• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Romance In Love.. With You... (Completed)

101
294
63
Update 20



अगली सुबह

नेहा- मा मैं उनकी लेमन टी लेकर जा रही हु उनका जिम का टाइम हो गया है

नेहा मे एक स्माइल के साथ कहा, वो तो अब राघव के साथ एक पल नहीं छोड़ना चाहती थी

जानकी- क्या बात है आज बड़ी खुश लग रही हो

नेहा- नह.. नहीं मा बस ऐसे ही मैं आती हु उन्हे चाय देके

इतना बोल के नेहा जल्दी वहा से निकल गई और उसे जाता देख मीनाक्षी बोली

मीनाक्षी- जीजी लगता है सब जल्द ही सही हो जाएगा

जानकी- हम्म मुझे भी ऐसा ही लगता है।

इधर नेहा जैसे ही रूम मे पहुची तो राघव बाथरूम से बाहर आ रहा था, उसने राघव को देख एक स्माइल पास की जिसे देख राघव जहा था वही जम गया और बड़ी आँखों से उसे देखने लगा

नेहा- आप न जब ऐसे आंखे बड़ी करके देखते है न बड़े क्यूट लगते है

नेहा के राघव के पास आकार उसे चाय देते हुए कहा बदले मे राघव ने उसके माथे को अपने हाथ से छुआ और कुछ पुटपुटाया

नेहा- क्या हुआ?

राघव- तुमको क्या हुआ है तबीयत तो ठीक है न तुम्हारी?

नेहा- मुझे तो कुछ नहीं हुआ है

राघव- तो क्या तुम कही गजीनी तो नहीं बन गई मेमोरी लॉस प्रॉब्लेम?

नेहा- मैं एकदम फिट और फाइन हु

नेहा ने गजीनी वाली बात पर तुनक कर कहा

राघव- तो फिर ऐसे क्यू बिहेव कर रही हो?

राघव ने उसके हाथ मे से चाय का कप लेकर साइड मे टेबल पर रखते हुए पूछा, उसे कुछ बाते क्लियर करनी थी

नेहा – मैं एकदम नॉर्मल हु

राघव- नहीं तुम नॉर्मल नहीं हो, समझ आ रहा है न? तुम कभी मुझसे ऐसे बात नहीं करती हो

नेहा- तो? अब क्या मैं अपने पति से बात भी नहीं कर सकती

राघव- और तुम कबसे मुझे अपना पति मानने लगि?

राघव ने नेहा की ओर एक कदम बढ़ाते हुए पूछा

नेहा- उस दिन से जिस दिन से आपने मेरी मांग मे सिंदूर भरा था

नेहा ने भी एक कदम राघव की ओर बढ़ाया

राघव- पर तुमने तो मुझे ये कभी कहा नहीं

राघव ने उसकी ओर एक और कदम बढ़ाया और उसकी आँखों मे देखते हुए बोला

नेहा- आपने कभी पूछा ही नहीं

नजरों का नजरों का कॉन्टैक्ट बनाए रखते हुए नेहा ने भी एक और कदम राघव की ओर बढ़ाया

राघव- तो तुम्हें बगैर पूछे बताना चाहिए था

राघव और करीब आया

नेहा- तो आपको भी बगैर कुछ कहे अपना हक मुझपर जताना चाहिए था

नेहा भी राघव के करीब आयी, दोनों एकदूसरे की सासों को महसूस कर सकते थे बस एक इंच की दूरी थी दोनों के बीच अगर कोई उन्हे धक्का दे देता तो शायद किस हो जाता, वो दोनों बगैर पलक झपकाए एकदूसरे की आँखों मे देखे जा रहे थे, वो एकदूसरे की आँखों मे खो चुके थे के तभी

नेहा- सुनिए!

नेहा ने धीमे से कहा

राघव- हम्म?

नेहा- चाय पी लीजिए, वो ठंडी हो जाएगी और आप लेट

नेहा ने अपनी हसी दबाते हुए कहा और राघव की तंद्री टूटी

राघव- हूह?

नेहा की बात से राघव सपनों की दुनिया से बाहर आया और नेहा पीछे सरकी

नेहा- आपकी लेमन टी पी लिजीए पतिदेव

नेहा ने अपनी हसी रोकते हुए कहा और वहा से बाहर आ गई क्युकी वो जानती थी के अगर एक और पल वो वहा रुकी तो उसकी हसी छूट जाएगी, राघव का चेहरा लाल हो गया था, राघव ने अपने बालों मे हाथ घुमाया और एक छोटी सी बस छोटी सी मुस्कान उसके चेहरे पर उभर आयी

इसको अचानक क्या हो गया है यार कल तक तो रोंदू बनी हुई थी और आज देखो, खैर जो भी हो अच्छा लग रहा है चलने देते है’

राघव ने मन मे सोचा और चाय पीने लगा

कुछ समय बाद घर के सभी लोग नाश्ते के लिए जमे हुए थे

रमाकांत- आज क्या कुछ स्पेशल है?

रमाकांत जी ने डायनिंग टेबल पर खाने को देखते हुए कहा

धनंजय- हा आज क्या है जो इतना सब बना है ?

शेखर- डैड गौर से देखिए सब भाई के पसंद का बना है

शेखर ने नेहा को देखते हुए कहा वही राघव बस चुपचाप बैठा था और नेहा उसकी प्लेट मे नाश्ता परोस रही थी

मीनाक्षी- हा आज सब नेहा ने बनाया है

ये सब बात चित चल ही रही थी के गायत्री जी ने सबको चुप कराया और बोलना शुरू किया

गायत्री- सब लोग ध्यान से सुनो कल हमने घर मे सत्यनारायण की पूजा रखी है और मुझे किसी को अलग से बताने की जरूरत नहीं है के मुझे कल सब वहा लगेंगे क्युकी सब लोग वहा मौजूद होंगे लेकिन राघव मैं खास तौर पर तुम्हें कह रही हु के तुम कल मुझे पूजा मे दिखने चाहिए इसीलिए अच्छा होगा के तुम कल छुट्टी लेलों मैं कोई बहाना नहीं सुनूँगी समझ आया?

राघव कुछ नहीं बोला बस चुप चाप उसने हा मे गर्दन हिला दी, राघव अपनी दादी से घर मे थोड़ा डरता था उनके सामने उसकी आवाज नहीं निकलती थी, दादी की जगह अगर दादू या और कोई ये बात बोलता तो जरूर वो कोई बहाना बना देता लेकिन दादी के सामने वो बिल्कुल गाय था।

नेहा अपने पति का ये भीगी बिल्ली वाला रूप देख शॉक मे थी ‘ये मेरे ही पति है ना’ ये ख्याल भी एक पल को उसके मन मे आया और उसका ये कन्फ्यूज़ चेहरा उसके ससुर जी ने देख लिया

रमाकांत- अरे नेहा बेटा ऐसे मत चौकों वो तुम्हारी दादी से बहुत डरता है..

रमाकांत जी ने हसते हुए कहा

राघव- मैं डरता वरता नहीं हु डैड मैं बस रीस्पेक्ट करता हु दादी की

राघव ने एकदम से कहा, अब वो अपने आप को नेहा के सामने डरपोक कैसे बताता ना

धनंजय- तो मतलब तुम हमलोगों की रीस्पेक्ट नहीं करते है ना? क्युकी हमारी तो कोई बात नहीं मानते हो

राघव- अरे यार चाचू वो क्या है...

गायत्री- क्या?

राघव- कुछ नहीं मैं निकलता हु अब अभी जल्दी जाऊंगा तो शाम मे जल्दी आऊँगा फिर कल घर रहूँगा बाय एव्रीवन

राघव कुछ बोलने की वाला था के दादी ने उसे रोक दिया और अब फिर कुछ बोलने की हिम्मत नहीं हुई तो बंदा वहा से निकल लिया

नेहा तो उसे ऐसे देख रही थी ऐसे वो कोई ऐलीअन हो, श्वेता जो उसके बगल मे बैठी थी उसने नेहा को इशारे से होश मे लाया और वो उठी और राघव के पीछे जाने लागि वरना वो वापिस लंच लिए बगैर चला जाएगा

नेहा लंच बॉक्स लेकर राघव के पीछे गई और उसे आवाज दी, वो भी नेहा की आवाज सुन पलटा और वापिस लंच बॉक्स देख उसने नजरे घूम ली

यार इसको ये डब्बा क्यू पकड़ाना होता है खुद नहीं आ सकती क्या ऑफिस मे’

(आयी तो थी तूने ही रुलाके भागा दिया था चूतिये 🥲)

राघव ने मन मे सोचा और मानो नेहा उसके मन की बात सुन ली हो

नेहा- वो मुझे मार्केट जाना है कल की पूजा की शॉपिंग के लिए

नेहा ने कहा जिसे सुन राघव थोड़ा शॉक हुआ

‘ये सही मे मेरे मन की बात नहीं न पढ़ने लगी? नहीं ऐसा नहीं होना चाहिए, बेटा राघव दिमाग को कंट्रोल कर

राघव ने अपने खयाल झटके और नेहा को देखा तो नेहा उसकी ओर ही देख रही थी, राघव ने उसके हाथ से बॉक्स लिया और मुड़ने ही वाला था के नेहा ने उसे रोक दिया

नेहा- ऐसे ही जा रहे है?

राघव को कुछ समझ नहीं आया

नेहा- मतलब मैंने आपसे कुछ कहा था न ?

राघव- क्या?

नेहा- मैंने कहा था न मुझे उस पहले दोस्ती वाले कन्सेप्ट पर भरोसा नहीं है हम बेहतर तरीके से हमारा रिश्ता सुधार सकते है

नेहा ने इस उम्मीद मे कहा के राघव उसकी बात समझ जाए लेकिन उसके पल्ले कुछ नहीं पड़ा

राघव- तो?

नेहा- तो हम पति पत्नी है!

नेहा अपनी साड़ी के पल्लू के साथ खेलते हुए बोली

राघव- अच्छा हुआ बता दिया मुझे तो पता ही नहीं था वो क्या है न पहली बार शादी हई है तो कोई आइडिया नहीं

राघव अब इरिटैट हो रहा था

नेहा- आपको नहीं पता नॉर्मल कपल कैसे बिहेव करते है?

और अब नेहा भी इरिटैट हो रही थी

राघव- तुमने कभी बताया ही नहीं

राघव की बात सुन नेहा थोड़ी मुस्कुराई

नेहा- अब बता रही हु ना, देखिए कुछ चीजे होती है, पति पत्नी के बीच जिससे मैरीड लाइफ बैलेन्स रहे

नेहा राघव को हिंट देने की पूरी कोशिश कर रही थी लेकिन उसके दिमाग मे कुछ नहीं घुस रहा था

राघव- और वो क्या है?

राघव की बात सुन नेहा की सारी स्माइल हवा हो गई

नेहा- कुछ नहीं! बाय लेट हो रहा होगा आपको

अजीब लड़की है’ राघव ने सोचा और जाने के लिए बढ़ा वही नेहा भी अंदर जाने के लिए मुड़ी ही थी के राघव ने उसका हाथ पकड़ के उसे अपनी ओर खिचा, देरी से ही सही राघव के दिमाग की बत्ती जली थी

राघव ने नेहा को कलाई से पकड़ के अपनी ओर खींचा जिससे नेहा उसके सीने के जा टकराई, नेहा के दोनों हाथ राघव के कंधों पर थे और वो आंखे चौड़ी किए उसे देख रही थी वही राघव के अपना दूसरा हाथ नेहा की कमर पर रखा जिससे नेहा सिहर उठी

ये पहली बार था सब जानते बुझते वो एकदूसरे के इतने करीब थे..

आसपास का महोल मानो एकदम रुक गया था बस उनकी धड़कनों का शोर सुनाई दे रहा था राघव उसकी आँखों में देख रहा था वो उसके और करीब आया, राघव को अपने इतने करीब पाकर नेहा ने अपनी आंखे बंद कर ली, उसके हाथ राघव की शर्ट पर कस गए और उसने अपने होंठ भींच लिए

इससे पहले के वो कुछ कर पाती उसे राघव के होंठों का स्पर्श उसे अपने माथे पर महसूस हुआ और वो वही जम गई उसका दिमाग एकदम ब्लैंक हो गया था आंखे और ज्यादा कस के उसने बंद कर ली थी, वो उसके और करीब आया और उसके दाएं कान मे बोला

राघव- बाय..

बस खतम, राघव नेहा को ऐसे बुत बना देख मुस्कुराया और अपनी कार की ओर जाने लगा, दरवाजा खोल कर वो रुका लेकिन उसे नेहा की ओर नहीं देखा और उसके चेहरे पर एक मुस्कान उभर आई

जिसके बाद राघव अपनी कार लेकर वहा से निकल गया और नेहा वही खड़ी रही और गाड़ी के हॉर्न ने उसे होश लाया, उसने अपने माथे हो हाथ लगाया जहा राघव ने उसे चूमा था

वो उस सीन को अपने दिमाग से नहीं निकाल पा रही थी उसका चेहरा लाल हो गया था

‘मैं तो पूजा की शॉपिंग मे इन्हे साथ चलने कह रही थी और ये क्या ही समझे उसको, वैसे मुझे नहीं पता था राघव देखपाण्डे का ये साइड भी है’ नेहा मुस्कुराई और घर के अंदर चली आई....

क्रमश:
Very nyc stori dear
 

Babybulbul

Member
200
437
63
Update 29



राघव पूरे घर मे नेहा को ढूंढते हुए घूम रहा था लेकिन वो उसे कही नहीं दिख रही थी

रमेश- राघव, कुछ चाहिए क्या बेटा?

राघव- नहीं मामा दादू वो बस ऐसे...

रमेश- नेहा को ढूंढ रहे हो?

राघव- नहीं वो तो मैं.. वो...

रमेश- वो मा के कमरे मे है

इतना बोल के रमेश जी वहा से राघव का कंधा थपथपाते हुए मुस्कुराकर निकल गए और राघव झट से बड़ी दादी के कमरे की ओर लपका और जब वो कमरे मे पहुचा तो वहा कोई नहीं था सिवाय नेहा को जो अलमारी मे कुछ सामान रख रही थी और राघव की तरफ उसकी पीठ थी

राघव ने कमरे का दरवाजा धीरे से बंद किया ताकि नेहा को उसके आने का पता ना चले और कोई आवाज ना हो लेकिन वो पुराने जमाने का दरवाजा आवाज करते हुए बंद हुआ और नेहा का ध्यान उसकी ओर आ गया

नेहा ने पलट कर देखा तो वहा राघव को पाया, उसने सपाट चेहरे से राघव को देखा फिर वापिस अपने काम मे लग गई वही राघव भी चुप चाप वहा खड़ा उसके फ्री होने की राह देखने लगा ताकि उससे बात कर सके

नेहा ने अलमारी से एक बेडशीट निकाली और थड़ की आवाज से अलमारी का दरवाजा बंद कर दिया

ये मुझे ऐसा क्यू लग रहा है उसने उस दरवाजे मे मुझे इमेजिन करके उसे पटका है’ राघव के मन मे खयाल आया

वही नेहा उसे इग्नोर करते हुए बेड की ओर बढ़ी और उसने एक झटके मे पुरानी चादर हटा दी और नई बेड शीट बिछाने लगी और जब उसका काम खतम हो गया तो वो दरवाजे की तरफ आई

राघव- सुनो..!

राघव ने उसे आवाज दी जिसे सुन कर वो रुकी और राघव की ओर मुड़ी

राघव- ये....

लेकिन बोलते बोलते राघव रुक गया जब उसने देखा के नेहा ने उसे वापिस इग्नोर कर दिया है और वो बेड की ओर जा रही है जैसे वो वहा हो ही ना

नेहा ने बेड पर से पुराने पिलो कवर उठाए और वापिस दरवाजे की तरफ जाने लगी और वो दरवाजा खोलने की वाली थी के राघव ने उसकी कलाई पकड़ के उसे रोक दिया

राघव- मैं कुछ कह रहा हु

नेहा- कहिए!

नेहा ने बोला लेकिन इस बार उसकी आवाज सपाट थी

राघव- तुम मुझे इग्नोर क्यू कर रही हो?

नेहा- मैं कहा इग्नोर कर रही हु? इग्नोर करने का ठेका तो आपने लिया हुआ है

राघव- ताना मार रही हो?

नेहा- मैं कौन होती हु ताना मारने वाली? वैसे भी मुझसे क्या फ़र्क पड़ता है

नेहा ने धीमे से कहा

राघव- हुह? क्या कहा जोर से बोलो

नेहा- जाना है मुझे जाने दीजिए

नेहा ने थोड़ा चिल्लाके कहा

राघव- अरे यार चिल्ला क्यू रही हो?

नेहा- क्युकी पागल हु मैं

नेहा ने राघव के हाथ से अपना हाथ छुड़ाते हुए कहा

राघव- हा वो मैं जानता हु लेकिन चिल्लाके बताने की क्या जरूरत थी बाकी लोग सुन लेते तो? और सोचो वो लोग मेरे बारे मे क्या सोचते

राघव ने नेहा को चिढ़ाते वापिस उसका हाथ पकड़ते हुए कहा जिसने नेहा का मूड और खराब कर दिया

नेहा- हा तो जाइए न फिर अपनी उस दोस्त के पास यहा मुझे मत तंग कीजिए वैसे भी लोग आप दोनों को साथ देख के खुश होंगे

नेहा ने वापिस चिल्लाते हुए अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश की लेकिन इस बार राघव ने उसका हाथ अच्छे से पकड़ हुआ था और उसने नेहा को अपनी तरफ खिचा जिससे वो उसके सीने से जा टकराई

राघव- नेहा, क्या हुआ है तुम्हे? ऐसे बिहेव क्यू कर रही हो?

नेहा- कुछ नहीं हुआ है मुझे

नेहा ने बगैर राघव से नजरे मिलाए उसके हाथों मे कसमसाते हुए कहा

राघव- चुप चाप खड़ी रहो

राघव ने नेहा को ऑर्डर देने की कोशिश की सिर्फ कोशिश

नेहा- मुझे जाना है बहुत काम है मुझे

राघव- ना! पहले बताओ क्या हुआ है

नेहा- कहा ना कुछ नहीं हुआ है और आप मेरे पास क्या कर रहे है आपकी वो स्पेशल दोस्त चली गई क्या

अब राघव के माजरा ध्यान मे आने लगा था

राघव- तुम, तुम कही रितु से जल तो नहीं रही हो?

नेहा- मैं... मैं क्यू जलने लगी मुझे कोई फरक नहीं पड़ता

नेहा ने अपनी नजरे इधर उधर घुमाते हुए कहा और उसे ऐसे करते देख राघव के चेहरे पर स्माइल आ गई

राघव- ये लो

राघव ने साड़ी का पैकेट उसकी ओर बढ़ाया

नेहा- ये क्या है

राघव- ये वो है जिसे तुम आकाश की सगाई मे पहनोगी

नेहा- मैंने अपने लिए साड़ी पसंद कर ली है ये जाकर उसे दीजिए जिसके लिए पसंद कर रहे थे

राघव- अरे पर ये तुम्हारे लिए है मैंने सिलेक्ट की है

नेहा- कहा ना मुझे नहीं चाहिए, गो टू हेल

नेहा ने राघव को धकेलते हुए कहा और राघव आगे कुछ कहता उससे पहले की उन्हे किसी के गला साफ करने की आवाज आई, दरवाजे पर बड़ी दादी खड़ी थी और शरारती मुस्कान से उन्हे देख रही थी

कुमुद- तुम लोगों को तुम्हारा रूम दिया है ना फिर मेरे कमरे मे रोमांस क्यू ?

बड़ी दादी की बात सुन दोनों उन्हे चौक के देखने लगे

नेहा- न.. नहीं दादी आप सोच रही है वैसा कुछ नहीं है

कुमुद- फिर कैसा है? दोनों ऐसे चिपक के खड़े हो ये रोमांस नहीं तो लड़ने का नया तरीका है क्या?

और अब इसमे नेहा कुछ कहती इससे पहले ही राघव बोला

राघव- देखो ना दादी ये आपकी बहु मुझे टाइम ही नहीं देती है

राघव मासूम बनते हुए बोला और उसकी बात पर नेहा उसे शॉक होकर देखने लगी

‘ये आज नाश्ते मे कुछ गलत खा लिए थे क्या जो ऐसी बाते कर रहे’ नेहा ने सोचा

कुमुद- ये सब क्या है नेहा यहा पहले ही दिन मुझे शिकायाते मिल रही है

राघव- हा हा बताओ अब दादी को

राघव अब नेहा को छेड़ने के पूरे मूड मे था लेकिन वो भी कम नहीं थी

बड़ा भोला बन रहे है ना अभी बताती हु इनको’ नेहा ने रघाव को देखते हुए सोचा फिर स्लाइम के साथ बड़ी दादी से बोली

नेहा- देखिए ना दादी ये आकाश की सगाई के लिए मुझे साड़ी नहीं दिला रहे है कहते है कोई जरूरत नहीं है

कुमुद- क्या...!

राघव- हैं?

दादी और राघव के मुह से ये एकसाथ निकला और अब दादी ने अपना मोर्चा राघव की तरफ बढ़ाया

कुमुद- ये मैं क्या सुन रही हु राघव?

राघव- अरे दादी नहीं ये झूठ बोल थी है मैंने ऐसा कब कहा??

राघव ने नेहा को देखते हुए कहा

नेहा- मैंने तो एक साड़ी पसंद भी की थी लेकिन इन्होंने लेने नहीं दी

नेहा अपने झूठे आँसू पोंछते हुए बोली और राघव के हाथ मे पकड़ा साड़ी का पैकेट दिखाया

राघव- क्या??

राघव मुह फाड़े नेहा को देख रहा था के वो कितनी सफाई से झूठ बोल रही थी

कुमुद- राघव क्या है ये सब? ये कोई तरीका है क्या और तुम होते कौन हो उसे साड़ी लेने से रोकने वाले अभी के अभी उसे वो साड़ी दो

राघव- लेकिन दादी....

कुमुद- मैंने कहा ना

राघव ने आँखों के कोने से नेहा को देखा जो उसे दादी से डांट खाता देख मजे ले रही थी वो कुछ पुटपुटाया और वो पैकेट उसने उसे दे दिया

नेहा- दादी जी ये तो यहा से जल्दी जाने का भी कह रहे थे ताकि वापिस काम पर जा सके, अब मैं तो यहा पहली बार आई हु मुझे और कुछ दिन रहना है , कहते है मैं इन्हे टाइम नहीं देती और खुद सारा दिन लैपटॉप लिए रहते है फिर आप बताओ मैं कैसे इनके साथ टाइम बिताऊ, ये तो यहा भी अपना लैपटॉप लाए है ताकि दिन रात काम कर सके

नेहा ने मासूम बनते हुए राघव की शिकायाते की

राघव नेहा को ‘अब तो तुम गई’ वाले लुक से घूरे जा रहा था लेकिन नेहा को कहा फरक पड़ना था

कुमुद- मैं ये क्या सुन रही हु राघव, परेशान हो गई हु तुमसे उसकी तो शिकायत कर दी तुमने और तुम्हारा क्या? नेहा बेटा जाओ और इसका लैपटॉप लाकर दो मुझे अब इसे 1 हफ्ते तक लैपटॉप नहीं मिलेगा।

बस दादी की ये लाइन राघव को शॉक देने काफी थी वो अपनी जगह पर जम गया

राघव- नहीं... नहीं दादी आप ऐसा नहीं करोगी, अरे मैं तो मजाक कर रहा था के ये टाइम नहीं देती आप मेरा लैपटॉप नहीं ले सकती

लेकिन दादी ने राघव के शब्दों को इग्नोर कर दिया

कुमुद- नेहा जाओ इसका लैपटॉप लेकर आओ

राघव- नहीं!!!!

कुमुद- जाओ नेहा, मैं भी देखती हु ये आदमी अब एक हफ्ता काम कैसे करता है

राघव- एक हफ्ता!!! नहीं!!! ऐसा नहीं करोगी आप!! नेहा खबरदार जो मेरे लैपटॉप को हाथ लगाया तो पछताओगी मैं कह रहा हु

राघव ने नेहा की ओर बढ़ते हुए कहा लेकिन दादी ने रोक दिया उसे

कुमुद- ओ राघव देशपांडे खबरदार अगर मेरी बहु को कुछ कहा तो तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा, नेहा मैं कह रही हु न तुम जाओ

और नेहा मुंडी हिलाते हुए वहा से चली गई, हालांकि उसे भी समझ आ गया था के फ़्लो फ़्लो मे वो ज्यादा बोल गई थी लेकिन इससे अब जो ड्रामा होगा उसमे मजा भी बड़ा आने वाला था और यही तो चांस था राघव को उसके लैपटॉप से दूर करने का और अपनी सौतन लैपटॉप को हटाने का ये मौका नेहा कहा छोड़ने वाली थी

जब नेहा लैपटॉप लेने गई तो राघव भी उसके पीछे जाने लगा लेकिन दादी ने रोक दिया उसे और द ग्रेट राघव देशपांडे अपने लैपटॉप को बचाने अपनी दादी ने मिन्नते करने लगा लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ इतने मे नेहा उसका लैपटॉप ले आई और राघव उसे खुले मुह से देखने लगा

राघव- नेहा मैं कह रहा हु रुक जाओ

राघव लैपटॉप छीनने नेहा की ओर लपका लेकिन नेहा उससे ज्यादा तेज थी उसने उसके अपने पास आने से पहले ही लैपटॉप दादी के हाथ मे पकड़ा दिया

राघव- दादी, दादी लैपटॉप वापिस दे दो प्लीज, मैं.... मैं वादा करता हु बिल्कुल ज्यादा काम नहीं करूंगा और 1 हफ्ते से पहले तो यहां से हिलूँगा भी नहीं पक्का वादा

राघव बड़ी दादी के सामने करीब करीब गिड़गिड़ा रहा था वही उसकी हालत देख नेहा मंद मंद हस रही थी

कुमुद- ना अब तो ये तुम्हें मिलने से रहा! अब तुम्हें ये लैपटॉप तब ही मिलेगा जब नेहा मुझसे कहेगी

दादी ने शरारती मुस्कान के साथ राघव की मिन्नतों को इग्नोर कर दिया और राघव ने हसती हुई नेहा को देखा और उसके देखते ही नेहा ने अपना चेहरा सपाट कर लिया

राघव- बड़ी दादी से कहो के मुझे मेरा लैपटॉप अभी के अभी वापिस दे

राघव ने नेहा पर रौब झाड़ते हुए उसे अपनी मजा लेते देख इरिटेट होकर कहा

नेहा- ना.. मैं दादी जी की बात नहीं टाल सकती उन्हे अच्छे नहीं लगेगा ना

नेहा ने मासूम बनते हुए कहा और राघव सीरीअस चेहरे के साथ उसे देखने लगा

राघव- मेरे पेशंस को टेस्ट मत लो नेहा जो कहा है वो करो

कुमुद- राघव तुम उसे धमका रहे हो?

राघव – दादी मुझे मेरा लैपटॉप वापिस चाहिए

कुमुद- ना कहा ना, नेहा तुम जाओ बेटा ये अब कुछ नही करेगा

और दादी के कहते ही नेहा वहा से भाग ली

राघव- रुको ! दादी ये चीटिंग है

और आगे दादी की कोई बात बगैर सुने ही राघव वहा से निकल गया

राघव- तुम्हारी तो... नेहा मैंने कहा यहा आओ और दादी को लैपटॉप वापिस देने कहो

राघव ने नेहा के पीछे आते हुए कहा वही नेहा उससे दूर भाग रही थी

नेहा- नहीं!

राघव- नेहा.. देखो बात मानो जो कहा है करो

नेहा- कहा ना मैं उनसे कुछ भी नहीं कहने वाली

नेहा ने हसते हुए कहा और इनकी इस पकड़म पकड़ाई ने बाकी घरवालों का ध्यान इनकी ओर खिच लिया, घरवालों ने इन दोनों को कभी ऐसे बच्चो जैसे बर्ताव करते नहीं देखा था तो वो शॉक थे

मीनाक्षी- भाभी क्या हो रहा है ये?

मीनाक्षी जी ने जानकी से पूछा जो अपने बेटे बहु को खुले मुह के साथ देख रही थी

शुभंकर- ये सही मे राघव और नेहा है?

रमेश- ये क्या हमेशा ऐसे ही रहते है?

धनंजय- ना ऐसे तो नहीं रहते

उन दोनों को देख अपनी दादी गायत्री ने तो अपनी आंखे मल ली उनको तो यकीन ही नहीं हो रहा था और वही राघव और नेहा पूरे घर में इधर उधर दौड़ रहे थे उन्हे बाकी दुनिया की फिक्र ही नहीं थी

राघव- नेहा देखो मेरी बात मान लो वरना...

लेकिन नेहा ने उसकी एक बात नहीं सुनी और दौड़ते हुए पीछे वाली बगीचे की तरफ आई

नेहा- हॉ!! मैं तो आपसे डर गई

नेहा ने डरने वाले एक्सप्रेशन बनाए फिर हसते हुए कहा और उसे ऐसे हसता देख राघव के चेहरे पर भी मुस्कान आ गई ऐसी बड़ी सी स्माइल जिसे उसके चेहरे पर देखे घरवालों को अरसा हो गया था एकदम सच्ची

विवेक- ये सही मे भाभी है?

विवेक ने शेखर से पूछा जो उल्लू की तरह उन्हे ही देख रहा था जब वो पीछे की साइड आए थे

स्वाती- ये क्या कोई गेम खेल रहे है क्या?

स्वाती ने रिद्धि से पूछा जो अपनी पलके झपकते हुए इन सीन को पचाने की कोशिश कर रही थी

आकाश- राघव भाई? स्माइल करते हुए? ये सपना तो नहीं है ना?

लेकिन वहा एक ऐसा भी शक्स था जिसे इन दोनों की नजदीकिया पसंद नहीं आ रही थी, और वो थी रितु, साफ था उसे नेहा से जलन हो रही थी.... लेकिन क्यू...??
Nice fantastic update
 

dhparikh

Well-Known Member
9,140
10,640
173
Update 29



राघव पूरे घर मे नेहा को ढूंढते हुए घूम रहा था लेकिन वो उसे कही नहीं दिख रही थी

रमेश- राघव, कुछ चाहिए क्या बेटा?

राघव- नहीं मामा दादू वो बस ऐसे...

रमेश- नेहा को ढूंढ रहे हो?

राघव- नहीं वो तो मैं.. वो...

रमेश- वो मा के कमरे मे है

इतना बोल के रमेश जी वहा से राघव का कंधा थपथपाते हुए मुस्कुराकर निकल गए और राघव झट से बड़ी दादी के कमरे की ओर लपका और जब वो कमरे मे पहुचा तो वहा कोई नहीं था सिवाय नेहा को जो अलमारी मे कुछ सामान रख रही थी और राघव की तरफ उसकी पीठ थी

राघव ने कमरे का दरवाजा धीरे से बंद किया ताकि नेहा को उसके आने का पता ना चले और कोई आवाज ना हो लेकिन वो पुराने जमाने का दरवाजा आवाज करते हुए बंद हुआ और नेहा का ध्यान उसकी ओर आ गया

नेहा ने पलट कर देखा तो वहा राघव को पाया, उसने सपाट चेहरे से राघव को देखा फिर वापिस अपने काम मे लग गई वही राघव भी चुप चाप वहा खड़ा उसके फ्री होने की राह देखने लगा ताकि उससे बात कर सके

नेहा ने अलमारी से एक बेडशीट निकाली और थड़ की आवाज से अलमारी का दरवाजा बंद कर दिया

ये मुझे ऐसा क्यू लग रहा है उसने उस दरवाजे मे मुझे इमेजिन करके उसे पटका है’ राघव के मन मे खयाल आया

वही नेहा उसे इग्नोर करते हुए बेड की ओर बढ़ी और उसने एक झटके मे पुरानी चादर हटा दी और नई बेड शीट बिछाने लगी और जब उसका काम खतम हो गया तो वो दरवाजे की तरफ आई

राघव- सुनो..!

राघव ने उसे आवाज दी जिसे सुन कर वो रुकी और राघव की ओर मुड़ी

राघव- ये....

लेकिन बोलते बोलते राघव रुक गया जब उसने देखा के नेहा ने उसे वापिस इग्नोर कर दिया है और वो बेड की ओर जा रही है जैसे वो वहा हो ही ना

नेहा ने बेड पर से पुराने पिलो कवर उठाए और वापिस दरवाजे की तरफ जाने लगी और वो दरवाजा खोलने की वाली थी के राघव ने उसकी कलाई पकड़ के उसे रोक दिया

राघव- मैं कुछ कह रहा हु

नेहा- कहिए!

नेहा ने बोला लेकिन इस बार उसकी आवाज सपाट थी

राघव- तुम मुझे इग्नोर क्यू कर रही हो?

नेहा- मैं कहा इग्नोर कर रही हु? इग्नोर करने का ठेका तो आपने लिया हुआ है

राघव- ताना मार रही हो?

नेहा- मैं कौन होती हु ताना मारने वाली? वैसे भी मुझसे क्या फ़र्क पड़ता है

नेहा ने धीमे से कहा

राघव- हुह? क्या कहा जोर से बोलो

नेहा- जाना है मुझे जाने दीजिए

नेहा ने थोड़ा चिल्लाके कहा

राघव- अरे यार चिल्ला क्यू रही हो?

नेहा- क्युकी पागल हु मैं

नेहा ने राघव के हाथ से अपना हाथ छुड़ाते हुए कहा

राघव- हा वो मैं जानता हु लेकिन चिल्लाके बताने की क्या जरूरत थी बाकी लोग सुन लेते तो? और सोचो वो लोग मेरे बारे मे क्या सोचते

राघव ने नेहा को चिढ़ाते वापिस उसका हाथ पकड़ते हुए कहा जिसने नेहा का मूड और खराब कर दिया

नेहा- हा तो जाइए न फिर अपनी उस दोस्त के पास यहा मुझे मत तंग कीजिए वैसे भी लोग आप दोनों को साथ देख के खुश होंगे

नेहा ने वापिस चिल्लाते हुए अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश की लेकिन इस बार राघव ने उसका हाथ अच्छे से पकड़ हुआ था और उसने नेहा को अपनी तरफ खिचा जिससे वो उसके सीने से जा टकराई

राघव- नेहा, क्या हुआ है तुम्हे? ऐसे बिहेव क्यू कर रही हो?

नेहा- कुछ नहीं हुआ है मुझे

नेहा ने बगैर राघव से नजरे मिलाए उसके हाथों मे कसमसाते हुए कहा

राघव- चुप चाप खड़ी रहो

राघव ने नेहा को ऑर्डर देने की कोशिश की सिर्फ कोशिश

नेहा- मुझे जाना है बहुत काम है मुझे

राघव- ना! पहले बताओ क्या हुआ है

नेहा- कहा ना कुछ नहीं हुआ है और आप मेरे पास क्या कर रहे है आपकी वो स्पेशल दोस्त चली गई क्या

अब राघव के माजरा ध्यान मे आने लगा था

राघव- तुम, तुम कही रितु से जल तो नहीं रही हो?

नेहा- मैं... मैं क्यू जलने लगी मुझे कोई फरक नहीं पड़ता

नेहा ने अपनी नजरे इधर उधर घुमाते हुए कहा और उसे ऐसे करते देख राघव के चेहरे पर स्माइल आ गई

राघव- ये लो

राघव ने साड़ी का पैकेट उसकी ओर बढ़ाया

नेहा- ये क्या है

राघव- ये वो है जिसे तुम आकाश की सगाई मे पहनोगी

नेहा- मैंने अपने लिए साड़ी पसंद कर ली है ये जाकर उसे दीजिए जिसके लिए पसंद कर रहे थे

राघव- अरे पर ये तुम्हारे लिए है मैंने सिलेक्ट की है

नेहा- कहा ना मुझे नहीं चाहिए, गो टू हेल

नेहा ने राघव को धकेलते हुए कहा और राघव आगे कुछ कहता उससे पहले की उन्हे किसी के गला साफ करने की आवाज आई, दरवाजे पर बड़ी दादी खड़ी थी और शरारती मुस्कान से उन्हे देख रही थी

कुमुद- तुम लोगों को तुम्हारा रूम दिया है ना फिर मेरे कमरे मे रोमांस क्यू ?

बड़ी दादी की बात सुन दोनों उन्हे चौक के देखने लगे

नेहा- न.. नहीं दादी आप सोच रही है वैसा कुछ नहीं है

कुमुद- फिर कैसा है? दोनों ऐसे चिपक के खड़े हो ये रोमांस नहीं तो लड़ने का नया तरीका है क्या?

और अब इसमे नेहा कुछ कहती इससे पहले ही राघव बोला

राघव- देखो ना दादी ये आपकी बहु मुझे टाइम ही नहीं देती है

राघव मासूम बनते हुए बोला और उसकी बात पर नेहा उसे शॉक होकर देखने लगी

‘ये आज नाश्ते मे कुछ गलत खा लिए थे क्या जो ऐसी बाते कर रहे’ नेहा ने सोचा

कुमुद- ये सब क्या है नेहा यहा पहले ही दिन मुझे शिकायाते मिल रही है

राघव- हा हा बताओ अब दादी को

राघव अब नेहा को छेड़ने के पूरे मूड मे था लेकिन वो भी कम नहीं थी

बड़ा भोला बन रहे है ना अभी बताती हु इनको’ नेहा ने रघाव को देखते हुए सोचा फिर स्लाइम के साथ बड़ी दादी से बोली

नेहा- देखिए ना दादी ये आकाश की सगाई के लिए मुझे साड़ी नहीं दिला रहे है कहते है कोई जरूरत नहीं है

कुमुद- क्या...!

राघव- हैं?

दादी और राघव के मुह से ये एकसाथ निकला और अब दादी ने अपना मोर्चा राघव की तरफ बढ़ाया

कुमुद- ये मैं क्या सुन रही हु राघव?

राघव- अरे दादी नहीं ये झूठ बोल थी है मैंने ऐसा कब कहा??

राघव ने नेहा को देखते हुए कहा

नेहा- मैंने तो एक साड़ी पसंद भी की थी लेकिन इन्होंने लेने नहीं दी

नेहा अपने झूठे आँसू पोंछते हुए बोली और राघव के हाथ मे पकड़ा साड़ी का पैकेट दिखाया

राघव- क्या??

राघव मुह फाड़े नेहा को देख रहा था के वो कितनी सफाई से झूठ बोल रही थी

कुमुद- राघव क्या है ये सब? ये कोई तरीका है क्या और तुम होते कौन हो उसे साड़ी लेने से रोकने वाले अभी के अभी उसे वो साड़ी दो

राघव- लेकिन दादी....

कुमुद- मैंने कहा ना

राघव ने आँखों के कोने से नेहा को देखा जो उसे दादी से डांट खाता देख मजे ले रही थी वो कुछ पुटपुटाया और वो पैकेट उसने उसे दे दिया

नेहा- दादी जी ये तो यहा से जल्दी जाने का भी कह रहे थे ताकि वापिस काम पर जा सके, अब मैं तो यहा पहली बार आई हु मुझे और कुछ दिन रहना है , कहते है मैं इन्हे टाइम नहीं देती और खुद सारा दिन लैपटॉप लिए रहते है फिर आप बताओ मैं कैसे इनके साथ टाइम बिताऊ, ये तो यहा भी अपना लैपटॉप लाए है ताकि दिन रात काम कर सके

नेहा ने मासूम बनते हुए राघव की शिकायाते की

राघव नेहा को ‘अब तो तुम गई’ वाले लुक से घूरे जा रहा था लेकिन नेहा को कहा फरक पड़ना था

कुमुद- मैं ये क्या सुन रही हु राघव, परेशान हो गई हु तुमसे उसकी तो शिकायत कर दी तुमने और तुम्हारा क्या? नेहा बेटा जाओ और इसका लैपटॉप लाकर दो मुझे अब इसे 1 हफ्ते तक लैपटॉप नहीं मिलेगा।

बस दादी की ये लाइन राघव को शॉक देने काफी थी वो अपनी जगह पर जम गया

राघव- नहीं... नहीं दादी आप ऐसा नहीं करोगी, अरे मैं तो मजाक कर रहा था के ये टाइम नहीं देती आप मेरा लैपटॉप नहीं ले सकती

लेकिन दादी ने राघव के शब्दों को इग्नोर कर दिया

कुमुद- नेहा जाओ इसका लैपटॉप लेकर आओ

राघव- नहीं!!!!

कुमुद- जाओ नेहा, मैं भी देखती हु ये आदमी अब एक हफ्ता काम कैसे करता है

राघव- एक हफ्ता!!! नहीं!!! ऐसा नहीं करोगी आप!! नेहा खबरदार जो मेरे लैपटॉप को हाथ लगाया तो पछताओगी मैं कह रहा हु

राघव ने नेहा की ओर बढ़ते हुए कहा लेकिन दादी ने रोक दिया उसे

कुमुद- ओ राघव देशपांडे खबरदार अगर मेरी बहु को कुछ कहा तो तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा, नेहा मैं कह रही हु न तुम जाओ

और नेहा मुंडी हिलाते हुए वहा से चली गई, हालांकि उसे भी समझ आ गया था के फ़्लो फ़्लो मे वो ज्यादा बोल गई थी लेकिन इससे अब जो ड्रामा होगा उसमे मजा भी बड़ा आने वाला था और यही तो चांस था राघव को उसके लैपटॉप से दूर करने का और अपनी सौतन लैपटॉप को हटाने का ये मौका नेहा कहा छोड़ने वाली थी

जब नेहा लैपटॉप लेने गई तो राघव भी उसके पीछे जाने लगा लेकिन दादी ने रोक दिया उसे और द ग्रेट राघव देशपांडे अपने लैपटॉप को बचाने अपनी दादी ने मिन्नते करने लगा लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ इतने मे नेहा उसका लैपटॉप ले आई और राघव उसे खुले मुह से देखने लगा

राघव- नेहा मैं कह रहा हु रुक जाओ

राघव लैपटॉप छीनने नेहा की ओर लपका लेकिन नेहा उससे ज्यादा तेज थी उसने उसके अपने पास आने से पहले ही लैपटॉप दादी के हाथ मे पकड़ा दिया

राघव- दादी, दादी लैपटॉप वापिस दे दो प्लीज, मैं.... मैं वादा करता हु बिल्कुल ज्यादा काम नहीं करूंगा और 1 हफ्ते से पहले तो यहां से हिलूँगा भी नहीं पक्का वादा

राघव बड़ी दादी के सामने करीब करीब गिड़गिड़ा रहा था वही उसकी हालत देख नेहा मंद मंद हस रही थी

कुमुद- ना अब तो ये तुम्हें मिलने से रहा! अब तुम्हें ये लैपटॉप तब ही मिलेगा जब नेहा मुझसे कहेगी

दादी ने शरारती मुस्कान के साथ राघव की मिन्नतों को इग्नोर कर दिया और राघव ने हसती हुई नेहा को देखा और उसके देखते ही नेहा ने अपना चेहरा सपाट कर लिया

राघव- बड़ी दादी से कहो के मुझे मेरा लैपटॉप अभी के अभी वापिस दे

राघव ने नेहा पर रौब झाड़ते हुए उसे अपनी मजा लेते देख इरिटेट होकर कहा

नेहा- ना.. मैं दादी जी की बात नहीं टाल सकती उन्हे अच्छे नहीं लगेगा ना

नेहा ने मासूम बनते हुए कहा और राघव सीरीअस चेहरे के साथ उसे देखने लगा

राघव- मेरे पेशंस को टेस्ट मत लो नेहा जो कहा है वो करो

कुमुद- राघव तुम उसे धमका रहे हो?

राघव – दादी मुझे मेरा लैपटॉप वापिस चाहिए

कुमुद- ना कहा ना, नेहा तुम जाओ बेटा ये अब कुछ नही करेगा

और दादी के कहते ही नेहा वहा से भाग ली

राघव- रुको ! दादी ये चीटिंग है

और आगे दादी की कोई बात बगैर सुने ही राघव वहा से निकल गया

राघव- तुम्हारी तो... नेहा मैंने कहा यहा आओ और दादी को लैपटॉप वापिस देने कहो

राघव ने नेहा के पीछे आते हुए कहा वही नेहा उससे दूर भाग रही थी

नेहा- नहीं!

राघव- नेहा.. देखो बात मानो जो कहा है करो

नेहा- कहा ना मैं उनसे कुछ भी नहीं कहने वाली

नेहा ने हसते हुए कहा और इनकी इस पकड़म पकड़ाई ने बाकी घरवालों का ध्यान इनकी ओर खिच लिया, घरवालों ने इन दोनों को कभी ऐसे बच्चो जैसे बर्ताव करते नहीं देखा था तो वो शॉक थे

मीनाक्षी- भाभी क्या हो रहा है ये?

मीनाक्षी जी ने जानकी से पूछा जो अपने बेटे बहु को खुले मुह के साथ देख रही थी

शुभंकर- ये सही मे राघव और नेहा है?

रमेश- ये क्या हमेशा ऐसे ही रहते है?

धनंजय- ना ऐसे तो नहीं रहते

उन दोनों को देख अपनी दादी गायत्री ने तो अपनी आंखे मल ली उनको तो यकीन ही नहीं हो रहा था और वही राघव और नेहा पूरे घर में इधर उधर दौड़ रहे थे उन्हे बाकी दुनिया की फिक्र ही नहीं थी

राघव- नेहा देखो मेरी बात मान लो वरना...

लेकिन नेहा ने उसकी एक बात नहीं सुनी और दौड़ते हुए पीछे वाली बगीचे की तरफ आई

नेहा- हॉ!! मैं तो आपसे डर गई

नेहा ने डरने वाले एक्सप्रेशन बनाए फिर हसते हुए कहा और उसे ऐसे हसता देख राघव के चेहरे पर भी मुस्कान आ गई ऐसी बड़ी सी स्माइल जिसे उसके चेहरे पर देखे घरवालों को अरसा हो गया था एकदम सच्ची

विवेक- ये सही मे भाभी है?

विवेक ने शेखर से पूछा जो उल्लू की तरह उन्हे ही देख रहा था जब वो पीछे की साइड आए थे

स्वाती- ये क्या कोई गेम खेल रहे है क्या?

स्वाती ने रिद्धि से पूछा जो अपनी पलके झपकते हुए इन सीन को पचाने की कोशिश कर रही थी

आकाश- राघव भाई? स्माइल करते हुए? ये सपना तो नहीं है ना?

लेकिन वहा एक ऐसा भी शक्स था जिसे इन दोनों की नजदीकिया पसंद नहीं आ रही थी, और वो थी रितु, साफ था उसे नेहा से जलन हो रही थी.... लेकिन क्यू...??
Nice update....
 
101
294
63
Update 21



Hello guys Raghav this side ये थोड़ा आपलोगों को अनयूशूअल लग रहा होगा बट इस राइटर ने मुझे ही विलन बना दिया है, अब वो पूरा गलत भी नहीं है ना ही आप लोग गलत हो और ना ही ये सब मेरी इमेज सुधारने के लिए है बस मुझे अपना पॉइंट ऑफ व्यू आप के सामने रखना था इसीलिए तो थर्ड पर्सन की नजरों से निकल कर सीधा यहा बैठा हु और हा हु मैं थोड़ा चूतिया नहीं समझता मुझे कुछ भी, नहीं संभाले जाते रिश्ते है अब ऐसा हु तो हु...

मेरी लाइफ एकदम से बदल गई थी, सबकुछ सही जा रहा था इस शादी के पहले सब एकदम लाइन पर था लेकिन फिर दादू ने इस रिश्ते की बात कर दी तब से सब बदल गया, मेरा शेड्यूल, मेरा बिहेवियर, मेरा मेरी फॅमिली से बॉन्ड और सबसे ज्यादा मैं...

हालांकि ये सब पहली बार था ऐसा नही है मुझे पहले भी अपने आप को बदलना पड़ा था लेकिन अब मुझे वैसे जीने की आदत हो चुकी थी और फिर दादू ने शादी की बात कर दी

ऐसा नहीं है के मैं उससे नफरत करता हु बस ये था के मुझे शादी ही नहीं करनी थी ना तो नेहा से न किसी और से क्युकी मैं जानता था के मैं उसे वो प्यार वो केयर नहीं दे पाऊँगा जो वो डिजर्व करती है। नहीं होगा मुझसे चाहे कितनी ही कोशिश कर लू, नजाने मुझसे इस शादी के लिए ना क्यू नहीं कहा गया शायद मैँ अपने घरवालों को नाराज नहीं करना चाहता था लेकिन इस सब मे मुझसे सबसे बड़ी गलती ये हुई के मैंने नेहा का इसमे दिल दुखया है, शायद मैं उससे बात कर लेता तो हम दोनों ही इस सबसे बच सकते थे लेकिन अब मामला काफी आगे बढ़ चुका है इसीलिए मैंने बस अपनी जिम्मेदारिया निभाने का सोचा लेकिन मैं उसमे भी फेल हो गया

मेरे अतीत का असर मेरे वर्तमान पर बहुत बुरी तरफ छाया हुआ है, कुछ ऐसी बाते है जिन्हे मैं किसी को नहीं बता सकता बस उस घटना के बाद मुझे लोगों पर भरोसा करने मे तालमेल बिठाने मे थोड़ा वक्त लगता है I’m not able to get along with people, और इसीलिए अब मेरे ज्यादा दोस्त भी नहीं है जो थे उनसे मैंने ही कान्टैक्ट काम कर दिया बस एक विशाल ही है जो सब जानता है

हा मैं इस शादी से भाग रहा था मैं दूर चले जान चाहता था सबसे इसीलिए तो मैंने शादी की रस्मे होते ही बिजनस ट्रिप का बहाना बना दिया था, मैंने जान बुझ कर अपने pa से कह कर ट्रिप फिक्स कारवाई थी और विशाल के पास चला गया था

मैंने नेहा से ज्यादा बात करने की कोशिश भी नहीं की और न ही उसने, मैं वापिस से बैच्लर जैसा महसूस करने लगा था क्युकी मैंने उसके साथ एक पूरा दिन कभी बिताया ही नहीं था मैं तो उन दो महीनों मे भूल भी गया था के मेरी शादी हो चुकी है जब तक मॉम और डैड का मुझे कॉल नहीं आया

उन्होंने मुझसे मेरा हाल चाल तो पूछा ही साथ ही मुझसे ये भी पूछा के मैं नेहा से रोज बात कर रहा हु या नहीं और तब जो मुझे पता चल उसने मुझे चौका दिया मैं कुछ कहता इससे पहले ही मा ने मुझे बताया के नेहा से उन्हे कहा था के हमारी रोज बात होती है

ये मोमेंट मेरे लिए ट्रिगरींग पॉइंट की तरह था, उस समय विशाल मेरे साथ था और वो मुझे समझाने की पूरी कोशिश मे लगा रहता था लेकिन मैं उसकी एक नहीं सुनता था लेकिन मा से बात होने के बाद और विशाल से इस बारे मे बात करने के बाद मैंने बहुत सोचा तो घर लौटा लेकिन मैं नेहा से बातचित कर ही नहीं पाता था, मैं चाहता था के वो पहले आकार मुझसे बात करे औरे ये मेरे ऐरगन्ट नेचर की वजह से नही है बल्कि मुझमें इतनी हिम्मत नहीं थी के मैं खुद उससे नजरे मिला कर बात करू अब इस बात पर मुझे वापिस चूतिया, या जो भी कहना हो कह लो बट जो है सो ये है

मैंने नेहा की कोशिशे देखि है उसने इस रिश्ते को सुधारने का बहुत ट्राय किया है और जब मुझे लगता के अब मामला थोड़ा सही हो सकता है वो पीछे हट जाती और सारी कहानी वापिस वही आ जाती जहा से शुरू हुई थी


उसका मेरे लिए देर रात तक इंतजार कर मुझे पसंद नही था इसीलिए जब मैंने उसे पहली बार मेरे इंतजार मे जागता देखा मैंने उससे कहा था के मुझे उसकी मदद की कोई जरूरत नहीं है वो ये सब ना करे अब इसमे मैं रूड नही बनना चाहता था लेकिन मेरी आवाज ने धोका दे दिया और मैंने वो बात थोड़ी कडक आवाज मे कह दी बस उसके बाद से नेहा रुक गई और अपने काम से काम रखने लगी

अपनी बिजनस ट्रिप से लौट कर उन 3 महीनों मे मैंने बस काम किया है और ऑफिस में बैठ कर उससे बात कर पाने की हिम्मत जुटाई है, मैं हमेशा उसके बारे मे सबसे सुनता था जब भी दादू शेखर डैड विवेक रिद्धि मा चाची चाचा उसके बारे मे बात करते मैंने वो सब बड़े ध्यान से सुना है लेकिन कभी नोटिस नहीं होने दिया

मुझे ये भी पता है के दादी उसे मेरी वजह से बहुत कुछ कहती है और सच कहू तो इसका मुझे बहुत बुरा लगा था लेकिन दादी गलत नहीं है उन्हे बस मेरी ज्यादा चिंता है

दादी को दादू का मुझे इस तरह शादी के लिए मनाना पसंद नहीं आया था लेकिन दादू अपनी बात पर अडिग थे के नेहा ही मेरे लिए परफेक्ट है तब दादी ने भी माना के अगर दादू इतना कह रहे है तो इसके पीछे जरूर कोई रीज़न होगा

और फिर शेखर की शादी हुई जिसमे मैं मौजूद नहीं था, अपने ही भाई की वो भाई को मेरे सबसे चहेता था उसी की शादी मे मैं नहीं था जिसका मुझे काफी ज्यादा रिग्रेट है बट मैं उसमे कुछ नहीं कर सकता, नेहा ने सोचा के मैं उसकी वजह से शेखर की शादी मे नहीं था मैं उसे अवॉइड कर रहा था लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है यहां वो गलत है, शेखर ने अपना मास्टर्स वही से पूरा किया है जहा से मैंने किया था जब मैं फाइनल इयर मे था वो फर्स्ट ईयर मे और अपने स्वभाव की वजह से वो अपने बैच मे तो था ही बल्कि सीनियर्स मे भी पोपुलर था और मैं जानता था वो अपने दोस्तों को जरूर बुलाएगा जिसमे मेरे अतीत से जुड़े कुछ लोग भी थे और मैं उनका सामना नहीं करना चाहता था इसीलिए मैं शेखर की शादी से दूर था

उसकी शादी के बाद जब दादू और मेरी बात चीत हुई जिसमे बस वो बोल रहे थे तब मुझे ये सब समझ आया

उस दिन दादू ने मुझे बहुत कुछ बताया और मैं अपनी गलती मानता हु मेरी वजह से नेहा ने बहुत कुछ सहा है बहुत कुछ सुना है मेरी ही वजह से वो ऐसे रह रही थी उसकी तो इस सब मे कोई गलती नहीं है मेरे अतीत से उसका कोई लेना देना नहीं है जबकि उसकी सजा वो भुगत रही थी और फिर आया उसका बर्थडे

भाई यार इस लड़की को अपना बर्थडे मनाना तक पसंद नहीं और जब उससे पूछा तो उसने मुझे ही और गिल्ट मे डाल दिया पहले से क्या कम गिल्ट है मेरी जिंदगी मे, वो कुछ तो छुपा रही थी और मैं वो जानना चाहता था लेकिन मुझसे ज्यादा फोर्स नहीं किया गया

दादू की बात सुन मैं हमारे रिश्ते को एक मौका देना चाहता था वरना अपनी इनसिक्योरिटीज के चलते मैंने इस रिश्ते से उम्मीद छोड़ दी थी और तब नेहा ने कह दिया के उसे मेरी रिस्पांसिबिलिटी बनके नहीं रहना है

वो अपनी जगह बिल्कुल सही थी उसकी जगह मैं होता तो मुझे भी यही लगता किसी पर बर्डन बनना कीसे पसंद होगा फिर भी उसमे कमाल की सहनशक्ति है मेरा सब्र का बांध अब तक टूट चुका होता

मैं हम दोनों को चांस देना चाहता हु बस मैं इनसिक्योर हु और रीज़न मैं बता नहीं सकता

आजकल पता नहीं क्या हो रहा है मुझे जब भी उसे इग्नोर करना चाहता हु मैं उसकी ओर और भी खिचा जा रहा हु, मैं उससे बात करना चाहता हु उसकी बात सुनना चाहता हु उसके बारे मे सब जानना चाहता हु

मैं चाहता हु वो मेरे करीब आए मैं उसे नहीं रोकूँगा, मैं चाहता हु वो हमेशा मेरे साथ रहे बस मैं उससे ये कह नहीं पाता हु

क्या हो अगर वो मुझे छोड़ के चली जाए?? मैं किसी को ये बात महसूस नहीं होने देता हु मैं वैसे तो बाद गुस्से वाला हु लेकिन दूसरों के लिए हा कई बार वो गुस्सा अपनों पर निकल जाता है लेकिन मैं बहुत ज्यादा डरपोक इंसान हु

मुझसे हिम्मत नहीं है इसीलिए तो मैं चाहता हु नेहा मुझसे उम्मीद ना छोड़े कोशिश करती रहे ताकि मैं उसके करीब जा पाउ धीरे धीरे अपने डर को पीछे छोड़ के अब इस बात और आप मुझे स्वार्थी कह सकते है

वो मेरे अतीत के बारे मे कुछ नहीं जानती है मैंने उससे कभी बात ही नहीं की है फिर भी मैं उससे उम्मीदें लगाये हु

अब ये कहना बिल्कुल ही झूठ होगा के मैं उसे पसंद नहीं करता हु, मैं उसे पसंद करने लगा हु

मैंने उसे जब भी देखा है मुसकुराते हुए देखा है लेकिन मैं ये भी जानता हु के वो मुस्कान झूठी है, मुझे भी चिंता है उसकी बस मुझे जताना नहीं आता, जब वो ऑफिस से रोते हुए घर गई थी मुझे कैसा फ़ील हो रहा था मैं नहीं बता सकता, मैं उसे तकलीफ नहीं देना चाहता था वो अनजाने मे हुआ था और उसके बाद शेखर मुझपर भड़क गया और फिर विशाल तो था ही, और सच कहूं तो मैं शेखर और विशाल का गुस्सा डिजर्व करता था मेरी गलती थी मुझे नेहा को रोकना चाहिए था लेकिन मैं विशाल के साथ बैठ रहा

मैं बात भले विशाल के साथ कर रहा था लेकिन मेरे ज़ेहन मे बस नेहा थी उसका रोता हुआ चेहरा था

मुझे लगा था के अब सब वापिस पहले जैसा हो जाएगा वही लाइफ मेरा उससे बात करने की हिम्मत ना होना उसे इग्नोर करना और उसका अपनी कोशिश से पीछे हटना,

विशाल की कही बाते भी मेरे दिमाग मे चल रही थी दोस्ती करने वाले आइडिया मे दम था लेकिन जब मैं घर पहुचा मैं नेहा के बिहेवियर से शॉक था वो ऐसे बता रही थी जैसे हम दोनों कोई परफेक्ट कपल हो और ऑफिस मे कुछ हुआ ही ना हो और फिर वो मोमेंट जब उसने मुझे उसकी राह देखते पकड़ा मेरा उलट फोन सीधा करके मुझे पकड़ाया

उसके बाद रूम मे हमारा एक ही बेड पर सोना उससे भी ज्यादा उसका मुझे पीछे से चिपकना मेरे पास उस फीलिंग को बताने के लिए शब्द ही नहीं है मैंने उसे रोका नहीं क्युकी कही न कही मैं भी यही चाहता था, उसका साथ...

फिर अगली सुबह उसका यू करीब आना और उसकी वो मुस्कान मेरे साथ होते हुए मैंने उसे पहली बार मुसकुराते हुए देखा था वो मुस्कान किसी का भी दिन बनाने के लिए काफी थी

उसके बाद उसका मुझे लंच बॉक्स देना, मुझे नही पता के वो किस बारे मे बात कर रही थी बट जितना मैंने समझा मैंने उसके माथे को चूम लिया उसका रिएक्शन देख मैं इतना तो समझ गया हु के मेरा उसपर असर तो होता है, उस समय वो इतनी क्यूट लग रही थी मन किया उसके गाल खिच लू लेकिन मेरे जैसे इंसान से ऐसा एक्शन उसे शायद डरा देता

अब मैं हम दोनों को एक मौका देना चाहता हु पूरे दिल से, मैं नहीं जानता के मैं इस रिश्ते को निभा पाऊँगा भी या नहीं लेकिन मैं पूरी कोशिश करूंगा के नेहा को कोई तकलीफ ना हो, वो पहले ही मेरी वजह से बहुत सह चुकी है

बस मैं इतना चाहता हु के वो मुझपर थोड़ा भरोसा करे मैं चाहता हु वो मेरी जिंदगी मे रहे मैं उसके साथ रहने की पूरी पूरी कोशिश करूंगा मुझे बस उसका सपोर्ट और थोड़ा पैशन्स चाहिए मुझे बस अपने आप को उसके लिए तयार करने के लिए थोड़ा वक्त चाहिए,

मैं कोई दूध का धुला इंसान नहीं हु मैंने बहुत गलतिया की है और सबसे बड़ी गलती तो ये है के मैंने पिछले 5 महीनों मे अपनी नई नवेली पत्नी को पूरी तरह इग्नोर किया है और इसे मैं बदल नहीं सकता, मैं तो इसकी माफी भी नहीं मांग सकता क्युकी इसकी माफी ही नहीं है लेकिन मैं अब इतनी कोशिश तो कर ही सकता हु के अब आगे से ऐसा ना हो और ये मैं करूंगा... अब कोई चाहे मुझे गधा कहे डरपोक कहे चूतिया कहे लेकिन जो है वो है और अब मैं नेहा को तो मुझसे दूर नही जाने देने वाला.....


क्रमश:
Very nyc stori dear
 
101
294
63
Update 22



इस वक्त शाम के 5 बज रहे थे और राघव अपने ऑफिस मे बैठा विशाल से फोन पर बात कर रहा था वही विशाल उसकी बातों से परेशान हो गया था, एक तो वो कुछ घंटों पहले ही लंदन पहुचा था और काफी ज्यादा थका हुआ था ऊपर से जेटलैग, उसे काफी ज्यादा नींद आ रही थी और राघव उसे फोन पर अपने और नेहा के बीच हुई कल वाली पूरी बात सुना रहा था

विशाल- चलो अच्छा है तुम दोनों मे से किसी को तो अक्ल आई कोई तो पहल कर रहा

राघव- अबे वो तो ठीक है पर मुझे क्या लगता है भाई वो ना मेरे मन की बात सुन लेती है, उसने तो मेरे बगैर बोले ही वो दोस्ती वाला प्लान फेल कर दिया

विशाल- जब आदमी प्यार मे होता है तो ऐसा होता है दूसरे के मन की बात सुनाई देती है तू मुन्ना भाई एमबीबीएस नहीं देखा क्या ज्यादा मत सोच जो हो रहा है होने दो

राघव- मैं भी तो यही चाहता हु लेकिन साला जब भी उसके करीब जाने की कोशिश करता हु मेरा पास्ट मुझे रोक देता है डरता हु कही वो.... मैं दोबारा उस सब से नहीं गुजरना चाहता भाई.... तेरे को पता है मैं शेखर की शादी मे भी नहीं था ऐसा नहीं था के मैं उससे भाग रहा था लेकिन वहा भी मेरा पास्ट बीच मे आया था, पर अब बस बहुत हो गई भागा दौड़ी अब मुझे उसके साथ रहना है, पसंद करने लगा हु मैं उसे और चाहे कुछ हो जाए मैं उसका साथ नहीं छोड़ने वाला और मैं जानता हु के वो भी अब पीछे नहीं हटेगी।

विशाल- शाबाश! अब मजनू साहब आपका ये इजहार ए इश्क अपनी बीवी के सामने जाकर करिए और मुझे सोने दीजिए

राघव- हा हा पता है थका हुआ है तू जा सोजा मुझे भी घर जल्दी जाना

--x--x--

अगले दिन पूरे देशपांडे वाडे में हलचल थी सुबह से ही पूजा की धूम सारे घर मे देखि जा सकती थी और गायत्री जी खुद सारे काम को देख रही थी।

गायत्री- अरे वो फूल यहा नहीं वहा लगाने है

दादी ने एक वर्कर से कहा जो गलत जगह फूल लगा रहा था

गायत्री- ये धनंजय कहा है? रमाकांत तुम जाओ और जाकर पंडित जी को ले आओ सिर्फ ड्राइवर को भेजना सही नहीं लगेगा

इतने मे धनंजय जी वहा आ गए

गायत्री- धनंजय तुमने प्रसाद के लिए मिठाई मँगवा ली थी न?

धनंजय- हा मा मैं बस वही कॉल करके पूछ रहा हु

गायत्री- हे भगवान अब तक क्या कर रहे थे फिर तुम, जाओ जल्दी देखो मेहमान आते होंगे

घर मे अगर कोई फंक्शन हो तो गायत्री जी को वो हमेशा परफेक्ट चाहिए होता है बस इसीलिए वो सारे कामों को खुद देख रही थी

गायत्री- जानकी श्वेता भगवान के भोग का प्रसाद बन गया?

दादी ने किचन मे आते हुए पूछा

जानकी- हा माजी बस हो ही गया है

इतने मे दादी ने देखा के दादू धीमे से किचन मे घुस रहे है और वो बस प्रसाद को छूने की वाले है के

गायत्री- आप यहा क्या कर रहे है? अरे भगवान को भोग तो लगने दीजिए अब बच्चे थोड़ी हो आप बुढ़ापे मे ऐसी हरकते शोब देती है क्या

दादी वही अपनी बहुओ के सामने दादू की क्लास लेने लगी और फिर उन्होंने पीछे पलट के देखा तो विवेक और रिद्धि वहा खड़े हस रहे थे तो उनकी भी क्लास लग गई

गायत्री – तुम दोनों वहा क्या हस रहे हो तुमको कुछ काम बताए थे न मैंने वो हो गए ?

“बस वही कर रहे है दादी बाय” दोनों ने एकसाथ कहा और सटक गए वहा से क्युकी रुक कर दादी की डांट थोड़ी खानी थी उन्हे

गायत्री- नेहा...!!!

नेहा- जी दादी

गायत्री- बेटा तुम्हारा बस एक काम है, तुम अभी ऊपर जाओ और तुम्हारे पती को नीचे लेकर आओ, बस यही सबसे मुश्किल काम तुम्हारे जिम्मे है

नेहा- जी दादी जी मैं बस उन्हे बुलाने जा ही रही थी

गायत्री- मीनाक्षी तुम मेरे साथ आओ मंदिर के पास कुछ काम बचा है

इतना बोल कर वो वहा से चली गई
-----

नेहा मुस्कुराते हुए सीढ़िया चढ़ कर अपने कमरे तक आई और उसने बगैर नॉक किए दरवाजा खोल दीया और जैसे ही दरवाजा खुला और उसकी नजर राघव पर पड़ी वो हल्की सी बस हल्की की आवाज मे चीखी

नेहा- आपके नीचे का कहा है..!!!!

नेहा अपने आंखे बड़ी करके चीखी और झट से मूड गई क्यू? क्युकी राघव वह बस अपना कुर्ता पहने खड़ा था और बस कुर्ता ही उसने पहन रखा तथा और पजामा उसके हाथ मे था

‘क्या करू मैं इनका कभी ऊपर का नहीं कभी नीचे का नहीं’ नेहा ने मन ही मन सोचा

वही नेहा को देख के राघव को भी अपनी सिचूऐशन का अंदाजा हो गया

राघव- तुम... तुम दरवाजा नॉक नहीं कर सकती क्या?

राघव ने चिल्ला के पूछा बदले मे नेहा ने भी सेम टोन मे जवाब दिया

नेहा- आप दरवाजा लॉक नहीं कर सकते क्या?

और नेहा के चिल्लाते ही राघव का सारा रौब हवा हो गया

नेहा- मुझे.. मुझे नहीं पता था आप ऐसे नंग... ऐसे होंगे.. जाती हु मैं

और नेहा वहा से जाने ही वाली थी के इतने मे ही

राघव- रुको!

राघव ने नेहा को रोका और वो रुक गई जिसके बाद राघव आगे बोला

राघव- देखो मैं जानता हु के ये तुम्हारे लिए नया है लेकिन मैं भी सेम फ़ील कर रहा हु

राघव जो कुछ कह रहा था नेहा सुन रही थी लेकिन वो पलटी नहीं

राघव- मैंने ये कभी किया नहीं है इसीलिए कोशिश करके देख रहा था पर अकेले नहीं हो पा रहा मुझसे...

अब राघव को जो कहना था वो तो उसने कह दिया लेकिन नेहा के दिमाग के घोड़े दौड़ने लगे और उसके दिमाग मे अलग अलग चित्र विचित्र खयाल आने लगे

नेहा- ये.. ये क्या कह रहे है आप..

राघव- मेरी मदद कर दो यार मैं किसी से नहीं कहूँगा प्रामिस

नेहा- मैं... मैं कैसे आपकी मदद कर सकती हु?

नेहा अब नर्वस होने लगी थी

राघव- अरे यार परेशान हो गया हु मैं और बस एक तुम ही हो जो मेरी मदद कर सकती हो आखिर तुम मेरी पत्नी हो

बस राघव का इतना कहना था के नेहा की आंखे चौड़ी हो गई

नेहा- ये... ये कैसी.. बाते कर रहे है आप

राघव- कैसी मतलब? अरे यार देखो मैं जानता हु ये थोड़ा ऑक्वर्ड है पर आदत हो जाएगी और तुम मुझे सीखा देना कैसे करना है

अब राघव कुछ और कह रहा था लेकिन नेहा के दिमाग मे उसके शब्द कोई और ही फिल्म बना रहे थे

नेहा- देखिए... ये सही नहीं है

राघव- अरे सब सही है कुछ गलत नहीं है अच्छा एक काम करो दरवाजा लॉक कर दो ताकि कोइ देख ना सके

नेहा- बस! बहुत हुआ! आप ऐसे डायरेक्ट कैसे कह सकते है आपको शर्म नहीं आई ये कहते !

राघव- हह? अबे नाड़ा डलवाने मे कैसी शर्म??

अब नेहा के दिमाग की बत्ती जली

नेहा- नाड़ा? ओह आप नाड़े की बात कर रहे थे ?

नेहा ने एक नर्वस स्माइल के साथ पूछा

राघव- हा और नहीं तो क्या..

और नेहा के बिहेवियर पर राघव अब भी कन्फ्यूज़ था और जैसे ही उसके दिमाग की बत्ती जाली और उसको पूरा सीन ध्यान मे आया वैसे ही उसकी आंखे बड़ी हो गई

राघव- अबे पागल औरत तुम्हारा दिमाग कहा तक पहुच गया यार!!!

वही नेहा भी काफी ज्यादा शर्मिंदा थी, उसने दरवाजा बंद किया और उसके पास आई और उसके हाथ से नाड़ा लेकर पजामे मे डालने लगी

वही राघव उसकी तरफ देख भी नहीं रहा था, नेहा ने जल्दी से पजामा राघव को दिया और बोली

नेहा- सब लोग आपका नीचे इंतजार कर रहे है जल्दी आइए

और इतना बोल के नेहा जल्दी से वहा से निकल गई वही राघव बस उसे जाते हुए देखता रहा

इसने अपने दिमाग के घोड़े कहा तक दौड़ा लिए थे यार’ राघव ने सोचा और अपना सर झटक दिया
---

गायत्री- जानकी जाओ और वो फलों की टोकरी ले आओ जो मैंने कहा था तुमसे, आज राघव और नेहा बैठेंगे पूजा मे..

गायत्री जी की बात सुन जानकी जी ने अपना सर हा मे हिलाया इतने मे राघव वहा आ गया

गायत्री- राघव जल्दी जाओ और वहा जाकर बैठो, इतना समय लगाता है क्या कोई? नेहा तुम भी जाओ उसके साथ

दादी की बात सुन राघव झट से जाकर दादी की बताई जगह पर बैठ गया, राघव और नेहा दोनों ने एकदूसरे को देखा लेकिन फिर शर्म से अपनी नजरे घूम ली, नेहा के गाल गाल होने लगे थे और उसके चेहरे पर पसीने की बूंदे जमी हुई थी

विवेक- भाभी क्या हुआ? तबीयत ठीक है आपकी?

विवेक को नेहा के बाजू मे बैठा था उसने पूछा बदले मे नेहा ने बस मुंडी हिला कर सब सही है कहा

विवेक- तो फिर आपको इतना पसीना क्यू आ रहा है?

नेहा- वो... वो गर्मी.. हा गर्मी बहुत हो रही ना यहा इसीलिए

नेहा ने जैसे तैसे जवाब दिया और अपने हाथ से हवा करने लगी वही विवेक उसे घूर के देखने लगा और फिर उसने राघव को देखा और इशारे को क्या हुआ पूछा, वही विवेक के सवाल बंद हो गए है देख नेहा ने एक राहत की सास ली और तभी उसे ऐसा लगा किसी ने उसके हाथ को झटके के खिचा हो, उसने देखा के किसने खिचा है तो वो राघव था फिर नेहा ने इशारे से राघव ने क्या हुआ पूछा तब राघव उसके करीब आया और उसके कान मे बोला

राघव- मिसेस देशपांडे यहां एसी और पंखे दोनों चल रहे है और उससे भी बड़ी बात हवा से आपके बाल उड़ रहे है तो थोड़ा ढंग का बहाना बनाओ..

और बोलते बोलते राघव ने उसके बालों की एक लट उसके कान के पीछे कर दी

राघव की इस हरकत से नेहा वही जम गई उसका वो टच और उसके मुह से अपने लिए मिसेस देशपांडे सुनना उसे अच्छा लगा था...

क्रमश:
Very nyc stori dear
 
101
294
63
Update 23




सत्यनारायण की पूजा के बाद घर के सभी लोग अब फ्री होकर हॉल मे बैठे बाते कर रहे थे,

रमाकांत- भई आज तो बढ़िया हो गया, घर पर पूजा भी हो गई और कुछ वक्त घर पर बिताने भी मिल गया वरना इन दिनों तो पार्टी का काम ज्यादा बढ़ गया है अगले साल के इलेक्शन की तयारी शुरू हो चुकी है..

धनंजय- एकदम सही कहा आपने भईया वरना हम सब तो बस किसी रोबोट की तरह काम मे उलझ गए है।

धनंजय जी ने भी रमाकांत जी की बात का सपोर्ट क्या और उनकी बात सुन सब हसने लगे

शिवशंकर- अरे भई रोबोट से याद आया राघव कहा है पूजा के बाद दिखा ही नहीं वो?

दादू ने राघव को ढूंढते हुए पूछा और नेहा को देखा

नेहा- वो तो पूजा के बाद ही ऊपर रूम मे चले गए दादाजी

जानकी- हे भगवान क्या करू मैं इस लड़के का, बताओ सब यहा है और वो अकेला अपने कमरे मे

नेहा- मै अभी उन्हे बुला लाती हु

नेहा बस राघव को बुलाने जाने ही वाली थी के दादी ने उसे रोक दिया

गायत्री- रहने दो बेटा, उसने तो प्रसाद भी नहीं लिया होगा बस वो दे आओ उसे

दादी की बात पर नेहा ने हा मे गर्दन हिलाई और वहा से चली गई और उसके जाते ही विवेक अपनी जगह से उठा और सबको देख के बोला

विवेक- तो बड़े लोग आप लोग लगे रहे हम जा रहे ऊपर जरा आज भाई घर पर है तो उसको परेशान करने 😎

रिद्धि- हा हा चलो उस रोबोट को इंसान बनाते है

विवेक और रिद्धि वहा से निकल लिए और उनको जाता देख शेखर भी उनके पीछे हो लिया

शेखर- ओये रुको मैं भी आया

अब अब श्वेता अकेली वहा बड़े लोगों के बीच खड़ी थी, वो तो ऐसे शेखर के पीछे भी नहीं जा सकती थी छोटी बहु जो थी घर की, अब क्या करना है ना जानते हुए वो वही खड़ी रही

मीनाक्षी- श्वेता तुम भी जाओ हमारे बीच क्या करोगी

मीनाक्षी जी ने श्वेता के मन की बात समझते हुए कहा और वो भी मुस्कुरा कर वहा से निकल गई।

कुछ ही पलों मे ये सब लोग राघव के रूम मे बैठे थे,

विवेक- भाई छोड़ो ना यार उसको...!

विवेक राघव का एक हाथ खिच के उसे उठाने की कोशिश कर रहा था वही राघव सोफ़े पर अपनी नजरे अपने लपटॉप पर गड़ाए हुए था और विवेक के ताकत लगाने पर भी हिल नहीं रहा था, विवेक राघव को वहा से उठाने की कोशिश कर रहा था ताकि वो लोग थोड़ी मजा कर सके लेकिन मजाल है के राघव उनकी बात मान ले अब चुकी राघव मे विवेक से ज्यादा ताकत थी वो हिल भी नहीं रहा था और तो और वो विवेक की तरफ देख भी नहीं रहा था

रिद्धि- विवेक रहने दो तुमसे नहीं हो पाएगा ऐसा लग रहा जैसे गधा हाथी को खिच रहा है

रिद्धि की बात सुनके शेखर और श्वेता जोर जोर से हसने लगे वही विवेक प्लेन चेहरे से उन्हे घूर रहा था वही राघव भी इनकी बाते सुन मन ही मन मुस्कुरा रहा था और इतने मे ही वहा नेहा की एंट्री हुई हाथ मे प्रसाद से भरे कटोरो का ट्रे लिए और आते ही उसकी नजर हसते हुए शेखर श्वेता और रिद्धि पर पड़ी और फिर विवेक पर

नेहा- क्या हुआ विवेक?

शेखर- गधे की मजदूरी रंग नहीं लाई भाभी

शेखर ने हसते हुए कहा जीसे सुन रिद्धि और श्वेता वापिस हसने लगे वही नेहा कन्फ्यूजन मे उन्हे देख रही थी और विवेक छोटा सा मुह लिए बेड पर जाकर बैठ गया, नेहा ने ये बात अपने दिमाग से झटकी और सबको प्रसाद दिया और फिर राघव को देखा

नेहा- सब लोग है यहा, उसे बंद करिए और इधर आकर पहले प्रसाद खाइए

नेहा ने प्यार से राघव को ऑर्डर देते हुए कहा जिसपर राघव ने भी हा मे गर्दन हिला दी नतिजन शेखर शॉक मे सीधा बैठ गया उसे तो ये भी ध्यान न रहा के उसके हाथ मे प्रसाद का बाउल है लेकिन समय रहते श्वेता ने वो बाउल पकड़ लिया, विवेक जो कभी वापिस खाने को ना मिले ऐसे प्रसाद खा रहा था वो उसके गले मे अटक गया और उसे खासी आ गई और रिद्धि विवेक की पीठ सहलाते फटी आँखों से अपने भाई को देख रही थी

नेहा ने उन सब को देखा वही राघव ने अपना लैपटॉप बंद किया और बेड की ओर आने लगा और अपने भाई बहनों मे ऐसे खुले मुह उसने देखे जो उसे घूर रहे थे

राघव- क्या...?

राघव ने अपनी जेब मे हाथ डालते हुए अपनी भवों को उठा के पूछा

रिद्धि- न.... ये हमारा भाई नहीं है

राघव- क्या?!

विवेक- क्या क्या... हम यहा तब से आपको जो बोल रहे है के लैपटॉप बंद करो तब हमारी बात तो सुनी नही और भाभी के एक बार बोलते ही जनाब उठ खड़े हुए... वाह! तालिया! साला अपनी तो जो ना थी वो इज्जत भी डूब गई

विवेक ने रोनी शक्ल बनाते हुए कहा, राघव ने नेहा को देखा जो उसे ही देख रही थी फिर वापिस अपने भाई बहन को देखा

राघव- हो गई नौटंकी? वो मेरा काम खतम हो गया तो उठ गया इतना ड्रामा क्या है उसमे

राघव ने बेड पर बैठते हुए प्रसाद का बाउल लेते हुए कहा

शेखर- सही मे ?

शेखर मे मुस्कुरार पूछा लेकिन राघव ने उसे इग्नोर कर दिया और प्रसाद खाने लगा, वो बेचारा जब भी मजे लेने की सोचता इग्नोर ही हो जाता

विवेक- बीवी बीवी होती है भाई अपना क्या है

विवेक ने सर झटकते हुए मजाक मे कहा लेकिन उसकी बात सुन नेहा को शर्म आ गई इतने मे रिद्धि बोली

रिद्धि- अरे यार छोड़ो ये बाते और चलो ना कुछ खेलते है ना

श्वेता- लेकिन क्या?

विवेक- उम्म ट्रुथ एण्ड डेयर खेले?

शेखर- हा हा ये खेलते है मजा आएगा

राघव- हम्म तुम लोग खेलों मुझे कुछ काम है मैं वो करता हु

विवेक- अरे यार भईया काम को छोड़ो ना यार आज के दिन कितना समय हो गया ऐसे मजे किए प्लीज भाई अब तो लगता है आप हमको भूल ही गए हो हमारे साथ हो तो लेकिन होकर भी नहीं हो

विवेक ने वापिस अपनी नौटंकी शुरू की और राघव को गेम खेलने पर मजबूर कर ही दिया और राघव वापिस अपनी जगह पर बैठ गया।

अब इनकी पोजिशन ऐसी थी के ये बेड पर सर्कल मे बैठे थे (बहुत बाद पालन था bc ) राघव उसके बाजू मे रिद्धि उसके बाद विवेक, नेहा, शेखर और फिर अंत मे श्वेता

रिद्धि- अब हमारे पास बोतल तो है नहीं तो वन बाय वन शुरू करते है

विवेक- डन पहले श्वेता भाभी ट्रुथ या डेयर?

श्वेता- ट्रुथ!

और श्वेता के ट्रुथ बोलते हो विवेक के चेहरे पर एक शैतानी मुस्कान आ गई उसने पहले शेखर को देखा और फिर श्वेता को और फिर बोला

विवेक- ओके तो अब बताइए के आप दोनों की पहली किस कब कहा और कैसे हुई थी

(खुद की लव लाइफ का कोई ताल तम्बोरा नहीं दूसरों की लव लाइफ मे घुसना है इसको :sigh: )

विवेक की बात सुन शेखर खांसने लगा वही श्वेता बड़ी आंखो से उसे देखने लगी और राघव भी क्यूरियसली उन्हे देखने लगा

रिद्धि- बताओ बताओ भाभी

रिद्धि ने श्वेता को छेड़ते हुए कहा

शेखर- अरे यार भाई छोड़ो का कुछ और पूछ लो यार

शेखर ने नर्वसली कहा और श्वेता ने भी उसमे हामी भरी लेकिन बाकी लोगों का प्लान तो कुछ और ही था और अब नेहा भी इसमे शामिल थी

नेहा- शेखर तुम चुप करो और बात मत बदलों

शेखर- भाभी आप भी शामिल हो गई इन सब मे आपको तो पता है सब

अब शेखर की बात सुन राघव शॉक

राघव- इसको पता है?

शेखर- भाभी को हमारे बारे मे सब पता है... she knows everything

नेहा- अच्छा चलो श्वेता अब शुरू करो कहानी

रिद्धि- हा ना भाभी बताओ ना हम सब दोस्त है यहा

और फिर श्वेता ने बताना शुरू किया....

श्वेता- तो हुआ ये के हम कॉलेज टूर पे मनाली गए थे, मैं वहा पहली बार जा रही थी और शेरी मेरे सीनियर थे और उस टाइम हम रिलेशनशिप मे नहीं थे लेकिन एक दूसरे को अच्छी तरह जानते थे क्युकी कॉलेज के कल्चरल इवेंट्स मे हम साथ काम भी कर चुके थे, वेल हमारे अंदर एकदूसरे के लिए फीलिंग्स तो थी लेकिन उस टाइम वो प्यार है ये हम दोनों को ही नहीं पता था तो वहा हम सब दोस्तों का ग्रुप कैम्प फायर जला कर बाते कर रहा था वही मेरा एक दोस्त मेरे साथ फ्लर्ट कर रहा था वो काफी पहले से मुझपर लाइन मारता था लेकिन मैंने कभी ध्यान नहीं दिया लेकिन शेरी का उसपर बराबर ध्यान था और उसका ऐसा मेरे आस पास घूमना शेरी को पसंद नहीं आ रहा था, और उसमे हुआ के ये मैंने भी उसके साथ थोड़ी हस के बाते कर ली तो इन्होंने भी अपनी एक दोस्त के साथ फ्लर्ट करना शुरू कर दिया और तुम्हें बताऊं इतनी बुरी लड़की थी ना वो हमेशा मेरे शेरी से चिपकने का ट्राइ करते रहते थी और ये मुझे जलाने के लिए उसके साथ फ्लर्ट कर रहा था हा लेकिन ध्यान मुझ पर ही था लेकिन मुझसे वो देखा नहीं गया और मैं रोते हुए वहा से चली गई और फिर ये मुझे मनाने मेरे पीछे आए, मैं बहुत ज्यादा हर्ट भी थी और गुस्सा भी और जो मन मे आए वो शेरी को बोल रही थी और तब इन्होंने मेरा मुह बंद करने के लिए मुझे किस कर दिया, मैं शॉक मे थी और फिर मेरे बेबी ने वही प्रपोज किया मुझे.... तो यही था पूरा किस्सा.... अब ज्यादा डिटेल्स नहीं बता रही मैं तो अब अगला कौन??

खेल जारी रहेगा....

क्रमश:
Very nyc stori dear
 
101
294
63
Update 24




शेखर और श्वेता की लव स्टोरी सब चुप होकर सुन रहे थे रिद्धि और विवेक को तो खासा इंटेरेस्ट था इसमे वही नेहा सब पहले से जानती थी

रिद्धि- कितने क्यूट हो यार आप दोनों

विवेक- ब्रो! चरण कहा है आपके प्रभु ऐसे कुछ टिप्स हमे भी दे दो यार हम भी सीख ले कुछ आपसे

विवेक ने शेखर के पैरों मे गिरते हुए कहा

शेखर- जाओ बे पढ़ाई करो पहले

विवेक- वाह! आप करो तो रास लीला और हम बोले तो कैरिक्टर ढीला हूह!

रिद्धि- अरे छोड़ो अब अगला कौन

विवेक- कौन क्या श्वेता भाभी के बाद शेखर भाई और कौन, हा शेखर भाई ट्रुथ या डेयर ?

शेखर- डेयर, मर्द लोग हमेशा डेयर लेते है 😎

राघव- ओके मर्द चल नाच के दिखा फिर

राघव की बात सुन शेखर हसने लगा

शेखर- अरे इतना आसान डेयर

लेकिन राघव एक शैतानी मुस्कान लिए उसे देख रहा था और फिर राघव ने रिद्धि और विवेक को देखा और विवेक समझ गया

विवेक - न न नाचोगे आप लेकिन गाना हम बजाएंगे समझा

और रिद्धि अपने फोन पर गाना बनाजे रेडी हो गई वही राघव अपनी जगह से उठा और अलमारी के पास गया और उसमे से उसने नेहा की चुनरी निकाली और शेखर के मुह पर दे मारी वही शेखर उसे कन्फ्यूजन मे देखने लगा

राघव- हा भाई मर्द अब इसको ओढ़ और ठुमक के दिखा और पूरी अदाओ के साथ नाचना है

और जैसे ही रिद्धि ने गाना बजाया सबकी हसी छूट गई

शेखर- सही नहीं हो रहा है ये भाई ऐसा मत करो यार ये गाना मत बजाओ

राघव- या तो नाच के दिखा या अभी मेरे अकाउंट मे 5 लाख भेज से दे चॉइस तेरी है

अब शेखर समझ गया था के बचने का कोई चांस नहीं है और राघव के साथ बहस करने का तो कोई मतलब नहीं है

शेखर- भाभी सही कहती है राक्षस को आप

शेखर ने जैसे ही ये कहा नेहा जो अब तक हस रही थी एकदम चुप हो गई और उसने झटके से राघव को देखा

नेहा- मैं... मैं कहा से आ गई बीच मे मैंने ऐसा कब कहा ( नेहा ने शेखर को देख के कहा फिर राघव से बोली) मैने कसम से ऐसा कुछ नहीं कहा

राघव- उसे मैं बाद मे देख लूँगा तू शुरू हो जा

राघव की बात सुन नेहा शकी नजरों से देखने लगि के बाद मे देख लूँगा का क्या मतलब है वही शेखर कोई रास्ता ना बचा देख बेड से उठा और चुनरी को अपने सर पर ओढा, नेहा जो राघव की उस लाइन से नर्वस थी अब शेखर को देख रही थी और हस रही थी, शेखर बहुत ही सेक्सी अदाओ से डांस कर रहा था और उसे ऐसे नाचते देख श्वेता की आंखे बाहर आने को थी, इतने सालों के रीलेशन मे उसने शेखर को कभी ऐसे नहीं देखा था शेखर को देख सब हस रहे थे और गाना बज रहा था

आ रे प्रीतम प्यारे
बन्दुक में ना तो गोली में रे
आ रे प्रीतम प्यारे
बन्दुक में ना तो गोली में रे
आ रे प्रीतम प्यारे
सब आग तो मेरी चोली में रे
ज़रा हुक्का उठाज़रा चिलम जला
पल्लू के नीचे छुपा के रखा है
उठा दूँ तो हंगामा हो
हो हो हो हो
पल्लू के नीचे दबा के रखा है
उठा दूँ तो हंगामा हो

जोबन से अपने दुपट्टा गिरा दूँ तो
कंवले कवारों का चेहरा खिले
हाय मैं आँख मारूँ
तो नोटों की बारिश हो
लख जो हिला दूँतो जिल्ला हिले
जिल्ला हिले
हिले हिले हिले हिले जिल्ला हिले
हिले हिले हिले हिले जिल्ला हिले
हिले हिले हिले
ज़रा तूती बजा
ज़रा ठुमका लगा
पल्लू के नीचे छुपा के रखा है
उठा दूँ तो हंगामा हो
हो हो हो हो
पल्लू के नीचे दबा के रखा है
उठा दूँ तो हंगामा हो

शेखर सबको अपने डांस मूव्स दिखा रहा था जो की काफी फनी थे और जैसे ही गाना खतम हुआ शेखर ने झट से चुनरी हटाई और बेड पर अपनी जगह आकर बैठ गया।

श्वेता- ऑ शेरी बेबी क्या मस्त डांस किया है

श्वेता ने शेखर के गाल खिचते हुए कहा

विवेक- ब्रो रीस्पेक्ट! तुमने तो उस ऐक्ट्रिस से भी बढ़िया डांस किया है

शेखर- हा ठीक है अब अगला कौन

रिद्धि- नेहा भाभी और कौन

रिद्धि ने कहा और नेहा नर्वसली मुस्कुराई वही बाकी सब उसे ऐसे देख रहे है मानो सोच रहे हो के अभी मजा आएगा ना भिडू

रिद्धि- भाभी ट्रुथ या डेयर?

नेहा- ट्रुथ

विवेक- हा भाई सब शांत मैं पूछूँगा सवाल, हा तो माइ डिअर भाभी उस दिन जब हम सब लोग ऐसे ही इसी कमरे मे बकैती कर रहे थे तब आपने हमे उस इंसान के बारे मे बताया था जो आपको पसंद करता था तो अब गौर से सुनिए के अब उसके बारे मे जरा बताइए जीसे आप पसंद करती थी!

विवेक ने फूल नौटंकी के साथ कहा और उसका सवाल सुन राघव अपनी जगह पर सीधा बैठ गया, नेहा ने एक बार राघव को देखा जो उसके साथ आय कॉन्टैक्ट अवॉइड कर रहा था और फिर वो बोली

नेहा- वेल ऐसा कोई मेरा क्रश तो नहीं था लेकिन हा एक सेलिब्रिटी क्रश था और मुझे ना कहानियों के किरदार अच्छे लगते है इतने के उनसे प्यार हो जाए, एक टाइम पर तो मुझे हैरी पॉटर पर क्रश था

रिद्धि – अरे यार भाभी ऐसे थोड़ी होता है वो लोग रियल थोड़ी होते रियल बताओ ना कुछ

नेहा- जो है वो ये है मुझे तो यही पसंद है

नेहा ने खयालों मे खोते हुए कहा वही राघव बस उसे देख रहा था

नेहा- कभी कभी कहानियों के किरदार ना असल लोगों से अच्छे होते है और मुझे मेरे ड्रीम कैरिक्टर जैसा कभी कोई मिला ही नहीं

विवेक- मिला नहीं मतलब तो भाभी आप ये कहना चाहती है के मेरा भाई अट्रैक्टिव नहीं है?

विवेक ने नेहा को चिढ़ाते हुए कहा जिसपर नेहा से कुछ बोलते ही नहीं बन रहा था

नेहा- नहीं!

रिद्धि- नहीं मतलब आपको राघव भईया अट्रैक्टिव नहीं लगते

अब रिद्धि भी नेहा को चिढाने लगी

नेहा- हा.... मतलब... नहीं वो अरे यार तुम लोग ना हर बार ऐसा करते हो मेर वो मतलब नहीं था मुझे ये कहना था के मैं काल्पनिक किरदारों की बात कर रही हु, मैंने उस टाइम ये सब नहीं किया है तो... अब अगला कौन?

नेहा से जब आगे कुछ नहीं बोला गया तो उसने बात बदल दी

अगला नंबर विवेक का था तो भाई ने ट्रुथ को चुना और उससे भी रिद्धि से वही सवाल किया जो नेहा से पूछा गया था विवेक से उसकी क्रश के बारे मे पूछा तो उसने शर्मा के कहा के उसे उसकी एक टीचर के क्रश था जीसे सुन सब उसे ऐसे देखने लगे जैसे वो कोई भूत हो, अब कॉलेज जाने वाले लौंडे से इस जवाब की थोड़ी ही किसी को उम्मीद थी

उसके बाद अगला नंबर आया रिद्धि का और रिद्धि ने शेखर की बहन होने का फर्ज निभाते हुए डेयर चुना और डेयर भी उसे शेखर ने दिया और उसे बोला गया के उसकी मा को यानि जानकी जी को वो फोन करके ये बताए के वो एक लड़के को पसंद करती है और रीलेशनशिप मे है और फोन स्पीकर पर रखने बोला गया

रिद्धि ने भी वैसा ही किया लेकिन ये सब तब चौके तक जानकी की चिल्लाई नहीं क्युकी सब को उम्मीद तो ये थी के वो नाराज होंगी या चिलाएंगी लेकिन उलटा वो हसने लगि और बोली के मजाक मत करो और वो जानती है के उनकी बेटी के आस पास विवेक किसी लड़के को फटकने भी नहीं देता होगा कॉलेज मे जीसे सुन विवेक का सीना फूल गया और उतना बोल के उन्होंने फोन काट दिया और अब वहा बस एक श्क्स बचा था

रिद्धि- अब राघव भईया की बारी

और राघव का नाम आते ही शेखर के चेहरे पर एक शैतानी मुस्कुराहट खेलने लगी राघव उस स्माइल का मतलब अच्छे से समझता था इसीलिए उसे सेफ खेलने का सोचा

रिद्धि- भईया ट्रुथ या डेयर?

राघव- ट्रुथ

और इसीके साथ शेखर के दिमाग मे बनता प्लान फुस्स... लेकिन वो भी कहा हार मानने वाला था

शेखर- ट्रुथ? अरे यार भाई आप डेयर लो यार ये क्या बच्चों जैसी बात कर दी आपने तो, द ग्रेट राघव देशपांडे ट्रुथ लेगा अब

राघव- हा तो उसमे क्या है

विवेक- छे! भाई आप के जैसे डेयर डेविल को तो डेयर ही लेना चाहिए

शेखर- जाने दे बे विवेक ये डरता है भाई मे वो खतरों के खिलाड़ी वाली बात नहीं रही अब

और बस अब तो इन्होंने राघव के एगो को ललकार दिया था अब वो पीछे नहीं हटने वाला था और अब अपने आप को खतरों का खिलाड़ी प्रूव करने राघव देशपांडे कुछ भी कर सकता था

राघव- ठीक है डेयर लिया बताओ क्या करना है

राघव ने सपाट चेहरे से पूछा वही शेखर की मुस्कान हट ही नहीं रही थी और अब आने वाला था मजा....

आपको भी पता चलेगा जल्द अगके भाग मे....

क्रमश:
Nyc stori dear
 
Top