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Update 32
शुभंकर जी बड़ी दादी को लेकर अस्पताल गए हुए थे क्युकी उनका रूटीन चेकप होना था और जो जरूरी था वही घर के बाकी लोग बैठ कर चाय पीते हुए शादी और सगाई मे होने वाली रस्मों के बारे मे बाते कर रहे थे
स्वाती- सबसे बढ़िया तो जूते छुपाने वाली रस्म होती है, हमे मालामाल कर देती है वो
रिद्धि- पैसे का नेग तो और भी रस्मों मे मिलता है स्वाती..
जानकी- शेखर और श्वेता तो अपनी सगाई के टाइम पूरे फिल्मी थे क्या क्या नहीं किया था दोनों ने
रमाकांत- हा ना ये जनाब सीढ़ियों पर खड़े थे और श्वेता की उंगली मे धागा बांधा हुआ था और ऊपर से सरका के अंगूठी पहनाई थी
शेखर- अरे वो तो मैंने एक फिल्म मे देखा था बड़े पापा और मुझे वही करना था
संध्या- और वो नाम रखने वाली रस्म? शेखर तुमने क्या नाम रखा था श्वेता का हम तो बुआ जी की तबीयत की वजह से रुक नहीं पाए थे तो पता ही नहीं
विवेक- नाम वाली रस्म? ये कब हुई? और है क्या ये?
रिद्धि- जगेगा तब पता रहेगा ना दिन मे 18 घंटे तो सोते हो तुम
रिद्धि ने विवेक को टपली मारते हुए कहा
मीनाक्षी- अरे जब शादी के बाद लड़की दुल्हन बनके नए घर मे जाती है ना तो उसका नया नाम रखा जाता है जो उसके पति के नाम से मैच हो
विवेक- सही है यार, मैं भी सोच के रखता हु कुछ कभी काम आएगा
आकाश- ओये शेखर बता न तूने क्या नाम रखा था भाभी का?
शेखर- आद्या! माय फर्स्ट वन एण्ड ओन्ली लव... मैंने आद्या नाम रखा था
शेखर ने श्वेता की आँखों मे देखते हुए आकाश से कहा और श्वेता शर्मा गई
धनंजय- दट्स माय बॉय शाबाश!
धनंजय जी ने शेखर की तारीफ की जिसपर सब मुस्कुराने लगे
आरती- कितना बढ़िया नाम है लेकिन हमने तुम्हें कभी श्वेता को इस नाम से बुलाते हुए नहीं सुना ऐसा क्यू ?
आरती जी का सवाल सुन दादू बोले जो वही बैठे थे
शिवशंकर- ऐसा इस लिए क्युकी ना तो श्वेता अपना नाम बदलना चाहती थी ना ही हमारी उसका नाम बदलने की इच्छा थी, एक लड़की अपना घर अपना परिवार छोड़ कर अपने ससुराल आती है अपने पति के घर को स्वर्ग बनाने इससे ज्यादा और क्या चाहिए
गायत्री- हा... और वैसे भी ये सिर्फ एक रस्म है और किसी भी लड़की को नाम बदलने की जरूरत नहीं है हमारा नाम तो हमारी पहचान होता है हमारे माता पिता ही देन है वो
शिवशंकर- वही तो और बच्चे पर पहला अधिकार उसके मा बाप का होता है फिर उनका दिया नाम कोई लड़की कैसे बदले बताओ
रमेश- एकदम बराबर कहा आपने! मा बाप का दर्ज सबसे ऊपर है
आरती- अच्छा शेखर का तो सुन लिया अब चलो राघव तुमने नेहा को क्या नाम दिया था बताओ?
अचानक आए इस सवाल से नेहा और राघव दोनों के कान खड़े हो गए नेहा ने अपनी नजरे झुका ली और राघव को गिल्टी फ़ील होने लगा
जानकी- आपको तो पता है मामीजी राघव शादी वाले दिन ही बिजनस ट्रिप पर चला गया था और ये रस्म अगले दिन होती है तो हमने सोचा था के राघव से फोन पर वही से पुछ लेंगे लेकिन ये तो बाद मे हम सभी भूल गए थे
‘अब ये क्या नया रायता है यार, मैंने क्या क्या मिस किया है’ राघव मन ही मन अपने को कोसने लगा
मीनाक्षी- अरे हा ये तो हम भूल ही गए थे राघव को बाद मे किसी ने इस बारे मे पूछा ही नहीं क्युकी ये लौटा ही 2 महीने बाद था और वैसे भी नाम बदलना ही नहीं था तो किसी ने इसके बारे मे उतना सोचा भी नहीं
संध्या- अच्छा अब वैसे भी राघव उसे उस नाम से नहीं बुलाता लेकिन कुछ तो नाम इसने दिया ही होगा नेहा को वो बात दे
अब संध्या जी की बात सुन राघव के रोंगटे खड़े हो गए
राघव- चाची छोड़ो न कहा आप भी ये बात लेकर बैठ गई वैसे भी बुलाना सबने उसे नेहा ही है
राघव के बहाने बनने शुरू हो गए थे वही नेहा अपनी साड़ी के पल्लू से खेलने लगी
गायत्री- हा तुम्हारी बात सही है लेकिन बताओ तो क्या नाम रखा था तुमने ये इतनी कौनसी बड़ी बात है
जानकी – हा राघव ये तो मैं भी नहीं जानती के मेरे बेटे ने मेरी बहु को क्या नाम दिया था! ये तो गलत बात है चलो बताओ अब
राघव- मा आप भी क्या लेके बैठ गई छोड़ो ना
लेकिन राघव की एक नहीं चल रही थी क्युकी अब सारे घरवाले नाम जानने की जिद पकड़ चुके थे और कोई नाम था ही नहीं और इन सब के एक साथ प्रेशर देने से राघव कोई बढ़िया सा नाम सोच भी नहीं पा रहा था उसका दिमाग एकदम खाली हो गया था कोई आइडिया नहीं आ रहा था, उसने आजू बाजू कुछ हिंट्स के लिए देखा लेकिन उसे कुछ नहीं मिला, मदद की आस मे उसने नेहा को भी देखा लेकिन उसने भी हल्के गुस्से मे अपनी नजरे घुमा ली
‘इनके पास मेरे लिए कोई अच्छा नाम सोचने के 5 मिनट भी नहीं थे क्या? अब भुगतो’ नेहा ने मन ही मन सोचा
‘अरे यार इसको भी अपने मूड स्विंग्स अभी दिखने है क्या?’
रिद्धि- बताओ ना भाई सब राह मे है
रिद्धि ने राघव को उसके खयालों से बाहर निकाला
राघव- वो..
तभी राघव की नजर सामने टेबल पर पड़े अखबार पर गई और उसकी आंखे अखबार मे कोई बढ़िया सा नाम ढूँढने लगी
विवेक- बताओ यार भाई
विवेक ने थोड़ा जोर से पूछा
राघव- चिक्की
विवेक की बढ़ी हुई आवाज सुन एकदम से ये नाम राघव के मुह से निकला जिसे सुन सब लोग एकदम शांत हो गए
सब लोग आश्चर्य से राघव को देखने लगे और नेहा तो आँख और मुह फाड़े उसे देख रही थी और सबका ये रिएक्शन देख राघव ने वापिस अपने आप को मन ही मन डांटा
“चिक्की!!!!!!” गायत्री और जानकी को अब भी यकीन नहीं हो रहा था और राघव ने गर्दन झुकाए अपनी आंखे बंद कर मुंडी हिलाई
और राघव के एक्सप्रेशन देख वह मौजूद सभी जोर जोर से हसने लगे पेट पकड़ पकड़ कर
रिद्धि- भाई सच मे ये नाम रखा है आपने भाभी का ?? चिक्की??
रिद्धि अपना पेट पकड़ के हसते हुए बोली और विवेक जो सोफ़े की साइड पर बैठा हुआ था वो तो हसते हसते गिरने वाला था अगर आकाश उसे नहीं संभालता तो और आकाश विवेक को संभालते हुए हसे जा रहा था
रमाकांत- राघव ऐसा नाम कौन रखता है बेटा?? तुमने पी रखी थी क्या उस दिन?
रमाकांत जि अपनी हसी कंट्रोल करते बोले
राघव- डैड प्लीज आप तो मत ऐसा बोलिए
रमाकांत- अरे ऐसा नाम सोचो तुम हम बोले भी ना
जानकी- तुमने क्या सोचा था राघव जो मेरी बेटी का ऐसा नाम रखा
जानकी जी आपने आँसू पोंछते हुए बोली जो हसते हसते उनकी आँखों से आने लगे थे
शेखर- क्या था ये
राघव- इतनी बड़ी मजेदार बात भी नहीं है जो आपलोग ऐसे रिएक्ट कर रहे है मुझे क्यूट लगा ये नाम तो मैंने ये रख दिया बस
आरती- हा क्यूट तो है लेकिन तुम्हारे मुह से ऐसा नाम सुनना अलग है बस
आरती जी ने हसते हुए कहा और राघव ने मदद के लिए अपने दादू की ओर देखा जो वहा अभी उसका एकमात्र सहारा थे और दादू भी राघव का इशारा समझ कर बोले
शिवशंकर- बस बहुत हो गया ये उसकी चॉइस है उसे क्या नाम देना था ये उसका प्यार जताने का तरीका होगा
रमेश- हा सही है ये तो उनकी चॉइस है ये वो एकदूसरे को किस नाम से बुलाना चाहते है
रमेश जी भी मुसकुराते हुए बोले
गायत्री- अच्छा अब सब चलो बाते बहुत हुई और बहुत सा काम बाकी है अभी
दादी अपनी मुस्कान छुपाने का असफल प्रयास करते हुए बोली और सब हसते हुए अपने अपने काम मे लग गए
शेखर और श्वेता दोनों जानते थे के राघव ने झूठ बोला है लेकिन वो नाम ही ऐसा था के वो अपनी हसी रोक ही नहीं पाए और एक एक करके सब लोग वहा से अपने अपने कामों के लिए निकल गए और राघव ने राहत की सास ली और नेहा को देखा जो अब भी सेम शॉक वाले एक्सप्रेशन लिए वही अपनी जगह पर बैठी थी किसी मूर्ति की तरह
राघव ने नेहा के कंधे को अपनी उंगली से छुआ जिससे झटके के साथ नेहा उसकी ओर मुड़ी और नेहा के एकदम ऐसे मुड़ने से राघव थोड़ा डर के पीछे सरक गया
नेहा- ची.. चिक्की !!? आपको... आपको और कोई नाम नहीं मिल क्या?? चिक्की??
वो राघव की तरफ बढ़ी और राघव पीछे हटने लगा
राघव- मुझे और कोई नाम नहीं मिला तो...
नेहा- तो आपने चिक्की रख दिया हे भगवान मुझे नहीं पता था इस मामले मे आपका दिमाग इतना स्लो है
नेहा ने बाकियों के रिएक्शन याद कर रोने वाले एक्सप्रेशन अपने चेहरे पर लाए
राघव- ओये मेरा दिमाग स्लो नहीं है
नेहा- है!! इसीलिए तो आपने ऐसा नाम बताया, चिक्की कौन रखता है यार
राघव- रहने दो क्यूट नाम है
बदले मे नेहा ने बस उसे घूरा
राघव- क्या? क्यूट है तो है और अब मैं तुम्हें इसी नाम से बुलाऊँगा ठीक है न, चिक्की
राघव ने मुस्कुराते हुए नेहा के गाल खिचते हुए कहा, और कोई वक्त होता तो नेहा राघव के ऐसे उसे छेड़ने को इन्जॉय करती लेकिन अभी उसे चिक्की के सामने कुछ नहीं दिख रहा था
नेहा- आप मुझे इस नाम से बिल्कुल नहीं बुलाएंगे!
नेहा ने अपनी उंगली राघव को दिखा कर धमकाते हुए कहा
राघव- कौन बोला, मैं तो इसी नाम से बुलाऊँगा और तुम मुझे नहीं रोक सकती वैसे भी ये रस्म थी
राघव वहा से इतना बोल कर जाने लगा
नेहा- उहमहू चीटिंग है ये आप... आप ऐसा नहीं करेंगे.... रुकिए.... सुनिए तो... आप मुझे उस नाम से नहीं बुलाएंगे
नेहा राघव के पीछे पीछे जाने लगी लेकिन राघव ना तो मूड रहा था ना उसकी कोई बात सुन रहा था उसने बस चिक्की चिक्की की रट लगाई हुई थी......
क्रमश: