?
बड़ी दादी की बात सुन दोनों उन्हे चौक के देखने लगे
नेहा- न.. नहीं दादी आप सोच रही है वैसा कुछ नहीं है
कुमुद- फिर कैसा है? दोनों ऐसे चिपक के खड़े हो ये रोमांस नहीं तो लड़ने का नया तरीका है क्या?
और अब इसमे नेहा कुछ कहती इससे पहले ही राघव बोला
राघव- देखो ना दादी ये आपकी बहु मुझे टाइम ही नहीं देती है
राघव मासूम बनते हुए बोला और उसकी बात पर नेहा उसे शॉक होकर देखने लगी
‘ये आज नाश्ते मे कुछ गलत खा लिए थे क्या जो ऐसी बाते कर रहे’ नेहा ने सोचा
कुमुद- ये सब क्या है नेहा यहा पहले ही दिन मुझे शिकायाते मिल रही है
राघव- हा हा बताओ अब दादी को
राघव अब नेहा को छेड़ने के पूरे मूड मे था लेकिन वो भी कम नहीं थी
‘बड़ा भोला बन रहे है ना अभी बताती हु इनको’ नेहा ने रघाव को देखते हुए सोचा फिर स्लाइम के साथ बड़ी दादी से बोली
नेहा- देखिए ना दादी ये आकाश की सगाई के लिए मुझे साड़ी नहीं दिला रहे है कहते है कोई जरूरत नहीं है
कुमुद- क्या...!
राघव- हैं?
दादी और राघव के मुह से ये एकसाथ निकला और अब दादी ने अपना मोर्चा राघव की तरफ बढ़ाया
कुमुद- ये मैं क्या सुन रही हु राघव?
राघव- अरे दादी नहीं ये झूठ बोल थी है मैंने ऐसा कब कहा??
राघव ने नेहा को देखते हुए कहा
नेहा- मैंने तो एक साड़ी पसंद भी की थी लेकिन इन्होंने लेने नहीं दी
नेहा अपने झूठे आँसू पोंछते हुए बोली और राघव के हाथ मे पकड़ा साड़ी का पैकेट दिखाया
राघव- क्या??
राघव मुह फाड़े नेहा को देख रहा था के वो कितनी सफाई से झूठ बोल रही थी
कुमुद- राघव क्या है ये सब? ये कोई तरीका है क्या और तुम होते कौन हो उसे साड़ी लेने से रोकने वाले अभी के अभी उसे वो साड़ी दो
राघव- लेकिन दादी....
कुमुद- मैंने कहा ना
राघव ने आँखों के कोने से नेहा को देखा जो उसे दादी से डांट खाता देख मजे ले रही थी वो कुछ पुटपुटाया और वो पैकेट उसने उसे दे दिया
नेहा- दादी जी ये तो यहा से जल्दी जाने का भी कह रहे थे ताकि वापिस काम पर जा सके, अब मैं तो यहा पहली बार आई हु मुझे और कुछ दिन रहना है , कहते है मैं इन्हे टाइम नहीं देती और खुद सारा दिन लैपटॉप लिए रहते है फिर आप बताओ मैं कैसे इनके साथ टाइम बिताऊ, ये तो यहा भी अपना लैपटॉप लाए है ताकि दिन रात काम कर सके
नेहा ने मासूम बनते हुए राघव की शिकायाते की
राघव नेहा को ‘अब तो तुम गई’ वाले लुक से घूरे जा रहा था लेकिन नेहा को कहा फरक पड़ना था
कुमुद- मैं ये क्या सुन रही हु राघव, परेशान हो गई हु तुमसे उसकी तो शिकायत कर दी तुमने और तुम्हारा क्या? नेहा बेटा जाओ और इसका लैपटॉप लाकर दो मुझे अब इसे 1 हफ्ते तक लैपटॉप नहीं मिलेगा।
बस दादी की ये लाइन राघव को शॉक देने काफी थी वो अपनी जगह पर जम गया
राघव- नहीं... नहीं दादी आप ऐसा नहीं करोगी, अरे मैं तो मजाक कर रहा था के ये टाइम नहीं देती आप मेरा लैपटॉप नहीं ले सकती
लेकिन दादी ने राघव के शब्दों को इग्नोर कर दिया
कुमुद- नेहा जाओ इसका लैपटॉप लेकर आओ
राघव- नहीं!!!!
कुमुद- जाओ नेहा, मैं भी देखती हु ये आदमी अब एक हफ्ता काम कैसे करता है
राघव- एक हफ्ता!!! नहीं!!! ऐसा नहीं करोगी आप!! नेहा खबरदार जो मेरे लैपटॉप को हाथ लगाया तो पछताओगी मैं कह रहा हु
राघव ने नेहा की ओर बढ़ते हुए कहा लेकिन दादी ने रोक दिया उसे
कुमुद- ओ राघव देशपांडे खबरदार अगर मेरी बहु को कुछ कहा तो तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा, नेहा मैं कह रही हु न तुम जाओ
और नेहा मुंडी हिलाते हुए वहा से चली गई, हालांकि उसे भी समझ आ गया था के फ़्लो फ़्लो मे वो ज्यादा बोल गई थी लेकिन इससे अब जो ड्रामा होगा उसमे मजा भी बड़ा आने वाला था और यही तो चांस था राघव को उसके लैपटॉप से दूर करने का और अपनी सौतन लैपटॉप को हटाने का ये मौका नेहा कहा छोड़ने वाली थी
जब नेहा लैपटॉप लेने गई तो राघव भी उसके पीछे जाने लगा लेकिन दादी ने रोक दिया उसे और द ग्रेट राघव देशपांडे अपने लैपटॉप को बचाने अपनी दादी ने मिन्नते करने लगा लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ इतने मे नेहा उसका लैपटॉप ले आई और राघव उसे खुले मुह से देखने लगा
राघव- नेहा मैं कह रहा हु रुक जाओ
राघव लैपटॉप छीनने नेहा की ओर लपका लेकिन नेहा उससे ज्यादा तेज थी उसने उसके अपने पास आने से पहले ही लैपटॉप दादी के हाथ मे पकड़ा दिया
राघव- दादी, दादी लैपटॉप वापिस दे दो प्लीज, मैं.... मैं वादा करता हु बिल्कुल ज्यादा काम नहीं करूंगा और 1 हफ्ते से पहले तो यहां से हिलूँगा भी नहीं पक्का वादा
राघव बड़ी दादी के सामने करीब करीब गिड़गिड़ा रहा था वही उसकी हालत देख नेहा मंद मंद हस रही थी
कुमुद- ना अब तो ये तुम्हें मिलने से रहा! अब तुम्हें ये लैपटॉप तब ही मिलेगा जब नेहा मुझसे कहेगी
दादी ने शरारती मुस्कान के साथ राघव की मिन्नतों को इग्नोर कर दिया और राघव ने हसती हुई नेहा को देखा और उसके देखते ही नेहा ने अपना चेहरा सपाट कर लिया
राघव- बड़ी दादी से कहो के मुझे मेरा लैपटॉप अभी के अभी वापिस दे
राघव ने नेहा पर रौब झाड़ते हुए उसे अपनी मजा लेते देख इरिटेट होकर कहा
नेहा- ना.. मैं दादी जी की बात नहीं टाल सकती उन्हे अच्छे नहीं लगेगा ना
नेहा ने मासूम बनते हुए कहा और राघव सीरीअस चेहरे के साथ उसे देखने लगा
राघव- मेरे पेशंस को टेस्ट मत लो नेहा जो कहा है वो करो
कुमुद- राघव तुम उसे धमका रहे हो?
राघव – दादी मुझे मेरा लैपटॉप वापिस चाहिए
कुमुद- ना कहा ना, नेहा तुम जाओ बेटा ये अब कुछ नही करेगा
और दादी के कहते ही नेहा वहा से भाग ली
राघव- रुको ! दादी ये चीटिंग है
और आगे दादी की कोई बात बगैर सुने ही राघव वहा से निकल गया
राघव- तुम्हारी तो... नेहा मैंने कहा यहा आओ और दादी को लैपटॉप वापिस देने कहो
राघव ने नेहा के पीछे आते हुए कहा वही नेहा उससे दूर भाग रही थी
नेहा- नहीं!
राघव- नेहा.. देखो बात मानो जो कहा है करो
नेहा- कहा ना मैं उनसे कुछ भी नहीं कहने वाली
नेहा ने हसते हुए कहा और इनकी इस पकड़म पकड़ाई ने बाकी घरवालों का ध्यान इनकी ओर खिच लिया, घरवालों ने इन दोनों को कभी ऐसे बच्चो जैसे बर्ताव करते नहीं देखा था तो वो शॉक थे
मीनाक्षी- भाभी क्या हो रहा है ये?
मीनाक्षी जी ने जानकी से पूछा जो अपने बेटे बहु को खुले मुह के साथ देख रही थी
शुभंकर- ये सही मे राघव और नेहा है?
रमेश- ये क्या हमेशा ऐसे ही रहते है?
धनंजय- ना ऐसे तो नहीं रहते
उन दोनों को देख अपनी दादी गायत्री ने तो अपनी आंखे मल ली उनको तो यकीन ही नहीं हो रहा था और वही राघव और नेहा पूरे घर में इधर उधर दौड़ रहे थे उन्हे बाकी दुनिया की फिक्र ही नहीं थी
राघव- नेहा देखो मेरी बात मान लो वरना...
लेकिन नेहा ने उसकी एक बात नहीं सुनी और दौड़ते हुए पीछे वाली बगीचे की तरफ आई
नेहा- हॉ!! मैं तो आपसे डर गई
नेहा ने डरने वाले एक्सप्रेशन बनाए फिर हसते हुए कहा और उसे ऐसे हसता देख राघव के चेहरे पर भी मुस्कान आ गई ऐसी बड़ी सी स्माइल जिसे उसके चेहरे पर देखे घरवालों को अरसा हो गया था एकदम सच्ची
विवेक- ये सही मे भाभी है?
विवेक ने शेखर से पूछा जो उल्लू की तरह उन्हे ही देख रहा था जब वो पीछे की साइड आए थे
स्वाती- ये क्या कोई गेम खेल रहे है क्या?
स्वाती ने रिद्धि से पूछा जो अपनी पलके झपकते हुए इन सीन को पचाने की कोशिश कर रही थी
आकाश- राघव भाई? स्माइल करते हुए? ये सपना तो नहीं है ना?
लेकिन वहा एक ऐसा भी शक्स था जिसे इन दोनों की नजदीकिया पसंद नहीं आ रही थी, और वो थी रितु, साफ था उसे नेहा से जलन हो रही थी.... लेकिन क्यू...??
Very nyc stori dearUpdate 19
इस वक्त रात के 11.30 बज रहे थे, राघव अब भी अपने ऑफिस मे बैठा था और अपने और नेहा के बारे मे सोच रहा था, विशाल से हुई बातचित उसके दिमाग मे घूम रही थी और अब वो भी इस रिश्ते के भागते हुए थक गया था, दादू ने उसे कहा था 8 बजे घर आने लेकिन वो अब भी ऑफिस मे ही था क्युकी जिसके लिए उसे घर जल्दी जाना था वो ही उससे नाराज थी।
राघव ने एक लंबी सास छोड़ी और घर जाने के लिए निकला,
कुछ समय बाद जब राघव घर पहुचा और अंदर आया तो पूरे घर मे शांति छाई हुई थी, राघव ने इधर उधर नजरे घुमाई मानो किसी को ढूंढ रहा हो लेकिन वहा था ही कौन..
राघव अपने कमरे मे जाने के लिए सीढ़िया चढ़ने ही वाला था के उसे चूड़ियों का आवाज सुनाई दि जिससे राघव रुक गया और उसने मूड कर देखा तो वहा नेहा खड़ी थी जो उसकी तरफ मुस्कुराकर देख रही थी और नेहा को अपनी तरफ ऐसा मुसकुराता देख राघव थोड़ा चौका, वो कन्फ्यूज़ था के इसको अचानक क्या हुआ
राघव को समझ नहीं आ रहा था के ये तो घर रोते हुए आयी थी और वो इतना गधा भी नहीं था के नेहा के रोने का रीज़न ना जानता हो फिर अब ऐसे एकदम क्या हो गया जो उसका मूड चेंज हो गया? राघव को नेहा का बर्ताव समझ नहीं आ रहा था, एक पल को उसे लगा के कही उसे नशा तो नहीं हो गया लेकिन वो अच्छे खासे होश मे था और तभी नेहा बोली
नेहा- जाइए जाकर कपड़े बदल लीजिए मैं खाना गरम करती हु
राघव- मुझे भूख नहीं है
(कुछ नहीं हो सकता इसका bc अभी अभी ऑफिस मे सब सही करने का सोच रहा था और चार आते ही सारी बाते हवा कर दी )
नेहा ने बड़े प्यार से कहा था लेकिन राघव ने मना कर दिया लेकिन भूख तो उसे भी लगि थी बस वो नेहा से दोपहर की हरकत के बाद नजरे नहीं मिलाना चाहता था वही नेहा मुस्कुराई और फिर प्यार से बोली
नेहा- जाइए न, कभी तो मेरी सुन लिया कीजिए
नेहा ऐसे बात कर रही थी जैसे वो दोनों कोई नॉर्मल कपल हो लेकिन वो वैसे नहीं थे और यही बात राघव को कन्फ्यूज़ करे हुए थी उसके नेहा के ऐसे बदले बदने मिजाज समझ नहीं आ रहे थे लेकिन राघव कुछ नहीं बोला और नेहा की बात मान कर वो फ्रेश होकर वापिस आया तो उसने देखा के नेहा उन दोनों की खाने की प्लेट्स लगा रही थी
राघव जाकर डायनिंग टेबल पर बैठ गया बगैर कुछ बोले एकदम चुप चाप जिसके बाद नेहा ने उसे खाना परोसा और फिर खुद की प्लेट मे खाना लिया जिसे देख राघव ने पूछा
राघव- तुमने खाना नहीं खाया अभी तक?
नेहा- मैं आपकी राह देख रही थी
नेहा ने राघव से कहा और खाना शुरू कीया
राघव- दोपहर मे तो तुम बड़ी नाराज थी फिर अब क्या हुआ?
नेहा- कुछ नहीं बस मेरा मूड ठीक हो गया अब आप खाना खाइए खाना ठंडा हो रहा है वो बाते बाद मे हो जाएंगी
जिसके बाद दोनों मे से कोई कुछ नहीं बोला दोनों ने चुप चाप खाना खाया
खाना होने के बाद नेहा दोनों की प्लेट्स लेकर किचन मे चली गई और जब वो वापिस आयी तो उसने कुछ ऐसा देखा जो नॉर्मल नहीं था, राघव वहा उसकी राह देखते खड़ा था और ये नेहा को कैसे पता चल के वो उसकी राह देख रहा है? तो भाईसहब ने अपना फोन उल्टा पकड़ा हुआ था और बता रहा था के उसका ध्यान फोन मे है, नेहा उसे देख मुस्कुराई और उसके पास गई
नेहा- चले..!
राघव- हह.. हा वो मैं तुम्हारी राह नहीं देख रहा था वो तो मैं फोन मे थोड़ा काम देख रहा था
राघव ने बहाना बनाने की कोशिश की जिसपर नेहा के चेहरे पर मुस्कान आ गई और उसने राघव का फोन सीधा करके उसके हाथ मे पकड़ाया जिससे राघव थोड़ा शर्मिंदा हुआ, वो पकड़ा जा चुका था और उसके बाद नेहा ने कुछ ऐसा किया जिससे राघव और भी सप्राइज़ हुआ
उसने राघव का हाथ पकड़ा और उसे लेकर अपने रूम की ओर बढ़ गई और राघव बस आंखे फाड़े उसे देखता रहा
(भाईसहब एकदम से इतने चेंजेस )
रूम मे आने के बाद राघव ने झट से अपना हाथ नेहा के हाथ से छुड़ाया और बेड की ओर बढ़ गया और बेड पर जाकर सो गया
राघव सोने की कोशिश कर ही रहा था के उसे अपने बाजू मे कुछ हलचल सी होती महसूस हुई, उसने मूड कर देखा तो पाया के नेहा उसके बाजू मे लेट रही है और वो भी सेम रजाई मे
राघव- ये सब क्या है अब?
नेहा- क्या मतलब? रात है और नॉर्मल लोग सोते है रात मे
राघव- तुम तो मेरे साथ बेड शेयर करने मे कंफर्टेबल नहीं थी ना फिर अब क्या हुआ?
नेहा- मैंने ऐसा कब कहा था मुझे तो लगा था के आपको ये पसंद नहीं आएगा पर अब मैं सोफ़े पे नहीं सोने वाली मैं यही सोऊँगी जहा एक पत्नी को होना चाहिए।
नेहा ने बोलते बोलते राघव को आँख मार दी नतिजन राघव की आंखे बड़ी हो गई और उसने नजरे घुमा ली और दोनों के बीच सेफ डिस्टन्स बनाया और मूड गया
कुछ सेकंद बाद उसे उसकी कमर पर एक हाथ फ़ील हुआ और उस टच से राघव सिहर उठा वो नेहा की छाती को अपनी पीठ पर महसूस कर सकता था
राघव- क.... क्या क...कर र... रही हो त... तुम ?
राघव नर्वस नेस मे हकलाया, ये सब नया था उसके लिए
नेहा- मैं तो बस अपने पति को गले लगा रही हु, क्या मैं ऐसा नहीं कर सकती? अब आप इसकी आदत डाल लीजिए क्युकी मुझे हक है अब सो जाइए अब मुझे नींद आ रही है
जिसके साथ ही नेहा ने अपनी पकड़ कस ली वही राघव का हाथ तकिये पर कस गया और उसकी धड़कने बढ़ने लगी पर वो कुछ बोला नही एक तो वो नेहा के साथ बहस नहीं करना चाहता था ऊपर से उसे भी ये सब अच्छा लग रहा था
नेहा- शादी के बाद अपनी ही पति से दोस्ती करने वाले कन्सेप्ट पर मुझे भरोसा नहीं है, मैं पत्नी हु आपकी और हमे वैसे ही रहना चाहिए हमे एकदूसरे पर पूरा हक है,
नेहा ने जो उसके मन मे था कह दिया, धड़कने इस वक्त दोनों की बढ़ी हुई थी और नेहा भी जानती थी जैसे वो राघव की बढ़ी धड़कनों को महसूस कर रही थी वैसे ही राघव को भी महसूस हो रहा होगा पर अब उसे उसकी परवाह नहीं थी लेकिन नेहा की इस लाइन ने राघव के दिमाग के तार हिला दिए थे वो समझ नहीं पा रहा था के ये दोस्ती वाली बात इसको कैसे पता चली वो तो यही प्लान किया था के पहले दोस्ती से शुरुवात करेंगे और यहा उसके बगैर बोले ही नेहा के उसका प्लान फ्लॉप कर दिया था
राघव- तो तुम्हारा मतलब है के दोस्त बनने का कोई मतलब नहीं?
नेहा- नहीं ऐसा नहीं है मतलब हम एकदूसरे के साथ रहकर खुले दिल से बाते कर सकते है एकदूसरे के साथ कंफर्टेबल हो सकते है लेकिन ये सब हम पति पत्नी बनकर भी तो कर सकते है न फिर दोस्त बनके क्या हो जाएगा
राघव कुछ नहीं बोला, उसे तो अब भी समझ नहीं आ रहा था के ये सब क्या चल रहा है और ये नेहा अचानक बाकी कपल जैसे बनने का क्यू ट्राइ कर रही है
‘डिअर पतिदेव धीरे धीरे आपको इस नेहा की आदत न डला दी तो नाम बदल लूँगी मैं अपना, मैं आपके साथ रहने के लिए कुछ भी करने को तयार हु और मैं किसी भी हालत मे आपका साथ नहीं छोड़ने वाली, शेखर सही था उन्होंने रोका नहीं मुझे और मैं बेवकूफ बगैर कोशिश किए ही हार मान रही थी, हमने बगैर बात किए की एकदूसरे को ब्लैम किया लेकिन अब ऐसा नहीं होगा, मुझे माफ कर दीजिए मै समझ नहीं पाई आपको लेकिन अब मैं आपका साथ नहीं छोड़ने वाली’
नेहा ने मन ही मन सोचा और नींद के आग़ोश मे समा गई वही
‘इसको अचानक क्या हुआ और ये इसको दोस्ती वाली बात कैसे पता चली? काही ये मेरा मन तो नहीं ना पढ़ने लगी? लेकिन जो भी हो अच्छा लग रहा है, मैं भी इस रिश्ते को निभाने की पूरी कोशिश करूंगा नेहा’
राघव ने मन मे सोच और वो भी सो गया अगली सुबह के इंतजार मे नई शुरुवात की राह मे....
क्रमश: