UPDATE - 9
धीरे धीरे सब महिलाएं चाची के घर पहुच जाती हैं, सब आनंद कर रही थी तभी बाहर शोर सुनाई देता है चाची बाहर देखने जाती है तभी एक पुलिस अधिकारी आता है और उसे भीतर जाने को और दरवाजा बंध करने को बोलता है,
क्युकी एक बदमाश पुलिस पर हमला करके भाग कर इसी बिल्डिंग मे आया है ,पुलिस सब घर मे ढूंढ रही होती है तभी शालिनी के घर का दरवाजा उसको आधा खुला मिलता है,क्युकी सभी घर के दरवाजा लॉक थे ,इस लिए बदमाश शालिनी के घर का दरवाजा चेक कर्ता है तो खुला हुआ था तो वो वही छुपा था, पुलिस जब शालिनी के घर मे पहुंचती है तो देखती है कि बदमाश और चाचाजी के बीच हाथापाई हो रही थी ,बदमाश के पास छुरा था फिर भी चाचाजी बहादुरी से सामना करके उसको धूल चटा देते है, चाचाजी को भी थोड़ी बहुत चोट आती है।
पुलिसकर्मी : आज आपने बहादुरी से एक बड़े बदमाश को पकड़ाया है, आप का बहुत बहुत धन्यवाद।
चाचाजी : मेरा फर्ज था। ये मेरे परिवार को नुकसान पहुंचाने जा रहा था,
बदमाश : वो तो हम पहुंचाएंगे तुमने मुझे पकडा कर अपना नुकशान करवाया है मे बदला जरूर लूँगा।
पुलिसकर्मी : ( डंडा मारते हुए ...)चुप कर बदमाश ,तू जैल से बाहर आएगा तब ना।
हवलदार उसको हथकड़ी पहना कर लेके जाता है ,उसके जाने के बाद नील रोने लगता है। पुलिसकर्मी जाकर नील को ले आता है ,
पुलिसकर्मी : ये आपका पोता है?
चाचाजी : हाँ
पुलिसकर्मी : इसके माता पिता किधर है?
चाचाजी : इसके पिताजी अमेरीका मे है और इसकी माँ पड़ोस मे गई है,
पुलिसकर्मी : आप बच्चे के सम्भाले मे बच्चे की माँ को बुला लाता हू।
पुलिसकर्मी जब चाची के घर आता है तो चाची दरवाजा खोलती है
चाची : क्या हुआ सर? इतना शोर क्यु है?
पुलिसकर्मी : एक बदमाश भागकर आपके पड़ोस वाले फ्लेट मे घुस गया था, उधर एक चाचाजी ने बहादुरी से उसे पकड़ाया ,उसने बताया कि उसके पोते की माँ इधर है,
बुलाए उसे।
चाची जब शालिनी को बुलाती है तो सब महिला क्या हुआ जानने के लिए बाहर आती है पुलिसकर्मी सब को साथ मे देखकर गुस्सा होता है।
पुलिसकर्मी : आपको पता नहीं है कि कर्फ्यू है, लोगों को इकठ्ठा होने पर मनाई है।
चाची : पर हम तो हमारे बिल्डिंग से बाहर नहीं गए। सब बोर हो रहे थे तो हमने सोचा सब मिले।
पुलिसकर्मी : आपके मिलने के चक्कर मे वो पड़ोस वाले घर मे घुस गया और चाचाजी को घायल कर दिया है
ये बात सुनकर शालिनी दौड़ती हुई अपने फ्लेट की और भागती है।
पुलिस सब को अपने घर जाने को और दोबारा फिर से मिलने पर मना करती है और शालिनी के घर की और जाता है,वो फोन करके एक सरकारी डॉक्टर को बुला लेता है।
शालिनी आते ही चाचाजी और नील को बाहों मे लेकर रोने लगती है ,तभी पुलिसकर्मी और बाकी के लोग देखने आते है,पर पुलिसकर्मी चाची के अलावा सब को घर भेज देता है,
पुलिसकर्मी : देखिए चाची आप लोगों की वज़ह से क्या हुआ ?
चाची : हमे माफ़ करे ,आगे से एसी गलती नहीं होगी,जब तक कर्फ्यू नहीं हटेगी तब तक हम घर मे रहेगे।
पुलिसकर्मी : आप इनका ख्याल रखिएगा, और कोई तकलीफ या कोई दिक्कत आए तो हमे कॉल कर देना वैसे हम हमारे दो आदमी नीचे गेट के पास तैनात रखेगे।
तभी चाची शालिनी को सम्हालते हुए चुप कराती है ,औेर पुलिसकर्मी द्वारा बताने वाली बातों को सुनने को कहती है ,शालिनी चुप हो जाती है।
पुलिसकर्मी : देखिए आपकी बहादुरी से वो बदमाश पकडा गया ,पर अभी आप सुरक्षित नहीं है, चाचाजी आप जब तक ठीक ना हो जाए तब तक आप लोग यहा रहे बाद मे थोड़े दिन के लिए शहर से दूर चले जाए,
चाचाजी : पर वो तो जैल मे है तो फिर क्या दिक्कत होगी?
पुलिसकर्मी : वो जैल मे है पर उसके आदमी यहा वहा होगे अगर उन्हें आपके बारे मे पता चला तो आप की जान को खतरा होगा। जब तक कर्फ्यू खत्म नहीं होती तब तक आप यहा रहे और तब तक हमारे दो पुलिसकर्मी नीचे गेट के पास तैनात रहेगे।
चाचाजी : बहुत बहुत शुक्रिया साहब।
पुलिसकर्मी वहां से चला जाता है और अपने दो लोग तैनात कराता है, शालिनी फिर से रोते हुए चाचाजी के घाव देखने लगती है। चाचाजी को दाएं हाथ की हथेली मे एक गहरा घाव था और पेट मे एक हल्का घाव था ,साथ साथ छोटी मोटी चोट थी ,तभी डॉक्टर आता है और चाचाजी की दवाई पट्टी करते है, हथेली का घाव गहरा होने की वज़ह से चाचाजी को उस हाथ से काम करने को मना करते है और उसको हल्का खाना और आराम मिले और सकारात्मक वातावरण बनाए रखने की सलाह देते है।
डॉक्टर के जाने के बाद चाची शालिनी को सांत्वना देती है ,और वही पुलिस वाले को खाना पीना कर देगी तुम बाहर मत निकलना और कुछ काम पड़े तो उसको फोन करने को कहती है फिर वो चली जाती है। उसके जाने के बाद शालिनी नील को सोफ़े पर लेटा के चाचाजी को सहारा देकर सोफ़े पे बिठाती है और उसके बगल में बैठ जाती है।
शालिनी : (रोते हुए...)ये सब मेरी गलती है, मेरी वज़ह से ये हुआ ,ना मेने दरवाजा खुला छोड़ती, ना वो बदमाश भीतर और ना ये सब होता ,मुझे माफ़ कर दीजिए चाचाजी।
चाचाजी : तुम्हारी गलती नहीं है तुम्हें थोड़ी न पता था कि ये सब होगा ,जो हुआ सो हुआ अब अपने आप को संभालो, और पहले जैसी हो जाओ।
शालिनी : ठीक है पर आप मुझे बताओ क्या हुआ था?
चाचाजी : मे बाथरूम करने के लिए गया था ,जब लौटा तो देखा बदमाश अपने कमरे की और जा रहा था ,तभी पुलिस का शोर भी हो रहा था ,तो मेने उसे बाहर निकलने को बोला,फिर उसने छुरा दिखाते हुए मुझे मारने की धमकी दी, फिर भी मे उसकी और बढ़ा तो वो कमरे मे जाने लगा था तभी मुझे नील का ख्याल आया और मेने दौड़कर उसको गिरा दिया और कमरे से बाहर खींचकर लाया फिर हमारे बीच हाथापाई हुई और तब तक पुलिस आ गई फिर तो तुमको पता है।
शालिनी ये सुनकर भावुक हो गई कि चाचाजी ने नील को बचाने के लिए अपनी जान जोखिम मे डाली। वो तुरत खड़ी हुई और चाचाजी के सिर को अपने पेट से सटा के गले लगाया
,चाचाजी भी उनकी भावना का सम्मान करते हुए कुछ नहीं बोलते और उसी स्थिति मे रहते है। थोड़ी देर बाद वो अपने आंसू पोंछके चाचाजी के बगल में बैठ जाती है।
शालिनी : आज आपने मेरे बेटे की जान बचाई है इस लिए मे बहुत खुश हूं।
चाचाजी : बस तुम लोग खुश रहो और सही सलामत रहो बस
शालिनी : आपका क्या ? मेरे वज़ह से आपकी यह हालत हुई है तो अब आपको पहले जैसा स्वस्थ बनाने की जिम्मेदारी मेरी है। मे जब तक आप पहले जैसे नहीं हो जाते तब तक आपके सारे काम मे करूंगी और आप खुश रहें वैसे करुँगी।
चाचाजी : पर मे ठीक हुँ।
शालिनी : मुझे नहीं लगता ,और जब तक मुझे नहीं लगेगा तब तक मे आपके सारे काम मे मदद करेगी और मेरे बच्चे की जिंदगी बचाने के लिए आपने ये घावों को सहा है तो जब तक घाव ठीक नहीं होते आप मेरे बच्चे रहेगे।
शालिनी नीरव को कॉल करती है अभी यहा पे करीब 4 बजने वाले थे और उधर अमरीका मे करीब करीब सुबह के 7 बजने वाले थे तो नीरव अभी घर मे होगा।
शालिनी : हैलो नीरव गुड मॉर्निंग कैसे हो ? नाश्ता किया?
नीरव : good morning,Love you baby,मे ठीक हू ,आज तो मेरा दिन अच्छा जाने वाला है सुबह सुबह मेरी खूबसूरत और प्यारी पत्नी का कॉल आ गया ,वह..
शालिनी : तुम्हारा तो पता नहीं पर हमारा अभी तक का दिन बहुत बुरा गया और खास तौर पर चाचाजी का ,
नीरव : क्या हुआ ? सब ठीक तो है ना ?
चाचाजी शालिनी को सब बताने को मना करते है पर शालिनी उसका कहना नहीं सुनती और सब बताने लगती है, नीरव सब सुनने के बाद चौक जाता है,
नीरव : कैसे है चाचाजी ? उससे बात कराओ।
शालिनी फोन स्पीकर पर कर के
शालिनी : फोन स्पीकर पर है बात करो।
नीरव : चाचाजी कैसे है आप । आपको ज्यादा चोट तो नहीं आई? आपका बहुत बहुत धन्यावाद, आज आपने हमारी जिगर के टुकड़े को बचाया है ,मे ये आपका ये एहसान कैसे चुकाएगा?
चाचाजी : एहसान की बात करके मुझे पराया बना दिया ,मुन्ना मेरा भी कुछ लगता है ,परिवार के लोग एक दूसरे की मदद नहीं करेगे तो कोन करेगा?
नीरव : ये बात सही है आपकी फिर भी आपका धन्यवाद। शालिनी चाचाजी का खास ध्यान रखना ,उसे कोई तकलीफ ना हो।
शालिनी : हाँ नीरव ,चाचाजी जब तक ठीक नहीं होते तब तक वो मेरे बच्चे है, मे नील जितना ख्याल रखूंगी। नीरव आपसे एक बात पूछूं?
नीरव : हाँ पूछो
शालिनी फोन नॉर्मल मोड पर करके कमरे मे जाके बात कर ने चली जाती है।
शालिनी : हैलो नीरव ,मे ये पूछना चाहती थी कि चाचाजी के हथेली और पेट के भाग मे और पैर मे थोड़ी अंदरूनी चोट लगी है ,तो क्या मे उसकी सेवा कर सकती हू?
नीरव : उसमे पूछने की क्या बात है,करनी ही चाहिए ,मेने बताया था ना कि चाचाजी ने हमारी कितनी मदद की है।
शालिनी : हाँ वो तो मे जानती हू इस लिए तो पूछ रही हू ,मेरे कहना का ये मतलब है ,अभी चोट की वज़ह से चाचाजी के खाने पीने और नहाने का पूरी तरीके से ध्यान रखूं?मतलब कि उसको अपने हाथों से खिलाना पिलाना शुरु करू ,और उसको नहलाने को भी करू या नहीं ?
नीरव : खिलाने पिलाने तक ठीक है पर नहलाने मे थोड़ा संकोच हो सकता है, तुमने कहा ना तुम बच्चे जैसा ख्याल रखेगी तो अपने हिसाब से देखो चलो अगर हम मान भी जाए पर चाचाजी नहीं मानेंगे,
शालिनी : तुम्हें कोई आपत्ति नहीं है ना ? बाकी मे चाचाजी से बात करूंगी और बाद मे तुम्हें बताऊंगी।
नीरव : वैसे तो चाचाजी अच्छे इंसान है ,हमारी वज़ह से उनकी ये हालत हुई है और थोड़े दिनों की बात है, अगर तुम्हें ठीक लगे और तुम्हारा मन इस बात मे सही लगे तो करो मुझे कोई आपत्ति नहीं,
शालिनी : नीरव क्या तुम ये बात मुझे वॉयस मैसेज मे भेज सकते हो अगर चाचाजी अगर तुम्हारे मुह से ये स्वीकृति सुनेंगे तो मान जायेगे।
फिर दोनों इधर-उधर की बात करते है तभी नील के रोने की आवाज आती है तो शालिनी बात खत्म करके तुरंत आती है और नील को गोदी मे ले लेती है ,फिर वो सोफ़े पर ही बैठ के पल्लू से नील का सिर ढककर ब्लाउज के हूक खोल के दाया स्तन नील के मुह मे देती है नील भी स्तनपान करने लगता है ,चाचाजी की नजर कभी कभी उधर चली जाती ,परंतु शालिनी उसको सब नॉर्मल महसूस करवाने के लिए चाचाजी से इधर उधर की बातें करती जिस से चाचाजी उस से नजरे मिला के बात करे ,थोड़ी देर बात दूसरे स्तन पर नील को लगा के वो बैठ कर मोबाइल देखने लगती है, जब नील का पेट भर गया तब उसने स्तन को छोड़ दिया,
(नील को क्या पता के अगर ये स्तनों की जोड़ी कोई वयस्क पुरुष के हाथो मे या मुह मे आए तो कभी छोड़ने की ना सोचे)
शालिनी अपने आप को ठीक करके नील को चाचाजी के बग़ल मे सुला के कमरे मे जाती हैं, और वहा जाके अपने कुछ सेल्फी और कुछ छोटे वीडियो बना के नीरव को भेजती है।
फिर वो वापिस आके चाचाजी की तबीयत पूछती है ,बाद मे वो खिचड़ी और पालक की सब्जी बनाती है,वो नील को भी खिचड़ी पीस के नील को खिलाती है, बाद मे दोनो खाना खाने बैठते हैं।
चाचाजी : आज मेरी वज़ह से तुम्हें भी एसा भोजन खाना पड रहा है।
शालिनी : मेरी वज़ह से आपकी ये हालत हुई है उसका क्या ? थोड़ी सजा मिलनी चाहिए मुझे,वैसे क्या बुराई है इस खाने मे ,थोड़े दिन पोष्टिक और शरीर के लिए अच्छा खाना खा लेगे तो अच्छा है।
दोनों खाना खत्म करके चाचाजी हॉल मे आते है और नील के साथ खेलते है और शालिनी सब काम करती है, थोड़ी देर में वह भी आती है और दोनों मिल के नील को हंसाने का प्रयत्न करते है थोड़ी देर मे नील सो जाता है तो शालिनी भी चाचाजी को सोने के लिए कहती है,
शालिनी : चलिए छोटा बेटा तो सो गया बड़ा बेटा भी अब सो जाओ, अब ज्यादा से ज्यादा आराम करना है।
शालिनी नील को पालने मे सुला देती है जब वापिस आती है तो देखती है चाचाजी सहारा लेकर आ रहे थे, तो वो जल्दी से जाके उसको सहारा देती है, वह चाचाजी का हाथ अपने कंधे पर रख कर अपना एक हाथ चाचाजी के हाथ मे और दूसरा चाचाजी की कमर पकड़ कर दोनों कमरे मे आते है।
शालिनी : अरे मे भी कितनी भुलक्कड हू ,आपके लिए दुध लाना भूल गई, अभी लाती हू,
चाचाजी : नहीं नहीं ...चलेगा मुझे ,नहीं पीना दुध।
शालिनी : क्यु नहीं पीना? आपको दुध पीना ही पड़ेगा ,अगर दुध नही पसंद तो भी मे नाक दबाकर पीला दूंगी।
चाचाजी : पसंद तो है,पता है जब छोटा था ना तो माँ गाय को दोहन करके ताजा ताजा दुध मुझे पिलाती ,उसी वज़ह से आज उस बदमाश को धूल चटा दी।
शालिनी : तो फिर आज क्यु मना कर रहे है?ताजा नहीं है तो क्या ? दुध तो दुध होता है, उसे पीने से आप जल्दी ठीक हो जाएंगे।फिर हमे गाव भी जाना है।
चाचाजी : हाँ गाव भी जाना पड़ेगा ,गाव तो गाव है ,अच्छा हुआ इसी बहाने गाव वापिस जाने को मिलेगा।
शालिनी जाती हैं और गर्म किया हुआ दुध लाके चाचाजी को देती है ,चाचाजी दुध पीकर बेड पे लेट जाते है।
शालिनी : आज आप मेरे पैर के ऊपर अपना पैर कैसे रखेगे? आप को पैर मे दर्द है।
चाचाजी : पैर के ऊपर वजन आने से दर्द होता है,वैसे दर्द नहीं करते, वैसे भी इस गद्दे से मुलायम तुम्हारे पैर है उसपे ज्यादा आराम मिलेगा।
शालिनी : मक्खन लगाना भी कोई आपसे सीखे। ठीक है पैर रखिए पर आराम से अगर दर्द हो रहा हो तो हटा लेना।
चाचाजी शालिनी के पैर पर पैर रख के सो जाते है, रात मे शालिनी रोज की तरह अपने स्तन खाली करने जाती है,
सुबह मे आज शालिनी चाचाजी से पहले जगती है
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,क्युकी उसको योग करना था ,और चाचाजी को आराम करना था तो वह उनको नहीं जगाती, वह योग खत्म करके जब कमरे मे आती है तो देखती है चाचाजी बेड पर बैठे हुए थे।
शालिनी : आप कब जगे? आराम कीजिए ,इस लिए आपको नहीं उठाया, मे आके जगाने वालीं थी।
चाचाजी : मुझे नहीं पता था कि तुम जगाने आने वाली हो वरना मे सोया रहता,
शालिनी : चलिए बाहर चलिए थोड़ी देर बाहर ताजी हवा खाइए आपको अच्छा लगेगा।
शालिनी चाचाजी को सहारा दे कर हॉल मे लाती है, चाचाजी प्राणायाम करते है ,और फिर नहाने को कहते है।
शालिनी : हाँ। हाँ चलिए (थोड़ा रुककर, )चलिए नहाने।
चाचाजी : चलिए का मतलब ? पहले तुम जा रही हो या मे ?
शालिनी : पहले आप नहाएंगे ,वरना मे फिर से भीग जाऊँगी।
(शालिनी सीधा सीधा कहने मे शर्मा रही थी)
चाचाजी : फिर से क्यों भीगती?
शालिनी : वो ...वो ...बात यह है कि ....
चाचाजी : क्या बात है?
शालिनी : (शर्माते हुए) बात यह है कि मे आपको नहलाने वाली हू।
चाचाजी : ये क्या कह रही हो?
शालिनी : (थोड़े आत्मविश्वास से)जो आपने सुना।
चाचाजी : क्या बकवास है? कोई भांग खाई है क्या ?मुझे क्यों नहलाओगीं?
शालिनी : वो आपको चोट लगी है तो आप ठीक से नहा नहीं पाएंगे,और मे आपकी सेवा करना चाहती हूं।
चाचाजी : तुम मेरी सेवा कर तो रही हो,इतना सब तो करती हो, नहीं ..नहीं ये रहने दो,मे इतना भी अशक्त नहीं हू।
(एसे बोलते हुए झटके से खड़े होते है तो पैर मे दर्द होता है तो लड़खड़ाते नीचे बैठ जाते है, )
शालिनी : देखा ,अब आप मुझे मत समझाये मुझे पता है क्या करना है और क्या नहीं, अभी आप जब तक ठीक नहीं होते आप मेरे बच्चे है ,हर जगह हर समय, ठीक है।
चाचाजी : ये सही नहीं है, नीरव इधर नहीं है, अगर किसीको पता चल गया ,और नीरव को पता लगेगा तो मेरा सम्मान जो उसकी नजरो मे है वो गिर जाएगा।
शालिनी : यही चिंता है ना आपको ?आपकी ये समस्या भी हल कर देती हू,किसी और को पता नहीं लगेगा ,किसी और को बतायेगा कौन?दूसरों के सामने हम समान्य व्यावहार करेगे ,
चाचाजी : अगर किसी तरह नीरव को या तुम्हारे ससुर को पता चलेगा तो मेरा सम्मान और प्रतिष्ठा मिट्टी मे मिल जायेगे।
शालिनी : मेने नीरव से बात कर ली है इस बारे मे ,उसने ये फैसला मेरे ऊपर छोडा है, फिर भी आपको विश्वास नहीं है तो आप एक बार ये वॉयस मेसेज सुन ले।
शालिनी चाचाजी को वॉयस मेसेज सुनाती है।
वॉयस मेसेज : चाचाजी मे नीरव बोल रहा हू ,आपकी तबीयत को लेके हम दोनों को चिंता है ,आप जल्द से जल्द ठीक हो जाए ,इस लिए शालिनी आपकी जो सेवा करना चाहती है उसे करने दीजिए ,उसको आप पे पूरा भरोसा है मुझे शालिनी पे भरोसा है कि वो जो भी करेगी आपके अच्छे के लिए होगा ,इस लिए आप भी उसको पूरा सहयोग करे, अब हमारी बारी है आपकी सेवा करने की तो हमसे ये लाभ मत छीनीए। आप शालिनी जैसे आपकी सेवा करना चाहती है वैसे करने दे ,अपना ध्यान रखे। bye
शालिनी : बस अब आपको हो गई संतुष्टि?अब मुझे आपकी सेवा करने दीजिए।
चाचाजी : पर मुझे अजीब लगता है
शालिनी : इस लिए तो मे आपको अपना बच्चा बना रही हू, जैसे आप कमरे मे होते है, जैसे नील को संभालती हू वैसे आपको संभालेंगी,थोड़े दिन की बात है बाद मे जो आपकी मर्जी वो करना ठीक है,
चाचाजी : पर ...
शालिनी : अब पर वर कुछ नहीं,अभी आपने कुछ बोला तो डाट पडेगी, मेरा गुस्सा बड़ा ही खतरनाक है, (हँस देती है)
चाचाजी : ठीक है माँ आप जीती मे हारा, मे आपको गुस्सा नहीं दिलाऊंगा, जो आप कहेगी वहीं मे करूंगा।
शालिनी : मेरे अच्छे बच्चे, चलो अब नाई नाई करेगे,
शालिनी चाचाजी को सहारा देके बाथरूम मे ले आती है
,बाथरूम मे आके चाचाजी का कुर्ता निकलने मे मदद करती है, बाद मे चाचाजी अपना पजामा निकलने मे संकोच कर रहे थे ,पर शालिनी उसको सामने से उसको पजामा निकलने को कहती है, शालिनी पजामा का नाड़ा खोल के नीचे करती है ,इस समय शालिनी चाचाजी मे बच्चे के भाव से ही ये सब करती है ,और उसे भरोसा है कि चाचाजी भी उसको अपनी माँ समझेंगे,
यह पहली बार था जब चाचाजी सिर्फ एक चड्डी मे शालिनी के सामने थे ,एक मर्दाना शरीर ,जो ना ही काला था और नाही गौरा, चौड़ी छाती जिसपे सफेद बाल ,सिर और दाढ़ी के भी सफेद बाल ,बलिष्ठ भुजाएं, अगर जोर से किसी को भींच दे तो उसका वहीं दम निकल जाए, थोड़ा सा पेट बाहर निकला हुआ वैसे तोंद नहीं है,लोहे के खंबे जैसे पैर ,पैर पर भी सफेद हल्के बाल, मानो कोई योद्धा हो, एसा शरीर कैसे ना हो? गाव के असली और ताजा दुध और घी,खाया है और खेतों मे मेहनत की है,शालिनी का भी मन विचलित हो जाता है ,पर वो अपने आप को संभालती है,उसकी सांसे थोड़ी तेज होने लगी थी ,क्युकी ये पहली बार था ,वो चाहे कितना भी कहे कि वो उसको बच्चे की तरह मान कर ये कह रही है पर मन में किसी गैर मर्दाना स्पर्श से किसी स्त्री को महसूस होता है वैसा होता है, पर वो जताती नहीं,बड़ी मुश्किल से अपनी भावना छुपा के समान्य बर्ताव कर रही थी। ठीक वैसा ही हाल चाचाजी का था।
शालिनी सोचती है चाचाजी अच्छे इंसान है,उसने मेरे बच्चे की जान बचाई है ,उसके लिए इतना नहीं कर सकती ?,पहलीबार है इस लिए अजीब लगता है ,एक दो दिन मे आदत हो जाएगी जैसे चाचाजी का मेरे ऊपर पैर रखना और चाचाजी के सामने नृत्य करना सामन्य हो गया।
शालिनी पहले चाचाजी की पट्टी को प्लास्टिक बेग से ढक देती है ,जिससे पट्टी गिली ना हो,वो पहला पानी का मग भरकर चाचाजी के शरीर पर डालती है,धीरे धीरे हाथ घूमती जाती है फिर वो साबुन लेके हल्के हाथो से चाचाजी के शरीर को लगाती हैं, जैसे ही शालिनी के कोमल हाथो का स्पर्श चाचाजी के गठ्ठीले और मर्दाना शरीर से होता है तब इस समय दोनों के शरीर मे एक कंपकंपी हो रही थी मानो तेज करेंट दौड़ गया हो, चाचाजी को नहलाने मे वो खुद भी थोड़ी गिली हो जाती है,उसके गर्दन पे पानी की बूंदे मोती जैसे चमकती है साथ ही उसके कपड़े भी गिले होते हैं। नहलाने के बाद वो चाचाजी के शरीर को पौछती है वो जब चाचाजी के पैर पौछती है तब देखती है चाचाजी का लिंग चड्डी उभरा हुआ था ,वो नजरअन्दाज कर के तौलिया चाचाजी के कमर पर बांध देती है और बाथरूम से बाहर आ जाती है,चाचाजी गिली चड्डी निकलकर नई पहनकर बाहर आते है।
जब वो बाहर आते है तो शालिनी कमरे मे अपने कपड़े और तौलिया लेने गई थी,फिर शालिनी अपने कपड़े और तौलिया रख के चाचाजी के पास आती है ,
शालिनी : चलो कपड़े पहन लो।
चाचाजी : नहीं नहीं ...मे पहन लूँगा
शालिनी : मेने आपसे पूछा नहीं ,बताया है ,चुपचाप चलिए ,
चाचाजी चुपचाप कमरे मे आते हैं, आज शालिनी उसको नीरव का एक घुटनों तक बड़ा एक चड्डा था जो वो रात को पहनता था ,वो शालिनी उसको पहना देती है,और एक बनियान चाचाजी को पहनती है।
शालिनी : थोड़े दिन आप एसे कपड़े ही पहनेंगे जिस से आराम मिले।
चाचाजी बेड पर बैठे थे तब शालिनी नील को जगाकर चाचाजी की और पीठ करके शर्ट के बटन खोल के स्तनपान कराती है जब स्तनपान हो जाता है तो वो नील को बाहर हॉल मे रख के आती है बाद मे चाचाजी को सहारा देके नील के बगल मे बिठा कर नहाने चली जाती है,
वो बाथरूम मे जाके पहले बचा हुआ दुध निकालती है
, फिर नहाकर तैयार होके बाहर आती है, बाद में वो नाश्ता बनती है और दोनों नाश्ता करते है ,नाश्ता करके घर के काम कर रही थी तभी पड़ोस वाली चाची और उसके पति दोनों चाचाजी का हालचाल पूछने आते है, चाची के पति और चाचाजी जान पहचान करते है और चाची शालिनी के काम मे हाथ बटाने लगती है,शालिनी के मना करने के बावजूद वो मदद करती है,
चाची : कैसी तबीयत है अब चाचाजी की ?
शालिनी : ठीक है, लेकिन अपने रोजमर्रा के काम नहीं कर सकते खाना पीना ,ठीक से चलना ,नहाना ,जैसे कामों मे मदद करती हू उनकी।
चाची : उसको केले दुध सेब रोजाना देना उसको जल्दी ठीक करने मे मदद मिलेगी।
तुमने कहा नहाने मे तुम मदद करती हो, क्या सच में?
शालिनी (नजरे नीचे करके..)हाँ पर अपना बेटा समझकर
चाची : ठीक है इसमे कोई बुराई नहीं ,उसको माँ की ममता और प्यार मिलेगे ,बहुत शक्ति होती है ममता मे,और हाँ उन पुलिसकर्मी को मेने नास्ता दे दिया है और उसको खाना भी मे पहुचा दूंगी तुम चिंता नहीं करना ,और बाहर मत निकलना, कुछ चाइये तो कॉल करना।
चाची और उनके पति थोड़ी देर मे चले जाते हैं, शालिनी दरवाजा बंध करके आती है और चाचाजी को दवाई खिलाती है, और खुद भी पी लेती है,
शालिनी नील को चाचाजी के बग़ल मे बैठ कर पल्लू से ढककर स्तनपान कराने लगती है, फिर वो नील को सुलाकर साड़ी बदलकर आती है,
चलिए अपना कार्यक्रम शुरू करते है, आज आप दर्शक और निर्णायक बनेंगे, आखिर मे बताना कैसा है?
शालिनी पल्लू को कमर मे लगा के नाचने लगती तो कभी पल्लू गिरा कर कभी पल्लू लहराती और हूबहू अभिनेत्री जैसी अदा दिखाती,
शालिनी : कैसा लगा मेरा डांस?
चाचाजी : बहुत बहुत बढ़िया, हर रोज़ अगले दिन से बेहतर।
शालिनी : बस बस इतना भी चने के पेड़ पर मत चढ़ाये। अभी गर्मियां शुरू होने वाली है ,तो अगर हम गाव जायेगे तो उधर ज्यादा गर्मी होगी ना?
चाचाजी : हाँ दिन को तो बहुत गर्मी होती है,क्युकी वहा से रेगिस्तान थोडी सी दूरी पर है, पर शाम होते पूरा वातावरण ठंडा हो जाता है,शहर की तरह नहीं की रात मे भी गर्मी।
शालिनी : चलो अब मे खाना बनाने जाती हू वर्ना देर होगी।
चाचाजी : आज कहा तुमको वो पार्टी मे जाना है,थोड़ी देर मेरे साथ बात करो ,फिर बना लेना आराम से,
दोनों बातचीत करते है जिस मे वो काफी बाते करते है और कई एकदूसरे की बचपन की ओर राज की बाते कह देते है, दोनों काफी खुलकर बात करने लगते है मानो दोनों एकदूसरे के जिगरी मित्र हो,
शालिनी : आप एसे ही मेरे साथ बात करो तो मुझे भी अच्छा लगता है।
चाचाजी : पता नहीं पर आज तुमसे बात कर के मजा आ रहा है, लगता है कोई है जिस से दिल की बात कह सकते है।
शालिनी : आप भी कर सकते हैं और मैं भी आपसे अपनी दिल की बात कह सकती हू।
चाचाजी : एक बात पूछूं? बुरा मत लगाना।
शालिनी : हाँ हाँ पूछो मेरे बच्चे...
चाचाजी : आप इतने दिनों से इतना सब कर रहे हों तो कुछ फर्क़ पड़ा है कि नहीं?मेरा मतलब पतली हुई कि नहीं
शालिनी : बिल्कुल पड़ा है देखो एसा कहके पल्लू हटा के अपने ब्लाउज के निचले सिरे मे दो उंगलिया डालकर दिखती है और कहती है पहले ये तंग हो रहा था अब देखे, फर्क़ साफ है
बातों मे बातों मे बच्चे के बारे मे बात निकलती है जिस मे शालिनी चाचाजी से बच्चों के बारे मे पूछती है, उसकी परवरिश में क्या ध्यान रखा जाए, उसको क्या खिलाए ?उसको कैसे महफ़ूज़ महसूस करवाएं, आदि..आदि...
चाचाजी भी शालिनी के सारे प्रश्न का जवाब सविस्तार देते है,तभी शालिनी के स्तनों मे दर्द होता है,पर वो सहन करती है,
शालिनी : (मज़ाक में ...)ये पहली बार होगा के एक छोटी माँ अपने बड़े बेटे से अपने छोटे बेटे की परवरिश के बारे मे पूछ रही है।
चाचाजी : आपको मुझे अपना बड़ा बेटा बनाना अच्छा लगता है ?
शालिनी : क्यु ना लगे ? थोड़ा अजीब है पर अनूठा है, स्त्री अपने पसंदीदा पुरुष के लिए हर तरह का रिश्ता निभाती है,
जब भी पुरुष को जिस रिश्ते की जरूरत पड़े उस रिश्ते मे स्त्री ढल जाती हैं, अभी आपको देखभाल और वात्सल्य की जरूरत है इस लिए मे आपकी छोटी माँ बनी हू।
चाचाजी : ये बात तो सही है, तो मे भी अब पूरी तरह बच्चा होकर आपका प्यार और वात्सल्य मे भीग जाऊँगा।
शालिनी : ठीक है यह तय रहा जब तक आप ठीक नहीं होते तब तक मे आपकी छोटी माँ, और आप मेरे बड़े बेटे ,
चाचाजी : ठीक है तो जब तक ठीक नहीं होता तब तक मे आपको छोटी माँ बुलाएंगे, और आप मुझे आप की जगह तुम कहोगे
शालिनी : ठीक है मेरे बच्चे..अब मे जाऊँ खाना बनाने की बातों से पेट भरना है?
चाचाजी : मन तो करता है, बात करता रहूं पर आपको और छोटे भाई को भूख लगी होगी।
शालिनी खाना बनाने जाती है और बीच मे नील के रोने की आवाज आती है ,वो तुरत जाके नील को ले आती है और चाचाजी के पास रख देती है ,चाचाजी उसे शांत करते है,थोड़ी देर मे शालिनी चाचाजी को सहारा देके खाने की मेज़ पर बिठाती है और नील को गोदी मे बिठाकर उसे पिसा हुआ दाल उसको खिलाती है, साथ मे खुद भी खाना खा रही थी ,फिर वो नील को कमरे मे बेड पर रख कर चाचाजी को सहारा देके बेड पर बिठा देती है।
सारे काम निपटाने के बाद शालिनी पल्लू से चेहरा पोछते हुए कमरे मे आती है, देखती है चाचाजी नील को हँसा रहे थे, शालिनी ये देख के खुश होती है।
शालिनी : चलो बहोत हो गया हँसी मज़ाक अभी सो जाओ दोनों।
एसा बोलते हुए नील को पालने मे रख के पालना जुला रही थी साथ ही चाचाजी के सीने मे थपकी देके सुलाने लगती है
चाचाजी : मुझे एसे नींद नहीं आती अब।
शालिनी : मुझे पता है तुमको कैसे नींद आती है पहले छोटे को सुला दु बाद मे बड़े कि बारी।
थोड़ी देर में नील सो जाता है फिर शालिनी चाचाजी की और करवट लेके उसको अपने पैर के ऊपर पैर रखके सोने को कहती है,और चाचाजी इसे ही करते है।
चाचाजी : एक बात कहु ,मुझे गलत नहीं समझना,आपने इन दिनों मे अपना बेटा माना है और उसी तरह रहने को कहा है तो क्या मे एक बच्चे जैसे सो सकता हू? और आप मुझे एक माँ की भाँति सुलाने की कृपा करे।
शालिनी : जरूर..मेने सिर्फ कहने के लिए नहीं कहा और ना ही आपको अच्छा लगाने के लिए ,मेने सच मे आप और मे एसे रहे जिससे मुझे तुम्हारी सेवा करने मे संकोच ना हो।
चाचाजी : धन्यावाद आपका ,
शालिनी : माँ से कोई धन्यवाद बोलता है भला ? बताओ कैसे सोना है तुम्हें?
चाचाजी : मे आपसे एक बच्चे के भाँति सीने से चिपककर सुरक्षित होके चैन की नींद सोना चाहता हू ,इस दुनियादारी को छोड़कर इस घर को दुनिया समझकर सोना चाहता हू ,मेरी सभी चिंता,मेरी सभी परवाह आपके ऊपर छोड़ के निश्चिंत होके सोना चाहता हू ,
शालिनी भावुक होके चाचाजी जो भी खुद भावुक हो गए थे उसे अपने सीने से चिपका देती है
जिस से चाचाजी का सिर उसके उभरे हुए मुलायम स्तनों मे दब जाता है, और चाचाजी अपना हाथ शालिनी के कमर पर और पैर उसके पैरों पर रख के आराम से सोते है, इस दोरान चाचाजी की गर्म साँसे शालिनी के स्तनों के बीच कि दरार मे जाती और भीतर ही घूमती और तभी चाचाजी के आंख से निकला आंसू शालिनी के उभरे हुए स्तनों के उपरी भाग मे गिरता है, जिससे शालिनी चाचाजी के बालो को चूमती हुई उसके सिर को थोड़ा और कसकर भींच लेती है
शालिनी : सो जा मेरे बच्चे ,तुम्हें कुछ नहीं होगा मे हू ना, तुम आराम से सो जाओ ,भूल जाओ दुनिया को ,दुनिया को जो कहना है कहे ,जो करना है करे ,जब तक ठीक नहीं होते तब तक मेरे बेटे की तरह ख्याल रखूंगी।
शालिनी सिर पर हाथ घुमाने लगती है थोड़ी देर मे दोनो सो जाते है ,आज वो देर तक सोते है जब शाम को घंटी बजती है तो दोनों की नींद खुलती है, जब दोनों जागते है तो देखते है चाचाजी शालिनी से चिपक कर सो रहे थे
मानो कोई सहमा हुआ बेटा अपनी माँ से चिपक कर सोया हो। दोनों एक दूसरे की आँखों में देखते है ,और शालिनी प्यारी-सी मुस्कान देती है।
शालिनी : आज तो देर हो गयी ,चलिए उठिए, मे देख के आती हू कौन है?
शालिनी मुँह धोकर सेफ्टी हॉल से देखती है चाची है, वो दरवाजा खोलती है, अभी भी शालिनी ने नृत्य वालीं साड़ी पहनी थी पर चाची को सब पता है इस लिए वो निश्चिंत थी ,चाची अकेली आयी थी ,दोनों आते है और सोफ़े पर बैठते है,
चाची : कैसी तबीयत है चाचाजी...अरे नहीं तुम्हारे बेटे की?
शालिनी : ठीक है अब वो सही मे मेरे बच्चे बनने का प्रयत्न कर रहे हैं। मे भी उसको वहीं प्यार और दुलार दे रही हू जो नील को देती हू।
तभी चाचाजी आते है अभी वह नींद से जागे थे ,और एसे ही आकर शालिनी के बगल मे आके बैठ जाते है।
चाचाजी : आप वहाँ सामने वाले सोफ़े पर बैठ सकती है?
चाची : क्यु नहीं
एसा बोलकर चाची सोफ़े पर बैठ जाती है और चाचाजी शालिनी के गोदी मे सिर रख के सो जाते है और शालिनी भी उसके सिर पर हाथ फिराती है और उसके बालों मे उंगलिया घुमाने लगती है।थोड़ी देर मे चाचाजी करवट लेके शालिनी के पेट की ओर अपना मुह करके लेटे रहते है शालिनी को इस से कोई फर्क़ नहीं पडता वो उसके सिर को सहला रही थी।
शालिनी : (चाची से...)मेने कहा था ना कि हम कोशिस कर रहे है, अपने नए रिश्ते को निभाने की
चाची : इसमे कुछ गलत नहीं है, लगे रहो,मे ये बताने आयी हू कल से 1 सप्ताह तक अपना दुध वाला नहीं आने वाला,उसका फोन आया था ,उसके विस्तार मे दंगे होने से पुलिस ने उस विस्तार को पूरी तरीके से कर्फ्यू लगा दी ,और दूसरे दुध वाले से पूछा तो वह सब को नहीं दे सकता इस लिए सब को आधा लीटर तक दे सकता है और वो भी रोज मिले या ना मिले ,
शालिनी : कैसा समय आ गया अब दूध मे भी कटौती, ये दंगाइयों को पकड पकड के मारना चाहिए ,हमे कितनी तकलीफ हो रहीं है उसका कोई परवाह नहीं
चाची : वो सब पकड़े जायेगे देखना ,
शालिनी : लेकिन कब ? (चाचाजी से..)अब आप जाइए और हाथ मुँह धों ले।
चाचाजी बिना कुछ बोले बाथरूम मे चले जाते हैं।
चाची : उस पर क्यु गुस्सा निकाल रही हो ,भूल गई उसने तुम्हारे बेटे की जान बचाई है।
शालिनी : गुस्से मे पता नहीं रहा ,मे अभी उससे माफी मांग लुंगी। अब ये दुध का कुछ करना पड़ेगा ,अब तो चाचाजी को भी रात को दुध देती हू। अब क्या करेगे आधा लीटर मे,इतना तो चाय मे ही खत्म हो जाएगा।
चाची : (मज़ाक मे ...)तुम्हें कब से दुध की कमी होने लगी? ब्लकि तुम तो दुध होने से परेसान हो ,तुम तो दुध नहीं लौंगि तो भी तुमको परेसानी नहीं होगी।
शालिनी : आप भी ना ,एसे समय मे भी आप मज़ाक कर रही है।
चाची : उसमे गलत क्या है? ,वैसे अब तो दो बेटे है ,अगर बेटा माना है तो पूरी तरह से बना लो तुम्हारा भी काम हो जाएगा और उसका भी।
शालिनी : क्या बोल रही है आप ?
चाची : देखो ,तुम्हें ज्यादा दुध उतर रहा है,और चाचाजी को दुध की जरूरत है चाहे वो गाय का हो ,भैस का हो ,या माँ का,जब तक दुध वाला नहीं है उतने दिन की बात है,और चाचाजी ने तुम्हारे बेटे की खातिर जान की बाज़ी लगा दी और तुम उसके जान की परवाह नहीं है,उतना नहीं कर सकती?
शालिनी : पर....
चाची : पर क्या ? उसमे तुम्हारा स्वार्थ और परमार्थ एक साथ है ,तुम्हारे स्तनों मे दुध खाली हो जाएगा और तुम्हें दर्द नहीं सहना होगा ,साथ मे उस आदमी की मदद भी हो जाएगी ,मे ये सलाह इस लिए दे रही हू क्युकी तुम दोनों माँ बेटे का रिश्ता निभा रहे हो वरना मे कभी नहीं कहती, और मेने अभी देखा कैसे वो आके तुम्हारी गोदी मे आके सो गए,मेने जो कहना था वो कह दिया आखिरी फैसला तुम्हारा होगा।
इतना बोलकर चाची चली जाती है,और शालिनी के मन मे एक द्वंद चलने लगता है,तभी चाचाजी भी आ जाते है पर थोड़ा दूर बैठते है, शालिनी ये देख के दुखी होती है।
शालिनी : (मन में..)चाचाजी ने हमारे लिए इतना किया और मेने क्या किया ,मेने ही तो उसको अपने बेटे का दर्जा दिया था ,और पहले ही अवसर मे मेने उसको दुत्कार दिया, मुझे मेरी गलती सुधार करनी होगी।
शालिनी : सुनो इधर आओ।
चाचाजी चुपचाप आके बगल मे बैठ जाते है।
शालिनी : आओ यहा गोदी मे सिर रख के सो जाओ।
चाचाजी : नहीं ठीक हू मे ,अभी नींद नहीं आ रही।
शालिनी : मुझे माफ़ कर दीजिये, वो चाची ने एक और तकलीफ सुनाई तो मुझे गुस्सा आ गया ,पर सच मानिए मुझे आपसे कोई दिक्कत नहीं है, अब क्या एक छोटी माँ अपने बच्चे को डाट भी नहीं सकती ?तुम गोदी मे सो रहे हो या और डाट लगाऊँ
चाचाजी गोदी मे सिर रख के लेट जाते है।
शालिनी : अगर मुझे आप से दिक्कत होती तो वो चाची के सामने तुम्हें अपनी गोदी मे सोने क्यु देती ? अब मे किसी के भी सामने तुम्हें अपना सकती हू। चलो आओ लेट जाओ ताकि जो दुलार बाकी रह गया वो पूरा कर दु।
चाचाजी अपने दाएं हाथ को शालिनी के कमर के पिछे से लिपटा देते है जिस से उसका पंजा शालिनी के नंगी कमर को पकड़ कर सोते है, और अपना सिर शालिनी के पारदर्शी पल्लू जिस मे से उसकी गोल नाभि दिख रही थी उस पे दबा देते है, शालिनी उसके बालों मे उंगलिया घुमाने लगती हैं ,थोड़ी देर दोनों एसे ही रहते है फिर चाचाजी बैठ जाते है ,
चाचाजी : आप वादा करे अब आप मुझे अपने से अलग नहीं करेगी।
शालिनी : मेने कब तुमको अलग किया ? जब तुम चाची के सामने मेरे गोदी मे सोए तब भी मेने उसके सामने तुमको अपनाया ,और उसको हमारा रिश्ता समझाया।
चाचाजी : वो दुध वाले का क्या बोल रही थी ?
शालिनी : वो दुध वाला नहीं आने वाला तो जो दूसरा आएगा वो आधा लीटर तक ही दे पाएगा और वो भी बचा तो।
चाचाजी : ठीक है मे रात को नहीं पियेगा।
शालिनी : नहीं नहीं आप के लिए दुध जरूरी है, मे कुछ बंदोबस्त करूंगी। आप चिंता ना करे।
शालिनी खाना बनाने जाती हैं फिर रोजाना की तरह खाना खाके नील को स्तनपान कराके,सब काम निपटाने के बाद तीनों कमरे मे आते है ,शालिनी चाचाजी को दवाई और दुध का गिलास भार के देती है,बाद मे नील को सुला के चाचाजी के पास आके सोती हैं, चाचाजी उससे चिपक के सोते है और शालिनी भी उसे सहयोग करती है,दोनों एसे सो जाते है ,रात मे शालिनी अपने स्तनों को खाली करने के लिए जगती है ,और फिर सुबह मे चाचाजी की नींद पहले खुलती है तो वो देखते है शालिनी बगल मे सो रही थी ,चाचाजी अपने आप ही शालिनी से चिपक के सो जाते है शालिनी भी ममता से उसको भींच लेती है 10 मिनट बाद दोनों जागते है ,शालिनी चाचाजी को सहारा देके टॉयलेट मे बिठा के आती है ,फिर वो व्यायाम करने लगती है,
थोड़ी देर बाद चाचाजी जैसे तैसे बाथरूम के दरवाजे तक आ जाते है ,शालिनी तुरत उसे सहारा देके सोफ़े पर बिठाती है ,खुद जो थोड़ी कसरत बाकी थी उसे खत्म करके बगल मे आके बैठ जाती है।
शालिनी : चलिए नहला देती हू।
शालिनी चाचाजी को सहारा देकर बाथरूम मे लेके आती है ,वो रास्ते मे कुछ सोचती है फिर जब दोनों भीतर पहुचते है ,शालिनी चाचाजी की कपड़े खुद निकलने लगती है,
चाचाजी : रुको मे निकालता हू।
शालिनी : आप मेरे बेटे हो तो एक माँ को अपना काम करने दो, आप चुपचाप बैठो,मुझे पता है मुझे क्या करना है।
वो चाचाजी का कपड़े निकल देती है चाचाजी सिर्फ चड्डी मे थे उसमे उसका लिंग थोड़ा उभरा हुआ दिखाई देता है,
हो भी क्यु ना ? शालिनी जैसी स्त्री जैसे भी छुएं एक पुरुष कब तक संयम रख सके?शालिनी की भी नजर उसके ऊपर पड़ती है पर वो उसको नजरंदाज करके नहलाने लगती है ,शालिनी चाचाजी के पूरे शरीर मे साबुन लगाती है,जब वो चाचाजी के जांघों पर साबुन लगाती है तब चाचाजी के लिंग मे हलचल होती देखती है, बाद मे उसके गिले शरीर को पौंछ के सहरा देके बेड पर बैठाते है,फिर शालिनी एक सूखा तौलिये से चाचाजी का सिर पौंछ देती है।
चाचाजी प्यार से उसकी कमर पकड़ के पेट पर सिर रख रख देते है और उसके आखों से आंसू निकलने लगते है।
शालिनी : क्या हुआ मेरे बच्चे को ? रो क्यु रहे हो ? मेने कुछ किया क्या ?
चाचाजी : नहीं नहीं बस मेरी माँ की याद आ गयी। वो भी एसे ही मेरा सिर एसे ही पौंछा करती थी।
शालिनी : अभी मे हू ना। आप शांत हो जाए। मे आपका इतना ध्यान रखूंगी की आपको आपके किसी भी परिवार के सदस्यों की याद नहीं सताएगी जब भी आपको जिस सदस्य की याद आये तब मे वो सदस्य बन जाऊँगी, आप बस मुझे बता देना, ठीक है ?
चाचाजी गरदन हिलाते हा कहते है और शालिनी से गले मिलते है, फिर शालिनी चाचाजी को कपड़े पहनने मे मदद करती है बाद मे चाचाजी को हॉल मे लाके बिठाती है और खुद नहाने चली जाती है।
नहाते नहाते उसके दिमाग में कल चाची की कहीं बाते घूम रहीं थीं,
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शालिनी : (मन में..)क्या चाची कल मज़ाक मे बोली होगी या फिर सच में बोली होगी ,स्तन मे दुध तो हर रोज बढ़ता जा रहा है, अगर मे सही मे चाचाजी को दुध पिलाने लगूं तो मेरी तकलीफ कम तो होगी पर ये इतना आसान नहीं ,पर चाचाजी तो मेरे बच्चे बने हुए है और वो सच मे बच्चे की तरह बर्ताव कर रहे हैं, क्या वो मानेंगे?क्या मे उसको पीला पाऊँगी?क्या कहूँगी? वो मेरे बगल में सोते है एक बार तो ये स्तनों को भी देखा है, अगर मुझे उसको सच मे दुध पिलाना उचित होगा ?क्या करूँ ये दर्द भी सहन नहीं होता। इसी विचारो मे उलझी शालिनी कब अपने स्तनों से दबा दबा के दुध निकलने लगती हैं उसे खुद पता नहीं रहता।
एसे ही विचार करते करते शालिनी को काफी देर हो जाती है नहाने मे ,फिर वो एकदम से होश मे आती है और फिर फटाफट नहाकर कपड़े पहन कर बाहर आती है। अभी भी उसके दिमाग में उन विचारो का चक्रवात घूम रहा था। उनके मन मे दो विचारो की लड़ाई चल रही थी,
एक विचार : उसे चाचाजी को सम्पूर्ण रूप से बेटा बनाकर स्तनपान करवाने का।
दूसरा विचार : जैसा अभी चल रहा हैं वैसे ही चलने दे।
शालिनी नील को जगा के उसको नहलाने के बाद उसे स्तनपान करवाती है ,बाद मे दोनो नास्ता कर के घर के काम निपटा के सोफ़े पर बैठती है ,और सुबह से चल रहे अपने विचारो मे खो जाती है।
चाचाजी : क्या हुआ ? क्या सोच रही हो ?
शालिनी : (मन मे )एक काम करती हू चाचाजी से ही सलाह लेती हू ,फिर वैसे ही करेगी ,पर मे सीधे सीधे पूछ लिया तो वो शर्म से ना बोल दे या गुस्सा हो जाए या नाराज हो जायेगे इस लिए दूसरे तरीके से पूछती हू।
चाचाजी : (चुटकी बजाकर..) कहा खो गई हो?
शालिनी : मे आप से एक सुझाव चाहती हू ,थोड़ी देर आप चाचाजी बनके मुझे सलाह दीजिए।
चाचाजी : क्यु नहीं। पूछो
शालिनी : मेरे सामने थोड़ी असमंजस की स्थिति है मेरी सहेली किसी की मदद करना चाहती है पर उस मदद से मर्यादा बीच मे आती है ,वो जिस की मदद करना चाहती है उसने कई बार उसकी बिना किसी शर्तों के मदद की है ,तो वो क्या करे? मदद करे या मर्यादा रखें?
चाचाजी : वैसे तो एक स्त्री के लिए मर्यादा सब से ऊपर है ,पर मामला किसी की मदद का है ,तो सोचना पड़ेगा ,मामाला कितना गंभीर है?
शालिनी : मदद नहीं करेंगी उसके स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है और उस व्यक्ति ने सहेली के ऊपर एक बड़ा उपकार भी किया है ,जो वो कभी नहीं भूल सकती और नाही उस उपकार का बदला चुका पाएंगी। एक तरह से उसकी जिंदगी बचाने जीतना उपकार है।
चाचाजी : तो फिर तुम्हारी सहेली को उनकी मदद करनी चाहिए और साथ उस व्यक्ति को कह देना की तुम जो मर्यादा लांघ रही हो उसका सम्मान करे और तुम्हारा गलत मतलब ना निकाले।
शालिनी : हाँ मे ये कह दूंगी। आपका धन्यवाद की आप ने मेरा मार्गदर्शन किया।
चाचाजी : ये मेरा फर्ज है ,पर ये तो बताओ क्या मदद है और क्या मर्यादा तोड़ने जा रही है, और कौन है जिस के लिए ये सब करना पड़ रहा हैं।
शालिनी : समय आने पर आपको सब बता दूंगी
शालिनी मोबाइल मे थोड़ी जाच करती है कि क्या स्तनों से निकला दुध वयस्क को कुछ लाभ मिलता है ? या कोई नुकसान तो नहीं करता ? इस बीच उसे एक रोमन साम्राज्य की एक कहानी मिलती है,जिसका नाम था "pero -cimon"
जिस मे एक बेटी कारावास मे बंध अपने पिता को स्तनपान करवाते हुए उसको जिंदा रखती है ,इस कहानी से शालिनी का निश्चय और दृढ़ होता है अब वो चाचाजी को स्तन के दुध से उसको ठीक करेगी,
शालिनी
मन में..)मुझे पहले चाचाजी को अपने स्तनों के प्रति सहज अनुभव करवा कर चाचाजी को अपने स्तनों से दुध पीला कर रहूंगी।
शालिनी फिर कमरे मे जाती हैं फिर ज्यादा खुले गले वाला ब्लाउज और पारदर्शी साड़ी पहनी है
जिस से उसके स्तन के उभार पल्लू मे से दिख सके वो जब तैयार होके आती है तब चाचाजी उसको देखते ही रहते है।
शालिनी : आज से गर्मी बढ़ गई है लगता है AC चालू करना पड़ेगा।
चाचाजी : नहीं नहीं एसा नहीं करना।
शालिनी : क्यु ?
चाचाजी : अभी मुन्ने के लिए ये पहली गर्मी है,बच्चे को पहली मौसम सहन करने देना चाहिए इस से उसके रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी और वो बीमार नहीं होगा बच्चे को पहले साल सर्दी, गर्मी और बारिस सहन करे तो वो हर मौसम झेल पाएगा।
शालिनी : ठीक है ,जैसे आप कहे, तो हम अब हल्के कपड़े पहनेंगे। जिस से गर्मी ना हो।
शालिनी फिर थोड़े गानों मे डांस करती है जिस मे वो कभी कभी झुककर अपने स्तनों को प्रदर्शित करती
और जिस मे एक दृश्य मे तो हीरो हीरोइन के स्तनों के ऊपरी हिस्से पर माचिस की तीली को घिस के जलाता है तो शालिनी भी चाचाजी को एसा करने को कहती है ,चाचाजी भी एसा अभिनय करते है ,
दोनों को कुछ अलग अह्सास होता है ,शालिनी कुछ भी करके वो चाचाजी को अपने स्तनों के प्रति सहज अनुभव करवा कर अपने स्तनों से उसको स्तनपान करवाना था।
चाचाजी पर उसका थोड़ा असर हो रहा था पर उसको अभी भी अपनी मान मर्यादा रोक रही थी शालिनी अब अपना दूसरा तरीका अमली करने की सोचती है
शालिनी अब क्या करेगी? और कैसे करेंगीं वो आगे पता चलेगा