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Romance In Love.. With You... (Completed)

kas1709

Well-Known Member
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9,749
173
Update 32




शुभंकर जी बड़ी दादी को लेकर अस्पताल गए हुए थे क्युकी उनका रूटीन चेकप होना था और जो जरूरी था वही घर के बाकी लोग बैठ कर चाय पीते हुए शादी और सगाई मे होने वाली रस्मों के बारे मे बाते कर रहे थे

स्वाती- सबसे बढ़िया तो जूते छुपाने वाली रस्म होती है, हमे मालामाल कर देती है वो

रिद्धि- पैसे का नेग तो और भी रस्मों मे मिलता है स्वाती..

जानकी- शेखर और श्वेता तो अपनी सगाई के टाइम पूरे फिल्मी थे क्या क्या नहीं किया था दोनों ने

रमाकांत- हा ना ये जनाब सीढ़ियों पर खड़े थे और श्वेता की उंगली मे धागा बांधा हुआ था और ऊपर से सरका के अंगूठी पहनाई थी

शेखर- अरे वो तो मैंने एक फिल्म मे देखा था बड़े पापा और मुझे वही करना था

संध्या- और वो नाम रखने वाली रस्म? शेखर तुमने क्या नाम रखा था श्वेता का हम तो बुआ जी की तबीयत की वजह से रुक नहीं पाए थे तो पता ही नहीं

विवेक- नाम वाली रस्म? ये कब हुई? और है क्या ये?

रिद्धि- जगेगा तब पता रहेगा ना दिन मे 18 घंटे तो सोते हो तुम

रिद्धि ने विवेक को टपली मारते हुए कहा

मीनाक्षी- अरे जब शादी के बाद लड़की दुल्हन बनके नए घर मे जाती है ना तो उसका नया नाम रखा जाता है जो उसके पति के नाम से मैच हो

विवेक- सही है यार, मैं भी सोच के रखता हु कुछ कभी काम आएगा

आकाश- ओये शेखर बता न तूने क्या नाम रखा था भाभी का?

शेखर- आद्या! माय फर्स्ट वन एण्ड ओन्ली लव... मैंने आद्या नाम रखा था

शेखर ने श्वेता की आँखों मे देखते हुए आकाश से कहा और श्वेता शर्मा गई

धनंजय- दट्स माय बॉय शाबाश!

धनंजय जी ने शेखर की तारीफ की जिसपर सब मुस्कुराने लगे

आरती- कितना बढ़िया नाम है लेकिन हमने तुम्हें कभी श्वेता को इस नाम से बुलाते हुए नहीं सुना ऐसा क्यू ?

आरती जी का सवाल सुन दादू बोले जो वही बैठे थे

शिवशंकर- ऐसा इस लिए क्युकी ना तो श्वेता अपना नाम बदलना चाहती थी ना ही हमारी उसका नाम बदलने की इच्छा थी, एक लड़की अपना घर अपना परिवार छोड़ कर अपने ससुराल आती है अपने पति के घर को स्वर्ग बनाने इससे ज्यादा और क्या चाहिए

गायत्री- हा... और वैसे भी ये सिर्फ एक रस्म है और किसी भी लड़की को नाम बदलने की जरूरत नहीं है हमारा नाम तो हमारी पहचान होता है हमारे माता पिता ही देन है वो

शिवशंकर- वही तो और बच्चे पर पहला अधिकार उसके मा बाप का होता है फिर उनका दिया नाम कोई लड़की कैसे बदले बताओ

रमेश- एकदम बराबर कहा आपने! मा बाप का दर्ज सबसे ऊपर है

आरती- अच्छा शेखर का तो सुन लिया अब चलो राघव तुमने नेहा को क्या नाम दिया था बताओ?

अचानक आए इस सवाल से नेहा और राघव दोनों के कान खड़े हो गए नेहा ने अपनी नजरे झुका ली और राघव को गिल्टी फ़ील होने लगा

जानकी- आपको तो पता है मामीजी राघव शादी वाले दिन ही बिजनस ट्रिप पर चला गया था और ये रस्म अगले दिन होती है तो हमने सोचा था के राघव से फोन पर वही से पुछ लेंगे लेकिन ये तो बाद मे हम सभी भूल गए थे

अब ये क्या नया रायता है यार, मैंने क्या क्या मिस किया है’ राघव मन ही मन अपने को कोसने लगा

मीनाक्षी- अरे हा ये तो हम भूल ही गए थे राघव को बाद मे किसी ने इस बारे मे पूछा ही नहीं क्युकी ये लौटा ही 2 महीने बाद था और वैसे भी नाम बदलना ही नहीं था तो किसी ने इसके बारे मे उतना सोचा भी नहीं

संध्या- अच्छा अब वैसे भी राघव उसे उस नाम से नहीं बुलाता लेकिन कुछ तो नाम इसने दिया ही होगा नेहा को वो बात दे

अब संध्या जी की बात सुन राघव के रोंगटे खड़े हो गए

राघव- चाची छोड़ो न कहा आप भी ये बात लेकर बैठ गई वैसे भी बुलाना सबने उसे नेहा ही है

राघव के बहाने बनने शुरू हो गए थे वही नेहा अपनी साड़ी के पल्लू से खेलने लगी

गायत्री- हा तुम्हारी बात सही है लेकिन बताओ तो क्या नाम रखा था तुमने ये इतनी कौनसी बड़ी बात है

जानकी – हा राघव ये तो मैं भी नहीं जानती के मेरे बेटे ने मेरी बहु को क्या नाम दिया था! ये तो गलत बात है चलो बताओ अब

राघव- मा आप भी क्या लेके बैठ गई छोड़ो ना

लेकिन राघव की एक नहीं चल रही थी क्युकी अब सारे घरवाले नाम जानने की जिद पकड़ चुके थे और कोई नाम था ही नहीं और इन सब के एक साथ प्रेशर देने से राघव कोई बढ़िया सा नाम सोच भी नहीं पा रहा था उसका दिमाग एकदम खाली हो गया था कोई आइडिया नहीं आ रहा था, उसने आजू बाजू कुछ हिंट्स के लिए देखा लेकिन उसे कुछ नहीं मिला, मदद की आस मे उसने नेहा को भी देखा लेकिन उसने भी हल्के गुस्से मे अपनी नजरे घुमा ली

इनके पास मेरे लिए कोई अच्छा नाम सोचने के 5 मिनट भी नहीं थे क्या? अब भुगतो’ नेहा ने मन ही मन सोचा

‘अरे यार इसको भी अपने मूड स्विंग्स अभी दिखने है क्या?’

रिद्धि- बताओ ना भाई सब राह मे है

रिद्धि ने राघव को उसके खयालों से बाहर निकाला

राघव- वो..

तभी राघव की नजर सामने टेबल पर पड़े अखबार पर गई और उसकी आंखे अखबार मे कोई बढ़िया सा नाम ढूँढने लगी

विवेक- बताओ यार भाई

विवेक ने थोड़ा जोर से पूछा

राघव- चिक्की

विवेक की बढ़ी हुई आवाज सुन एकदम से ये नाम राघव के मुह से निकला जिसे सुन सब लोग एकदम शांत हो गए

सब लोग आश्चर्य से राघव को देखने लगे और नेहा तो आँख और मुह फाड़े उसे देख रही थी और सबका ये रिएक्शन देख राघव ने वापिस अपने आप को मन ही मन डांटा

“चिक्की!!!!!!” गायत्री और जानकी को अब भी यकीन नहीं हो रहा था और राघव ने गर्दन झुकाए अपनी आंखे बंद कर मुंडी हिलाई

और राघव के एक्सप्रेशन देख वह मौजूद सभी जोर जोर से हसने लगे पेट पकड़ पकड़ कर

रिद्धि- भाई सच मे ये नाम रखा है आपने भाभी का ?? चिक्की??

रिद्धि अपना पेट पकड़ के हसते हुए बोली और विवेक जो सोफ़े की साइड पर बैठा हुआ था वो तो हसते हसते गिरने वाला था अगर आकाश उसे नहीं संभालता तो और आकाश विवेक को संभालते हुए हसे जा रहा था

रमाकांत- राघव ऐसा नाम कौन रखता है बेटा?? तुमने पी रखी थी क्या उस दिन?

रमाकांत जि अपनी हसी कंट्रोल करते बोले

राघव- डैड प्लीज आप तो मत ऐसा बोलिए

रमाकांत- अरे ऐसा नाम सोचो तुम हम बोले भी ना 😂

जानकी- तुमने क्या सोचा था राघव जो मेरी बेटी का ऐसा नाम रखा

जानकी जी आपने आँसू पोंछते हुए बोली जो हसते हसते उनकी आँखों से आने लगे थे

शेखर- क्या था ये 😂😂😂😂😂😂😂

राघव- इतनी बड़ी मजेदार बात भी नहीं है जो आपलोग ऐसे रिएक्ट कर रहे है मुझे क्यूट लगा ये नाम तो मैंने ये रख दिया बस

आरती- हा क्यूट तो है लेकिन तुम्हारे मुह से ऐसा नाम सुनना अलग है बस

आरती जी ने हसते हुए कहा और राघव ने मदद के लिए अपने दादू की ओर देखा जो वहा अभी उसका एकमात्र सहारा थे और दादू भी राघव का इशारा समझ कर बोले

शिवशंकर- बस बहुत हो गया ये उसकी चॉइस है उसे क्या नाम देना था ये उसका प्यार जताने का तरीका होगा

रमेश- हा सही है ये तो उनकी चॉइस है ये वो एकदूसरे को किस नाम से बुलाना चाहते है

रमेश जी भी मुसकुराते हुए बोले

गायत्री- अच्छा अब सब चलो बाते बहुत हुई और बहुत सा काम बाकी है अभी

दादी अपनी मुस्कान छुपाने का असफल प्रयास करते हुए बोली और सब हसते हुए अपने अपने काम मे लग गए

शेखर और श्वेता दोनों जानते थे के राघव ने झूठ बोला है लेकिन वो नाम ही ऐसा था के वो अपनी हसी रोक ही नहीं पाए और एक एक करके सब लोग वहा से अपने अपने कामों के लिए निकल गए और राघव ने राहत की सास ली और नेहा को देखा जो अब भी सेम शॉक वाले एक्सप्रेशन लिए वही अपनी जगह पर बैठी थी किसी मूर्ति की तरह

राघव ने नेहा के कंधे को अपनी उंगली से छुआ जिससे झटके के साथ नेहा उसकी ओर मुड़ी और नेहा के एकदम ऐसे मुड़ने से राघव थोड़ा डर के पीछे सरक गया

नेहा- ची.. चिक्की !!? आपको... आपको और कोई नाम नहीं मिल क्या?? चिक्की??

वो राघव की तरफ बढ़ी और राघव पीछे हटने लगा

राघव- मुझे और कोई नाम नहीं मिला तो...

नेहा- तो आपने चिक्की रख दिया हे भगवान मुझे नहीं पता था इस मामले मे आपका दिमाग इतना स्लो है

नेहा ने बाकियों के रिएक्शन याद कर रोने वाले एक्सप्रेशन अपने चेहरे पर लाए

राघव- ओये मेरा दिमाग स्लो नहीं है

नेहा- है!! इसीलिए तो आपने ऐसा नाम बताया, चिक्की कौन रखता है यार

राघव- रहने दो क्यूट नाम है

बदले मे नेहा ने बस उसे घूरा

राघव- क्या? क्यूट है तो है और अब मैं तुम्हें इसी नाम से बुलाऊँगा ठीक है न, चिक्की

राघव ने मुस्कुराते हुए नेहा के गाल खिचते हुए कहा, और कोई वक्त होता तो नेहा राघव के ऐसे उसे छेड़ने को इन्जॉय करती लेकिन अभी उसे चिक्की के सामने कुछ नहीं दिख रहा था

नेहा- आप मुझे इस नाम से बिल्कुल नहीं बुलाएंगे!

नेहा ने अपनी उंगली राघव को दिखा कर धमकाते हुए कहा

राघव- कौन बोला, मैं तो इसी नाम से बुलाऊँगा और तुम मुझे नहीं रोक सकती वैसे भी ये रस्म थी

राघव वहा से इतना बोल कर जाने लगा

नेहा- उहमहू चीटिंग है ये आप... आप ऐसा नहीं करेंगे.... रुकिए.... सुनिए तो... आप मुझे उस नाम से नहीं बुलाएंगे

नेहा राघव के पीछे पीछे जाने लगी लेकिन राघव ना तो मूड रहा था ना उसकी कोई बात सुन रहा था उसने बस चिक्की चिक्की की रट लगाई हुई थी......

क्रमश:
Nice update....
 

dhparikh

Well-Known Member
9,551
11,174
173
Update 32




शुभंकर जी बड़ी दादी को लेकर अस्पताल गए हुए थे क्युकी उनका रूटीन चेकप होना था और जो जरूरी था वही घर के बाकी लोग बैठ कर चाय पीते हुए शादी और सगाई मे होने वाली रस्मों के बारे मे बाते कर रहे थे

स्वाती- सबसे बढ़िया तो जूते छुपाने वाली रस्म होती है, हमे मालामाल कर देती है वो

रिद्धि- पैसे का नेग तो और भी रस्मों मे मिलता है स्वाती..

जानकी- शेखर और श्वेता तो अपनी सगाई के टाइम पूरे फिल्मी थे क्या क्या नहीं किया था दोनों ने

रमाकांत- हा ना ये जनाब सीढ़ियों पर खड़े थे और श्वेता की उंगली मे धागा बांधा हुआ था और ऊपर से सरका के अंगूठी पहनाई थी

शेखर- अरे वो तो मैंने एक फिल्म मे देखा था बड़े पापा और मुझे वही करना था

संध्या- और वो नाम रखने वाली रस्म? शेखर तुमने क्या नाम रखा था श्वेता का हम तो बुआ जी की तबीयत की वजह से रुक नहीं पाए थे तो पता ही नहीं

विवेक- नाम वाली रस्म? ये कब हुई? और है क्या ये?

रिद्धि- जगेगा तब पता रहेगा ना दिन मे 18 घंटे तो सोते हो तुम

रिद्धि ने विवेक को टपली मारते हुए कहा

मीनाक्षी- अरे जब शादी के बाद लड़की दुल्हन बनके नए घर मे जाती है ना तो उसका नया नाम रखा जाता है जो उसके पति के नाम से मैच हो

विवेक- सही है यार, मैं भी सोच के रखता हु कुछ कभी काम आएगा

आकाश- ओये शेखर बता न तूने क्या नाम रखा था भाभी का?

शेखर- आद्या! माय फर्स्ट वन एण्ड ओन्ली लव... मैंने आद्या नाम रखा था

शेखर ने श्वेता की आँखों मे देखते हुए आकाश से कहा और श्वेता शर्मा गई

धनंजय- दट्स माय बॉय शाबाश!

धनंजय जी ने शेखर की तारीफ की जिसपर सब मुस्कुराने लगे

आरती- कितना बढ़िया नाम है लेकिन हमने तुम्हें कभी श्वेता को इस नाम से बुलाते हुए नहीं सुना ऐसा क्यू ?

आरती जी का सवाल सुन दादू बोले जो वही बैठे थे

शिवशंकर- ऐसा इस लिए क्युकी ना तो श्वेता अपना नाम बदलना चाहती थी ना ही हमारी उसका नाम बदलने की इच्छा थी, एक लड़की अपना घर अपना परिवार छोड़ कर अपने ससुराल आती है अपने पति के घर को स्वर्ग बनाने इससे ज्यादा और क्या चाहिए

गायत्री- हा... और वैसे भी ये सिर्फ एक रस्म है और किसी भी लड़की को नाम बदलने की जरूरत नहीं है हमारा नाम तो हमारी पहचान होता है हमारे माता पिता ही देन है वो

शिवशंकर- वही तो और बच्चे पर पहला अधिकार उसके मा बाप का होता है फिर उनका दिया नाम कोई लड़की कैसे बदले बताओ

रमेश- एकदम बराबर कहा आपने! मा बाप का दर्ज सबसे ऊपर है

आरती- अच्छा शेखर का तो सुन लिया अब चलो राघव तुमने नेहा को क्या नाम दिया था बताओ?

अचानक आए इस सवाल से नेहा और राघव दोनों के कान खड़े हो गए नेहा ने अपनी नजरे झुका ली और राघव को गिल्टी फ़ील होने लगा

जानकी- आपको तो पता है मामीजी राघव शादी वाले दिन ही बिजनस ट्रिप पर चला गया था और ये रस्म अगले दिन होती है तो हमने सोचा था के राघव से फोन पर वही से पुछ लेंगे लेकिन ये तो बाद मे हम सभी भूल गए थे

अब ये क्या नया रायता है यार, मैंने क्या क्या मिस किया है’ राघव मन ही मन अपने को कोसने लगा

मीनाक्षी- अरे हा ये तो हम भूल ही गए थे राघव को बाद मे किसी ने इस बारे मे पूछा ही नहीं क्युकी ये लौटा ही 2 महीने बाद था और वैसे भी नाम बदलना ही नहीं था तो किसी ने इसके बारे मे उतना सोचा भी नहीं

संध्या- अच्छा अब वैसे भी राघव उसे उस नाम से नहीं बुलाता लेकिन कुछ तो नाम इसने दिया ही होगा नेहा को वो बात दे

अब संध्या जी की बात सुन राघव के रोंगटे खड़े हो गए

राघव- चाची छोड़ो न कहा आप भी ये बात लेकर बैठ गई वैसे भी बुलाना सबने उसे नेहा ही है

राघव के बहाने बनने शुरू हो गए थे वही नेहा अपनी साड़ी के पल्लू से खेलने लगी

गायत्री- हा तुम्हारी बात सही है लेकिन बताओ तो क्या नाम रखा था तुमने ये इतनी कौनसी बड़ी बात है

जानकी – हा राघव ये तो मैं भी नहीं जानती के मेरे बेटे ने मेरी बहु को क्या नाम दिया था! ये तो गलत बात है चलो बताओ अब

राघव- मा आप भी क्या लेके बैठ गई छोड़ो ना

लेकिन राघव की एक नहीं चल रही थी क्युकी अब सारे घरवाले नाम जानने की जिद पकड़ चुके थे और कोई नाम था ही नहीं और इन सब के एक साथ प्रेशर देने से राघव कोई बढ़िया सा नाम सोच भी नहीं पा रहा था उसका दिमाग एकदम खाली हो गया था कोई आइडिया नहीं आ रहा था, उसने आजू बाजू कुछ हिंट्स के लिए देखा लेकिन उसे कुछ नहीं मिला, मदद की आस मे उसने नेहा को भी देखा लेकिन उसने भी हल्के गुस्से मे अपनी नजरे घुमा ली

इनके पास मेरे लिए कोई अच्छा नाम सोचने के 5 मिनट भी नहीं थे क्या? अब भुगतो’ नेहा ने मन ही मन सोचा

‘अरे यार इसको भी अपने मूड स्विंग्स अभी दिखने है क्या?’

रिद्धि- बताओ ना भाई सब राह मे है

रिद्धि ने राघव को उसके खयालों से बाहर निकाला

राघव- वो..

तभी राघव की नजर सामने टेबल पर पड़े अखबार पर गई और उसकी आंखे अखबार मे कोई बढ़िया सा नाम ढूँढने लगी

विवेक- बताओ यार भाई

विवेक ने थोड़ा जोर से पूछा

राघव- चिक्की

विवेक की बढ़ी हुई आवाज सुन एकदम से ये नाम राघव के मुह से निकला जिसे सुन सब लोग एकदम शांत हो गए

सब लोग आश्चर्य से राघव को देखने लगे और नेहा तो आँख और मुह फाड़े उसे देख रही थी और सबका ये रिएक्शन देख राघव ने वापिस अपने आप को मन ही मन डांटा

“चिक्की!!!!!!” गायत्री और जानकी को अब भी यकीन नहीं हो रहा था और राघव ने गर्दन झुकाए अपनी आंखे बंद कर मुंडी हिलाई

और राघव के एक्सप्रेशन देख वह मौजूद सभी जोर जोर से हसने लगे पेट पकड़ पकड़ कर

रिद्धि- भाई सच मे ये नाम रखा है आपने भाभी का ?? चिक्की??

रिद्धि अपना पेट पकड़ के हसते हुए बोली और विवेक जो सोफ़े की साइड पर बैठा हुआ था वो तो हसते हसते गिरने वाला था अगर आकाश उसे नहीं संभालता तो और आकाश विवेक को संभालते हुए हसे जा रहा था

रमाकांत- राघव ऐसा नाम कौन रखता है बेटा?? तुमने पी रखी थी क्या उस दिन?

रमाकांत जि अपनी हसी कंट्रोल करते बोले

राघव- डैड प्लीज आप तो मत ऐसा बोलिए

रमाकांत- अरे ऐसा नाम सोचो तुम हम बोले भी ना 😂

जानकी- तुमने क्या सोचा था राघव जो मेरी बेटी का ऐसा नाम रखा

जानकी जी आपने आँसू पोंछते हुए बोली जो हसते हसते उनकी आँखों से आने लगे थे

शेखर- क्या था ये 😂😂😂😂😂😂😂

राघव- इतनी बड़ी मजेदार बात भी नहीं है जो आपलोग ऐसे रिएक्ट कर रहे है मुझे क्यूट लगा ये नाम तो मैंने ये रख दिया बस

आरती- हा क्यूट तो है लेकिन तुम्हारे मुह से ऐसा नाम सुनना अलग है बस

आरती जी ने हसते हुए कहा और राघव ने मदद के लिए अपने दादू की ओर देखा जो वहा अभी उसका एकमात्र सहारा थे और दादू भी राघव का इशारा समझ कर बोले

शिवशंकर- बस बहुत हो गया ये उसकी चॉइस है उसे क्या नाम देना था ये उसका प्यार जताने का तरीका होगा

रमेश- हा सही है ये तो उनकी चॉइस है ये वो एकदूसरे को किस नाम से बुलाना चाहते है

रमेश जी भी मुसकुराते हुए बोले

गायत्री- अच्छा अब सब चलो बाते बहुत हुई और बहुत सा काम बाकी है अभी

दादी अपनी मुस्कान छुपाने का असफल प्रयास करते हुए बोली और सब हसते हुए अपने अपने काम मे लग गए

शेखर और श्वेता दोनों जानते थे के राघव ने झूठ बोला है लेकिन वो नाम ही ऐसा था के वो अपनी हसी रोक ही नहीं पाए और एक एक करके सब लोग वहा से अपने अपने कामों के लिए निकल गए और राघव ने राहत की सास ली और नेहा को देखा जो अब भी सेम शॉक वाले एक्सप्रेशन लिए वही अपनी जगह पर बैठी थी किसी मूर्ति की तरह

राघव ने नेहा के कंधे को अपनी उंगली से छुआ जिससे झटके के साथ नेहा उसकी ओर मुड़ी और नेहा के एकदम ऐसे मुड़ने से राघव थोड़ा डर के पीछे सरक गया

नेहा- ची.. चिक्की !!? आपको... आपको और कोई नाम नहीं मिल क्या?? चिक्की??

वो राघव की तरफ बढ़ी और राघव पीछे हटने लगा

राघव- मुझे और कोई नाम नहीं मिला तो...

नेहा- तो आपने चिक्की रख दिया हे भगवान मुझे नहीं पता था इस मामले मे आपका दिमाग इतना स्लो है

नेहा ने बाकियों के रिएक्शन याद कर रोने वाले एक्सप्रेशन अपने चेहरे पर लाए

राघव- ओये मेरा दिमाग स्लो नहीं है

नेहा- है!! इसीलिए तो आपने ऐसा नाम बताया, चिक्की कौन रखता है यार

राघव- रहने दो क्यूट नाम है

बदले मे नेहा ने बस उसे घूरा

राघव- क्या? क्यूट है तो है और अब मैं तुम्हें इसी नाम से बुलाऊँगा ठीक है न, चिक्की

राघव ने मुस्कुराते हुए नेहा के गाल खिचते हुए कहा, और कोई वक्त होता तो नेहा राघव के ऐसे उसे छेड़ने को इन्जॉय करती लेकिन अभी उसे चिक्की के सामने कुछ नहीं दिख रहा था

नेहा- आप मुझे इस नाम से बिल्कुल नहीं बुलाएंगे!

नेहा ने अपनी उंगली राघव को दिखा कर धमकाते हुए कहा

राघव- कौन बोला, मैं तो इसी नाम से बुलाऊँगा और तुम मुझे नहीं रोक सकती वैसे भी ये रस्म थी

राघव वहा से इतना बोल कर जाने लगा

नेहा- उहमहू चीटिंग है ये आप... आप ऐसा नहीं करेंगे.... रुकिए.... सुनिए तो... आप मुझे उस नाम से नहीं बुलाएंगे

नेहा राघव के पीछे पीछे जाने लगी लेकिन राघव ना तो मूड रहा था ना उसकी कोई बात सुन रहा था उसने बस चिक्की चिक्की की रट लगाई हुई थी......

क्रमश:
Nice update....
 

Ghost Rider ❣️

..BeLiEvE iN YoUrSeLf..
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Update 32




शुभंकर जी बड़ी दादी को लेकर अस्पताल गए हुए थे क्युकी उनका रूटीन चेकप होना था और जो जरूरी था वही घर के बाकी लोग बैठ कर चाय पीते हुए शादी और सगाई मे होने वाली रस्मों के बारे मे बाते कर रहे थे

स्वाती- सबसे बढ़िया तो जूते छुपाने वाली रस्म होती है, हमे मालामाल कर देती है वो

रिद्धि- पैसे का नेग तो और भी रस्मों मे मिलता है स्वाती..

जानकी- शेखर और श्वेता तो अपनी सगाई के टाइम पूरे फिल्मी थे क्या क्या नहीं किया था दोनों ने

रमाकांत- हा ना ये जनाब सीढ़ियों पर खड़े थे और श्वेता की उंगली मे धागा बांधा हुआ था और ऊपर से सरका के अंगूठी पहनाई थी

शेखर- अरे वो तो मैंने एक फिल्म मे देखा था बड़े पापा और मुझे वही करना था

संध्या- और वो नाम रखने वाली रस्म? शेखर तुमने क्या नाम रखा था श्वेता का हम तो बुआ जी की तबीयत की वजह से रुक नहीं पाए थे तो पता ही नहीं

विवेक- नाम वाली रस्म? ये कब हुई? और है क्या ये?

रिद्धि- जगेगा तब पता रहेगा ना दिन मे 18 घंटे तो सोते हो तुम

रिद्धि ने विवेक को टपली मारते हुए कहा

मीनाक्षी- अरे जब शादी के बाद लड़की दुल्हन बनके नए घर मे जाती है ना तो उसका नया नाम रखा जाता है जो उसके पति के नाम से मैच हो

विवेक- सही है यार, मैं भी सोच के रखता हु कुछ कभी काम आएगा

आकाश- ओये शेखर बता न तूने क्या नाम रखा था भाभी का?

शेखर- आद्या! माय फर्स्ट वन एण्ड ओन्ली लव... मैंने आद्या नाम रखा था

शेखर ने श्वेता की आँखों मे देखते हुए आकाश से कहा और श्वेता शर्मा गई

धनंजय- दट्स माय बॉय शाबाश!

धनंजय जी ने शेखर की तारीफ की जिसपर सब मुस्कुराने लगे

आरती- कितना बढ़िया नाम है लेकिन हमने तुम्हें कभी श्वेता को इस नाम से बुलाते हुए नहीं सुना ऐसा क्यू ?

आरती जी का सवाल सुन दादू बोले जो वही बैठे थे

शिवशंकर- ऐसा इस लिए क्युकी ना तो श्वेता अपना नाम बदलना चाहती थी ना ही हमारी उसका नाम बदलने की इच्छा थी, एक लड़की अपना घर अपना परिवार छोड़ कर अपने ससुराल आती है अपने पति के घर को स्वर्ग बनाने इससे ज्यादा और क्या चाहिए

गायत्री- हा... और वैसे भी ये सिर्फ एक रस्म है और किसी भी लड़की को नाम बदलने की जरूरत नहीं है हमारा नाम तो हमारी पहचान होता है हमारे माता पिता ही देन है वो

शिवशंकर- वही तो और बच्चे पर पहला अधिकार उसके मा बाप का होता है फिर उनका दिया नाम कोई लड़की कैसे बदले बताओ

रमेश- एकदम बराबर कहा आपने! मा बाप का दर्ज सबसे ऊपर है

आरती- अच्छा शेखर का तो सुन लिया अब चलो राघव तुमने नेहा को क्या नाम दिया था बताओ?

अचानक आए इस सवाल से नेहा और राघव दोनों के कान खड़े हो गए नेहा ने अपनी नजरे झुका ली और राघव को गिल्टी फ़ील होने लगा

जानकी- आपको तो पता है मामीजी राघव शादी वाले दिन ही बिजनस ट्रिप पर चला गया था और ये रस्म अगले दिन होती है तो हमने सोचा था के राघव से फोन पर वही से पुछ लेंगे लेकिन ये तो बाद मे हम सभी भूल गए थे

अब ये क्या नया रायता है यार, मैंने क्या क्या मिस किया है’ राघव मन ही मन अपने को कोसने लगा

मीनाक्षी- अरे हा ये तो हम भूल ही गए थे राघव को बाद मे किसी ने इस बारे मे पूछा ही नहीं क्युकी ये लौटा ही 2 महीने बाद था और वैसे भी नाम बदलना ही नहीं था तो किसी ने इसके बारे मे उतना सोचा भी नहीं

संध्या- अच्छा अब वैसे भी राघव उसे उस नाम से नहीं बुलाता लेकिन कुछ तो नाम इसने दिया ही होगा नेहा को वो बात दे

अब संध्या जी की बात सुन राघव के रोंगटे खड़े हो गए

राघव- चाची छोड़ो न कहा आप भी ये बात लेकर बैठ गई वैसे भी बुलाना सबने उसे नेहा ही है

राघव के बहाने बनने शुरू हो गए थे वही नेहा अपनी साड़ी के पल्लू से खेलने लगी

गायत्री- हा तुम्हारी बात सही है लेकिन बताओ तो क्या नाम रखा था तुमने ये इतनी कौनसी बड़ी बात है

जानकी – हा राघव ये तो मैं भी नहीं जानती के मेरे बेटे ने मेरी बहु को क्या नाम दिया था! ये तो गलत बात है चलो बताओ अब

राघव- मा आप भी क्या लेके बैठ गई छोड़ो ना

लेकिन राघव की एक नहीं चल रही थी क्युकी अब सारे घरवाले नाम जानने की जिद पकड़ चुके थे और कोई नाम था ही नहीं और इन सब के एक साथ प्रेशर देने से राघव कोई बढ़िया सा नाम सोच भी नहीं पा रहा था उसका दिमाग एकदम खाली हो गया था कोई आइडिया नहीं आ रहा था, उसने आजू बाजू कुछ हिंट्स के लिए देखा लेकिन उसे कुछ नहीं मिला, मदद की आस मे उसने नेहा को भी देखा लेकिन उसने भी हल्के गुस्से मे अपनी नजरे घुमा ली

इनके पास मेरे लिए कोई अच्छा नाम सोचने के 5 मिनट भी नहीं थे क्या? अब भुगतो’ नेहा ने मन ही मन सोचा

‘अरे यार इसको भी अपने मूड स्विंग्स अभी दिखने है क्या?’

रिद्धि- बताओ ना भाई सब राह मे है

रिद्धि ने राघव को उसके खयालों से बाहर निकाला

राघव- वो..

तभी राघव की नजर सामने टेबल पर पड़े अखबार पर गई और उसकी आंखे अखबार मे कोई बढ़िया सा नाम ढूँढने लगी

विवेक- बताओ यार भाई

विवेक ने थोड़ा जोर से पूछा

राघव- चिक्की

विवेक की बढ़ी हुई आवाज सुन एकदम से ये नाम राघव के मुह से निकला जिसे सुन सब लोग एकदम शांत हो गए

सब लोग आश्चर्य से राघव को देखने लगे और नेहा तो आँख और मुह फाड़े उसे देख रही थी और सबका ये रिएक्शन देख राघव ने वापिस अपने आप को मन ही मन डांटा

“चिक्की!!!!!!” गायत्री और जानकी को अब भी यकीन नहीं हो रहा था और राघव ने गर्दन झुकाए अपनी आंखे बंद कर मुंडी हिलाई

और राघव के एक्सप्रेशन देख वह मौजूद सभी जोर जोर से हसने लगे पेट पकड़ पकड़ कर

रिद्धि- भाई सच मे ये नाम रखा है आपने भाभी का ?? चिक्की??

रिद्धि अपना पेट पकड़ के हसते हुए बोली और विवेक जो सोफ़े की साइड पर बैठा हुआ था वो तो हसते हसते गिरने वाला था अगर आकाश उसे नहीं संभालता तो और आकाश विवेक को संभालते हुए हसे जा रहा था

रमाकांत- राघव ऐसा नाम कौन रखता है बेटा?? तुमने पी रखी थी क्या उस दिन?

रमाकांत जि अपनी हसी कंट्रोल करते बोले

राघव- डैड प्लीज आप तो मत ऐसा बोलिए

रमाकांत- अरे ऐसा नाम सोचो तुम हम बोले भी ना 😂

जानकी- तुमने क्या सोचा था राघव जो मेरी बेटी का ऐसा नाम रखा

जानकी जी आपने आँसू पोंछते हुए बोली जो हसते हसते उनकी आँखों से आने लगे थे

शेखर- क्या था ये 😂😂😂😂😂😂😂

राघव- इतनी बड़ी मजेदार बात भी नहीं है जो आपलोग ऐसे रिएक्ट कर रहे है मुझे क्यूट लगा ये नाम तो मैंने ये रख दिया बस

आरती- हा क्यूट तो है लेकिन तुम्हारे मुह से ऐसा नाम सुनना अलग है बस

आरती जी ने हसते हुए कहा और राघव ने मदद के लिए अपने दादू की ओर देखा जो वहा अभी उसका एकमात्र सहारा थे और दादू भी राघव का इशारा समझ कर बोले

शिवशंकर- बस बहुत हो गया ये उसकी चॉइस है उसे क्या नाम देना था ये उसका प्यार जताने का तरीका होगा

रमेश- हा सही है ये तो उनकी चॉइस है ये वो एकदूसरे को किस नाम से बुलाना चाहते है

रमेश जी भी मुसकुराते हुए बोले

गायत्री- अच्छा अब सब चलो बाते बहुत हुई और बहुत सा काम बाकी है अभी

दादी अपनी मुस्कान छुपाने का असफल प्रयास करते हुए बोली और सब हसते हुए अपने अपने काम मे लग गए

शेखर और श्वेता दोनों जानते थे के राघव ने झूठ बोला है लेकिन वो नाम ही ऐसा था के वो अपनी हसी रोक ही नहीं पाए और एक एक करके सब लोग वहा से अपने अपने कामों के लिए निकल गए और राघव ने राहत की सास ली और नेहा को देखा जो अब भी सेम शॉक वाले एक्सप्रेशन लिए वही अपनी जगह पर बैठी थी किसी मूर्ति की तरह

राघव ने नेहा के कंधे को अपनी उंगली से छुआ जिससे झटके के साथ नेहा उसकी ओर मुड़ी और नेहा के एकदम ऐसे मुड़ने से राघव थोड़ा डर के पीछे सरक गया

नेहा- ची.. चिक्की !!? आपको... आपको और कोई नाम नहीं मिल क्या?? चिक्की??

वो राघव की तरफ बढ़ी और राघव पीछे हटने लगा

राघव- मुझे और कोई नाम नहीं मिला तो...

नेहा- तो आपने चिक्की रख दिया हे भगवान मुझे नहीं पता था इस मामले मे आपका दिमाग इतना स्लो है

नेहा ने बाकियों के रिएक्शन याद कर रोने वाले एक्सप्रेशन अपने चेहरे पर लाए

राघव- ओये मेरा दिमाग स्लो नहीं है

नेहा- है!! इसीलिए तो आपने ऐसा नाम बताया, चिक्की कौन रखता है यार

राघव- रहने दो क्यूट नाम है

बदले मे नेहा ने बस उसे घूरा

राघव- क्या? क्यूट है तो है और अब मैं तुम्हें इसी नाम से बुलाऊँगा ठीक है न, चिक्की

राघव ने मुस्कुराते हुए नेहा के गाल खिचते हुए कहा, और कोई वक्त होता तो नेहा राघव के ऐसे उसे छेड़ने को इन्जॉय करती लेकिन अभी उसे चिक्की के सामने कुछ नहीं दिख रहा था

नेहा- आप मुझे इस नाम से बिल्कुल नहीं बुलाएंगे!

नेहा ने अपनी उंगली राघव को दिखा कर धमकाते हुए कहा

राघव- कौन बोला, मैं तो इसी नाम से बुलाऊँगा और तुम मुझे नहीं रोक सकती वैसे भी ये रस्म थी

राघव वहा से इतना बोल कर जाने लगा

नेहा- उहमहू चीटिंग है ये आप... आप ऐसा नहीं करेंगे.... रुकिए.... सुनिए तो... आप मुझे उस नाम से नहीं बुलाएंगे

नेहा राघव के पीछे पीछे जाने लगी लेकिन राघव ना तो मूड रहा था ना उसकी कोई बात सुन रहा था उसने बस चिक्की चिक्की की रट लगाई हुई थी......

क्रमश:
Update toh badhiya tha chikki se mujhe ek tharki ki yaad aa gai😂 chikki sharma
Silent readers please review do bas nice, good, bad, worst itna ek word bola tab bhi chalega
Ye bolte hai kuch 😗
 

raman chopra

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Update 1

इस वक़्त सुबह के लगभग 9 बज रहे थे, देशपांडे वाडे मे सभी लोग इस वक़्त एक एक करके नाश्ते के लिए जमा हो रहे थे, अब जब तक ये सभी लोग नाश्ते के लिए जमा हो रहे है तब तक मिलते है इस कहानी के किरदारो से

सबसे पहले तो परिवार के मुखिया शिवशंकर देशपांडे, अपने जमाने के एक जाने माने बिज़नेसमॅन और पॉलिटीशियन, जिनकी बात घर मे तो क्या बाहर भी कोई नही टाल सकता, बिज़नेस वर्ल्ड से लेके एरिया पॉलिटिक्स तक अगर शिवशंकर देशपांडे ने कोई बात बोली है तो वो होनी ही है क्यूकी वो कोई भी बात हवा ने नही करते थे उनकी बोली हर बात के पीछे कोई ना कोई गहन विचार ज़रूर होता था, फिलहाल तो ये अपनी रिटायरमेंट लाइफ एंजाय कर रहे है अपने बेटे बहू और पोते पोतियो के साथ..

वैसे तो शिवशंकर भाऊ की बात कोई नही टाल सकता लेकिन केवल एक शक्स है जिनकी बात भाऊ भी नही टाल सकते, उनकी पत्नी श्रीमती गायत्री देशपांडे जो इस वक़्त उनके बगल की खुर्ची पर बैठे हुए अख़बार पढ़ रही है, शिवशंकर देशपांडे जीतने हसमुख आदमी है उतनी ही गायत्री देवी शांत और थोड़े गुस्सैल स्वाभाव वाली है...

गायत्री - अभी तक कोई भी नही आया है नाश्ता करने सब के सब आलसी हो रहे है घर मे

गायत्री देवी ने हल्के गुस्से मे कहा

शिवशंकर - अरे आ जाएँगे, अभी देखो जानकी और मीनाक्षी बहू तो किचन मे नाश्ता तयार कर रही है और रमाकांत और धनंजय आते ही होंगे, धनंजय को कल ऑफीस से आने मे लेट हो गया था और रमाकांत सुबह सुबह दिल्ली से लौटा है बाकी बच्चो की बात करू तो राघव सुबह सुबह ऑफीस के लिए निकल गया है और बाकी के भी आते होंगे..

वेल इस देशपांडे परिवार के कुछ नियम थे जैसे के सुबह का नाश्ता और रात का खाना सारा परिवार साथ खाएगा, घर मे ना तो पैसो की कोई कमी थी ना नौकर चाकर की लेकिन गायत्री देवी का मानना था के खाना घर की बहू ने ही बनाना चाहिए हालांकि ऐसा नही था के वो प्रोग्रेसिव नही थी अपने जमाने में उन्होंने काम में शिवशंकर जी का हाथ बखूबी बटाया था और अपनी बहुओं को भी वही सिखाया था और ये भी इनपर छोड़ा था के वो घर संभालना चाहती है या नहीं जिसपर उनकी बहुओं ने भी उनकी बात का सम्मान किया था और काम और घर बखूबी संभालना जानती थी,

गायत्री - हा.. ये हो गया आपका रेडियो शुरू, क्यू जी आपने क्या घर के सभी लोगो के पीछे जासूस लगा रखे है क्या जो कौन कहा है क्या कर रहा है आपको सब पता होता है ?

शिवशंकर - अनुभव, इसे अनुभव कहते है और अपने परिवार की परख

अब ज़रा उनलोगो के बारे मे जान लिया जाए जिनका जिक्र अभी इस उपर वाली बातचीत मे हुआ है,

शिवशंकर और गायत्री देशपांडे के दो बेटे है रमाकांत देशपांडे और धनंजय देशपांडे, जहा रमाकांत देशपांडे अपनी कान्स्टिट्यूयेन्सी से एमपी है वही धनंजय देशपांडे अपनी फॅमिली का ज्यूयलरी का बिज़नेस संभालते है वही इन दोनो की पत्निया रेस्पेक्टिव्ली जानकी और मीनाक्षी देशपांडे अपने घर को संभालने के साथ साथ एक एनजीओ भी चलती है

ये लोग बात कर ही रहे थे के एक लड़का आकर शिवशंकर जी के खुर्ची के बाजू मे आकर बैठ गया,

"गुड मॉर्निंग दादू, दादी "

ये है गायत्री और शिवशंकर देशपांडे का छोटा पोटा शेखर देशपांडे, धनंजय और मीनाक्षी का बेटा, जिसने अभी अभी अपना एमबीए कंप्लीट किया है और फिलहाल अपनी छुट्टियां बिता रहा है,

शिवशंकर - गुड मॉर्निंग हीरो, और क्या प्लान है आजका

शेकर- बस कुछ खास नही, अभी नाश्ते के बाद बढ़िया कोई फिल्म देखूँगा और शाम को दोस्तो के साथ बाहर जाने का प्लान है

गायत्री - अरे ऐसे टाइम वेस्ट करने से अछा ऑफीस जाया करो अब तुम भी, वाहा काम सीखो अपने भाई से..

शेखर- अरे सीख लूँगा दादी क्या जल्दी है

"जल्दी है"

ये आवाज़ थी शेखर के पिता धनंजय देशपांडे की

धनंजय- जल्दी है भाई मैं भी चाहता हू के अपना सारा बिज़्नेस का भार तुम्हे सौप के थोड़ा रीटायरमेंट लाइफ एंजाय करू जैसे भैया ने अपनी बिज़नेस की सारी ज़िम्मेदारी राघव को दे दी है वैसे ही मैं भी जल्दी से चाहता हू के तुम अब बिज़नेस मे मेरा हाथ बटाओ, बहुत मस्ती कर ली बेटा आ करियर पे फोकस करो थोड़ा

इधर जैसे ही धनंजय का लेक्चर शुरू हुआ वैसे ही शेखर ने अपने दादाजी की तरफ बचाओ वाली नज़रो से देखा

शिवशंकर- अच्छा ठीक है शेखर कल से तुम ऑफीस जाना शुरू करोगे धनंजय सही कह रहा है

शेखर- लेकिन दादू…

तब तक वाहा नाश्ते के लिए सभी लोग जमा हो चुके थे…

सिवाय एक के, राघव

शिवशंकर- अच्छा अब सब लोग ध्यान से सुनो मुझे तुम सब से एक ज़रूरी बात करनी है…

शिवशंकर की बात सुन कर सब उनकी तरफ देखने लगे

शिवशंकर – मैं सोच रहा था के अब राघव ने सब कुछ संभाल ही लिया है तो मुझे लगता है के अब हमे उसकी शादी के बारे मे सोचना शुरू कर देना चाहिए

शिवशंकर की बात सुनकर सब लोग चुप चाप हो गए और उन्हे देखने लगे

शिवशंकर- अरे भाई क्या हुआ? मैने ग़लत कहा क्या कुछ ?

गायत्री- एकदम सही बात बोली है आपने मेरे भी दिमाग़ मे कबसे ये बात चल रही थी

रमाकांत - हा बाबा बात तो सही है और मुझे लगता है के जब आप ये बात कर रहे हो तो आपने ज़रूर लड़की भी देखी ही होगी

रमाकांत की बात सुन कर शिवशंकर जी मुस्कुराने लगे

धनंजय- मतलब भैया का अंदाज़ा सही है आप लड़की से मिल चुके है

शिवशंकर- नही मिला तो अभी नही हू लेकिन हा लड़की देख रखी है, नेहा नाम है उसका, बड़ी प्यारी बच्ची है

शेखर- मैं कुछ बोलू?

शिवशंकर- हम्म बोलो

शेखर- नही ये शादी वग़ैरा का प्लान आपका एकदम सही है दादू लेकिन भाई से तो बात कर लो वो अलग ही प्राणी हो रखा है, सनडे को कौन ऑफीस जाता है यार..

रमाकांत- बात तो शेखर की भी सही है

शिवशंकर- अरे तुम सब राघव की चिंता मत करो उससे मैं बात कर लूँगा वो मुझे मना नही करेगा मैं सोच रहा था के आज सनडे है तो क्यू ना हम सब उनके घर जाकर उनसे मिल आए..

गायत्री- अब जब आपको ये रिश्ता जच रहा है तो हर्ज ही क्या है आज ही चलते है

“कहा जाने की बात हो रही है?” ये इस जनरेशन की एकलौती बेटी रिद्धि

शेखर- भाई के लिए लड़की देखने

रिद्धि - वाउ, मतलब घर मे शादी, मतलब ढेर सारी शॉपिंग.. मैं अभी से प्लान बनाना शुरू कर देती हू

गायत्री- ये देखा अभी बात पक्की नही हुई और इनके प्लान बनने लगे

“मैं भी चलूँगा” ये इस घर का सबसे छोटा बेटा, विवेक

धनंजय- तुम चल के क्या करोगे सिर्फ़ हम बडो को जाने को बाद मे चलना

विवेक- डैड..!

शिवशंकर- अरे बस बस पहले सब नाश्ता करो फिर बाद मे बात करेंगे इसपे

अगले दिन रात 11.30

देशपांडे वाड़े के मेन गेट से एक गाड़ी अंदर आई, जिसमे से एक 26-27 साल का लड़का निकला जिसने एक पाउडर ब्लू कलर की शर्ट पहन रखी थी और ब्लॅक पैंट जिसका ब्लॅक कोट और एक बैग उसने हाथ मे पकड़ रखा था, सुबह जो बाल जेल लगा कर सेट किए थे वो अब थोड़े बिखर गये थे, हल्की ट्रिम की हुई दाढ़ी, वेल बिल्ट बॉडी लेकिन काम की थकान उसके चेहरे से साफ पता चल रही थी..

उसने घर का गेट खोला और अंदर आया, यूजुअली सब लोग इस वक़्त तक अपने अपने रूम मे जा चुके होते है लेकिन आज घर के हॉल मे शिवशंकर बैठ कर अपने बड़े पोते का इंतजार कर रहे थे..

ये इस घर का बड़ा पोटा राघव..

हॉल मे बैठे शिवशंकर को देख कर राघव थोड़ा चौका

राघव - दादू? आप सोए नही अभी तक?

शिवशंकर - अगर मैं सो जाता तो अपने पोते का चेहरा कैसे देखता? तुमसे मिलने के लिए लगता है के अब घर वालो को भी अपॉइंटमेंट लेना पड़ेगा

दादू थोड़े गुस्से मे लग रहे थे

राघव- दादू वो आजकल तोड़ा काम..

शिवशंकर- खाना खाया?

राघव- हा वो आज एक क्लाइंट के साथ ही डिनर किया

शिवशंकर- 15 मिनट मे फ्रेश होकर मुझे मेरी स्टडी मे मिलो.

इतना बोल कर दादू वाहा से चले गये और राघव भी अपने रूम की ओर बढ़ गया..

15 मिनट मे राघव शिवशंकर के स्टडी मे था

शिवशंकर ने दो मिनिट तो कुछ नही कहा बस राघव को देखते रहे जिसपर राघव ने चुप्पी तोड़ी

राघव- दादू क्या हुआ ऐसे क्या देख रहे हो

शिवशंकर- अपने आप को देख रहा हू बेटा एक जमाने मे जब मैने ये बिज़नेस शुरू किया था तब मैं भी तुम्हारी ही तरह था.. और अपने जीवन के अनुभव से मैने सीखा है के काम में इतना ना उलझो के परिवार के लिए वक़्त ही ना बचे

राघव- पर दादू काम भी तो ज़रूरी है ना

शिवशंकर- हा ज़रूरी तो है खैर इस बारे मे फिर कभी अभी जो बात मैं तुमसे कहना चाह रहा हू उसे ध्यान से सुनो, क्या तुम किसी लड़की को पसंद करते हो?

राघव- क्या? दादू ये बात करने बुलाया है आपने मुझे?

राघव ने तोड़ा कन्फ्यूज़ टोन मे कहा

शिवशंकर- क्यू, अरे भाई तुम दिखते अच्छे हो, इतना बड़ा बिज़नेस संभालते हो तो कोई गर्लफ्रेंड भी तो होगी तुम्हारी? आजकल तो ये आम बात है..

राघव- क्या दादू आप भी

शिवशंकर- हा या ना बताओ मेरे बच्चे फिर मुझे जो बात करनी है वो आगे बढ़ाऊंगा

राघव- ओके फाइन, कोई गर्लफ्रेंड नही है मेरी

शिवशंकर - गुड, क्यूकी मैने तुम्हारे लिए एक लड़की पसंद की है मैं चाहता हू तुम्हारी शादी उससे हो, इनफॅक्ट हम सब उससे मिल आए है कल मैं बस तुमसे जानना चाहता था के तुम किसी को पसंद तो नही करते ना

राघव- क्या?? दादू लेकिन…

शिवशंकर- अगर तुम्हारे पास कोई बढ़िया रीज़न हो ना कहने का तो ही कहना क्यूकी मैं शादी नही करना चाहता अभी ये रीज़न नही चलेगा, रही बात काम की तो मैं भी बिज़नेस संभाल चुका हू सब मॅनेज हो सकता है

शिवशंकर की बात से राघव के चेहरे के एक्सप्रेशन्स बदलने लगे.. ये बात तो साफ थी के उसके पास कोई रीज़न नही था शादी से भागने का लेकिन वो अभी शादी भी नही करना चाहता था.

शिवशंकर- राघव काम सारी जिंदगी होता रहेगा लेकिन कभी ना कभी तो बेटा परिवार भी आगे बढ़ाना पड़ेगा ना.. इसी बहाने तुम हमे घर मे तो दिखोगे

राघव ने कुछ नही कहा..

शिवशंकर- कल तक अच्छे से इस बारे मे सोच लो राघव फिर मुझे बताना…

जिसके बाद राघव वाहा से अपने रूम मे आने के लिए निकल गया और शिवशंकर अपने रूम मे चले गये…

तो क्या फ़ैसला लेगा राघव? वो शादी के लिए मानेगा या नही, देखते है अगले भाग मे..

क्रमश:
Good first update
 

raman chopra

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Ok this escalated way too quickly I know maine hi likha hai jaanta hu bahut fast ho gaya ye jo ki aaplog review me bhi bologe hi lekin iske piche reason bhi hai as dono ke beech is period me baat krne ko jyada tha hi nhi raghav aur nehaa dono ne hi man maar ke ye shadi ki hai still Neha ne ye sab accept kar liya gha dono ke hi sapne alag the khwahishe alag thi but ab jab is rishte me bandh chuke hai to ise kaise nibhayenge aage kahani kya mod legi janne ke liye sath bane rahiye.
Nice fast update
 

raman chopra

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Update 3



सुबह सुबह खिड़की से कमरे मे आती सूरज की रोशनी बेड पर सोई उस खूबसूरत लड़की की नींद मे खलल डाल रही थी.. उसने आती हुई रोशनी से परेशान होकर अपनी करवट बदली और उसका सीधा हाथ बेड की दूसरी ओर गया मानो किसी को वहा ढूंढ रहा हो लेकिन...

बेड पर उसके अलावा कोई नाही था, उसने अपनी आंखे सहलायी और बची कूची नींद को अपनी आँखों से दूर किया और बेड पर उठ कर बैठ गई, उसने एक नजर घड़ी की तरफ देखा तो घड़ी मे इस वक्त सुबह के 7 बज रहे थे।

उसने एक नजर अपने कमरे मे घुमाई फिर दोबारा बेड को देखा, एक लंबी सास छोड़ी और मुह ही मुह मे कुछ पुटपुटाकर वो अपनी दैनिक क्रिया निपटने के लिए उठ गई और बाथरूम की ओर चली गई..

बाथरूम से आकार और रेडी होकर उसने नीचे जाने से पहले आखरी बार अपने आप को आईने मे देखा, उसे अपने आप को प्रेसेंटेबल रखना था आखिर वो इस परिवार की बड़ी बहु थी..

नेहा राघव देशपांडे...

नेहा और राघव की शादी को पाँच महीने बीत चुके थे...

नेहा ने नीचे जाकर सबसे पहले किचन मे कदम रखा जहा राघव की मा और चाची पहले ही मौजूद थे

नेहा- गुड मॉर्निंग मा, चाची

नेहा ने मुस्कुराकर उन दोनों को मॉर्निंग विश की

“गुड मॉर्निंग बेटा” नेहा की सास जानकी ने भी उसे मुस्कुरा कर जवाब दिया

“गुड मॉर्निंग नेहा” मीनाक्षी ने कहा

नेहा - तो बताइए आज क्या बनाना है नाश्ते के लिए

नेहा ने अपनी सास की ओर देख कर पूछा

“कुछ बढ़िया पराठों के बारे मे क्या खयाल है?” पीछे से एक आवाज आई जो कोई और नही बल्कि इस घर के मुखिया शिवशंकर जी थे

“गुड मॉर्निंग पापाजी” कहते हुए जानकी और मीनाक्षी ने उनके पैर छूए

शिवशंकर- खुश रहो

नेहा- गुड मॉर्निंग दादू

नेहा ने भी शिवशंकर जी के पैर छूए

शिवशंकर- खुश रहो और अब बताओ कब बन रहे मेरे पराठे

तभी पीछे से गायत्री जी की आवाज आई

गायत्री- आज नेहा जानकी या मीनाक्षी कुछ नही बनाने वाली है

गायत्री जी का इशारा सब समझ रहे थे

दरअसल एक बात तो आप लोगों को बताने की ही रह गई थी, पिछले पाँच महीनों मे शेखर का प्रेमप्रकरण सब घरवालों के सामने आ गया था जिसके चलते शेखर की भी शादी हो चुकी थी

आज शेखर की पत्नी की पहली रसोई थी जिसकी ओर गायत्री जी का इशारा था लेकिन इसमे नेहा जानकी और मीनाक्षी करते भी क्या, देशपांडे परिवार की छोटी बहु अभी तक आयी ही नाही थी

गायत्री- कहा है वो ? उसे अब ये भी बताना पड़ेगा क्या की इस वक्त उसे यहा होना चाहिए था?

गायत्री जी ने ताना कसते हुए कहा, वो वैसे तो इस शादी के खिलाफ नही थी लेकिन उतना ज्यादा खुश भी नाही थी,

गायत्री जी को बगैर डिसप्लिन वाले लोग बिल्कुल पसंद नाही थे और उसमे भी उनकी ये नई बहु मिडल क्लास परिवार से थी और उससे भी ज्यादा वो उनके छोटे पोते की पसंद थी
वैसे तो नेहा भी मिडल क्लास परिवार से थी लेकिन जब गायत्री जी ने नेहा का वेल कल्चर्ड व्यव्हार देखा और जाना के वो कितने बढ़िया डिसप्लिन वाली लड़की है तो उन्होंने उसे खुशी खुशी अपना लिया, वेल सबकी पसंद से ही नेहा इस घर की बहु बनी थी सिवाय एक के..

इस घर के सारे नियम गायत्री जी ही बनाती थी और घर मे उनकी बात केवल शिवशंकर जी काट सकते थे लेकिन वो भी बस कभी कभी। उन्हे सब अपने हिसाब से चाहिए होता था।

“मैं यहाँ हु दादीजी” उन सबने एक आवाज सुनी और उस आवाज की दिशा मे घूमे

किचन के गेट पर देशपांडे परिवार ही नई बहु खड़ी थी

श्वेता शेखर देशपांडे

श्वेता ने अंदर आते ही वहा मौजूद सभी बड़ों का आशीर्वाद लिया और सबसे मुस्कुराकर उसे आशीर्वाद दिया सिवाय गायत्री जी के

गायत्री – जानकी और मीनाक्षी तुम दोनों जाओ और जाकर देखो के पूजा की तयारिया हुई या नाही और नेहा आज श्वेता की पहली रसोई है तो तुम उसे बताओगी के कहा कहा क्या क्या रखा है लेकिन सिर्फ बताना है कुछ भी बनाने मे उसकी मदद नाही करनी है समझ आया ?

गायत्री जी ने सबको अपना अपना काम बता दिया और सबने मुंडी हिला कर हा कहा जिसके बाद गायत्री जी वहा से चली गई और उसके साथ साथ जानकी और मीनाक्षी भी चली गई

शिवशंकर- गायत्री को थोड़ा समय दो बेटा वो जितनी अभी दिख रही है न उतनी बुरी नाही है,

शिवशंकर जी ने श्वेता के सर पर हाथ फेरते हुए कहा और वो भी वहा से चले गए

नेहा- दादी की बात का बुरा मत मानना श्वेता वो ऐसी ही है, मैंने भी मेरे पहले दिन ये सब सहा है,

नेहा ने मुस्कुराकर श्वेता का मूड लाइट करने के लिए कहा

श्वेता - कोई बात नाही भाभी, अच्छा अब बताओ क्या बनाऊ मैं ?

नेहा – उम्म क्या बना सकती हो तुम वो बताओ ?

श्वेता – उम्म... मैं... उम्म वो मुझे कहना बनाना नही आता

श्वेता ने एकदम धीमी आवाज मे कहा जिससे नेहा के चेहरे पर एक मुस्कम आ गई

नेहा- इट्स ओके तुम मुझसे कह सकती हो मैं यहा तुम्हारी मदद के लिए ही हु, ऐसा करते है खीर बनाते है मैं जैसा जैसा बताऊ वैसा वैसा करना

नेहा ने कहा जिसपर श्वेता मे हामी भारी

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श्वेता जब हाथ धो रही थी तब किसी ने पीछे से आकार उसे गले लगा लिया श्वेता जानती थी के वो कौन है

श्वेता - अब क्या चाहिए तुम्हें? रात काफी नाही थी क्या

श्वेता ने बगैर पीछे मुड़े कहा

शेखर- अब क्या मुझे अपनी ही बीवी से प्यार करने के लिए समय भी देखना पड़ेगा क्या

श्वेता – शेखर कोई देख लेगा न छोड़ो मुझे

श्वेता ने शेखर के हाथों से निकलते हुए कहा

शेखर - उमहू पहले मुझे मेरा मॉर्निंग किस दो

शेखर ने श्वेता को कस के पकड़ते हुए कहा

श्वेता- बाद मे ले लेना अभी नही प्लीज, मुझे काम करने दो हटो

श्वेता ने पीछे मूड कर शेखर कों देखते हुए कहा और मूड कर वो एकदम फ्रीज़ हो गई

शेखर- तो अब तुम्हारा काम मुझसे भी ज्यादा जरूरी है ?

शेखर ने श्वेता के बालों की लट को उसके कान के पीछे करते हुए पूछा लेकिन श्वेता ने कोई जवाब नही दिया

शेखर- अब बोलो भी ऐसे पुतले जैसे क्यू खड़ी हो तुम

शेखर ने जब श्वेता की नजरों का पीछा किया और मूड कर देखा तो वो भी वही जम गया

शेखर ने अपना थूक गटका और सामने खड़ी त्रिमूर्ती को देखा इतने मे श्वेता शेखर के बाजुओ से निकल कर उसके बगल मे आकार खड़ी हो गई थी और उसका सर शर्म से नीचे झुका हुआ था

शेखर- वो... भा.. भाभी वो... मैं... वो... पानी पीने आया था

शेखर बुरी तरह से झेंप गया था और नेहा अपनी स्माइल छुपाते हुए बस उसे एक टक देखे जा रही थी लेकिन शेखर को ऐसे हकलाते देखते वहा नेहा के साथ मौजूद दोनों लोग अपनी हसी नही रोक पाए और जोर जोर से हसने लगे जिससे श्वेता और भी ज्यादा शर्म से गडे जा रही थी

विवेक - सिरीयसली भाई आप पानी पीने आए थे? इससे पहले तो मैंने आपको कभी घर के इस कोने मे नही देखा और पानी वो तो आपको कोई भी ला देता

विवेक इतना कह के वापिस हसने लगा

रिद्धि- भाई वेरी बैड कम से कम बहाना तो अच्छा बनाओ

विवेक और रिद्धि की बात सुन कर नेहा ने अपनी हसी छुपाने की कोशिश की लेकिन वो नाकाम रही

नेहा- विवेक रिद्धि चुप करो दोनों ऐसे अपने भाई भाभी को परेशान नाही करते

रिद्धि- पर भाभी भाई इससे पहले कभी पानी लेने किचन मे भी तो नाही आया था न

और रिद्धि वापिस हसने लगी

नेहा- हा तो कल ही तो शादी हुई है मेरे देवर की अब इतना तो बनता है

नेहा ने शेखर की साइड लेते हुए कहा

शेखर- देखा इस घर मे सिर्फ मेरी भाभी को मेरी फिक्र है समझे नालायको

शेखर ने नेहा के पास आते हुए कहा, नेहा शेखर के लिए भाभी के रूप मे बड़ी बहन जैसी थी, नेहा ने प्यार से शेखर के सर पर हाथ फेर और श्वेता उन्हे देख मुस्कुराने लागि, शेखर ने श्वेता को बताया था के नेहा का उसकी लाइफ मे क्या इम्पॉर्टन्स है

रिद्धि- भाभी सारा प्यार क्या सिर्फ शेखर भईया के लिए और हम

रिद्धि ने अपने होंठों को गोल कर प्यार का मुह बनाते हुए कहा

नेहा- अरे तुम दोनों तो जान हो मेरी यहा आओ

और नेहा ने अपने हाथ फैला दिए जिससे रिद्धि और विवेक
उसके गले लग गए और शेखर ने भी इन्हे जॉइन कर लिया

नेहा- तुम वहा क्यू खड़ी हो श्वेता तुम भी आओ

और श्वेता ने भी मुस्कुरा कर उन्हे जॉइन किया

विवेक - अब लग रही है अपनी गैंग कम्प्लीट

तभी उन्हे मीनाक्षी जी का आवाज आया वो उन्हे आरती के लिए बुला रही थी

आरती होने के बाद परिवार के सभी लोग डाइनिंग टेबल पर बैठे थे और नेहा और श्वेता सबको नाश्ता परोस रही थी

गायत्री- उम्मीद है ये सब श्वेता ने ही बनाया होगा

गायत्री जी ने खीर को देखते हुए कहा

श्वेता- जी दादी

सब लोग खीर खाने लगे और श्वेता बस उन्हे नर्वसली देख रही थी तब नेहा ने उसे इशारे से शांत रहने कहा

रमाकांत- खीर बढ़िया बनी है बेटा

रमाकांत जी की बात सुनकर श्वेता के चेहरे पर मुस्कान आ गई

जानकी- हा श्वेता खीर बहुत बढ़िया बनी है

फिर श्वेता ने अपने पति की ओर देखा जो खीर की दूसरी कटोरी खतम करने वाला था लेकिन अभी तक उसने खीर कैसी बनी है नही बताया था

"भूक्कड़” श्वेता ने धीमे से कहा

धनंजय- यहा आओ बेटा ये लो

जिसके साथ ही धनंजय ने मीनाक्षी को इशारा किया और उन दोनों ने एक जूलरी सेट श्वेता को पहली रसोई के नेग मे दिया

श्वेता ने उसे लेने से पहले शेखर को देखा और शेखर ने एक स्माइल के साथ हा का इशारा किया फिर श्वेता ने उन दोनों का आशीर्वाद लिया

जिसके बाद रमाकांत और जानकी ने उसे एक 51000 का एन्वलोप दिया

शिवशंकर- और भई हम हमारा तोहफा तो जब तुम अपने पगफेरे की रस्म से लौट आओगी तब देंगे, सप्राइज़ है तुम्हारे लिए

विवेक- वॉव दादू सप्राइज़

विवेक ने एक्सईट होकर कहा

गायत्री- तुम क्यू इतने खुश हो रहे हो ये नए जोड़े के लिए है तुम्हारे लिए नही

गायत्री की बात सुन कर सब मुस्कुराने लगे, नेहा ने पूजा को डायमंड ईयररिंग गिफ्ट किए

रमाकांत- नेहा बेटा तुम्हारा पति कहा है

रमाकांत जी को जब अपना बेटा कही नही दिखा तब उन्होंने नेहा से पूछा जिससे सब नेहा को देखने लगे उसके जवाब के लिए जिसका नेहा के पास कोई जवाब नाही था..

ये एकलौता ऐसा सवाल था जो नेहा को चुप करा देता था

लेकिन क्यू??

उससे तो बस उसके पती के बारे मे पूछा गया था इसमे चुप होने वाली क्या बात थी?

और कहा था उसका पती??

क्रमश:
Super update
 

raman chopra

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Update 4


नेहा के पास घरवालों के सवाल का कोई जवाब नही था, वो सब के चेहरे देखते हुए खामोश रही फिर उसने बात संभालते हुए कहा

नेहा – पापाजी वो सुबह जल्दी चले गए उनकी कोई अर्जन्ट मीटिंग थी

नेहा ने सधी हुई आवाज मे नम्रता के साथ जवाब दिया

शिवशंकर- मुझे समझ नाही आता ये लड़का इतना काम क्यू करता है। अभी उसकि शादी को बस 5 ही महीने हुए है और ये है के अपने परिवार को थोड़ा समय देने के बदले काम मे उलझ हुआ है..

शिवशंकर जी ने थोड़ा इरिटेट होते हुए कहा उनको अपने बिजी पोते पर बहुत गुस्सा आ रहा था

गायत्री- आज कल तो वो घर पर रहता ही नही है, तुम्हें उससे बात करनी चाहीये न इस बारे मे नेहा, उसे घर पर रोकना तुम्हारा काम है पत्नी हो तुम उसकी

गायत्री जी ने नेहा को ताना मारा

नेहा बस सर झुकाए सबकी बाते सुन रही थी वो इसका जवाब नही देना चाहती थी या ये कहना ज्यादा सही होगा के उसके पास इसका कोई जवाब ही नही था।

उसका डीयर हसबंड शादी की रात को ही सारी रस्मे पूरी होने के बाद दो महीनों के लिए बिजनेस ट्रिप पर निकल गया था, और पिछले तीन महीनों से वो उसे पूरी तरह से इग्नोर कर रहा था मानो नेहा उसके लिए उस घर मे मौजूद ही नही थी, पता नही के उसने नेहा का चेहरा भी सही से देखा था या नही, नेहा ने राघव को उनके रूम मे बस 6-7 बार ही देखा था वो भी तब जब राघव भूल जाता था के नेहा भी उसी कमरे मे रहती है, वो रात मे देरी से आता था और सुबह जल्दी चला जाता था, उसके इस बर्ताव की वजह से नेहा उसकी ओर देख भी नही पाती थी, उसने तो राघव का चेहरा भी इन पाँच महीनों मे बस 4-5 बार ही देखा था बाकी समय राघव नेहा को देखते ही अपना रास्ता बदल लेता या नेहा उसे उसके बर्ताव की वजह से इग्नोर कर देती

उन्हे देख के कोई नही कह सकता था के वो दोनों शादी शुदा है, दो अनजान लोग अगर बातचित करे तो भी इनसे ज्यादा बाते कर सकते थे

विवेक- दादी इसमे कोई कुछ नही कर सकता, जब भईया किसी की बात सुनते ही नही तो इसमे भाभी क्या करेगी

विवेक ने नेहा की साइड लेते हुए कहा

शेखर- हा दादी, राघव भाई बैक टु बैक मीटिंग्स मे बिजी है नई ब्रांच के लॉन्च को लेकर इसमे भाभी की क्या गलती ,उझे तो यकीन है भाई ने भाभी की बात को भी इग्नोर कर दिया होगा

नेहा ने शेखर को इशारे से ही चुप रहने कहा

गायत्री- हा हा इसमे इसकी कहा गलती है, राघव के पास जब घर पर रुकने का कोई रीज़न ही नही है तो वो क्यू रुकेगा

गायत्री जी ने नेहा को फिर से ताना मारा

श्वेता ने नेहा की तरफ देखा लेकिन वो नीचे देख रही थी

शिवशंकर- बस बहुत हो गया गायत्री, तुम्हारा पोता इतना भी छोटा नही है के वो ये बात ना समझ सके, उसे भी ये बात सोचनी चाहिए के उसका भी एक परिवार है

रमाकांत- हा मा राघव अब बच्चा नाही है और हर बार हमेशा नेहा क्यू समझ के ले, राघव को भी अपनी जिम्मेदारियों का एहसास होना चाहिए

शिवशंकर जी के बाद रमाकांत ने भी नेहा की साइड ली जीसे सुन कर गायत्री जी अपनी जगह से उठी और “मेरे सत्संग का समय हो गया है” बोल कर अपने कमरे मे चली गई और उनके पीछे पीछे शिवशंकर जी भी चले गए

कुछ ही समय मे विवेक और रिद्धि भी कॉलेज के लिए निकल गए और शेखर भी अपने रूम मे काम के लिए चला गया

रमाकांत- बेटा आइ एम सॉरी उसकी...

नेहा- कोई बात नाही पापा आप क्यू सॉरी कह रहे है वो बिजी है इसीलिए सबको टाइम नही दे पा रहे

नेहा की बात सुनकर धनंजय उसके पास आए और उसके सर पर हाथ रख कर बोले

धनंजय- हर बार उसकी साइड लेकर उसे बढ़ावा मत दो बेटा

नेहा ने कुछ नही कहा

धनंजय- चलिए भईया

जाते जाते रमाकांत के नेहा के सर पर हाथ फेरा और वहा से चले गए

जानकी - मुझे पता है तुम मेरे नालायक बेटे को सही रास्ते पर ले आओगी वो शुरू से ही ऐसा है

जानकी की बात सुन कर नेहा मुस्कुरा दी

मीनाक्षी- बेटा तुम जाओ और अपने बाकी के काम निपटाओ यहा मैं और जीजी संभाल लेंगे और घर मे सब नौकर है

जिसपर नेहा से गर्दन हिलाई और अपने रूम मे चली गई और जैसे ही वो रूम मे पहुची उसके पीछे किसी ने दरवाजा खटखटाया, नेहा ने दरवाजा खोला तो वहा श्वेता खड़ी थी

नेहा- हम्म तो मेरी देवरानी को मुझसे क्या काम है

नेहा ने थोड़े शरारती अंदाज मे पूछा

श्वेता- कुछ नही मैं तो बस अपनी जेठानी जी से मिलने आई थी

श्वेता ने भी उसकी टोन मे जवाब दिया

श्वेता- भाभी... आपसे एक बात पुछु ??

नेहा- हा हा पूछो न

नेहा ने बेड पर के कपड़े समेटते हुए कहा

श्वेता- भईया कहा है? मैंने तो उन्हे हमारी शादी मे भी नही देखा

श्वेता के सवाल ने नेहा के हाथ रोक दिए थे

नेहा- जैसा मैंने कहा वो काम मे बिजी है वरना ऐसा कौनसा भाई होगा जो अपने छोटे भाई की शादी मिस करेगा

नेहा के जवाब से श्वेता थोड़ा कन्विन्स हो गई थी

श्वेता- हा ये तो सही है लेकिन भाभी...

श्वेता कुछ आगे बोलती इससे पहले ही उसका फोन बजने लगा देखा तो वो शेखर का था

श्वेता- भाभी मैं आपसे बाद मे बात करती हु शेखर मुझे बुला रहे है

और श्वेता वहा से चली गई और उसके जाते ही नेहा अपने रूम के सोफ़े पर बैठ गई और उसने एक लंबी सास ली

“ये तो मुझे भी नाही पता के वो कहा है तो मैं तुम सबको क्या बताऊ ? मुझे तो ये भी नही पता के वो कल रात घर आए भी थे या नही, अब तो कभी कभी लगता है मेरी शादी हुई भी है या नही”

नेहा ने अपनी आंखे बंद की और सोफ़े पर ही लेट गई

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शेखर- इतना क्या सोच रही हो स्वीट्हार्ट

शेखर ने श्वेता को पीछे से गले लगाते हुए कहा

श्वेता- भईया और भाभी के बारे मे सोच रही हु

शेखर- हूह? क्यू?

श्वेता- दादी ने कहा ना के भईया बहुत बिजी रहते है और उन दोनों की शादी को भी बस 5 ही महीने हुए है तुम्हें नाही लगता भईया को भाभी के साथ टाइम स्पेन्ड करना चाहिए ? तुमने भाभी का चेहरा देखा था जब बड़े पापा ने उन्हे भईया के बारे मे पूछा था ?

शेखर- बात तो तुम्हारी सही है, भाई हमेशा घर से दूर रहता है और उसने अपने आप को काम मे इतना उलझा लिया है के वो कभी कभी तो ऑफिस मे ही सो जाता है

श्वेता – तुम्हें क्या लगता है उनकी शादी बगैर उनकी मर्जी के हुई है?

शेखर – न, मुझे तो ऐसा नही लगता, हा ये सच है के उनकी अरेंज मेरिज है लेकिन अगर वो एक दूसरे को पसंद ना करते तो इस शादी से मना कर सकते थे और भाभी फॅमिली के साथ बहुत खुश लगती है और मैंने जब भी भाई भाभी को साथ देखा है वो मुझे नॉर्मल ही लगे और जहा तक भाई की बात है तो वो अपने आप को एक्स्प्रेस नाही करता और अब वो रूम के अंदर कैसे है ये मैं नहीं बता सकता सब हमारे जैसे नही होते न बेबी,

शेखर ने श्वेता के गाल को चूमते हुए कहा और उसे अपनी तरफ घुमाया और धीरे धीरे अपने होंठों को उसके होंठों की तरफ बढ़ाने लगा

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जानकी- नेहा बेटा तुम ऑफिस चली जाओ अभी, तुम्हारे पापाजी ने एक इम्पॉर्टन्ट फाइल मँगवाई है और कहा है ये किसी फॅमिली मेम्बर के हाथ से ही भेजे, शेखर तुम्हारे साथ चला जाएगा और इन लोगों का लंच भी लेती जाओ, वैसे तो मैं शेखर को ही भेजती लेकिन उसे ऑफिस के बाद कही बाहर जाना है

नेहा- कोई बात नाही मा आप मुझे फाइल और लंच दे दीजिए मैं चली जाऊँगी

जानकी- हा मैं पैक करवाती हु तुम तब तक जाके रेडी हो जाओ

जिसके बाद नेहा अपने रूम मे रेडी होने चली गई

थोड़े समय बाद जानकी ने नेहा को 2 फाइल और लंच बोक्सेस दिए

जानकी- नेहा इस बात का खास ध्यान रखना के मेरा नलायाक बेटा और तुम्हारा पति खाना खा ले तुम तो जानती हो के वो इस मामले मे कितना लापरवाह है

और जैसे ही नेहा ने राघव के बारे मे सुना उसकी दिल की धड़कन बढ़ गई, वो तो उसके बारे मे भूल ही गई थी फिर भी उसने हा मे गर्दन हिला दी

शेखर- चले भाभी..

शेखर ने सीढ़ियों से उतरते हुए कहा लेकिन उसका ध्यान उसके फोन मे था

वो दोनों कार मे जाकर बैठे

‘हे भगवान मैं उनसे कैसे बात करूंगी मैंने तो इन 5 महीनों मे कभी उनसे बात नाही की’ नेहा बहुत नर्वस थी और अपनी ही सोच मे गुम थी

शेखर- क्या हुआ भाभी? आप नर्वस हो क्या? आप आज पहली बार अपनी कंपनी मे जा रही है न

शेखर की बात पर नेहा ने हा मे गर्दन हिलाई

शेखर- अरे इतना नर्वस मत होइए भाभी भईया भी तो वही है

नेहा- वही तो प्रॉब्लेम है

नेहा ने ये बात एकदम धीमे से कही थी जीसे शेखर नही सुन पाया

शेखर- आपने कुछ कहा क्या?

नेहा- न... नही तो..

शेखर- आपको पता है भाभी हम ना अभी शेर की गुफा मे जा रहे है

शेखर ने नेहा को छेड़ते हुए कहा लेकिन नेहा उसकी बात नही समझी

नेहा- शेर? हमने ऑफिस मे शेर क्यू रख रखा है ?

शेखर- वो तो आपको वही जाकर पता चलेगा

शेखर ने स्माइल के साथ कहा जिसने नेहा को और भी ज्यादा कन्फ्यूज़ कर दिया लेकिन इससे पहले नेहा कुछ और पूछ पाती वो लोग ऑफिस पहुच चुके थे

कार से उतारने के बाद नेहा ने सामने देखा और उसका नर्वसनेस और बढ़ गया, इसीलिए नाही क्युकी वो देश की टॉप कंपनी के सामने खड़ी थी बल्कि इसीलिए क्युकी वो नही जानती थी के वो राघव से कैसे बात करेगी और सबसे इम्पॉर्टन्ट बात राघव उसे ऑफिस मे देख कर कैसे रीऐक्ट करेगा

शेखर- आओ भाभी

शेखर ने कहा जिसके बाद वो दोनों ऑफिस मे इंटर हुए, उनके अंदर घुसते ही सब लोगों ने उन्हे ग्रीट करना शुरू कर दिया

शेखर- भाभी मुझे एक कॉल आ रहा है आप आगे जाइए मैं कुछ देर मे आता हु, मैं किसी को कहता हु आपको कैबिन तक छोड़ दे, उम्म मिस रूबी प्लीज भाभी को कैबिन तक छोड़ आइए

शेखर ने वहा खड़ी एक एम्प्लोयी से कहा जिसके जवाब मे उसने हा मे गर्दन हिला दी और स्माइल के साथ नेहा को देखा बदले मे नेहा ने भी उसे एक स्माइल दी

रूबी- मैडम प्लीज मेरे साथ आइए

जिसके बाद नेहा रूबी के पीछे पीछे जाने लगि लेकिन बीच रास्ते मे ही एक लड़की ने आकार उनको रोक दिया और कहा

“रूबी, धनंजय सर ने अपॉइन्टमेंट लिस्ट मँगवाई है जल्दी” उस लड़की ने कहा

रूबी- मैं तो भूल ही गई थी कोई बात नाही मैं अभी सर को वो लिस्ट दे देती ही लेकिन पहले मुझे...

नेहा- नही कोई बात नाही बस आप मुझे बात दीजिए मैं चलि जाऊँगी

नेहा ने रूबी से कहा जिसपर पहले तो रूबी थोड़ा रुकी लेकिन फिर बाद मे उसने नेहा को रास्ता बता दिया

नेहा उस फ्लोर पर पहुची जो उसे रूबी ने बताया था, वो आगे कैबिन की तरफ जा ही रही थी के किसी ने उसे रोक दिया

“मिस कहा जा रही है आप?”

उस लड़की ने थोड़ा कड़े शब्दों मे पूछा जिससे उस फ्लोर पर सबका ध्यान उनकी ओर चला गया

नेहा- वो मुझे कुछ काम था तो...

पर उसने नेहा की बात पूरी ही नही होने दी कुछ लोगों ने उस लड़की को रोकने की भी कोशिश की लेकिन वो किसी की नही सुन रही थी

“काम?” उसने नेहा को ऊपर से नीचे तक देखा

“तुम तो कोई इम्प्लॉइ नही लगती हो और बगैर अपॉइन्टमेंट के यहा कोई नही आ सकता, सर बिजी है अभी” उसने रुडली कहा

नेहा – मैं कोई इम्प्लॉइ नाही हु और ना ही मुझे यहा आने के लिए किसी अपॉइन्टमेंट की जरूरत है, मैं.....

नेहा को अब थोड़ा गुस्सा आ रहा था जिस तरीके से वो बात कर रही थी लेकिन उसने एक बार फिर नेहा की बात काट दी

“मैं तुम जैसी लड़कियों को अच्छे से जानती हु जिन्हे बस आमिर लोगों की अटेन्शन चाहिए होती है” उस लड़की की बात सुनकर नेहा की आंखे बड़ी हो गई वही वहा खड़े लोगों को थोड़ा शॉक लगा लेकिन नेहा उसकी बात का कुछ जवाब दे पाती उससे पहले ही वहा एक आवाज गूंजी

ऐसी आवाज जिससे नेहा अपनी सुध खो देती थी वो जब भी उसे सुनती थी और उसके दिल की धड़कन बढ़ जाती थी..
नेहा अपनी जगह जाम गई थी और वहा खड़े को डर से नीचे देख रहे थे

क्या होगा अब?

जानेंगे अगले भाग मे

क्रमश:
Mahol update
 

raman chopra

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Update 5



“क्या हो रहा है वहा”

पीछे से एक डीप डोमीनेट करने वाली आवाज आई, उस आवाज मे एक जरब थी, हुकिमीपन था जो किसी को भी अपने सामने झुका सकता था

नेहा अपनी जगह पर जम गई थी हर बीतते पल के साथ उसके दिल की धड़कने भी बढ़ रही थी और नेहा को अब उसके गुस्से से डर लग रहा था

वहा खड़े सब लोग डर से नीचे देख रहे थे और नेहा भगवान से प्रार्थना कर रही थी के इस फ्लोर पर मौजूद सभी को उसके गुस्से से बचा ले

“स.. सर.. वो.. ये लेडी बगैर अपॉइन्टमेंट के आपके केबिन की तरफ जा रही थी और जब मैंने उसे रोका तो उसने कहा के उसे किसी अपॉइन्टमेंट की जरूरत नाही है” जिसने नेहा को रोका था उस लड़की ने कॉन्फिडेंट बनते हुए कहा और तभी नेहा के दिमाग मे एक बात आई

वो तो उसके केबिन मे नही जा रही थी वो तो पापा के केबिन मे जा रही थी

“टर्न”

उसने नेहा से कहा मानो वो उसकी कोई इम्प्लॉइ हो नेहा अपनी सारी का पल्लू पकड़ा और उसकी ओर मुड़ी, उसकी वो डोमीनेट करने वाली आवाज नेहा को कुछ सोचने ही नही दे रही थी, उसकी आवाज मे कोई नम्रता नही थी लेकिन नेहा ने अपने आप को शांत रखा

और वो उसकी तरफ मुड़ी और उस इंसान की तरफ देखा जो अभी उसके सामने खड़ा था

जो उसका सबकुछ था

परफेक्ट जॉलाइन तीखी नाक और उससे भी खूबसूरत आंखे, जेल लगा कर सेट किए हुए बाल हल्की दाढ़ी और काले रंग के सूट में वो वहा कहर ढा रहा था, उसके ऑफिस की लगभग हर लड़की को उसपर क्रश था और हो भी क्यू न वो था ही वैसा, इस जगह का राजा

राघव देशपांडे

नेहा ने उसकी नीली आँखों मे देखा, पहली बार उसने उसके साथ नजर मिलाई लेकिन बस एक सेकंद के लिए बाद ने उसने अपनी नजरे घुमा ली

राघव ने कुछ समय तक उसको देखा और फिर एक ऐसा सवाल पूछा जिसकी नेहा को कोई उम्मीद नही थी,

राघव- नाम क्या है तुम्हारा?

राघव ने साफ सर्द आवाज मे पूछा

नेहा और बाकी इम्प्लॉइ उसे ऐसे देख रहे थे मानो वो कोई भूत हो लेकिन वो बस नेहा को देख रहा था ईमोशनलेस चेहरे के साथ

राघव- इनसे इनका नाम पूछो

राघव ने उस लड़की से कहा जिसने नेहा को रोका था, उसकी आवाज से खतरे का अंदाज लगाया जा सकता था

“आप.. आपका नाम क्या है मैडम” उस लड़की ने हकलाते हुए पूछा

नेहा- न.. नेहा

नेहा ने इधर उधर देखते हुए अपनी आँखों मे जमे आँसुओ को छुपाते हुए कहा जिसमे वो कमियाब भी रही

कौन लड़की चाहेगी के उसका पति उससे शादी के पाँच महीने बाद उसका नाम पूछे वो भी ऐसे लोगों के सामने जो उनका रीलेशन जानते थे

राघव- पूरा नाम।

नेहा- नेहा देशपांडे

राघव- मैंने पूरा नाम पूछा है

राघव ने दोबारा नेहा की तरह देखते हुए अपने हर शब्द पर जोर देते हुए कहा

नेहा- नेहा राघव देशपांडे

नेहा ने नीचे देखते हुए कहा

राघव- मिसेस नेहा राघव देशपांडे

राघव ने एक एक शब्द पर जोर देते हुए नेहा को देखते हुए कहा जिससे नेहा ने भी उसकी ओर देखा

उसके मुह से आज अपना नाम सुन कर नेहा को अच्छा लगा लेकिन साथ ही उसके रूखे व्यवहार से तकलीफ भी हो रही थी राघव ने फिर उस लड़की की तरफ देखा

राघव – मुझे लगता है ये पहचान काफी है

राघव ने एक सर्द आवाज मे कहा और फिर अपने अससिस्टेंट से बोला

राघव- रवि, इसका टर्मिनेशन लेटर बनाओ

इतना बोल कर राघव अपने केबिन मे वापिस चला गया बगैर किसी की तरफ देखे और नेहा शॉक होकर उसकी तरफ देखती रही लेकिन नेहा से ज्यादा वो लड़की शॉक मे थी

“मैडम सॉरी मैडम, मुझे नाही पता था आप सर की वाइफ है, मुझे माफ कर दीजिए मैडम” उस लड़की की हेकड़ी उतर चुकी थी

नेहा- मैं बात करती हु

इतना बोल कर नेहा राघव के पीछे पीछे उसके केबिन मे चली गई

नेहा रघाव के पीछे बगैर नॉक किए केबिन मे जाने वाली थी लेकिन वो अपनी जगह रुक गई और उसने सोचा

‘ये पहले ही गुस्से मे है कही इनका गुस्सा ज्यादा ना बढ़ जाए’

नेहा ने केबिन का दरवाजा खटखटाया लेकिन कोई जवाब नही आया, नेहा ने दोबारा थोड़ा जोर से खटखटाया लेकिन इस बार भी हालत सेम ही रही फिर नेहा सीधा दरवाजा खोल कर अंदर चली गई

अंदर राघव अपनी खुर्ची पर आंखे मूँदे बैठा था

केबिन मे आने के बाद नेहा ने एक बात नोटिस की थी के अब राघव ने सिर्फ सफेद शर्ट और पैन्ट पहनी हुई थी कोट उसका सोफ़े पर पड़ा हुआ था..

नेहा को समझ नही आ रहा था के बात कैसे शुरू करे, बाकी लोगों के सामने तो वह बहुत बातुनी थी लेकिन राघव के सामने उसकी बोलती बंद हो गई थी ऐसा लग रहा था मानो उसके गले मे आवाज ही ना हो

राघव- अब तुम कुछ बोलोगी या वैसे ही मुझे देखती रहोगी

राघव ने वैसे ही बैठे बैठे बंद आँखों के साथ पूछा उसकी आवाज मे इरिटेशन झलक रहा था, नेहा ने अपनी नजरे घुमाई और बोली

नेहा- प्लीज उसे फायर मत कीजिए उसकी कोई गलती नही थी

राघव- तो किसकी गलती थी?

राघव ने अपनी आंखे खोली और अपने दोनों हाथ टेबल पर रखते हुए नेहा की ओर देखते हुए उससे पूछा और इससे पहले नेहा कुछ कह पाती वो आगे बोला

राघव – अगर पापा को पता चला के मैंने इस मामले मे कोई एक्शन नही लिया है तो मुझे उनका लेक्चर सुनना पड़ेगा तो मैंने एक्शन ले लिया ज्यादा मत सोचो

राघव ने थोड़ा रुडली कहा जिसके बाद नेहा से कुछ बोलते ही नही बना

राघव – वैसे तुम क्यू आई हो ?

राघव ने अपना लैपटॉप ऑन करते हुए पूछा जिसके बाद नेहा का दिमाग चला के वो वहा क्यू आई थी

नेहा- वो पापा का केबिन कहा है, मुझे उन्हे ये फाइल देनी थी
जिसके बाद राघव ने अपना एक हाथ बढ़ा दिया लेकिन नजरे उसकी लैपटॉप मे ही जमी हुई थी जिससे नेहा थोड़ा उदास हो गई

राघव- मुझे दे दो मैंने ही वो फाइल पापा से कह कर मँगवाई थी

नेहा- नहीं

जिसके बाद राघव ने अपना काम रोका और नेहा को देखा

नेहा- वो... मतलब पापा ने कहा था के फाइल बस उन्हे ही देनी है इसीलिए उन्होंने फॅमिली मेम्बर को लाने कहा था

जिसके बाद राघव ने उसे थोड़ा घूर के देखा

‘नेहा क्यू शेर को शिकार का मौका दे रही हो’ नेहा ने मन ही मन सोचा

राघव- मुझे दे दो मैं दे दूंगा पापा को

नेहा- नहीं, मैं सिर्फ पापा को ही ये फाइल दूँगी आपको चाहिए तो पापा से ले लेना

नेहा से थोड़ा कॉन्फिडेंट बनते हुए कहा और इसके आगे राघव कुछ बोल पाता शेखर वहा आ गया

राघव- अंदर घुसने से पहले नॉक नहीं कर सकते क्या!

राघव शेखर पर भड़क गया जिससे वो दोनों ही वही जम गए

शेखर- अरे यार भाई आराम से मुझे नाही पता था आपको भाभी के साथ प्राइवसी चाहिए

राघव- शट उप !

राघव पहले ही बाहर हुए वाकये से गुस्से मे था और अब उसमे शेखर उसे छेड रहा था

शेखर- भाभी बड़े पापा ने कहा है के फाइल भाई को ही दे दो

शेखर की बात सुनते ही नेहा ने हा मे गर्दन हिलाई और फाइल राघव की डेस्क पर रख दी और राघव उसे ऐसे देखने लगा मानो वो कोई ऐलीअन हो

वाह! मैंने कहा फाइल मुझे दे दो तो मेरी बात तो नहीं मानी लेकिन शेखर के बोलते ही फट से फाइल रख दी’ राघव ने मन ही मन सोच जिससे उसका गुस्सा थोड़ा और बढ़ गया

शेखर- और हा मैंने पापा और बड़े पापा को लंच दे दिया है आपने भाई को दे दिया ?

जिसके बाद नेहा ने लंच बॉक्स भी टेबल पर रख दिया

नेहा – मा ने कहा है पहले कहना खा लीजिएगा फिर काम कीजिएगा

नेहा से बहुत प्यार से कहा जीसे कोई मना कर ही नहीं सकता था लेकिन अपने राघव भाई बस लैपटॉप मे नजरे टिकाए बैठे रहे

शेखर- चलो भाभी हम लोग चलते है भाई खाना खा लेना और भाई दादू का स्ट्रिक्ट ऑर्डर है के आज 8 बजे के पहले घर आ जाना वरना दादू का गुस्सा देखने के लिए रेडी रहना

शेखर की बात सुनकर राघव ने नेहा की ओर देखा और सोचा के काही इसने अपनी कम्प्लैन्ट तो नहीं कर दी जिसके बाद नेहा और शेखर दोनों वहा से चले गए

आज इन पाँच महीनों मे पहली बार उन दोनों के बीच इतनी बात हुई थी और यही वो दोनों इस वक्त सोच रहे थे और यहा मैं सोच रहा हु के दादू को ऐसी कौनसी बात करनी है जिसके लिए उन्होंने राघव को जल्दी बुलाया है अगर आप भी यही सोच रहे है तो साथ बने रहिए आगे भाग मे तब तक आप लोग अपने कमेंट्स मे राघव को गाली दे सकते है मुझे बुरा नहीं लगेगा :D मिलते है आप से अगले अपडेट मे..


क्रमश:
Super duper good one
 
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