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Romance In Love.. With You... (Completed)

SultanTipu40

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Update 28




नेहा को राघव और रितु का ऐसे हस हस के चिपक के बात करना बिल्कुल पसंद नहीं आ रहा था और ये बात उसके चेहरे से साफ पता चल रही थी और उन्हे इन तरह गुलू गुलू करते देख नेहा ने अपने हाथ मे पकड़ा जुलरी बॉक्स थड़ की आवाज के साथ बंद कर दिया जिसके आवाज ने सबका ध्यान उसकी तरफ खीच लिया

जानकी- क्या हुआ नेहा?

नेहा- हह! नहीं कुछ नहीं मा वो बस पसंद नहीं आया तो बंद कर रही थी,

नेहा ने जवाब दिया लेकिन उसके शब्द उसके चेहरे से मैच ही नहीं कर रहे थे मानो वो बात किसी से कर रही थी और इशारा किसी और को दे रही थी वही मीनाक्षी जी ने जानकी और संध्या को कुछ इशारा किया और संध्या जी बोली

संध्या- साड़िया को ऐसे पता नहीं चलता जानकी भाभी मीनाक्षी भाभी चलो रूममे चल कर ट्राइ करके देखते है

जानकी- हा... हा सही है संध्या अंदर चल कर देखते है! मा हम आते है अभी

जानकी ने गायत्री जी से कहा और वो तीनों फटाक से अंदर चली गई और उनके वहा से जाने का रीज़न बड़ी लेडिज तो समझ गई लेकिन नेहा और श्वेता उन्हे कन्फ्यूज़ होकर देखने लगी

कुमुद- तुम दोनों भी जाओ ऐसे मौके बार बार नहीं मिलेंगे

बड़ी दादी ने गायत्री और आरती से कहा और वो दोनों भी वहा से चली गई और अब वहा बस अपनी गैंग बची थी

कुमुद- चिल्लर पार्टी तुम्हें भी कुछ लेना हो तो ले लो

स्वाती- दादी हम तो हमारे लिए ले लेंगे लेकिन आकाश और शेखर भईया का क्या वो थोड़ी साड़ी पहनते है और विवेक, खैर उसे जाने ही दो

स्वाती ने लड़कों को चिढ़ाते हुए कहा और इसपे अपने विवेक भाई भड़क गए

विवेक- जाने ही दो का क्या मतलब बे

लेकिन स्वाती ने उसे कोई रिएक्शन नहीं दिया और उसे ठेंगा दिखा कर चिढ़ाने लगी तभी बड़ी दादी बोली

कुमुद- हा तो क्या हुआ वो लोग अपनी बीवियों के लिए पसंद कर लेंगे अब यहा आओ

बड़ी दादी अपनी पर पोती के ऐसे बेस लेस सवाल ने इरिटेट हो गई थी

कुमुद- रितु बेटे तुम भी अपने लिए कोई ड्रेस पसंद कर लो

बड़ी दादी ने रितु को आवाज लगाई जो अभी भी राघव से बातों मे लगी हुई थी

‘ऐसे तो इस इंसान के बोल मोल लेने पड़ते है इतना तोल मोल के बोलता है अब क्या हुआ?’ नेहा के मन मे खयाल आया

रितु- बस अभी आई दादी

जिसके बाद बड़ी दादी वहा से चली गई और रितु राघव की तरफ मुड़ी और उसका हाथ पकड़ लिया और बोली

रितु- राघव आओ तुम मेरे लिए ड्रेस पसंद करो

और राघव का हाथ पकड़ के वो उसको अपने साथ ले आई और उनके जुड़े हाथों को देख नेहा की हालत और खराब होने लगी

अब वो सब लोग एक जगह बैठ कर कपड़े सिलेक्ट करने लगे, शेखर श्वेता के लिए साड़ी पसंद कर रहा था वही आकाश स्वाती रिद्धि और विवेक से राधिका की साड़ी के लिए सजेशन मांग रहा था और रितु राघव से चिपकी हुई थी और नेहा, वो बेचारी अकेले साड़ी देख रही थी और उसे लेफ्ट आउट सा फ़ील हो रहा था, सब अपनी अपनी बीवियों के लिए मंगेतर के लिए साड़ी पसंद करने मे लगे थे और उसका पती अपनी पत्नी को छोड़ के एक लड़की के साथ बिजी था, नेहा की आँखों में पानी जमने लगा था लेकिन उसने उन्हे रोके रखा था

नहीं नेहा रोना नहीं है ये कौनसी बड़ी बात है बिल्कुल रोना नहीं है’ नेहा अपने आप को समझा रही थी

रितु- राघव! ये देखो ये कैसी है सही लग रही है मुझ पर?

रितु ने एक साड़ी राघव को दिखाते हुए कहा

राघव- उमहू ना इतनी खास नहीं है

राघव के जवाब ने नेहा को और हर्ट कर दिया, सब लोग अपने अपने मे बिजी थे और राघव और रितु साथ मे बैठे बाते कर रहे थे साड़िया देख रहे थे और नेहा उतरे चेहरे के साथ उन्हे देख रही थी, रितु बातों बातों मे कभी कभी राघव को टच कर देती थी और राघव भी ऐसे लग रहा था जैसे उसे इंसमे मजा आ रहा था

विवेक- भाभी आपको क्या हुआ? आप साड़िया नहीं सिलेक्ट कर रही?

विवेक के सवाल ने सबका ध्यान नेहा की ओर खिच दिया और राघव ने जब नेहा को देखा तब उसे अपनी गलती ध्यान मे आ गई

शीट! फैल गया रायता, तू इतना चू... बेवकूफ कैसे हो सकता है राघव’ राघव ने मन ही मन अपने आप को दो बाते सुना दी

नेहा- नह... नहीं तो ऐसा नहीं है वो मुझे मेरे लिए कोई साड़ी पसंद ही नहीं आई..

नेहा ने झूठी मुस्कान के साथ कहा और सबने फिर नेहा की बात सही मान के उस बात को इग्नोर कर दिया सिवाय एक के

“अरे बेटा पहले बताना चाहिए था ना मैं और दूसरी साड़ी दिखाता” उस दुकानदार ने कहा जो साड़िया दिखा रहा था

जिसके बाद उसने और भी नई साड़िया नेहा को दिखाई और नेहा भी अपना ध्यान उस ओर लगाने की कोशिश करने लगी लेकिन उसके चेहरे पर उदासी साफ थी और राघव लगातार उसे देख रहा था और राघव के चेहरे पर भी पछतावा दिख रहा था, अपने आप पर किसी की नजरे पा कर नेहा ने उसे देखा, दोनों की नजरे मिली लेकिन यहा भी रितु बीच मे आ गई और उसने राघव को हिला कर एक साड़ी दिखाई और इस हरकत ने नेहा को और दुखी कर दिया और उसने अपनी नजरे घुमा ली

राघव- हम्म वहा कुछ अच्छी साड़िया है मैं वहा जाकर देखता हु

राघव ने बहाना बनाते हुए नेहा की ओर इशारा किया और वहा से उठ कर नेहा के बाजू मे आकार बैठ गया ताकि नेहा के लिए कोई साड़ी पसंद कर सके लेकिन आज तो किस्मत को कुछ और ही गेम खेलना था

रितु- हा हा वहा अच्छी साड़िया है

इतना बोल के रितु भी वापिस राघव के पास आकार बैठ गई और ये बात अब श्वेता को पसंद नहीं आई और रितु तो श्वेता को पहली नजर मे ही पसंद नहीं आई थी ऊपर से उसका राघव के साथ इतना क्लोज़ होना जिसपर श्वेता कुछ बोलने ही वाली थी के शेखर ने उसे रोक दिया

शेखर- जो हो रहा है होने दो और बस देखती रहो

शेखर ने श्वेता के कान मे धीमे से कहा

श्वेता- लेकिन..

श्वेता आगे कुछ बोलती उससे पहले ही शेखर ने उसे आँखों ने आश्वस्त किया और वो भी चुप हो गई।

राघव- तुम ये लो ये देखो

राघव ने एक साड़ी रितु की तरफ सरकाई ताकि वो उसमे बिजी को जाए और वो नेहा की मदद कर सके वही

अगर इनको मुझे छोड़ कर दूसरों के लिए साड़िया पसंद करनी है तो ऐसा ही सही मैं भी इन्हे नहीं पूछूँगी’ नेहा ने अब थोड़ा गुस्सा होते हुए सोचा

नेहा- विवेक ये देखो तो ये साड़ी कैसी है?

नेहा ने राघव को इग्नोर करते हुए विवेक को साड़ी दिखते हुए पूछा और राघव बस उसे देखने लगा

विवेक- ठीक है इतना खास नहीं

राघव- अच्छी है!

राघव ने कहा लेकिन नेहा ने अपना चेहरा सपाट बनाया हुआ था और उसने राघव के शब्दों को इग्नोर कर दिया

नेहा- हम्म विवेक यू आर राइट इतनी अच्छी नहीं है मैं दूसरी देखती हु ये बहुत हेवी है

राघव से नेहा का उसे ऐसे इग्नोर करना बर्दाश्त नहीं हो रहा था लेकिन अब बीवी का दिल दुखाओगे तो परिणाम यही होगा ना

तभी राघव की नजरे वहा रखी एक खूबसूरत गुलाबी साड़ी पर पड़ी सिल्वर वर्क वाली साड़ी थी वो और नेहा के लिए एकदम परफेक्ट थी उसने वो साड़ी उठाई और नेहा के साममे रखी

नेहा ने उस साड़ी को देखा फिर राघव को देखा और अब उसके लिए उस साड़ी को छोड़ना मुश्किल हो रहा था क्युकी उसे भी वो साड़ी पसंद आ गई थी लेकिन करे क्या राघव से नाराज वो जो थी

अब क्या हुआ इन्हे, पहले याद नहीं आया के यहा अपनी बीवी भी है उसके लिए भी साड़ी पसंद करनी है, सॉरी साड़ी लेकिन इस जंग मे मुझे तुम्हारी कुर्बानी देनी होगी’

नेहा ने दुखी मन से साड़ी को देखा क्युकी उसे वो बहुत पसंद आई थी और उसके एक्सप्रेशन देख के राघव के चेहरे पर मुस्कान आ गई

इसको तो ये बिल्कुल इग्नोर नहीं करेगी’ राघव ने मन मे सोचा लेकिन....

नेहा ने उस साड़ी को इग्नोर कर दिया और अपने लिए दूसरी साड़ी ढूंढने लगी, राघव ने थोड़ा शॉक मे उसे देखा और वापिस वही साड़ी उसके सामने पकड़ी

राघव- ले लो इसे!

राघव ने नेहा से धीमे से कहा लेकिन इस बार भी उसने राघव के शब्दों को इग्नोर कर दिया

नेहा- विवेक इनमे से कौनसी वाली अच्छी है

नेहा ने विवेक के सामने दो साड़िया पकड़ते उससे पूछा

राघव- राइट वाली बेटर है

विवेक कुछ बोलता उससे पहले ही राघव बोल पड़ा

नेहा- मुझे लगता है लेफ्ट वाली बढ़िया है सिम्पल और ब्यूटीफुल हैना विवेक ?

नेहा ने विवेक को देखते हुए राघव के शब्दों को इग्नोर करते हुए कहा जिससे राघव अब इरिटेट को रहा था

इसको अचानक क्या हुआ है अब? सुबह तक तो सब सही था और एक साड़ी ही तो है उसमे इतना क्या है?’ राघव ने सोचा

ये पूरा ड्रामा शेखर और श्वेता देख रहे थे और राघव को ऐसा इरिटेट होता देख अंदर ही अंदर हस रहे थे और अब आगे राघव कुछ बोलता उससे पहले ही नेहा वहा से उठी और कुछ बहाना बना के अंदर चली गई और उसके जाते ही विवेक राघव के पास आया

विवेक- भाई!

राघव- हम्म ?

विवेक- अब आपने क्या किया है? भाभी गुस्से मे लग रही!

राघव- तुम सबको ऐसा क्यू लगता है के हमेशा मैं ही कुछ गलत करता हु?

विवेक- रूल नंबर 6969 ऑफ हैप्पी मैरिड लाइफ गलती हमेशा पती की होती है और माफी सबसे पहले उन्ही को माँगनी होती है

विवेक ने चौड़ा बनते हए कहा

राघव- और कौन है वो जो ये बकवास तेरे दिमाग मे भर रहा है

विवेक- हूह लॉर्ड विवेक किसी की बात नहीं सुनते और बगैर प्रूफ के बात नहीं करते यकीन ना हो तो उधर देखो

विवेक ने राघव को इशारे से शेखर को देखने कहा जो अपने हाथों से अपने कान पकड़ के श्वेता से किसी बात के लिए माफी मांग रहा था जिसके बाद विवेक और राघव ने एकदूसरे को देखा और विवेक अपने काम मे लग गया

रितु- वॉव क्या बढ़िया साड़ी है ये, इसे तो मैं ही लूँगी

रितु ने उस साड़ी को देखते हुए कहा जिसे राघव ने नेहा के लिए पसंद किया था

राघव- नहीं!

राघव ने करीब करीब चिल्लाते हुए कहा जिसे सुन रितु वही जम गई

राघव- मेरा मतलब वो मेरी है

रितु- क्या..??

रिद्धि- भाई क्या कह रहे हो आप आपने साड़ी पहनना कब शुरू किया?

राघव- शट उप रिद्धि मेरा मतलब है मैंने पसंद की है वो

रितु- तब तो फिर मैं ले रही हु ये साड़ी तुमने पसंद की है तो मेरे लिए ही की होगी

रितु ने मुस्कुराकर कहा और वो उस साड़ी को लेने की वाली थी के राघव ने झटके से उसके हाथ से वो साड़ी खिच ली

राघव- ये तुम्हारे लिए नहीं है रितु... ये.. नेहा के लिए है मेरी वाइफ के लिए

राघव की बात सुन रितु की स्माइल गायब हो गई

रितु- तुम्हारी वाइफ भी आई है ??

श्वेता- हा तो, भईया आए है तो भाभी भी आएंगी ही ना वैसे भी भईया भाभी के बिना एक मिनट भी नहीं रह सकते

श्वेता ने कहा जिसपर राघव ने उसे देखा मानो कह रहा हो के ये बात बतानी जरूरी नहीं थी

रितु- कहा है तुम्हारी वाइफ?

रितु ने झूठी मुस्कान लिए अपने दांत पीसते कहा

राघव- वो बस अभी अंदर गई है

रितु - वो!! वो तुम्हारी पत्नी है??

रितु ने अपने चेहरे पर अजीब से एक्सप्रेशन लाते हुए कहा जिसे राघव ने इग्नोर कर दिया और वो साड़ी उसने नेहा के लिए पैक कारवाई और जब साड़ी पैक हो गई तो राघव उसे ले कर घर के अंदर चला गया नेहा को ढूंढने वही रितु उसे जाते हुए देखती रही, उसके दिमाग मे कुछ तो चल रहा था जिसे श्वेता भाप गई थी पता नहीं अब आगे क्या होने वाला था हा लेकिन मजा बहुत आने वाला है......
सुपर अपडेट भाई ।

साला ये सच मे चुटिया है । वह कपड़े लेने अपनी पत्नी के लिए आया था या रीतू के लिए और जब उसे अहसास हुआ तब भी वह नेहा के पास आने मे बहाना बना रहा है ।

मेरे खयाल से ये चुटिया चाहता ही नहीं था के नेहा उसकी बीवी है रितु को पता चले तभी तो श्रोता के बोलने के बाद उसे घूरने लगा

नेहा ने बिलकुल सही किया । ये चुटिया पहले खुद गलती करता है और दोष नेहा पर डाल देता है ।

ये रितु सच मे इस चुटिए को पसंद करती है । आगे अब ये क्या करने वाली है
 

SultanTipu40

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Update 29



राघव पूरे घर मे नेहा को ढूंढते हुए घूम रहा था लेकिन वो उसे कही नहीं दिख रही थी

रमेश- राघव, कुछ चाहिए क्या बेटा?

राघव- नहीं मामा दादू वो बस ऐसे...

रमेश- नेहा को ढूंढ रहे हो?

राघव- नहीं वो तो मैं.. वो...

रमेश- वो मा के कमरे मे है

इतना बोल के रमेश जी वहा से राघव का कंधा थपथपाते हुए मुस्कुराकर निकल गए और राघव झट से बड़ी दादी के कमरे की ओर लपका और जब वो कमरे मे पहुचा तो वहा कोई नहीं था सिवाय नेहा को जो अलमारी मे कुछ सामान रख रही थी और राघव की तरफ उसकी पीठ थी

राघव ने कमरे का दरवाजा धीरे से बंद किया ताकि नेहा को उसके आने का पता ना चले और कोई आवाज ना हो लेकिन वो पुराने जमाने का दरवाजा आवाज करते हुए बंद हुआ और नेहा का ध्यान उसकी ओर आ गया

नेहा ने पलट कर देखा तो वहा राघव को पाया, उसने सपाट चेहरे से राघव को देखा फिर वापिस अपने काम मे लग गई वही राघव भी चुप चाप वहा खड़ा उसके फ्री होने की राह देखने लगा ताकि उससे बात कर सके

नेहा ने अलमारी से एक बेडशीट निकाली और थड़ की आवाज से अलमारी का दरवाजा बंद कर दिया

ये मुझे ऐसा क्यू लग रहा है उसने उस दरवाजे मे मुझे इमेजिन करके उसे पटका है’ राघव के मन मे खयाल आया

वही नेहा उसे इग्नोर करते हुए बेड की ओर बढ़ी और उसने एक झटके मे पुरानी चादर हटा दी और नई बेड शीट बिछाने लगी और जब उसका काम खतम हो गया तो वो दरवाजे की तरफ आई

राघव- सुनो..!

राघव ने उसे आवाज दी जिसे सुन कर वो रुकी और राघव की ओर मुड़ी

राघव- ये....

लेकिन बोलते बोलते राघव रुक गया जब उसने देखा के नेहा ने उसे वापिस इग्नोर कर दिया है और वो बेड की ओर जा रही है जैसे वो वहा हो ही ना

नेहा ने बेड पर से पुराने पिलो कवर उठाए और वापिस दरवाजे की तरफ जाने लगी और वो दरवाजा खोलने की वाली थी के राघव ने उसकी कलाई पकड़ के उसे रोक दिया

राघव- मैं कुछ कह रहा हु

नेहा- कहिए!

नेहा ने बोला लेकिन इस बार उसकी आवाज सपाट थी

राघव- तुम मुझे इग्नोर क्यू कर रही हो?

नेहा- मैं कहा इग्नोर कर रही हु? इग्नोर करने का ठेका तो आपने लिया हुआ है

राघव- ताना मार रही हो?

नेहा- मैं कौन होती हु ताना मारने वाली? वैसे भी मुझसे क्या फ़र्क पड़ता है

नेहा ने धीमे से कहा

राघव- हुह? क्या कहा जोर से बोलो

नेहा- जाना है मुझे जाने दीजिए

नेहा ने थोड़ा चिल्लाके कहा

राघव- अरे यार चिल्ला क्यू रही हो?

नेहा- क्युकी पागल हु मैं

नेहा ने राघव के हाथ से अपना हाथ छुड़ाते हुए कहा

राघव- हा वो मैं जानता हु लेकिन चिल्लाके बताने की क्या जरूरत थी बाकी लोग सुन लेते तो? और सोचो वो लोग मेरे बारे मे क्या सोचते

राघव ने नेहा को चिढ़ाते वापिस उसका हाथ पकड़ते हुए कहा जिसने नेहा का मूड और खराब कर दिया

नेहा- हा तो जाइए न फिर अपनी उस दोस्त के पास यहा मुझे मत तंग कीजिए वैसे भी लोग आप दोनों को साथ देख के खुश होंगे

नेहा ने वापिस चिल्लाते हुए अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश की लेकिन इस बार राघव ने उसका हाथ अच्छे से पकड़ हुआ था और उसने नेहा को अपनी तरफ खिचा जिससे वो उसके सीने से जा टकराई

राघव- नेहा, क्या हुआ है तुम्हे? ऐसे बिहेव क्यू कर रही हो?

नेहा- कुछ नहीं हुआ है मुझे

नेहा ने बगैर राघव से नजरे मिलाए उसके हाथों मे कसमसाते हुए कहा

राघव- चुप चाप खड़ी रहो

राघव ने नेहा को ऑर्डर देने की कोशिश की सिर्फ कोशिश

नेहा- मुझे जाना है बहुत काम है मुझे

राघव- ना! पहले बताओ क्या हुआ है

नेहा- कहा ना कुछ नहीं हुआ है और आप मेरे पास क्या कर रहे है आपकी वो स्पेशल दोस्त चली गई क्या

अब राघव के माजरा ध्यान मे आने लगा था

राघव- तुम, तुम कही रितु से जल तो नहीं रही हो?

नेहा- मैं... मैं क्यू जलने लगी मुझे कोई फरक नहीं पड़ता

नेहा ने अपनी नजरे इधर उधर घुमाते हुए कहा और उसे ऐसे करते देख राघव के चेहरे पर स्माइल आ गई

राघव- ये लो

राघव ने साड़ी का पैकेट उसकी ओर बढ़ाया

नेहा- ये क्या है

राघव- ये वो है जिसे तुम आकाश की सगाई मे पहनोगी

नेहा- मैंने अपने लिए साड़ी पसंद कर ली है ये जाकर उसे दीजिए जिसके लिए पसंद कर रहे थे

राघव- अरे पर ये तुम्हारे लिए है मैंने सिलेक्ट की है

नेहा- कहा ना मुझे नहीं चाहिए, गो टू हेल

नेहा ने राघव को धकेलते हुए कहा और राघव आगे कुछ कहता उससे पहले की उन्हे किसी के गला साफ करने की आवाज आई, दरवाजे पर बड़ी दादी खड़ी थी और शरारती मुस्कान से उन्हे देख रही थी

कुमुद- तुम लोगों को तुम्हारा रूम दिया है ना फिर मेरे कमरे मे रोमांस क्यू ?

बड़ी दादी की बात सुन दोनों उन्हे चौक के देखने लगे

नेहा- न.. नहीं दादी आप सोच रही है वैसा कुछ नहीं है

कुमुद- फिर कैसा है? दोनों ऐसे चिपक के खड़े हो ये रोमांस नहीं तो लड़ने का नया तरीका है क्या?

और अब इसमे नेहा कुछ कहती इससे पहले ही राघव बोला

राघव- देखो ना दादी ये आपकी बहु मुझे टाइम ही नहीं देती है

राघव मासूम बनते हुए बोला और उसकी बात पर नेहा उसे शॉक होकर देखने लगी

‘ये आज नाश्ते मे कुछ गलत खा लिए थे क्या जो ऐसी बाते कर रहे’ नेहा ने सोचा

कुमुद- ये सब क्या है नेहा यहा पहले ही दिन मुझे शिकायाते मिल रही है

राघव- हा हा बताओ अब दादी को

राघव अब नेहा को छेड़ने के पूरे मूड मे था लेकिन वो भी कम नहीं थी

बड़ा भोला बन रहे है ना अभी बताती हु इनको’ नेहा ने रघाव को देखते हुए सोचा फिर स्लाइम के साथ बड़ी दादी से बोली

नेहा- देखिए ना दादी ये आकाश की सगाई के लिए मुझे साड़ी नहीं दिला रहे है कहते है कोई जरूरत नहीं है

कुमुद- क्या...!

राघव- हैं?

दादी और राघव के मुह से ये एकसाथ निकला और अब दादी ने अपना मोर्चा राघव की तरफ बढ़ाया

कुमुद- ये मैं क्या सुन रही हु राघव?

राघव- अरे दादी नहीं ये झूठ बोल थी है मैंने ऐसा कब कहा??

राघव ने नेहा को देखते हुए कहा

नेहा- मैंने तो एक साड़ी पसंद भी की थी लेकिन इन्होंने लेने नहीं दी

नेहा अपने झूठे आँसू पोंछते हुए बोली और राघव के हाथ मे पकड़ा साड़ी का पैकेट दिखाया

राघव- क्या??

राघव मुह फाड़े नेहा को देख रहा था के वो कितनी सफाई से झूठ बोल रही थी

कुमुद- राघव क्या है ये सब? ये कोई तरीका है क्या और तुम होते कौन हो उसे साड़ी लेने से रोकने वाले अभी के अभी उसे वो साड़ी दो

राघव- लेकिन दादी....

कुमुद- मैंने कहा ना

राघव ने आँखों के कोने से नेहा को देखा जो उसे दादी से डांट खाता देख मजे ले रही थी वो कुछ पुटपुटाया और वो पैकेट उसने उसे दे दिया

नेहा- दादी जी ये तो यहा से जल्दी जाने का भी कह रहे थे ताकि वापिस काम पर जा सके, अब मैं तो यहा पहली बार आई हु मुझे और कुछ दिन रहना है , कहते है मैं इन्हे टाइम नहीं देती और खुद सारा दिन लैपटॉप लिए रहते है फिर आप बताओ मैं कैसे इनके साथ टाइम बिताऊ, ये तो यहा भी अपना लैपटॉप लाए है ताकि दिन रात काम कर सके

नेहा ने मासूम बनते हुए राघव की शिकायाते की

राघव नेहा को ‘अब तो तुम गई’ वाले लुक से घूरे जा रहा था लेकिन नेहा को कहा फरक पड़ना था

कुमुद- मैं ये क्या सुन रही हु राघव, परेशान हो गई हु तुमसे उसकी तो शिकायत कर दी तुमने और तुम्हारा क्या? नेहा बेटा जाओ और इसका लैपटॉप लाकर दो मुझे अब इसे 1 हफ्ते तक लैपटॉप नहीं मिलेगा।

बस दादी की ये लाइन राघव को शॉक देने काफी थी वो अपनी जगह पर जम गया

राघव- नहीं... नहीं दादी आप ऐसा नहीं करोगी, अरे मैं तो मजाक कर रहा था के ये टाइम नहीं देती आप मेरा लैपटॉप नहीं ले सकती

लेकिन दादी ने राघव के शब्दों को इग्नोर कर दिया

कुमुद- नेहा जाओ इसका लैपटॉप लेकर आओ

राघव- नहीं!!!!

कुमुद- जाओ नेहा, मैं भी देखती हु ये आदमी अब एक हफ्ता काम कैसे करता है

राघव- एक हफ्ता!!! नहीं!!! ऐसा नहीं करोगी आप!! नेहा खबरदार जो मेरे लैपटॉप को हाथ लगाया तो पछताओगी मैं कह रहा हु

राघव ने नेहा की ओर बढ़ते हुए कहा लेकिन दादी ने रोक दिया उसे

कुमुद- ओ राघव देशपांडे खबरदार अगर मेरी बहु को कुछ कहा तो तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा, नेहा मैं कह रही हु न तुम जाओ

और नेहा मुंडी हिलाते हुए वहा से चली गई, हालांकि उसे भी समझ आ गया था के फ़्लो फ़्लो मे वो ज्यादा बोल गई थी लेकिन इससे अब जो ड्रामा होगा उसमे मजा भी बड़ा आने वाला था और यही तो चांस था राघव को उसके लैपटॉप से दूर करने का और अपनी सौतन लैपटॉप को हटाने का ये मौका नेहा कहा छोड़ने वाली थी

जब नेहा लैपटॉप लेने गई तो राघव भी उसके पीछे जाने लगा लेकिन दादी ने रोक दिया उसे और द ग्रेट राघव देशपांडे अपने लैपटॉप को बचाने अपनी दादी ने मिन्नते करने लगा लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ इतने मे नेहा उसका लैपटॉप ले आई और राघव उसे खुले मुह से देखने लगा

राघव- नेहा मैं कह रहा हु रुक जाओ

राघव लैपटॉप छीनने नेहा की ओर लपका लेकिन नेहा उससे ज्यादा तेज थी उसने उसके अपने पास आने से पहले ही लैपटॉप दादी के हाथ मे पकड़ा दिया

राघव- दादी, दादी लैपटॉप वापिस दे दो प्लीज, मैं.... मैं वादा करता हु बिल्कुल ज्यादा काम नहीं करूंगा और 1 हफ्ते से पहले तो यहां से हिलूँगा भी नहीं पक्का वादा

राघव बड़ी दादी के सामने करीब करीब गिड़गिड़ा रहा था वही उसकी हालत देख नेहा मंद मंद हस रही थी

कुमुद- ना अब तो ये तुम्हें मिलने से रहा! अब तुम्हें ये लैपटॉप तब ही मिलेगा जब नेहा मुझसे कहेगी

दादी ने शरारती मुस्कान के साथ राघव की मिन्नतों को इग्नोर कर दिया और राघव ने हसती हुई नेहा को देखा और उसके देखते ही नेहा ने अपना चेहरा सपाट कर लिया

राघव- बड़ी दादी से कहो के मुझे मेरा लैपटॉप अभी के अभी वापिस दे

राघव ने नेहा पर रौब झाड़ते हुए उसे अपनी मजा लेते देख इरिटेट होकर कहा

नेहा- ना.. मैं दादी जी की बात नहीं टाल सकती उन्हे अच्छे नहीं लगेगा ना

नेहा ने मासूम बनते हुए कहा और राघव सीरीअस चेहरे के साथ उसे देखने लगा

राघव- मेरे पेशंस को टेस्ट मत लो नेहा जो कहा है वो करो

कुमुद- राघव तुम उसे धमका रहे हो?

राघव – दादी मुझे मेरा लैपटॉप वापिस चाहिए

कुमुद- ना कहा ना, नेहा तुम जाओ बेटा ये अब कुछ नही करेगा

और दादी के कहते ही नेहा वहा से भाग ली

राघव- रुको ! दादी ये चीटिंग है

और आगे दादी की कोई बात बगैर सुने ही राघव वहा से निकल गया

राघव- तुम्हारी तो... नेहा मैंने कहा यहा आओ और दादी को लैपटॉप वापिस देने कहो

राघव ने नेहा के पीछे आते हुए कहा वही नेहा उससे दूर भाग रही थी

नेहा- नहीं!

राघव- नेहा.. देखो बात मानो जो कहा है करो

नेहा- कहा ना मैं उनसे कुछ भी नहीं कहने वाली

नेहा ने हसते हुए कहा और इनकी इस पकड़म पकड़ाई ने बाकी घरवालों का ध्यान इनकी ओर खिच लिया, घरवालों ने इन दोनों को कभी ऐसे बच्चो जैसे बर्ताव करते नहीं देखा था तो वो शॉक थे

मीनाक्षी- भाभी क्या हो रहा है ये?

मीनाक्षी जी ने जानकी से पूछा जो अपने बेटे बहु को खुले मुह के साथ देख रही थी

शुभंकर- ये सही मे राघव और नेहा है?

रमेश- ये क्या हमेशा ऐसे ही रहते है?

धनंजय- ना ऐसे तो नहीं रहते

उन दोनों को देख अपनी दादी गायत्री ने तो अपनी आंखे मल ली उनको तो यकीन ही नहीं हो रहा था और वही राघव और नेहा पूरे घर में इधर उधर दौड़ रहे थे उन्हे बाकी दुनिया की फिक्र ही नहीं थी

राघव- नेहा देखो मेरी बात मान लो वरना...

लेकिन नेहा ने उसकी एक बात नहीं सुनी और दौड़ते हुए पीछे वाली बगीचे की तरफ आई

नेहा- हॉ!! मैं तो आपसे डर गई

नेहा ने डरने वाले एक्सप्रेशन बनाए फिर हसते हुए कहा और उसे ऐसे हसता देख राघव के चेहरे पर भी मुस्कान आ गई ऐसी बड़ी सी स्माइल जिसे उसके चेहरे पर देखे घरवालों को अरसा हो गया था एकदम सच्ची

विवेक- ये सही मे भाभी है?

विवेक ने शेखर से पूछा जो उल्लू की तरह उन्हे ही देख रहा था जब वो पीछे की साइड आए थे

स्वाती- ये क्या कोई गेम खेल रहे है क्या?

स्वाती ने रिद्धि से पूछा जो अपनी पलके झपकते हुए इन सीन को पचाने की कोशिश कर रही थी

आकाश- राघव भाई? स्माइल करते हुए? ये सपना तो नहीं है ना?

लेकिन वहा एक ऐसा भी शक्स था जिसे इन दोनों की नजदीकिया पसंद नहीं आ रही थी, और वो थी रितु, साफ था उसे नेहा से जलन हो रही थी.... लेकिन क्यू...??
सुपर संदार अपडेट ब्रा । ये अपडेट सच मे बहुत प्यारा और अच्छा था ।

सही वक्त पर सही गेम खेला है नेहा ने ये चुटिया दादी के नजर मे खुद अच्छा बनना चाहता था

ये रितु तो लग रहा है :sex: कर के ही मानेगी
 

kas1709

Well-Known Member
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173
Update 34




आज आकाश की सगाई थी और सब लोग तयारियों मे बिजी थी रेडी हो रहे थे ताकि सगाई वाली जगह के लिए निकल सके

कुमुद- सब हो गया?

बड़ी दादी ने संध्या जी से पूछा

संध्या- जी बुआ जी सब हो गया है अब आप आराम करिए चिंता मत करिए

कुमुद- ठीक है, सब तयार हो गए है ना हमे वहा समय पर पहुचना है

संध्या- मैं बस वही देखने जा रही थी

और इतना बोल के संध्या जी वहा से चली गई

शिवशंकर- अरे ये क्या अभी तक कोई तयार नहीं हुआ ?

दादू ने वहा आते हुए पूछा

कुमुद- संध्या गई है देखने..

तभी राघव वहा आ पहुचा जो पूरा रेडी था

शिवशंकर- अरे वाह राघव तुम हो गए तयार, जाओ और नेहा को बुला लाओ

दादू ने राघव को देखते ही कहा

कुमुद- और हा अगर उसे कुछ मदद चाहिए होगी तयार होने मे तो कर देना वो सबसे आखिर मे रेडी होने गई थी

बड़ी दादी और दादू दोनों ने ही राघव को नेहा को बुलाने कहा वही नेहा का नाम सुनते ही राघव वही जम गया और उसके गाल लाल हो गए और ऐसा क्यू हुआ तो ये जानने के लिए चलते है कुछ समय पहले....

राघव तयार होकर बस बाथरूम से बाहर आया ही था के उसने देखा के रूम मे नेहा रेडी हो रही है और नेहा को देखते ही उसकी आंखे बड़ी हो गई क्युकी इस वक्त नेहा बस ब्लाउस और पेटीकोट मे थी और साड़ी पहन रही थी, नेहा को लगा था के राघव रूम मे नहीं है क्युकी बाथरूम से उसे कोई आवाज नहीं आया था इसीलिए वो रेडी होने लगी और जब वो मुड़ी तो उसका मुह खुला का खुला रह गया आखे बाहर आने को हो गई क्युकी राघव बगैर पलके झपकाए उसे देखे जा रहा था...

नेहा ने झट से अपनी साड़ी का पल्लू लिया लेकिन तब तक तो राघव की नजर उसकी पतली कमर पर पड चुकी थी और ऐसे अचानक राघव को देखते ही नेहा चीखने ही वाली थी के राघव ने जल्दी से अपने हाथ से उसका मुह बंद कर दिया और नेहा की आधी पहनी साड़ी नीचे गिर गई और नेहा चौक के राघव को देखने लगी जब उसे राघव का हाथ अपनी कमर पर महसूस हुआ

राघव- चिल्लाओ मत! क्या कर रही हो यार

राघव ने कहा वही नेहा बड़ी बड़ी आँखों से उसे देखने लगी और उसे अपने आप को ऐसे देखता पाकर राघव को सिचुएशन का ध्यान आया और वो थोड़ा पीछे हटा और मूड के खड़ा हो गया

राघव- वो.. मैं... वो जानबुझ के नहीं हुआ.. मैं बाथरूम मे था और तुम यहा कपड़े क्यू बदल रही हो

राघव ने अपनी गलती नेहा पर डालने की कोशिश कि

नेहा- मुझे सपने नहीं आ रहे थे के आप बाथरूम मे हो मुझे कोई आवाज नहीं आया तो लगा के आप नहीं हो और वैसे भी मैं वहा साड़ी नहीं पहन सकती थी

नेहा ने वापिस साड़ी पहनते हुए धीमे से कहा

राघव- तो.. तो अबतक पहनी क्यू नहीं??

नेहा- वो.. वो मुझसे ब्लाउस की डोरी नहीं बंध रही थी पीछे से तो....

नेहा ने थोड़ा हिचकते हुए कहा

राघव- तो किसी को मदद के लिए बुला लेना था

नेहा- सब तयार हो रहे है

राघव- तो अब क्या करोगी कैसे रेडी होगी

राघव ने एकदम से पूछा

नेहा- किसी के रेडी होने का वेट करूंगी फिर

नेहा ने कहा और कुछ पल रूम मे शांति फैल गई

राघव- घूमो!

राघव ने एकदम से कहा जो नेहा को समझ नहीं आया

नेहा- हा?

राघव- अरे घूमो वरना लेट हो जाओगी चलने का टाइम हो गया है

राघव ने अपना कुर्ता सही करते हुए कहा

नेहा- नहीं ठीक है मैं कर लूँगी मैनेज

राघव- मैं खा नहीं जाऊंगा तुम्हें और वैसे भी तुम्ही ने मुझे पति वाला हक जमाने कहा था ना तो अब घूमो इतनी भी बड़ी बात नहीं है

अनहाहा नेहा क्यू कही थी तुमने वो बात’ नेहा ने मन ही मन अपने आप को कोसा

राघव- नेहा घूमो लेट हो रहा है

जिसके बाद नेहा थोड़ा हिचकते हुए मुड़ी और राघव को देखने कहा और राघव ने मूड कर देखा तो अनायास ही उसकी नजर नेहा की पीठ पर पड़ी और उसे पसीना आने लगा और वो धीरे धीरे नेहा की तरफ बढ़ा

राघव ने अपने हाथ से नेहा के बाल एक साइड हटाए, उसके हाथ थरथरा रहे थे और जैसे ही उसने नेहा की पीठ हो छुआ उसके होंठ बंद हो गए वही राघव का स्पर्श पीठ पर पाते ही नेहा के रोंगटे खड़े हो गए

राघव की नजरे एक पल को भी नेहा की पीठ ने नहीं हट रही थी और अब वहा का महोल गरम होने लगा था

राघव ने ब्लाउस की डोरी बांधनी शुरू की, धड़कने दोनों की बढ़ी हुई थी वही नेहा अपनी साँसों पे काबू कर रही थी

जब भी राघव उसके आसपास होता पता नहीं उसे क्या हो जाता

राघव- हो गया!

और इतना बोलते ही राघव झट से रूम से बाहर चल गया और अभी जब दादू और बड़ी दादी ने उसे नेहा को बुलाने कहा था तो रूम मे हुआ यही सीन याद कर राघव के गाल लाल हो गए थे

एक तो कल रात का सीन फिर अब, पता नहीं उसके पास जाते ही मुझे क्या होने लगता है दूर रहना पड़ेगा उससे वरना पता नहीं मैं क्या कर जाऊंगा, लेकिन क्या कमर थी यार’

राघव अपने ही खयालों मे खोया हुआ था तभी रमाकांत जी ने उसके चेहरे के सामने चुटकी बजा कर उसे होश मे लाया

रमाकांत- किधर खोए हो बरखुरदार?

शेखर- बड़े पापा लगता है भाई को कुछ याद आ गया होगा हैना भाई??

शेखर राघव को छेड़ने लगा इतने मे सब लोग वहा जमा हो चुके थे

राघव- शट उप शेखर! नेहा बस आती ही होगी बड़ी दादी

मीनाक्षी- श्वेता कहा है शेखर?

श्वेता- मैं यहा हु मा

श्वेता ने उनके पास आते हुए कहा, आज वो गजब की सुन्दर दिख रही थी और शेखर ने उसे आता देख उसे आँख मार दी

विवेक- वूह! भाभी लूकिंग ऑसम लेकिन आपके पतिदेव का क्या करे ये तो बांदर ही दिख रहा है

विवेक ने कहा जिस पर सब हसने लगे और शेखर ने उसे पेट मे हल्का सा मुक्का जड़ दिया

शेखर- सा...

शेखर अभी विवेक पर शब्द सुमनो की बारिश करने की वाला था के उसे घरवालों का ध्यान आया तो वो रुक गया, सब लोग श्वेता की तारीफ करने लगे

गायत्री- नेहा कहा है??

दादी ने इधर उधर देखते हुए पूछा

स्वाती- वो रही भाभी

स्वाती ने राघव के पीछे की तरफ इशारा किया जहा से नेहा आ रही थी और स्वाती की बात सुन राघव ने जैसे ही मूड कर पीछे देखा तो वो बस नेहा को देखता ही रह गया

नेहा धीरे धीरे चलते हुए राघव की तरफ आ रही थी उर उसके चेहरे पर एक खूबसूरत मुस्कान बनी हुई थी, राघव की पसंद की हुई साड़ी उसपर बहुत जच रही थी

नेहा को देख कर राघव के चेहरे पर भी मुस्कान आ गई, जो उसे अपने जीवनसाथी मे चाहिए था नेहा मे वो सब कुछ था रूप भी और गुण भी और इस वक्त वो किसी देवी से कम नहीं लग रही थी, सिम्पल एण्ड ब्यूटीफुल

रिद्धि- भाभी बहुत सुन्दर लग रही हो आप

रिद्धि ने कहा जिसपर नेहा बस मुस्कुरा दी

जानकी - आखिर बहु किसकी है

संध्या- साड़ी बहुत सुन्दर लग रही है नेहा नाइस चॉइस

रिद्धि- वो तो भईया की पसंद है चाची

मीनाक्षी- सही मे ? राघव तुमने पसंद की है ये साड़ी?

लेकिन राघव का किसी की बातों पर ध्यान ही कहा था वो तो उसकी बीवी मे ही खोया हुआ था

आकाश- भाई!!

आकाश ने राघव को हिला कर उसके सपनों की दुनिया से बाहर निकाला

राघव- आगाये सब चलो अब लेट हो रहा है और आकाश तुझे सगाई करनी है ना?

राघव ने एकदम से सबकी नजरे अपनी तरफ पाई तो बात बदलते हुए कहा और उसकी बात सुन आकाश भी जल्दी करने लगा

रमेश- हा अब चलना चाहिए वरना हमलोग लेट हो जाएंगे

शुभंकर- हा, और ममता से बात हुई है मेरी वो सीधा वही पहुचेंगे

आरती- ठीक है फिर सब तयार है तो चलते है हमे बस रितु को साथ लेना है उसके मा बाप नहीं आ रहे

और आरती जी के रितु का नाम लेते ही दो लोगों का मूड ऑफ हो गया वो थे नेहा और श्वेता

‘सब ने मेरी तारीफ की लेकिन इनके मुह से एक शब्द नहीं निकला’ नेहा ने राघव को देखते हुए सोचा

अब शेखर श्वेता, राघव और नेहा एक ही कार मे जाने वाले थे

शेखर- भाभी आप सामने भाई के साथ बैठो मैं और श्वेता पीछे बैठते है

शेखर ने नेहा ने कहा और ड्राइविंग सीट पर बैठे राघव को देखा नेहा ने हा मे गर्दन हिलाई और वो दरवाजा खोलने ही वाली थी के रितु वहा आ पहुची

रितु- हे अंकल आंटी ने मुझे तुम लोगों के साथ आने कहा है बाकी सारी गाड़ियां फूल है

रितु ने कहा और वो राघव के बाजू मे बैठने ही वाली थी के नेहा ने उसे रोक दिया

नेहा- वो मेरी जगह है रितु

रितु- तुम्हारा नाम लिखा है क्या यहा?

नेहा- नाम तो तुम्हारा भी नहीं है

अब नेहा इससे चिढ़ने लगी थी

रितु- हा लेकिन अब मैं बैठूँगी यहा

और इससे पहले रितु दरवाजा खोल कर राघव ने बाजू मे बैठती कार का शिशा नीचे हुए एक आवाज आया

राघव- नेहा मेरे बाजू मे आकार बैठो

राघव की उस डोमिनेंट आवाज ने सारा झगड़ा ही खतम कर दिया और रितु शॉक होकर उसे देखने लगी और नेहा राघव का सपाट चेहरा देखते हुए उसके बाजू मे जा बैठी

श्वेता- रितु आओ तुम मेरे पास बैठो

श्वेता ने अपने बाजू की खाली सीट की ओर इशारा करते हुए कहा और रितु तमतमाते हुए पीछे की सीट पर जा बैठी और वो निकल गए

रितु- नेहा तुम तो ऐसे तयार हुई हो जैसे तुम्हारी सगाई हो

रितु ने नेहा का मजाक बनाना चाहा

नेहा- वो क्या है ना शादी शुदा लड़किया ऐसे ही तयार होती है

रितु- लेकिन ये साड़ी कितनी...

नेहा- परफेक्ट! परफेक्ट है मेरे लिए इन्होंने जो पसंद की है!

नेहा ने रितु की बात बीच मे ही काटते हुए कहा जीसे सुन राघव के चेहरे पर भी एक हल्की सी बस हल्की सी स्माइल आ गई वही नेहा के जवाब पे रितु ने उसे गुस्से से देखा लेकिन फिर उसने अपनी नजरे राघव की ओर घुमाई

रितु- राघव तुमने ऐसे अचानक शादी करली ऐसा क्यू? बीवी तुम्हारे पसंद की है भी या नहीं?

उसने नेहा को तान मारा और गाड़ी मे सब एकदम शांत हो गए नेहा का चेहरा उतर गया उसने राघव को देखा जो बाहर रोड को देख कर गाड़ी चलाने पर ध्यान दे रहा था फिर उसने रीयर व्यू मिरर से रितु को देखा जिसके चेहरे पर शैतानी मुस्कान थी और राघव की इस चुप्पी से उदास होकर नेहा बाहर देखने लगी

लेकिन तभी उसके किसी का हाथ अपने हाथ पर महसूस हुआ उसने उस तरफ देखा तो पाया के राघव अपने बाये हाथ से उसका दाया हाथ पकड़ रखा था और उसका ध्यान अब भी रोड पर था, राघव ने नेहा का हाथ पकड़ के उसे चूम लिया जिससे नेहा के मन मे तितलिया उड़ने लगी और फिर

राघव पूरे रास्ते नेहा का हाथ पकड़े गाड़ी चलाता रहा

राघव- मुझे लगता है इतना जवाब काफी होगा

राघव ने रोड पर देखते हुए रितु से कहा और नेहा के चेहरे पर एक मुस्कान उभर आई और रितु चुप हो गई

उसके बाद उनमे से कोई कुछ नहीं बोला जब तक वो अपनी मंजिल पर ना पहुच गए.....

क्रमश:
Nice update....
 

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रितु बचपन से ही राघव को पसंद करती थी उसके पीछे पीछे घूमती रहती थी और जब इस बारे मे राघव को पता चला तो उसने रितु से दूरिया बनानी शुरू कर दी सोचा टाइम के साथ साथ सब बदल जाएगा लेकिन राघव तो आगे बढ़ गया लेकिन रितु नहीं बदली

रितु को जब राघव की शादी के बारे मे पता चला था तब उसे बहुत तकलीफ हुई थी बहुत रोई थी वो क्युकी वो राघव को पाना चाहती थी किसी भी कीमत पर और इसके लिए कुछ भी कर सकती थी भले वो राघव को पसंद आए या ना आए, उसने राघव के करीब आने की बहुत कोशिश की और जब राघव से उसे कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला तो उसने उसके परिवार से नजदीकिया बढाई और वो भी उसे हमेशा ही राघव की अच्छी दोस्त मानते रहे लेकिन कभी भी किसी ने उन दोनों को रिश्ते मे बांधने के बारे मे नहीं सोचा

रितु को कोई भी लड़की राघव के आसपास बर्दाश्त नहीं होती थी, किसी लड़की को राघव से बात करता देख वो पागल हो जाती थी जब बचपन मे कोई लड़की राघव के बात करने की कोशिश करती तो रितु उसके उससे दूर कर देती.. उसने तो राघव को प्रपोज भी किया था लेकिन राघव ने उसे मना कर दिया ये कहते हुए के वो बस अच्छे दोस्त है और उस वक्त रितु भी उसकी बात मान गई क्युकी वो उससे दूर नहीं जाना चाहती थी लेकिन मन ही मन वो राघव के लिए पागल हो रही थी।

एक लड़की को उसने राघव से बात करता देख उसका सर फोड़ दिया था और अब मामला सीरीअस होता जा रहा था, रितु की राघव के लिए दीवानगी बहुत बढ़ गई थी और राघव भी समझ चुका था के रितु को समझाना मुश्किल है इसीलिए उसने भी गाँव आना धीरे धीरे कम कर दिया था और उसे अवॉइड करने लगा था और बाद मे तो गाँव ना आने के राघव के अपने रीज़न थे जिससे वो गाँव आना ही छोड़ चुका था और अब भी उसे लगा था के रितु सब भूल चुकी होगी, वो बड़े हो गए थे मैच्योर हो गए थे लेकिन रितु नहीं बदली थी और अब भी उसे नेहा को राघव के साथ देख तकलीफ हो रही थी।

राघव और नेहा दोनों भागते हुए घर के पीछे वाले बगीचे मे पहुचे तो दोनों काफी हाफ रहे थे जिससे दोनों रुक गए

राघव- म.... मैं.. तुम्हें... आ.... आखरी बार कह रहा हु..

राघव बीच बीच में सास लेते हुए बोला

नेहा- अब.. अब बहुत.. देर हो गई

नेहा भी हाफ रही थी

राघव- तुम ना दिन ब दिन जिद्दी होती जा रही हो

राघव ने अपनी कमर पे दोनों हाथ रखते हुए कहा

नेहा- हा तो इसकी वजह भी आप ही है

राघव- मैं? मैंने क्या किया बताना जरा?

नेहा- कुछ करते ही तो नहीं यही तो दिक्कत है

नेहा ने एकदम धीमे से कहा जिसे राघव नहीं सुन पाया

राघव- क्या? क्या कहा जोर से कहो!

नेहा- नहीं कुछ नहीं हे :D हे :D मैंने कुछ नहीं कहा

राघव नेहा की ओर बढ़ा और अब उन दोनों के बीच बस 1 इंच का फासला बचा था और वो दोनों ही ये भूल चुके थे के वो कहा है

राघव- तुम्हें पता....

लेकिन राघव बोलते बोलते रुक गया जब उसे किसी चीज का आवाज आया और उसने नजरे घुमा के देखा तो वहा अक्खी गैंग खड़ी उन्हे देख रही थी सब के चेहरे पर शरारती मुस्कान थी सिवाय एक के

उन लोगों को देख राघव झट से पीछे सरका और नेहा भी उनसे नजरे बचाने लगी

अरे यार राघव तुझे हमेशा उसके इतना पास जाकर ही बात क्यू करनी होती है कभी तो जेंटलमैन जैसे बात कर उससे अब ये चांडाल चौकड़ी और परेशान करेगी’ राघव मन ही मन अपने आप को डांटने लगा

रिद्धि- भईया......

रिद्धि ने गाते हुए कहा

विवेक- अपने लिए एक कमरा ढूंढो भाई, हे भगवान मेरे मासूम मन पर इन सब का क्या असर होगा सोचा है आपने

राघव- चुप बे!

आकाश- डॉन्ट वरी भाई रूम साउन्ड प्रूफ है

आकाश अपनी हसी रोकते हुए बोला

शेखर- अरे गजब वैसे भी कल रात जो हुआ था वो दोबारा नहीं होना चाहीये है न भाई

शेखर ने राघव को देखते हुए कहा

राघव- क्या??

शेखर- अरे यार भाई समझो ऐसे सब के सामने बताना अच्छा नहीं लगेगा

राघव- अबे साफ साफ बोलेगा

जिसके बाद शेखर ने राघव के पास आकार कुछ कहा जो सिर्फ राघव को सुनाई दिया और उसके चेहरे के एक्सप्रेशन बदलने लगे वही नेहा बस उन्हे कन्फ़्युशन मे देखने लगी जिसके बाद मैं अभी आया बोलके राघव वहा से निकल लिया

ऐसा क्या कहा शेखर ने जो ये ऐसे चले गए जो भी हो बला टली’ नेहा ने सोचा तभी श्वेता उसके पास आई और उसके चिढाने से बचने के लिए नेहा जल्दी से बहाना बनाके वहा से निकल गई और उन दोनों के जाते ही वहा मौजूद सब हसने लगे

स्वाती- यार ये दोनों कितने क्यूट है यार

श्वेत- हा ना

रितु- हूह इसमे क्यूट क्या है बचकानी हरकते है सब

रितु ने अपनी जलीकटी सुनाई

श्वेता- वो क्या है ना रितु रिलेशनशिप को हेल्थी रखने के लिए भईया भाभी कभी कभी बच्चों जैसी हरकते करते है जिससे न प्यार बढ़ता है पर तुम्हारी कहा शादी हुई है जो तुम्हें ये बात पता होगी

श्वेता ने भी रितु को उसी की भाषा मे जवाब दिया जिसपर बाकी सब अपनी हसी रोकने की कोशिश करने लगे और इसपर रितु कुछ नहीं बोली वही शेखर ने श्वेता का हाथ पकड़ कर उसे आगे कुछ कहने को रोका

पता नहीं क्यू इससे मुझे कुछ अच्छी फीलिंग नहीं आ रही है लेकिन जो होगा देख लेंगे’ श्वेता ने सोचा

देखते देखते दिन बीत गया, रात का खाना पूरे परिवार ने साथ ही खाया और राघव खाना होते ही जल्दी से अपने रूम मे चला गया क्युकी शाम के बाद उसके भाई बहन उसे चिढ़ाने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे थे

कुछ समय बाद नेहा भी रूम मे आई क्युकी अब रात काफी हो चुकी थी और सभी लोग अपने अपने कमरों मे जा चुके थे

नेहा अपने कमरे मे आई और उसने दरवाजा लॉक किया और जैसे ही वो दरवाजा लॉक करके पलटी वो वही जम गयी क्युकी वहा राघव उसे घूरते हुए खड़ा था...

ये ऐसे ही मुझे घूरेंगे तो आखे बाहर आ जाएंगी ऐसे इनकी ’ नेहा ने सोचा और अपनी आंखे घुमा दी

अब जो इनसे शाम मे राघव को इतना परेशान किया था अब उसका बदला लेने का टाइम आ चुका था..

राघव नेहा के करीब आया दोनों के चेहरे एक दूसरे के पास थे..

राघव- तो अब चुकी तुम मेरा लैपटॉप बड़ी दादी को दे ही चुकी तो ये कह के की मैं तुम्हें टाइम नहीं देता तो अब मैं एकदम फ्री हु तो चलो फिर साथ वक्त बिताए...

राघव की उँगलिया नेहा की कमर पर घूम रही थी जो उसके रोंगटे खड़े कर रही थी, और राघव अपनी उँगलिया चलाए जा रहा था वही उसके होंठ अब नेहा के गालों के करीब थे... और तभी नेहा को अपनी नाभि के पास राघव की उंगली फ़ील हुई, वो तो मानो सास लेना ही भूल गई थी

नेहा के अपनी आंखे कस के बंद कर ली उसकी साँसे जोर जोर से चलने लगी, राघव की नाक उसकी जॉलाइन से टच होती वो महसूस कर रही थी, नेहा ने जैसे तैसे उसे अपने से दूर हटाना चाहा लेकिन वो उसके और पास आ गया

राघव- अब क्या हुआ नेहा जी अब मेरे साथ टाइम नहीं बिताना

राघव नेहा के कान मे फुसफुसाया और उसके कान को चूम लिया जिससे नेहा के पैर उसका साथ छोड़ने लगे और वो गिरने ही वाली थी के राघव ने उसे कमर से पकड़ लिया

राघव- अभी तो मैंने कुछ किया भी नहीं और तुम्हारे पैर अभी से जवाब देने लगे तब क्या होगा जब....

लेकिन राघव बोलते बोलते रुक गया जब उसने नेहा को देखा जिससे उसके चेहरे पर एक स्माइल आ गई, नेहा पर राघव का इफेक्ट छाया हुआ था

नेहा- पल.. प्लीज...

राघव- हा..

नेहा- रु.... रुकिए... प्लीज...

नेहा राघव को रोकना भी चाहती थी और ये एहसास उसे अच्छा भी लग रहा था उसे, राघव की उँगलिया अभी भी उसकी कमर पर घूम रही थी उसे मदहोश कर रही थी जिससे उससे कुछ बोलते नहीं बन रहा था

नेहा ने राघव का शर्ट उसके कंधे से पकड़ लिया और नर्वसनेस मे उसके और करीब आ गई और उसे अपनी गर्दन पर राघव की साँसे फ़ील हो रही थी लेकिन अपनी नर्वसनेस मे उसने तभी कुछ ऐसा कर दिया जो उसे नहीं करना चाहिए था.. जिसने राघव को अपनी जगह पर जमा दिया.. नेहा की हरकत पर राघव अभी उसपर चिल्लाना चाहता था लेकिन जैसे ही उसने नेहा का मासूम चेहरा देखा वो चुप हो गया.. वेल बनते मूड को नेहा ने एकदम से डाउन कर दिया था और राघव एकदम उससे दूर हट्ट गया अब उसने ऐसा क्या किया था इसको आपलोग इमैजिन करो :D

कुछ पलों बाद कुछ ना होता देख नेहा ने अपनी आंखे खोली तो उसने देखा के राघव टोवेल लिए बाथरूम मे जा रहा था... नेहा का मुह खुला था उसने अपने मुह पर हाथ रखा और बड़ी बड़ी आँखों से बाथरूम के दरवाजे को देखने लगी जो थड़ की आवाज के साथ बंद हुआ....

‘ये क्या हुआ अभी अभी....' नेहा ने सोचा.....


क्रमश:
नाइस अपडेट ब्रा ।

:wtf: रीतू वाला बीमारी तो जान लेवा है । या तो रितु की य बीमारी नेहा और उस चुटिया को दुर कर देगी । या फिर य रही सही दूरियां भी इन दोनो की खतम कर देगी
 

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अगले दिन हर कोई आकाश की सगाई की तयारियों मे व्यस्त था क्युकी उन्हे सब कुछ करके लड़की वालों के यहा सगाई के लिए जाना था इसीलिए आज सुबह से ही घर मे चहल पहल थी हर कोई किसी ना किसी काम मे लगा हुआ था।

संध्या - नेहा बेटा तुम प्लीज पीछे गार्डन मे से फूलों की टोकरी ले आओगी ? मैंने आकाश से कहा था लेकिन वो भूल गया

नेहा - कोई बात नहीं चाचीजी मैं अभी ले आती हु

इतना बोल के नेहा वहा से चली गई और जब वो गार्डन मे से फूलों की टोकरी लेकर वहा से आ रही थी तभी किसी से उसका कंधा थपथपाया और नेहा ने मूड कर देखा तो वहा रितु खड़ी थी

नेहा - तुम्हें कुछ चाहिए क्या ?

नेहा ने उसे हल्की सी स्माइल पास करते हुए पूछा

रितु- हा! देखो मुझे घुमा फिरा कर बाते करने की आदत नहीं है मैं जो बोलती हु साफ बोलती हु इसीलिए सीधा मुद्दे पर आती हु, मैं चाहती हु तुम राघव से दूर रहो!

रितु से सपाट चेहरे से कहा और उसकी बात सुन नेहा ने कुछ पल उसे अच्छे से देखा और फिर जोर से हसने लगी और उसे हसता देख रितु का चेहरा उतर गया

नेहा- मतलब तुम एक पत्नी को उसके ही पति से दूर रहने कह रही हो ?

नेहा ने ताना मारते हुए पूछा

रितु- मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता तुम उसकी क्या लगती हो पत्नी या जो भी मैं जानती हु तुमने उससे उसके पैसों के लिए शादी की है और उसके गुड लुक्स की वजह से उसके साथ हो और मुझे नहीं लगता के वो तुम्हें पसंद भी करता होगा इसीलिए बेहतर होगा तुम उससे दूर रहो वो सिर्फ मेरा है।

अब रितु ने अपने रंग दिखने शुरू कर दिए थे।

नेहा- पहली बात तो ये के मैं उनकी पत्नी हु तो दूर तुम्हें रहना चाहिए उनसे, हा मानती हु के वो हैंडसम है उनके पास बहुत पैसे है लेकिन इसका ये मतलब नहीं के हमारा रिश्ता इन चीजों पे टीका हुआ है और रही बात उनकी मुझे पसंद करने ना करने की तो उससे तुम्हें कुछ नहीं करना है वो हमारा पर्सनल मैटर है। एक बात मै तुम्हें बता दे रही हु मेरा पति पर डोरे डालने की कोशिश भी मत करना मैं दिखती बहुत स्वीट और भोली हु लेकिन अपने रंग मे आ गई तो तुमसे बर्दाश्त नहीं होगा इसीलिए ये तुम्हारे लिए बेहतर होगा के तुम मेरे पति से दूर रहो!

नेहा के एकदम साफ शब्दों मे रितु को चेतावनी दे दी थी जिससे वो उसकी बात साफ साफ समझ जाए लेकिन जो समझे वो रितु कहा

रितु- हूह! अगर मैंने उसके पास जाना शुरू किया ना तो वो तुम्हें भूल जाएगा

रितु ने शैतानी मुस्कान के साथ कहा और नेहा ने अपनी मुट्ठीया भींच ली

नेहा- कोशिश करके देख लो

रितु- हा!

नेहा की बात ने रितु को कन्फ्यूज कर दिया था

नेहा- मैंने कहा कोशिश करके देख लो के तुम कितनी बुरी तरह हारोगी

अब नेहा ने रितु को चैलेंज दे दिया था

रितु- तो तुम राघव को दाव पर लगा रही हो?

रितु नेहा की बात सुन मन ही मन खुश हो रही थी

नेहा- नाह वो की खेलने की चीज नहीं है मैं तो उनपर जो मुझे यकीन है उसे दाव पर लगा रही हु, मुझे भरोसा है वो मुझे कभी धोका नहीं देंगे, अगर तुम जीती तो मैं अपना यकीन हार जाऊँगी और मैं जीती तो तुम उनका साथ पाने की उम्मीद

रितु- इतना भरोसा है तुम्हे उसपर देख के अच्छा लेकिन भूलो मत वो एक मर्द है

रितु ने शैतानी मुस्कान के साथ कहा

नेहा- हा तो! इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता के कोई मर्द है या औरत जब तक वो उस रिश्ते की कद्र करे, अगर रिश्ते मे विश्वास हो तो वो कभी किसी को धोका नहीं देंगे और मैं मेरे पति को तुमसे बेहतर जानती हु...

रितु- अपने इस डिसिशन पर पछताओगी नेहा

अब यहां नेहा और रितु के बीच जंग छिड़ने वाली है देखना होगा के आगे क्या होता है...

--x--x--


श्वेता- क्या!!!!! भाभी आपने सच मे ऐसा कहा??

श्वेता ने चौक के नेहा से पूछा क्युकी गार्डन मे उसके और रितु के बीच हुई सारी बात नेहा ने श्वेता को जैसी की वैसी बता दी थी, श्वेता के सवाल पर नेहा ने हा मे गर्दन हिलाई और श्वेता उसके गले लग गई

श्वेता- छा गई भाभी आप तो

नेहा- श्वेता मैंने तुम्हें बताया है लेकिन ये बात बस हमदोनों के बीच ही रहनी चाहिए समझ आया, किसी को मत बताना

श्वेता- अरे भाभी ये बात यहा से बाहर कही नहीं जा रही टेंशन नॉट लेकिन मुझे आपकी ये गुस्से वाली साइड नहीं पता थी

नेहा- कोई साइड नहीं है श्वेता, किसी भी पत्नी को कोई लड़की कहे के तुम्हारा पति मेरा है तो वो ऐसे ही रिएक्ट करेगी

श्वेता- और वो रितु है भी नागिन, पता है भाभी मैं जबसे उससे मिली हु मुझे अच्छी फीलिंग नहीं आ रही लेकिन भाभी बात तो वो सही कह गई मर्द तो आखिर मर्द है

नेहा- हा लेकिन मुझे इनपर पूरा भरोसा है

नेहा के चेहरे पर राघव के बारे मे सोचते ही एक मुस्कान आ गई

श्वेता- आपको अपने रिश्ते का सच पता है फिर भी इतना भरोसा भाभी.. अगर मैं आपकी जगह होती तो शायद शेरी पर इतना विश्वास नहीं दिखा पाती जितना आपने भईया पर दिखाया है..

नेहा- मैंने उनकी आँखों मे अपने लिए प्यार देखा है श्वेता और जबसे मैंने हमारे रिश्ते को सुधारने की कोशिश शुरू की है उनकी आँखों मे भी एक अलग ही चमक देखि है मैंने, उसके बाद उन्होंने कभी मुझे रोका नहीं है और रही बात तुम्हारी तो मैं जानती हु तुम शेखर से कितना प्यार करती हो

श्वेता- फिर भी कुछ प्लान सोचा है आपने उस नागिन से बचने का ? वो कुछ ना कुछ तो जरूर करेगी

नेहा- कोई प्लान नहीं है देखा जाएगा जो होगा....

अब देखने वाली बात होगी के रितु क्या चाल चलेगी और नेहा उसे कैसे रोकेगी लेकिन जो भी हो ये नेहा बनाम रितु की जंग देखने मे मजा बड़ा आएगा तो जुड़े रहिए कहानी के साथ


क्रमश:
अच्छा अपडेट ब्रा ।

रितु तो सनकी लग रही है बेचारी प्यार की मारी । इसमें रितु से ज्यादा मुझे इस चुटिये पर गुस्सा आ रहा है । जब उसे पता है के वह अब भी नहीं सुधरी है तो वह रितु के करीब ही क्यु जा रहा है ।

चलो नेहा ने रितु को अच्छा जवाब दिया है । देखते है इस चुटिया के वजह से नेहा हारती है या जीत जाति है । वैसे इस मामले मे सायद ये चुटिया रितु से दूर ही रहेगा ।

आगे देखते है क्या होता है
 

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Update 32




शुभंकर जी बड़ी दादी को लेकर अस्पताल गए हुए थे क्युकी उनका रूटीन चेकप होना था और जो जरूरी था वही घर के बाकी लोग बैठ कर चाय पीते हुए शादी और सगाई मे होने वाली रस्मों के बारे मे बाते कर रहे थे

स्वाती- सबसे बढ़िया तो जूते छुपाने वाली रस्म होती है, हमे मालामाल कर देती है वो

रिद्धि- पैसे का नेग तो और भी रस्मों मे मिलता है स्वाती..

जानकी- शेखर और श्वेता तो अपनी सगाई के टाइम पूरे फिल्मी थे क्या क्या नहीं किया था दोनों ने

रमाकांत- हा ना ये जनाब सीढ़ियों पर खड़े थे और श्वेता की उंगली मे धागा बांधा हुआ था और ऊपर से सरका के अंगूठी पहनाई थी

शेखर- अरे वो तो मैंने एक फिल्म मे देखा था बड़े पापा और मुझे वही करना था

संध्या- और वो नाम रखने वाली रस्म? शेखर तुमने क्या नाम रखा था श्वेता का हम तो बुआ जी की तबीयत की वजह से रुक नहीं पाए थे तो पता ही नहीं

विवेक- नाम वाली रस्म? ये कब हुई? और है क्या ये?

रिद्धि- जगेगा तब पता रहेगा ना दिन मे 18 घंटे तो सोते हो तुम

रिद्धि ने विवेक को टपली मारते हुए कहा

मीनाक्षी- अरे जब शादी के बाद लड़की दुल्हन बनके नए घर मे जाती है ना तो उसका नया नाम रखा जाता है जो उसके पति के नाम से मैच हो

विवेक- सही है यार, मैं भी सोच के रखता हु कुछ कभी काम आएगा

आकाश- ओये शेखर बता न तूने क्या नाम रखा था भाभी का?

शेखर- आद्या! माय फर्स्ट वन एण्ड ओन्ली लव... मैंने आद्या नाम रखा था

शेखर ने श्वेता की आँखों मे देखते हुए आकाश से कहा और श्वेता शर्मा गई

धनंजय- दट्स माय बॉय शाबाश!

धनंजय जी ने शेखर की तारीफ की जिसपर सब मुस्कुराने लगे

आरती- कितना बढ़िया नाम है लेकिन हमने तुम्हें कभी श्वेता को इस नाम से बुलाते हुए नहीं सुना ऐसा क्यू ?

आरती जी का सवाल सुन दादू बोले जो वही बैठे थे

शिवशंकर- ऐसा इस लिए क्युकी ना तो श्वेता अपना नाम बदलना चाहती थी ना ही हमारी उसका नाम बदलने की इच्छा थी, एक लड़की अपना घर अपना परिवार छोड़ कर अपने ससुराल आती है अपने पति के घर को स्वर्ग बनाने इससे ज्यादा और क्या चाहिए

गायत्री- हा... और वैसे भी ये सिर्फ एक रस्म है और किसी भी लड़की को नाम बदलने की जरूरत नहीं है हमारा नाम तो हमारी पहचान होता है हमारे माता पिता ही देन है वो

शिवशंकर- वही तो और बच्चे पर पहला अधिकार उसके मा बाप का होता है फिर उनका दिया नाम कोई लड़की कैसे बदले बताओ

रमेश- एकदम बराबर कहा आपने! मा बाप का दर्ज सबसे ऊपर है

आरती- अच्छा शेखर का तो सुन लिया अब चलो राघव तुमने नेहा को क्या नाम दिया था बताओ?

अचानक आए इस सवाल से नेहा और राघव दोनों के कान खड़े हो गए नेहा ने अपनी नजरे झुका ली और राघव को गिल्टी फ़ील होने लगा

जानकी- आपको तो पता है मामीजी राघव शादी वाले दिन ही बिजनस ट्रिप पर चला गया था और ये रस्म अगले दिन होती है तो हमने सोचा था के राघव से फोन पर वही से पुछ लेंगे लेकिन ये तो बाद मे हम सभी भूल गए थे

अब ये क्या नया रायता है यार, मैंने क्या क्या मिस किया है’ राघव मन ही मन अपने को कोसने लगा

मीनाक्षी- अरे हा ये तो हम भूल ही गए थे राघव को बाद मे किसी ने इस बारे मे पूछा ही नहीं क्युकी ये लौटा ही 2 महीने बाद था और वैसे भी नाम बदलना ही नहीं था तो किसी ने इसके बारे मे उतना सोचा भी नहीं

संध्या- अच्छा अब वैसे भी राघव उसे उस नाम से नहीं बुलाता लेकिन कुछ तो नाम इसने दिया ही होगा नेहा को वो बात दे

अब संध्या जी की बात सुन राघव के रोंगटे खड़े हो गए

राघव- चाची छोड़ो न कहा आप भी ये बात लेकर बैठ गई वैसे भी बुलाना सबने उसे नेहा ही है

राघव के बहाने बनने शुरू हो गए थे वही नेहा अपनी साड़ी के पल्लू से खेलने लगी

गायत्री- हा तुम्हारी बात सही है लेकिन बताओ तो क्या नाम रखा था तुमने ये इतनी कौनसी बड़ी बात है

जानकी – हा राघव ये तो मैं भी नहीं जानती के मेरे बेटे ने मेरी बहु को क्या नाम दिया था! ये तो गलत बात है चलो बताओ अब

राघव- मा आप भी क्या लेके बैठ गई छोड़ो ना

लेकिन राघव की एक नहीं चल रही थी क्युकी अब सारे घरवाले नाम जानने की जिद पकड़ चुके थे और कोई नाम था ही नहीं और इन सब के एक साथ प्रेशर देने से राघव कोई बढ़िया सा नाम सोच भी नहीं पा रहा था उसका दिमाग एकदम खाली हो गया था कोई आइडिया नहीं आ रहा था, उसने आजू बाजू कुछ हिंट्स के लिए देखा लेकिन उसे कुछ नहीं मिला, मदद की आस मे उसने नेहा को भी देखा लेकिन उसने भी हल्के गुस्से मे अपनी नजरे घुमा ली

इनके पास मेरे लिए कोई अच्छा नाम सोचने के 5 मिनट भी नहीं थे क्या? अब भुगतो’ नेहा ने मन ही मन सोचा

‘अरे यार इसको भी अपने मूड स्विंग्स अभी दिखने है क्या?’

रिद्धि- बताओ ना भाई सब राह मे है

रिद्धि ने राघव को उसके खयालों से बाहर निकाला

राघव- वो..

तभी राघव की नजर सामने टेबल पर पड़े अखबार पर गई और उसकी आंखे अखबार मे कोई बढ़िया सा नाम ढूँढने लगी

विवेक- बताओ यार भाई

विवेक ने थोड़ा जोर से पूछा

राघव- चिक्की

विवेक की बढ़ी हुई आवाज सुन एकदम से ये नाम राघव के मुह से निकला जिसे सुन सब लोग एकदम शांत हो गए

सब लोग आश्चर्य से राघव को देखने लगे और नेहा तो आँख और मुह फाड़े उसे देख रही थी और सबका ये रिएक्शन देख राघव ने वापिस अपने आप को मन ही मन डांटा

“चिक्की!!!!!!” गायत्री और जानकी को अब भी यकीन नहीं हो रहा था और राघव ने गर्दन झुकाए अपनी आंखे बंद कर मुंडी हिलाई

और राघव के एक्सप्रेशन देख वह मौजूद सभी जोर जोर से हसने लगे पेट पकड़ पकड़ कर

रिद्धि- भाई सच मे ये नाम रखा है आपने भाभी का ?? चिक्की??

रिद्धि अपना पेट पकड़ के हसते हुए बोली और विवेक जो सोफ़े की साइड पर बैठा हुआ था वो तो हसते हसते गिरने वाला था अगर आकाश उसे नहीं संभालता तो और आकाश विवेक को संभालते हुए हसे जा रहा था

रमाकांत- राघव ऐसा नाम कौन रखता है बेटा?? तुमने पी रखी थी क्या उस दिन?

रमाकांत जि अपनी हसी कंट्रोल करते बोले

राघव- डैड प्लीज आप तो मत ऐसा बोलिए

रमाकांत- अरे ऐसा नाम सोचो तुम हम बोले भी ना 😂

जानकी- तुमने क्या सोचा था राघव जो मेरी बेटी का ऐसा नाम रखा

जानकी जी आपने आँसू पोंछते हुए बोली जो हसते हसते उनकी आँखों से आने लगे थे

शेखर- क्या था ये 😂😂😂😂😂😂😂

राघव- इतनी बड़ी मजेदार बात भी नहीं है जो आपलोग ऐसे रिएक्ट कर रहे है मुझे क्यूट लगा ये नाम तो मैंने ये रख दिया बस

आरती- हा क्यूट तो है लेकिन तुम्हारे मुह से ऐसा नाम सुनना अलग है बस

आरती जी ने हसते हुए कहा और राघव ने मदद के लिए अपने दादू की ओर देखा जो वहा अभी उसका एकमात्र सहारा थे और दादू भी राघव का इशारा समझ कर बोले

शिवशंकर- बस बहुत हो गया ये उसकी चॉइस है उसे क्या नाम देना था ये उसका प्यार जताने का तरीका होगा

रमेश- हा सही है ये तो उनकी चॉइस है ये वो एकदूसरे को किस नाम से बुलाना चाहते है

रमेश जी भी मुसकुराते हुए बोले

गायत्री- अच्छा अब सब चलो बाते बहुत हुई और बहुत सा काम बाकी है अभी

दादी अपनी मुस्कान छुपाने का असफल प्रयास करते हुए बोली और सब हसते हुए अपने अपने काम मे लग गए

शेखर और श्वेता दोनों जानते थे के राघव ने झूठ बोला है लेकिन वो नाम ही ऐसा था के वो अपनी हसी रोक ही नहीं पाए और एक एक करके सब लोग वहा से अपने अपने कामों के लिए निकल गए और राघव ने राहत की सास ली और नेहा को देखा जो अब भी सेम शॉक वाले एक्सप्रेशन लिए वही अपनी जगह पर बैठी थी किसी मूर्ति की तरह

राघव ने नेहा के कंधे को अपनी उंगली से छुआ जिससे झटके के साथ नेहा उसकी ओर मुड़ी और नेहा के एकदम ऐसे मुड़ने से राघव थोड़ा डर के पीछे सरक गया

नेहा- ची.. चिक्की !!? आपको... आपको और कोई नाम नहीं मिल क्या?? चिक्की??

वो राघव की तरफ बढ़ी और राघव पीछे हटने लगा

राघव- मुझे और कोई नाम नहीं मिला तो...

नेहा- तो आपने चिक्की रख दिया हे भगवान मुझे नहीं पता था इस मामले मे आपका दिमाग इतना स्लो है

नेहा ने बाकियों के रिएक्शन याद कर रोने वाले एक्सप्रेशन अपने चेहरे पर लाए

राघव- ओये मेरा दिमाग स्लो नहीं है

नेहा- है!! इसीलिए तो आपने ऐसा नाम बताया, चिक्की कौन रखता है यार

राघव- रहने दो क्यूट नाम है

बदले मे नेहा ने बस उसे घूरा

राघव- क्या? क्यूट है तो है और अब मैं तुम्हें इसी नाम से बुलाऊँगा ठीक है न, चिक्की

राघव ने मुस्कुराते हुए नेहा के गाल खिचते हुए कहा, और कोई वक्त होता तो नेहा राघव के ऐसे उसे छेड़ने को इन्जॉय करती लेकिन अभी उसे चिक्की के सामने कुछ नहीं दिख रहा था

नेहा- आप मुझे इस नाम से बिल्कुल नहीं बुलाएंगे!

नेहा ने अपनी उंगली राघव को दिखा कर धमकाते हुए कहा

राघव- कौन बोला, मैं तो इसी नाम से बुलाऊँगा और तुम मुझे नहीं रोक सकती वैसे भी ये रस्म थी

राघव वहा से इतना बोल कर जाने लगा

नेहा- उहमहू चीटिंग है ये आप... आप ऐसा नहीं करेंगे.... रुकिए.... सुनिए तो... आप मुझे उस नाम से नहीं बुलाएंगे

नेहा राघव के पीछे पीछे जाने लगी लेकिन राघव ना तो मूड रहा था ना उसकी कोई बात सुन रहा था उसने बस चिक्की चिक्की की रट लगाई हुई थी......

क्रमश:
ये वाला अपडेट मजेदार था भाई । फैमिली ड्रामा ही चला लेकिन इस चुटिया ने अच्छा नाम रख दिया जल्दी बाजी मे जो नेहा को परेशान करने के लिए काफी है ।। चिक्की :lol:
 

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Update 33




नेहा राघव को अवॉइड कर रही थी क्युकी अब राघव का लैपटॉप तो बड़ी दादी के पास था और करने को कुछ था नहीं तो राघव नेहा को चिक्की नाम से चिढ़ा कर मजे ले रहा था और वो उसे चिक्की चिक्की बुलाते हुए पूरे घर मे उसके पीछे पीछे घूम रहा था बगैर परिवार वालों की चिंता करे और नेहा इससे काफी ज्यादा चिढ़ भी रही थी, इस वक्त नेहा किचन मे थी और सब्जियां काट रही थी

श्वेता- चिक्की भाभी भईया आपको बुला रहे है

श्वेता ने अपनी हसी छुपाते हुए नेहा से कहा और बदले मे नेहा ने उसे घूर के देखा

नेहा- उनहू उनहू श्वेता प्लीज!!

श्वेता- अच्छा अच्छा ठीक है नेहा भाभी मैं नहीं बुलाऊँगी आपको उस नाम से

श्वेता ने हसते हुए कहा

नेहा- वही अच्छा होगा और तभी वहा एंट्री हुई राघव की

राघव- चिक...

राघव किचन मे आते हुए नेहा को चिक्की बुलाने ही वाला था के वहा श्वेता को नेहा के साथ देख वो रुक गया और श्वेता हसते हुए वहा से चली गई और नेहा मन मे सोचने लगी

इनको अचानक क्या हो गया है? उफ्फ़ इनकी ये बच्चों जैसी हरकते!’

नेहा- क्या है!!

नेहा ने थोड़ा रुडली राघव से कहा

राघव- वो चिक्की असल मे......

नेहा- मुझे उस नाम से मत बुलाइए

नेहा ने फ्रस्टेट होकर राघव को अपने हाथ मे पकडा चाकू दिखाते हुए कहा और चाकू उसकी गर्दन के पास पकड़ा

राघव- अरे देखो ऐसा मत करो भरी जवानी मे विधवा हो जाओगी

नेहा- आई डोन्ट केयर मुझे बस मेरे नाम से मतलब है

नेहा ने राघव की तरफ एक कदम और बढ़ाया और राघव एक कदम पीछे हटा और सरेन्डर करने के लिए अपने दोनों हाथ उसने ऊपर उठा लिया

राघव- अरे शांत हो जाओ मेरी मा, और ये बताओ तुम्हें ये नाम पसंद क्यू नहीं है??

राघव ने मासूमियत से पूछा

नेहा- ऐसा नाम कीसे पसंद आएगा और पहली बात आपके दिमाग मे ये नाम आया कहा से वो बताइए पहले ?

नेहा ने राघव से पूछा

राघव- वो अखबार मे एड थी एक जिसमे लिखा था के अब लोनावला की फेमस चिक्की मिलेगी हर जगह बस वही से चिक्की उठा लिया

और राघव का जवाब सुन नेहा ने अपना माथा पीट लिया

नेहा- आप ना...

लेकिन बोलते बोलते नेहा रुक गई जब उसने राघव को उसे देख कर मुस्कुराता हुआ पाया

राघव- अच्छा सुनो न चिक्की.... मतलब नेहा, नेहा

जब चिक्की बुलाने पे नेहा ने वापिस राघव को घूरा तो उसने उसे नेहा बुलाना शुरू कर दिया

नेहा- हम्म क्या..

राघव- मैं जरा शेखर और आकाश के साथ कुछ काम से बाहर जा रहा हु आकाश को कुछ सामान लेना है और आज शॉप से कुर्ते वाला आ रहा है तो अगर मैं टाइम पर ना पहुंच पाया तो मेरे लिए अपनी पसंद का एक कुर्ता चुन कर रखना।

और इतना बोल के राघव बगैर नेहा की बात सुने वहा से निकल गया और नेहा बस मुसकुराते हुए उसे जाते हुए देखती रही

--x--


रमाकांत- स्वाती बेटा जाओ नेहा को बुला लाओ, राघव ने कहा था के नेहा को कहे उसके लिए कुर्ता पसंद करने

रमाकांत जी ने स्वाती से कहा और वो भी हा मे गर्दन हिला कर चली गई

शुभंकर- हा हा अब जब हमने इनकी साड़िया पसंद की है तो ये भी तो हमारे लिए कपड़े पसंद करेंगी न

धनंजय- हा बिल्कुल

सब औरते अपने अपने पतियों की कपड़े सिलेक्ट करने मे मदद कर रही थी तभी वहा रितु आई

रितु- हैलो एवरीवन अरे वाह आज भी कपड़ों की खरीदारी चल रही है

जानकी- हा बेटा आज जेंट्स लोगों की बारी है

जानकी जी की बात सुन रितु ने इधर उधर देखा जैसे किसी को ढूंढ रही हो लेकिन वो बंदा उसे कही नहीं दिखा

रितु- राघव कहा है?? और शेखर और आकाश?

किसी को अजीब न लगे इस लिए उसने शेखर और आकाश के बारे मे भी पुछ लिया

संध्या- वो लोग कुछ काम से बाहर गए है

संध्या जी ने कपड़े देखते हुए ही रितु के सवाल का जवाब दिया

आरती - अरे रितु तुम भी आओ कुछ सजेशन दो

जिसके बाद रितु भी वहा बैठ गई इतने मे वहा नेहा आई और रमाकांत जी से बोली

नेहा- जी पापा आपने बुलाया था

रमाकांत- हा बेटा आओ राघव के लिए कुर्ता पसंद कर लो उसने मुझे तुम्हें याद दिलाने कहा था

और रमाकांत जी की बात सुन रिद्धि अपनी मा से बोली

रिद्धि- देखा मा आपका बेटा लाइन पर आ रहा है अब

जिसपर नेहा शर्मा गई

श्वेता- भाभी यहा आओ न

श्वेता ने नेहा को अपने बाजू की खाली जगह की तरफ इशारा करके बुलाया वही रितु बस नेहा को घूरे जा रही थी लेकिन कोई उसकी तरफ ध्यान नहीं दे रहा था

संध्या- अच्छा है राघव बदल रहा है वरना हम तो भूल ही गए थे के वो आखरी बार ऐसे किसी फॅमिली फंक्शन मे आया हो

मीनाक्षी- अरे ये तो नेहा है जो संभाल रही है उसे

जानकी- वही तो कोई और होती तो पता नहीं उसे संभाल पाती या नहीं

इन लोगों की बाते सुन नेहा कुर्ता पसंद करते हुए मुस्कुरा दी वही इन बातों ने रितु के मन मे आग लगा दी थी जिसकी जलने की बदबू बाहर तक आ रही थी

विवेक- ये गलत बात है यार, मैं तो सिंगल हु अब मेरे लिए कौन पसंद करेगा

विवेक ने कहा जिसपर नेहा और श्वेता ने एकसाथ कहा “हम है ना”

कुमुद- रुक मैं पसंद करती हु तेरे लिए तेरी बड़ी दादी की पसंद इतनी खराब नहीं है

सारा प्रोग्राम सही चल रहा था तभी रितु बीच मे बोल पड़ी

रितु- अरे अरे नेहा ये क्या कर रही हो? इस कुर्ते का कलर ऑफ है राघव को पसंद नहीं आएगा रुको मैं मदद करती हु तुम्हारी

रितु ने नेहा के पसंद किए कुर्ते को घृणित नजरों से देखा और खुद कुर्ता ढूंढने लगी

नेहा- इन्हे क्या पसंद है क्या नहीं मुझे अच्छे से पता है!

रितु- उसे डार्क कलर पसंद है इतना भी नहीं पता क्या फिर तुम्हें

रितु ने नेहा को ताना मारा जो वहा मौजूद किसी को भी अच्छा नहीं लगा

नेहा- वो टाइम और जगह के हिसाब से कलर पसंद करते है

नेहा ने आराम से कहा

रितु- नहीं! बचपन मे वो हमेशा डार्क कलर पहनता था चाहे कुछ हो और उसका पसंदीदा रंग डार्क ब्लू है उसने बताया था मुझे

रितु ऐसा जता रही थी जैसे वो राघव को नेहा से बेहतर जानती थी

नेहा- वो बचपन था रितु, वो अब बच्चे नहीं है और समय के साथ पसंद भी बदलती है

नेहा अब रितु की बातों से परेशान हो रही थी

रितु- तो मैं मदद करती हु तुम्हारी वैसे भी मेरी चॉइस तुमसे अच्छी है उसे पसंद आएगी

अब ये बात रितु ने कही तो नॉर्मली ही थी लेकिन नेहा जानती थी के वो उसे चैलेंज कर रही है

नेहा- उन्होंने मुझे खास तौर से उनके लिए कुर्ता पसंद करने करने कहा है रितु और अगर कोई और ये काम करेगा तो ये उन्हे अच्छा नहीं लगेगा तुम जाओ औरों की मदद करो मुझे अच्छे से पता है इन्हे क्या पसंद है क्या नहीं

नेहा ने प्यार से मुस्कान के साथ रितु से कहा लेकिन उसके शब्द किसी तीर की तरह थे वही ये बवाल देख श्वेता अपनी हसी कंट्रोल कर रही थी

नेहा को ऐसे राघव की साइड लेता देख उसपर हक जमाते देख दादू ने दादी की ओर देखा मानो इशारों मे कह रहे हो मैंने कहा था न नेहा राघव के लिए परफेक्ट है और दादी ने भी इशारों मे सहमति जताई

रितु- ठीक है मैं भी उसके लिए एक कुर्ता पसंद कर लेती हु जब वो आएगा तब उसी से पुछ लेंगे उसे किसका कुर्ता ज्यादा अच्छा लगा

रितु को नेहा द्वारा हुई अपनी सोम्य शब्दों वाली बेइज्जती रास नहीं आई और जिद्दी तो वो बहुत थी वही नेहा ने इसका कुछ नहीं हो सकता सोच के मुंडी हिला दी

कुछ समय मे सब की खरीदारी हो चुकी थी और अब बस वहा अपनी गैंग बची थी वो भी रितु के उस बचकाने आइडीया के चलते, नेहा और रितु दोनों ही राघव की राह देख रही थी तभी वो लोग वहा आए

शेखर- अरे वाह हो गया सब ?

शेखर ने अंदर आते हुए पूछा

रितु- राघव कहा है?

रितु ने शेखर से पूछा और नेहा अब उससे परेशान हो चुकी थी वही शेखर ने उसका सवाल सुन श्वेता को देखा तो श्वेता ने इशारे से ये पागल है ऐसा कहा

शेखर - भाई बस आ ही रहा है

शेखर ने नेहा को देखते हुए कहा और तभी वहा राघव की एंट्री हुई और रिद्धि उसके पास गई

रिद्धि- भाई आप आ गए अब चलो और अपने लिए एक कुर्ता पसंद करो ताकि मेरी भाभी का काम खतम हो

रिद्धि ने कहा और राघव कन्फ्यूजन मे उन्हे देखने लगा

रितु- राघव देखो मैंने तुम्हारे लिए एक कुर्ता पसंद किया है

रितु ने राघव के पास जाते हुए कुर्ता दिखाया और उसे देख राघव का मूड ही खराब हो गया और उसने नेहा को देखा और इशारों मे कहा के मैंने तुम्हें कहा था ना?? और इससे पहले रितु उसके पास पहुचती वो जाकर नेहा के बाजू मे बैठ गया

श्वेता- भईया भाभी और रितु ने आपके लिए ये दो कुर्ते पसंद किए है अब बताओ आपको कौनसा बढ़िया लगा

श्वेता ने राघव को एक डार्क ब्लू और एक हल्के गुलाबी रंग का ऐसे दोनों कुर्ते दिखाए

राघव- ये वाला...

राघव के डार्क ब्लू कुर्ते की ओर इशारा किया जिससे वहा बस एक इंसान को खुशी हुई

नेहा- ठीक है यही फाइनल फिर

नेहा ने झूठी मुस्कान के साथ कहा और वहा से उठने लगी इतने मे ही राघव ने उसका हाथ पकड़ कर उसे वहा बैठा लिया

राघव- क्या? फाइनल क्या? अरे पहले पूरी बात तो सुन लो मैं कह रहा हु ये वाला बहुत डार्क है सगाई के फंक्शन मे उतना सही नहीं लगेगा इसीलिए दूसरा वाला फाइनल करो

राघव की बात सुन नेहा ने उसकी ओर देखा और रितु की स्माइल गायब हो गई

राघव- और वैसे भी ये चिक्की... मतलब तुम्हारी साड़ी के साथ मैच हो रहा है तो इसे ही डन करो

राघव ने नर्वस स्माइल के साथ कहा और उसकी बात सुन नेहा के गाल लाल होने ले

शेखर- ओ हो हो मैचिंग मैचिंग....

शेखर ने राघव को चिढ़ाते हुए कहा वही राघव कुछ नहीं बोला बस उसने एक बार नेहा को देखा और वहा से निकल गया.....

क्रमश:
अच्छा अपडेट ब्रा।

चलो अभी नेहा ये वाला बाजी मार ली । लेकिन ये राघो ने नेहा को जीतने दिया । मुझे लगता है राघो को रितु वाला ही कपड़ा पसंद था राघो राघो:sigh: । जो बदल दिया
 

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Update 34




आज आकाश की सगाई थी और सब लोग तयारियों मे बिजी थी रेडी हो रहे थे ताकि सगाई वाली जगह के लिए निकल सके

कुमुद- सब हो गया?

बड़ी दादी ने संध्या जी से पूछा

संध्या- जी बुआ जी सब हो गया है अब आप आराम करिए चिंता मत करिए

कुमुद- ठीक है, सब तयार हो गए है ना हमे वहा समय पर पहुचना है

संध्या- मैं बस वही देखने जा रही थी

और इतना बोल के संध्या जी वहा से चली गई

शिवशंकर- अरे ये क्या अभी तक कोई तयार नहीं हुआ ?

दादू ने वहा आते हुए पूछा

कुमुद- संध्या गई है देखने..

तभी राघव वहा आ पहुचा जो पूरा रेडी था

शिवशंकर- अरे वाह राघव तुम हो गए तयार, जाओ और नेहा को बुला लाओ

दादू ने राघव को देखते ही कहा

कुमुद- और हा अगर उसे कुछ मदद चाहिए होगी तयार होने मे तो कर देना वो सबसे आखिर मे रेडी होने गई थी

बड़ी दादी और दादू दोनों ने ही राघव को नेहा को बुलाने कहा वही नेहा का नाम सुनते ही राघव वही जम गया और उसके गाल लाल हो गए और ऐसा क्यू हुआ तो ये जानने के लिए चलते है कुछ समय पहले....

राघव तयार होकर बस बाथरूम से बाहर आया ही था के उसने देखा के रूम मे नेहा रेडी हो रही है और नेहा को देखते ही उसकी आंखे बड़ी हो गई क्युकी इस वक्त नेहा बस ब्लाउस और पेटीकोट मे थी और साड़ी पहन रही थी, नेहा को लगा था के राघव रूम मे नहीं है क्युकी बाथरूम से उसे कोई आवाज नहीं आया था इसीलिए वो रेडी होने लगी और जब वो मुड़ी तो उसका मुह खुला का खुला रह गया आखे बाहर आने को हो गई क्युकी राघव बगैर पलके झपकाए उसे देखे जा रहा था...

नेहा ने झट से अपनी साड़ी का पल्लू लिया लेकिन तब तक तो राघव की नजर उसकी पतली कमर पर पड चुकी थी और ऐसे अचानक राघव को देखते ही नेहा चीखने ही वाली थी के राघव ने जल्दी से अपने हाथ से उसका मुह बंद कर दिया और नेहा की आधी पहनी साड़ी नीचे गिर गई और नेहा चौक के राघव को देखने लगी जब उसे राघव का हाथ अपनी कमर पर महसूस हुआ

राघव- चिल्लाओ मत! क्या कर रही हो यार

राघव ने कहा वही नेहा बड़ी बड़ी आँखों से उसे देखने लगी और उसे अपने आप को ऐसे देखता पाकर राघव को सिचुएशन का ध्यान आया और वो थोड़ा पीछे हटा और मूड के खड़ा हो गया

राघव- वो.. मैं... वो जानबुझ के नहीं हुआ.. मैं बाथरूम मे था और तुम यहा कपड़े क्यू बदल रही हो

राघव ने अपनी गलती नेहा पर डालने की कोशिश कि

नेहा- मुझे सपने नहीं आ रहे थे के आप बाथरूम मे हो मुझे कोई आवाज नहीं आया तो लगा के आप नहीं हो और वैसे भी मैं वहा साड़ी नहीं पहन सकती थी

नेहा ने वापिस साड़ी पहनते हुए धीमे से कहा

राघव- तो.. तो अबतक पहनी क्यू नहीं??

नेहा- वो.. वो मुझसे ब्लाउस की डोरी नहीं बंध रही थी पीछे से तो....

नेहा ने थोड़ा हिचकते हुए कहा

राघव- तो किसी को मदद के लिए बुला लेना था

नेहा- सब तयार हो रहे है

राघव- तो अब क्या करोगी कैसे रेडी होगी

राघव ने एकदम से पूछा

नेहा- किसी के रेडी होने का वेट करूंगी फिर

नेहा ने कहा और कुछ पल रूम मे शांति फैल गई

राघव- घूमो!

राघव ने एकदम से कहा जो नेहा को समझ नहीं आया

नेहा- हा?

राघव- अरे घूमो वरना लेट हो जाओगी चलने का टाइम हो गया है

राघव ने अपना कुर्ता सही करते हुए कहा

नेहा- नहीं ठीक है मैं कर लूँगी मैनेज

राघव- मैं खा नहीं जाऊंगा तुम्हें और वैसे भी तुम्ही ने मुझे पति वाला हक जमाने कहा था ना तो अब घूमो इतनी भी बड़ी बात नहीं है

अनहाहा नेहा क्यू कही थी तुमने वो बात’ नेहा ने मन ही मन अपने आप को कोसा

राघव- नेहा घूमो लेट हो रहा है

जिसके बाद नेहा थोड़ा हिचकते हुए मुड़ी और राघव को देखने कहा और राघव ने मूड कर देखा तो अनायास ही उसकी नजर नेहा की पीठ पर पड़ी और उसे पसीना आने लगा और वो धीरे धीरे नेहा की तरफ बढ़ा

राघव ने अपने हाथ से नेहा के बाल एक साइड हटाए, उसके हाथ थरथरा रहे थे और जैसे ही उसने नेहा की पीठ हो छुआ उसके होंठ बंद हो गए वही राघव का स्पर्श पीठ पर पाते ही नेहा के रोंगटे खड़े हो गए

राघव की नजरे एक पल को भी नेहा की पीठ ने नहीं हट रही थी और अब वहा का महोल गरम होने लगा था

राघव ने ब्लाउस की डोरी बांधनी शुरू की, धड़कने दोनों की बढ़ी हुई थी वही नेहा अपनी साँसों पे काबू कर रही थी

जब भी राघव उसके आसपास होता पता नहीं उसे क्या हो जाता

राघव- हो गया!

और इतना बोलते ही राघव झट से रूम से बाहर चल गया और अभी जब दादू और बड़ी दादी ने उसे नेहा को बुलाने कहा था तो रूम मे हुआ यही सीन याद कर राघव के गाल लाल हो गए थे

एक तो कल रात का सीन फिर अब, पता नहीं उसके पास जाते ही मुझे क्या होने लगता है दूर रहना पड़ेगा उससे वरना पता नहीं मैं क्या कर जाऊंगा, लेकिन क्या कमर थी यार’

राघव अपने ही खयालों मे खोया हुआ था तभी रमाकांत जी ने उसके चेहरे के सामने चुटकी बजा कर उसे होश मे लाया

रमाकांत- किधर खोए हो बरखुरदार?

शेखर- बड़े पापा लगता है भाई को कुछ याद आ गया होगा हैना भाई??

शेखर राघव को छेड़ने लगा इतने मे सब लोग वहा जमा हो चुके थे

राघव- शट उप शेखर! नेहा बस आती ही होगी बड़ी दादी

मीनाक्षी- श्वेता कहा है शेखर?

श्वेता- मैं यहा हु मा

श्वेता ने उनके पास आते हुए कहा, आज वो गजब की सुन्दर दिख रही थी और शेखर ने उसे आता देख उसे आँख मार दी

विवेक- वूह! भाभी लूकिंग ऑसम लेकिन आपके पतिदेव का क्या करे ये तो बांदर ही दिख रहा है

विवेक ने कहा जिस पर सब हसने लगे और शेखर ने उसे पेट मे हल्का सा मुक्का जड़ दिया

शेखर- सा...

शेखर अभी विवेक पर शब्द सुमनो की बारिश करने की वाला था के उसे घरवालों का ध्यान आया तो वो रुक गया, सब लोग श्वेता की तारीफ करने लगे

गायत्री- नेहा कहा है??

दादी ने इधर उधर देखते हुए पूछा

स्वाती- वो रही भाभी

स्वाती ने राघव के पीछे की तरफ इशारा किया जहा से नेहा आ रही थी और स्वाती की बात सुन राघव ने जैसे ही मूड कर पीछे देखा तो वो बस नेहा को देखता ही रह गया

नेहा धीरे धीरे चलते हुए राघव की तरफ आ रही थी उर उसके चेहरे पर एक खूबसूरत मुस्कान बनी हुई थी, राघव की पसंद की हुई साड़ी उसपर बहुत जच रही थी

नेहा को देख कर राघव के चेहरे पर भी मुस्कान आ गई, जो उसे अपने जीवनसाथी मे चाहिए था नेहा मे वो सब कुछ था रूप भी और गुण भी और इस वक्त वो किसी देवी से कम नहीं लग रही थी, सिम्पल एण्ड ब्यूटीफुल

रिद्धि- भाभी बहुत सुन्दर लग रही हो आप

रिद्धि ने कहा जिसपर नेहा बस मुस्कुरा दी

जानकी - आखिर बहु किसकी है

संध्या- साड़ी बहुत सुन्दर लग रही है नेहा नाइस चॉइस

रिद्धि- वो तो भईया की पसंद है चाची

मीनाक्षी- सही मे ? राघव तुमने पसंद की है ये साड़ी?

लेकिन राघव का किसी की बातों पर ध्यान ही कहा था वो तो उसकी बीवी मे ही खोया हुआ था

आकाश- भाई!!

आकाश ने राघव को हिला कर उसके सपनों की दुनिया से बाहर निकाला

राघव- आगाये सब चलो अब लेट हो रहा है और आकाश तुझे सगाई करनी है ना?

राघव ने एकदम से सबकी नजरे अपनी तरफ पाई तो बात बदलते हुए कहा और उसकी बात सुन आकाश भी जल्दी करने लगा

रमेश- हा अब चलना चाहिए वरना हमलोग लेट हो जाएंगे

शुभंकर- हा, और ममता से बात हुई है मेरी वो सीधा वही पहुचेंगे

आरती- ठीक है फिर सब तयार है तो चलते है हमे बस रितु को साथ लेना है उसके मा बाप नहीं आ रहे

और आरती जी के रितु का नाम लेते ही दो लोगों का मूड ऑफ हो गया वो थे नेहा और श्वेता

‘सब ने मेरी तारीफ की लेकिन इनके मुह से एक शब्द नहीं निकला’ नेहा ने राघव को देखते हुए सोचा

अब शेखर श्वेता, राघव और नेहा एक ही कार मे जाने वाले थे

शेखर- भाभी आप सामने भाई के साथ बैठो मैं और श्वेता पीछे बैठते है

शेखर ने नेहा ने कहा और ड्राइविंग सीट पर बैठे राघव को देखा नेहा ने हा मे गर्दन हिलाई और वो दरवाजा खोलने ही वाली थी के रितु वहा आ पहुची

रितु- हे अंकल आंटी ने मुझे तुम लोगों के साथ आने कहा है बाकी सारी गाड़ियां फूल है

रितु ने कहा और वो राघव के बाजू मे बैठने ही वाली थी के नेहा ने उसे रोक दिया

नेहा- वो मेरी जगह है रितु

रितु- तुम्हारा नाम लिखा है क्या यहा?

नेहा- नाम तो तुम्हारा भी नहीं है

अब नेहा इससे चिढ़ने लगी थी

रितु- हा लेकिन अब मैं बैठूँगी यहा

और इससे पहले रितु दरवाजा खोल कर राघव ने बाजू मे बैठती कार का शिशा नीचे हुए एक आवाज आया

राघव- नेहा मेरे बाजू मे आकार बैठो

राघव की उस डोमिनेंट आवाज ने सारा झगड़ा ही खतम कर दिया और रितु शॉक होकर उसे देखने लगी और नेहा राघव का सपाट चेहरा देखते हुए उसके बाजू मे जा बैठी

श्वेता- रितु आओ तुम मेरे पास बैठो

श्वेता ने अपने बाजू की खाली सीट की ओर इशारा करते हुए कहा और रितु तमतमाते हुए पीछे की सीट पर जा बैठी और वो निकल गए

रितु- नेहा तुम तो ऐसे तयार हुई हो जैसे तुम्हारी सगाई हो

रितु ने नेहा का मजाक बनाना चाहा

नेहा- वो क्या है ना शादी शुदा लड़किया ऐसे ही तयार होती है

रितु- लेकिन ये साड़ी कितनी...

नेहा- परफेक्ट! परफेक्ट है मेरे लिए इन्होंने जो पसंद की है!

नेहा ने रितु की बात बीच मे ही काटते हुए कहा जीसे सुन राघव के चेहरे पर भी एक हल्की सी बस हल्की सी स्माइल आ गई वही नेहा के जवाब पे रितु ने उसे गुस्से से देखा लेकिन फिर उसने अपनी नजरे राघव की ओर घुमाई

रितु- राघव तुमने ऐसे अचानक शादी करली ऐसा क्यू? बीवी तुम्हारे पसंद की है भी या नहीं?

उसने नेहा को तान मारा और गाड़ी मे सब एकदम शांत हो गए नेहा का चेहरा उतर गया उसने राघव को देखा जो बाहर रोड को देख कर गाड़ी चलाने पर ध्यान दे रहा था फिर उसने रीयर व्यू मिरर से रितु को देखा जिसके चेहरे पर शैतानी मुस्कान थी और राघव की इस चुप्पी से उदास होकर नेहा बाहर देखने लगी

लेकिन तभी उसके किसी का हाथ अपने हाथ पर महसूस हुआ उसने उस तरफ देखा तो पाया के राघव अपने बाये हाथ से उसका दाया हाथ पकड़ रखा था और उसका ध्यान अब भी रोड पर था, राघव ने नेहा का हाथ पकड़ के उसे चूम लिया जिससे नेहा के मन मे तितलिया उड़ने लगी और फिर

राघव पूरे रास्ते नेहा का हाथ पकड़े गाड़ी चलाता रहा

राघव- मुझे लगता है इतना जवाब काफी होगा

राघव ने रोड पर देखते हुए रितु से कहा और नेहा के चेहरे पर एक मुस्कान उभर आई और रितु चुप हो गई

उसके बाद उनमे से कोई कुछ नहीं बोला जब तक वो अपनी मंजिल पर ना पहुच गए.....

क्रमश:
नाइस अपडेट ब्रा । रितु तो हर बार जल भुन रही है नेहा के सामने
 

Thakur

Alag intro chahiye kya ?
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Huiii thankyou sir...waise hamari story bhi devnagari main chal rhi hai lol😂

Ye pati patni ki nok jhok ka toh alag hi mja hai..... Bahut pyara update 🥰 ye ritu ki jab shaadi Hogi toh iska pati pagal na ho jaye😂
Bohot ucch khayal he bhai aap ke jo ye soch rahe ho ke aise obsesive log jaldi move on karte he :roll3:
Khali ek he achhi chij ritu ke karan hui he ke ye do prani ek sath hue he :lol:
Ye to dogli duniya ka dogalapan he jo obsessive ladke ko psycho lover keh ke :buttkick: karte he aur obsessive ladki ko "pyar ki mari abhagan" :blahblah: aur kya kya keh dete he . Par log bhul gaye he ke ye obsessed ladkiyan he achhe khase rishto ki cha mod deti he :sigh:
Adirshi ki karamat he ya shararat jo ye tedha character introduce kiye he !
Bhagwan kare kabhi kisi single ka pala Ritu jaisi se na pade !
 

dhparikh

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आज आकाश की सगाई थी और सब लोग तयारियों मे बिजी थी रेडी हो रहे थे ताकि सगाई वाली जगह के लिए निकल सके

कुमुद- सब हो गया?

बड़ी दादी ने संध्या जी से पूछा

संध्या- जी बुआ जी सब हो गया है अब आप आराम करिए चिंता मत करिए

कुमुद- ठीक है, सब तयार हो गए है ना हमे वहा समय पर पहुचना है

संध्या- मैं बस वही देखने जा रही थी

और इतना बोल के संध्या जी वहा से चली गई

शिवशंकर- अरे ये क्या अभी तक कोई तयार नहीं हुआ ?

दादू ने वहा आते हुए पूछा

कुमुद- संध्या गई है देखने..

तभी राघव वहा आ पहुचा जो पूरा रेडी था

शिवशंकर- अरे वाह राघव तुम हो गए तयार, जाओ और नेहा को बुला लाओ

दादू ने राघव को देखते ही कहा

कुमुद- और हा अगर उसे कुछ मदद चाहिए होगी तयार होने मे तो कर देना वो सबसे आखिर मे रेडी होने गई थी

बड़ी दादी और दादू दोनों ने ही राघव को नेहा को बुलाने कहा वही नेहा का नाम सुनते ही राघव वही जम गया और उसके गाल लाल हो गए और ऐसा क्यू हुआ तो ये जानने के लिए चलते है कुछ समय पहले....

राघव तयार होकर बस बाथरूम से बाहर आया ही था के उसने देखा के रूम मे नेहा रेडी हो रही है और नेहा को देखते ही उसकी आंखे बड़ी हो गई क्युकी इस वक्त नेहा बस ब्लाउस और पेटीकोट मे थी और साड़ी पहन रही थी, नेहा को लगा था के राघव रूम मे नहीं है क्युकी बाथरूम से उसे कोई आवाज नहीं आया था इसीलिए वो रेडी होने लगी और जब वो मुड़ी तो उसका मुह खुला का खुला रह गया आखे बाहर आने को हो गई क्युकी राघव बगैर पलके झपकाए उसे देखे जा रहा था...

नेहा ने झट से अपनी साड़ी का पल्लू लिया लेकिन तब तक तो राघव की नजर उसकी पतली कमर पर पड चुकी थी और ऐसे अचानक राघव को देखते ही नेहा चीखने ही वाली थी के राघव ने जल्दी से अपने हाथ से उसका मुह बंद कर दिया और नेहा की आधी पहनी साड़ी नीचे गिर गई और नेहा चौक के राघव को देखने लगी जब उसे राघव का हाथ अपनी कमर पर महसूस हुआ

राघव- चिल्लाओ मत! क्या कर रही हो यार

राघव ने कहा वही नेहा बड़ी बड़ी आँखों से उसे देखने लगी और उसे अपने आप को ऐसे देखता पाकर राघव को सिचुएशन का ध्यान आया और वो थोड़ा पीछे हटा और मूड के खड़ा हो गया

राघव- वो.. मैं... वो जानबुझ के नहीं हुआ.. मैं बाथरूम मे था और तुम यहा कपड़े क्यू बदल रही हो

राघव ने अपनी गलती नेहा पर डालने की कोशिश कि

नेहा- मुझे सपने नहीं आ रहे थे के आप बाथरूम मे हो मुझे कोई आवाज नहीं आया तो लगा के आप नहीं हो और वैसे भी मैं वहा साड़ी नहीं पहन सकती थी

नेहा ने वापिस साड़ी पहनते हुए धीमे से कहा

राघव- तो.. तो अबतक पहनी क्यू नहीं??

नेहा- वो.. वो मुझसे ब्लाउस की डोरी नहीं बंध रही थी पीछे से तो....

नेहा ने थोड़ा हिचकते हुए कहा

राघव- तो किसी को मदद के लिए बुला लेना था

नेहा- सब तयार हो रहे है

राघव- तो अब क्या करोगी कैसे रेडी होगी

राघव ने एकदम से पूछा

नेहा- किसी के रेडी होने का वेट करूंगी फिर

नेहा ने कहा और कुछ पल रूम मे शांति फैल गई

राघव- घूमो!

राघव ने एकदम से कहा जो नेहा को समझ नहीं आया

नेहा- हा?

राघव- अरे घूमो वरना लेट हो जाओगी चलने का टाइम हो गया है

राघव ने अपना कुर्ता सही करते हुए कहा

नेहा- नहीं ठीक है मैं कर लूँगी मैनेज

राघव- मैं खा नहीं जाऊंगा तुम्हें और वैसे भी तुम्ही ने मुझे पति वाला हक जमाने कहा था ना तो अब घूमो इतनी भी बड़ी बात नहीं है

अनहाहा नेहा क्यू कही थी तुमने वो बात’ नेहा ने मन ही मन अपने आप को कोसा

राघव- नेहा घूमो लेट हो रहा है

जिसके बाद नेहा थोड़ा हिचकते हुए मुड़ी और राघव को देखने कहा और राघव ने मूड कर देखा तो अनायास ही उसकी नजर नेहा की पीठ पर पड़ी और उसे पसीना आने लगा और वो धीरे धीरे नेहा की तरफ बढ़ा

राघव ने अपने हाथ से नेहा के बाल एक साइड हटाए, उसके हाथ थरथरा रहे थे और जैसे ही उसने नेहा की पीठ हो छुआ उसके होंठ बंद हो गए वही राघव का स्पर्श पीठ पर पाते ही नेहा के रोंगटे खड़े हो गए

राघव की नजरे एक पल को भी नेहा की पीठ ने नहीं हट रही थी और अब वहा का महोल गरम होने लगा था

राघव ने ब्लाउस की डोरी बांधनी शुरू की, धड़कने दोनों की बढ़ी हुई थी वही नेहा अपनी साँसों पे काबू कर रही थी

जब भी राघव उसके आसपास होता पता नहीं उसे क्या हो जाता

राघव- हो गया!

और इतना बोलते ही राघव झट से रूम से बाहर चल गया और अभी जब दादू और बड़ी दादी ने उसे नेहा को बुलाने कहा था तो रूम मे हुआ यही सीन याद कर राघव के गाल लाल हो गए थे

एक तो कल रात का सीन फिर अब, पता नहीं उसके पास जाते ही मुझे क्या होने लगता है दूर रहना पड़ेगा उससे वरना पता नहीं मैं क्या कर जाऊंगा, लेकिन क्या कमर थी यार’

राघव अपने ही खयालों मे खोया हुआ था तभी रमाकांत जी ने उसके चेहरे के सामने चुटकी बजा कर उसे होश मे लाया

रमाकांत- किधर खोए हो बरखुरदार?

शेखर- बड़े पापा लगता है भाई को कुछ याद आ गया होगा हैना भाई??

शेखर राघव को छेड़ने लगा इतने मे सब लोग वहा जमा हो चुके थे

राघव- शट उप शेखर! नेहा बस आती ही होगी बड़ी दादी

मीनाक्षी- श्वेता कहा है शेखर?

श्वेता- मैं यहा हु मा

श्वेता ने उनके पास आते हुए कहा, आज वो गजब की सुन्दर दिख रही थी और शेखर ने उसे आता देख उसे आँख मार दी

विवेक- वूह! भाभी लूकिंग ऑसम लेकिन आपके पतिदेव का क्या करे ये तो बांदर ही दिख रहा है

विवेक ने कहा जिस पर सब हसने लगे और शेखर ने उसे पेट मे हल्का सा मुक्का जड़ दिया

शेखर- सा...

शेखर अभी विवेक पर शब्द सुमनो की बारिश करने की वाला था के उसे घरवालों का ध्यान आया तो वो रुक गया, सब लोग श्वेता की तारीफ करने लगे

गायत्री- नेहा कहा है??

दादी ने इधर उधर देखते हुए पूछा

स्वाती- वो रही भाभी

स्वाती ने राघव के पीछे की तरफ इशारा किया जहा से नेहा आ रही थी और स्वाती की बात सुन राघव ने जैसे ही मूड कर पीछे देखा तो वो बस नेहा को देखता ही रह गया

नेहा धीरे धीरे चलते हुए राघव की तरफ आ रही थी उर उसके चेहरे पर एक खूबसूरत मुस्कान बनी हुई थी, राघव की पसंद की हुई साड़ी उसपर बहुत जच रही थी

नेहा को देख कर राघव के चेहरे पर भी मुस्कान आ गई, जो उसे अपने जीवनसाथी मे चाहिए था नेहा मे वो सब कुछ था रूप भी और गुण भी और इस वक्त वो किसी देवी से कम नहीं लग रही थी, सिम्पल एण्ड ब्यूटीफुल

रिद्धि- भाभी बहुत सुन्दर लग रही हो आप

रिद्धि ने कहा जिसपर नेहा बस मुस्कुरा दी

जानकी - आखिर बहु किसकी है

संध्या- साड़ी बहुत सुन्दर लग रही है नेहा नाइस चॉइस

रिद्धि- वो तो भईया की पसंद है चाची

मीनाक्षी- सही मे ? राघव तुमने पसंद की है ये साड़ी?

लेकिन राघव का किसी की बातों पर ध्यान ही कहा था वो तो उसकी बीवी मे ही खोया हुआ था

आकाश- भाई!!

आकाश ने राघव को हिला कर उसके सपनों की दुनिया से बाहर निकाला

राघव- आगाये सब चलो अब लेट हो रहा है और आकाश तुझे सगाई करनी है ना?

राघव ने एकदम से सबकी नजरे अपनी तरफ पाई तो बात बदलते हुए कहा और उसकी बात सुन आकाश भी जल्दी करने लगा

रमेश- हा अब चलना चाहिए वरना हमलोग लेट हो जाएंगे

शुभंकर- हा, और ममता से बात हुई है मेरी वो सीधा वही पहुचेंगे

आरती- ठीक है फिर सब तयार है तो चलते है हमे बस रितु को साथ लेना है उसके मा बाप नहीं आ रहे

और आरती जी के रितु का नाम लेते ही दो लोगों का मूड ऑफ हो गया वो थे नेहा और श्वेता

‘सब ने मेरी तारीफ की लेकिन इनके मुह से एक शब्द नहीं निकला’ नेहा ने राघव को देखते हुए सोचा

अब शेखर श्वेता, राघव और नेहा एक ही कार मे जाने वाले थे

शेखर- भाभी आप सामने भाई के साथ बैठो मैं और श्वेता पीछे बैठते है

शेखर ने नेहा ने कहा और ड्राइविंग सीट पर बैठे राघव को देखा नेहा ने हा मे गर्दन हिलाई और वो दरवाजा खोलने ही वाली थी के रितु वहा आ पहुची

रितु- हे अंकल आंटी ने मुझे तुम लोगों के साथ आने कहा है बाकी सारी गाड़ियां फूल है

रितु ने कहा और वो राघव के बाजू मे बैठने ही वाली थी के नेहा ने उसे रोक दिया

नेहा- वो मेरी जगह है रितु

रितु- तुम्हारा नाम लिखा है क्या यहा?

नेहा- नाम तो तुम्हारा भी नहीं है

अब नेहा इससे चिढ़ने लगी थी

रितु- हा लेकिन अब मैं बैठूँगी यहा

और इससे पहले रितु दरवाजा खोल कर राघव ने बाजू मे बैठती कार का शिशा नीचे हुए एक आवाज आया

राघव- नेहा मेरे बाजू मे आकार बैठो

राघव की उस डोमिनेंट आवाज ने सारा झगड़ा ही खतम कर दिया और रितु शॉक होकर उसे देखने लगी और नेहा राघव का सपाट चेहरा देखते हुए उसके बाजू मे जा बैठी

श्वेता- रितु आओ तुम मेरे पास बैठो

श्वेता ने अपने बाजू की खाली सीट की ओर इशारा करते हुए कहा और रितु तमतमाते हुए पीछे की सीट पर जा बैठी और वो निकल गए

रितु- नेहा तुम तो ऐसे तयार हुई हो जैसे तुम्हारी सगाई हो

रितु ने नेहा का मजाक बनाना चाहा

नेहा- वो क्या है ना शादी शुदा लड़किया ऐसे ही तयार होती है

रितु- लेकिन ये साड़ी कितनी...

नेहा- परफेक्ट! परफेक्ट है मेरे लिए इन्होंने जो पसंद की है!

नेहा ने रितु की बात बीच मे ही काटते हुए कहा जीसे सुन राघव के चेहरे पर भी एक हल्की सी बस हल्की सी स्माइल आ गई वही नेहा के जवाब पे रितु ने उसे गुस्से से देखा लेकिन फिर उसने अपनी नजरे राघव की ओर घुमाई

रितु- राघव तुमने ऐसे अचानक शादी करली ऐसा क्यू? बीवी तुम्हारे पसंद की है भी या नहीं?

उसने नेहा को तान मारा और गाड़ी मे सब एकदम शांत हो गए नेहा का चेहरा उतर गया उसने राघव को देखा जो बाहर रोड को देख कर गाड़ी चलाने पर ध्यान दे रहा था फिर उसने रीयर व्यू मिरर से रितु को देखा जिसके चेहरे पर शैतानी मुस्कान थी और राघव की इस चुप्पी से उदास होकर नेहा बाहर देखने लगी

लेकिन तभी उसके किसी का हाथ अपने हाथ पर महसूस हुआ उसने उस तरफ देखा तो पाया के राघव अपने बाये हाथ से उसका दाया हाथ पकड़ रखा था और उसका ध्यान अब भी रोड पर था, राघव ने नेहा का हाथ पकड़ के उसे चूम लिया जिससे नेहा के मन मे तितलिया उड़ने लगी और फिर

राघव पूरे रास्ते नेहा का हाथ पकड़े गाड़ी चलाता रहा

राघव- मुझे लगता है इतना जवाब काफी होगा

राघव ने रोड पर देखते हुए रितु से कहा और नेहा के चेहरे पर एक मुस्कान उभर आई और रितु चुप हो गई

उसके बाद उनमे से कोई कुछ नहीं बोला जब तक वो अपनी मंजिल पर ना पहुच गए.....

क्रमश:
Nice update....
 
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