Vadhiya update brotherUpdate 58
राघव- निशा उस दिन कॉलेज नही आई थी जिससे मुझे उसकी थोड़ी चिंता होने लगी थी इसीलिए मैं उस दिन वापिस उसके घर गया, उसके घर का दरवाजा पहले से खुला हुआ था तो मैं अंदर चला गया और वहा जो मैंने देखा उसे मैं सपने मे भी नहीं सोच सकता था...
मैंने सपने मे भी नहीं सोचा था के मुझे ऐसा दिन देखना पड़ेगा मैं आज भी उस दिन को उस सीन को भुला नहीं पाया हु
बोलते बोलते राघव की आँखों से आँसू बहने लगे थे उसने एक लंबी सांस खिची, उसकी आवाज टूट रही थी लेकिन फिर भी उसने बोलना शुरू किया
राघव- मैं जब उसके घर के अंदर पहुचा तो मैंने देखा के मेरी दोस्त मेरी सबसे अच्छी दोस्त अब इस दुनिया मे नहीं थी
उसकी लाश रस्सी से लटक रही थी, उसने आत्महत्या कर ली थी।
राघव की आँखों से कंटिन्यू आँसू बह रहे थे और उसकी हालत देख नेहा की भी आंखे पनिया गई थी उसने कस के राघव का हाथ पकड़ा हुआ था
राघव- अपने सामने निशा की लटकती लाश देख मुझे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था के मैं क्या करू, अचानक मेरे शरीर ने, मेरे दिमाग ने मेरा साथ छोड़ दिया था, मैं एकदम ब्लैंक हो गया था जो इंसान मेरे लिए उस वक्त सबसे ज्यादा मायने रखता था उसने अपनी खुद की जान लेली थी लेकिन क्यू?? मैं नहीं जानता था,
मेरा सर घूमने लगा था आँसू बह रहे थे मैं चिल्ला चिल्ला कर मदद बुला रहा था मैंने उसके पास जाकर उसके पैर पकड़े और कुछ ही पालो मे मेरी आवाज सुन निशा के पड़ोसी वहा आए उन्होंने उसकी लाश उतारने मे मेरी मदद की मुझे लग रहा था के शायद शायद वो बच जाए लेकिन मैं गलत था वो मुझे छोड़ के जा चुकी थी
मेरे हाथ कांप रहे थे उसकी लाश मेरे हाथों मे थी उस इंसान की लाश जो मेरे लिए सबसे ज्यादा जरूरी था, वो दिन मेरी जिंदगी का सबसे बुरा दिन था तुम सोच भी नही सकती मुझे उस वक्त कैसा महसूस हो रहा था मेरे हाथों मे उस इंसान की लाश थी जो मेरे दिल के सबसे ज्यादा करीब था वो मुझे हमेशा हमेशा के लिए छोड़ के जा चुकी थी
मैं उसकी लाश को अपने हाथों मे पकड़े जोर जोर से रोए जा रहा था चिल्लाए जा रहा था उससे मिन्नते कर रहा था के वो लौट आए पर ये मुमकिन ही नही था, मैंने उसे खो दिया था
राघव नेहा के गले लग कर रोए जा रहा था और अब तक नेहा की आँखों से भी आँसू बहने लगे थे।
राघव- सुसाइड केस था उसके पड़ोसियों ने पुलिस को खबर कर दी थी और जल्द ही पुलिस वहा पहुच चुकी थी, उन्होंने आकर अपनी कार्यवाही शुरू की अपनी इंक्वायरी करने लगे और निशा की बॉडी एम्बुलेंस से पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दी गई, मैं कुछ भी सोचने समझने की हालत मे नहीं था, डॉक्टर्स ने बताया के उन्हे पोस्टमॉर्टम के लिए थोड़ा टाइम लगेगा क्युकी वो निशा की डेथ का असल रीज़न पता नहीं कर पा रहे थे और मैं उसके जाने के गम मे डूबा हुआ था, ऐसे मे मुझे एंजाइटी के दौरे पड़ने लगे थे और मेरी हालत तब बिगड़ी जब मेरे कॉलेज के लोगों ने मुझे उसकी मौत का जिम्मेदार ठहराया, वो मुझे निशा की मौत के पीछे समझते थे क्युकी निशा के सुसाइड के पहले ही हमारा झगड़ा हुआ था और उन्हे लगा शायद वही झगड़ा उसके सुसाइड के पीछे का रीजन होगा, उन्होंने मुझे किलर और न जाने क्या क्या कहा, मैं डिप्रेशन मे जा चुका था और ऐसे मे विशाल मुझे संभाल रहा था और ऐसे मे मुझे उसकी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट मिली जिसने मुझे और भी ज्यादा हिला के रख दिया
रिपोर्ट मे लिखा था के निशा ने आत्महत्या नहीं की थी बल्कि उसका रेप किया गया था और उसके बाद उसे मार दिया गया था
राघव की बात सुन अब नेहा और भी ज्यादा शॉक थी उसे सुसाइड की बात तो पता थी लेकिन ये बात वो नहीं जानती थी, राघव की बताई गई कई बाते शेखर ने जो उसे बताया उससे अलग थी क्युकी शेखर ने बस ये सब सुना था लेकिन राघव ने जिया था
राघव- उस रिपोर्ट ने मुझे पूरी तरह हिला कर रख दिया था लेकिन मैं शायद इस सब के पीछे की, निशा के मरने के पीछे की वजह जानता था, इस सब के पीछे उसके सो कॉल्ड बॉयफ्रेंड मैथ्यू का हाथ था! मैंने उसे निशा की अंत विधि पर भी नही देखा था और ना ही वो उसके बाद कॉलेज आया था जिसने मेरा शक और बढ़ा दिया था
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने अपनी तहकीकात शुरू की और मैंने भी पुलिस को सब कुछ बता दिया था, मैंने खुद से भी मामले मे तहकीकात की और मेरी बहुत बहुत ज्यादा कोशिशों के बाद आखिर मुझे उसके ठिकाने का पता चला और मैंने उससे बात करने का सोचा और जब मैं उसके ठिकाने पहुचा मेरा माथा ठनका, वो पहले से ही निशा पर चीट कर रहा था और वहा किसी और लड़की के साथ था उन दोनों के शरीर आपस मे उलझे हुए थे बगैर कपड़ों के उसने तो दरवाजा तक लॉक नहीं किया था
मुझे कुछ समझ नहीं आया के मैं क्या करू एक तो वो ऐसी हालत मे थे लेकिन मुझे मेरे सवालों का जवाब चाहिए थे, मैंने सबसे पहले तो पुलिस को कॉल किया और फिर अपने फोन की रिकॉर्डिंग शुरू की और जोर से चिल्लाते हुए उनका ध्यान अपनी ओर खिचा, मेरी आवाज से वो लड़की सचेत हो गई और उसने उठकर कपड़े पहने और फिर मैथ्यू की तो मुझे चिंता ही नहीं थी
फिर मैंने ना आव देखा न ताव और मैथ्यू पर कूद पड़ा और एक जोर का मुक्का जड़ दिया, हम दोनों अब फिजिकली लड़ रहे थे
मैंने उससे पूछा के के उसने वो सब क्यू किया और उसने भी बता दिया क्युकी वो जानता था के मैंने उसकी बाते सुन ली थी और वहा हमारे अलावा और कोई नहीं था उसे जरा भी आइडिया नहीं था के मेरे फोन की रिकॉर्डिंग शुरू थी इसीलिए उसने अपनी गलती मानी उसने बताया था जिस दिन मेरी और निशा की लड़ाई हुई थी वो उस दिन निशा के रूम पर गया था,
मुझसे हुई लड़ाई की वजह से निशा रो रही थी और ऐसे मे उसके ईमोशनल स्टेट का फायदा मैथ्यू लेना चाहता था उसने तब उसका रेप किया, पहले तो उसने प्यार से कोशिश की लेकिन जब निशा नही मानी तो उसने उसके साथ जबरदस्ती की और तब निशा को समझ आया के मैं सही था वो मदद के लिए चीख रही थी लेकिन वहा उसकी मदद करने वाला कोई नहीं था
निशा ने उस हैवान से अपने आप को बचाने की काफी कोशिश की हाथापाई भी की उसके प्राइवेट पार्ट पर वार भी किया जिसने मैथ्यू को और भड़का दिया उसने गुस्से मे निशा का गला घोंट कर उसे मार डाला, उसने मुझे ये भी कहा था के उसका प्लान तो निशा की बॉडी की डील करना था वो उसे बेचने वाला था लेकिन अब मरने के बाद वो उसके किसी काम की नही थी उसका शरीर उसके लिए बस मास का टुकड़ा था जो जानवरों को खाना खिलाने के काम आता
जब तक पुलिस ना आ गई वो अपनी काली करतूते बताता गया, मैंने उसके जैसा घटिया इंसान अपनी जिंदगी मे कभी नहीं देखा था, पुलिस के आते ही मैंने वो रिकॉर्डिंग पुलिस के हवाले कर दी और उन्होंने उसे अरेस्ट कर लिया, बाद मे उसे डेथ सेन्टन्स दिया गया लेकिन जाते जाते वो मुझसे कह के गया था के वो मेरी जिंदगी को जीते जी नरक बना देगा और इसमे वो कामियाब भी रहा
राघव बोलते बोलते नेहा की बाहों मे रोए जा रहा था आज इतने सालों का समेटा गुबार बाहर आ रहा था राघव किसी के साथ अपना दर्द बाँट रहा था
राघव- उसके कॉलेज मे कुछ लोग थे जिन्होंने मेरा आखरी तक पीछा नही छोड़ा और मुझे ही निशा का कातिल बना दिया, सच सबको पता था लेकिन ब्लैम मुझे किया गया के अगर मैं उस दिन निशा से नही लड़ता तो शायद... शायद उसका रेप नहीं होता, शायद वो आज जिंदा होती मेरी क्या गलती थी नेहा.. मैं तो बस अपनी दोस्त को बचाना चाहता था ना,
बाद मे तो ये बाते होने लगी थी के मैं भी उस प्लान मे शामिल था, उन लोगों ने मुझे ब्लैम करने का एक मौका भी नहीं छोड़ा, और मैं उस गिल्ट मे धसता गया, और सबसे ज्यादा तकलीफ मुझे दी निखिल ने जिसे मैं अपना दोस्त मानता था जब उसने भी इस सब का दोष मुझे दिया मैं टूट चुका था और मुझे संभालते हुए विशाल की हालत खराब हो रही थी, मुझे किसी की कोई परवाह नहीं थी बस सबसे ज्यादा तकलीफ मुझे निखिल ने दी थी, वो निशा को चाहता था और उसका मेरे निशा के करीब रहना पसंद नहीं था ये बात मुझे बाद मे पता चली, उसने मुझे ही निशा की मौत का दोषी ठहराया और उसने मुझे अवॉइड करना शुरू कर दिया, मैंने उस दौर मे बहुत कुछ खोया है नेहा और लोगों पर भरोसा करना भी, उस दिन किसी के प्यार की वजह से दोस्ती टूटी थी और किसी के अंधे प्यार की वजह से एक जान गई थी
मेरे... मेरे पास उस वक्त कोई नहीं था जिससे मैं ये सब शेयर करू विशाल था, उसने कभी इसमे मेरा साथ नहीं छोड़ा, लेकिन वो हर वक्त मेरे साथ नहीं रह सकता था उसकी भी अपनी लाइफ थी वो भी तो उस वक्त कॉलेज मे ही था और आखिर मैं डिप्रेशन का शिकार हो गया, जब शेखर वहा आया तो उसके और विशाल की वजह से मेरी हालत थोड़ी ठीक हुई, कॉलेज मे शेखर के सामने जब कोई मुझे कुछ कहता तो शेखर उससे लड़ पड़ता लेकिन मैं उसे रोक देता क्युकी लड़ने का कोई मतलब नहीं था
मैंने भी अपने दिमाग के किसी कोने मे सोच लिया था के कही न कही इस सब के लिए मैं ही जिम्मेदार हु, मैं उसे बचा सकता था मैंने दोस्ती का फर्ज नहीं निभाया था, मुझे उसी दिन वापिस उसके घर जाना चाहिए था उसका खयाल रखना चाहिए था लेकिन मैंने वैसा नहीं किया अगर मैं उस दिन वहा चला जाता तो शायद... शायद आज वो मेरे साथ होती, हमारे साथ होती हमारे बीच होती
मुझे उस वक्त हर 2 दिन मे पैनिक अटैक आते थे, मेंटल हेल्थ एकदम ही बिगाड़ चुकी थी पर इतने सब मे भी इस सब की खबर घरवालों को नही थी, मेरा ट्रीट्मन्ट शुरू हो चुका था और जब मैं थोड़ा रिकवर हुआ तब मैं भारत लौट आया,
मैं अकेला रहता था, मैंने लोगों से बात करना बंद कर दिया था क्युकी मैं डरता था और मैं ऐसा बन गया
राघव नेहा के गले लग रोए जा रहा था,
राघव- शायद ये कई लोगों के लिए बहुत बड़ी बात ना हो लेकिन जिसके साथ ये होता है उसके लिए ये बहुत बड़ी बात होती है रोज टौंट सुनना, लोगो का तुम्हे उस बात के लिए अक्यूज़ करना जिसे तुमने किया नहीं है तुम्हें कातिल मानना, जिस बात को तुम भूलने की कोशिश कर रहे हो बार बार उसी बात को तुम्हें याद दिलाते रहना और ऐसे मे मजबूत से मजबूत दिमाग वाला आदमी भी डिप्रेशन मे चला जाएगा, मैं भले ऊपर से कितना ही मजबूत बन लू लेकिन ये बाते मुझे आज भी अफेक्ट करती है, वो शब्द आज भी मेरे कानों मे गूँजते है
शब्दों मे बहुत ताकत होती है, शस्त्रों से ज्यादा गहरे घाव शब्द दे जाते है जो कई बार आपका मानसिक संतुलन तक हिला देते है
राघव- रोज मैं नॉर्मल राघव बनने की कोशिश करता हु लेकिन वो राघव वो अब बदल चुका था वो एक घमंडी, गुरूर वाला, गुस्सैल आदमी बन चुका था जिसे बस लोगों पर चिल्लाना आता है, उन्हे तकलीफ देना आता है क्युकी वो खुद तकलीफ मे था
राघव की नजरे नेहा की नजरों से मिली
राघव- तुम्हारा राघव ऐसा नहीं है नेहा उस घटना ने मुझे ऐसा बना दिया है, तुम ही मुझे बताओ मैं कैसे....... कैसे प्यार पर यकीन कर लू जब मैंने अपनी सबसे अच्छी दोस्त को उसी के हाथों मरते देखा है जिससे वो प्यार करती थी? मैं कैसे किसी पर यकीन करू जब मैंने उस यकीन को पहले ही बिखरते देखा है? मैं आज भी उसे मिस करता हु, मुझे बताना नही आता इसका ये मतलब नहीं की मुझे तकलीफ नहीं होती, मैं रोज उस गिल्ट के साथ जी रहा हु के शायद.... शायद मैं उसे बचा सकता था
मुझे कोई फरक नहीं पड़ता के लोग क्या बोलते है क्या सोचते है मैंने उनमे से किसी के साथ कॉलेज के बाद कोई कान्टैक्ट नहीं रखा, लेकिन निखिल, मुझे उसकी बातों ने सबसे ज्यादा तकलीफ दी है , मैं उससे कॉलेज के बाद मिला हु लेकिन उससे कभी बात करने की हिम्मत ही नहीं हुई, मैंने उसकी आँखों मे मेरे लिए नफरत तो नहीं देखि लेकिन डरता हु के कही वो वापिस मुझे किलर न कहने लगे, तुम बताओ के क्या मैं निशा की मौत का जिम्मेदार हु?? अगर मैं मेरी दोस्त को ही नहीं बचा पाया तो अपनी फॅमिली को कैसे संभालूँगा??
बोलते बोलते राघव की आवाज कांप रही थी, वही नेहा को अब उसकी और भी ज्यादा चिंता हो रही थी, उसने राघव को ऐसी हालत मे कभी नही देखा था राघव इस वक्त पूरी बिखरी हालत मे था....
क्रमश:
Nice and beautiful updateUpdate 58
राघव- निशा उस दिन कॉलेज नही आई थी जिससे मुझे उसकी थोड़ी चिंता होने लगी थी इसीलिए मैं उस दिन वापिस उसके घर गया, उसके घर का दरवाजा पहले से खुला हुआ था तो मैं अंदर चला गया और वहा जो मैंने देखा उसे मैं सपने मे भी नहीं सोच सकता था...
मैंने सपने मे भी नहीं सोचा था के मुझे ऐसा दिन देखना पड़ेगा मैं आज भी उस दिन को उस सीन को भुला नहीं पाया हु
बोलते बोलते राघव की आँखों से आँसू बहने लगे थे उसने एक लंबी सांस खिची, उसकी आवाज टूट रही थी लेकिन फिर भी उसने बोलना शुरू किया
राघव- मैं जब उसके घर के अंदर पहुचा तो मैंने देखा के मेरी दोस्त मेरी सबसे अच्छी दोस्त अब इस दुनिया मे नहीं थी
उसकी लाश रस्सी से लटक रही थी, उसने आत्महत्या कर ली थी।
राघव की आँखों से कंटिन्यू आँसू बह रहे थे और उसकी हालत देख नेहा की भी आंखे पनिया गई थी उसने कस के राघव का हाथ पकड़ा हुआ था
राघव- अपने सामने निशा की लटकती लाश देख मुझे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था के मैं क्या करू, अचानक मेरे शरीर ने, मेरे दिमाग ने मेरा साथ छोड़ दिया था, मैं एकदम ब्लैंक हो गया था जो इंसान मेरे लिए उस वक्त सबसे ज्यादा मायने रखता था उसने अपनी खुद की जान लेली थी लेकिन क्यू?? मैं नहीं जानता था,
मेरा सर घूमने लगा था आँसू बह रहे थे मैं चिल्ला चिल्ला कर मदद बुला रहा था मैंने उसके पास जाकर उसके पैर पकड़े और कुछ ही पालो मे मेरी आवाज सुन निशा के पड़ोसी वहा आए उन्होंने उसकी लाश उतारने मे मेरी मदद की मुझे लग रहा था के शायद शायद वो बच जाए लेकिन मैं गलत था वो मुझे छोड़ के जा चुकी थी
मेरे हाथ कांप रहे थे उसकी लाश मेरे हाथों मे थी उस इंसान की लाश जो मेरे लिए सबसे ज्यादा जरूरी था, वो दिन मेरी जिंदगी का सबसे बुरा दिन था तुम सोच भी नही सकती मुझे उस वक्त कैसा महसूस हो रहा था मेरे हाथों मे उस इंसान की लाश थी जो मेरे दिल के सबसे ज्यादा करीब था वो मुझे हमेशा हमेशा के लिए छोड़ के जा चुकी थी
मैं उसकी लाश को अपने हाथों मे पकड़े जोर जोर से रोए जा रहा था चिल्लाए जा रहा था उससे मिन्नते कर रहा था के वो लौट आए पर ये मुमकिन ही नही था, मैंने उसे खो दिया था
राघव नेहा के गले लग कर रोए जा रहा था और अब तक नेहा की आँखों से भी आँसू बहने लगे थे।
राघव- सुसाइड केस था उसके पड़ोसियों ने पुलिस को खबर कर दी थी और जल्द ही पुलिस वहा पहुच चुकी थी, उन्होंने आकर अपनी कार्यवाही शुरू की अपनी इंक्वायरी करने लगे और निशा की बॉडी एम्बुलेंस से पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दी गई, मैं कुछ भी सोचने समझने की हालत मे नहीं था, डॉक्टर्स ने बताया के उन्हे पोस्टमॉर्टम के लिए थोड़ा टाइम लगेगा क्युकी वो निशा की डेथ का असल रीज़न पता नहीं कर पा रहे थे और मैं उसके जाने के गम मे डूबा हुआ था, ऐसे मे मुझे एंजाइटी के दौरे पड़ने लगे थे और मेरी हालत तब बिगड़ी जब मेरे कॉलेज के लोगों ने मुझे उसकी मौत का जिम्मेदार ठहराया, वो मुझे निशा की मौत के पीछे समझते थे क्युकी निशा के सुसाइड के पहले ही हमारा झगड़ा हुआ था और उन्हे लगा शायद वही झगड़ा उसके सुसाइड के पीछे का रीजन होगा, उन्होंने मुझे किलर और न जाने क्या क्या कहा, मैं डिप्रेशन मे जा चुका था और ऐसे मे विशाल मुझे संभाल रहा था और ऐसे मे मुझे उसकी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट मिली जिसने मुझे और भी ज्यादा हिला के रख दिया
रिपोर्ट मे लिखा था के निशा ने आत्महत्या नहीं की थी बल्कि उसका रेप किया गया था और उसके बाद उसे मार दिया गया था
राघव की बात सुन अब नेहा और भी ज्यादा शॉक थी उसे सुसाइड की बात तो पता थी लेकिन ये बात वो नहीं जानती थी, राघव की बताई गई कई बाते शेखर ने जो उसे बताया उससे अलग थी क्युकी शेखर ने बस ये सब सुना था लेकिन राघव ने जिया था
राघव- उस रिपोर्ट ने मुझे पूरी तरह हिला कर रख दिया था लेकिन मैं शायद इस सब के पीछे की, निशा के मरने के पीछे की वजह जानता था, इस सब के पीछे उसके सो कॉल्ड बॉयफ्रेंड मैथ्यू का हाथ था! मैंने उसे निशा की अंत विधि पर भी नही देखा था और ना ही वो उसके बाद कॉलेज आया था जिसने मेरा शक और बढ़ा दिया था
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने अपनी तहकीकात शुरू की और मैंने भी पुलिस को सब कुछ बता दिया था, मैंने खुद से भी मामले मे तहकीकात की और मेरी बहुत बहुत ज्यादा कोशिशों के बाद आखिर मुझे उसके ठिकाने का पता चला और मैंने उससे बात करने का सोचा और जब मैं उसके ठिकाने पहुचा मेरा माथा ठनका, वो पहले से ही निशा पर चीट कर रहा था और वहा किसी और लड़की के साथ था उन दोनों के शरीर आपस मे उलझे हुए थे बगैर कपड़ों के उसने तो दरवाजा तक लॉक नहीं किया था
मुझे कुछ समझ नहीं आया के मैं क्या करू एक तो वो ऐसी हालत मे थे लेकिन मुझे मेरे सवालों का जवाब चाहिए थे, मैंने सबसे पहले तो पुलिस को कॉल किया और फिर अपने फोन की रिकॉर्डिंग शुरू की और जोर से चिल्लाते हुए उनका ध्यान अपनी ओर खिचा, मेरी आवाज से वो लड़की सचेत हो गई और उसने उठकर कपड़े पहने और फिर मैथ्यू की तो मुझे चिंता ही नहीं थी
फिर मैंने ना आव देखा न ताव और मैथ्यू पर कूद पड़ा और एक जोर का मुक्का जड़ दिया, हम दोनों अब फिजिकली लड़ रहे थे
मैंने उससे पूछा के के उसने वो सब क्यू किया और उसने भी बता दिया क्युकी वो जानता था के मैंने उसकी बाते सुन ली थी और वहा हमारे अलावा और कोई नहीं था उसे जरा भी आइडिया नहीं था के मेरे फोन की रिकॉर्डिंग शुरू थी इसीलिए उसने अपनी गलती मानी उसने बताया था जिस दिन मेरी और निशा की लड़ाई हुई थी वो उस दिन निशा के रूम पर गया था,
मुझसे हुई लड़ाई की वजह से निशा रो रही थी और ऐसे मे उसके ईमोशनल स्टेट का फायदा मैथ्यू लेना चाहता था उसने तब उसका रेप किया, पहले तो उसने प्यार से कोशिश की लेकिन जब निशा नही मानी तो उसने उसके साथ जबरदस्ती की और तब निशा को समझ आया के मैं सही था वो मदद के लिए चीख रही थी लेकिन वहा उसकी मदद करने वाला कोई नहीं था
निशा ने उस हैवान से अपने आप को बचाने की काफी कोशिश की हाथापाई भी की उसके प्राइवेट पार्ट पर वार भी किया जिसने मैथ्यू को और भड़का दिया उसने गुस्से मे निशा का गला घोंट कर उसे मार डाला, उसने मुझे ये भी कहा था के उसका प्लान तो निशा की बॉडी की डील करना था वो उसे बेचने वाला था लेकिन अब मरने के बाद वो उसके किसी काम की नही थी उसका शरीर उसके लिए बस मास का टुकड़ा था जो जानवरों को खाना खिलाने के काम आता
जब तक पुलिस ना आ गई वो अपनी काली करतूते बताता गया, मैंने उसके जैसा घटिया इंसान अपनी जिंदगी मे कभी नहीं देखा था, पुलिस के आते ही मैंने वो रिकॉर्डिंग पुलिस के हवाले कर दी और उन्होंने उसे अरेस्ट कर लिया, बाद मे उसे डेथ सेन्टन्स दिया गया लेकिन जाते जाते वो मुझसे कह के गया था के वो मेरी जिंदगी को जीते जी नरक बना देगा और इसमे वो कामियाब भी रहा
राघव बोलते बोलते नेहा की बाहों मे रोए जा रहा था आज इतने सालों का समेटा गुबार बाहर आ रहा था राघव किसी के साथ अपना दर्द बाँट रहा था
राघव- उसके कॉलेज मे कुछ लोग थे जिन्होंने मेरा आखरी तक पीछा नही छोड़ा और मुझे ही निशा का कातिल बना दिया, सच सबको पता था लेकिन ब्लैम मुझे किया गया के अगर मैं उस दिन निशा से नही लड़ता तो शायद... शायद उसका रेप नहीं होता, शायद वो आज जिंदा होती मेरी क्या गलती थी नेहा.. मैं तो बस अपनी दोस्त को बचाना चाहता था ना,
बाद मे तो ये बाते होने लगी थी के मैं भी उस प्लान मे शामिल था, उन लोगों ने मुझे ब्लैम करने का एक मौका भी नहीं छोड़ा, और मैं उस गिल्ट मे धसता गया, और सबसे ज्यादा तकलीफ मुझे दी निखिल ने जिसे मैं अपना दोस्त मानता था जब उसने भी इस सब का दोष मुझे दिया मैं टूट चुका था और मुझे संभालते हुए विशाल की हालत खराब हो रही थी, मुझे किसी की कोई परवाह नहीं थी बस सबसे ज्यादा तकलीफ मुझे निखिल ने दी थी, वो निशा को चाहता था और उसका मेरे निशा के करीब रहना पसंद नहीं था ये बात मुझे बाद मे पता चली, उसने मुझे ही निशा की मौत का दोषी ठहराया और उसने मुझे अवॉइड करना शुरू कर दिया, मैंने उस दौर मे बहुत कुछ खोया है नेहा और लोगों पर भरोसा करना भी, उस दिन किसी के प्यार की वजह से दोस्ती टूटी थी और किसी के अंधे प्यार की वजह से एक जान गई थी
मेरे... मेरे पास उस वक्त कोई नहीं था जिससे मैं ये सब शेयर करू विशाल था, उसने कभी इसमे मेरा साथ नहीं छोड़ा, लेकिन वो हर वक्त मेरे साथ नहीं रह सकता था उसकी भी अपनी लाइफ थी वो भी तो उस वक्त कॉलेज मे ही था और आखिर मैं डिप्रेशन का शिकार हो गया, जब शेखर वहा आया तो उसके और विशाल की वजह से मेरी हालत थोड़ी ठीक हुई, कॉलेज मे शेखर के सामने जब कोई मुझे कुछ कहता तो शेखर उससे लड़ पड़ता लेकिन मैं उसे रोक देता क्युकी लड़ने का कोई मतलब नहीं था
मैंने भी अपने दिमाग के किसी कोने मे सोच लिया था के कही न कही इस सब के लिए मैं ही जिम्मेदार हु, मैं उसे बचा सकता था मैंने दोस्ती का फर्ज नहीं निभाया था, मुझे उसी दिन वापिस उसके घर जाना चाहिए था उसका खयाल रखना चाहिए था लेकिन मैंने वैसा नहीं किया अगर मैं उस दिन वहा चला जाता तो शायद... शायद आज वो मेरे साथ होती, हमारे साथ होती हमारे बीच होती
मुझे उस वक्त हर 2 दिन मे पैनिक अटैक आते थे, मेंटल हेल्थ एकदम ही बिगाड़ चुकी थी पर इतने सब मे भी इस सब की खबर घरवालों को नही थी, मेरा ट्रीट्मन्ट शुरू हो चुका था और जब मैं थोड़ा रिकवर हुआ तब मैं भारत लौट आया,
मैं अकेला रहता था, मैंने लोगों से बात करना बंद कर दिया था क्युकी मैं डरता था और मैं ऐसा बन गया
राघव नेहा के गले लग रोए जा रहा था,
राघव- शायद ये कई लोगों के लिए बहुत बड़ी बात ना हो लेकिन जिसके साथ ये होता है उसके लिए ये बहुत बड़ी बात होती है रोज टौंट सुनना, लोगो का तुम्हे उस बात के लिए अक्यूज़ करना जिसे तुमने किया नहीं है तुम्हें कातिल मानना, जिस बात को तुम भूलने की कोशिश कर रहे हो बार बार उसी बात को तुम्हें याद दिलाते रहना और ऐसे मे मजबूत से मजबूत दिमाग वाला आदमी भी डिप्रेशन मे चला जाएगा, मैं भले ऊपर से कितना ही मजबूत बन लू लेकिन ये बाते मुझे आज भी अफेक्ट करती है, वो शब्द आज भी मेरे कानों मे गूँजते है
शब्दों मे बहुत ताकत होती है, शस्त्रों से ज्यादा गहरे घाव शब्द दे जाते है जो कई बार आपका मानसिक संतुलन तक हिला देते है
राघव- रोज मैं नॉर्मल राघव बनने की कोशिश करता हु लेकिन वो राघव वो अब बदल चुका था वो एक घमंडी, गुरूर वाला, गुस्सैल आदमी बन चुका था जिसे बस लोगों पर चिल्लाना आता है, उन्हे तकलीफ देना आता है क्युकी वो खुद तकलीफ मे था
राघव की नजरे नेहा की नजरों से मिली
राघव- तुम्हारा राघव ऐसा नहीं है नेहा उस घटना ने मुझे ऐसा बना दिया है, तुम ही मुझे बताओ मैं कैसे....... कैसे प्यार पर यकीन कर लू जब मैंने अपनी सबसे अच्छी दोस्त को उसी के हाथों मरते देखा है जिससे वो प्यार करती थी? मैं कैसे किसी पर यकीन करू जब मैंने उस यकीन को पहले ही बिखरते देखा है? मैं आज भी उसे मिस करता हु, मुझे बताना नही आता इसका ये मतलब नहीं की मुझे तकलीफ नहीं होती, मैं रोज उस गिल्ट के साथ जी रहा हु के शायद.... शायद मैं उसे बचा सकता था
मुझे कोई फरक नहीं पड़ता के लोग क्या बोलते है क्या सोचते है मैंने उनमे से किसी के साथ कॉलेज के बाद कोई कान्टैक्ट नहीं रखा, लेकिन निखिल, मुझे उसकी बातों ने सबसे ज्यादा तकलीफ दी है , मैं उससे कॉलेज के बाद मिला हु लेकिन उससे कभी बात करने की हिम्मत ही नहीं हुई, मैंने उसकी आँखों मे मेरे लिए नफरत तो नहीं देखि लेकिन डरता हु के कही वो वापिस मुझे किलर न कहने लगे, तुम बताओ के क्या मैं निशा की मौत का जिम्मेदार हु?? अगर मैं मेरी दोस्त को ही नहीं बचा पाया तो अपनी फॅमिली को कैसे संभालूँगा??
बोलते बोलते राघव की आवाज कांप रही थी, वही नेहा को अब उसकी और भी ज्यादा चिंता हो रही थी, उसने राघव को ऐसी हालत मे कभी नही देखा था राघव इस वक्त पूरी बिखरी हालत मे था....
क्रमश:
अतीत का दर्द इंसान को पूर्णतः बदल सकता है इसका राघव एक उदाहरण है, निशा के साथ जो कुछ भी हुआ बहुत बुरा हुआ है लेकिन यह भी सत्य है के इसमे राघव की कही कोई भी गलती नहीं है।Update 58
राघव- निशा उस दिन कॉलेज नही आई थी जिससे मुझे उसकी थोड़ी चिंता होने लगी थी इसीलिए मैं उस दिन वापिस उसके घर गया, उसके घर का दरवाजा पहले से खुला हुआ था तो मैं अंदर चला गया और वहा जो मैंने देखा उसे मैं सपने मे भी नहीं सोच सकता था...
मैंने सपने मे भी नहीं सोचा था के मुझे ऐसा दिन देखना पड़ेगा मैं आज भी उस दिन को उस सीन को भुला नहीं पाया हु
बोलते बोलते राघव की आँखों से आँसू बहने लगे थे उसने एक लंबी सांस खिची, उसकी आवाज टूट रही थी लेकिन फिर भी उसने बोलना शुरू किया
राघव- मैं जब उसके घर के अंदर पहुचा तो मैंने देखा के मेरी दोस्त मेरी सबसे अच्छी दोस्त अब इस दुनिया मे नहीं थी
उसकी लाश रस्सी से लटक रही थी, उसने आत्महत्या कर ली थी।
राघव की आँखों से कंटिन्यू आँसू बह रहे थे और उसकी हालत देख नेहा की भी आंखे पनिया गई थी उसने कस के राघव का हाथ पकड़ा हुआ था
राघव- अपने सामने निशा की लटकती लाश देख मुझे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था के मैं क्या करू, अचानक मेरे शरीर ने, मेरे दिमाग ने मेरा साथ छोड़ दिया था, मैं एकदम ब्लैंक हो गया था जो इंसान मेरे लिए उस वक्त सबसे ज्यादा मायने रखता था उसने अपनी खुद की जान लेली थी लेकिन क्यू?? मैं नहीं जानता था,
मेरा सर घूमने लगा था आँसू बह रहे थे मैं चिल्ला चिल्ला कर मदद बुला रहा था मैंने उसके पास जाकर उसके पैर पकड़े और कुछ ही पालो मे मेरी आवाज सुन निशा के पड़ोसी वहा आए उन्होंने उसकी लाश उतारने मे मेरी मदद की मुझे लग रहा था के शायद शायद वो बच जाए लेकिन मैं गलत था वो मुझे छोड़ के जा चुकी थी
मेरे हाथ कांप रहे थे उसकी लाश मेरे हाथों मे थी उस इंसान की लाश जो मेरे लिए सबसे ज्यादा जरूरी था, वो दिन मेरी जिंदगी का सबसे बुरा दिन था तुम सोच भी नही सकती मुझे उस वक्त कैसा महसूस हो रहा था मेरे हाथों मे उस इंसान की लाश थी जो मेरे दिल के सबसे ज्यादा करीब था वो मुझे हमेशा हमेशा के लिए छोड़ के जा चुकी थी
मैं उसकी लाश को अपने हाथों मे पकड़े जोर जोर से रोए जा रहा था चिल्लाए जा रहा था उससे मिन्नते कर रहा था के वो लौट आए पर ये मुमकिन ही नही था, मैंने उसे खो दिया था
राघव नेहा के गले लग कर रोए जा रहा था और अब तक नेहा की आँखों से भी आँसू बहने लगे थे।
राघव- सुसाइड केस था उसके पड़ोसियों ने पुलिस को खबर कर दी थी और जल्द ही पुलिस वहा पहुच चुकी थी, उन्होंने आकर अपनी कार्यवाही शुरू की अपनी इंक्वायरी करने लगे और निशा की बॉडी एम्बुलेंस से पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दी गई, मैं कुछ भी सोचने समझने की हालत मे नहीं था, डॉक्टर्स ने बताया के उन्हे पोस्टमॉर्टम के लिए थोड़ा टाइम लगेगा क्युकी वो निशा की डेथ का असल रीज़न पता नहीं कर पा रहे थे और मैं उसके जाने के गम मे डूबा हुआ था, ऐसे मे मुझे एंजाइटी के दौरे पड़ने लगे थे और मेरी हालत तब बिगड़ी जब मेरे कॉलेज के लोगों ने मुझे उसकी मौत का जिम्मेदार ठहराया, वो मुझे निशा की मौत के पीछे समझते थे क्युकी निशा के सुसाइड के पहले ही हमारा झगड़ा हुआ था और उन्हे लगा शायद वही झगड़ा उसके सुसाइड के पीछे का रीजन होगा, उन्होंने मुझे किलर और न जाने क्या क्या कहा, मैं डिप्रेशन मे जा चुका था और ऐसे मे विशाल मुझे संभाल रहा था और ऐसे मे मुझे उसकी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट मिली जिसने मुझे और भी ज्यादा हिला के रख दिया
रिपोर्ट मे लिखा था के निशा ने आत्महत्या नहीं की थी बल्कि उसका रेप किया गया था और उसके बाद उसे मार दिया गया था
राघव की बात सुन अब नेहा और भी ज्यादा शॉक थी उसे सुसाइड की बात तो पता थी लेकिन ये बात वो नहीं जानती थी, राघव की बताई गई कई बाते शेखर ने जो उसे बताया उससे अलग थी क्युकी शेखर ने बस ये सब सुना था लेकिन राघव ने जिया था
राघव- उस रिपोर्ट ने मुझे पूरी तरह हिला कर रख दिया था लेकिन मैं शायद इस सब के पीछे की, निशा के मरने के पीछे की वजह जानता था, इस सब के पीछे उसके सो कॉल्ड बॉयफ्रेंड मैथ्यू का हाथ था! मैंने उसे निशा की अंत विधि पर भी नही देखा था और ना ही वो उसके बाद कॉलेज आया था जिसने मेरा शक और बढ़ा दिया था
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने अपनी तहकीकात शुरू की और मैंने भी पुलिस को सब कुछ बता दिया था, मैंने खुद से भी मामले मे तहकीकात की और मेरी बहुत बहुत ज्यादा कोशिशों के बाद आखिर मुझे उसके ठिकाने का पता चला और मैंने उससे बात करने का सोचा और जब मैं उसके ठिकाने पहुचा मेरा माथा ठनका, वो पहले से ही निशा पर चीट कर रहा था और वहा किसी और लड़की के साथ था उन दोनों के शरीर आपस मे उलझे हुए थे बगैर कपड़ों के उसने तो दरवाजा तक लॉक नहीं किया था
मुझे कुछ समझ नहीं आया के मैं क्या करू एक तो वो ऐसी हालत मे थे लेकिन मुझे मेरे सवालों का जवाब चाहिए थे, मैंने सबसे पहले तो पुलिस को कॉल किया और फिर अपने फोन की रिकॉर्डिंग शुरू की और जोर से चिल्लाते हुए उनका ध्यान अपनी ओर खिचा, मेरी आवाज से वो लड़की सचेत हो गई और उसने उठकर कपड़े पहने और फिर मैथ्यू की तो मुझे चिंता ही नहीं थी
फिर मैंने ना आव देखा न ताव और मैथ्यू पर कूद पड़ा और एक जोर का मुक्का जड़ दिया, हम दोनों अब फिजिकली लड़ रहे थे
मैंने उससे पूछा के के उसने वो सब क्यू किया और उसने भी बता दिया क्युकी वो जानता था के मैंने उसकी बाते सुन ली थी और वहा हमारे अलावा और कोई नहीं था उसे जरा भी आइडिया नहीं था के मेरे फोन की रिकॉर्डिंग शुरू थी इसीलिए उसने अपनी गलती मानी उसने बताया था जिस दिन मेरी और निशा की लड़ाई हुई थी वो उस दिन निशा के रूम पर गया था,
मुझसे हुई लड़ाई की वजह से निशा रो रही थी और ऐसे मे उसके ईमोशनल स्टेट का फायदा मैथ्यू लेना चाहता था उसने तब उसका रेप किया, पहले तो उसने प्यार से कोशिश की लेकिन जब निशा नही मानी तो उसने उसके साथ जबरदस्ती की और तब निशा को समझ आया के मैं सही था वो मदद के लिए चीख रही थी लेकिन वहा उसकी मदद करने वाला कोई नहीं था
निशा ने उस हैवान से अपने आप को बचाने की काफी कोशिश की हाथापाई भी की उसके प्राइवेट पार्ट पर वार भी किया जिसने मैथ्यू को और भड़का दिया उसने गुस्से मे निशा का गला घोंट कर उसे मार डाला, उसने मुझे ये भी कहा था के उसका प्लान तो निशा की बॉडी की डील करना था वो उसे बेचने वाला था लेकिन अब मरने के बाद वो उसके किसी काम की नही थी उसका शरीर उसके लिए बस मास का टुकड़ा था जो जानवरों को खाना खिलाने के काम आता
जब तक पुलिस ना आ गई वो अपनी काली करतूते बताता गया, मैंने उसके जैसा घटिया इंसान अपनी जिंदगी मे कभी नहीं देखा था, पुलिस के आते ही मैंने वो रिकॉर्डिंग पुलिस के हवाले कर दी और उन्होंने उसे अरेस्ट कर लिया, बाद मे उसे डेथ सेन्टन्स दिया गया लेकिन जाते जाते वो मुझसे कह के गया था के वो मेरी जिंदगी को जीते जी नरक बना देगा और इसमे वो कामियाब भी रहा
राघव बोलते बोलते नेहा की बाहों मे रोए जा रहा था आज इतने सालों का समेटा गुबार बाहर आ रहा था राघव किसी के साथ अपना दर्द बाँट रहा था
राघव- उसके कॉलेज मे कुछ लोग थे जिन्होंने मेरा आखरी तक पीछा नही छोड़ा और मुझे ही निशा का कातिल बना दिया, सच सबको पता था लेकिन ब्लैम मुझे किया गया के अगर मैं उस दिन निशा से नही लड़ता तो शायद... शायद उसका रेप नहीं होता, शायद वो आज जिंदा होती मेरी क्या गलती थी नेहा.. मैं तो बस अपनी दोस्त को बचाना चाहता था ना,
बाद मे तो ये बाते होने लगी थी के मैं भी उस प्लान मे शामिल था, उन लोगों ने मुझे ब्लैम करने का एक मौका भी नहीं छोड़ा, और मैं उस गिल्ट मे धसता गया, और सबसे ज्यादा तकलीफ मुझे दी निखिल ने जिसे मैं अपना दोस्त मानता था जब उसने भी इस सब का दोष मुझे दिया मैं टूट चुका था और मुझे संभालते हुए विशाल की हालत खराब हो रही थी, मुझे किसी की कोई परवाह नहीं थी बस सबसे ज्यादा तकलीफ मुझे निखिल ने दी थी, वो निशा को चाहता था और उसका मेरे निशा के करीब रहना पसंद नहीं था ये बात मुझे बाद मे पता चली, उसने मुझे ही निशा की मौत का दोषी ठहराया और उसने मुझे अवॉइड करना शुरू कर दिया, मैंने उस दौर मे बहुत कुछ खोया है नेहा और लोगों पर भरोसा करना भी, उस दिन किसी के प्यार की वजह से दोस्ती टूटी थी और किसी के अंधे प्यार की वजह से एक जान गई थी
मेरे... मेरे पास उस वक्त कोई नहीं था जिससे मैं ये सब शेयर करू विशाल था, उसने कभी इसमे मेरा साथ नहीं छोड़ा, लेकिन वो हर वक्त मेरे साथ नहीं रह सकता था उसकी भी अपनी लाइफ थी वो भी तो उस वक्त कॉलेज मे ही था और आखिर मैं डिप्रेशन का शिकार हो गया, जब शेखर वहा आया तो उसके और विशाल की वजह से मेरी हालत थोड़ी ठीक हुई, कॉलेज मे शेखर के सामने जब कोई मुझे कुछ कहता तो शेखर उससे लड़ पड़ता लेकिन मैं उसे रोक देता क्युकी लड़ने का कोई मतलब नहीं था
मैंने भी अपने दिमाग के किसी कोने मे सोच लिया था के कही न कही इस सब के लिए मैं ही जिम्मेदार हु, मैं उसे बचा सकता था मैंने दोस्ती का फर्ज नहीं निभाया था, मुझे उसी दिन वापिस उसके घर जाना चाहिए था उसका खयाल रखना चाहिए था लेकिन मैंने वैसा नहीं किया अगर मैं उस दिन वहा चला जाता तो शायद... शायद आज वो मेरे साथ होती, हमारे साथ होती हमारे बीच होती
मुझे उस वक्त हर 2 दिन मे पैनिक अटैक आते थे, मेंटल हेल्थ एकदम ही बिगाड़ चुकी थी पर इतने सब मे भी इस सब की खबर घरवालों को नही थी, मेरा ट्रीट्मन्ट शुरू हो चुका था और जब मैं थोड़ा रिकवर हुआ तब मैं भारत लौट आया,
मैं अकेला रहता था, मैंने लोगों से बात करना बंद कर दिया था क्युकी मैं डरता था और मैं ऐसा बन गया
राघव नेहा के गले लग रोए जा रहा था,
राघव- शायद ये कई लोगों के लिए बहुत बड़ी बात ना हो लेकिन जिसके साथ ये होता है उसके लिए ये बहुत बड़ी बात होती है रोज टौंट सुनना, लोगो का तुम्हे उस बात के लिए अक्यूज़ करना जिसे तुमने किया नहीं है तुम्हें कातिल मानना, जिस बात को तुम भूलने की कोशिश कर रहे हो बार बार उसी बात को तुम्हें याद दिलाते रहना और ऐसे मे मजबूत से मजबूत दिमाग वाला आदमी भी डिप्रेशन मे चला जाएगा, मैं भले ऊपर से कितना ही मजबूत बन लू लेकिन ये बाते मुझे आज भी अफेक्ट करती है, वो शब्द आज भी मेरे कानों मे गूँजते है
शब्दों मे बहुत ताकत होती है, शस्त्रों से ज्यादा गहरे घाव शब्द दे जाते है जो कई बार आपका मानसिक संतुलन तक हिला देते है
राघव- रोज मैं नॉर्मल राघव बनने की कोशिश करता हु लेकिन वो राघव वो अब बदल चुका था वो एक घमंडी, गुरूर वाला, गुस्सैल आदमी बन चुका था जिसे बस लोगों पर चिल्लाना आता है, उन्हे तकलीफ देना आता है क्युकी वो खुद तकलीफ मे था
राघव की नजरे नेहा की नजरों से मिली
राघव- तुम्हारा राघव ऐसा नहीं है नेहा उस घटना ने मुझे ऐसा बना दिया है, तुम ही मुझे बताओ मैं कैसे....... कैसे प्यार पर यकीन कर लू जब मैंने अपनी सबसे अच्छी दोस्त को उसी के हाथों मरते देखा है जिससे वो प्यार करती थी? मैं कैसे किसी पर यकीन करू जब मैंने उस यकीन को पहले ही बिखरते देखा है? मैं आज भी उसे मिस करता हु, मुझे बताना नही आता इसका ये मतलब नहीं की मुझे तकलीफ नहीं होती, मैं रोज उस गिल्ट के साथ जी रहा हु के शायद.... शायद मैं उसे बचा सकता था
मुझे कोई फरक नहीं पड़ता के लोग क्या बोलते है क्या सोचते है मैंने उनमे से किसी के साथ कॉलेज के बाद कोई कान्टैक्ट नहीं रखा, लेकिन निखिल, मुझे उसकी बातों ने सबसे ज्यादा तकलीफ दी है , मैं उससे कॉलेज के बाद मिला हु लेकिन उससे कभी बात करने की हिम्मत ही नहीं हुई, मैंने उसकी आँखों मे मेरे लिए नफरत तो नहीं देखि लेकिन डरता हु के कही वो वापिस मुझे किलर न कहने लगे, तुम बताओ के क्या मैं निशा की मौत का जिम्मेदार हु?? अगर मैं मेरी दोस्त को ही नहीं बचा पाया तो अपनी फॅमिली को कैसे संभालूँगा??
बोलते बोलते राघव की आवाज कांप रही थी, वही नेहा को अब उसकी और भी ज्यादा चिंता हो रही थी, उसने राघव को ऐसी हालत मे कभी नही देखा था राघव इस वक्त पूरी बिखरी हालत मे था....
क्रमश:
Nice UpdateUpdate 58
राघव- निशा उस दिन कॉलेज नही आई थी जिससे मुझे उसकी थोड़ी चिंता होने लगी थी इसीलिए मैं उस दिन वापिस उसके घर गया, उसके घर का दरवाजा पहले से खुला हुआ था तो मैं अंदर चला गया और वहा जो मैंने देखा उसे मैं सपने मे भी नहीं सोच सकता था...
मैंने सपने मे भी नहीं सोचा था के मुझे ऐसा दिन देखना पड़ेगा मैं आज भी उस दिन को उस सीन को भुला नहीं पाया हु
बोलते बोलते राघव की आँखों से आँसू बहने लगे थे उसने एक लंबी सांस खिची, उसकी आवाज टूट रही थी लेकिन फिर भी उसने बोलना शुरू किया
राघव- मैं जब उसके घर के अंदर पहुचा तो मैंने देखा के मेरी दोस्त मेरी सबसे अच्छी दोस्त अब इस दुनिया मे नहीं थी
उसकी लाश रस्सी से लटक रही थी, उसने आत्महत्या कर ली थी।
राघव की आँखों से कंटिन्यू आँसू बह रहे थे और उसकी हालत देख नेहा की भी आंखे पनिया गई थी उसने कस के राघव का हाथ पकड़ा हुआ था
राघव- अपने सामने निशा की लटकती लाश देख मुझे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था के मैं क्या करू, अचानक मेरे शरीर ने, मेरे दिमाग ने मेरा साथ छोड़ दिया था, मैं एकदम ब्लैंक हो गया था जो इंसान मेरे लिए उस वक्त सबसे ज्यादा मायने रखता था उसने अपनी खुद की जान लेली थी लेकिन क्यू?? मैं नहीं जानता था,
मेरा सर घूमने लगा था आँसू बह रहे थे मैं चिल्ला चिल्ला कर मदद बुला रहा था मैंने उसके पास जाकर उसके पैर पकड़े और कुछ ही पालो मे मेरी आवाज सुन निशा के पड़ोसी वहा आए उन्होंने उसकी लाश उतारने मे मेरी मदद की मुझे लग रहा था के शायद शायद वो बच जाए लेकिन मैं गलत था वो मुझे छोड़ के जा चुकी थी
मेरे हाथ कांप रहे थे उसकी लाश मेरे हाथों मे थी उस इंसान की लाश जो मेरे लिए सबसे ज्यादा जरूरी था, वो दिन मेरी जिंदगी का सबसे बुरा दिन था तुम सोच भी नही सकती मुझे उस वक्त कैसा महसूस हो रहा था मेरे हाथों मे उस इंसान की लाश थी जो मेरे दिल के सबसे ज्यादा करीब था वो मुझे हमेशा हमेशा के लिए छोड़ के जा चुकी थी
मैं उसकी लाश को अपने हाथों मे पकड़े जोर जोर से रोए जा रहा था चिल्लाए जा रहा था उससे मिन्नते कर रहा था के वो लौट आए पर ये मुमकिन ही नही था, मैंने उसे खो दिया था
राघव नेहा के गले लग कर रोए जा रहा था और अब तक नेहा की आँखों से भी आँसू बहने लगे थे।
राघव- सुसाइड केस था उसके पड़ोसियों ने पुलिस को खबर कर दी थी और जल्द ही पुलिस वहा पहुच चुकी थी, उन्होंने आकर अपनी कार्यवाही शुरू की अपनी इंक्वायरी करने लगे और निशा की बॉडी एम्बुलेंस से पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दी गई, मैं कुछ भी सोचने समझने की हालत मे नहीं था, डॉक्टर्स ने बताया के उन्हे पोस्टमॉर्टम के लिए थोड़ा टाइम लगेगा क्युकी वो निशा की डेथ का असल रीज़न पता नहीं कर पा रहे थे और मैं उसके जाने के गम मे डूबा हुआ था, ऐसे मे मुझे एंजाइटी के दौरे पड़ने लगे थे और मेरी हालत तब बिगड़ी जब मेरे कॉलेज के लोगों ने मुझे उसकी मौत का जिम्मेदार ठहराया, वो मुझे निशा की मौत के पीछे समझते थे क्युकी निशा के सुसाइड के पहले ही हमारा झगड़ा हुआ था और उन्हे लगा शायद वही झगड़ा उसके सुसाइड के पीछे का रीजन होगा, उन्होंने मुझे किलर और न जाने क्या क्या कहा, मैं डिप्रेशन मे जा चुका था और ऐसे मे विशाल मुझे संभाल रहा था और ऐसे मे मुझे उसकी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट मिली जिसने मुझे और भी ज्यादा हिला के रख दिया
रिपोर्ट मे लिखा था के निशा ने आत्महत्या नहीं की थी बल्कि उसका रेप किया गया था और उसके बाद उसे मार दिया गया था
राघव की बात सुन अब नेहा और भी ज्यादा शॉक थी उसे सुसाइड की बात तो पता थी लेकिन ये बात वो नहीं जानती थी, राघव की बताई गई कई बाते शेखर ने जो उसे बताया उससे अलग थी क्युकी शेखर ने बस ये सब सुना था लेकिन राघव ने जिया था
राघव- उस रिपोर्ट ने मुझे पूरी तरह हिला कर रख दिया था लेकिन मैं शायद इस सब के पीछे की, निशा के मरने के पीछे की वजह जानता था, इस सब के पीछे उसके सो कॉल्ड बॉयफ्रेंड मैथ्यू का हाथ था! मैंने उसे निशा की अंत विधि पर भी नही देखा था और ना ही वो उसके बाद कॉलेज आया था जिसने मेरा शक और बढ़ा दिया था
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने अपनी तहकीकात शुरू की और मैंने भी पुलिस को सब कुछ बता दिया था, मैंने खुद से भी मामले मे तहकीकात की और मेरी बहुत बहुत ज्यादा कोशिशों के बाद आखिर मुझे उसके ठिकाने का पता चला और मैंने उससे बात करने का सोचा और जब मैं उसके ठिकाने पहुचा मेरा माथा ठनका, वो पहले से ही निशा पर चीट कर रहा था और वहा किसी और लड़की के साथ था उन दोनों के शरीर आपस मे उलझे हुए थे बगैर कपड़ों के उसने तो दरवाजा तक लॉक नहीं किया था
मुझे कुछ समझ नहीं आया के मैं क्या करू एक तो वो ऐसी हालत मे थे लेकिन मुझे मेरे सवालों का जवाब चाहिए थे, मैंने सबसे पहले तो पुलिस को कॉल किया और फिर अपने फोन की रिकॉर्डिंग शुरू की और जोर से चिल्लाते हुए उनका ध्यान अपनी ओर खिचा, मेरी आवाज से वो लड़की सचेत हो गई और उसने उठकर कपड़े पहने और फिर मैथ्यू की तो मुझे चिंता ही नहीं थी
फिर मैंने ना आव देखा न ताव और मैथ्यू पर कूद पड़ा और एक जोर का मुक्का जड़ दिया, हम दोनों अब फिजिकली लड़ रहे थे
मैंने उससे पूछा के के उसने वो सब क्यू किया और उसने भी बता दिया क्युकी वो जानता था के मैंने उसकी बाते सुन ली थी और वहा हमारे अलावा और कोई नहीं था उसे जरा भी आइडिया नहीं था के मेरे फोन की रिकॉर्डिंग शुरू थी इसीलिए उसने अपनी गलती मानी उसने बताया था जिस दिन मेरी और निशा की लड़ाई हुई थी वो उस दिन निशा के रूम पर गया था,
मुझसे हुई लड़ाई की वजह से निशा रो रही थी और ऐसे मे उसके ईमोशनल स्टेट का फायदा मैथ्यू लेना चाहता था उसने तब उसका रेप किया, पहले तो उसने प्यार से कोशिश की लेकिन जब निशा नही मानी तो उसने उसके साथ जबरदस्ती की और तब निशा को समझ आया के मैं सही था वो मदद के लिए चीख रही थी लेकिन वहा उसकी मदद करने वाला कोई नहीं था
निशा ने उस हैवान से अपने आप को बचाने की काफी कोशिश की हाथापाई भी की उसके प्राइवेट पार्ट पर वार भी किया जिसने मैथ्यू को और भड़का दिया उसने गुस्से मे निशा का गला घोंट कर उसे मार डाला, उसने मुझे ये भी कहा था के उसका प्लान तो निशा की बॉडी की डील करना था वो उसे बेचने वाला था लेकिन अब मरने के बाद वो उसके किसी काम की नही थी उसका शरीर उसके लिए बस मास का टुकड़ा था जो जानवरों को खाना खिलाने के काम आता
जब तक पुलिस ना आ गई वो अपनी काली करतूते बताता गया, मैंने उसके जैसा घटिया इंसान अपनी जिंदगी मे कभी नहीं देखा था, पुलिस के आते ही मैंने वो रिकॉर्डिंग पुलिस के हवाले कर दी और उन्होंने उसे अरेस्ट कर लिया, बाद मे उसे डेथ सेन्टन्स दिया गया लेकिन जाते जाते वो मुझसे कह के गया था के वो मेरी जिंदगी को जीते जी नरक बना देगा और इसमे वो कामियाब भी रहा
राघव बोलते बोलते नेहा की बाहों मे रोए जा रहा था आज इतने सालों का समेटा गुबार बाहर आ रहा था राघव किसी के साथ अपना दर्द बाँट रहा था
राघव- उसके कॉलेज मे कुछ लोग थे जिन्होंने मेरा आखरी तक पीछा नही छोड़ा और मुझे ही निशा का कातिल बना दिया, सच सबको पता था लेकिन ब्लैम मुझे किया गया के अगर मैं उस दिन निशा से नही लड़ता तो शायद... शायद उसका रेप नहीं होता, शायद वो आज जिंदा होती मेरी क्या गलती थी नेहा.. मैं तो बस अपनी दोस्त को बचाना चाहता था ना,
बाद मे तो ये बाते होने लगी थी के मैं भी उस प्लान मे शामिल था, उन लोगों ने मुझे ब्लैम करने का एक मौका भी नहीं छोड़ा, और मैं उस गिल्ट मे धसता गया, और सबसे ज्यादा तकलीफ मुझे दी निखिल ने जिसे मैं अपना दोस्त मानता था जब उसने भी इस सब का दोष मुझे दिया मैं टूट चुका था और मुझे संभालते हुए विशाल की हालत खराब हो रही थी, मुझे किसी की कोई परवाह नहीं थी बस सबसे ज्यादा तकलीफ मुझे निखिल ने दी थी, वो निशा को चाहता था और उसका मेरे निशा के करीब रहना पसंद नहीं था ये बात मुझे बाद मे पता चली, उसने मुझे ही निशा की मौत का दोषी ठहराया और उसने मुझे अवॉइड करना शुरू कर दिया, मैंने उस दौर मे बहुत कुछ खोया है नेहा और लोगों पर भरोसा करना भी, उस दिन किसी के प्यार की वजह से दोस्ती टूटी थी और किसी के अंधे प्यार की वजह से एक जान गई थी
मेरे... मेरे पास उस वक्त कोई नहीं था जिससे मैं ये सब शेयर करू विशाल था, उसने कभी इसमे मेरा साथ नहीं छोड़ा, लेकिन वो हर वक्त मेरे साथ नहीं रह सकता था उसकी भी अपनी लाइफ थी वो भी तो उस वक्त कॉलेज मे ही था और आखिर मैं डिप्रेशन का शिकार हो गया, जब शेखर वहा आया तो उसके और विशाल की वजह से मेरी हालत थोड़ी ठीक हुई, कॉलेज मे शेखर के सामने जब कोई मुझे कुछ कहता तो शेखर उससे लड़ पड़ता लेकिन मैं उसे रोक देता क्युकी लड़ने का कोई मतलब नहीं था
मैंने भी अपने दिमाग के किसी कोने मे सोच लिया था के कही न कही इस सब के लिए मैं ही जिम्मेदार हु, मैं उसे बचा सकता था मैंने दोस्ती का फर्ज नहीं निभाया था, मुझे उसी दिन वापिस उसके घर जाना चाहिए था उसका खयाल रखना चाहिए था लेकिन मैंने वैसा नहीं किया अगर मैं उस दिन वहा चला जाता तो शायद... शायद आज वो मेरे साथ होती, हमारे साथ होती हमारे बीच होती
मुझे उस वक्त हर 2 दिन मे पैनिक अटैक आते थे, मेंटल हेल्थ एकदम ही बिगाड़ चुकी थी पर इतने सब मे भी इस सब की खबर घरवालों को नही थी, मेरा ट्रीट्मन्ट शुरू हो चुका था और जब मैं थोड़ा रिकवर हुआ तब मैं भारत लौट आया,
मैं अकेला रहता था, मैंने लोगों से बात करना बंद कर दिया था क्युकी मैं डरता था और मैं ऐसा बन गया
राघव नेहा के गले लग रोए जा रहा था,
राघव- शायद ये कई लोगों के लिए बहुत बड़ी बात ना हो लेकिन जिसके साथ ये होता है उसके लिए ये बहुत बड़ी बात होती है रोज टौंट सुनना, लोगो का तुम्हे उस बात के लिए अक्यूज़ करना जिसे तुमने किया नहीं है तुम्हें कातिल मानना, जिस बात को तुम भूलने की कोशिश कर रहे हो बार बार उसी बात को तुम्हें याद दिलाते रहना और ऐसे मे मजबूत से मजबूत दिमाग वाला आदमी भी डिप्रेशन मे चला जाएगा, मैं भले ऊपर से कितना ही मजबूत बन लू लेकिन ये बाते मुझे आज भी अफेक्ट करती है, वो शब्द आज भी मेरे कानों मे गूँजते है
शब्दों मे बहुत ताकत होती है, शस्त्रों से ज्यादा गहरे घाव शब्द दे जाते है जो कई बार आपका मानसिक संतुलन तक हिला देते है
राघव- रोज मैं नॉर्मल राघव बनने की कोशिश करता हु लेकिन वो राघव वो अब बदल चुका था वो एक घमंडी, गुरूर वाला, गुस्सैल आदमी बन चुका था जिसे बस लोगों पर चिल्लाना आता है, उन्हे तकलीफ देना आता है क्युकी वो खुद तकलीफ मे था
राघव की नजरे नेहा की नजरों से मिली
राघव- तुम्हारा राघव ऐसा नहीं है नेहा उस घटना ने मुझे ऐसा बना दिया है, तुम ही मुझे बताओ मैं कैसे....... कैसे प्यार पर यकीन कर लू जब मैंने अपनी सबसे अच्छी दोस्त को उसी के हाथों मरते देखा है जिससे वो प्यार करती थी? मैं कैसे किसी पर यकीन करू जब मैंने उस यकीन को पहले ही बिखरते देखा है? मैं आज भी उसे मिस करता हु, मुझे बताना नही आता इसका ये मतलब नहीं की मुझे तकलीफ नहीं होती, मैं रोज उस गिल्ट के साथ जी रहा हु के शायद.... शायद मैं उसे बचा सकता था
मुझे कोई फरक नहीं पड़ता के लोग क्या बोलते है क्या सोचते है मैंने उनमे से किसी के साथ कॉलेज के बाद कोई कान्टैक्ट नहीं रखा, लेकिन निखिल, मुझे उसकी बातों ने सबसे ज्यादा तकलीफ दी है , मैं उससे कॉलेज के बाद मिला हु लेकिन उससे कभी बात करने की हिम्मत ही नहीं हुई, मैंने उसकी आँखों मे मेरे लिए नफरत तो नहीं देखि लेकिन डरता हु के कही वो वापिस मुझे किलर न कहने लगे, तुम बताओ के क्या मैं निशा की मौत का जिम्मेदार हु?? अगर मैं मेरी दोस्त को ही नहीं बचा पाया तो अपनी फॅमिली को कैसे संभालूँगा??
बोलते बोलते राघव की आवाज कांप रही थी, वही नेहा को अब उसकी और भी ज्यादा चिंता हो रही थी, उसने राघव को ऐसी हालत मे कभी नही देखा था राघव इस वक्त पूरी बिखरी हालत मे था....
क्रमश:
amazing updateUpdate 58
राघव- निशा उस दिन कॉलेज नही आई थी जिससे मुझे उसकी थोड़ी चिंता होने लगी थी इसीलिए मैं उस दिन वापिस उसके घर गया, उसके घर का दरवाजा पहले से खुला हुआ था तो मैं अंदर चला गया और वहा जो मैंने देखा उसे मैं सपने मे भी नहीं सोच सकता था...
मैंने सपने मे भी नहीं सोचा था के मुझे ऐसा दिन देखना पड़ेगा मैं आज भी उस दिन को उस सीन को भुला नहीं पाया हु
बोलते बोलते राघव की आँखों से आँसू बहने लगे थे उसने एक लंबी सांस खिची, उसकी आवाज टूट रही थी लेकिन फिर भी उसने बोलना शुरू किया
राघव- मैं जब उसके घर के अंदर पहुचा तो मैंने देखा के मेरी दोस्त मेरी सबसे अच्छी दोस्त अब इस दुनिया मे नहीं थी
उसकी लाश रस्सी से लटक रही थी, उसने आत्महत्या कर ली थी।
राघव की आँखों से कंटिन्यू आँसू बह रहे थे और उसकी हालत देख नेहा की भी आंखे पनिया गई थी उसने कस के राघव का हाथ पकड़ा हुआ था
राघव- अपने सामने निशा की लटकती लाश देख मुझे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था के मैं क्या करू, अचानक मेरे शरीर ने, मेरे दिमाग ने मेरा साथ छोड़ दिया था, मैं एकदम ब्लैंक हो गया था जो इंसान मेरे लिए उस वक्त सबसे ज्यादा मायने रखता था उसने अपनी खुद की जान लेली थी लेकिन क्यू?? मैं नहीं जानता था,
मेरा सर घूमने लगा था आँसू बह रहे थे मैं चिल्ला चिल्ला कर मदद बुला रहा था मैंने उसके पास जाकर उसके पैर पकड़े और कुछ ही पालो मे मेरी आवाज सुन निशा के पड़ोसी वहा आए उन्होंने उसकी लाश उतारने मे मेरी मदद की मुझे लग रहा था के शायद शायद वो बच जाए लेकिन मैं गलत था वो मुझे छोड़ के जा चुकी थी
मेरे हाथ कांप रहे थे उसकी लाश मेरे हाथों मे थी उस इंसान की लाश जो मेरे लिए सबसे ज्यादा जरूरी था, वो दिन मेरी जिंदगी का सबसे बुरा दिन था तुम सोच भी नही सकती मुझे उस वक्त कैसा महसूस हो रहा था मेरे हाथों मे उस इंसान की लाश थी जो मेरे दिल के सबसे ज्यादा करीब था वो मुझे हमेशा हमेशा के लिए छोड़ के जा चुकी थी
मैं उसकी लाश को अपने हाथों मे पकड़े जोर जोर से रोए जा रहा था चिल्लाए जा रहा था उससे मिन्नते कर रहा था के वो लौट आए पर ये मुमकिन ही नही था, मैंने उसे खो दिया था
राघव नेहा के गले लग कर रोए जा रहा था और अब तक नेहा की आँखों से भी आँसू बहने लगे थे।
राघव- सुसाइड केस था उसके पड़ोसियों ने पुलिस को खबर कर दी थी और जल्द ही पुलिस वहा पहुच चुकी थी, उन्होंने आकर अपनी कार्यवाही शुरू की अपनी इंक्वायरी करने लगे और निशा की बॉडी एम्बुलेंस से पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दी गई, मैं कुछ भी सोचने समझने की हालत मे नहीं था, डॉक्टर्स ने बताया के उन्हे पोस्टमॉर्टम के लिए थोड़ा टाइम लगेगा क्युकी वो निशा की डेथ का असल रीज़न पता नहीं कर पा रहे थे और मैं उसके जाने के गम मे डूबा हुआ था, ऐसे मे मुझे एंजाइटी के दौरे पड़ने लगे थे और मेरी हालत तब बिगड़ी जब मेरे कॉलेज के लोगों ने मुझे उसकी मौत का जिम्मेदार ठहराया, वो मुझे निशा की मौत के पीछे समझते थे क्युकी निशा के सुसाइड के पहले ही हमारा झगड़ा हुआ था और उन्हे लगा शायद वही झगड़ा उसके सुसाइड के पीछे का रीजन होगा, उन्होंने मुझे किलर और न जाने क्या क्या कहा, मैं डिप्रेशन मे जा चुका था और ऐसे मे विशाल मुझे संभाल रहा था और ऐसे मे मुझे उसकी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट मिली जिसने मुझे और भी ज्यादा हिला के रख दिया
रिपोर्ट मे लिखा था के निशा ने आत्महत्या नहीं की थी बल्कि उसका रेप किया गया था और उसके बाद उसे मार दिया गया था
राघव की बात सुन अब नेहा और भी ज्यादा शॉक थी उसे सुसाइड की बात तो पता थी लेकिन ये बात वो नहीं जानती थी, राघव की बताई गई कई बाते शेखर ने जो उसे बताया उससे अलग थी क्युकी शेखर ने बस ये सब सुना था लेकिन राघव ने जिया था
राघव- उस रिपोर्ट ने मुझे पूरी तरह हिला कर रख दिया था लेकिन मैं शायद इस सब के पीछे की, निशा के मरने के पीछे की वजह जानता था, इस सब के पीछे उसके सो कॉल्ड बॉयफ्रेंड मैथ्यू का हाथ था! मैंने उसे निशा की अंत विधि पर भी नही देखा था और ना ही वो उसके बाद कॉलेज आया था जिसने मेरा शक और बढ़ा दिया था
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने अपनी तहकीकात शुरू की और मैंने भी पुलिस को सब कुछ बता दिया था, मैंने खुद से भी मामले मे तहकीकात की और मेरी बहुत बहुत ज्यादा कोशिशों के बाद आखिर मुझे उसके ठिकाने का पता चला और मैंने उससे बात करने का सोचा और जब मैं उसके ठिकाने पहुचा मेरा माथा ठनका, वो पहले से ही निशा पर चीट कर रहा था और वहा किसी और लड़की के साथ था उन दोनों के शरीर आपस मे उलझे हुए थे बगैर कपड़ों के उसने तो दरवाजा तक लॉक नहीं किया था
मुझे कुछ समझ नहीं आया के मैं क्या करू एक तो वो ऐसी हालत मे थे लेकिन मुझे मेरे सवालों का जवाब चाहिए थे, मैंने सबसे पहले तो पुलिस को कॉल किया और फिर अपने फोन की रिकॉर्डिंग शुरू की और जोर से चिल्लाते हुए उनका ध्यान अपनी ओर खिचा, मेरी आवाज से वो लड़की सचेत हो गई और उसने उठकर कपड़े पहने और फिर मैथ्यू की तो मुझे चिंता ही नहीं थी
फिर मैंने ना आव देखा न ताव और मैथ्यू पर कूद पड़ा और एक जोर का मुक्का जड़ दिया, हम दोनों अब फिजिकली लड़ रहे थे
मैंने उससे पूछा के के उसने वो सब क्यू किया और उसने भी बता दिया क्युकी वो जानता था के मैंने उसकी बाते सुन ली थी और वहा हमारे अलावा और कोई नहीं था उसे जरा भी आइडिया नहीं था के मेरे फोन की रिकॉर्डिंग शुरू थी इसीलिए उसने अपनी गलती मानी उसने बताया था जिस दिन मेरी और निशा की लड़ाई हुई थी वो उस दिन निशा के रूम पर गया था,
मुझसे हुई लड़ाई की वजह से निशा रो रही थी और ऐसे मे उसके ईमोशनल स्टेट का फायदा मैथ्यू लेना चाहता था उसने तब उसका रेप किया, पहले तो उसने प्यार से कोशिश की लेकिन जब निशा नही मानी तो उसने उसके साथ जबरदस्ती की और तब निशा को समझ आया के मैं सही था वो मदद के लिए चीख रही थी लेकिन वहा उसकी मदद करने वाला कोई नहीं था
निशा ने उस हैवान से अपने आप को बचाने की काफी कोशिश की हाथापाई भी की उसके प्राइवेट पार्ट पर वार भी किया जिसने मैथ्यू को और भड़का दिया उसने गुस्से मे निशा का गला घोंट कर उसे मार डाला, उसने मुझे ये भी कहा था के उसका प्लान तो निशा की बॉडी की डील करना था वो उसे बेचने वाला था लेकिन अब मरने के बाद वो उसके किसी काम की नही थी उसका शरीर उसके लिए बस मास का टुकड़ा था जो जानवरों को खाना खिलाने के काम आता
जब तक पुलिस ना आ गई वो अपनी काली करतूते बताता गया, मैंने उसके जैसा घटिया इंसान अपनी जिंदगी मे कभी नहीं देखा था, पुलिस के आते ही मैंने वो रिकॉर्डिंग पुलिस के हवाले कर दी और उन्होंने उसे अरेस्ट कर लिया, बाद मे उसे डेथ सेन्टन्स दिया गया लेकिन जाते जाते वो मुझसे कह के गया था के वो मेरी जिंदगी को जीते जी नरक बना देगा और इसमे वो कामियाब भी रहा
राघव बोलते बोलते नेहा की बाहों मे रोए जा रहा था आज इतने सालों का समेटा गुबार बाहर आ रहा था राघव किसी के साथ अपना दर्द बाँट रहा था
राघव- उसके कॉलेज मे कुछ लोग थे जिन्होंने मेरा आखरी तक पीछा नही छोड़ा और मुझे ही निशा का कातिल बना दिया, सच सबको पता था लेकिन ब्लैम मुझे किया गया के अगर मैं उस दिन निशा से नही लड़ता तो शायद... शायद उसका रेप नहीं होता, शायद वो आज जिंदा होती मेरी क्या गलती थी नेहा.. मैं तो बस अपनी दोस्त को बचाना चाहता था ना,
बाद मे तो ये बाते होने लगी थी के मैं भी उस प्लान मे शामिल था, उन लोगों ने मुझे ब्लैम करने का एक मौका भी नहीं छोड़ा, और मैं उस गिल्ट मे धसता गया, और सबसे ज्यादा तकलीफ मुझे दी निखिल ने जिसे मैं अपना दोस्त मानता था जब उसने भी इस सब का दोष मुझे दिया मैं टूट चुका था और मुझे संभालते हुए विशाल की हालत खराब हो रही थी, मुझे किसी की कोई परवाह नहीं थी बस सबसे ज्यादा तकलीफ मुझे निखिल ने दी थी, वो निशा को चाहता था और उसका मेरे निशा के करीब रहना पसंद नहीं था ये बात मुझे बाद मे पता चली, उसने मुझे ही निशा की मौत का दोषी ठहराया और उसने मुझे अवॉइड करना शुरू कर दिया, मैंने उस दौर मे बहुत कुछ खोया है नेहा और लोगों पर भरोसा करना भी, उस दिन किसी के प्यार की वजह से दोस्ती टूटी थी और किसी के अंधे प्यार की वजह से एक जान गई थी
मेरे... मेरे पास उस वक्त कोई नहीं था जिससे मैं ये सब शेयर करू विशाल था, उसने कभी इसमे मेरा साथ नहीं छोड़ा, लेकिन वो हर वक्त मेरे साथ नहीं रह सकता था उसकी भी अपनी लाइफ थी वो भी तो उस वक्त कॉलेज मे ही था और आखिर मैं डिप्रेशन का शिकार हो गया, जब शेखर वहा आया तो उसके और विशाल की वजह से मेरी हालत थोड़ी ठीक हुई, कॉलेज मे शेखर के सामने जब कोई मुझे कुछ कहता तो शेखर उससे लड़ पड़ता लेकिन मैं उसे रोक देता क्युकी लड़ने का कोई मतलब नहीं था
मैंने भी अपने दिमाग के किसी कोने मे सोच लिया था के कही न कही इस सब के लिए मैं ही जिम्मेदार हु, मैं उसे बचा सकता था मैंने दोस्ती का फर्ज नहीं निभाया था, मुझे उसी दिन वापिस उसके घर जाना चाहिए था उसका खयाल रखना चाहिए था लेकिन मैंने वैसा नहीं किया अगर मैं उस दिन वहा चला जाता तो शायद... शायद आज वो मेरे साथ होती, हमारे साथ होती हमारे बीच होती
मुझे उस वक्त हर 2 दिन मे पैनिक अटैक आते थे, मेंटल हेल्थ एकदम ही बिगाड़ चुकी थी पर इतने सब मे भी इस सब की खबर घरवालों को नही थी, मेरा ट्रीट्मन्ट शुरू हो चुका था और जब मैं थोड़ा रिकवर हुआ तब मैं भारत लौट आया,
मैं अकेला रहता था, मैंने लोगों से बात करना बंद कर दिया था क्युकी मैं डरता था और मैं ऐसा बन गया
राघव नेहा के गले लग रोए जा रहा था,
राघव- शायद ये कई लोगों के लिए बहुत बड़ी बात ना हो लेकिन जिसके साथ ये होता है उसके लिए ये बहुत बड़ी बात होती है रोज टौंट सुनना, लोगो का तुम्हे उस बात के लिए अक्यूज़ करना जिसे तुमने किया नहीं है तुम्हें कातिल मानना, जिस बात को तुम भूलने की कोशिश कर रहे हो बार बार उसी बात को तुम्हें याद दिलाते रहना और ऐसे मे मजबूत से मजबूत दिमाग वाला आदमी भी डिप्रेशन मे चला जाएगा, मैं भले ऊपर से कितना ही मजबूत बन लू लेकिन ये बाते मुझे आज भी अफेक्ट करती है, वो शब्द आज भी मेरे कानों मे गूँजते है
शब्दों मे बहुत ताकत होती है, शस्त्रों से ज्यादा गहरे घाव शब्द दे जाते है जो कई बार आपका मानसिक संतुलन तक हिला देते है
राघव- रोज मैं नॉर्मल राघव बनने की कोशिश करता हु लेकिन वो राघव वो अब बदल चुका था वो एक घमंडी, गुरूर वाला, गुस्सैल आदमी बन चुका था जिसे बस लोगों पर चिल्लाना आता है, उन्हे तकलीफ देना आता है क्युकी वो खुद तकलीफ मे था
राघव की नजरे नेहा की नजरों से मिली
राघव- तुम्हारा राघव ऐसा नहीं है नेहा उस घटना ने मुझे ऐसा बना दिया है, तुम ही मुझे बताओ मैं कैसे....... कैसे प्यार पर यकीन कर लू जब मैंने अपनी सबसे अच्छी दोस्त को उसी के हाथों मरते देखा है जिससे वो प्यार करती थी? मैं कैसे किसी पर यकीन करू जब मैंने उस यकीन को पहले ही बिखरते देखा है? मैं आज भी उसे मिस करता हु, मुझे बताना नही आता इसका ये मतलब नहीं की मुझे तकलीफ नहीं होती, मैं रोज उस गिल्ट के साथ जी रहा हु के शायद.... शायद मैं उसे बचा सकता था
मुझे कोई फरक नहीं पड़ता के लोग क्या बोलते है क्या सोचते है मैंने उनमे से किसी के साथ कॉलेज के बाद कोई कान्टैक्ट नहीं रखा, लेकिन निखिल, मुझे उसकी बातों ने सबसे ज्यादा तकलीफ दी है , मैं उससे कॉलेज के बाद मिला हु लेकिन उससे कभी बात करने की हिम्मत ही नहीं हुई, मैंने उसकी आँखों मे मेरे लिए नफरत तो नहीं देखि लेकिन डरता हु के कही वो वापिस मुझे किलर न कहने लगे, तुम बताओ के क्या मैं निशा की मौत का जिम्मेदार हु?? अगर मैं मेरी दोस्त को ही नहीं बचा पाया तो अपनी फॅमिली को कैसे संभालूँगा??
बोलते बोलते राघव की आवाज कांप रही थी, वही नेहा को अब उसकी और भी ज्यादा चिंता हो रही थी, उसने राघव को ऐसी हालत मे कभी नही देखा था राघव इस वक्त पूरी बिखरी हालत मे था....
क्रमश:
Thank you for the review bhaiफिजिकल मार से ज्यादा तकलीफ मानसिक मार देती है, शायद जिंदगी भर...
बहुत ही बुरा हुआ निशा के साथ, लेकिन क्या किया जा सकता है, क्योंकि कई चीजें प्रारब्ध होती हैं, उनपर आपका बस नही चलता, बस आप उसके जिम्मेदार बना दिए जाते हैं।
Thank you so muchNice and superb update...
Thank you for the reviewromanchak update ..to nisha ka katl kiya tha maithu ne .raghav ne achcha kiya ki camera me sab record kar liya .
maithu ko to saja mil gayi par raghav ke upar daag lag gaya ki wo hi nisha ki maut ka jimmedar hai .
nikhil ne bhi dhokha diya jisko raghav apna sabse achcha dost samajhta tha ..