• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery Innocent... (wife)

OsamaMax

New Member
11
5
3
Next update dal dooo
 

Vegetaking808

New Member
32
118
49
Update 10
शालिनी अपने दूसरे तरीके को कैसे किया जाए उस बारे मे सोचती हुई खाना बनाने चली जाती है। खाना बनाने के बाद वो चाचाजी को सहारा देकर मेज पर ले आती है और नील को अपने गोदी मे लेके उसे पिसा हुआ खाना खिलाती है, चाचाजी जैसे खाना खाने की शुरुआत करते है शालिनी उसे रोक देती है ,
शालिनी : 2 मिनट रुक जाए, मे आपको अपने हाथों से खीलाउंगी। आप खाने के समय बच्चे की तरह खाना गिराते है।
चाचाजी : वो तो हाथो मे चोट लगी हुई हैं इस लिए।
शालिनी : इस लिए तो कह रही हू ,आज आप अपनी छोटी माँ के हाथो से खाना खाएंगे।
नील को खाना खिलाने के बाद शालिनी चाचाजी के बगल वाली कुर्सी पर आके बैठ जाती है और दाल चावल सही से मिलाकर अपने हाथो से चाचाजी को खिलती है।
चाचाजी : आप चमच से खिला सकती हो आप के हाथ गंदे होगे
शालिनी : आज तक किस माँ के हाथ अपने बच्चे को खिलाते समय नहीं बिगड़े ?ये तो हम माँओं का प्यार है, हाथ से जो प्यार मिलता है वो चमच मे कहा चाचाजी की नजर कभी कभी शालिनी के पारदर्शी पल्लू से दिख रहे स्तनों के उभरे हुए उपरी भाग और आपस मे चिपके हुए स्तनों की वजह से जो दरार बनी वहां पर ठहर जाती, शालिनी भी ये बात नोटिस करती है पर वो तो यही चाहती थी

GL8c4zwb-AAAt-Dq-L
google picture storage
खाना खिलाने के बाद शालिनी हाथ मुँह धो के सब काम निपटाने लगती हैं चाचाजी वही टेबल पर ही बैठे थे ,शालिनी उससे बातचीत भी करती और कभी कभी जान बूझकर अपने स्तनों को प्रदर्शित करती है। काम निपटाकर चाचाजी को सहारा देके कमरे मे लाती हैं पहले नील को सुलाकर चाचाजी के बगल में आके लेट जाती हैं।
शालिनी : आज गर्मी ज्यादा है, लाओ मे आपका कुर्ता निकाल देती हू ,

Siskiyaan-S1-E1-Palang-Tod-1
चाचाजी : नहीं, चलेगा
शालिनी : मुझे नहीं चलेगा ,कितनी गर्मी है। एसा बोल के अपने साड़ी का पल्लू निकाल देती है ,अब शालिनी कमर तक बंधी हुई साड़ी पहनकर ऊपर सिर्फ एक गहरे गले वाले ब्लाउज पहनकर बैठी थी जिस मे उसके स्तनों के उभार को कोई नजरअंदाज नहीं कर सकता और बैठने के वज़ह दे कमर मे तीन बल पड़े थे जो उसको और सुंदर बना रहे थे। चाचाजी तो बस ये सुन्दर नज़ारा बीना पलक झपकाए देखे जा रहे थे।

VID-280180206-145933-126-1
शालिनी : चलिए आइए सो जाते है,
चाचाजी शालिनी के पैर पर पैर रख देते है और वो देखते है साँस लेने की वज़ह से शालिनी के स्तन ऊपर नीचे हो रहे थे ,

73575ef055b0dc7df82364fd517032ff-1
cheap hosting forum
चाचाजी को ये मनोरम दृश्य देखते देखते कब नींद आ गई उसे पता नहीं चला,करीब 1 घंटे बाद शालिनी चाचाजी को जगाती है।
शालिनी : सुनो बेटा मे अभी आती हू ,मुझे स्तनों मे दर्द हो रहा है ,
चाचाजी : ठीक हैं। आप जाइए
शालिनी बाथरूम मे जाकर अपने स्तनों से दुध निकलने लगती है,

RDT-20240620-0736014277204766550057566 RDT-20240411-072049-1
कभी-कभी जल्दी से निकलने के चक्कर मे आह निकल जाती, स्तनों को दबाते दबाते उसको यौन ईच्छा हो जाती है वो नीरव को याद करती एक हाथ से स्तनों से दुध निकालती और एक हाथ अपनी योनि मे डालती है और कामुक सिसकियाँ लेने लगती है ,जिस मे कभी वो नीरव को शारीरिक संबंध के लिए बुलाती तो कभी गुस्से से भला बुरा सुनाती, थोड़ी देर मे उसके योनि से काम रस निकलने लगता है और स्तनों से दुध निकलना कम हो जाता है।
फिर वो अपने आप को संभालती है aur अपना हुलिया ठीक करती है। उसके बाद वो कमरे मे आती है तो देखती है चाचाजी जगे हुए लेटे थे।
शालिनी : आप सोए नहीं?
चाचाजी : लगता है अब आपकी आदत पड़ चुकी है , आप के बिना नींद नहीं आती।
शालिनी : अरे रे..मेरे बच्चे को मेरे बगैर नींद नहीं आती ,कोई बात नहीं अब मे आ गई हू न, मे आपको अच्छे से सुला दूंगी।
चाचाजी : आज बहोत देर हो गई आपको।
शालिनी : (घबराकर)हाँ वो ...वो...
चाचाजी : लगता है ज्यादा दुध बन रहा है।
शालिनी : हा सही कहा। अब तो दर्द भी होता है जब भरे हुए होते है तब भी दर्द होता है और जब निकलने जाती हू तब भी दर्द होता है ,क्या करू ? समझ मे नही आ रहा ,एक और से वो बदमाशों का डर।
चाचाजी : बदमाशों से डरने की जरूरत नहीं है, नीचे पुलिस है,और फिर भी वो ऊपर आए तो इस बार मे नही छोड़ूंगा।
शालिनी : मे अपने दोनों बच्चों मे से किसीको कुछ नहीं होने दूंगी।
चाचाजी : मे आपको तकलीफ मे नही देख सकता ,मे अपनी इस माँ का हो सके इतना ध्यान रखूंगा, और हो सके उतना मददगार बनूँगा, मेरी वज़ह से आपको थोड़ी सी भी खुशी मिलेगी तो मे अपने आप को धन्य मानूँगा।
शालिनी को तभी चाची की बात याद आती है और अपने दर्द का भी ख्याल आता है ,वो सोचती है क्या चाचाजी से मदद मांग लू?
सोच -1 नहीं नहीं वो क्या सोचेंगे?
सोच -2 वो मुझे अपनी माँ समझते है तो मे भी उसे अपना बेटा बना लेती हू
सोच -1 अगर वो नहीं माने और उल्टा मेरे चरित्र को गलत समझेंगे तो ?
सोच -2 अभी उसने ही तो कहा वो मेरी मदद करना चाहते है ,मुझे दुखी नहीं देख सकते।
शालिनी : (मन में...)एक बार और देख लेती हू की चाचाजी की क्या प्रतिक्रिया है ?अगर वो सकारात्मक हुए तो उस से बात करूंगी वर्ना जैसे चलता है वैसे चलने दूंगी।
शालिनी चाचाजी को अपनी और प्यार से भींच लेती है जिससे उसका सिर उसके स्तन से चिपक जाए

Pinterest-1
चाचाजी को थोड़ी देर मे नींद आ जाती है शालिनी को भी नींद नहीं आ रही थी ,उसको क्या करे या क्या ना करे उसके बीच असमंजस से निकलना था ,वो सिर्फ आंख बंध करे लेटी रहती है।
करीब आधे पौने घंटे मे चाचाजी की नींद खुलती है ,जैसे ही उनकी आंख खुलती है उसकी नजर के सामने दूध से भरे हुए दो पहाड़ थे जो ब्लाउज मे कैद थे ,कैद क्या ? आधे कैद थे ,आधे तो छलक के बाहर आ चुके थे ,मानो वो उस ब्लाउज की कैद मे समा नहीं रहे थे, विचारो की वज़ह से शालिनी की सांसे थोड़ी तेज हो गई थी ,जिस से ऊपर नीचे हो रहे स्तनों का नज़ारा बस देखते ही बनता था ,उसके बीच की खाई मानो चाचाजी को अपनी ओर खींच के उसमे गिरा देना चाहती हो।

c97beebf2778f082979e7ddfe926573c
चाचाजी के मन मे भी अभी विचार का द्वन्द था एक और अपनी मर्यादा ,और एक तरफ उस स्तनों के प्रति आकर्षण, एक मर्द कब तक उस स्तनों की माया से बच सकता है, पर चाचाजी का मन उसको दूसरे भाव से उसको आकर्षित करवा रहा था ,चाचाजी का मन उसको अपने आप को शालिनी बेटा बताकर उसको बहला रहा था।
चाचाजी का मन : शालिनी तो मेरी छोटी माँ बनी हुई है ,वो तुम्हें बगल मे सुला रही है ,तुम्हें खाना खिला रही है ,उसके पैरों पर पैर रखने दे रही है, यहा तक कि सुलाने के समय वो सिर को अपने स्तनों से भींच के सुलाती है ,वह तुम्हें अपना बेटा मान चुकी है तो तुमको क्या ऐतराज है,तुम भी उससे वैसे ही अपना लो ,अभी जो ये स्तनों के देख रहे हों वो स्तन तुम्हारे छोटी माँ के है ,तो एक बेटा अपने माँ के स्तनों को छू तो सकता है, सिर तो कई बार लगा के सोए हो ,आज हाथ से छू लो, वो बेटा मानतीं है इस लिए कुछ नहीं कहेंगी, उसमे कोई पाप नहीं ,स्तनपान करते समय नील के हाथ भी छूते होंगे, तुम भी उसके बेटे हो ,उसके क्या दिक्कत?अगर वो गुस्सा हो तो कह देना नींद मे छू लिया होंगा और आगे से नहीं होगा एसा।
चाचाजी अपने मन के बातों मे आ जाते है,वो डरते हुए धीरे धीरे अपने हाथो की उंगलियों से शालिनी के उभरे हुए स्तनों के भाग पर छूते है उसके शरीर मे करंट दौड़ जाता है, उधर शालिनी को भी एक करंट दौड़ जाता है, चाचाजी शालिनी का कोई प्रतिक्रिया ना देख थोड़ा हिम्मत से दूसरी बार अपनी उंगलियों को ब्लाउज मे से छलक रहे स्तनों पर फेर देते है शालिनी को पहले तो थोड़ा अजीब लगा, पर फिर वो सोचती है उसे जो जवाब चाहिए था वो मिल गया ,चाचाजी को उसके स्तनों के प्रति थोड़ा आकर्षण हुआ है ,पता नहीं पर तभी चाचाजी अपनी बड़ी उंगली उसके स्तनों के बीच पडी दरार मे डालते है, उसकी उंगली दोनों स्तनों के बीच भींच जाती हैं क्युकी तंग ब्लाउज की वज़ह से उसके स्तनों के बीच बिल्कुल जगह नहीं थी ,दोनों स्तन आपस मे सट्टे हुए थे फिर भी वो अपनी पूरी उंगली घुसा देते है, शालिनी को भी थोड़ा आनंद आ रहा था।
शालिनी : (मन मे ..)लगता है अब मुझे ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी, चाचाजी को बस थोड़ा और प्रयास से मना लुंगी।
शालिनी सोने का नाटक चालू रखती है ,थोड़ी देर बाद चाचाजी अपनी उंगलि निकाल लेते है और स्तनों के ऊपरी भाग पर धीमे धीमे घुमा रहे थे ,थोड़ी देर बाद उधर ही हाथ रख के सो जाते है,शालिनी को भी नींद आ जाती है ,शाम को जब नींद खुलती है तो शालिनी देखती है चाचाजी का खुल्ला हुआ पंजा उसके स्तनों के उभार को माने ढंक रहा हो ,शालिनी उसका हाथ हटा के अंगड़ाई लेके खड़ी होती हैं

Lakshmi-rai-V-HLSV4-650-360x6401702280030663-All-Video-Downloader-3
और अपनी साडी को पूरा कमर से निकाल के नए सिरे से पहनती है तभी चाचाजी जी नींद खुलती है वो अधमूंदी आँखों से देखते है शालिनी सिर्फ ब्लाउज और घाघरा पहने हुई थी और अपनी साड़ी पहन रही थी ,

2e05fd12ce3677bacd9a68744942fcdd
image hosting websites
जब शालिनी आखिर मे अपना पल्लू लगाती है तब चाचाजी जागते है क्युकी अगर पहले जग जाते तो शालिनी को थोड़ा असहज लगता इसी डर से वो सोने का नाटक कर रहे थे।
शालिनी : अरे जग गया मेरा बच्चा ,चलो हाथ मुँह धों आते है।
शालिनी चाचाजी के साथ बाथरूम आते है वहां वो चाचाजी के हाथ मुँह धोकर देती है फिर अपना हाथ मुँह धोकर अपने पल्लू से चाचाजी के मुँह को पोंछ देती है,तभी नील के रोने की आवाज आती हैं, शालिनी चाचाजी को हॉल मे बिठा के नील को उसके पास रख के चाय बनाने जाती हैं, चाचाजी नील को शांत करवाकर उसे हँसा रहे थे ,इतनी देर मे शालिनी चाय लेके आती है।
शालिनी : लीजिए चाय लीजिए।
चाचाजी : अभी चाय बनाने की क्या जरूरत थी? दूध भी कम आया है।
शालिनी : उसकी चिंता आप मत करो?
दोनों चाय पीते है बाद मे शालिनी नील को अपनी गोद में लेके पारदर्शी पल्लू ढक कर नील को स्तनपान करवाने चाचाजी के बगल में ही बैठ जाती है ,पल्लू भी ढक कम दिखा ज्यादा रहा था, अब शालिनी को फर्क़ नहीं पड़ रहा था इस लिए जानबूझकर एसी स्थिति मे बैठकर स्तनपान करवाने लगती है ,चाचाजी इधर उधर देखने लगते है ,फिर भी कभी कभी उसकी नज़र चली जाती ,पारदर्शी पल्लू मे से दिख रहे शालिनी के स्तनों के कबूतरों की जोड़ी मानो फड़फड़ा के उड़ने को बैचैन हो,
शालिनी : (छेड़ते हुए..)आपको अगर तकलीफ हो रही हो तो भीतर चली जाऊँ।
चाचाजी : नहीं नहीं...हमे कैसी तकलीफ,?
शालिनी : आपको तो आदत होगी इस सब की ?
चाचाजी : मतलब?
शालिनी : गाव मे तो एसे स्तनपान कराना आम बात होगी
चाचाजी : हाँ ,कभी कबार अपने दोस्तों के घर जाता तब दोस्तों की बहुएं कभी-कभी अपने बच्चे को आँगन मे स्तनपान करवाती
तब पल्लू से ढंककर करवाती, अगर गर्मी के ऋतु मे पल्लू ना हो तो भीतर चली जाती या पीठ घुमा लेती।
शालिनी : इतनी गर्मी होती है कि महिलाएं पल्लू भी नहीं लगाती ?
चाचाजी : हाँ दोपहर मे तो बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है, और गर्मी के कारण पल्लू क्या कोई महिला तो साड़ी भी नहीं पहनती ,सिर्फ ब्लाउज और घाघरा पहनती है।
शालिनी : तो आप सब को अजीब नहीं लगता या फिर कुछ मन मे एसा वैसा नहीं होता ?
चाचाजी : नहीं क्युकी बचपन से ही एसा पहनावा देखा होता है इस लिए सब सामन्य लगता है।
तभी शालिनी नील के अपने दूसरे स्तन मे लगाती हैं, नील छ्प छ्प करके पीने लगता है ,दोनों इधर-उधर की बातें करते है,तभी नील स्तन चूसने को छोड़ देता है जिस से बातों बातों मे चाचाजी की नजर शालिनी के पारदर्शी पल्लू मे से उसके स्तन के साथ निप्पल भी दिख जाती है, चाचाजी उसे अनदेखा करते है, शालिनी कहीं न कही जानबूझकर दिखा रही थी ताकि चाचाजी से मदद मिल जाए।
फिर शालिनी अपने ब्लाउज के हूक लगाकर पल्लू सही करते हुए खड़ी होके नील को चाचाजी के बग़ल मे सुला के कमरे मे जाती हैं फिर वो कुछ ज्यादे गले वाला ड्रेस और ब्लाउज-साड़ी पहनकर अपनी फोटो खींचती है,

RDT-20240624-0241439121163221479410274 Screenshot-20240612-223253-Instagram
और कुछ छोटे वीडियो बनाने के बाद मे नीरव को भेजती है,

147141112818586729-MP4-1 Sanchi-MP4-1
वापिस से पहले वालीं साड़ी पहनकर बाहर आती है।
चाचाजी : कहा रह गई थी आप ? छोटे भाई को सम्भाला नहीं जाता।
शालिनी : छोटा बेटा तो सयाना है ,बड़े बेटे को अपनी छोटी माँ के बगैर चैन नहीं आता, कुछ नहीं नीरव को कुछ मेरे फोटो भेजना था।
चाचाजी: अच्छा...
शालिनी : (पल्लू से हवा लेते हुए..) इस बार तो अभी से ही इतनी गर्मी पड़ना चालू हो गई है,ना जाने आगे कितनी बढ़ेगी ?ऊपर से नील की वज़ह से A.C. भी नहीं चालू कर सकते ,गर्मी से हाल बेहाल होने वाला है,
चाचाजी : बात तो सही है, पर हम कर भी क्या सकते है?
शालिनी : मौसम को तो नहीं रोक सकते किन्तु अपनी ओर से कुछ प्रयास कर सकते है।
चाचाजी : क्या करोगी?
शालिनी : वो सब बाद में अभी आप क्या खाएंगे?
चाचाजी : कुछ भी हल्का फुल्का बना दो।
शालिनी खाना बनाने जाती है,

RDT-20240601-1411323552606585614580320
फिर वो चाचाजी को अपने हाथों से खाना खिलाती है,साथ मे खुद भी खाने लगती है जब खाना पूरा होता है तो चाचाजी शालिनी की कलाई पकड़ के उसकी हर उंगली और अंगूठा चाटने लगते है, वो भी एसे चाटते है मानो शालिनी का हाथ खिलते समय बिगड़ा ही ना हो,
शालिनी : अरे रे ! क्या कर रहे हो आप?
चाचाजी : पहली बात "आप "नहीं "तुम " कहो, रिश्ते मे बड़े हो आप। दूसरी बात आज खाना एकदम बढ़िया बना है।
शालिनी : रोज नहीं बनता बढ़िया ?
चाचाजी : रोज ही बढ़िया बनता है ,पर आज जैसे हम अपनी माँ के हाथ चट कर जाते थे ,वैसे आज आपके साथ किया ,कुछ गलत किया?
शालिनी : नहीं नहीं ..कुछ गलत नहीं ब्लकि अच्छा लगा ,मेरे बेटे को मेरा खाना अच्छा लगा।
चाचाजी : मे तो यह चाहता हू की पूरी जिंदगी बस आपके हाथ का खाना खाउ और रोज एसे ही उंगलिया चाटता रहूं।
शालिनी : मिलेगा ना, क्यु नहीं मिलेगा ?
आप कहीं जा रहे हो?
चाचाजी : मे तो वैसे कहीं नहीं जाने वाला ,कुछ समय बाद नीरव के साथ अमेरिका चली जाओगी
शालिनी : कहीं नहीं जा रही अपने दोनों बेटों को छोड़ के,अब हमारा परिवार पूरा हो चुका है, हम दो हमारे दो
चाचाजी : लेकिन ..
शालिनी : लेकिन वेकिन कुछ नहीं ,अगर नीरव को हमारे साथ रहना होगा तो वो यही रहेगा ,वर्ना भले वो उधर नोकरी करे ,मे अपने दोनों बच्चे के सहारे जी लुंगी।
शालिनी इस समय नीरव से अपना गुस्सा निकाल रही थी क्युकी उसके स्तनों मे बढ़े दुध और कभी कभी अपनी यौन ईच्छा के समय उसकी गैर मौजूदगी उसको खलने लगी थी,
चाचाजी : ठीक है तब कि तब देखेंगे, मैंने तो बस यूँही बोला था।
(वैसे चाचाजी के मन मे भी ये ईच्छा जरूर थी, और उसे शालिनी से दूर होने से डर लगने लगा था, पर वो जताना नहीं चाहते थे)
डर हो भी क्यु ना?एसी गदराई हुई जवान और एक 6 महीने के बच्चे की दुधारू माँ जिसके स्तनों से दुध की नदी बहती हो, वो स्त्री उसे अपने हाथो से खिलाती हो,और उस से भी ज्यादा वो स्त्री उसको अपने बगल मे चिपका के सुलाती हो, कौन सा पुरुष एसी जिंदगी को बदलना चाहेगा ?
खाना खाने के बाद वो चाचाजी को सोफ़े पर बिठाकर काम निपटाने चली जाती है ,काम पूरा करके वो हॉल मे आती है,पल्लू के शीरे को चेहरे के पास लहराते हुए आती है जिस से आम तौर पर हर औरत गर्मी से परेशान होके करती है,
शालिनी : (पसीना पोछते हुए...)हाय रे ये गर्मी हालत खराब कर दी। रात हो गई फिर भी कितनी गर्मी है
चाचाजी : हाँ सही कहा, गाव मे ये दिक्कत नहीं होगी
शालिनी कुछ नॉर्मल होके नील को अपने गोदी मे लेके पल्लू लगा के स्तनपान कराने लगती है।
शालिनी : क्या तुम मुझे अपनी छोटी माँ मानते हो?
चाचाजी : हाँ बिल्कुल मानते है
शालिनी : पूरी तरह से तन मन से मानते हो?
चाचाजी : मुझसे ही कोई गलती हुई है ,जिस से आप मुझ पर शंका कर रहे हों?पर मे सच मे आपको अपनी छोटी माँ मानता हू।
शालिनी : तो फिर तुम को मेरे फैसले से कोई एतराज नहीं होगा ,और आप मेरी हर बात मानेंगे।
चाचाजी : बिल्कुल ,अब हमने हमारी सब चिंता आप पर डाल दी है, और आप जो कहेगी वो करेंगे।
शालिनी : मेने सोच लिया है,मे अब आपने जैसे बताया की गाव मे औरते कैसे रहती है मे भी उसी प्रकार रहूंगी इस से गाव जाने के बाद दिक्कत और शर्म ना हो,
चाचाजी : मतलब ?
शालिनी : मे भी सिर्फ ब्लाउज और घाघरा पहनेंगी। कोई आएगा तब साड़ी पहन लूँगी।
चाचाजी : पर मेरे सामने आपको दिक्कत नहीं होगी?
शालिनी : आप को दिक्कत है?
चाचाजी : नहीं नहीं एसा कुछ नहीं पर...
शालिनी : तो फिर तय रहा ,वैसे भी आपने की कहा था कि आप लोग बचपन से इस सब के आदी है, और दूसरी बात घर पर सिर्फ मेरे बेटे ही तो है दूसरा कोन है जिस से मुझे पर्दा करना पड़े?अगर आप मुझे अपनी छोटी माँ मानते हैं तो आपको कोई दिक्कत नहीं होना चाइये,
चाचाजी : मेने कहा ना मुझे कोई दिक्कत नहीं है क्युकी मुझे ये सब सामन्य लगता है ,इधर शहर मे आपको अजीब लगेगा इस लिए।
शालिनी : मुझे भी कोई दिक्कत नहीं,आज से ब्लकि अभी से ही बिना साड़ी रहना चालू कर देती हू।
जैसे ही स्तनपान पूरा होता है तुरंत वो ब्लाउज के हूक लगा कर पल्लू गिराकर कमर मे से साड़ी खींचकर निकाल देती है।

Beautiful-Actress-in-Saree-videos-Beautiful-Actress-in-half-Saree-videos-360-P-2
शालिनी : हाय अब कुछ राहत मिली
चाचाजी की आंखे ये दृश्य देख के चौन्धीया जाती है, उसे ये वास्तविकता पे यकीन नहीं हो रहा था ,एक जवान गदराई गोरी शहरी ल़डकि उसके बगल मे अपने हाथों से साड़ी निकल के सिर्फ ब्लाउज घाघरा पहने बैठी है ,ब्लाउज भी डिजाइनर जिसमें उसकी आधे स्तन प्रदेश को उजागर कर रहा था।
चाचाजी : (मन में..) क्या ये सच मे हो रहा है कि मे सपना देख रहा हू,होश मे आ बलवंत ये स्त्री तुझे अपना बड़ा बेटा मानतीं है इस लिए एसे बैठी है, अगर वो तुझे अपने बेटे के रूप मे पूर्ण रूप से मान चुकी है तो तू भी उसे पूर्ण रूप से अपनी छोटी माँ मान लो और इस रूप को अपना लो ,जैसे गाव मे महिलाओ को एसे वस्त्रों मे देखना सामन्य हो चुका था वैसे अभी छोटी माँ है, इस दृश्य को सायद रोज देखना पड़ सकता है तो इसे सामन्य समझो यही दोनों के लिए अच्छा होगा।
शालिनी नील को दूसरे सोफ़े पर लेटा देती है और मोबाइल लेके चाचाजी से सट के बैठ जाती है और नक्शे मे गाव को ढूँढती है और उसकी जानकारी चाचाजी पूछती है,
चाचाजी : जैसे मेने पहले बताया था कि गाव रेगिस्तान के बिल्कुल करीब है। और बड़े शहर से 50-60 किलोमीटर दूर मुश्किल से एक सरकारी बस आती है दिन मे 1 बार
शालिनी : तो फिर पीने के पानी की दिक्कत होती होगी।
चाचाजी : नहीं बिल्कुल नहीं ,हमारे गाव मे देवता का आशीर्वाद समझो या फिर कुदरत का करिश्मा गाव मे एक तालाब है वो भी मीठे पानी का, कहते है सरस्वती नदी की एक धारा उधर से निकली है जिस से तालाब सूखता भी नहीं, गाव के लोग तो देवता का आशीर्वाद मानकर उससे पानी पीते है, जिस से कोई पानी की बर्बादी नहीं करता।
शालिनी : यह एकदम सही है,
चाचाजी : गाव मे वैसे बड़े खेत ज्यादा नहीं किंतु ,गाव का गुजारा हो जाए उतना हो जाता है ,कोई कोई सब्जी लोग घर के आँगन या फिर खेत के एक कोने मे उगा लेते है,
इस बात चित के दौरान चाचाजी की नजर कई बार शालिनी के स्तनों के बीच की गहराई मे जाती,शालिनी ये नोटिस करती है पर वो यही तो चाहती है, इस लिए तो वो साड़ी निकाल ने का बहाना किया था वो सीधे तौर से कहने मे डरती थी इस लिए वो चाहती थी चाचाजी पहल करे, जैसे आज दोपहर मे चाचाजी ने अपनी उंगली स्तनों के बीच फंसाये थे ,जिस से शालिनी प्रोत्साहित हुई और एक कदम आगे बढ़ी जिस से चाचाजी को और खोल सके।
शालिनी : चलो सो जाते हैं।
चाचाजी : हाँ आप मुन्ने को लेके चलिए मे आता हूं।
शालिनी नील को कमरे में आ कर पालने मे रख देती है और फिर चाचाजी के साथ बेड पर आके बैठ जाती है ,साड़ी तो निकाल ही चूंकि थी बेड पर बैठने से उसके पेट पर बल पड़े थे जो उस पर ज्यादा मादक लगता है।

1000008320
शालिनी : उधर से लाइट बंध कर दीजिए
चाचाजी : थोड़ी देर रहने दो न, थोड़ी देर बाद बंध कर देंगे।
शालिनी चाचाजी की ओर देखती है तो वो उनको देखे जा रहे थे ,वो समझ जाती है ,वो क्या देख रहे है ,इस लिए वो भी कुछ नहीं बोलती और बग़ल मे आके लेट जाती है,तभी चाचाजी भी खिसकता हुए उसके करीब आते है ,चाचाजी पता नहीं पर शालिनी के इस नए रूप को ज्यादा से ज्यादा देखना चाहते थे, हालाकि उस के मन मे गलत भाव नहीं था वो बस उसकी खूबसूरती को देखना चाहते थे, जिस से वो अपने आप को भाग्यशाली समझ सके ,
थोड़ी देर बाद वो लाइट बंध कर देते है ,शालिनी के पैर पर पैर रख देते है।
शालिनी : आ गए,क्या बात है ?आज क्यु लाइट चालू रखी ?
चाचाजी : कुछ नहीं बस अपनी माँ को देख रहे थे।
शालिनी : बाहर नहीं देखे थे?
चाचाजी : देखे थे पर शांति से आराम से देखना चाहते थे।
शालिनी : उसमे क्या है?तुम कभी भी देख सकते हो। छोटी माँ है तुम्हारी।
चाचाजी : जब से आज आपने हमे बेटा माना है तब से आप हमे कुछ ज्यादा खूबसूरत लगी, मेने सुना था माँ बनने के बाद औरत की खूबसूरती बढ़ जाती हैं, आज पहली बार महसूस किया, हमारी माँ भी खूबसूरत हुई होगी पर उस समय हम छोटे थे इस लिए पता नहीं चला ,पर आज आपकी वज़ह से ये महसूस हुआ ,आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
शालिनी : बेटा तो हम तुमको कितने ही दिनों से मानते है
चाचाजी : हाँ पर आ हमारे मन ने आज स्वीकार किया,अब तक ये स्वीकार नहीं हो रहा था, पर अब कोई दुविधा नहीं है, अभी से हम आप को पूर्णता माँ मानते हैं,
फिर दोनों एक-दूसरे की ओर करवट लेते है ,

da66649de9d2f84783437ba302091fff
upload images
चाचाजी थोड़ा नीचे खिसके और शालिनी के स्तनों मे अपना सिर भींच दिए शालिनी भी हाथो से दबाव डाल के ज्यादा भींच देती है दोनों अपने नए रिश्ते के भाव का आदानप्रदान कर रहे थे ,अब बिना संकोच के स्वीकार करते है,फिर दोनों सो जाते हैं।
रात को 3 बजे के करीब शालिनी के स्तनों मे दुध भर जाता है,जिस से उसके स्तनों मे दर्द होने लगा था इस वज़ह से उसकी नींद खुल जाती है ,वो चाचाजी के हाथ को अपने पेट पर से हटा कर धीमे से दबे पाव बाथरूम मे जाती है क्योंकि वो चाचाजी की नींद खराब नहीं करना चाहती थी, सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट पहनी भरे हुए बदन वाली ,उलझे हुए बाल एसी बला की खूबसूरत स्त्री अपने नितंबों को मटकाती हुई बाथरूम के अंदर आ जाती है, भीतर आते ही वो तुरंत अपने ब्लाउज को अपने गोरे बदन से अलग कर देती है, और शीशे के सामने आकर अपने स्तनों पर हाथ फेरती हुई अपने रूप को खुद ही निहारने लगती है तभी स्तनों मे दर्द होता है और शालिनी के मुँह से सिसकी निकलने लगती है।
शालिनी : क्या करूँ इसका?रहा भी नहीं जाता और सहा भी नहीं जाता, मन तो करता है अभी चाचाजी को दुध पीला दु, अगर लंबे समय का आराम चाइये तो अभी दर्द सहना पड़ेगा, कोई बात नहीं शालिनी तू लगी रहे, जल्द ही चाचाजी मान जायेगे, और ये दर्द से हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाएगा।
शालिनी अपने स्तन पर हल्का सा दबाव डालती है इतने मे ही उनके स्तन से दुध की धार शीशे पर लगती है।

RDT-20240410-195126-1 RDT-20240411-072049-1
शालिनी :आह....कितने भरे हुए होगे? इतने से दबाव से दुध की धार निकलने लगी।
वो दूसरी बार दबाव करती है तभी वो एकदम से रुक जाती है।
शालिनी :( मन मे ..)ये मे भूल कैसे गई?चाची ने कहा था कि मुझे दुध की कमी क्यु होगी?मे अभी ये दुध सिंक मे बहा कर बरबाद कर देती ,अगर यही दुध चाचाजी को पीला दु तो?वैसे आज रात को वो बिना दुध पीए सो गए है, अगर ये दुध बर्तन मे निकाल के उसको पीला दु तो उसका भी काम हो जाएगा और मेरा भी। कम से कम मेरा दुध उनके काम आएगा और वो इसी बहाने मेरा दुध चख लेगे।
ये बात सोचते हुए शालिनी उत्साहित हो जाती है उसको बस अपना दुध चाचाजी को पिलाना था,
शालिनी : (मन मे...)रसोई मे जाके बर्तन ले आती हू, (ब्लाउज की और देखकर..)इतने से काम के लिए क्या वापिस पहना फिर उतरना वैसे भी सब सो रहे है, क्या फर्क़ पड़ेगा? और चाचाजी तो अब बच्चे है मेरे ,एक बच्चा अपने माँ के स्तन तो देख ले तो क्या होगा, नील भी तो देखता है,वैसे भी एक बार देख भी लिये है।
शालिनी बिना ब्लाउज के ही सिर्फ घाघरा पहने हुए किचन की और चलने लगती है तभी उसको क्या सूझता है कि वो रील मे जैसे गजगामिनी चाल देखी थी ठीक वैसे चलने लगती है, फिर वो बर्तन लेके वापिस बाथरूम मे आती है और शीशे के सामने खड़ी हो जाती है, वो अपने हाथ को गले से फिराती हुई स्तनों पर ले आती है जैसे ही वो हल्का सा दबाव डालती है कि उसके गुलाबी स्तनाग्र से दुध की धारा गिलास मे गिरती है ,

RDT-20240408-1845322896423316816437476
थोड़े से छींटे बाहर गिरते है तो वो करीब से गिलास पकड़ के स्तनों को दबा दबा कर दुध निचोड़ ने लगती है हालाकि उसको निचोड़ ने से स्तनों पर अपनी ही उँगलियों की छाप पड़ जाती है,जिस से उसको जलन और दर्द होता है,जैसे तैसे करके वो दोनों दूध से भरे अपने कुम्भ को वो गिलास मे खाली कर देती है
शालिनी राहत की साँस लेती है थोड़ी देर एसे ही खड़ी रहती है बाद मे वो अपनी ब्लाउज पहनती है ,उसको पसीने की वज़ह से जलन ज्यादा हो रही थी ,वो गिलास लेकर कमरे मे आती है ,कमरे मे आते ही वो पंखे के नीचे बेड पर बैठ जाती है ,और अपने ब्लाउज के 4 मे से 2 हूक खोल देती है जिस से कुछ राहत मिलती है ,

ce4cd33d56210c12c6dc9df368443037
फिर भी उस से रहा नहीं जाता जिस से सारे हूक खोल के चाचाजी की और पीठ करके बैठ जाती है जैसे वो स्तनपान करते समय बैठती है, 10 मिनट बाद उसको अच्छा महसूस होता है इस लिए वो ब्लाउज के हूक बंध करके बाल सही करके चाचाजी को जगाती है, लेकिन जब वह चाचाजी को जगा रही थी तब उसके दिल मे थोड़ी घबराहट और उत्तेजना दोनो ही थे ,ये उसके लिए पहली बार था ,जब वो चाचाजी को अपने स्तनों से और अपने हाथो से निकाला हुआ दुध पिलाने जा रही थी।
शालिनी : (बालों मे हाथ फेरते हुए..)मेरे बच्चे ,उठो ,देखो माँ क्या लायी है?चलो जल्दी से उठो।
चाचाजी : (नींद मे...)क्या है?अभी मुझे नींद आ रही है ,कल सुबह दे देना ,अभी सोने दो न।
शालिनी : सुबह तक इंतजार नहीं कर सकते, वर्ना बिगड़ जाएगा।
चाचाजी : क्या है?

शालिनी : पहले तुम जग जाओ और बैठो मेरी बगल मे फिर दूंगी।
चाचाजी बेड पर बैठ जाते है
चाचाजी : लो बैठ गया बस ,अब लाओ ना जो देना है दो,
शालिनी चाचाजी को अपने दुध से भरे गिलास को दिखाती है।

a09ce05d8d0e09a6173c81aaabdea9d3
upload image
चाचाजी : क्या है इस मे?
शालिनी : दुध, अपने हाथों से लेके आयी हू, रात को सोते समय नहीं पिया था इस लिए अभी मेरी नींद खुली और मुझे याद आया कि तुम बिना दुध पीए सो गए हों।
चाचाजी : चलेगा नहीं पिया तो भी, कोई बड़ी बात नहीं।
शालिनी : मुझे नहीं चलेगा, मेरे बेटो के स्वास्थ्य को लेके मे कोई लापरवाही नहीं करना चाहती, चलो एक ही बार मे ये पी जाओ फिर आराम से सो जाना।
चाचाजी : अभी नहीं पीना दुध।
शालिनी : अपने माँ के दुध को मना करते हो?
चाचाजी : क्या ?
शालिनी : मतलब माँ के लाएं हुए दुध को मना कर रहे हों।
चाचाजी : ठीक है लाओ पी लेता हू।
शालिनी : (मन में..)क्या कर रही हू मे?अभी सच नहीं बोलना है शालिनी समय देख के सब बता दूंगी।
चाचाजी : अब पी रहा हू तो दे नहीं रही।
शालिनी : अरे नहीं नहीं...ये लो पी लो, सारा पी जाओ, आराम से पीना ,गिरना मत बहुत मूल्यवान है,
चाचाजी जैसे ही पहली घूंट लगाते है तब उसको दुध थोड़ा अलग लगा ये दुध उसको मीठा लगा स्वाद अलग था पर अच्छा लगा ,उसे लगता है एसा स्वाद पहले भी लिया है ,पर कहा वो याद नहीं आता।
चाचाजी : इसका स्वाद थोड़ा अलग है, इसमे चीनी डाली है?
शालिनी : नहीं इसमे मेने अपनी ममता डाली है इस लिए ,और सायद गर्मी की वज़ह से दुध का स्वाद अलग हो गया होगा।
चाचाजी फिर सारा दुध खत्म कर देते है, शालिनी बेड के पास पडी अपने साड़ी को लेके चाचाजी के मुँह को साफ करती है, और गिलास और साड़ी बेड के बगल मे रख देती है।
शालिनी : आओ मेरे बच्चे ,मेने तुम्हारी नींद खराब की है तो मे ही तुमको सुलाती हू ,आओ इधर आओ, अपनी माँ के पास आओ।
एसा बोलते हुए शालिनी अपने एक हाथ को चाचाजी के गर्दन के नीचे रख कर उसके सिर को अपनी और खींचती है और चाचाजी अपना एक पैर शालिनी के ऊपर रख देते है अब चाचाजी का सिर शालिनी के स्तनों के ऊपर था ,शालिनी उसे दुलार रहीं थीं, चाचाजी की सांसे उसके स्तनों के बीच मे जा रही थी साथ ही चाचाजी को शालिनी के शरीर की खुशबु आ रही थी, वो खुशबु चाचाजी पर ठीक वैसे ही असर करती है जैसे एक छोटे बच्चे पर एक माँ की खुशबु असर करती है ,जिस से वो अपने आप को सुरक्षित महसूस कर्ता है, चाचाजी को भी कब नींद आ गई उसे पता नहीं चला।
सुबह के 5 बजे थे कि नील के रोने की आवाज से दोनों की नींद खुलती है ,चाचाजी को आंख खुलते ही शालिनी के ब्लाउज मे कैद स्तनों के दर्शन होते है,

03ddc1985768825e16a1f46ec4f0a4ad
शालिनी का एक हाथ सुन्न हो रहा था क्युकी 2 घंटे से उसका हाथ चाचाजी के सिर के नीचे था इस लिए वो चाचाजी को नील को शांत करने को कहती है, चाचाजी नील को लेके बेड पर आके बैठ जाते है और उसके शांत कराने की कोशिश करते है, पर नील शांत नहीं होता।
चाचाजी : लगता है भूख लगी है ,इसे अब आप ही शांत करा सकती हैं,
शालिनी : लाइये मेरे पास।
शालिनी जब नील को लेने के लिए हाथ लंबे करती है तो उसका वो हाथ ठीक से ऊंचा नहीं होता।
शालिनी : एक काम करो उसको मेरे गोदी मे रख दो। मेरा दाया हाथ थोड़ा सुन्न सा हो गया है।
चाचाजी : कैसे हुआ ?
शालिनी : मेरे बड़े बेटे को सुलाने की वज़ह से ,उसके सिर के नीचे हाथ था इस लिए।
चाचाजी : मुझे माफ़ कर दो ,आगे से ध्यान रखूँगा।
शालिनी : वो बाद मे रखना पहले नील को दो मुझे।
चाचाजी धीरे से नील को शालिनी के गोद में रखते है तभी रखते हुए और हाथ वापिस खींचते समय चाचाजी का हाथ शालिनी के पेट और ब्लाउज के ऊपर से स्तनों को छू जाता है।
शालिनी चाचाजी की और पीठ करती है पर हाथ सुन्न होने से उससे ब्लाउज के हूक खुल नहीं रहे थे, थोड़ा जोर लगाती तो खुल तो जाता पर वो चाचाजी से खुलवाना चाहती थी ताकि वो उसके स्तनों के प्रति ज्यादा सहज हो जाए और उसका थोड़ा आकर्षण भी बढ़े।
शालिनी : सुनो बेटा ,थोड़ी मदद कर दो।
चाचाजी : बोलो क्या चाहिए?
शालिनी : वो हाथ सुन्न हैं तो ब्लाउज के हूक खुल नहीं रहे है तो थोड़ी मदद कर दो।
चाचाजी : उसमे मे क्या कर सकता हू?
शालिनी : हूक खोल दो जल्दी से।
चाचाजी : मे...में ...कैसे?
शालिनी : क्या बकरे की तरह में..मेें...कर रहे हों, इधर आओ और हूक खोल दो।
चाचाजी : मे कैसे कर सकता हू? ये गलत है।
शालिनी : क्या गलत है? एक तो तुम्हारा भाई भूख से रो रहा है, मेरा हाथ सुन्न हो गया है एसे समय मे मदद नहीं करेंगे तो कब करेंगे?
चाचाजी : पर...
शालिनी : छोड़िए..मेने तो पूरे तन मन से आपको बेटा माना था ,नील का बड़ा भाई माना था, लेकिन आप हमे अपना कुछ समझते नहीं, क्या एक बड़ा बेटा अपनी माँ और छोटे भाई की मदद करने से पहले इतना सोचता है?लगता है आप फिर से चाचाजी बन गए है, मेरे बेटे नहीं रहे।
शालिनी चाचाजी को भावुक कर देती है।
चाचाजी : ठीक है मे करता हू मदद ,मेहरबानी कर के कभी मुझे एसा नहीं कहिएगा, मे आप लोगों के लिए जान दे सकता हू, आप नहीं जानते आप क्या है मेरे लिए, अब से आप को विश्वास दिलाने के लिए मे आपकी हर बात मानूँगा, बोलिए क्या करना है?
शालिनी : पक्का मेरी हर बात मानेंगे?
चाचाजी : हाँ वचन देता हू।
शालिनी : ठीक है ,अभी आप मेरे हूक खोल दीजिए ,एसी परिस्थिति ना होती तो मे आपको एसी दुविधा मे नही डालती, पर नील को रोता देख मुझसे रहा नहीं गया, अगर मेरा बेटा होता तो वो जरूर मदद करता।
चाचाजी : बेटा होता तो?बेटा है
चाचाजी को हूक खोलने के लिए हाथ बढ़ाते है तब उसके हाथ कांप रहे थे ,इधर शालिनी की सांसे भी तेज हो रही थी ,जिस से उसके स्तन ऊपर नीचे हो रही थी, तभी चाचाजी को कुछ सूझता है जिस से वो शालिनी के पिछे आके घुटनों के बल बैठ जाते है।
शालिनी : वहा क्या कर रहे हों?इधर आके हूक खोले।
चाचाजी पिछे से शालिनी के बगल के नीचे से हाथ ले जाकर हूक खोलने का प्रयत्न करते है, खुलता नहीं जिस से वो थोड़ा सिर आगे की और करके ऊपर से देखते हुए हूक खोलने लगते है जिस मे उसको सफलता मिलती है।

images-2
जब चाचाजी ने सिर आगे किया और नीचे देखा तो शालिनी के स्तनों के उभार और उसके बीच की खाई को बस देखते ही रहे,इतने योग्य, पुष्ट और गोरे ऊपर से दुध से भरे एसे स्तनों की तो बस कल्पना है कि जा सकती है ,वैसे स्तन अभी चाचाजी से कुछ ही फासले मे थे जिसे वो ब्लाउज रूपी कैद से आजाद करने जाँ रहे थे, एसे स्तन जो सिर्फ कोई कवि की कविता या कोई उपन्यास की नायिका या फिर पुराणों मे वर्णित अप्सरा के स्तनों का जैसा वर्णन होता है वैसे स्तनों की ओर जैसे जैसे उसके हाथ बढ़ते है उसके हाथ मे कंपकंपी उठ जाती है दिल की गति बढ़ गई थी, और जैसे ही उसके हाथ ब्लाउज के निचले हूक खोलने लगे तब दोनो हाथ की दो दो उंगलिया ब्लाउज के अंदर डालते है तब शालिनी के स्तन को छू जाती है तब मानो दोनों के लिए समय रुक सा गया।
चाचाजी ने धीरे से पहला, फिर दूसरा हूक खोला उतने मे ही शालिनी के मुँह से आह...निकल जाती हैं, फिर तीसरे और चौथे हूक खोलने मे चाचाजी को काफी दिक्कत हुई, मानो ब्लाउज भी एसे स्तनों से अलग नहीं होना चाह रहा था, और जैसे ही आखिरी हूक खोला और ब्लाउज किसी कपाट की जैसा खुला, वैसे ही शालिनी के मुँह से सिसकारी निकल गई, मानो किसी ने उसे लोहे की जंजीरों से आजाद किया हो,चाचाजी ने ऊपर से जैसे ब्लाउज खुलता हुआ देखा उसकी नज़र दो तीन पल स्थिर हो गई फिर आंख बंध कर के शालिनी के पिछे बैठ जाते है।
चाचाजी के लिए वो पल दो पल किसी घंटे के माफिक था, इस पल मे उसने शालिनी के पूरे नंगे स्तनों का पूरा मुआयना कर लिया था वो आंख बंध कर के उसके ही ख़यालों मे खो गए थे।
चाचाजी के ख्यालों मे....
आह....क्या नजारा था? क्या स्तनों की जोड़ी थी ! किसी के एसे स्तन हो कैसे सकते है उपरवाले की रचना मे सबसे नायाब चीज़ थी, एकदम सटीक गोलाई, गुलाबी स्तनाग्र,एक दूजे से सटे हुए ऊपर से दुध से भरे ,वाह...क्या दृश्य था ,मेरी जिंदगी का सबसे खुशनसीब और आनंदित क्षण ये है, मेरा जीवन सफल हो गया, मुझे कुछ और नहीं चाहिए,क्या मे इसी स्तनों पे सिर रख के सोया हू?कितना भाग्यशाली हू मे, मेरे से ज्यादा मुन्ना है जो इस स्तनों को छू सकता है, और उसका दुध पी सकता है, और उससे भी ज्यादा भाग्यशाली नीरव है ,और दुर्भाग्यशाली भी, एसे स्तन को छूने का मर्दन करने का ,और उसे मुँह मे लेके चूसने तक का अधिकार हो फिर भी इनसे दूर जाके रहना, एसे स्तनों को मेने आजतक नहीं देखा ,स्तनों के सौन्दर्य की पराकाष्ठा है।
तभी शालिनी उसको आवाज देके उसको होश मे लाती है, जिस से चाचाजी तुरंत खड़े हो जाते है,
चाचाजी : हाँ बोलो
शालिनी : सो गया क्या?
चाचाजी : नहीं नहीं ,आपके बगैर नींद कहा आती है
शालिनी : बस थोड़ी देर नील का खाना होने वाला है
चाचाजी : कोई बात नहीं आराम से खिलाए, पूरा समय लीजिए
शालिनी नील को स्तनपान करवाने के बाद अपने लहराते ब्लाउज को हाथो मे लेके हूक लगाने लगती है, फिर वो नील को पालने मे रखकर सुला देती है फिर वो बेड पर आके चाचाजी के बगल मे लेट जाती है।
शालिनी : माफ़ करना हमारी वज़ह से नींद खराब हुई।
चाचाजी : अभी आप ने बेटा बुलाया और अभी आप ये कह रहे है, मुझे आपसे बात नहीं करनी।
शालिनी : अरे रे..नाराज हो गए, ठीक है चलो अब कोई बात नहीं ,इधर आओ मेरी वज़ह से जगे हो तो मे ही सुलाती हू।
चाचाजी के गरदन के नीचे हाथ ले जा कर उसे अपनी ओर करती है ,चाचाजी भी अपना पैर शालिनी पर रख देते है चाचाजी फिर से उस स्तनों को इतने पास से देख कर उनके विचारो मे खो जाते है,और कब सो जाते है उनको भी पता नहीं रहता।
सुबह सब देरी से उठते है पहले शालिनी जगती है फिर अपने हाथ को चाचाजी के नीचे से निकाल कर अंगड़ाई लेती है जिस से चाचाजी की नींद खुल जाती है और वो अंगडाई लेती शालिनी को देखते है जिसमें उसकी कटीली कमर और गोरे पेट को देखते है,

VID-338621125-205732-314-1
फिर बेड से नीचे उतरकर अपने बाल सही करती है,

5175cea98b271008588676888fecb021
शालिनी अपने दोनों बच्चों की और प्यार से देखती है ,वो पहले नील के पास जाके घुटनों के बल बैठ के उसे एक चुंबन करती है फिर खड़ी होकर अपने बड़े बेटे को भी एक माथे पर चुंबन देती है,क्युकी एक माँ की ममता अपने बच्चों मे भेदभाव नहीं करती ,चाचाजी मन मे बहुत खुश होते है ,फिर शालिनी अपने कपड़े लेकर नहाने चली जाती है।


शालिनी नहाकर आती है ,आज उसने लाल ब्लाउज और लाल घाघरा पहना था,वो बाल लहराती हुई कमरे मे आके आईने के सामने खड़ी होके अपने आप को देखती है, अपनी ही सुन्दरता से वो शर्मा जाती है,



fe94e17c5f5b7f8bed96e418a3f5de62 2e05fd12ce3677bacd9a68744942fcdd
image upload
Shalini : (मन मे..) पूरा दिन एसे ही रहूंगी तो चाचाजी क्या सोचेंगे, कल तो परेसानी मे बोल दिया था साड़ी नही पहनेंगी,पर एसे पूरा दिन रहूंगी तो मे शर्मसार हो जाऊँगी, और जब नील को स्तनपान कराते समय क्या करूंगी?एक काम करती हू वो पल्लू को रोल करके रस्सी जैसे,जैसे दिशा पटनी पहनी थी वह slow motion गाने मे।

0fd53417978c9ce93e1e918a98183e1a
शालिनी लाल साड़ी मे एक परी लगती है ,वो फिर चाचाजी के सिर हाथ घूमते हुए जगाती है।
शालिनी : चलो खड़े हो जाओ, देखो आज देर हो गई है, आज कसरत करने का भी समय नहीं रहा ,तुम भी उठ कर सीधा बाथरूम मे जाओ और टूथब्रश करो तब तक ये सब सही करके आती हू नहलाने।
चाचाजी नहलाने का सोचकर ही नींद उड़ जाती हैं, और वह सीधा बाथरूम मे जाके ब्रश करने लगते है ,तभी शालिनी आती है ,आते समय वो अपने बाल पिछे की ओर बांधती हुई आती है।

VID-338621125-205732-314-2
शालिनी : ब्रश कर लिया ?
चाचाजी : हाँ
शालिनी : बहुत बढ़िया ,लगता है बेटा सुधर गया है, एसे ही मेरी हर बात माना करो, ठीक है ?
चाचाजी : हाँ ,सब बात मानूँगा।
शालिनी : आय हाय मेरा राजा बेटा, आज खुश कर दिया मुझे ,चलो जल्दी से नहला देती हू फिर नास्ता भी बनाना है,
चाचाजी : क्या जल्दी है ,एक दिन तो आराम से रहो, रोज कितना काम करती हो,अब तो दो बच्चे हो गए है तो ज्यादा मेहनत लगेगी, भाग दौड़ कम करो ,हम इंसान है मशीन नहीं,
शालिनी : बड़ी सयानी बातें कर रहे हों, मुझे आनंद आता है आपने बच्चे के लिए काम करते हुए, चलो अब बातें नहीं ,सिर्फ नहाना।
शालिनी चाचाजी को ठंडे पानी से नहलाने लगती है, तभी चाचाजी शरारत करते हुए शालिनी के ऊपर पानी के छींटे उड़ते है, शालिनी मना करती है पर चाचाजी बच्चे के जैसे बस उड़ाने लगते है ,शालिनी की साड़ी, ब्लाउज, गला ,कमर ,और थोड़े बाल भी भीग जाते है,

Rashi-Singh-rashisingh-JAS-rashisingh-justactressstuff-MP4-1
शालिनी : क्या किया आपने मे गिली हो गई,


चाचाजी : गर्मी की वज़ह से आपको गिला किया जिस से आपको ठंडक मिले, और मेरा एसे बच्चे जैसे बर्ताव कैसा लगा?
शालिनी : सच पूछो तो मुझे भी आनंद आया, कभी कभार एसी बच्चों जैसी हरकत करके जीवन मे आनंद आ जाता है, और आप तो बच्चे भी है मेरे , कभी-कभी एसे बच्चों जैसा बर्ताव करते रहिए जिस से मुझे सच मे लगे मेरा बड़ा बेटा है,
चाचाजी : ठीक है,
शालिनी नहलाने के बाद बाहर हॉल मे पंखे के नीचे खड़ी होकर पल्लू गिरकर अपनी साड़ी, ब्लाउज सुखाने लगती है ,

tumblr-4173226357261b68d2d888decfde0be9-4d538e4d-400
चाचाजी भी तौलिया पहनकर बाहर आते है ,शालिनी फिर अपना पल्लू लगा के उसे सहारा देके कमरे मे ले जाके कपड़े पहनाने मे मदद करती हैं, बाद मे नास्ता करके तीनों हॉल मे बैठे होते है कि पड़ोस वालीं चाची आती है और बताती है कि दुधवाला दो दिन तक अधिक ग्राहको को दुध नहीं दे पाएगा ,जो उसके पुराने ग्राहक है उसे ही दे पाएगा।
ये सुन के शालिनी उदास हो जाती है तब चाचाजी कहते है ,दो दिन की बात है,चला लेगे ,चाची फिर चली जाती है, तभी शालिनी नील को अपना दुध पिलाती है,तभी वो सोचती है कि आज सारा दुध वो निकल के इकठ्ठा करके शाम को चाचाजी को पीला दूंगी।
दुध पिलाने के बाद वो नील को सुला के वापस आके सोफ़े पर बैठ जाती है, फिर वो कुछ गाने चुनकर उसपे नृत्य करती है उसने जान बूझकर एसे गाने चुने थे जिसमें अभिनेत्री स्तनों का प्रदर्शन करती है, ताकि वो चाचाजी को अपने स्तनों के नजदीक ला सके।

Ragini-Dwivedi-viralreels-reelsindia-reelsinstagram-hindireels-bollywoodreels-bollywood-bollywoodmus video2gif-20190402-185858

VID-231480813-043735-456-1 70137b9a60bfe8ad7fc73879d9fb139b-1 70137b9a60bfe8ad7fc73879d9fb139b-2 sexy-dance-moves-MP4-2
रोज की तरह खाना खाके वो सोने चले जाते हैं, दोपहर मे भी शालिनी अपना दुध निकल के बर्तन मे इकठ्ठा करती है ,शाम को नील को एक बार फिर स्तनपान करवाती है, रात मे खाना खाने के बाद नील सिर्फ 1 स्तन से ही दुध पिता है तो शालिनी अपने बचे हुए स्तन के दुध को बर्तन मे इकठ्ठा किया ,फिर जब रात मे सोने के पहले फिर एक बार अपने स्तनों से दुध निकल के बर्तन मे डालती है, अब तक इतना दुध तो हो गया था कि जितना चाचाजी रात को दवाई पीने के बाद पीते थे।
फिर वो 1 गिलास मे भर के लाती है और चाचाजी को देती है ,
शालिनी : ये लीजिए दुध पी लीजिए।
चाचाजी : पर दुध तो था नहीं ,फिर कहा से...?
शालिनी : वो आप मत सोचिए ये पी लीजिए।
चाचाजी जैसे ही पहली घूंट पीते है ,उसको कल रात का स्वाद याद आ गया ,वो सोचने लगते है कि एसा दुध उसने कहा पिया था पर उसे याद नहीं आ रहा था फिर जब दूसरी घूंट पी तब चाचाजी की आंखे खुली की खुली रह गई, उसे याद आ गया था, उसके चेहरे पर हेरानी और आश्चर्य के भाव थे ,उसको समज नहीं आ रहा था अब वो क्या करे?
चाचाजी : (मन में..)क्या ये सच मे वहीं दुध होगा ?या वहम है मेरा ,पर मे उस दुध का स्वाद जिंदगी मे नही भूल सकता,क्या सच मे ये ..ये...स्तनों का दुध है?
चाचाजी दुध से भरे गिलास को बाजू मे रख के शालिनी को सवालिया नजरो से देखते है।
शालिनी : क्या हुआ ?पूरा पी जाओ
चाचाजी : पहले मुझे एक बात बताओ, और सच सच बताना।
शालिनी : हाँ बोलो
चाचाजी : ये दुध कहा से लायी?
शालिनी : वो जान के आप क्या करेंगे ?आप दुध पी लीजिए
चाचाजी : नहीं पहले बताओ,कल तो नींद मे पीला दिया था पर आज नहीं, मुझे अपने मन की शंका का समाधान करना है।
शालिनी : वो घर पे पड़ा था,
चाचाजी : झूठ मत बोलो ,कल भी थोड़ा सा था ,और आज दुध वाला आया नहीं ,फिर कहा से आया?और मे ये स्वाद को जानता हूँ, मे पहले भी एसा दुध पी चुका हू।
शालिनी : तो आज भी पी लीजिए, दुध ही तो है।
चाचाजी : दुध तो है पर ये गाय या भैस का नहीं है,
शालिनी : (मन मे..)लगता है चाचाजी को पता चल गया है अब क्या करूँ?
शालिनी : तो फिर किसका है ?बकरी का?
चाचाजी : नहीं ना ही ये गाय का, या भैस,या बकरी और नहीं किसी प्राणी का ,ये औरत के दुध का स्वाद है, मेने कहा था ना कि तुम्हें मे अपनी पत्नी का दुध पिता था ,उसका स्वाद भी इसके जैसा ही था, अब सच बता दो।
शालिनी : (शर्मा कर..)सही कहा आपने ,ये मेरा दुध है।
चाचाजी : क्या? यानी मेरा शक सही निकला ,मे अब ये दुध नहीं पी सकता ,तुमने क्या सोच के ये सब किया?
शालिनी : (भारी आवाज मे..)क्या गलत किया मेने?और बहुत सोच समझकर ये निर्णय लिया था,
चाचाजी : क्या सोचा था?ये सब किसीको पता चलेगा तो क्या होगा?और अगर नीरव को पता चलेगा तो वो क्या सोचेगा मेरे बारे मे ?नीरव के पिताजी को पता चलेगा तो गाव मे मेरी क्या इज़्ज़त रहेगी? और मेरी बरसों की दोस्ती भी टूट जाएगी।
शालिनी : एसा कुछ नहीं होगा ,मेरे पास सब बातों के जवाब है, और पता तब लगेगा जब हम मे से कोई बतायेगा।
चाचाजी : क्या जवाब है?कोई पूछेगा की क्यु इसका दुध पिया?और हम सब को अंधेरे मे रख कर ये करेंगे तो ये पाप ही है।
शालिनी : कोई पाप नहीं है, अगर कोई पूछे तो मे कहूँगी की क्या एक माँ अपने बेटे को अपना दुध नहीं पीला सकती?अगर बेटे को दुध पिलाना पाप है तो मे रोज ये पाप करूंगी,
चाचाजी : ये गलत है ,ये पाप है।
शालिनी : गलत क्या ?मे अपने मन से आपको खुशी से ये दुध दे रही हू ,और पाप क्या नील के पिलाने के बाद बचा हुआ आपको दे रहीं हू, दूसरे जानवर का दुध पीना पाप नहीं, पर एक माँ का दुध पीना पाप है, क्या आप मेरे बेटे नहीं?क्या मे आपकी छोटी माँ नहीं?
चाचाजी : हाँ !आप हो मेरी छोटी माँ
शालिनी : बस फिर बात खत्म, और आपको बात छुपाने से तकलीफ है तो मे समय आने पर नीरव को बता दूंगी , आपने बताया था कि आप की दादी के कहने पर आप ने आपकी पत्नी का दुध पिया था।
चाचाजी : पर वो मेरी पत्नी थी।
शालिनी : फिर आपने ये भी बटाया था कि दादी के अस्थि विसर्जन करने गए थे तब मेरे ससुर ने आपकी पत्नी का दुध पिया था,वो पाप नहीं था?
चाचाजी : वो मजबूरी थी,
शालिनी : मेरा भी कुछ एसा ही है ,एक तो मेरे स्तनों मे ज्यादा मात्रा मे दुध बनता है, और अभी दुध मिलता नहीं ऊपर से आप को दुध की जरूरत भी है, और मेने दिल से आपको अपना बेटा माना है, इस लिए मेने ये कदम उठाया।
चाचाजी : पर...
शालिनी : वैसे भी ये दुध नाली मे ही जाने वाला था ,ये तो भला हो चाची का जिसने मुझे ये सुझाव दिया कि ये दुध आपके काम आ सकता है और मुझे भी राहत मिल जाएगी
चाचाजी : क्या ये पड़ोस वाली चाची?उसने ये सब तुमको सुझाया?
शालिनी : (भावुक होके ..)ठीक है ,जाने दीजिए ,मत पीना ,आपको क्या मेरे दर्द से?बस आप सिर्फ कहने को ही छोटी माँ कहते है, अगर दिल से मानते तो मेरे दर्द को समझते और उसे दूर करने मे मेरी मदद करते ,आज से और अभी से ये माँ बेटे वाला ये नाटक खत्म करते है ,ठीक है चाचाजी?
चाचाजी "चाचाजी "शब्द सुनते ही सुन्न हो गए क्युकी इतने दिनों से बेटा बन के उसे जो वात्सल्य मिल रहा था उसको वो खो देगे इस डर से वो कांप जाते है, इतने मे शालिनी दुध का गिलास लेके खड़ी हो जाती है और उसे फेंकने के लिए जाने लगती है।
चाचाजी : नहीं...नहीं.. छोटी माँ, रुक जाए ,मुझसे भूल हो गई ,मुझे माफ़ कर दीजिए, लाइये मे पियेगा आप का दुध
शालिनी खुश होके वापिस मुड़ती है, क्युकी उसने जो भावनात्मक खेल चाचाजी से खेला था इसमे जीत गई क्युकी उसे कहीं डर भी था कि चाचाजी नहीं मानेंगे तो क्या होगा?
शालिनी : क्या सच मे आप पियेंगे?
चाचाजी : हाँ माँ ,आगे से कभी मुझे अपने से दूर ना करना ,आप जो कहेगी वो करूंगा।
शालिनी दुध का गिलास चाचाजी को देती है, चाचाजी गिलास को अपने मुँह से लगाए पीने लगते है और शालिनी उसके बालों मे हाथ घूमती है
अब ये रिश्ता कितना आगे बढ़ेगा और क्या क्या अनुभव होगे वो देखते है।
 

malikarman

Well-Known Member
3,123
2,534
158
Update 10
शालिनी अपने दूसरे तरीके को कैसे किया जाए उस बारे मे सोचती हुई खाना बनाने चली जाती है। खाना बनाने के बाद वो चाचाजी को सहारा देकर मेज पर ले आती है और नील को अपने गोदी मे लेके उसे पिसा हुआ खाना खिलाती है, चाचाजी जैसे खाना खाने की शुरुआत करते है शालिनी उसे रोक देती है ,
शालिनी : 2 मिनट रुक जाए, मे आपको अपने हाथों से खीलाउंगी। आप खाने के समय बच्चे की तरह खाना गिराते है।
चाचाजी : वो तो हाथो मे चोट लगी हुई हैं इस लिए।
शालिनी : इस लिए तो कह रही हू ,आज आप अपनी छोटी माँ के हाथो से खाना खाएंगे।
नील को खाना खिलाने के बाद शालिनी चाचाजी के बगल वाली कुर्सी पर आके बैठ जाती है और दाल चावल सही से मिलाकर अपने हाथो से चाचाजी को खिलती है।
चाचाजी : आप चमच से खिला सकती हो आप के हाथ गंदे होगे
शालिनी : आज तक किस माँ के हाथ अपने बच्चे को खिलाते समय नहीं बिगड़े ?ये तो हम माँओं का प्यार है, हाथ से जो प्यार मिलता है वो चमच मे कहा चाचाजी की नजर कभी कभी शालिनी के पारदर्शी पल्लू से दिख रहे स्तनों के उभरे हुए उपरी भाग और आपस मे चिपके हुए स्तनों की वजह से जो दरार बनी वहां पर ठहर जाती, शालिनी भी ये बात नोटिस करती है पर वो तो यही चाहती थी

GL8c4zwb-AAAt-Dq-L
google picture storage
खाना खिलाने के बाद शालिनी हाथ मुँह धो के सब काम निपटाने लगती हैं चाचाजी वही टेबल पर ही बैठे थे ,शालिनी उससे बातचीत भी करती और कभी कभी जान बूझकर अपने स्तनों को प्रदर्शित करती है। काम निपटाकर चाचाजी को सहारा देके कमरे मे लाती हैं पहले नील को सुलाकर चाचाजी के बगल में आके लेट जाती हैं।
शालिनी : आज गर्मी ज्यादा है, लाओ मे आपका कुर्ता निकाल देती हू ,

Siskiyaan-S1-E1-Palang-Tod-1
चाचाजी : नहीं, चलेगा
शालिनी : मुझे नहीं चलेगा ,कितनी गर्मी है। एसा बोल के अपने साड़ी का पल्लू निकाल देती है ,अब शालिनी कमर तक बंधी हुई साड़ी पहनकर ऊपर सिर्फ एक गहरे गले वाले ब्लाउज पहनकर बैठी थी जिस मे उसके स्तनों के उभार को कोई नजरअंदाज नहीं कर सकता और बैठने के वज़ह दे कमर मे तीन बल पड़े थे जो उसको और सुंदर बना रहे थे। चाचाजी तो बस ये सुन्दर नज़ारा बीना पलक झपकाए देखे जा रहे थे।

VID-280180206-145933-126-1
शालिनी : चलिए आइए सो जाते है,
चाचाजी शालिनी के पैर पर पैर रख देते है और वो देखते है साँस लेने की वज़ह से शालिनी के स्तन ऊपर नीचे हो रहे थे ,

73575ef055b0dc7df82364fd517032ff-1
cheap hosting forum
चाचाजी को ये मनोरम दृश्य देखते देखते कब नींद आ गई उसे पता नहीं चला,करीब 1 घंटे बाद शालिनी चाचाजी को जगाती है।
शालिनी : सुनो बेटा मे अभी आती हू ,मुझे स्तनों मे दर्द हो रहा है ,
चाचाजी : ठीक हैं। आप जाइए
शालिनी बाथरूम मे जाकर अपने स्तनों से दुध निकलने लगती है,

RDT-20240620-0736014277204766550057566 RDT-20240411-072049-1
कभी-कभी जल्दी से निकलने के चक्कर मे आह निकल जाती, स्तनों को दबाते दबाते उसको यौन ईच्छा हो जाती है वो नीरव को याद करती एक हाथ से स्तनों से दुध निकालती और एक हाथ अपनी योनि मे डालती है और कामुक सिसकियाँ लेने लगती है ,जिस मे कभी वो नीरव को शारीरिक संबंध के लिए बुलाती तो कभी गुस्से से भला बुरा सुनाती, थोड़ी देर मे उसके योनि से काम रस निकलने लगता है और स्तनों से दुध निकलना कम हो जाता है।
फिर वो अपने आप को संभालती है aur अपना हुलिया ठीक करती है। उसके बाद वो कमरे मे आती है तो देखती है चाचाजी जगे हुए लेटे थे।
शालिनी : आप सोए नहीं?
चाचाजी : लगता है अब आपकी आदत पड़ चुकी है , आप के बिना नींद नहीं आती।
शालिनी : अरे रे..मेरे बच्चे को मेरे बगैर नींद नहीं आती ,कोई बात नहीं अब मे आ गई हू न, मे आपको अच्छे से सुला दूंगी।
चाचाजी : आज बहोत देर हो गई आपको।
शालिनी : (घबराकर)हाँ वो ...वो...
चाचाजी : लगता है ज्यादा दुध बन रहा है।
शालिनी : हा सही कहा। अब तो दर्द भी होता है जब भरे हुए होते है तब भी दर्द होता है और जब निकलने जाती हू तब भी दर्द होता है ,क्या करू ? समझ मे नही आ रहा ,एक और से वो बदमाशों का डर।
चाचाजी : बदमाशों से डरने की जरूरत नहीं है, नीचे पुलिस है,और फिर भी वो ऊपर आए तो इस बार मे नही छोड़ूंगा।
शालिनी : मे अपने दोनों बच्चों मे से किसीको कुछ नहीं होने दूंगी।
चाचाजी : मे आपको तकलीफ मे नही देख सकता ,मे अपनी इस माँ का हो सके इतना ध्यान रखूंगा, और हो सके उतना मददगार बनूँगा, मेरी वज़ह से आपको थोड़ी सी भी खुशी मिलेगी तो मे अपने आप को धन्य मानूँगा।
शालिनी को तभी चाची की बात याद आती है और अपने दर्द का भी ख्याल आता है ,वो सोचती है क्या चाचाजी से मदद मांग लू?
सोच -1 नहीं नहीं वो क्या सोचेंगे?
सोच -2 वो मुझे अपनी माँ समझते है तो मे भी उसे अपना बेटा बना लेती हू
सोच -1 अगर वो नहीं माने और उल्टा मेरे चरित्र को गलत समझेंगे तो ?
सोच -2 अभी उसने ही तो कहा वो मेरी मदद करना चाहते है ,मुझे दुखी नहीं देख सकते।
शालिनी : (मन में...)एक बार और देख लेती हू की चाचाजी की क्या प्रतिक्रिया है ?अगर वो सकारात्मक हुए तो उस से बात करूंगी वर्ना जैसे चलता है वैसे चलने दूंगी।
शालिनी चाचाजी को अपनी और प्यार से भींच लेती है जिससे उसका सिर उसके स्तन से चिपक जाए

Pinterest-1
चाचाजी को थोड़ी देर मे नींद आ जाती है शालिनी को भी नींद नहीं आ रही थी ,उसको क्या करे या क्या ना करे उसके बीच असमंजस से निकलना था ,वो सिर्फ आंख बंध करे लेटी रहती है।
करीब आधे पौने घंटे मे चाचाजी की नींद खुलती है ,जैसे ही उनकी आंख खुलती है उसकी नजर के सामने दूध से भरे हुए दो पहाड़ थे जो ब्लाउज मे कैद थे ,कैद क्या ? आधे कैद थे ,आधे तो छलक के बाहर आ चुके थे ,मानो वो उस ब्लाउज की कैद मे समा नहीं रहे थे, विचारो की वज़ह से शालिनी की सांसे थोड़ी तेज हो गई थी ,जिस से ऊपर नीचे हो रहे स्तनों का नज़ारा बस देखते ही बनता था ,उसके बीच की खाई मानो चाचाजी को अपनी ओर खींच के उसमे गिरा देना चाहती हो।

c97beebf2778f082979e7ddfe926573c
चाचाजी के मन मे भी अभी विचार का द्वन्द था एक और अपनी मर्यादा ,और एक तरफ उस स्तनों के प्रति आकर्षण, एक मर्द कब तक उस स्तनों की माया से बच सकता है, पर चाचाजी का मन उसको दूसरे भाव से उसको आकर्षित करवा रहा था ,चाचाजी का मन उसको अपने आप को शालिनी बेटा बताकर उसको बहला रहा था।
चाचाजी का मन : शालिनी तो मेरी छोटी माँ बनी हुई है ,वो तुम्हें बगल मे सुला रही है ,तुम्हें खाना खिला रही है ,उसके पैरों पर पैर रखने दे रही है, यहा तक कि सुलाने के समय वो सिर को अपने स्तनों से भींच के सुलाती है ,वह तुम्हें अपना बेटा मान चुकी है तो तुमको क्या ऐतराज है,तुम भी उससे वैसे ही अपना लो ,अभी जो ये स्तनों के देख रहे हों वो स्तन तुम्हारे छोटी माँ के है ,तो एक बेटा अपने माँ के स्तनों को छू तो सकता है, सिर तो कई बार लगा के सोए हो ,आज हाथ से छू लो, वो बेटा मानतीं है इस लिए कुछ नहीं कहेंगी, उसमे कोई पाप नहीं ,स्तनपान करते समय नील के हाथ भी छूते होंगे, तुम भी उसके बेटे हो ,उसके क्या दिक्कत?अगर वो गुस्सा हो तो कह देना नींद मे छू लिया होंगा और आगे से नहीं होगा एसा।
चाचाजी अपने मन के बातों मे आ जाते है,वो डरते हुए धीरे धीरे अपने हाथो की उंगलियों से शालिनी के उभरे हुए स्तनों के भाग पर छूते है उसके शरीर मे करंट दौड़ जाता है, उधर शालिनी को भी एक करंट दौड़ जाता है, चाचाजी शालिनी का कोई प्रतिक्रिया ना देख थोड़ा हिम्मत से दूसरी बार अपनी उंगलियों को ब्लाउज मे से छलक रहे स्तनों पर फेर देते है शालिनी को पहले तो थोड़ा अजीब लगा, पर फिर वो सोचती है उसे जो जवाब चाहिए था वो मिल गया ,चाचाजी को उसके स्तनों के प्रति थोड़ा आकर्षण हुआ है ,पता नहीं पर तभी चाचाजी अपनी बड़ी उंगली उसके स्तनों के बीच पडी दरार मे डालते है, उसकी उंगली दोनों स्तनों के बीच भींच जाती हैं क्युकी तंग ब्लाउज की वज़ह से उसके स्तनों के बीच बिल्कुल जगह नहीं थी ,दोनों स्तन आपस मे सट्टे हुए थे फिर भी वो अपनी पूरी उंगली घुसा देते है, शालिनी को भी थोड़ा आनंद आ रहा था।
शालिनी : (मन मे ..)लगता है अब मुझे ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी, चाचाजी को बस थोड़ा और प्रयास से मना लुंगी।
शालिनी सोने का नाटक चालू रखती है ,थोड़ी देर बाद चाचाजी अपनी उंगलि निकाल लेते है और स्तनों के ऊपरी भाग पर धीमे धीमे घुमा रहे थे ,थोड़ी देर बाद उधर ही हाथ रख के सो जाते है,शालिनी को भी नींद आ जाती है ,शाम को जब नींद खुलती है तो शालिनी देखती है चाचाजी का खुल्ला हुआ पंजा उसके स्तनों के उभार को माने ढंक रहा हो ,शालिनी उसका हाथ हटा के अंगड़ाई लेके खड़ी होती हैं

Lakshmi-rai-V-HLSV4-650-360x6401702280030663-All-Video-Downloader-3
और अपनी साडी को पूरा कमर से निकाल के नए सिरे से पहनती है तभी चाचाजी जी नींद खुलती है वो अधमूंदी आँखों से देखते है शालिनी सिर्फ ब्लाउज और घाघरा पहने हुई थी और अपनी साड़ी पहन रही थी ,

2e05fd12ce3677bacd9a68744942fcdd
image hosting websites
जब शालिनी आखिर मे अपना पल्लू लगाती है तब चाचाजी जागते है क्युकी अगर पहले जग जाते तो शालिनी को थोड़ा असहज लगता इसी डर से वो सोने का नाटक कर रहे थे।
शालिनी : अरे जग गया मेरा बच्चा ,चलो हाथ मुँह धों आते है।
शालिनी चाचाजी के साथ बाथरूम आते है वहां वो चाचाजी के हाथ मुँह धोकर देती है फिर अपना हाथ मुँह धोकर अपने पल्लू से चाचाजी के मुँह को पोंछ देती है,तभी नील के रोने की आवाज आती हैं, शालिनी चाचाजी को हॉल मे बिठा के नील को उसके पास रख के चाय बनाने जाती हैं, चाचाजी नील को शांत करवाकर उसे हँसा रहे थे ,इतनी देर मे शालिनी चाय लेके आती है।
शालिनी : लीजिए चाय लीजिए।
चाचाजी : अभी चाय बनाने की क्या जरूरत थी? दूध भी कम आया है।
शालिनी : उसकी चिंता आप मत करो?
दोनों चाय पीते है बाद मे शालिनी नील को अपनी गोद में लेके पारदर्शी पल्लू ढक कर नील को स्तनपान करवाने चाचाजी के बगल में ही बैठ जाती है ,पल्लू भी ढक कम दिखा ज्यादा रहा था, अब शालिनी को फर्क़ नहीं पड़ रहा था इस लिए जानबूझकर एसी स्थिति मे बैठकर स्तनपान करवाने लगती है ,चाचाजी इधर उधर देखने लगते है ,फिर भी कभी कभी उसकी नज़र चली जाती ,पारदर्शी पल्लू मे से दिख रहे शालिनी के स्तनों के कबूतरों की जोड़ी मानो फड़फड़ा के उड़ने को बैचैन हो,
शालिनी : (छेड़ते हुए..)आपको अगर तकलीफ हो रही हो तो भीतर चली जाऊँ।
चाचाजी : नहीं नहीं...हमे कैसी तकलीफ,?
शालिनी : आपको तो आदत होगी इस सब की ?
चाचाजी : मतलब?
शालिनी : गाव मे तो एसे स्तनपान कराना आम बात होगी
चाचाजी : हाँ ,कभी कबार अपने दोस्तों के घर जाता तब दोस्तों की बहुएं कभी-कभी अपने बच्चे को आँगन मे स्तनपान करवाती
तब पल्लू से ढंककर करवाती, अगर गर्मी के ऋतु मे पल्लू ना हो तो भीतर चली जाती या पीठ घुमा लेती।
शालिनी : इतनी गर्मी होती है कि महिलाएं पल्लू भी नहीं लगाती ?
चाचाजी : हाँ दोपहर मे तो बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है, और गर्मी के कारण पल्लू क्या कोई महिला तो साड़ी भी नहीं पहनती ,सिर्फ ब्लाउज और घाघरा पहनती है।
शालिनी : तो आप सब को अजीब नहीं लगता या फिर कुछ मन मे एसा वैसा नहीं होता ?
चाचाजी : नहीं क्युकी बचपन से ही एसा पहनावा देखा होता है इस लिए सब सामन्य लगता है।
तभी शालिनी नील के अपने दूसरे स्तन मे लगाती हैं, नील छ्प छ्प करके पीने लगता है ,दोनों इधर-उधर की बातें करते है,तभी नील स्तन चूसने को छोड़ देता है जिस से बातों बातों मे चाचाजी की नजर शालिनी के पारदर्शी पल्लू मे से उसके स्तन के साथ निप्पल भी दिख जाती है, चाचाजी उसे अनदेखा करते है, शालिनी कहीं न कही जानबूझकर दिखा रही थी ताकि चाचाजी से मदद मिल जाए।
फिर शालिनी अपने ब्लाउज के हूक लगाकर पल्लू सही करते हुए खड़ी होके नील को चाचाजी के बग़ल मे सुला के कमरे मे जाती हैं फिर वो कुछ ज्यादे गले वाला ड्रेस और ब्लाउज-साड़ी पहनकर अपनी फोटो खींचती है,

RDT-20240624-0241439121163221479410274 Screenshot-20240612-223253-Instagram
और कुछ छोटे वीडियो बनाने के बाद मे नीरव को भेजती है,

147141112818586729-MP4-1 Sanchi-MP4-1
वापिस से पहले वालीं साड़ी पहनकर बाहर आती है।
चाचाजी : कहा रह गई थी आप ? छोटे भाई को सम्भाला नहीं जाता।
शालिनी : छोटा बेटा तो सयाना है ,बड़े बेटे को अपनी छोटी माँ के बगैर चैन नहीं आता, कुछ नहीं नीरव को कुछ मेरे फोटो भेजना था।
चाचाजी: अच्छा...
शालिनी : (पल्लू से हवा लेते हुए..) इस बार तो अभी से ही इतनी गर्मी पड़ना चालू हो गई है,ना जाने आगे कितनी बढ़ेगी ?ऊपर से नील की वज़ह से A.C. भी नहीं चालू कर सकते ,गर्मी से हाल बेहाल होने वाला है,
चाचाजी : बात तो सही है, पर हम कर भी क्या सकते है?
शालिनी : मौसम को तो नहीं रोक सकते किन्तु अपनी ओर से कुछ प्रयास कर सकते है।
चाचाजी : क्या करोगी?
शालिनी : वो सब बाद में अभी आप क्या खाएंगे?
चाचाजी : कुछ भी हल्का फुल्का बना दो।
शालिनी खाना बनाने जाती है,

RDT-20240601-1411323552606585614580320
फिर वो चाचाजी को अपने हाथों से खाना खिलाती है,साथ मे खुद भी खाने लगती है जब खाना पूरा होता है तो चाचाजी शालिनी की कलाई पकड़ के उसकी हर उंगली और अंगूठा चाटने लगते है, वो भी एसे चाटते है मानो शालिनी का हाथ खिलते समय बिगड़ा ही ना हो,
शालिनी : अरे रे ! क्या कर रहे हो आप?
चाचाजी : पहली बात "आप "नहीं "तुम " कहो, रिश्ते मे बड़े हो आप। दूसरी बात आज खाना एकदम बढ़िया बना है।
शालिनी : रोज नहीं बनता बढ़िया ?
चाचाजी : रोज ही बढ़िया बनता है ,पर आज जैसे हम अपनी माँ के हाथ चट कर जाते थे ,वैसे आज आपके साथ किया ,कुछ गलत किया?
शालिनी : नहीं नहीं ..कुछ गलत नहीं ब्लकि अच्छा लगा ,मेरे बेटे को मेरा खाना अच्छा लगा।
चाचाजी : मे तो यह चाहता हू की पूरी जिंदगी बस आपके हाथ का खाना खाउ और रोज एसे ही उंगलिया चाटता रहूं।
शालिनी : मिलेगा ना, क्यु नहीं मिलेगा ?
आप कहीं जा रहे हो?
चाचाजी : मे तो वैसे कहीं नहीं जाने वाला ,कुछ समय बाद नीरव के साथ अमेरिका चली जाओगी
शालिनी : कहीं नहीं जा रही अपने दोनों बेटों को छोड़ के,अब हमारा परिवार पूरा हो चुका है, हम दो हमारे दो
चाचाजी : लेकिन ..
शालिनी : लेकिन वेकिन कुछ नहीं ,अगर नीरव को हमारे साथ रहना होगा तो वो यही रहेगा ,वर्ना भले वो उधर नोकरी करे ,मे अपने दोनों बच्चे के सहारे जी लुंगी।
शालिनी इस समय नीरव से अपना गुस्सा निकाल रही थी क्युकी उसके स्तनों मे बढ़े दुध और कभी कभी अपनी यौन ईच्छा के समय उसकी गैर मौजूदगी उसको खलने लगी थी,
चाचाजी : ठीक है तब कि तब देखेंगे, मैंने तो बस यूँही बोला था।
(वैसे चाचाजी के मन मे भी ये ईच्छा जरूर थी, और उसे शालिनी से दूर होने से डर लगने लगा था, पर वो जताना नहीं चाहते थे)
डर हो भी क्यु ना?एसी गदराई हुई जवान और एक 6 महीने के बच्चे की दुधारू माँ जिसके स्तनों से दुध की नदी बहती हो, वो स्त्री उसे अपने हाथो से खिलाती हो,और उस से भी ज्यादा वो स्त्री उसको अपने बगल मे चिपका के सुलाती हो, कौन सा पुरुष एसी जिंदगी को बदलना चाहेगा ?
खाना खाने के बाद वो चाचाजी को सोफ़े पर बिठाकर काम निपटाने चली जाती है ,काम पूरा करके वो हॉल मे आती है,पल्लू के शीरे को चेहरे के पास लहराते हुए आती है जिस से आम तौर पर हर औरत गर्मी से परेशान होके करती है,
शालिनी : (पसीना पोछते हुए...)हाय रे ये गर्मी हालत खराब कर दी। रात हो गई फिर भी कितनी गर्मी है
चाचाजी : हाँ सही कहा, गाव मे ये दिक्कत नहीं होगी
शालिनी कुछ नॉर्मल होके नील को अपने गोदी मे लेके पल्लू लगा के स्तनपान कराने लगती है।
शालिनी : क्या तुम मुझे अपनी छोटी माँ मानते हो?
चाचाजी : हाँ बिल्कुल मानते है
शालिनी : पूरी तरह से तन मन से मानते हो?
चाचाजी : मुझसे ही कोई गलती हुई है ,जिस से आप मुझ पर शंका कर रहे हों?पर मे सच मे आपको अपनी छोटी माँ मानता हू।
शालिनी : तो फिर तुम को मेरे फैसले से कोई एतराज नहीं होगा ,और आप मेरी हर बात मानेंगे।
चाचाजी : बिल्कुल ,अब हमने हमारी सब चिंता आप पर डाल दी है, और आप जो कहेगी वो करेंगे।
शालिनी : मेने सोच लिया है,मे अब आपने जैसे बताया की गाव मे औरते कैसे रहती है मे भी उसी प्रकार रहूंगी इस से गाव जाने के बाद दिक्कत और शर्म ना हो,
चाचाजी : मतलब ?
शालिनी : मे भी सिर्फ ब्लाउज और घाघरा पहनेंगी। कोई आएगा तब साड़ी पहन लूँगी।
चाचाजी : पर मेरे सामने आपको दिक्कत नहीं होगी?
शालिनी : आप को दिक्कत है?
चाचाजी : नहीं नहीं एसा कुछ नहीं पर...
शालिनी : तो फिर तय रहा ,वैसे भी आपने की कहा था कि आप लोग बचपन से इस सब के आदी है, और दूसरी बात घर पर सिर्फ मेरे बेटे ही तो है दूसरा कोन है जिस से मुझे पर्दा करना पड़े?अगर आप मुझे अपनी छोटी माँ मानते हैं तो आपको कोई दिक्कत नहीं होना चाइये,
चाचाजी : मेने कहा ना मुझे कोई दिक्कत नहीं है क्युकी मुझे ये सब सामन्य लगता है ,इधर शहर मे आपको अजीब लगेगा इस लिए।
शालिनी : मुझे भी कोई दिक्कत नहीं,आज से ब्लकि अभी से ही बिना साड़ी रहना चालू कर देती हू।
जैसे ही स्तनपान पूरा होता है तुरंत वो ब्लाउज के हूक लगा कर पल्लू गिराकर कमर मे से साड़ी खींचकर निकाल देती है।

Beautiful-Actress-in-Saree-videos-Beautiful-Actress-in-half-Saree-videos-360-P-2
शालिनी : हाय अब कुछ राहत मिली
चाचाजी की आंखे ये दृश्य देख के चौन्धीया जाती है, उसे ये वास्तविकता पे यकीन नहीं हो रहा था ,एक जवान गदराई गोरी शहरी ल़डकि उसके बगल मे अपने हाथों से साड़ी निकल के सिर्फ ब्लाउज घाघरा पहने बैठी है ,ब्लाउज भी डिजाइनर जिसमें उसकी आधे स्तन प्रदेश को उजागर कर रहा था।
चाचाजी : (मन में..) क्या ये सच मे हो रहा है कि मे सपना देख रहा हू,होश मे आ बलवंत ये स्त्री तुझे अपना बड़ा बेटा मानतीं है इस लिए एसे बैठी है, अगर वो तुझे अपने बेटे के रूप मे पूर्ण रूप से मान चुकी है तो तू भी उसे पूर्ण रूप से अपनी छोटी माँ मान लो और इस रूप को अपना लो ,जैसे गाव मे महिलाओ को एसे वस्त्रों मे देखना सामन्य हो चुका था वैसे अभी छोटी माँ है, इस दृश्य को सायद रोज देखना पड़ सकता है तो इसे सामन्य समझो यही दोनों के लिए अच्छा होगा।
शालिनी नील को दूसरे सोफ़े पर लेटा देती है और मोबाइल लेके चाचाजी से सट के बैठ जाती है और नक्शे मे गाव को ढूँढती है और उसकी जानकारी चाचाजी पूछती है,
चाचाजी : जैसे मेने पहले बताया था कि गाव रेगिस्तान के बिल्कुल करीब है। और बड़े शहर से 50-60 किलोमीटर दूर मुश्किल से एक सरकारी बस आती है दिन मे 1 बार
शालिनी : तो फिर पीने के पानी की दिक्कत होती होगी।
चाचाजी : नहीं बिल्कुल नहीं ,हमारे गाव मे देवता का आशीर्वाद समझो या फिर कुदरत का करिश्मा गाव मे एक तालाब है वो भी मीठे पानी का, कहते है सरस्वती नदी की एक धारा उधर से निकली है जिस से तालाब सूखता भी नहीं, गाव के लोग तो देवता का आशीर्वाद मानकर उससे पानी पीते है, जिस से कोई पानी की बर्बादी नहीं करता।
शालिनी : यह एकदम सही है,
चाचाजी : गाव मे वैसे बड़े खेत ज्यादा नहीं किंतु ,गाव का गुजारा हो जाए उतना हो जाता है ,कोई कोई सब्जी लोग घर के आँगन या फिर खेत के एक कोने मे उगा लेते है,
इस बात चित के दौरान चाचाजी की नजर कई बार शालिनी के स्तनों के बीच की गहराई मे जाती,शालिनी ये नोटिस करती है पर वो यही तो चाहती है, इस लिए तो वो साड़ी निकाल ने का बहाना किया था वो सीधे तौर से कहने मे डरती थी इस लिए वो चाहती थी चाचाजी पहल करे, जैसे आज दोपहर मे चाचाजी ने अपनी उंगली स्तनों के बीच फंसाये थे ,जिस से शालिनी प्रोत्साहित हुई और एक कदम आगे बढ़ी जिस से चाचाजी को और खोल सके।
शालिनी : चलो सो जाते हैं।
चाचाजी : हाँ आप मुन्ने को लेके चलिए मे आता हूं।
शालिनी नील को कमरे में आ कर पालने मे रख देती है और फिर चाचाजी के साथ बेड पर आके बैठ जाती है ,साड़ी तो निकाल ही चूंकि थी बेड पर बैठने से उसके पेट पर बल पड़े थे जो उस पर ज्यादा मादक लगता है।

1000008320
शालिनी : उधर से लाइट बंध कर दीजिए
चाचाजी : थोड़ी देर रहने दो न, थोड़ी देर बाद बंध कर देंगे।
शालिनी चाचाजी की ओर देखती है तो वो उनको देखे जा रहे थे ,वो समझ जाती है ,वो क्या देख रहे है ,इस लिए वो भी कुछ नहीं बोलती और बग़ल मे आके लेट जाती है,तभी चाचाजी भी खिसकता हुए उसके करीब आते है ,चाचाजी पता नहीं पर शालिनी के इस नए रूप को ज्यादा से ज्यादा देखना चाहते थे, हालाकि उस के मन मे गलत भाव नहीं था वो बस उसकी खूबसूरती को देखना चाहते थे, जिस से वो अपने आप को भाग्यशाली समझ सके ,
थोड़ी देर बाद वो लाइट बंध कर देते है ,शालिनी के पैर पर पैर रख देते है।
शालिनी : आ गए,क्या बात है ?आज क्यु लाइट चालू रखी ?
चाचाजी : कुछ नहीं बस अपनी माँ को देख रहे थे।
शालिनी : बाहर नहीं देखे थे?
चाचाजी : देखे थे पर शांति से आराम से देखना चाहते थे।
शालिनी : उसमे क्या है?तुम कभी भी देख सकते हो। छोटी माँ है तुम्हारी।
चाचाजी : जब से आज आपने हमे बेटा माना है तब से आप हमे कुछ ज्यादा खूबसूरत लगी, मेने सुना था माँ बनने के बाद औरत की खूबसूरती बढ़ जाती हैं, आज पहली बार महसूस किया, हमारी माँ भी खूबसूरत हुई होगी पर उस समय हम छोटे थे इस लिए पता नहीं चला ,पर आज आपकी वज़ह से ये महसूस हुआ ,आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
शालिनी : बेटा तो हम तुमको कितने ही दिनों से मानते है
चाचाजी : हाँ पर आ हमारे मन ने आज स्वीकार किया,अब तक ये स्वीकार नहीं हो रहा था, पर अब कोई दुविधा नहीं है, अभी से हम आप को पूर्णता माँ मानते हैं,
फिर दोनों एक-दूसरे की ओर करवट लेते है ,

da66649de9d2f84783437ba302091fff
upload images
चाचाजी थोड़ा नीचे खिसके और शालिनी के स्तनों मे अपना सिर भींच दिए शालिनी भी हाथो से दबाव डाल के ज्यादा भींच देती है दोनों अपने नए रिश्ते के भाव का आदानप्रदान कर रहे थे ,अब बिना संकोच के स्वीकार करते है,फिर दोनों सो जाते हैं।
रात को 3 बजे के करीब शालिनी के स्तनों मे दुध भर जाता है,जिस से उसके स्तनों मे दर्द होने लगा था इस वज़ह से उसकी नींद खुल जाती है ,वो चाचाजी के हाथ को अपने पेट पर से हटा कर धीमे से दबे पाव बाथरूम मे जाती है क्योंकि वो चाचाजी की नींद खराब नहीं करना चाहती थी, सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट पहनी भरे हुए बदन वाली ,उलझे हुए बाल एसी बला की खूबसूरत स्त्री अपने नितंबों को मटकाती हुई बाथरूम के अंदर आ जाती है, भीतर आते ही वो तुरंत अपने ब्लाउज को अपने गोरे बदन से अलग कर देती है, और शीशे के सामने आकर अपने स्तनों पर हाथ फेरती हुई अपने रूप को खुद ही निहारने लगती है तभी स्तनों मे दर्द होता है और शालिनी के मुँह से सिसकी निकलने लगती है।
शालिनी : क्या करूँ इसका?रहा भी नहीं जाता और सहा भी नहीं जाता, मन तो करता है अभी चाचाजी को दुध पीला दु, अगर लंबे समय का आराम चाइये तो अभी दर्द सहना पड़ेगा, कोई बात नहीं शालिनी तू लगी रहे, जल्द ही चाचाजी मान जायेगे, और ये दर्द से हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाएगा।
शालिनी अपने स्तन पर हल्का सा दबाव डालती है इतने मे ही उनके स्तन से दुध की धार शीशे पर लगती है।

RDT-20240410-195126-1 RDT-20240411-072049-1
शालिनी :आह....कितने भरे हुए होगे? इतने से दबाव से दुध की धार निकलने लगी।
वो दूसरी बार दबाव करती है तभी वो एकदम से रुक जाती है।
शालिनी :( मन मे ..)ये मे भूल कैसे गई?चाची ने कहा था कि मुझे दुध की कमी क्यु होगी?मे अभी ये दुध सिंक मे बहा कर बरबाद कर देती ,अगर यही दुध चाचाजी को पीला दु तो?वैसे आज रात को वो बिना दुध पीए सो गए है, अगर ये दुध बर्तन मे निकाल के उसको पीला दु तो उसका भी काम हो जाएगा और मेरा भी। कम से कम मेरा दुध उनके काम आएगा और वो इसी बहाने मेरा दुध चख लेगे।
ये बात सोचते हुए शालिनी उत्साहित हो जाती है उसको बस अपना दुध चाचाजी को पिलाना था,
शालिनी : (मन मे...)रसोई मे जाके बर्तन ले आती हू, (ब्लाउज की और देखकर..)इतने से काम के लिए क्या वापिस पहना फिर उतरना वैसे भी सब सो रहे है, क्या फर्क़ पड़ेगा? और चाचाजी तो अब बच्चे है मेरे ,एक बच्चा अपने माँ के स्तन तो देख ले तो क्या होगा, नील भी तो देखता है,वैसे भी एक बार देख भी लिये है।
शालिनी बिना ब्लाउज के ही सिर्फ घाघरा पहने हुए किचन की और चलने लगती है तभी उसको क्या सूझता है कि वो रील मे जैसे गजगामिनी चाल देखी थी ठीक वैसे चलने लगती है, फिर वो बर्तन लेके वापिस बाथरूम मे आती है और शीशे के सामने खड़ी हो जाती है, वो अपने हाथ को गले से फिराती हुई स्तनों पर ले आती है जैसे ही वो हल्का सा दबाव डालती है कि उसके गुलाबी स्तनाग्र से दुध की धारा गिलास मे गिरती है ,

RDT-20240408-1845322896423316816437476
थोड़े से छींटे बाहर गिरते है तो वो करीब से गिलास पकड़ के स्तनों को दबा दबा कर दुध निचोड़ ने लगती है हालाकि उसको निचोड़ ने से स्तनों पर अपनी ही उँगलियों की छाप पड़ जाती है,जिस से उसको जलन और दर्द होता है,जैसे तैसे करके वो दोनों दूध से भरे अपने कुम्भ को वो गिलास मे खाली कर देती है
शालिनी राहत की साँस लेती है थोड़ी देर एसे ही खड़ी रहती है बाद मे वो अपनी ब्लाउज पहनती है ,उसको पसीने की वज़ह से जलन ज्यादा हो रही थी ,वो गिलास लेकर कमरे मे आती है ,कमरे मे आते ही वो पंखे के नीचे बेड पर बैठ जाती है ,और अपने ब्लाउज के 4 मे से 2 हूक खोल देती है जिस से कुछ राहत मिलती है ,

ce4cd33d56210c12c6dc9df368443037
फिर भी उस से रहा नहीं जाता जिस से सारे हूक खोल के चाचाजी की और पीठ करके बैठ जाती है जैसे वो स्तनपान करते समय बैठती है, 10 मिनट बाद उसको अच्छा महसूस होता है इस लिए वो ब्लाउज के हूक बंध करके बाल सही करके चाचाजी को जगाती है, लेकिन जब वह चाचाजी को जगा रही थी तब उसके दिल मे थोड़ी घबराहट और उत्तेजना दोनो ही थे ,ये उसके लिए पहली बार था ,जब वो चाचाजी को अपने स्तनों से और अपने हाथो से निकाला हुआ दुध पिलाने जा रही थी।
शालिनी : (बालों मे हाथ फेरते हुए..)मेरे बच्चे ,उठो ,देखो माँ क्या लायी है?चलो जल्दी से उठो।
चाचाजी : (नींद मे...)क्या है?अभी मुझे नींद आ रही है ,कल सुबह दे देना ,अभी सोने दो न।
शालिनी : सुबह तक इंतजार नहीं कर सकते, वर्ना बिगड़ जाएगा।
चाचाजी : क्या है?

शालिनी : पहले तुम जग जाओ और बैठो मेरी बगल मे फिर दूंगी।
चाचाजी बेड पर बैठ जाते है
चाचाजी : लो बैठ गया बस ,अब लाओ ना जो देना है दो,
शालिनी चाचाजी को अपने दुध से भरे गिलास को दिखाती है।

a09ce05d8d0e09a6173c81aaabdea9d3
upload image
चाचाजी : क्या है इस मे?
शालिनी : दुध, अपने हाथों से लेके आयी हू, रात को सोते समय नहीं पिया था इस लिए अभी मेरी नींद खुली और मुझे याद आया कि तुम बिना दुध पीए सो गए हों।
चाचाजी : चलेगा नहीं पिया तो भी, कोई बड़ी बात नहीं।
शालिनी : मुझे नहीं चलेगा, मेरे बेटो के स्वास्थ्य को लेके मे कोई लापरवाही नहीं करना चाहती, चलो एक ही बार मे ये पी जाओ फिर आराम से सो जाना।
चाचाजी : अभी नहीं पीना दुध।
शालिनी : अपने माँ के दुध को मना करते हो?
चाचाजी : क्या ?
शालिनी : मतलब माँ के लाएं हुए दुध को मना कर रहे हों।
चाचाजी : ठीक है लाओ पी लेता हू।
शालिनी : (मन में..)क्या कर रही हू मे?अभी सच नहीं बोलना है शालिनी समय देख के सब बता दूंगी।
चाचाजी : अब पी रहा हू तो दे नहीं रही।
शालिनी : अरे नहीं नहीं...ये लो पी लो, सारा पी जाओ, आराम से पीना ,गिरना मत बहुत मूल्यवान है,
चाचाजी जैसे ही पहली घूंट लगाते है तब उसको दुध थोड़ा अलग लगा ये दुध उसको मीठा लगा स्वाद अलग था पर अच्छा लगा ,उसे लगता है एसा स्वाद पहले भी लिया है ,पर कहा वो याद नहीं आता।
चाचाजी : इसका स्वाद थोड़ा अलग है, इसमे चीनी डाली है?
शालिनी : नहीं इसमे मेने अपनी ममता डाली है इस लिए ,और सायद गर्मी की वज़ह से दुध का स्वाद अलग हो गया होगा।
चाचाजी फिर सारा दुध खत्म कर देते है, शालिनी बेड के पास पडी अपने साड़ी को लेके चाचाजी के मुँह को साफ करती है, और गिलास और साड़ी बेड के बगल मे रख देती है।
शालिनी : आओ मेरे बच्चे ,मेने तुम्हारी नींद खराब की है तो मे ही तुमको सुलाती हू ,आओ इधर आओ, अपनी माँ के पास आओ।
एसा बोलते हुए शालिनी अपने एक हाथ को चाचाजी के गर्दन के नीचे रख कर उसके सिर को अपनी और खींचती है और चाचाजी अपना एक पैर शालिनी के ऊपर रख देते है अब चाचाजी का सिर शालिनी के स्तनों के ऊपर था ,शालिनी उसे दुलार रहीं थीं, चाचाजी की सांसे उसके स्तनों के बीच मे जा रही थी साथ ही चाचाजी को शालिनी के शरीर की खुशबु आ रही थी, वो खुशबु चाचाजी पर ठीक वैसे ही असर करती है जैसे एक छोटे बच्चे पर एक माँ की खुशबु असर करती है ,जिस से वो अपने आप को सुरक्षित महसूस कर्ता है, चाचाजी को भी कब नींद आ गई उसे पता नहीं चला।
सुबह के 5 बजे थे कि नील के रोने की आवाज से दोनों की नींद खुलती है ,चाचाजी को आंख खुलते ही शालिनी के ब्लाउज मे कैद स्तनों के दर्शन होते है,

03ddc1985768825e16a1f46ec4f0a4ad
शालिनी का एक हाथ सुन्न हो रहा था क्युकी 2 घंटे से उसका हाथ चाचाजी के सिर के नीचे था इस लिए वो चाचाजी को नील को शांत करने को कहती है, चाचाजी नील को लेके बेड पर आके बैठ जाते है और उसके शांत कराने की कोशिश करते है, पर नील शांत नहीं होता।
चाचाजी : लगता है भूख लगी है ,इसे अब आप ही शांत करा सकती हैं,
शालिनी : लाइये मेरे पास।
शालिनी जब नील को लेने के लिए हाथ लंबे करती है तो उसका वो हाथ ठीक से ऊंचा नहीं होता।
शालिनी : एक काम करो उसको मेरे गोदी मे रख दो। मेरा दाया हाथ थोड़ा सुन्न सा हो गया है।
चाचाजी : कैसे हुआ ?
शालिनी : मेरे बड़े बेटे को सुलाने की वज़ह से ,उसके सिर के नीचे हाथ था इस लिए।
चाचाजी : मुझे माफ़ कर दो ,आगे से ध्यान रखूँगा।
शालिनी : वो बाद मे रखना पहले नील को दो मुझे।
चाचाजी धीरे से नील को शालिनी के गोद में रखते है तभी रखते हुए और हाथ वापिस खींचते समय चाचाजी का हाथ शालिनी के पेट और ब्लाउज के ऊपर से स्तनों को छू जाता है।
शालिनी चाचाजी की और पीठ करती है पर हाथ सुन्न होने से उससे ब्लाउज के हूक खुल नहीं रहे थे, थोड़ा जोर लगाती तो खुल तो जाता पर वो चाचाजी से खुलवाना चाहती थी ताकि वो उसके स्तनों के प्रति ज्यादा सहज हो जाए और उसका थोड़ा आकर्षण भी बढ़े।
शालिनी : सुनो बेटा ,थोड़ी मदद कर दो।
चाचाजी : बोलो क्या चाहिए?
शालिनी : वो हाथ सुन्न हैं तो ब्लाउज के हूक खुल नहीं रहे है तो थोड़ी मदद कर दो।
चाचाजी : उसमे मे क्या कर सकता हू?
शालिनी : हूक खोल दो जल्दी से।
चाचाजी : मे...में ...कैसे?
शालिनी : क्या बकरे की तरह में..मेें...कर रहे हों, इधर आओ और हूक खोल दो।
चाचाजी : मे कैसे कर सकता हू? ये गलत है।
शालिनी : क्या गलत है? एक तो तुम्हारा भाई भूख से रो रहा है, मेरा हाथ सुन्न हो गया है एसे समय मे मदद नहीं करेंगे तो कब करेंगे?
चाचाजी : पर...
शालिनी : छोड़िए..मेने तो पूरे तन मन से आपको बेटा माना था ,नील का बड़ा भाई माना था, लेकिन आप हमे अपना कुछ समझते नहीं, क्या एक बड़ा बेटा अपनी माँ और छोटे भाई की मदद करने से पहले इतना सोचता है?लगता है आप फिर से चाचाजी बन गए है, मेरे बेटे नहीं रहे।
शालिनी चाचाजी को भावुक कर देती है।
चाचाजी : ठीक है मे करता हू मदद ,मेहरबानी कर के कभी मुझे एसा नहीं कहिएगा, मे आप लोगों के लिए जान दे सकता हू, आप नहीं जानते आप क्या है मेरे लिए, अब से आप को विश्वास दिलाने के लिए मे आपकी हर बात मानूँगा, बोलिए क्या करना है?
शालिनी : पक्का मेरी हर बात मानेंगे?
चाचाजी : हाँ वचन देता हू।
शालिनी : ठीक है ,अभी आप मेरे हूक खोल दीजिए ,एसी परिस्थिति ना होती तो मे आपको एसी दुविधा मे नही डालती, पर नील को रोता देख मुझसे रहा नहीं गया, अगर मेरा बेटा होता तो वो जरूर मदद करता।
चाचाजी : बेटा होता तो?बेटा है
चाचाजी को हूक खोलने के लिए हाथ बढ़ाते है तब उसके हाथ कांप रहे थे ,इधर शालिनी की सांसे भी तेज हो रही थी ,जिस से उसके स्तन ऊपर नीचे हो रही थी, तभी चाचाजी को कुछ सूझता है जिस से वो शालिनी के पिछे आके घुटनों के बल बैठ जाते है।
शालिनी : वहा क्या कर रहे हों?इधर आके हूक खोले।
चाचाजी पिछे से शालिनी के बगल के नीचे से हाथ ले जाकर हूक खोलने का प्रयत्न करते है, खुलता नहीं जिस से वो थोड़ा सिर आगे की और करके ऊपर से देखते हुए हूक खोलने लगते है जिस मे उसको सफलता मिलती है।

images-2
जब चाचाजी ने सिर आगे किया और नीचे देखा तो शालिनी के स्तनों के उभार और उसके बीच की खाई को बस देखते ही रहे,इतने योग्य, पुष्ट और गोरे ऊपर से दुध से भरे एसे स्तनों की तो बस कल्पना है कि जा सकती है ,वैसे स्तन अभी चाचाजी से कुछ ही फासले मे थे जिसे वो ब्लाउज रूपी कैद से आजाद करने जाँ रहे थे, एसे स्तन जो सिर्फ कोई कवि की कविता या कोई उपन्यास की नायिका या फिर पुराणों मे वर्णित अप्सरा के स्तनों का जैसा वर्णन होता है वैसे स्तनों की ओर जैसे जैसे उसके हाथ बढ़ते है उसके हाथ मे कंपकंपी उठ जाती है दिल की गति बढ़ गई थी, और जैसे ही उसके हाथ ब्लाउज के निचले हूक खोलने लगे तब दोनो हाथ की दो दो उंगलिया ब्लाउज के अंदर डालते है तब शालिनी के स्तन को छू जाती है तब मानो दोनों के लिए समय रुक सा गया।
चाचाजी ने धीरे से पहला, फिर दूसरा हूक खोला उतने मे ही शालिनी के मुँह से आह...निकल जाती हैं, फिर तीसरे और चौथे हूक खोलने मे चाचाजी को काफी दिक्कत हुई, मानो ब्लाउज भी एसे स्तनों से अलग नहीं होना चाह रहा था, और जैसे ही आखिरी हूक खोला और ब्लाउज किसी कपाट की जैसा खुला, वैसे ही शालिनी के मुँह से सिसकारी निकल गई, मानो किसी ने उसे लोहे की जंजीरों से आजाद किया हो,चाचाजी ने ऊपर से जैसे ब्लाउज खुलता हुआ देखा उसकी नज़र दो तीन पल स्थिर हो गई फिर आंख बंध कर के शालिनी के पिछे बैठ जाते है।
चाचाजी के लिए वो पल दो पल किसी घंटे के माफिक था, इस पल मे उसने शालिनी के पूरे नंगे स्तनों का पूरा मुआयना कर लिया था वो आंख बंध कर के उसके ही ख़यालों मे खो गए थे।
चाचाजी के ख्यालों मे....
आह....क्या नजारा था? क्या स्तनों की जोड़ी थी ! किसी के एसे स्तन हो कैसे सकते है उपरवाले की रचना मे सबसे नायाब चीज़ थी, एकदम सटीक गोलाई, गुलाबी स्तनाग्र,एक दूजे से सटे हुए ऊपर से दुध से भरे ,वाह...क्या दृश्य था ,मेरी जिंदगी का सबसे खुशनसीब और आनंदित क्षण ये है, मेरा जीवन सफल हो गया, मुझे कुछ और नहीं चाहिए,क्या मे इसी स्तनों पे सिर रख के सोया हू?कितना भाग्यशाली हू मे, मेरे से ज्यादा मुन्ना है जो इस स्तनों को छू सकता है, और उसका दुध पी सकता है, और उससे भी ज्यादा भाग्यशाली नीरव है ,और दुर्भाग्यशाली भी, एसे स्तन को छूने का मर्दन करने का ,और उसे मुँह मे लेके चूसने तक का अधिकार हो फिर भी इनसे दूर जाके रहना, एसे स्तनों को मेने आजतक नहीं देखा ,स्तनों के सौन्दर्य की पराकाष्ठा है।
तभी शालिनी उसको आवाज देके उसको होश मे लाती है, जिस से चाचाजी तुरंत खड़े हो जाते है,
चाचाजी : हाँ बोलो
शालिनी : सो गया क्या?
चाचाजी : नहीं नहीं ,आपके बगैर नींद कहा आती है
शालिनी : बस थोड़ी देर नील का खाना होने वाला है
चाचाजी : कोई बात नहीं आराम से खिलाए, पूरा समय लीजिए
शालिनी नील को स्तनपान करवाने के बाद अपने लहराते ब्लाउज को हाथो मे लेके हूक लगाने लगती है, फिर वो नील को पालने मे रखकर सुला देती है फिर वो बेड पर आके चाचाजी के बगल मे लेट जाती है।
शालिनी : माफ़ करना हमारी वज़ह से नींद खराब हुई।
चाचाजी : अभी आप ने बेटा बुलाया और अभी आप ये कह रहे है, मुझे आपसे बात नहीं करनी।
शालिनी : अरे रे..नाराज हो गए, ठीक है चलो अब कोई बात नहीं ,इधर आओ मेरी वज़ह से जगे हो तो मे ही सुलाती हू।
चाचाजी के गरदन के नीचे हाथ ले जा कर उसे अपनी ओर करती है ,चाचाजी भी अपना पैर शालिनी पर रख देते है चाचाजी फिर से उस स्तनों को इतने पास से देख कर उनके विचारो मे खो जाते है,और कब सो जाते है उनको भी पता नहीं रहता।
सुबह सब देरी से उठते है पहले शालिनी जगती है फिर अपने हाथ को चाचाजी के नीचे से निकाल कर अंगड़ाई लेती है जिस से चाचाजी की नींद खुल जाती है और वो अंगडाई लेती शालिनी को देखते है जिसमें उसकी कटीली कमर और गोरे पेट को देखते है,

VID-338621125-205732-314-1
फिर बेड से नीचे उतरकर अपने बाल सही करती है,

5175cea98b271008588676888fecb021
शालिनी अपने दोनों बच्चों की और प्यार से देखती है ,वो पहले नील के पास जाके घुटनों के बल बैठ के उसे एक चुंबन करती है फिर खड़ी होकर अपने बड़े बेटे को भी एक माथे पर चुंबन देती है,क्युकी एक माँ की ममता अपने बच्चों मे भेदभाव नहीं करती ,चाचाजी मन मे बहुत खुश होते है ,फिर शालिनी अपने कपड़े लेकर नहाने चली जाती है।


शालिनी नहाकर आती है ,आज उसने लाल ब्लाउज और लाल घाघरा पहना था,वो बाल लहराती हुई कमरे मे आके आईने के सामने खड़ी होके अपने आप को देखती है, अपनी ही सुन्दरता से वो शर्मा जाती है,



fe94e17c5f5b7f8bed96e418a3f5de62 2e05fd12ce3677bacd9a68744942fcdd
image upload
Shalini : (मन मे..) पूरा दिन एसे ही रहूंगी तो चाचाजी क्या सोचेंगे, कल तो परेसानी मे बोल दिया था साड़ी नही पहनेंगी,पर एसे पूरा दिन रहूंगी तो मे शर्मसार हो जाऊँगी, और जब नील को स्तनपान कराते समय क्या करूंगी?एक काम करती हू वो पल्लू को रोल करके रस्सी जैसे,जैसे दिशा पटनी पहनी थी वह slow motion गाने मे।

0fd53417978c9ce93e1e918a98183e1a
शालिनी लाल साड़ी मे एक परी लगती है ,वो फिर चाचाजी के सिर हाथ घूमते हुए जगाती है।
शालिनी : चलो खड़े हो जाओ, देखो आज देर हो गई है, आज कसरत करने का भी समय नहीं रहा ,तुम भी उठ कर सीधा बाथरूम मे जाओ और टूथब्रश करो तब तक ये सब सही करके आती हू नहलाने।
चाचाजी नहलाने का सोचकर ही नींद उड़ जाती हैं, और वह सीधा बाथरूम मे जाके ब्रश करने लगते है ,तभी शालिनी आती है ,आते समय वो अपने बाल पिछे की ओर बांधती हुई आती है।

VID-338621125-205732-314-2
शालिनी : ब्रश कर लिया ?
चाचाजी : हाँ
शालिनी : बहुत बढ़िया ,लगता है बेटा सुधर गया है, एसे ही मेरी हर बात माना करो, ठीक है ?
चाचाजी : हाँ ,सब बात मानूँगा।
शालिनी : आय हाय मेरा राजा बेटा, आज खुश कर दिया मुझे ,चलो जल्दी से नहला देती हू फिर नास्ता भी बनाना है,
चाचाजी : क्या जल्दी है ,एक दिन तो आराम से रहो, रोज कितना काम करती हो,अब तो दो बच्चे हो गए है तो ज्यादा मेहनत लगेगी, भाग दौड़ कम करो ,हम इंसान है मशीन नहीं,
शालिनी : बड़ी सयानी बातें कर रहे हों, मुझे आनंद आता है आपने बच्चे के लिए काम करते हुए, चलो अब बातें नहीं ,सिर्फ नहाना।
शालिनी चाचाजी को ठंडे पानी से नहलाने लगती है, तभी चाचाजी शरारत करते हुए शालिनी के ऊपर पानी के छींटे उड़ते है, शालिनी मना करती है पर चाचाजी बच्चे के जैसे बस उड़ाने लगते है ,शालिनी की साड़ी, ब्लाउज, गला ,कमर ,और थोड़े बाल भी भीग जाते है,

Rashi-Singh-rashisingh-JAS-rashisingh-justactressstuff-MP4-1
शालिनी : क्या किया आपने मे गिली हो गई,


चाचाजी : गर्मी की वज़ह से आपको गिला किया जिस से आपको ठंडक मिले, और मेरा एसे बच्चे जैसे बर्ताव कैसा लगा?
शालिनी : सच पूछो तो मुझे भी आनंद आया, कभी कभार एसी बच्चों जैसी हरकत करके जीवन मे आनंद आ जाता है, और आप तो बच्चे भी है मेरे , कभी-कभी एसे बच्चों जैसा बर्ताव करते रहिए जिस से मुझे सच मे लगे मेरा बड़ा बेटा है,
चाचाजी : ठीक है,
शालिनी नहलाने के बाद बाहर हॉल मे पंखे के नीचे खड़ी होकर पल्लू गिरकर अपनी साड़ी, ब्लाउज सुखाने लगती है ,

tumblr-4173226357261b68d2d888decfde0be9-4d538e4d-400
चाचाजी भी तौलिया पहनकर बाहर आते है ,शालिनी फिर अपना पल्लू लगा के उसे सहारा देके कमरे मे ले जाके कपड़े पहनाने मे मदद करती हैं, बाद मे नास्ता करके तीनों हॉल मे बैठे होते है कि पड़ोस वालीं चाची आती है और बताती है कि दुधवाला दो दिन तक अधिक ग्राहको को दुध नहीं दे पाएगा ,जो उसके पुराने ग्राहक है उसे ही दे पाएगा।
ये सुन के शालिनी उदास हो जाती है तब चाचाजी कहते है ,दो दिन की बात है,चला लेगे ,चाची फिर चली जाती है, तभी शालिनी नील को अपना दुध पिलाती है,तभी वो सोचती है कि आज सारा दुध वो निकल के इकठ्ठा करके शाम को चाचाजी को पीला दूंगी।
दुध पिलाने के बाद वो नील को सुला के वापस आके सोफ़े पर बैठ जाती है, फिर वो कुछ गाने चुनकर उसपे नृत्य करती है उसने जान बूझकर एसे गाने चुने थे जिसमें अभिनेत्री स्तनों का प्रदर्शन करती है, ताकि वो चाचाजी को अपने स्तनों के नजदीक ला सके।

Ragini-Dwivedi-viralreels-reelsindia-reelsinstagram-hindireels-bollywoodreels-bollywood-bollywoodmus video2gif-20190402-185858

VID-231480813-043735-456-1 70137b9a60bfe8ad7fc73879d9fb139b-1 70137b9a60bfe8ad7fc73879d9fb139b-2 sexy-dance-moves-MP4-2
रोज की तरह खाना खाके वो सोने चले जाते हैं, दोपहर मे भी शालिनी अपना दुध निकल के बर्तन मे इकठ्ठा करती है ,शाम को नील को एक बार फिर स्तनपान करवाती है, रात मे खाना खाने के बाद नील सिर्फ 1 स्तन से ही दुध पिता है तो शालिनी अपने बचे हुए स्तन के दुध को बर्तन मे इकठ्ठा किया ,फिर जब रात मे सोने के पहले फिर एक बार अपने स्तनों से दुध निकल के बर्तन मे डालती है, अब तक इतना दुध तो हो गया था कि जितना चाचाजी रात को दवाई पीने के बाद पीते थे।
फिर वो 1 गिलास मे भर के लाती है और चाचाजी को देती है ,
शालिनी : ये लीजिए दुध पी लीजिए।
चाचाजी : पर दुध तो था नहीं ,फिर कहा से...?
शालिनी : वो आप मत सोचिए ये पी लीजिए।
चाचाजी जैसे ही पहली घूंट पीते है ,उसको कल रात का स्वाद याद आ गया ,वो सोचने लगते है कि एसा दुध उसने कहा पिया था पर उसे याद नहीं आ रहा था फिर जब दूसरी घूंट पी तब चाचाजी की आंखे खुली की खुली रह गई, उसे याद आ गया था, उसके चेहरे पर हेरानी और आश्चर्य के भाव थे ,उसको समज नहीं आ रहा था अब वो क्या करे?
चाचाजी : (मन में..)क्या ये सच मे वहीं दुध होगा ?या वहम है मेरा ,पर मे उस दुध का स्वाद जिंदगी मे नही भूल सकता,क्या सच मे ये ..ये...स्तनों का दुध है?
चाचाजी दुध से भरे गिलास को बाजू मे रख के शालिनी को सवालिया नजरो से देखते है।
शालिनी : क्या हुआ ?पूरा पी जाओ
चाचाजी : पहले मुझे एक बात बताओ, और सच सच बताना।
शालिनी : हाँ बोलो
चाचाजी : ये दुध कहा से लायी?
शालिनी : वो जान के आप क्या करेंगे ?आप दुध पी लीजिए
चाचाजी : नहीं पहले बताओ,कल तो नींद मे पीला दिया था पर आज नहीं, मुझे अपने मन की शंका का समाधान करना है।
शालिनी : वो घर पे पड़ा था,
चाचाजी : झूठ मत बोलो ,कल भी थोड़ा सा था ,और आज दुध वाला आया नहीं ,फिर कहा से आया?और मे ये स्वाद को जानता हूँ, मे पहले भी एसा दुध पी चुका हू।
शालिनी : तो आज भी पी लीजिए, दुध ही तो है।
चाचाजी : दुध तो है पर ये गाय या भैस का नहीं है,
शालिनी : (मन मे..)लगता है चाचाजी को पता चल गया है अब क्या करूँ?
शालिनी : तो फिर किसका है ?बकरी का?
चाचाजी : नहीं ना ही ये गाय का, या भैस,या बकरी और नहीं किसी प्राणी का ,ये औरत के दुध का स्वाद है, मेने कहा था ना कि तुम्हें मे अपनी पत्नी का दुध पिता था ,उसका स्वाद भी इसके जैसा ही था, अब सच बता दो।
शालिनी : (शर्मा कर..)सही कहा आपने ,ये मेरा दुध है।
चाचाजी : क्या? यानी मेरा शक सही निकला ,मे अब ये दुध नहीं पी सकता ,तुमने क्या सोच के ये सब किया?
शालिनी : (भारी आवाज मे..)क्या गलत किया मेने?और बहुत सोच समझकर ये निर्णय लिया था,
चाचाजी : क्या सोचा था?ये सब किसीको पता चलेगा तो क्या होगा?और अगर नीरव को पता चलेगा तो वो क्या सोचेगा मेरे बारे मे ?नीरव के पिताजी को पता चलेगा तो गाव मे मेरी क्या इज़्ज़त रहेगी? और मेरी बरसों की दोस्ती भी टूट जाएगी।
शालिनी : एसा कुछ नहीं होगा ,मेरे पास सब बातों के जवाब है, और पता तब लगेगा जब हम मे से कोई बतायेगा।
चाचाजी : क्या जवाब है?कोई पूछेगा की क्यु इसका दुध पिया?और हम सब को अंधेरे मे रख कर ये करेंगे तो ये पाप ही है।
शालिनी : कोई पाप नहीं है, अगर कोई पूछे तो मे कहूँगी की क्या एक माँ अपने बेटे को अपना दुध नहीं पीला सकती?अगर बेटे को दुध पिलाना पाप है तो मे रोज ये पाप करूंगी,
चाचाजी : ये गलत है ,ये पाप है।
शालिनी : गलत क्या ?मे अपने मन से आपको खुशी से ये दुध दे रही हू ,और पाप क्या नील के पिलाने के बाद बचा हुआ आपको दे रहीं हू, दूसरे जानवर का दुध पीना पाप नहीं, पर एक माँ का दुध पीना पाप है, क्या आप मेरे बेटे नहीं?क्या मे आपकी छोटी माँ नहीं?
चाचाजी : हाँ !आप हो मेरी छोटी माँ
शालिनी : बस फिर बात खत्म, और आपको बात छुपाने से तकलीफ है तो मे समय आने पर नीरव को बता दूंगी , आपने बताया था कि आप की दादी के कहने पर आप ने आपकी पत्नी का दुध पिया था।
चाचाजी : पर वो मेरी पत्नी थी।
शालिनी : फिर आपने ये भी बटाया था कि दादी के अस्थि विसर्जन करने गए थे तब मेरे ससुर ने आपकी पत्नी का दुध पिया था,वो पाप नहीं था?
चाचाजी : वो मजबूरी थी,
शालिनी : मेरा भी कुछ एसा ही है ,एक तो मेरे स्तनों मे ज्यादा मात्रा मे दुध बनता है, और अभी दुध मिलता नहीं ऊपर से आप को दुध की जरूरत भी है, और मेने दिल से आपको अपना बेटा माना है, इस लिए मेने ये कदम उठाया।
चाचाजी : पर...
शालिनी : वैसे भी ये दुध नाली मे ही जाने वाला था ,ये तो भला हो चाची का जिसने मुझे ये सुझाव दिया कि ये दुध आपके काम आ सकता है और मुझे भी राहत मिल जाएगी
चाचाजी : क्या ये पड़ोस वाली चाची?उसने ये सब तुमको सुझाया?
शालिनी : (भावुक होके ..)ठीक है ,जाने दीजिए ,मत पीना ,आपको क्या मेरे दर्द से?बस आप सिर्फ कहने को ही छोटी माँ कहते है, अगर दिल से मानते तो मेरे दर्द को समझते और उसे दूर करने मे मेरी मदद करते ,आज से और अभी से ये माँ बेटे वाला ये नाटक खत्म करते है ,ठीक है चाचाजी?
चाचाजी "चाचाजी "शब्द सुनते ही सुन्न हो गए क्युकी इतने दिनों से बेटा बन के उसे जो वात्सल्य मिल रहा था उसको वो खो देगे इस डर से वो कांप जाते है, इतने मे शालिनी दुध का गिलास लेके खड़ी हो जाती है और उसे फेंकने के लिए जाने लगती है।
चाचाजी : नहीं...नहीं.. छोटी माँ, रुक जाए ,मुझसे भूल हो गई ,मुझे माफ़ कर दीजिए, लाइये मे पियेगा आप का दुध
शालिनी खुश होके वापिस मुड़ती है, क्युकी उसने जो भावनात्मक खेल चाचाजी से खेला था इसमे जीत गई क्युकी उसे कहीं डर भी था कि चाचाजी नहीं मानेंगे तो क्या होगा?
शालिनी : क्या सच मे आप पियेंगे?
चाचाजी : हाँ माँ ,आगे से कभी मुझे अपने से दूर ना करना ,आप जो कहेगी वो करूंगा।
शालिनी दुध का गिलास चाचाजी को देती है, चाचाजी गिलास को अपने मुँह से लगाए पीने लगते है और शालिनी उसके बालों मे हाथ घूमती है
अब ये रिश्ता कितना आगे बढ़ेगा और क्या क्या अनुभव होगे वो देखते है।
Super update
 
431
878
94
Mere pass shabd nahi hai aap adbhut lekhak ho ek aurat ka prem uska varna bus la jawab aap kee lekhani kee takat din b din takaatvar ho ye ye kamana karta hu.
Dhanyawad
 
  • Like
Reactions: sanju22

Puja35

Active Member
770
992
93
That's call an amazing update 😍
After a really long time
Hope next update we gonna see it soon
Update 10
शालिनी अपने दूसरे तरीके को कैसे किया जाए उस बारे मे सोचती हुई खाना बनाने चली जाती है। खाना बनाने के बाद वो चाचाजी को सहारा देकर मेज पर ले आती है और नील को अपने गोदी मे लेके उसे पिसा हुआ खाना खिलाती है, चाचाजी जैसे खाना खाने की शुरुआत करते है शालिनी उसे रोक देती है ,
शालिनी : 2 मिनट रुक जाए, मे आपको अपने हाथों से खीलाउंगी। आप खाने के समय बच्चे की तरह खाना गिराते है।
चाचाजी : वो तो हाथो मे चोट लगी हुई हैं इस लिए।
शालिनी : इस लिए तो कह रही हू ,आज आप अपनी छोटी माँ के हाथो से खाना खाएंगे।
नील को खाना खिलाने के बाद शालिनी चाचाजी के बगल वाली कुर्सी पर आके बैठ जाती है और दाल चावल सही से मिलाकर अपने हाथो से चाचाजी को खिलती है।
चाचाजी : आप चमच से खिला सकती हो आप के हाथ गंदे होगे
शालिनी : आज तक किस माँ के हाथ अपने बच्चे को खिलाते समय नहीं बिगड़े ?ये तो हम माँओं का प्यार है, हाथ से जो प्यार मिलता है वो चमच मे कहा चाचाजी की नजर कभी कभी शालिनी के पारदर्शी पल्लू से दिख रहे स्तनों के उभरे हुए उपरी भाग और आपस मे चिपके हुए स्तनों की वजह से जो दरार बनी वहां पर ठहर जाती, शालिनी भी ये बात नोटिस करती है पर वो तो यही चाहती थी

GL8c4zwb-AAAt-Dq-L
google picture storage
खाना खिलाने के बाद शालिनी हाथ मुँह धो के सब काम निपटाने लगती हैं चाचाजी वही टेबल पर ही बैठे थे ,शालिनी उससे बातचीत भी करती और कभी कभी जान बूझकर अपने स्तनों को प्रदर्शित करती है। काम निपटाकर चाचाजी को सहारा देके कमरे मे लाती हैं पहले नील को सुलाकर चाचाजी के बगल में आके लेट जाती हैं।
शालिनी : आज गर्मी ज्यादा है, लाओ मे आपका कुर्ता निकाल देती हू ,

Siskiyaan-S1-E1-Palang-Tod-1
चाचाजी : नहीं, चलेगा
शालिनी : मुझे नहीं चलेगा ,कितनी गर्मी है। एसा बोल के अपने साड़ी का पल्लू निकाल देती है ,अब शालिनी कमर तक बंधी हुई साड़ी पहनकर ऊपर सिर्फ एक गहरे गले वाले ब्लाउज पहनकर बैठी थी जिस मे उसके स्तनों के उभार को कोई नजरअंदाज नहीं कर सकता और बैठने के वज़ह दे कमर मे तीन बल पड़े थे जो उसको और सुंदर बना रहे थे। चाचाजी तो बस ये सुन्दर नज़ारा बीना पलक झपकाए देखे जा रहे थे।

VID-280180206-145933-126-1
शालिनी : चलिए आइए सो जाते है,
चाचाजी शालिनी के पैर पर पैर रख देते है और वो देखते है साँस लेने की वज़ह से शालिनी के स्तन ऊपर नीचे हो रहे थे ,

73575ef055b0dc7df82364fd517032ff-1
cheap hosting forum
चाचाजी को ये मनोरम दृश्य देखते देखते कब नींद आ गई उसे पता नहीं चला,करीब 1 घंटे बाद शालिनी चाचाजी को जगाती है।
शालिनी : सुनो बेटा मे अभी आती हू ,मुझे स्तनों मे दर्द हो रहा है ,
चाचाजी : ठीक हैं। आप जाइए
शालिनी बाथरूम मे जाकर अपने स्तनों से दुध निकलने लगती है,

RDT-20240620-0736014277204766550057566 RDT-20240411-072049-1
कभी-कभी जल्दी से निकलने के चक्कर मे आह निकल जाती, स्तनों को दबाते दबाते उसको यौन ईच्छा हो जाती है वो नीरव को याद करती एक हाथ से स्तनों से दुध निकालती और एक हाथ अपनी योनि मे डालती है और कामुक सिसकियाँ लेने लगती है ,जिस मे कभी वो नीरव को शारीरिक संबंध के लिए बुलाती तो कभी गुस्से से भला बुरा सुनाती, थोड़ी देर मे उसके योनि से काम रस निकलने लगता है और स्तनों से दुध निकलना कम हो जाता है।
फिर वो अपने आप को संभालती है aur अपना हुलिया ठीक करती है। उसके बाद वो कमरे मे आती है तो देखती है चाचाजी जगे हुए लेटे थे।
शालिनी : आप सोए नहीं?
चाचाजी : लगता है अब आपकी आदत पड़ चुकी है , आप के बिना नींद नहीं आती।
शालिनी : अरे रे..मेरे बच्चे को मेरे बगैर नींद नहीं आती ,कोई बात नहीं अब मे आ गई हू न, मे आपको अच्छे से सुला दूंगी।
चाचाजी : आज बहोत देर हो गई आपको।
शालिनी : (घबराकर)हाँ वो ...वो...
चाचाजी : लगता है ज्यादा दुध बन रहा है।
शालिनी : हा सही कहा। अब तो दर्द भी होता है जब भरे हुए होते है तब भी दर्द होता है और जब निकलने जाती हू तब भी दर्द होता है ,क्या करू ? समझ मे नही आ रहा ,एक और से वो बदमाशों का डर।
चाचाजी : बदमाशों से डरने की जरूरत नहीं है, नीचे पुलिस है,और फिर भी वो ऊपर आए तो इस बार मे नही छोड़ूंगा।
शालिनी : मे अपने दोनों बच्चों मे से किसीको कुछ नहीं होने दूंगी।
चाचाजी : मे आपको तकलीफ मे नही देख सकता ,मे अपनी इस माँ का हो सके इतना ध्यान रखूंगा, और हो सके उतना मददगार बनूँगा, मेरी वज़ह से आपको थोड़ी सी भी खुशी मिलेगी तो मे अपने आप को धन्य मानूँगा।
शालिनी को तभी चाची की बात याद आती है और अपने दर्द का भी ख्याल आता है ,वो सोचती है क्या चाचाजी से मदद मांग लू?
सोच -1 नहीं नहीं वो क्या सोचेंगे?
सोच -2 वो मुझे अपनी माँ समझते है तो मे भी उसे अपना बेटा बना लेती हू
सोच -1 अगर वो नहीं माने और उल्टा मेरे चरित्र को गलत समझेंगे तो ?
सोच -2 अभी उसने ही तो कहा वो मेरी मदद करना चाहते है ,मुझे दुखी नहीं देख सकते।
शालिनी : (मन में...)एक बार और देख लेती हू की चाचाजी की क्या प्रतिक्रिया है ?अगर वो सकारात्मक हुए तो उस से बात करूंगी वर्ना जैसे चलता है वैसे चलने दूंगी।
शालिनी चाचाजी को अपनी और प्यार से भींच लेती है जिससे उसका सिर उसके स्तन से चिपक जाए

Pinterest-1
चाचाजी को थोड़ी देर मे नींद आ जाती है शालिनी को भी नींद नहीं आ रही थी ,उसको क्या करे या क्या ना करे उसके बीच असमंजस से निकलना था ,वो सिर्फ आंख बंध करे लेटी रहती है।
करीब आधे पौने घंटे मे चाचाजी की नींद खुलती है ,जैसे ही उनकी आंख खुलती है उसकी नजर के सामने दूध से भरे हुए दो पहाड़ थे जो ब्लाउज मे कैद थे ,कैद क्या ? आधे कैद थे ,आधे तो छलक के बाहर आ चुके थे ,मानो वो उस ब्लाउज की कैद मे समा नहीं रहे थे, विचारो की वज़ह से शालिनी की सांसे थोड़ी तेज हो गई थी ,जिस से ऊपर नीचे हो रहे स्तनों का नज़ारा बस देखते ही बनता था ,उसके बीच की खाई मानो चाचाजी को अपनी ओर खींच के उसमे गिरा देना चाहती हो।

c97beebf2778f082979e7ddfe926573c
चाचाजी के मन मे भी अभी विचार का द्वन्द था एक और अपनी मर्यादा ,और एक तरफ उस स्तनों के प्रति आकर्षण, एक मर्द कब तक उस स्तनों की माया से बच सकता है, पर चाचाजी का मन उसको दूसरे भाव से उसको आकर्षित करवा रहा था ,चाचाजी का मन उसको अपने आप को शालिनी बेटा बताकर उसको बहला रहा था।
चाचाजी का मन : शालिनी तो मेरी छोटी माँ बनी हुई है ,वो तुम्हें बगल मे सुला रही है ,तुम्हें खाना खिला रही है ,उसके पैरों पर पैर रखने दे रही है, यहा तक कि सुलाने के समय वो सिर को अपने स्तनों से भींच के सुलाती है ,वह तुम्हें अपना बेटा मान चुकी है तो तुमको क्या ऐतराज है,तुम भी उससे वैसे ही अपना लो ,अभी जो ये स्तनों के देख रहे हों वो स्तन तुम्हारे छोटी माँ के है ,तो एक बेटा अपने माँ के स्तनों को छू तो सकता है, सिर तो कई बार लगा के सोए हो ,आज हाथ से छू लो, वो बेटा मानतीं है इस लिए कुछ नहीं कहेंगी, उसमे कोई पाप नहीं ,स्तनपान करते समय नील के हाथ भी छूते होंगे, तुम भी उसके बेटे हो ,उसके क्या दिक्कत?अगर वो गुस्सा हो तो कह देना नींद मे छू लिया होंगा और आगे से नहीं होगा एसा।
चाचाजी अपने मन के बातों मे आ जाते है,वो डरते हुए धीरे धीरे अपने हाथो की उंगलियों से शालिनी के उभरे हुए स्तनों के भाग पर छूते है उसके शरीर मे करंट दौड़ जाता है, उधर शालिनी को भी एक करंट दौड़ जाता है, चाचाजी शालिनी का कोई प्रतिक्रिया ना देख थोड़ा हिम्मत से दूसरी बार अपनी उंगलियों को ब्लाउज मे से छलक रहे स्तनों पर फेर देते है शालिनी को पहले तो थोड़ा अजीब लगा, पर फिर वो सोचती है उसे जो जवाब चाहिए था वो मिल गया ,चाचाजी को उसके स्तनों के प्रति थोड़ा आकर्षण हुआ है ,पता नहीं पर तभी चाचाजी अपनी बड़ी उंगली उसके स्तनों के बीच पडी दरार मे डालते है, उसकी उंगली दोनों स्तनों के बीच भींच जाती हैं क्युकी तंग ब्लाउज की वज़ह से उसके स्तनों के बीच बिल्कुल जगह नहीं थी ,दोनों स्तन आपस मे सट्टे हुए थे फिर भी वो अपनी पूरी उंगली घुसा देते है, शालिनी को भी थोड़ा आनंद आ रहा था।
शालिनी : (मन मे ..)लगता है अब मुझे ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी, चाचाजी को बस थोड़ा और प्रयास से मना लुंगी।
शालिनी सोने का नाटक चालू रखती है ,थोड़ी देर बाद चाचाजी अपनी उंगलि निकाल लेते है और स्तनों के ऊपरी भाग पर धीमे धीमे घुमा रहे थे ,थोड़ी देर बाद उधर ही हाथ रख के सो जाते है,शालिनी को भी नींद आ जाती है ,शाम को जब नींद खुलती है तो शालिनी देखती है चाचाजी का खुल्ला हुआ पंजा उसके स्तनों के उभार को माने ढंक रहा हो ,शालिनी उसका हाथ हटा के अंगड़ाई लेके खड़ी होती हैं

Lakshmi-rai-V-HLSV4-650-360x6401702280030663-All-Video-Downloader-3
और अपनी साडी को पूरा कमर से निकाल के नए सिरे से पहनती है तभी चाचाजी जी नींद खुलती है वो अधमूंदी आँखों से देखते है शालिनी सिर्फ ब्लाउज और घाघरा पहने हुई थी और अपनी साड़ी पहन रही थी ,

2e05fd12ce3677bacd9a68744942fcdd
image hosting websites
जब शालिनी आखिर मे अपना पल्लू लगाती है तब चाचाजी जागते है क्युकी अगर पहले जग जाते तो शालिनी को थोड़ा असहज लगता इसी डर से वो सोने का नाटक कर रहे थे।
शालिनी : अरे जग गया मेरा बच्चा ,चलो हाथ मुँह धों आते है।
शालिनी चाचाजी के साथ बाथरूम आते है वहां वो चाचाजी के हाथ मुँह धोकर देती है फिर अपना हाथ मुँह धोकर अपने पल्लू से चाचाजी के मुँह को पोंछ देती है,तभी नील के रोने की आवाज आती हैं, शालिनी चाचाजी को हॉल मे बिठा के नील को उसके पास रख के चाय बनाने जाती हैं, चाचाजी नील को शांत करवाकर उसे हँसा रहे थे ,इतनी देर मे शालिनी चाय लेके आती है।
शालिनी : लीजिए चाय लीजिए।
चाचाजी : अभी चाय बनाने की क्या जरूरत थी? दूध भी कम आया है।
शालिनी : उसकी चिंता आप मत करो?
दोनों चाय पीते है बाद मे शालिनी नील को अपनी गोद में लेके पारदर्शी पल्लू ढक कर नील को स्तनपान करवाने चाचाजी के बगल में ही बैठ जाती है ,पल्लू भी ढक कम दिखा ज्यादा रहा था, अब शालिनी को फर्क़ नहीं पड़ रहा था इस लिए जानबूझकर एसी स्थिति मे बैठकर स्तनपान करवाने लगती है ,चाचाजी इधर उधर देखने लगते है ,फिर भी कभी कभी उसकी नज़र चली जाती ,पारदर्शी पल्लू मे से दिख रहे शालिनी के स्तनों के कबूतरों की जोड़ी मानो फड़फड़ा के उड़ने को बैचैन हो,
शालिनी : (छेड़ते हुए..)आपको अगर तकलीफ हो रही हो तो भीतर चली जाऊँ।
चाचाजी : नहीं नहीं...हमे कैसी तकलीफ,?
शालिनी : आपको तो आदत होगी इस सब की ?
चाचाजी : मतलब?
शालिनी : गाव मे तो एसे स्तनपान कराना आम बात होगी
चाचाजी : हाँ ,कभी कबार अपने दोस्तों के घर जाता तब दोस्तों की बहुएं कभी-कभी अपने बच्चे को आँगन मे स्तनपान करवाती
तब पल्लू से ढंककर करवाती, अगर गर्मी के ऋतु मे पल्लू ना हो तो भीतर चली जाती या पीठ घुमा लेती।
शालिनी : इतनी गर्मी होती है कि महिलाएं पल्लू भी नहीं लगाती ?
चाचाजी : हाँ दोपहर मे तो बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है, और गर्मी के कारण पल्लू क्या कोई महिला तो साड़ी भी नहीं पहनती ,सिर्फ ब्लाउज और घाघरा पहनती है।
शालिनी : तो आप सब को अजीब नहीं लगता या फिर कुछ मन मे एसा वैसा नहीं होता ?
चाचाजी : नहीं क्युकी बचपन से ही एसा पहनावा देखा होता है इस लिए सब सामन्य लगता है।
तभी शालिनी नील के अपने दूसरे स्तन मे लगाती हैं, नील छ्प छ्प करके पीने लगता है ,दोनों इधर-उधर की बातें करते है,तभी नील स्तन चूसने को छोड़ देता है जिस से बातों बातों मे चाचाजी की नजर शालिनी के पारदर्शी पल्लू मे से उसके स्तन के साथ निप्पल भी दिख जाती है, चाचाजी उसे अनदेखा करते है, शालिनी कहीं न कही जानबूझकर दिखा रही थी ताकि चाचाजी से मदद मिल जाए।
फिर शालिनी अपने ब्लाउज के हूक लगाकर पल्लू सही करते हुए खड़ी होके नील को चाचाजी के बग़ल मे सुला के कमरे मे जाती हैं फिर वो कुछ ज्यादे गले वाला ड्रेस और ब्लाउज-साड़ी पहनकर अपनी फोटो खींचती है,

RDT-20240624-0241439121163221479410274 Screenshot-20240612-223253-Instagram
और कुछ छोटे वीडियो बनाने के बाद मे नीरव को भेजती है,

147141112818586729-MP4-1 Sanchi-MP4-1
वापिस से पहले वालीं साड़ी पहनकर बाहर आती है।
चाचाजी : कहा रह गई थी आप ? छोटे भाई को सम्भाला नहीं जाता।
शालिनी : छोटा बेटा तो सयाना है ,बड़े बेटे को अपनी छोटी माँ के बगैर चैन नहीं आता, कुछ नहीं नीरव को कुछ मेरे फोटो भेजना था।
चाचाजी: अच्छा...
शालिनी : (पल्लू से हवा लेते हुए..) इस बार तो अभी से ही इतनी गर्मी पड़ना चालू हो गई है,ना जाने आगे कितनी बढ़ेगी ?ऊपर से नील की वज़ह से A.C. भी नहीं चालू कर सकते ,गर्मी से हाल बेहाल होने वाला है,
चाचाजी : बात तो सही है, पर हम कर भी क्या सकते है?
शालिनी : मौसम को तो नहीं रोक सकते किन्तु अपनी ओर से कुछ प्रयास कर सकते है।
चाचाजी : क्या करोगी?
शालिनी : वो सब बाद में अभी आप क्या खाएंगे?
चाचाजी : कुछ भी हल्का फुल्का बना दो।
शालिनी खाना बनाने जाती है,

RDT-20240601-1411323552606585614580320
फिर वो चाचाजी को अपने हाथों से खाना खिलाती है,साथ मे खुद भी खाने लगती है जब खाना पूरा होता है तो चाचाजी शालिनी की कलाई पकड़ के उसकी हर उंगली और अंगूठा चाटने लगते है, वो भी एसे चाटते है मानो शालिनी का हाथ खिलते समय बिगड़ा ही ना हो,
शालिनी : अरे रे ! क्या कर रहे हो आप?
चाचाजी : पहली बात "आप "नहीं "तुम " कहो, रिश्ते मे बड़े हो आप। दूसरी बात आज खाना एकदम बढ़िया बना है।
शालिनी : रोज नहीं बनता बढ़िया ?
चाचाजी : रोज ही बढ़िया बनता है ,पर आज जैसे हम अपनी माँ के हाथ चट कर जाते थे ,वैसे आज आपके साथ किया ,कुछ गलत किया?
शालिनी : नहीं नहीं ..कुछ गलत नहीं ब्लकि अच्छा लगा ,मेरे बेटे को मेरा खाना अच्छा लगा।
चाचाजी : मे तो यह चाहता हू की पूरी जिंदगी बस आपके हाथ का खाना खाउ और रोज एसे ही उंगलिया चाटता रहूं।
शालिनी : मिलेगा ना, क्यु नहीं मिलेगा ?
आप कहीं जा रहे हो?
चाचाजी : मे तो वैसे कहीं नहीं जाने वाला ,कुछ समय बाद नीरव के साथ अमेरिका चली जाओगी
शालिनी : कहीं नहीं जा रही अपने दोनों बेटों को छोड़ के,अब हमारा परिवार पूरा हो चुका है, हम दो हमारे दो
चाचाजी : लेकिन ..
शालिनी : लेकिन वेकिन कुछ नहीं ,अगर नीरव को हमारे साथ रहना होगा तो वो यही रहेगा ,वर्ना भले वो उधर नोकरी करे ,मे अपने दोनों बच्चे के सहारे जी लुंगी।
शालिनी इस समय नीरव से अपना गुस्सा निकाल रही थी क्युकी उसके स्तनों मे बढ़े दुध और कभी कभी अपनी यौन ईच्छा के समय उसकी गैर मौजूदगी उसको खलने लगी थी,
चाचाजी : ठीक है तब कि तब देखेंगे, मैंने तो बस यूँही बोला था।
(वैसे चाचाजी के मन मे भी ये ईच्छा जरूर थी, और उसे शालिनी से दूर होने से डर लगने लगा था, पर वो जताना नहीं चाहते थे)
डर हो भी क्यु ना?एसी गदराई हुई जवान और एक 6 महीने के बच्चे की दुधारू माँ जिसके स्तनों से दुध की नदी बहती हो, वो स्त्री उसे अपने हाथो से खिलाती हो,और उस से भी ज्यादा वो स्त्री उसको अपने बगल मे चिपका के सुलाती हो, कौन सा पुरुष एसी जिंदगी को बदलना चाहेगा ?
खाना खाने के बाद वो चाचाजी को सोफ़े पर बिठाकर काम निपटाने चली जाती है ,काम पूरा करके वो हॉल मे आती है,पल्लू के शीरे को चेहरे के पास लहराते हुए आती है जिस से आम तौर पर हर औरत गर्मी से परेशान होके करती है,
शालिनी : (पसीना पोछते हुए...)हाय रे ये गर्मी हालत खराब कर दी। रात हो गई फिर भी कितनी गर्मी है
चाचाजी : हाँ सही कहा, गाव मे ये दिक्कत नहीं होगी
शालिनी कुछ नॉर्मल होके नील को अपने गोदी मे लेके पल्लू लगा के स्तनपान कराने लगती है।
शालिनी : क्या तुम मुझे अपनी छोटी माँ मानते हो?
चाचाजी : हाँ बिल्कुल मानते है
शालिनी : पूरी तरह से तन मन से मानते हो?
चाचाजी : मुझसे ही कोई गलती हुई है ,जिस से आप मुझ पर शंका कर रहे हों?पर मे सच मे आपको अपनी छोटी माँ मानता हू।
शालिनी : तो फिर तुम को मेरे फैसले से कोई एतराज नहीं होगा ,और आप मेरी हर बात मानेंगे।
चाचाजी : बिल्कुल ,अब हमने हमारी सब चिंता आप पर डाल दी है, और आप जो कहेगी वो करेंगे।
शालिनी : मेने सोच लिया है,मे अब आपने जैसे बताया की गाव मे औरते कैसे रहती है मे भी उसी प्रकार रहूंगी इस से गाव जाने के बाद दिक्कत और शर्म ना हो,
चाचाजी : मतलब ?
शालिनी : मे भी सिर्फ ब्लाउज और घाघरा पहनेंगी। कोई आएगा तब साड़ी पहन लूँगी।
चाचाजी : पर मेरे सामने आपको दिक्कत नहीं होगी?
शालिनी : आप को दिक्कत है?
चाचाजी : नहीं नहीं एसा कुछ नहीं पर...
शालिनी : तो फिर तय रहा ,वैसे भी आपने की कहा था कि आप लोग बचपन से इस सब के आदी है, और दूसरी बात घर पर सिर्फ मेरे बेटे ही तो है दूसरा कोन है जिस से मुझे पर्दा करना पड़े?अगर आप मुझे अपनी छोटी माँ मानते हैं तो आपको कोई दिक्कत नहीं होना चाइये,
चाचाजी : मेने कहा ना मुझे कोई दिक्कत नहीं है क्युकी मुझे ये सब सामन्य लगता है ,इधर शहर मे आपको अजीब लगेगा इस लिए।
शालिनी : मुझे भी कोई दिक्कत नहीं,आज से ब्लकि अभी से ही बिना साड़ी रहना चालू कर देती हू।
जैसे ही स्तनपान पूरा होता है तुरंत वो ब्लाउज के हूक लगा कर पल्लू गिराकर कमर मे से साड़ी खींचकर निकाल देती है।

Beautiful-Actress-in-Saree-videos-Beautiful-Actress-in-half-Saree-videos-360-P-2
शालिनी : हाय अब कुछ राहत मिली
चाचाजी की आंखे ये दृश्य देख के चौन्धीया जाती है, उसे ये वास्तविकता पे यकीन नहीं हो रहा था ,एक जवान गदराई गोरी शहरी ल़डकि उसके बगल मे अपने हाथों से साड़ी निकल के सिर्फ ब्लाउज घाघरा पहने बैठी है ,ब्लाउज भी डिजाइनर जिसमें उसकी आधे स्तन प्रदेश को उजागर कर रहा था।
चाचाजी : (मन में..) क्या ये सच मे हो रहा है कि मे सपना देख रहा हू,होश मे आ बलवंत ये स्त्री तुझे अपना बड़ा बेटा मानतीं है इस लिए एसे बैठी है, अगर वो तुझे अपने बेटे के रूप मे पूर्ण रूप से मान चुकी है तो तू भी उसे पूर्ण रूप से अपनी छोटी माँ मान लो और इस रूप को अपना लो ,जैसे गाव मे महिलाओ को एसे वस्त्रों मे देखना सामन्य हो चुका था वैसे अभी छोटी माँ है, इस दृश्य को सायद रोज देखना पड़ सकता है तो इसे सामन्य समझो यही दोनों के लिए अच्छा होगा।
शालिनी नील को दूसरे सोफ़े पर लेटा देती है और मोबाइल लेके चाचाजी से सट के बैठ जाती है और नक्शे मे गाव को ढूँढती है और उसकी जानकारी चाचाजी पूछती है,
चाचाजी : जैसे मेने पहले बताया था कि गाव रेगिस्तान के बिल्कुल करीब है। और बड़े शहर से 50-60 किलोमीटर दूर मुश्किल से एक सरकारी बस आती है दिन मे 1 बार
शालिनी : तो फिर पीने के पानी की दिक्कत होती होगी।
चाचाजी : नहीं बिल्कुल नहीं ,हमारे गाव मे देवता का आशीर्वाद समझो या फिर कुदरत का करिश्मा गाव मे एक तालाब है वो भी मीठे पानी का, कहते है सरस्वती नदी की एक धारा उधर से निकली है जिस से तालाब सूखता भी नहीं, गाव के लोग तो देवता का आशीर्वाद मानकर उससे पानी पीते है, जिस से कोई पानी की बर्बादी नहीं करता।
शालिनी : यह एकदम सही है,
चाचाजी : गाव मे वैसे बड़े खेत ज्यादा नहीं किंतु ,गाव का गुजारा हो जाए उतना हो जाता है ,कोई कोई सब्जी लोग घर के आँगन या फिर खेत के एक कोने मे उगा लेते है,
इस बात चित के दौरान चाचाजी की नजर कई बार शालिनी के स्तनों के बीच की गहराई मे जाती,शालिनी ये नोटिस करती है पर वो यही तो चाहती है, इस लिए तो वो साड़ी निकाल ने का बहाना किया था वो सीधे तौर से कहने मे डरती थी इस लिए वो चाहती थी चाचाजी पहल करे, जैसे आज दोपहर मे चाचाजी ने अपनी उंगली स्तनों के बीच फंसाये थे ,जिस से शालिनी प्रोत्साहित हुई और एक कदम आगे बढ़ी जिस से चाचाजी को और खोल सके।
शालिनी : चलो सो जाते हैं।
चाचाजी : हाँ आप मुन्ने को लेके चलिए मे आता हूं।
शालिनी नील को कमरे में आ कर पालने मे रख देती है और फिर चाचाजी के साथ बेड पर आके बैठ जाती है ,साड़ी तो निकाल ही चूंकि थी बेड पर बैठने से उसके पेट पर बल पड़े थे जो उस पर ज्यादा मादक लगता है।

1000008320
शालिनी : उधर से लाइट बंध कर दीजिए
चाचाजी : थोड़ी देर रहने दो न, थोड़ी देर बाद बंध कर देंगे।
शालिनी चाचाजी की ओर देखती है तो वो उनको देखे जा रहे थे ,वो समझ जाती है ,वो क्या देख रहे है ,इस लिए वो भी कुछ नहीं बोलती और बग़ल मे आके लेट जाती है,तभी चाचाजी भी खिसकता हुए उसके करीब आते है ,चाचाजी पता नहीं पर शालिनी के इस नए रूप को ज्यादा से ज्यादा देखना चाहते थे, हालाकि उस के मन मे गलत भाव नहीं था वो बस उसकी खूबसूरती को देखना चाहते थे, जिस से वो अपने आप को भाग्यशाली समझ सके ,
थोड़ी देर बाद वो लाइट बंध कर देते है ,शालिनी के पैर पर पैर रख देते है।
शालिनी : आ गए,क्या बात है ?आज क्यु लाइट चालू रखी ?
चाचाजी : कुछ नहीं बस अपनी माँ को देख रहे थे।
शालिनी : बाहर नहीं देखे थे?
चाचाजी : देखे थे पर शांति से आराम से देखना चाहते थे।
शालिनी : उसमे क्या है?तुम कभी भी देख सकते हो। छोटी माँ है तुम्हारी।
चाचाजी : जब से आज आपने हमे बेटा माना है तब से आप हमे कुछ ज्यादा खूबसूरत लगी, मेने सुना था माँ बनने के बाद औरत की खूबसूरती बढ़ जाती हैं, आज पहली बार महसूस किया, हमारी माँ भी खूबसूरत हुई होगी पर उस समय हम छोटे थे इस लिए पता नहीं चला ,पर आज आपकी वज़ह से ये महसूस हुआ ,आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
शालिनी : बेटा तो हम तुमको कितने ही दिनों से मानते है
चाचाजी : हाँ पर आ हमारे मन ने आज स्वीकार किया,अब तक ये स्वीकार नहीं हो रहा था, पर अब कोई दुविधा नहीं है, अभी से हम आप को पूर्णता माँ मानते हैं,
फिर दोनों एक-दूसरे की ओर करवट लेते है ,

da66649de9d2f84783437ba302091fff
upload images
चाचाजी थोड़ा नीचे खिसके और शालिनी के स्तनों मे अपना सिर भींच दिए शालिनी भी हाथो से दबाव डाल के ज्यादा भींच देती है दोनों अपने नए रिश्ते के भाव का आदानप्रदान कर रहे थे ,अब बिना संकोच के स्वीकार करते है,फिर दोनों सो जाते हैं।
रात को 3 बजे के करीब शालिनी के स्तनों मे दुध भर जाता है,जिस से उसके स्तनों मे दर्द होने लगा था इस वज़ह से उसकी नींद खुल जाती है ,वो चाचाजी के हाथ को अपने पेट पर से हटा कर धीमे से दबे पाव बाथरूम मे जाती है क्योंकि वो चाचाजी की नींद खराब नहीं करना चाहती थी, सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट पहनी भरे हुए बदन वाली ,उलझे हुए बाल एसी बला की खूबसूरत स्त्री अपने नितंबों को मटकाती हुई बाथरूम के अंदर आ जाती है, भीतर आते ही वो तुरंत अपने ब्लाउज को अपने गोरे बदन से अलग कर देती है, और शीशे के सामने आकर अपने स्तनों पर हाथ फेरती हुई अपने रूप को खुद ही निहारने लगती है तभी स्तनों मे दर्द होता है और शालिनी के मुँह से सिसकी निकलने लगती है।
शालिनी : क्या करूँ इसका?रहा भी नहीं जाता और सहा भी नहीं जाता, मन तो करता है अभी चाचाजी को दुध पीला दु, अगर लंबे समय का आराम चाइये तो अभी दर्द सहना पड़ेगा, कोई बात नहीं शालिनी तू लगी रहे, जल्द ही चाचाजी मान जायेगे, और ये दर्द से हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाएगा।
शालिनी अपने स्तन पर हल्का सा दबाव डालती है इतने मे ही उनके स्तन से दुध की धार शीशे पर लगती है।

RDT-20240410-195126-1 RDT-20240411-072049-1
शालिनी :आह....कितने भरे हुए होगे? इतने से दबाव से दुध की धार निकलने लगी।
वो दूसरी बार दबाव करती है तभी वो एकदम से रुक जाती है।
शालिनी :( मन मे ..)ये मे भूल कैसे गई?चाची ने कहा था कि मुझे दुध की कमी क्यु होगी?मे अभी ये दुध सिंक मे बहा कर बरबाद कर देती ,अगर यही दुध चाचाजी को पीला दु तो?वैसे आज रात को वो बिना दुध पीए सो गए है, अगर ये दुध बर्तन मे निकाल के उसको पीला दु तो उसका भी काम हो जाएगा और मेरा भी। कम से कम मेरा दुध उनके काम आएगा और वो इसी बहाने मेरा दुध चख लेगे।
ये बात सोचते हुए शालिनी उत्साहित हो जाती है उसको बस अपना दुध चाचाजी को पिलाना था,
शालिनी : (मन मे...)रसोई मे जाके बर्तन ले आती हू, (ब्लाउज की और देखकर..)इतने से काम के लिए क्या वापिस पहना फिर उतरना वैसे भी सब सो रहे है, क्या फर्क़ पड़ेगा? और चाचाजी तो अब बच्चे है मेरे ,एक बच्चा अपने माँ के स्तन तो देख ले तो क्या होगा, नील भी तो देखता है,वैसे भी एक बार देख भी लिये है।
शालिनी बिना ब्लाउज के ही सिर्फ घाघरा पहने हुए किचन की और चलने लगती है तभी उसको क्या सूझता है कि वो रील मे जैसे गजगामिनी चाल देखी थी ठीक वैसे चलने लगती है, फिर वो बर्तन लेके वापिस बाथरूम मे आती है और शीशे के सामने खड़ी हो जाती है, वो अपने हाथ को गले से फिराती हुई स्तनों पर ले आती है जैसे ही वो हल्का सा दबाव डालती है कि उसके गुलाबी स्तनाग्र से दुध की धारा गिलास मे गिरती है ,

RDT-20240408-1845322896423316816437476
थोड़े से छींटे बाहर गिरते है तो वो करीब से गिलास पकड़ के स्तनों को दबा दबा कर दुध निचोड़ ने लगती है हालाकि उसको निचोड़ ने से स्तनों पर अपनी ही उँगलियों की छाप पड़ जाती है,जिस से उसको जलन और दर्द होता है,जैसे तैसे करके वो दोनों दूध से भरे अपने कुम्भ को वो गिलास मे खाली कर देती है
शालिनी राहत की साँस लेती है थोड़ी देर एसे ही खड़ी रहती है बाद मे वो अपनी ब्लाउज पहनती है ,उसको पसीने की वज़ह से जलन ज्यादा हो रही थी ,वो गिलास लेकर कमरे मे आती है ,कमरे मे आते ही वो पंखे के नीचे बेड पर बैठ जाती है ,और अपने ब्लाउज के 4 मे से 2 हूक खोल देती है जिस से कुछ राहत मिलती है ,

ce4cd33d56210c12c6dc9df368443037
फिर भी उस से रहा नहीं जाता जिस से सारे हूक खोल के चाचाजी की और पीठ करके बैठ जाती है जैसे वो स्तनपान करते समय बैठती है, 10 मिनट बाद उसको अच्छा महसूस होता है इस लिए वो ब्लाउज के हूक बंध करके बाल सही करके चाचाजी को जगाती है, लेकिन जब वह चाचाजी को जगा रही थी तब उसके दिल मे थोड़ी घबराहट और उत्तेजना दोनो ही थे ,ये उसके लिए पहली बार था ,जब वो चाचाजी को अपने स्तनों से और अपने हाथो से निकाला हुआ दुध पिलाने जा रही थी।
शालिनी : (बालों मे हाथ फेरते हुए..)मेरे बच्चे ,उठो ,देखो माँ क्या लायी है?चलो जल्दी से उठो।
चाचाजी : (नींद मे...)क्या है?अभी मुझे नींद आ रही है ,कल सुबह दे देना ,अभी सोने दो न।
शालिनी : सुबह तक इंतजार नहीं कर सकते, वर्ना बिगड़ जाएगा।
चाचाजी : क्या है?

शालिनी : पहले तुम जग जाओ और बैठो मेरी बगल मे फिर दूंगी।
चाचाजी बेड पर बैठ जाते है
चाचाजी : लो बैठ गया बस ,अब लाओ ना जो देना है दो,
शालिनी चाचाजी को अपने दुध से भरे गिलास को दिखाती है।

a09ce05d8d0e09a6173c81aaabdea9d3
upload image
चाचाजी : क्या है इस मे?
शालिनी : दुध, अपने हाथों से लेके आयी हू, रात को सोते समय नहीं पिया था इस लिए अभी मेरी नींद खुली और मुझे याद आया कि तुम बिना दुध पीए सो गए हों।
चाचाजी : चलेगा नहीं पिया तो भी, कोई बड़ी बात नहीं।
शालिनी : मुझे नहीं चलेगा, मेरे बेटो के स्वास्थ्य को लेके मे कोई लापरवाही नहीं करना चाहती, चलो एक ही बार मे ये पी जाओ फिर आराम से सो जाना।
चाचाजी : अभी नहीं पीना दुध।
शालिनी : अपने माँ के दुध को मना करते हो?
चाचाजी : क्या ?
शालिनी : मतलब माँ के लाएं हुए दुध को मना कर रहे हों।
चाचाजी : ठीक है लाओ पी लेता हू।
शालिनी : (मन में..)क्या कर रही हू मे?अभी सच नहीं बोलना है शालिनी समय देख के सब बता दूंगी।
चाचाजी : अब पी रहा हू तो दे नहीं रही।
शालिनी : अरे नहीं नहीं...ये लो पी लो, सारा पी जाओ, आराम से पीना ,गिरना मत बहुत मूल्यवान है,
चाचाजी जैसे ही पहली घूंट लगाते है तब उसको दुध थोड़ा अलग लगा ये दुध उसको मीठा लगा स्वाद अलग था पर अच्छा लगा ,उसे लगता है एसा स्वाद पहले भी लिया है ,पर कहा वो याद नहीं आता।
चाचाजी : इसका स्वाद थोड़ा अलग है, इसमे चीनी डाली है?
शालिनी : नहीं इसमे मेने अपनी ममता डाली है इस लिए ,और सायद गर्मी की वज़ह से दुध का स्वाद अलग हो गया होगा।
चाचाजी फिर सारा दुध खत्म कर देते है, शालिनी बेड के पास पडी अपने साड़ी को लेके चाचाजी के मुँह को साफ करती है, और गिलास और साड़ी बेड के बगल मे रख देती है।
शालिनी : आओ मेरे बच्चे ,मेने तुम्हारी नींद खराब की है तो मे ही तुमको सुलाती हू ,आओ इधर आओ, अपनी माँ के पास आओ।
एसा बोलते हुए शालिनी अपने एक हाथ को चाचाजी के गर्दन के नीचे रख कर उसके सिर को अपनी और खींचती है और चाचाजी अपना एक पैर शालिनी के ऊपर रख देते है अब चाचाजी का सिर शालिनी के स्तनों के ऊपर था ,शालिनी उसे दुलार रहीं थीं, चाचाजी की सांसे उसके स्तनों के बीच मे जा रही थी साथ ही चाचाजी को शालिनी के शरीर की खुशबु आ रही थी, वो खुशबु चाचाजी पर ठीक वैसे ही असर करती है जैसे एक छोटे बच्चे पर एक माँ की खुशबु असर करती है ,जिस से वो अपने आप को सुरक्षित महसूस कर्ता है, चाचाजी को भी कब नींद आ गई उसे पता नहीं चला।
सुबह के 5 बजे थे कि नील के रोने की आवाज से दोनों की नींद खुलती है ,चाचाजी को आंख खुलते ही शालिनी के ब्लाउज मे कैद स्तनों के दर्शन होते है,

03ddc1985768825e16a1f46ec4f0a4ad
शालिनी का एक हाथ सुन्न हो रहा था क्युकी 2 घंटे से उसका हाथ चाचाजी के सिर के नीचे था इस लिए वो चाचाजी को नील को शांत करने को कहती है, चाचाजी नील को लेके बेड पर आके बैठ जाते है और उसके शांत कराने की कोशिश करते है, पर नील शांत नहीं होता।
चाचाजी : लगता है भूख लगी है ,इसे अब आप ही शांत करा सकती हैं,
शालिनी : लाइये मेरे पास।
शालिनी जब नील को लेने के लिए हाथ लंबे करती है तो उसका वो हाथ ठीक से ऊंचा नहीं होता।
शालिनी : एक काम करो उसको मेरे गोदी मे रख दो। मेरा दाया हाथ थोड़ा सुन्न सा हो गया है।
चाचाजी : कैसे हुआ ?
शालिनी : मेरे बड़े बेटे को सुलाने की वज़ह से ,उसके सिर के नीचे हाथ था इस लिए।
चाचाजी : मुझे माफ़ कर दो ,आगे से ध्यान रखूँगा।
शालिनी : वो बाद मे रखना पहले नील को दो मुझे।
चाचाजी धीरे से नील को शालिनी के गोद में रखते है तभी रखते हुए और हाथ वापिस खींचते समय चाचाजी का हाथ शालिनी के पेट और ब्लाउज के ऊपर से स्तनों को छू जाता है।
शालिनी चाचाजी की और पीठ करती है पर हाथ सुन्न होने से उससे ब्लाउज के हूक खुल नहीं रहे थे, थोड़ा जोर लगाती तो खुल तो जाता पर वो चाचाजी से खुलवाना चाहती थी ताकि वो उसके स्तनों के प्रति ज्यादा सहज हो जाए और उसका थोड़ा आकर्षण भी बढ़े।
शालिनी : सुनो बेटा ,थोड़ी मदद कर दो।
चाचाजी : बोलो क्या चाहिए?
शालिनी : वो हाथ सुन्न हैं तो ब्लाउज के हूक खुल नहीं रहे है तो थोड़ी मदद कर दो।
चाचाजी : उसमे मे क्या कर सकता हू?
शालिनी : हूक खोल दो जल्दी से।
चाचाजी : मे...में ...कैसे?
शालिनी : क्या बकरे की तरह में..मेें...कर रहे हों, इधर आओ और हूक खोल दो।
चाचाजी : मे कैसे कर सकता हू? ये गलत है।
शालिनी : क्या गलत है? एक तो तुम्हारा भाई भूख से रो रहा है, मेरा हाथ सुन्न हो गया है एसे समय मे मदद नहीं करेंगे तो कब करेंगे?
चाचाजी : पर...
शालिनी : छोड़िए..मेने तो पूरे तन मन से आपको बेटा माना था ,नील का बड़ा भाई माना था, लेकिन आप हमे अपना कुछ समझते नहीं, क्या एक बड़ा बेटा अपनी माँ और छोटे भाई की मदद करने से पहले इतना सोचता है?लगता है आप फिर से चाचाजी बन गए है, मेरे बेटे नहीं रहे।
शालिनी चाचाजी को भावुक कर देती है।
चाचाजी : ठीक है मे करता हू मदद ,मेहरबानी कर के कभी मुझे एसा नहीं कहिएगा, मे आप लोगों के लिए जान दे सकता हू, आप नहीं जानते आप क्या है मेरे लिए, अब से आप को विश्वास दिलाने के लिए मे आपकी हर बात मानूँगा, बोलिए क्या करना है?
शालिनी : पक्का मेरी हर बात मानेंगे?
चाचाजी : हाँ वचन देता हू।
शालिनी : ठीक है ,अभी आप मेरे हूक खोल दीजिए ,एसी परिस्थिति ना होती तो मे आपको एसी दुविधा मे नही डालती, पर नील को रोता देख मुझसे रहा नहीं गया, अगर मेरा बेटा होता तो वो जरूर मदद करता।
चाचाजी : बेटा होता तो?बेटा है
चाचाजी को हूक खोलने के लिए हाथ बढ़ाते है तब उसके हाथ कांप रहे थे ,इधर शालिनी की सांसे भी तेज हो रही थी ,जिस से उसके स्तन ऊपर नीचे हो रही थी, तभी चाचाजी को कुछ सूझता है जिस से वो शालिनी के पिछे आके घुटनों के बल बैठ जाते है।
शालिनी : वहा क्या कर रहे हों?इधर आके हूक खोले।
चाचाजी पिछे से शालिनी के बगल के नीचे से हाथ ले जाकर हूक खोलने का प्रयत्न करते है, खुलता नहीं जिस से वो थोड़ा सिर आगे की और करके ऊपर से देखते हुए हूक खोलने लगते है जिस मे उसको सफलता मिलती है।

images-2
जब चाचाजी ने सिर आगे किया और नीचे देखा तो शालिनी के स्तनों के उभार और उसके बीच की खाई को बस देखते ही रहे,इतने योग्य, पुष्ट और गोरे ऊपर से दुध से भरे एसे स्तनों की तो बस कल्पना है कि जा सकती है ,वैसे स्तन अभी चाचाजी से कुछ ही फासले मे थे जिसे वो ब्लाउज रूपी कैद से आजाद करने जाँ रहे थे, एसे स्तन जो सिर्फ कोई कवि की कविता या कोई उपन्यास की नायिका या फिर पुराणों मे वर्णित अप्सरा के स्तनों का जैसा वर्णन होता है वैसे स्तनों की ओर जैसे जैसे उसके हाथ बढ़ते है उसके हाथ मे कंपकंपी उठ जाती है दिल की गति बढ़ गई थी, और जैसे ही उसके हाथ ब्लाउज के निचले हूक खोलने लगे तब दोनो हाथ की दो दो उंगलिया ब्लाउज के अंदर डालते है तब शालिनी के स्तन को छू जाती है तब मानो दोनों के लिए समय रुक सा गया।
चाचाजी ने धीरे से पहला, फिर दूसरा हूक खोला उतने मे ही शालिनी के मुँह से आह...निकल जाती हैं, फिर तीसरे और चौथे हूक खोलने मे चाचाजी को काफी दिक्कत हुई, मानो ब्लाउज भी एसे स्तनों से अलग नहीं होना चाह रहा था, और जैसे ही आखिरी हूक खोला और ब्लाउज किसी कपाट की जैसा खुला, वैसे ही शालिनी के मुँह से सिसकारी निकल गई, मानो किसी ने उसे लोहे की जंजीरों से आजाद किया हो,चाचाजी ने ऊपर से जैसे ब्लाउज खुलता हुआ देखा उसकी नज़र दो तीन पल स्थिर हो गई फिर आंख बंध कर के शालिनी के पिछे बैठ जाते है।
चाचाजी के लिए वो पल दो पल किसी घंटे के माफिक था, इस पल मे उसने शालिनी के पूरे नंगे स्तनों का पूरा मुआयना कर लिया था वो आंख बंध कर के उसके ही ख़यालों मे खो गए थे।
चाचाजी के ख्यालों मे....
आह....क्या नजारा था? क्या स्तनों की जोड़ी थी ! किसी के एसे स्तन हो कैसे सकते है उपरवाले की रचना मे सबसे नायाब चीज़ थी, एकदम सटीक गोलाई, गुलाबी स्तनाग्र,एक दूजे से सटे हुए ऊपर से दुध से भरे ,वाह...क्या दृश्य था ,मेरी जिंदगी का सबसे खुशनसीब और आनंदित क्षण ये है, मेरा जीवन सफल हो गया, मुझे कुछ और नहीं चाहिए,क्या मे इसी स्तनों पे सिर रख के सोया हू?कितना भाग्यशाली हू मे, मेरे से ज्यादा मुन्ना है जो इस स्तनों को छू सकता है, और उसका दुध पी सकता है, और उससे भी ज्यादा भाग्यशाली नीरव है ,और दुर्भाग्यशाली भी, एसे स्तन को छूने का मर्दन करने का ,और उसे मुँह मे लेके चूसने तक का अधिकार हो फिर भी इनसे दूर जाके रहना, एसे स्तनों को मेने आजतक नहीं देखा ,स्तनों के सौन्दर्य की पराकाष्ठा है।
तभी शालिनी उसको आवाज देके उसको होश मे लाती है, जिस से चाचाजी तुरंत खड़े हो जाते है,
चाचाजी : हाँ बोलो
शालिनी : सो गया क्या?
चाचाजी : नहीं नहीं ,आपके बगैर नींद कहा आती है
शालिनी : बस थोड़ी देर नील का खाना होने वाला है
चाचाजी : कोई बात नहीं आराम से खिलाए, पूरा समय लीजिए
शालिनी नील को स्तनपान करवाने के बाद अपने लहराते ब्लाउज को हाथो मे लेके हूक लगाने लगती है, फिर वो नील को पालने मे रखकर सुला देती है फिर वो बेड पर आके चाचाजी के बगल मे लेट जाती है।
शालिनी : माफ़ करना हमारी वज़ह से नींद खराब हुई।
चाचाजी : अभी आप ने बेटा बुलाया और अभी आप ये कह रहे है, मुझे आपसे बात नहीं करनी।
शालिनी : अरे रे..नाराज हो गए, ठीक है चलो अब कोई बात नहीं ,इधर आओ मेरी वज़ह से जगे हो तो मे ही सुलाती हू।
चाचाजी के गरदन के नीचे हाथ ले जा कर उसे अपनी ओर करती है ,चाचाजी भी अपना पैर शालिनी पर रख देते है चाचाजी फिर से उस स्तनों को इतने पास से देख कर उनके विचारो मे खो जाते है,और कब सो जाते है उनको भी पता नहीं रहता।
सुबह सब देरी से उठते है पहले शालिनी जगती है फिर अपने हाथ को चाचाजी के नीचे से निकाल कर अंगड़ाई लेती है जिस से चाचाजी की नींद खुल जाती है और वो अंगडाई लेती शालिनी को देखते है जिसमें उसकी कटीली कमर और गोरे पेट को देखते है,

VID-338621125-205732-314-1
फिर बेड से नीचे उतरकर अपने बाल सही करती है,

5175cea98b271008588676888fecb021
शालिनी अपने दोनों बच्चों की और प्यार से देखती है ,वो पहले नील के पास जाके घुटनों के बल बैठ के उसे एक चुंबन करती है फिर खड़ी होकर अपने बड़े बेटे को भी एक माथे पर चुंबन देती है,क्युकी एक माँ की ममता अपने बच्चों मे भेदभाव नहीं करती ,चाचाजी मन मे बहुत खुश होते है ,फिर शालिनी अपने कपड़े लेकर नहाने चली जाती है।


शालिनी नहाकर आती है ,आज उसने लाल ब्लाउज और लाल घाघरा पहना था,वो बाल लहराती हुई कमरे मे आके आईने के सामने खड़ी होके अपने आप को देखती है, अपनी ही सुन्दरता से वो शर्मा जाती है,



fe94e17c5f5b7f8bed96e418a3f5de62 2e05fd12ce3677bacd9a68744942fcdd
image upload
Shalini : (मन मे..) पूरा दिन एसे ही रहूंगी तो चाचाजी क्या सोचेंगे, कल तो परेसानी मे बोल दिया था साड़ी नही पहनेंगी,पर एसे पूरा दिन रहूंगी तो मे शर्मसार हो जाऊँगी, और जब नील को स्तनपान कराते समय क्या करूंगी?एक काम करती हू वो पल्लू को रोल करके रस्सी जैसे,जैसे दिशा पटनी पहनी थी वह slow motion गाने मे।

0fd53417978c9ce93e1e918a98183e1a
शालिनी लाल साड़ी मे एक परी लगती है ,वो फिर चाचाजी के सिर हाथ घूमते हुए जगाती है।
शालिनी : चलो खड़े हो जाओ, देखो आज देर हो गई है, आज कसरत करने का भी समय नहीं रहा ,तुम भी उठ कर सीधा बाथरूम मे जाओ और टूथब्रश करो तब तक ये सब सही करके आती हू नहलाने।
चाचाजी नहलाने का सोचकर ही नींद उड़ जाती हैं, और वह सीधा बाथरूम मे जाके ब्रश करने लगते है ,तभी शालिनी आती है ,आते समय वो अपने बाल पिछे की ओर बांधती हुई आती है।

VID-338621125-205732-314-2
शालिनी : ब्रश कर लिया ?
चाचाजी : हाँ
शालिनी : बहुत बढ़िया ,लगता है बेटा सुधर गया है, एसे ही मेरी हर बात माना करो, ठीक है ?
चाचाजी : हाँ ,सब बात मानूँगा।
शालिनी : आय हाय मेरा राजा बेटा, आज खुश कर दिया मुझे ,चलो जल्दी से नहला देती हू फिर नास्ता भी बनाना है,
चाचाजी : क्या जल्दी है ,एक दिन तो आराम से रहो, रोज कितना काम करती हो,अब तो दो बच्चे हो गए है तो ज्यादा मेहनत लगेगी, भाग दौड़ कम करो ,हम इंसान है मशीन नहीं,
शालिनी : बड़ी सयानी बातें कर रहे हों, मुझे आनंद आता है आपने बच्चे के लिए काम करते हुए, चलो अब बातें नहीं ,सिर्फ नहाना।
शालिनी चाचाजी को ठंडे पानी से नहलाने लगती है, तभी चाचाजी शरारत करते हुए शालिनी के ऊपर पानी के छींटे उड़ते है, शालिनी मना करती है पर चाचाजी बच्चे के जैसे बस उड़ाने लगते है ,शालिनी की साड़ी, ब्लाउज, गला ,कमर ,और थोड़े बाल भी भीग जाते है,

Rashi-Singh-rashisingh-JAS-rashisingh-justactressstuff-MP4-1
शालिनी : क्या किया आपने मे गिली हो गई,


चाचाजी : गर्मी की वज़ह से आपको गिला किया जिस से आपको ठंडक मिले, और मेरा एसे बच्चे जैसे बर्ताव कैसा लगा?
शालिनी : सच पूछो तो मुझे भी आनंद आया, कभी कभार एसी बच्चों जैसी हरकत करके जीवन मे आनंद आ जाता है, और आप तो बच्चे भी है मेरे , कभी-कभी एसे बच्चों जैसा बर्ताव करते रहिए जिस से मुझे सच मे लगे मेरा बड़ा बेटा है,
चाचाजी : ठीक है,
शालिनी नहलाने के बाद बाहर हॉल मे पंखे के नीचे खड़ी होकर पल्लू गिरकर अपनी साड़ी, ब्लाउज सुखाने लगती है ,

tumblr-4173226357261b68d2d888decfde0be9-4d538e4d-400
चाचाजी भी तौलिया पहनकर बाहर आते है ,शालिनी फिर अपना पल्लू लगा के उसे सहारा देके कमरे मे ले जाके कपड़े पहनाने मे मदद करती हैं, बाद मे नास्ता करके तीनों हॉल मे बैठे होते है कि पड़ोस वालीं चाची आती है और बताती है कि दुधवाला दो दिन तक अधिक ग्राहको को दुध नहीं दे पाएगा ,जो उसके पुराने ग्राहक है उसे ही दे पाएगा।
ये सुन के शालिनी उदास हो जाती है तब चाचाजी कहते है ,दो दिन की बात है,चला लेगे ,चाची फिर चली जाती है, तभी शालिनी नील को अपना दुध पिलाती है,तभी वो सोचती है कि आज सारा दुध वो निकल के इकठ्ठा करके शाम को चाचाजी को पीला दूंगी।
दुध पिलाने के बाद वो नील को सुला के वापस आके सोफ़े पर बैठ जाती है, फिर वो कुछ गाने चुनकर उसपे नृत्य करती है उसने जान बूझकर एसे गाने चुने थे जिसमें अभिनेत्री स्तनों का प्रदर्शन करती है, ताकि वो चाचाजी को अपने स्तनों के नजदीक ला सके।

Ragini-Dwivedi-viralreels-reelsindia-reelsinstagram-hindireels-bollywoodreels-bollywood-bollywoodmus video2gif-20190402-185858

VID-231480813-043735-456-1 70137b9a60bfe8ad7fc73879d9fb139b-1 70137b9a60bfe8ad7fc73879d9fb139b-2 sexy-dance-moves-MP4-2
रोज की तरह खाना खाके वो सोने चले जाते हैं, दोपहर मे भी शालिनी अपना दुध निकल के बर्तन मे इकठ्ठा करती है ,शाम को नील को एक बार फिर स्तनपान करवाती है, रात मे खाना खाने के बाद नील सिर्फ 1 स्तन से ही दुध पिता है तो शालिनी अपने बचे हुए स्तन के दुध को बर्तन मे इकठ्ठा किया ,फिर जब रात मे सोने के पहले फिर एक बार अपने स्तनों से दुध निकल के बर्तन मे डालती है, अब तक इतना दुध तो हो गया था कि जितना चाचाजी रात को दवाई पीने के बाद पीते थे।
फिर वो 1 गिलास मे भर के लाती है और चाचाजी को देती है ,
शालिनी : ये लीजिए दुध पी लीजिए।
चाचाजी : पर दुध तो था नहीं ,फिर कहा से...?
शालिनी : वो आप मत सोचिए ये पी लीजिए।
चाचाजी जैसे ही पहली घूंट पीते है ,उसको कल रात का स्वाद याद आ गया ,वो सोचने लगते है कि एसा दुध उसने कहा पिया था पर उसे याद नहीं आ रहा था फिर जब दूसरी घूंट पी तब चाचाजी की आंखे खुली की खुली रह गई, उसे याद आ गया था, उसके चेहरे पर हेरानी और आश्चर्य के भाव थे ,उसको समज नहीं आ रहा था अब वो क्या करे?
चाचाजी : (मन में..)क्या ये सच मे वहीं दुध होगा ?या वहम है मेरा ,पर मे उस दुध का स्वाद जिंदगी मे नही भूल सकता,क्या सच मे ये ..ये...स्तनों का दुध है?
चाचाजी दुध से भरे गिलास को बाजू मे रख के शालिनी को सवालिया नजरो से देखते है।
शालिनी : क्या हुआ ?पूरा पी जाओ
चाचाजी : पहले मुझे एक बात बताओ, और सच सच बताना।
शालिनी : हाँ बोलो
चाचाजी : ये दुध कहा से लायी?
शालिनी : वो जान के आप क्या करेंगे ?आप दुध पी लीजिए
चाचाजी : नहीं पहले बताओ,कल तो नींद मे पीला दिया था पर आज नहीं, मुझे अपने मन की शंका का समाधान करना है।
शालिनी : वो घर पे पड़ा था,
चाचाजी : झूठ मत बोलो ,कल भी थोड़ा सा था ,और आज दुध वाला आया नहीं ,फिर कहा से आया?और मे ये स्वाद को जानता हूँ, मे पहले भी एसा दुध पी चुका हू।
शालिनी : तो आज भी पी लीजिए, दुध ही तो है।
चाचाजी : दुध तो है पर ये गाय या भैस का नहीं है,
शालिनी : (मन मे..)लगता है चाचाजी को पता चल गया है अब क्या करूँ?
शालिनी : तो फिर किसका है ?बकरी का?
चाचाजी : नहीं ना ही ये गाय का, या भैस,या बकरी और नहीं किसी प्राणी का ,ये औरत के दुध का स्वाद है, मेने कहा था ना कि तुम्हें मे अपनी पत्नी का दुध पिता था ,उसका स्वाद भी इसके जैसा ही था, अब सच बता दो।
शालिनी : (शर्मा कर..)सही कहा आपने ,ये मेरा दुध है।
चाचाजी : क्या? यानी मेरा शक सही निकला ,मे अब ये दुध नहीं पी सकता ,तुमने क्या सोच के ये सब किया?
शालिनी : (भारी आवाज मे..)क्या गलत किया मेने?और बहुत सोच समझकर ये निर्णय लिया था,
चाचाजी : क्या सोचा था?ये सब किसीको पता चलेगा तो क्या होगा?और अगर नीरव को पता चलेगा तो वो क्या सोचेगा मेरे बारे मे ?नीरव के पिताजी को पता चलेगा तो गाव मे मेरी क्या इज़्ज़त रहेगी? और मेरी बरसों की दोस्ती भी टूट जाएगी।
शालिनी : एसा कुछ नहीं होगा ,मेरे पास सब बातों के जवाब है, और पता तब लगेगा जब हम मे से कोई बतायेगा।
चाचाजी : क्या जवाब है?कोई पूछेगा की क्यु इसका दुध पिया?और हम सब को अंधेरे मे रख कर ये करेंगे तो ये पाप ही है।
शालिनी : कोई पाप नहीं है, अगर कोई पूछे तो मे कहूँगी की क्या एक माँ अपने बेटे को अपना दुध नहीं पीला सकती?अगर बेटे को दुध पिलाना पाप है तो मे रोज ये पाप करूंगी,
चाचाजी : ये गलत है ,ये पाप है।
शालिनी : गलत क्या ?मे अपने मन से आपको खुशी से ये दुध दे रही हू ,और पाप क्या नील के पिलाने के बाद बचा हुआ आपको दे रहीं हू, दूसरे जानवर का दुध पीना पाप नहीं, पर एक माँ का दुध पीना पाप है, क्या आप मेरे बेटे नहीं?क्या मे आपकी छोटी माँ नहीं?
चाचाजी : हाँ !आप हो मेरी छोटी माँ
शालिनी : बस फिर बात खत्म, और आपको बात छुपाने से तकलीफ है तो मे समय आने पर नीरव को बता दूंगी , आपने बताया था कि आप की दादी के कहने पर आप ने आपकी पत्नी का दुध पिया था।
चाचाजी : पर वो मेरी पत्नी थी।
शालिनी : फिर आपने ये भी बटाया था कि दादी के अस्थि विसर्जन करने गए थे तब मेरे ससुर ने आपकी पत्नी का दुध पिया था,वो पाप नहीं था?
चाचाजी : वो मजबूरी थी,
शालिनी : मेरा भी कुछ एसा ही है ,एक तो मेरे स्तनों मे ज्यादा मात्रा मे दुध बनता है, और अभी दुध मिलता नहीं ऊपर से आप को दुध की जरूरत भी है, और मेने दिल से आपको अपना बेटा माना है, इस लिए मेने ये कदम उठाया।
चाचाजी : पर...
शालिनी : वैसे भी ये दुध नाली मे ही जाने वाला था ,ये तो भला हो चाची का जिसने मुझे ये सुझाव दिया कि ये दुध आपके काम आ सकता है और मुझे भी राहत मिल जाएगी
चाचाजी : क्या ये पड़ोस वाली चाची?उसने ये सब तुमको सुझाया?
शालिनी : (भावुक होके ..)ठीक है ,जाने दीजिए ,मत पीना ,आपको क्या मेरे दर्द से?बस आप सिर्फ कहने को ही छोटी माँ कहते है, अगर दिल से मानते तो मेरे दर्द को समझते और उसे दूर करने मे मेरी मदद करते ,आज से और अभी से ये माँ बेटे वाला ये नाटक खत्म करते है ,ठीक है चाचाजी?
चाचाजी "चाचाजी "शब्द सुनते ही सुन्न हो गए क्युकी इतने दिनों से बेटा बन के उसे जो वात्सल्य मिल रहा था उसको वो खो देगे इस डर से वो कांप जाते है, इतने मे शालिनी दुध का गिलास लेके खड़ी हो जाती है और उसे फेंकने के लिए जाने लगती है।
चाचाजी : नहीं...नहीं.. छोटी माँ, रुक जाए ,मुझसे भूल हो गई ,मुझे माफ़ कर दीजिए, लाइये मे पियेगा आप का दुध
शालिनी खुश होके वापिस मुड़ती है, क्युकी उसने जो भावनात्मक खेल चाचाजी से खेला था इसमे जीत गई क्युकी उसे कहीं डर भी था कि चाचाजी नहीं मानेंगे तो क्या होगा?
शालिनी : क्या सच मे आप पियेंगे?
चाचाजी : हाँ माँ ,आगे से कभी मुझे अपने से दूर ना करना ,आप जो कहेगी वो करूंगा।
शालिनी दुध का गिलास चाचाजी को देती है, चाचाजी गिलास को अपने मुँह से लगाए पीने लगते है और शालिनी उसके बालों मे हाथ घूमती है
अब ये रिश्ता कितना आगे बढ़ेगा और क्या क्या अनुभव होगे वो देखते है।
 

Deep989898

Member
378
145
43
Wah wah
 
Top