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Romance In Love.. With You... (Completed)

dhparikh

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Update 59




नेहा ने राघव के आँसू पोंछे और उसका चेहरा अपने दोनों हाथों मे थामा और उसे अपनी ओर देखने कहा

नेहा- मेरी बात आप ध्यान से सुनिए राघव, मैं जानती हु आपने बहुत कुछ खोया है, आपने उस इंसान को खोया है जो आपके दिल के बहुत करीब था, मैंने भी खोया है लेकिन इसका ये मतलब नहीं है के आप उसका दोष अपने आप को दोगे, आपसे जो कुछ भी हो सकता था उसे बचाने आपने वो सब कुछ किया है, लेकिन कभी कभी कुछ चीज़े हमारे बस मे नहीं होती है, आपने निशा को न्याय दिलाया है राघव उस राक्षस को सजा दिलवा कर आपने निशा को न्याय दिलाया है और ना सिर्फ निशा को बल्कि उन तमाम लड़कियों को जिनके साथ उसने गलत किया था, साथ ही आपने उन लड़कियों को बचाया है जिन्हे वो आगे फसाता, अगर आप उसे पुलिस से नही पकड़वाते तो वो आज भी वही कर रहा होता, रही बात उन लोगों की जो आपको जज कर रहे थे वो इंसान नहीं बल्कि इंसान का शरीर लिए जानवर है जिन्होंने बगैर किसी बात को जाने के आपको ब्लेम किया, ऐसे लोगों को बस एक टॉपिक चाहिए होता है जिसपर जब वो बोर हो जाए तो बात कर सके और कुछ दिनों बाद भूल जाए आपको अपने आपको ऐसे लोगों को प्रूव करने की जरूरत नहीं है जो कोई मायने नहीं रखते है

नेहा- और आप किलर नही है!! ये बात आप अपने दिमाग मे फिट कर लीजिए, आपके दिमाग मे बसी ये बात आपके नही बल्कि उन लोगों के दिमाग की उपज है जिन्हे अपनी रोजमर्रा की जिंदगी मे कुछ मसाला चाहिए होता है, ऐसे लोगों की सोच को अपने आप पर हावी मत होने दीजिए

नेहा- और जब आप किसी से इस बारे मे बात ही नहीं करेंगे तो आपकी मेंटल हेल्थ कैसे ठीक होगी! आपको अपने अंदर से इस सब को बाहर लाना होगा राघव, आपको अपने इस डर को फेस करना होगा, जब आपने किसी का बुरा नहीं किया तो कोई आपका बुरा कैसे कर सकता है, निशा आपको अपनी मौत का जिम्मेदार मानते देख रही होगी तो उसे भी बुरा लग रहा होगा क्युकी आपकी इसमे कोई गलती नहीं है

नेहा- और मेरा राघव न तो सेल्फिश है न ही हार्ट्लेस, आप बहुत अच्छे हो और मै अपने आप को खुशनसीब समझती हु जो आप मेरी जिंदगी मे आए, जो हुआ सो हुआ वो सब बीती बाते है आपको उन्हे भूलना होगा और साथ ही अपने अतीत से लड़ना भी होगा, उन लोगों को उनके शब्दों को भूल जाइए लेकिन उनका सामना कीजिए, आपने ऐसा कुछ नहीं किया जो आपको ऐसे लोगों से बचना पड़े

नेहा ने राघव की आँखों मे देखते हुए उसे अच्छे से समझाया वही राघव बड़े ध्यान से उसकी बात सुन रहा था

नेहा- मुझसे वादा कीजिए के अगली बार आप जब भी उनसे किसी से मिले, उनका सामना करे ना की उनसे दूर भागे और आप मुझसे कोई बात नहीं छुपाएंगे

नेहा ने अपना हाथ राघव के आगे किया, राघव ने कुछ समय तक नेहा के हाथ को देखा और फिर मुंडी हिला कर उसे वादा किया जिससे नेहा के चेहरे पर मुस्कान आ गई

राघव- मैं उस वक्त हमेशा इस शादी से भागता रहा, सबको लगा शायद मैं तुम्हें पसंद नहीं करता इसीलिए मैं दूर दूर रहता हु पर किसी ने कभी रीज़न पूछा ही नहीं, किसी ने मुझसे नहीं पूछा के मेरे ऐसे बर्ताव का रीज़न क्या है

राघव- सबको लगा मैं कितना गलत हु जो तुम्हारे साथ सही बर्ताव नहीं करता तुमसे दूर भागता हु लेकिन कोई इसके पीछे की वजह नहीं जानता था, हा जो जानते थे उन्होंने मुझे बहुत समझाया, विशाल तो लिटेरली मुझसे लड़ लिया था जब मैं शादी के अगले दिन उसके पास पहुचा था, मेरे अतीत मे जो कुछ भी हुआ उसकी वजह से मैं किसी रिश्ते हो अपनाने, किसी पर पूरी तरह भरोसा करने तयार ही नहीं था, वो तो किस्मत से मुझे तुम मिल गई, मैं बहुत ज्यादा डरपोक हु नेहा, और मैं थक चुका हु भागते हुए

राघव- लोगों ने मुझे बिना जानते हुए जज किया, और मैं अपने आपको बदल तो नहीं सकता था, एकदम से तो नहीं और मैं तुमसे भी यही चाहता हु, तुम जैसी हो एकदम पएफ़ेक्ट हो, कभी भी किसी के लिए भी अपने आपको मत बदलना

राघव आज नेहा से अपने दिल की बात कर रहा था

नेहा- आप बहुत अच्छे है राघव भले कोई कुछ भी कहे सोचे मुझे फरक नहीं पड़ता और जब आप मुझसे ना बदलने के लिए कह रहे है तो आप अपने आप को क्यू बदल रहे है? आप जैसे हो मुझे आपसे वैसे ही प्यार है और मैं इस राघव देशपांडे के साथ अपनी पूरी जिंदगी बिताना चाहती हु

अब तक राघव का रोना रुक गया था और वो ध्यान से नेहा की बात सुन रहा था और उसके हर के शब्द के साथ उसका मूड और अच्छा हो रहा था, उसके मन से एक बोझ सा हल्का हो गया था और अब नेहा को सब कुछ बताने के बाद राघव अच्छा महसूस कर रहा था

नेहा- मैंने डेविल.... मतलब सीरीअस राघव को देखा है, बेबी राघव को भी देखा है और ईमोशनल राघव को भी बट अभी मुझे मेरा बेबी राघव चाहिए क्युकी वही सबसे ज्यादा क्यूट है

नेहा ने राघव का मूड अच्छा करने कहा और राघव के चेहरे पर स्माइल आ गई, नेहा को अपने साथ पाकर इस वक्त राघव दुनिया का सबसे खुश आदमी था, जिस गिल्ट मी वो जी रहा था वो पूरी तरह नही पर कुछ हद्द तक काम जरूर हो गया था, दोनों एकदूसरे के बाजू मे बैठे थे एकदूसरे की आँखों मे देखते हुए, नेहा ने राघव की आँखों मे देखा जो उसकी आँखों से उसके होंठों के बीच घूम रही थी और उसने अपने निचले होंठ को दातों से दबाया, धीरे धीरे राघव के होंठ नेहा के होंठों के करीब बढ़ रहे थे

राघव की गरम साँसे नेहा अपने चेहरे पर महसूस कर रही थी जो उसकी साँसे बढ़ा रही थी, धीमे से राघव ने अपने होंठ नेहा ने होंठों से टिकाए, और हल्के हल्के उसे किस करने लगा... वो दोनों अपने मे खोए हुए थे के तभी उन्हे नीचे से किसी के आने का आवाज आया

उन्होंने अपना किस तोड़ा तो नेहा ने शर्मा के अपनी पलके झुका ली

राघव- मैं देख के आता हु कौन आया है!!

राघव ने उठते हुए कहा औ जल्दी से वहा से निकला ताकि नेहा उसके लाल होते गाल ना देखे और नेहा भी मुस्कुरा कर उसके पीछे नीचे आई तो घर वाले सब गणपती दर्शन से लौट चुके थे और लिविंग रूम मे थे, सभी लोग काफी थक चुके थे और विवेक और रिद्धि तो अपने अपने कमरों मे जा चुके थे

जानकी- राघव तुम कब आए??

जानकी जी ने जब अपने बेटे को वहा देखा तो पुछ लिया

राघव- अभी बस 1 घंटे पहले ही आया हु मा

शेखर- यस! यस!

शेखर ने हसते हुए कहा

धनंजय- तुम्हें पता था राघव आज आ रहा है? तुमने बताया नहीं?

शेखर- सप्राइज़! वो डैड भाई सप्राइज़ देना चाहता था बस इसीलिए, हैना भाई?

शेखर ने राघव को देखते हुए कहा और राघव को फसा दिया क्युकी इसपर राघव के पास बोलने को कुछ नहीं था

गायत्री- सच मे??

दादी ने राघव और नेहा को देखते हुए पूछा क्युकी उनका पोता ऐसे सप्राइज़ देगा इसकी उनको कम ही उम्मीद थी

राघव- वो... दादी...

शिवशंकर- अरे ठीक है राघव! हम समझते है

मीनाक्षी- मुझे लगता है हमे सोना चाहिए अब बहुत लेट ही चुका है

मीनाक्षी जी ने कहा जिसके बाद सब अपने अपने कमरों मे चले गए और जब राघव और नेहा अपने कमरे मे जा रहे थे तो नेहा रुक गई

राघव- क्या हुआ??

नेहा- आप चलो मैं अभी आई

इतना बोल के नेहा वहा से जाने ही वाली थी के राघव ने उसकी कलाई पकड़ ली

राघव- अरे लेकिन जा कहा रही हो

नेहा- बाद मे बताऊँगी मैं बस 1 मिनट मे आई आप तब तक जाकर चेंज कर लीजिए

इतना बोल के नेहा वहा से चली गई और राघव अपने कमरे मे आया

नेहा ने जाकर सीधा शेखर और श्वेता के कमरे का दरवाजा खटखटाया और श्वेता ने दरवाजा खोला

श्वेता- भाभी आप यहा??

नेहा- शेखर कहा है श्वेता?

तभी शेखर बाथरूम से बाहर आया

शेखर- क्या हुआ भाभी मैं यहा हु

नेहा- तुम्हारे पास वो गेस्ट्स की लिस्ट है वो पहले दिन की पूजा मे आए थे?

शेखर- हा! क्यू क्या हुआ??

नेहा- उस दिन तुम्हारे लंदन यूनिवर्सिटी से कौन आया था पूजा मे??

शेखर- भाभी वो...

नेहा- बताओ शेखर

शेखर- भाभी उसका नाम निखिल है

निखिल का नाम आते ही नेहा सब समझ गई के क्यू राघव उस दिन वैसे चला गया था, उसने उस इंसान को देखा था जिसने उसे सबसे ज्यादा तकलीफ दी थी उसका एकमात्र डर

नेहा- मैं चाहती हु तुम उसे विसर्जन पर भी बुलाओ, बुलाओगे??

शेखर- भाभी लेकिन भाई?? मैं तो उसे पहले दिन भी नहीं बुलाना चाहता था लेकिन बड़े पापा ने उसे बुलाया

नेहा- मुझे सब पता है शेखर बस उसे बुला लो बाकी तुम्हारे भाई देख लेंगे

शेखर- ठीक है आप कहती है तो बुला लेता हु बट प्लीज ऐसा कुछ मत करो जिससे भाई को तकलीफ हो

नेहा- अब सब सही होगा शेखर

इतना बोल के नेहा वहा से चली गई और अपने रूम मे आई तो उसने देखा के राघव चुप चाप बेड पर बैठा था नेहा उसके बाजू मे जाकर बैठ गई लेकिन राघव का उसपर ध्यान ही नहीं था इसीलिए उसने अपना गला खखारा जिससे राघव अपने खयालों से बाहर आया

राघव- तुम कब आई??

नेहा- बस अभी अभी। आप क्या सोच रहे थे?

राघव- कुछ नहीं सोच रहा हु इस बार विसर्जन पर अपने इस गिल्ट का भी विसर्जन कर दु

राघव की बात सुन नेहा की आँखों मे भी चमक आ गई उसके बगैर कुछ कहे ही राघव इस बारे मे सोच चुका था

राघव- छोड़ो अभी ये सब

राघव ने अपना सर झटका और नेहा को अपने करीब खिचा और बेड पर लेटा

राघव- मैंने ऐसे चिपक के सोने को बहुत मिस किया है

राघव ने कहा जिसपर नेहा हस दी

राघव- वैसे गई कहा थी तुम??

नेहा- आपको मुझपर भरोसा है??

राघव- खुद से भी ज्यादा

नेहा- बस तो आपको जल्दी पता चल जाएगा

नेहा ने उसके बालों मे हाथ घुमा दिया और राघव ने उसकी तरफ देखा और देखता ही रहा.....

क्रमश:
Nice update....
 

Tiger 786

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Update 14



“गुड मॉर्निंग भाभी” विवेक ने नेहा को साइड से हग करते हुए कहा

“ओये परे हट मेरी भाभी है वो” रिद्धि ने विवेक को नेहा से दूर करते हुए कहा

"अरे चाहे कितना ही लड़ लो लेकिन भाभी का फेवरेट तो मैं हु, हैना भाभी” शेखर ने पीछे से आते हुए नेहा को पीछे से गले लगाते हुए कहा जैसे कोई बच्चा अपनी मा को लिपटता है वैसे

“ओ हैलो आप श्वेता को भाभी को लाने जाने वाले थे न चलो निकलो फिर शु शु...” विवेक ने शेखर को वहा से भागते हुए कहा जिसके बाद वो तीनों वही लड़ने लगे और उनको अपने लिए ऐसे लड़ते देख नेहा मुस्कुराने लगी

जानकी- ये सब ना तुम्हारे सामने एकदम बच्चे बन जाते है नेहा बताओ इन्हे देख के कौन कहेगा के ये बड़े हो गए है

मीनाक्षी- वही तो.. मुझे तो लगने लगा है नेहा के ऑलरेडी 3 बच्चे है जब खुद का होगा तो संभालने मे दिक्कत ही नहीं होगी

मीनाक्षी ने मुस्कुराकर कर कहा और नेहा बस उन्हे देखने लगी, बच्चों की बात आते ही नेहा के गाल लाल हो गए थे जिन्हे देख जानकी और मीनाक्षी मुस्कुरा रही थी

रिद्धि- क्या हुआ मा आप लोग क्या बाते कर रहे हो

रिद्धि ने उन दोनों को आपस मे मुसकुराते देखा तो पूछा जिससे बाकी दोनों का ध्यान भी उस ओर गया, जानकी ने एक बार नेहा को देखा और फिर मीनाक्षी को फिर बोली

जानकी- उनहू कुछ नहीं हमारी बात है तुम मत ध्यान दो।

जिसके बाद जानकी और भावना वहा से चली गई और नेहा वही खड़ी रही और उनके जाने के बाद शेखर ने नेहा से पूछा

शेखर- भाभी क्या हुआ?

नेहा- न.. नहीं कुछ नही तुम लोग बाहर चलो मैं अभी आयी

वो सब लोग किचन से चले गए और जब नेहा बाहर जाने के लिए मुड़ी तो वो वही जम गई किचन के दरवाजे पे राघव खड़ा था जो अब नेहा से आंखे नहीं मिला रहा था

ये यहा क्या कर रहे है? और इनके गाल क्यू लाल हो रखे है.. कही इन्होंने चाची की बच्चे वाली बात तो नहीं सुन ली? नहीं नेहा उन्होंने नहीं सुना होगा.. वो कैसे सुन सकते है’ नेहा ने मन ही मन सोचा और वहा से चली गई वही राघव भी धीमे से कुछ पुटपुटाया और डायनिंग टेबल पर आकार बैठ गया

नेहा ने पहले राघव को सर्व किया और फिर खुद की प्लेट मे नाश्ता लिया वही बाकी सब भी अपना नाश्ता शुरू कर चुके थे

धनंजय- तो शेखर कब जा रहे हो श्वेता को लाने

शेखर- बस डैड अभी नाश्ता करके जाने वाला हु उसके बाद ऑफिस आऊँगा

शेखर की बात पर धनंजय ने हा मे गर्दन हिला दी

शिवशंकर- और ऑफिस से आने के बाद शाम मे श्वेता को लेकर मेरे रूम मे आ जाना, उसका पहली रसोई का तोहफा बाकी है वो उसे मैं और गायत्री शाम मे ही देंगे

शेखर- जी दादू

जिसके बाद सबने आराम से बात चित करते हुए नाश्ता किया और नाश्ता खतम होने के बाद राघव अपनी जगह से उठा और अपना जरूरी सामान लेकर ऑफिस जाने के लिए निकलने लगा और उसे जाते देख नेहा भी अपनी जगह से उठी और जल्दी से किचन मे चली गई

नेहा किचन से आयी तो उसके हाथ मे लंच बॉक्स था और वो राघव को वो देने उसके पीछे पीछे चली गई

नेहा- रुकिए!

नेहा ने राघव को रोकते हुए कहा, वो दोनों राघव की कार तक पहुचे गए थे और नेहा की आवाज सुन राघव रुक तो गया था लेकिन पलटा नहीं।

नेहा- वो.. आपका लंच बॉक्स

राघव- नहीं चाहिए मुझे

राघव ने रुडली कहा और बस कार का दरवाजा खोलने ही वाला था के नेहा ने उसे वापिस रोका

नेहा- रोज रोज बाहर का खाना अच्छा नहीं होता।

राघव- मैंने क्या खाना है क्या नहीं ये तुम तय नही करोगी मैं देख लूँगा मुझे क्या करना है इसे वापिस अंदर ले जाओ या फेक दो मुझे फरक नहीं पड़ता

राघव ने नेहा की तरफ मुड़ते हुए हार्शली कहा

नेहा- प्लीज!

नेहा ने राघव को समझाने की कोशिश की लेकिन वो वापिस कार की ओर मूड गया मानो उसने नेहा की आवाज ही ना सुनी हो

नेहा- आप मुझसे नाराज है तो रहिए लेकिन ऐसे खाने पर गुस्सा तो मत निकालिए

नेहा का आवाज भारी होने लगा था

राघव- क्यू? क्यू मानू मैं तुम्हारी बात कल जब मैं कुछ कह रहा था तब तुमने सुना था

नेहा- हा लेकिन आप सोफ़े पर सही से नहीं सो पाते और...

राघव- और?? और क्या नेहा

राघव ने एकदम से नेहा के करीब आते हुए पूछा, राघव और नेहा एकदूसरे के एकदम करीब थे इतना के दोनों की साँसे एकदूसरे से टकरा रही थी और राघव इंटेंसली नेहा की आँखों मे देखते हुए बोला जिससे नेहा थोड़ा कसमसाई, वो राघव से आंखे नहीं मिला रही थी

मेरे पास और कोई ऑप्शन भी नहीं था, और मेरा बेड पे सोकर बेड शेयर करना आपको पसंद नहीं आता’

नेहा ने नीचे मुंडी करके सोचा वही

मुझे नहीं पता था तुम मेरे साथ एक बेड भी शेयर नहीं कर सकती’

ये खयाल राघव के मन मे आया

वहा खड़े खड़े नेहा की आंखे पनिया ने लगी थी जिन्हे राघव ने देख लिया और वो मुह ही मुह मे कुछ पुटपुटाया और झटके के साथ नेहा के हाथ से टिफ़िन बॉक्स ले लिया और कार लेकर ऑफिस के लिए निकल गया और नेहा बस उसे जाते हुए देखती रही

नेहा ने अपनी आँख से गिरती उस एक आँसू की बूंद को पोंछा और लंबी सास छोड़ी और अपने चेहरे पर एक झूठी मुस्कान लिए घर मे जाने के लिए मुड़ी ही थी के अपने सामने खड़े शक्स को देख वो थोड़ा चौकी

नेहा- श.. शेखर.. तुम कब आए?

नेहा ने थोड़ा अचकते हुए पूछा, उसे डर था के शेखर ने उनकी बाते न सुन ली हो

शेखर- बस अभी अभी आया भाभी जब भाई की कार निकल रही थी क्यू? कुछ हुआ है क्या? मैंने जल्दी आना था?

शेखर ने अपनी हमेशा वाली टोन मे नेहा से पूछा

नेहा- नहीं कुछ नहीं वो तो बस ऐसे ही पुछ लिया तो जा रहे हो श्वेता को लेने?

जिसपर शेखर ने हा मे गर्दन हिला दी

नेहा- हा तो फिर जल्दी जाओ और मेरी देवरानी को लेकर आओ मैं मिस कर रही हु उसे

शेखर- बस अभी लाया, बाय भाभी आता हु जल्दी

जिसके बाद शेखर भी वहा से निकल गया और नेहा घर के अंदर आयी
--x--x--

श्वेता- क्या हुआ शेरी(शेखर) तुम जब से आए हो कही खोए से लग रहे हो कुछ हुआ है क्या?

श्वेता ने जब शेखर को किसी गहन सोच मे डूबा देखा तो कार मे उससे पुछ लिया, वो लोग घर आने के लिए निकल चुके थे

शेखर- तुम सही थी श्वेता।

श्वेता- क्या हुआ है शेरी, तुम मुझे अब डरा रहे हो एक काम करो पहले गाड़ी साइड मे रोको और मुझे पूरी बात बताओ

शेखर मे अपनी गाड़ी एक साइड रोकी और श्वेता को देखा

श्वेता- क्या हुआ है बेबी

श्वेता ने शेखर का चेहरा अपने दोनों हाथों से थामते हुए पूछा

शेखर - तुम सही थी कुछ तो गलत है!

श्वेता- क्या गलत है? पूरी बात बताओ।

श्वेता- भाई भाभी, श्वेता दोनों के बीच कुछ तो गलत है

श्वेता – और तुम्हें भला ऐसा क्यू लगता है, हा, तुम्ही ने तो कहा था मुझसे के सब नॉर्मल है फिर अब अचानक क्या हुआ?

शेखर- जब मैं तुम्हें लेने के लिए घर ने निकल रहा था तब मैंने भाई भाभी की बाते सुनी थी वो किसी नॉर्मल कपल की तरह नहीं है, भाभी कुछ तो सोफ़े पर सोने के बारे मे बात कर रही थी

शेखर ने कुछ उदासी भरे स्वर मे कहा और फिर उसने पूरी बात श्वेता को बताई

श्वेता- हम इतनी जल्दी किसी भी नतीजे पर नहीं पहुच सकते बेबी, हो सकता है उनकी लड़ाई हुई हो

शेखर- ना! उनकी बातचित से तो ऐसा बिल्कुल नहीं लग रहा था के लड़ाई हुई होगी ये कुछ तो और है लेकिन मैं बता नहीं पा रहा हु

श्वेता- तो फिर अब हमे क्या करना है

शेखर- दादू से बात करके देखते है उन्हे जरूर कुछ पता होगा , उन्होंने ही भाई को भाभी से शादी के लिए मनाया था और अगर भाई इससे खुश नहीं थे तो दादू जरूर जानते होंगे एक काम करते है शाम मे मेरे ऑफिस से आने के बाद दादू से इस बारे मे बात करके देखते है

शेखर की बात सुन श्वेता ने भी हा मे गर्दन हिला दी और वो लोग घर आने के लिए निकल गए।

तो क्या लगता है दादू बताएंगे इन्हे पूरी बात?

क्या राघव और नेहा को पास लाने मे शेखर और श्वेता कोई रोल निभाएंगे?

देखते है....

क्रमश:
Kabi lagta hai ki ghadi patri pe Chad gayi par agle hi pal ghadbad ho jati hai.
Raghav ko shayed samaz nahi aa raha ki vo Neha ke sath apna rishta kaise sudhare.uski ego bech mai aa khadi hoti hai.ab to sekhar or shweta dadu se baat karenge.dekhte hai dadu kya farman sunate hai.
Neha or raghav ke mann ki baat ko jo aap ek mazakhiya andaz dete ho kabi kabi bohot lazwaab lagta hai

Atti uttam update
 

Tiger 786

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Update 15



शाम मे...

शेखर ऑफिस से वापिस आ चुका था और इस वक्त शेखर और श्वेता दादू दादी के रूम के बाहर खड़े थे और शेखर ने दरवाजा खटखटाकर अंदर आने की पर्मिशन मांगी और जब दादू ने उन्हे अंदर आने कहा तो वो अंदर गए तो देखा के दादू दादी अपने बेड पर बैठे थे

शेखर- दादू आपने बुलाया था हमे

गायत्री- हा! आओ पहले बैठो

दादी के कहते ही शेखर और श्वेता उनके सामने की बेड पर जाकर बैठ गए।

गायत्री- श्वेता तुम्हारे पगफेरे के गिफ्ट के लिए मैं चाहती हु के तुम लोग कही घूमने के लिए कोई जगह चुन कर मुझे बताओ हम तुम्हारी आने जाने और रहने की टिकट्स करवा देंगे

श्वेता- थैंक यू दादीजी- दादाजी पर हम दोनों अभी कही नहीं जाना चाहते

श्वेता ने बहुत नम्रता से कहा ताकि दादू दादी को बुरा ना लगे

शिवशंकर- क्यू?

शेखर - दादू अभी कुछ दिन ही हुए है हमारी शादी को इसीलिए हम अभी कही नहीं जाना चाहते हा लेकिन जब भी कही घूमने जाने का होगा हम आपको बात देंगे

गायत्री- ठीक है जैसा तुम दोनों को ठीक लगे

जिसके बाद दादी बेड से उठी और अपनी अलमारी से कोई चीज निकाली

गायत्री- श्वेता यह लो, ये कंगन मेरी सासुमा के है उन्होंने मुझे दिए थे और अब ये तुम्हारे है

दादी ने श्वेता को कंगन पकड़ाते हुए कहा

श्वेता- पर दादीजी ये मैं कैसे ले लू ये तो मा या बड़ीमा को मिलने चाहिए ना

गायत्री – उन्हे जो मिलना चाहिए था वो मैंने उन्हे दे दिया है और ये कंगन मैंने मेरे पोते की बहु के लिए रखे थे

श्वेता- फिर तो इनपे नेहा भाभी का हक बनता है वो बड़ी है मुझसे

श्वेता की बात सुन गायत्री मुस्कुरा दी जिससे श्वेता थोड़ा शॉक हो गई क्युकी उसने अपनी दादी सास को मुसकुराते हुए देखा ही नहीं था

(राघव पे इन्ही का असर है वो भी हसना नहीं जानता 🤦🏻‍♂️)


गायत्री- ऐसे मत देखो, मैं कम स्माइल करती हु इसका ये मतलब नहीं के मैं मुस्कुरा नहीं सकती, मैंने नेहा के लिए कुछ और रखा है जो उसे सही समय आने पर दूँगी ये कंगन तुम्हारे है शेखर की पत्नी के इसीलिए इन्हें ले लो।

श्वेता ने शेखर क देखा तो उसने हा मे गर्दन हिला दी तो श्वेत ने वो कंगन ले लिए और दादू और दादी का आशीर्वाद भी

गायत्री- मैं मंदिर बंद करने जा रही हु बस अभी आती हु

दादी ने दादू को देखते हुए कहा और वहा से चली गई और दादी के वहा से जाते ही शेखर ने दादू की ओर रुख किया

शेखर- दादू.. वो हमे आपसे कुछ बात करनी थी

शेखर ने संकोच के साथ कहा, वो श्योर नहीं था के वो बात पूछे या नहीं

शिवशंकर- हा बेटा पूछो

शेखर- उम्म.. दादू वो जब आपने भाई की शादी तय की थी तब.. मतलब... भाई खुश..

शेखर की बात पूरी हुई भी नहीं थी के दादू ने उसे बीच मे रोक दिया

शिवशंकर- तो तुमने वो बात नोटिस कर ली

जिसपर शेखर ने हा मे गर्दन हिला दी

शिवशंकर- मुझे बाते घुमानी नहीं आती बच्चे और मुझे लगता है अब तुम इतने बड़े तो हो चुके हो के अपने आसपास क्या चल रहा है उसे समझ सको और वैसे भी ये तो किसी दिन होना ही था

श्वेता- मतलब, मैं समझी नहीं दादू

शिवशंकर- मैं ये कहना चाहता हु के हा तुम्हारा अंदाज सही है, उन दोनों के बीच सब सही नहीं है

दादू के इस तरह सीरीअस होकर बात बताने से शेखर और श्वेता भी शॉक हो गए

शेखर- फिर हमे इन सब महीनों मे इस बारे मे पता कैसे नहीं चला

शिवशंकर- तुमने ये बात नोटिस नहीं की शेखर के तुम्हारा भाई घर के दूर भाग रहा है, उन दोनों की अरेंज मेरिज हुई है, ये मेरा डिसीजन था और सच कहू तो मुझे अपने डिसीजन पर कोई पछतावा नहीं है, राघव शादी के खयाल से खुश नहीं था लेकिन मैंने उसे मनाया था इस शादी के लिए

शेखर- आप ऐसा कैसे कर सकते है दादू? आप जानते है वो दोनों खुश नहीं है फिर आपने उनकी खुशिया क्यू छीनी

शिवशंकर- कौन कहता है वो खुश नहीं है?

दादू के सवाल ने दोनों को चौका दिया

शिवशंकर- तुम्हें कभी ऐसा लगा के वो दोनों एकदूसरे के साथ खुश नहीं है? हम किसी के साथ खुश है या नहीं ये तो हम तब ही जान पाएंगे जब हम उस इंसान के साथ रहेंगे और यहा इन दोनों के बीच सबसे बड़ी समस्या ही ये है, वो दोनों एकदूसरे के लिए अनजान है और एकदूसरे को जानने की समझने की कोशिश भी नहीं कर रहे, राघव को लगता है इस शादी ने उसकी फ्रीडम छीन ली है, वो उस टाइम शादी नहीं करना चाहता था लेकिन अब तुम मुझे एक बात सोचकर बताओ शेखर के क्या तुम्हें नेहा से अच्छी भाभी मिल सकती थी? हमे उससे बेहतर बहु मिल सकती थी?

दादू के सवाल पर शेखर ने ना मे सिर हिला दिया

शेखर- लेकिन दादू भाई का क्या वो...

शिवशंकर- राघव माने या ना माने पर वो अनजाने मे ही नेहा पर डिपेन्डन्ट है, अगर वो दोनों कोशिश करे तो अपने रिश्ते को सवार सकते है लेकिन राघव के लिए परफेक्ट हज़बन्ड यानि बस अपनी जिम्मेदारी निभाना है लेकिन मैं जानता हु के नेहा कभी ये नहीं चाहेगी के वो किसी की जिम्मेदारी बनके रहे, राघव की लाइफ काफी उलझी हुई है शेखर वो किसी के कहता नहीं है लेकिन मुझे यकीन है के उसकी जिंदगी सिर्फ नेहा सवार सकती है, वो दोनों एकदूसरे के लिए एकदम परफेक्ट बस दोनों ही इस बात को समझ नहीं पा रहे है, मैंने दोनों को एकदूसरे की केयर करते देखा है, रमाकांत ने मुझे ऑफिस वाला वाकया बताया था जिसे राघव चाहता तो इग्नोर कर सकता था लेकिन वो वहा नेहा के लिए गया, उन्हे बस एकदूसरे के साथ टाइम बिताना है और देखना समय सब सही कर देगा

दादू की बाते शेखर और श्वेता गौर से सुन रहे थे तभी उन्हे दरवाजा खुलने का आवाज आया देखा तो दादी वापिस आ रही थी

गायत्री- अरे तुम लोग अब भी यही हो?

शेखर- हा वो बस जा ही रहे थे, गुड नाइट दादू गुड नाइट दादी

जिसके बाद शेखर श्वेता के साथ वहा से निकल गया और दादी सवालिया नजरों से दादू को देखने लगी

गायत्री- क्या बता रहे थे आप इन दोनों को

शिवशंकर- कुछ नहीं बस सुखी जीवन जीने के तरीके बात रहा था

दादू ने मुस्कुरा कर कहा और दादी ने अपनी गर्दन झटक दी, वो अच्छे से जानती थी के दादू झूठ बोल रहे है लेकिन उन्होंने आगे नहीं पूछा क्युकी उन्हे ये भी पता था के दादू उन्हे कुछ नहीं बताएंगे

--x--x--

श्वेता- तुम अब भी भाई और भाभी के बारे मे सोच रहे हो ना शेरी?

शेखर- हम्म... तुमको क्या लगता है श्वेता, देखो भाई ना हमेशा से मेरा मेन्टर रहा है मेरा सबसे अच्छा दोस्त भी वही है जिससे मैं सब कुछ शेयर कर सकता हु इसीलिए भाई के लिए बुरा भी लग रहा है के उन्हे उनके पसंद की लड़की से शादी करने नहीं मिली लेकिन इन पाँच महीनों मे भाभी के साथ भी मेरा बॉन्ड भाई जितना ही मजबूत बन गया है, मैंने उनकी आँखों मे हमारे परिवार के लिए प्यार और रीस्पेक्ट देखा है, वो हमेशा भाई की गलतियों पर उनकी एब्सेंस पर पर्दा डालती रही है जैसे उन दोनों के बीच सब सही है कुछ हुआ ही ना हो, इसमे कोई दोराय नहीं है के भाभी ही भाई के लिए सही है लेकिन क्या भाई भाभी के लिए परफेक्ट है.. भाभी की भी तो कुछ इच्छाये होंगी, मुझे ना उन दोनों के लिए बुरा लग रहा है दोनों साथ मे खुश नहीं है

शेखर को सही मे इस सच से तकलीफ हो रही थी, उसके दो सबसे करीबी लोगों की जिंदगिया उलझी हुई थी

श्वेता- शेरी, बेबी लेकिन दादाजी भी तो सही कह रहे थे ना, ये मामला उन दोनों को ही संभालना होगा बगैर कोशिश किए सब सही कैसे होगा, जब तक वो दोनों ही कोशिश नहीं करेंगे तो हम भी क्या कर सकते है

शेखर- हम्म सही है, पता है श्वेता वो दोनों एकदूसरे के लिए परफेक्ट है बस इस बात को जान नहीं पा रहे और इसके लिए उन्हे साथ रहना होगा बात करनी होगी और ये है के एकदूसरे से दूर भागते रहते है

श्वेता- मेरे पास एक आइडिया है!

शेखर- क्या है जल्दी बताओ?

तो क्या होगा अब श्वेता का आइडिया क्या ये दोनों उन दोनों को पास ला पाएंगे?

क्रमश:
Behtreen update
 

Tiger 786

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Update 16



श्वेता- मेरे पास एक आइडिया है!

अब आगे...

अगले दिन

नेहा- श्वेता तुम्हें क्या मिल जाएगा ये सब करके क्यू परेशान कर रही हो रहने दो ना..

नेहा ने श्वेता से रिक्वेस्ट करते हुए कहा जो उसे अपने साथ ऑफिस ले जा रही थी, श्वेता को ऑफिस मे शेखर के साथ लंच करना था लेकिन वो अकेले नहीं जाना चाहती थी इसीलिए उसने नेहा को अपने साथ चलने के लिए मना लिया था और इसी के लिए नेहा उसे ना कर रही थी

श्वेता- भाभी आपको भईया के साथ टाइम स्पेन्ड करने का मौका मिल रहा है और मुझे शेखर के साथ तो इन्जॉय कीजिए ना क्यू इतना भाव खाना, मुझे पता है भईया के बिजी शेड्यूल की वजह से आपको साथ मे वक्त बिताने का मौका नहीं मिल पाता।

श्वेता ने एकदम मासूम बनते हुए नेहा से कहा मानो उसने कोई प्लान बनाया ही ना हो और नेहा को अपनी बात से कन्विन्स करने लगी

नेहा- वो... वो अभी बिजी होंगे श्वेता, तुम जाओ न शेखर के साथ टाइम स्पेन्ड करो

श्वेता- आरे चलो ना भाभी, हम बस साथ मे लंच करेंगे और वापिस आ जाएंगे अब बस हा पहुचने वाले है हम

तुम नहीं जानती श्वेता उन्हे ये पसंद नहीं आएगा, वो एक स्मार्ट हॉट और हैंडसम पिशाच है खून पी जाएंगे मेरा’ नेहा ने अपने नाखून चबाते हुए मन ही मन सोचा

जब वो दोनों ऑफिस पहुची सबने उन्हे अच्छे से ग्रीट किया और वो आगे बढ़ गई

श्वेता- भाभी आप पापा और बड़ेपापा को बुला लीजिए मैं राघव भईया और शेखर को बुला लेती हु और फिर आप भी राघव भईया के केबिन मे आ जाइए

श्वेता की बात सुन नेहा ने एकदम से हा मे गर्दन हिला दी, वो तो बस इस बात से खुश थी के कंपनी मे आते आते ही उसे राघव को फेस नहीं करना पड़ेगा।

नेहा अपने रास्ते चली गई और श्वेता शेखर के केबिन की ओर चली गई

श्वेता- बेब....

बोलते बोलते श्वेता रुक गई, वो जब केबिन को बगैर नॉक किए खोल रही थी उसने देखा के कोई शेखर से बात कर रहा है और जब उन्होंने श्वेता की आवाज सुनी तो वो लोग उसकी ओर देखने लगे, वो आदमी श्वेता को देख मुस्कुराया और फिर शेखर से बोला

आदमी- मैं बाद मे आता हु सर इतना भी इम्पॉर्टन्ट काम नहीं है..

इतना बोल के वो आदमी अपनी फाइल लेकर वहा से चला गया और शेखर श्वेता के करीब आया और उसके कमर के हाथ डाल के उसे अपने करीब खिचा

शेखर- हैलो हनी..

लेकिन शेखर आगे कुछ बोलता या कुछ करता उससे पहले ही श्वेता ने उसके होंठों पर उंगली रख कर उसे रोक दिया


श्वेता- मेरे प्यारे पतिदेव ये प्यार भरी गुलुगुलू हम घर पर करेंगे अभी हमे और भी इम्पॉर्टन्ट काम करने है

जिसके बाद शेखर के दिमाग की बत्ती जली

शेखर- हा हा चलो

--x--x--

राघव अपने केबिन मे अपने एक क्लाइंट से बात कर रहा था।

राघव- मिस्टर नायर आप बिल्कुल निश्चिंत रहे हमारी कंपनी आपको शिकायत का मौका नहीं देगी वी विल डू आर बेस्ट।

नायर- जानता हु मिस्टर देशपांडे इसीलिए तो ये प्रोजेक्ट मैंने आपको सौपा है, आपके साथ काम करके खुशी होगी।

डील फाइनल होते साथ ही राघव ने उनके साथ हाथ मिलाया और फिर राघव का अससिस्टेंट नायर को लेकर केबिन के बाहर चला गया और राघव अपनी खुर्ची पर आकार बैठा ही था के राघव को अपने केबिन का दरवाजा खुलने का आवाज आया, ऐसे बगैर इजाजत के कौन आया है ये देखने राघव उस ओर मूडा तो उसने देखा के शेखर उसके केबिन मे आ रहा है और वो बस शेखर को बिना नॉक किए आने के लिए डाटने ही वाला था के उसने देखा के उसके साथ श्वेता भी है तो वो चुप हो गया और शेखर को देखने लगा

शेखर- क्या? ऐसे क्या देख रहे हो हम नही आ सकते क्या?

शेखर ने राघव के इक्स्प्रेशन देखते हुए पूछा

राघव- आ तो सकते हो लेकिन क्या है ना तुम मेरे पास बगैर किसी रीज़न के नहीं आते..

श्वेता- वो भईया हमने सोच के क्यू न लंच साथ किया जाए इसीलिए चले आए

इससे पहले की शेखर कुछ उलजुलूल बात करता श्वेता ने बात संभाल ली जिसपर राघव ने भी हा मे गर्दन हिला दी और राघव की नजरे दरवाजे ही ओर घूम गई मानो किसी को वहा तलाश रही हो पर वहा कोई नहीं था

राघव - तुम अकेली आयी हो?

श्वेता- भईया आप किसी और की राह देख रहे थे क्या?

राघव- छे छे बस ऐसे ही पुछ लिया

शेखर और श्वेता दोनों की जानते थे के राघव किसके बारे मे पूछ रहा था उन्होंने एकदूसरे को देख स्माइल पास की और राघव को देखने लगे

शेखर- भाई मुझे लगता है आपको भाभी को बुला लेना चाहिए

राघव- क्यू?

शेखर- क्यू मतलब, फिर आप भाभी को मिस नहीं करेंगे ना और उन्हे भी आपसे बात करके अच्छा लगेगा

राघव ने शेखर को पूरा इग्नोर कर दिया और बोला

राघव- हमे लंच कर लेना चाहिए, मुझ उसके बाद बहुत काम करने है।

राघव ने सोफ़े की ओर जाते हुए कहा

शेखर- भाई आपके पास भाभी का फोन नंबर नहीं है क्या?

शेखर के सवाल ने राघव को अपनी जगह पर रोक दिया

राघव- शेखर बेहतर होगा अगर तुम अपने ये सवाल जवाब बंद करो और खाना खाओ

राघव ने कहा और सोफ़े पर बैठ कर अपना फोन चलाने लगा वही शेखर और श्वेता ने ‘इनका कुछ नहीं हो सकता’ वाले लुक के साथ एकदूसरे को देखा

श्वेता- एक मिनट, मुझे पहले भाभी को कॉल करने दो वो मुझे ढूंढ रही होंगी

श्वेता ने नेहा को कॉल लगाते हुए कहा और नेहा के बारे मे सुन के राघव ने झटके के साथ उन दोनों को देखा

राघव- तुमने ऑफिस आने के पहले किसी को बताया नहीं?

श्वेता- बताया था भईया और भाभी भी यही है वो पापा और बड़े पापा को बुलाने गई है

शेखर- लेकिन पापा और बड़े पापा तो लंच के लिए हमारे बिजनेस पार्टनर्स के साथ बाहर गए है फिर भाभी कहा है?

शेखर ने मासूम बनते हुए पूछा मानो उसे कुछ पता ही ना हो

राघव- तुमने उसे अकेला छोड़ दिया??

राघव ने श्वेता से पूछा, उसका चेहरा तो इक्स्प्रेशन लेस था लेकिन आवाज मे टेंशन साफ दिख रहा था, उसे तीन दिन पहले वाला किस्सा याद आ गया

राघव- तुम्हें उसके साथ रहना चाहिए था श्वेता तुम ऑफिस पहले भी आ चुकी हो लेकिन उसके लिए यहा सब नया है तुम जानती हो ना वो ऑफिस नहीं आती है फिर कैसे तुमने...?

राघव अपनी जगह से उठा और दरवाजे की ओर जाने लगा मानो ऑफिस मे आग लग गई हो और उसे ऐसे नेहा की चिंता करता देख शेखर और श्वेता मुस्कुराने लगे, राघव ने दरवाजा खोला और आगे बढ़ने ही वाला था के वो किसी से टकरा गया नतिजन उस बंदे का बैलेंस बिगड़ गया और वो गिरने ही वाली थी के राघव ने उसे कमर से पकड़ लिया

राघव ने उस शक्स को देखा तो वो कोई और नहीं बल्कि नेहा ही थी और वो भी उसकी बाहों मे उसके इतने करीब की दोनों की साँसे एकदूसरे से टकरा रही थी, राघव ने नेहा को अपनी तरफ खिचा जिससे नेहा ने अपनी आंखे बंद कर ली और वो बस नेहा के चेहरे को देखता रहा, कुछ पल बाद नेहा ने अपनी आंखे खोली और राघव को देखा और वो दोनों एकदूसरे की आँखों मे खो गए

ये पहली बार था जब नेहा ऐसे राघव की बाहों मे थी, पहली बार उसे नेहा की फिक्र हो रही थी पहली बार उसने नेहा को ऐसे देखा था पहली बार राघव को ऐसा लग रहा था मानो ये पल यही रुक जाए और वो सारा दिन नेहा हो ऐसे ही देखता रहे लेकिन उनका ये खूबसूरत मोमेंट तब टूटा जब उन्होंने किसी के गला खखारने की आवाज सुनी और राघव वापिस वर्तमान मे लौट आया और नेहा को सही से खड़ा करके बाजू मे हट गया

शेखर- मुझे लगता है हमने आपका मोमेंट डिस्टर्ब कर दिया भाई

शेखर ने बड़ी स्माइल के साथ कहा लेकिन राघव ने इस बार भी उसे इग्नोर कर दिया और बोला

राघव- अब लंच कर ले

वही श्वेता ने नेहा को देखा और बोली

श्वेता- हा हा, भईया भाभी अपना मोमेंट खाने के बाद बना लेंगे, हैना भाभी?

श्वेता ने नेहा को देखते हुए कहा जो वहा किसी पुतले की तरह खड़ी थी और अभी हुआ सीन पचाने की कोशिश मे थी।

राघव ने अपनी आँखों के कोने से नेहा को देखा जो अब भी वही खड़ी थी और उसने श्वेता की बात पर भी कुछ रिएक्ट नहीं किया था

श्वेता- भाभी!

नेहा- हूह? क्या.. क्या हुआ?

नेहा अब अपनी खोई हुई दुनिया से बाहर निकली

शेखर- आपको क्या हुआ है? चेहरा देखो अपना लाल हुआ जा रहा है, मुझे नहीं पता था के भाई का आप पर ऐसा असर होता है l

शेखर राघव और नेहा के मजे लेने की पूरी कोशिश मे था लेकिन उसे वैसा रिस्पॉन्स ही नहीं मिल रहा था और राघव उसे ऐसे देख रहा था जैसे वो दूसरे ग्रह से आया हो

नेहा- नहीं!

श्वेता- नहीं मतलब ?

नेहा- नहीं! मतलब हा.. नहीं अरे यार....

नेहा कन्फ्यूज़ भी थी और नर्वस भी इन दोनों के सवाल खतम ही नहीं हो रहे थे वही राघव भी उसे देख रहा था जिससे नेहा और ज्यादा नर्वस फ़ील कर रही थी

नेहा- लंच कर ले?

नेहा ने बात बदलते हुए कहा और सोफ़े ही तरफ आ गई और खाना परोसने लगी वही शेखर और श्वेता दोनों के हर मूव को देख रहे थे।

श्वेता ने शेखर को देख कर आँख मारी और शेखर ने भी थम्ब्सअप करके प्लान के पार्ट 2 को आगे बढ़ाने कहा।

नेहा और राघव अपना अपना खाना खा रहे थे या यू कहे निगल रहे थे, क्यू? क्युकी जो दूसरा कपल वहा मौजूद था वो एकदूसरे को अपने हाथों से खाना खिला रहा था एक परफेक्ट कपल की तरफ, जिससे ये दोनों थोड़ा असहज महसूस कर रहे थे उनका परफेक्ट बॉन्डिंग देख कर

शेखर- भाई क्या अकेले खा रहे हो यार भाभी को खिलाओ आपके हाथ से

राघव- तू अपना खाना खा हम ऐसे ही ठीक है

राघव ने कहा जिससे नेहा हो थोड़ी तकलीफ हुई, ये तो साफ था के वो ऐसे नहीं रहना चाहती थी, उसकी भी राघव ने कुछ अपेक्षाएं थी, वो उन दोनों का रिश्ता सुधारणा चाहती थी, वो राघव से उसकी इच्छाये जानना चाहती थी लेकिन राघव के गुस्से से डरती थी, राघव ने कभी उससे बगैर काम के बात नहीं की थी वो तो उसे ऐसे इग्नोर करता था जैसे नेहा वहा हो ही ना जिससे नेहा को और भी ज्यादा तकलीफ हो रही थी, राघव ने नेहा के लिए जो कुछ भी किया था दादू के कहने पर किया था ना की दिल से।

यही सब बाते सोचते हुए नेहा की आँखों से आँसू बहने लगे, शेखर और श्वेता जो एकदूसरे से लगातार बाते कर रहे थे वो नेहा को देख रुक गए, उनकी स्माइल नेहा को देख गायब हो गई थी और रूम मे एकदम से छायी शांति से राघव ने अपनी प्लेट से ध्यान हटा कर ऊपर देखा तो उसकी नजरे भी रोती हुई नेहा पर पड़ी

श्वेता- भाभी क्या हुआ ?

श्वेता ने पूछा, वो नेहा को इन सब में हर्ट नहीं करना चाहती थी

शेखर- भाभी क्या हुआ है बताइए ना? आप ऐसे रो क्यू रही है?

लेकिन नेहा कुछ नहीं बोली और वहा से उठ कर जल्दी जल्दी रूम के बाहर भाग गई, शेखर ने नेहा को रोकने की कोशिश की लेकिन तब तक नेहा वहा से जा चुकी थी

श्वेता- मैं जाती हु भाभी के पीछे।

इतना बोल के श्वेता भी नेहा के पीछे चली गई

शेखर- भाई! भाभी! आपने रोका क्यू नहीं उन्हे वो रो रही थी, जाओ भाई रोको उनको शी नीड्स यू...

लेकिन राघव अपनी जगह ने नहीं हिला वो बस अपनी जगह पर खड़ा सर झुकाए जमीन को देखता रहा और राघव के इस बर्ताव से अब शेखर को गुस्सा आ रहा था।

शेखर- भाई क्या करना चाहते हो? भूलो मत पत्नी है वो आपकी और आप उनके साथ ऐसा बर्ताव कर रहे हो? मुझे लगा था आपमे कुछ चेंजेस आए होंगे पर नहीं, वो जब भी आपके पास आना चाहती है आप उनको अपने से दूर कर देते हो, आपको उन्हे समझना होगा भाई और आप मेरी भाभी को ऐसे परेशान नहीं कर सकते वरना...

राघव- शेखर.. ये हमारा पर्सनल मैटर है तुम इससे दूर रहो और अब जाओ काम करने है मुझे

राघव ने रुडली शेखर को वहा से जाने कहा और शेखर भी जानता था के राघव से बात करने का कोई फायदा नहीं है उसे नेहा से ही बात करनी होगी

अब कैसे समझाऊ भाभी को, ये भाई भी सुनने को तयार ही नहीं यार क्या करने चले थे और क्या होगया लगा था सब ठीक कर देंगे लेकिन ये अलग रायता फैल गया अब कैसे समेटु इसको... शायद मैं जानता हु भाई ऐसा बिहेव क्यू कर रहा है, मुझे लगा था भाई वो सब भूल गया होगा लेकिन नही उसकी गाड़ी अब भी वहा अटकी है, लगता है अब भाभी को सब सच बताना ही पड़ेगा उन्हे सब कुछ जानने का अधिकार है।’

शेखर ने अपनी सोच मे गुम राघव के कैबिन का दरवाजा खोला तो सामने खड़े शक्स को देख वो थोड़ा चौका, उसके सामने राघव का सबसे अच्छा दोस्त विशाल खड़ा था और विशाल को देख के साफ पता चल रहा था के उसे अभी अभी हुई घटना की पूरी खबर है और वो काफी कन्फ्यूज स्टेट मे था...

अब क्या विशाल राघव को समझा पाएगा या नेहा को ही कुछ करना पड़ेगा और शेखर कैसे राघव और नेहा की नैया पार लगाएगा देखते है..



क्रमश:
Shweta or shekhar sab kuch thik karne chale the par ghadbad ho gayi.raghav koi past bi tha yeh ab pata chala
Shandar update
 

Naik

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Update 56




राघव नेहा को सबसे दूर लेके आया था ताकि अकेले मे उसके साथ कुछ प्यार भारी बाते कर ले लेकिन तभी देशपांडे वाडे के गेट से एक शक्स की एंट्री हुई जिसे देख राघव अपनी जगह पर जम गया उससे भी ज्यादा हैरत उसे तब हुई जब उसने देखा के उसके पापा रमाकांत उस इंसान का स्वागत कर रहे थे और उनके साथ शेखर था

उस शक्स को देख राघव का दिमाग एकदम ब्लैंक हो गया उसके दिमाग मे पुरानी यादें चलने लगी वो नेहा से एकदम दूर हो गया वही अचानक राघव में आए इस बदलाव का कारण नेहा को समझ नहीं आ रहा था राघव नेहा से बगैर एक शब्द कहे वहा से चला गया वही नेहा को इस तरह उसके ऐसे बर्ताव का कारण समझ नहीं आ रहा था वो राघव को आवाज देते हुए उसके पीछे भागी तब तक जब तक वो घर के दूसरे कोने मे नहीं पहुचे राघव की आंखे एकदम लाल हो गई थी और उसे ऐसे देख नेहा को और चिंता होने लगी

नेहा- राघव क्या हुआ है आपको?

नेहा ने अपने हाथों से राघव का चेहरा थामते हुए उससे पूछा और राघव ने एकदम से उसे गले लगा लिया वो भी एकदम कस कर

नेहा- अचानक क्या हुआ आपको बताइए मुझे?

नेहा ने राघव की पीठ सहलाते हुए उससे पूछा

राघव- वो... वो है यहा जिससे मैं जिंदगी मे कभी नहीं मिलना चाहता था वो यही है मैंने देखो उसे

राघव बहुत ज्यादा नर्वस था उसकी साँसे भी तेज चल रही थी वही राघव की बात सुन नेहा समझ चुकी थी के वो किस बारे मे बात कर रहा है

नेहा- मैं जानती हु राघव, सब जानती हु

नेहा ने कहा जिसे सुन राघव ने उसे अपने से अलग किया और कन्फ़्युशन मे उसे देखने लगा

राघव- तुम.. तुम जानती हो?

नेहा- हा! शेखर ने बताया उस दिन जब मैं ऑफिस से रोते हुए घर आई थी

अब राघव के दिमाग मे सब क्लियर था कैसे उस दिन के बाद नेहा में एकदम बदलाव आया था वो डरी हुई नेहा और बोल्ड नेहा, उनके रिश्ते मे भी उसी दिन से बदलाव आया था वो नेहा को देखने लगा

राघव- तुम सब जानती थी लेकिन फिर भी मुझे कुछ नहीं बताया?

नेहा- मुझे लगा आप वापिस उन बातों मे उलझ जाएंगे इसीलिए काभी ये बात छेड़ी ही नहीं लेकिन उससे आपको हर्ट नहीं करना था मुझे

नेहा की बात सुन राघव कुछ नहीं बोला वो अपने ही खयालों मे गुम था नेहा ने उसे पुकारा तब जाकर वो अपने खयालों से बाहर आया उसने अपने चेहरे से नेहा का हाथ हटाया और पीछे हटने लगा

नेहा- क्या हुआ कहा जा रहे है आप

राघव- मुझे.... मुझे थोड़ा वक्त चाहिए नेहा मेरा दिमाग अभी जगह पर नहीं है और प्लीज मुझे रोकना मत

इतना बोल राघव वहा से चला गया और नेहा बस उसे जाते हुए देखती रही

‘है बप्पा इनकी रक्षा करना, सब ठीक कर देना’ नेहा ने मन ही मन प्रार्थना की

-----

राघव ने अपनी गाड़ी निकाली और घर से दूर निकल गया उसके दिमाग मे इस वक्त बहुत कुछ चल रहा था और जब वो एक सुनसान जगह पर पहुचा उसने गाड़ी रोकी और बाहर आया, उसे कुछ घुटन सी महसूस हो रही थी उसने अपने कुर्ते के ऊपर के 3 बटन खोले उसके दिमाग मे लोगों की आवाजे गूंज रही थी

“राघव यू आर अ लूसर”

“सब तुम्हारी वजह से हुआ है”

“ये तो साला है ही मनहूस”

“इसके साथ कभी कोई खुश नहीं रह पाएगा”

“अरे तभी तो इसका कोई दोस्त नहीं है”

“किलर...”

राघव- नहीं!! नहीं!!! नहीं!!

राघव अपने दोनों कानों पर हाथ रख जोर से चीखा वो पसीने से पूरा तरबतर था और उसकी साँसे भी तेज चल रही थी और वो अपनी गर्दन बार बार ना मे हिला रहा था

राघव- ये तुमने सही नहीं किया नेहा!! तुम्हें मुझे ये बात बता देनी चाहिए थी के तुम मुझ पर तरस खा रही हो इसीलिए मेरे साथ हो मेरे पास्ट की वजह से

राघव अपने घुटनों पर बैठ गया, उसकी आंखे नम हो गई थी और जैसे ही उसने अपनी आंखे बंद की वो उन्ही यादों मे खो गया

इधर घर मे नेहा इधर से उधर चक्कर काट रही थी रात के 1 बज रहे थे और राघव अभी तक लौटा नहीं था और नेहा को अब उसकी चिंता होने लगी थी वो कई बार राघव को कॉल लगा चुकी थी लेकिन राघव ने किसी कॉल का जवाब नहीं दिया था नेहा ने घरवालों के सामने तो जैसे तैसे राघव के काम का बहाना बना दिया था लेकिन चिंता के मारे उसका दिल इसवक्त जोरों से धडक रहा था उसने दोबारा राघव को कॉल लगाया लेकिन इस बार उसे फोन की रिंगटोन भी सुनाई दी देखा तो राघव आ चुका था

नेहा- कहा थे आप? और मेरा फोन क्यू नहीं उठा रहे थे? आप ठीक है ना??

बदले मे राघव ने बस हा मे गर्दन हिला दी और अपने रूम मे चला गया और उसके पीछे पीछे नेहा भी, राघव का उतरा हुआ चेहरा नेहा से देखा नहीं जा रहा था उसके दिमाग मे भी इसवक्त बहुत सी बाते चल रही थी और उसकी तंद्री तब टूटी जब राघव उसके बाजू मे आकार बैठा नेहा ने बेड पर उसके लिए जगह बनाई और राघव लेट गया

नेहा- राघव, आप ठीक है?

राघव- मैं ठीक हु नेहा बस थका हुआ हु सोना चाहता हु

राघव की बात सुन नेहा ने भी फिर किसी बात पर जोर नहीं दिया और राघव से लिपट कर सो गई

अगली सुबह जब नेहा की आँख खुली तो राघव वहा नहीं था नेहा ने राघव को बाद मे पूरे घर मे ढूंढा लेकिन वो उसे कही नहीं दिखा और जब नेहा ने राघव को कॉल करने के लिए अपना फोन खोला तो उसने राघव का मैसेज था

‘अर्जन्ट मीटिंग मे हु’

बस। सिर्फ चार शब्द उसने उसे भेजे थे बदले मे नेहा ने उसे घर जल्दी आने के लिए कहा जिसे रिप्लाइ मे राघव बस इतना बोला के ‘कह नहीं सकता कोशिश करूंगा’

नेहा को राघव के रिप्लाइज कुछ रूखे से उखड़े से लग रहे थे उसके अतीत के खयाल अब तक उसे तंग कर थे और नेहा का अब राघव से बात करना जरूरी था उसने राघव के घर आने के बाद उससे बात करने का फैसला किया लेकिन राघव उसके बाद घर आया ही नहीं

राघव इसवक्त बिल्कुल भी नेहा के सामने नहीं जाना चाहता था, उसे ये बात सबसे ज्यादा तकलीफ दे रही थी के उसकी चिक्की उसके अतीत की वजह से अबतक बस उसपर तरस खा रही थी। उसने ऑफिस से ही धनंजयजी को बता दिया था के वो 7 दिनों के लिए किसी बिजनस ट्रिप पर जा रहा है न तो उसने नेहा को कॉल किया न उसके कॉल का जवाब दिया, नेहा राघव के इस बर्ताव से बहुत खफा थी लेकिन वो ये भी जानती थी के वो तकलीफ मे था और अब उसे सब सही करना था।

आज 5 दिन हो चुके थे और अब राघव को ये सब फेस करना ही था

नेहा- शेखर अपने भाई को कॉल लगाओ

नेहा ने शेखर के रूम मे जाते हुए कहा,

शेखर- क्या हुआ भाभी

नेहा- अपने भाई को कॉल लगाओ और उनसे आज के आज वापिस आने कहो

शेखर- लेकिन भाभी भाई कभी कोई डील अधूरी छोड़ के नहीं आएगा

नेहा- उनसे कहो मेरी हालत बहुत खराब है और मुझे वो मेरी आँखों के सामने चाहिए

शेखर- भाभी सब ठीक है ना??

नेहा- जो ठीक नहीं है वो हो जाएगा

शेखर ने राघव को कॉल लगाया लेकिन राघव ने उसका कॉल नहीं उठाया और जब 5-6 बार ऐसा हुआ तो

नेहा- तुम्हारे पास उनके दोस्त विशाल का नंबर है

शेखर- हा

नेहा- वो विशाल के साथ होंगे विशाल को कॉल करो

जिसके बाद शेखर ने विशाल को कॉल किया और विशाल ने एक झटके मे कॉल उठाया

विशाल- हा शेखर बोलो

शेखर- भाई राघव भैया आपके साथ है?

शेखर की बात सुन विशाल ने उसके साथ बैठे राघव को देखा लेकिन कुछ नहीं बोला राघव ने उसे फोन स्पीकर पर रखने कहा

शेखर- है या नहीं मैं नहीं जानता वो बस हमारे किसी कॉल का जवाब नहीं दे रहे है अगर आपका उनसे कॉन्टेक्ट हो तो कहना के भाभी...

बोलते बोलते शेखर रुका वही राघव के कान भी फोन पर जम गए

शेखर- भाभी की तबीयत बहुत खराब है उनकी कन्डिशन...

लेकिन शेखर आगे कुछ कहता उससे पहले ही राघव ने विशाल से फोन लिया

राघव- क्या हुआ नेहा को?? शेखर क्या हुआ है उसे? वो ठीक है ना? टेल मि डैमइट

राघव की आवाज मे चिंता साफ थी, वो भले नेहा को अवॉइड कर रहा था सोच रहा था के नेहा बस उसपर तरस खा रही थी लेकिन चिंता तो वो उसकी बहुत करता था आखिर उसे पसंद करता था वो, भले को घर मे किसी से बात नहीं कर रहा था लेकिन जब भी उसकी शेखर या अपने चाचा के बिजनेस रिलेटेड बात होती तो वो उसमे बीचमे नेहा के बारे मे पूछ लेता था। वो भी नेहा से बात करना चाहता था सब क्लियर करना चाहता था लेकिन बस उसे थोड़ा वक्त चाहिए था

राघव- शेखर क्या हुआ है उसे!!

राघव चीखा

शेखर- भाई आप बस जल्द से जल्द घर आ जाओ

जिसके बाद शेखर ने फोन काट दिया और नेहा का प्लान सक्सेस हो गया अब शेखर को इतना करना था के जब भी राघव का फोन आए उसे ना उठाए

नेहा जब अपने रूम मे आई तो एक मिनट मे उसके फोन पर राघव के 5 मिस कॉल आ चुके थे और जितना वो राघव को जानती थी उस हिसाब से राघव अब तक वापिस आने की तयारी शुरू कर चुका होगा

नेहा- अगर ये अभी आने के लिए निकलते है तब भी आधी रात से पहले नहीं पहुच पाएंगे तब तक अपने काम निपटा लेती हु

नेहा ने सोचा मानो ये कोई बड़ी बात ना हो लेकिन अंदर ही अंदर वो बहुत डरी हुई थी, आज बहुत सी चीजों का खुलासा होना था और उसे कोई आइडिया नहीं था के राघव कैसे रीऐक्ट करेगा जब वो यहा पहुचेगा..

इस वक्त रात के 11.30 बज रहे थे घर पर नेहा के अलावा कोई नहीं था बाकी सभी लोग गणपती दर्शन के लिए गए हुए थे और वो 1-2 बजे तक नहीं लौटने वाले थे उन्होंने नेहा से भी चलने कहा लेकिन उसने तबीयत ठीक नहीं है का बहाना बना दिया

नेहा इस वक्त अपने रूम मे बैठी टीवी के चैनल्स बदल रही थी तभी झटके के साथ उसके रूम का दरवाजा खुला और राघव हाफते हुए अंदर आया, राघव को देख नेहा के चेहरे पर एक मुस्कान आ गई और इससे पहले के नेहा कुछ कहती राघव ने उसे कस के गले लगा लिया, नेहा ने भी राघव को गले से लगाया

राघव ने नेहा को ऐसे पकड़ रखा था मानो उनकी जिंदगी बस नेहा से साथ है वो किसी कीमत पर उसे नहीं खोना चाहता था और नेहा भी राघव की बढ़ी हुई धड़कनों को महसूस कर सकती थी

राघव- तुम ठीक हो?? क्या हुआ है तुम्हें?? शेखर ने कहा था तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं है?? बेबी क्या हुआ है??

राघव ने नेहा का चेहरा अपने हाथों मे थामते हुए उसे ऊपर से नीचे देखते हुए पूछा

नेहा- मैं ठीक हु मुझे कुछ नहीं हुआ है मैंने ही शेखर से आपसे झूठ कहने कहा था

नेहा की बात सुन राघव उसे शॉक मे देखने लगा वो बस नेहा पर चिल्लाने ही वाला था के उसे अपना नेहा से किया वादा याद आया के वो कभी उसपर गुस्सा नहीं करेगा और उसके ट्रिप पर जाने का भी यही रीज़न था के वो अपने आप को शांत करना चाहता था उसने नेहा के वादा किया था के बगैर बात करे किसी नतीजे पे नहीं पहुचेगा लेकिन फिर भी उसने अपने मन मे ये धारणा बना ली थी के नेहा को उसपर बस तरस आ रहा था, उसका दिमाग काम नहीं कर रहा था और वो एकदम से नेहा पर अपने सवालों की बारिश नहीं करना चाहता था जिससे नेहा को लगे के वो उसे दोष दे रहा है

राघव- क्यू??

राघव बस एक शब्द बोला, उसकी आवाज मे गुस्सा साफ था जिसे वो कंट्रोल कर रहा था

नेहा- आप मेरे कॉल्स का जवाब क्यू नहीं दे रहे थे?

नेहा के सीधा पॉइंट पर आते हुए सवाल का जवाब मे सवाल किया

राघव- तो इसीलिए शेखर से झूठ कहने कहोगी?? छोटी बच्ची हो क्या!! तुम्हें कोई आइडिया है मेरी क्या हालत हुई

नेहा- वही तो मैं भी जानना चाहती हु, मुझे पता है आप मेरे सवालों से बचने के लिए ही इस ट्रिप पर गए थे, आप मुझे इग्नोर क्यू कर रहे है??

राघव- मैं तुम्हें इग्नोर नहीं कर रहा हु मैं बस.... काम मे बिजी था

राघव ने नेहा से नजरे चुराते हुए कहा

नेहा- राघव मेरी ओर देखिए, आप मुझे उस दिन से इग्नोर कर रहे है, अगर आपके दिमाग मे कुछ चल रहा है तो प्लीज मुझे बताइए मैं हमेशा आपके साथ हु (नेहा ने राघव का हाथ पकड़ा) राघव मेरी ओर...

लेकिन नेहा बोलते बोलते रुकी जब उसने देखा के रघाव की आँखों मे पानी था

राघव- तुम मेरे अतीत की वजह से मुझपर तरस खा रही हो न? ये सब प्यार ये केयर सब मेरे पास्ट की वजह से है

नेहा- नहीं!!! नहीं नहीं!! आप ऐसा कैसे सोच सकते है ऐसा बिल्कुल नहीं है

राघव- तो फिर तुम्हारा बिहेवियर तब ही क्यू बदला जब शेखर ने तुम्हें सब कुछ सच बताया ?

नेहा- अब आप पहले मेरी बात ध्यान से सुनिए! हा शेखर ने मुझे सब बताया है क्युकी मैंने हमारे रिश्ते से सारी उम्मीदें खो दी थी ना तो आप कोशिश कर रहे थे ना ही मैं अब और आगे कुछ करना चाहती थी लेकिन इस रिश्ते को सार्थक करने किसी न किसी को तो कदम बढ़ाना ही था, मुझे फिक्र है आपकी और मुझे पूरा हक है ये जानना का की ऐसी कौनसी बात है जो आपको परेशान करती है और मैं इतना भी बता दु के उस सब मे आपकी कोई गलती नहीं थी आप बहुत बहादुर है राघव

नेहा- मेरा बिहेवियर इसीलिए नहीं बदला क्युकी मुझे आपके अतीत के बारे मे बात चला बल्कि मैं आपको मुझसे मिलाना चाहती थी आपका अतीत जो भी रहा हो मुझे उससे कोई फर्क नहीं पड़ता मुझे फर्क पड़ता है आपसे मुझे आपकी फिक्र है, आई एम सॉरी मुझे ये सब आपसे जानना चाहिए था ना की किसी और से लेकिन सिचूऐशन ही ऐसी थी के शेखर को मुझे सब बताना पड़ा वरना वो मुझे कभी वो बात नहीं बताता

नेहा ने राघव का गाल सहलाते हुए कहा

नेहा- शेखर ने मुझे सब बताया है लेकिन मुझे सब आपसे सुनना है। सब कुछ। शेखर ने मुझे सब सुनी सुनाई बाते बताई है लेकिन मुझे आपसे जानना है के क्या हुआ था, बताइए राघव आपका गुस्सा आपका डर आज सब बाहर आने दीजिए आज यहा आपको जज करने वाला कोई नहीं है आपको अपने डर का सामना करना होगा

राघव बस नेहा को देख रहा था

‘मुझे उसे सब बता देना चाहिए वो मेरी सारी बात मानेगी’ राघव ने मन ही मन सोचा

क्रमश:
Yeh sala kon Banda ya bandi thi jisne aaker itne achche mahol ko Ganda ker dia
Kaha sab kuch it a chcha jaa raha tha or kaha yeh sab
Neha ko Raghav k ateet k baare pata h yeh baat jaanker bhai sahab ko laga Neha uske ooper taras khaker aisa ker Rahi mand buddhi
Baherhal dekhte h kia khulasa hone jaa raha h kia huwa tha ateet m
Behtareen shaandar update bhai
 

Tiger 786

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Update 17



‘अब कैसे समझाऊ भाभी को, ये भाई भी सुनने को तयार ही नहीं है, यार क्या करने चले थे और क्या हो गया लगा था सब ठीक कर देंगे लेकिन ये अलग रायता फैल गया अब कैसे समेटु इसको... शायद मैं जानता हु भाई ऐसा बिहेव क्यू कर रहा है, मुझे लगा था भाई वो सब भूल गया होगा लेकिन नही उसकी गाड़ी अब भी वहा अटकी है, लगता है अब भाभी को सब सच बताना ही पड़ेगा उन्हे सब कुछ जानने का अधिकार है।

शेखर ने अपनी सोच मे गुम राघव के कैबिन का दरवाजा खोला तो सामने खड़े शक्स को देख वो थोड़ा चौका, उसके सामने राघव का सबसे अच्छा दोस्त विशाल खड़ा था और विशाल को देख के साफ पता चल रहा था के उसे अभी अभी हुई घटना की पूरी खबर है और वो काफी कन्फ्यूज स्टेट मे था.

शेखर - विशाल भाई आप?

विशाल का नाम सुन के राघव अपने केबिन से बाहर आया और शेखर राघव के वहा आता देख बगैर कुछ बोले वहा से निकल गया।

कुछ समय बाद

शेखर- भाभी प्लीज एक बार दरवाजा खोल के बस एक बार हमारी बात तो सुन लिजीए

वो लोग पिछले 10 मिनट से दरवाजा खटखटा रहे थे लेकिन नेहा कोई जवाब नहीं दे रही थी, नेहा ने घर पहुच कर अपने आप को कमरे मे बंद कर लिया था और घर के बाकी लोगों को इसकी खबर भी नहीं थी क्युकी घर मे इस वक्त कोई था ही नहीं

श्वेता- भाभी प्लीज दरवाजा खोलो

शेखर- भाभी सॉरी हम आपको हर्ट नहीं करना चाहते थे हमे नहीं पता था ऐसा कुछ होगा प्लीज दरवाजा खोलो भाभी आगे से ऐसा नहीं होगा

लेकिन जब अंदर से कोई जवाब नहीं आया तब वो लोग थक के चुप हो गए, शेखर और श्वेता वहा से जा ही रहे थे के उन्हे दरवाजा खुलने का आवाज आया लेकिन नेहा बाहर नहीं आई

शेखर और श्वेता ने एकदूसरे को देखा और रूम मे चले गए तो उन्होंने देखा के नेहा बेड पर बैठी थी, उसके चेहरे पर अब भी आँसुओ के निशान थे और वो खयालों मे खोई हुई थी

शेखर जाकर नेहा के बाजू मे उसका हाथ पकड़ कर बैठ गया और श्वेता उसके बाजू मे बेड पर जा बैठी

शेखर- भाभी..

शेखर ने धीमे से कहा

नेहा- मैं क्या इतनी बुरी हु शेखर के तुम्हारे भाई मेरी ओर देखते भी नहीं ?

शेखर- नहीं! आप... आप बेस्ट हो भाभी

नेहा- मैं थक गई हु अब चीज़े छुपाते हुए, हमारे बारे मे सबसे झूठ कहते हुए तुम्हें कुछ नहीं पता है

श्वेता- हम जानते है भाभी दादू से सब बताया है हमे।

श्वेता की बात से नेहा थोड़ी शॉक हुई लेकिन कुछ बोली नही

शेखर- हा भाभी हम सब जानते है और भाई की तरफ से मैं आपसे माफी मांगना चाहता हु

नेहा- तुम लोग क्यू सॉरी कह रहे है तुम्हारी कहा गलती है गलती तो उनकी है, पता है मैं उनसे कुछ नहीं कह पाती हु कोई बात शेयर नहीं कर सकती हु जानते हो क्यू? क्युकी भले ही हम शादी शुदा है लेकिन है अजनबी ही, उन्हे ये समझना चाहिए के मैं पत्नी हु उनकी वो अब एक बैचलर नहीं है ऐसा नहीं है के मैं उनकी फ्रीडम छीनना चाहती हु मुझे बस वो चाहिए, मुझे मेरी जिंदगी मे वो मेरे पति बनकर चाहिए ना की कोई अजनबी, जानते हो उन्होंने दादू से हमारी शादी की रात क्या कहा था.. ‘आपके कहने पर मैंने शादी कर ली और इस घर को बहु दे दी लेकिन मुझे अभी पत्नी नहीं चाहिए इसीलिए मुझसे कोई उम्मीद मत रखिएगा’ अरे वो तो पहली ही रात बाहर चले गए थे

नेहा की बात से शेखर और श्वेता दोनों शॉक थे

नेहा- मुझे भी बाकी कपल्स जैसा रहना है लेकिन मैं तो उनसे बात भी नहीं कर सकती क्युकी उन्हे ये पसंद नहीं आएगा, मैं थक गई हु उन्हे क्या पसंद आएगा क्या नहीं सोचते सोचते, हमेशा मैं ही कोशिश करू इस रिश्ते को सुधारने की? अब थक चुकी हु मैं मुझसे और नही होता।

नेहा बोलते बोलते रोने लागि और श्वेता उसकी पीठ सहला कर उसे शांत करवा रही थी वही शेखर चिंता मे नेहा को देख रहा था उसने नेहा को कभी ऐसे नहीं देखा था वो नहीं जानता था के नेहा हमेशा झूठी मुस्कान लिए रहती थी।

नेहा- हमेशा ऐसा क्यू है के मुझे ही उन्हे समझना पड़ेगा वो कभी मुझे क्यू नहीं समझ सकते? वो तो ऐसे बिहेव करते है जैसे मैं हु ही ना कहने को तो हम लाइफ शेयर कर रहे है लेकिन हम एक बेड भी शेयर नहीं करते क्युकी उन्हे अच्छा नहीं लगेगा, हमेशा सब वैसा ही होता है जैसा उन्हे चाहिए लेकिन मेरा क्या? लेकिन अब बस बहुत हो गया

नेहा रोए जा रही थी, आज वो सारी बाते बाहर निकालना चाहती थी और नेहा की बाते सुन कर शेखर की आँखों से एक आँसू निकला जिसे पोंछ कर वो बोला

शेखर- भाभी आपको कुछ बताना है मुझे, वो जिसे आपको जानने का पूरा हक है, मैं नहीं जानता मैं ये सही कर रहा हु या नहीं लेकिन मैं ये जानता हु के जो मैं आपको बताने जा रहा हु वो भाई को आपको बताना चाहिए लेकिन अब बस हो गया क्युकी मुझे नहीं लगता भाई आपको कभी वो बात बताएगा

नेहा ने उतरे चेहरे के साथ शेखर को देखा, उसकी आँखों मे अब भी आसू थे

शेखर- श्वेता मुझे बस भाभी के बात करनी है

और शेखर ने इशारे से श्वेता को वहा से जाने के लिए कहा श्वेता भी उसका इशारा समझ के वहा से चली गई

नेहा- कहना क्या चाहते हो तुम शेखर

शेखर- भाई के पास्ट के बारे मे आपको जानना चाहिए भाभी आप सभी जिस राघव को जानते है वो इससे बिल्कुल अलग है, ये गुस्से वाला, बाते काम करने वाला किसी पे भरोसा ना करने वाला मेरा भाई हमेशा ऐसा नहीं था इन सब के पीछे कुछ रीज़न है की वो ऐसा क्यू है

नेहा- तो बताओ वो ऐसे क्यू है

शेखर- उसके साथ कुछ हुआ है भाभी जिसने उसे ऐसा बना दिया है........
.
.
.
.
.

(अभी नहीं बताऊँगा :D )


राघव के पास्ट के बारे मे सुनकर नेहा शॉक थी वो ये सब बाते नहीं जानती थी और अब उसे अपने बर्ताव पर पछतावा हो रहा था

शेखर- मैं जानता हु मैं ये बात कह कर स्वार्थी बन रहा हु लेकिन मेरे भाई को आपकी जरूरत है भाभी, मैं ये नहीं कह रहा हु के आप अपने आप को बदल दो लेकिन बस एक और बार इस रिश्ते को एक मौका दे दो, मैं जानता हु आप मेरे भाई को बदल देंगी, मेरे भाई को छोड़ के मत जाना भाभी

शेखर ने नेहा के सामने हाथ जोड़ते हुए कहा

नेहा- मुझे नहीं पता था उन्होंने इतना सब सहा है और मैं बस उनके स्वभाव की शिकायत करे जा रही थी

नेहा अब और ज्यादा रोने लागि

शेखर- मेरा भाई ऊपर से चाहे जितना टफ बन ले भाभी अंदर से वो बस एक बच्चा है जिसे हमने उस घटना मे खो दिया, भाभी बस आप ही वो हो जो उस पुराने राघव को वापिस ला सकती हो, वो कभी किसी से कुछ कहता नहीं है जो मिल जाए उसी मे खुश रहेगा वो, बगैर बात के नतीजे पर पहुच जाता है, उसे भले ही बिजनस की अच्छी समझ हो लेकिन रिश्ते निभाने के मामले मे बहुत कच्चा है वो, उसे आपकी जरूरत है भाभी और मैं जानता हु के आपने उसके पास जाने की कोशिश की तो वो रोकेगा नहीं आपको क्युकी उसे कोई ऐसा चाहिए जो उसकी केयर करे सिर्फ उसकी, जो उसे प्यार करे, कोई भी इंसान अपने पेरेंट्स से भाई बहनों से, दोस्तों से सब शेयर नहीं कर सकता उसे कोई ऐसा चाहिए जो इन सब को समझे

शेखर- वो बस आपसे इसीलिए दूर भाग रहा है क्युकी वो डरता है, वो ईमोशनली इसीलिए कनेक्ट नहीं कर पाता, उसे रिश्ते जोड़ने से डर लगता है, दादू ने कहा था उसमे थोड़ा समय मांगा है इस रिश्ते को आगे बढ़ाने लेकिन सच तो ये है के वो अपने आप को आपके लिए तयार कर रहा है, वो बताता नहीं है पर उसे चिंता है आपकी, बस उसे ये सब जताना नहीं आता बस आप उससे दूर मत जाइए।

नेहा- ऐसा सोचना भी मत के मैं उनसे दूर जाऊँगी, मुझे बस ये सब पता नहीं था लेकिन अब सब जानने के बात मैं पीछे नहीं हटने वाली, मुझे बस उनका भरोसा जितना है जो मै जीत के रहूँगी

नेहा ने अपने आँसू पोंछते हुए कहा जिसपर शेखर ने भी हा मे गर्दन हिला दी और कमरे से बाहर चल आया और नेहा सोचने लगी

‘मैंने इन्हे कैसे समझ नहीं पाई? वो पहले ही बहुत सह चुके है और उन्हे सपोर्ट करने के बजाय मैं उन्हे ही भला बुरा कह रही थी, वो बस उस बात को मन मे लिए बैठे है और मैंने भी इस बारे मे सही से कोशिश नहीं की, उन्होंने कभी बात करने की कोशिश नहीं की तो मैंने भी कभी कोई ज्यादा इंटेरेस्ट नहीं दिखाया और यही मेरी गलती थी।

मैं पत्नी हु उनकी और मुझे उनके ऐसे बर्ताव के पीछे का रीज़न जानना चाहिए था लेकिन मैं तो खुद ही बेचारी बनी बैठी रही
अगर सब ऐसे ही चलता रहा तो हमारा रिश्ता कभी नहीं सुधर पाएगा, हमने कभी बात करने चीजे सुलझाने की कोशिश ही नहीं की लेकिन अब ऐसा नहीं होगा, ये आदत किसी को तो बदलनी पड़ेगी और वो मैं करूंगी

अब इन्हे एक नई नेहा मिलेगी...'



क्रमश:
Ab shayad mai har update pe comment na kar paunga.bech bech mai karta rahunga comments.curnt update pe pahunchna hai bhai kya samze😂😂😂😂🤣🤣🤣🤣
 

Naik

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राघव अपने बेड पर बैठ हुआ था और नेहा उसके बाजू मे बैठी थी..

कुछ समय बाद राघव ने बोलना शुरू किया...

राघव- शेखर को पूरी बात नहीं पता है उसे बस सुनी सुनाई बाते पता है और जो कुछ उसने विशाल से सुना है लोगो से सुना है, लेकिन आज तुम्हें पूरी बात बताता हु

नेहा- बोलिए राघव...

राघव- मैं हमेशा से ऐसा नहीं था नेहा, मतलब मैं हमेशा से ही मितभाषी रहा हु, मुझसे लोगों से मिला नहीं जाता , मैं नये दोस्त नहीं बना पाता हु , मुझे सोशल एलिमेंट नहीं कहा जा सकता था, और पहले तो मैं ऐसा दिखता भी नहीं था और शायद इसीलिए मेरे ज्यादा दोस्त नहीं है लेकिन किस्मत से नज़ाने कैसे विशाल मेरा दोस्त बना और उसका मेरे साथ होना किसी वरदान से कम नहीं है क्युकी उनसे मेरा वो फेज देखा है जो किसी को नहीं पता लेकिन विशाल अकेला नहीं है उसके जैसे दो और लोग थे या यू कहू के सिर्फ एक ही थी, वो दूसरा था उसका नाम निखिल था, उसे तुम मेरा लंदन पहला दोस्त कह सकती थी या सिर्फ वो दोस्ती बस एक तरफा हि थी क्युकी निखिल के इरादे ही कुछ और थे..

मैंने अपना पोस्ट ग्रेजुएशन लंदन से किया है नेहा। राघव देशपांडे भारत मे एक बूसिनेस फॅमिली का चिराग था लेकिन वहा एकदम अकेला था, लोग मेरा मजाक बनाते थे मुझे बुली करते थे मुझे मेरे लुक्स पर कभी कभी अनकंफर्टेबल फ़ील होता था,,

मुझे लोगों से कनेक्ट करने मे बात करने मे इनसिक्योर फ़ील होता था, अपने लुक्स पर अपने कपड़ों पर मैं बुरा फ़ील करता था, ऐसा नहीं था के मैं कुछ अफोर्ड नहीं कर सकता था लेकिन मैं क्या पहन रहा हु कैसा दिख रहा हु इसपर मैंने कभी ध्यान ही नहीं दिया था, जो मुझे सही लगता मैं पहन लेता था, उस टाइम मेरा और विशाल का कॉलेज अलग हुआ करता था वो इंजीनियरिंग कर रहा था और मैं बीजनेस स्टडीस

सब कुछ एकदम सही चल रहा था मैं अपने फर्स्ट ईयर मे था मैं अपनी क्लास मे जा रहा था रास्ते मे लोगों के मुझपर पास होते कमेंट्स सुन रहा था जिसकी वैसे तो मुझे आदत थी लेकिन वो दिन कुछ अलग था, मैं उस दिन कुछ अलग महसूस कर रहा था अब अच्छा या बुरा पता नहीं बड़ी मिक्स फीलिंग थी, मैं अपनी क्लास मे पहुचा जहा वो थी, मेरी सबसे अच्छी दोस्त, निशा, वो अकेली थी जिसे उस वक्त मैं अपना बेस्ट फ्रेंड कह सकता था, वो अकेली थी जो मेरे साथ हर वक्त रहती थी जब भी कोई मुझे बुली करता वो अकेली होती जो उनसे मेरे लिए लड़ती थी पर उसके बाद मुझे भी डाट देती थी के मैं वो सब बाते क्यू सुनता हु कुछ कहता क्यू नहीं हु निखिल हमेशा हम दोनों को चिढ़ाया करता था कहता था वो निशा को मेरी मा कहता था लेकिन मैंने उसकी बातों पर कभी ध्यान ही नहीं दिया वो मेरा दोस्त था पर बाद मे मुझे समझ आया के निखिल ने तो मुझे कभी अपना दोस्त माना ही नहीं

राघव आज अपने मन मे दबी बाते नेहा को बता रहा था

राघव- निशा एक अनाथ थी जब वो छोटी थी तब ही उसके माता पिता चल बसे थे वो सब कुछ खुद से मैनेज करती थी और इतनी मुश्किलें होने के बाद भी एकदम बेफिक्र थी हमेशा मुसकुराते रहती थी सच का साथ देना जानती थी, उसे लोगों का दूसरों को नीचा दिखाना बिल्कुल पसंद नहीं था इससे उसे सख्त चिढ़ थी और उसके सामने वैसा होता देख वो लड़ पड़ती थी

हमारा बॉन्ड समय के साथ साथ बहुत मजबूत हो गया था फ्रेंड से बेस्टफ्रेंड का सफर हमने बहूत जल्दी पार किया था और ये कहना तो बिल्कुल ही गलत होगा के मैं उसे पसंद नहीं करता था लेकिन वो प्यार नहीं था कभी नहीं

जब भी वो आसपास होती ना तो मैं मैं नही रहता था मितभाषी राघव बातूनी हो जाता था, उसके साथ ऐसा लगता मानो बाते कभी खत्म ही ना हो, उसके साथ से मैने अपने अंदर बहुत से बदलाव महसूस किए थे जो कि ऑफकोर्स अच्छे थे, सब कुछ एकदम अच्छा जा रहा था लाइफ जैसे एक परफेक्ट ट्रैक पर चल रही थी तब तक जब तक उसे प्यार नही हुआ, वो हमारी यूनिवर्सिटी के एक लड़के मैथ्यू से प्यार करने लगी थी जोकि हमारा सीनियर था, मैथ्यू दिखने में काफी अच्छा था और वो निशा की केयर भी बहुत करता था और निशा उसे पागलों की तरह चाहती थी, निशा और मैथ्यू की बढ़ती नजदीकियों की वजह से मेरे और निशा के बहुत झगड़े हुए, मुझे कभी भी मैथ्यू से अच्छी वाइब नही आई मैंने उसके बारे में बहुत कुछ सुन रखा था जो कि बहुत ज्यादा अच्छा नही था लेकिन मैंने किसी बात का यकीन नही किया था क्युकी मुझे निशा पर भरोसा था के वो अपने लिए गलत इंसान तो नही चुनेगी लेकिन फिर मैंने उसे किसी से यूनिवर्सिटी के गेट पर बाते करते सुना, उसकी बात सुन मेरी रूह तक कांप गई थी वो निशा की बॉडी की डील कर रहा था..

मैने उसे अपने एक दोस्त से कहते सुना था के वो पहले निशा का अच्छी तरह से इस्तमाल कर लेगा उसे भोग लेता और फिर उसे इंजेक्ट करके बेच देगा, मैथ्यू फीमेल ट्रैफिकिंग में था, लड़कियों को फसा कर उनका इस्तमाल कर उन्हे बेच देना धंधा था उसका..

मेरा मन किया के उसे अभी के अभी खत्म कर दू लेकिन मेरा उस वक्त मैथ्यू से भिड़ना निशा को खतरे में डाल देता, मैं वहा से निकला और सीधा निशा के पास पहुंचा

निशा इस वक्त यूनिवर्सिटी के गार्डन में अपने कुछ दोस्तो से बात कर रही थी मैंने उसे वो सब कुछ बता डाला जो भी मैने मैथ्यू से सुना था

पहले तो वो मेरी बात सुन थोड़ा चौकी लेकिन उसे मेरी बात पर विश्वास नहीं हुआ, उसे मेरी बात का यकीन दिलाने मैं जो कुछ भी कर सकता था मैंने किया यहा तक ने मैने उसके सामने हाथ तक जोड़ लिए अपने घुटनों पर आ गया लेकिन उसने मेरी एक बात भी नही सुनी उसे मुझसे ज्यादा मैथ्यू पर भरोसा था

तुम सोच रही होगी के ये कैसी दोस्त है जिसने अपने सबसे अच्छे दोस्त की बात सुनी तक नहीं लेकिन बात इतनी ही नही है, निशा का मेरे साथ रहना कई लोगो को खटकता था, निशा हमारे बैच की हार्टथ्रोब थी उसके चाहने वाले कई थे और वो सबसे बात करती थी उसके कई दोस्त थे लेकिन मेरे लिए बस एक वही थी और एक खूबसूरत लड़की को एक चंपू के साथ घूमता देखना कई लोगो को खटकता है, कई बार हमारे ही बैच के कुछ लोग निशा के मेरे बारे में कान भरते थे, उसका मैथ्यू के साथ रिलेशनशिप में आने के बाद हमारे बीच सबकुछ सही नही था और कई लोग आपको एक ही बात बार बार रिपीट करके बोले तो आप कही ना कही उसपर यकीन करने लगते हो भले फिर वो बात झूठ ही क्यों न हो सच को दबा ही देती है आप किसी बात को एक बार इग्नोर करोगे दो बार करोगे के लेकिन कोई एक ही बात आपको 100 बार बोले तो आप एक बार के लिए तो उसपर यकीन कर ही लेते हो

निशा को लगा मैं उसे पसंद करता हु इसीलिए मैं उसके और मैथ्यू के बीच प्रॉब्लम क्रिएट करना चाहता हु, हा मैं पसंद करता था उसे लेकिन मैं कभी उसको खुशी के आड़े नही आता लेकिन जब मुझे दिख रहा था के मेरी दोस्त खुद को कुएं में धकेल रही है तो मैं चुप कैसे रहता, उस बात पर हम दोनो का बहुत बड़ा झगड़ा हुआ जिसने वहा मौजूद सभी स्टूडेंट्स का ध्यान खींचा, बढ़ते बढ़ते बात इतनी बढ़ गई के हमने हमारी दोस्ती तक खतम कर दी,

मैं तो वैसे ही टारगेट था तो इस झगड़े के लिए वहा इकट्ठा भीड़ ने मुझे ही दोष दिया के मैं जान बूझ के निशा की लाइफ में खलल डाल रहा हु लेकिन उसकी परवाह किसे थी, मेरी दोस्त खतरे में थी और मुझे उसे बचाना था, चुकी हमारा झगड़ा बहुत बड़ा था तो मैथ्यू भी वहा पहुंच गया और उसे समझ आ गया के उसे अपने खेल को जल्दी अंजाम देना होगा

हमारे झगड़े के बाद वो अपने घर की ओर निकल गई और मैं अपने क्युकी मैंने सोचा के वो खुद के घर पर तो सेफ ही होगी लेकिन मेरा मन बेचैन था, मैंने घर पहुच कर उसे कई बार फोन ट्राइ किया व्हाट्सप्प कर कई सॉरी नोट्स भेजे लेकिन उसने किसी का रिप्लाइ नहीं किया बस देख कर छोड़ दिया, मैं उस पूरी रात सो नही पाया और बार बार उसे कॉल लगाता रहा और वो हर बार मेरा फोन काट ते रही मुझे लगा वो मुझसे बहुत ज्यादा गुस्सा है और जब आखिर मे मुझसे रहा नहीं गया तो मैं उसके रूम पर जा पहुचा लेकिन उसने दरवाजा तक नहीं खोला और अंदर से ही चिल्लाकर मुझे वहा से जाने कहा लेकिन मैं वही रहा जब तक....

जब तक के मुझे मेरे लैंडलॉर्ड का कॉल नहीं आया, उसका बेटा सीढ़ियों से गिर गया था और वो काफी बूढ़ा आदमी था तो उसने मुझे कार ड्राइव करने बुलाया था ताकि अस्पताल जा सके और मैं जानता था के निशा कितनी जिद्दी है वो दरवाजा नही खोलती और मैंने सोचा के वो अपने घर मे है तो थोड़ी सेफ होगी इसीलिए मैं वहा से चला गया

अगले दिन जब मैं कॉलेज पहुचा वो वहा सब लोग मुझे घृणा भरी नजरों से दख रहे थे मेरे बारे मे बात कर रहे थे के कैसे निशा ने मुझे दोस्त माना और मैंने उसी को बिट्रै किया, निशा उस दिन कॉलेज नही आई थी जिससे मुझे उसकी थोड़ी चिंता होने लगी थी इसीलिए मैं उस दिन वापिस उसके घर गया, उसके घर का दरवाजा पहले से खुला हुआ था तो मैं अंदर चला गया और वहा जो मैंने दख उसे मैं सपने मे भी नहीं सोच सकता था.......

क्रमश:
Nisha ko apne sabse achche dost ki BAAT per bharosa nahi huwa kaha se hota Pyar ki BAAT jo thi or fir Raghav ka look shayad isilye
Tow Mathews n Nisha ke saath kuch galat ker dia tabhi tow Raghav ka aisa reaction aaya
Dekhte h agle update kia pata chalta h
Behtareen shaandar update bhai
 

Naik

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राघव- निशा उस दिन कॉलेज नही आई थी जिससे मुझे उसकी थोड़ी चिंता होने लगी थी इसीलिए मैं उस दिन वापिस उसके घर गया, उसके घर का दरवाजा पहले से खुला हुआ था तो मैं अंदर चला गया और वहा जो मैंने देखा उसे मैं सपने मे भी नहीं सोच सकता था...

मैंने सपने मे भी नहीं सोचा था के मुझे ऐसा दिन देखना पड़ेगा मैं आज भी उस दिन को उस सीन को भुला नहीं पाया हु

बोलते बोलते राघव की आँखों से आँसू बहने लगे थे उसने एक लंबी सांस खिची, उसकी आवाज टूट रही थी लेकिन फिर भी उसने बोलना शुरू किया

राघव- मैं जब उसके घर के अंदर पहुचा तो मैंने देखा के मेरी दोस्त मेरी सबसे अच्छी दोस्त अब इस दुनिया मे नहीं थी

उसकी लाश रस्सी से लटक रही थी, उसने आत्महत्या कर ली थी।

राघव की आँखों से कंटिन्यू आँसू बह रहे थे और उसकी हालत देख नेहा की भी आंखे पनिया गई थी उसने कस के राघव का हाथ पकड़ा हुआ था

राघव- अपने सामने निशा की लटकती लाश देख मुझे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था के मैं क्या करू, अचानक मेरे शरीर ने, मेरे दिमाग ने मेरा साथ छोड़ दिया था, मैं एकदम ब्लैंक हो गया था जो इंसान मेरे लिए उस वक्त सबसे ज्यादा मायने रखता था उसने अपनी खुद की जान लेली थी लेकिन क्यू?? मैं नहीं जानता था,

मेरा सर घूमने लगा था आँसू बह रहे थे मैं चिल्ला चिल्ला कर मदद बुला रहा था मैंने उसके पास जाकर उसके पैर पकड़े और कुछ ही पालो मे मेरी आवाज सुन निशा के पड़ोसी वहा आए उन्होंने उसकी लाश उतारने मे मेरी मदद की मुझे लग रहा था के शायद शायद वो बच जाए लेकिन मैं गलत था वो मुझे छोड़ के जा चुकी थी

मेरे हाथ कांप रहे थे उसकी लाश मेरे हाथों मे थी उस इंसान की लाश जो मेरे लिए सबसे ज्यादा जरूरी था, वो दिन मेरी जिंदगी का सबसे बुरा दिन था तुम सोच भी नही सकती मुझे उस वक्त कैसा महसूस हो रहा था मेरे हाथों मे उस इंसान की लाश थी जो मेरे दिल के सबसे ज्यादा करीब था वो मुझे हमेशा हमेशा के लिए छोड़ के जा चुकी थी

मैं उसकी लाश को अपने हाथों मे पकड़े जोर जोर से रोए जा रहा था चिल्लाए जा रहा था उससे मिन्नते कर रहा था के वो लौट आए पर ये मुमकिन ही नही था, मैंने उसे खो दिया था

राघव नेहा के गले लग कर रोए जा रहा था और अब तक नेहा की आँखों से भी आँसू बहने लगे थे।

राघव- सुसाइड केस था उसके पड़ोसियों ने पुलिस को खबर कर दी थी और जल्द ही पुलिस वहा पहुच चुकी थी, उन्होंने आकर अपनी कार्यवाही शुरू की अपनी इंक्वायरी करने लगे और निशा की बॉडी एम्बुलेंस से पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दी गई, मैं कुछ भी सोचने समझने की हालत मे नहीं था, डॉक्टर्स ने बताया के उन्हे पोस्टमॉर्टम के लिए थोड़ा टाइम लगेगा क्युकी वो निशा की डेथ का असल रीज़न पता नहीं कर पा रहे थे और मैं उसके जाने के गम मे डूबा हुआ था, ऐसे मे मुझे एंजाइटी के दौरे पड़ने लगे थे और मेरी हालत तब बिगड़ी जब मेरे कॉलेज के लोगों ने मुझे उसकी मौत का जिम्मेदार ठहराया, वो मुझे निशा की मौत के पीछे समझते थे क्युकी निशा के सुसाइड के पहले ही हमारा झगड़ा हुआ था और उन्हे लगा शायद वही झगड़ा उसके सुसाइड के पीछे का रीजन होगा, उन्होंने मुझे किलर और न जाने क्या क्या कहा, मैं डिप्रेशन मे जा चुका था और ऐसे मे विशाल मुझे संभाल रहा था और ऐसे मे मुझे उसकी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट मिली जिसने मुझे और भी ज्यादा हिला के रख दिया

रिपोर्ट मे लिखा था के निशा ने आत्महत्या नहीं की थी बल्कि उसका रेप किया गया था और उसके बाद उसे मार दिया गया था

राघव की बात सुन अब नेहा और भी ज्यादा शॉक थी उसे सुसाइड की बात तो पता थी लेकिन ये बात वो नहीं जानती थी, राघव की बताई गई कई बाते शेखर ने जो उसे बताया उससे अलग थी क्युकी शेखर ने बस ये सब सुना था लेकिन राघव ने जिया था

राघव- उस रिपोर्ट ने मुझे पूरी तरह हिला कर रख दिया था लेकिन मैं शायद इस सब के पीछे की, निशा के मरने के पीछे की वजह जानता था, इस सब के पीछे उसके सो कॉल्ड बॉयफ्रेंड मैथ्यू का हाथ था! मैंने उसे निशा की अंत विधि पर भी नही देखा था और ना ही वो उसके बाद कॉलेज आया था जिसने मेरा शक और बढ़ा दिया था

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने अपनी तहकीकात शुरू की और मैंने भी पुलिस को सब कुछ बता दिया था, मैंने खुद से भी मामले मे तहकीकात की और मेरी बहुत बहुत ज्यादा कोशिशों के बाद आखिर मुझे उसके ठिकाने का पता चला और मैंने उससे बात करने का सोचा और जब मैं उसके ठिकाने पहुचा मेरा माथा ठनका, वो पहले से ही निशा पर चीट कर रहा था और वहा किसी और लड़की के साथ था उन दोनों के शरीर आपस मे उलझे हुए थे बगैर कपड़ों के उसने तो दरवाजा तक लॉक नहीं किया था

मुझे कुछ समझ नहीं आया के मैं क्या करू एक तो वो ऐसी हालत मे थे लेकिन मुझे मेरे सवालों का जवाब चाहिए थे, मैंने सबसे पहले तो पुलिस को कॉल किया और फिर अपने फोन की रिकॉर्डिंग शुरू की और जोर से चिल्लाते हुए उनका ध्यान अपनी ओर खिचा, मेरी आवाज से वो लड़की सचेत हो गई और उसने उठकर कपड़े पहने और फिर मैथ्यू की तो मुझे चिंता ही नहीं थी

फिर मैंने ना आव देखा न ताव और मैथ्यू पर कूद पड़ा और एक जोर का मुक्का जड़ दिया, हम दोनों अब फिजिकली लड़ रहे थे

मैंने उससे पूछा के के उसने वो सब क्यू किया और उसने भी बता दिया क्युकी वो जानता था के मैंने उसकी बाते सुन ली थी और वहा हमारे अलावा और कोई नहीं था उसे जरा भी आइडिया नहीं था के मेरे फोन की रिकॉर्डिंग शुरू थी इसीलिए उसने अपनी गलती मानी उसने बताया था जिस दिन मेरी और निशा की लड़ाई हुई थी वो उस दिन निशा के रूम पर गया था,

मुझसे हुई लड़ाई की वजह से निशा रो रही थी और ऐसे मे उसके ईमोशनल स्टेट का फायदा मैथ्यू लेना चाहता था उसने तब उसका रेप किया, पहले तो उसने प्यार से कोशिश की लेकिन जब निशा नही मानी तो उसने उसके साथ जबरदस्ती की और तब निशा को समझ आया के मैं सही था वो मदद के लिए चीख रही थी लेकिन वहा उसकी मदद करने वाला कोई नहीं था

निशा ने उस हैवान से अपने आप को बचाने की काफी कोशिश की हाथापाई भी की उसके प्राइवेट पार्ट पर वार भी किया जिसने मैथ्यू को और भड़का दिया उसने गुस्से मे निशा का गला घोंट कर उसे मार डाला, उसने मुझे ये भी कहा था के उसका प्लान तो निशा की बॉडी की डील करना था वो उसे बेचने वाला था लेकिन अब मरने के बाद वो उसके किसी काम की नही थी उसका शरीर उसके लिए बस मास का टुकड़ा था जो जानवरों को खाना खिलाने के काम आता

जब तक पुलिस ना आ गई वो अपनी काली करतूते बताता गया, मैंने उसके जैसा घटिया इंसान अपनी जिंदगी मे कभी नहीं देखा था, पुलिस के आते ही मैंने वो रिकॉर्डिंग पुलिस के हवाले कर दी और उन्होंने उसे अरेस्ट कर लिया, बाद मे उसे डेथ सेन्टन्स दिया गया लेकिन जाते जाते वो मुझसे कह के गया था के वो मेरी जिंदगी को जीते जी नरक बना देगा और इसमे वो कामियाब भी रहा

राघव बोलते बोलते नेहा की बाहों मे रोए जा रहा था आज इतने सालों का समेटा गुबार बाहर आ रहा था राघव किसी के साथ अपना दर्द बाँट रहा था

राघव- उसके कॉलेज मे कुछ लोग थे जिन्होंने मेरा आखरी तक पीछा नही छोड़ा और मुझे ही निशा का कातिल बना दिया, सच सबको पता था लेकिन ब्लैम मुझे किया गया के अगर मैं उस दिन निशा से नही लड़ता तो शायद... शायद उसका रेप नहीं होता, शायद वो आज जिंदा होती मेरी क्या गलती थी नेहा.. मैं तो बस अपनी दोस्त को बचाना चाहता था ना,

बाद मे तो ये बाते होने लगी थी के मैं भी उस प्लान मे शामिल था, उन लोगों ने मुझे ब्लैम करने का एक मौका भी नहीं छोड़ा, और मैं उस गिल्ट मे धसता गया, और सबसे ज्यादा तकलीफ मुझे दी निखिल ने जिसे मैं अपना दोस्त मानता था जब उसने भी इस सब का दोष मुझे दिया मैं टूट चुका था और मुझे संभालते हुए विशाल की हालत खराब हो रही थी, मुझे किसी की कोई परवाह नहीं थी बस सबसे ज्यादा तकलीफ मुझे निखिल ने दी थी, वो निशा को चाहता था और उसका मेरे निशा के करीब रहना पसंद नहीं था ये बात मुझे बाद मे पता चली, उसने मुझे ही निशा की मौत का दोषी ठहराया और उसने मुझे अवॉइड करना शुरू कर दिया, मैंने उस दौर मे बहुत कुछ खोया है नेहा और लोगों पर भरोसा करना भी, उस दिन किसी के प्यार की वजह से दोस्ती टूटी थी और किसी के अंधे प्यार की वजह से एक जान गई थी

मेरे... मेरे पास उस वक्त कोई नहीं था जिससे मैं ये सब शेयर करू विशाल था, उसने कभी इसमे मेरा साथ नहीं छोड़ा, लेकिन वो हर वक्त मेरे साथ नहीं रह सकता था उसकी भी अपनी लाइफ थी वो भी तो उस वक्त कॉलेज मे ही था और आखिर मैं डिप्रेशन का शिकार हो गया, जब शेखर वहा आया तो उसके और विशाल की वजह से मेरी हालत थोड़ी ठीक हुई, कॉलेज मे शेखर के सामने जब कोई मुझे कुछ कहता तो शेखर उससे लड़ पड़ता लेकिन मैं उसे रोक देता क्युकी लड़ने का कोई मतलब नहीं था

मैंने भी अपने दिमाग के किसी कोने मे सोच लिया था के कही न कही इस सब के लिए मैं ही जिम्मेदार हु, मैं उसे बचा सकता था मैंने दोस्ती का फर्ज नहीं निभाया था, मुझे उसी दिन वापिस उसके घर जाना चाहिए था उसका खयाल रखना चाहिए था लेकिन मैंने वैसा नहीं किया अगर मैं उस दिन वहा चला जाता तो शायद... शायद आज वो मेरे साथ होती, हमारे साथ होती हमारे बीच होती

मुझे उस वक्त हर 2 दिन मे पैनिक अटैक आते थे, मेंटल हेल्थ एकदम ही बिगाड़ चुकी थी पर इतने सब मे भी इस सब की खबर घरवालों को नही थी, मेरा ट्रीट्मन्ट शुरू हो चुका था और जब मैं थोड़ा रिकवर हुआ तब मैं भारत लौट आया,

मैं अकेला रहता था, मैंने लोगों से बात करना बंद कर दिया था क्युकी मैं डरता था और मैं ऐसा बन गया

राघव नेहा के गले लग रोए जा रहा था,

राघव- शायद ये कई लोगों के लिए बहुत बड़ी बात ना हो लेकिन जिसके साथ ये होता है उसके लिए ये बहुत बड़ी बात होती है रोज टौंट सुनना, लोगो का तुम्हे उस बात के लिए अक्यूज़ करना जिसे तुमने किया नहीं है तुम्हें कातिल मानना, जिस बात को तुम भूलने की कोशिश कर रहे हो बार बार उसी बात को तुम्हें याद दिलाते रहना और ऐसे मे मजबूत से मजबूत दिमाग वाला आदमी भी डिप्रेशन मे चला जाएगा, मैं भले ऊपर से कितना ही मजबूत बन लू लेकिन ये बाते मुझे आज भी अफेक्ट करती है, वो शब्द आज भी मेरे कानों मे गूँजते है

शब्दों मे बहुत ताकत होती है, शस्त्रों से ज्यादा गहरे घाव शब्द दे जाते है जो कई बार आपका मानसिक संतुलन तक हिला देते है

राघव- रोज मैं नॉर्मल राघव बनने की कोशिश करता हु लेकिन वो राघव वो अब बदल चुका था वो एक घमंडी, गुरूर वाला, गुस्सैल आदमी बन चुका था जिसे बस लोगों पर चिल्लाना आता है, उन्हे तकलीफ देना आता है क्युकी वो खुद तकलीफ मे था

राघव की नजरे नेहा की नजरों से मिली

राघव- तुम्हारा राघव ऐसा नहीं है नेहा उस घटना ने मुझे ऐसा बना दिया है, तुम ही मुझे बताओ मैं कैसे....... कैसे प्यार पर यकीन कर लू जब मैंने अपनी सबसे अच्छी दोस्त को उसी के हाथों मरते देखा है जिससे वो प्यार करती थी? मैं कैसे किसी पर यकीन करू जब मैंने उस यकीन को पहले ही बिखरते देखा है? मैं आज भी उसे मिस करता हु, मुझे बताना नही आता इसका ये मतलब नहीं की मुझे तकलीफ नहीं होती, मैं रोज उस गिल्ट के साथ जी रहा हु के शायद.... शायद मैं उसे बचा सकता था

मुझे कोई फरक नहीं पड़ता के लोग क्या बोलते है क्या सोचते है मैंने उनमे से किसी के साथ कॉलेज के बाद कोई कान्टैक्ट नहीं रखा, लेकिन निखिल, मुझे उसकी बातों ने सबसे ज्यादा तकलीफ दी है , मैं उससे कॉलेज के बाद मिला हु लेकिन उससे कभी बात करने की हिम्मत ही नहीं हुई, मैंने उसकी आँखों मे मेरे लिए नफरत तो नहीं देखि लेकिन डरता हु के कही वो वापिस मुझे किलर न कहने लगे, तुम बताओ के क्या मैं निशा की मौत का जिम्मेदार हु?? अगर मैं मेरी दोस्त को ही नहीं बचा पाया तो अपनी फॅमिली को कैसे संभालूँगा??

बोलते बोलते राघव की आवाज कांप रही थी, वही नेहा को अब उसकी और भी ज्यादा चिंता हो रही थी, उसने राघव को ऐसी हालत मे कभी नही देखा था राघव इस वक्त पूरी बिखरी हालत मे था....

क्रमश:
Mathew tow bada hi kameena isan tha saale Nisha k saath balatkar kia or maar bhi dia shayad ager Nisha uske private part per na Marti tow Mathew uska gala daba ker na Marta lekin jo likh gaya h use badla bhi tow nahi jaa sakata
Ab iss sabne Raghav ki koyi galti nahi nazer aa rahi jo khud ko kasoorwar samajh raha h tumne apni taraf se poori koshis tow ki na jab usko tumhari baat per yakeen hi nahi huwa tow Tum kia ker sakte ho
Baherhal ab Neha k liye yeh bahot kadi pariksha ka samay h Raghav ko sambhalne ka
Dekhte kaise kerti h or nikhil ko tow sabka achche milna chahiye dosti ka
Behtareen update bhai
 

Naik

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Update 59




नेहा ने राघव के आँसू पोंछे और उसका चेहरा अपने दोनों हाथों मे थामा और उसे अपनी ओर देखने कहा

नेहा- मेरी बात आप ध्यान से सुनिए राघव, मैं जानती हु आपने बहुत कुछ खोया है, आपने उस इंसान को खोया है जो आपके दिल के बहुत करीब था, मैंने भी खोया है लेकिन इसका ये मतलब नहीं है के आप उसका दोष अपने आप को दोगे, आपसे जो कुछ भी हो सकता था उसे बचाने आपने वो सब कुछ किया है, लेकिन कभी कभी कुछ चीज़े हमारे बस मे नहीं होती है, आपने निशा को न्याय दिलाया है राघव उस राक्षस को सजा दिलवा कर आपने निशा को न्याय दिलाया है और ना सिर्फ निशा को बल्कि उन तमाम लड़कियों को जिनके साथ उसने गलत किया था, साथ ही आपने उन लड़कियों को बचाया है जिन्हे वो आगे फसाता, अगर आप उसे पुलिस से नही पकड़वाते तो वो आज भी वही कर रहा होता, रही बात उन लोगों की जो आपको जज कर रहे थे वो इंसान नहीं बल्कि इंसान का शरीर लिए जानवर है जिन्होंने बगैर किसी बात को जाने के आपको ब्लेम किया, ऐसे लोगों को बस एक टॉपिक चाहिए होता है जिसपर जब वो बोर हो जाए तो बात कर सके और कुछ दिनों बाद भूल जाए आपको अपने आपको ऐसे लोगों को प्रूव करने की जरूरत नहीं है जो कोई मायने नहीं रखते है

नेहा- और आप किलर नही है!! ये बात आप अपने दिमाग मे फिट कर लीजिए, आपके दिमाग मे बसी ये बात आपके नही बल्कि उन लोगों के दिमाग की उपज है जिन्हे अपनी रोजमर्रा की जिंदगी मे कुछ मसाला चाहिए होता है, ऐसे लोगों की सोच को अपने आप पर हावी मत होने दीजिए

नेहा- और जब आप किसी से इस बारे मे बात ही नहीं करेंगे तो आपकी मेंटल हेल्थ कैसे ठीक होगी! आपको अपने अंदर से इस सब को बाहर लाना होगा राघव, आपको अपने इस डर को फेस करना होगा, जब आपने किसी का बुरा नहीं किया तो कोई आपका बुरा कैसे कर सकता है, निशा आपको अपनी मौत का जिम्मेदार मानते देख रही होगी तो उसे भी बुरा लग रहा होगा क्युकी आपकी इसमे कोई गलती नहीं है

नेहा- और मेरा राघव न तो सेल्फिश है न ही हार्ट्लेस, आप बहुत अच्छे हो और मै अपने आप को खुशनसीब समझती हु जो आप मेरी जिंदगी मे आए, जो हुआ सो हुआ वो सब बीती बाते है आपको उन्हे भूलना होगा और साथ ही अपने अतीत से लड़ना भी होगा, उन लोगों को उनके शब्दों को भूल जाइए लेकिन उनका सामना कीजिए, आपने ऐसा कुछ नहीं किया जो आपको ऐसे लोगों से बचना पड़े

नेहा ने राघव की आँखों मे देखते हुए उसे अच्छे से समझाया वही राघव बड़े ध्यान से उसकी बात सुन रहा था

नेहा- मुझसे वादा कीजिए के अगली बार आप जब भी उनसे किसी से मिले, उनका सामना करे ना की उनसे दूर भागे और आप मुझसे कोई बात नहीं छुपाएंगे

नेहा ने अपना हाथ राघव के आगे किया, राघव ने कुछ समय तक नेहा के हाथ को देखा और फिर मुंडी हिला कर उसे वादा किया जिससे नेहा के चेहरे पर मुस्कान आ गई

राघव- मैं उस वक्त हमेशा इस शादी से भागता रहा, सबको लगा शायद मैं तुम्हें पसंद नहीं करता इसीलिए मैं दूर दूर रहता हु पर किसी ने कभी रीज़न पूछा ही नहीं, किसी ने मुझसे नहीं पूछा के मेरे ऐसे बर्ताव का रीज़न क्या है

राघव- सबको लगा मैं कितना गलत हु जो तुम्हारे साथ सही बर्ताव नहीं करता तुमसे दूर भागता हु लेकिन कोई इसके पीछे की वजह नहीं जानता था, हा जो जानते थे उन्होंने मुझे बहुत समझाया, विशाल तो लिटेरली मुझसे लड़ लिया था जब मैं शादी के अगले दिन उसके पास पहुचा था, मेरे अतीत मे जो कुछ भी हुआ उसकी वजह से मैं किसी रिश्ते हो अपनाने, किसी पर पूरी तरह भरोसा करने तयार ही नहीं था, वो तो किस्मत से मुझे तुम मिल गई, मैं बहुत ज्यादा डरपोक हु नेहा, और मैं थक चुका हु भागते हुए

राघव- लोगों ने मुझे बिना जानते हुए जज किया, और मैं अपने आपको बदल तो नहीं सकता था, एकदम से तो नहीं और मैं तुमसे भी यही चाहता हु, तुम जैसी हो एकदम पएफ़ेक्ट हो, कभी भी किसी के लिए भी अपने आपको मत बदलना

राघव आज नेहा से अपने दिल की बात कर रहा था

नेहा- आप बहुत अच्छे है राघव भले कोई कुछ भी कहे सोचे मुझे फरक नहीं पड़ता और जब आप मुझसे ना बदलने के लिए कह रहे है तो आप अपने आप को क्यू बदल रहे है? आप जैसे हो मुझे आपसे वैसे ही प्यार है और मैं इस राघव देशपांडे के साथ अपनी पूरी जिंदगी बिताना चाहती हु

अब तक राघव का रोना रुक गया था और वो ध्यान से नेहा की बात सुन रहा था और उसके हर के शब्द के साथ उसका मूड और अच्छा हो रहा था, उसके मन से एक बोझ सा हल्का हो गया था और अब नेहा को सब कुछ बताने के बाद राघव अच्छा महसूस कर रहा था

नेहा- मैंने डेविल.... मतलब सीरीअस राघव को देखा है, बेबी राघव को भी देखा है और ईमोशनल राघव को भी बट अभी मुझे मेरा बेबी राघव चाहिए क्युकी वही सबसे ज्यादा क्यूट है

नेहा ने राघव का मूड अच्छा करने कहा और राघव के चेहरे पर स्माइल आ गई, नेहा को अपने साथ पाकर इस वक्त राघव दुनिया का सबसे खुश आदमी था, जिस गिल्ट मी वो जी रहा था वो पूरी तरह नही पर कुछ हद्द तक काम जरूर हो गया था, दोनों एकदूसरे के बाजू मे बैठे थे एकदूसरे की आँखों मे देखते हुए, नेहा ने राघव की आँखों मे देखा जो उसकी आँखों से उसके होंठों के बीच घूम रही थी और उसने अपने निचले होंठ को दातों से दबाया, धीरे धीरे राघव के होंठ नेहा के होंठों के करीब बढ़ रहे थे

राघव की गरम साँसे नेहा अपने चेहरे पर महसूस कर रही थी जो उसकी साँसे बढ़ा रही थी, धीमे से राघव ने अपने होंठ नेहा ने होंठों से टिकाए, और हल्के हल्के उसे किस करने लगा... वो दोनों अपने मे खोए हुए थे के तभी उन्हे नीचे से किसी के आने का आवाज आया

उन्होंने अपना किस तोड़ा तो नेहा ने शर्मा के अपनी पलके झुका ली

राघव- मैं देख के आता हु कौन आया है!!

राघव ने उठते हुए कहा औ जल्दी से वहा से निकला ताकि नेहा उसके लाल होते गाल ना देखे और नेहा भी मुस्कुरा कर उसके पीछे नीचे आई तो घर वाले सब गणपती दर्शन से लौट चुके थे और लिविंग रूम मे थे, सभी लोग काफी थक चुके थे और विवेक और रिद्धि तो अपने अपने कमरों मे जा चुके थे

जानकी- राघव तुम कब आए??

जानकी जी ने जब अपने बेटे को वहा देखा तो पुछ लिया

राघव- अभी बस 1 घंटे पहले ही आया हु मा

शेखर- यस! यस!

शेखर ने हसते हुए कहा

धनंजय- तुम्हें पता था राघव आज आ रहा है? तुमने बताया नहीं?

शेखर- सप्राइज़! वो डैड भाई सप्राइज़ देना चाहता था बस इसीलिए, हैना भाई?

शेखर ने राघव को देखते हुए कहा और राघव को फसा दिया क्युकी इसपर राघव के पास बोलने को कुछ नहीं था

गायत्री- सच मे??

दादी ने राघव और नेहा को देखते हुए पूछा क्युकी उनका पोता ऐसे सप्राइज़ देगा इसकी उनको कम ही उम्मीद थी

राघव- वो... दादी...

शिवशंकर- अरे ठीक है राघव! हम समझते है

मीनाक्षी- मुझे लगता है हमे सोना चाहिए अब बहुत लेट ही चुका है

मीनाक्षी जी ने कहा जिसके बाद सब अपने अपने कमरों मे चले गए और जब राघव और नेहा अपने कमरे मे जा रहे थे तो नेहा रुक गई

राघव- क्या हुआ??

नेहा- आप चलो मैं अभी आई

इतना बोल के नेहा वहा से जाने ही वाली थी के राघव ने उसकी कलाई पकड़ ली

राघव- अरे लेकिन जा कहा रही हो

नेहा- बाद मे बताऊँगी मैं बस 1 मिनट मे आई आप तब तक जाकर चेंज कर लीजिए

इतना बोल के नेहा वहा से चली गई और राघव अपने कमरे मे आया

नेहा ने जाकर सीधा शेखर और श्वेता के कमरे का दरवाजा खटखटाया और श्वेता ने दरवाजा खोला

श्वेता- भाभी आप यहा??

नेहा- शेखर कहा है श्वेता?

तभी शेखर बाथरूम से बाहर आया

शेखर- क्या हुआ भाभी मैं यहा हु

नेहा- तुम्हारे पास वो गेस्ट्स की लिस्ट है वो पहले दिन की पूजा मे आए थे?

शेखर- हा! क्यू क्या हुआ??

नेहा- उस दिन तुम्हारे लंदन यूनिवर्सिटी से कौन आया था पूजा मे??

शेखर- भाभी वो...

नेहा- बताओ शेखर

शेखर- भाभी उसका नाम निखिल है

निखिल का नाम आते ही नेहा सब समझ गई के क्यू राघव उस दिन वैसे चला गया था, उसने उस इंसान को देखा था जिसने उसे सबसे ज्यादा तकलीफ दी थी उसका एकमात्र डर

नेहा- मैं चाहती हु तुम उसे विसर्जन पर भी बुलाओ, बुलाओगे??

शेखर- भाभी लेकिन भाई?? मैं तो उसे पहले दिन भी नहीं बुलाना चाहता था लेकिन बड़े पापा ने उसे बुलाया

नेहा- मुझे सब पता है शेखर बस उसे बुला लो बाकी तुम्हारे भाई देख लेंगे

शेखर- ठीक है आप कहती है तो बुला लेता हु बट प्लीज ऐसा कुछ मत करो जिससे भाई को तकलीफ हो

नेहा- अब सब सही होगा शेखर

इतना बोल के नेहा वहा से चली गई और अपने रूम मे आई तो उसने देखा के राघव चुप चाप बेड पर बैठा था नेहा उसके बाजू मे जाकर बैठ गई लेकिन राघव का उसपर ध्यान ही नहीं था इसीलिए उसने अपना गला खखारा जिससे राघव अपने खयालों से बाहर आया

राघव- तुम कब आई??

नेहा- बस अभी अभी। आप क्या सोच रहे थे?

राघव- कुछ नहीं सोच रहा हु इस बार विसर्जन पर अपने इस गिल्ट का भी विसर्जन कर दु

राघव की बात सुन नेहा की आँखों मे भी चमक आ गई उसके बगैर कुछ कहे ही राघव इस बारे मे सोच चुका था

राघव- छोड़ो अभी ये सब

राघव ने अपना सर झटका और नेहा को अपने करीब खिचा और बेड पर लेटा

राघव- मैंने ऐसे चिपक के सोने को बहुत मिस किया है

राघव ने कहा जिसपर नेहा हस दी

राघव- वैसे गई कहा थी तुम??

नेहा- आपको मुझपर भरोसा है??

राघव- खुद से भी ज्यादा

नेहा- बस तो आपको जल्दी पता चल जाएगा

नेहा ने उसके बालों मे हाथ घुमा दिया और राघव ने उसकी तरफ देखा और देखता ही रहा.....

क्रमश:
Neha :: zinda baad
Neha :: zinda baad
Sala aisi biwia sabko mil jaye tow life sawer jaye
Itne pyar itne itminan se samjhaya ki ager samne wala na bhi samjhna Chahta ho tow tab bhi samjhna hi pade
Neha bhi wahi kaha jo ham sab readers keh rehe tha ki is sab me Raghav ki koyi galti nahi tumne apni taraf se koshish tow ki thi lekin woh kehte h ki jiska time poora ho gaya tow use Jaana tow hi h
Bas ab Raghav ko in sab bhediyo ka samna datke kerna apne dar ko khatam kerne k liye
Ab dekhte h viserjan k din Ragahv kaise pesh aata h Nikhil se
Behahd shaandar lajawab update bhai
 
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