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Adultery Innocent... (wife)

malikarman

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Update 7
7 दिन.....
कैसे निकालेगी ये 7 दिन ?ये सोच के शालिनी को चिंता होने लगती है।
पहला दिन......
शालिनी योग करके सोफ़े पर आके बैठती है।
शालिनी : चाचाजी ये तो 7 दिन और बढ़ गया।
चाचाजी : ये सोचो की कर्फ्यू 7 दिन के बाद हट जाएगा। हम पहले के जैसे अपना जीवन जीने लगेगें।
शालिनी : आप इतने सकारात्मक कैसे रह लेते हो?
चाचाजी : जो हो रहा है वो तो हम बदल नहीं सकते पर हम हमारा नजरिया तो बदल सकते है। इतने दिन निकल गए तो 7 दिन और सही, ये भी निकल जायेगे।
शालिनी : (मन में...)आप को मेरी हालत का पत्ता नहीं है चाचाजी यहा मुझे दिन काटना कितना मुश्किल हो रहा है।
चाचाजी : चुटकी बजाकर...कहा खो गई?लगता है तुम्हें मेरे साथ रहना पसंद नहीं आ रहा।
शालिनी : अरे नहीं नहीं...एसा क्यु बोलते हो आप ? एसा बोलकर आपने हम को पराया बना दिया।
चाचाजी : अरे मे तो मज़ाक कर रहा था ताकि माहौल कुछ हल्का हो।
शालिनी : अगली बार एसा मज़ाक नहीं करना।
चाचाजी : ठीक है ..ठीक हैं..अगली बार एसा मज़ाक नहीं करूगा बस। पर तुम मायूस क्यों हो?
शालिनी : एसा कुछ नहीं है। बस यूँही।
चाचाजी समज जाते है कि बात क्या है। तभी नील जग जाता है। शालिनी उसको लेकर प्यार से चूमती है और उसको दुलारती हुई कमरे मे लेके जाती है। वो दरवाजा कड़ी लगाए बिना बंध करती है पर वो थोड़ा खुल जाता है जो शालिनी ध्यान नहीं देती। शालिनी टी-शर्ट और ब्रा को ऊपर करके नील को दुध पिलाने लगती है,पूरी रात से जो दर्द उसके स्तनों मे हो रहा था वो अभी कम हो रहा था और उसे सुकून मिल रहा था शालिनी के जीवन मे पिछले कुछ दिनों से स्तन को खाली करवाना ही उसके जीवन मे खुशी के पल होते थे,
थोड़ी देर बाद चाचाजी रूम मे आते है और अपना टोलियाँ और कपड़े लेके नहाने चले जाते है,इस दौरान उसकी नजर दो तीन बार शालिनी की और जाति है, हालाकि शालिनी की पीठ उनकी तरह थी ,पर टीशर्ट ऊपर करने की वज़ह से उसकी चिकनी कमर दिख रही थी और हल्का स्तन की झलक दिख रही थी शालिनी के पास भी उस समय स्तन ढंकने को कुछ नहीं था। तो वो भी एसे ही बैठी रहती है। जिस से चाचाजी को असहजता ना लगे। वैसे भी चाचाजी इस रूम मे उसके बड़े बेटे ही तो है।
चाचाजी नहाकर आकर तैयार होते है तब शालिनी नील को उसे देकर नहाने चली जाती है। शालिनी जब नहाकर आती है और वो अपने बाल ठीक करके सिंदूर लगाकर मंगलसूत्र पहनकर और चूडिय़ां पहनकर वो किचन मे नाश्ता बनाने जाती है

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जब वो चाचाजी के बाजू मे से निकलती है तो वो चूडियों की और पायल की मिश्रित मधुर आवाज मे खो जाते है।
शालिनी : अपने छोटे भाई को लेकर बाहर आइए नाश्ता करने।
चाचाजी शालिनी के कहने पर नहीं परन्तु शालिनी की खुशबु और पायल और चूडियों की मधुर आवाज के मोहित हो कर खींचे चले जाते है,और वो चलते चलते किचन तक उसके पीछे पीछे चले जाते है।
शालिनी : अभी खाने तो बना दो नास्ता तैयार हो तब तक हॉल मे खेलिए दोनों। लगता है आज बहुत भूखे हो।
चाचाजी होश मे आकर हॉल मे जाके बैठ जाते है,शालिनी नास्ता तैयार करके चाचाजी को बुलाती है। फिर दोनों नाश्ता करते है और नील को भी पौष्टिक नाश्ता पीसकर दुध के साथ घोलकर पिलाते है,शालिनी सब घर के काम निपटा के हॉल मे आके बैठ जाती है,थोड़ी देर नील के साथ हस्ती खेलती है,फिर वो अपने पति को कॉल लगाती है,वो वीडियो कॉल होता है। हालाकि नीरव सो रहा होता है,लेकिन रिंग बाजने की वजह से वो जग जाता है,उसे भी अच्छा लगता है और वो आपस में बात करते हैं। शालिनी उसको कर्फ्यू के बारे मे बताती है।
फिर वो थोड़ी इधर उधर की बात करते है,और फिर वो चाचाजी से बात करता है।
शालिनी : चाचाजी कॉल मुजे दीजिए मुझे नीरव से जरूरी बात करनी है।
चाचाजी : ठीक है। ये लो बात कर लो।
शालिनी मोबाइल लेके रूम की ओर जाती है और बेड पर बैठकर बात करती है,चाचाजी भी पति पत्नी की गोपनीयता को सम्मान देते है और हॉल मे ही बेठे रहते है।
नीरव : कैसी है मेरी प्यारी पत्नी?तुम्हारे बिना यहा दिल नहीं लगता मेरा। जल्दी से यहा काम खत्म हो और जल्दी से तुम्हारे पास आ जाऊँ एसा दिल कर्ता है।
शालिनी : मे अच्छी हू। मुझे भी तुम्हारी याद आती है,मुझे तुम्हारी अभी जरूरत भी है। खासकर रात मे
नीरव इस बात का दूसरा मतलब निकालता है।
नीरव : क्यु मेरी जान रहा नहीं जाता?क्या करूँ जान मेरी भी मजबूरी है वरना मे तुम लोगों को छोड़ कर यहा क्यु आता?ये हमारे भविष्य के लिए कर रहा हू।
शालिनी : अरे..वो बात नहीं है। मे भी समझ रही हू की तुम हमारे लिए वहां पर हो। पर बात दूसरी है।
नीरव : क्या बात है फिर?
शालिनी : नील की सेहत ke लिए डॉक्टर ने मुझे स्तन मे दुध बढ़ाने की दवा दी थी। लेकिन वो दवाई से कुछ ज्यादा ही दुध बनने लगा है।
दिन मे तो नील को पीला देती हू फिर भी बचता है,दिन तो कट जाता है जैसे तेसी पर रात को बड़ी दिक्कत होती है। अभी तो दर्द होता है।
नीरव : डॉक्टर ने क्या कहा?
शालिनी उसको सब बात बताती है कि वो पम्प लायी थी पर वो बिगड़ गया। अभी कर्फ्यू है तो खुद जाके ले नहीं सकती और अभी 7 दिन बाकी है। अगर नीरव यहा होता तो वो रात को उसे पीला देती और उसको आराम मिलता।
नीरव : तो तुम चाचाजी की मदद क्यु नहीं लेती?
इस बात को शालिनी अलग मतलब निकालती है।
शालिनी : कैसी बात कर रहे हों?मे केसे उसको दुध पीला सकती हू। वो उम्र मे मुझसे बड़े है। वो हमारे पिताजी के उम्र के है। और वो ससुर जी के दोस्त है तो वो एक प्रकार से मेरे ससुर जी ही हुए। मे ये नहीं कर सकती।
नीरव : अरे...शांति शांति। तुम गलत समज रही हो। मेरे कहने का मतलब यह है कि तुम चाचाजी को बोलो को वो पम्प लाके दे तो तुम्हारी मुसीबत कम हो जाए।
शालिनी : शर्मा कर ....मेने ये बात सोची ही नहीं मे अभी उसको कहती हू। पर ...
नीरव: पर क्या?
शालिनी : एक तो मुझे उसको कहने मे शर्म आएगी चलो मे उसको कह भी दु पर बाहर खतरा भी है अगर चाचाजी को कुछ हो गया तो मे अपने आप को कभी माफ़ नहीं कर पाऊँगी
नीरव : एसा कुछ नहीं होगा। सब अच्छा होगा एक बार प्रयास करो।
शालिनी : ठीक हैं। चलो अब तुम सो जाओ। Love you ,bye,take care
नीरव : same too you,bye love you
शालिनी हॉल मे आती है। और वो चाचाजी को बताना चाहती थी कि उसको ब्रेस्ट पम्प लेना है पर वो बता नहीं पा रही।
क्युकि उसको चाचाजी की चिंता थी
चाचाजी उसको भाप लेते है
चाचाजी : क्या बात है बहु? क्या हुआ ? जो कहना है वो बोलो।
शालिनी : मुझे वो मेडिकल से कुछ मंगवाना है।
चाचाजी : हा बोलो मे ले आऊंगा उस मे क्या।
शालिनी : पर बाहर के हालात ठीक नहीं है। अगर ये जरूरी ना होता तो मे ये नहीं कहती।
चाचाजी : बाहर की चिंता मत करो वो मे सम्भाल लूँगा। अभी भी 4-5 को ढेर कर सकता हू मे। बाल थोड़े सफेद है पर ताकत आज भी वहीं है। देशी घई खाके बड़ा हुआ हू।
शालिनी : हस्ते हुए। ठीक है ठीक है। ये लीजिए दवाईयों का पर्ची, ये वालीं लेनी हैं और एक ब्रेस्ट पम्प लेना है।
चाचाजी : क्या ?कौनसा पम्प?अभी
मेडिकल वाले भी पम्प मोटर रखने लगे।
शीतल : अरे वैसा पम्प नहीं रुकिए। वो टूटा हुआ पम्प देती है।

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एसा आएगा। और ये लीजिए पैसे।
चाचाजी : ये पम्प क्या कराता है?
शालिनी : (शर्मा कर) ये वो ..वो..वो स्तन मे से दुध निकलने मे काम आता है,नील के दुध पीने के बाद भी बहुत दुध बच जाता है,जिस से मेरे सीने मे दर्द होता है,दवाइयां की वज़ह से दुध ज्यादा बनने लगा है,अब वो दर्द नहीं सहा जाता।
चाचाजी : अच्छा समज गया,ठीक है मे ले आऊंगा तुम दरवाजा अंदर से बंध कर दो जब मे वापिस आऊंगा तभी खोलना।
शालिनी : ठीक है।
चाचाजी के जाते ही शालिनी दरवाजा बंध कर देती है,और नील के साथ खेलती है। पर उसके मन मे चाचाजी की ही चिंता हो रही थी। उधर चाचाजी जब जाते है तब पुलिस उसको रोकती हैं तब वो दवाई की पर्ची दिखाते है,जिस से पुलिस उसको जाने देती है,चाचाजी नजदीक के मेडिकल दुकान पर जाके पर्ची दिखाते है। और वो दवाई लेते है बाद मे वो पम्प दिखाते है,
चाचाजी : एक ये पम्प चाहिए।
दुकानदार : ये हमारी दुकान पर नहीं है,आप को सहर की बड़ी मेडिकल दुकान जाना पड़ेगा लेकिन वो बहुत दूर है और उधर दंगे ज्यादा हुए थे इस लिए सायद वो बंध भी हो। इस से अच्छा आप घर चले जाए।
चाचाजी वापिस आते है,और वो दरवाजे की घंटी बजाते हैं। शालिनी दरवाजे के छेद से देखती है कि चाचाजी ही है,वो खुश हो जाती है। और चेन की साँस लेती है और जल्दी से दरवाजा खोलती है,
शालिनी : शुक्र है आप सही सलामत आ गए। रास्ते मे कोई परेसानी नहीं हुई ना?
चाचाजी : नहीं नहीं पुलिस ने रोका था पर दवाई की वज़ह से जाने दिया पर बेटा तुम्हारा आधा काम ही हुआ।
शालिनी : आधा मतलब?
चाचाजी : तुम्हारी दवाई तो मिल गई पर वो पम्प नहीं मिला। वो शहर के बड़े दुकान पर मिलता है,पर उस इलाके मे दंगा ज्यादा हो रहा है इस लिए वो बंध है।
शालिनी : (मायूस होके)ठीक है कोई बात नहीं चलेगा।
चाचाजी : एक काम करते है थोड़ा नाच गाना हो जाए। जिस से तुम्हारी मायूसि कम होगी।
शालिनी : ठीक है।
शालिनी का मूड नहीं था पर चाचाजी की खुसी की वज़ह से वो राजी होती है। वो दो तीन गाने पर डांस करती है, उस मे कभी कभी जब अभिनेता अभिनेत्री को कमर से पकड़कर अपनी और खींचता तो चाचाजी को भी एसा करना प़डा

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फिर वो थक कर सोफ़े पर आके बैठ जाती है,नाचने की वज़ह से सच मे उसकी मायूसियों मे कमी आयी थी उसे अब थोड़ा अच्छा लगता है,

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फिर दोपहर का खाना खाके सोने आते है। नील को पालने मे डालने बाद चाचाजी उसको जुला रहे थे जिस से थोड़ी ही देर मे नील सो जाता है,तब तक शालिनी भी रूम मे आके बेड पर बैठती है।
शालिनी : चलो अच्छा है नील सो गया अब हम भी सो जाते है,चलिए आप भी अच्छे बच्चे की तरह सो जाए।
आज चाचाजी बनियान और पाजामे पहनकर बेड पर लेट जाते है शालिनी भी बगल मे आके लेट जाती है। दोनों एसे ही लेटे हुए थे थोड़ी देर बाद....
शालिनी : आप मुझसे नाराज हो बेटा?
चाचाजी : नहीं क्यु?आप को एसा क्यु लगा ?
शालिनी : तो इतना दूर क्यों सो रहे हो। रोज की तरह मेरे पर पैर रख के सो जाओ।
चाचाजी : चलेगा। एसा कुछ नहीं है,
शालिनी : मुझे नहीं चलेगा। अब मुझे उस तरह सोने की आदत हो गई है। एक बेटा तो मेरा अब दूर सोने लगा है। अगर दूसरा भी दूर जाएगा तो मुझे नींद नहीं आएगी।
शालिनी ये सब चाचाजी को अच्छा लगे और वो खुद को पराया ना समझे इस लिए बोल रही थी। चाचाजी भी शालिनी ज्यादा मायूस ना हो इस लिए बिना कुछ बोले उसके ऊपर पैर रख देते है। थोड़ी देर मे दोनो एसे ही सो जाते है।
थोड़ी देर बाद गहरी नींद मे चाचाजी का हाथ शालिनी के गोरे गोरे पेट पर आ जाता है जिस से शालिनी की नींद खुलती है। तभी चाचाजी उसकी ओर करवट लेते है और अपना दायां पैर घुटनों से मोड़ के शालिनी के पैर पर और अपना दायां हाथ शालिनी के पेट पर रख देते है और चाचाजी का सिर शालिनी के कंधे के पास था। शालिनी को उस वक्त क्या ममता जगी जो उसने अपना दायां हाथ खोल कर चाचाजी के सिर को अपने हाथ के सहारे ले लिया जिस से चाचाजी शालिनी के ओर ज्यादा करीब आ जाते है।
तभी चाचाजी नींद मे बोलने लगते है। सायद वो सपना देख रहे थे।
चाचाजी : (नींद में...)माँ मेने तुम्हें कितना याद किया ?मुझे तुम्हारे साथ बिताए हर पल याद आते है,कैसे आप मेरे सब काम करती थी कभी डांटना कभी दुलार करना सब। पर माँ तुम्हें पता है अभी मुझे तेरे जैसी दूसरी छोटी माँ मिली है जो तुम्हारी तरह मेरा ख्याल रखती है,
शालिनी ये सुन के उसके माथे को चूम लेती है।
शालिनी उसको अपने ओर ज्यादा नजदीक लेकर दुलारती है,चाचाजी भी नींद मे अपनी माँ समझकर उसको चिपक जाते है,दोनों एसे ही सो जाते है।

दिन - दूसरा
सुबह जब चाचाजी की नींद खुल जाती है तब वो खुद को शालिनी की बाहों मे पाते है,शालिनी के स्तनों को इतने करीब से देखना वो भी सुबह आंख खुलते ही ये दृश्य चाचाजी ने कभी सोचा नहीं था उसका सिर शालिनी के हाथ के ऊपर था। चाचाजी थोड़ी देर वो दृश्य जिस मे ब्लाउज के ऊपरी भाग से छलकता स्तनों की जोड़ी जो ब्लाउज मे रहने के लिए मानो आपस मे लड़ रहे हो।

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दोनों स्तनों आपस मे सटाकर रहने की वज़ह से दोनों के बीच जी रेखा उसे ओर भी आकर्षित बना रही थी।
चाचाजी को शालिनी के शरीर की पसीने की गंध उसे मादक लगती है,वो इस पल को स्थिर कर मन भर के अपनी आँखों मे बसा देना चाहते थे। ना चाहते हुए भी चाचाजी जागते है और बेड पर बैठे बैठे शालिनी को देखने लगते है, चाचाजी के उठने की वज़ह से शालिनी के हाथ पर जो वजन था वो हट जाता है जिस से शालिनी की नींद खुल जाती है,लेकिन वो जब जगती है तो उसका पूरा हाथ सुन्न हो गया था क्योंकि पूरी रात चाचाजी का सिर उसके हाथ पर था, वो देखती है चाचाजी उसके बग़ल मे बेठे है, और उसकी और देख रहे है। लेकिन वो जब बैठने जाती हैं तब उसका हाथ हिलता ही नहीं। लेकिन जब वो बैठती है तब उसका पल्लू सरक जाता है पर हाथ सुन्न होने से वो उसको सही नहीं कर पायी, चाचाजी ये सब देख रहे थे,उसको दूसरी बार वो दुध से भरे दुध से सफेद स्तनों की जोड़ी का दर्शन हो गया

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चाचाजी : अनजान बनते हुए...) क्या हुआ बहु?
शालिनी : मेरा हाथ सुन्न हो गया है,
चाचाजी : रुको मे कुछ कराता हू। चाचाजी शालिनी के पास आते है और उसके सुन्न पड़े हाथ को हिलाने लगते है,उसपर हल्के से घुसे मारते है,शालिनी की हथेली को अपनी दोनों हथेली के बीच मे रखकर घिसे है जिस से धीरे धीरे शालिनी का हाथ समान्य होने लगता है, आखिर मे चाचाजी शालिनी का पल्लू सही कर देते है,
चाचाजी : मे कसरत करने जा रहा हू।
शालिनी : आप जाए मे आती हू थोड़ी देर मे
चाचाजी कसरत करने जाते हैं, और शालिनी नील को प्यार से जगाकर उसको अपने स्तनों से दुध पिलाने लगती है वो देखती है रात मे दुध भरा होने के कारण उसके ब्रा मे दुध रिसने की वज़ह से गिले धब्बे हो गए थे, वो सारे हूक खोलकर दोनों स्तनों को खुल्ला कर के नील को परोस देती है,नील भी भूख की वज़ह से पीने लगता है,और एक स्तन से पूरा और दूसरा से आधा दुध पी लेता है।
शालिनी को अब काफी आराम मिल गया था वो जीम के कपड़े पहन कर हॉल मे आती है जिस के हाथो मे नील था। वो नील को हल्की धूप मे रख के चाचाजी के बाजू मे आके योग करने लगती है। चाचाजी का योग बस खत्म ही हो गया था तो वो सोफ़े पर जाके बैठ जाते है और कभी कभी शालिनी को योग करते देख लेते।

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थोड़ी देर बाद शालिनी भी सोफ़े पर आके बैठ जाती है।
चाचाजी : तुम्हारा शरीर काफी लचीला है। काफी ख्याल रखा है अपने शरीर का, तुमको देख के कोई नहीं कह सकता के तुम एक बच्चे की माँ होगी।
शालिनी : मज़ाक मे ...) एक नहीं दो
चाचाजी : वो तो सिर्फ उस कमरे मे..
शालिनी : अच्छा तो इस हॉल मे क्या हू मैं?
चाचाजी : यहा पर तुम हो मेरी दोस्त और किचन मे मेरे दोस्त की बहू।
शालिनी : आपकी बहु नहीं? क्या आप हमे अपना नहीं मानते?
चाचाजी : नहीं नहीं मेरे दोस्त की बहू यानी मेरी भी बहु हुई।
शालिनी : ठीक है तो मे आप जिस जगह जैसा रिश्ता चाहेंगे मे वैसा रिश्ता रखूंगी।
चाचाजी : धन्यवाद। तुम्हें ये सब बचकाना लगता होगा कि उस जगह ये रिश्ता इस जगह वो रिश्ता। किंतु मे ये सब इस लिए कर रहा हू ताकि हम दोनों अपने सभी रिश्ते जी सके ,अगर सिर्फ चाचाजी और बहू का रिश्ता रखेगे तो दोनों इस घर मे ऊब जायेगे और एक दूसरे को खुल के बात नहीं कर पायेगे।
शालिनी : ये बात तो सही कहीं आपने। अलग अलग रिश्ते निभाने से सकारात्मकता और आनंद आएगा। तो फिर ...तुम नहाने जा रहे हो या मे जाऊँ?
ये पहली बार था जब शालिनी ने चाचाजी को तुम कहां था क्युकी वो उनको दोस्त की तरह बुला रही थी। चाचाजी को भी बुरा नहीं लगा ब्लकि वो खुश हुए कि शालिनी ने उसकी भावना को समजा
दोनों बारी बारी नहाने जाते है फिर दोनों साथ मे नास्ता करते हैं फिर चाचाजी नील से खेलते हैं तब तक शालिनी घर के सारे काम करती है। सोफ़े पर आके बैठ के वो थोड़ी देर आराम करते हुए चाचाजी और नील के साथ देख के वो मन ही मन खुश होती है।
शालिनी : (मन मे ...)चाचाजी कितने अच्छे है। लगता ही नहीं कि वो किसी और परिवार से है,लगता है मानो कोई अपना ही है।
फिर वो नीरव को वीडियो कॉल लगाती है, दोनों बात करते है और नीरव नील के बारे मे पूछता है तो शालिनी उसको चाचाजी और नील के साथ खेलते हुए दिखाती है ये देख के वो खुश होता है,वो शालिनी को उससे बात कराने को कहता है,शालिनी खड़ी होकर चाचाजी से सटकर बैठ जाती है
शालिनी : चाचाजी नीरव आपसे और नील से बात करना चाहता है,
चाचाजी : कैसे हो बेटा?
नीरव : बहुत बढ़िया। आप सब कैसे हो?लगता है नील को आपके साथ अच्छा लगता है।
चाचाजी : क्यों नहीं लगेगा। उससे अब रिश्ता बन गया है मेरा
सभी इधर उधर की बात करते है। और फोन रख देते है।
शालिनी : चाचाजी नील से आपका कौनसा रिश्ता बन गया है?
चाचाजी : जिस तरह तुम्हारे साथ रिश्ता है वही मुन्ने पर लागू होगा। इधर मेरी दोस्त का बेटा है, बेडरूम मे मेरा छोटा भाई किचन मे मेरा पोता।
शालिनी : हँसकर.. अच्छा जी..ठीक है चलो लाओ मेरे बेटे को उसे खाना खिला के सुला देती हू फिर नाच गान हो जाए
शालिनी रोज की तरह कमरे मे जाके अपने स्तनों को आजाद करके अपने बेटे को समर्पित कर दिए। नील भी स्तनों से दुध पीने लगा। वो नहीं जानता था कि वो अपनी माँ को कितना सुकून दे रहा था। जब उसको दुध पिला दिया तो भी स्तनों मे रह जाता है। फिर उसको सुला के वो अपने पार्टी वाले कपड़े पहनती है,

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जो उसके शादी के शुरुआती दिनों के थे जब वो अपने फिगर को सम्भाल कर रखती थीं। पर अब उसका शरीर थोड़ा गदराया हुआ है तो उसे वो सभी कपड़े तंग हो रहे होते है परंतु गाने को सही सम्मान और चाचाजी को आनंद मिले इस लिए वो पहनती है।
शालिनी तंग कपड़े मे बाहर आती है,उसके स्तन जो काफी बाहर छलक रहे थे, जिसे देख कर चाचाजी को पता चल जाता है कि शालिनी को कपड़े तंग हो रहे है,पर वो शालिनी को ऐसे साड़ी मे देख के दंग और भौचक्के रह जाता है,हालाकि शालिनी पिछले कुछ दिनों से ही एसे कपड़े पहनकर आती है पर हर दिन वो और ज्यादा खूबसूरत और सेक्सी लगती है।

शालिनी : कैसी लग रही हूँ मैं?
चाचाजी : ( हडबडी में)जी....जी...बहुत ....बहुत खूबसूरत
शालिनी : ठीक है फिर तो डांस का कार्यक्रम चालू करे।
शालिनी 3-4 गानों मे डांस करती है जिस मे चाचाजी भी थोड़ा बहुत नाच लेते है। जिस मे कई बार शालिनी की कमर ,गाल बाल ,कंधा आदि अंगों को छूने का मौका मिलता है।

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फिर दोनों आके सोफ़े पर बैठ जाते है, फिर दोनों थोड़ी बातचीत करते है। इसी दौरान शालिनी बैठे बैठे थोड़ी चाचाजी से उल्टी और घूम कर बातों बातों मे अपने ब्लाउज का ऊपर का एक हूक खोल देती है क्युकी उसे बहुत तंग हो रहा था। चाचाजी को ये पता चल जाता है पर वो अनजान बने रहते हैं। कभी कभी उसका ध्यान शालिनी के पारदर्शी पल्लू से अपनी झलक दिखा रहे स्तनों पर चला जाता है ,जिस मे उसको खुला हुआ हूक और ज्यादा बाहर छलक रहे स्तनों पर उसकी नजर चली जाती है ,थोड़ी देर बाद शालिनी फ्रेश होके अपने कपड़े बदल लेती हैं।

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और वो दोपहर का खाना बनाने चली जाती हैं, चाचाजी इसी दौरान नील को कमरे से लाके उसे नींद से जगाकर उससे खेलने लगे, जब भी चाचाजी और नील को साथ मे देखती तब उसे अजीब सा आनंद और शांति मिलती।
शालिनी : चलो चलो खाना खा लो।
चाचाजी : चलो मुन्ना खाना खा लेते है वर्ण तुम्हारी माँ की डांट खानी पड़ेगी।
शालिनी : हाँ तो डाट पड़ेगी न! अगर खाना नहीं खाओगे। एक काम करिए मे नील को दुध पिलाकर आती हू तब तक आप खाना शुरू करिए।
चाचाजी : आज अकेले अकेले खाना पड़ेगा
शालिनी : फिर आप नील को संभालना मे खाना खा लुंगी।
वो नील को लेके कमरे मे जाती है और अंदर जाने के तुरत बाद ही ब्लाउज खोल ब्रा खोल के नील को दुध पिलाया फिर भी काफी दुध स्तनों मे था।
वो नील को लेके आती है तब तक चाचाजी ने खाना खा लिए थे और हाथ धों रहे थे और वो नील चाचाजी को देकर जाइए इनसे खेलिए मे तब तक खाना खा लू। शालिनी खाना खाकर बर्तन धोकर अपने पल्लू से चेहरा पोछते हुए हॉल मे आती है नील को अपने हाथ मे लेके उसे दुलार करने लगती है। थोड़ी देर मे वो सो जाता है।
शालिनी : चाचाजी ये तो सो गया। चलो हम भी सो जाते है।
तीनों कमरे मे आते है ,शालिनी नील को पालने मे सुलाकर बेड पर आती है चाचाजी और शालिनी दोनों बेड पर लेट जाते है। थोड़ी देर दोनों एसे सीधे लेटे रहते है।
शालिनी : बेटा चलो सो जाओ जैसे रोज सोते है।
चाचाजी समज जाते है और वो शालिनी की ओर करवट लेके अपना एक पैर उसके पैर के ऊपर रख देते है। चुकी अब शालिनी को एसे सोने की आदत होने लगी थी। जब चाचाजी गहरी नींद मे होते है तब शालिनी चाचाजी का पैर धीमे से हटाकर दबे पाव बाथरूम की ओर बढ़ती है। जैसे ही वो बाथरूम मे आती है तो वो तेजी से अपना ब्लाउज के हूक खोल के अपना ब्लाउज उतर देती है।

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और ब्रा के हूक खोल के उसे ऊपर उठा के अपने स्तनों से दुध निकलने लगती हैं।
जैसे ही शालिनी के ताजा और मीठे दुध की धार उसके निप्पल से निकलकर सिंक मे गिरती है तब शालिनी को अत्यंत आनंद होता है। स्तनों से दुध निकलना ही अब उसके हर दिन के सबसे आनंद के क्षण बन जाते थे।
शालिनी अपने आनंद के पल को आंखे बंध करके अपनी ही दुनिया मे मस्त होके जी रही थी तभी उधर चाचाजी की नींद खुलती है तो वो देखते है कि शालिनी कमरे मे नही है तो वो सोचते है कि सायद पानी पीने के लिए गई होगी तो वो भी किचन की और बढ़ते है जैसे वो बाथरूम के पास से गुजरते हैं तो उन्हें सिसकियाँ सुनाई देती है ,वो जाके देखते है तो शालिनी जिसका पल्लू फर्श पर गिरा हुआ है ,और तो और शालिनी ने ब्लाउज भी निकाला हुआ था उसके कंधे से लेके पीठ पर सिर्फ एक ब्रा की पट्टी थीं,पूरी नंगी पीठ एकदम गोरी चिकनी। सिर्फ ब्रा और कमर तक बंधी अस्त व्यस्त साड़ी मे थी उसकी सिसकियों मे एक खुशी के स्वर थे।
ये दृश्य देख के उसके पैर वहीं रुक गए। उसकी नजरो ने मानो झपकना भूल गई हो ,बस एक तुक उस कामुक दृश्य देख रहे थे ,शालिनी भी उस बात से बेख़बर की चाचाजी पिछे खड़े उसको देख रहे हैं,वो बस अपने स्तनों को दबाकर निकल रहे दुध की हर धार से महसूस हो रहा आनंद मे गोते खा रही थी, कभी कभी वो नीरव को याद करके उसे नाराज होती।
शालिनी : तुम क्यु चले गए? मुझे इस हालत में छोड़ के, मुझे तुम्हारी अभी बहुत जरूरत है,तुम्हारे बिना मुझे कोन आराम दिलाता, तुम्हारा बेटा इतना दुध पी नहीं सकता, मेरा बड़ा बेटा भी नहीं वर्ना उसे पीला देती, वैसे मेरा मुह बोला बेटा है क्या उसे पीला दु, अभी तो मन कर रहा है कि कमरे मे जाके उसको अपना दुध पीला दु। पर ये सही नहीं होगा। क्या करूँ मे अभी 5 दिन कैसे निकलेंगे?अब नहीं सहा जाता। कितना दर्द होता है?
स्तनों को निचोड़कर दुध निकालने की वज़ह से उसे जलन होती है। शुरू में तो आराम से निकलता है पर जब काम दुध बचता है तब ज्यादा दबाव स्तन पर डालना पड़ता है,जिस से कई बार उसे हाथो मे और स्तनों मे दर्द होता है फिर भी स्तनों मे दुध बच जाता।
जब दुध निकलना बंध हो गया तब शालिनी ब्रा नीचे कर के सही करती है,और जब ब्लाउज लेने घूमती है तो देखते है कि चाचाजी दरवाजे पे खड़े है। चाचाजी भी इस दृश्य को एक-टूक देखे जाने रहे थे। जब शालिनी घूमी थी तब तो चाचाजी को काटो तो खून ना निकले एसी हालत हो गई।


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एक खूबसूरत जवान महिला जो कि कमर तक बंधी साड़ी जिसका पल्लू गिरा हुआ है ,जिसने ऊपर एक ब्रा पहन रखी है, जिसमें अभी अभी दुध निचोड़कर खाली किया है,जिस से वो थोड़े लाल दिख रहे है, वो स्तनों की जोड़ी उस ब्रा मे अपनी जगह बनाने के लिये एक दूसरे से ही लड़ाई कर रहे है,वैसे चाचाजी ने शालिनी की स्तनों की खाई देखी हुई थी पर आज ब्रा मे और अच्छी और बढ़िया दिखी दी।

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चाचाजी तो मानो इस पल मे खुद तो ठहर गए थे और इस पल को हमेसा ठहरा देना चाहते थे, परंतु शालिनी लज्जा और शर्म के मारे फटाफट अपना ब्लाउज उठाती है और चाचाजी की ओर पीठ करके पहन लेती है,इस दौरान हुई शालिनी के चूडियों की आवाज से चाचाजी का ध्यान भंग होता है, वो भी हडबडी मे किचन मे चले जाते है और शालिनी अपने रूम मे नील के पास जाती है,
चाचाजी किचन मे जाके पानी पीते है, और थोड़ा डर और शर्म की वज़ह से वह हॉल मे आके बैठ जाते है,
शालिनी : (मन में..)ये क्या हुआ ?मे इतनी लापरवाह कैसे रह गई कि बाथरूम का दरवाजा तक बंध नहीं किया, चाचाजी क्या सोचेंगे मेरे बारे में?उनसे कैसे नजरे मिलाऊँ?
चाचाजी : (मन में..)ये क्या हुआ? माना कि बहु ने दरवाजा बंध नहीं किया पर मे वही पे क्यु रुक कर वो देखने लगा। वो क्या सोचेंगी मेरे बारे मे?
शाम के 4:30 बजे तक दोनों इन्हीं ख्यालो मे अपनी गलती मानकर खुद को ही दोष दे रहे थे। तभी नील नींद से जागकर रोने लगता है ,शालिनी ख्यालो से बाहर आती है और नींद को सम्भालने लगती है ,उसको गोद मे लेके प्यार-दुलार करती हैं, फिर वो उसको अपने ब्लाउज खोल के ब्रा ऊपर करके अपना दुध पिलाने लगती है, शालिनी को अपने स्तन देखकर वापिस उस घटना के बारे मे सोचने लगती है,
शालिनी : (मन में...) अभी 5 दिन और निकलने है, मुझे तो रोज ही इस प्रकार के दुध निकालना होगा ,तो फिर चाचाजी से इस बारे मे बात कर के उसे खुलकर समझाना होगा ,हमको अभी साथ रहना है तो इस बात की थोड़ी आदत डालनी होगी। चाचाजी सायद समझेंगे इस बात को, मे अभी उससे चाय पीते बात करूंगी।
इधर चाचाजी भी नील की आवाज सुनकर अपने विचारो से निकलते है, पर वो चाहकर भी कमरे मे नही जा सकते ,अभी जो घटना हुई उस की वज़ह से, वो फिर पढ़ा हुआ अखबार दुबारा पढ़ने लगते है ताकि समय कट सके,
आधे घंटे बाद शालिनी नील को दुध पिलाकर थोड़ी फ्रेश होकर कमरे से बाहर आती है,पर वो अब उस घटना से आगे बढ़ना चाहती थी तो वो समान्य रहने ,और चाचाजी से अब ज्यादा खुलकर बात करने का फैसला कर लिया था। अब वो उससे सही मे दोस्त की तरह पेश आएगी,
शालिनी : अरे ओ चाचा लीजिए अपने दोस्त के बेटे को सम्भाले थोड़ी देर ,ताकि मे हम दोनों के लिए चाय बनाऊं।
चाचाजी शालिनी के इस प्रकार से बात करने के तरीके को बिल्कुल सोचा नहीं था, पर वो थोड़ा खुश होते है के शालिनी ने उस घटना को गंभीरता से ना लेके आगे बढ़ने का विचार किया।
नील को चाचाजी को देकर वो चाय बनाने जाती है, तब तक चाचाजी नील से खेलते है, थोड़ी देर मे वो चाय बनाकर डाइनिंग टेबल पर ले आती है।
शालिनी : चलिए चाय पीने आ जाइए। नील को उधर ही लेटा कर आना वर्ना इधर चाय नहीं पीने देगा।
चाचाजी नील को लेटा कर आते है ,पर वो शालिनी से नजरे नहीं मिला रहे थे,वो पानी पीके चाय पीने लगते है,जल्दी जल्दी के चक्कर मे गर्म चाय पीने से चाचाजी की जीभ जल जाती है और वो तुरत अपना कप नीचे रखकर खांसने लगते है
शालिनी : क्या जल्दी है इतनी, आराम से पियो न चाय। मुझे आपसे बात भी करनी है तो चाय पीते पीते.
चाचाजी चाय के कप को ही देख रहे थे। उसको पता था कि शालिनी कोन सी बात करना चाहती है।
शालिनी : चाचाजी देखिए आज दोपहर मे जो हुआ उस के बारे मे खुल के बात करनी है
चाचाजी : क्या बात करनी है? मुझसे गलती हो गई।
शालिनी : आज जो हुआ वो किस वज़ह से हुआ वो मे आपको बताती हू। क्युकी मे हर बार तो छुपाते छुपाते नहीं कर सकती हम एक घर मे रहते है हमारा रिश्ता बन गया है,आप समझदार भी है तो आप मेरी परिस्थितियों को समझेंगे।
चाचाजी : क्या वजह थी?
शालिनी : आप को पत्ता है कि मेरे स्तनों मे दुध ज्यादा उतर रहा है इस लिए मेने आपको वो पम्प लाने भेजा था याद है?
चाचाजी : हा
शालिनी : पम्प ना होने की वज़ह से स्तनों से दुध जमा होने लगा। नील भी पूरा नहीं पी सकता। तो दुध भर जाने से मेरे स्तनों मे दर्द होता है। अगर दुध ना निकालूँ तो असह्य पीड़ा होती है,इस लिए दुध निकालना जरूरी हो जाता है,इस लिए मे बाथरूम मे जाके स्तनों को निचोड़ के खाली करती हू, कल रात को निकाला था ,आज दोपहर मे पीड़ा हो रही थी इस लिए ना चाहते हुए मुझे वो सब करना प़डा।
चाचाजी : (मन मे,,,,)अरे रे बहु कितनी तकलीफ मे थी वो सब करने मे उसे कितना दर्द हुआ होगा
शालिनी : लेकिन अब स्तनों से दबाकर दुध निकलने की वज़ह से स्तनों मे दर्द होता है,और जलन होती है।
चाचाजी : एक बात कहु ?
शालिनी : हा हा बोलिए।
चाचाजी : मे तुम्हें देखकर लज्जित हुआ था एसा नहीं की मेने इस हालत में किसी स्त्री को नहीं देखा जब गाव मे गर्मियां पड़ती है तब उधर की स्त्रिया साड़ी के बिना केवल ब्लाउज और घाघरा पहन कर रहती है अगर बाहर का कोइ आए तो एक पतला सा चुन्नी या तौलिया ओढ़ लेती है,तुम्हारी चाची भी एसे कपड़े मे ही पूरा दिन रहती।
शालिनी : तो फिर आप अभी क्यों उदास हो गए हों?
चाचाजी : क्योंकि उस हालत मे मेने केवल अपनी माँ भाभी या चाची आदि ...यानी मेरे से रिश्ते मे बड़ी महिला को देखा था। क्योंकि बहु बेटियाँ रिश्ते मे बड़े के सामने उस अवस्था मे नही रहती। आज पहली बार मेने तुम्हें उस अवस्था मे देखा तो मुझे शर्म और अपने आप से घृणा हुई।
शालिनी : अच्छा तो अब से बाथरूम मे भी मे आपकी छोटी माँ ,तो हो गई मे रिश्ते मे आप से बड़ी। अब आप स्वस्थ हो जाए और खुश रहिए। मे यही चाहती हूं।
चाचाजी : ठीक है।
शालिनी : अब से मे आपको बताकर ही जाऊँगी जिस से आप दुबारा दुखी और उदास ना हो।
चाचाजी : यही ठीक रहेगा।
तब तक चाय खत्म हो जाती है और शालिनी चाय के बर्तन लेके धोने जाती हैं। और चाचाजी इधर नील से खेलने लगते हैं।
शालिनी वापिस आके नील को गोदी मे लेके चाचाजी के बगल मे बैठे जाती हैं।
चाचाजी : एक बात पूछूं?
शालिनी : हाँ पूछो।
चाचाजी : एक दोस्त के नाते पूछ रहा हू।
शालिनी : हाँ हाँ बोलिए।
चाचाजी : क्या तुम्हें बहुत दर्द होता है इधर ( शालिनी के स्तन की ओर उंगली कर ke)
शालिनी : हाँ जब भरे होते है तब।
चाचाजी : तो फिर उसका कोई न कोई स्थायी रूप से इलाज करना पड़ेगा। कब तक तुम एसे करोगी?
शालिनी : ये कर्फ्यू की वज़ह से वर्ना पम्प ले आते। अब बस 5 दिन है तो जैसे तैसे निकल दूंगी।
चाचाजी : ठीक है।
शालिनी : एक बात पूछूं?
चाचाजी : हाँ
शालिनी : आप उम्र मे बड़े है और मेरे अच्छे दोस्त इस लिए आप से पूछती हू। थोड़ा अजीब भी है जो मे पूछने वाली हू वो
चाचाजी : पूछो जो पूछना है अगर मुझे पता होगा या फिर तुम्हारी मदद होगी तो करूंगा।
शालिनी : आपने कभी मेरी जैसी अभी हालात है एसी कभी स्त्री का सुना हो। और उसने इसका क्या इलाज ढूंढ़ निकाला हो?क्योंकि उस वक़्त तो ये पम्प भी नहीं होते थे।
चाचाजी : सुना....मेने देखा है।
शालिनी : आश्चर्य से...)क्या? देखा है?कोन थी वो?
चाचाजी : तुम्हारी चाची यानी मेरी पत्नी। जब हमको बेटा हुआ तब उसकी दादी सास ने उसे एक चूर्ण दिया था जिस से दुध की गुणवत्ता बढ़े और दुध की मात्रा बढ़े जिस से लड़का तंदुरूस्त और बलिष्ठ बने।
शालिनी : ( उत्सुकता से...)फिर?
चाचाजी : फिर क्या तुम्हारी चाची के स्तनों मे जो दुध उतरा है ...हर समय उसमे दुध रहता। मेरा बेटा दुध भी खूब पीता। इस लिए ज्यादा दिक्कत ना होती पर रात मे जब बेटा सोता तब उसे दिक्कत होती।

(उस समय मे.....)
चाचीजी: दादी आपके चूर्ण से मेरे स्तनों मे दुध अविरत बनता है। अब रहा नहीं जाता। दिन मे तो बेटा पी ले पर रात का क्या?
दादी सास : क्या मतलब क्या रात को तो तुझे तकलीफ होनी ही नहीं चाहिए?
चाचीजी : क्यों?
दादी सास : रात को तो तेरे पास तेरे सास का बेटा यानी मेरे पोता तो होता है उसको दे दे।
चाचीजी : उसको केसे दे सकती हू? वो राजी होगे?
दादी सास : एक बार देके तो देख बाद मे कहाना। अपने अनुभव से कह रही हू। पति एसा मोका कभी नहीं छोड़ेंगे?लगभग हर मर्द का सपना होता है जवान स्त्री के स्तन से दुध पीए।
चाचीजी ये सुन के शर्मा जाती है। और रात को वो ये प्रयोग करना चाहती है। शाम को जब चाचाजी घर आते है तब खाना खा कर बाहर आँगन मे खटिया बिछाकर सोने जाते हैं तभी दादी उसको आज उसको कमरे मे सोने को कहती है। चाचाजी उसका दिल रखने के लिए कमरे मे आते है। रात मे जब सब सो गए थे तब चाचीजी को दर्द सुरु होता है तो वो चाचाजी को उठा देती है
चाचाजी : अजी ..सुनिए। मेरे को दर्द हो रहा है,
चाचाजी : कहा पर?
चाचाजी : ( नटखट अंदाज में..)मेरे सीने में। जहा पर आप सिर रखके सोते थे उस तकिये मे। आपके बेटे की दुध की डेरी मे?
चाचाजी : (मुस्करा के..)अच्छा जी तो मेरे बेटे की दुध की डेरी है तो उसको बताओ मुझे क्यों बता रही हो?
चाचीजी: वो तो बेचारा दिन मे तो संभालता है। रात मे आप की जिम्मेदारी है।

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चाचाजी उसको कमर से पकड़ के अपनी और खींचते है। और एक उसके होठों पर कसकर एक चुंबन करते हैं फिर उसके गले को चाटते है।
चाचाजी : कितने दिन हो गए। आज मोका मिला है तुम्हें निचोड़ ने का। आज नहीं छोड़ूंगा।
चाचीजी : वो सब अभी नहीं। बच्चा है इधर अगर जग गया तो उसे संभालना मुश्किल हो जाएगा अभी आप मेरे स्तनों को निचोड़ दीजिए। मुझे फिर कभी निचोड़ लेना।
चाचाजी चाचीजी का ब्लाउज खोल के उसको कोने मे फेंक देते है उसके सामने सिर्फ घाघरा पहने हुए उसकी पत्नी खड़ी है,

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जो उसके बच्चे की माँ है जो बगल मे सोया है। मानो अपनी पत्नी के स्तन उसको तन कर उसको आमंत्रित कर रहे हों।

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आओ और हमे अपने हाथो से ,अपने मुह से हमे निचोड़ दो हमे मसल दो, हमको काट खाओ, और हम तुम्हें इनके इनाम स्वरुप मीठे अमृत जैसा गाढ़ा दुध देगे जिस से तुम और शक्तिशाली हो जाओगे फिर अगली बार हमे और ज्यादा शक्ति से भोग सकोगे।
चाचाजी उस गोल सुडोल स्तनों की जोड़ी को अपने बड़े से हाथो मे ले लेते है फिर भी वो उसमे नहीं समा पाते। फिर दाएं स्तन को अपने मुह मे भार लेते है,

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जिस मे गहरे रंग का घेरा जो था उसको अपने मुह मे समा लेते है। फिर उसमे से जो सफेद दुध की धार उसके मुह मे गई ...आह आनंद, परम आनंद, कि अनुभूति दोनों पति पत्नी के लिए..
चाचाजी : आह ...पी जाइए,पूरा खाली करदे ,ये आपका ही है, आह ..धीरे, काटे नहीं,प्रेम से पियो, आपके ही है, मे यही हू कहीं नहीं जा रही,रोज रात को मे आपके लिए दुध से भरे स्तनों के लेके आ जाऊँगी
आह...धन्यवाद दादी.,आपकी वजह से ये आराम मिल रहा है।
चाचाजी: अच्छा जी। ये दादी का सुझाव है, तो मे भी उसको धन्यवाद देता हूँ।
चाचाजी : आह...आप कुछ मत बोलिए आपको पूरी रात इसको मुह मे रखना है।
सवेरे जब चाचीजी की नींद खुलती है तो देखते है कि उसके पति उसके एक स्तन को मुह मे भरे और एक पर अपना हाथ रख के उसपर अपना अधिकार जताते हुए सोए हुए थे। पर आज उसको जो आराम मिला था उसकी खुसी और उसकी लालिमा उसके चहरे पर छलक रही थी। वो देखती है दोनों स्तनों पर काटने के निशान जिसे उसके पति ने कल रात को दिए थे पर जो आनंद उसे मिला था उसके सामने ये दर्द कुछ नहीं।
वो जब तैयार होके बाहर आती है। और जब दादी सास को मिलने जाती हैं, तब उसकी सास भी वही थी,
दादी सास : क्या हुआ बहु ?आज तो चेहरे पर रौनक कुछ और है। लगता है,मेरा नुस्खा काम कर गया।
चाचीजी शर्मा जाती है।
सास : कौनसा नुस्खा? हमे भी बताओ। कोई तकलीफ है तुम्हें बहु?
दादी सास : तकलीफ तो थी पर अब उसका इलाज मिल गया है।
चाचीजी : ( शर्मा ke) क्या दादी आप भी!
सास : क्या हुआ बहु? कोन सा इलाज?
दादी सास : वही इलाज जो इसके पति के जन्म के बाद मेने तुम्हें भी बताया था।
सास बहु दोनों शर्मा जाते है।

(वर्तमान समय मे....)
चाचाजी : उस दिन के बाद जब तक बेटे ने स्तनपान किया तब तक हर रात मुझे उस आनंद की प्राप्ति होती रही।
शालिनी : पर मेरे पति इधर नहीं है।
चाचाजी : एसा तुम्हारी चाचाजी के साथ भी हुआ था। जब मे घर पर नहीं था।
चाचाजी इस समय शालिनी से काफी खुलकर बात कर रहे थे मानो कोई दोस्त से बात कर रहे हों। शालिनी भी उस से दोस्त की तरह ही पेश आ रही थी
स्त्रियां अगर आप पर विश्वास करने लगे तो वो हर रिश्ता निभा सकती है,अगर आप निश्चल भाव से उस से बर्ताव करे तो।

(भूतकाल मे...)
ये उस समय की बात थी जब चाचाजी को बेटी हुई थी और अभी वो 6 -7 महीने की होगी इस बार चाचाजी ने खुद ही वो चूर्ण दादी से माँगा था। जिस से उसको वो आनंद फिर प्राप्त हो।
चाचीजी को भी अपने पति को स्तनपान कराने की एक कामुक ईच्छा थी। दादी की तबीयत उस समय खराब थी। इस लिए उसने वो चूर्ण बनाने का तरीका अपनी पोते के बहु को विरासत मे दिया। और थोड़े ही दिनों में उसका देहांत हो गया।
दादी के देहांत होने की वज़ह से सब रिश्तेदार घर पर ठहरने लगे। जिस से चाचाजी को रात मे चाचीजी से रात मे मिलना नामुमकिन था उस समय चाचाजी को अपने आनंद की बजाय अपने पत्नी को हो रहे दर्द की चिंता थी।
चाचीजी उस समय रिश्तेदार के एक लड़का जो 8-9 साल का था उसे दुध पिलाती। उसकी माता को चाचाजी ने अपनी मुश्किलें बताई तो वो भी राजी हो गई। दूसरे दिन सब चले गए उनको फिर ग्यारहवीं के दिन बुलाया था अब सिर्फ परिवार के लोग बचे थे। कुछ दिन बाद अस्थियां को गंगा मे बहाने के लिए चाचाजी उसका बेटा और कुछ और मर्द लोग गए। वहां उसको तीन से चार दिन लगने वाले थे।
चाचाजी ने अपने दोस्त यानी शालिनी के ससुर से घर मे सब ध्यान रखने और ग्यारहवीं की तैयारी की जिम्मेदारी सौप कर गए। उस समय शालिनी की सास अपने बेटे को लेके अपने मायके गई हुई थी। इस लिए चाचीजी की सास ने उसको खाने पीने को अपने घर पर कहा था।
जब रात को चाचाजी का स्तनों से दुध उतरने की वज़ह से बुरा हाल था। तो उसने अपनी सास को बताया। उसने देखा कि स्तन ठोस हो चुके है,और कई बार दुध निप्पल से रिझ रहा है। आज तो बेटा भी नहीं था और नहीं पति। उस से उसका दर्द देखा नहीं गया। बच्ची भी सो रही है अब करे तो क्या करे? चाचीजी जोर जोर से आह भार रही थी जिस से उसके स्तन ऊपर नीचे हो रहे थे।
सास : (अचानक से...)बहु एक उपाय है पर अगर तू राजी हो।
चाचीजी : कुछ भी करो माँ ! पर मुझसे अब ये नहीं सहा जाता।
सास : मे बिरजू को कहती हू वो तुम्हें इस से राहत दिलाए।
चाचीजी : उसको कैसे पीला सकती हू?
सास : वो एक प्रकार से तुम्हारा देवर है। देवर बड़े बेटे जैसे होता है। और वो भरोसे लायक भी है।
चाचाजी : ठीक है। बुला लीजिए पर मुझे इस दर्द से राहत दिलाए।

(वर्तमान समय...)
शालिनी : (सवालिया और आश्चर्य भाव से )क्या ? चाचीजी ने मेरे ससुर को दुध पिलाया?
चाचाजी : हा पिलाया। थोड़ा मनाना पड़ा था बिरजू को अपनी भाभी को दर्द मे देख के वो मान गया। तुम्हारी चाचीजी ने मुझे बाद मे ये सब बात बतायी थी उसने कुछ नहीं छुपाया। उसने बताया कि बिरजू ने पूर्ण पुत्र भाव से दुध पिया ,उसने उसको नाही गलत तरीके से छुआ, और नाही उसको गलत नजरिए से देखा। चाचीजी ने भी उसे पूर्ण मातृत्व भाव से अपने स्तनों से दुध पिलाया।
शालिनी को ये सुनते ही अपने ससुर पर गर्व हुआ कि एक अधनंगी अपने ही उम्र की स्त्री को उसने सिर्फ और सिर्फ उसके दर्द को कम करने और चाचीजी कि मर्जी से उसके स्तनों का भोग लगाया।
शालिनी : मेरे ससुर बहुत भले इंसान है।
चाचाजी : हा। जब मेरी पत्नी ने मुझे वो घटना बतायी तब मेरे दिल मे उसके लिए इज़्ज़त और बढ़ गई। जब तुम्हारी सास और तुम्हारा पति मायके से जब वापिस लौट रहे थे तो उसका अकस्मात हुआ जिसमें उनकी मृत्यु हो गई पर भगवान के कृपा से तुम्हारा पति बच गया। जिस के बाद मेरी पत्नी ने उसको अपना दुध पिलाकर बड़ा किया।
शालिनी : आप लोग सचमुच मे महान हो आपके लिए मेरे दिल मे सम्मान और बढ़ गया। मे चाचीजी को नमन करती हू।
चाचाजी : उस समय हर कोई ने अपना अपना फर्ज निभाया।
शालिनी : परंतु चाचाजी मेरा जवाब अभी तक नहीं मिला।
चाचाजी : अरे हा वो तो भूल ही गया। पर तुमको थोड़ा अजीब लग सकता है
शालिनी : वो बाद मे सोचेंगे।
चाचाजी : जब मेरी बीवी को ज्यादा दुध उतरता तो मेरी माँ ने उसको धीरे धीरे दुध पिलाना कम करने और राहत के लिए ब्लाउज के बदले मे सिर्फ एक सूती कपड़ा बांधने को कहा जिस से स्तनों पर दबाव ना पड़े और रात को तो बिना कुछ उपर पहने सोने को कहा। जब कोई बाहर का पुरुष आए तो पल्लू लगा ले।
शालिनी को ये सब वाकई अजीब लगा फिर उसे याद आया कि नीचे रह रही औरत ने भी उसको यही बताया था कि वो इसी प्रकार से रहती थीं।
शालिनी : वाकई शहर मे अजीब लगेगा। वैसे देखे तो सहर से ज्यादा गाव मे लोग खुल्ले विचारो के है।
शालिनी रात के खाने की तैयारी मे लाग जाती है और चाचाजी नील के साथ खेलने मे लग जाते है।
रात को खाना खाने के बाद तीनों हॉल मे बैठ जाते है। शालिनी नीरव को कॉल लगाती है और सभी आपस में बातें करते है। शालिनी फिर नीरव से बात करने के लिए रूम मे जाती हैं
शालिनी : नीरव आज क्या हुआ मालूम?
नीरव : क्या हुआ?
शालिनी जो नीरव से कुछ नहीं छुपाती तो उसने आज जो घटना घटित हुई उसको बताया पर उसके और चाचाजी के बीच जो बात हुई वो नहीं बताई
नीरव : अरे बाप रे...थोड़ा ध्यान रखो यार बड़ी असहजता हुई होगी तुम्हें
शालिनी : मेने जानबूझकर नहीं किया,मेरे स्तनों मे कितना दर्द होता है पता है?उस समय बस स्तन से दुध निकालना समझ आ रहा था।
नीरव: लगता है बहुत बड़ी परेसानी है?
शालिनी : हाँ पर चाचाजी ने मुझे असहजता नहीं होने दी मानो वो उस घटना से आगे बढ़ गए हैं।
नीरव : अच्छा है। अगली बार ख्याल रखना।
शालिनी : (मन मे..)अब तो उसको बताकर ही जानेवाली हू।
नीरव : चलो रखता हूं। bye, love you,take care
शालिनी : bye, love you too,take care.
तभी नील भूख से रोने लगता है। शालिनी हॉल मे आती है।
चाचाजी : लगता है भूख लगी है। इसे अंदर जाके खाना खिला दो।
लेकिन शालिनी कुछ और सोचती है।
शालिनी : चाचाजी आप टीवी पर कोई बढ़िया फिल्म लगाओ। आज हम साथ मे फिल्म देखते है।
चाचाजी टीवी चालू करने जाते है तो पीछे से शालिनी नील को गोदी मे लेके उसको पल्लू मे लेके अंदर से अपने ब्लाउज के हूक खोल के उसको ब्रा ऊपर करके अपना एक स्तन उसके मुह मे देती हैं। नील भी भूख की वज़ह से तुरत उसे चूसने लगता है। शालिनी दो उँगलियों से स्तन दबाकर नील की मदद करती है जिस से उसे ज्यादा तकलीफ ना हो दुध निकलने मे।
चाचाजी टीवी चालू कर के पीछे मुड़ते है तो देखते है शालिनी नील को अपना दुध पीला रही है। जिसे देख चाचाजी को अपनी पत्नी की याद आ गयी वो भी एसे ही पिलाती अपने बेटे को।
जब नील एक स्तन खाली कर देता है तब शालिनी ब्रा नीचे कर उसे दूसरे स्तन पर लगा देती है। चाचाजी की नज़रे कभी कभी शालिनी की और चली जाती। शालिनी के लिए भी अब ये पहली बार था कि किसी पुरुष के पास बैठ के उसके बेटे को स्तनपान करा रही हो। जब दोनों की नजर मिल जाती तो वो सिर्फ मुस्कराते।
नील आधा स्तन खाली कर के सो गया शालिनी ने ब्रा नीचे कर ब्लाउज बंध करके मूवी देखने लगी। मूवी खत्म कर के दोनों सोने आते है। शालिनी नील को पालने में सुला के आज वो बाथरूम मे जाके नाइट्स सूट पहनती है और वो आज ब्रा भी नहीं पहनती। वो एसे ही आके बेड पर लेट जाती हैं।
शालिनी : आओ मेरे बच्चे चलो सो जाते है।उससे पहले जाओ तुम भी पाजामे और टीशर्ट पहन लो।
चाचाजी शालिनी का नया अंदाज देख कर खुश हुए। वो जाके हल्के कपड़े पहन कर आते है। फिर वो बिना कहे शालिनी के पैर पर पैर रख के सोते है,इस से खुस होके शालिनी उस के माथे को चुनते हुए GOOD BOY कहती है। और सो जाते है।
क्या शालिनी अपने पहनावे मे बदलाव करेगी ? और क्या क्या उसके जिवन मे बदलाव होगे वो देखते है
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