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Adultery Innocent... (wife)

robinmunna1985

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Update 8
शालिनी हल्के फुल्के कपड़े पहनती है और बेड पर आके लेट जाती है चाचाजी उसके ऊपर पैर रख के सो जाते है..

अब आगे ....

दोनों कुछ ही देर मे गहरी नींद मे सुकून से सो जाते है। पर शहर सुकून से नहीं सोता ,रात मे कहीं पर असामाजिक लोगों ने पेट्रोलिंग कर रहे पुलिस पर हमला कर देते है। जिस से शहर मे फिर से अशांति फैल जाती है,इस से बेख़बर शालिनी और चाचा एक दूसरे से सटकर सोए हुए थे, रात मे जब शालिनी के स्तनों मे दूध का स्त्राव बढ़ जाने से स्तन दुध से भर जाते है जिस से उसके स्तन कठोर हो जाते है और दर्द करने लगते है। जिस से शालिनी की नींद खुल जाती है, वो देखती है चाचाजी का पैर उसके पैर पर और हाथ उसके पेट पर था अब ये हर रात का दृश्य था उसके लिए, जिस से उसके लिए सामन्य हो गया था , वो चाचाजी का हाथ और पैर हटाती है जिस से चाचाजी की भी नींद खुल जाती है।

चाचाजी : क्या हुआ छोटी माँ?
शालिनी : कुछ नहीं। स्तनों मे दुध बढ़ गया है जिस से दर्द हो रहा है इस लिए बाथरूम मे दुध निकाल ने जा रही हू। आप सो जाए।

चाचाजी : ठीक है।
शालिनी जब बाथरूम की ओर जाने लगती है तब पुलिस की गाड़ी के सायरन सुनाई देती है, वो सोचती है कि सायद रोज की तरह पेट्रोलिंग होगी, वो अपने गोल गोल और गोरे गोरे स्तनों को आजाद कर के उसको दबाकर स्तनों से दुध निकालने लगती है पहले तो हल्के से दबाने मे ही दुध की धार निकल आती है और सीधे सिंक मे गिरती है, शालिनी आनंद और पीड़ा के मिश्रित पल मे जी रही थी, जैसे जैसे दुध उसके स्तन से निकला वैसे वैसे उसको राहत होने लगी साथ साथ स्तनों पर उन्हीं के हाथो से लाल उंगलियों के निशान छपने लगे,कुछ देर बाद उसको काफी दर्द होने लगा।
( लेकिन तब क्या होगा? जब उसके स्तन मर्दाना हाथो से मसले जायेगे ,खेर तब कि तब देखेंगे...)
फिर वो अपने दूसरे दुध से भरे स्तन को निचोड़ ने लगी, वो थोड़ी उत्तेजित भी हो रहो थी क्योंकि काफी दिनों से वो अपनी काम अग्नि को दबा रही थी ,आज वो उस काम अग्नि मे जलना चाहती थी, आज वो बेफ़िक्र थी क्योंकि वो चाचाजी को बता के आयी तह इस लिए चाचा उधर नहीं आयेगे, इस लिए तो उसने अपना पूरा शर्ट निकल दिया था ,
दुध निकालते समय....
शालिनी : आह..... नीरव प्लीज वापिस आ जाओ मेरा ये दुध खाली कर दो देखो केसे भरे हुए है तुम्हारा बेटा जितना पिता है उससे ज्यादा इसमे बन जाता है,अब नहीं सहा जाता, तुम आ जाओ वर्ना मे अपना दुध किसी और को पीला दूंगी फिर मुझे मत कहना। आह..निकल जा पूरा। आह....
दर्द के मारे शालिनी की सिसकियाँ निकल रही थी ,पर इस सिसकियाँ मे आनंद भी छुपा हुआ था। शालिनी आखिरी बूंद तक निचोड़ लेती है, इस वज़ह से स्तन पूरे लाल लाल हो गए थे। शालिनी अब थोड़ी नॉर्मल हो रही थी ,जो भावनाओ मे आके जोर जोर से स्तनों को दबाया था उसका दर्द अब होता है अब उनसे स्तनों को छुआ भी नहीं जा रहा था, निप्पल भी एकदम कड़क और तने हुए थे थोड़ी देर वो एसे ही अपने आप को बाथरूम मे लगे शीशे मे देखती है, जब दर्द कम होता है तो वो अपना जो शर्ट था उसे पहन कर बाल सही करके वापिस रूम मे जाती है। शालिनी रूम मे आके देखती है चाचाजी जाग रहे थे।
शालिनी : आप जाग क्यु रहे है? सो जाना चाहिए था आपको।
चाचाजी : तुम तकलीफ मे हो तो मुझे नींद कैसे आ सकती हैं?अब कैसा लग रहा है?कुछ राहत मिली?
शालिनी : कुछ? बहुत राहत मिली, चलो अब सो जाओ आराम से।
चाचाजी शालिनी की ओर करवट लेके उसके पैर पर अपना पैर रखके सोते है।
शालिनी : (मन में...)चाचाजी कितने भले इंसान है, अपनी नींद खराब करके मेरे लिए चिंतित थे, चाचाजी बहुत ही अच्छे व्यक्ती है।
एसा सोचते हुए वो चाचाजी के माथे को ममता वश चूम लेती है। तो चाचाजी आंख खोले उसको देख रहे थे,
शालिनी : मेरा बच्चा ...मुझे तकलीफ मे देख के तुम्हारी नींद उड़ गई,
दोनों शहर के हालात से बेख़बर एकदूसरे की भावनाओं मे भीग के खुशी से सो जाते है। सुबह होती है। चाचाजी पहले जग जाते है,वो देखते हैं उसका हाथ शालिनी के पेट पर उसका पैर उसके पैर पर और उसका चेहरा ठीक शालिनी के स्तनों के पास था और शालिनी का हाथ उसके सिर के ऊपर से उसके गले पर था जैसे कोई माँ अपने बच्चे के साथ सोई हुई हो। चाचाजी की नज़र शालिनी ने जो शर्ट पहना था उसके दो बटन के बीच मे स्तनों का थोड़ा सा अंश दिख रहा था उधर स्थिर हो जाती है, थोड़ी देर बाद वो खड़े होके बेड की ओर देखते है तो क्या नज़रा होता है?
एक जवान खूबसूरत स्त्री, जिसका शरीर मानो दुध की मलाई से बना हो ,लंबे घने काले बाल जो सोने की वज़ह से बिखरे हुए थे ,थोड़ा बिखरा हुआ सिंदूर ,चेहरे को और खूबसूरत बनती उसकी बिंदी,
तभी शालिनी दूसरी ओर करवट लेती है जिस से उसकी पीठ चाचाजी की और हो जाती है। जिस से चाचाजी आज पहली बार शालिनी के पीछे वाले भाग की खूबसूरती के ख्यालो मे डूब जाते है,
करवट लेने से उसका शर्ट थोड़ा ऊपर हो जाता है जिस से उसकी मक्खन जैसी कटीली कमर दिख जाती है। ये देख के कोई भी फिसल जाए। चाचाजी की नजर फिसल कर उसके उभरे हुए नितंबों पर ठहर जाती है। चाचाजी शालिनी को रोज देखते थे पर आज का नज़रा देख के उसके मुह से आह...निकल जाती है।
चाचाजी : (मन में...) कितनी खूबसूरत है?यकीन नहीं आता कि ये बला की खूबसूरत और हसीन औरत मेरे बगल मे सोती है। इसका पति कितना भाग्यशाली है। वैसे मे भी भाग्यशाली हू मे भी इसके साथ उसके बगल मे सोता हू।
अचानक से...
चाचाजी: अरे अरे....ये में क्या सोच रहा हूँ?ये मेरे दोस्त की बहू है ,इसका पति मेरे बेटे जैसा है,और तो और ये मुझे अपना बड़ा बेटा मानकर बगल मे सुलाती है,मे कितना गिर चुका हू। नहीं नहीं ये गलत है।
चाचाजी तुरत वहां से निकल कर व्यायाम करने हॉल मे आ जाते है, जब उसका व्यायाम खत्म होता है ,तभी शालिनी भी अपने बाल को बांधती हुई बाहर आती है,
शालिनी : क्या चाचाजी आज तो बड़ी जल्दी जग गए। चलिए योग करते हैं।
चाचाजी: मेरा तो हो गया, तुम योग करो मे बस थोड़ी देर आराम करके नहाने जाता रहा हू।
शालिनी भी अपने पेट की चर्बी कम करने के योग करने लगती है ,हर रोज व्यायाम से उसके पेट की काफी चर्बी कम हो चुकी थी ,जिस से वो गदराई औरत की तरह दिखती है,चाचाजी भी फटी आँखों से देख रहे थे,शालिनी जब योग खत्म करके आकर सोफ़े पर बैठती है,तभी नील के रोने की आवाज आती है, चाचाजी जाकर नील को ले आते है और उसे चुप कराकर शालिनी को दे देते है
चाचाजी : बेटी तुम इसको संभालो मे नहाने जाता रहा हू।
शालिनी : बेटी? हॉल मे मे आपकी बेटी नहीं हू। आप भूल गए?
चाचाजी : अरे ! मे भूल गया। तुम दोस्त हो।
शालिनी : हा। अभी सही कहा।
चाचाजी नहाने जाते है और शालिनी नील को हल्की धूप मे रख के टीवी ऑन करती है ,और समाचारों को देखने लगती है। तभी शहर मे कल रात को जो हुआ वो सब दिखा जाता है और 10 दिन कर्फ्यू बढ़ा दी जाती है। ये सुन के शालिनी का गुस्सा बढ़ जाता है और रिमोट को फेंक देती है और टीवी बंध कर के गुस्से से बैठ जाती है।
बैठे बैठे उसकी नजर अपने स्तनों पर जाति है,
शालिनी : (मन में...)अब इसका क्या करूँ?शहर वालों को भी शांति नहीं है, क्या मिलता है ये सब करके?सोचा था कर्फ्यू खत्म हो जाएगी और पम्प ले आएँगी,फिर आराम से रहूंगी। पर नहीं ! शांति से नहीं रहने देंगे
थोड़ी देर मे चाचाजी नहाकर आते है। शालिनी को चुप बैठ देख कर पूछने लगते है
चाचाजी : क्या हुआ दोस्त? चुपचाप क्यों बैठे हो? टीवी लगाओ देखे तो सही क्या हो रहा है?
शालिनी : नहीं देखना टीवी। कोई फायदा नहीं देखने से।
चाचाजी : ठीक है। नहीं देखते। (वो नील के पास जाकर उससे दुलार देने लगते है जिससे नील हसने लगता है। उसके हसने की आवाज से शालिनी उन दोनों की तरफ देखती है
शालिनी (मन में...) इस सब मे चाचाजी का क्या कसूर?मेने बेवजह उससे गलत तरीके से बात की। वो मेरे से नाराज होने के बजाय मेरे बेटे को खुस कर रहे है कितने भले इंसान है? मुझे एसे बात नहीं करनी चाहिए।
शालिनी : चाचाजी...नील को लेकर इधर आइए
चाचाजी नील को लेकर आते है
चाचाजी : हाँ बोलो
शालिनी : मुझे माफ़ कर दीजिए। मेने आपसे गलत तरीके से बात की।
चाचाजी : वो सब ठीक है पर तुमने इस तरह बात की है तो कोई वज़ह होगी
शालिनी : वज़ह है। आप नहाने गए तब टीवी मे न्यूज आयी कि कल रात को बदमाश ने पुलिस पर हमला किया औऱ भाग गए। जिस से कर्फ्यू 10 दिन बढ़ा दी।
आप तो मेरी हालत जानते हैं।
चाचाजी : ये गलत हुआ ये लोग को भी कुछ और काम नहीं है?जो ये बदमाशियां करते फिरते हैं?उन लोगों की वज़ह से आम आदमी को कितना तकलीफ होती है।
शालिनी : सही कहा आपने ,मेने तो सोचा था कि जैसे ही कर्फ्यू खत्म होगी तुरत पम्प ले आऊंगी और इस दर्द से छुटकारा मिलेगा।
चाचाजी : दिल छोटा ना करो। अभी जाओ नहा लो बाकी सब बाद मे देखेंगे।
शालिनी उदास होती हुई नहाने जाती है। आज वो नीली साड़ी और सफेद ब्लाउज पहनती है। नहाकर आने के बाद वो रसोईघर जाके नाश्ता बनती है। दोनों नाश्ता करते है। बाद मे शालिनी नील को कमरे मे ले जाकर स्तनपान कराने लगती है। नील जब अपनी माँ का मीठा दुध पीकर तृप्त हो जाता है तो वो स्तन से अपना मुह छुड़ा लेता है।
अगर कोई वयस्क होता तो वो उस स्तन को कभी नहीं छोड़ता। छोड़े भी क्यु? गोरे-गोरे गोल-गोल जिस पर हल्के गुलाबी रंग की निप्पल जिस से दुध की नदी बहती है।

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वैसे तो पहाड़ी के तलहटी से पानी कीं नदी निकलती हैं पर यहा दोनों बर्फ के पहाड़ों से सफेद स्तनों के टूक के से दुध की नदी बहती है।
जब नील को स्तनपान कराकर शालिनी बाहर आती है वो नील को चाचाजी को सौप के घर के काम करती है। काम खत्म कर के वो चाचाजी और नील के पास आके बैठ जाती है। थोड़ी देर नील से खेल कर वो चाचाजी से गाने लगाने को कहती है। फिर वो नील को ले जाकर सुला देती है और वो वाली साड़ी पहन कर आती है

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जब वो आती है तब तक चाचा गाना ढूंढ लेते है ,आज के गाने मे आइटम सोंग था जिस पे शालिनी ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया

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जिस मे चाचाजी को शालिनी को एक दो बार छुना प़डा फिर थककर जब शालिनी सोफ़े पर बैठती है तभी दरवाजे की घंटी बजती है।
घंटी की आवाज सुनकर दोनो हैरान हो जाते है इस कर्फ्यू के समय कौन आया होगा। शालिनी दरवाजे के सेफ्टी हॉल से देखती है तो पड़ोस वाली चाची थी। शालिनी पसीना पोछते हुए दरवाजा खोलती है।
शालिनी : अरे चाची आप?आइए आइए, आज आप आ गई हमारे घर ,स्वागत है।
चाची : कुछ नई आज की खबर देखी?
शालिनी : हाँ कर्फ्यू 10 दिन बढ़ गया।
चाची : इस लिए इस बिल्डिंग की सभी औरतों ने हर रोज बारी बारी सब के घर किटी पार्टी करने का सोचा है, तुम नई हो इस लिए तुमको कोई जानता नहीं इस लिए मे तुमको बताने आयी हू, किटी पार्टी से सब महिला एक दूसरे से मिलेगी और अपने लिए समय निकाल सके और थोड़ा फ्रेश हो सके इस लिए ये सोचा है।
शालिनी : बढ़िया है। रोज घर मे बंध रहकर बोर हो गए है। मे आऊंगी, आप कब और किसके घर पे आना है वो बता दीजिए।
चाची उसे दोपहर के समय उस बिल्डिंग के सेक्रेटरी के घर कहती है। फिर वो शालिनी और चाचाजी को नमस्ते कर के चली जाती है।
शालिनी थोड़ी देर बाद खाना बनाने चली जाती है तभी नील जग जाता है, चाचाजी उसे संभालते हैं,फिर खाना खाने के बाद तीनों कमरे मे आते है,शालिनी नील को चाचाजी की और पीठ करके नील को स्तनपान करवाती है, चाचाजी बेड पर लेटे हुए नील के द्वारा हो रही चपचप की आवाज सुन रहे है,थोड़ी देर बाद शालिनी स्तनपान करवाकर अपने ब्लाउज के बटन बंध करती है, शालिनी को नहीं पता था कि चाचाजी उसे ही देख रहे थे,
शालिनी : चाचाजी..ओह सॉरी बेटा मे किटी पार्टी मे जा रही हू अपने छोटे भाई का ख्याल रखना।
चाचाजी : जी छोटी माँ
शालिनी किटी पार्टी में जाती है वहा सब से मिलती है और एक दूसरे से परिचित होती है, सब साथ मिलकर आनंद करते है,शालिनी जब दो घंटे बाद वापिस आती है तब देखती है चाचाजी रूम मे बेड पर बैठे हुए थे।
शालिनी : क्या हुआ ? आज जल्दी जग गए।
चाचीजी : आज नींद नहीं आयी।
शालिनी : एसा क्यु?नील की चिंता मे?
चाचाजी : वो भी एक वज़ह थी ,पर मेने जब सोने की कोशिश की थी पर...
शालिनी : पर क्या ?
चाचाजी : तुम्हें अजीब लगेगा ,कैसे कहूँ?
शालिनी : क्या तकलीफ है मेरे बच्चे को? अपनी छोटी माँ को नहीं बतायेगा?
चाचाजी : वो अब शायद आदत हो गई है तुम्हारे पर पैर रख कर सोने की ,उसके बगैर नींद नहीं आयी। पर कोई बात नहीं थोड़े दिन मे ठीक हो जाएगा।
शालिनी : क्या ठीक हो जाएगा ? ये बीमारी थोड़ी है,एसा है तो मे तुम को सुला के जाऊँगी, ठीक है?
चाचाजी : मेरी वज़ह से तुम्हें तकलीफ होगी
शालिनी : तकलीफ कैसी ? आपकी नींद महत्तवपूर्ण है, मे कुछ नहीं सुनने वाली, मे आपको सुला के जाऊँगी।
दूसरे दिन सुबह रोज की तरह बीतती है दोपहर को जब खाना खाने के बाद... शालिनी : चलिए आपको सुला देती हू फिर मुझे जाना है, आजा मेरे बच्चे चलो फटाफट सो जाओ
चाचाजी शालिनी के पैर के ऊपर पैर रख देते है शालिनी उसके सिर पर वात्सल्य से हाथ फिराती है चाचाजी थोड़ी देर मे सो जाते है परंतु शालिनी को देर हो जाती है वो फिर जल्दी से तैयार होके पार्टी मे जाती हैं
पार्टी मे पहुचते ही...
चाची : आज देर करदी आने मे
शालिनी : हाँ बेटे को सुलाने मे देर हो गई
( कौन से बेटे को वो नहीं बताया)
दो दिन रोज की तरह ही बीत जाते हैं, उस दौरान शालिनी को पता चलता है कि पड़ोस वाली चाची काफी जिंदादिल और खुले विचारों वाली थी, कभी कभी वो डबल मीनिंग बाते कर देती ,तीसरे दिन निचले वाले फ्लैट मे पार्टी थी तो जल्दी जल्दी मे शालिनी उधर पहुच जाती है रोज की तरह आज भी देर से पहुची, सब हँस कर एक दूसरे से घुल मिल रहे थे कभी कभी चाची किसको भी उसके निजी बाते पूछ लेती तो कोई फ्रेंडली होके बता देता शालिनी को मन मे काफी शर्म आती वो डरती भी थी क्युकी किसी दिन चाची ने उसे एसा कुछ पूछा तो वो क्या करेगी। पार्टी खत्म होने पर कल चाची के घर पार्टी रखने का फैसला करते हैं, बाद मे चाची और शालिनी दोनों सीढियों से अपने घर जाती है,रास्ते मे चाची शालिनी को अपने घर थोड़ी देर आने को कहती है,क्युकी उसके पति 1 घंटे बाद जागेंगे तो वो क्या करेगी ,शालिनी भी सोचती है चाचा को भी जागने मे देर है तो घर जाके बोर होने से अच्छा थोड़ी देर साथ मे बात करते है,
दोनों घर आते है चाची उसको पानी पिलाती है, फिर थोड़ी देर दोनों इधर उधर की बात करते हैं
चाची : बेटा एक बात पूछूं?
शालिनी : हाँ हाँ चाची पूछिये। ( शालिनी को मन मे डर भी था कि चाची कोई एसी-वैसी बात ना पूछ ले)
चाची : तुम्हारे और चाचाजी के बीच कैसा रिश्ता है?
शालिनी : कैसा मतलब?
चाची : वो मे उस दिन तुम्हें बुलाने आयी तब तुमने वो पार्टी वाली सेक्सी साड़ी पहनी थी। और तुम पसीने से भीगी हुई भी थी कहीं तुम्हारे और चाचा के बीच...
शालिनी : चाची आप ये क्या बोल रही हो? आप कुछ सोच समझकर बोलिए
चाची : अरे कोई भी एसा देखेगा तो यही सोचेगा, मे तुमको गलत नहीं कह रही,जितना मे तुमको जाती हू तुम एसी नहीं लगती। कोई वजह होगी
शालिनी : वज़ह है ,शालिनी उसको सब बताती है कि चाचाजी का अकस्मात हुआ फिर नीरव चला गया उसमे भी ये कर्फ्यू लगा दोनों बोर हो रहे थे चाचा ने नीरव और उसके परिवार की काफी मदद भी की थी ,उसको बातों बातों मे पता चला चाचाजी को अभिनय मे रुचि है उसके राजी रखने के लिए और अभिनय को असली रखने के लिए गाने की अभिनेत्री जैसा कपड़े पहनकर डांस करती हू
चाची : हाँ तो एसा डांस क्यु करती हो
शालिनी : वो मे प्रेग्नेंसी के बाद मेरे पेट की चर्बी बढ़ गई थी तो जीम ट्रेनर ने मुझे बेली डांस करने को कहा था और कॉलेज के बाद मेने ये सब छूट गया था तो वो जिंदगी फिर जीने को चालू की, चाचाजी के सामने बेली डांस नहीं कर सकती इस लिए आइटम सोंग जैसे गानों पे डांस करती हू।
चाची : (मज़ाक में) मुझे तो उस दिन तुम सेक्सी साड़ी मे पसीने से भीगी हुई आयी तो मुझे लगा कि बात आगे बढ़ गई
शालिनी : क्या आप भी ! आपको पता है चाचाजी कितने अच्छे है नील को वो मेरे से भी ज्यादा ख्याल रखते है और चाचा और बहू के रिश्तों की वज़ह से हम काफी कम बात करते थे तो चाचाजी ने घर के अलग अलग जगह अलग रिश्ता बनाया जिस से मुझे उससे बात करने मे संकोच ना हो।
चाची : मे समझी नहीं।
शालिनी : हॉल मे वो मेरे दोस्त है ,किचन में उसकी बहु, मेरे कमरे मे उसकी छोटी माँ,
चाची : क्या छोटी माँ?
शालिनी : हाँ एक दिन वो मेरे कमरे मे अपने परिवार के बारे मे सोच कर काफी भावुक हो गए थे तो मेने उसको सम्भाला तभी से वो उस कमरे मे मुझे छोटी माँ बुलाते है और मे उसे बड़ा बेटा।
चाची : काफी दिलचस्प है।
शालिनी : ये बात आप किसीको मत बताना।
चाची : ये बात मेरे तक सीमित रहेगी।
शालिनी चाची को पूरा सच बताने से डर रहीं थीं कि चाचाजी उसके साथ कभी कभी डांस करते है उसके साथ उसके ऊपर पैर रखकर सोते है ,रोज उसको सुलाने मे ही उसको पार्टी मे आने मे देर होती है अगर ये बताती तो चाची क्या क्या सोचती।
थोड़ी देर इधर-उधर की बात करके चाची उसको पूछती है कि..
चाची : वो तुम्हें दूध ज्यादा उतर रहा था वो अब ठीक हो गया ?
शालिनी : नहीं ,वो पम्प लायी वो बिगाड़ गया अब रोज दबाकर निकालना पड़ता है, जिसमें बहुत दर्द होता है कर्फ्यू की वज़ह से दुकान बंध है, अब तो दूध बढ़ गया है।
चाची : हाँ वो तो जितना निकलेगा उतना बनेगा।
शालिनी : नील की वज़ह से बंध भी नहीं कर सकती नील भी अब दूसरी खुराक खाने लगा है तो दूध कम पिता है, पता नहीं क्या करू अब?
चाची : बच्चे को सिर्फ दूध पिलाना काफी नहीं साथ दूसरी चीज़ भी देखनी पड़ती है।
शालिनी : क्या देखना पड़ता है?
चाची : बच्चे को दुध पिलाते समय तुम्हारा मन प्रसन्न होना चाहिए, बच्चे को सुरक्षित महसूस कराके पूरे मातृत्व भाव से दुध पिलाना चाहिए, जिस से दुध की गुणवत्ता मे सुधार आता है और ज्यादा पौष्टिक होता है,
तुम्हें एतराज ना हो को क्या तुम मुझे अभी तुम्हारा दूध थोड़ा निकाल कर दिखा सकती हो?
शालिनी : जी दिखा सकती हू पर आपके पति....
चाची : उसकी चिंता ना करो, उसके जागने मे देर है।
शालिनी धीरे से पल्लू हटा के ब्लाउज खोल के अपने गोल सुडोल और दुध से भरे स्तन को बाहर निकालती है ,शालिनी के स्तन को देख के चाची के मुह से " वाह " निकल जाती है,चाची अपने आप को रोक नहीं पाती तो वो धीरे से शालिनी के कडक हो गए निप्पल पे उंगली घुमा के उसके स्तन को दबा देती है जिस से शालिनी के स्तन से दुध की धार निकलती हैं साथ मे शालिनी की "आह "भी, दुध की धार निकलने के बाद एक बूंद अपने आप बाहर आ जाती है जिसे चाची अपने उंगली पर ले लेती है थोड़ी देर उंगली के ऊपर रही दूध के बूंद को देख के बाद मे एक हाथ से शालिनी के स्तन को दबाकर दूसरे हाथ की हथेली मे दूध निकलकर पी जाती है शालिनी ये सब देख कर हैरान हो जाती है।
चाची : अब ढक दो,बेटा तुम्हारा दूध बहुत बढ़िया गाढ़ा और मीठा है बस अपने बेटे को पिलाती रहो।
शालिनी अपने ब्लाउज और साड़ी को सही कर लेती है
शालिनी : अब मुझे जाना चाहिए
चाची : ( आंख मारते हुए..) हाँ ,तुम्हारे दोनो बेटों का जागने का समय हो गया। कल थोड़ी जल्दी आना कल तुम्हारी मदद लगेगी। वैसे तुमको किस बेटे को सुलाने मे देर होती है?बड़े या छोटे?
शालिनी शर्माते हुए नीचे देखने लगती है जिस से चाची को शंका हो जाती है।
शालिनी : अच्छा चलती हू कल मिलते है।
चाची : एक बात कहु ?
शालिनी : हाँ कहिए।
चाची : नहीं रहने दो कल बताऊंगी।
शालिनी घर जाती है। देखती है दोनों सो रहे थे शालिनी हॉल मे आके मोबाइल मे reels देखती है थोड़ी देर मे नील रोने लगता है जिस से चाचाजी की नींद खुल जाती है और शालिनी कमरे मे आती है। नील चाचाजी के हाथो मे था।
चाचाजी : लगता है भूख लगी है। इसको खाना खिला दो। मे भी हाथ मुह धोकर आता हू।
शालिनी नील को लेकर बेड पर बैठ जाती है और नील को गोद मे सुलाकर ब्लाउज खोलने लगती है। चाचाजी कमरे। से बाहर जाते है ,हाथ मुह धोकर कमरे मे जाने के बजाय हॉल मे आकर बैठ जाते है क्युकी कमरे मे जाना उसको उचित नहीं लगा। 20 मिनिट बाद शालिनी जब नील को स्तनपान कराकर बाहर आती है।
शालिनी :(नील को देते हुए) लीजिए इसको सम्भाले। और आप इधर क्यु बैठ गए कमरे मे क्यु नहीं आए?
चाचाजी : बस एसे ही।
शालिनी : कहीं आप शर्मा तो नहीं रहे थे ?क्युकी मे नील को स्तनपान करा रही थी।
चाचाजी : नहीं तो ,कितनी ही बार जब तुम मुन्ने को दुध पिलाती तब मे उधर ही होता हू।
शालिनी : तो ठीक है। मुझे लगा आप पहले की तरह शर्माने लगे हो।
चाचाजी : नहीं नहीं मुझे फिर से डांट नहीं खानी।
शालिनी चाचाजी को आज पार्टी के बारे मे थोड़ा बताती है ,फिर वो उसे कल जल्दी जाना पड़ेगा वो भी बताती है, फिर दोनों नील के साथ खेलते है, तभी नीरव का कॉल आता है और बातचीत भी करते है ,जब शालिनी कमरे मे अकेले जाकर बात करने आती है तब नीरव शालिनी को अपने कुछ अच्छे और sexy फोटो भेजने को कहता है क्युकी उनको शालिनी की याद सताती है, तो शालिनी के फोटो से काम चला लेगा।
थोड़ी देर बाद जब बात खत्म होती है तब शालिनी बाहर आती है तब उसने नॉर्मल वाली साड़ी पहनी थी तो वो चाचाजी को उसके कुछ फोटो खींचने को कहती है।
शालिनी : चाचाजी मेरे कुछ फोटो खींच दीजिए।
चाचाजी : क्यु क्या हुआ ?
शालिनी : (शर्माते हुए)वो नीरव ने बोला है इस लिए।
चाचाजी : अच्छा जी पत्नी की याद सताती है, सताये भी क्यु ना ? इतनी सुन्दर और सुशील पत्नी से भला कौन ज्यादा दिन दूर रह सकता है?
शालिनी : क्या आप भी ,
चाचाजी : सही कह रहा हूं, मैं होता तो जाता ही नहीं, अभी मुझे इतने ही दिन हुए है यहा आए हुए, पर जब मैं सोचता हू की जब मुझे गाव जाना पड़ेगा तब तुम्हारे और मुन्ने के बिना अकेले कैसे रह पाउंगा?
शालिनी : किसने कहा आप अकेले रहेगे? आप अब हमारे परिवार का हिस्सा है,और आप कहीं नहीं जायेगे
चाचाजी कुछ फोटो खींच देते है।

1000006749 1000006759 1000006747 1000006782 1000006654 1000006785 1000004586 1000006756 1000004502 1000000540
फिर शालिनी खाना बनाने जाती हैं खाना बनाने के बाद वो पहले नील को स्तनपान कराने लगती है तब तक चाचाजी खाना खा लेते है फिर चाचाजी नील को संभालते है तब शालिनी खाना खा लेती है फिर वो सब काम निपटा कर हॉल मे आती है फिर वो कमरे मे जाती हैं और सेक्सी साड़ी पहनी है और आइने के सामने खड़ी रहकर फोटो खींचती है,और कुछ सेल्फी लेती है पर आईने मे थोड़ी धुंधली सी फोटो आती हैं।
शालिनी (मन मे ..)क्या चाचाजी को बोलू की मेरी फोटो खींच दे ? पर इन कपड़ों मे कैसा लगेगा ? क्या सोचेंगे ? सुबह को तो जब डांस करती हू तब ऐसे ही साड़ी मे होती हू, वो अच्छे इंसान है वो कुछ नहीं कहेगे, उनको ही बोलती हू
शालिनी वही साड़ी पहनकर बाहर आती है जिसे देख चाचाजी हैरान रह गए,
चाचाजी : क्या अभी नाचना है?
शालिनी : नहीं नहीं वो ....वो आप मेरी कुछ फोटो खींच देगे वो नीरव को भेजनी है ,
चाचाजी शालिनी की फोटो खींच देते है जिस मे शालिनी की पीठ कमर और स्तन के बीच की दरार खुल के दिख रहे थे,शालिनी भी अलग अलग पोज मे फोटो खिंचवाते है

Laalten-ki-roshni-me-shalini 20221101-200111 1672689789053 Untitled17-20221230200502 Snapinsta-app-358177616-683878500419763-5384020846211122593-n-1080 F04-UTf1a-EAIUSFd Fp-V11x-KWIAAc-LB7 7-mistakes-to-avoid-when-wearing-a-saree ce4b1d158759765-63916f22868fe-2 Payal-Rajput
फिर शालिनी कमरे में जाकर दूसरे लहंगा चोली पहनती है उसमे कुछ फोटो खींचती है फिर वो कमरे मे जाकर उसके स्तन के उभार और दरार देखे इस तरह से कुछ सेल्फ लेती है ,फिर वो नॉर्मल साड़ी पहन लेती है उसमे भी चाचा उसके कुछ फोटो खींच देते है ,फिर शालिनी चुनिंदा फोटो भेज देती है, नीरव भी फोटो देखकर खुश होता है ,फिर वो शालिनी मेसेज करते है कि यह फोटो खींची कैसे ?
शालिनी उसे बताती है कि चाचाजी ने खींच दी,
नीरव : (मेसेज से..)फोटो तो अच्छी है पर तुम्हें शर्म तो आयी होगीं, मेरे लिए तुम्हें ये करना पड़ा
शालिनी : (मेसेज से...)हाँ पर चाचाजी अच्छे इंसान है इस लिए मेने खिचाई
(मन में...)रोज एसे कपड़ों मे नाचती हू इसके सामने
दोनों थोड़ी देर बात करके अपने अपने काम मे लगे शालिनी हॉल मे आके बैठती है
चाचाजी : फोटो कैसे लगे?
शालिनी : अच्छे हैं, नीरव को भी अच्छे लगे ,क्या आप रोज मेरे फोटो खींच देगे ? नीरव खुश हो जाएगा
चाचाजी : हाँ क्यु नहीं
तीनों कमरे मे आते है शालिनी बाथरूम मे जाके अपना नाइट्ड्रैस पहनती है ,चाचाजी भी बनियान और पाजामे मे लेटे हुए थे शालिनी नील को पालने मे सुला के चाचाजी की बगल मे आके सो जाती है ,चाचाजी अपना पैर को शालिनी के पैर पर रख के सो जाते है,
रात के दो बजे नील की नींद खुल जाती है वो भूख से रोने लगता है पहले चाचाजी उसे चुप कराने का प्रयत्न करते है पर वो चुप नहीं होता
चाचाजी : बेटा इसको दुध पीला दो
शालिनी : लाइये दीजिए
शालिनी को भी नींद आ रही थी तो वो लेटे लेटे चाचाजी की और पीठ करके अपने टॉप के बटन खोल के उसको दुध पिलाने लगती है और दूसरी और चाचाजी उसके ऊपर पैर रख के सो जाते है शालिनी दोनों के बीच मे समान रूप दे अपना प्यार बांटती है दुध पिलाते पिलाते दोनों माँ बेटे सो जाते है सुबह को जब चाचाजी की नींद खुलती है तो उसका मुह और आंखे खुले के खुले रह जाते हैं, क्युकी नजारा ही एसा था
चाचाजी देखते है शालिनी के शर्ट के बटन खुले हुए थे जिस मे से उसके गोरे गोरे गोल गोल दुध से भरे जिस पे गुलाबी निप्पल मानो सोने पे सुहागा थी उसके स्तन के बीच मे कुछ रात को गिरी हुई दुध की बूंद थी। ये पहली बार था जब चाचाजी ने शालिनी के स्तनों को देखा था उसको यकीन नहीं आ रहा था कि शालिनी के स्तनों को नंगा देखने को मिल रहे है ,जैसे किसी काव्य मे नायिका के स्तनों का वर्णन होता है उसी प्रकार के ये स्तन थे ,गोरे और गोल और ऊँचे तने हुए,मानो आमंत्रित कर रहे है आइए और मेरा पान कीजिए सुबह का समय था इस लिए निप्पल भी कड़क अनार के दाने जैसा लग रहे थे वो बस बिना पलकें झपकाए इस मनोहर दृश्य को देख रहे थे ,उनको खुद पे विश्वास नहीं हो रहा था, इस समय उसे नील की ईर्ष्या हुई,
चाचाजी : (मन में)...मुन्ना कितना भाग्यशाली है जो उनको ये मनोहर स्तनों को छूने और पीने का अवसर मिलता है, ब्लाउज मे अंदाजा तो था कि खूबसूरत स्तनों की जोड़ी है पर असलीयत मे तो कल्पना से भी ज्यादा खूबसूरत है, देखो तो सही कैसे उभरे हुए और भरे पूरे है, इसे देख के स्वर्ग की अप्सरा भी शर्मा जाए, देखो तो सही कैसे सट्टे हुए और गोलाकार है, लगता है ये हथेली मे भी समा सकते, गुलाबी निप्पल वाले स्तनों का दर्शन करके धन्य हो गया क्या और कितनी तारीफ करू ?तभी चाचाजी देखते है कि पाजामे मे उसका लिंग कड़क होता जा रहा था उसे देख के वो तुरत होश मे आते है और घबराहट के मारे बाथरूम मे चले जाते है वहां जाके उसे पश्चाताप होने लगता है कि मे क्या क्या सोच रहा था,
इस और शालिनी की नींद खुलती है देखती है कि उसके स्तन खुले पड़े है वो तुरत बेड पे बैठ जाती है और बटन बंध करने लगती है वो देखती है नील सुकून से सो रहा है और दूसरी और देखती है चाचाजी बेड पर नहीं है ,घड़ी मे देखती है 6:00 बजे है ,
शालिनी : (मन मे..) लगता है चाचाजी बाथरूम गए लगते है तो इसका मतलब उसने मुझे उस अवस्था में देख लिया? मे इतनी लापरवाह कैसे हो सकती हू, वो क्या सोच रहे होगे, उसने मेरे नग्न स्तनों को देख लिया होगा ,कैसे उसको समजा पाऊँगी की कल किस वज़ह से मे एसे सो गई थी, लेकिन एक बात है चाचाजी यहा नहीं है मतलब वो अनदेखा करके गए है वर्ना कोई नग्न स्तनों को इतना करीब देख के कोई ना कोई हरकत करते, नीरव भी स्तनों को नहीं छोड़ते, चाचाजी भले इंसान है ,दूसरा कोई होता तो क्या होता?
शालिनी नहीं जानता थी कि चाचाजी उसके स्तनों की सुंदरता का पूरा दर्शन करके गए है एक तरह से दृष्टि मैथुन करके गए है, इस सब से अनजान शालिनी अपने स्तनों को ढक देती है ,उस को अब थोड़ी शर्म आने लगी थी ,चाचाजी के सामने कैसे जाऊँगी ?मुझे थोड़ा सावधान रहना चाहिए, जिस से दोबारा एसा कुछ ना हो,
शालिनी योग वाले कपड़े पहनती है जो उसके शरीर से पूरे चिपके हुए थे,शालिनी ने उस ड्रेस मे अब ब्रा नहीं पहनती क्युकी उसको बहुत फिट होती थी जिस से उसे दर्द होता था,हालाकि वो टॉप का कपड़ा गाढ़ा था जिस से ब्रा नहीं पहनी फिर भी दिक्कत होती है,
वो बाहर आती है पर वो चाचाजी से नजरे नहीं मिलाती, वो बस चुपचाप योग करने लगती है ,चाचाजी भी कभी कभी शालिनी को देख लेते फिर बाद वो नहाने चले जाते है ,चाचाजी जब तैयार होके आते है तब शालिनी नील को हॉल मे ले आयी थी,

शालिनी :(शर्माते हुए ..नजर नीचे करके) आप जरा नील को सम्भाले मे नहाकर आती हू।
चाचाजी : ठीक है।
शालिनी के मन मे आज सुबह की घटना का ही चिंतन चल रहा होता है ,वो तुरंत वहां से निकलकर कमरे मे आके कपड़े उठाकर बाथरूम मे चली जाती है जब वो नहा लेती है तो देखती है उसका तौलिया नहीं है वो कमरे मे भूल के आयी है,

शालिनी : (मन में)अरे यार क्या किया मेने ! जल्दी जल्दी मे तौलिया ही भूल गई अब क्या करूँ?चाचाजी से माँगना पडेगा अब,शालिनी ये क्या कर रही हो ?सुबह ही वो सब हुआ जो नहीं होना चाहिये,और अब ये, चाचाजी कहीं गलत ना सोचे मेरे बारे मे,क्या करू?कोई रास्ता भी नहीं।
शालिनी : चाचाजी ...ओ चाचाजी ...
चाचाजी : हाँ बोलो ,क्या हुआ ? कोई तकलीफ है, तुम ठीक तो हो?
शालिनी : हाँ मे ठीक हू ,वो क्या है ना मे जल्दी मे अपना तौलिया भूल गई हू कमरे मे तो वो ला दीजिए न..
चाचाजी तौलिया लाकर दरवाजा खटखटाते है, अंदर से शालिनी जो की एक पेन्टी पहन कर खड़ी थी वो एक हाथ दरवाजे से निकाल कर फटाफट तौलिया लेके दरवाजा बंद कर देती है ,वो थोड़ी देर बाद तैयार होके आती है, वो तुरत किचन मे जाके नास्ता बनाती है ,नास्ता बनाकर वो चाचाजी को बुलाती है चाचाजी नील को हल्की धूप मे रख के आते है वो दोनों चुप-चाप नास्ता करते है ,फिर शालिनी नील को लेके कमरे मे जाती है ,और उसको स्तनपान कराने लगती है। वापिस आके वो चुपचाप काम करने लगती है चाचाजी नील के साथ खेल रहे थे ,शालिनी काम खत्म करके हॉल मे आती है, शालिनी देखती है चाचाजी गुमसुम है ,वो जानती थी कि उसकी वज़ह क्या है,फिर भी वो चाचाजी को सहज महसूस करवाना चाहती थी, उसकी वज़ह से चाचाजी का मूड एसा हुआ है तो ठीक भी वहीं करेगी
शालिनी : क्या हुआ चाचाजी? सुबह से देख रही हूँ आप गुमसुम हो गए है।
चाचाजी : नहीं नहीं कुछ नहीं ,बस एसे ही।
शालिनी : मुझे पता है आप क्यु गुमसुम है इसकी वज़ह भी मे ही हू, मुझे माफ़ कर दीजिए
चाचाजी : तुमने एसा क्या किया जो माफ़ी माग रही हो ? ब्लकि तुम मुझे माफ़ कर दो
शालिनी : (मन मे ...)चाचाजी ने कुछ नहीं किया सुबह जो हुआ उसमे मेरी गलती है, फिर भी चाचाजी माफी माग रहे है,
शालिनी : नहीं चाचाजी आपने कुछ नहीं किया ,
चाचाजी : तो फिर तुम तुम क्यों माफी मांग रही हो ?
शालिनी : वो ...वो ..सुबह जो हुआ उस वज़ह से।
चाचाजी : अरे उस बात को लेके माफी मत मांगों, मे तो भूल भी गया वो ,(हकीकत मे तो चाचाजी के मन मस्तिष्क मे वहीं दृश्य और विचार थे ,लेकिन शालिनी असहज ना हो इस लिए वो झूठ बोलते हैं)और एसा हो जाता है कभी कभी तुम्हारी चाची का भी होता था ,कोई बड़ी बात नहीं,मेने तुम्हें बताया था ना कि बहु कई बार ससुर या बड़े बुजुर्ग के सामने ही बच्चे को स्तनपान करती है, और वैसे भी उस कमरे मे तो मे आपका बड़ा बेटा हू।
शालिनी : वो कल रात नील जग गया था फिर उसे दुध पिलाते पिलाते कब नींद आ गई पता नहीं चला, उस वज़ह से ये सब हुआ ,आगे से ध्यान रखूंगी।
चाचाजी : मेने तुमसे सफाई नहीं मांगी, जो हुआ उसे भूल जाओ
शालिनी : ठीक है कोशिश करूंगी।
शालिनी : (मन मे ...) कैसे भूल सकती हू, नील तो अक्सर एसे स्तनपान करेगा तो फिर किसी दिन एसा होगा तो क्या करूंगी, इसका कोई हल ढूंढना पड़ेगा, क्या करूँ..क्या करूँ?...एक हो सकता है जैसे चाचाजी मेरे पर पैर रख के सो रहे है वो जेसे सामन्य हो गया हमारे लिए वैसे मेरा चाचाजी के सामने स्तनपान कराना समान्य हो जाए तो बात बन सकती हैं।
चाचाजी : फिर से किन ख़यालों मे खो गई?
शालिनी : कुछ नहीं ,आप गाने लगाये मे अभी आई।
शालिनी कमरे मे जाती है और एक पारदर्शी साड़ी और गहरे गले वाला ब्लाउज पहनती है, उसने एसा ब्लाउज जानबूझकर पहना था,ताकि चाचाजी उसके स्तन के लेके सहज हो जाए और उसके स्तन देखना चाचाजी के लिए आम बात बन जाए जिस से उसे आत्मग्लानि ना हो दुबारा।
जैसे ही शालिनी बाहर आती है तो चाचाजी उसको देखते रह जाते है,एक पारदर्शी साड़ी और गहरे गले का ब्लाउज, जिसमें से उसके तने हुए स्तन दिख रहे थे,साड़ी पारदर्शी थी तो उसका पल्लू के आर पार दिख रहा था माथे पर मांग भरी हुई थी ,और छोटी बिंदी उसके पूर्णिमा के चंद्र जैसे चेहरे की शोभा और बढ़ा रहे थे कानो मे झूमके,होंठ पे हल्की लिपस्टिक, पतली चिकनी गर्दन जिसमें शालिनी ने अपने शादीशुदा होने की निशानी मंगलसूत्र पहना था ,जो उसके स्तनों पर टिका हुआ था ,हाथों मे पहनी हुई चूडिय़ां, चिकनी कमर मे आज उसने कमरबंद बाँध रखा था जिस से उसकी कमर और ज्यादा कामुक लग रह थी ,उसके पेट के बीच गोल गहरी नाभि ,मानो कामुकता का कुआ हो, जो भी देखे वो उसमे गिरना चाहे, नाभि से 2 इंच नीचे बंधी हुई उसकी साड़ी, नीचे पैरों मे बंधी पायल जो उसके चलने से छम-छम की आवाज करती है,
चाचाजी बस उसे देखे ही जा रहे थे ,आज वो नील से ज्यादा नील की मम्मी पर ज्यादा ध्यान दे रहे थे, शालिनी के कमरे मे से बाहर निकलने से लेके अपने पास सोफ़े पर बैठने तक वो बिना पलके झपकाए देख रहे थे ,शालिनी ये सब देख के थोड़ी शर्मा जाती है,पर वो सोचती है शर्माने से काम नहीं चलेगा ,रोज तो मे एसे ही डांस करती हू ,अब तो चाचाजी को सहजता हो उस लिए स्तनपान भी करवाना है,
शालिनी : क्या हुआ आप एसे क्यु देख रहे है ?
चाचाजी : मे झूठ नहीं बोलूंगा ,आज तुम बहोत खूबसूरत लग रही हो,
शालिनी : रोज नहीं लगती?
चाचाजी : नहीं नहीं ...लगती हो, पर आज बात अलग है,
शालिनी : क्या अलग है?
चाचाजी : पता नहीं बस अलग है।
शालिनी : आप भी ना मस्का लगा रहे है।
चाचाजी : (बात घुमाते हुए )आज नील को भी तुम्हारा नृत्य दिखाना है ? आज सुलाया नहीं ?
शालिनी : नहीं सुला देना है वर्ना दोपहर को जगा रहेगा और हमे सोने नहीं देगा। लाइए दीजिए नील को इधर।
वो नील को चाचाजी के पास से लेके अपने गोदी मे सुलाकर अपने ब्लाउज कम ब्रा के दो हूक खोल के अपना बांयी ओर का भाग ऊपर करके पल्लू लगा कर वही उसे स्तनपान कराने लगती है। पल्लू पारदर्शी होने से सब आरपार दिख रहा था ,पल्लू सिर्फ नाम का था ,ये सब करने मे शालिनी को भी शर्म आ रही थी पर चाचाजी को समान्य लगाने के लिए कर रही थी ,चाचाजी ये सब देख के शर्माने लगते है और खडे होके जाने लगते है, पर शालिनी उसको भारी ह्रदय से बैठने को कहती है
शालिनी : कहा जा रहे हो आप?
चाचाजी : कहीं नहीं बस कमरे मे जा रहा हूं।
शालिनी : क्यु?मुझे पता है आप शर्मा कर जा रहे है, अभी तो आप ही कह रहे थे कि गाव मे बहु बेटी एसे ही स्तनपान कराती है ,अभी मे करवा रही हू तो आप भाग रहे है।
चाचाजी कुछ बोल नहीं पाते वो वापिस बैठ जाते है ,लेकिन नजरे घुमा लेते है, फिर भी कई बार उसकी नजर शालिनी के पल्लू से आरपार दर्शन दे रहे स्तनों पर चली जाती है ,"क्या करे आख़िर है तो एक मर्द " शालिनी ये सब देखती है पर अनदेखा कर के स्तनपान कराती है, दूसरा स्तन आधा खाली होता है तब ही नील का पेट भर जाता है, शालिनी के प्रयासो के बाद भी वह नहीं पी रहा ,तो शालिनी अपने ब्लाउज के हूक बंध कर के नील को सुला देती है और कमरे मे छोड़ आती है।
हॉल मे आके चाचाजी ने गाने लगाए जिस पर शालिनी नृत्य करती है कभी-कभी चाचाजी को भी नचाती, नृत्य के बीच मे कभी पल्लू गिराकर और एक गाने मे तो सिर्फ ब्लाउज और लहंगा पहनकर नाचती है,शालिनी को और चाचाजी दोनों को थोड़ा असहज लगता है पर आज शालिनी चाचाजी को अपने स्तनों के प्रति सामन्य नज़रिया करवाना चाह रही थी ,कभी आगे जाके उसके स्तनों के देखे तो उसको सब नॉर्मल लगे।
नृत्य करने के बाद वो तुरंत हाथ मुँह धोकर खाना बनाने चली जाती है,क्युकी आज उसे किटी पार्टी मे जल्दी जाना था ,वो सब्जी रोटी बना कर चाचाजी को खाने के लिए बुलाती है।
चाचाजी : आज इतना जल्दी क्यूँ?
शालिनी : आप भूल गए मेने कल बताया तो था कि आज पड़ोस वाली चाची के उधर पार्टी है तो उसकी मदद करने जाना है।
चाचाजी : फिर भी आराम से बनती मे बाद मे खा लेता। और थोड़े बर्तन मे भी धों लेता,उसमे कोन सी बड़ी बात है।
शालिनी : उसमे दो बात है, 1) आप बाद मे खाना खाते तो ठंडा हो जाता ,चलो ये भी चलता पर 2) खाना खाने के बाद आप कब सोते? मे तो चली जाती, फ़िर?आप को मेरे वज़ह से जागना पड़ता, इस लिए आप खाना खा लीजिए बाद मे नील को भी खाना खिलाना है और तुम दोनों को सुलाना भी है,
चाचाजी : एक दिन का ही सवाल था,पर ये बात सही है ,आप के बगैर नींद नहीं आती,
शालिनी : ( मज़ाक मे..)आले ले मेरा बच्चू...छोटी माँ के बिना नींद नहीं आती, कोई बात नहीं छोटी माँ आपको रोज सुलाया करेगी।
दोनों खाना खाने के बाद चाचाजी उसको तैयार होने को कहते है ,बर्तन वो धों लेगे शालिनी मना करती है पर चाचाजी नहीं मानते ,इस लिए शालिनी कमरे मे जाके साड़ी बदलती है और नील को जगा के उसको ब्लाउज के बटन खोल के उसको अपने स्तनों से दुध पिलाने लगती है,जब एक स्तन खाली हुआ तब शालिनी उसको घुमा के दूसरे स्तन पर लगाती है इतने मे चाचाजी आ जाते है, वो पल्लू से अपने स्तन को ढक देती है और उसे सुबह की घटना फ़िर से याद आती हैं, उसकी पीठ दरवाजे की और थी इस लिए चाचाजी को कुछ दिखने को नहीं मिलता पर उसे पता चल जाता है कि शालिनी ने पल्लू ढका है। वो उसके पीछे आके बैठ जाते है,
शालिनी : आप लेट जाइए ,छोटे भाई के सुलाने के बाद आपकी बारी आएगी,
चाचाजी लेट जाते है ,थोड़ी देर बार शालिनी ब्लाउज के बटन बंध करके पल्लू लगा के नील को पालने मे सुला के चाचाजी के बग़ल मे आके लेट जाती हैं।
शालिनी : चलो अब आपको भी सुला देती हू ,चलो पैर रख दो ,
चाचाजी : मेरी वज़ह से तुम्हें तकलीफ हो रही है ना?
शालिनी : आगे से एसी बात नहीं बोलना वर्ना सुलाना बंध कर दूंगी, आप को लगता है कि मुझे तकलीफ हो रही है पर मुझे तो एक बच्चा होते हुए दो दो बच्चों पर ममता लुटाने को मिल रही है,मे कितनी भाग्यशाली हू, जो आप मेरे बड़े बेटे के किरदार को निभा रहे है।
शालिनी चाचाजी को थपकियाँ देके सुला देती है फिर वो हल्के से उठ के बाथरूम जाती है और बचा हुआ दुध निकलने लगती है, बाद मे वो पडोस वाली चाची के घर जाती है आज वो जल्दी जल्दी मे घर को लॉक करना भूल जाती है और सिर्फ दरवाजा बंध करके चली जाती है।
यहा से अब कहानी मे एक एसा मोड़ आएगा जो शालिनी और चाचा की जिंदगी बदल देगा,
Very erotic update . eagerly waiting for the next one . Please post as early as possible .
 
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Vegetaking808

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UPDATE - 9
धीरे धीरे सब महिलाएं चाची के घर पहुच जाती हैं, सब आनंद कर रही थी तभी बाहर शोर सुनाई देता है चाची बाहर देखने जाती है तभी एक पुलिस अधिकारी आता है और उसे भीतर जाने को और दरवाजा बंध करने को बोलता है,
क्युकी एक बदमाश पुलिस पर हमला करके भाग कर इसी बिल्डिंग मे आया है ,पुलिस सब घर मे ढूंढ रही होती है तभी शालिनी के घर का दरवाजा उसको आधा खुला मिलता है,क्युकी सभी घर के दरवाजा लॉक थे ,इस लिए बदमाश शालिनी के घर का दरवाजा चेक कर्ता है तो खुला हुआ था तो वो वही छुपा था, पुलिस जब शालिनी के घर मे पहुंचती है तो देखती है कि बदमाश और चाचाजी के बीच हाथापाई हो रही थी ,बदमाश के पास छुरा था फिर भी चाचाजी बहादुरी से सामना करके उसको धूल चटा देते है, चाचाजी को भी थोड़ी बहुत चोट आती है।
पुलिसकर्मी : आज आपने बहादुरी से एक बड़े बदमाश को पकड़ाया है, आप का बहुत बहुत धन्यवाद।
चाचाजी : मेरा फर्ज था। ये मेरे परिवार को नुकसान पहुंचाने जा रहा था,
बदमाश : वो तो हम पहुंचाएंगे तुमने मुझे पकडा कर अपना नुकशान करवाया है मे बदला जरूर लूँगा।
पुलिसकर्मी : ( डंडा मारते हुए ...)चुप कर बदमाश ,तू जैल से बाहर आएगा तब ना।
हवलदार उसको हथकड़ी पहना कर लेके जाता है ,उसके जाने के बाद नील रोने लगता है। पुलिसकर्मी जाकर नील को ले आता है ,
पुलिसकर्मी : ये आपका पोता है?
चाचाजी : हाँ
पुलिसकर्मी : इसके माता पिता किधर है?
चाचाजी : इसके पिताजी अमेरीका मे है और इसकी माँ पड़ोस मे गई है,
पुलिसकर्मी : आप बच्चे के सम्भाले मे बच्चे की माँ को बुला लाता हू।
पुलिसकर्मी जब चाची के घर आता है तो चाची दरवाजा खोलती है
चाची : क्या हुआ सर? इतना शोर क्यु है?
पुलिसकर्मी : एक बदमाश भागकर आपके पड़ोस वाले फ्लेट मे घुस गया था, उधर एक चाचाजी ने बहादुरी से उसे पकड़ाया ,उसने बताया कि उसके पोते की माँ इधर है,
बुलाए उसे।
चाची जब शालिनी को बुलाती है तो सब महिला क्या हुआ जानने के लिए बाहर आती है पुलिसकर्मी सब को साथ मे देखकर गुस्सा होता है।
पुलिसकर्मी : आपको पता नहीं है कि कर्फ्यू है, लोगों को इकठ्ठा होने पर मनाई है।
चाची : पर हम तो हमारे बिल्डिंग से बाहर नहीं गए। सब बोर हो रहे थे तो हमने सोचा सब मिले।
पुलिसकर्मी : आपके मिलने के चक्कर मे वो पड़ोस वाले घर मे घुस गया और चाचाजी को घायल कर दिया है
ये बात सुनकर शालिनी दौड़ती हुई अपने फ्लेट की और भागती है।
पुलिस सब को अपने घर जाने को और दोबारा फिर से मिलने पर मना करती है और शालिनी के घर की और जाता है,वो फोन करके एक सरकारी डॉक्टर को बुला लेता है।
शालिनी आते ही चाचाजी और नील को बाहों मे लेकर रोने लगती है ,तभी पुलिसकर्मी और बाकी के लोग देखने आते है,पर पुलिसकर्मी चाची के अलावा सब को घर भेज देता है,
पुलिसकर्मी : देखिए चाची आप लोगों की वज़ह से क्या हुआ ?
चाची : हमे माफ़ करे ,आगे से एसी गलती नहीं होगी,जब तक कर्फ्यू नहीं हटेगी तब तक हम घर मे रहेगे।
पुलिसकर्मी : आप इनका ख्याल रखिएगा, और कोई तकलीफ या कोई दिक्कत आए तो हमे कॉल कर देना वैसे हम हमारे दो आदमी नीचे गेट के पास तैनात रखेगे।
तभी चाची शालिनी को सम्हालते हुए चुप कराती है ,औेर पुलिसकर्मी द्वारा बताने वाली बातों को सुनने को कहती है ,शालिनी चुप हो जाती है।
पुलिसकर्मी : देखिए आपकी बहादुरी से वो बदमाश पकडा गया ,पर अभी आप सुरक्षित नहीं है, चाचाजी आप जब तक ठीक ना हो जाए तब तक आप लोग यहा रहे बाद मे थोड़े दिन के लिए शहर से दूर चले जाए,
चाचाजी : पर वो तो जैल मे है तो फिर क्या दिक्कत होगी?
पुलिसकर्मी : वो जैल मे है पर उसके आदमी यहा वहा होगे अगर उन्हें आपके बारे मे पता चला तो आप की जान को खतरा होगा। जब तक कर्फ्यू खत्म नहीं होती तब तक आप यहा रहे और तब तक हमारे दो पुलिसकर्मी नीचे गेट के पास तैनात रहेगे।
चाचाजी : बहुत बहुत शुक्रिया साहब।
पुलिसकर्मी वहां से चला जाता है और अपने दो लोग तैनात कराता है, शालिनी फिर से रोते हुए चाचाजी के घाव देखने लगती है। चाचाजी को दाएं हाथ की हथेली मे एक गहरा घाव था और पेट मे एक हल्का घाव था ,साथ साथ छोटी मोटी चोट थी ,तभी डॉक्टर आता है और चाचाजी की दवाई पट्टी करते है, हथेली का घाव गहरा होने की वज़ह से चाचाजी को उस हाथ से काम करने को मना करते है और उसको हल्का खाना और आराम मिले और सकारात्मक वातावरण बनाए रखने की सलाह देते है।
डॉक्टर के जाने के बाद चाची शालिनी को सांत्वना देती है ,और वही पुलिस वाले को खाना पीना कर देगी तुम बाहर मत निकलना और कुछ काम पड़े तो उसको फोन करने को कहती है फिर वो चली जाती है। उसके जाने के बाद शालिनी नील को सोफ़े पर लेटा के चाचाजी को सहारा देकर सोफ़े पे बिठाती है और उसके बगल में बैठ जाती है।
शालिनी : (रोते हुए...)ये सब मेरी गलती है, मेरी वज़ह से ये हुआ ,ना मेने दरवाजा खुला छोड़ती, ना वो बदमाश भीतर और ना ये सब होता ,मुझे माफ़ कर दीजिए चाचाजी।

चाचाजी : तुम्हारी गलती नहीं है तुम्हें थोड़ी न पता था कि ये सब होगा ,जो हुआ सो हुआ अब अपने आप को संभालो, और पहले जैसी हो जाओ।
शालिनी : ठीक है पर आप मुझे बताओ क्या हुआ था?
चाचाजी : मे बाथरूम करने के लिए गया था ,जब लौटा तो देखा बदमाश अपने कमरे की और जा रहा था ,तभी पुलिस का शोर भी हो रहा था ,तो मेने उसे बाहर निकलने को बोला,फिर उसने छुरा दिखाते हुए मुझे मारने की धमकी दी, फिर भी मे उसकी और बढ़ा तो वो कमरे मे जाने लगा था तभी मुझे नील का ख्याल आया और मेने दौड़कर उसको गिरा दिया और कमरे से बाहर खींचकर लाया फिर हमारे बीच हाथापाई हुई और तब तक पुलिस आ गई फिर तो तुमको पता है।
शालिनी ये सुनकर भावुक हो गई कि चाचाजी ने नील को बचाने के लिए अपनी जान जोखिम मे डाली। वो तुरत खड़ी हुई और चाचाजी के सिर को अपने पेट से सटा के गले लगाया

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,चाचाजी भी उनकी भावना का सम्मान करते हुए कुछ नहीं बोलते और उसी स्थिति मे रहते है। थोड़ी देर बाद वो अपने आंसू पोंछके चाचाजी के बगल में बैठ जाती है।
शालिनी : आज आपने मेरे बेटे की जान बचाई है इस लिए मे बहुत खुश हूं।
चाचाजी : बस तुम लोग खुश रहो और सही सलामत रहो बस
शालिनी : आपका क्या ? मेरे वज़ह से आपकी यह हालत हुई है तो अब आपको पहले जैसा स्वस्थ बनाने की जिम्मेदारी मेरी है। मे जब तक आप पहले जैसे नहीं हो जाते तब तक आपके सारे काम मे करूंगी और आप खुश रहें वैसे करुँगी।
चाचाजी : पर मे ठीक हुँ।
शालिनी : मुझे नहीं लगता ,और जब तक मुझे नहीं लगेगा तब तक मे आपके सारे काम मे मदद करेगी और मेरे बच्चे की जिंदगी बचाने के लिए आपने ये घावों को सहा है तो जब तक घाव ठीक नहीं होते आप मेरे बच्चे रहेगे।
शालिनी नीरव को कॉल करती है अभी यहा पे करीब 4 बजने वाले थे और उधर अमरीका मे करीब करीब सुबह के 7 बजने वाले थे तो नीरव अभी घर मे होगा।
शालिनी : हैलो नीरव गुड मॉर्निंग कैसे हो ? नाश्ता किया?
नीरव : good morning,Love you baby,मे ठीक हू ,आज तो मेरा दिन अच्छा जाने वाला है सुबह सुबह मेरी खूबसूरत और प्यारी पत्नी का कॉल आ गया ,वह..
शालिनी : तुम्हारा तो पता नहीं पर हमारा अभी तक का दिन बहुत बुरा गया और खास तौर पर चाचाजी का ,
नीरव : क्या हुआ ? सब ठीक तो है ना ?
चाचाजी शालिनी को सब बताने को मना करते है पर शालिनी उसका कहना नहीं सुनती और सब बताने लगती है, नीरव सब सुनने के बाद चौक जाता है,
नीरव : कैसे है चाचाजी ? उससे बात कराओ।
शालिनी फोन स्पीकर पर कर के
शालिनी : फोन स्पीकर पर है बात करो।
नीरव : चाचाजी कैसे है आप । आपको ज्यादा चोट तो नहीं आई? आपका बहुत बहुत धन्यावाद, आज आपने हमारी जिगर के टुकड़े को बचाया है ,मे ये आपका ये एहसान कैसे चुकाएगा?
चाचाजी : एहसान की बात करके मुझे पराया बना दिया ,मुन्ना मेरा भी कुछ लगता है ,परिवार के लोग एक दूसरे की मदद नहीं करेगे तो कोन करेगा?
नीरव : ये बात सही है आपकी फिर भी आपका धन्यवाद। शालिनी चाचाजी का खास ध्यान रखना ,उसे कोई तकलीफ ना हो।
शालिनी : हाँ नीरव ,चाचाजी जब तक ठीक नहीं होते तब तक वो मेरे बच्चे है, मे नील जितना ख्याल रखूंगी। नीरव आपसे एक बात पूछूं?
नीरव : हाँ पूछो
शालिनी फोन नॉर्मल मोड पर करके कमरे मे जाके बात कर ने चली जाती है।
शालिनी : हैलो नीरव ,मे ये पूछना चाहती थी कि चाचाजी के हथेली और पेट के भाग मे और पैर मे थोड़ी अंदरूनी चोट लगी है ,तो क्या मे उसकी सेवा कर सकती हू?
नीरव : उसमे पूछने की क्या बात है,करनी ही चाहिए ,मेने बताया था ना कि चाचाजी ने हमारी कितनी मदद की है।
शालिनी : हाँ वो तो मे जानती हू इस लिए तो पूछ रही हू ,मेरे कहना का ये मतलब है ,अभी चोट की वज़ह से चाचाजी के खाने पीने और नहाने का पूरी तरीके से ध्यान रखूं?मतलब कि उसको अपने हाथों से खिलाना पिलाना शुरु करू ,और उसको नहलाने को भी करू या नहीं ?
नीरव : खिलाने पिलाने तक ठीक है पर नहलाने मे थोड़ा संकोच हो सकता है, तुमने कहा ना तुम बच्चे जैसा ख्याल रखेगी तो अपने हिसाब से देखो चलो अगर हम मान भी जाए पर चाचाजी नहीं मानेंगे,
शालिनी : तुम्हें कोई आपत्ति नहीं है ना ? बाकी मे चाचाजी से बात करूंगी और बाद मे तुम्हें बताऊंगी।
नीरव : वैसे तो चाचाजी अच्छे इंसान है ,हमारी वज़ह से उनकी ये हालत हुई है और थोड़े दिनों की बात है, अगर तुम्हें ठीक लगे और तुम्हारा मन इस बात मे सही लगे तो करो मुझे कोई आपत्ति नहीं,
शालिनी : नीरव क्या तुम ये बात मुझे वॉयस मैसेज मे भेज सकते हो अगर चाचाजी अगर तुम्हारे मुह से ये स्वीकृति सुनेंगे तो मान जायेगे।
फिर दोनों इधर-उधर की बात करते है तभी नील के रोने की आवाज आती है तो शालिनी बात खत्म करके तुरंत आती है और नील को गोदी मे ले लेती है ,फिर वो सोफ़े पर ही बैठ के पल्लू से नील का सिर ढककर ब्लाउज के हूक खोल के दाया स्तन नील के मुह मे देती है नील भी स्तनपान करने लगता है ,चाचाजी की नजर कभी कभी उधर चली जाती ,परंतु शालिनी उसको सब नॉर्मल महसूस करवाने के लिए चाचाजी से इधर उधर की बातें करती जिस से चाचाजी उस से नजरे मिला के बात करे ,थोड़ी देर बात दूसरे स्तन पर नील को लगा के वो बैठ कर मोबाइल देखने लगती है, जब नील का पेट भर गया तब उसने स्तन को छोड़ दिया,
(नील को क्या पता के अगर ये स्तनों की जोड़ी कोई वयस्क पुरुष के हाथो मे या मुह मे आए तो कभी छोड़ने की ना सोचे)

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शालिनी अपने आप को ठीक करके नील को चाचाजी के बग़ल मे सुला के कमरे मे जाती हैं, और वहा जाके अपने कुछ सेल्फी और कुछ छोटे वीडियो बना के नीरव को भेजती है।

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फिर वो वापिस आके चाचाजी की तबीयत पूछती है ,बाद मे वो खिचड़ी और पालक की सब्जी बनाती है,वो नील को भी खिचड़ी पीस के नील को खिलाती है, बाद मे दोनो खाना खाने बैठते हैं।
चाचाजी : आज मेरी वज़ह से तुम्हें भी एसा भोजन खाना पड रहा है।
शालिनी : मेरी वज़ह से आपकी ये हालत हुई है उसका क्या ? थोड़ी सजा मिलनी चाहिए मुझे,वैसे क्या बुराई है इस खाने मे ,थोड़े दिन पोष्टिक और शरीर के लिए अच्छा खाना खा लेगे तो अच्छा है।
दोनों खाना खत्म करके चाचाजी हॉल मे आते है और नील के साथ खेलते है और शालिनी सब काम करती है, थोड़ी देर में वह भी आती है और दोनों मिल के नील को हंसाने का प्रयत्न करते है थोड़ी देर मे नील सो जाता है तो शालिनी भी चाचाजी को सोने के लिए कहती है,
शालिनी : चलिए छोटा बेटा तो सो गया बड़ा बेटा भी अब सो जाओ, अब ज्यादा से ज्यादा आराम करना है।
शालिनी नील को पालने मे सुला देती है जब वापिस आती है तो देखती है चाचाजी सहारा लेकर आ रहे थे, तो वो जल्दी से जाके उसको सहारा देती है, वह चाचाजी का हाथ अपने कंधे पर रख कर अपना एक हाथ चाचाजी के हाथ मे और दूसरा चाचाजी की कमर पकड़ कर दोनों कमरे मे आते है।
शालिनी : अरे मे भी कितनी भुलक्कड हू ,आपके लिए दुध लाना भूल गई, अभी लाती हू,
चाचाजी : नहीं नहीं ...चलेगा मुझे ,नहीं पीना दुध।
शालिनी : क्यु नहीं पीना? आपको दुध पीना ही पड़ेगा ,अगर दुध नही पसंद तो भी मे नाक दबाकर पीला दूंगी।
चाचाजी : पसंद तो है,पता है जब छोटा था ना तो माँ गाय को दोहन करके ताजा ताजा दुध मुझे पिलाती ,उसी वज़ह से आज उस बदमाश को धूल चटा दी।
शालिनी : तो फिर आज क्यु मना कर रहे है?ताजा नहीं है तो क्या ? दुध तो दुध होता है, उसे पीने से आप जल्दी ठीक हो जाएंगे।फिर हमे गाव भी जाना है।
चाचाजी : हाँ गाव भी जाना पड़ेगा ,गाव तो गाव है ,अच्छा हुआ इसी बहाने गाव वापिस जाने को मिलेगा।
शालिनी जाती हैं और गर्म किया हुआ दुध लाके चाचाजी को देती है ,चाचाजी दुध पीकर बेड पे लेट जाते है।

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शालिनी : आज आप मेरे पैर के ऊपर अपना पैर कैसे रखेगे? आप को पैर मे दर्द है।
चाचाजी : पैर के ऊपर वजन आने से दर्द होता है,वैसे दर्द नहीं करते, वैसे भी इस गद्दे से मुलायम तुम्हारे पैर है उसपे ज्यादा आराम मिलेगा।
शालिनी : मक्खन लगाना भी कोई आपसे सीखे। ठीक है पैर रखिए पर आराम से अगर दर्द हो रहा हो तो हटा लेना।
चाचाजी शालिनी के पैर पर पैर रख के सो जाते है, रात मे शालिनी रोज की तरह अपने स्तन खाली करने जाती है,
सुबह मे आज शालिनी चाचाजी से पहले जगती है

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,क्युकी उसको योग करना था ,और चाचाजी को आराम करना था तो वह उनको नहीं जगाती, वह योग खत्म करके जब कमरे मे आती है तो देखती है चाचाजी बेड पर बैठे हुए थे।
शालिनी : आप कब जगे? आराम कीजिए ,इस लिए आपको नहीं उठाया, मे आके जगाने वालीं थी।
चाचाजी : मुझे नहीं पता था कि तुम जगाने आने वाली हो वरना मे सोया रहता,
शालिनी : चलिए बाहर चलिए थोड़ी देर बाहर ताजी हवा खाइए आपको अच्छा लगेगा।
शालिनी चाचाजी को सहारा दे कर हॉल मे लाती है, चाचाजी प्राणायाम करते है ,और फिर नहाने को कहते है।
शालिनी : हाँ। हाँ चलिए (थोड़ा रुककर, )चलिए नहाने।
चाचाजी : चलिए का मतलब ? पहले तुम जा रही हो या मे ?
शालिनी : पहले आप नहाएंगे ,वरना मे फिर से भीग जाऊँगी।
(शालिनी सीधा सीधा कहने मे शर्मा रही थी)
चाचाजी : फिर से क्यों भीगती?
शालिनी : वो ...वो ...बात यह है कि ....
चाचाजी : क्या बात है?
शालिनी : (शर्माते हुए) बात यह है कि मे आपको नहलाने वाली हू।
चाचाजी : ये क्या कह रही हो?
शालिनी : (थोड़े आत्मविश्वास से)जो आपने सुना।
चाचाजी : क्या बकवास है? कोई भांग खाई है क्या ?मुझे क्यों नहलाओगीं?
शालिनी : वो आपको चोट लगी है तो आप ठीक से नहा नहीं पाएंगे,और मे आपकी सेवा करना चाहती हूं।
चाचाजी : तुम मेरी सेवा कर तो रही हो,इतना सब तो करती हो, नहीं ..नहीं ये रहने दो,मे इतना भी अशक्त नहीं हू।
(एसे बोलते हुए झटके से खड़े होते है तो पैर मे दर्द होता है तो लड़खड़ाते नीचे बैठ जाते है, )
शालिनी : देखा ,अब आप मुझे मत समझाये मुझे पता है क्या करना है और क्या नहीं, अभी आप जब तक ठीक नहीं होते आप मेरे बच्चे है ,हर जगह हर समय, ठीक है।
चाचाजी : ये सही नहीं है, नीरव इधर नहीं है, अगर किसीको पता चल गया ,और नीरव को पता लगेगा तो मेरा सम्मान जो उसकी नजरो मे है वो गिर जाएगा।
शालिनी : यही चिंता है ना आपको ?आपकी ये समस्या भी हल कर देती हू,किसी और को पता नहीं लगेगा ,किसी और को बतायेगा कौन?दूसरों के सामने हम समान्य व्यावहार करेगे ,
चाचाजी : अगर किसी तरह नीरव को या तुम्हारे ससुर को पता चलेगा तो मेरा सम्मान और प्रतिष्ठा मिट्टी मे मिल जायेगे।
शालिनी : मेने नीरव से बात कर ली है इस बारे मे ,उसने ये फैसला मेरे ऊपर छोडा है, फिर भी आपको विश्वास नहीं है तो आप एक बार ये वॉयस मेसेज सुन ले।
शालिनी चाचाजी को वॉयस मेसेज सुनाती है।
वॉयस मेसेज : चाचाजी मे नीरव बोल रहा हू ,आपकी तबीयत को लेके हम दोनों को चिंता है ,आप जल्द से जल्द ठीक हो जाए ,इस लिए शालिनी आपकी जो सेवा करना चाहती है उसे करने दीजिए ,उसको आप पे पूरा भरोसा है मुझे शालिनी पे भरोसा है कि वो जो भी करेगी आपके अच्छे के लिए होगा ,इस लिए आप भी उसको पूरा सहयोग करे, अब हमारी बारी है आपकी सेवा करने की तो हमसे ये लाभ मत छीनीए। आप शालिनी जैसे आपकी सेवा करना चाहती है वैसे करने दे ,अपना ध्यान रखे। bye
शालिनी : बस अब आपको हो गई संतुष्टि?अब मुझे आपकी सेवा करने दीजिए।
चाचाजी : पर मुझे अजीब लगता है
शालिनी : इस लिए तो मे आपको अपना बच्चा बना रही हू, जैसे आप कमरे मे होते है, जैसे नील को संभालती हू वैसे आपको संभालेंगी,थोड़े दिन की बात है बाद मे जो आपकी मर्जी वो करना ठीक है,
चाचाजी : पर ...
शालिनी : अब पर वर कुछ नहीं,अभी आपने कुछ बोला तो डाट पडेगी, मेरा गुस्सा बड़ा ही खतरनाक है, (हँस देती है)
चाचाजी : ठीक है माँ आप जीती मे हारा, मे आपको गुस्सा नहीं दिलाऊंगा, जो आप कहेगी वहीं मे करूंगा।
शालिनी : मेरे अच्छे बच्चे, चलो अब नाई नाई करेगे,
शालिनी चाचाजी को सहारा देके बाथरूम मे ले आती है


,बाथरूम मे आके चाचाजी का कुर्ता निकलने मे मदद करती है, बाद मे चाचाजी अपना पजामा निकलने मे संकोच कर रहे थे ,पर शालिनी उसको सामने से उसको पजामा निकलने को कहती है, शालिनी पजामा का नाड़ा खोल के नीचे करती है ,इस समय शालिनी चाचाजी मे बच्चे के भाव से ही ये सब करती है ,और उसे भरोसा है कि चाचाजी भी उसको अपनी माँ समझेंगे,
यह पहली बार था जब चाचाजी सिर्फ एक चड्डी मे शालिनी के सामने थे ,एक मर्दाना शरीर ,जो ना ही काला था और नाही गौरा, चौड़ी छाती जिसपे सफेद बाल ,सिर और दाढ़ी के भी सफेद बाल ,बलिष्ठ भुजाएं, अगर जोर से किसी को भींच दे तो उसका वहीं दम निकल जाए, थोड़ा सा पेट बाहर निकला हुआ वैसे तोंद नहीं है,लोहे के खंबे जैसे पैर ,पैर पर भी सफेद हल्के बाल, मानो कोई योद्धा हो, एसा शरीर कैसे ना हो? गाव के असली और ताजा दुध और घी,खाया है और खेतों मे मेहनत की है,शालिनी का भी मन विचलित हो जाता है ,पर वो अपने आप को संभालती है,उसकी सांसे थोड़ी तेज होने लगी थी ,क्युकी ये पहली बार था ,वो चाहे कितना भी कहे कि वो उसको बच्चे की तरह मान कर ये कह रही है पर मन में किसी गैर मर्दाना स्पर्श से किसी स्त्री को महसूस होता है वैसा होता है, पर वो जताती नहीं,बड़ी मुश्किल से अपनी भावना छुपा के समान्य बर्ताव कर रही थी। ठीक वैसा ही हाल चाचाजी का था।
शालिनी सोचती है चाचाजी अच्छे इंसान है,उसने मेरे बच्चे की जान बचाई है ,उसके लिए इतना नहीं कर सकती ?,पहलीबार है इस लिए अजीब लगता है ,एक दो दिन मे आदत हो जाएगी जैसे चाचाजी का मेरे ऊपर पैर रखना और चाचाजी के सामने नृत्य करना सामन्य हो गया।
शालिनी पहले चाचाजी की पट्टी को प्लास्टिक बेग से ढक देती है ,जिससे पट्टी गिली ना हो,वो पहला पानी का मग भरकर चाचाजी के शरीर पर डालती है,धीरे धीरे हाथ घूमती जाती है फिर वो साबुन लेके हल्के हाथो से चाचाजी के शरीर को लगाती हैं, जैसे ही शालिनी के कोमल हाथो का स्पर्श चाचाजी के गठ्ठीले और मर्दाना शरीर से होता है तब इस समय दोनों के शरीर मे एक कंपकंपी हो रही थी मानो तेज करेंट दौड़ गया हो, चाचाजी को नहलाने मे वो खुद भी थोड़ी गिली हो जाती है,उसके गर्दन पे पानी की बूंदे मोती जैसे चमकती है साथ ही उसके कपड़े भी गिले होते हैं। नहलाने के बाद वो चाचाजी के शरीर को पौछती है वो जब चाचाजी के पैर पौछती है तब देखती है चाचाजी का लिंग चड्डी उभरा हुआ था ,वो नजरअन्दाज कर के तौलिया चाचाजी के कमर पर बांध देती है और बाथरूम से बाहर आ जाती है,चाचाजी गिली चड्डी निकलकर नई पहनकर बाहर आते है।
जब वो बाहर आते है तो शालिनी कमरे मे अपने कपड़े और तौलिया लेने गई थी,फिर शालिनी अपने कपड़े और तौलिया रख के चाचाजी के पास आती है ,
शालिनी : चलो कपड़े पहन लो।
चाचाजी : नहीं नहीं ...मे पहन लूँगा
शालिनी : मेने आपसे पूछा नहीं ,बताया है ,चुपचाप चलिए ,
चाचाजी चुपचाप कमरे मे आते हैं, आज शालिनी उसको नीरव का एक घुटनों तक बड़ा एक चड्डा था जो वो रात को पहनता था ,वो शालिनी उसको पहना देती है,और एक बनियान चाचाजी को पहनती है।
शालिनी : थोड़े दिन आप एसे कपड़े ही पहनेंगे जिस से आराम मिले।
चाचाजी बेड पर बैठे थे तब शालिनी नील को जगाकर चाचाजी की और पीठ करके शर्ट के बटन खोल के स्तनपान कराती है जब स्तनपान हो जाता है तो वो नील को बाहर हॉल मे रख के आती है बाद मे चाचाजी को सहारा देके नील के बगल मे बिठा कर नहाने चली जाती है,
वो बाथरूम मे जाके पहले बचा हुआ दुध निकालती है

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, फिर नहाकर तैयार होके बाहर आती है, बाद में वो नाश्ता बनती है और दोनों नाश्ता करते है ,नाश्ता करके घर के काम कर रही थी तभी पड़ोस वाली चाची और उसके पति दोनों चाचाजी का हालचाल पूछने आते है, चाची के पति और चाचाजी जान पहचान करते है और चाची शालिनी के काम मे हाथ बटाने लगती है,शालिनी के मना करने के बावजूद वो मदद करती है,
चाची : कैसी तबीयत है अब चाचाजी की ?
शालिनी : ठीक है, लेकिन अपने रोजमर्रा के काम नहीं कर सकते खाना पीना ,ठीक से चलना ,नहाना ,जैसे कामों मे मदद करती हू उनकी।
चाची : उसको केले दुध सेब रोजाना देना उसको जल्दी ठीक करने मे मदद मिलेगी।
तुमने कहा नहाने मे तुम मदद करती हो, क्या सच में?
शालिनी (नजरे नीचे करके..)हाँ पर अपना बेटा समझकर
चाची : ठीक है इसमे कोई बुराई नहीं ,उसको माँ की ममता और प्यार मिलेगे ,बहुत शक्ति होती है ममता मे,और हाँ उन पुलिसकर्मी को मेने नास्ता दे दिया है और उसको खाना भी मे पहुचा दूंगी तुम चिंता नहीं करना ,और बाहर मत निकलना, कुछ चाइये तो कॉल करना।
चाची और उनके पति थोड़ी देर मे चले जाते हैं, शालिनी दरवाजा बंध करके आती है और चाचाजी को दवाई खिलाती है, और खुद भी पी लेती है,
शालिनी नील को चाचाजी के बग़ल मे बैठ कर पल्लू से ढककर स्तनपान कराने लगती है, फिर वो नील को सुलाकर साड़ी बदलकर आती है,

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चलिए अपना कार्यक्रम शुरू करते है, आज आप दर्शक और निर्णायक बनेंगे, आखिर मे बताना कैसा है?
शालिनी पल्लू को कमर मे लगा के नाचने लगती तो कभी पल्लू गिरा कर कभी पल्लू लहराती और हूबहू अभिनेत्री जैसी अदा दिखाती,
शालिनी : कैसा लगा मेरा डांस?
चाचाजी : बहुत बहुत बढ़िया, हर रोज़ अगले दिन से बेहतर।
शालिनी : बस बस इतना भी चने के पेड़ पर मत चढ़ाये। अभी गर्मियां शुरू होने वाली है ,तो अगर हम गाव जायेगे तो उधर ज्यादा गर्मी होगी ना?
चाचाजी : हाँ दिन को तो बहुत गर्मी होती है,क्युकी वहा से रेगिस्तान थोडी सी दूरी पर है, पर शाम होते पूरा वातावरण ठंडा हो जाता है,शहर की तरह नहीं की रात मे भी गर्मी।
शालिनी : चलो अब मे खाना बनाने जाती हू वर्ना देर होगी।
चाचाजी : आज कहा तुमको वो पार्टी मे जाना है,थोड़ी देर मेरे साथ बात करो ,फिर बना लेना आराम से,
दोनों बातचीत करते है जिस मे वो काफी बाते करते है और कई एकदूसरे की बचपन की ओर राज की बाते कह देते है, दोनों काफी खुलकर बात करने लगते है मानो दोनों एकदूसरे के जिगरी मित्र हो,
शालिनी : आप एसे ही मेरे साथ बात करो तो मुझे भी अच्छा लगता है।
चाचाजी : पता नहीं पर आज तुमसे बात कर के मजा आ रहा है, लगता है कोई है जिस से दिल की बात कह सकते है।
शालिनी : आप भी कर सकते हैं और मैं भी आपसे अपनी दिल की बात कह सकती हू।
चाचाजी : एक बात पूछूं? बुरा मत लगाना।
शालिनी : हाँ हाँ पूछो मेरे बच्चे...
चाचाजी : आप इतने दिनों से इतना सब कर रहे हों तो कुछ फर्क़ पड़ा है कि नहीं?मेरा मतलब पतली हुई कि नहीं
शालिनी : बिल्कुल पड़ा है देखो एसा कहके पल्लू हटा के अपने ब्लाउज के निचले सिरे मे दो उंगलिया डालकर दिखती है और कहती है पहले ये तंग हो रहा था अब देखे, फर्क़ साफ है

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बातों मे बातों मे बच्चे के बारे मे बात निकलती है जिस मे शालिनी चाचाजी से बच्चों के बारे मे पूछती है, उसकी परवरिश में क्या ध्यान रखा जाए, उसको क्या खिलाए ?उसको कैसे महफ़ूज़ महसूस करवाएं, आदि..आदि...
चाचाजी भी शालिनी के सारे प्रश्न का जवाब सविस्तार देते है,तभी शालिनी के स्तनों मे दर्द होता है,पर वो सहन करती है,
शालिनी : (मज़ाक में ...)ये पहली बार होगा के एक छोटी माँ अपने बड़े बेटे से अपने छोटे बेटे की परवरिश के बारे मे पूछ रही है।
चाचाजी : आपको मुझे अपना बड़ा बेटा बनाना अच्छा लगता है ?
शालिनी : क्यु ना लगे ? थोड़ा अजीब है पर अनूठा है, स्त्री अपने पसंदीदा पुरुष के लिए हर तरह का रिश्ता निभाती है,

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जब भी पुरुष को जिस रिश्ते की जरूरत पड़े उस रिश्ते मे स्त्री ढल जाती हैं, अभी आपको देखभाल और वात्सल्य की जरूरत है इस लिए मे आपकी छोटी माँ बनी हू।
चाचाजी : ये बात तो सही है, तो मे भी अब पूरी तरह बच्चा होकर आपका प्यार और वात्सल्य मे भीग जाऊँगा।
शालिनी : ठीक है यह तय रहा जब तक आप ठीक नहीं होते तब तक मे आपकी छोटी माँ, और आप मेरे बड़े बेटे ,
चाचाजी : ठीक है तो जब तक ठीक नहीं होता तब तक मे आपको छोटी माँ बुलाएंगे, और आप मुझे आप की जगह तुम कहोगे
शालिनी : ठीक है मेरे बच्चे..अब मे जाऊँ खाना बनाने की बातों से पेट भरना है?
चाचाजी : मन तो करता है, बात करता रहूं पर आपको और छोटे भाई को भूख लगी होगी।
शालिनी खाना बनाने जाती है और बीच मे नील के रोने की आवाज आती है ,वो तुरत जाके नील को ले आती है और चाचाजी के पास रख देती है ,चाचाजी उसे शांत करते है,थोड़ी देर मे शालिनी चाचाजी को सहारा देके खाने की मेज़ पर बिठाती है और नील को गोदी मे बिठाकर उसे पिसा हुआ दाल उसको खिलाती है, साथ मे खुद भी खाना खा रही थी ,फिर वो नील को कमरे मे बेड पर रख कर चाचाजी को सहारा देके बेड पर बिठा देती है।
सारे काम निपटाने के बाद शालिनी पल्लू से चेहरा पोछते हुए कमरे मे आती है, देखती है चाचाजी नील को हँसा रहे थे, शालिनी ये देख के खुश होती है।
शालिनी : चलो बहोत हो गया हँसी मज़ाक अभी सो जाओ दोनों।
एसा बोलते हुए नील को पालने मे रख के पालना जुला रही थी साथ ही चाचाजी के सीने मे थपकी देके सुलाने लगती है
चाचाजी : मुझे एसे नींद नहीं आती अब।
शालिनी : मुझे पता है तुमको कैसे नींद आती है पहले छोटे को सुला दु बाद मे बड़े कि बारी।
थोड़ी देर में नील सो जाता है फिर शालिनी चाचाजी की और करवट लेके उसको अपने पैर के ऊपर पैर रखके सोने को कहती है,और चाचाजी इसे ही करते है।
चाचाजी : एक बात कहु ,मुझे गलत नहीं समझना,आपने इन दिनों मे अपना बेटा माना है और उसी तरह रहने को कहा है तो क्या मे एक बच्चे जैसे सो सकता हू? और आप मुझे एक माँ की भाँति सुलाने की कृपा करे।
शालिनी : जरूर..मेने सिर्फ कहने के लिए नहीं कहा और ना ही आपको अच्छा लगाने के लिए ,मेने सच मे आप और मे एसे रहे जिससे मुझे तुम्हारी सेवा करने मे संकोच ना हो।
चाचाजी : धन्यावाद आपका ,
शालिनी : माँ से कोई धन्यवाद बोलता है भला ? बताओ कैसे सोना है तुम्हें?
चाचाजी : मे आपसे एक बच्चे के भाँति सीने से चिपककर सुरक्षित होके चैन की नींद सोना चाहता हू ,इस दुनियादारी को छोड़कर इस घर को दुनिया समझकर सोना चाहता हू ,मेरी सभी चिंता,मेरी सभी परवाह आपके ऊपर छोड़ के निश्चिंत होके सोना चाहता हू ,
शालिनी भावुक होके चाचाजी जो भी खुद भावुक हो गए थे उसे अपने सीने से चिपका देती है

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जिस से चाचाजी का सिर उसके उभरे हुए मुलायम स्तनों मे दब जाता है, और चाचाजी अपना हाथ शालिनी के कमर पर और पैर उसके पैरों पर रख के आराम से सोते है, इस दोरान चाचाजी की गर्म साँसे शालिनी के स्तनों के बीच कि दरार मे जाती और भीतर ही घूमती और तभी चाचाजी के आंख से निकला आंसू शालिनी के उभरे हुए स्तनों के उपरी भाग मे गिरता है, जिससे शालिनी चाचाजी के बालो को चूमती हुई उसके सिर को थोड़ा और कसकर भींच लेती है
शालिनी : सो जा मेरे बच्चे ,तुम्हें कुछ नहीं होगा मे हू ना, तुम आराम से सो जाओ ,भूल जाओ दुनिया को ,दुनिया को जो कहना है कहे ,जो करना है करे ,जब तक ठीक नहीं होते तब तक मेरे बेटे की तरह ख्याल रखूंगी।
शालिनी सिर पर हाथ घुमाने लगती है थोड़ी देर मे दोनो सो जाते है ,आज वो देर तक सोते है जब शाम को घंटी बजती है तो दोनों की नींद खुलती है, जब दोनों जागते है तो देखते है चाचाजी शालिनी से चिपक कर सो रहे थे

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मानो कोई सहमा हुआ बेटा अपनी माँ से चिपक कर सोया हो। दोनों एक दूसरे की आँखों में देखते है ,और शालिनी प्यारी-सी मुस्कान देती है।

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शालिनी : आज तो देर हो गयी ,चलिए उठिए, मे देख के आती हू कौन है?
शालिनी मुँह धोकर सेफ्टी हॉल से देखती है चाची है, वो दरवाजा खोलती है, अभी भी शालिनी ने नृत्य वालीं साड़ी पहनी थी पर चाची को सब पता है इस लिए वो निश्चिंत थी ,चाची अकेली आयी थी ,दोनों आते है और सोफ़े पर बैठते है,
चाची : कैसी तबीयत है चाचाजी...अरे नहीं तुम्हारे बेटे की?
शालिनी : ठीक है अब वो सही मे मेरे बच्चे बनने का प्रयत्न कर रहे हैं। मे भी उसको वहीं प्यार और दुलार दे रही हू जो नील को देती हू।
तभी चाचाजी आते है अभी वह नींद से जागे थे ,और एसे ही आकर शालिनी के बगल मे आके बैठ जाते है।
चाचाजी : आप वहाँ सामने वाले सोफ़े पर बैठ सकती है?
चाची : क्यु नहीं
एसा बोलकर चाची सोफ़े पर बैठ जाती है और चाचाजी शालिनी के गोदी मे सिर रख के सो जाते है और शालिनी भी उसके सिर पर हाथ फिराती है और उसके बालों मे उंगलिया घुमाने लगती है।थोड़ी देर मे चाचाजी करवट लेके शालिनी के पेट की ओर अपना मुह करके लेटे रहते है शालिनी को इस से कोई फर्क़ नहीं पडता वो उसके सिर को सहला रही थी।
शालिनी : (चाची से...)मेने कहा था ना कि हम कोशिस कर रहे है, अपने नए रिश्ते को निभाने की
चाची : इसमे कुछ गलत नहीं है, लगे रहो,मे ये बताने आयी हू कल से 1 सप्ताह तक अपना दुध वाला नहीं आने वाला,उसका फोन आया था ,उसके विस्तार मे दंगे होने से पुलिस ने उस विस्तार को पूरी तरीके से कर्फ्यू लगा दी ,और दूसरे दुध वाले से पूछा तो वह सब को नहीं दे सकता इस लिए सब को आधा लीटर तक दे सकता है और वो भी रोज मिले या ना मिले ,
शालिनी : कैसा समय आ गया अब दूध मे भी कटौती, ये दंगाइयों को पकड पकड के मारना चाहिए ,हमे कितनी तकलीफ हो रहीं है उसका कोई परवाह नहीं
चाची : वो सब पकड़े जायेगे देखना ,
शालिनी : लेकिन कब ? (चाचाजी से..)अब आप जाइए और हाथ मुँह धों ले।
चाचाजी बिना कुछ बोले बाथरूम मे चले जाते हैं।
चाची : उस पर क्यु गुस्सा निकाल रही हो ,भूल गई उसने तुम्हारे बेटे की जान बचाई है।
शालिनी : गुस्से मे पता नहीं रहा ,मे अभी उससे माफी मांग लुंगी। अब ये दुध का कुछ करना पड़ेगा ,अब तो चाचाजी को भी रात को दुध देती हू। अब क्या करेगे आधा लीटर मे,इतना तो चाय मे ही खत्म हो जाएगा।
चाची : (मज़ाक मे ...)तुम्हें कब से दुध की कमी होने लगी? ब्लकि तुम तो दुध होने से परेसान हो ,तुम तो दुध नहीं लौंगि तो भी तुमको परेसानी नहीं होगी।
शालिनी : आप भी ना ,एसे समय मे भी आप मज़ाक कर रही है।
चाची : उसमे गलत क्या है? ,वैसे अब तो दो बेटे है ,अगर बेटा माना है तो पूरी तरह से बना लो तुम्हारा भी काम हो जाएगा और उसका भी।
शालिनी : क्या बोल रही है आप ?
चाची : देखो ,तुम्हें ज्यादा दुध उतर रहा है,और चाचाजी को दुध की जरूरत है चाहे वो गाय का हो ,भैस का हो ,या माँ का,जब तक दुध वाला नहीं है उतने दिन की बात है,और चाचाजी ने तुम्हारे बेटे की खातिर जान की बाज़ी लगा दी और तुम उसके जान की परवाह नहीं है,उतना नहीं कर सकती?
शालिनी : पर....
चाची : पर क्या ? उसमे तुम्हारा स्वार्थ और परमार्थ एक साथ है ,तुम्हारे स्तनों मे दुध खाली हो जाएगा और तुम्हें दर्द नहीं सहना होगा ,साथ मे उस आदमी की मदद भी हो जाएगी ,मे ये सलाह इस लिए दे रही हू क्युकी तुम दोनों माँ बेटे का रिश्ता निभा रहे हो वरना मे कभी नहीं कहती, और मेने अभी देखा कैसे वो आके तुम्हारी गोदी मे आके सो गए,मेने जो कहना था वो कह दिया आखिरी फैसला तुम्हारा होगा।
इतना बोलकर चाची चली जाती है,और शालिनी के मन मे एक द्वंद चलने लगता है,तभी चाचाजी भी आ जाते है पर थोड़ा दूर बैठते है, शालिनी ये देख के दुखी होती है।
शालिनी : (मन में..)चाचाजी ने हमारे लिए इतना किया और मेने क्या किया ,मेने ही तो उसको अपने बेटे का दर्जा दिया था ,और पहले ही अवसर मे मेने उसको दुत्कार दिया, मुझे मेरी गलती सुधार करनी होगी।

शालिनी : सुनो इधर आओ।
चाचाजी चुपचाप आके बगल मे बैठ जाते है।
शालिनी : आओ यहा गोदी मे सिर रख के सो जाओ।
चाचाजी : नहीं ठीक हू मे ,अभी नींद नहीं आ रही।
शालिनी : मुझे माफ़ कर दीजिये, वो चाची ने एक और तकलीफ सुनाई तो मुझे गुस्सा आ गया ,पर सच मानिए मुझे आपसे कोई दिक्कत नहीं है, अब क्या एक छोटी माँ अपने बच्चे को डाट भी नहीं सकती ?तुम गोदी मे सो रहे हो या और डाट लगाऊँ
चाचाजी गोदी मे सिर रख के लेट जाते है।
शालिनी : अगर मुझे आप से दिक्कत होती तो वो चाची के सामने तुम्हें अपनी गोदी मे सोने क्यु देती ? अब मे किसी के भी सामने तुम्हें अपना सकती हू। चलो आओ लेट जाओ ताकि जो दुलार बाकी रह गया वो पूरा कर दु।
चाचाजी अपने दाएं हाथ को शालिनी के कमर के पिछे से लिपटा देते है जिस से उसका पंजा शालिनी के नंगी कमर को पकड़ कर सोते है, और अपना सिर शालिनी के पारदर्शी पल्लू जिस मे से उसकी गोल नाभि दिख रही थी उस पे दबा देते है, शालिनी उसके बालों मे उंगलिया घुमाने लगती हैं ,थोड़ी देर दोनों एसे ही रहते है फिर चाचाजी बैठ जाते है ,
चाचाजी : आप वादा करे अब आप मुझे अपने से अलग नहीं करेगी।
शालिनी : मेने कब तुमको अलग किया ? जब तुम चाची के सामने मेरे गोदी मे सोए तब भी मेने उसके सामने तुमको अपनाया ,और उसको हमारा रिश्ता समझाया।
चाचाजी : वो दुध वाले का क्या बोल रही थी ?
शालिनी : वो दुध वाला नहीं आने वाला तो जो दूसरा आएगा वो आधा लीटर तक ही दे पाएगा और वो भी बचा तो।
चाचाजी : ठीक है मे रात को नहीं पियेगा।
शालिनी : नहीं नहीं आप के लिए दुध जरूरी है, मे कुछ बंदोबस्त करूंगी। आप चिंता ना करे।
शालिनी खाना बनाने जाती हैं फिर रोजाना की तरह खाना खाके नील को स्तनपान कराके,सब काम निपटाने के बाद तीनों कमरे मे आते है ,शालिनी चाचाजी को दवाई और दुध का गिलास भार के देती है,बाद मे नील को सुला के चाचाजी के पास आके सोती हैं, चाचाजी उससे चिपक के सोते है और शालिनी भी उसे सहयोग करती है,दोनों एसे सो जाते है ,रात मे शालिनी अपने स्तनों को खाली करने के लिए जगती है ,और फिर सुबह मे चाचाजी की नींद पहले खुलती है तो वो देखते है शालिनी बगल मे सो रही थी ,चाचाजी अपने आप ही शालिनी से चिपक के सो जाते है शालिनी भी ममता से उसको भींच लेती है 10 मिनट बाद दोनों जागते है ,शालिनी चाचाजी को सहारा देके टॉयलेट मे बिठा के आती है ,फिर वो व्यायाम करने लगती है,

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थोड़ी देर बाद चाचाजी जैसे तैसे बाथरूम के दरवाजे तक आ जाते है ,शालिनी तुरत उसे सहारा देके सोफ़े पर बिठाती है ,खुद जो थोड़ी कसरत बाकी थी उसे खत्म करके बगल मे आके बैठ जाती है।
शालिनी : चलिए नहला देती हू।
शालिनी चाचाजी को सहारा देकर बाथरूम मे लेके आती है ,वो रास्ते मे कुछ सोचती है फिर जब दोनों भीतर पहुचते है ,शालिनी चाचाजी की कपड़े खुद निकलने लगती है,
चाचाजी : रुको मे निकालता हू।
शालिनी : आप मेरे बेटे हो तो एक माँ को अपना काम करने दो, आप चुपचाप बैठो,मुझे पता है मुझे क्या करना है।
वो चाचाजी का कपड़े निकल देती है चाचाजी सिर्फ चड्डी मे थे उसमे उसका लिंग थोड़ा उभरा हुआ दिखाई देता है,
हो भी क्यु ना ? शालिनी जैसी स्त्री जैसे भी छुएं एक पुरुष कब तक संयम रख सके?शालिनी की भी नजर उसके ऊपर पड़ती है पर वो उसको नजरंदाज करके नहलाने लगती है ,शालिनी चाचाजी के पूरे शरीर मे साबुन लगाती है,जब वो चाचाजी के जांघों पर साबुन लगाती है तब चाचाजी के लिंग मे हलचल होती देखती है, बाद मे उसके गिले शरीर को पौंछ के सहरा देके बेड पर बैठाते है,फिर शालिनी एक सूखा तौलिये से चाचाजी का सिर पौंछ देती है।

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चाचाजी प्यार से उसकी कमर पकड़ के पेट पर सिर रख रख देते है और उसके आखों से आंसू निकलने लगते है।
शालिनी : क्या हुआ मेरे बच्चे को ? रो क्यु रहे हो ? मेने कुछ किया क्या ?
चाचाजी : नहीं नहीं बस मेरी माँ की याद आ गयी। वो भी एसे ही मेरा सिर एसे ही पौंछा करती थी।
शालिनी : अभी मे हू ना। आप शांत हो जाए। मे आपका इतना ध्यान रखूंगी की आपको आपके किसी भी परिवार के सदस्यों की याद नहीं सताएगी जब भी आपको जिस सदस्य की याद आये तब मे वो सदस्य बन जाऊँगी, आप बस मुझे बता देना, ठीक है ?
चाचाजी गरदन हिलाते हा कहते है और शालिनी से गले मिलते है, फिर शालिनी चाचाजी को कपड़े पहनने मे मदद करती है बाद मे चाचाजी को हॉल मे लाके बिठाती है और खुद नहाने चली जाती है।
नहाते नहाते उसके दिमाग में कल चाची की कहीं बाते घूम रहीं थीं,

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शालिनी : (मन में..)क्या चाची कल मज़ाक मे बोली होगी या फिर सच में बोली होगी ,स्तन मे दुध तो हर रोज बढ़ता जा रहा है, अगर मे सही मे चाचाजी को दुध पिलाने लगूं तो मेरी तकलीफ कम तो होगी पर ये इतना आसान नहीं ,पर चाचाजी तो मेरे बच्चे बने हुए है और वो सच मे बच्चे की तरह बर्ताव कर रहे हैं, क्या वो मानेंगे?क्या मे उसको पीला पाऊँगी?क्या कहूँगी? वो मेरे बगल में सोते है एक बार तो ये स्तनों को भी देखा है, अगर मुझे उसको सच मे दुध पिलाना उचित होगा ?क्या करूँ ये दर्द भी सहन नहीं होता। इसी विचारो मे उलझी शालिनी कब अपने स्तनों से दबा दबा के दुध निकलने लगती हैं उसे खुद पता नहीं रहता।

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एसे ही विचार करते करते शालिनी को काफी देर हो जाती है नहाने मे ,फिर वो एकदम से होश मे आती है और फिर फटाफट नहाकर कपड़े पहन कर बाहर आती है। अभी भी उसके दिमाग में उन विचारो का चक्रवात घूम रहा था। उनके मन मे दो विचारो की लड़ाई चल रही थी,
एक विचार : उसे चाचाजी को सम्पूर्ण रूप से बेटा बनाकर स्तनपान करवाने का।
दूसरा विचार : जैसा अभी चल रहा हैं वैसे ही चलने दे।
शालिनी नील को जगा के उसको नहलाने के बाद उसे स्तनपान करवाती है ,बाद मे दोनो नास्ता कर के घर के काम निपटा के सोफ़े पर बैठती है ,और सुबह से चल रहे अपने विचारो मे खो जाती है।
चाचाजी : क्या हुआ ? क्या सोच रही हो ?
शालिनी : (मन मे )एक काम करती हू चाचाजी से ही सलाह लेती हू ,फिर वैसे ही करेगी ,पर मे सीधे सीधे पूछ लिया तो वो शर्म से ना बोल दे या गुस्सा हो जाए या नाराज हो जायेगे इस लिए दूसरे तरीके से पूछती हू।
चाचाजी : (चुटकी बजाकर..) कहा खो गई हो?
शालिनी : मे आप से एक सुझाव चाहती हू ,थोड़ी देर आप चाचाजी बनके मुझे सलाह दीजिए।
चाचाजी : क्यु नहीं। पूछो
शालिनी : मेरे सामने थोड़ी असमंजस की स्थिति है मेरी सहेली किसी की मदद करना चाहती है पर उस मदद से मर्यादा बीच मे आती है ,वो जिस की मदद करना चाहती है उसने कई बार उसकी बिना किसी शर्तों के मदद की है ,तो वो क्या करे? मदद करे या मर्यादा रखें?
चाचाजी : वैसे तो एक स्त्री के लिए मर्यादा सब से ऊपर है ,पर मामला किसी की मदद का है ,तो सोचना पड़ेगा ,मामाला कितना गंभीर है?
शालिनी : मदद नहीं करेंगी उसके स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है और उस व्यक्ति ने सहेली के ऊपर एक बड़ा उपकार भी किया है ,जो वो कभी नहीं भूल सकती और नाही उस उपकार का बदला चुका पाएंगी। एक तरह से उसकी जिंदगी बचाने जीतना उपकार है।
चाचाजी : तो फिर तुम्हारी सहेली को उनकी मदद करनी चाहिए और साथ उस व्यक्ति को कह देना की तुम जो मर्यादा लांघ रही हो उसका सम्मान करे और तुम्हारा गलत मतलब ना निकाले।
शालिनी : हाँ मे ये कह दूंगी। आपका धन्यवाद की आप ने मेरा मार्गदर्शन किया।
चाचाजी : ये मेरा फर्ज है ,पर ये तो बताओ क्या मदद है और क्या मर्यादा तोड़ने जा रही है, और कौन है जिस के लिए ये सब करना पड़ रहा हैं।
शालिनी : समय आने पर आपको सब बता दूंगी
शालिनी मोबाइल मे थोड़ी जाच करती है कि क्या स्तनों से निकला दुध वयस्क को कुछ लाभ मिलता है ? या कोई नुकसान तो नहीं करता ? इस बीच उसे एक रोमन साम्राज्य की एक कहानी मिलती है,जिसका नाम था "pero -cimon"

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जिस मे एक बेटी कारावास मे बंध अपने पिता को स्तनपान करवाते हुए उसको जिंदा रखती है ,इस कहानी से शालिनी का निश्चय और दृढ़ होता है अब वो चाचाजी को स्तन के दुध से उसको ठीक करेगी,
शालिनी :(मन में..)मुझे पहले चाचाजी को अपने स्तनों के प्रति सहज अनुभव करवा कर चाचाजी को अपने स्तनों से दुध पीला कर रहूंगी।
शालिनी फिर कमरे मे जाती हैं फिर ज्यादा खुले गले वाला ब्लाउज और पारदर्शी साड़ी पहनी है

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जिस से उसके स्तन के उभार पल्लू मे से दिख सके वो जब तैयार होके आती है तब चाचाजी उसको देखते ही रहते है।
शालिनी : आज से गर्मी बढ़ गई है लगता है AC चालू करना पड़ेगा।
चाचाजी : नहीं नहीं एसा नहीं करना।
शालिनी : क्यु ?
चाचाजी : अभी मुन्ने के लिए ये पहली गर्मी है,बच्चे को पहली मौसम सहन करने देना चाहिए इस से उसके रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी और वो बीमार नहीं होगा बच्चे को पहले साल सर्दी, गर्मी और बारिस सहन करे तो वो हर मौसम झेल पाएगा।
शालिनी : ठीक है ,जैसे आप कहे, तो हम अब हल्के कपड़े पहनेंगे। जिस से गर्मी ना हो।
शालिनी फिर थोड़े गानों मे डांस करती है जिस मे वो कभी कभी झुककर अपने स्तनों को प्रदर्शित करती

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और जिस मे एक दृश्य मे तो हीरो हीरोइन के स्तनों के ऊपरी हिस्से पर माचिस की तीली को घिस के जलाता है तो शालिनी भी चाचाजी को एसा करने को कहती है ,चाचाजी भी एसा अभिनय करते है ,

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दोनों को कुछ अलग अह्सास होता है ,शालिनी कुछ भी करके वो चाचाजी को अपने स्तनों के प्रति सहज अनुभव करवा कर अपने स्तनों से उसको स्तनपान करवाना था।
चाचाजी पर उसका थोड़ा असर हो रहा था पर उसको अभी भी अपनी मान मर्यादा रोक रही थी शालिनी अब अपना दूसरा तरीका अमली करने की सोचती है
शालिनी अब क्या करेगी? और कैसे करेंगीं वो आगे पता चलेगा
 
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Waah adbhut Katha ek stree kaa jis prakar aap ne varnan kiya hai vo adbhut hai .muze bhi meri patani Arpita haar prakar se Sahara deti hai kabhi maata ban maar ,kabhi sakhi, kabhi saheli kee bhati , aap ne kahi paar bhee ek stree kee garima ko kaayam rakha
 
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