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नेहा- श्वेता तुम्हें क्या मिल जाएगा ये सब करके क्यू परेशान कर रही हो रहने दो ना..
नेहा ने श्वेता से रिक्वेस्ट करते हुए कहा जो उसे अपने साथ ऑफिस ले जा रही थी, श्वेता को ऑफिस मे शेखर के साथ लंच करना था लेकिन वो अकेले नहीं जाना चाहती थी इसीलिए उसने नेहा को अपने साथ चलने के लिए मना लिया था और इसी के लिए नेहा उसे ना कर रही थी
श्वेता- भाभी आपको भईया के साथ टाइम स्पेन्ड करने का मौका मिल रहा है और मुझे शेखर के साथ तो इन्जॉय कीजिए ना क्यू इतना भाव खाना, मुझे पता है भईया के बिजी शेड्यूल की वजह से आपको साथ मे वक्त बिताने का मौका नहीं मिल पाता।
श्वेता ने एकदम मासूम बनते हुए नेहा से कहा मानो उसने कोई प्लान बनाया ही ना हो और नेहा को अपनी बात से कन्विन्स करने लगी
नेहा- वो... वो अभी बिजी होंगे श्वेता, तुम जाओ न शेखर के साथ टाइम स्पेन्ड करो
श्वेता- आरे चलो ना भाभी, हम बस साथ मे लंच करेंगे और वापिस आ जाएंगे अब बस हा पहुचने वाले है हम
‘तुम नहीं जानती श्वेता उन्हे ये पसंद नहीं आएगा, वो एक स्मार्ट हॉट और हैंडसम पिशाच है खून पी जाएंगे मेरा’ नेहा ने अपने नाखून चबाते हुए मन ही मन सोचा
जब वो दोनों ऑफिस पहुची सबने उन्हे अच्छे से ग्रीट किया और वो आगे बढ़ गई
श्वेता- भाभी आप पापा और बड़ेपापा को बुला लीजिए मैं राघव भईया और शेखर को बुला लेती हु और फिर आप भी राघव भईया के केबिन मे आ जाइए
श्वेता की बात सुन नेहा ने एकदम से हा मे गर्दन हिला दी, वो तो बस इस बात से खुश थी के कंपनी मे आते आते ही उसे राघव को फेस नहीं करना पड़ेगा।
नेहा अपने रास्ते चली गई और श्वेता शेखर के केबिन की ओर चली गई
श्वेता- बेब....
बोलते बोलते श्वेता रुक गई, वो जब केबिन को बगैर नॉक किए खोल रही थी उसने देखा के कोई शेखर से बात कर रहा है और जब उन्होंने श्वेता की आवाज सुनी तो वो लोग उसकी ओर देखने लगे, वो आदमी श्वेता को देख मुस्कुराया और फिर शेखर से बोला
आदमी- मैं बाद मे आता हु सर इतना भी इम्पॉर्टन्ट काम नहीं है..
इतना बोल के वो आदमी अपनी फाइल लेकर वहा से चला गया और शेखर श्वेता के करीब आया और उसके कमर के हाथ डाल के उसे अपने करीब खिचा
शेखर- हैलो हनी..
लेकिन शेखर आगे कुछ बोलता या कुछ करता उससे पहले ही श्वेता ने उसके होंठों पर उंगली रख कर उसे रोक दिया
श्वेता- मेरे प्यारे पतिदेव ये प्यार भरी गुलुगुलू हम घर पर करेंगे अभी हमे और भी इम्पॉर्टन्ट काम करने है
जिसके बाद शेखर के दिमाग की बत्ती जली
शेखर- हा हा चलो
--x--x--
राघव अपने केबिन मे अपने एक क्लाइंट से बात कर रहा था।
राघव- मिस्टर नायर आप बिल्कुल निश्चिंत रहे हमारी कंपनी आपको शिकायत का मौका नहीं देगी वी विल डू आर बेस्ट।
नायर- जानता हु मिस्टर देशपांडे इसीलिए तो ये प्रोजेक्ट मैंने आपको सौपा है, आपके साथ काम करके खुशी होगी।
डील फाइनल होते साथ ही राघव ने उनके साथ हाथ मिलाया और फिर राघव का अससिस्टेंट नायर को लेकर केबिन के बाहर चला गया और राघव अपनी खुर्ची पर आकार बैठा ही था के राघव को अपने केबिन का दरवाजा खुलने का आवाज आया, ऐसे बगैर इजाजत के कौन आया है ये देखने राघव उस ओर मूडा तो उसने देखा के शेखर उसके केबिन मे आ रहा है और वो बस शेखर को बिना नॉक किए आने के लिए डाटने ही वाला था के उसने देखा के उसके साथ श्वेता भी है तो वो चुप हो गया और शेखर को देखने लगा
शेखर- क्या? ऐसे क्या देख रहे हो हम नही आ सकते क्या?
शेखर ने राघव के इक्स्प्रेशन देखते हुए पूछा
राघव- आ तो सकते हो लेकिन क्या है ना तुम मेरे पास बगैर किसी रीज़न के नहीं आते..
श्वेता- वो भईया हमने सोच के क्यू न लंच साथ किया जाए इसीलिए चले आए
इससे पहले की शेखर कुछ उलजुलूल बात करता श्वेता ने बात संभाल ली जिसपर राघव ने भी हा मे गर्दन हिला दी और राघव की नजरे दरवाजे ही ओर घूम गई मानो किसी को वहा तलाश रही हो पर वहा कोई नहीं था
राघव - तुम अकेली आयी हो?
श्वेता- भईया आप किसी और की राह देख रहे थे क्या?
राघव- छे छे बस ऐसे ही पुछ लिया
शेखर और श्वेता दोनों की जानते थे के राघव किसके बारे मे पूछ रहा था उन्होंने एकदूसरे को देख स्माइल पास की और राघव को देखने लगे
शेखर- भाई मुझे लगता है आपको भाभी को बुला लेना चाहिए
राघव- क्यू?
शेखर- क्यू मतलब, फिर आप भाभी को मिस नहीं करेंगे ना और उन्हे भी आपसे बात करके अच्छा लगेगा
राघव ने शेखर को पूरा इग्नोर कर दिया और बोला
राघव- हमे लंच कर लेना चाहिए, मुझ उसके बाद बहुत काम करने है।
राघव ने सोफ़े की ओर जाते हुए कहा
शेखर- भाई आपके पास भाभी का फोन नंबर नहीं है क्या?
शेखर के सवाल ने राघव को अपनी जगह पर रोक दिया
राघव- शेखर बेहतर होगा अगर तुम अपने ये सवाल जवाब बंद करो और खाना खाओ
राघव ने कहा और सोफ़े पर बैठ कर अपना फोन चलाने लगा वही शेखर और श्वेता ने ‘इनका कुछ नहीं हो सकता’ वाले लुक के साथ एकदूसरे को देखा
श्वेता- एक मिनट, मुझे पहले भाभी को कॉल करने दो वो मुझे ढूंढ रही होंगी
श्वेता ने नेहा को कॉल लगाते हुए कहा और नेहा के बारे मे सुन के राघव ने झटके के साथ उन दोनों को देखा
राघव- तुमने ऑफिस आने के पहले किसी को बताया नहीं?
श्वेता- बताया था भईया और भाभी भी यही है वो पापा और बड़े पापा को बुलाने गई है
शेखर- लेकिन पापा और बड़े पापा तो लंच के लिए हमारे बिजनेस पार्टनर्स के साथ बाहर गए है फिर भाभी कहा है?
शेखर ने मासूम बनते हुए पूछा मानो उसे कुछ पता ही ना हो
राघव- तुमने उसे अकेला छोड़ दिया??
राघव ने श्वेता से पूछा, उसका चेहरा तो इक्स्प्रेशन लेस था लेकिन आवाज मे टेंशन साफ दिख रहा था, उसे तीन दिन पहले वाला किस्सा याद आ गया
राघव- तुम्हें उसके साथ रहना चाहिए था श्वेता तुम ऑफिस पहले भी आ चुकी हो लेकिन उसके लिए यहा सब नया है तुम जानती हो ना वो ऑफिस नहीं आती है फिर कैसे तुमने...?
राघव अपनी जगह से उठा और दरवाजे की ओर जाने लगा मानो ऑफिस मे आग लग गई हो और उसे ऐसे नेहा की चिंता करता देख शेखर और श्वेता मुस्कुराने लगे, राघव ने दरवाजा खोला और आगे बढ़ने ही वाला था के वो किसी से टकरा गया नतिजन उस बंदे का बैलेंस बिगड़ गया और वो गिरने ही वाली थी के राघव ने उसे कमर से पकड़ लिया
राघव ने उस शक्स को देखा तो वो कोई और नहीं बल्कि नेहा ही थी और वो भी उसकी बाहों मे उसके इतने करीब की दोनों की साँसे एकदूसरे से टकरा रही थी, राघव ने नेहा को अपनी तरफ खिचा जिससे नेहा ने अपनी आंखे बंद कर ली और वो बस नेहा के चेहरे को देखता रहा, कुछ पल बाद नेहा ने अपनी आंखे खोली और राघव को देखा और वो दोनों एकदूसरे की आँखों मे खो गए
ये पहली बार था जब नेहा ऐसे राघव की बाहों मे थी, पहली बार उसे नेहा की फिक्र हो रही थी पहली बार उसने नेहा को ऐसे देखा था पहली बार राघव को ऐसा लग रहा था मानो ये पल यही रुक जाए और वो सारा दिन नेहा हो ऐसे ही देखता रहे लेकिन उनका ये खूबसूरत मोमेंट तब टूटा जब उन्होंने किसी के गला खखारने की आवाज सुनी और राघव वापिस वर्तमान मे लौट आया और नेहा को सही से खड़ा करके बाजू मे हट गया
शेखर- मुझे लगता है हमने आपका मोमेंट डिस्टर्ब कर दिया भाई
शेखर ने बड़ी स्माइल के साथ कहा लेकिन राघव ने इस बार भी उसे इग्नोर कर दिया और बोला
राघव- अब लंच कर ले
वही श्वेता ने नेहा को देखा और बोली
श्वेता- हा हा, भईया भाभी अपना मोमेंट खाने के बाद बना लेंगे, हैना भाभी?
श्वेता ने नेहा को देखते हुए कहा जो वहा किसी पुतले की तरह खड़ी थी और अभी हुआ सीन पचाने की कोशिश मे थी।
राघव ने अपनी आँखों के कोने से नेहा को देखा जो अब भी वही खड़ी थी और उसने श्वेता की बात पर भी कुछ रिएक्ट नहीं किया था
श्वेता- भाभी!
नेहा- हूह? क्या.. क्या हुआ?
नेहा अब अपनी खोई हुई दुनिया से बाहर निकली
शेखर- आपको क्या हुआ है? चेहरा देखो अपना लाल हुआ जा रहा है, मुझे नहीं पता था के भाई का आप पर ऐसा असर होता है l
शेखर राघव और नेहा के मजे लेने की पूरी कोशिश मे था लेकिन उसे वैसा रिस्पॉन्स ही नहीं मिल रहा था और राघव उसे ऐसे देख रहा था जैसे वो दूसरे ग्रह से आया हो
नेहा- नहीं!
श्वेता- नहीं मतलब ?
नेहा- नहीं! मतलब हा.. नहीं अरे यार....
नेहा कन्फ्यूज़ भी थी और नर्वस भी इन दोनों के सवाल खतम ही नहीं हो रहे थे वही राघव भी उसे देख रहा था जिससे नेहा और ज्यादा नर्वस फ़ील कर रही थी
नेहा- लंच कर ले?
नेहा ने बात बदलते हुए कहा और सोफ़े ही तरफ आ गई और खाना परोसने लगी वही शेखर और श्वेता दोनों के हर मूव को देख रहे थे।
श्वेता ने शेखर को देख कर आँख मारी और शेखर ने भी थम्ब्सअप करके प्लान के पार्ट 2 को आगे बढ़ाने कहा।
नेहा और राघव अपना अपना खाना खा रहे थे या यू कहे निगल रहे थे, क्यू? क्युकी जो दूसरा कपल वहा मौजूद था वो एकदूसरे को अपने हाथों से खाना खिला रहा था एक परफेक्ट कपल की तरफ, जिससे ये दोनों थोड़ा असहज महसूस कर रहे थे उनका परफेक्ट बॉन्डिंग देख कर
शेखर- भाई क्या अकेले खा रहे हो यार भाभी को खिलाओ आपके हाथ से
राघव- तू अपना खाना खा हम ऐसे ही ठीक है
राघव ने कहा जिससे नेहा हो थोड़ी तकलीफ हुई, ये तो साफ था के वो ऐसे नहीं रहना चाहती थी, उसकी भी राघव ने कुछ अपेक्षाएं थी, वो उन दोनों का रिश्ता सुधारणा चाहती थी, वो राघव से उसकी इच्छाये जानना चाहती थी लेकिन राघव के गुस्से से डरती थी, राघव ने कभी उससे बगैर काम के बात नहीं की थी वो तो उसे ऐसे इग्नोर करता था जैसे नेहा वहा हो ही ना जिससे नेहा को और भी ज्यादा तकलीफ हो रही थी, राघव ने नेहा के लिए जो कुछ भी किया था दादू के कहने पर किया था ना की दिल से।
यही सब बाते सोचते हुए नेहा की आँखों से आँसू बहने लगे, शेखर और श्वेता जो एकदूसरे से लगातार बाते कर रहे थे वो नेहा को देख रुक गए, उनकी स्माइल नेहा को देख गायब हो गई थी और रूम मे एकदम से छायी शांति से राघव ने अपनी प्लेट से ध्यान हटा कर ऊपर देखा तो उसकी नजरे भी रोती हुई नेहा पर पड़ी
श्वेता- भाभी क्या हुआ ?
श्वेता ने पूछा, वो नेहा को इन सब में हर्ट नहीं करना चाहती थी
शेखर- भाभी क्या हुआ है बताइए ना? आप ऐसे रो क्यू रही है?
लेकिन नेहा कुछ नहीं बोली और वहा से उठ कर जल्दी जल्दी रूम के बाहर भाग गई, शेखर ने नेहा को रोकने की कोशिश की लेकिन तब तक नेहा वहा से जा चुकी थी
श्वेता- मैं जाती हु भाभी के पीछे।
इतना बोल के श्वेता भी नेहा के पीछे चली गई
शेखर- भाई! भाभी! आपने रोका क्यू नहीं उन्हे वो रो रही थी, जाओ भाई रोको उनको शी नीड्स यू...
लेकिन राघव अपनी जगह ने नहीं हिला वो बस अपनी जगह पर खड़ा सर झुकाए जमीन को देखता रहा और राघव के इस बर्ताव से अब शेखर को गुस्सा आ रहा था।
शेखर- भाई क्या करना चाहते हो? भूलो मत पत्नी है वो आपकी और आप उनके साथ ऐसा बर्ताव कर रहे हो? मुझे लगा था आपमे कुछ चेंजेस आए होंगे पर नहीं, वो जब भी आपके पास आना चाहती है आप उनको अपने से दूर कर देते हो, आपको उन्हे समझना होगा भाई और आप मेरी भाभी को ऐसे परेशान नहीं कर सकते वरना...
राघव- शेखर.. ये हमारा पर्सनल मैटर है तुम इससे दूर रहो और अब जाओ काम करने है मुझे
राघव ने रुडली शेखर को वहा से जाने कहा और शेखर भी जानता था के राघव से बात करने का कोई फायदा नहीं है उसे नेहा से ही बात करनी होगी
‘अब कैसे समझाऊ भाभी को, ये भाई भी सुनने को तयार ही नहीं यार क्या करने चले थे और क्या होगया लगा था सब ठीक कर देंगे लेकिन ये अलग रायता फैल गया अब कैसे समेटु इसको... शायद मैं जानता हु भाई ऐसा बिहेव क्यू कर रहा है, मुझे लगा था भाई वो सब भूल गया होगा लेकिन नही उसकी गाड़ी अब भी वहा अटकी है, लगता है अब भाभी को सब सच बताना ही पड़ेगा उन्हे सब कुछ जानने का अधिकार है।’
शेखर ने अपनी सोच मे गुम राघव के कैबिन का दरवाजा खोला तो सामने खड़े शक्स को देख वो थोड़ा चौका, उसके सामने राघव का सबसे अच्छा दोस्त विशाल खड़ा था और विशाल को देख के साफ पता चल रहा था के उसे अभी अभी हुई घटना की पूरी खबर है और वो काफी कन्फ्यूज स्टेट मे था...
अब क्या विशाल राघव को समझा पाएगा या नेहा को ही कुछ करना पड़ेगा और शेखर कैसे राघव और नेहा की नैया पार लगाएगा देखते है..
यह तो बहुत ही ज्यादा धीट इन्सान है भई, इसकी पत्नी इसके सामने से रोते हुए गयी है और यह अपनी जगह से हिला भी नहीं, बेहरहाल भाग अच्छा है शेखर और श्वेता ने कोशिश तो की पर वे उलटे घड़े में पानी डाल रहे है
‘अब कैसे समझाऊ भाभी को, ये भाई भी सुनने को तयार ही नहीं है, यार क्या करने चले थे और क्या हो गया लगा था सब ठीक कर देंगे लेकिन ये अलग रायता फैल गया अब कैसे समेटु इसको... शायद मैं जानता हु भाई ऐसा बिहेव क्यू कर रहा है, मुझे लगा था भाई वो सब भूल गया होगा लेकिन नही उसकी गाड़ी अब भी वहा अटकी है, लगता है अब भाभी को सब सच बताना ही पड़ेगा उन्हे सब कुछ जानने का अधिकार है।’
शेखर ने अपनी सोच मे गुम राघव के कैबिन का दरवाजा खोला तो सामने खड़े शक्स को देख वो थोड़ा चौका, उसके सामने राघव का सबसे अच्छा दोस्त विशाल खड़ा था और विशाल को देख के साफ पता चल रहा था के उसे अभी अभी हुई घटना की पूरी खबर है और वो काफी कन्फ्यूज स्टेट मे था.
शेखर - विशाल भाई आप?
विशाल का नाम सुन के राघव अपने केबिन से बाहर आया और शेखर राघव के वहा आता देख बगैर कुछ बोले वहा से निकल गया।
कुछ समय बाद
शेखर- भाभी प्लीज एक बार दरवाजा खोल के बस एक बार हमारी बात तो सुन लिजीए
वो लोग पिछले 10 मिनट से दरवाजा खटखटा रहे थे लेकिन नेहा कोई जवाब नहीं दे रही थी, नेहा ने घर पहुच कर अपने आप को कमरे मे बंद कर लिया था और घर के बाकी लोगों को इसकी खबर भी नहीं थी क्युकी घर मे इस वक्त कोई था ही नहीं
श्वेता- भाभी प्लीज दरवाजा खोलो
शेखर- भाभी सॉरी हम आपको हर्ट नहीं करना चाहते थे हमे नहीं पता था ऐसा कुछ होगा प्लीज दरवाजा खोलो भाभी आगे से ऐसा नहीं होगा
लेकिन जब अंदर से कोई जवाब नहीं आया तब वो लोग थक के चुप हो गए, शेखर और श्वेता वहा से जा ही रहे थे के उन्हे दरवाजा खुलने का आवाज आया लेकिन नेहा बाहर नहीं आई
शेखर और श्वेता ने एकदूसरे को देखा और रूम मे चले गए तो उन्होंने देखा के नेहा बेड पर बैठी थी, उसके चेहरे पर अब भी आँसुओ के निशान थे और वो खयालों मे खोई हुई थी
शेखर जाकर नेहा के बाजू मे उसका हाथ पकड़ कर बैठ गया और श्वेता उसके बाजू मे बेड पर जा बैठी
शेखर- भाभी..
शेखर ने धीमे से कहा
नेहा- मैं क्या इतनी बुरी हु शेखर के तुम्हारे भाई मेरी ओर देखते भी नहीं ?
शेखर- नहीं! आप... आप बेस्ट हो भाभी
नेहा- मैं थक गई हु अब चीज़े छुपाते हुए, हमारे बारे मे सबसे झूठ कहते हुए तुम्हें कुछ नहीं पता है
श्वेता- हम जानते है भाभी दादू से सब बताया है हमे।
श्वेता की बात से नेहा थोड़ी शॉक हुई लेकिन कुछ बोली नही
शेखर- हा भाभी हम सब जानते है और भाई की तरफ से मैं आपसे माफी मांगना चाहता हु
नेहा- तुम लोग क्यू सॉरी कह रहे है तुम्हारी कहा गलती है गलती तो उनकी है, पता है मैं उनसे कुछ नहीं कह पाती हु कोई बात शेयर नहीं कर सकती हु जानते हो क्यू? क्युकी भले ही हम शादी शुदा है लेकिन है अजनबी ही, उन्हे ये समझना चाहिए के मैं पत्नी हु उनकी वो अब एक बैचलर नहीं है ऐसा नहीं है के मैं उनकी फ्रीडम छीनना चाहती हु मुझे बस वो चाहिए, मुझे मेरी जिंदगी मे वो मेरे पति बनकर चाहिए ना की कोई अजनबी, जानते हो उन्होंने दादू से हमारी शादी की रात क्या कहा था.. ‘आपके कहने पर मैंने शादी कर ली और इस घर को बहु दे दी लेकिन मुझे अभी पत्नी नहीं चाहिए इसीलिए मुझसे कोई उम्मीद मत रखिएगा’ अरे वो तो पहली ही रात बाहर चले गए थे
नेहा की बात से शेखर और श्वेता दोनों शॉक थे
नेहा- मुझे भी बाकी कपल्स जैसा रहना है लेकिन मैं तो उनसे बात भी नहीं कर सकती क्युकी उन्हे ये पसंद नहीं आएगा, मैं थक गई हु उन्हे क्या पसंद आएगा क्या नहीं सोचते सोचते, हमेशा मैं ही कोशिश करू इस रिश्ते को सुधारने की? अब थक चुकी हु मैं मुझसे और नही होता।
नेहा बोलते बोलते रोने लागि और श्वेता उसकी पीठ सहला कर उसे शांत करवा रही थी वही शेखर चिंता मे नेहा को देख रहा था उसने नेहा को कभी ऐसे नहीं देखा था वो नहीं जानता था के नेहा हमेशा झूठी मुस्कान लिए रहती थी।
नेहा- हमेशा ऐसा क्यू है के मुझे ही उन्हे समझना पड़ेगा वो कभी मुझे क्यू नहीं समझ सकते? वो तो ऐसे बिहेव करते है जैसे मैं हु ही ना कहने को तो हम लाइफ शेयर कर रहे है लेकिन हम एक बेड भी शेयर नहीं करते क्युकी उन्हे अच्छा नहीं लगेगा, हमेशा सब वैसा ही होता है जैसा उन्हे चाहिए लेकिन मेरा क्या? लेकिन अब बस बहुत हो गया
नेहा रोए जा रही थी, आज वो सारी बाते बाहर निकालना चाहती थी और नेहा की बाते सुन कर शेखर की आँखों से एक आँसू निकला जिसे पोंछ कर वो बोला
शेखर- भाभी आपको कुछ बताना है मुझे, वो जिसे आपको जानने का पूरा हक है, मैं नहीं जानता मैं ये सही कर रहा हु या नहीं लेकिन मैं ये जानता हु के जो मैं आपको बताने जा रहा हु वो भाई को आपको बताना चाहिए लेकिन अब बस हो गया क्युकी मुझे नहीं लगता भाई आपको कभी वो बात बताएगा
नेहा ने उतरे चेहरे के साथ शेखर को देखा, उसकी आँखों मे अब भी आसू थे
शेखर- श्वेता मुझे बस भाभी के बात करनी है
और शेखर ने इशारे से श्वेता को वहा से जाने के लिए कहा श्वेता भी उसका इशारा समझ के वहा से चली गई
नेहा- कहना क्या चाहते हो तुम शेखर
शेखर- भाई के पास्ट के बारे मे आपको जानना चाहिए भाभी आप सभी जिस राघव को जानते है वो इससे बिल्कुल अलग है, ये गुस्से वाला, बाते काम करने वाला किसी पे भरोसा ना करने वाला मेरा भाई हमेशा ऐसा नहीं था इन सब के पीछे कुछ रीज़न है की वो ऐसा क्यू है
नेहा- तो बताओ वो ऐसे क्यू है
शेखर- उसके साथ कुछ हुआ है भाभी जिसने उसे ऐसा बना दिया है........
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(अभी नहीं बताऊँगा )
राघव के पास्ट के बारे मे सुनकर नेहा शॉक थी वो ये सब बाते नहीं जानती थी और अब उसे अपने बर्ताव पर पछतावा हो रहा था
शेखर- मैं जानता हु मैं ये बात कह कर स्वार्थी बन रहा हु लेकिन मेरे भाई को आपकी जरूरत है भाभी, मैं ये नहीं कह रहा हु के आप अपने आप को बदल दो लेकिन बस एक और बार इस रिश्ते को एक मौका दे दो, मैं जानता हु आप मेरे भाई को बदल देंगी, मेरे भाई को छोड़ के मत जाना भाभी
शेखर ने नेहा के सामने हाथ जोड़ते हुए कहा
नेहा- मुझे नहीं पता था उन्होंने इतना सब सहा है और मैं बस उनके स्वभाव की शिकायत करे जा रही थी
नेहा अब और ज्यादा रोने लागि
शेखर- मेरा भाई ऊपर से चाहे जितना टफ बन ले भाभी अंदर से वो बस एक बच्चा है जिसे हमने उस घटना मे खो दिया, भाभी बस आप ही वो हो जो उस पुराने राघव को वापिस ला सकती हो, वो कभी किसी से कुछ कहता नहीं है जो मिल जाए उसी मे खुश रहेगा वो, बगैर बात के नतीजे पर पहुच जाता है, उसे भले ही बिजनस की अच्छी समझ हो लेकिन रिश्ते निभाने के मामले मे बहुत कच्चा है वो, उसे आपकी जरूरत है भाभी और मैं जानता हु के आपने उसके पास जाने की कोशिश की तो वो रोकेगा नहीं आपको क्युकी उसे कोई ऐसा चाहिए जो उसकी केयर करे सिर्फ उसकी, जो उसे प्यार करे, कोई भी इंसान अपने पेरेंट्स से भाई बहनों से, दोस्तों से सब शेयर नहीं कर सकता उसे कोई ऐसा चाहिए जो इन सब को समझे
शेखर- वो बस आपसे इसीलिए दूर भाग रहा है क्युकी वो डरता है, वो ईमोशनली इसीलिए कनेक्ट नहीं कर पाता, उसे रिश्ते जोड़ने से डर लगता है, दादू ने कहा था उसमे थोड़ा समय मांगा है इस रिश्ते को आगे बढ़ाने लेकिन सच तो ये है के वो अपने आप को आपके लिए तयार कर रहा है, वो बताता नहीं है पर उसे चिंता है आपकी, बस उसे ये सब जताना नहीं आता बस आप उससे दूर मत जाइए।
नेहा- ऐसा सोचना भी मत के मैं उनसे दूर जाऊँगी, मुझे बस ये सब पता नहीं था लेकिन अब सब जानने के बात मैं पीछे नहीं हटने वाली, मुझे बस उनका भरोसा जितना है जो मै जीत के रहूँगी
नेहा ने अपने आँसू पोंछते हुए कहा जिसपर शेखर ने भी हा मे गर्दन हिला दी और कमरे से बाहर चल आया और नेहा सोचने लगी
‘मैंने इन्हे कैसे समझ नहीं पाई? वो पहले ही बहुत सह चुके है और उन्हे सपोर्ट करने के बजाय मैं उन्हे ही भला बुरा कह रही थी, वो बस उस बात को मन मे लिए बैठे है और मैंने भी इस बारे मे सही से कोशिश नहीं की, उन्होंने कभी बात करने की कोशिश नहीं की तो मैंने भी कभी कोई ज्यादा इंटेरेस्ट नहीं दिखाया और यही मेरी गलती थी।
मैं पत्नी हु उनकी और मुझे उनके ऐसे बर्ताव के पीछे का रीज़न जानना चाहिए था लेकिन मैं तो खुद ही बेचारी बनी बैठी रही
अगर सब ऐसे ही चलता रहा तो हमारा रिश्ता कभी नहीं सुधर पाएगा, हमने कभी बात करने चीजे सुलझाने की कोशिश ही नहीं की लेकिन अब ऐसा नहीं होगा, ये आदत किसी को तो बदलनी पड़ेगी और वो मैं करूंगी
(नोट - इस भाग में राघव और विशाल की बात चीत के कुछ अंश हो सकता है आपको समझ में ना आए क्युकी वो राघव के पास्ट से जुड़े हुए है जो कि आपको जल्द ही पता चलेगा)
दूसरी तरफ ऑफिस में शेखर के जाते ही विशाल राघव के केबिन में आया और उसने आते साथ ही राघव पर सवालों को बरसात कर दी।
विशाल - ये क्या था भाई कौन गई ये रोते हुए?
(असल में विशाल राघव की शादी में नही था तो वो नेहा को नही जानता था हा इतना जानता था के उसका दोस्त बैच्लर नहीं रहा अब लेकिन उसने नेहा को नहीं देखा था और जब बंदे का खुद का शादी मे कोई इंटेरेस्ट नहीं था तो उसमे विशाल को भी शादी कब हुई कैसे हुए बताया नहीं था जिससे विशाल उससे काफी नाराज भी हुआ था)
राघव - तू वो सब बाते छोड़ और बता आया कब तू?
विशाल - बस सुबह ही आया हु, अपना बिजनेस यहा भारत में मूव कर रहा हु तो उसी काम से आया था और बस सारे काम निपटा कर आ रहा हु रात को वापसी को फ्लाइट है लेकिन तेरी जिंदगी में क्या चल रहा ये क्या रायता फैला लिया भाई केबिन ? और बता शादी के बाद कैसी चल रही जिंदगी? भोसडीके शादी मे तो बुलाया नहीं तूने चल का भी बुलाया तारीख ही बात देता मैं बिन बुलाए ही आ जाता
राघव- फिर वही गाना...
विशाल- भाई जब तक तू दुनिया नहीं छोड़ जाता तब तक सुनना पड़ेगा तुझे ये, बाकी बात क्या चल रहा तेरे जिंदगी मे
राघव - बस ठीक है लेकिन तू बता अचानक इंडिया वापिस आना लंदन से मन भर गया क्या?
और इसके बाद राघव ने जो टॉपिक चेंज किया उसने विशाल को वापिस नेहा वाले मुद्दे पर आने ही नही दिया लेकिन अपने पहुंचते ही अपने दोस्त के केबिन से एक लड़की रोते हुए निकली उसके पीछे उसको रोकने दूसरी लड़की निकली उसके पीछे दोस्त का भाई निकला ये बात विशाल को हजम ही नही हो रही थी और आखिर में बातो बातो में रात हो चुकी थी, वो दोनो अब भी राघव के केबिन में बैठे थे और अब वहा व्हिस्की की बोतल खुल चुकी थी और बातो बातो में विशाल ने राघव से उसके और नेहा के बारे में सारी बाते जान ली थी और जैसे ही उसे पता चला के वो नेहा थी जो रोते हुए गई थी वो तो राघव पर भड़क गया।
विशाल - अबे तू आदमी है के ढक्कन है बे!! साले तेरी बीवी तेरे ऑफिस में तेरे केबिन से रोते हुए गई और तु तब से यहां मेरे साथ बैठा बकैती कर रहा, तू उठ अभी के अभी और पहले भाभी के पास जा
राघव - अरे छोड़ ना भाई ये बात तू इतने दिनो बाद आया है कहा मेरे झलेमे लेके बैठ गया और वैसे भी हम दोनो के बीच ऐसा कुछ नही है और रही बात नेहा की तो ठीक हो जाएगी।
राघव ने बिंदास होकर कहा जैसे कुछ हुआ ही ना हो लेकिन विशाल के बात थोड़ी थोड़ी समझ आ गई थी
विशाल - तू अब भी इस शादी से भाग रहा है ना?
राघव ने विशाल की बात का कोई जवाब नही दिया
विशाल - तू अब भी उसे वाकये नही भुला है, है ना?
राघव जो अपने हाथ में ड्रिंक का ग्लास लिए अब तक चुप था उसने चौक के विशाल को देखा और उसको उसका जवाब मिल गया
विशाल - ब्रो कम ऑन मैन, इतना सब होने के बाद भी अब भी तू उसी में उलझा हुआ है?
राघव अब भी कुछ नही बोला वो बस अपनी जगह से उठा और उसके केबिन में बनी विंडो के सामने जाकर खड़ा हो गया जहा से पूरा शहर दिखता था, उसके हाथ में उसने व्हिस्की का ग्लास पकड़ा हुआ था
विशाल - अब कुछ बोलेगा भी या यू ही चुप रहेगा और तूने सोचा है इसका तेरी लाइफ पे क्या असर पड़ेगा, भाई तेरी शादी हो चुकी है ये मत भूल तू और वैसे भी वो समय बीत चुका है वापिस नही आयेगा
राघव - जानता हु, जानता हु के वो समय वापिस नही आयेगा और मैं भी आगे बढ़ना चाहता हु भाई, तुझे क्या लगता है मैने कोशिश नही की लेकिन मुझसे नही हो रहा भाई, जब भी अपने और नेहा के बारे में, हमारे रिश्ते को सुधारने के बारे में सोचता हु दिमाग में वही पुरानी यादें उमड़ आती है और मेरे कदम रुक जाते है।
विशाल - तो फिर क्या तू कभी कोशिश ही नही करेगा? और भाभी का क्या उनका सोचा है? वो दोपहर में यहां से रोते हुए गई है और तु है के तुझे फर्क ही नहीं पड़ा, ऐसे संभालेगा ये नया रिश्ता
राघव - तू भी दादू की तरह बाते मत करने लग बे
विशाल - क्यू ना करू जब मुझे दिख रहा है मेरा दोस्त अपनी जिंदगी को गड्ढे में लेके जा रहा है और मैं उसे रोकू भी ना? राघव तू बिजनेस के मामले में अच्छा होगा लेकिन रिश्तों के मामले में तू बहुत कच्चा है
विशाल बोले जा रहा था और राघव सुन रहा था
राघव - मैं मिला हूं उससे।
राघव का हाथ उसके ग्लास पे कस गया और उसने एक घुट में उसे खाली कर दिया वही विशाल उसकी बात सुन के चुप हो गया
विशाल - कब?
राघव - लंदन में, जब मैं यहां वापिस आ रहा था, मैं चाहता था इस शादी को अपनाना, तुझे याद है हमारी इस बारे में बात भी हुई थी?
( अपनी शादी के दिन राघव दो महीनों के लिए लंदन के लिए निकल गया था तो वो वहा विशाल के पास ही था और ऐसे निकल आने के लिए तब भी विशाल ने उसे बहुत कुछ सुनाया था)
विशाल - वैसे तो तू सब बात बताता है मुझे और ये बता क्यू नही बताई
राघव - छोड़ ना क्या फर्क पड़ता है बस इतना जान के ले वो इंडिया में है अभी
बोलते बोलते राघव को हल्का गुस्सा आ रहा था उसने अपने दात भींच लिए और विशाल उसके पास आया और उसके कंधे पर हाथ रख कर बोला
विशाल - राघव मैं जानता हु के तेरा गुस्सा जायज है और होना भी चाहिए, तू तो उससे मिल के शांत है मैं होता तो जान ले लेता उसकी लेकिन भाई ये भी तो सोच के इस सब में भाभी की कहा गलती है, अरे उन्हे तो कुछ पता भी नही है
राघव - जानता हु भाई लेकिन क्या करू, जब तक उससे सारे जवाब ना मांग लू मुझे चैन नहीं आयेगा।
विशाल - देख जिंदगी तेरी है और इसके सारे डिसीजन भी तेरे होने चाहिए लेकिन मैं फिर भी इतना ही कहूंगा के इन सब बातो को कुछ समय के लिए साइड कर दे कही ऐसा ना हो के पास्ट के चक्कर में तू प्रेजेंट गवा बैठे
राघव को भी कही न कही विशाल की बता समझ आ रही थी
विशाल - उससे निपटने के लिए बाद में भी समय मिल जायेगा भाई लेकिन अगर भाभी चली गई तो सोच दादू को, अपने परिवार को क्या कहेगा? और सबसे बड़ी बात अपने आप को क्या जवाब देगा, देख जितना मैं तुझे जानता हु उतना कोई नही जानता इसीलिए मुझे पता है भाभी को तकलीफ देके तुझे भी अच्छा नहीं लगेगा लेकिन जाने अनजाने तू उन्हे बहुत तकलीफ दे चुका है इसीलिए बेहतर यही होगा के तू अब घर जा और जो कुछ हुआ है दोपहर में उसके बारे में भाभी से बात कर और कोशिश कर अपने रिश्ते को संवारने की बाकी रही बात उसकी तो मैं आ रहा ही कुछ ही दिनों में मिल के देखेंगे उसे।
विशाल की बात सुन राघव मुस्कुराया एक यही तो दोस्त था उसका जो उसकी हर बात के उसके साथ था उसे जानने वाला उसे समझने वाला।
राघव - नेहा सबसे अलग है भाई, तुझे पता है जितना मैं दूर जाने की सोचता हु ना उतना हो वो आजकल मुझे अपने पास खींच रही है
विशाल - और तु फिर भी पुरानी बातो को मन में दबाए आने वाली नई खुशियों को रोक रहा है! अच्छा चल ठीक है पति पत्नी ना सही पहले दोस्त तो बनो एकदूसरे के दोस्ती से शुरुवात कर देख के दोस्ती कहा तक जाती है
विशाल की बात राघव को जम गई उसकी बात में प्वाइंट था
राघव - हा यार ये सही कहा तूने, किसी भी चीज की शुरुवात दोस्ती से करना सही है
विशाल - मैने बोला था ना तू बिजनेस में भले ही मास्टर है लेकिन रिश्तों के मामले में गधा है
राघव - तू एक और बार गधा बोल मुझे फिर देख मैं कैसे तेरे दात गायब करता हु
विशाल - जा बे बॉक्सिंग चैंपियन हु मै हाथ भी नही लगा पाएगा तू, अच्छा वो छोड़ मैं निकलता हु अब, मेरी फ्लाइट का टाइम हो रहा है तू बाकी सब कुछ भूल जा अभी और जितना मैने बोला है उतना सोच बाकी बाते मेरे आने के बाद देखेंगे अभी खाली भाभी पे फोकस कर तू चल बाय...
राघव - हम्म्
जिसके बाद विशाल तो वहा से चला गया और राघव वही बैठा विशाल से हुई बातचीत के बारे में सोचने लगा
इस वक्त रात के 11.30 बज रहे थे, राघव अब भी अपने ऑफिस मे बैठा था और अपने और नेहा के बारे मे सोच रहा था, विशाल से हुई बातचित उसके दिमाग मे घूम रही थी और अब वो भी इस रिश्ते के भागते हुए थक गया था, दादू ने उसे कहा था 8 बजे घर आने लेकिन वो अब भी ऑफिस मे ही था क्युकी जिसके लिए उसे घर जल्दी जाना था वो ही उससे नाराज थी।
राघव ने एक लंबी सास छोड़ी और घर जाने के लिए निकला,
कुछ समय बाद जब राघव घर पहुचा और अंदर आया तो पूरे घर मे शांति छाई हुई थी, राघव ने इधर उधर नजरे घुमाई मानो किसी को ढूंढ रहा हो लेकिन वहा था ही कौन..
राघव अपने कमरे मे जाने के लिए सीढ़िया चढ़ने ही वाला था के उसे चूड़ियों का आवाज सुनाई दि जिससे राघव रुक गया और उसने मूड कर देखा तो वहा नेहा खड़ी थी जो उसकी तरफ मुस्कुराकर देख रही थी और नेहा को अपनी तरफ ऐसा मुसकुराता देख राघव थोड़ा चौका, वो कन्फ्यूज़ था के इसको अचानक क्या हुआ
राघव को समझ नहीं आ रहा था के ये तो घर रोते हुए आयी थी और वो इतना गधा भी नहीं था के नेहा के रोने का रीज़न ना जानता हो फिर अब ऐसे एकदम क्या हो गया जो उसका मूड चेंज हो गया? राघव को नेहा का बर्ताव समझ नहीं आ रहा था, एक पल को उसे लगा के कही उसे नशा तो नहीं हो गया लेकिन वो अच्छे खासे होश मे था और तभी नेहा बोली
नेहा- जाइए जाकर कपड़े बदल लीजिए मैं खाना गरम करती हु
राघव- मुझे भूख नहीं है
(कुछ नहीं हो सकता इसका bc अभी अभी ऑफिस मे सब सही करने का सोच रहा था और चार आते ही सारी बाते हवा कर दी )
नेहा ने बड़े प्यार से कहा था लेकिन राघव ने मना कर दिया लेकिन भूख तो उसे भी लगि थी बस वो नेहा से दोपहर की हरकत के बाद नजरे नहीं मिलाना चाहता था वही नेहा मुस्कुराई और फिर प्यार से बोली
नेहा- जाइए न, कभी तो मेरी सुन लिया कीजिए
नेहा ऐसे बात कर रही थी जैसे वो दोनों कोई नॉर्मल कपल हो लेकिन वो वैसे नहीं थे और यही बात राघव को कन्फ्यूज़ करे हुए थी उसके नेहा के ऐसे बदले बदने मिजाज समझ नहीं आ रहे थे लेकिन राघव कुछ नहीं बोला और नेहा की बात मान कर वो फ्रेश होकर वापिस आया तो उसने देखा के नेहा उन दोनों की खाने की प्लेट्स लगा रही थी
राघव जाकर डायनिंग टेबल पर बैठ गया बगैर कुछ बोले एकदम चुप चाप जिसके बाद नेहा ने उसे खाना परोसा और फिर खुद की प्लेट मे खाना लिया जिसे देख राघव ने पूछा
राघव- तुमने खाना नहीं खाया अभी तक?
नेहा- मैं आपकी राह देख रही थी
नेहा ने राघव से कहा और खाना शुरू कीया
राघव- दोपहर मे तो तुम बड़ी नाराज थी फिर अब क्या हुआ?
नेहा- कुछ नहीं बस मेरा मूड ठीक हो गया अब आप खाना खाइए खाना ठंडा हो रहा है वो बाते बाद मे हो जाएंगी
जिसके बाद दोनों मे से कोई कुछ नहीं बोला दोनों ने चुप चाप खाना खाया
खाना होने के बाद नेहा दोनों की प्लेट्स लेकर किचन मे चली गई और जब वो वापिस आयी तो उसने कुछ ऐसा देखा जो नॉर्मल नहीं था, राघव वहा उसकी राह देखते खड़ा था और ये नेहा को कैसे पता चल के वो उसकी राह देख रहा है? तो भाईसहब ने अपना फोन उल्टा पकड़ा हुआ था और बता रहा था के उसका ध्यान फोन मे है, नेहा उसे देख मुस्कुराई और उसके पास गई
नेहा- चले..!
राघव- हह.. हा वो मैं तुम्हारी राह नहीं देख रहा था वो तो मैं फोन मे थोड़ा काम देख रहा था
राघव ने बहाना बनाने की कोशिश की जिसपर नेहा के चेहरे पर मुस्कान आ गई और उसने राघव का फोन सीधा करके उसके हाथ मे पकड़ाया जिससे राघव थोड़ा शर्मिंदा हुआ, वो पकड़ा जा चुका था और उसके बाद नेहा ने कुछ ऐसा किया जिससे राघव और भी सप्राइज़ हुआ
उसने राघव का हाथ पकड़ा और उसे लेकर अपने रूम की ओर बढ़ गई और राघव बस आंखे फाड़े उसे देखता रहा
(भाईसहब एकदम से इतने चेंजेस )
रूम मे आने के बाद राघव ने झट से अपना हाथ नेहा के हाथ से छुड़ाया और बेड की ओर बढ़ गया और बेड पर जाकर सो गया
राघव सोने की कोशिश कर ही रहा था के उसे अपने बाजू मे कुछ हलचल सी होती महसूस हुई, उसने मूड कर देखा तो पाया के नेहा उसके बाजू मे लेट रही है और वो भी सेम रजाई मे
राघव- ये सब क्या है अब?
नेहा- क्या मतलब? रात है और नॉर्मल लोग सोते है रात मे
राघव- तुम तो मेरे साथ बेड शेयर करने मे कंफर्टेबल नहीं थी ना फिर अब क्या हुआ?
नेहा- मैंने ऐसा कब कहा था मुझे तो लगा था के आपको ये पसंद नहीं आएगा पर अब मैं सोफ़े पे नहीं सोने वाली मैं यही सोऊँगी जहा एक पत्नी को होना चाहिए।
नेहा ने बोलते बोलते राघव को आँख मार दी नतिजन राघव की आंखे बड़ी हो गई और उसने नजरे घुमा ली और दोनों के बीच सेफ डिस्टन्स बनाया और मूड गया
कुछ सेकंद बाद उसे उसकी कमर पर एक हाथ फ़ील हुआ और उस टच से राघव सिहर उठा वो नेहा की छाती को अपनी पीठ पर महसूस कर सकता था
राघव- क.... क्या क...कर र... रही हो त... तुम ?
राघव नर्वस नेस मे हकलाया, ये सब नया था उसके लिए
नेहा- मैं तो बस अपने पति को गले लगा रही हु, क्या मैं ऐसा नहीं कर सकती? अब आप इसकी आदत डाल लीजिए क्युकी मुझे हक है अब सो जाइए अब मुझे नींद आ रही है
जिसके साथ ही नेहा ने अपनी पकड़ कस ली वही राघव का हाथ तकिये पर कस गया और उसकी धड़कने बढ़ने लगी पर वो कुछ बोला नही एक तो वो नेहा के साथ बहस नहीं करना चाहता था ऊपर से उसे भी ये सब अच्छा लग रहा था
नेहा- शादी के बाद अपनी ही पति से दोस्ती करने वाले कन्सेप्ट पर मुझे भरोसा नहीं है, मैं पत्नी हु आपकी और हमे वैसे ही रहना चाहिए हमे एकदूसरे पर पूरा हक है,
नेहा ने जो उसके मन मे था कह दिया, धड़कने इस वक्त दोनों की बढ़ी हुई थी और नेहा भी जानती थी जैसे वो राघव की बढ़ी धड़कनों को महसूस कर रही थी वैसे ही राघव को भी महसूस हो रहा होगा पर अब उसे उसकी परवाह नहीं थी लेकिन नेहा की इस लाइन ने राघव के दिमाग के तार हिला दिए थे वो समझ नहीं पा रहा था के ये दोस्ती वाली बात इसको कैसे पता चली वो तो यही प्लान किया था के पहले दोस्ती से शुरुवात करेंगे और यहा उसके बगैर बोले ही नेहा के उसका प्लान फ्लॉप कर दिया था
राघव- तो तुम्हारा मतलब है के दोस्त बनने का कोई मतलब नहीं?
नेहा- नहीं ऐसा नहीं है मतलब हम एकदूसरे के साथ रहकर खुले दिल से बाते कर सकते है एकदूसरे के साथ कंफर्टेबल हो सकते है लेकिन ये सब हम पति पत्नी बनकर भी तो कर सकते है न फिर दोस्त बनके क्या हो जाएगा
राघव कुछ नहीं बोला, उसे तो अब भी समझ नहीं आ रहा था के ये सब क्या चल रहा है और ये नेहा अचानक बाकी कपल जैसे बनने का क्यू ट्राइ कर रही है
‘डिअर पतिदेव धीरे धीरे आपको इस नेहा की आदत न डला दी तो नाम बदल लूँगी मैं अपना, मैं आपके साथ रहने के लिए कुछ भी करने को तयार हु और मैं किसी भी हालत मे आपका साथ नहीं छोड़ने वाली, शेखर सही था उन्होंने रोका नहीं मुझे और मैं बेवकूफ बगैर कोशिश किए ही हार मान रही थी, हमने बगैर बात किए की एकदूसरे को ब्लैम किया लेकिन अब ऐसा नहीं होगा, मुझे माफ कर दीजिए मै समझ नहीं पाई आपको लेकिन अब मैं आपका साथ नहीं छोड़ने वाली’
नेहा ने मन ही मन सोचा और नींद के आग़ोश मे समा गई वही
‘इसको अचानक क्या हुआ और ये इसको दोस्ती वाली बात कैसे पता चली? काही ये मेरा मन तो नहीं ना पढ़ने लगी? लेकिन जो भी हो अच्छा लग रहा है, मैं भी इस रिश्ते को निभाने की पूरी कोशिश करूंगा नेहा’
राघव ने मन मे सोच और वो भी सो गया अगली सुबह के इंतजार मे नई शुरुवात की राह मे....
नेहा- मा मैं उनकी लेमन टी लेकर जा रही हु उनका जिम का टाइम हो गया है
नेहा मे एक स्माइल के साथ कहा, वो तो अब राघव के साथ एक पल नहीं छोड़ना चाहती थी
जानकी- क्या बात है आज बड़ी खुश लग रही हो
नेहा- नह.. नहीं मा बस ऐसे ही मैं आती हु उन्हे चाय देके
इतना बोल के नेहा जल्दी वहा से निकल गई और उसे जाता देख मीनाक्षी बोली
मीनाक्षी- जीजी लगता है सब जल्द ही सही हो जाएगा
जानकी- हम्म मुझे भी ऐसा ही लगता है।
इधर नेहा जैसे ही रूम मे पहुची तो राघव बाथरूम से बाहर आ रहा था, उसने राघव को देख एक स्माइल पास की जिसे देख राघव जहा था वही जम गया और बड़ी आँखों से उसे देखने लगा
नेहा- आप न जब ऐसे आंखे बड़ी करके देखते है न बड़े क्यूट लगते है
नेहा के राघव के पास आकार उसे चाय देते हुए कहा बदले मे राघव ने उसके माथे को अपने हाथ से छुआ और कुछ पुटपुटाया
नेहा- क्या हुआ?
राघव- तुमको क्या हुआ है तबीयत तो ठीक है न तुम्हारी?
नेहा- मुझे तो कुछ नहीं हुआ है
राघव- तो क्या तुम कही गजीनी तो नहीं बन गई मेमोरी लॉस प्रॉब्लेम?
नेहा- मैं एकदम फिट और फाइन हु
नेहा ने गजीनी वाली बात पर तुनक कर कहा
राघव- तो फिर ऐसे क्यू बिहेव कर रही हो?
राघव ने उसके हाथ मे से चाय का कप लेकर साइड मे टेबल पर रखते हुए पूछा, उसे कुछ बाते क्लियर करनी थी
नेहा – मैं एकदम नॉर्मल हु
राघव- नहीं तुम नॉर्मल नहीं हो, समझ आ रहा है न? तुम कभी मुझसे ऐसे बात नहीं करती हो
नेहा- तो? अब क्या मैं अपने पति से बात भी नहीं कर सकती
राघव- और तुम कबसे मुझे अपना पति मानने लगि?
राघव ने नेहा की ओर एक कदम बढ़ाते हुए पूछा
नेहा- उस दिन से जिस दिन से आपने मेरी मांग मे सिंदूर भरा था
नेहा ने भी एक कदम राघव की ओर बढ़ाया
राघव- पर तुमने तो मुझे ये कभी कहा नहीं
राघव ने उसकी ओर एक और कदम बढ़ाया और उसकी आँखों मे देखते हुए बोला
नेहा- आपने कभी पूछा ही नहीं
नजरों का नजरों का कॉन्टैक्ट बनाए रखते हुए नेहा ने भी एक और कदम राघव की ओर बढ़ाया
राघव- तो तुम्हें बगैर पूछे बताना चाहिए था
राघव और करीब आया
नेहा- तो आपको भी बगैर कुछ कहे अपना हक मुझपर जताना चाहिए था
नेहा भी राघव के करीब आयी, दोनों एकदूसरे की सासों को महसूस कर सकते थे बस एक इंच की दूरी थी दोनों के बीच अगर कोई उन्हे धक्का दे देता तो शायद किस हो जाता, वो दोनों बगैर पलक झपकाए एकदूसरे की आँखों मे देखे जा रहे थे, वो एकदूसरे की आँखों मे खो चुके थे के तभी
नेहा- सुनिए!
नेहा ने धीमे से कहा
राघव- हम्म?
नेहा- चाय पी लीजिए, वो ठंडी हो जाएगी और आप लेट
नेहा ने अपनी हसी दबाते हुए कहा और राघव की तंद्री टूटी
राघव- हूह?
नेहा की बात से राघव सपनों की दुनिया से बाहर आया और नेहा पीछे सरकी
नेहा- आपकी लेमन टी पी लिजीए पतिदेव
नेहा ने अपनी हसी रोकते हुए कहा और वहा से बाहर आ गई क्युकी वो जानती थी के अगर एक और पल वो वहा रुकी तो उसकी हसी छूट जाएगी, राघव का चेहरा लाल हो गया था, राघव ने अपने बालों मे हाथ घुमाया और एक छोटी सी बस छोटी सी मुस्कान उसके चेहरे पर उभर आयी
‘इसको अचानक क्या हो गया है यार कल तक तो रोंदू बनी हुई थी और आज देखो, खैर जो भी हो अच्छा लग रहा है चलने देते है’
राघव ने मन मे सोचा और चाय पीने लगा
कुछ समय बाद घर के सभी लोग नाश्ते के लिए जमे हुए थे
रमाकांत- आज क्या कुछ स्पेशल है?
रमाकांत जी ने डायनिंग टेबल पर खाने को देखते हुए कहा
धनंजय- हा आज क्या है जो इतना सब बना है ?
शेखर- डैड गौर से देखिए सब भाई के पसंद का बना है
शेखर ने नेहा को देखते हुए कहा वही राघव बस चुपचाप बैठा था और नेहा उसकी प्लेट मे नाश्ता परोस रही थी
मीनाक्षी- हा आज सब नेहा ने बनाया है
ये सब बात चित चल ही रही थी के गायत्री जी ने सबको चुप कराया और बोलना शुरू किया
गायत्री- सब लोग ध्यान से सुनो कल हमने घर मे सत्यनारायण की पूजा रखी है और मुझे किसी को अलग से बताने की जरूरत नहीं है के मुझे कल सब वहा लगेंगे क्युकी सब लोग वहा मौजूद होंगे लेकिन राघव मैं खास तौर पर तुम्हें कह रही हु के तुम कल मुझे पूजा मे दिखने चाहिए इसीलिए अच्छा होगा के तुम कल छुट्टी लेलों मैं कोई बहाना नहीं सुनूँगी समझ आया?
राघव कुछ नहीं बोला बस चुप चाप उसने हा मे गर्दन हिला दी, राघव अपनी दादी से घर मे थोड़ा डरता था उनके सामने उसकी आवाज नहीं निकलती थी, दादी की जगह अगर दादू या और कोई ये बात बोलता तो जरूर वो कोई बहाना बना देता लेकिन दादी के सामने वो बिल्कुल गाय था।
नेहा अपने पति का ये भीगी बिल्ली वाला रूप देख शॉक मे थी ‘ये मेरे ही पति है ना’ ये ख्याल भी एक पल को उसके मन मे आया और उसका ये कन्फ्यूज़ चेहरा उसके ससुर जी ने देख लिया
रमाकांत- अरे नेहा बेटा ऐसे मत चौकों वो तुम्हारी दादी से बहुत डरता है..
रमाकांत जी ने हसते हुए कहा
राघव- मैं डरता वरता नहीं हु डैड मैं बस रीस्पेक्ट करता हु दादी की
राघव ने एकदम से कहा, अब वो अपने आप को नेहा के सामने डरपोक कैसे बताता ना
धनंजय- तो मतलब तुम हमलोगों की रीस्पेक्ट नहीं करते है ना? क्युकी हमारी तो कोई बात नहीं मानते हो
राघव- अरे यार चाचू वो क्या है...
गायत्री- क्या?
राघव- कुछ नहीं मैं निकलता हु अब अभी जल्दी जाऊंगा तो शाम मे जल्दी आऊँगा फिर कल घर रहूँगा बाय एव्रीवन
राघव कुछ बोलने की वाला था के दादी ने उसे रोक दिया और अब फिर कुछ बोलने की हिम्मत नहीं हुई तो बंदा वहा से निकल लिया
नेहा तो उसे ऐसे देख रही थी ऐसे वो कोई ऐलीअन हो, श्वेता जो उसके बगल मे बैठी थी उसने नेहा को इशारे से होश मे लाया और वो उठी और राघव के पीछे जाने लागि वरना वो वापिस लंच लिए बगैर चला जाएगा
नेहा लंच बॉक्स लेकर राघव के पीछे गई और उसे आवाज दी, वो भी नेहा की आवाज सुन पलटा और वापिस लंच बॉक्स देख उसने नजरे घूम ली
‘यार इसको ये डब्बा क्यू पकड़ाना होता है खुद नहीं आ सकती क्या ऑफिस मे’
(आयी तो थी तूने ही रुलाके भागा दिया था चूतिये )
राघव ने मन मे सोचा और मानो नेहा उसके मन की बात सुन ली हो
नेहा- वो मुझे मार्केट जाना है कल की पूजा की शॉपिंग के लिए
नेहा ने कहा जिसे सुन राघव थोड़ा शॉक हुआ
‘ये सही मे मेरे मन की बात नहीं न पढ़ने लगी? नहीं ऐसा नहीं होना चाहिए, बेटा राघव दिमाग को कंट्रोल कर’
राघव ने अपने खयाल झटके और नेहा को देखा तो नेहा उसकी ओर ही देख रही थी, राघव ने उसके हाथ से बॉक्स लिया और मुड़ने ही वाला था के नेहा ने उसे रोक दिया
नेहा- ऐसे ही जा रहे है?
राघव को कुछ समझ नहीं आया
नेहा- मतलब मैंने आपसे कुछ कहा था न ?
राघव- क्या?
नेहा- मैंने कहा था न मुझे उस पहले दोस्ती वाले कन्सेप्ट पर भरोसा नहीं है हम बेहतर तरीके से हमारा रिश्ता सुधार सकते है
नेहा ने इस उम्मीद मे कहा के राघव उसकी बात समझ जाए लेकिन उसके पल्ले कुछ नहीं पड़ा
राघव- तो?
नेहा- तो हम पति पत्नी है!
नेहा अपनी साड़ी के पल्लू के साथ खेलते हुए बोली
राघव- अच्छा हुआ बता दिया मुझे तो पता ही नहीं था वो क्या है न पहली बार शादी हई है तो कोई आइडिया नहीं
राघव अब इरिटैट हो रहा था
नेहा- आपको नहीं पता नॉर्मल कपल कैसे बिहेव करते है?
और अब नेहा भी इरिटैट हो रही थी
राघव- तुमने कभी बताया ही नहीं
राघव की बात सुन नेहा थोड़ी मुस्कुराई
नेहा- अब बता रही हु ना, देखिए कुछ चीजे होती है, पति पत्नी के बीच जिससे मैरीड लाइफ बैलेन्स रहे
नेहा राघव को हिंट देने की पूरी कोशिश कर रही थी लेकिन उसके दिमाग मे कुछ नहीं घुस रहा था
राघव- और वो क्या है?
राघव की बात सुन नेहा की सारी स्माइल हवा हो गई
नेहा- कुछ नहीं! बाय लेट हो रहा होगा आपको
‘अजीब लड़की है’ राघव ने सोचा और जाने के लिए बढ़ा वही नेहा भी अंदर जाने के लिए मुड़ी ही थी के राघव ने उसका हाथ पकड़ के उसे अपनी ओर खिचा, देरी से ही सही राघव के दिमाग की बत्ती जली थी
राघव ने नेहा को कलाई से पकड़ के अपनी ओर खींचा जिससे नेहा उसके सीने के जा टकराई, नेहा के दोनों हाथ राघव के कंधों पर थे और वो आंखे चौड़ी किए उसे देख रही थी वही राघव के अपना दूसरा हाथ नेहा की कमर पर रखा जिससे नेहा सिहर उठी
ये पहली बार था सब जानते बुझते वो एकदूसरे के इतने करीब थे..
आसपास का महोल मानो एकदम रुक गया था बस उनकी धड़कनों का शोर सुनाई दे रहा था राघव उसकी आँखों में देख रहा था वो उसके और करीब आया, राघव को अपने इतने करीब पाकर नेहा ने अपनी आंखे बंद कर ली, उसके हाथ राघव की शर्ट पर कस गए और उसने अपने होंठ भींच लिए
इससे पहले के वो कुछ कर पाती उसे राघव के होंठों का स्पर्श उसे अपने माथे पर महसूस हुआ और वो वही जम गई उसका दिमाग एकदम ब्लैंक हो गया था आंखे और ज्यादा कस के उसने बंद कर ली थी, वो उसके और करीब आया और उसके दाएं कान मे बोला
राघव- बाय..
बस खतम, राघव नेहा को ऐसे बुत बना देख मुस्कुराया और अपनी कार की ओर जाने लगा, दरवाजा खोल कर वो रुका लेकिन उसे नेहा की ओर नहीं देखा और उसके चेहरे पर एक मुस्कान उभर आई
जिसके बाद राघव अपनी कार लेकर वहा से निकल गया और नेहा वही खड़ी रही और गाड़ी के हॉर्न ने उसे होश लाया, उसने अपने माथे हो हाथ लगाया जहा राघव ने उसे चूमा था
वो उस सीन को अपने दिमाग से नहीं निकाल पा रही थी उसका चेहरा लाल हो गया था
‘मैं तो पूजा की शॉपिंग मे इन्हे साथ चलने कह रही थी और ये क्या ही समझे उसको, वैसे मुझे नहीं पता था राघव देखपाण्डे का ये साइड भी है’ नेहा मुस्कुराई और घर के अंदर चली आई....
Hello guys Raghav this side ये थोड़ा आपलोगों को अनयूशूअल लग रहा होगा बट इस राइटर ने मुझे ही विलन बना दिया है, अब वो पूरा गलत भी नहीं है ना ही आप लोग गलत हो और ना ही ये सब मेरी इमेज सुधारने के लिए है बस मुझे अपना पॉइंट ऑफ व्यू आप के सामने रखना था इसीलिए तो थर्ड पर्सन की नजरों से निकल कर सीधा यहा बैठा हु और हा हु मैं थोड़ा चूतिया नहीं समझता मुझे कुछ भी, नहीं संभाले जाते रिश्ते है अब ऐसा हु तो हु...
मेरी लाइफ एकदम से बदल गई थी, सबकुछ सही जा रहा था इस शादी के पहले सब एकदम लाइन पर था लेकिन फिर दादू ने इस रिश्ते की बात कर दी तब से सब बदल गया, मेरा शेड्यूल, मेरा बिहेवियर, मेरा मेरी फॅमिली से बॉन्ड और सबसे ज्यादा मैं...
हालांकि ये सब पहली बार था ऐसा नही है मुझे पहले भी अपने आप को बदलना पड़ा था लेकिन अब मुझे वैसे जीने की आदत हो चुकी थी और फिर दादू ने शादी की बात कर दी
ऐसा नहीं है के मैं उससे नफरत करता हु बस ये था के मुझे शादी ही नहीं करनी थी ना तो नेहा से न किसी और से क्युकी मैं जानता था के मैं उसे वो प्यार वो केयर नहीं दे पाऊँगा जो वो डिजर्व करती है। नहीं होगा मुझसे चाहे कितनी ही कोशिश कर लू, नजाने मुझसे इस शादी के लिए ना क्यू नहीं कहा गया शायद मैँ अपने घरवालों को नाराज नहीं करना चाहता था लेकिन इस सब मे मुझसे सबसे बड़ी गलती ये हुई के मैंने नेहा का इसमे दिल दुखया है, शायद मैं उससे बात कर लेता तो हम दोनों ही इस सबसे बच सकते थे लेकिन अब मामला काफी आगे बढ़ चुका है इसीलिए मैंने बस अपनी जिम्मेदारिया निभाने का सोचा लेकिन मैं उसमे भी फेल हो गया
मेरे अतीत का असर मेरे वर्तमान पर बहुत बुरी तरफ छाया हुआ है, कुछ ऐसी बाते है जिन्हे मैं किसी को नहीं बता सकता बस उस घटना के बाद मुझे लोगों पर भरोसा करने मे तालमेल बिठाने मे थोड़ा वक्त लगता है I’m not able to get along with people, और इसीलिए अब मेरे ज्यादा दोस्त भी नहीं है जो थे उनसे मैंने ही कान्टैक्ट काम कर दिया बस एक विशाल ही है जो सब जानता है
हा मैं इस शादी से भाग रहा था मैं दूर चले जान चाहता था सबसे इसीलिए तो मैंने शादी की रस्मे होते ही बिजनस ट्रिप का बहाना बना दिया था, मैंने जान बुझ कर अपने pa से कह कर ट्रिप फिक्स कारवाई थी और विशाल के पास चला गया था
मैंने नेहा से ज्यादा बात करने की कोशिश भी नहीं की और न ही उसने, मैं वापिस से बैच्लर जैसा महसूस करने लगा था क्युकी मैंने उसके साथ एक पूरा दिन कभी बिताया ही नहीं था मैं तो उन दो महीनों मे भूल भी गया था के मेरी शादी हो चुकी है जब तक मॉम और डैड का मुझे कॉल नहीं आया
उन्होंने मुझसे मेरा हाल चाल तो पूछा ही साथ ही मुझसे ये भी पूछा के मैं नेहा से रोज बात कर रहा हु या नहीं और तब जो मुझे पता चल उसने मुझे चौका दिया मैं कुछ कहता इससे पहले ही मा ने मुझे बताया के नेहा से उन्हे कहा था के हमारी रोज बात होती है
ये मोमेंट मेरे लिए ट्रिगरींग पॉइंट की तरह था, उस समय विशाल मेरे साथ था और वो मुझे समझाने की पूरी कोशिश मे लगा रहता था लेकिन मैं उसकी एक नहीं सुनता था लेकिन मा से बात होने के बाद और विशाल से इस बारे मे बात करने के बाद मैंने बहुत सोचा तो घर लौटा लेकिन मैं नेहा से बातचित कर ही नहीं पाता था, मैं चाहता था के वो पहले आकार मुझसे बात करे औरे ये मेरे ऐरगन्ट नेचर की वजह से नही है बल्कि मुझमें इतनी हिम्मत नहीं थी के मैं खुद उससे नजरे मिला कर बात करू अब इस बात पर मुझे वापिस चूतिया, या जो भी कहना हो कह लो बट जो है सो ये है
मैंने नेहा की कोशिशे देखि है उसने इस रिश्ते को सुधारने का बहुत ट्राय किया है और जब मुझे लगता के अब मामला थोड़ा सही हो सकता है वो पीछे हट जाती और सारी कहानी वापिस वही आ जाती जहा से शुरू हुई थी
उसका मेरे लिए देर रात तक इंतजार कर मुझे पसंद नही था इसीलिए जब मैंने उसे पहली बार मेरे इंतजार मे जागता देखा मैंने उससे कहा था के मुझे उसकी मदद की कोई जरूरत नहीं है वो ये सब ना करे अब इसमे मैं रूड नही बनना चाहता था लेकिन मेरी आवाज ने धोका दे दिया और मैंने वो बात थोड़ी कडक आवाज मे कह दी बस उसके बाद से नेहा रुक गई और अपने काम से काम रखने लगी
अपनी बिजनस ट्रिप से लौट कर उन 3 महीनों मे मैंने बस काम किया है और ऑफिस में बैठ कर उससे बात कर पाने की हिम्मत जुटाई है, मैं हमेशा उसके बारे मे सबसे सुनता था जब भी दादू शेखर डैड विवेक रिद्धि मा चाची चाचा उसके बारे मे बात करते मैंने वो सब बड़े ध्यान से सुना है लेकिन कभी नोटिस नहीं होने दिया
मुझे ये भी पता है के दादी उसे मेरी वजह से बहुत कुछ कहती है और सच कहू तो इसका मुझे बहुत बुरा लगा था लेकिन दादी गलत नहीं है उन्हे बस मेरी ज्यादा चिंता है
दादी को दादू का मुझे इस तरह शादी के लिए मनाना पसंद नहीं आया था लेकिन दादू अपनी बात पर अडिग थे के नेहा ही मेरे लिए परफेक्ट है तब दादी ने भी माना के अगर दादू इतना कह रहे है तो इसके पीछे जरूर कोई रीज़न होगा
और फिर शेखर की शादी हुई जिसमे मैं मौजूद नहीं था, अपने ही भाई की वो भाई को मेरे सबसे चहेता था उसी की शादी मे मैं नहीं था जिसका मुझे काफी ज्यादा रिग्रेट है बट मैं उसमे कुछ नहीं कर सकता, नेहा ने सोचा के मैं उसकी वजह से शेखर की शादी मे नहीं था मैं उसे अवॉइड कर रहा था लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है यहां वो गलत है, शेखर ने अपना मास्टर्स वही से पूरा किया है जहा से मैंने किया था जब मैं फाइनल इयर मे था वो फर्स्ट ईयर मे और अपने स्वभाव की वजह से वो अपने बैच मे तो था ही बल्कि सीनियर्स मे भी पोपुलर था और मैं जानता था वो अपने दोस्तों को जरूर बुलाएगा जिसमे मेरे अतीत से जुड़े कुछ लोग भी थे और मैं उनका सामना नहीं करना चाहता था इसीलिए मैं शेखर की शादी से दूर था
उसकी शादी के बाद जब दादू और मेरी बात चीत हुई जिसमे बस वो बोल रहे थे तब मुझे ये सब समझ आया
उस दिन दादू ने मुझे बहुत कुछ बताया और मैं अपनी गलती मानता हु मेरी वजह से नेहा ने बहुत कुछ सहा है बहुत कुछ सुना है मेरी ही वजह से वो ऐसे रह रही थी उसकी तो इस सब मे कोई गलती नहीं है मेरे अतीत से उसका कोई लेना देना नहीं है जबकि उसकी सजा वो भुगत रही थी और फिर आया उसका बर्थडे
भाई यार इस लड़की को अपना बर्थडे मनाना तक पसंद नहीं और जब उससे पूछा तो उसने मुझे ही और गिल्ट मे डाल दिया पहले से क्या कम गिल्ट है मेरी जिंदगी मे, वो कुछ तो छुपा रही थी और मैं वो जानना चाहता था लेकिन मुझसे ज्यादा फोर्स नहीं किया गया
दादू की बात सुन मैं हमारे रिश्ते को एक मौका देना चाहता था वरना अपनी इनसिक्योरिटीज के चलते मैंने इस रिश्ते से उम्मीद छोड़ दी थी और तब नेहा ने कह दिया के उसे मेरी रिस्पांसिबिलिटी बनके नहीं रहना है
वो अपनी जगह बिल्कुल सही थी उसकी जगह मैं होता तो मुझे भी यही लगता किसी पर बर्डन बनना कीसे पसंद होगा फिर भी उसमे कमाल की सहनशक्ति है मेरा सब्र का बांध अब तक टूट चुका होता
मैं हम दोनों को चांस देना चाहता हु बस मैं इनसिक्योर हु और रीज़न मैं बता नहीं सकता
आजकल पता नहीं क्या हो रहा है मुझे जब भी उसे इग्नोर करना चाहता हु मैं उसकी ओर और भी खिचा जा रहा हु, मैं उससे बात करना चाहता हु उसकी बात सुनना चाहता हु उसके बारे मे सब जानना चाहता हु
मैं चाहता हु वो मेरे करीब आए मैं उसे नहीं रोकूँगा, मैं चाहता हु वो हमेशा मेरे साथ रहे बस मैं उससे ये कह नहीं पाता हु
क्या हो अगर वो मुझे छोड़ के चली जाए?? मैं किसी को ये बात महसूस नहीं होने देता हु मैं वैसे तो बाद गुस्से वाला हु लेकिन दूसरों के लिए हा कई बार वो गुस्सा अपनों पर निकल जाता है लेकिन मैं बहुत ज्यादा डरपोक इंसान हु
मुझसे हिम्मत नहीं है इसीलिए तो मैं चाहता हु नेहा मुझसे उम्मीद ना छोड़े कोशिश करती रहे ताकि मैं उसके करीब जा पाउ धीरे धीरे अपने डर को पीछे छोड़ के अब इस बात और आप मुझे स्वार्थी कह सकते है
वो मेरे अतीत के बारे मे कुछ नहीं जानती है मैंने उससे कभी बात ही नहीं की है फिर भी मैं उससे उम्मीदें लगाये हु
अब ये कहना बिल्कुल ही झूठ होगा के मैं उसे पसंद नहीं करता हु, मैं उसे पसंद करने लगा हु
मैंने उसे जब भी देखा है मुसकुराते हुए देखा है लेकिन मैं ये भी जानता हु के वो मुस्कान झूठी है, मुझे भी चिंता है उसकी बस मुझे जताना नहीं आता, जब वो ऑफिस से रोते हुए घर गई थी मुझे कैसा फ़ील हो रहा था मैं नहीं बता सकता, मैं उसे तकलीफ नहीं देना चाहता था वो अनजाने मे हुआ था और उसके बाद शेखर मुझपर भड़क गया और फिर विशाल तो था ही, और सच कहूं तो मैं शेखर और विशाल का गुस्सा डिजर्व करता था मेरी गलती थी मुझे नेहा को रोकना चाहिए था लेकिन मैं विशाल के साथ बैठ रहा
मैं बात भले विशाल के साथ कर रहा था लेकिन मेरे ज़ेहन मे बस नेहा थी उसका रोता हुआ चेहरा था
मुझे लगा था के अब सब वापिस पहले जैसा हो जाएगा वही लाइफ मेरा उससे बात करने की हिम्मत ना होना उसे इग्नोर करना और उसका अपनी कोशिश से पीछे हटना,
विशाल की कही बाते भी मेरे दिमाग मे चल रही थी दोस्ती करने वाले आइडिया मे दम था लेकिन जब मैं घर पहुचा मैं नेहा के बिहेवियर से शॉक था वो ऐसे बता रही थी जैसे हम दोनों कोई परफेक्ट कपल हो और ऑफिस मे कुछ हुआ ही ना हो और फिर वो मोमेंट जब उसने मुझे उसकी राह देखते पकड़ा मेरा उलट फोन सीधा करके मुझे पकड़ाया
उसके बाद रूम मे हमारा एक ही बेड पर सोना उससे भी ज्यादा उसका मुझे पीछे से चिपकना मेरे पास उस फीलिंग को बताने के लिए शब्द ही नहीं है मैंने उसे रोका नहीं क्युकी कही न कही मैं भी यही चाहता था, उसका साथ...
फिर अगली सुबह उसका यू करीब आना और उसकी वो मुस्कान मेरे साथ होते हुए मैंने उसे पहली बार मुसकुराते हुए देखा था वो मुस्कान किसी का भी दिन बनाने के लिए काफी थी
उसके बाद उसका मुझे लंच बॉक्स देना, मुझे नही पता के वो किस बारे मे बात कर रही थी बट जितना मैंने समझा मैंने उसके माथे को चूम लिया उसका रिएक्शन देख मैं इतना तो समझ गया हु के मेरा उसपर असर तो होता है, उस समय वो इतनी क्यूट लग रही थी मन किया उसके गाल खिच लू लेकिन मेरे जैसे इंसान से ऐसा एक्शन उसे शायद डरा देता
अब मैं हम दोनों को एक मौका देना चाहता हु पूरे दिल से, मैं नहीं जानता के मैं इस रिश्ते को निभा पाऊँगा भी या नहीं लेकिन मैं पूरी कोशिश करूंगा के नेहा को कोई तकलीफ ना हो, वो पहले ही मेरी वजह से बहुत सह चुकी है
बस मैं इतना चाहता हु के वो मुझपर थोड़ा भरोसा करे मैं चाहता हु वो मेरी जिंदगी मे रहे मैं उसके साथ रहने की पूरी पूरी कोशिश करूंगा मुझे बस उसका सपोर्ट और थोड़ा पैशन्स चाहिए मुझे बस अपने आप को उसके लिए तयार करने के लिए थोड़ा वक्त चाहिए,
मैं कोई दूध का धुला इंसान नहीं हु मैंने बहुत गलतिया की है और सबसे बड़ी गलती तो ये है के मैंने पिछले 5 महीनों मे अपनी नई नवेली पत्नी को पूरी तरह इग्नोर किया है और इसे मैं बदल नहीं सकता, मैं तो इसकी माफी भी नहीं मांग सकता क्युकी इसकी माफी ही नहीं है लेकिन मैं अब इतनी कोशिश तो कर ही सकता हु के अब आगे से ऐसा ना हो और ये मैं करूंगा... अब कोई चाहे मुझे गधा कहे डरपोक कहे चूतिया कहे लेकिन जो है वो है और अब मैं नेहा को तो मुझसे दूर नही जाने देने वाला.....
यह भाग कहानी के सबसे महत्वपूर्ण भाग में से एक है ऐसा मुझे लगता है, राघव का नजरिया उसके दिमाग में क्या चल रहा था ये पूर्णतः नहीं अपितु कुछ हद्द तक अब स्पष्ट है
इस वक्त शाम के 5 बज रहे थे और राघव अपने ऑफिस मे बैठा विशाल से फोन पर बात कर रहा था वही विशाल उसकी बातों से परेशान हो गया था, एक तो वो कुछ घंटों पहले ही लंदन पहुचा था और काफी ज्यादा थका हुआ था ऊपर से जेटलैग, उसे काफी ज्यादा नींद आ रही थी और राघव उसे फोन पर अपने और नेहा के बीच हुई कल वाली पूरी बात सुना रहा था
विशाल- चलो अच्छा है तुम दोनों मे से किसी को तो अक्ल आई कोई तो पहल कर रहा
राघव- अबे वो तो ठीक है पर मुझे क्या लगता है भाई वो ना मेरे मन की बात सुन लेती है, उसने तो मेरे बगैर बोले ही वो दोस्ती वाला प्लान फेल कर दिया
विशाल- जब आदमी प्यार मे होता है तो ऐसा होता है दूसरे के मन की बात सुनाई देती है तू मुन्ना भाई एमबीबीएस नहीं देखा क्या ज्यादा मत सोच जो हो रहा है होने दो
राघव- मैं भी तो यही चाहता हु लेकिन साला जब भी उसके करीब जाने की कोशिश करता हु मेरा पास्ट मुझे रोक देता है डरता हु कही वो.... मैं दोबारा उस सब से नहीं गुजरना चाहता भाई.... तेरे को पता है मैं शेखर की शादी मे भी नहीं था ऐसा नहीं था के मैं उससे भाग रहा था लेकिन वहा भी मेरा पास्ट बीच मे आया था, पर अब बस बहुत हो गई भागा दौड़ी अब मुझे उसके साथ रहना है, पसंद करने लगा हु मैं उसे और चाहे कुछ हो जाए मैं उसका साथ नहीं छोड़ने वाला और मैं जानता हु के वो भी अब पीछे नहीं हटेगी।
विशाल- शाबाश! अब मजनू साहब आपका ये इजहार ए इश्क अपनी बीवी के सामने जाकर करिए और मुझे सोने दीजिए
राघव- हा हा पता है थका हुआ है तू जा सोजा मुझे भी घर जल्दी जाना
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अगले दिन पूरे देशपांडे वाडे में हलचल थी सुबह से ही पूजा की धूम सारे घर मे देखि जा सकती थी और गायत्री जी खुद सारे काम को देख रही थी।
गायत्री- अरे वो फूल यहा नहीं वहा लगाने है
दादी ने एक वर्कर से कहा जो गलत जगह फूल लगा रहा था
गायत्री- ये धनंजय कहा है? रमाकांत तुम जाओ और जाकर पंडित जी को ले आओ सिर्फ ड्राइवर को भेजना सही नहीं लगेगा
इतने मे धनंजय जी वहा आ गए
गायत्री- धनंजय तुमने प्रसाद के लिए मिठाई मँगवा ली थी न?
धनंजय- हा मा मैं बस वही कॉल करके पूछ रहा हु
गायत्री- हे भगवान अब तक क्या कर रहे थे फिर तुम, जाओ जल्दी देखो मेहमान आते होंगे
घर मे अगर कोई फंक्शन हो तो गायत्री जी को वो हमेशा परफेक्ट चाहिए होता है बस इसीलिए वो सारे कामों को खुद देख रही थी
गायत्री- जानकी श्वेता भगवान के भोग का प्रसाद बन गया?
दादी ने किचन मे आते हुए पूछा
जानकी- हा माजी बस हो ही गया है
इतने मे दादी ने देखा के दादू धीमे से किचन मे घुस रहे है और वो बस प्रसाद को छूने की वाले है के
गायत्री- आप यहा क्या कर रहे है? अरे भगवान को भोग तो लगने दीजिए अब बच्चे थोड़ी हो आप बुढ़ापे मे ऐसी हरकते शोब देती है क्या
दादी वही अपनी बहुओ के सामने दादू की क्लास लेने लगी और फिर उन्होंने पीछे पलट के देखा तो विवेक और रिद्धि वहा खड़े हस रहे थे तो उनकी भी क्लास लग गई
गायत्री – तुम दोनों वहा क्या हस रहे हो तुमको कुछ काम बताए थे न मैंने वो हो गए ?
“बस वही कर रहे है दादी बाय” दोनों ने एकसाथ कहा और सटक गए वहा से क्युकी रुक कर दादी की डांट थोड़ी खानी थी उन्हे
गायत्री- नेहा...!!!
नेहा- जी दादी
गायत्री- बेटा तुम्हारा बस एक काम है, तुम अभी ऊपर जाओ और तुम्हारे पती को नीचे लेकर आओ, बस यही सबसे मुश्किल काम तुम्हारे जिम्मे है
नेहा- जी दादी जी मैं बस उन्हे बुलाने जा ही रही थी
गायत्री- मीनाक्षी तुम मेरे साथ आओ मंदिर के पास कुछ काम बचा है
इतना बोल कर वो वहा से चली गई
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नेहा मुस्कुराते हुए सीढ़िया चढ़ कर अपने कमरे तक आई और उसने बगैर नॉक किए दरवाजा खोल दीया और जैसे ही दरवाजा खुला और उसकी नजर राघव पर पड़ी वो हल्की सी बस हल्की की आवाज मे चीखी
नेहा- आपके नीचे का कहा है..!!!!
नेहा अपने आंखे बड़ी करके चीखी और झट से मूड गई क्यू? क्युकी राघव वह बस अपना कुर्ता पहने खड़ा था और बस कुर्ता ही उसने पहन रखा तथा और पजामा उसके हाथ मे था
‘क्या करू मैं इनका कभी ऊपर का नहीं कभी नीचे का नहीं’ नेहा ने मन ही मन सोचा
वही नेहा को देख के राघव को भी अपनी सिचूऐशन का अंदाजा हो गया
राघव- तुम... तुम दरवाजा नॉक नहीं कर सकती क्या?
राघव ने चिल्ला के पूछा बदले मे नेहा ने भी सेम टोन मे जवाब दिया
नेहा- आप दरवाजा लॉक नहीं कर सकते क्या?
और नेहा के चिल्लाते ही राघव का सारा रौब हवा हो गया
नेहा- मुझे.. मुझे नहीं पता था आप ऐसे नंग... ऐसे होंगे.. जाती हु मैं
और नेहा वहा से जाने ही वाली थी के इतने मे ही
राघव- रुको!
राघव ने नेहा को रोका और वो रुक गई जिसके बाद राघव आगे बोला
राघव- देखो मैं जानता हु के ये तुम्हारे लिए नया है लेकिन मैं भी सेम फ़ील कर रहा हु
राघव जो कुछ कह रहा था नेहा सुन रही थी लेकिन वो पलटी नहीं
राघव- मैंने ये कभी किया नहीं है इसीलिए कोशिश करके देख रहा था पर अकेले नहीं हो पा रहा मुझसे...
अब राघव को जो कहना था वो तो उसने कह दिया लेकिन नेहा के दिमाग के घोड़े दौड़ने लगे और उसके दिमाग मे अलग अलग चित्र विचित्र खयाल आने लगे
नेहा- ये.. ये क्या कह रहे है आप..
राघव- मेरी मदद कर दो यार मैं किसी से नहीं कहूँगा प्रामिस
नेहा- मैं... मैं कैसे आपकी मदद कर सकती हु?
नेहा अब नर्वस होने लगी थी
राघव- अरे यार परेशान हो गया हु मैं और बस एक तुम ही हो जो मेरी मदद कर सकती हो आखिर तुम मेरी पत्नी हो
बस राघव का इतना कहना था के नेहा की आंखे चौड़ी हो गई
नेहा- ये... ये कैसी.. बाते कर रहे है आप
राघव- कैसी मतलब? अरे यार देखो मैं जानता हु ये थोड़ा ऑक्वर्ड है पर आदत हो जाएगी और तुम मुझे सीखा देना कैसे करना है
अब राघव कुछ और कह रहा था लेकिन नेहा के दिमाग मे उसके शब्द कोई और ही फिल्म बना रहे थे
नेहा- देखिए... ये सही नहीं है
राघव- अरे सब सही है कुछ गलत नहीं है अच्छा एक काम करो दरवाजा लॉक कर दो ताकि कोइ देख ना सके
नेहा- बस! बहुत हुआ! आप ऐसे डायरेक्ट कैसे कह सकते है आपको शर्म नहीं आई ये कहते !
राघव- हह? अबे नाड़ा डलवाने मे कैसी शर्म??
अब नेहा के दिमाग की बत्ती जली
नेहा- नाड़ा? ओह आप नाड़े की बात कर रहे थे ?
नेहा ने एक नर्वस स्माइल के साथ पूछा
राघव- हा और नहीं तो क्या..
और नेहा के बिहेवियर पर राघव अब भी कन्फ्यूज़ था और जैसे ही उसके दिमाग की बत्ती जाली और उसको पूरा सीन ध्यान मे आया वैसे ही उसकी आंखे बड़ी हो गई
राघव- अबे पागल औरत तुम्हारा दिमाग कहा तक पहुच गया यार!!!
वही नेहा भी काफी ज्यादा शर्मिंदा थी, उसने दरवाजा बंद किया और उसके पास आई और उसके हाथ से नाड़ा लेकर पजामे मे डालने लगी
वही राघव उसकी तरफ देख भी नहीं रहा था, नेहा ने जल्दी से पजामा राघव को दिया और बोली
नेहा- सब लोग आपका नीचे इंतजार कर रहे है जल्दी आइए
और इतना बोल के नेहा जल्दी से वहा से निकल गई वही राघव बस उसे जाते हुए देखता रहा
‘इसने अपने दिमाग के घोड़ेकहा तक दौड़ा लिए थे यार’ राघव ने सोचा और अपना सर झटक दिया
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गायत्री- जानकी जाओ और वो फलों की टोकरी ले आओ जो मैंने कहा था तुमसे, आज राघव और नेहा बैठेंगे पूजा मे..
गायत्री जी की बात सुन जानकी जी ने अपना सर हा मे हिलाया इतने मे राघव वहा आ गया
गायत्री- राघव जल्दी जाओ और वहा जाकर बैठो, इतना समय लगाता है क्या कोई? नेहा तुम भी जाओ उसके साथ
दादी की बात सुन राघव झट से जाकर दादी की बताई जगह पर बैठ गया, राघव और नेहा दोनों ने एकदूसरे को देखा लेकिन फिर शर्म से अपनी नजरे घूम ली, नेहा के गाल गाल होने लगे थे और उसके चेहरे पर पसीने की बूंदे जमी हुई थी
विवेक- भाभी क्या हुआ? तबीयत ठीक है आपकी?
विवेक को नेहा के बाजू मे बैठा था उसने पूछा बदले मे नेहा ने बस मुंडी हिला कर सब सही है कहा
विवेक- तो फिर आपको इतना पसीना क्यू आ रहा है?
नेहा- वो... वो गर्मी.. हा गर्मी बहुत हो रही ना यहा इसीलिए
नेहा ने जैसे तैसे जवाब दिया और अपने हाथ से हवा करने लगी वही विवेक उसे घूर के देखने लगा और फिर उसने राघव को देखा और इशारे को क्या हुआ पूछा, वही विवेक के सवाल बंद हो गए है देख नेहा ने एक राहत की सास ली और तभी उसे ऐसा लगा किसी ने उसके हाथ को झटके के खिचा हो, उसने देखा के किसने खिचा है तो वो राघव था फिर नेहा ने इशारे से राघव ने क्या हुआ पूछा तब राघव उसके करीब आया और उसके कान मे बोला
राघव- मिसेस देशपांडे यहां एसी और पंखे दोनों चल रहे है और उससे भी बड़ी बात हवा से आपके बाल उड़ रहे है तो थोड़ा ढंग का बहाना बनाओ..
और बोलते बोलते राघव ने उसके बालों की एक लट उसके कान के पीछे कर दी
राघव की इस हरकत से नेहा वही जम गई उसका वो टच और उसके मुह से अपने लिए मिसेस देशपांडे सुनना उसे अच्छा लगा था...
सत्यनारायण की पूजा के बाद घर के सभी लोग अब फ्री होकर हॉल मे बैठे बाते कर रहे थे,
रमाकांत- भई आज तो बढ़िया हो गया, घर पर पूजा भी हो गई और कुछ वक्त घर पर बिताने भी मिल गया वरना इन दिनों तो पार्टी का काम ज्यादा बढ़ गया है अगले साल के इलेक्शन की तयारी शुरू हो चुकी है..
धनंजय- एकदम सही कहा आपने भईया वरना हम सब तो बस किसी रोबोट की तरह काम मे उलझ गए है।
धनंजय जी ने भी रमाकांत जी की बात का सपोर्ट क्या और उनकी बात सुन सब हसने लगे
शिवशंकर- अरे भई रोबोट से याद आया राघव कहा है पूजा के बाद दिखा ही नहीं वो?
दादू ने राघव को ढूंढते हुए पूछा और नेहा को देखा
नेहा- वो तो पूजा के बाद ही ऊपर रूम मे चले गए दादाजी
जानकी- हे भगवान क्या करू मैं इस लड़के का, बताओ सब यहा है और वो अकेला अपने कमरे मे
नेहा- मै अभी उन्हे बुला लाती हु
नेहा बस राघव को बुलाने जाने ही वाली थी के दादी ने उसे रोक दिया
गायत्री- रहने दो बेटा, उसने तो प्रसाद भी नहीं लिया होगा बस वो दे आओ उसे
दादी की बात पर नेहा ने हा मे गर्दन हिलाई और वहा से चली गई और उसके जाते ही विवेक अपनी जगह से उठा और सबको देख के बोला
विवेक- तो बड़े लोग आप लोग लगे रहे हम जा रहे ऊपर जरा आज भाई घर पर है तो उसको परेशान करने
रिद्धि- हा हा चलो उस रोबोट को इंसान बनाते है
विवेक और रिद्धि वहा से निकल लिए और उनको जाता देख शेखर भी उनके पीछे हो लिया
शेखर- ओये रुको मैं भी आया
अब अब श्वेता अकेली वहा बड़े लोगों के बीच खड़ी थी, वो तो ऐसे शेखर के पीछे भी नहीं जा सकती थी छोटी बहु जो थी घर की, अब क्या करना है ना जानते हुए वो वही खड़ी रही
मीनाक्षी- श्वेता तुम भी जाओ हमारे बीच क्या करोगी
मीनाक्षी जी ने श्वेता के मन की बात समझते हुए कहा और वो भी मुस्कुरा कर वहा से निकल गई।
कुछ ही पलों मे ये सब लोग राघव के रूम मे बैठे थे,
विवेक- भाई छोड़ो ना यार उसको...!
विवेक राघव का एक हाथ खिच के उसे उठाने की कोशिश कर रहा था वही राघव सोफ़े पर अपनी नजरे अपने लपटॉप पर गड़ाए हुए था और विवेक के ताकत लगाने पर भी हिल नहीं रहा था, विवेक राघव को वहा से उठाने की कोशिश कर रहा था ताकि वो लोग थोड़ी मजा कर सके लेकिन मजाल है के राघव उनकी बात मान ले अब चुकी राघव मे विवेक से ज्यादा ताकत थी वो हिल भी नहीं रहा था और तो और वो विवेक की तरफ देख भी नहीं रहा था
रिद्धि- विवेक रहने दो तुमसे नहीं हो पाएगा ऐसा लग रहा जैसे गधा हाथी को खिच रहा है
रिद्धि की बात सुनके शेखर और श्वेता जोर जोर से हसने लगे वही विवेक प्लेन चेहरे से उन्हे घूर रहा था वही राघव भी इनकी बाते सुन मन ही मन मुस्कुरा रहा था और इतने मे ही वहा नेहा की एंट्री हुई हाथ मे प्रसाद से भरे कटोरो का ट्रे लिए और आते ही उसकी नजर हसते हुए शेखर श्वेता और रिद्धि पर पड़ी और फिर विवेक पर
नेहा- क्या हुआ विवेक?
शेखर- गधे की मजदूरी रंग नहीं लाई भाभी
शेखर ने हसते हुए कहा जीसे सुन रिद्धि और श्वेता वापिस हसने लगे वही नेहा कन्फ्यूजन मे उन्हे देख रही थी और विवेक छोटा सा मुह लिए बेड पर जाकर बैठ गया, नेहा ने ये बात अपने दिमाग से झटकी और सबको प्रसाद दिया और फिर राघव को देखा
नेहा- सब लोग है यहा, उसे बंद करिए और इधर आकर पहले प्रसाद खाइए
नेहा ने प्यार से राघव को ऑर्डर देते हुए कहा जिसपर राघव ने भी हा मे गर्दन हिला दी नतिजन शेखर शॉक मे सीधा बैठ गया उसे तो ये भी ध्यान न रहा के उसके हाथ मे प्रसाद का बाउल है लेकिन समय रहते श्वेता ने वो बाउल पकड़ लिया, विवेक जो कभी वापिस खाने को ना मिले ऐसे प्रसाद खा रहा था वो उसके गले मे अटक गया और उसे खासी आ गई और रिद्धि विवेक की पीठ सहलाते फटी आँखों से अपने भाई को देख रही थी
नेहा ने उन सब को देखा वही राघव ने अपना लैपटॉप बंद किया और बेड की ओर आने लगा और अपने भाई बहनों मे ऐसे खुले मुह उसने देखे जो उसे घूर रहे थे
राघव- क्या...?
राघव ने अपनी जेब मे हाथ डालते हुए अपनी भवों को उठा के पूछा
रिद्धि- न.... ये हमारा भाई नहीं है
राघव- क्या?!
विवेक- क्या क्या... हम यहा तब से आपको जो बोल रहे है के लैपटॉप बंद करो तब हमारी बात तो सुनी नही और भाभी के एक बार बोलते ही जनाब उठ खड़े हुए... वाह! तालिया! साला अपनी तो जो ना थी वो इज्जत भी डूब गई
विवेक ने रोनी शक्ल बनाते हुए कहा, राघव ने नेहा को देखा जो उसे ही देख रही थी फिर वापिस अपने भाई बहन को देखा
राघव- हो गई नौटंकी? वो मेरा काम खतम हो गया तो उठ गया इतना ड्रामा क्या है उसमे
राघव ने बेड पर बैठते हुए प्रसाद का बाउल लेते हुए कहा
शेखर- सही मे ?
शेखर मे मुस्कुरार पूछा लेकिन राघव ने उसे इग्नोर कर दिया और प्रसाद खाने लगा, वो बेचारा जब भी मजे लेने की सोचता इग्नोर ही हो जाता
विवेक- बीवी बीवी होती है भाई अपना क्या है
विवेक ने सर झटकते हुए मजाक मे कहा लेकिन उसकी बात सुन नेहा को शर्म आ गई इतने मे रिद्धि बोली
रिद्धि- अरे यार छोड़ो ये बाते और चलो ना कुछ खेलते है ना
श्वेता- लेकिन क्या?
विवेक- उम्म ट्रुथ एण्ड डेयर खेले?
शेखर- हा हा ये खेलते है मजा आएगा
राघव- हम्म तुम लोग खेलों मुझे कुछ काम है मैं वो करता हु
विवेक- अरे यार भईया काम को छोड़ो ना यार आज के दिन कितना समय हो गया ऐसे मजे किए प्लीज भाई अब तो लगता है आप हमको भूल ही गए हो हमारे साथ हो तो लेकिन होकर भी नहीं हो
विवेक ने वापिस अपनी नौटंकी शुरू की और राघव को गेम खेलने पर मजबूर कर ही दिया और राघव वापिस अपनी जगह पर बैठ गया।
अब इनकी पोजिशन ऐसी थी के ये बेड पर सर्कल मे बैठे थे (बहुत बाद पालन था bc ) राघव उसके बाजू मे रिद्धि उसके बाद विवेक, नेहा, शेखर और फिर अंत मे श्वेता
रिद्धि- अब हमारे पास बोतल तो है नहीं तो वन बाय वन शुरू करते है
विवेक- डन पहले श्वेता भाभी ट्रुथ या डेयर?
श्वेता- ट्रुथ!
और श्वेता के ट्रुथ बोलते हो विवेक के चेहरे पर एक शैतानी मुस्कान आ गई उसने पहले शेखर को देखा और फिर श्वेता को और फिर बोला
विवेक- ओके तो अब बताइए के आप दोनों की पहली किस कब कहा और कैसे हुई थी
(खुद की लव लाइफ का कोई ताल तम्बोरा नहीं दूसरों की लव लाइफ मे घुसना है इसको )
विवेक की बात सुन शेखर खांसने लगा वही श्वेता बड़ी आंखो से उसे देखने लगी और राघव भी क्यूरियसली उन्हे देखने लगा
रिद्धि- बताओ बताओ भाभी
रिद्धि ने श्वेता को छेड़ते हुए कहा
शेखर- अरे यार भाई छोड़ो का कुछ और पूछ लो यार
शेखर ने नर्वसली कहा और श्वेता ने भी उसमे हामी भरी लेकिन बाकी लोगों का प्लान तो कुछ और ही था और अब नेहा भी इसमे शामिल थी
नेहा- शेखर तुम चुप करो और बात मत बदलों
शेखर- भाभी आप भी शामिल हो गई इन सब मे आपको तो पता है सब
अब शेखर की बात सुन राघव शॉक
राघव- इसको पता है?
शेखर- भाभी को हमारे बारे मे सब पता है... she knows everything
नेहा- अच्छा चलो श्वेता अब शुरू करो कहानी
रिद्धि- हा ना भाभी बताओ ना हम सब दोस्त है यहा
और फिर श्वेता ने बताना शुरू किया....
श्वेता- तो हुआ ये के हम कॉलेज टूर पे मनाली गए थे, मैं वहा पहली बार जा रही थी और शेरी मेरे सीनियर थे और उस टाइम हम रिलेशनशिप मे नहीं थे लेकिन एक दूसरे को अच्छी तरह जानते थे क्युकी कॉलेज के कल्चरल इवेंट्स मे हम साथ काम भी कर चुके थे, वेल हमारे अंदर एकदूसरे के लिए फीलिंग्स तो थी लेकिन उस टाइम वो प्यार है ये हम दोनों को ही नहीं पता था तो वहा हम सब दोस्तों का ग्रुप कैम्प फायर जला कर बाते कर रहा था वही मेरा एक दोस्त मेरे साथ फ्लर्ट कर रहा था वो काफी पहले से मुझपर लाइन मारता था लेकिन मैंने कभी ध्यान नहीं दिया लेकिन शेरी का उसपर बराबर ध्यान था और उसका ऐसा मेरे आस पास घूमना शेरी को पसंद नहीं आ रहा था, और उसमे हुआ के ये मैंने भी उसके साथ थोड़ी हस के बाते कर ली तो इन्होंने भी अपनी एक दोस्त के साथ फ्लर्ट करना शुरू कर दिया और तुम्हें बताऊं इतनी बुरी लड़की थी ना वो हमेशा मेरे शेरी से चिपकने का ट्राइ करते रहते थी और ये मुझे जलाने के लिए उसके साथ फ्लर्ट कर रहा था हा लेकिन ध्यान मुझ पर ही था लेकिन मुझसे वो देखा नहीं गया और मैं रोते हुए वहा से चली गई और फिर ये मुझे मनाने मेरे पीछे आए, मैं बहुत ज्यादा हर्ट भी थी और गुस्सा भी और जो मन मे आए वो शेरी को बोल रही थी और तब इन्होंने मेरा मुह बंद करने के लिए मुझे किस कर दिया, मैं शॉक मे थी और फिर मेरे बेबी ने वही प्रपोज किया मुझे.... तो यही था पूरा किस्सा.... अब ज्यादा डिटेल्स नहीं बता रही मैं तो अब अगला कौन??
विवेक का किरदार कहानी में एक खुशनुमा माहोल बना देता है, वो मेरा इस कहानी का पसंदीदा किरदार बनता जा रहा है देखते है इस खेल में आगे क्या होता है, बहुत बढ़िया
शेखर और श्वेता की लव स्टोरी सब चुप होकर सुन रहे थे रिद्धि और विवेक को तो खासा इंटेरेस्ट था इसमे वही नेहा सब पहले से जानती थी
रिद्धि- कितने क्यूट हो यार आप दोनों
विवेक- ब्रो! चरण कहा है आपके प्रभु ऐसे कुछ टिप्स हमे भी दे दो यार हम भी सीख ले कुछ आपसे
विवेक ने शेखर के पैरों मे गिरते हुए कहा
शेखर- जाओ बे पढ़ाई करो पहले
विवेक- वाह! आप करो तो रास लीला और हम बोले तो कैरिक्टर ढीला हूह!
रिद्धि- अरे छोड़ो अब अगला कौन
विवेक- कौन क्या श्वेता भाभी के बाद शेखर भाई और कौन, हा शेखर भाई ट्रुथ या डेयर ?
शेखर- डेयर, मर्द लोग हमेशा डेयर लेते है
राघव- ओके मर्द चल नाच के दिखा फिर
राघव की बात सुन शेखर हसने लगा
शेखर- अरे इतना आसान डेयर
लेकिन राघव एक शैतानी मुस्कान लिए उसे देख रहा था और फिर राघव ने रिद्धि और विवेक को देखा और विवेक समझ गया
विवेक - न न नाचोगे आप लेकिन गाना हम बजाएंगे समझा
और रिद्धि अपने फोन पर गाना बनाजे रेडी हो गई वही राघव अपनी जगह से उठा और अलमारी के पास गया और उसमे से उसने नेहा की चुनरी निकाली और शेखर के मुह पर दे मारी वही शेखर उसे कन्फ्यूजन मे देखने लगा
राघव- हा भाई मर्द अब इसको ओढ़ और ठुमक के दिखा और पूरी अदाओ के साथ नाचना है
और जैसे ही रिद्धि ने गाना बजाया सबकी हसी छूट गई
शेखर- सही नहीं हो रहा है ये भाई ऐसा मत करो यार ये गाना मत बजाओ
राघव- या तो नाच के दिखा या अभी मेरे अकाउंट मे 5 लाख भेज से दे चॉइस तेरी है
अब शेखर समझ गया था के बचने का कोई चांस नहीं है और राघव के साथ बहस करने का तो कोई मतलब नहीं है
शेखर- भाभी सही कहती है राक्षस को आप
शेखर ने जैसे ही ये कहा नेहा जो अब तक हस रही थी एकदम चुप हो गई और उसने झटके से राघव को देखा
नेहा- मैं... मैं कहा से आ गई बीच मे मैंने ऐसा कब कहा ( नेहा ने शेखर को देख के कहा फिर राघव से बोली) मैने कसम से ऐसा कुछ नहीं कहा
राघव- उसे मैं बाद मे देख लूँगा तू शुरू हो जा
राघव की बात सुन नेहा शकी नजरों से देखने लगि के बाद मे देख लूँगा का क्या मतलब है वही शेखर कोई रास्ता ना बचा देख बेड से उठा और चुनरी को अपने सर पर ओढा, नेहा जो राघव की उस लाइन से नर्वस थी अब शेखर को देख रही थी और हस रही थी, शेखर बहुत ही सेक्सी अदाओ से डांस कर रहा था और उसे ऐसे नाचते देख श्वेता की आंखे बाहर आने को थी, इतने सालों के रीलेशन मे उसने शेखर को कभी ऐसे नहीं देखा था शेखर को देख सब हस रहे थे और गाना बज रहा था
आ रे प्रीतम प्यारे
बन्दुक में ना तो गोली में रे
आ रे प्रीतम प्यारे
बन्दुक में ना तो गोली में रे
आ रे प्रीतम प्यारे
सब आग तो मेरी चोली में रे
ज़रा हुक्का उठाज़रा चिलम जला
पल्लू के नीचे छुपा के रखा है
उठा दूँ तो हंगामा हो
हो हो हो हो
पल्लू के नीचे दबा के रखा है
उठा दूँ तो हंगामा हो
जोबन से अपने दुपट्टा गिरा दूँ तो
कंवले कवारों का चेहरा खिले
हाय मैं आँख मारूँ
तो नोटों की बारिश हो
लख जो हिला दूँतो जिल्ला हिले
जिल्ला हिले
हिले हिले हिले हिले जिल्ला हिले
हिले हिले हिले हिले जिल्ला हिले
हिले हिले हिले
ज़रा तूती बजा
ज़रा ठुमका लगा
पल्लू के नीचे छुपा के रखा है
उठा दूँ तो हंगामा हो
हो हो हो हो
पल्लू के नीचे दबा के रखा है
उठा दूँ तो हंगामा हो
शेखर सबको अपने डांस मूव्स दिखा रहा था जो की काफी फनी थे और जैसे ही गाना खतम हुआ शेखर ने झट से चुनरी हटाई और बेड पर अपनी जगह आकर बैठ गया।
श्वेता- ऑ शेरी बेबी क्या मस्त डांस किया है
श्वेता ने शेखर के गाल खिचते हुए कहा
विवेक- ब्रो रीस्पेक्ट! तुमने तो उस ऐक्ट्रिस से भी बढ़िया डांस किया है
शेखर- हा ठीक है अब अगला कौन
रिद्धि- नेहा भाभी और कौन
रिद्धि ने कहा और नेहा नर्वसली मुस्कुराई वही बाकी सब उसे ऐसे देख रहे है मानो सोच रहे हो के अभी मजा आएगा ना भिडू
रिद्धि- भाभी ट्रुथ या डेयर?
नेहा- ट्रुथ
विवेक- हा भाई सब शांत मैं पूछूँगा सवाल, हा तो माइ डिअर भाभी उस दिन जब हम सब लोग ऐसे ही इसी कमरे मे बकैती कर रहे थे तब आपने हमे उस इंसान के बारे मे बताया था जो आपको पसंद करता था तो अब गौर से सुनिए के अब उसके बारे मे जरा बताइए जीसे आप पसंद करती थी!
विवेक ने फूल नौटंकी के साथ कहा और उसका सवाल सुन राघव अपनी जगह पर सीधा बैठ गया, नेहा ने एक बार राघव को देखा जो उसके साथ आय कॉन्टैक्ट अवॉइड कर रहा था और फिर वो बोली
नेहा- वेल ऐसा कोई मेरा क्रश तो नहीं था लेकिन हा एक सेलिब्रिटी क्रश था और मुझे ना कहानियों के किरदार अच्छे लगते है इतने के उनसे प्यार हो जाए, एक टाइम पर तो मुझे हैरी पॉटर पर क्रश था
रिद्धि – अरे यार भाभी ऐसे थोड़ी होता है वो लोग रियल थोड़ी होते रियल बताओ ना कुछ
नेहा- जो है वो ये है मुझे तो यही पसंद है
नेहा ने खयालों मे खोते हुए कहा वही राघव बस उसे देख रहा था
नेहा- कभी कभी कहानियों के किरदार ना असल लोगों से अच्छे होते है और मुझे मेरे ड्रीम कैरिक्टर जैसा कभी कोई मिला ही नहीं
विवेक- मिला नहीं मतलब तो भाभी आप ये कहना चाहती है के मेरा भाई अट्रैक्टिव नहीं है?
विवेक ने नेहा को चिढ़ाते हुए कहा जिसपर नेहा से कुछ बोलते ही नहीं बन रहा था
नेहा- नहीं!
रिद्धि- नहीं मतलब आपको राघव भईया अट्रैक्टिव नहीं लगते
अब रिद्धि भी नेहा को चिढाने लगी
नेहा- हा.... मतलब... नहीं वो अरे यार तुम लोग ना हर बार ऐसा करते हो मेर वो मतलब नहीं था मुझे ये कहना था के मैं काल्पनिक किरदारों की बात कर रही हु, मैंने उस टाइम ये सब नहीं किया है तो... अब अगला कौन?
नेहा से जब आगे कुछ नहीं बोला गया तो उसने बात बदल दी
अगला नंबर विवेक का था तो भाई ने ट्रुथ को चुना और उससे भी रिद्धि से वही सवाल किया जो नेहा से पूछा गया था विवेक से उसकी क्रश के बारे मे पूछा तो उसने शर्मा के कहा के उसे उसकी एक टीचर के क्रश था जीसे सुन सब उसे ऐसे देखने लगे जैसे वो कोई भूत हो, अब कॉलेज जाने वाले लौंडे से इस जवाब की थोड़ी ही किसी को उम्मीद थी
उसके बाद अगला नंबर आया रिद्धि का और रिद्धि ने शेखर की बहन होने का फर्ज निभाते हुए डेयर चुना और डेयर भी उसे शेखर ने दिया और उसे बोला गया के उसकी मा को यानि जानकी जी को वो फोन करके ये बताए के वो एक लड़के को पसंद करती है और रीलेशनशिप मे है और फोन स्पीकर पर रखने बोला गया
रिद्धि ने भी वैसा ही किया लेकिन ये सब तब चौके तक जानकी की चिल्लाई नहीं क्युकी सब को उम्मीद तो ये थी के वो नाराज होंगी या चिलाएंगी लेकिन उलटा वो हसने लगि और बोली के मजाक मत करो और वो जानती है के उनकी बेटी के आस पास विवेक किसी लड़के को फटकने भी नहीं देता होगा कॉलेज मे जीसे सुन विवेक का सीना फूल गया और उतना बोल के उन्होंने फोन काट दिया और अब वहा बस एक श्क्स बचा था
रिद्धि- अब राघव भईया की बारी
और राघव का नाम आते ही शेखर के चेहरे पर एक शैतानी मुस्कुराहट खेलने लगी राघव उस स्माइल का मतलब अच्छे से समझता था इसीलिए उसे सेफ खेलने का सोचा
रिद्धि- भईया ट्रुथ या डेयर?
राघव- ट्रुथ
और इसीके साथ शेखर के दिमाग मे बनता प्लान फुस्स... लेकिन वो भी कहा हार मानने वाला था
शेखर- ट्रुथ? अरे यार भाई आप डेयर लो यार ये क्या बच्चों जैसी बात कर दी आपने तो, द ग्रेट राघव देशपांडे ट्रुथ लेगा अब
राघव- हा तो उसमे क्या है
विवेक- छे! भाई आप के जैसे डेयर डेविल को तो डेयर ही लेना चाहिए
शेखर- जाने दे बे विवेक ये डरता है भाई मे वो खतरों के खिलाड़ी वाली बात नहीं रही अब
और बस अब तो इन्होंने राघव के एगो को ललकार दिया था अब वो पीछे नहीं हटने वाला था और अब अपने आप को खतरों का खिलाड़ी प्रूव करने राघव देशपांडे कुछ भी कर सकता था
राघव- ठीक है डेयर लिया बताओ क्या करना है
राघव ने सपाट चेहरे से पूछा वही शेखर की मुस्कान हट ही नहीं रही थी और अब आने वाला था मजा....
शेखर- जाने दे बे विवेक ये डरता है। भाई मे वो खतरों के खिलाड़ी वाली बात नहीं रही अब
और बस अब तो इन्होंने राघव के एगो को ललकार दिया था अब वो पीछे नहीं हटने वाला था और अब अपने आप को खतरों का खिलाड़ी प्रूव करने राघव देशपांडे कुछ भी कर सकता था
राघव- ठीक है डेयर लिया बताओ क्या करना है
राघव ने सपाट चेहरे से पूछा वही शेखर की मुस्कान हट ही नहीं रही थी और अब आने वाला था मजा....
शेखर- पक्का ना? देखो सिर्फ डेयर चुनने से कुछ नहीं होता उसे पूरा भी करना होता है पता है ना ?
राघव- और तू मुझे अच्छे से जानता है के राघव देशपांडे पीछे हटने वालों मे से नहीं है
शेखर- ठीक है फिर आप यही चाहते है तो आपका डेयर ये है के.................. किस भाभी!
शेखर ने शैतानी मुस्कान के साथ कहा वही राघव और नेहा चौक के उसे देखने लगे
विवेक- ओहोहों ब्रो यू रॉक मैन
विवेक श्वेता और रिद्धि भी अब शेखर के साइड थे और राघव और नेहा दोनों ही जानते थे के शेखर ने ये डेयर जान बुझ के दिया है
राघव- शेखर!
राघव ने शेखर को घूर के देखा
शेखर- बस निकल गई हवा, बोला था नहीं कर पाओगे, अरे यार भाई ऐसे पार्टी खराब मत करो यार एक किस ही तो है और ऐसा भी नहीं है के आप ये पहली बार कर रहे हो, कम ऑन ब्रो हज़बन्ड वाइफ हो आप तो ये तो कॉमन है या कभी आपने कुछ किया ही नहीं... यू नो....
शेखर ने मासूम बनते हुए कहा
राघव- ये सही नहीं है शेखर!
राघव अब भी उसे घूर रहा था
श्वेता- इसमे क्या गलत है ये तो नॉर्मल है...
रिद्धि- हा एकदम सही इसमे तो सब नॉर्मल है और ऐब्नॉर्मल तब होता जब आपने ये कभी किया ही ना होता
रिद्धि फ़्लो मे बोले जा रही थी क्युकी असल बात उसे पता ही नहीं थी और राघव और नेहा बड़ी आंखो से बस उन्हे देख रहे थे
शेखर- क्या हुआ? डर गए?
राघव- हट्ट बे!
शेखर- डर तो है
राघव- बोला न मैं नहीं डरता
विवेक- देन कम ऑन भाई गो अहेड एण्ड किस हर, ऐसा तो नहीं है के वो कोई अजनबी है शी इस योर वाइफ
विवेक ने कहा और राघव ने नेहा को देखा जो उसे ही देख रही थी
राघव कुछ देर नेहा को देखता रहा फिर वहा मौजूद लोगों को देखा और अब वो समझ चुका था के अपन ने उड़ता तीर ले लिया है और अब वापिस पलटने का कोई चांस ही नहीं है डेयर तो उसे पूरा करना ही पड़ेगा
राघव अपनी जगह से उठा और धीरे धीरे नेहा की ओर बढ़ा जो उसे देख के नर्वस हो रही थी और धीरे धीरे उसे देखते हुए थोड़ा थोड़ा पीछे सरक रही थी
राघव को नेहा की ओर बढ़ता देख कर वो चारों हूटिंग करने लगे, रिद्धि और विवेक ने बाजू मे सरक ने नेहा की ओर बढ़ते राघव के लिए थोड़ी जगह बनाई ताकि वो वहा बैठ सके
घटती घटनाओ को देखते हुए नेहा का गला सुख रहा था और उसकी आवाज तो उसका साथ कब का छोड़ चुकी थी, उसे एसी मे भी पसीना आने लगा था और सास तो उसकी बढ़ी हुई ही थी, राघव की हालत भी कुछ अलग नहीं थी वो भी वही फ़ील कर रहा था जो नेहा को फ़ील हो रहा था, नर्वस तो वो भी था
‘यार इसके पास आते ही नजाने क्यू मेरी धड़कने बढ़ने लगती है’ नेहा के करीब आते ही राघव के मन मे खयाल आया
राघव नेहा के पास आया और उस नजदीकी को ना झेल पाते हुए नेहा ने अपनी आंखे बंद कर ली
‘हे भगवान ये क्या कर रहे है!!” नेहा मन ही मन चीखी
श्वेता और शेखर ने एकदूसरे को देख एक विजयी मुस्कान दी...
राघव नेहा के पास सरक कर बैठ गया तभी उसकी नजर उसके बाजू मे पड़ी नेहा की चुनरी पर गई और उसने कुछ सोच के नेहा को देखा, उसने वो चुनरी उठाई और अपने और नेहा के सर पर डाल ली जिससे उनके सर से लेके कंधों तक का भाग ढक गया, उसने अपना सर नेहा के सर से लगाया और अपनी गर्दन थोड़ी सी घुमाई जिससे नेहा ने अपनी आंखे खोल दी,
बाहर से देखने वालों को ऐसा ही लग रहा था के वो दोनों किस कर रहे है लेकिन अंदर वो दोनों बस एकदूसरे की आँखों मे खोए हुए थे, वही सब लोग उनके लिए चीयर कर रहे थे
अचानक राघव ने नेहा का बाया हाथ पकड़ा जिससे वो सिहर उठी और वो हाथ उसने अपनी गर्दन पर रख दिया और इसमे उसने अपनी नजरे नेहा की नजरों से बराबर मिलाई हुई थी वही नेहा ने शर्मा कर अपनी पलके झुका ली, वो अपने पूरे चेहरे पर राघव की साँसों को महसूस कर सकती थी
कुछ समय बाद राघव बोला
राघव- चलो सब निकलो अब मुझे मेरी वाइफ के साथ थोड़ी प्राइवसी चाहिए
राघव नेहा को देखते हुए अपने भाई बहनों से बोला जिससे नेहा उसे घूर के देखने लगी
शेखर- हाओ हाओ, मुझे लगता है अपने को चलना चाहिए अब, भाई आप कन्टिन्यू करो
शेखर के इतना बोलते ही वो सब लोग मुसकुराते हुए वहा से निकल गए लेकिन राघव अब भी नेहा की आँखों मे ही खोया हुआ था
राघव- जाते टाइम दरवाजा बंद करके जाना
राघव ने थोड़ा जोर से कहा ताकि वो लोग सुन सके वही इससे नेहा और ज्यादा नर्वस हो गई और शर्मा ने लगी
राघव- क्या हुआ मिसेस देशपांडे? इतनी शर्म अचानक से?
राघव ने अपनी डीप आवाज मे पूछा वही नेहा की मुस्कान छुपाये नहीं छुप री थी उसने चुनरी से अपना चेहरा छुपा लिया बदले मे राघव भी हसा और उसने ऐसे हसते देख नेहा ने चौक के उसे देखा क्युकी ये तो रेयर मोमेंट था,
राघव- क्या?
नेहा- वो... आप
राघव- अरे अब क्या मैं हस भी नहीं सकता क्या
नेहा- नहीं वो बात नहीं है वो मैंने आपको कभी ऐसे हसते नहीं देखा न तो...
नेहा वापिस नर्वस होने लगी थी और राघव के रिएक्शन से तो वो वैसे ही थोड़ा डरती थी क्या पता इसका मूड कब बदल जाए
लेकिन इस बार राघव कुछ नहीं बोला बस उसे देखता रहा ‘अभी तो तुमने राघव को जाना ही नहीं है लेकिन जान जाओगी’
नेहा- मुझे.... मुझे लगता है मुझे अब जाना चाहिए
नेहा से अब वहा राघव की नजरों के सामने नहीं बैठा जा रहा था तो वो वहा से जाने के लिए उठी ही थी के राघव ने उसकी कलाई पकड़ के उसे रोक दिया, नेहा का दिल जोरों से धडक रहा था
राघव- मेरी बात अभी पूरी नहीं हुई है
राघव ने उसे वापिस अपने सामने बैठा लिया, नेहा बैठे बैठे अपनी साड़ी के पल्लू से खेलने लगी लेकिन वो राघव की तरफ नहीं देख रही थी
राघव- वो शेखर जो कह रहा था क्या वो सच है? तुम सही मे मुझे राक्षस बुलाती हो?
राघव ने पूछा और नेहा ने एकदम उसे देखा
नेहा- नहीं! नहीं तो वो तो शेखर उस टाइम मजाक कर रहा था मैं ऐसा थोड़ी कह सकती हु आपको
नेहा ने जोर ने ना मे मुंडी हिलाते हुए किसी बच्चे की तरह कहा
राघव- अच्छा! नही वो मैंने परसो सुबह नींद मे किसी को रावण बुलाते हुए सुना था, वो कौन था फिर??
राघव ने मासूमियत से पूछा वही नेहा को पता चल गया के चोरी पकड़ी गई है
नेहा- जी वो... असल मे...
नेहा अब थोड़ा डर रही थी उसे बिल्कुल अंदाजा नहीं था के राघव ने उस दिन वो सुन लिया होगा और अब राघव क्या बोलेगा इस बारे मे वो सोचने लगी वही राघव अपनी मुस्कान छुपाते हुए नेहा के मजे ले रहा था, नेहा से कुछ बोलते नहीं बन रहा था और जब वो कुछ बोलने ही वाली थी के तभी उन दोनों को नीचे से किसी के चिल्लाने का आवाज आया, किसी एक का नहीं बल्कि कई लोग एकसाथ चिल्लाए थे,
उस आवाज ने उनका ध्यान अपनी ओर खिच लिया था और क्या हुआ है ये देखने के लिए वो लोग जल्दी से नीचे भागे और वहा जो उन्होंने देखा वो उन्हे शॉक करने के लिए काफी था...