Rusev
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Padte haiUpdate Posted Dosto
Wah wahAayi meri subah hassti hassati
Boli aankhein tere liye sandesa hai, haan hai
Jaagi aankhon ko bhi sapna milega
Koi khushi aane ka bhi andesha hai, haan hai
Haannn haa…
Gulaabi si subah
Haaannn haa…
Sharaabi si hawa
Bheegi si bhaagi si
Meri baazuon mein samayi
Jogi si jaagi si
Koi prem dhun woh sunaye
Update 34
आज आकाश की सगाई थी और सब लोग तयारियों मे बिजी थी रेडी हो रहे थे ताकि सगाई वाली जगह के लिए निकल सके
कुमुद- सब हो गया?
बड़ी दादी ने संध्या जी से पूछा
संध्या- जी बुआ जी सब हो गया है अब आप आराम करिए चिंता मत करिए
कुमुद- ठीक है, सब तयार हो गए है ना हमे वहा समय पर पहुचना है
संध्या- मैं बस वही देखने जा रही थी
और इतना बोल के संध्या जी वहा से चली गई
शिवशंकर- अरे ये क्या अभी तक कोई तयार नहीं हुआ ?
दादू ने वहा आते हुए पूछा
कुमुद- संध्या गई है देखने..
तभी राघव वहा आ पहुचा जो पूरा रेडी था
शिवशंकर- अरे वाह राघव तुम हो गए तयार, जाओ और नेहा को बुला लाओ
दादू ने राघव को देखते ही कहा
कुमुद- और हा अगर उसे कुछ मदद चाहिए होगी तयार होने मे तो कर देना वो सबसे आखिर मे रेडी होने गई थी
बड़ी दादी और दादू दोनों ने ही राघव को नेहा को बुलाने कहा वही नेहा का नाम सुनते ही राघव वही जम गया और उसके गाल लाल हो गए और ऐसा क्यू हुआ तो ये जानने के लिए चलते है कुछ समय पहले....
राघव तयार होकर बस बाथरूम से बाहर आया ही था के उसने देखा के रूम मे नेहा रेडी हो रही है और नेहा को देखते ही उसकी आंखे बड़ी हो गई क्युकी इस वक्त नेहा बस ब्लाउस और पेटीकोट मे थी और साड़ी पहन रही थी, नेहा को लगा था के राघव रूम मे नहीं है क्युकी बाथरूम से उसे कोई आवाज नहीं आया था इसीलिए वो रेडी होने लगी और जब वो मुड़ी तो उसका मुह खुला का खुला रह गया आखे बाहर आने को हो गई क्युकी राघव बगैर पलके झपकाए उसे देखे जा रहा था...
नेहा ने झट से अपनी साड़ी का पल्लू लिया लेकिन तब तक तो राघव की नजर उसकी पतली कमर पर पड चुकी थी और ऐसे अचानक राघव को देखते ही नेहा चीखने ही वाली थी के राघव ने जल्दी से अपने हाथ से उसका मुह बंद कर दिया और नेहा की आधी पहनी साड़ी नीचे गिर गई और नेहा चौक के राघव को देखने लगी जब उसे राघव का हाथ अपनी कमर पर महसूस हुआ
राघव- चिल्लाओ मत! क्या कर रही हो यार
राघव ने कहा वही नेहा बड़ी बड़ी आँखों से उसे देखने लगी और उसे अपने आप को ऐसे देखता पाकर राघव को सिचुएशन का ध्यान आया और वो थोड़ा पीछे हटा और मूड के खड़ा हो गया
राघव- वो.. मैं... वो जानबुझ के नहीं हुआ.. मैं बाथरूम मे था और तुम यहा कपड़े क्यू बदल रही हो
राघव ने अपनी गलती नेहा पर डालने की कोशिश कि
नेहा- मुझे सपने नहीं आ रहे थे के आप बाथरूम मे हो मुझे कोई आवाज नहीं आया तो लगा के आप नहीं हो और वैसे भी मैं वहा साड़ी नहीं पहन सकती थी
नेहा ने वापिस साड़ी पहनते हुए धीमे से कहा
राघव- तो.. तो अबतक पहनी क्यू नहीं??
नेहा- वो.. वो मुझसे ब्लाउस की डोरी नहीं बंध रही थी पीछे से तो....
नेहा ने थोड़ा हिचकते हुए कहा
राघव- तो किसी को मदद के लिए बुला लेना था
नेहा- सब तयार हो रहे है
राघव- तो अब क्या करोगी कैसे रेडी होगी
राघव ने एकदम से पूछा
नेहा- किसी के रेडी होने का वेट करूंगी फिर
नेहा ने कहा और कुछ पल रूम मे शांति फैल गई
राघव- घूमो!
राघव ने एकदम से कहा जो नेहा को समझ नहीं आया
नेहा- हा?
राघव- अरे घूमो वरना लेट हो जाओगी चलने का टाइम हो गया है
राघव ने अपना कुर्ता सही करते हुए कहा
नेहा- नहीं ठीक है मैं कर लूँगी मैनेज
राघव- मैं खा नहीं जाऊंगा तुम्हें और वैसे भी तुम्ही ने मुझे पति वाला हक जमाने कहा था ना तो अब घूमो इतनी भी बड़ी बात नहीं है
‘अनहाहा नेहा क्यू कही थी तुमने वो बात’ नेहा ने मन ही मन अपने आप को कोसा
राघव- नेहा घूमो लेट हो रहा है
जिसके बाद नेहा थोड़ा हिचकते हुए मुड़ी और राघव को देखने कहा और राघव ने मूड कर देखा तो अनायास ही उसकी नजर नेहा की पीठ पर पड़ी और उसे पसीना आने लगा और वो धीरे धीरे नेहा की तरफ बढ़ा
राघव ने अपने हाथ से नेहा के बाल एक साइड हटाए, उसके हाथ थरथरा रहे थे और जैसे ही उसने नेहा की पीठ हो छुआ उसके होंठ बंद हो गए वही राघव का स्पर्श पीठ पर पाते ही नेहा के रोंगटे खड़े हो गए
राघव की नजरे एक पल को भी नेहा की पीठ ने नहीं हट रही थी और अब वहा का महोल गरम होने लगा था
राघव ने ब्लाउस की डोरी बांधनी शुरू की, धड़कने दोनों की बढ़ी हुई थी वही नेहा अपनी साँसों पे काबू कर रही थी
जब भी राघव उसके आसपास होता पता नहीं उसे क्या हो जाता
राघव- हो गया!
और इतना बोलते ही राघव झट से रूम से बाहर चल गया और अभी जब दादू और बड़ी दादी ने उसे नेहा को बुलाने कहा था तो रूम मे हुआ यही सीन याद कर राघव के गाल लाल हो गए थे
‘एक तो कल रात का सीन फिर अब, पता नहीं उसके पास जाते ही मुझे क्या होने लगता है दूर रहना पड़ेगा उससे वरना पता नहीं मैं क्या कर जाऊंगा, लेकिन क्या कमर थी यार’
राघव अपने ही खयालों मे खोया हुआ था तभी रमाकांत जी ने उसके चेहरे के सामने चुटकी बजा कर उसे होश मे लाया
रमाकांत- किधर खोए हो बरखुरदार?
शेखर- बड़े पापा लगता है भाई को कुछ याद आ गया होगा हैना भाई??
शेखर राघव को छेड़ने लगा इतने मे सब लोग वहा जमा हो चुके थे
राघव- शट उप शेखर! नेहा बस आती ही होगी बड़ी दादी
मीनाक्षी- श्वेता कहा है शेखर?
श्वेता- मैं यहा हु मा
श्वेता ने उनके पास आते हुए कहा, आज वो गजब की सुन्दर दिख रही थी और शेखर ने उसे आता देख उसे आँख मार दी
विवेक- वूह! भाभी लूकिंग ऑसम लेकिन आपके पतिदेव का क्या करे ये तो बांदर ही दिख रहा है
विवेक ने कहा जिस पर सब हसने लगे और शेखर ने उसे पेट मे हल्का सा मुक्का जड़ दिया
शेखर- सा...
शेखर अभी विवेक पर शब्द सुमनो की बारिश करने की वाला था के उसे घरवालों का ध्यान आया तो वो रुक गया, सब लोग श्वेता की तारीफ करने लगे
गायत्री- नेहा कहा है??
दादी ने इधर उधर देखते हुए पूछा
स्वाती- वो रही भाभी
स्वाती ने राघव के पीछे की तरफ इशारा किया जहा से नेहा आ रही थी और स्वाती की बात सुन राघव ने जैसे ही मूड कर पीछे देखा तो वो बस नेहा को देखता ही रह गया
नेहा धीरे धीरे चलते हुए राघव की तरफ आ रही थी उर उसके चेहरे पर एक खूबसूरत मुस्कान बनी हुई थी, राघव की पसंद की हुई साड़ी उसपर बहुत जच रही थी
नेहा को देख कर राघव के चेहरे पर भी मुस्कान आ गई, जो उसे अपने जीवनसाथी मे चाहिए था नेहा मे वो सब कुछ था रूप भी और गुण भी और इस वक्त वो किसी देवी से कम नहीं लग रही थी, सिम्पल एण्ड ब्यूटीफुल
रिद्धि- भाभी बहुत सुन्दर लग रही हो आप
रिद्धि ने कहा जिसपर नेहा बस मुस्कुरा दी
जानकी - आखिर बहु किसकी है
संध्या- साड़ी बहुत सुन्दर लग रही है नेहा नाइस चॉइस
रिद्धि- वो तो भईया की पसंद है चाची
मीनाक्षी- सही मे ? राघव तुमने पसंद की है ये साड़ी?
लेकिन राघव का किसी की बातों पर ध्यान ही कहा था वो तो उसकी बीवी मे ही खोया हुआ था
आकाश- भाई!!
आकाश ने राघव को हिला कर उसके सपनों की दुनिया से बाहर निकाला
राघव- आगाये सब चलो अब लेट हो रहा है और आकाश तुझे सगाई करनी है ना?
राघव ने एकदम से सबकी नजरे अपनी तरफ पाई तो बात बदलते हुए कहा और उसकी बात सुन आकाश भी जल्दी करने लगा
रमेश- हा अब चलना चाहिए वरना हमलोग लेट हो जाएंगे
शुभंकर- हा, और ममता से बात हुई है मेरी वो सीधा वही पहुचेंगे
आरती- ठीक है फिर सब तयार है तो चलते है हमे बस रितु को साथ लेना है उसके मा बाप नहीं आ रहे
और आरती जी के रितु का नाम लेते ही दो लोगों का मूड ऑफ हो गया वो थे नेहा और श्वेता
‘सब ने मेरी तारीफ की लेकिन इनके मुह से एक शब्द नहीं निकला’ नेहा ने राघव को देखते हुए सोचा
अब शेखर श्वेता, राघव और नेहा एक ही कार मे जाने वाले थे
शेखर- भाभी आप सामने भाई के साथ बैठो मैं और श्वेता पीछे बैठते है
शेखर ने नेहा ने कहा और ड्राइविंग सीट पर बैठे राघव को देखा नेहा ने हा मे गर्दन हिलाई और वो दरवाजा खोलने ही वाली थी के रितु वहा आ पहुची
रितु- हे अंकल आंटी ने मुझे तुम लोगों के साथ आने कहा है बाकी सारी गाड़ियां फूल है
रितु ने कहा और वो राघव के बाजू मे बैठने ही वाली थी के नेहा ने उसे रोक दिया
नेहा- वो मेरी जगह है रितु
रितु- तुम्हारा नाम लिखा है क्या यहा?
नेहा- नाम तो तुम्हारा भी नहीं है
अब नेहा इससे चिढ़ने लगी थी
रितु- हा लेकिन अब मैं बैठूँगी यहा
और इससे पहले रितु दरवाजा खोल कर राघव ने बाजू मे बैठती कार का शिशा नीचे हुए एक आवाज आया
राघव- नेहा मेरे बाजू मे आकार बैठो
राघव की उस डोमिनेंट आवाज ने सारा झगड़ा ही खतम कर दिया और रितु शॉक होकर उसे देखने लगी और नेहा राघव का सपाट चेहरा देखते हुए उसके बाजू मे जा बैठी
श्वेता- रितु आओ तुम मेरे पास बैठो
श्वेता ने अपने बाजू की खाली सीट की ओर इशारा करते हुए कहा और रितु तमतमाते हुए पीछे की सीट पर जा बैठी और वो निकल गए
रितु- नेहा तुम तो ऐसे तयार हुई हो जैसे तुम्हारी सगाई हो
रितु ने नेहा का मजाक बनाना चाहा
नेहा- वो क्या है ना शादी शुदा लड़किया ऐसे ही तयार होती है
रितु- लेकिन ये साड़ी कितनी...
नेहा- परफेक्ट! परफेक्ट है मेरे लिए इन्होंने जो पसंद की है!
नेहा ने रितु की बात बीच मे ही काटते हुए कहा जीसे सुन राघव के चेहरे पर भी एक हल्की सी बस हल्की सी स्माइल आ गई वही नेहा के जवाब पे रितु ने उसे गुस्से से देखा लेकिन फिर उसने अपनी नजरे राघव की ओर घुमाई
रितु- राघव तुमने ऐसे अचानक शादी करली ऐसा क्यू? बीवी तुम्हारे पसंद की है भी या नहीं?
उसने नेहा को तान मारा और गाड़ी मे सब एकदम शांत हो गए नेहा का चेहरा उतर गया उसने राघव को देखा जो बाहर रोड को देख कर गाड़ी चलाने पर ध्यान दे रहा था फिर उसने रीयर व्यू मिरर से रितु को देखा जिसके चेहरे पर शैतानी मुस्कान थी और राघव की इस चुप्पी से उदास होकर नेहा बाहर देखने लगी
लेकिन तभी उसके किसी का हाथ अपने हाथ पर महसूस हुआ उसने उस तरफ देखा तो पाया के राघव अपने बाये हाथ से उसका दाया हाथ पकड़ रखा था और उसका ध्यान अब भी रोड पर था, राघव ने नेहा का हाथ पकड़ के उसे चूम लिया जिससे नेहा के मन मे तितलिया उड़ने लगी और फिर
राघव पूरे रास्ते नेहा का हाथ पकड़े गाड़ी चलाता रहा
राघव- मुझे लगता है इतना जवाब काफी होगा
राघव ने रोड पर देखते हुए रितु से कहा और नेहा के चेहरे पर एक मुस्कान उभर आई और रितु चुप हो गई
उसके बाद उनमे से कोई कुछ नहीं बोला जब तक वो अपनी मंजिल पर ना पहुच गए.....
क्रमश:
mast maja wala update last me pandit ji ne jane kaun sa jhatka de diya. I think kuch achcha bola hoga jaise dundho nahao puto falo.ab baki ke sare update ek sath padhkar bataunga yun ek ek update ka utna sahi na lagega bas do din me current update tak aa jaungaUpdate 9
कुछ समय बाद परिवार के सभी लोग घर मे बने मंदिर मे सुबह की आरती के लिए इकट्ठा हो रहे थे आज संडे का दिन था तो किसी को काम पर जाने की कोई जल्दी नहीं थी।
विवेक- गुड मॉर्निंग भाभीलोंग
विवेक ने वहा खड़ी नेहा और श्वेता के बीच मे आकार खड़े होते हुए कहा
नेहा- गुड मॉर्निंग
नेहा ने विवेक की नाक खीच ली
शेखर- ओहो आज तो भाभी का मूड बड़ा अच्छा लग रहा है
राघव - ऐसा कह सकते है!
राघव ने पीछे से आते हुए शेखर की बात का समर्थन किया और नेहा को देखने लगा और नेहा नीचे देखने लगी
विवेक- हेनजी!
राघव- मतलब वो ऐसे कभी बिहेव नहीं करती ना
रिद्धि- भाई आपको ना कुछ नही पता आप घर पर ही कहा होते हो जो आपको भाभी का मस्ती वाला मूड पता हो भाभी को जानने के लिए पहले उसके साथ रहा तो कीजिए
रिद्धि ने कहा जिसपर ‘वो कभी होते ही तो नहीं है’ ये ख्याल नेहा के दिमाग मे आया और उसका चेहरा उतर गया और राघव बराबर नेहा के उतरे चेहरे का रीज़न समझ गया वो अच्छे से जानता था के नेहा को चेहरा क्यू उतरा और इसका रीज़न वो खुद था इसीलिए वो वहा से बगैर कुछ बोले चला गया
गायत्री- चलो सब लोग आरती के लिए आ जाओ आज चूंकि सब लोग है घर मे तो सब अपने अपने जोड़े के साथ आरती करेंगे
जिसके बाद गायत्री और शिवशंकर जी ने आरती शुरू की उनके बाद रमाकांत-जानकी, धनंजय- मीनाक्षी, विवेक, रिद्धि और श्वेता- शेखर
श्वेता ने आरती की थाली नेहा को दी और राघव उसके करीब आया और उसने प्लेट को छुआ और प्लेट को पकड़ते हुए उसका हाथ नेहा के हाथ को टच किया और वो हल्का सा स्पर्श नेहा के दिल की धड़कन बढ़ाने के लिए काफी था, नेहा ने उसकी तरफ देखा, वो भगवान की मूर्ति की तरफ देख रहा था जिसके बाद नेहा ने भी अपना ध्यान आरती मे लगाया
‘भगवानजी मैंने आपसे कभी कुछ नाही मांगा है आपने मुझे बिन मांगे ही सबकुछ दिया है लेकिन आज मांगती हु मेरे परिवार को हमेशा खुश रखना और इनकी सारी परेशानिया दूर करना’ नेहा ने आंखे बंद करके भगवान से प्रार्थना की और राघव बस उसे देखता रहा (क्या ही सही लड़की है bc पत्थर को सनम मान रही )
‘भगवान मेरे परिवार को हमेशा सुरक्षित और खुश रखना, मेरे पूरे परिवार को’ राघव ने मन ही मन भगवान से कहा और आखरी शब्द उसने नेहा को देखते हुए कहे (चलो कुछ तो अकाल आई इसको)
उसके बाद नेहा ने घर के सभी लोगों को आरती दी और पूजा की थाली मंदिर मे रख दी जिसके बाद सभी लोग नाश्ते के लिए डाइनिंग टेबल पर आ गए सबने अपने हाथ से अपना अपना नाश्ता लेना शुरू किया सिर्फ नेहा ने राघव की प्लेट मे नाश्ता परोसा फिर खुद लिया
रिद्धि- मॉम प्लीज किसी से कह कर नेहा भाभी का रूम क्लीन करवा दीजिए उनके रूम मे बहुत चूहे हो गए है और भाभी को उनसे डर लगता है
रिद्धि ने नाश्ता करते हुए ये बात छेड़ी जिससे नेहा का निवाला उसक मुह मे ही अटक गया और उसे ठस्का लगा और वो रिद्धि को देखने लगी
मीनाक्षी- अरे बेटा आराम से खाओ
रिद्धि - भाभी ठीक हो आप?
रिद्धि ने चिंता से पूछा जिसपर नेहा ने हा मे गर्दन हिलाई
जानकी- हा ठीक है मैं करवा दूँगी लेकिन चूहा आया कहा से हमारे घर मे तो चूहे नहीं है
विवेक- अरे भाभी ने कल भी देखा था एक चूहे को
और विवेक की बात सुन कर राघव कन्फर्म हो गया के ये लोग किस चूहे की बात कर रहे है, उसने एक बार नेहा को देखा जो नर्वसली इस बातचित को सुन रही थी
रिद्धि- हा पर आज वाला चूहा बड़ा था
रिद्धि ने विवेक से कहा जिसपर राघव ने जूस का घूट लेते हुए नेहा को देखा
शेखर- सिम्पल है न चूहे मारने वाली दावा छिड़क दो रूम मे उसमे क्या है चूहा मर जाएगा
और अब जूस गले मे अटकने की बारी राघव की थी क्युकी चूहा कौन है ये वो जानता था और यहा तो उसी का भाई उसे मारने की प्लैनिंग कर रहा था लेकिन राघव ने कुछ नहीं कहा वो बस नेहा को देखता रहा और नेहा ‘मर गई’’ वाला लुक लिए वहा बैठी रही
रमाकांत- बेटा अगर तुम चूहों से इतना डरती हो तो राघव से कहना चाहिए था ना वो उसे बाहर निकाल देता
‘अब अपने आपको अपने ही रूम से बाहर कैसे निकलू’ राघव धीमे से पुटपुटाया जिसे नेहा ने सुन लिया और राघव वापिस नेहा को देखने लगा के अब वो इसपे क्या बहाना बनाती है पर वो कुछ कहती इससे पहले धनंजय बोल पड़े
धनंजय- राघव को तो ये बात पता होगी न भाईसाब, क्यू राघव तुम्हें नहीं पता था तुम्हारे रूम मे एक चूहा है ?
राघव- मुझे तो नही दिखा चाचू इसीलिए मैं किसी से कहने वाला था लेकीन रिद्धि ने बात छेड दी
राघव ने नेहा को देखने हुए कहा और उसका रिएक्शन देखने लगा वही नेहा ने एक राहत की सास ली के राघव ने बात संभाल ली थी
गायत्री- अगर सब का नाश्ता और बाते हो गई हो तो चलो श्वेता को कुछ रस्मे करनी है वो अपने मायके जाए उससे पहले
उसके बाद सबने नाश्ता किया और श्वेता ने कुछ रस्मे की, श्वेता का भाई उसे लेने आया हुआ था और वो सबको बाय बोल कर उसके साथ चली गई, शेखर कल उसके मायके जाकर उसे ले आएगा।
गायत्री- रमाकांत, मैं और तुम्हारे पापा सत्संग मे जा रहे है आज संडे है तो
शिवशंकर- हा और हमारा शाम का खाना भी वही होगा तो हमारी राह मत देखना
जिसके बाद दादू दादी दोनों रेडी होने चले गए
धनंजय- मुझे और मीनाक्षी को भी अनाथालय जाना है हमेशा की तरह
रमाकांत- और आज बड़े दिनों बाद छुट्टी मिली है तो...
रमाकांत जी जानकी की ओर देखने लगे
नेहा – पापा आप और मा आज काही घूम आइए एंजॉय कीजिए
नेहा ने अपने ससुर का इशारा समझते हुए कहा और रमाकांत ने उसे आँखों से ही धन्यवाद कहा
नेहा- मा मुझे मंदिर जाना है जाऊ?
जानकी- हा हा जाओ ना बेटा तुम्हें पूछने की क्या जरूरत है, हमेशा जैसे तुम चारों चले जाओ और हा मेरे नलायाक बेटे को भी ले जाओ
जानकी ने आखरी लाइन सीढ़ियों से ऊपर जाते राघव को देख कर कही जीसपर नेहा मुस्कुरा दी वही राघव उसे घूरने लगा
शेखर- भाभी मैं चल तो लू आपके साथ लेकिन आपका खदूस पति चाहता है के मैं मीटिंग अटेन्ड करू, आज बताओ छुट्टी के दिन काम करवा रहे मेरे से आप बात करो ना भाई से
शेखर ने नेहा को मस्का मारने की कोशिश की वही रघाव ने इन भाभी देवर की बाते सुन ली और बोला
राघव- सोचना भी मत शेखर कोई बहाना नहीं चलेगा तुम पहले ही बहुत छुट्टी ले चुके हो सीधा ऑफिस के लिए निकलो चलो
रिद्धि- भाभी हम भी नही आ पाएंगे इग्ज़ैम आ रहे है, मुझे और विवेक को लाइब्रेरी जाना है इग्ज़ैम के चलते कॉलेज मे संडे को भी लाइब्रेरी ओपन रखी है कुछ बुक्स लानी वरना हम ये चांस नहीं छोड़ते , सॉरी भाभी
नेहा- अरे उसमे सॉरी क्या जाओ तुम लोग
शेखर- भाभी मैं वादा करता हु जल्दी आ जाऊंगा बस तब तक भगवान आपको इस जालिम आदमी को सहने की शक्ति दे
शेखर ने राघव को देखते हुए कहा जो सीढ़ियों पर खड़े होकर ये नौटंकी देख रहा था
विवेक- भाभी पक्का जाए न हम आप जाएंगी भाई के साथ?
विवेक के सवाल पर नेहा ने हा मे गर्दन हिला दी
मीनाक्षी- वो राघव के साथ जा रही है किसी माफिया डॉन के साथ नहीं जो तुम लोग ऐसा कर रहे हो
मीनाक्षी ने विवेक रिद्धि और शेखर से कहा और जब सब लोग अपने अपने काम पर निकल गए तब नेहा ने राघव को देखा जो उसी को देख रहा था
नेहा- आइ एम सॉरी
नेहा ने नीचे देखते हुए कहा
राघव- क्यू?
नेहा- वो सुबह के लिए और फिर नाश्ते के वक्त...
इसके आगे नेहा से कुछ नहीं बोला गया
नेहा- आप चिंता मत करो मैं चली जाऊँगी आपको आने की जरूरत नहीं है मैं किसी को कुछ नाही कहूँगी
नेहा ने नर्वसली कहा
राघव - तयार हो जाओ मैं अपनी मा की बात नही टालता
राघव ने कहा और मूड कर रूम मे जाने लगा और जाते जाते रुका फिर बगैर मुड़े बोला
राघव- और हर बात के लिए सॉरी कहना बंद करो
जिसके बाद राघव अपने रूम मे चला गया और नेहा शॉक मे वही खड़ी रही ये सोचते हुए के ‘राघव को क्या हुआ है’ क्यूके उसका ऐसा बिहेवियर नॉर्मल नही था
तयार होकर नेहा और राघव भगवान राम के मंदिर जाने निकले
दोनों सारे रास्ते शांत थे लेकिन ये शांति नेहा से सहन नहीं हो रही थी लेकिन कुछ बोलने मे भी डर लग रहा था, जब वो लोग पहुच गए तब गाड़ी से उतर कर राघव बोला
राघव- चलो वहा से पूजा की थाली ले लेते है
राघव ने मंदिर के पास बनी एक बड़ी दुकान की ओर इशारा किया
नेहा- रुकिए.. मतलब वहा से क्यू यही से ले लेते है न इन लोगों की भी मदद हो जाएगी
नेहा ने एक छोटी की दुकान को देखते हुए कहा जिसके बाद वो उस दुकान मे चली गई और पूजा के लिए जरूरी चीजे लेकर वो दोनों मंदिर मे आए
नेहा ने पूजा की थाली पंडित जी को दे दी जिसे पंडित जी ने भी मुस्कुराकर लिया और बादमे पंडित जी ने आकर उन दोनों को प्रसाद दिया और कुछ ऐसा कहा जिससे राघव को एक झटका लगा...
ऐसा क्या कहा था पंडित जी ने जिसे सुन राघव शॉक हो गया??
जानेंगे अगले अपडेट मे तब तक कमेंट्स आते रहने चाहिए मुझे नहीं पता कैसे बस कमेंट्स चाहिए और वो भी भरपूर
क्रमश:
Raghav aaj tak akela tha mujhe lag raha hai.kitna bechain hoke tumse mila tumko kya thi khabar tha mai kitna akelaUpdate 10
नेहा ने पूजा की थाली पंडित जी को दे दी जिसे पंडित जी ने भी मुस्कुराकर लिया और बादमे पंडित जी ने आकार उन दोनों को प्रसाद दिया और नेहा के सर पर हाथ रख कर बोले
पंडित- जन्मदिन की बहुत शुभकामनाए नेहा बिटिया
(जन्मदिन है बी अपनी नायिका का )
जिसपर नेहा ने भी झुक कर पंडित जी का आशीर्वाद लिया वही राघव शॉक मे खड़ा उन्हे देख रहा था उसे तो आज नेहा का बर्थडे इसका दूर दूर तक कोई अंदाजा नहीं था, राघव को नेहा के साथ देख पंडित जी ने नेहा से पूछा
पंडित- अरे बिटिया ये कौन है ?
पंडित जी के सवाल से नेहा के ध्यान मे आया के आज तो राघव भी उसके साथ था वरना तो वो अकेले ही होती थी
नेहा- वो.. वो पंडित जी ये.. ये मेरे पति है राघव देशपांडे
नेहा ने धीमे से कहा वही राघव अब भी उसे देखे जा रहा था
पंडित- अरे वाह! अच्छा लगा आप से मिल कर। हर साल नेहा बिटिया अकेले ही आती है पर अब आप है उसके साथ उसे प्यार करने वाला जीवनसाथी मिल गया है, बड़ा अच्छा लगा नेहा बेटा तुम्हें खुश देख कर
(खुश )
पंडित जी ने राघव और नेहा से कहा वही राघव कुछ नही बोला बस नेहा को देख के मुस्कुरा दिया
‘प्यार करने वाला जीवनसाथी’ नेहा ने मन मे सोचा मानो अपने आप को चिढ़ा रही हो
राघव- जी पंडितजी अब मैं हु ना अब नेहा अकेली नहीं है
राघव ने नेहा को देखते हुए कहा वही नेहा ने उसकी बात सुन कर उसे देखा, राघव की नजरे नेहा के मन मे तितलिया उड़ा रही थी और उसकी बात सुन नेहा के गालों पर लाली छाने लगी थी, शायद उसके मन मे कुछ तो उम्मीद जग रही थी लेकिन नेहा भावनाओ मे बहने वाली लड़की तो बिल्कुल नहीं थी वो मानो जानती थी के ये सब शायद दिखावा है
मंदिर मे दर्शन करने के बाद वो दोनों बाहर आए और राघव कुछ बोलता इससे पहले ही नेहा उससे थोड़ा दूर आई और वहा मौजूद कुछ गरीब बच्चों की ओर चली गई और उन्हे लेकर पास वाली दुकान ने उन्हे खाने पीने का सामान दिलाने लगी वही राघव खड़ा खड़ा उसकी हर ऐक्टिविटी देख रहा था।
नेहा वापिस आई और दोनों कर मे आ बैठे लेकिन कार बस खड़ी रही और जब राघव ने कार शुरू नहीं की तो नेहा ने पूछा
नेहा- क्या हुआ?? आप गाड़ी क्यू नाही चला रहे?
राघव- मुझे छोड़ो तुम्हें क्या हुआ है?
राघव ने अचानक से पूछा जिससे नेहा थोड़ा चौकी
नेहा- क.. कहा क्या.. कुछ भी तो नहीं
राघव – तुमने किसी को क्यू नहीं बताया के आज तुम्हारा बर्थडे है, अगर तुम ये बात बताती तो हम कुछ प्लान करते ना
राघव ने नेहा को घूरते हुए कहा
नेहा- अरे इस.. इसमे इतनी बड़ी क्या बात है बर्थडे ही तो है
राघव- लोग अपने बर्थडे के लिए एक्सईटेड रहते है और तुम कह रही हो बर्थडे ही तो है! यार कम से कम बताना तो चाहिए था तुम्हें
राघव ने हल्के गुस्से मे कहा
नेहा- मुझे मेरा बर्थडे मनाना पसंद नहीं है बस इसीलिए नहीं बताया।
नेहा ने इधर उधर देखते हुए कहा
राघव- और ऐसा क्यू भला, बताएंगी आप?
(वैसे तो ये उससे बात नहीं करता अब इतनी पंचायत )
राघव ने नेहा के बिहेवियर से इरिटेट होते हुए पूछा और नेहा ने कुछ पल उसे अच्छे से देखा और फिर बोली
नेहा- मैं एक बहुत ही सिम्पल लड़की हु जिसे सिम्पल छोटी छोटी चीज़े पसंद है, मेरी शादी एक बड़े परिवार मे हुई है इसका ये मतलब नही है के सब मुझे अटेंशन दे या मैं कोई गोल्ड डिगर हु, मुझे किसी भी चीज का दिखावा पसंद नही है, मैं जानती थी के मैं अगर ये बात किसी को भी बताती तो घरवाले कुछ न कुछ प्लान जरूर करते और बर्थडे ना मनाना मेरी खुद की चॉइस है और इसीलिए मैंने किसी को नही बताया
नेहा बोलते बोलते कुछ पल रुकी और वापिस बोलना शुरू किया
नेहा- और आप को अचानक मेरी लाइफ मे इतना इंटरेस्ट कहा से आया? आप इस शादी से कभी खुश नही लगे मुझे फिर अब इतना इंटरेस्ट क्यू? मुझे किसी से किसी चीज की एक्सेप्टेशन नहीं है क्युकी भले ही वो मेरे लिए इम्पॉर्टन्ट क्यू न हो पर जब मेरे हसबैंड ही मुझे एक्सेप्ट नहीं करते तो मैं उस फॅमिली को अपना कैसे मानू?
बोलते बोलते नेहा की आँखों मे पानी आ गया था और राघव उसके इस कन्फेशन से शॉक होकर उसे देख रहा था
नेहा- प्लीज घर मे किसी को मेरे बर्थडे के बारे मे मत बताइएगा मैं उसे ही मेरा गिफ्ट समझ लूँगी
नेहा ने अपने आँसू पोंछते हुए कहा, कहना तो नेहा को बहुत कुछ था लेकिन कुछ भी कह कर कोई मतलब नहीं था, राघव इन बातों को कभी नहीं समझेगा ऐसा उसे लगता था।
राघव कुछ नहीं बोला और उसने शांति से गाड़ी घर की तरफ बढ़ा दी, घर पहुचने पर नेहा जल्दी से गाडी से उतरी और घर के अंदर चली गई वही राघव बस कार मे बैठा उसे जाते देखता रहा।
‘क्या मैंने उसे इतना हर्ट कर दिया? मैंने कभी नहीं सोचा था के मेरे एक्शंस उसे इतनी तकलीफ पहुचा देंगे और वो ऐसा कैसे सोच सकती है के मैं उसे एक गोल्ड डिगर मानता हु’ राघव ने गुस्से मे अपना हाथ गाड़ी के स्टिरिंग व्हील पे दे मार
‘मैं जानता हु मैंने कभी एक अच्छे पति की तरफ बिहेव नहीं किया है लेकिन मैंने कभी उसके बारे मे कुछ गलत भी नहीं सोचा, वही तो है तो जिसके आने से मेरा सारा परिवार खुश है, कितना खयाल रखती है सबका, मेरा भी, जबकि मैंने उसे कितना हर्ट किया है साफ कह दिया था उससे के मुझे उसकी कोई जरूरत नही फिर भी... शायद दादू सही थे नेहा के बारे मे’
एक तरफ राघव अपने खयालों मे गुम था वही नेहा को ऐसा लग रहा था के उसे राघव से वो सब बाते नहीं करनी चाहिए थी
‘हे भगवान क्या हो गया था मुझे? मैंने उनसे ये सब क्यू कह दिया? अब वो और ज्यादा गुस्सा होंगे, कुछ सोच नेहा कुछ सोच’ नेहा सोच मे गुम थी के तभी
“भाभी!!!!!” नेहा को विवेक और रिद्धि का आवाज आया जो उसे पुकार रहे थे और जब उसने पलट कर देता तो पाया के दोनों उसके रूम मे आ चुके थे
“हमने आपको बहुत मिस किया” रिद्धि और विवेक ने नेहा को दोनों साइड से हग करते हुए कहा
“और मैंने भी” उन दोनों की आवाज मे अब एक और आवाज मिल चुकी थी जो शेखर की थी जो कैजुअल कपड़ों मे था
नेहा- तुम्हारी मीटिंग थी ना गए नहीं तुम?
शेखर - हा वो जल्दी खतम हो गई तो लौट आया, बस अभी अभी लौटा हु और कपड़े बदल के आ गया
ये लोग बात कर ही रहे थे के इनको वहा किसी और के होने का भी एहसास हुआ और जब गेट पर नजर पड़ी तो देखा के राघव रूम के दरवाजे पे खड़ा था
विवेक- भाई हमारी भाभी का खयाल रखने का बहुत बहुत शुक्रिया अब अगर आपको ऑफिस जाना हो तो आप जाओ हम है अब यहां
विवेक ने राघव को दूसरे शब्दों ने वहा से जाने के लिए बोल दिया था बोले तो उसे उसके ही रूम से निकाला जा रहा था और राघव विवेक को घूरने लगा लेकिन विवेक पे उसके कुछ असर नहीं हुआ
राघव- ओये चमन चिली! तुझे पता है न वो पहले मेरी बीवी है बाद मे तेरी भाभी
राघव की बात सुन कर नेहा उसे आखे बड़ी करके देखने लगी
शेखर- हा तो हम कहा कुछ कह रहे है भाई ओफकोर्स भाभी आप की ही है
शेखर ने राघव के मजे लेते हुए कहा लेकिन राघव ने कुछ रिस्पॉन्स नही किया और अंदर आकार बेड पर बैठ गया लेकिन मन ही मन वो खुश जरूर हुआ जब शेखर ने बोला के नेहा सिर्फ उसकी है
रिद्धि- भाई हम दिनभर भाभी से बाते करेंगे जैसे हर संडे को होता है आप बोर हो जाओगे
राघव- क्यू?? मैं क्यू बोर हो जाऊंगा मैं कोई 60 साल का नहीं हु समझी ना
विवेक- हा लेकिन बिहेव तो वैसा ही करते हो ना 60 साल वालों जैसा
राघव- विवेक, क्या बोला दोबारा बोलना
राघव मे विवेक को घूरते हुए पूछा
विवेक- क्या... यकीन ना हो तो भाभी से पूछ लो के आप 60 साल वाले अंकल जैसा बिहेव करते हो
विवेक ने मामला नेहा की ओर सरका दिया और नेहा बस राघव को देखने लगी जो अब नेहा के रिप्लाइ की राह देख रहा था
शेखर- हा हा बताओ भाभी
राघव- अब तो मुझे भी सुनना है बताओ
नेहा- वो... मैं... वो
नेहा कुछ बोलती इससे पहले ही रिद्धि बोल पड़ी
रिद्धि- ऑफफो क्या आप लोग भी भाभी से पूछ रहे वो तो भाई का ही साइड लेंगी ना छोड़ो ये बाते आज हमे बहुत कुछ करना है
शेखर- हा पहले बाते करेंगे फिर कोई मस्त फिल्म देखेंगे और फिर शाम मे कुछ बाहर से मंगवालेंगे खाने के लिए और रात.....
शेखर पूरा प्लान बता ही रहा था के राघव ने उसे बीच मे टोक दिया
राघव- उम्हू मूवी के बाद का प्लान रहने दो मैं और तुम्हारी भाभी बाहर जा रहे है
विवेक- क्यू??
विवेक ने राघव को घूरते हुए पूछा
राघव- मुझे अपनी बीवी को बाहर ले जाने के लिए तेरी पर्मिशन नहीं चाहिए
राघव ने भी विवेक को वैसे ही घूरते हुए कहा वही नेहा को राघव की बात सुनकर एक छोटा हार्ट अटैक ही आ गया
रिद्धि- ओहो भाई डेट पे लेजा रहे भाभी को
राघव- यही रूम मे बैठो, बाते करो मैं अभी आता हु चेंज करके
राघव ने सबको इग्नोर किया और बाथरूम की ओर चला गया
शेखर- ये क्या हुआ अभी अभी
शेखर ने शॉक होकर पूछा
विवेक- लगता है मैं सपने मे हु
विवेक ने भी सेम टोन मे कहा
रिद्धि- भाभी भाई का सर वर टकराया है क्या कही ?
नेहा ने अपनी गर्दन ना मे हिला दी क्युकी राघव का ये बिहेवियर सबके लिए शॉकिंग था, वो कभी इनलोगों के साथ टाइम स्पेंड नही करता था, आज बड़ी मुद्दतों बाद राघव उनके साथ थोड़ा टाइम बितानेवाला था...
क्रमश:
Raghav ban gawa Ravan achcha hai are isko na silajeet ka churan chatao pyaar bahar nikal aayega sasurUpdate 25
शेखर- जाने दे बे विवेक ये डरता है। भाई मे वो खतरों के खिलाड़ी वाली बात नहीं रही अब
और बस अब तो इन्होंने राघव के एगो को ललकार दिया था अब वो पीछे नहीं हटने वाला था और अब अपने आप को खतरों का खिलाड़ी प्रूव करने राघव देशपांडे कुछ भी कर सकता था
राघव- ठीक है डेयर लिया बताओ क्या करना है
राघव ने सपाट चेहरे से पूछा वही शेखर की मुस्कान हट ही नहीं रही थी और अब आने वाला था मजा....
शेखर- पक्का ना? देखो सिर्फ डेयर चुनने से कुछ नहीं होता उसे पूरा भी करना होता है पता है ना ?
राघव- और तू मुझे अच्छे से जानता है के राघव देशपांडे पीछे हटने वालों मे से नहीं है
शेखर- ठीक है फिर आप यही चाहते है तो आपका डेयर ये है के.................. किस भाभी!
शेखर ने शैतानी मुस्कान के साथ कहा वही राघव और नेहा चौक के उसे देखने लगे
विवेक- ओहोहों ब्रो यू रॉक मैन
विवेक श्वेता और रिद्धि भी अब शेखर के साइड थे और राघव और नेहा दोनों ही जानते थे के शेखर ने ये डेयर जान बुझ के दिया है
राघव- शेखर!
राघव ने शेखर को घूर के देखा
शेखर- बस निकल गई हवा, बोला था नहीं कर पाओगे, अरे यार भाई ऐसे पार्टी खराब मत करो यार एक किस ही तो है और ऐसा भी नहीं है के आप ये पहली बार कर रहे हो, कम ऑन ब्रो हज़बन्ड वाइफ हो आप तो ये तो कॉमन है या कभी आपने कुछ किया ही नहीं... यू नो....
शेखर ने मासूम बनते हुए कहा
राघव- ये सही नहीं है शेखर!
राघव अब भी उसे घूर रहा था
श्वेता- इसमे क्या गलत है ये तो नॉर्मल है...
रिद्धि- हा एकदम सही इसमे तो सब नॉर्मल है और ऐब्नॉर्मल तब होता जब आपने ये कभी किया ही ना होता
रिद्धि फ़्लो मे बोले जा रही थी क्युकी असल बात उसे पता ही नहीं थी और राघव और नेहा बड़ी आंखो से बस उन्हे देख रहे थे
शेखर- क्या हुआ? डर गए?
राघव- हट्ट बे!
शेखर- डर तो है
राघव- बोला न मैं नहीं डरता
विवेक- देन कम ऑन भाई गो अहेड एण्ड किस हर, ऐसा तो नहीं है के वो कोई अजनबी है शी इस योर वाइफ
विवेक ने कहा और राघव ने नेहा को देखा जो उसे ही देख रही थी
राघव कुछ देर नेहा को देखता रहा फिर वहा मौजूद लोगों को देखा और अब वो समझ चुका था के अपन ने उड़ता तीर ले लिया है और अब वापिस पलटने का कोई चांस ही नहीं है डेयर तो उसे पूरा करना ही पड़ेगा
राघव अपनी जगह से उठा और धीरे धीरे नेहा की ओर बढ़ा जो उसे देख के नर्वस हो रही थी और धीरे धीरे उसे देखते हुए थोड़ा थोड़ा पीछे सरक रही थी
राघव को नेहा की ओर बढ़ता देख कर वो चारों हूटिंग करने लगे, रिद्धि और विवेक ने बाजू मे सरक ने नेहा की ओर बढ़ते राघव के लिए थोड़ी जगह बनाई ताकि वो वहा बैठ सके
घटती घटनाओ को देखते हुए नेहा का गला सुख रहा था और उसकी आवाज तो उसका साथ कब का छोड़ चुकी थी, उसे एसी मे भी पसीना आने लगा था और सास तो उसकी बढ़ी हुई ही थी, राघव की हालत भी कुछ अलग नहीं थी वो भी वही फ़ील कर रहा था जो नेहा को फ़ील हो रहा था, नर्वस तो वो भी था
‘यार इसके पास आते ही नजाने क्यू मेरी धड़कने बढ़ने लगती है’ नेहा के करीब आते ही राघव के मन मे खयाल आया
राघव नेहा के पास आया और उस नजदीकी को ना झेल पाते हुए नेहा ने अपनी आंखे बंद कर ली
‘हे भगवान ये क्या कर रहे है!!” नेहा मन ही मन चीखी
श्वेता और शेखर ने एकदूसरे को देख एक विजयी मुस्कान दी...
राघव नेहा के पास सरक कर बैठ गया तभी उसकी नजर उसके बाजू मे पड़ी नेहा की चुनरी पर गई और उसने कुछ सोच के नेहा को देखा, उसने वो चुनरी उठाई और अपने और नेहा के सर पर डाल ली जिससे उनके सर से लेके कंधों तक का भाग ढक गया, उसने अपना सर नेहा के सर से लगाया और अपनी गर्दन थोड़ी सी घुमाई जिससे नेहा ने अपनी आंखे खोल दी,
बाहर से देखने वालों को ऐसा ही लग रहा था के वो दोनों किस कर रहे है लेकिन अंदर वो दोनों बस एकदूसरे की आँखों मे खोए हुए थे, वही सब लोग उनके लिए चीयर कर रहे थे
अचानक राघव ने नेहा का बाया हाथ पकड़ा जिससे वो सिहर उठी और वो हाथ उसने अपनी गर्दन पर रख दिया और इसमे उसने अपनी नजरे नेहा की नजरों से बराबर मिलाई हुई थी वही नेहा ने शर्मा कर अपनी पलके झुका ली, वो अपने पूरे चेहरे पर राघव की साँसों को महसूस कर सकती थी
कुछ समय बाद राघव बोला
राघव- चलो सब निकलो अब मुझे मेरी वाइफ के साथ थोड़ी प्राइवसी चाहिए
राघव नेहा को देखते हुए अपने भाई बहनों से बोला जिससे नेहा उसे घूर के देखने लगी
शेखर- हाओ हाओ, मुझे लगता है अपने को चलना चाहिए अब, भाई आप कन्टिन्यू करो
शेखर के इतना बोलते ही वो सब लोग मुसकुराते हुए वहा से निकल गए लेकिन राघव अब भी नेहा की आँखों मे ही खोया हुआ था
राघव- जाते टाइम दरवाजा बंद करके जाना
राघव ने थोड़ा जोर से कहा ताकि वो लोग सुन सके वही इससे नेहा और ज्यादा नर्वस हो गई और शर्मा ने लगी
राघव- क्या हुआ मिसेस देशपांडे? इतनी शर्म अचानक से?
राघव ने अपनी डीप आवाज मे पूछा वही नेहा की मुस्कान छुपाये नहीं छुप री थी उसने चुनरी से अपना चेहरा छुपा लिया बदले मे राघव भी हसा और उसने ऐसे हसते देख नेहा ने चौक के उसे देखा क्युकी ये तो रेयर मोमेंट था,
राघव- क्या?
नेहा- वो... आप
राघव- अरे अब क्या मैं हस भी नहीं सकता क्या
नेहा- नहीं वो बात नहीं है वो मैंने आपको कभी ऐसे हसते नहीं देखा न तो...
नेहा वापिस नर्वस होने लगी थी और राघव के रिएक्शन से तो वो वैसे ही थोड़ा डरती थी क्या पता इसका मूड कब बदल जाए
लेकिन इस बार राघव कुछ नहीं बोला बस उसे देखता रहा ‘अभी तो तुमने राघव को जाना ही नहीं है लेकिन जान जाओगी’
नेहा- मुझे.... मुझे लगता है मुझे अब जाना चाहिए
नेहा से अब वहा राघव की नजरों के सामने नहीं बैठा जा रहा था तो वो वहा से जाने के लिए उठी ही थी के राघव ने उसकी कलाई पकड़ के उसे रोक दिया, नेहा का दिल जोरों से धडक रहा था
राघव- मेरी बात अभी पूरी नहीं हुई है
राघव ने उसे वापिस अपने सामने बैठा लिया, नेहा बैठे बैठे अपनी साड़ी के पल्लू से खेलने लगी लेकिन वो राघव की तरफ नहीं देख रही थी
राघव- वो शेखर जो कह रहा था क्या वो सच है? तुम सही मे मुझे राक्षस बुलाती हो?
राघव ने पूछा और नेहा ने एकदम उसे देखा
नेहा- नहीं! नहीं तो वो तो शेखर उस टाइम मजाक कर रहा था मैं ऐसा थोड़ी कह सकती हु आपको
नेहा ने जोर ने ना मे मुंडी हिलाते हुए किसी बच्चे की तरह कहा
राघव- अच्छा! नही वो मैंने परसो सुबह नींद मे किसी को रावण बुलाते हुए सुना था, वो कौन था फिर??
राघव ने मासूमियत से पूछा वही नेहा को पता चल गया के चोरी पकड़ी गई है
नेहा- जी वो... असल मे...
नेहा अब थोड़ा डर रही थी उसे बिल्कुल अंदाजा नहीं था के राघव ने उस दिन वो सुन लिया होगा और अब राघव क्या बोलेगा इस बारे मे वो सोचने लगी वही राघव अपनी मुस्कान छुपाते हुए नेहा के मजे ले रहा था, नेहा से कुछ बोलते नहीं बन रहा था और जब वो कुछ बोलने ही वाली थी के तभी उन दोनों को नीचे से किसी के चिल्लाने का आवाज आया, किसी एक का नहीं बल्कि कई लोग एकसाथ चिल्लाए थे,
उस आवाज ने उनका ध्यान अपनी ओर खिच लिया था और क्या हुआ है ये देखने के लिए वो लोग जल्दी से नीचे भागे और वहा जो उन्होंने देखा वो उन्हे शॉक करने के लिए काफी था...
ऐसा क्या हुआ होगा ?
बताओ फिर कमेंट्स मे...
क्रमश:
lovely update ..shivshankar ghar ka mukhiya hai ,jiske 2 bete hai ..Update 1
इस वक़्त सुबह के लगभग 9 बज रहे थे, देशपांडे वाडे मे सभी लोग इस वक़्त एक एक करके नाश्ते के लिए जमा हो रहे थे, अब जब तक ये सभी लोग नाश्ते के लिए जमा हो रहे है तब तक मिलते है इस कहानी के किरदारो से
सबसे पहले तो परिवार के मुखिया शिवशंकर देशपांडे, अपने जमाने के एक जाने माने बिज़नेसमॅन और पॉलिटीशियन, जिनकी बात घर मे तो क्या बाहर भी कोई नही टाल सकता, बिज़नेस वर्ल्ड से लेके एरिया पॉलिटिक्स तक अगर शिवशंकर देशपांडे ने कोई बात बोली है तो वो होनी ही है क्यूकी वो कोई भी बात हवा ने नही करते थे उनकी बोली हर बात के पीछे कोई ना कोई गहन विचार ज़रूर होता था, फिलहाल तो ये अपनी रिटायरमेंट लाइफ एंजाय कर रहे है अपने बेटे बहू और पोते पोतियो के साथ..
वैसे तो शिवशंकर भाऊ की बात कोई नही टाल सकता लेकिन केवल एक शक्स है जिनकी बात भाऊ भी नही टाल सकते, उनकी पत्नी श्रीमती गायत्री देशपांडे जो इस वक़्त उनके बगल की खुर्ची पर बैठे हुए अख़बार पढ़ रही है, शिवशंकर देशपांडे जीतने हसमुख आदमी है उतनी ही गायत्री देवी शांत और थोड़े गुस्सैल स्वाभाव वाली है...
गायत्री - अभी तक कोई भी नही आया है नाश्ता करने सब के सब आलसी हो रहे है घर मे
गायत्री देवी ने हल्के गुस्से मे कहा
शिवशंकर - अरे आ जाएँगे, अभी देखो जानकी और मीनाक्षी बहू तो किचन मे नाश्ता तयार कर रही है और रमाकांत और धनंजय आते ही होंगे, धनंजय को कल ऑफीस से आने मे लेट हो गया था और रमाकांत सुबह सुबह दिल्ली से लौटा है बाकी बच्चो की बात करू तो राघव सुबह सुबह ऑफीस के लिए निकल गया है और बाकी के भी आते होंगे..
वेल इस देशपांडे परिवार के कुछ नियम थे जैसे के सुबह का नाश्ता और रात का खाना सारा परिवार साथ खाएगा, घर मे ना तो पैसो की कोई कमी थी ना नौकर चाकर की लेकिन गायत्री देवी का मानना था के खाना घर की बहू ने ही बनाना चाहिए हालांकि ऐसा नही था के वो प्रोग्रेसिव नही थी अपने जमाने में उन्होंने काम में शिवशंकर जी का हाथ बखूबी बटाया था और अपनी बहुओं को भी वही सिखाया था और ये भी इनपर छोड़ा था के वो घर संभालना चाहती है या नहीं जिसपर उनकी बहुओं ने भी उनकी बात का सम्मान किया था और काम और घर बखूबी संभालना जानती थी,
गायत्री - हा.. ये हो गया आपका रेडियो शुरू, क्यू जी आपने क्या घर के सभी लोगो के पीछे जासूस लगा रखे है क्या जो कौन कहा है क्या कर रहा है आपको सब पता होता है ?
शिवशंकर - अनुभव, इसे अनुभव कहते है और अपने परिवार की परख
अब ज़रा उनलोगो के बारे मे जान लिया जाए जिनका जिक्र अभी इस उपर वाली बातचीत मे हुआ है,
शिवशंकर और गायत्री देशपांडे के दो बेटे है रमाकांत देशपांडे और धनंजय देशपांडे, जहा रमाकांत देशपांडे अपनी कान्स्टिट्यूयेन्सी से एमपी है वही धनंजय देशपांडे अपनी फॅमिली का ज्यूयलरी का बिज़नेस संभालते है वही इन दोनो की पत्निया रेस्पेक्टिव्ली जानकी और मीनाक्षी देशपांडे अपने घर को संभालने के साथ साथ एक एनजीओ भी चलती है
ये लोग बात कर ही रहे थे के एक लड़का आकर शिवशंकर जी के खुर्ची के बाजू मे आकर बैठ गया,
"गुड मॉर्निंग दादू, दादी "
ये है गायत्री और शिवशंकर देशपांडे का छोटा पोटा शेखर देशपांडे, धनंजय और मीनाक्षी का बेटा, जिसने अभी अभी अपना एमबीए कंप्लीट किया है और फिलहाल अपनी छुट्टियां बिता रहा है,
शिवशंकर - गुड मॉर्निंग हीरो, और क्या प्लान है आजका
शेकर- बस कुछ खास नही, अभी नाश्ते के बाद बढ़िया कोई फिल्म देखूँगा और शाम को दोस्तो के साथ बाहर जाने का प्लान है
गायत्री - अरे ऐसे टाइम वेस्ट करने से अछा ऑफीस जाया करो अब तुम भी, वाहा काम सीखो अपने भाई से..
शेखर- अरे सीख लूँगा दादी क्या जल्दी है
"जल्दी है"
ये आवाज़ थी शेखर के पिता धनंजय देशपांडे की
धनंजय- जल्दी है भाई मैं भी चाहता हू के अपना सारा बिज़्नेस का भार तुम्हे सौप के थोड़ा रीटायरमेंट लाइफ एंजाय करू जैसे भैया ने अपनी बिज़नेस की सारी ज़िम्मेदारी राघव को दे दी है वैसे ही मैं भी जल्दी से चाहता हू के तुम अब बिज़नेस मे मेरा हाथ बटाओ, बहुत मस्ती कर ली बेटा आ करियर पे फोकस करो थोड़ा
इधर जैसे ही धनंजय का लेक्चर शुरू हुआ वैसे ही शेखर ने अपने दादाजी की तरफ बचाओ वाली नज़रो से देखा
शिवशंकर- अच्छा ठीक है शेखर कल से तुम ऑफीस जाना शुरू करोगे धनंजय सही कह रहा है
शेखर- लेकिन दादू…
तब तक वाहा नाश्ते के लिए सभी लोग जमा हो चुके थे…
सिवाय एक के, राघव
शिवशंकर- अच्छा अब सब लोग ध्यान से सुनो मुझे तुम सब से एक ज़रूरी बात करनी है…
शिवशंकर की बात सुन कर सब उनकी तरफ देखने लगे
शिवशंकर – मैं सोच रहा था के अब राघव ने सब कुछ संभाल ही लिया है तो मुझे लगता है के अब हमे उसकी शादी के बारे मे सोचना शुरू कर देना चाहिए
शिवशंकर की बात सुनकर सब लोग चुप चाप हो गए और उन्हे देखने लगे
शिवशंकर- अरे भाई क्या हुआ? मैने ग़लत कहा क्या कुछ ?
गायत्री- एकदम सही बात बोली है आपने मेरे भी दिमाग़ मे कबसे ये बात चल रही थी
रमाकांत - हा बाबा बात तो सही है और मुझे लगता है के जब आप ये बात कर रहे हो तो आपने ज़रूर लड़की भी देखी ही होगी
रमाकांत की बात सुन कर शिवशंकर जी मुस्कुराने लगे
धनंजय- मतलब भैया का अंदाज़ा सही है आप लड़की से मिल चुके है
शिवशंकर- नही मिला तो अभी नही हू लेकिन हा लड़की देख रखी है, नेहा नाम है उसका, बड़ी प्यारी बच्ची है
शेखर- मैं कुछ बोलू?
शिवशंकर- हम्म बोलो
शेखर- नही ये शादी वग़ैरा का प्लान आपका एकदम सही है दादू लेकिन भाई से तो बात कर लो वो अलग ही प्राणी हो रखा है, सनडे को कौन ऑफीस जाता है यार..
रमाकांत- बात तो शेखर की भी सही है
शिवशंकर- अरे तुम सब राघव की चिंता मत करो उससे मैं बात कर लूँगा वो मुझे मना नही करेगा मैं सोच रहा था के आज सनडे है तो क्यू ना हम सब उनके घर जाकर उनसे मिल आए..
गायत्री- अब जब आपको ये रिश्ता जच रहा है तो हर्ज ही क्या है आज ही चलते है
“कहा जाने की बात हो रही है?” ये इस जनरेशन की एकलौती बेटी रिद्धि
शेखर- भाई के लिए लड़की देखने
रिद्धि - वाउ, मतलब घर मे शादी, मतलब ढेर सारी शॉपिंग.. मैं अभी से प्लान बनाना शुरू कर देती हू
गायत्री- ये देखा अभी बात पक्की नही हुई और इनके प्लान बनने लगे
“मैं भी चलूँगा” ये इस घर का सबसे छोटा बेटा, विवेक
धनंजय- तुम चल के क्या करोगे सिर्फ़ हम बडो को जाने को बाद मे चलना
विवेक- डैड..!
शिवशंकर- अरे बस बस पहले सब नाश्ता करो फिर बाद मे बात करेंगे इसपे
अगले दिन रात 11.30
देशपांडे वाड़े के मेन गेट से एक गाड़ी अंदर आई, जिसमे से एक 26-27 साल का लड़का निकला जिसने एक पाउडर ब्लू कलर की शर्ट पहन रखी थी और ब्लॅक पैंट जिसका ब्लॅक कोट और एक बैग उसने हाथ मे पकड़ रखा था, सुबह जो बाल जेल लगा कर सेट किए थे वो अब थोड़े बिखर गये थे, हल्की ट्रिम की हुई दाढ़ी, वेल बिल्ट बॉडी लेकिन काम की थकान उसके चेहरे से साफ पता चल रही थी..
उसने घर का गेट खोला और अंदर आया, यूजुअली सब लोग इस वक़्त तक अपने अपने रूम मे जा चुके होते है लेकिन आज घर के हॉल मे शिवशंकर बैठ कर अपने बड़े पोते का इंतजार कर रहे थे..
ये इस घर का बड़ा पोटा राघव..
हॉल मे बैठे शिवशंकर को देख कर राघव थोड़ा चौका
राघव - दादू? आप सोए नही अभी तक?
शिवशंकर - अगर मैं सो जाता तो अपने पोते का चेहरा कैसे देखता? तुमसे मिलने के लिए लगता है के अब घर वालो को भी अपॉइंटमेंट लेना पड़ेगा
दादू थोड़े गुस्से मे लग रहे थे
राघव- दादू वो आजकल तोड़ा काम..
शिवशंकर- खाना खाया?
राघव- हा वो आज एक क्लाइंट के साथ ही डिनर किया
शिवशंकर- 15 मिनट मे फ्रेश होकर मुझे मेरी स्टडी मे मिलो.
इतना बोल कर दादू वाहा से चले गये और राघव भी अपने रूम की ओर बढ़ गया..
15 मिनट मे राघव शिवशंकर के स्टडी मे था
शिवशंकर ने दो मिनिट तो कुछ नही कहा बस राघव को देखते रहे जिसपर राघव ने चुप्पी तोड़ी
राघव- दादू क्या हुआ ऐसे क्या देख रहे हो
शिवशंकर- अपने आप को देख रहा हू बेटा एक जमाने मे जब मैने ये बिज़नेस शुरू किया था तब मैं भी तुम्हारी ही तरह था.. और अपने जीवन के अनुभव से मैने सीखा है के काम में इतना ना उलझो के परिवार के लिए वक़्त ही ना बचे
राघव- पर दादू काम भी तो ज़रूरी है ना
शिवशंकर- हा ज़रूरी तो है खैर इस बारे मे फिर कभी अभी जो बात मैं तुमसे कहना चाह रहा हू उसे ध्यान से सुनो, क्या तुम किसी लड़की को पसंद करते हो?
राघव- क्या? दादू ये बात करने बुलाया है आपने मुझे?
राघव ने तोड़ा कन्फ्यूज़ टोन मे कहा
शिवशंकर- क्यू, अरे भाई तुम दिखते अच्छे हो, इतना बड़ा बिज़नेस संभालते हो तो कोई गर्लफ्रेंड भी तो होगी तुम्हारी? आजकल तो ये आम बात है..
राघव- क्या दादू आप भी
शिवशंकर- हा या ना बताओ मेरे बच्चे फिर मुझे जो बात करनी है वो आगे बढ़ाऊंगा
राघव- ओके फाइन, कोई गर्लफ्रेंड नही है मेरी
शिवशंकर - गुड, क्यूकी मैने तुम्हारे लिए एक लड़की पसंद की है मैं चाहता हू तुम्हारी शादी उससे हो, इनफॅक्ट हम सब उससे मिल आए है कल मैं बस तुमसे जानना चाहता था के तुम किसी को पसंद तो नही करते ना
राघव- क्या?? दादू लेकिन…
शिवशंकर- अगर तुम्हारे पास कोई बढ़िया रीज़न हो ना कहने का तो ही कहना क्यूकी मैं शादी नही करना चाहता अभी ये रीज़न नही चलेगा, रही बात काम की तो मैं भी बिज़नेस संभाल चुका हू सब मॅनेज हो सकता है
शिवशंकर की बात से राघव के चेहरे के एक्सप्रेशन्स बदलने लगे.. ये बात तो साफ थी के उसके पास कोई रीज़न नही था शादी से भागने का लेकिन वो अभी शादी भी नही करना चाहता था.
शिवशंकर- राघव काम सारी जिंदगी होता रहेगा लेकिन कभी ना कभी तो बेटा परिवार भी आगे बढ़ाना पड़ेगा ना.. इसी बहाने तुम हमे घर मे तो दिखोगे
राघव ने कुछ नही कहा..
शिवशंकर- कल तक अच्छे से इस बारे मे सोच लो राघव फिर मुझे बताना…
जिसके बाद राघव वाहा से अपने रूम मे आने के लिए निकल गया और शिवशंकर अपने रूम मे चले गये…
तो क्या फ़ैसला लेगा राघव? वो शादी के लिए मानेगा या नही, देखते है अगले भाग मे..
क्रमश:
Nice and superb update....Update 34
आज आकाश की सगाई थी और सब लोग तयारियों मे बिजी थी रेडी हो रहे थे ताकि सगाई वाली जगह के लिए निकल सके
कुमुद- सब हो गया?
बड़ी दादी ने संध्या जी से पूछा
संध्या- जी बुआ जी सब हो गया है अब आप आराम करिए चिंता मत करिए
कुमुद- ठीक है, सब तयार हो गए है ना हमे वहा समय पर पहुचना है
संध्या- मैं बस वही देखने जा रही थी
और इतना बोल के संध्या जी वहा से चली गई
शिवशंकर- अरे ये क्या अभी तक कोई तयार नहीं हुआ ?
दादू ने वहा आते हुए पूछा
कुमुद- संध्या गई है देखने..
तभी राघव वहा आ पहुचा जो पूरा रेडी था
शिवशंकर- अरे वाह राघव तुम हो गए तयार, जाओ और नेहा को बुला लाओ
दादू ने राघव को देखते ही कहा
कुमुद- और हा अगर उसे कुछ मदद चाहिए होगी तयार होने मे तो कर देना वो सबसे आखिर मे रेडी होने गई थी
बड़ी दादी और दादू दोनों ने ही राघव को नेहा को बुलाने कहा वही नेहा का नाम सुनते ही राघव वही जम गया और उसके गाल लाल हो गए और ऐसा क्यू हुआ तो ये जानने के लिए चलते है कुछ समय पहले....
राघव तयार होकर बस बाथरूम से बाहर आया ही था के उसने देखा के रूम मे नेहा रेडी हो रही है और नेहा को देखते ही उसकी आंखे बड़ी हो गई क्युकी इस वक्त नेहा बस ब्लाउस और पेटीकोट मे थी और साड़ी पहन रही थी, नेहा को लगा था के राघव रूम मे नहीं है क्युकी बाथरूम से उसे कोई आवाज नहीं आया था इसीलिए वो रेडी होने लगी और जब वो मुड़ी तो उसका मुह खुला का खुला रह गया आखे बाहर आने को हो गई क्युकी राघव बगैर पलके झपकाए उसे देखे जा रहा था...
नेहा ने झट से अपनी साड़ी का पल्लू लिया लेकिन तब तक तो राघव की नजर उसकी पतली कमर पर पड चुकी थी और ऐसे अचानक राघव को देखते ही नेहा चीखने ही वाली थी के राघव ने जल्दी से अपने हाथ से उसका मुह बंद कर दिया और नेहा की आधी पहनी साड़ी नीचे गिर गई और नेहा चौक के राघव को देखने लगी जब उसे राघव का हाथ अपनी कमर पर महसूस हुआ
राघव- चिल्लाओ मत! क्या कर रही हो यार
राघव ने कहा वही नेहा बड़ी बड़ी आँखों से उसे देखने लगी और उसे अपने आप को ऐसे देखता पाकर राघव को सिचुएशन का ध्यान आया और वो थोड़ा पीछे हटा और मूड के खड़ा हो गया
राघव- वो.. मैं... वो जानबुझ के नहीं हुआ.. मैं बाथरूम मे था और तुम यहा कपड़े क्यू बदल रही हो
राघव ने अपनी गलती नेहा पर डालने की कोशिश कि
नेहा- मुझे सपने नहीं आ रहे थे के आप बाथरूम मे हो मुझे कोई आवाज नहीं आया तो लगा के आप नहीं हो और वैसे भी मैं वहा साड़ी नहीं पहन सकती थी
नेहा ने वापिस साड़ी पहनते हुए धीमे से कहा
राघव- तो.. तो अबतक पहनी क्यू नहीं??
नेहा- वो.. वो मुझसे ब्लाउस की डोरी नहीं बंध रही थी पीछे से तो....
नेहा ने थोड़ा हिचकते हुए कहा
राघव- तो किसी को मदद के लिए बुला लेना था
नेहा- सब तयार हो रहे है
राघव- तो अब क्या करोगी कैसे रेडी होगी
राघव ने एकदम से पूछा
नेहा- किसी के रेडी होने का वेट करूंगी फिर
नेहा ने कहा और कुछ पल रूम मे शांति फैल गई
राघव- घूमो!
राघव ने एकदम से कहा जो नेहा को समझ नहीं आया
नेहा- हा?
राघव- अरे घूमो वरना लेट हो जाओगी चलने का टाइम हो गया है
राघव ने अपना कुर्ता सही करते हुए कहा
नेहा- नहीं ठीक है मैं कर लूँगी मैनेज
राघव- मैं खा नहीं जाऊंगा तुम्हें और वैसे भी तुम्ही ने मुझे पति वाला हक जमाने कहा था ना तो अब घूमो इतनी भी बड़ी बात नहीं है
‘अनहाहा नेहा क्यू कही थी तुमने वो बात’ नेहा ने मन ही मन अपने आप को कोसा
राघव- नेहा घूमो लेट हो रहा है
जिसके बाद नेहा थोड़ा हिचकते हुए मुड़ी और राघव को देखने कहा और राघव ने मूड कर देखा तो अनायास ही उसकी नजर नेहा की पीठ पर पड़ी और उसे पसीना आने लगा और वो धीरे धीरे नेहा की तरफ बढ़ा
राघव ने अपने हाथ से नेहा के बाल एक साइड हटाए, उसके हाथ थरथरा रहे थे और जैसे ही उसने नेहा की पीठ हो छुआ उसके होंठ बंद हो गए वही राघव का स्पर्श पीठ पर पाते ही नेहा के रोंगटे खड़े हो गए
राघव की नजरे एक पल को भी नेहा की पीठ ने नहीं हट रही थी और अब वहा का महोल गरम होने लगा था
राघव ने ब्लाउस की डोरी बांधनी शुरू की, धड़कने दोनों की बढ़ी हुई थी वही नेहा अपनी साँसों पे काबू कर रही थी
जब भी राघव उसके आसपास होता पता नहीं उसे क्या हो जाता
राघव- हो गया!
और इतना बोलते ही राघव झट से रूम से बाहर चल गया और अभी जब दादू और बड़ी दादी ने उसे नेहा को बुलाने कहा था तो रूम मे हुआ यही सीन याद कर राघव के गाल लाल हो गए थे
‘एक तो कल रात का सीन फिर अब, पता नहीं उसके पास जाते ही मुझे क्या होने लगता है दूर रहना पड़ेगा उससे वरना पता नहीं मैं क्या कर जाऊंगा, लेकिन क्या कमर थी यार’
राघव अपने ही खयालों मे खोया हुआ था तभी रमाकांत जी ने उसके चेहरे के सामने चुटकी बजा कर उसे होश मे लाया
रमाकांत- किधर खोए हो बरखुरदार?
शेखर- बड़े पापा लगता है भाई को कुछ याद आ गया होगा हैना भाई??
शेखर राघव को छेड़ने लगा इतने मे सब लोग वहा जमा हो चुके थे
राघव- शट उप शेखर! नेहा बस आती ही होगी बड़ी दादी
मीनाक्षी- श्वेता कहा है शेखर?
श्वेता- मैं यहा हु मा
श्वेता ने उनके पास आते हुए कहा, आज वो गजब की सुन्दर दिख रही थी और शेखर ने उसे आता देख उसे आँख मार दी
विवेक- वूह! भाभी लूकिंग ऑसम लेकिन आपके पतिदेव का क्या करे ये तो बांदर ही दिख रहा है
विवेक ने कहा जिस पर सब हसने लगे और शेखर ने उसे पेट मे हल्का सा मुक्का जड़ दिया
शेखर- सा...
शेखर अभी विवेक पर शब्द सुमनो की बारिश करने की वाला था के उसे घरवालों का ध्यान आया तो वो रुक गया, सब लोग श्वेता की तारीफ करने लगे
गायत्री- नेहा कहा है??
दादी ने इधर उधर देखते हुए पूछा
स्वाती- वो रही भाभी
स्वाती ने राघव के पीछे की तरफ इशारा किया जहा से नेहा आ रही थी और स्वाती की बात सुन राघव ने जैसे ही मूड कर पीछे देखा तो वो बस नेहा को देखता ही रह गया
नेहा धीरे धीरे चलते हुए राघव की तरफ आ रही थी उर उसके चेहरे पर एक खूबसूरत मुस्कान बनी हुई थी, राघव की पसंद की हुई साड़ी उसपर बहुत जच रही थी
नेहा को देख कर राघव के चेहरे पर भी मुस्कान आ गई, जो उसे अपने जीवनसाथी मे चाहिए था नेहा मे वो सब कुछ था रूप भी और गुण भी और इस वक्त वो किसी देवी से कम नहीं लग रही थी, सिम्पल एण्ड ब्यूटीफुल
रिद्धि- भाभी बहुत सुन्दर लग रही हो आप
रिद्धि ने कहा जिसपर नेहा बस मुस्कुरा दी
जानकी - आखिर बहु किसकी है
संध्या- साड़ी बहुत सुन्दर लग रही है नेहा नाइस चॉइस
रिद्धि- वो तो भईया की पसंद है चाची
मीनाक्षी- सही मे ? राघव तुमने पसंद की है ये साड़ी?
लेकिन राघव का किसी की बातों पर ध्यान ही कहा था वो तो उसकी बीवी मे ही खोया हुआ था
आकाश- भाई!!
आकाश ने राघव को हिला कर उसके सपनों की दुनिया से बाहर निकाला
राघव- आगाये सब चलो अब लेट हो रहा है और आकाश तुझे सगाई करनी है ना?
राघव ने एकदम से सबकी नजरे अपनी तरफ पाई तो बात बदलते हुए कहा और उसकी बात सुन आकाश भी जल्दी करने लगा
रमेश- हा अब चलना चाहिए वरना हमलोग लेट हो जाएंगे
शुभंकर- हा, और ममता से बात हुई है मेरी वो सीधा वही पहुचेंगे
आरती- ठीक है फिर सब तयार है तो चलते है हमे बस रितु को साथ लेना है उसके मा बाप नहीं आ रहे
और आरती जी के रितु का नाम लेते ही दो लोगों का मूड ऑफ हो गया वो थे नेहा और श्वेता
‘सब ने मेरी तारीफ की लेकिन इनके मुह से एक शब्द नहीं निकला’ नेहा ने राघव को देखते हुए सोचा
अब शेखर श्वेता, राघव और नेहा एक ही कार मे जाने वाले थे
शेखर- भाभी आप सामने भाई के साथ बैठो मैं और श्वेता पीछे बैठते है
शेखर ने नेहा ने कहा और ड्राइविंग सीट पर बैठे राघव को देखा नेहा ने हा मे गर्दन हिलाई और वो दरवाजा खोलने ही वाली थी के रितु वहा आ पहुची
रितु- हे अंकल आंटी ने मुझे तुम लोगों के साथ आने कहा है बाकी सारी गाड़ियां फूल है
रितु ने कहा और वो राघव के बाजू मे बैठने ही वाली थी के नेहा ने उसे रोक दिया
नेहा- वो मेरी जगह है रितु
रितु- तुम्हारा नाम लिखा है क्या यहा?
नेहा- नाम तो तुम्हारा भी नहीं है
अब नेहा इससे चिढ़ने लगी थी
रितु- हा लेकिन अब मैं बैठूँगी यहा
और इससे पहले रितु दरवाजा खोल कर राघव ने बाजू मे बैठती कार का शिशा नीचे हुए एक आवाज आया
राघव- नेहा मेरे बाजू मे आकार बैठो
राघव की उस डोमिनेंट आवाज ने सारा झगड़ा ही खतम कर दिया और रितु शॉक होकर उसे देखने लगी और नेहा राघव का सपाट चेहरा देखते हुए उसके बाजू मे जा बैठी
श्वेता- रितु आओ तुम मेरे पास बैठो
श्वेता ने अपने बाजू की खाली सीट की ओर इशारा करते हुए कहा और रितु तमतमाते हुए पीछे की सीट पर जा बैठी और वो निकल गए
रितु- नेहा तुम तो ऐसे तयार हुई हो जैसे तुम्हारी सगाई हो
रितु ने नेहा का मजाक बनाना चाहा
नेहा- वो क्या है ना शादी शुदा लड़किया ऐसे ही तयार होती है
रितु- लेकिन ये साड़ी कितनी...
नेहा- परफेक्ट! परफेक्ट है मेरे लिए इन्होंने जो पसंद की है!
नेहा ने रितु की बात बीच मे ही काटते हुए कहा जीसे सुन राघव के चेहरे पर भी एक हल्की सी बस हल्की सी स्माइल आ गई वही नेहा के जवाब पे रितु ने उसे गुस्से से देखा लेकिन फिर उसने अपनी नजरे राघव की ओर घुमाई
रितु- राघव तुमने ऐसे अचानक शादी करली ऐसा क्यू? बीवी तुम्हारे पसंद की है भी या नहीं?
उसने नेहा को तान मारा और गाड़ी मे सब एकदम शांत हो गए नेहा का चेहरा उतर गया उसने राघव को देखा जो बाहर रोड को देख कर गाड़ी चलाने पर ध्यान दे रहा था फिर उसने रीयर व्यू मिरर से रितु को देखा जिसके चेहरे पर शैतानी मुस्कान थी और राघव की इस चुप्पी से उदास होकर नेहा बाहर देखने लगी
लेकिन तभी उसके किसी का हाथ अपने हाथ पर महसूस हुआ उसने उस तरफ देखा तो पाया के राघव अपने बाये हाथ से उसका दाया हाथ पकड़ रखा था और उसका ध्यान अब भी रोड पर था, राघव ने नेहा का हाथ पकड़ के उसे चूम लिया जिससे नेहा के मन मे तितलिया उड़ने लगी और फिर
राघव पूरे रास्ते नेहा का हाथ पकड़े गाड़ी चलाता रहा
राघव- मुझे लगता है इतना जवाब काफी होगा
राघव ने रोड पर देखते हुए रितु से कहा और नेहा के चेहरे पर एक मुस्कान उभर आई और रितु चुप हो गई
उसके बाद उनमे से कोई कुछ नहीं बोला जब तक वो अपनी मंजिल पर ना पहुच गए.....
क्रमश: