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Romance In Love.. With You... (Completed)

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Update 54



अपने सामने किसी को खडा देख नेहा एकदम से चौकी और वो चीखी लेकिन तभी उस बंदे से अपने हाथ से नेहा का मुह दबा दिया ताकि उसकी चीख कोई सुन ना पाए और तभी नेहा ने अपने हाथ मे पकड़े बॅट से उस बंदे के सर पे दे मारा जिससे वो बंदा थोड़ा हिला उसके मुह से हल्की सी आह निकली लेकिन फिर वापिस उसने अपने हाथ से नेहा का मुह बंद कर दिया और उसके हाथ से बॅट छीन लिया नेहा छूटने के लिए छटपटाने लगी और इसी कशमकश मे वो लोग बेड पर जा गिरे पहले नेहा और उसके ऊपर वो बंदा

“ओये चिक्की चीखो मत मैं हु”

अब आधे लोगों ने अंदाजा पहले की लगा लिया होगा ये वो राघव ही था

नेहा- मम्मम्मम्

नेहा ने बोलने की कोशिश की

राघव- ओ हा सॉरी

राघव ने नेहा के मुह से अपना हाथ हटाया

नेहा- आप क्या...

राघव- धीरे! धीरे मेरी मा सबको जगाओगी क्या

राघव ने फुसफुसाकर कहा

नेहा- आप क्या पागल हो गए है क्या? ये क्या कोई तरीका है आने का? वो भी इस टाइम पर??

राघव- हा तो क्या तुम ऐसे मारोगी मुझे

राघव अपना सर सहलाने लगा जहा नेहा ने उसे बॅट से मारा था और नेहा को भी फिर ये ध्यान मे आया

नेहा- शीट!!! सॉरी सॉरी मुझे नहीं पता था ना आप है इसीलिए

बोलते बोलते नेहा की आँखों ने आँसू आ गए और यही राघव बाबू पिघल गए उसे खास लगी भी नहीं थी लेकिन अपन ने राघव को मारा है इस बात से नेहा को तकलीफ हो गई थी वही राघव से नेहा के आँसू नहीं देखे जा रहे थे

राघव- हे चिक्की क्या हुआ? कोई कुछ बोला क्या? ऐसे रो क्यू रही हो? मुझे बताओ अभी सीधा करता हु उसे

राघव ने एकदम अपनी जगह से उठते हुए कहा वही नेहा ने उसे खिच के वापिस बीठा लिया और राघव के गले लग गई

ऐसे अचानक नेहा के गले लगने से राघव पहले तो थोड़ा चौका लेकिन फिर जैसे ही उसने नेहा की रोने की सिसकी सुनी उसे अपने से चिपका लिया

राघव- क्या हुआ नेहा ऐसे रो क्यू रही हो मुझे टेंशन हो रही है यार बताओ ना?

नेहा- मैंने बहुत मिस किया आपको

राघव- बस इतनी सी बात! उसमे रोने जैसा क्या है यही हु मैं

राघव ने अपने हाथ से नेहा के आँसू पोंछे

नेहा- आप यहा क्यू आए वो भी इतना लेट ?

राघव- क्यू सप्राइज़ पसंद नहीं आया क्या? और मिस करने का ठेका क्या तुम्हारा है मैं भी मेरी चिक्की को मिस कर रहा था तो आ गया

नेहा- आइ हेट यू

राघव- क्यू?

नेहा- आप कितने दुष्ट है ना एक बार भी कॉल नहीं किया मुझे

राघव- हा तो चैलेंज भी तो तुमने दिया था वैसे मैडम कॉल आप भी कर सकती थी

नेहा- मैं कॉल करती तो चैलेंज फेल हो जाता ना

नेहा ने राघव को देख कहा और दोनों हसने लगे

राघव- फिर कौन हारा चैलेंज?

नेहा- आप और कौन!

राघव- कैसे? मैडम आपने मुझे पकड़ रखा नहीं मैंने आपको नहीं

नेहा- हा तो पहले आप आए हो यहा मैंने थोड़ी बुलाया था

फिर कुछ देर दोनों ऐसे ही बात करते रहे एकदूसरे को बताते रहे के उन्होंने एकदूसरे को कितना मिस किया और कुछ समय बाद

राघव- चलो सोते है अब बहुत रात हो गई है तुम्हारी आँखों मे भी नींद है

नेहा- लेकिन आप??

राघव- लेकिन क्या? मैं यही रुक रहा हु

नेहा- कोई देख लेगा आपको जाइए आप

राघव- कैसी बीवी हो यार एक तो मैं इतना रिस्क लेकर पाइप से चढ़ कर बालकनी से आया हु और तुम हो के मुझे भगाने मे लगी हो..... पत्थर दिल बीवी

राघव ने उदास चेहरा बनाए कहा

नेहा- अच्छा अच्छा बाबा रुक जाइए लेकिन सुबह सबके उठने से पहले चले जाइएगा

नेहा को राघव को देख कहा जो अभी किसी कॉलेज स्टूडेंट की तरह ड्रामे कर कहा था

नेहा- हम किसी कॉलेज जाने वाले कपल की तरह बिहेव कर रहे है ऐसा नहीं लगता आपको

दोनों बेड पर लेट गए नेहा ने अपना सिर राघव के सीने पर रखा और उसका एक हाथ अपने कंधे पर, खिड़की से वो लोग आसमान मे निकले चाँद को देख सकते थे

नेहा- अब आप मेरे साथ गणेशोत्सव मे पूरे 10 दिन आरती में शामिल होंगे

नेहा ने राघव को करीब करीब ऑर्डर देते हुए कहा

राघव- सब कितना बदल गया है ना?

राघव ने चाँद को देखते हुए कहा

नेहा- क्या??

राघव- हमारा रिश्ता! कितना बदल गया है ना? हम... मतलब मैं उस टाइम कितना गधा था जो इस शादी से भाग रहा था तुमसे दूर भाग रहा था और अब देखो तुम्हें देखने तुमसे मिलने यहा भागा भागा आया हु

नेहा- हम्म बदलाव तो आया है

नेहा ने स्माइल के साथ कहा

राघव- आइ प्रॉमिस मैं कभी तुमसे झगड़ा नहीं करूंगा भले कोई रीज़न हो हा छोटी मोटी नोक झोंक के बारे मे कुछ नहीं कह सकते लेकिन अब तुम्हें कभी वो राघव नजर नहीं आएगा जिससे तुम 6 महीने पहले मिली थी, तुम जैसे हो वैसी ही मुझे बहुत पसंद हो नेहा कभी भी अपने आप को मत बदलना... और अपना सेल्फ रिस्पेक्ट कभी मत छोड़ना तुम जैसी हो परफेक्ट हो

राघव की बात सुन नेहा ने उसकी तरफ देखा

नेहा- क्या हुआ आप अचानक ऐसे क्यू बात कर रहे है? मैं जानती हु आप कभी मेरा साथ नहीं छोड़ेंगे

राघव- पता नहीं बस लगा के कहना चाहिए तो कह दिया.. हा एक और बात कोई तुम्हें कुछ कहे किसी से कंपेयर करे किसी की बातों को दिल से लगाने की जरूरत नहीं है बस इतना ध्यान मे रखो के मुझे तुम जैसी हो वैसी ही बहुत बहुत बहुत अच्छी लगती हो

राघव ने नेहा को अपनी बाहों मे कस लिया

नेहा- पता है आप उतने बुरे भी नहीं है जितना लोग सोचते है

राघव- मतलब मैं क्या बुरा हु

नेहा- नहीं बात मेरा वो मतलब नहीं था

राघव- जो भी मतलब था मेरा ये साइड सिर्फ तुम्हारे लिए है चिक्की किसी और के लिए नहीं बाकी लोगों के लिए मुझे खडूस ही रहने दो और सो जाओ अब

‘मैं नहीं जानता के मैं तुम्हें डिजर्व भी करता हु या नहीं चिक्की लेकिन मैं इतना तो जानता हु के अब चाहे कुछ हो जाए हमे अलग नहीं कर सकता मैं तुम्हें कभी अपने से दूर नहीं जाने दूंगा’ राघव ने सोचा जिसके बाद वो दोनों नींद के आगोश मे समा गए

अगले दिन सुबह नेहा की आँख खुली तो राघव वहा से जा चुका था और नेहा के फोन पे उसने एक मैसेज छोड़ा हुआ था

"गुड मॉर्निंग मिसेस चिक्की! जैसा मैंने कहा था मैं सुबह जल्दी निकल गया हु और अब कोई चैलेंज नहीं है तो अब हर 3 घंटे मे मेरा कॉल बजेगा"

राघव का मैसेज देख नेहा के चेहरे पर स्माइल आ गई लेकिन उसके कोई रिप्लाइ नहीं दिया और मैसेज को सीन पर छोड़ दिया राघव ताकि राघव को छेड़ सके और बाथरूम मे चली गई


जब वो बाथरूम मे बाहर आई तो उसका फोन घनघना रहा था और कॉलर आइडी पर राघव का नाम फ्लैश हो रहा था

नेहा- हैलो!

नेहा ने धीमे से कहा और अपनी स्माइल दबाने के लिए अपने होंठ दांतों से दबा लिए

राघव- मैंने कितनी बार कहा है अपने होंठ मत चबाया करो

राघव की बात सुन नेहा की आंखे बड़ी हो गई उसने इधर उधर देखा लेकिन राघव वहा नहीं दिखा

राघव- इधर उधर मत देखो चिक्की मैं वहा नहीं हु

नेहा- फिर आपको कैसे पता की मैंने...

राघव- जस्ट अ सेक्सी गेस😉

नेहा फोन पर ही राघव के चेहरे पर आई स्माइल फ़ील कर सकती थी

नेहा- आपने क्यू कॉल किया

राघव- अरे न कोई मॉर्निंग विश न किस!

नेहा- नहीं!

राघव- क्यू?

नेहा- मुझे विश नहीं करना है

राघव- तो किस के बारे मे क्या खयाल है 😉

राघव की बात सुन नेहा की आंखे बड़ी हो गई और उसके चेहरे पर लाली उभर आई

नेहा- शट उप

राघव- अरे तुम यहा नहीं हो ऐसे मे मैं शर्ट कैसे ऊपर कर सकता हु

राघव ने मासूमियत से कहा और नेहा ने अपने माथे पे हाथ मार लिया

नेहा- आपको पता है ये फ्लर्ट की डिक्शनेरी मे सबसे पुराना लाइन है

राघव- मुझे कैसे पता होगा मेरी बीवी खुद तो रोमांटिक नोवेल्स पढ़ती है लेकिन मुझे कुछ नहीं सिखाती

नेहा- आपको ऑफिस नहीं जाना क्या जाइए तयार होइए मुझे नीचे जाना है बाय!

जिसके बाद बगैर राघव के रिप्लाइ के नेहा ने फोन काट दिया और नीचे चली गई, उसे रह रह कर राघव की बातों पर हसी आ रही थी

पूरा दिन किसी पानी के झरने जैसा बह गया राघव अपने वादे मुताबिक उसे हर 3-4 घंटे मे कॉल या विडिओ कॉल कर रहा था और जब कॉल पर राघव ने नेहा के चाचा चाची को उसे कुछ दिन और रोकने के बारे मे सुना तो उसे तो हार्ट अटैक ही आने वाला था वो तो उसी समय नेहा को लेने जाने वाला था लेकिन नेहा ने उसे सुबह आने का बोला

अगले दिन राघव नेहा को लेने उसके घर पहुचा तो वो बहुत खुश था जिसके बाद वो दोनों शॉपिंग करने के लिए गए

ये पहली बार था जब नेहा और राघव ऐसे शॉपिंग करने गए थे क्युकी गणेशोत्सव में बस दो ही दिन बचे थे और जब वो सब निपटा कर घर पहुचे तो देशपांडे वाड़े मे नेहा का जोरदार स्वागत हुआ सब उसे बताने लगे के सबने उसे कितना मिस किया और जब नेहा को घरवालों ने राघव की हालत बताई तो नेहा की हसी नहीं रुक रही थी वही गणेशोंत्सव की तयारिया शुरू हो चुकी थी अब पता नहीं ये गणेशोत्सव इनके जीवन मे क्या नया तूफान लाने वाला था.......

क्रमश:
प्यारा भाग है लगता है गणेशोंत्सव मे कुछ होने वाला है
 
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Update 55




अगले दो दिन पूरे देशपांडे वाडे मे चहल पहल थी बाप्पा के आगमन की तयारिया पूरे जोर शोर से चल रही थी सारे शहर मे देशपांडे वाडे का गणेशोत्सव मशहूर था ये शहर का सबसे बड़ा घरगुती गणपती था और अब आने वाले 10 दिन वाडे मे बाप्पा के दर्शन को आने वाले और देशपांडे परिवार के खास लोग और बिजनस पार्टनर्स को खास इन्वाइट किया जाने वाले था बेसिकली अगले 10 दिन घर के सब लोग बस आने वाले मेहमानों के स्वागत मे और बाप्पा की पूजा मे बिजी रहने वाले थे, इन 10 दिनों मे वाडे मे अलग अलग प्रोग्राम्स भी आयोजित किए जाते थे जैसे शास्त्रीय संगीत और भजन के कार्यक्रम, पिछले कुछ सालों मे राघव ने अपने आप को इन सब से दूर कर लिया था वो बस आरती के समय आता फिर वापिस गायब हो जाता था लेकिन इस बार वैसा नहीं था नेहा की वजह से राघव पूरे मन से इस बार का उत्सव मनाने वाला था वो भी अपने सारे कामों को भूल के और आज वो दिन था जब बाप्पा का वाडे मे आगमन होना था सुबह से घर मे सब लोग काम खत्म करवाने मे लगे थे गणेश स्थापना का मुहूर्त दोपहर का था और दोपहर मे पूजा के बाद शाम को भव्य आरती होने वाली थी जिसमे देशपांडेस के बिजनस पार्टनर्स और स्टेट के कुछ बड़े पोलिटिकल लीडर्स और भी की जानी आणि हस्तिया आने वाली थी l।

राघव भी आज सबके साथ सारे काम खुद देख रहा था सारी अरेंजमेंट्स जांच रहा था।

जानकी- राघव ये फूल प्रसाद की टोकरिया सब लेजाके मंडप मे रखो पूजा के सामान के साथ और ऐसे रखना के किसी बच्चे का उस तक हाथ न पहुचे वो लोग एक फूल नहीं छोड़ेंगे

जानकी जि ने राघव को बुला कर कहा और उसने भी अपनी मा की बात का पालन किया जिसके बाद उसकी नजर नेहा पर पड़ी जो रिद्धि और श्वेता के साथ किसी गहन चर्चा मे डूबी हुई थी तो राघव उनके पास पहुचा।

नेहा- मैं न बहुत कन्फ्यूज़ हु सारी पहनु या लहंगा या नऊवारी तुम लोग कुछ सजेस्ट करो ना...

रिद्धि- कुछ भी पहन लो भाभी आप पर सब सूट करता है

श्वेता- हा और एक ईजी ऑप्शन दु जो भईया पहने उससे कुछ मैचिंग पहन लो

तभी वहा राघव पहुंचा

राघव- और लेडिज क्या चल रहा है

रिद्धि- डिस्कशन! भाभी का अभी तक क्या पहनना है डिसाइड नहीं हुआ है!

राघव- ये क्या कोई डिस्कशन का टॉपिक है क्या 🙄😂

राघव की बात पर नेहा ने उसे घूर कर देखा तभी राघव की नजर नेहा ने हाथ मे पकड़ी नऊवारी पर पड़ी

राघव- तुम ये पहनने वाली हो?? मुझे नहीं पता था तुम्हें नऊवारी पहननी आती है

(अबे शादी मे भी तो वही पहनी थी उसने 🤦🏻‍♂️)

नेहा- हा और आपको इसका कुछ नहीं पता है तो आप चुप रहिए

तभी श्वेता और रिद्धि वहा से चली गई और राघव और नेहा ही वहा बचे

राघव- जो भी हो बट मुझे नहीं लगता नऊवारी अच्छी लगेगी तुमपे

राघव ने नेहा को सर से पाओ तक देखते हुए कहा वही नेहा हाथ बांधे उसे देख रही थी

नेहा- कहना क्या है आपको

राघव- कुछ नहीं मैं तो बस सच कह रहा हु

नेहा- पक्का?

राघव- हा और नहीं तो अच्छा चलो एक वादा करता हु अगर तुम्हें देख कर मैं अपनी जगह पर जमा रह गया तो पूरे 10 दिन बस तुम्हारे पीछे पीछे घूमूँगा

राघव ने नेहा के कान मे कहा

नेहा- तो फिर तयार हो जाइए मेरे पीछे घूमने के लिए मिस्टर देशपांडे

इतना बोल कर नेहा वहा से चली गई और राघव भी दूसरे कामों मे लग गया

कुछ समय बाद घर के सब मर्द जाकर ढोल ताशे के साथ बप्पा को ले आए और उन्हे मंडप मे स्थापित किया गया जिसके बाद विधिवत स्थापना की गई और अब शुरू हुई शाम की भव्य आरती की तयारिया....

शाम का वक्त हो चला था और मेहमान आने लगे थे आरती का वक्त हो रहा था और घरवाले भी सब गेस्ट्स को अटेन्ड कर रहे थे राघव और धनंजय अपने बिजनस क्लाइंट्स को संभाल रहे थे वही शेखर रमाकांतजी के साथ उनका पोलिटिकल सर्कल हैंडल कर रहा था शिवशंकर देशपांडे भी सबसे मिल रहे थे

रमाकांत- सब रेडी है?

धनंजय- हा भाईसहब सब डन है!

गायत्री- चलो सब आरती का समय हो गया है

शिवशंकर- नेहा कहा है

दादू ने जब अपनी बहु को नहीं देखा तो पूछा फिर राघव भी इधर उधर देखने लगा लेकिन नेहा उसे नहीं दिखी अभी विवेक ने इशारा किया

विवेक- वो रही भाभी

और जैसे ही राघव ने उस ओर देखा वो नेहा की खूबसूरती मे खो गया, उसने एक नीले रंग की नऊवारी साड़ी पहनी हुई थी गले मे चपला हार, माथे पर चंद्र कोर बिंदी और नाक मे नथ, उसने अपने बालों का जुड़ा बनाया हुआ था जिसमे गजरा लगा हुआ था और इस पारंपरिक महराष्ट्रीयन लुक मे वो कमाल की खूबसूरत दिख रही थी।

राघव की आंखे बस नेहा पर जमी हुई थी एक पल के लिए भी उसने अपनी नजरे नेहा ने नहीं हटाई थी वही सेम टाइम मे कई और लोगों की नजरे नेहा पर जमी हुई थी और ये राघव को रास नहीं आ रहा था जो झट से जाकर नेहा के बाजू मे खड़ा हो गया मानो कह रहा हो के वो सिर्फ उसकी है

शिवशंकर- चलो भाई सब आ गए तो आरती शुरू करते है

जिसके बाद शुरू हुई बप्पा की भव्य आरती

नेहा के साथ बप्पा की आरती करते समय राघव के चेहरे की मुस्कान एक पल के लिए भी गायब नहीं हुई थी, वो तो इस वक्त दुनिया का सबसे खुश आदमी था और वो मन ही मन बप्पा को धन्यवाद दे रहा था नेहा को उसकी जिंदगी मे लाने के लिए

आरती के बाद नए आए गेस्ट्स के स्वागत मे सब लग गए

“congratulations मिस्टर देशपांडे फॉर योर मेरिज, सॉरी मैं तब आ नहीं पाया था” एक 40 की उम्र के आसपास के आदमी ने राघव से हाथ मिलते हुए कहा

“कोई बात नहीं मिस्टर शाह मीट माइ वाइफ मिसेज नेहा राघव देशपांडे”

राघव ने मिस्टर शाह को नेहा से मिलाया

“नाइस तो मीट यू मिसेज देशपांडे, आई मस्ट से मिस्टर देशपांडे योर वाइफ इस ब्यूटीफुल आप दोनों की जोड़ी काफी अच्छी लगती है"

राघव- थैंक यू, प्लीज इन्जॉय

जिसके बाद राघव और नेहा कई और लोगों से मिले राघव सबसे नेहा को इन्ट्रोडूस करा रहा था और जब दोनों के आसपास कोई नहीं होता तो दोनों अपनी प्यार भारी नोक झोंक मे बिजी थे तभी विवेक वहा नेहा को बुलाने आया

विवेक- भाभी आपको दादी बुला रही है और भाभी मैंने पहले बोला नहीं लेकिन आप बहुत अच्छी दिख रही हो आज

विवेक ने कहा

नेहा- थैंक यू विवेक कम से कम कोई तो है जो कॉम्प्लीमेंट करना जानता है

नेहा ने राघव को देखते हुए विवेक से कहा और वहा ने चली गई और विवेक भी जाने ही वाला था के राघव ने उसे पकड़ा और उसके गले मे अपना हाथ डाल के उससे बोला

राघव- तुझे हमेशा कबाब मे हड्डी क्यू बनना होता है बे

विवेक- मैंने क्या किया अब और वैसे भी गलती आपकी है आप भाभी की तारीफ नहीं करते और मैं तो प्रैक्टिस कर रहा हु आगे अपने को कोई दिक्कत नहीं चाहिए 😎

जिसके बाद विवेक भी वहा से चला गया और राघव अपने क्लाइंट्स से मिलने लगा

कुछ समय बाद राघव और नेहा फिर से साथ साथ थे और इस बार राघव उसे लेकर एक साइड मे आया था जहा कोई उन्हे डिस्टर्ब करने वाला नहीं था और उसी वक्त वहा देशपांडे वाडे के गेट पर एक गाड़ी आकार रुकी और उसमे से एक शक्स उतरा जो फोन पर किसी से बार कर रहा था

“हा पहुच गया हु मैं..... हा हा उससे मिलने की जल्दी तो मुझे भी है...... उसे उम्मीद नहीं होगी के मैं आज यह आने वाला हु.... देखते है वो कैसे रीऐक्ट करेगा..... ” जिसके बाद उस इंसान ने फोन काट दिया और वो अंदर आया

उसे आता देख रमाकांत जी उसे लेने के लिए गए वही राघव जो नेहा के साथ था उसकी नजर जैसे ही उस इंसान पर पड़ी वो अपनी जगह जम गया, उसका दिमाग एकदम ब्लैंक हो गया.......

कौन था वो और उसे देख राघव ऐसे चौक क्यू गया किससे मिलना था उस इंसान को बहुत से सवाल है जिनका जवाब आने वाले भागों मे मिलेगा तब तक साथ बने रहिए कहानी कैसी लग रही है कमेंट्स करिए

क्रमश:
ऐसे किसको देख लिया राघव ने जो वो इतना चौक गया।
 
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Update 56




राघव नेहा को सबसे दूर लेके आया था ताकि अकेले मे उसके साथ कुछ प्यार भारी बाते कर ले लेकिन तभी देशपांडे वाडे के गेट से एक शक्स की एंट्री हुई जिसे देख राघव अपनी जगह पर जम गया उससे भी ज्यादा हैरत उसे तब हुई जब उसने देखा के उसके पापा रमाकांत उस इंसान का स्वागत कर रहे थे और उनके साथ शेखर था

उस शक्स को देख राघव का दिमाग एकदम ब्लैंक हो गया उसके दिमाग मे पुरानी यादें चलने लगी वो नेहा से एकदम दूर हो गया वही अचानक राघव में आए इस बदलाव का कारण नेहा को समझ नहीं आ रहा था राघव नेहा से बगैर एक शब्द कहे वहा से चला गया वही नेहा को इस तरह उसके ऐसे बर्ताव का कारण समझ नहीं आ रहा था वो राघव को आवाज देते हुए उसके पीछे भागी तब तक जब तक वो घर के दूसरे कोने मे नहीं पहुचे राघव की आंखे एकदम लाल हो गई थी और उसे ऐसे देख नेहा को और चिंता होने लगी

नेहा- राघव क्या हुआ है आपको?

नेहा ने अपने हाथों से राघव का चेहरा थामते हुए उससे पूछा और राघव ने एकदम से उसे गले लगा लिया वो भी एकदम कस कर

नेहा- अचानक क्या हुआ आपको बताइए मुझे?

नेहा ने राघव की पीठ सहलाते हुए उससे पूछा

राघव- वो... वो है यहा जिससे मैं जिंदगी मे कभी नहीं मिलना चाहता था वो यही है मैंने देखो उसे

राघव बहुत ज्यादा नर्वस था उसकी साँसे भी तेज चल रही थी वही राघव की बात सुन नेहा समझ चुकी थी के वो किस बारे मे बात कर रहा है

नेहा- मैं जानती हु राघव, सब जानती हु

नेहा ने कहा जिसे सुन राघव ने उसे अपने से अलग किया और कन्फ़्युशन मे उसे देखने लगा

राघव- तुम.. तुम जानती हो?

नेहा- हा! शेखर ने बताया उस दिन जब मैं ऑफिस से रोते हुए घर आई थी

अब राघव के दिमाग मे सब क्लियर था कैसे उस दिन के बाद नेहा में एकदम बदलाव आया था वो डरी हुई नेहा और बोल्ड नेहा, उनके रिश्ते मे भी उसी दिन से बदलाव आया था वो नेहा को देखने लगा

राघव- तुम सब जानती थी लेकिन फिर भी मुझे कुछ नहीं बताया?

नेहा- मुझे लगा आप वापिस उन बातों मे उलझ जाएंगे इसीलिए काभी ये बात छेड़ी ही नहीं लेकिन उससे आपको हर्ट नहीं करना था मुझे

नेहा की बात सुन राघव कुछ नहीं बोला वो अपने ही खयालों मे गुम था नेहा ने उसे पुकारा तब जाकर वो अपने खयालों से बाहर आया उसने अपने चेहरे से नेहा का हाथ हटाया और पीछे हटने लगा

नेहा- क्या हुआ कहा जा रहे है आप

राघव- मुझे.... मुझे थोड़ा वक्त चाहिए नेहा मेरा दिमाग अभी जगह पर नहीं है और प्लीज मुझे रोकना मत

इतना बोल राघव वहा से चला गया और नेहा बस उसे जाते हुए देखती रही

‘है बप्पा इनकी रक्षा करना, सब ठीक कर देना’ नेहा ने मन ही मन प्रार्थना की

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राघव ने अपनी गाड़ी निकाली और घर से दूर निकल गया उसके दिमाग मे इस वक्त बहुत कुछ चल रहा था और जब वो एक सुनसान जगह पर पहुचा उसने गाड़ी रोकी और बाहर आया, उसे कुछ घुटन सी महसूस हो रही थी उसने अपने कुर्ते के ऊपर के 3 बटन खोले उसके दिमाग मे लोगों की आवाजे गूंज रही थी

“राघव यू आर अ लूसर”

“सब तुम्हारी वजह से हुआ है”

“ये तो साला है ही मनहूस”

“इसके साथ कभी कोई खुश नहीं रह पाएगा”

“अरे तभी तो इसका कोई दोस्त नहीं है”

“किलर...”

राघव- नहीं!! नहीं!!! नहीं!!

राघव अपने दोनों कानों पर हाथ रख जोर से चीखा वो पसीने से पूरा तरबतर था और उसकी साँसे भी तेज चल रही थी और वो अपनी गर्दन बार बार ना मे हिला रहा था

राघव- ये तुमने सही नहीं किया नेहा!! तुम्हें मुझे ये बात बता देनी चाहिए थी के तुम मुझ पर तरस खा रही हो इसीलिए मेरे साथ हो मेरे पास्ट की वजह से

राघव अपने घुटनों पर बैठ गया, उसकी आंखे नम हो गई थी और जैसे ही उसने अपनी आंखे बंद की वो उन्ही यादों मे खो गया

इधर घर मे नेहा इधर से उधर चक्कर काट रही थी रात के 1 बज रहे थे और राघव अभी तक लौटा नहीं था और नेहा को अब उसकी चिंता होने लगी थी वो कई बार राघव को कॉल लगा चुकी थी लेकिन राघव ने किसी कॉल का जवाब नहीं दिया था नेहा ने घरवालों के सामने तो जैसे तैसे राघव के काम का बहाना बना दिया था लेकिन चिंता के मारे उसका दिल इसवक्त जोरों से धडक रहा था उसने दोबारा राघव को कॉल लगाया लेकिन इस बार उसे फोन की रिंगटोन भी सुनाई दी देखा तो राघव आ चुका था

नेहा- कहा थे आप? और मेरा फोन क्यू नहीं उठा रहे थे? आप ठीक है ना??

बदले मे राघव ने बस हा मे गर्दन हिला दी और अपने रूम मे चला गया और उसके पीछे पीछे नेहा भी, राघव का उतरा हुआ चेहरा नेहा से देखा नहीं जा रहा था उसके दिमाग मे भी इसवक्त बहुत सी बाते चल रही थी और उसकी तंद्री तब टूटी जब राघव उसके बाजू मे आकार बैठा नेहा ने बेड पर उसके लिए जगह बनाई और राघव लेट गया

नेहा- राघव, आप ठीक है?

राघव- मैं ठीक हु नेहा बस थका हुआ हु सोना चाहता हु

राघव की बात सुन नेहा ने भी फिर किसी बात पर जोर नहीं दिया और राघव से लिपट कर सो गई

अगली सुबह जब नेहा की आँख खुली तो राघव वहा नहीं था नेहा ने राघव को बाद मे पूरे घर मे ढूंढा लेकिन वो उसे कही नहीं दिखा और जब नेहा ने राघव को कॉल करने के लिए अपना फोन खोला तो उसने राघव का मैसेज था

‘अर्जन्ट मीटिंग मे हु’

बस। सिर्फ चार शब्द उसने उसे भेजे थे बदले मे नेहा ने उसे घर जल्दी आने के लिए कहा जिसे रिप्लाइ मे राघव बस इतना बोला के ‘कह नहीं सकता कोशिश करूंगा’

नेहा को राघव के रिप्लाइज कुछ रूखे से उखड़े से लग रहे थे उसके अतीत के खयाल अब तक उसे तंग कर थे और नेहा का अब राघव से बात करना जरूरी था उसने राघव के घर आने के बाद उससे बात करने का फैसला किया लेकिन राघव उसके बाद घर आया ही नहीं

राघव इसवक्त बिल्कुल भी नेहा के सामने नहीं जाना चाहता था, उसे ये बात सबसे ज्यादा तकलीफ दे रही थी के उसकी चिक्की उसके अतीत की वजह से अबतक बस उसपर तरस खा रही थी। उसने ऑफिस से ही धनंजयजी को बता दिया था के वो 7 दिनों के लिए किसी बिजनस ट्रिप पर जा रहा है न तो उसने नेहा को कॉल किया न उसके कॉल का जवाब दिया, नेहा राघव के इस बर्ताव से बहुत खफा थी लेकिन वो ये भी जानती थी के वो तकलीफ मे था और अब उसे सब सही करना था।

आज 5 दिन हो चुके थे और अब राघव को ये सब फेस करना ही था

नेहा- शेखर अपने भाई को कॉल लगाओ

नेहा ने शेखर के रूम मे जाते हुए कहा,

शेखर- क्या हुआ भाभी

नेहा- अपने भाई को कॉल लगाओ और उनसे आज के आज वापिस आने कहो

शेखर- लेकिन भाभी भाई कभी कोई डील अधूरी छोड़ के नहीं आएगा

नेहा- उनसे कहो मेरी हालत बहुत खराब है और मुझे वो मेरी आँखों के सामने चाहिए

शेखर- भाभी सब ठीक है ना??

नेहा- जो ठीक नहीं है वो हो जाएगा

शेखर ने राघव को कॉल लगाया लेकिन राघव ने उसका कॉल नहीं उठाया और जब 5-6 बार ऐसा हुआ तो

नेहा- तुम्हारे पास उनके दोस्त विशाल का नंबर है

शेखर- हा

नेहा- वो विशाल के साथ होंगे विशाल को कॉल करो

जिसके बाद शेखर ने विशाल को कॉल किया और विशाल ने एक झटके मे कॉल उठाया

विशाल- हा शेखर बोलो

शेखर- भाई राघव भैया आपके साथ है?

शेखर की बात सुन विशाल ने उसके साथ बैठे राघव को देखा लेकिन कुछ नहीं बोला राघव ने उसे फोन स्पीकर पर रखने कहा

शेखर- है या नहीं मैं नहीं जानता वो बस हमारे किसी कॉल का जवाब नहीं दे रहे है अगर आपका उनसे कॉन्टेक्ट हो तो कहना के भाभी...

बोलते बोलते शेखर रुका वही राघव के कान भी फोन पर जम गए

शेखर- भाभी की तबीयत बहुत खराब है उनकी कन्डिशन...

लेकिन शेखर आगे कुछ कहता उससे पहले ही राघव ने विशाल से फोन लिया

राघव- क्या हुआ नेहा को?? शेखर क्या हुआ है उसे? वो ठीक है ना? टेल मि डैमइट

राघव की आवाज मे चिंता साफ थी, वो भले नेहा को अवॉइड कर रहा था सोच रहा था के नेहा बस उसपर तरस खा रही थी लेकिन चिंता तो वो उसकी बहुत करता था आखिर उसे पसंद करता था वो, भले को घर मे किसी से बात नहीं कर रहा था लेकिन जब भी उसकी शेखर या अपने चाचा के बिजनेस रिलेटेड बात होती तो वो उसमे बीचमे नेहा के बारे मे पूछ लेता था। वो भी नेहा से बात करना चाहता था सब क्लियर करना चाहता था लेकिन बस उसे थोड़ा वक्त चाहिए था

राघव- शेखर क्या हुआ है उसे!!

राघव चीखा

शेखर- भाई आप बस जल्द से जल्द घर आ जाओ

जिसके बाद शेखर ने फोन काट दिया और नेहा का प्लान सक्सेस हो गया अब शेखर को इतना करना था के जब भी राघव का फोन आए उसे ना उठाए

नेहा जब अपने रूम मे आई तो एक मिनट मे उसके फोन पर राघव के 5 मिस कॉल आ चुके थे और जितना वो राघव को जानती थी उस हिसाब से राघव अब तक वापिस आने की तयारी शुरू कर चुका होगा

नेहा- अगर ये अभी आने के लिए निकलते है तब भी आधी रात से पहले नहीं पहुच पाएंगे तब तक अपने काम निपटा लेती हु

नेहा ने सोचा मानो ये कोई बड़ी बात ना हो लेकिन अंदर ही अंदर वो बहुत डरी हुई थी, आज बहुत सी चीजों का खुलासा होना था और उसे कोई आइडिया नहीं था के राघव कैसे रीऐक्ट करेगा जब वो यहा पहुचेगा..

इस वक्त रात के 11.30 बज रहे थे घर पर नेहा के अलावा कोई नहीं था बाकी सभी लोग गणपती दर्शन के लिए गए हुए थे और वो 1-2 बजे तक नहीं लौटने वाले थे उन्होंने नेहा से भी चलने कहा लेकिन उसने तबीयत ठीक नहीं है का बहाना बना दिया

नेहा इस वक्त अपने रूम मे बैठी टीवी के चैनल्स बदल रही थी तभी झटके के साथ उसके रूम का दरवाजा खुला और राघव हाफते हुए अंदर आया, राघव को देख नेहा के चेहरे पर एक मुस्कान आ गई और इससे पहले के नेहा कुछ कहती राघव ने उसे कस के गले लगा लिया, नेहा ने भी राघव को गले से लगाया

राघव ने नेहा को ऐसे पकड़ रखा था मानो उनकी जिंदगी बस नेहा से साथ है वो किसी कीमत पर उसे नहीं खोना चाहता था और नेहा भी राघव की बढ़ी हुई धड़कनों को महसूस कर सकती थी

राघव- तुम ठीक हो?? क्या हुआ है तुम्हें?? शेखर ने कहा था तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं है?? बेबी क्या हुआ है??

राघव ने नेहा का चेहरा अपने हाथों मे थामते हुए उसे ऊपर से नीचे देखते हुए पूछा

नेहा- मैं ठीक हु मुझे कुछ नहीं हुआ है मैंने ही शेखर से आपसे झूठ कहने कहा था

नेहा की बात सुन राघव उसे शॉक मे देखने लगा वो बस नेहा पर चिल्लाने ही वाला था के उसे अपना नेहा से किया वादा याद आया के वो कभी उसपर गुस्सा नहीं करेगा और उसके ट्रिप पर जाने का भी यही रीज़न था के वो अपने आप को शांत करना चाहता था उसने नेहा के वादा किया था के बगैर बात करे किसी नतीजे पे नहीं पहुचेगा लेकिन फिर भी उसने अपने मन मे ये धारणा बना ली थी के नेहा को उसपर बस तरस आ रहा था, उसका दिमाग काम नहीं कर रहा था और वो एकदम से नेहा पर अपने सवालों की बारिश नहीं करना चाहता था जिससे नेहा को लगे के वो उसे दोष दे रहा है

राघव- क्यू??

राघव बस एक शब्द बोला, उसकी आवाज मे गुस्सा साफ था जिसे वो कंट्रोल कर रहा था

नेहा- आप मेरे कॉल्स का जवाब क्यू नहीं दे रहे थे?

नेहा के सीधा पॉइंट पर आते हुए सवाल का जवाब मे सवाल किया

राघव- तो इसीलिए शेखर से झूठ कहने कहोगी?? छोटी बच्ची हो क्या!! तुम्हें कोई आइडिया है मेरी क्या हालत हुई

नेहा- वही तो मैं भी जानना चाहती हु, मुझे पता है आप मेरे सवालों से बचने के लिए ही इस ट्रिप पर गए थे, आप मुझे इग्नोर क्यू कर रहे है??

राघव- मैं तुम्हें इग्नोर नहीं कर रहा हु मैं बस.... काम मे बिजी था

राघव ने नेहा से नजरे चुराते हुए कहा

नेहा- राघव मेरी ओर देखिए, आप मुझे उस दिन से इग्नोर कर रहे है, अगर आपके दिमाग मे कुछ चल रहा है तो प्लीज मुझे बताइए मैं हमेशा आपके साथ हु (नेहा ने राघव का हाथ पकड़ा) राघव मेरी ओर...

लेकिन नेहा बोलते बोलते रुकी जब उसने देखा के रघाव की आँखों मे पानी था

राघव- तुम मेरे अतीत की वजह से मुझपर तरस खा रही हो न? ये सब प्यार ये केयर सब मेरे पास्ट की वजह से है

नेहा- नहीं!!! नहीं नहीं!! आप ऐसा कैसे सोच सकते है ऐसा बिल्कुल नहीं है

राघव- तो फिर तुम्हारा बिहेवियर तब ही क्यू बदला जब शेखर ने तुम्हें सब कुछ सच बताया ?

नेहा- अब आप पहले मेरी बात ध्यान से सुनिए! हा शेखर ने मुझे सब बताया है क्युकी मैंने हमारे रिश्ते से सारी उम्मीदें खो दी थी ना तो आप कोशिश कर रहे थे ना ही मैं अब और आगे कुछ करना चाहती थी लेकिन इस रिश्ते को सार्थक करने किसी न किसी को तो कदम बढ़ाना ही था, मुझे फिक्र है आपकी और मुझे पूरा हक है ये जानना का की ऐसी कौनसी बात है जो आपको परेशान करती है और मैं इतना भी बता दु के उस सब मे आपकी कोई गलती नहीं थी आप बहुत बहादुर है राघव

नेहा- मेरा बिहेवियर इसीलिए नहीं बदला क्युकी मुझे आपके अतीत के बारे मे बात चला बल्कि मैं आपको मुझसे मिलाना चाहती थी आपका अतीत जो भी रहा हो मुझे उससे कोई फर्क नहीं पड़ता मुझे फर्क पड़ता है आपसे मुझे आपकी फिक्र है, आई एम सॉरी मुझे ये सब आपसे जानना चाहिए था ना की किसी और से लेकिन सिचूऐशन ही ऐसी थी के शेखर को मुझे सब बताना पड़ा वरना वो मुझे कभी वो बात नहीं बताता

नेहा ने राघव का गाल सहलाते हुए कहा

नेहा- शेखर ने मुझे सब बताया है लेकिन मुझे सब आपसे सुनना है। सब कुछ। शेखर ने मुझे सब सुनी सुनाई बाते बताई है लेकिन मुझे आपसे जानना है के क्या हुआ था, बताइए राघव आपका गुस्सा आपका डर आज सब बाहर आने दीजिए आज यहा आपको जज करने वाला कोई नहीं है आपको अपने डर का सामना करना होगा

राघव बस नेहा को देख रहा था

‘मुझे उसे सब बता देना चाहिए वो मेरी सारी बात मानेगी’ राघव ने मन ही मन सोचा

क्रमश:
लगता है अतीत के राज सामने आने वाले है
 

dhparikh

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राघव नेहा को सबसे दूर लेके आया था ताकि अकेले मे उसके साथ कुछ प्यार भारी बाते कर ले लेकिन तभी देशपांडे वाडे के गेट से एक शक्स की एंट्री हुई जिसे देख राघव अपनी जगह पर जम गया उससे भी ज्यादा हैरत उसे तब हुई जब उसने देखा के उसके पापा रमाकांत उस इंसान का स्वागत कर रहे थे और उनके साथ शेखर था

उस शक्स को देख राघव का दिमाग एकदम ब्लैंक हो गया उसके दिमाग मे पुरानी यादें चलने लगी वो नेहा से एकदम दूर हो गया वही अचानक राघव में आए इस बदलाव का कारण नेहा को समझ नहीं आ रहा था राघव नेहा से बगैर एक शब्द कहे वहा से चला गया वही नेहा को इस तरह उसके ऐसे बर्ताव का कारण समझ नहीं आ रहा था वो राघव को आवाज देते हुए उसके पीछे भागी तब तक जब तक वो घर के दूसरे कोने मे नहीं पहुचे राघव की आंखे एकदम लाल हो गई थी और उसे ऐसे देख नेहा को और चिंता होने लगी

नेहा- राघव क्या हुआ है आपको?

नेहा ने अपने हाथों से राघव का चेहरा थामते हुए उससे पूछा और राघव ने एकदम से उसे गले लगा लिया वो भी एकदम कस कर

नेहा- अचानक क्या हुआ आपको बताइए मुझे?

नेहा ने राघव की पीठ सहलाते हुए उससे पूछा

राघव- वो... वो है यहा जिससे मैं जिंदगी मे कभी नहीं मिलना चाहता था वो यही है मैंने देखो उसे

राघव बहुत ज्यादा नर्वस था उसकी साँसे भी तेज चल रही थी वही राघव की बात सुन नेहा समझ चुकी थी के वो किस बारे मे बात कर रहा है

नेहा- मैं जानती हु राघव, सब जानती हु

नेहा ने कहा जिसे सुन राघव ने उसे अपने से अलग किया और कन्फ़्युशन मे उसे देखने लगा

राघव- तुम.. तुम जानती हो?

नेहा- हा! शेखर ने बताया उस दिन जब मैं ऑफिस से रोते हुए घर आई थी

अब राघव के दिमाग मे सब क्लियर था कैसे उस दिन के बाद नेहा में एकदम बदलाव आया था वो डरी हुई नेहा और बोल्ड नेहा, उनके रिश्ते मे भी उसी दिन से बदलाव आया था वो नेहा को देखने लगा

राघव- तुम सब जानती थी लेकिन फिर भी मुझे कुछ नहीं बताया?

नेहा- मुझे लगा आप वापिस उन बातों मे उलझ जाएंगे इसीलिए काभी ये बात छेड़ी ही नहीं लेकिन उससे आपको हर्ट नहीं करना था मुझे

नेहा की बात सुन राघव कुछ नहीं बोला वो अपने ही खयालों मे गुम था नेहा ने उसे पुकारा तब जाकर वो अपने खयालों से बाहर आया उसने अपने चेहरे से नेहा का हाथ हटाया और पीछे हटने लगा

नेहा- क्या हुआ कहा जा रहे है आप

राघव- मुझे.... मुझे थोड़ा वक्त चाहिए नेहा मेरा दिमाग अभी जगह पर नहीं है और प्लीज मुझे रोकना मत

इतना बोल राघव वहा से चला गया और नेहा बस उसे जाते हुए देखती रही

‘है बप्पा इनकी रक्षा करना, सब ठीक कर देना’ नेहा ने मन ही मन प्रार्थना की

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राघव ने अपनी गाड़ी निकाली और घर से दूर निकल गया उसके दिमाग मे इस वक्त बहुत कुछ चल रहा था और जब वो एक सुनसान जगह पर पहुचा उसने गाड़ी रोकी और बाहर आया, उसे कुछ घुटन सी महसूस हो रही थी उसने अपने कुर्ते के ऊपर के 3 बटन खोले उसके दिमाग मे लोगों की आवाजे गूंज रही थी

“राघव यू आर अ लूसर”

“सब तुम्हारी वजह से हुआ है”

“ये तो साला है ही मनहूस”

“इसके साथ कभी कोई खुश नहीं रह पाएगा”

“अरे तभी तो इसका कोई दोस्त नहीं है”

“किलर...”

राघव- नहीं!! नहीं!!! नहीं!!

राघव अपने दोनों कानों पर हाथ रख जोर से चीखा वो पसीने से पूरा तरबतर था और उसकी साँसे भी तेज चल रही थी और वो अपनी गर्दन बार बार ना मे हिला रहा था

राघव- ये तुमने सही नहीं किया नेहा!! तुम्हें मुझे ये बात बता देनी चाहिए थी के तुम मुझ पर तरस खा रही हो इसीलिए मेरे साथ हो मेरे पास्ट की वजह से

राघव अपने घुटनों पर बैठ गया, उसकी आंखे नम हो गई थी और जैसे ही उसने अपनी आंखे बंद की वो उन्ही यादों मे खो गया

इधर घर मे नेहा इधर से उधर चक्कर काट रही थी रात के 1 बज रहे थे और राघव अभी तक लौटा नहीं था और नेहा को अब उसकी चिंता होने लगी थी वो कई बार राघव को कॉल लगा चुकी थी लेकिन राघव ने किसी कॉल का जवाब नहीं दिया था नेहा ने घरवालों के सामने तो जैसे तैसे राघव के काम का बहाना बना दिया था लेकिन चिंता के मारे उसका दिल इसवक्त जोरों से धडक रहा था उसने दोबारा राघव को कॉल लगाया लेकिन इस बार उसे फोन की रिंगटोन भी सुनाई दी देखा तो राघव आ चुका था

नेहा- कहा थे आप? और मेरा फोन क्यू नहीं उठा रहे थे? आप ठीक है ना??

बदले मे राघव ने बस हा मे गर्दन हिला दी और अपने रूम मे चला गया और उसके पीछे पीछे नेहा भी, राघव का उतरा हुआ चेहरा नेहा से देखा नहीं जा रहा था उसके दिमाग मे भी इसवक्त बहुत सी बाते चल रही थी और उसकी तंद्री तब टूटी जब राघव उसके बाजू मे आकार बैठा नेहा ने बेड पर उसके लिए जगह बनाई और राघव लेट गया

नेहा- राघव, आप ठीक है?

राघव- मैं ठीक हु नेहा बस थका हुआ हु सोना चाहता हु

राघव की बात सुन नेहा ने भी फिर किसी बात पर जोर नहीं दिया और राघव से लिपट कर सो गई

अगली सुबह जब नेहा की आँख खुली तो राघव वहा नहीं था नेहा ने राघव को बाद मे पूरे घर मे ढूंढा लेकिन वो उसे कही नहीं दिखा और जब नेहा ने राघव को कॉल करने के लिए अपना फोन खोला तो उसने राघव का मैसेज था

‘अर्जन्ट मीटिंग मे हु’

बस। सिर्फ चार शब्द उसने उसे भेजे थे बदले मे नेहा ने उसे घर जल्दी आने के लिए कहा जिसे रिप्लाइ मे राघव बस इतना बोला के ‘कह नहीं सकता कोशिश करूंगा’

नेहा को राघव के रिप्लाइज कुछ रूखे से उखड़े से लग रहे थे उसके अतीत के खयाल अब तक उसे तंग कर थे और नेहा का अब राघव से बात करना जरूरी था उसने राघव के घर आने के बाद उससे बात करने का फैसला किया लेकिन राघव उसके बाद घर आया ही नहीं

राघव इसवक्त बिल्कुल भी नेहा के सामने नहीं जाना चाहता था, उसे ये बात सबसे ज्यादा तकलीफ दे रही थी के उसकी चिक्की उसके अतीत की वजह से अबतक बस उसपर तरस खा रही थी। उसने ऑफिस से ही धनंजयजी को बता दिया था के वो 7 दिनों के लिए किसी बिजनस ट्रिप पर जा रहा है न तो उसने नेहा को कॉल किया न उसके कॉल का जवाब दिया, नेहा राघव के इस बर्ताव से बहुत खफा थी लेकिन वो ये भी जानती थी के वो तकलीफ मे था और अब उसे सब सही करना था।

आज 5 दिन हो चुके थे और अब राघव को ये सब फेस करना ही था

नेहा- शेखर अपने भाई को कॉल लगाओ

नेहा ने शेखर के रूम मे जाते हुए कहा,

शेखर- क्या हुआ भाभी

नेहा- अपने भाई को कॉल लगाओ और उनसे आज के आज वापिस आने कहो

शेखर- लेकिन भाभी भाई कभी कोई डील अधूरी छोड़ के नहीं आएगा

नेहा- उनसे कहो मेरी हालत बहुत खराब है और मुझे वो मेरी आँखों के सामने चाहिए

शेखर- भाभी सब ठीक है ना??

नेहा- जो ठीक नहीं है वो हो जाएगा

शेखर ने राघव को कॉल लगाया लेकिन राघव ने उसका कॉल नहीं उठाया और जब 5-6 बार ऐसा हुआ तो

नेहा- तुम्हारे पास उनके दोस्त विशाल का नंबर है

शेखर- हा

नेहा- वो विशाल के साथ होंगे विशाल को कॉल करो

जिसके बाद शेखर ने विशाल को कॉल किया और विशाल ने एक झटके मे कॉल उठाया

विशाल- हा शेखर बोलो

शेखर- भाई राघव भैया आपके साथ है?

शेखर की बात सुन विशाल ने उसके साथ बैठे राघव को देखा लेकिन कुछ नहीं बोला राघव ने उसे फोन स्पीकर पर रखने कहा

शेखर- है या नहीं मैं नहीं जानता वो बस हमारे किसी कॉल का जवाब नहीं दे रहे है अगर आपका उनसे कॉन्टेक्ट हो तो कहना के भाभी...

बोलते बोलते शेखर रुका वही राघव के कान भी फोन पर जम गए

शेखर- भाभी की तबीयत बहुत खराब है उनकी कन्डिशन...

लेकिन शेखर आगे कुछ कहता उससे पहले ही राघव ने विशाल से फोन लिया

राघव- क्या हुआ नेहा को?? शेखर क्या हुआ है उसे? वो ठीक है ना? टेल मि डैमइट

राघव की आवाज मे चिंता साफ थी, वो भले नेहा को अवॉइड कर रहा था सोच रहा था के नेहा बस उसपर तरस खा रही थी लेकिन चिंता तो वो उसकी बहुत करता था आखिर उसे पसंद करता था वो, भले को घर मे किसी से बात नहीं कर रहा था लेकिन जब भी उसकी शेखर या अपने चाचा के बिजनेस रिलेटेड बात होती तो वो उसमे बीचमे नेहा के बारे मे पूछ लेता था। वो भी नेहा से बात करना चाहता था सब क्लियर करना चाहता था लेकिन बस उसे थोड़ा वक्त चाहिए था

राघव- शेखर क्या हुआ है उसे!!

राघव चीखा

शेखर- भाई आप बस जल्द से जल्द घर आ जाओ

जिसके बाद शेखर ने फोन काट दिया और नेहा का प्लान सक्सेस हो गया अब शेखर को इतना करना था के जब भी राघव का फोन आए उसे ना उठाए

नेहा जब अपने रूम मे आई तो एक मिनट मे उसके फोन पर राघव के 5 मिस कॉल आ चुके थे और जितना वो राघव को जानती थी उस हिसाब से राघव अब तक वापिस आने की तयारी शुरू कर चुका होगा

नेहा- अगर ये अभी आने के लिए निकलते है तब भी आधी रात से पहले नहीं पहुच पाएंगे तब तक अपने काम निपटा लेती हु

नेहा ने सोचा मानो ये कोई बड़ी बात ना हो लेकिन अंदर ही अंदर वो बहुत डरी हुई थी, आज बहुत सी चीजों का खुलासा होना था और उसे कोई आइडिया नहीं था के राघव कैसे रीऐक्ट करेगा जब वो यहा पहुचेगा..

इस वक्त रात के 11.30 बज रहे थे घर पर नेहा के अलावा कोई नहीं था बाकी सभी लोग गणपती दर्शन के लिए गए हुए थे और वो 1-2 बजे तक नहीं लौटने वाले थे उन्होंने नेहा से भी चलने कहा लेकिन उसने तबीयत ठीक नहीं है का बहाना बना दिया

नेहा इस वक्त अपने रूम मे बैठी टीवी के चैनल्स बदल रही थी तभी झटके के साथ उसके रूम का दरवाजा खुला और राघव हाफते हुए अंदर आया, राघव को देख नेहा के चेहरे पर एक मुस्कान आ गई और इससे पहले के नेहा कुछ कहती राघव ने उसे कस के गले लगा लिया, नेहा ने भी राघव को गले से लगाया

राघव ने नेहा को ऐसे पकड़ रखा था मानो उनकी जिंदगी बस नेहा से साथ है वो किसी कीमत पर उसे नहीं खोना चाहता था और नेहा भी राघव की बढ़ी हुई धड़कनों को महसूस कर सकती थी

राघव- तुम ठीक हो?? क्या हुआ है तुम्हें?? शेखर ने कहा था तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं है?? बेबी क्या हुआ है??

राघव ने नेहा का चेहरा अपने हाथों मे थामते हुए उसे ऊपर से नीचे देखते हुए पूछा

नेहा- मैं ठीक हु मुझे कुछ नहीं हुआ है मैंने ही शेखर से आपसे झूठ कहने कहा था

नेहा की बात सुन राघव उसे शॉक मे देखने लगा वो बस नेहा पर चिल्लाने ही वाला था के उसे अपना नेहा से किया वादा याद आया के वो कभी उसपर गुस्सा नहीं करेगा और उसके ट्रिप पर जाने का भी यही रीज़न था के वो अपने आप को शांत करना चाहता था उसने नेहा के वादा किया था के बगैर बात करे किसी नतीजे पे नहीं पहुचेगा लेकिन फिर भी उसने अपने मन मे ये धारणा बना ली थी के नेहा को उसपर बस तरस आ रहा था, उसका दिमाग काम नहीं कर रहा था और वो एकदम से नेहा पर अपने सवालों की बारिश नहीं करना चाहता था जिससे नेहा को लगे के वो उसे दोष दे रहा है

राघव- क्यू??

राघव बस एक शब्द बोला, उसकी आवाज मे गुस्सा साफ था जिसे वो कंट्रोल कर रहा था

नेहा- आप मेरे कॉल्स का जवाब क्यू नहीं दे रहे थे?

नेहा के सीधा पॉइंट पर आते हुए सवाल का जवाब मे सवाल किया

राघव- तो इसीलिए शेखर से झूठ कहने कहोगी?? छोटी बच्ची हो क्या!! तुम्हें कोई आइडिया है मेरी क्या हालत हुई

नेहा- वही तो मैं भी जानना चाहती हु, मुझे पता है आप मेरे सवालों से बचने के लिए ही इस ट्रिप पर गए थे, आप मुझे इग्नोर क्यू कर रहे है??

राघव- मैं तुम्हें इग्नोर नहीं कर रहा हु मैं बस.... काम मे बिजी था

राघव ने नेहा से नजरे चुराते हुए कहा

नेहा- राघव मेरी ओर देखिए, आप मुझे उस दिन से इग्नोर कर रहे है, अगर आपके दिमाग मे कुछ चल रहा है तो प्लीज मुझे बताइए मैं हमेशा आपके साथ हु (नेहा ने राघव का हाथ पकड़ा) राघव मेरी ओर...

लेकिन नेहा बोलते बोलते रुकी जब उसने देखा के रघाव की आँखों मे पानी था

राघव- तुम मेरे अतीत की वजह से मुझपर तरस खा रही हो न? ये सब प्यार ये केयर सब मेरे पास्ट की वजह से है

नेहा- नहीं!!! नहीं नहीं!! आप ऐसा कैसे सोच सकते है ऐसा बिल्कुल नहीं है

राघव- तो फिर तुम्हारा बिहेवियर तब ही क्यू बदला जब शेखर ने तुम्हें सब कुछ सच बताया ?

नेहा- अब आप पहले मेरी बात ध्यान से सुनिए! हा शेखर ने मुझे सब बताया है क्युकी मैंने हमारे रिश्ते से सारी उम्मीदें खो दी थी ना तो आप कोशिश कर रहे थे ना ही मैं अब और आगे कुछ करना चाहती थी लेकिन इस रिश्ते को सार्थक करने किसी न किसी को तो कदम बढ़ाना ही था, मुझे फिक्र है आपकी और मुझे पूरा हक है ये जानना का की ऐसी कौनसी बात है जो आपको परेशान करती है और मैं इतना भी बता दु के उस सब मे आपकी कोई गलती नहीं थी आप बहुत बहादुर है राघव

नेहा- मेरा बिहेवियर इसीलिए नहीं बदला क्युकी मुझे आपके अतीत के बारे मे बात चला बल्कि मैं आपको मुझसे मिलाना चाहती थी आपका अतीत जो भी रहा हो मुझे उससे कोई फर्क नहीं पड़ता मुझे फर्क पड़ता है आपसे मुझे आपकी फिक्र है, आई एम सॉरी मुझे ये सब आपसे जानना चाहिए था ना की किसी और से लेकिन सिचूऐशन ही ऐसी थी के शेखर को मुझे सब बताना पड़ा वरना वो मुझे कभी वो बात नहीं बताता

नेहा ने राघव का गाल सहलाते हुए कहा

नेहा- शेखर ने मुझे सब बताया है लेकिन मुझे सब आपसे सुनना है। सब कुछ। शेखर ने मुझे सब सुनी सुनाई बाते बताई है लेकिन मुझे आपसे जानना है के क्या हुआ था, बताइए राघव आपका गुस्सा आपका डर आज सब बाहर आने दीजिए आज यहा आपको जज करने वाला कोई नहीं है आपको अपने डर का सामना करना होगा

राघव बस नेहा को देख रहा था

‘मुझे उसे सब बता देना चाहिए वो मेरी सारी बात मानेगी’ राघव ने मन ही मन सोचा

क्रमश:
Nice update....
 
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तरस खाना और प्रेम करना निस्संदेह अलग अलग चीज है लेकिन अगर कोई तरस खाकर आपका मोरल सपोर्ट करे तो इसका मतलब हुआ कि उसे आप पर विश्वास है , आप की हालात को समझता है , आप के लिए उसके दिल मे हमदर्दी है । फिर ' तरस खाना ' गलत कैसे हो सकता है !

राघव ने एक ऐसे इंसान को देखा जिसका उसके फादर से कनेक्शन है , उसके आवास मे आना - जाना लगा रहता है । मतलब वो कोई स्ट्रैंजर नही है । वो शख्स उनका परिचित या शायद कोई पारिवारिक सदस्य हो सकता है ।
लेकिन क्या यह शख्स राघव के बुरे अतीत का उतरदाई है ? क्या इस शख्स की वजह से वो शादी नही करना चाहता था ? अगर इसका जबाव हां है तो फिर क्यों ?
राघव के कानों मे बार-बार गुंज रहे शब्द क्या जाहिर कर रहे है ? उसे लूजर कहा गया , उसे मनहूस कहा गया , उसे रिजर्व नेचर का इंसान कहा गया और यहां तक कि उसे किलर तक कहा गया ।
आखिर हुआ क्या था जो इतने विशिष्ट गुणों से राघव को अलंकृत किया गया ?

खैर , अब फ्लैशबैक का वक्त आ ही गया है तो हम दो चार अपडेट जरूर इन्तजार कर सकते है।

बहुत ही खूबसूरत अपडेट Adirshi भाई।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग।
 

chawla sahab

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Update 55




अगले दो दिन पूरे देशपांडे वाडे मे चहल पहल थी बाप्पा के आगमन की तयारिया पूरे जोर शोर से चल रही थी सारे शहर मे देशपांडे वाडे का गणेशोत्सव मशहूर था ये शहर का सबसे बड़ा घरगुती गणपती था और अब आने वाले 10 दिन वाडे मे बाप्पा के दर्शन को आने वाले और देशपांडे परिवार के खास लोग और बिजनस पार्टनर्स को खास इन्वाइट किया जाने वाले था बेसिकली अगले 10 दिन घर के सब लोग बस आने वाले मेहमानों के स्वागत मे और बाप्पा की पूजा मे बिजी रहने वाले थे, इन 10 दिनों मे वाडे मे अलग अलग प्रोग्राम्स भी आयोजित किए जाते थे जैसे शास्त्रीय संगीत और भजन के कार्यक्रम, पिछले कुछ सालों मे राघव ने अपने आप को इन सब से दूर कर लिया था वो बस आरती के समय आता फिर वापिस गायब हो जाता था लेकिन इस बार वैसा नहीं था नेहा की वजह से राघव पूरे मन से इस बार का उत्सव मनाने वाला था वो भी अपने सारे कामों को भूल के और आज वो दिन था जब बाप्पा का वाडे मे आगमन होना था सुबह से घर मे सब लोग काम खत्म करवाने मे लगे थे गणेश स्थापना का मुहूर्त दोपहर का था और दोपहर मे पूजा के बाद शाम को भव्य आरती होने वाली थी जिसमे देशपांडेस के बिजनस पार्टनर्स और स्टेट के कुछ बड़े पोलिटिकल लीडर्स और भी की जानी आणि हस्तिया आने वाली थी l।

राघव भी आज सबके साथ सारे काम खुद देख रहा था सारी अरेंजमेंट्स जांच रहा था।

जानकी- राघव ये फूल प्रसाद की टोकरिया सब लेजाके मंडप मे रखो पूजा के सामान के साथ और ऐसे रखना के किसी बच्चे का उस तक हाथ न पहुचे वो लोग एक फूल नहीं छोड़ेंगे

जानकी जि ने राघव को बुला कर कहा और उसने भी अपनी मा की बात का पालन किया जिसके बाद उसकी नजर नेहा पर पड़ी जो रिद्धि और श्वेता के साथ किसी गहन चर्चा मे डूबी हुई थी तो राघव उनके पास पहुचा।

नेहा- मैं न बहुत कन्फ्यूज़ हु सारी पहनु या लहंगा या नऊवारी तुम लोग कुछ सजेस्ट करो ना...

रिद्धि- कुछ भी पहन लो भाभी आप पर सब सूट करता है

श्वेता- हा और एक ईजी ऑप्शन दु जो भईया पहने उससे कुछ मैचिंग पहन लो

तभी वहा राघव पहुंचा

राघव- और लेडिज क्या चल रहा है

रिद्धि- डिस्कशन! भाभी का अभी तक क्या पहनना है डिसाइड नहीं हुआ है!

राघव- ये क्या कोई डिस्कशन का टॉपिक है क्या 🙄😂

राघव की बात पर नेहा ने उसे घूर कर देखा तभी राघव की नजर नेहा ने हाथ मे पकड़ी नऊवारी पर पड़ी

राघव- तुम ये पहनने वाली हो?? मुझे नहीं पता था तुम्हें नऊवारी पहननी आती है

(अबे शादी मे भी तो वही पहनी थी उसने 🤦🏻‍♂️)

नेहा- हा और आपको इसका कुछ नहीं पता है तो आप चुप रहिए

तभी श्वेता और रिद्धि वहा से चली गई और राघव और नेहा ही वहा बचे

राघव- जो भी हो बट मुझे नहीं लगता नऊवारी अच्छी लगेगी तुमपे

राघव ने नेहा को सर से पाओ तक देखते हुए कहा वही नेहा हाथ बांधे उसे देख रही थी

नेहा- कहना क्या है आपको

राघव- कुछ नहीं मैं तो बस सच कह रहा हु

नेहा- पक्का?

राघव- हा और नहीं तो अच्छा चलो एक वादा करता हु अगर तुम्हें देख कर मैं अपनी जगह पर जमा रह गया तो पूरे 10 दिन बस तुम्हारे पीछे पीछे घूमूँगा

राघव ने नेहा के कान मे कहा

नेहा- तो फिर तयार हो जाइए मेरे पीछे घूमने के लिए मिस्टर देशपांडे

इतना बोल कर नेहा वहा से चली गई और राघव भी दूसरे कामों मे लग गया

कुछ समय बाद घर के सब मर्द जाकर ढोल ताशे के साथ बप्पा को ले आए और उन्हे मंडप मे स्थापित किया गया जिसके बाद विधिवत स्थापना की गई और अब शुरू हुई शाम की भव्य आरती की तयारिया....

शाम का वक्त हो चला था और मेहमान आने लगे थे आरती का वक्त हो रहा था और घरवाले भी सब गेस्ट्स को अटेन्ड कर रहे थे राघव और धनंजय अपने बिजनस क्लाइंट्स को संभाल रहे थे वही शेखर रमाकांतजी के साथ उनका पोलिटिकल सर्कल हैंडल कर रहा था शिवशंकर देशपांडे भी सबसे मिल रहे थे

रमाकांत- सब रेडी है?

धनंजय- हा भाईसहब सब डन है!

गायत्री- चलो सब आरती का समय हो गया है

शिवशंकर- नेहा कहा है

दादू ने जब अपनी बहु को नहीं देखा तो पूछा फिर राघव भी इधर उधर देखने लगा लेकिन नेहा उसे नहीं दिखी अभी विवेक ने इशारा किया

विवेक- वो रही भाभी

और जैसे ही राघव ने उस ओर देखा वो नेहा की खूबसूरती मे खो गया, उसने एक नीले रंग की नऊवारी साड़ी पहनी हुई थी गले मे चपला हार, माथे पर चंद्र कोर बिंदी और नाक मे नथ, उसने अपने बालों का जुड़ा बनाया हुआ था जिसमे गजरा लगा हुआ था और इस पारंपरिक महराष्ट्रीयन लुक मे वो कमाल की खूबसूरत दिख रही थी।

राघव की आंखे बस नेहा पर जमी हुई थी एक पल के लिए भी उसने अपनी नजरे नेहा ने नहीं हटाई थी वही सेम टाइम मे कई और लोगों की नजरे नेहा पर जमी हुई थी और ये राघव को रास नहीं आ रहा था जो झट से जाकर नेहा के बाजू मे खड़ा हो गया मानो कह रहा हो के वो सिर्फ उसकी है

शिवशंकर- चलो भाई सब आ गए तो आरती शुरू करते है

जिसके बाद शुरू हुई बप्पा की भव्य आरती

नेहा के साथ बप्पा की आरती करते समय राघव के चेहरे की मुस्कान एक पल के लिए भी गायब नहीं हुई थी, वो तो इस वक्त दुनिया का सबसे खुश आदमी था और वो मन ही मन बप्पा को धन्यवाद दे रहा था नेहा को उसकी जिंदगी मे लाने के लिए

आरती के बाद नए आए गेस्ट्स के स्वागत मे सब लग गए

“congratulations मिस्टर देशपांडे फॉर योर मेरिज, सॉरी मैं तब आ नहीं पाया था” एक 40 की उम्र के आसपास के आदमी ने राघव से हाथ मिलते हुए कहा

“कोई बात नहीं मिस्टर शाह मीट माइ वाइफ मिसेज नेहा राघव देशपांडे”

राघव ने मिस्टर शाह को नेहा से मिलाया

“नाइस तो मीट यू मिसेज देशपांडे, आई मस्ट से मिस्टर देशपांडे योर वाइफ इस ब्यूटीफुल आप दोनों की जोड़ी काफी अच्छी लगती है"

राघव- थैंक यू, प्लीज इन्जॉय

जिसके बाद राघव और नेहा कई और लोगों से मिले राघव सबसे नेहा को इन्ट्रोडूस करा रहा था और जब दोनों के आसपास कोई नहीं होता तो दोनों अपनी प्यार भारी नोक झोंक मे बिजी थे तभी विवेक वहा नेहा को बुलाने आया

विवेक- भाभी आपको दादी बुला रही है और भाभी मैंने पहले बोला नहीं लेकिन आप बहुत अच्छी दिख रही हो आज

विवेक ने कहा

नेहा- थैंक यू विवेक कम से कम कोई तो है जो कॉम्प्लीमेंट करना जानता है

नेहा ने राघव को देखते हुए विवेक से कहा और वहा ने चली गई और विवेक भी जाने ही वाला था के राघव ने उसे पकड़ा और उसके गले मे अपना हाथ डाल के उससे बोला

राघव- तुझे हमेशा कबाब मे हड्डी क्यू बनना होता है बे

विवेक- मैंने क्या किया अब और वैसे भी गलती आपकी है आप भाभी की तारीफ नहीं करते और मैं तो प्रैक्टिस कर रहा हु आगे अपने को कोई दिक्कत नहीं चाहिए 😎

जिसके बाद विवेक भी वहा से चला गया और राघव अपने क्लाइंट्स से मिलने लगा

कुछ समय बाद राघव और नेहा फिर से साथ साथ थे और इस बार राघव उसे लेकर एक साइड मे आया था जहा कोई उन्हे डिस्टर्ब करने वाला नहीं था और उसी वक्त वहा देशपांडे वाडे के गेट पर एक गाड़ी आकार रुकी और उसमे से एक शक्स उतरा जो फोन पर किसी से बार कर रहा था

“हा पहुच गया हु मैं..... हा हा उससे मिलने की जल्दी तो मुझे भी है...... उसे उम्मीद नहीं होगी के मैं आज यह आने वाला हु.... देखते है वो कैसे रीऐक्ट करेगा..... ” जिसके बाद उस इंसान ने फोन काट दिया और वो अंदर आया

उसे आता देख रमाकांत जी उसे लेने के लिए गए वही राघव जो नेहा के साथ था उसकी नजर जैसे ही उस इंसान पर पड़ी वो अपनी जगह जम गया, उसका दिमाग एकदम ब्लैंक हो गया.......

कौन था वो और उसे देख राघव ऐसे चौक क्यू गया किससे मिलना था उस इंसान को बहुत से सवाल है जिनका जवाब आने वाले भागों मे मिलेगा तब तक साथ बने रहिए कहानी कैसी लग रही है कमेंट्स करिए

क्रमश:
vadhiya update
 

chawla sahab

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राघव नेहा को सबसे दूर लेके आया था ताकि अकेले मे उसके साथ कुछ प्यार भारी बाते कर ले लेकिन तभी देशपांडे वाडे के गेट से एक शक्स की एंट्री हुई जिसे देख राघव अपनी जगह पर जम गया उससे भी ज्यादा हैरत उसे तब हुई जब उसने देखा के उसके पापा रमाकांत उस इंसान का स्वागत कर रहे थे और उनके साथ शेखर था

उस शक्स को देख राघव का दिमाग एकदम ब्लैंक हो गया उसके दिमाग मे पुरानी यादें चलने लगी वो नेहा से एकदम दूर हो गया वही अचानक राघव में आए इस बदलाव का कारण नेहा को समझ नहीं आ रहा था राघव नेहा से बगैर एक शब्द कहे वहा से चला गया वही नेहा को इस तरह उसके ऐसे बर्ताव का कारण समझ नहीं आ रहा था वो राघव को आवाज देते हुए उसके पीछे भागी तब तक जब तक वो घर के दूसरे कोने मे नहीं पहुचे राघव की आंखे एकदम लाल हो गई थी और उसे ऐसे देख नेहा को और चिंता होने लगी

नेहा- राघव क्या हुआ है आपको?

नेहा ने अपने हाथों से राघव का चेहरा थामते हुए उससे पूछा और राघव ने एकदम से उसे गले लगा लिया वो भी एकदम कस कर

नेहा- अचानक क्या हुआ आपको बताइए मुझे?

नेहा ने राघव की पीठ सहलाते हुए उससे पूछा

राघव- वो... वो है यहा जिससे मैं जिंदगी मे कभी नहीं मिलना चाहता था वो यही है मैंने देखो उसे

राघव बहुत ज्यादा नर्वस था उसकी साँसे भी तेज चल रही थी वही राघव की बात सुन नेहा समझ चुकी थी के वो किस बारे मे बात कर रहा है

नेहा- मैं जानती हु राघव, सब जानती हु

नेहा ने कहा जिसे सुन राघव ने उसे अपने से अलग किया और कन्फ़्युशन मे उसे देखने लगा

राघव- तुम.. तुम जानती हो?

नेहा- हा! शेखर ने बताया उस दिन जब मैं ऑफिस से रोते हुए घर आई थी

अब राघव के दिमाग मे सब क्लियर था कैसे उस दिन के बाद नेहा में एकदम बदलाव आया था वो डरी हुई नेहा और बोल्ड नेहा, उनके रिश्ते मे भी उसी दिन से बदलाव आया था वो नेहा को देखने लगा

राघव- तुम सब जानती थी लेकिन फिर भी मुझे कुछ नहीं बताया?

नेहा- मुझे लगा आप वापिस उन बातों मे उलझ जाएंगे इसीलिए काभी ये बात छेड़ी ही नहीं लेकिन उससे आपको हर्ट नहीं करना था मुझे

नेहा की बात सुन राघव कुछ नहीं बोला वो अपने ही खयालों मे गुम था नेहा ने उसे पुकारा तब जाकर वो अपने खयालों से बाहर आया उसने अपने चेहरे से नेहा का हाथ हटाया और पीछे हटने लगा

नेहा- क्या हुआ कहा जा रहे है आप

राघव- मुझे.... मुझे थोड़ा वक्त चाहिए नेहा मेरा दिमाग अभी जगह पर नहीं है और प्लीज मुझे रोकना मत

इतना बोल राघव वहा से चला गया और नेहा बस उसे जाते हुए देखती रही

‘है बप्पा इनकी रक्षा करना, सब ठीक कर देना’ नेहा ने मन ही मन प्रार्थना की

-----

राघव ने अपनी गाड़ी निकाली और घर से दूर निकल गया उसके दिमाग मे इस वक्त बहुत कुछ चल रहा था और जब वो एक सुनसान जगह पर पहुचा उसने गाड़ी रोकी और बाहर आया, उसे कुछ घुटन सी महसूस हो रही थी उसने अपने कुर्ते के ऊपर के 3 बटन खोले उसके दिमाग मे लोगों की आवाजे गूंज रही थी

“राघव यू आर अ लूसर”

“सब तुम्हारी वजह से हुआ है”

“ये तो साला है ही मनहूस”

“इसके साथ कभी कोई खुश नहीं रह पाएगा”

“अरे तभी तो इसका कोई दोस्त नहीं है”

“किलर...”

राघव- नहीं!! नहीं!!! नहीं!!

राघव अपने दोनों कानों पर हाथ रख जोर से चीखा वो पसीने से पूरा तरबतर था और उसकी साँसे भी तेज चल रही थी और वो अपनी गर्दन बार बार ना मे हिला रहा था

राघव- ये तुमने सही नहीं किया नेहा!! तुम्हें मुझे ये बात बता देनी चाहिए थी के तुम मुझ पर तरस खा रही हो इसीलिए मेरे साथ हो मेरे पास्ट की वजह से

राघव अपने घुटनों पर बैठ गया, उसकी आंखे नम हो गई थी और जैसे ही उसने अपनी आंखे बंद की वो उन्ही यादों मे खो गया

इधर घर मे नेहा इधर से उधर चक्कर काट रही थी रात के 1 बज रहे थे और राघव अभी तक लौटा नहीं था और नेहा को अब उसकी चिंता होने लगी थी वो कई बार राघव को कॉल लगा चुकी थी लेकिन राघव ने किसी कॉल का जवाब नहीं दिया था नेहा ने घरवालों के सामने तो जैसे तैसे राघव के काम का बहाना बना दिया था लेकिन चिंता के मारे उसका दिल इसवक्त जोरों से धडक रहा था उसने दोबारा राघव को कॉल लगाया लेकिन इस बार उसे फोन की रिंगटोन भी सुनाई दी देखा तो राघव आ चुका था

नेहा- कहा थे आप? और मेरा फोन क्यू नहीं उठा रहे थे? आप ठीक है ना??

बदले मे राघव ने बस हा मे गर्दन हिला दी और अपने रूम मे चला गया और उसके पीछे पीछे नेहा भी, राघव का उतरा हुआ चेहरा नेहा से देखा नहीं जा रहा था उसके दिमाग मे भी इसवक्त बहुत सी बाते चल रही थी और उसकी तंद्री तब टूटी जब राघव उसके बाजू मे आकार बैठा नेहा ने बेड पर उसके लिए जगह बनाई और राघव लेट गया

नेहा- राघव, आप ठीक है?

राघव- मैं ठीक हु नेहा बस थका हुआ हु सोना चाहता हु

राघव की बात सुन नेहा ने भी फिर किसी बात पर जोर नहीं दिया और राघव से लिपट कर सो गई

अगली सुबह जब नेहा की आँख खुली तो राघव वहा नहीं था नेहा ने राघव को बाद मे पूरे घर मे ढूंढा लेकिन वो उसे कही नहीं दिखा और जब नेहा ने राघव को कॉल करने के लिए अपना फोन खोला तो उसने राघव का मैसेज था

‘अर्जन्ट मीटिंग मे हु’

बस। सिर्फ चार शब्द उसने उसे भेजे थे बदले मे नेहा ने उसे घर जल्दी आने के लिए कहा जिसे रिप्लाइ मे राघव बस इतना बोला के ‘कह नहीं सकता कोशिश करूंगा’

नेहा को राघव के रिप्लाइज कुछ रूखे से उखड़े से लग रहे थे उसके अतीत के खयाल अब तक उसे तंग कर थे और नेहा का अब राघव से बात करना जरूरी था उसने राघव के घर आने के बाद उससे बात करने का फैसला किया लेकिन राघव उसके बाद घर आया ही नहीं

राघव इसवक्त बिल्कुल भी नेहा के सामने नहीं जाना चाहता था, उसे ये बात सबसे ज्यादा तकलीफ दे रही थी के उसकी चिक्की उसके अतीत की वजह से अबतक बस उसपर तरस खा रही थी। उसने ऑफिस से ही धनंजयजी को बता दिया था के वो 7 दिनों के लिए किसी बिजनस ट्रिप पर जा रहा है न तो उसने नेहा को कॉल किया न उसके कॉल का जवाब दिया, नेहा राघव के इस बर्ताव से बहुत खफा थी लेकिन वो ये भी जानती थी के वो तकलीफ मे था और अब उसे सब सही करना था।

आज 5 दिन हो चुके थे और अब राघव को ये सब फेस करना ही था

नेहा- शेखर अपने भाई को कॉल लगाओ

नेहा ने शेखर के रूम मे जाते हुए कहा,

शेखर- क्या हुआ भाभी

नेहा- अपने भाई को कॉल लगाओ और उनसे आज के आज वापिस आने कहो

शेखर- लेकिन भाभी भाई कभी कोई डील अधूरी छोड़ के नहीं आएगा

नेहा- उनसे कहो मेरी हालत बहुत खराब है और मुझे वो मेरी आँखों के सामने चाहिए

शेखर- भाभी सब ठीक है ना??

नेहा- जो ठीक नहीं है वो हो जाएगा

शेखर ने राघव को कॉल लगाया लेकिन राघव ने उसका कॉल नहीं उठाया और जब 5-6 बार ऐसा हुआ तो

नेहा- तुम्हारे पास उनके दोस्त विशाल का नंबर है

शेखर- हा

नेहा- वो विशाल के साथ होंगे विशाल को कॉल करो

जिसके बाद शेखर ने विशाल को कॉल किया और विशाल ने एक झटके मे कॉल उठाया

विशाल- हा शेखर बोलो

शेखर- भाई राघव भैया आपके साथ है?

शेखर की बात सुन विशाल ने उसके साथ बैठे राघव को देखा लेकिन कुछ नहीं बोला राघव ने उसे फोन स्पीकर पर रखने कहा

शेखर- है या नहीं मैं नहीं जानता वो बस हमारे किसी कॉल का जवाब नहीं दे रहे है अगर आपका उनसे कॉन्टेक्ट हो तो कहना के भाभी...

बोलते बोलते शेखर रुका वही राघव के कान भी फोन पर जम गए

शेखर- भाभी की तबीयत बहुत खराब है उनकी कन्डिशन...

लेकिन शेखर आगे कुछ कहता उससे पहले ही राघव ने विशाल से फोन लिया

राघव- क्या हुआ नेहा को?? शेखर क्या हुआ है उसे? वो ठीक है ना? टेल मि डैमइट

राघव की आवाज मे चिंता साफ थी, वो भले नेहा को अवॉइड कर रहा था सोच रहा था के नेहा बस उसपर तरस खा रही थी लेकिन चिंता तो वो उसकी बहुत करता था आखिर उसे पसंद करता था वो, भले को घर मे किसी से बात नहीं कर रहा था लेकिन जब भी उसकी शेखर या अपने चाचा के बिजनेस रिलेटेड बात होती तो वो उसमे बीचमे नेहा के बारे मे पूछ लेता था। वो भी नेहा से बात करना चाहता था सब क्लियर करना चाहता था लेकिन बस उसे थोड़ा वक्त चाहिए था

राघव- शेखर क्या हुआ है उसे!!

राघव चीखा

शेखर- भाई आप बस जल्द से जल्द घर आ जाओ

जिसके बाद शेखर ने फोन काट दिया और नेहा का प्लान सक्सेस हो गया अब शेखर को इतना करना था के जब भी राघव का फोन आए उसे ना उठाए

नेहा जब अपने रूम मे आई तो एक मिनट मे उसके फोन पर राघव के 5 मिस कॉल आ चुके थे और जितना वो राघव को जानती थी उस हिसाब से राघव अब तक वापिस आने की तयारी शुरू कर चुका होगा

नेहा- अगर ये अभी आने के लिए निकलते है तब भी आधी रात से पहले नहीं पहुच पाएंगे तब तक अपने काम निपटा लेती हु

नेहा ने सोचा मानो ये कोई बड़ी बात ना हो लेकिन अंदर ही अंदर वो बहुत डरी हुई थी, आज बहुत सी चीजों का खुलासा होना था और उसे कोई आइडिया नहीं था के राघव कैसे रीऐक्ट करेगा जब वो यहा पहुचेगा..

इस वक्त रात के 11.30 बज रहे थे घर पर नेहा के अलावा कोई नहीं था बाकी सभी लोग गणपती दर्शन के लिए गए हुए थे और वो 1-2 बजे तक नहीं लौटने वाले थे उन्होंने नेहा से भी चलने कहा लेकिन उसने तबीयत ठीक नहीं है का बहाना बना दिया

नेहा इस वक्त अपने रूम मे बैठी टीवी के चैनल्स बदल रही थी तभी झटके के साथ उसके रूम का दरवाजा खुला और राघव हाफते हुए अंदर आया, राघव को देख नेहा के चेहरे पर एक मुस्कान आ गई और इससे पहले के नेहा कुछ कहती राघव ने उसे कस के गले लगा लिया, नेहा ने भी राघव को गले से लगाया

राघव ने नेहा को ऐसे पकड़ रखा था मानो उनकी जिंदगी बस नेहा से साथ है वो किसी कीमत पर उसे नहीं खोना चाहता था और नेहा भी राघव की बढ़ी हुई धड़कनों को महसूस कर सकती थी

राघव- तुम ठीक हो?? क्या हुआ है तुम्हें?? शेखर ने कहा था तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं है?? बेबी क्या हुआ है??

राघव ने नेहा का चेहरा अपने हाथों मे थामते हुए उसे ऊपर से नीचे देखते हुए पूछा

नेहा- मैं ठीक हु मुझे कुछ नहीं हुआ है मैंने ही शेखर से आपसे झूठ कहने कहा था

नेहा की बात सुन राघव उसे शॉक मे देखने लगा वो बस नेहा पर चिल्लाने ही वाला था के उसे अपना नेहा से किया वादा याद आया के वो कभी उसपर गुस्सा नहीं करेगा और उसके ट्रिप पर जाने का भी यही रीज़न था के वो अपने आप को शांत करना चाहता था उसने नेहा के वादा किया था के बगैर बात करे किसी नतीजे पे नहीं पहुचेगा लेकिन फिर भी उसने अपने मन मे ये धारणा बना ली थी के नेहा को उसपर बस तरस आ रहा था, उसका दिमाग काम नहीं कर रहा था और वो एकदम से नेहा पर अपने सवालों की बारिश नहीं करना चाहता था जिससे नेहा को लगे के वो उसे दोष दे रहा है

राघव- क्यू??

राघव बस एक शब्द बोला, उसकी आवाज मे गुस्सा साफ था जिसे वो कंट्रोल कर रहा था

नेहा- आप मेरे कॉल्स का जवाब क्यू नहीं दे रहे थे?

नेहा के सीधा पॉइंट पर आते हुए सवाल का जवाब मे सवाल किया

राघव- तो इसीलिए शेखर से झूठ कहने कहोगी?? छोटी बच्ची हो क्या!! तुम्हें कोई आइडिया है मेरी क्या हालत हुई

नेहा- वही तो मैं भी जानना चाहती हु, मुझे पता है आप मेरे सवालों से बचने के लिए ही इस ट्रिप पर गए थे, आप मुझे इग्नोर क्यू कर रहे है??

राघव- मैं तुम्हें इग्नोर नहीं कर रहा हु मैं बस.... काम मे बिजी था

राघव ने नेहा से नजरे चुराते हुए कहा

नेहा- राघव मेरी ओर देखिए, आप मुझे उस दिन से इग्नोर कर रहे है, अगर आपके दिमाग मे कुछ चल रहा है तो प्लीज मुझे बताइए मैं हमेशा आपके साथ हु (नेहा ने राघव का हाथ पकड़ा) राघव मेरी ओर...

लेकिन नेहा बोलते बोलते रुकी जब उसने देखा के रघाव की आँखों मे पानी था

राघव- तुम मेरे अतीत की वजह से मुझपर तरस खा रही हो न? ये सब प्यार ये केयर सब मेरे पास्ट की वजह से है

नेहा- नहीं!!! नहीं नहीं!! आप ऐसा कैसे सोच सकते है ऐसा बिल्कुल नहीं है

राघव- तो फिर तुम्हारा बिहेवियर तब ही क्यू बदला जब शेखर ने तुम्हें सब कुछ सच बताया ?

नेहा- अब आप पहले मेरी बात ध्यान से सुनिए! हा शेखर ने मुझे सब बताया है क्युकी मैंने हमारे रिश्ते से सारी उम्मीदें खो दी थी ना तो आप कोशिश कर रहे थे ना ही मैं अब और आगे कुछ करना चाहती थी लेकिन इस रिश्ते को सार्थक करने किसी न किसी को तो कदम बढ़ाना ही था, मुझे फिक्र है आपकी और मुझे पूरा हक है ये जानना का की ऐसी कौनसी बात है जो आपको परेशान करती है और मैं इतना भी बता दु के उस सब मे आपकी कोई गलती नहीं थी आप बहुत बहादुर है राघव

नेहा- मेरा बिहेवियर इसीलिए नहीं बदला क्युकी मुझे आपके अतीत के बारे मे बात चला बल्कि मैं आपको मुझसे मिलाना चाहती थी आपका अतीत जो भी रहा हो मुझे उससे कोई फर्क नहीं पड़ता मुझे फर्क पड़ता है आपसे मुझे आपकी फिक्र है, आई एम सॉरी मुझे ये सब आपसे जानना चाहिए था ना की किसी और से लेकिन सिचूऐशन ही ऐसी थी के शेखर को मुझे सब बताना पड़ा वरना वो मुझे कभी वो बात नहीं बताता

नेहा ने राघव का गाल सहलाते हुए कहा

नेहा- शेखर ने मुझे सब बताया है लेकिन मुझे सब आपसे सुनना है। सब कुछ। शेखर ने मुझे सब सुनी सुनाई बाते बताई है लेकिन मुझे आपसे जानना है के क्या हुआ था, बताइए राघव आपका गुस्सा आपका डर आज सब बाहर आने दीजिए आज यहा आपको जज करने वाला कोई नहीं है आपको अपने डर का सामना करना होगा

राघव बस नेहा को देख रहा था

‘मुझे उसे सब बता देना चाहिए वो मेरी सारी बात मानेगी’ राघव ने मन ही मन सोचा

क्रमश:
vadhiya update brother
 

raman chopra

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अगले दो दिन पूरे देशपांडे वाडे मे चहल पहल थी बाप्पा के आगमन की तयारिया पूरे जोर शोर से चल रही थी सारे शहर मे देशपांडे वाडे का गणेशोत्सव मशहूर था ये शहर का सबसे बड़ा घरगुती गणपती था और अब आने वाले 10 दिन वाडे मे बाप्पा के दर्शन को आने वाले और देशपांडे परिवार के खास लोग और बिजनस पार्टनर्स को खास इन्वाइट किया जाने वाले था बेसिकली अगले 10 दिन घर के सब लोग बस आने वाले मेहमानों के स्वागत मे और बाप्पा की पूजा मे बिजी रहने वाले थे, इन 10 दिनों मे वाडे मे अलग अलग प्रोग्राम्स भी आयोजित किए जाते थे जैसे शास्त्रीय संगीत और भजन के कार्यक्रम, पिछले कुछ सालों मे राघव ने अपने आप को इन सब से दूर कर लिया था वो बस आरती के समय आता फिर वापिस गायब हो जाता था लेकिन इस बार वैसा नहीं था नेहा की वजह से राघव पूरे मन से इस बार का उत्सव मनाने वाला था वो भी अपने सारे कामों को भूल के और आज वो दिन था जब बाप्पा का वाडे मे आगमन होना था सुबह से घर मे सब लोग काम खत्म करवाने मे लगे थे गणेश स्थापना का मुहूर्त दोपहर का था और दोपहर मे पूजा के बाद शाम को भव्य आरती होने वाली थी जिसमे देशपांडेस के बिजनस पार्टनर्स और स्टेट के कुछ बड़े पोलिटिकल लीडर्स और भी की जानी आणि हस्तिया आने वाली थी l।

राघव भी आज सबके साथ सारे काम खुद देख रहा था सारी अरेंजमेंट्स जांच रहा था।

जानकी- राघव ये फूल प्रसाद की टोकरिया सब लेजाके मंडप मे रखो पूजा के सामान के साथ और ऐसे रखना के किसी बच्चे का उस तक हाथ न पहुचे वो लोग एक फूल नहीं छोड़ेंगे

जानकी जि ने राघव को बुला कर कहा और उसने भी अपनी मा की बात का पालन किया जिसके बाद उसकी नजर नेहा पर पड़ी जो रिद्धि और श्वेता के साथ किसी गहन चर्चा मे डूबी हुई थी तो राघव उनके पास पहुचा।

नेहा- मैं न बहुत कन्फ्यूज़ हु सारी पहनु या लहंगा या नऊवारी तुम लोग कुछ सजेस्ट करो ना...

रिद्धि- कुछ भी पहन लो भाभी आप पर सब सूट करता है

श्वेता- हा और एक ईजी ऑप्शन दु जो भईया पहने उससे कुछ मैचिंग पहन लो

तभी वहा राघव पहुंचा

राघव- और लेडिज क्या चल रहा है

रिद्धि- डिस्कशन! भाभी का अभी तक क्या पहनना है डिसाइड नहीं हुआ है!

राघव- ये क्या कोई डिस्कशन का टॉपिक है क्या 🙄😂

राघव की बात पर नेहा ने उसे घूर कर देखा तभी राघव की नजर नेहा ने हाथ मे पकड़ी नऊवारी पर पड़ी

राघव- तुम ये पहनने वाली हो?? मुझे नहीं पता था तुम्हें नऊवारी पहननी आती है

(अबे शादी मे भी तो वही पहनी थी उसने 🤦🏻‍♂️)

नेहा- हा और आपको इसका कुछ नहीं पता है तो आप चुप रहिए

तभी श्वेता और रिद्धि वहा से चली गई और राघव और नेहा ही वहा बचे

राघव- जो भी हो बट मुझे नहीं लगता नऊवारी अच्छी लगेगी तुमपे

राघव ने नेहा को सर से पाओ तक देखते हुए कहा वही नेहा हाथ बांधे उसे देख रही थी

नेहा- कहना क्या है आपको

राघव- कुछ नहीं मैं तो बस सच कह रहा हु

नेहा- पक्का?

राघव- हा और नहीं तो अच्छा चलो एक वादा करता हु अगर तुम्हें देख कर मैं अपनी जगह पर जमा रह गया तो पूरे 10 दिन बस तुम्हारे पीछे पीछे घूमूँगा

राघव ने नेहा के कान मे कहा

नेहा- तो फिर तयार हो जाइए मेरे पीछे घूमने के लिए मिस्टर देशपांडे

इतना बोल कर नेहा वहा से चली गई और राघव भी दूसरे कामों मे लग गया

कुछ समय बाद घर के सब मर्द जाकर ढोल ताशे के साथ बप्पा को ले आए और उन्हे मंडप मे स्थापित किया गया जिसके बाद विधिवत स्थापना की गई और अब शुरू हुई शाम की भव्य आरती की तयारिया....

शाम का वक्त हो चला था और मेहमान आने लगे थे आरती का वक्त हो रहा था और घरवाले भी सब गेस्ट्स को अटेन्ड कर रहे थे राघव और धनंजय अपने बिजनस क्लाइंट्स को संभाल रहे थे वही शेखर रमाकांतजी के साथ उनका पोलिटिकल सर्कल हैंडल कर रहा था शिवशंकर देशपांडे भी सबसे मिल रहे थे

रमाकांत- सब रेडी है?

धनंजय- हा भाईसहब सब डन है!

गायत्री- चलो सब आरती का समय हो गया है

शिवशंकर- नेहा कहा है

दादू ने जब अपनी बहु को नहीं देखा तो पूछा फिर राघव भी इधर उधर देखने लगा लेकिन नेहा उसे नहीं दिखी अभी विवेक ने इशारा किया

विवेक- वो रही भाभी

और जैसे ही राघव ने उस ओर देखा वो नेहा की खूबसूरती मे खो गया, उसने एक नीले रंग की नऊवारी साड़ी पहनी हुई थी गले मे चपला हार, माथे पर चंद्र कोर बिंदी और नाक मे नथ, उसने अपने बालों का जुड़ा बनाया हुआ था जिसमे गजरा लगा हुआ था और इस पारंपरिक महराष्ट्रीयन लुक मे वो कमाल की खूबसूरत दिख रही थी।

राघव की आंखे बस नेहा पर जमी हुई थी एक पल के लिए भी उसने अपनी नजरे नेहा ने नहीं हटाई थी वही सेम टाइम मे कई और लोगों की नजरे नेहा पर जमी हुई थी और ये राघव को रास नहीं आ रहा था जो झट से जाकर नेहा के बाजू मे खड़ा हो गया मानो कह रहा हो के वो सिर्फ उसकी है

शिवशंकर- चलो भाई सब आ गए तो आरती शुरू करते है

जिसके बाद शुरू हुई बप्पा की भव्य आरती

नेहा के साथ बप्पा की आरती करते समय राघव के चेहरे की मुस्कान एक पल के लिए भी गायब नहीं हुई थी, वो तो इस वक्त दुनिया का सबसे खुश आदमी था और वो मन ही मन बप्पा को धन्यवाद दे रहा था नेहा को उसकी जिंदगी मे लाने के लिए

आरती के बाद नए आए गेस्ट्स के स्वागत मे सब लग गए

“congratulations मिस्टर देशपांडे फॉर योर मेरिज, सॉरी मैं तब आ नहीं पाया था” एक 40 की उम्र के आसपास के आदमी ने राघव से हाथ मिलते हुए कहा

“कोई बात नहीं मिस्टर शाह मीट माइ वाइफ मिसेज नेहा राघव देशपांडे”

राघव ने मिस्टर शाह को नेहा से मिलाया

“नाइस तो मीट यू मिसेज देशपांडे, आई मस्ट से मिस्टर देशपांडे योर वाइफ इस ब्यूटीफुल आप दोनों की जोड़ी काफी अच्छी लगती है"

राघव- थैंक यू, प्लीज इन्जॉय

जिसके बाद राघव और नेहा कई और लोगों से मिले राघव सबसे नेहा को इन्ट्रोडूस करा रहा था और जब दोनों के आसपास कोई नहीं होता तो दोनों अपनी प्यार भारी नोक झोंक मे बिजी थे तभी विवेक वहा नेहा को बुलाने आया

विवेक- भाभी आपको दादी बुला रही है और भाभी मैंने पहले बोला नहीं लेकिन आप बहुत अच्छी दिख रही हो आज

विवेक ने कहा

नेहा- थैंक यू विवेक कम से कम कोई तो है जो कॉम्प्लीमेंट करना जानता है

नेहा ने राघव को देखते हुए विवेक से कहा और वहा ने चली गई और विवेक भी जाने ही वाला था के राघव ने उसे पकड़ा और उसके गले मे अपना हाथ डाल के उससे बोला

राघव- तुझे हमेशा कबाब मे हड्डी क्यू बनना होता है बे

विवेक- मैंने क्या किया अब और वैसे भी गलती आपकी है आप भाभी की तारीफ नहीं करते और मैं तो प्रैक्टिस कर रहा हु आगे अपने को कोई दिक्कत नहीं चाहिए 😎

जिसके बाद विवेक भी वहा से चला गया और राघव अपने क्लाइंट्स से मिलने लगा

कुछ समय बाद राघव और नेहा फिर से साथ साथ थे और इस बार राघव उसे लेकर एक साइड मे आया था जहा कोई उन्हे डिस्टर्ब करने वाला नहीं था और उसी वक्त वहा देशपांडे वाडे के गेट पर एक गाड़ी आकार रुकी और उसमे से एक शक्स उतरा जो फोन पर किसी से बार कर रहा था

“हा पहुच गया हु मैं..... हा हा उससे मिलने की जल्दी तो मुझे भी है...... उसे उम्मीद नहीं होगी के मैं आज यह आने वाला हु.... देखते है वो कैसे रीऐक्ट करेगा..... ” जिसके बाद उस इंसान ने फोन काट दिया और वो अंदर आया

उसे आता देख रमाकांत जी उसे लेने के लिए गए वही राघव जो नेहा के साथ था उसकी नजर जैसे ही उस इंसान पर पड़ी वो अपनी जगह जम गया, उसका दिमाग एकदम ब्लैंक हो गया.......

कौन था वो और उसे देख राघव ऐसे चौक क्यू गया किससे मिलना था उस इंसान को बहुत से सवाल है जिनका जवाब आने वाले भागों मे मिलेगा तब तक साथ बने रहिए कहानी कैसी लग रही है कमेंट्स करिए

क्रमश:
lovely update
 

raman chopra

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राघव नेहा को सबसे दूर लेके आया था ताकि अकेले मे उसके साथ कुछ प्यार भारी बाते कर ले लेकिन तभी देशपांडे वाडे के गेट से एक शक्स की एंट्री हुई जिसे देख राघव अपनी जगह पर जम गया उससे भी ज्यादा हैरत उसे तब हुई जब उसने देखा के उसके पापा रमाकांत उस इंसान का स्वागत कर रहे थे और उनके साथ शेखर था

उस शक्स को देख राघव का दिमाग एकदम ब्लैंक हो गया उसके दिमाग मे पुरानी यादें चलने लगी वो नेहा से एकदम दूर हो गया वही अचानक राघव में आए इस बदलाव का कारण नेहा को समझ नहीं आ रहा था राघव नेहा से बगैर एक शब्द कहे वहा से चला गया वही नेहा को इस तरह उसके ऐसे बर्ताव का कारण समझ नहीं आ रहा था वो राघव को आवाज देते हुए उसके पीछे भागी तब तक जब तक वो घर के दूसरे कोने मे नहीं पहुचे राघव की आंखे एकदम लाल हो गई थी और उसे ऐसे देख नेहा को और चिंता होने लगी

नेहा- राघव क्या हुआ है आपको?

नेहा ने अपने हाथों से राघव का चेहरा थामते हुए उससे पूछा और राघव ने एकदम से उसे गले लगा लिया वो भी एकदम कस कर

नेहा- अचानक क्या हुआ आपको बताइए मुझे?

नेहा ने राघव की पीठ सहलाते हुए उससे पूछा

राघव- वो... वो है यहा जिससे मैं जिंदगी मे कभी नहीं मिलना चाहता था वो यही है मैंने देखो उसे

राघव बहुत ज्यादा नर्वस था उसकी साँसे भी तेज चल रही थी वही राघव की बात सुन नेहा समझ चुकी थी के वो किस बारे मे बात कर रहा है

नेहा- मैं जानती हु राघव, सब जानती हु

नेहा ने कहा जिसे सुन राघव ने उसे अपने से अलग किया और कन्फ़्युशन मे उसे देखने लगा

राघव- तुम.. तुम जानती हो?

नेहा- हा! शेखर ने बताया उस दिन जब मैं ऑफिस से रोते हुए घर आई थी

अब राघव के दिमाग मे सब क्लियर था कैसे उस दिन के बाद नेहा में एकदम बदलाव आया था वो डरी हुई नेहा और बोल्ड नेहा, उनके रिश्ते मे भी उसी दिन से बदलाव आया था वो नेहा को देखने लगा

राघव- तुम सब जानती थी लेकिन फिर भी मुझे कुछ नहीं बताया?

नेहा- मुझे लगा आप वापिस उन बातों मे उलझ जाएंगे इसीलिए काभी ये बात छेड़ी ही नहीं लेकिन उससे आपको हर्ट नहीं करना था मुझे

नेहा की बात सुन राघव कुछ नहीं बोला वो अपने ही खयालों मे गुम था नेहा ने उसे पुकारा तब जाकर वो अपने खयालों से बाहर आया उसने अपने चेहरे से नेहा का हाथ हटाया और पीछे हटने लगा

नेहा- क्या हुआ कहा जा रहे है आप

राघव- मुझे.... मुझे थोड़ा वक्त चाहिए नेहा मेरा दिमाग अभी जगह पर नहीं है और प्लीज मुझे रोकना मत

इतना बोल राघव वहा से चला गया और नेहा बस उसे जाते हुए देखती रही

‘है बप्पा इनकी रक्षा करना, सब ठीक कर देना’ नेहा ने मन ही मन प्रार्थना की

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राघव ने अपनी गाड़ी निकाली और घर से दूर निकल गया उसके दिमाग मे इस वक्त बहुत कुछ चल रहा था और जब वो एक सुनसान जगह पर पहुचा उसने गाड़ी रोकी और बाहर आया, उसे कुछ घुटन सी महसूस हो रही थी उसने अपने कुर्ते के ऊपर के 3 बटन खोले उसके दिमाग मे लोगों की आवाजे गूंज रही थी

“राघव यू आर अ लूसर”

“सब तुम्हारी वजह से हुआ है”

“ये तो साला है ही मनहूस”

“इसके साथ कभी कोई खुश नहीं रह पाएगा”

“अरे तभी तो इसका कोई दोस्त नहीं है”

“किलर...”

राघव- नहीं!! नहीं!!! नहीं!!

राघव अपने दोनों कानों पर हाथ रख जोर से चीखा वो पसीने से पूरा तरबतर था और उसकी साँसे भी तेज चल रही थी और वो अपनी गर्दन बार बार ना मे हिला रहा था

राघव- ये तुमने सही नहीं किया नेहा!! तुम्हें मुझे ये बात बता देनी चाहिए थी के तुम मुझ पर तरस खा रही हो इसीलिए मेरे साथ हो मेरे पास्ट की वजह से

राघव अपने घुटनों पर बैठ गया, उसकी आंखे नम हो गई थी और जैसे ही उसने अपनी आंखे बंद की वो उन्ही यादों मे खो गया

इधर घर मे नेहा इधर से उधर चक्कर काट रही थी रात के 1 बज रहे थे और राघव अभी तक लौटा नहीं था और नेहा को अब उसकी चिंता होने लगी थी वो कई बार राघव को कॉल लगा चुकी थी लेकिन राघव ने किसी कॉल का जवाब नहीं दिया था नेहा ने घरवालों के सामने तो जैसे तैसे राघव के काम का बहाना बना दिया था लेकिन चिंता के मारे उसका दिल इसवक्त जोरों से धडक रहा था उसने दोबारा राघव को कॉल लगाया लेकिन इस बार उसे फोन की रिंगटोन भी सुनाई दी देखा तो राघव आ चुका था

नेहा- कहा थे आप? और मेरा फोन क्यू नहीं उठा रहे थे? आप ठीक है ना??

बदले मे राघव ने बस हा मे गर्दन हिला दी और अपने रूम मे चला गया और उसके पीछे पीछे नेहा भी, राघव का उतरा हुआ चेहरा नेहा से देखा नहीं जा रहा था उसके दिमाग मे भी इसवक्त बहुत सी बाते चल रही थी और उसकी तंद्री तब टूटी जब राघव उसके बाजू मे आकार बैठा नेहा ने बेड पर उसके लिए जगह बनाई और राघव लेट गया

नेहा- राघव, आप ठीक है?

राघव- मैं ठीक हु नेहा बस थका हुआ हु सोना चाहता हु

राघव की बात सुन नेहा ने भी फिर किसी बात पर जोर नहीं दिया और राघव से लिपट कर सो गई

अगली सुबह जब नेहा की आँख खुली तो राघव वहा नहीं था नेहा ने राघव को बाद मे पूरे घर मे ढूंढा लेकिन वो उसे कही नहीं दिखा और जब नेहा ने राघव को कॉल करने के लिए अपना फोन खोला तो उसने राघव का मैसेज था

‘अर्जन्ट मीटिंग मे हु’

बस। सिर्फ चार शब्द उसने उसे भेजे थे बदले मे नेहा ने उसे घर जल्दी आने के लिए कहा जिसे रिप्लाइ मे राघव बस इतना बोला के ‘कह नहीं सकता कोशिश करूंगा’

नेहा को राघव के रिप्लाइज कुछ रूखे से उखड़े से लग रहे थे उसके अतीत के खयाल अब तक उसे तंग कर थे और नेहा का अब राघव से बात करना जरूरी था उसने राघव के घर आने के बाद उससे बात करने का फैसला किया लेकिन राघव उसके बाद घर आया ही नहीं

राघव इसवक्त बिल्कुल भी नेहा के सामने नहीं जाना चाहता था, उसे ये बात सबसे ज्यादा तकलीफ दे रही थी के उसकी चिक्की उसके अतीत की वजह से अबतक बस उसपर तरस खा रही थी। उसने ऑफिस से ही धनंजयजी को बता दिया था के वो 7 दिनों के लिए किसी बिजनस ट्रिप पर जा रहा है न तो उसने नेहा को कॉल किया न उसके कॉल का जवाब दिया, नेहा राघव के इस बर्ताव से बहुत खफा थी लेकिन वो ये भी जानती थी के वो तकलीफ मे था और अब उसे सब सही करना था।

आज 5 दिन हो चुके थे और अब राघव को ये सब फेस करना ही था

नेहा- शेखर अपने भाई को कॉल लगाओ

नेहा ने शेखर के रूम मे जाते हुए कहा,

शेखर- क्या हुआ भाभी

नेहा- अपने भाई को कॉल लगाओ और उनसे आज के आज वापिस आने कहो

शेखर- लेकिन भाभी भाई कभी कोई डील अधूरी छोड़ के नहीं आएगा

नेहा- उनसे कहो मेरी हालत बहुत खराब है और मुझे वो मेरी आँखों के सामने चाहिए

शेखर- भाभी सब ठीक है ना??

नेहा- जो ठीक नहीं है वो हो जाएगा

शेखर ने राघव को कॉल लगाया लेकिन राघव ने उसका कॉल नहीं उठाया और जब 5-6 बार ऐसा हुआ तो

नेहा- तुम्हारे पास उनके दोस्त विशाल का नंबर है

शेखर- हा

नेहा- वो विशाल के साथ होंगे विशाल को कॉल करो

जिसके बाद शेखर ने विशाल को कॉल किया और विशाल ने एक झटके मे कॉल उठाया

विशाल- हा शेखर बोलो

शेखर- भाई राघव भैया आपके साथ है?

शेखर की बात सुन विशाल ने उसके साथ बैठे राघव को देखा लेकिन कुछ नहीं बोला राघव ने उसे फोन स्पीकर पर रखने कहा

शेखर- है या नहीं मैं नहीं जानता वो बस हमारे किसी कॉल का जवाब नहीं दे रहे है अगर आपका उनसे कॉन्टेक्ट हो तो कहना के भाभी...

बोलते बोलते शेखर रुका वही राघव के कान भी फोन पर जम गए

शेखर- भाभी की तबीयत बहुत खराब है उनकी कन्डिशन...

लेकिन शेखर आगे कुछ कहता उससे पहले ही राघव ने विशाल से फोन लिया

राघव- क्या हुआ नेहा को?? शेखर क्या हुआ है उसे? वो ठीक है ना? टेल मि डैमइट

राघव की आवाज मे चिंता साफ थी, वो भले नेहा को अवॉइड कर रहा था सोच रहा था के नेहा बस उसपर तरस खा रही थी लेकिन चिंता तो वो उसकी बहुत करता था आखिर उसे पसंद करता था वो, भले को घर मे किसी से बात नहीं कर रहा था लेकिन जब भी उसकी शेखर या अपने चाचा के बिजनेस रिलेटेड बात होती तो वो उसमे बीचमे नेहा के बारे मे पूछ लेता था। वो भी नेहा से बात करना चाहता था सब क्लियर करना चाहता था लेकिन बस उसे थोड़ा वक्त चाहिए था

राघव- शेखर क्या हुआ है उसे!!

राघव चीखा

शेखर- भाई आप बस जल्द से जल्द घर आ जाओ

जिसके बाद शेखर ने फोन काट दिया और नेहा का प्लान सक्सेस हो गया अब शेखर को इतना करना था के जब भी राघव का फोन आए उसे ना उठाए

नेहा जब अपने रूम मे आई तो एक मिनट मे उसके फोन पर राघव के 5 मिस कॉल आ चुके थे और जितना वो राघव को जानती थी उस हिसाब से राघव अब तक वापिस आने की तयारी शुरू कर चुका होगा

नेहा- अगर ये अभी आने के लिए निकलते है तब भी आधी रात से पहले नहीं पहुच पाएंगे तब तक अपने काम निपटा लेती हु

नेहा ने सोचा मानो ये कोई बड़ी बात ना हो लेकिन अंदर ही अंदर वो बहुत डरी हुई थी, आज बहुत सी चीजों का खुलासा होना था और उसे कोई आइडिया नहीं था के राघव कैसे रीऐक्ट करेगा जब वो यहा पहुचेगा..

इस वक्त रात के 11.30 बज रहे थे घर पर नेहा के अलावा कोई नहीं था बाकी सभी लोग गणपती दर्शन के लिए गए हुए थे और वो 1-2 बजे तक नहीं लौटने वाले थे उन्होंने नेहा से भी चलने कहा लेकिन उसने तबीयत ठीक नहीं है का बहाना बना दिया

नेहा इस वक्त अपने रूम मे बैठी टीवी के चैनल्स बदल रही थी तभी झटके के साथ उसके रूम का दरवाजा खुला और राघव हाफते हुए अंदर आया, राघव को देख नेहा के चेहरे पर एक मुस्कान आ गई और इससे पहले के नेहा कुछ कहती राघव ने उसे कस के गले लगा लिया, नेहा ने भी राघव को गले से लगाया

राघव ने नेहा को ऐसे पकड़ रखा था मानो उनकी जिंदगी बस नेहा से साथ है वो किसी कीमत पर उसे नहीं खोना चाहता था और नेहा भी राघव की बढ़ी हुई धड़कनों को महसूस कर सकती थी

राघव- तुम ठीक हो?? क्या हुआ है तुम्हें?? शेखर ने कहा था तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं है?? बेबी क्या हुआ है??

राघव ने नेहा का चेहरा अपने हाथों मे थामते हुए उसे ऊपर से नीचे देखते हुए पूछा

नेहा- मैं ठीक हु मुझे कुछ नहीं हुआ है मैंने ही शेखर से आपसे झूठ कहने कहा था

नेहा की बात सुन राघव उसे शॉक मे देखने लगा वो बस नेहा पर चिल्लाने ही वाला था के उसे अपना नेहा से किया वादा याद आया के वो कभी उसपर गुस्सा नहीं करेगा और उसके ट्रिप पर जाने का भी यही रीज़न था के वो अपने आप को शांत करना चाहता था उसने नेहा के वादा किया था के बगैर बात करे किसी नतीजे पे नहीं पहुचेगा लेकिन फिर भी उसने अपने मन मे ये धारणा बना ली थी के नेहा को उसपर बस तरस आ रहा था, उसका दिमाग काम नहीं कर रहा था और वो एकदम से नेहा पर अपने सवालों की बारिश नहीं करना चाहता था जिससे नेहा को लगे के वो उसे दोष दे रहा है

राघव- क्यू??

राघव बस एक शब्द बोला, उसकी आवाज मे गुस्सा साफ था जिसे वो कंट्रोल कर रहा था

नेहा- आप मेरे कॉल्स का जवाब क्यू नहीं दे रहे थे?

नेहा के सीधा पॉइंट पर आते हुए सवाल का जवाब मे सवाल किया

राघव- तो इसीलिए शेखर से झूठ कहने कहोगी?? छोटी बच्ची हो क्या!! तुम्हें कोई आइडिया है मेरी क्या हालत हुई

नेहा- वही तो मैं भी जानना चाहती हु, मुझे पता है आप मेरे सवालों से बचने के लिए ही इस ट्रिप पर गए थे, आप मुझे इग्नोर क्यू कर रहे है??

राघव- मैं तुम्हें इग्नोर नहीं कर रहा हु मैं बस.... काम मे बिजी था

राघव ने नेहा से नजरे चुराते हुए कहा

नेहा- राघव मेरी ओर देखिए, आप मुझे उस दिन से इग्नोर कर रहे है, अगर आपके दिमाग मे कुछ चल रहा है तो प्लीज मुझे बताइए मैं हमेशा आपके साथ हु (नेहा ने राघव का हाथ पकड़ा) राघव मेरी ओर...

लेकिन नेहा बोलते बोलते रुकी जब उसने देखा के रघाव की आँखों मे पानी था

राघव- तुम मेरे अतीत की वजह से मुझपर तरस खा रही हो न? ये सब प्यार ये केयर सब मेरे पास्ट की वजह से है

नेहा- नहीं!!! नहीं नहीं!! आप ऐसा कैसे सोच सकते है ऐसा बिल्कुल नहीं है

राघव- तो फिर तुम्हारा बिहेवियर तब ही क्यू बदला जब शेखर ने तुम्हें सब कुछ सच बताया ?

नेहा- अब आप पहले मेरी बात ध्यान से सुनिए! हा शेखर ने मुझे सब बताया है क्युकी मैंने हमारे रिश्ते से सारी उम्मीदें खो दी थी ना तो आप कोशिश कर रहे थे ना ही मैं अब और आगे कुछ करना चाहती थी लेकिन इस रिश्ते को सार्थक करने किसी न किसी को तो कदम बढ़ाना ही था, मुझे फिक्र है आपकी और मुझे पूरा हक है ये जानना का की ऐसी कौनसी बात है जो आपको परेशान करती है और मैं इतना भी बता दु के उस सब मे आपकी कोई गलती नहीं थी आप बहुत बहादुर है राघव

नेहा- मेरा बिहेवियर इसीलिए नहीं बदला क्युकी मुझे आपके अतीत के बारे मे बात चला बल्कि मैं आपको मुझसे मिलाना चाहती थी आपका अतीत जो भी रहा हो मुझे उससे कोई फर्क नहीं पड़ता मुझे फर्क पड़ता है आपसे मुझे आपकी फिक्र है, आई एम सॉरी मुझे ये सब आपसे जानना चाहिए था ना की किसी और से लेकिन सिचूऐशन ही ऐसी थी के शेखर को मुझे सब बताना पड़ा वरना वो मुझे कभी वो बात नहीं बताता

नेहा ने राघव का गाल सहलाते हुए कहा

नेहा- शेखर ने मुझे सब बताया है लेकिन मुझे सब आपसे सुनना है। सब कुछ। शेखर ने मुझे सब सुनी सुनाई बाते बताई है लेकिन मुझे आपसे जानना है के क्या हुआ था, बताइए राघव आपका गुस्सा आपका डर आज सब बाहर आने दीजिए आज यहा आपको जज करने वाला कोई नहीं है आपको अपने डर का सामना करना होगा

राघव बस नेहा को देख रहा था

‘मुझे उसे सब बता देना चाहिए वो मेरी सारी बात मानेगी’ राघव ने मन ही मन सोचा

क्रमश:
awesome update
 

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अगले दो दिन पूरे देशपांडे वाडे मे चहल पहल थी बाप्पा के आगमन की तयारिया पूरे जोर शोर से चल रही थी सारे शहर मे देशपांडे वाडे का गणेशोत्सव मशहूर था ये शहर का सबसे बड़ा घरगुती गणपती था और अब आने वाले 10 दिन वाडे मे बाप्पा के दर्शन को आने वाले और देशपांडे परिवार के खास लोग और बिजनस पार्टनर्स को खास इन्वाइट किया जाने वाले था बेसिकली अगले 10 दिन घर के सब लोग बस आने वाले मेहमानों के स्वागत मे और बाप्पा की पूजा मे बिजी रहने वाले थे, इन 10 दिनों मे वाडे मे अलग अलग प्रोग्राम्स भी आयोजित किए जाते थे जैसे शास्त्रीय संगीत और भजन के कार्यक्रम, पिछले कुछ सालों मे राघव ने अपने आप को इन सब से दूर कर लिया था वो बस आरती के समय आता फिर वापिस गायब हो जाता था लेकिन इस बार वैसा नहीं था नेहा की वजह से राघव पूरे मन से इस बार का उत्सव मनाने वाला था वो भी अपने सारे कामों को भूल के और आज वो दिन था जब बाप्पा का वाडे मे आगमन होना था सुबह से घर मे सब लोग काम खत्म करवाने मे लगे थे गणेश स्थापना का मुहूर्त दोपहर का था और दोपहर मे पूजा के बाद शाम को भव्य आरती होने वाली थी जिसमे देशपांडेस के बिजनस पार्टनर्स और स्टेट के कुछ बड़े पोलिटिकल लीडर्स और भी की जानी आणि हस्तिया आने वाली थी l।

राघव भी आज सबके साथ सारे काम खुद देख रहा था सारी अरेंजमेंट्स जांच रहा था।

जानकी- राघव ये फूल प्रसाद की टोकरिया सब लेजाके मंडप मे रखो पूजा के सामान के साथ और ऐसे रखना के किसी बच्चे का उस तक हाथ न पहुचे वो लोग एक फूल नहीं छोड़ेंगे

जानकी जि ने राघव को बुला कर कहा और उसने भी अपनी मा की बात का पालन किया जिसके बाद उसकी नजर नेहा पर पड़ी जो रिद्धि और श्वेता के साथ किसी गहन चर्चा मे डूबी हुई थी तो राघव उनके पास पहुचा।

नेहा- मैं न बहुत कन्फ्यूज़ हु सारी पहनु या लहंगा या नऊवारी तुम लोग कुछ सजेस्ट करो ना...

रिद्धि- कुछ भी पहन लो भाभी आप पर सब सूट करता है

श्वेता- हा और एक ईजी ऑप्शन दु जो भईया पहने उससे कुछ मैचिंग पहन लो

तभी वहा राघव पहुंचा

राघव- और लेडिज क्या चल रहा है

रिद्धि- डिस्कशन! भाभी का अभी तक क्या पहनना है डिसाइड नहीं हुआ है!

राघव- ये क्या कोई डिस्कशन का टॉपिक है क्या 🙄😂

राघव की बात पर नेहा ने उसे घूर कर देखा तभी राघव की नजर नेहा ने हाथ मे पकड़ी नऊवारी पर पड़ी

राघव- तुम ये पहनने वाली हो?? मुझे नहीं पता था तुम्हें नऊवारी पहननी आती है

(अबे शादी मे भी तो वही पहनी थी उसने 🤦🏻‍♂️)

नेहा- हा और आपको इसका कुछ नहीं पता है तो आप चुप रहिए

तभी श्वेता और रिद्धि वहा से चली गई और राघव और नेहा ही वहा बचे

राघव- जो भी हो बट मुझे नहीं लगता नऊवारी अच्छी लगेगी तुमपे

राघव ने नेहा को सर से पाओ तक देखते हुए कहा वही नेहा हाथ बांधे उसे देख रही थी

नेहा- कहना क्या है आपको

राघव- कुछ नहीं मैं तो बस सच कह रहा हु

नेहा- पक्का?

राघव- हा और नहीं तो अच्छा चलो एक वादा करता हु अगर तुम्हें देख कर मैं अपनी जगह पर जमा रह गया तो पूरे 10 दिन बस तुम्हारे पीछे पीछे घूमूँगा

राघव ने नेहा के कान मे कहा

नेहा- तो फिर तयार हो जाइए मेरे पीछे घूमने के लिए मिस्टर देशपांडे

इतना बोल कर नेहा वहा से चली गई और राघव भी दूसरे कामों मे लग गया

कुछ समय बाद घर के सब मर्द जाकर ढोल ताशे के साथ बप्पा को ले आए और उन्हे मंडप मे स्थापित किया गया जिसके बाद विधिवत स्थापना की गई और अब शुरू हुई शाम की भव्य आरती की तयारिया....

शाम का वक्त हो चला था और मेहमान आने लगे थे आरती का वक्त हो रहा था और घरवाले भी सब गेस्ट्स को अटेन्ड कर रहे थे राघव और धनंजय अपने बिजनस क्लाइंट्स को संभाल रहे थे वही शेखर रमाकांतजी के साथ उनका पोलिटिकल सर्कल हैंडल कर रहा था शिवशंकर देशपांडे भी सबसे मिल रहे थे

रमाकांत- सब रेडी है?

धनंजय- हा भाईसहब सब डन है!

गायत्री- चलो सब आरती का समय हो गया है

शिवशंकर- नेहा कहा है

दादू ने जब अपनी बहु को नहीं देखा तो पूछा फिर राघव भी इधर उधर देखने लगा लेकिन नेहा उसे नहीं दिखी अभी विवेक ने इशारा किया

विवेक- वो रही भाभी

और जैसे ही राघव ने उस ओर देखा वो नेहा की खूबसूरती मे खो गया, उसने एक नीले रंग की नऊवारी साड़ी पहनी हुई थी गले मे चपला हार, माथे पर चंद्र कोर बिंदी और नाक मे नथ, उसने अपने बालों का जुड़ा बनाया हुआ था जिसमे गजरा लगा हुआ था और इस पारंपरिक महराष्ट्रीयन लुक मे वो कमाल की खूबसूरत दिख रही थी।

राघव की आंखे बस नेहा पर जमी हुई थी एक पल के लिए भी उसने अपनी नजरे नेहा ने नहीं हटाई थी वही सेम टाइम मे कई और लोगों की नजरे नेहा पर जमी हुई थी और ये राघव को रास नहीं आ रहा था जो झट से जाकर नेहा के बाजू मे खड़ा हो गया मानो कह रहा हो के वो सिर्फ उसकी है

शिवशंकर- चलो भाई सब आ गए तो आरती शुरू करते है

जिसके बाद शुरू हुई बप्पा की भव्य आरती

नेहा के साथ बप्पा की आरती करते समय राघव के चेहरे की मुस्कान एक पल के लिए भी गायब नहीं हुई थी, वो तो इस वक्त दुनिया का सबसे खुश आदमी था और वो मन ही मन बप्पा को धन्यवाद दे रहा था नेहा को उसकी जिंदगी मे लाने के लिए

आरती के बाद नए आए गेस्ट्स के स्वागत मे सब लग गए

“congratulations मिस्टर देशपांडे फॉर योर मेरिज, सॉरी मैं तब आ नहीं पाया था” एक 40 की उम्र के आसपास के आदमी ने राघव से हाथ मिलते हुए कहा

“कोई बात नहीं मिस्टर शाह मीट माइ वाइफ मिसेज नेहा राघव देशपांडे”

राघव ने मिस्टर शाह को नेहा से मिलाया

“नाइस तो मीट यू मिसेज देशपांडे, आई मस्ट से मिस्टर देशपांडे योर वाइफ इस ब्यूटीफुल आप दोनों की जोड़ी काफी अच्छी लगती है"

राघव- थैंक यू, प्लीज इन्जॉय

जिसके बाद राघव और नेहा कई और लोगों से मिले राघव सबसे नेहा को इन्ट्रोडूस करा रहा था और जब दोनों के आसपास कोई नहीं होता तो दोनों अपनी प्यार भारी नोक झोंक मे बिजी थे तभी विवेक वहा नेहा को बुलाने आया

विवेक- भाभी आपको दादी बुला रही है और भाभी मैंने पहले बोला नहीं लेकिन आप बहुत अच्छी दिख रही हो आज

विवेक ने कहा

नेहा- थैंक यू विवेक कम से कम कोई तो है जो कॉम्प्लीमेंट करना जानता है

नेहा ने राघव को देखते हुए विवेक से कहा और वहा ने चली गई और विवेक भी जाने ही वाला था के राघव ने उसे पकड़ा और उसके गले मे अपना हाथ डाल के उससे बोला

राघव- तुझे हमेशा कबाब मे हड्डी क्यू बनना होता है बे

विवेक- मैंने क्या किया अब और वैसे भी गलती आपकी है आप भाभी की तारीफ नहीं करते और मैं तो प्रैक्टिस कर रहा हु आगे अपने को कोई दिक्कत नहीं चाहिए 😎

जिसके बाद विवेक भी वहा से चला गया और राघव अपने क्लाइंट्स से मिलने लगा

कुछ समय बाद राघव और नेहा फिर से साथ साथ थे और इस बार राघव उसे लेकर एक साइड मे आया था जहा कोई उन्हे डिस्टर्ब करने वाला नहीं था और उसी वक्त वहा देशपांडे वाडे के गेट पर एक गाड़ी आकार रुकी और उसमे से एक शक्स उतरा जो फोन पर किसी से बार कर रहा था

“हा पहुच गया हु मैं..... हा हा उससे मिलने की जल्दी तो मुझे भी है...... उसे उम्मीद नहीं होगी के मैं आज यह आने वाला हु.... देखते है वो कैसे रीऐक्ट करेगा..... ” जिसके बाद उस इंसान ने फोन काट दिया और वो अंदर आया

उसे आता देख रमाकांत जी उसे लेने के लिए गए वही राघव जो नेहा के साथ था उसकी नजर जैसे ही उस इंसान पर पड़ी वो अपनी जगह जम गया, उसका दिमाग एकदम ब्लैंक हो गया.......

कौन था वो और उसे देख राघव ऐसे चौक क्यू गया किससे मिलना था उस इंसान को बहुत से सवाल है जिनका जवाब आने वाले भागों मे मिलेगा तब तक साथ बने रहिए कहानी कैसी लग रही है कमेंट्स करिए

क्रमश:
nice update
 
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