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Thank you sooo much dev61901 bhaifor new story
short story ha to puri hote hi review marenge
Awesome updateUPDATE 2
एक लड़की होटल के एक कमरे का दरवाजा खट खटाती है तभी एक लड़का दरवाजा खोल लड़की को देख...
लड़का – रेणु तुम यहां पर क्या कर रही हो...
रेणु – तुम मुझे बिना बताए बॉम्बे से गोवा क्यों आ गए कुमार....
कुमार – मै यहां निजी काम से आया हूँ लेकिन तुम यहां किस लिए आई हो और तुम्हे कैसे पता चला इस होटल के बारे में...
रेणु – बॉम्बे से जहां तुमने बस की टिकट बुक की थी उसका बिल मिला था मुझे घर पर और तुम्हारी डायरी से होटल का नंबर जिससे पाता चला मुझे तुम्हारे यहां होने के बारे में...
कुमार – लेकिन तुम इस कमरे मे कैसे आ गई....
रेणु – रिसेप्शन से पता चला मैने उन्हें कहा मै तुम्हारी बीवी हूँ...
कुमार – उफ्फ रेणु तुम्हे नहीं आना चाहिए था यहां पर...
रेणु – लेकिन क्यों कुमार आखिर क्यों बिना बताए तुम यहां आ गए गोवा में कौन सा ऐसा निजी काम आ गया तुम्हे....
कुमार – मै तुम्हे नहीं बता सकता अभी कुछ भी...
रेणु – (रोते हुए) उस दिवाली रात से तुम बहुत बदले बदले से लग रहे हो कुमार...
कुमार – दिवाली रात (रेणु की आंख में आसू देख) तुम्हारी आंख में आसू , रो मत रेणु मै वादा करता हूँ सही वक्त आने पर मै सबसे पहले तुम्हे ही बताऊंगा बात , खेर ये सब छोड़ो रात बहुत हो गई है तुम सो जाओ कल बात करते है...
अगले दिन सुबह के वक्त विक्रम जल्दी उठ के होटल की गैलरी में चक्कर लगा रहा था तभी एक कमरे से 3 लोग निकले और गलती से विक्रम उनसे टकरा गया जिस वजह से उन तीनों में एक आदमी जिसने हैट पहनी थी उसके सिर से गिर गई जिस वजह से विक्रम की नजर उस आदमी के सिर पर गई जहां उसके कुछ बाल सफेद थे तभी उनमें से एक आदमी गुस्से में विक्रम से बोला....
पहला आदमी – अंधा है क्या दिखता नहीं है क्या तुझे....
विक्रम – माफ करिए गा मुझे...
जिसके बाद पहला आदमी कुछ बोलता तभी उनका एक साथी उसे जल्दी से वहां से ले जाने लगा उनका तीसरा साथी अपनी हैट पहन के निकल गया उनके साथ तभी विक्रम चुपके से उन तीनों के पीछे जाने लगा चलते चलते वो तीनों होटल के पीछे बीच की तरफ जाने लगे एक दीवार को फांद के निकल गए तीनों जैसे ही विक्रम ने देखा वो भी उनके पीछे दीवार फांद गया लेकिन वहां विक्रम को तीनों में कोई ना दिखा जिसके बाद विक्रम वहां से वापस आके होटल में घूमने लगा कुछ समय बाद निकल आया अपने कमरे की तरफ कमरे में आते ही....
सुनीता – कहा चले गए थे तुम...
तब विक्रम ने सुनीता को जो हुआ वो बताया जिसके बाद...
सुनीता – अच्छा चलो नाश्ता करने चलते है बहुत भूख लगी है मुझे...
जिसके बाद दोनो होटल के नीचे बने लॉन में जहा एक छोटा सा स्विमिंग पूल बना हुआ था उसके पास बैठ के सब नाश्ता करने में लगे हुए थे वही विक्रम और सुनीता भी नाश्ता कर रहे थे इसके साथ विक्रम चारो तरफ अपनी नजरें घुमा रहा था तभी विक्रम की नजर अपने से कुछ दूर बैठे 2 लोगों पे नजर गई जिनसे विक्रम सुबह गलती से टकरा गया था लेकिन उनका तीसरा साथी नहीं था उनके साथ विक्रम अपनी टेबल से उठ उनके पास जाता तभी उन दोनों का तीसरा साथी की आवाज विक्रम के पीछे से आई जो कि होटल के एक कस्टमर से गलती से टकरा गया जिस वजह से उस कस्टमर का जूस का ग्लास उसकी शर्ट में गिर गया...
तीसरा आदमी– माफ करना गलती से हो गया ये सब...
कस्टमर –(गुस्से में तीसरे आदमी से) अबे अंधा है जो गलती से हो गया पूरी शर्ट खराब कर दी मेरी...
तीसरा आदमी– अजीब आदमी हो मैं शराफत से बात कर रहा हूँ आपसे और आप....
कस्टमर – भाड़ में गई शराफत तेरी...
बोल के कस्टमर तीसरे आदमी को हल्का धक्का दिया जिसे देख तीसरे आदमी उस कस्टमर को धक्का मारा जिस वजह से कस्टमर स्विमिंग पूल में गिर गया और तभी वहां बैठा होटल के बाकी कस्टमर की नजर उन दोनों पर गई तब....
सुनीता – (विक्रम को स्मिंग पुल की तरफ इशारा कर के) विक्रम वो देखो....
जैसे ही विक्रम ने स्विमिंग पूल पर देखा जहां पानी पर काला रंग बिखरा पड़ा था तभी विक्रम ने पुले पे गिरे कस्टमर को देखा पुल में गिरने की वजह से उसके आधे बाल सफेद दिख रहे थे तब....
विक्रम – (धीरे से सुनीता से) सुनीता इसका मतलब हमें जिसकी तलाश थी वो ये आदमी है जिसके आधे बाल सफेद है....
सुनीता – अब तुम क्या करोगे विक्रम....
विक्रम – अभी जाने दो इसे बाद में देखते है....
बोल के दोनो अपना नाश्ता करने लगे और बाकी के कस्टमर भी इस तरफ उस तीसरे आदमी के बाकी दोनों साथी आपने तीसरे साथी को वहां से जल्दी से घसीट के लेके निकल गए जबकि होटल के दूसरे फ्लोर की खिड़की से कुमार ये नजारा देख के...
कुमार – सफेद बाल इसका मतलब कही ये वही तो नहीं...
इसके बाद कुमार उस आधे सफेद बाल वाले पे नजर रखने लगता है वो आधे सफेद बाल वाला आदमी अपने कमरे में जाके वेटर को ऑर्डर देता है जिसके बाद वो कमरे का दरवाजा बंद कर देता है जबकि इस तरफ मुंबई से CBI OFFICER का कॉल आता है विक्रम के कमरे में....
CBI OFFICER – कैसे हो विक्रम...
विक्रम – हैलो सिर मै बिल्कुल ठीक हूँ....
CBI OFFICER – कोई जानकारी मिली तुम्हे....
विक्रम – कुछ खास नहीं सर....
CBI OFFICER –हम्ममम एक बात तुम्हे बतानी थी विक्रम पता नहीं वो तुम्हारे काम की है कि नहीं...
विक्रम – ऐसी क्या बात है सर....
CBI OFFICER –कल्पना के मर्डर के एक दिन पहले दिवाली की रात को एक लड़की को कल्पना के साथ देखा गया था....
विक्रम –लेकिन सर इस बात का इससे क्या ताल्लुख....
CBI OFFICER – जानकारी के मुताबिक उस लड़की को आखिरी बार कल्पना के साथ देखा गया था उसके बाद से उस लड़की जाने कहा गायब हो गई जबकि उसके दूसरे दिन कल्पना का मर्डर हो गया....
विक्रम – ओह वैसे उस लड़की का क्या नाम था....
CBI OFFICER – मेरे लोग पता लगा रहे है शायद उस लड़की के बारे में सिर्फ कल्पना जानती थी....
विक्रम – हम्ममम ठीक है सर जैसे मुझे कोई जानकारी मिलती है आपको इनफॉर्म करता हूँ मैं...
CBI – ठीक है....
बोल के कॉल कट कर दिया दोनो ने लेकिन इन दोनों को ये नहीं पता था कि ठाकुर वीर सिंह जो होटल का मालिक है वो दूसरे फोन से इनकी सारी बाते सुन रहा था इनके कॉल कट करते ही उसने भी फोन का रिसीवर रख दिया उसके बाद ठाकुर वीर ने अपने होटल के स्टाफ को समझा दिया था कि किसी तरह होटल में ये बात फैला दे कि होटल में पुलिस है जिसके बाद होटल के डिस्को में कई लोग आपस में बात करने लगे पुलिस के होटल में होने की धीरे धीरे ये बात पूरे होटल में आग को तरह फैल गई एक कमरे में वो तीनों आदमी बैठ के आपस में बात कर रहे थे...
पहला आदमी – सुना तुम लोगो ने होटल में पुलिस आ गई है अब क्या करे...
दूसरा आदमी – अब क्या होगा यार कैसे हम अपना काम करेंगे....
तीसरा आदमी – तुझे काम की लगी है मुझे लग रहा है कही पुलिस हमारे लिए तो नहीं आई यहां पर....
दूसरा आदमी – देखो हमारा एक साथी पहले ही मारा जा चुका है मुंबई में हमें किसी तरह जल्दी अपने काम को खत्म कर निकलना होगा गोवा से...
पहला आदमी – लेकिन कैसे करेंगे यार अपने काम को...
तीसरा आदमी – एक काम करते है दिन के वक्त बीच पर कोई नहीं जाता है तेज धूप के कारण उसी वक्त हम अपना काम करके निकल जाएंगे गोवा से...
पहला आदमी – हा यही सही रहेगा...
जबकि इस तरफ कुमार के कमरे में....
रेणु – कुमार ये होटल में पुलिस किस लिए आई होगी कुछ हुआ है क्या होटल में....
कुमार – पता नहीं रेणु मैने भी सुना पुलिस के होटल में होने के बारे में....
रेणु – कुमार हम शादी कब करेंगे...
कुमार – रेणु मैने तुमसे कहा था ना अभी नहीं कर सकते हम शादी....
रेणु – आखिर क्यों कुमार ऐसी क्या बात है जो तुम मुझे बता नहीं रहे हो क्या मुझमें कोई कमी है....
कुमार – नहीं रेणु तुममें कोई कमी नहीं है बस ये समझ लो मै मजबूर हूँ और इस बारे में मै अभी कुछ नहीं बता सकता तुम्हे थोड़ा इंतजार करो तुम....
रेणु –(रोते हुए) बस इंतजार ही कर रही हूँ तब से लेकिन तुम....
कुमार – रो मत रेणु मै वादा करता हूँ जल्दी ही हम यहां से निकल के शादी कर अपने घर में होगे एक साथ हमेशा के लिए...
बोल के कुमार ने रेणु को गले लगा लिया दूसरी तरफ रात के वक्त जब सभी होटल के कस्टमर खाना खा के अपने कमरे में आराम कर रहे थे तभी विक्रम जाता है ठाकुर वीर के पास वहां जाके...
विक्रम – होटल में सबको कैसे पता चला पुलिस के होने का....
ठाकुर वीर सिंह – ये बात तो मुझे आपसे पूछनी चाहिए विक्रम साहब....
विक्रम – आप मुझसे पूछ रहे है जबकि आपके इलावा किसी को ये नहीं पता था पुलिस के यहां होने के बारे में...
ठाकुर वीर सिंह – एक होशियार और अक्लमंद ऑफिसर होने के बाद आप बेअकली की बात कर रहे है आप क्या चाहते है मै लोगो के पास जाके ये बोलता फिरू कि मुम्बई में एक मर्डर हुआ है जिसकी तहकीकात के लिए एक ऑफिसर यहां आया है , नहीं विक्रम साहब अपना धंधा चौपट कराने का कोई शौक नहीं है मुझे...
जिसके बाद विक्रम गुस्से में वहां से निकल अपने कमरे में जाता है जहां कमरे में विक्रम ने सुनीता को नाइट गाऊन पहना के तैयार कर दिया था...
विक्रम –(सुनीता को नाइट गाऊन में चारो तरफ से देखते हुए) एक काम करो गाऊन को दोनों कंधे से नीचे करो...
सुनीता – (ना में सिर हिलाते हुए) नहीं पहले प्लीज बोलो...
विक्रम – अच्छा बाबा प्लीज...
गाऊन को दोनों कंधों से हल्का नीचे कर दिया...
विक्रम – हम्ममम सही है अब एक काम करो कमरा नंबर 290 में जाओ....
सुनीता – वहां क्यों...
विक्रम – रिसेप्शन के रजिस्टर से मुझे पता चला उस कमरे में आधे सफेद बाल वाले आदमी का नाम नाम कौशल है तुम किसी तरह उसके कमरे में चली जाओ मै 2 मिनिट बाद उसके कमरे में कॉल करूंगा जिसके बाद अगर घबरा के उसने कोई ऐसी वैसी हरकत की तुम तुरंत मुझे आके बताना ठीक है....
सुनीता – और अगर जैसा तुम बोल रहे हो वैसा कुछ ना हुआ तो....
विक्रम – कॉल करने के बाद मैं उसके कमरे के बाहर आ जाऊंगा अगर मेरा प्लान काम नहीं किया तो मैं कमरे का दरवाजा नॉक करूंगा और कमरे में आके तुम्हे मना के ले जाऊंगा ठीक है...
सुनीता – ठीक है...
विक्रम – चलो जाओ अब जल्दी से उसके कमरे में....
सुनीता – (मुस्कुरा के) पहले प्लीज बोलो...
विक्रम – उफ्फ फ़ो प्लीज....
सुनीता मुस्कुरा के जाने लगी कमरे के बाहर आते ही....
विक्रम – (सुनीता से) BEST OF LUCK....
जिसके बाद सुनीता सीधे कौशल के कमरे के बाहर आ गई और दरवाजा नॉक किया उसी वक्त कमरे में कौशल अपने बालों में डाई लगा रहा था दरवाजे पे नॉक सुन खोल के सामने सुनीता को देख...
कौशल – जी आप कौन....
कौशल की बात सुन सुनीता रोने का नाटक करने लगी जिसे देख....
कौशल – अरे क्या हुआ आप रो क्यों रही हो....
सुनीता – क्या मै आज रात आपके कमरे में रह जाऊं...
कौशल – (सुनीता को सिर से पाव तक देख) रात क्या आप चाहो तो हमेशा के लिए रह जाओ मेरे कमरे में आइये अन्दर...
जिसके बाद सुनीता कमरे के अन्दर आ गई उसी वक्त कौशल कमरे का दरवाजा बंद कर रहा था तभी होटल का वेटर आया....
वेटर – साहब आपका पानी की बॉटल...
कौशल – (वेटर को कमरे के बाहर से ही भागते हुए) अबे तू क्यों अन्दर आ रहा है जा यहां से....
वेटर – सर पानी....
जिसके बाद कौशल ने बिना वेटर की बात सुन दरवाजा बंद कर दिया....
वेटर – (कमरे के बाहर से ही) लगता है आज साहेब की लॉटरी लग गई...
बोल के हस्ते हुए वेटर वहां से चला गया जबकि कमरे के अन्दर....
सुनीता – मै कहा बैठूं...
कौशल – जहा चाहे वहां बैठ जाओ...
सुनीता हल्का मुस्कुरा के ना में सिर हिलती है जिसे देख...
कौशल – फिर कहा (मुस्कुरा के) मेरे दिल में...
सुनीता फिर से हल्का मुस्कुरा के ना में सिर हिलती है जिसके बाद....
कौशल – (मुस्कुरा के) मेरी बाहों में...
सुनीता –(मुस्कुर के बेड में बैठते हुए) यहां बैठूंगी...
कौशल मुस्कुरा के सुनीता के पास आके गले लगाने की कोशिश करते है और बोलता है...
कौशल – बताइए मै क्या कर सकता हूँ आपके सिर को दबा दूं या आपके कमर को नहीं मै आपके पैर दबाता...
बोल के कौशल नीचे होते हुए सुनीता के पैर दबाने जाता है के तभी टेलीफोन को घंटी बजती है जिसे के बाद...
कौशल – (गुस्से में) इसे भी अभी बजाना था (कॉल रिसीव करके) कौन है...
विक्रम –(फोन पे रुमाल लगा के) हैलो कौन बोल रहा है....
कौशल – मै कौशल बोल रहा हूँ...
विक्रम – (आवाज बदल के) हैलो कौशल मै खन्ना बोल रहा हूँ....
कौशल – हा खन्ना बोलो....
विक्रम – तुमने सब गड़बड़ कर दी आज स्विमिंग पुल पर जो हादसा हुआ उससे तुम्हारे सिर से कला रंग निकल गया और किसी ने तुम्हे पहचान लिया है....
कौशल –(घबरा के) ये क्या बोल रहे हो अब मैं क्या करू मै मर जाऊंगा...
विक्रम –(आवाज बदल के) अपनी पहचान के सारे सबूत छिपा दो तुम जल्दी से...
कौशल – (घबरा के) हा मै अभी करता हूँ...
बोल के कॉल कट कर दिया कौशल ने इस तरफ विक्रम ने मुस्कुराते हुए फोन रख दिया इस तरफ कौशल के कमरे में....
कौशल – (सुनीता से) तुम एक काम करो जाओ कमरे से...
बोल सुनीता का हाथ पकड़ के कमरे से बाहर कर दरवाजा बंद कर दिया जिसके बाद सुनीता तुरंत अपने कमरे में चली गई कमरे में आते ही....
सुनीता – विक्रम तुम्हारा प्लान काम कर गया कौशल घबरा गया कॉल आने से...
विक्रम – (मुस्कुराते हुए) VERY GOOD चलो अब आराम से सो जाओ कल सुबह का इंतजार करते है आज रात कौशल कोई ना कोई गलती जरूर करेगा जल्दी बाजी में....
ये दोनो इस बात से अंजान की कौशल अपने कमरे में अपनी पहचान के सारे सबूत लेके कमरे से बाहर निकल जाता है नीचे होटल के गार्डन के पास एक पेड़ के नीचे मिट्टी खोदने लगता है जबकि एक कोने में छुप के कुमार गोर से कौशल को देख रहा होता है तभी कौशल अपनी जेब से कुछ कागज निकाल के खड्डे में छिपा के मिट्टी डाल बंद करके निकल जाता है उसके जाने के बाद कुमार उसी गड्ढे में से उस कागज को निकाल के पढ़ता है जिसमें कौशल का नाम लिखा होता है जिसे पढ़ के...
कुमार –(गुस्से में कागज को मुट्ठी में दबा के) तो ये है कौशल अब तू नहीं बचेगा मेरे हाथों से....
जबकि इस तरफ कौशल गार्डेन के साथ बनी गैलरी से होटल के हॉल की तरफ जा रहा होता है तभी बीच में एक पेड़ के पीछे से वही काले कपड़ों में आदमी रस्सी को कौशल की गर्दन में डाल के उसे लटकाने लगता है जिसके बाद कुछ सेकंड में कौशल तड़प तड़प कर अपना दम तोड़ देता है तभी वो काले कपड़ों वाला आदमी कौशल की लाश वही लटका के निकल जाता है अगले दिन सुबह के वक्त होटल के कई कस्टमर मॉर्निंग वॉक कर रहे थे तभी एक लड़की के चिल्लाने की आवाज आई जिसे सुन बाकी के लोग वहा इकट्ठे हो गए जहां पर सभी की नजर पेड़ पे लटके कौशल की लाश पर गई तब होटल के स्टाफ ने होटल मालिक ठाकुर वीर सिंग को बताया जिसके बाद ठाकुर वीर ने गोवा पुलिस कमिश्नर को बुलाया जब पुलिस वहां आई उस वक्त होटल से बाकी कई लोग भी आ गए थे जिसमें विक्रम , सुनीता , कुमार , रेणु , UNKNOWN और वो तीन लोग भी थे जो पेड़ में लटकी कौशल की लाश को देख रहे थे तब....
कमिश्नर –(ठाकुर वीर सिंह से) ठाकुर साहब मै चाहता हूँ आप अपने होटल के सभी कस्टमर को हॉल में इकठ्ठा करे मुझे कुछ जरूरी बात कहनी है....
जिसके बाद सभी होटल के मेन हाल में आ जाते है तब...
गोवा कमिश्नर – हैलो लेडीज एंड जेंटलमैन मैं गोवा का कमिश्नर हूँ मेरा नाम थापा है जैसा आप जानते है कल रात होटल में एक कत्ल हुआ है सो प्लीज आप सभी से रिक्वेस्ट है कि आप सभी होटल को छोड़ के कही ना जाए ताकि कातिल का पता लगाया जा सके थैंक्यू...
जिसके बाद सभी कस्टमर अपने कमरे में जाने लगे तभी...
ठाकुर वीर सिंह – (थापा से) कमिश्नर साहब ये मेरे होटल का वेटर है इसने कल रात को आखिरी बार कौशल को देख था...
थापा – (वेटर से) तुमने कल रात को क्या देख मुझे सारी बात बताओ...
वेटर – सर कल रात मै पानी देने गया था कौशल साहब के कमरे में लेकिन उन्होंने मुझे बाहर से भगा दिया....
थापा – ऐसा क्यों किया कौशल ने...
वेटर – वो कल रात को उनके कमरे में सुनीता मैडम थी....
थापा – कौन है ये सुनीता....
वेटर – जी वो विक्रम साहब की बीवी है....
थापा – क्या मतलब सुनीता शादीशुदा है लेकिन कौशल के कमरे में क्या काम उसे , ठीक है ये विक्रम साहब कहा मिलेंगे मुझे....
वेटर – आइए सर मै आपको ले चलता ही उनके पास...
बोल के वेटर कमिश्नर थापा को विक्रम के पास ले जाने लगा तभी होटल की गैलरी में विक्रम मिल जाता है जिसे देख....
वेटर – (विक्रम को रोक के) एक मिनिट विक्रम साहब (कमिश्नर थापा से) सर यही है विक्रम साहब....
थापा – (विक्रम से हाथ मिलाते हुए) हैलो मिस्टर विक्रम मेरा नाम थापा है गोवा कमिश्नर...
विक्रम – हैलो थापा साहब (वेटर से) ठीक है अब तुम जाओ मैं बात करता हूँ...
वेटर के जाने के बाद....
विक्रम – (अपना I CARD दिखा के) थापा साहब मै मुंबई से CBI OFFICER हूँ यहां गोवा में एक मर्डर केस के सिलसिले में आया हुआ हूँ...
कमिश्नर थापा – Oh I SEE NICE TO MEET YOU मुझे मुंबई से CBI हेडक्वार्टर्स से कॉल आया था उन्होंने आपके बारे में बताया था मुझे , आइए काफी पीते हुए बात करते है....
दोनो होटल के रेस्टोरेंट में जाके काफी पीते हुए बात करने लगे...
थापा – तो मिस्टर विक्रम बताइए आपकी इंक्वायरी कहा तक पहुंची....
विक्रम – सर पहले तो आप मुझे सिर्फ विक्रम बुलाइए यहां होटल में मै पुलिस हूँ ये किसी को नहीं पता है रही बात केस की तो सिर्फ कुछ लोगों पे शक है मुझे....
थापा – हम्ममम अगर मुझसे कोई मदद हो सके तो बताइए मुझे....
विक्रम – सर आप होटल में सबकी इंक्वायरी जरूर करेंगे...
थापा – बिल्कुल ये नॉर्मल प्रोसिजर है....
विक्रम – जी मुझे आपसे इसमें मदद की जरूरत पड़ेगी...
थापा – बताए कैसी मदद चाहिए आपको....
उसके बाद विक्रम कमिश्नर थापा को उन तीन लोगों के बारे में बताता है साथ में कुमार और उस चारो की पहचान के बारे में बताता है और ये भी की मुंबई से तीन लोग यहां आए हुए है लेकिन वो कौन है क्या नाम है उनका ये पता लगाने की बात करता है विक्रम जिसे सुन....
थापा – ओके विक्रम मै जल्द से जल्द इस सब के बारे में पता करके आपको इनफॉर्म करूंगा....
विक्रम – थापा साहब आप प्लीज ये बात सिर्फ मुझे बताइए गा और प्लीज पर्सनली बताइएगा मुझे कॉल पर नहीं...
थापा – ठीक है विक्रम...
बोल के दोनो निकल जाते है जहां पर कौशल की लाश को पेड़ से होटल के स्टाफ के लोग उतार रहे थे जिसके बाद कौशल की लाश को अपने साथियों के साथ थापा लेके निकल गया जबकि विक्रम पेड़ के आस पास देख रहा था तभी विक्रम की नजर घास में पड़े लाइटर पर गई गोर से देखने पर विक्रम को उस लाइटर में कुमार का नाम लिखा दिखाई दिया
विक्रम – हम्ममम कुमार (बोल के अपनी जेब में लाइटर रख दिया)
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जारी रहेगा![]()
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Bahut hi shaandar update diya hai DEVIL MAXIMUM bhai....UPDATE 2
एक लड़की होटल के एक कमरे का दरवाजा खट खटाती है तभी एक लड़का दरवाजा खोल लड़की को देख...
लड़का – रेणु तुम यहां पर क्या कर रही हो...
रेणु – तुम मुझे बिना बताए बॉम्बे से गोवा क्यों आ गए कुमार....
कुमार – मै यहां निजी काम से आया हूँ लेकिन तुम यहां किस लिए आई हो और तुम्हे कैसे पता चला इस होटल के बारे में...
रेणु – बॉम्बे से जहां तुमने बस की टिकट बुक की थी उसका बिल मिला था मुझे घर पर और तुम्हारी डायरी से होटल का नंबर जिससे पाता चला मुझे तुम्हारे यहां होने के बारे में...
कुमार – लेकिन तुम इस कमरे मे कैसे आ गई....
रेणु – रिसेप्शन से पता चला मैने उन्हें कहा मै तुम्हारी बीवी हूँ...
कुमार – उफ्फ रेणु तुम्हे नहीं आना चाहिए था यहां पर...
रेणु – लेकिन क्यों कुमार आखिर क्यों बिना बताए तुम यहां आ गए गोवा में कौन सा ऐसा निजी काम आ गया तुम्हे....
कुमार – मै तुम्हे नहीं बता सकता अभी कुछ भी...
रेणु – (रोते हुए) उस दिवाली रात से तुम बहुत बदले बदले से लग रहे हो कुमार...
कुमार – दिवाली रात (रेणु की आंख में आसू देख) तुम्हारी आंख में आसू , रो मत रेणु मै वादा करता हूँ सही वक्त आने पर मै सबसे पहले तुम्हे ही बताऊंगा बात , खेर ये सब छोड़ो रात बहुत हो गई है तुम सो जाओ कल बात करते है...
अगले दिन सुबह के वक्त विक्रम जल्दी उठ के होटल की गैलरी में चक्कर लगा रहा था तभी एक कमरे से 3 लोग निकले और गलती से विक्रम उनसे टकरा गया जिस वजह से उन तीनों में एक आदमी जिसने हैट पहनी थी उसके सिर से गिर गई जिस वजह से विक्रम की नजर उस आदमी के सिर पर गई जहां उसके कुछ बाल सफेद थे तभी उनमें से एक आदमी गुस्से में विक्रम से बोला....
पहला आदमी – अंधा है क्या दिखता नहीं है क्या तुझे....
विक्रम – माफ करिए गा मुझे...
जिसके बाद पहला आदमी कुछ बोलता तभी उनका एक साथी उसे जल्दी से वहां से ले जाने लगा उनका तीसरा साथी अपनी हैट पहन के निकल गया उनके साथ तभी विक्रम चुपके से उन तीनों के पीछे जाने लगा चलते चलते वो तीनों होटल के पीछे बीच की तरफ जाने लगे एक दीवार को फांद के निकल गए तीनों जैसे ही विक्रम ने देखा वो भी उनके पीछे दीवार फांद गया लेकिन वहां विक्रम को तीनों में कोई ना दिखा जिसके बाद विक्रम वहां से वापस आके होटल में घूमने लगा कुछ समय बाद निकल आया अपने कमरे की तरफ कमरे में आते ही....
सुनीता – कहा चले गए थे तुम...
तब विक्रम ने सुनीता को जो हुआ वो बताया जिसके बाद...
सुनीता – अच्छा चलो नाश्ता करने चलते है बहुत भूख लगी है मुझे...
जिसके बाद दोनो होटल के नीचे बने लॉन में जहा एक छोटा सा स्विमिंग पूल बना हुआ था उसके पास बैठ के सब नाश्ता करने में लगे हुए थे वही विक्रम और सुनीता भी नाश्ता कर रहे थे इसके साथ विक्रम चारो तरफ अपनी नजरें घुमा रहा था तभी विक्रम की नजर अपने से कुछ दूर बैठे 2 लोगों पे नजर गई जिनसे विक्रम सुबह गलती से टकरा गया था लेकिन उनका तीसरा साथी नहीं था उनके साथ विक्रम अपनी टेबल से उठ उनके पास जाता तभी उन दोनों का तीसरा साथी की आवाज विक्रम के पीछे से आई जो कि होटल के एक कस्टमर से गलती से टकरा गया जिस वजह से उस कस्टमर का जूस का ग्लास उसकी शर्ट में गिर गया...
तीसरा आदमी– माफ करना गलती से हो गया ये सब...
कस्टमर –(गुस्से में तीसरे आदमी से) अबे अंधा है जो गलती से हो गया पूरी शर्ट खराब कर दी मेरी...
तीसरा आदमी– अजीब आदमी हो मैं शराफत से बात कर रहा हूँ आपसे और आप....
कस्टमर – भाड़ में गई शराफत तेरी...
बोल के कस्टमर तीसरे आदमी को हल्का धक्का दिया जिसे देख तीसरे आदमी उस कस्टमर को धक्का मारा जिस वजह से कस्टमर स्विमिंग पूल में गिर गया और तभी वहां बैठा होटल के बाकी कस्टमर की नजर उन दोनों पर गई तब....
सुनीता – (विक्रम को स्मिंग पुल की तरफ इशारा कर के) विक्रम वो देखो....
जैसे ही विक्रम ने स्विमिंग पूल पर देखा जहां पानी पर काला रंग बिखरा पड़ा था तभी विक्रम ने पुले पे गिरे कस्टमर को देखा पुल में गिरने की वजह से उसके आधे बाल सफेद दिख रहे थे तब....
विक्रम – (धीरे से सुनीता से) सुनीता इसका मतलब हमें जिसकी तलाश थी वो ये आदमी है जिसके आधे बाल सफेद है....
सुनीता – अब तुम क्या करोगे विक्रम....
विक्रम – अभी जाने दो इसे बाद में देखते है....
बोल के दोनो अपना नाश्ता करने लगे और बाकी के कस्टमर भी इस तरफ उस तीसरे आदमी के बाकी दोनों साथी आपने तीसरे साथी को वहां से जल्दी से घसीट के लेके निकल गए जबकि होटल के दूसरे फ्लोर की खिड़की से कुमार ये नजारा देख के...
कुमार – सफेद बाल इसका मतलब कही ये वही तो नहीं...
इसके बाद कुमार उस आधे सफेद बाल वाले पे नजर रखने लगता है वो आधे सफेद बाल वाला आदमी अपने कमरे में जाके वेटर को ऑर्डर देता है जिसके बाद वो कमरे का दरवाजा बंद कर देता है जबकि इस तरफ मुंबई से CBI OFFICER का कॉल आता है विक्रम के कमरे में....
CBI OFFICER – कैसे हो विक्रम...
विक्रम – हैलो सिर मै बिल्कुल ठीक हूँ....
CBI OFFICER – कोई जानकारी मिली तुम्हे....
विक्रम – कुछ खास नहीं सर....
CBI OFFICER –हम्ममम एक बात तुम्हे बतानी थी विक्रम पता नहीं वो तुम्हारे काम की है कि नहीं...
विक्रम – ऐसी क्या बात है सर....
CBI OFFICER –कल्पना के मर्डर के एक दिन पहले दिवाली की रात को एक लड़की को कल्पना के साथ देखा गया था....
विक्रम –लेकिन सर इस बात का इससे क्या ताल्लुख....
CBI OFFICER – जानकारी के मुताबिक उस लड़की को आखिरी बार कल्पना के साथ देखा गया था उसके बाद से उस लड़की जाने कहा गायब हो गई जबकि उसके दूसरे दिन कल्पना का मर्डर हो गया....
विक्रम – ओह वैसे उस लड़की का क्या नाम था....
CBI OFFICER – मेरे लोग पता लगा रहे है शायद उस लड़की के बारे में सिर्फ कल्पना जानती थी....
विक्रम – हम्ममम ठीक है सर जैसे मुझे कोई जानकारी मिलती है आपको इनफॉर्म करता हूँ मैं...
CBI – ठीक है....
बोल के कॉल कट कर दिया दोनो ने लेकिन इन दोनों को ये नहीं पता था कि ठाकुर वीर सिंह जो होटल का मालिक है वो दूसरे फोन से इनकी सारी बाते सुन रहा था इनके कॉल कट करते ही उसने भी फोन का रिसीवर रख दिया उसके बाद ठाकुर वीर ने अपने होटल के स्टाफ को समझा दिया था कि किसी तरह होटल में ये बात फैला दे कि होटल में पुलिस है जिसके बाद होटल के डिस्को में कई लोग आपस में बात करने लगे पुलिस के होटल में होने की धीरे धीरे ये बात पूरे होटल में आग को तरह फैल गई एक कमरे में वो तीनों आदमी बैठ के आपस में बात कर रहे थे...
पहला आदमी – सुना तुम लोगो ने होटल में पुलिस आ गई है अब क्या करे...
दूसरा आदमी – अब क्या होगा यार कैसे हम अपना काम करेंगे....
तीसरा आदमी – तुझे काम की लगी है मुझे लग रहा है कही पुलिस हमारे लिए तो नहीं आई यहां पर....
दूसरा आदमी – देखो हमारा एक साथी पहले ही मारा जा चुका है मुंबई में हमें किसी तरह जल्दी अपने काम को खत्म कर निकलना होगा गोवा से...
पहला आदमी – लेकिन कैसे करेंगे यार अपने काम को...
तीसरा आदमी – एक काम करते है दिन के वक्त बीच पर कोई नहीं जाता है तेज धूप के कारण उसी वक्त हम अपना काम करके निकल जाएंगे गोवा से...
पहला आदमी – हा यही सही रहेगा...
जबकि इस तरफ कुमार के कमरे में....
रेणु – कुमार ये होटल में पुलिस किस लिए आई होगी कुछ हुआ है क्या होटल में....
कुमार – पता नहीं रेणु मैने भी सुना पुलिस के होटल में होने के बारे में....
रेणु – कुमार हम शादी कब करेंगे...
कुमार – रेणु मैने तुमसे कहा था ना अभी नहीं कर सकते हम शादी....
रेणु – आखिर क्यों कुमार ऐसी क्या बात है जो तुम मुझे बता नहीं रहे हो क्या मुझमें कोई कमी है....
कुमार – नहीं रेणु तुममें कोई कमी नहीं है बस ये समझ लो मै मजबूर हूँ और इस बारे में मै अभी कुछ नहीं बता सकता तुम्हे थोड़ा इंतजार करो तुम....
रेणु –(रोते हुए) बस इंतजार ही कर रही हूँ तब से लेकिन तुम....
कुमार – रो मत रेणु मै वादा करता हूँ जल्दी ही हम यहां से निकल के शादी कर अपने घर में होगे एक साथ हमेशा के लिए...
बोल के कुमार ने रेणु को गले लगा लिया दूसरी तरफ रात के वक्त जब सभी होटल के कस्टमर खाना खा के अपने कमरे में आराम कर रहे थे तभी विक्रम जाता है ठाकुर वीर के पास वहां जाके...
विक्रम – होटल में सबको कैसे पता चला पुलिस के होने का....
ठाकुर वीर सिंह – ये बात तो मुझे आपसे पूछनी चाहिए विक्रम साहब....
विक्रम – आप मुझसे पूछ रहे है जबकि आपके इलावा किसी को ये नहीं पता था पुलिस के यहां होने के बारे में...
ठाकुर वीर सिंह – एक होशियार और अक्लमंद ऑफिसर होने के बाद आप बेअकली की बात कर रहे है आप क्या चाहते है मै लोगो के पास जाके ये बोलता फिरू कि मुम्बई में एक मर्डर हुआ है जिसकी तहकीकात के लिए एक ऑफिसर यहां आया है , नहीं विक्रम साहब अपना धंधा चौपट कराने का कोई शौक नहीं है मुझे...
जिसके बाद विक्रम गुस्से में वहां से निकल अपने कमरे में जाता है जहां कमरे में विक्रम ने सुनीता को नाइट गाऊन पहना के तैयार कर दिया था...
विक्रम –(सुनीता को नाइट गाऊन में चारो तरफ से देखते हुए) एक काम करो गाऊन को दोनों कंधे से नीचे करो...
सुनीता – (ना में सिर हिलाते हुए) नहीं पहले प्लीज बोलो...
विक्रम – अच्छा बाबा प्लीज...
गाऊन को दोनों कंधों से हल्का नीचे कर दिया...
विक्रम – हम्ममम सही है अब एक काम करो कमरा नंबर 290 में जाओ....
सुनीता – वहां क्यों...
विक्रम – रिसेप्शन के रजिस्टर से मुझे पता चला उस कमरे में आधे सफेद बाल वाले आदमी का नाम नाम कौशल है तुम किसी तरह उसके कमरे में चली जाओ मै 2 मिनिट बाद उसके कमरे में कॉल करूंगा जिसके बाद अगर घबरा के उसने कोई ऐसी वैसी हरकत की तुम तुरंत मुझे आके बताना ठीक है....
सुनीता – और अगर जैसा तुम बोल रहे हो वैसा कुछ ना हुआ तो....
विक्रम – कॉल करने के बाद मैं उसके कमरे के बाहर आ जाऊंगा अगर मेरा प्लान काम नहीं किया तो मैं कमरे का दरवाजा नॉक करूंगा और कमरे में आके तुम्हे मना के ले जाऊंगा ठीक है...
सुनीता – ठीक है...
विक्रम – चलो जाओ अब जल्दी से उसके कमरे में....
सुनीता – (मुस्कुरा के) पहले प्लीज बोलो...
विक्रम – उफ्फ फ़ो प्लीज....
सुनीता मुस्कुरा के जाने लगी कमरे के बाहर आते ही....
विक्रम – (सुनीता से) BEST OF LUCK....
जिसके बाद सुनीता सीधे कौशल के कमरे के बाहर आ गई और दरवाजा नॉक किया उसी वक्त कमरे में कौशल अपने बालों में डाई लगा रहा था दरवाजे पे नॉक सुन खोल के सामने सुनीता को देख...
कौशल – जी आप कौन....
कौशल की बात सुन सुनीता रोने का नाटक करने लगी जिसे देख....
कौशल – अरे क्या हुआ आप रो क्यों रही हो....
सुनीता – क्या मै आज रात आपके कमरे में रह जाऊं...
कौशल – (सुनीता को सिर से पाव तक देख) रात क्या आप चाहो तो हमेशा के लिए रह जाओ मेरे कमरे में आइये अन्दर...
जिसके बाद सुनीता कमरे के अन्दर आ गई उसी वक्त कौशल कमरे का दरवाजा बंद कर रहा था तभी होटल का वेटर आया....
वेटर – साहब आपका पानी की बॉटल...
कौशल – (वेटर को कमरे के बाहर से ही भागते हुए) अबे तू क्यों अन्दर आ रहा है जा यहां से....
वेटर – सर पानी....
जिसके बाद कौशल ने बिना वेटर की बात सुन दरवाजा बंद कर दिया....
वेटर – (कमरे के बाहर से ही) लगता है आज साहेब की लॉटरी लग गई...
बोल के हस्ते हुए वेटर वहां से चला गया जबकि कमरे के अन्दर....
सुनीता – मै कहा बैठूं...
कौशल – जहा चाहे वहां बैठ जाओ...
सुनीता हल्का मुस्कुरा के ना में सिर हिलती है जिसे देख...
कौशल – फिर कहा (मुस्कुरा के) मेरे दिल में...
सुनीता फिर से हल्का मुस्कुरा के ना में सिर हिलती है जिसके बाद....
कौशल – (मुस्कुरा के) मेरी बाहों में...
सुनीता –(मुस्कुर के बेड में बैठते हुए) यहां बैठूंगी...
कौशल मुस्कुरा के सुनीता के पास आके गले लगाने की कोशिश करते है और बोलता है...
कौशल – बताइए मै क्या कर सकता हूँ आपके सिर को दबा दूं या आपके कमर को नहीं मै आपके पैर दबाता...
बोल के कौशल नीचे होते हुए सुनीता के पैर दबाने जाता है के तभी टेलीफोन को घंटी बजती है जिसे के बाद...
कौशल – (गुस्से में) इसे भी अभी बजाना था (कॉल रिसीव करके) कौन है...
विक्रम –(फोन पे रुमाल लगा के) हैलो कौन बोल रहा है....
कौशल – मै कौशल बोल रहा हूँ...
विक्रम – (आवाज बदल के) हैलो कौशल मै खन्ना बोल रहा हूँ....
कौशल – हा खन्ना बोलो....
विक्रम – तुमने सब गड़बड़ कर दी आज स्विमिंग पुल पर जो हादसा हुआ उससे तुम्हारे सिर से कला रंग निकल गया और किसी ने तुम्हे पहचान लिया है....
कौशल –(घबरा के) ये क्या बोल रहे हो अब मैं क्या करू मै मर जाऊंगा...
विक्रम –(आवाज बदल के) अपनी पहचान के सारे सबूत छिपा दो तुम जल्दी से...
कौशल – (घबरा के) हा मै अभी करता हूँ...
बोल के कॉल कट कर दिया कौशल ने इस तरफ विक्रम ने मुस्कुराते हुए फोन रख दिया इस तरफ कौशल के कमरे में....
कौशल – (सुनीता से) तुम एक काम करो जाओ कमरे से...
बोल सुनीता का हाथ पकड़ के कमरे से बाहर कर दरवाजा बंद कर दिया जिसके बाद सुनीता तुरंत अपने कमरे में चली गई कमरे में आते ही....
सुनीता – विक्रम तुम्हारा प्लान काम कर गया कौशल घबरा गया कॉल आने से...
विक्रम – (मुस्कुराते हुए) VERY GOOD चलो अब आराम से सो जाओ कल सुबह का इंतजार करते है आज रात कौशल कोई ना कोई गलती जरूर करेगा जल्दी बाजी में....
ये दोनो इस बात से अंजान की कौशल अपने कमरे में अपनी पहचान के सारे सबूत लेके कमरे से बाहर निकल जाता है नीचे होटल के गार्डन के पास एक पेड़ के नीचे मिट्टी खोदने लगता है जबकि एक कोने में छुप के कुमार गोर से कौशल को देख रहा होता है तभी कौशल अपनी जेब से कुछ कागज निकाल के खड्डे में छिपा के मिट्टी डाल बंद करके निकल जाता है उसके जाने के बाद कुमार उसी गड्ढे में से उस कागज को निकाल के पढ़ता है जिसमें कौशल का नाम लिखा होता है जिसे पढ़ के...
कुमार –(गुस्से में कागज को मुट्ठी में दबा के) तो ये है कौशल अब तू नहीं बचेगा मेरे हाथों से....
जबकि इस तरफ कौशल गार्डेन के साथ बनी गैलरी से होटल के हॉल की तरफ जा रहा होता है तभी बीच में एक पेड़ के पीछे से वही काले कपड़ों में आदमी रस्सी को कौशल की गर्दन में डाल के उसे लटकाने लगता है जिसके बाद कुछ सेकंड में कौशल तड़प तड़प कर अपना दम तोड़ देता है तभी वो काले कपड़ों वाला आदमी कौशल की लाश वही लटका के निकल जाता है अगले दिन सुबह के वक्त होटल के कई कस्टमर मॉर्निंग वॉक कर रहे थे तभी एक लड़की के चिल्लाने की आवाज आई जिसे सुन बाकी के लोग वहा इकट्ठे हो गए जहां पर सभी की नजर पेड़ पे लटके कौशल की लाश पर गई तब होटल के स्टाफ ने होटल मालिक ठाकुर वीर सिंग को बताया जिसके बाद ठाकुर वीर ने गोवा पुलिस कमिश्नर को बुलाया जब पुलिस वहां आई उस वक्त होटल से बाकी कई लोग भी आ गए थे जिसमें विक्रम , सुनीता , कुमार , रेणु , UNKNOWN और वो तीन लोग भी थे जो पेड़ में लटकी कौशल की लाश को देख रहे थे तब....
कमिश्नर –(ठाकुर वीर सिंह से) ठाकुर साहब मै चाहता हूँ आप अपने होटल के सभी कस्टमर को हॉल में इकठ्ठा करे मुझे कुछ जरूरी बात कहनी है....
जिसके बाद सभी होटल के मेन हाल में आ जाते है तब...
गोवा कमिश्नर – हैलो लेडीज एंड जेंटलमैन मैं गोवा का कमिश्नर हूँ मेरा नाम थापा है जैसा आप जानते है कल रात होटल में एक कत्ल हुआ है सो प्लीज आप सभी से रिक्वेस्ट है कि आप सभी होटल को छोड़ के कही ना जाए ताकि कातिल का पता लगाया जा सके थैंक्यू...
जिसके बाद सभी कस्टमर अपने कमरे में जाने लगे तभी...
ठाकुर वीर सिंह – (थापा से) कमिश्नर साहब ये मेरे होटल का वेटर है इसने कल रात को आखिरी बार कौशल को देख था...
थापा – (वेटर से) तुमने कल रात को क्या देख मुझे सारी बात बताओ...
वेटर – सर कल रात मै पानी देने गया था कौशल साहब के कमरे में लेकिन उन्होंने मुझे बाहर से भगा दिया....
थापा – ऐसा क्यों किया कौशल ने...
वेटर – वो कल रात को उनके कमरे में सुनीता मैडम थी....
थापा – कौन है ये सुनीता....
वेटर – जी वो विक्रम साहब की बीवी है....
थापा – क्या मतलब सुनीता शादीशुदा है लेकिन कौशल के कमरे में क्या काम उसे , ठीक है ये विक्रम साहब कहा मिलेंगे मुझे....
वेटर – आइए सर मै आपको ले चलता ही उनके पास...
बोल के वेटर कमिश्नर थापा को विक्रम के पास ले जाने लगा तभी होटल की गैलरी में विक्रम मिल जाता है जिसे देख....
वेटर – (विक्रम को रोक के) एक मिनिट विक्रम साहब (कमिश्नर थापा से) सर यही है विक्रम साहब....
थापा – (विक्रम से हाथ मिलाते हुए) हैलो मिस्टर विक्रम मेरा नाम थापा है गोवा कमिश्नर...
विक्रम – हैलो थापा साहब (वेटर से) ठीक है अब तुम जाओ मैं बात करता हूँ...
वेटर के जाने के बाद....
विक्रम – (अपना I CARD दिखा के) थापा साहब मै मुंबई से CBI OFFICER हूँ यहां गोवा में एक मर्डर केस के सिलसिले में आया हुआ हूँ...
कमिश्नर थापा – Oh I SEE NICE TO MEET YOU मुझे मुंबई से CBI हेडक्वार्टर्स से कॉल आया था उन्होंने आपके बारे में बताया था मुझे , आइए काफी पीते हुए बात करते है....
दोनो होटल के रेस्टोरेंट में जाके काफी पीते हुए बात करने लगे...
थापा – तो मिस्टर विक्रम बताइए आपकी इंक्वायरी कहा तक पहुंची....
विक्रम – सर पहले तो आप मुझे सिर्फ विक्रम बुलाइए यहां होटल में मै पुलिस हूँ ये किसी को नहीं पता है रही बात केस की तो सिर्फ कुछ लोगों पे शक है मुझे....
थापा – हम्ममम अगर मुझसे कोई मदद हो सके तो बताइए मुझे....
विक्रम – सर आप होटल में सबकी इंक्वायरी जरूर करेंगे...
थापा – बिल्कुल ये नॉर्मल प्रोसिजर है....
विक्रम – जी मुझे आपसे इसमें मदद की जरूरत पड़ेगी...
थापा – बताए कैसी मदद चाहिए आपको....
उसके बाद विक्रम कमिश्नर थापा को उन तीन लोगों के बारे में बताता है साथ में कुमार और उस चारो की पहचान के बारे में बताता है और ये भी की मुंबई से तीन लोग यहां आए हुए है लेकिन वो कौन है क्या नाम है उनका ये पता लगाने की बात करता है विक्रम जिसे सुन....
थापा – ओके विक्रम मै जल्द से जल्द इस सब के बारे में पता करके आपको इनफॉर्म करूंगा....
विक्रम – थापा साहब आप प्लीज ये बात सिर्फ मुझे बताइए गा और प्लीज पर्सनली बताइएगा मुझे कॉल पर नहीं...
थापा – ठीक है विक्रम...
बोल के दोनो निकल जाते है जहां पर कौशल की लाश को पेड़ से होटल के स्टाफ के लोग उतार रहे थे जिसके बाद कौशल की लाश को अपने साथियों के साथ थापा लेके निकल गया जबकि विक्रम पेड़ के आस पास देख रहा था तभी विक्रम की नजर घास में पड़े लाइटर पर गई गोर से देखने पर विक्रम को उस लाइटर में कुमार का नाम लिखा दिखाई दिया
विक्रम – हम्ममम कुमार (बोल के अपनी जेब में लाइटर रख दिया)
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जारी रहेगा![]()
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Bhai murder par murder Mistry is going more deep nowUPDATE 2
एक लड़की होटल के एक कमरे का दरवाजा खट खटाती है तभी एक लड़का दरवाजा खोल लड़की को देख...
लड़का – रेणु तुम यहां पर क्या कर रही हो...
रेणु – तुम मुझे बिना बताए बॉम्बे से गोवा क्यों आ गए कुमार....
कुमार – मै यहां निजी काम से आया हूँ लेकिन तुम यहां किस लिए आई हो और तुम्हे कैसे पता चला इस होटल के बारे में...
रेणु – बॉम्बे से जहां तुमने बस की टिकट बुक की थी उसका बिल मिला था मुझे घर पर और तुम्हारी डायरी से होटल का नंबर जिससे पाता चला मुझे तुम्हारे यहां होने के बारे में...
कुमार – लेकिन तुम इस कमरे मे कैसे आ गई....
रेणु – रिसेप्शन से पता चला मैने उन्हें कहा मै तुम्हारी बीवी हूँ...
कुमार – उफ्फ रेणु तुम्हे नहीं आना चाहिए था यहां पर...
रेणु – लेकिन क्यों कुमार आखिर क्यों बिना बताए तुम यहां आ गए गोवा में कौन सा ऐसा निजी काम आ गया तुम्हे....
कुमार – मै तुम्हे नहीं बता सकता अभी कुछ भी...
रेणु – (रोते हुए) उस दिवाली रात से तुम बहुत बदले बदले से लग रहे हो कुमार...
कुमार – दिवाली रात (रेणु की आंख में आसू देख) तुम्हारी आंख में आसू , रो मत रेणु मै वादा करता हूँ सही वक्त आने पर मै सबसे पहले तुम्हे ही बताऊंगा बात , खेर ये सब छोड़ो रात बहुत हो गई है तुम सो जाओ कल बात करते है...
अगले दिन सुबह के वक्त विक्रम जल्दी उठ के होटल की गैलरी में चक्कर लगा रहा था तभी एक कमरे से 3 लोग निकले और गलती से विक्रम उनसे टकरा गया जिस वजह से उन तीनों में एक आदमी जिसने हैट पहनी थी उसके सिर से गिर गई जिस वजह से विक्रम की नजर उस आदमी के सिर पर गई जहां उसके कुछ बाल सफेद थे तभी उनमें से एक आदमी गुस्से में विक्रम से बोला....
पहला आदमी – अंधा है क्या दिखता नहीं है क्या तुझे....
विक्रम – माफ करिए गा मुझे...
जिसके बाद पहला आदमी कुछ बोलता तभी उनका एक साथी उसे जल्दी से वहां से ले जाने लगा उनका तीसरा साथी अपनी हैट पहन के निकल गया उनके साथ तभी विक्रम चुपके से उन तीनों के पीछे जाने लगा चलते चलते वो तीनों होटल के पीछे बीच की तरफ जाने लगे एक दीवार को फांद के निकल गए तीनों जैसे ही विक्रम ने देखा वो भी उनके पीछे दीवार फांद गया लेकिन वहां विक्रम को तीनों में कोई ना दिखा जिसके बाद विक्रम वहां से वापस आके होटल में घूमने लगा कुछ समय बाद निकल आया अपने कमरे की तरफ कमरे में आते ही....
सुनीता – कहा चले गए थे तुम...
तब विक्रम ने सुनीता को जो हुआ वो बताया जिसके बाद...
सुनीता – अच्छा चलो नाश्ता करने चलते है बहुत भूख लगी है मुझे...
जिसके बाद दोनो होटल के नीचे बने लॉन में जहा एक छोटा सा स्विमिंग पूल बना हुआ था उसके पास बैठ के सब नाश्ता करने में लगे हुए थे वही विक्रम और सुनीता भी नाश्ता कर रहे थे इसके साथ विक्रम चारो तरफ अपनी नजरें घुमा रहा था तभी विक्रम की नजर अपने से कुछ दूर बैठे 2 लोगों पे नजर गई जिनसे विक्रम सुबह गलती से टकरा गया था लेकिन उनका तीसरा साथी नहीं था उनके साथ विक्रम अपनी टेबल से उठ उनके पास जाता तभी उन दोनों का तीसरा साथी की आवाज विक्रम के पीछे से आई जो कि होटल के एक कस्टमर से गलती से टकरा गया जिस वजह से उस कस्टमर का जूस का ग्लास उसकी शर्ट में गिर गया...
तीसरा आदमी– माफ करना गलती से हो गया ये सब...
कस्टमर –(गुस्से में तीसरे आदमी से) अबे अंधा है जो गलती से हो गया पूरी शर्ट खराब कर दी मेरी...
तीसरा आदमी– अजीब आदमी हो मैं शराफत से बात कर रहा हूँ आपसे और आप....
कस्टमर – भाड़ में गई शराफत तेरी...
बोल के कस्टमर तीसरे आदमी को हल्का धक्का दिया जिसे देख तीसरे आदमी उस कस्टमर को धक्का मारा जिस वजह से कस्टमर स्विमिंग पूल में गिर गया और तभी वहां बैठा होटल के बाकी कस्टमर की नजर उन दोनों पर गई तब....
सुनीता – (विक्रम को स्मिंग पुल की तरफ इशारा कर के) विक्रम वो देखो....
जैसे ही विक्रम ने स्विमिंग पूल पर देखा जहां पानी पर काला रंग बिखरा पड़ा था तभी विक्रम ने पुले पे गिरे कस्टमर को देखा पुल में गिरने की वजह से उसके आधे बाल सफेद दिख रहे थे तब....
विक्रम – (धीरे से सुनीता से) सुनीता इसका मतलब हमें जिसकी तलाश थी वो ये आदमी है जिसके आधे बाल सफेद है....
सुनीता – अब तुम क्या करोगे विक्रम....
विक्रम – अभी जाने दो इसे बाद में देखते है....
बोल के दोनो अपना नाश्ता करने लगे और बाकी के कस्टमर भी इस तरफ उस तीसरे आदमी के बाकी दोनों साथी आपने तीसरे साथी को वहां से जल्दी से घसीट के लेके निकल गए जबकि होटल के दूसरे फ्लोर की खिड़की से कुमार ये नजारा देख के...
कुमार – सफेद बाल इसका मतलब कही ये वही तो नहीं...
इसके बाद कुमार उस आधे सफेद बाल वाले पे नजर रखने लगता है वो आधे सफेद बाल वाला आदमी अपने कमरे में जाके वेटर को ऑर्डर देता है जिसके बाद वो कमरे का दरवाजा बंद कर देता है जबकि इस तरफ मुंबई से CBI OFFICER का कॉल आता है विक्रम के कमरे में....
CBI OFFICER – कैसे हो विक्रम...
विक्रम – हैलो सिर मै बिल्कुल ठीक हूँ....
CBI OFFICER – कोई जानकारी मिली तुम्हे....
विक्रम – कुछ खास नहीं सर....
CBI OFFICER –हम्ममम एक बात तुम्हे बतानी थी विक्रम पता नहीं वो तुम्हारे काम की है कि नहीं...
विक्रम – ऐसी क्या बात है सर....
CBI OFFICER –कल्पना के मर्डर के एक दिन पहले दिवाली की रात को एक लड़की को कल्पना के साथ देखा गया था....
विक्रम –लेकिन सर इस बात का इससे क्या ताल्लुख....
CBI OFFICER – जानकारी के मुताबिक उस लड़की को आखिरी बार कल्पना के साथ देखा गया था उसके बाद से उस लड़की जाने कहा गायब हो गई जबकि उसके दूसरे दिन कल्पना का मर्डर हो गया....
विक्रम – ओह वैसे उस लड़की का क्या नाम था....
CBI OFFICER – मेरे लोग पता लगा रहे है शायद उस लड़की के बारे में सिर्फ कल्पना जानती थी....
विक्रम – हम्ममम ठीक है सर जैसे मुझे कोई जानकारी मिलती है आपको इनफॉर्म करता हूँ मैं...
CBI – ठीक है....
बोल के कॉल कट कर दिया दोनो ने लेकिन इन दोनों को ये नहीं पता था कि ठाकुर वीर सिंह जो होटल का मालिक है वो दूसरे फोन से इनकी सारी बाते सुन रहा था इनके कॉल कट करते ही उसने भी फोन का रिसीवर रख दिया उसके बाद ठाकुर वीर ने अपने होटल के स्टाफ को समझा दिया था कि किसी तरह होटल में ये बात फैला दे कि होटल में पुलिस है जिसके बाद होटल के डिस्को में कई लोग आपस में बात करने लगे पुलिस के होटल में होने की धीरे धीरे ये बात पूरे होटल में आग को तरह फैल गई एक कमरे में वो तीनों आदमी बैठ के आपस में बात कर रहे थे...
पहला आदमी – सुना तुम लोगो ने होटल में पुलिस आ गई है अब क्या करे...
दूसरा आदमी – अब क्या होगा यार कैसे हम अपना काम करेंगे....
तीसरा आदमी – तुझे काम की लगी है मुझे लग रहा है कही पुलिस हमारे लिए तो नहीं आई यहां पर....
दूसरा आदमी – देखो हमारा एक साथी पहले ही मारा जा चुका है मुंबई में हमें किसी तरह जल्दी अपने काम को खत्म कर निकलना होगा गोवा से...
पहला आदमी – लेकिन कैसे करेंगे यार अपने काम को...
तीसरा आदमी – एक काम करते है दिन के वक्त बीच पर कोई नहीं जाता है तेज धूप के कारण उसी वक्त हम अपना काम करके निकल जाएंगे गोवा से...
पहला आदमी – हा यही सही रहेगा...
जबकि इस तरफ कुमार के कमरे में....
रेणु – कुमार ये होटल में पुलिस किस लिए आई होगी कुछ हुआ है क्या होटल में....
कुमार – पता नहीं रेणु मैने भी सुना पुलिस के होटल में होने के बारे में....
रेणु – कुमार हम शादी कब करेंगे...
कुमार – रेणु मैने तुमसे कहा था ना अभी नहीं कर सकते हम शादी....
रेणु – आखिर क्यों कुमार ऐसी क्या बात है जो तुम मुझे बता नहीं रहे हो क्या मुझमें कोई कमी है....
कुमार – नहीं रेणु तुममें कोई कमी नहीं है बस ये समझ लो मै मजबूर हूँ और इस बारे में मै अभी कुछ नहीं बता सकता तुम्हे थोड़ा इंतजार करो तुम....
रेणु –(रोते हुए) बस इंतजार ही कर रही हूँ तब से लेकिन तुम....
कुमार – रो मत रेणु मै वादा करता हूँ जल्दी ही हम यहां से निकल के शादी कर अपने घर में होगे एक साथ हमेशा के लिए...
बोल के कुमार ने रेणु को गले लगा लिया दूसरी तरफ रात के वक्त जब सभी होटल के कस्टमर खाना खा के अपने कमरे में आराम कर रहे थे तभी विक्रम जाता है ठाकुर वीर के पास वहां जाके...
विक्रम – होटल में सबको कैसे पता चला पुलिस के होने का....
ठाकुर वीर सिंह – ये बात तो मुझे आपसे पूछनी चाहिए विक्रम साहब....
विक्रम – आप मुझसे पूछ रहे है जबकि आपके इलावा किसी को ये नहीं पता था पुलिस के यहां होने के बारे में...
ठाकुर वीर सिंह – एक होशियार और अक्लमंद ऑफिसर होने के बाद आप बेअकली की बात कर रहे है आप क्या चाहते है मै लोगो के पास जाके ये बोलता फिरू कि मुम्बई में एक मर्डर हुआ है जिसकी तहकीकात के लिए एक ऑफिसर यहां आया है , नहीं विक्रम साहब अपना धंधा चौपट कराने का कोई शौक नहीं है मुझे...
जिसके बाद विक्रम गुस्से में वहां से निकल अपने कमरे में जाता है जहां कमरे में विक्रम ने सुनीता को नाइट गाऊन पहना के तैयार कर दिया था...
विक्रम –(सुनीता को नाइट गाऊन में चारो तरफ से देखते हुए) एक काम करो गाऊन को दोनों कंधे से नीचे करो...
सुनीता – (ना में सिर हिलाते हुए) नहीं पहले प्लीज बोलो...
विक्रम – अच्छा बाबा प्लीज...
गाऊन को दोनों कंधों से हल्का नीचे कर दिया...
विक्रम – हम्ममम सही है अब एक काम करो कमरा नंबर 290 में जाओ....
सुनीता – वहां क्यों...
विक्रम – रिसेप्शन के रजिस्टर से मुझे पता चला उस कमरे में आधे सफेद बाल वाले आदमी का नाम नाम कौशल है तुम किसी तरह उसके कमरे में चली जाओ मै 2 मिनिट बाद उसके कमरे में कॉल करूंगा जिसके बाद अगर घबरा के उसने कोई ऐसी वैसी हरकत की तुम तुरंत मुझे आके बताना ठीक है....
सुनीता – और अगर जैसा तुम बोल रहे हो वैसा कुछ ना हुआ तो....
विक्रम – कॉल करने के बाद मैं उसके कमरे के बाहर आ जाऊंगा अगर मेरा प्लान काम नहीं किया तो मैं कमरे का दरवाजा नॉक करूंगा और कमरे में आके तुम्हे मना के ले जाऊंगा ठीक है...
सुनीता – ठीक है...
विक्रम – चलो जाओ अब जल्दी से उसके कमरे में....
सुनीता – (मुस्कुरा के) पहले प्लीज बोलो...
विक्रम – उफ्फ फ़ो प्लीज....
सुनीता मुस्कुरा के जाने लगी कमरे के बाहर आते ही....
विक्रम – (सुनीता से) BEST OF LUCK....
जिसके बाद सुनीता सीधे कौशल के कमरे के बाहर आ गई और दरवाजा नॉक किया उसी वक्त कमरे में कौशल अपने बालों में डाई लगा रहा था दरवाजे पे नॉक सुन खोल के सामने सुनीता को देख...
कौशल – जी आप कौन....
कौशल की बात सुन सुनीता रोने का नाटक करने लगी जिसे देख....
कौशल – अरे क्या हुआ आप रो क्यों रही हो....
सुनीता – क्या मै आज रात आपके कमरे में रह जाऊं...
कौशल – (सुनीता को सिर से पाव तक देख) रात क्या आप चाहो तो हमेशा के लिए रह जाओ मेरे कमरे में आइये अन्दर...
जिसके बाद सुनीता कमरे के अन्दर आ गई उसी वक्त कौशल कमरे का दरवाजा बंद कर रहा था तभी होटल का वेटर आया....
वेटर – साहब आपका पानी की बॉटल...
कौशल – (वेटर को कमरे के बाहर से ही भागते हुए) अबे तू क्यों अन्दर आ रहा है जा यहां से....
वेटर – सर पानी....
जिसके बाद कौशल ने बिना वेटर की बात सुन दरवाजा बंद कर दिया....
वेटर – (कमरे के बाहर से ही) लगता है आज साहेब की लॉटरी लग गई...
बोल के हस्ते हुए वेटर वहां से चला गया जबकि कमरे के अन्दर....
सुनीता – मै कहा बैठूं...
कौशल – जहा चाहे वहां बैठ जाओ...
सुनीता हल्का मुस्कुरा के ना में सिर हिलती है जिसे देख...
कौशल – फिर कहा (मुस्कुरा के) मेरे दिल में...
सुनीता फिर से हल्का मुस्कुरा के ना में सिर हिलती है जिसके बाद....
कौशल – (मुस्कुरा के) मेरी बाहों में...
सुनीता –(मुस्कुर के बेड में बैठते हुए) यहां बैठूंगी...
कौशल मुस्कुरा के सुनीता के पास आके गले लगाने की कोशिश करते है और बोलता है...
कौशल – बताइए मै क्या कर सकता हूँ आपके सिर को दबा दूं या आपके कमर को नहीं मै आपके पैर दबाता...
बोल के कौशल नीचे होते हुए सुनीता के पैर दबाने जाता है के तभी टेलीफोन को घंटी बजती है जिसे के बाद...
कौशल – (गुस्से में) इसे भी अभी बजाना था (कॉल रिसीव करके) कौन है...
विक्रम –(फोन पे रुमाल लगा के) हैलो कौन बोल रहा है....
कौशल – मै कौशल बोल रहा हूँ...
विक्रम – (आवाज बदल के) हैलो कौशल मै खन्ना बोल रहा हूँ....
कौशल – हा खन्ना बोलो....
विक्रम – तुमने सब गड़बड़ कर दी आज स्विमिंग पुल पर जो हादसा हुआ उससे तुम्हारे सिर से कला रंग निकल गया और किसी ने तुम्हे पहचान लिया है....
कौशल –(घबरा के) ये क्या बोल रहे हो अब मैं क्या करू मै मर जाऊंगा...
विक्रम –(आवाज बदल के) अपनी पहचान के सारे सबूत छिपा दो तुम जल्दी से...
कौशल – (घबरा के) हा मै अभी करता हूँ...
बोल के कॉल कट कर दिया कौशल ने इस तरफ विक्रम ने मुस्कुराते हुए फोन रख दिया इस तरफ कौशल के कमरे में....
कौशल – (सुनीता से) तुम एक काम करो जाओ कमरे से...
बोल सुनीता का हाथ पकड़ के कमरे से बाहर कर दरवाजा बंद कर दिया जिसके बाद सुनीता तुरंत अपने कमरे में चली गई कमरे में आते ही....
सुनीता – विक्रम तुम्हारा प्लान काम कर गया कौशल घबरा गया कॉल आने से...
विक्रम – (मुस्कुराते हुए) VERY GOOD चलो अब आराम से सो जाओ कल सुबह का इंतजार करते है आज रात कौशल कोई ना कोई गलती जरूर करेगा जल्दी बाजी में....
ये दोनो इस बात से अंजान की कौशल अपने कमरे में अपनी पहचान के सारे सबूत लेके कमरे से बाहर निकल जाता है नीचे होटल के गार्डन के पास एक पेड़ के नीचे मिट्टी खोदने लगता है जबकि एक कोने में छुप के कुमार गोर से कौशल को देख रहा होता है तभी कौशल अपनी जेब से कुछ कागज निकाल के खड्डे में छिपा के मिट्टी डाल बंद करके निकल जाता है उसके जाने के बाद कुमार उसी गड्ढे में से उस कागज को निकाल के पढ़ता है जिसमें कौशल का नाम लिखा होता है जिसे पढ़ के...
कुमार –(गुस्से में कागज को मुट्ठी में दबा के) तो ये है कौशल अब तू नहीं बचेगा मेरे हाथों से....
जबकि इस तरफ कौशल गार्डेन के साथ बनी गैलरी से होटल के हॉल की तरफ जा रहा होता है तभी बीच में एक पेड़ के पीछे से वही काले कपड़ों में आदमी रस्सी को कौशल की गर्दन में डाल के उसे लटकाने लगता है जिसके बाद कुछ सेकंड में कौशल तड़प तड़प कर अपना दम तोड़ देता है तभी वो काले कपड़ों वाला आदमी कौशल की लाश वही लटका के निकल जाता है अगले दिन सुबह के वक्त होटल के कई कस्टमर मॉर्निंग वॉक कर रहे थे तभी एक लड़की के चिल्लाने की आवाज आई जिसे सुन बाकी के लोग वहा इकट्ठे हो गए जहां पर सभी की नजर पेड़ पे लटके कौशल की लाश पर गई तब होटल के स्टाफ ने होटल मालिक ठाकुर वीर सिंग को बताया जिसके बाद ठाकुर वीर ने गोवा पुलिस कमिश्नर को बुलाया जब पुलिस वहां आई उस वक्त होटल से बाकी कई लोग भी आ गए थे जिसमें विक्रम , सुनीता , कुमार , रेणु , UNKNOWN और वो तीन लोग भी थे जो पेड़ में लटकी कौशल की लाश को देख रहे थे तब....
कमिश्नर –(ठाकुर वीर सिंह से) ठाकुर साहब मै चाहता हूँ आप अपने होटल के सभी कस्टमर को हॉल में इकठ्ठा करे मुझे कुछ जरूरी बात कहनी है....
जिसके बाद सभी होटल के मेन हाल में आ जाते है तब...
गोवा कमिश्नर – हैलो लेडीज एंड जेंटलमैन मैं गोवा का कमिश्नर हूँ मेरा नाम थापा है जैसा आप जानते है कल रात होटल में एक कत्ल हुआ है सो प्लीज आप सभी से रिक्वेस्ट है कि आप सभी होटल को छोड़ के कही ना जाए ताकि कातिल का पता लगाया जा सके थैंक्यू...
जिसके बाद सभी कस्टमर अपने कमरे में जाने लगे तभी...
ठाकुर वीर सिंह – (थापा से) कमिश्नर साहब ये मेरे होटल का वेटर है इसने कल रात को आखिरी बार कौशल को देख था...
थापा – (वेटर से) तुमने कल रात को क्या देख मुझे सारी बात बताओ...
वेटर – सर कल रात मै पानी देने गया था कौशल साहब के कमरे में लेकिन उन्होंने मुझे बाहर से भगा दिया....
थापा – ऐसा क्यों किया कौशल ने...
वेटर – वो कल रात को उनके कमरे में सुनीता मैडम थी....
थापा – कौन है ये सुनीता....
वेटर – जी वो विक्रम साहब की बीवी है....
थापा – क्या मतलब सुनीता शादीशुदा है लेकिन कौशल के कमरे में क्या काम उसे , ठीक है ये विक्रम साहब कहा मिलेंगे मुझे....
वेटर – आइए सर मै आपको ले चलता ही उनके पास...
बोल के वेटर कमिश्नर थापा को विक्रम के पास ले जाने लगा तभी होटल की गैलरी में विक्रम मिल जाता है जिसे देख....
वेटर – (विक्रम को रोक के) एक मिनिट विक्रम साहब (कमिश्नर थापा से) सर यही है विक्रम साहब....
थापा – (विक्रम से हाथ मिलाते हुए) हैलो मिस्टर विक्रम मेरा नाम थापा है गोवा कमिश्नर...
विक्रम – हैलो थापा साहब (वेटर से) ठीक है अब तुम जाओ मैं बात करता हूँ...
वेटर के जाने के बाद....
विक्रम – (अपना I CARD दिखा के) थापा साहब मै मुंबई से CBI OFFICER हूँ यहां गोवा में एक मर्डर केस के सिलसिले में आया हुआ हूँ...
कमिश्नर थापा – Oh I SEE NICE TO MEET YOU मुझे मुंबई से CBI हेडक्वार्टर्स से कॉल आया था उन्होंने आपके बारे में बताया था मुझे , आइए काफी पीते हुए बात करते है....
दोनो होटल के रेस्टोरेंट में जाके काफी पीते हुए बात करने लगे...
थापा – तो मिस्टर विक्रम बताइए आपकी इंक्वायरी कहा तक पहुंची....
विक्रम – सर पहले तो आप मुझे सिर्फ विक्रम बुलाइए यहां होटल में मै पुलिस हूँ ये किसी को नहीं पता है रही बात केस की तो सिर्फ कुछ लोगों पे शक है मुझे....
थापा – हम्ममम अगर मुझसे कोई मदद हो सके तो बताइए मुझे....
विक्रम – सर आप होटल में सबकी इंक्वायरी जरूर करेंगे...
थापा – बिल्कुल ये नॉर्मल प्रोसिजर है....
विक्रम – जी मुझे आपसे इसमें मदद की जरूरत पड़ेगी...
थापा – बताए कैसी मदद चाहिए आपको....
उसके बाद विक्रम कमिश्नर थापा को उन तीन लोगों के बारे में बताता है साथ में कुमार और उस चारो की पहचान के बारे में बताता है और ये भी की मुंबई से तीन लोग यहां आए हुए है लेकिन वो कौन है क्या नाम है उनका ये पता लगाने की बात करता है विक्रम जिसे सुन....
थापा – ओके विक्रम मै जल्द से जल्द इस सब के बारे में पता करके आपको इनफॉर्म करूंगा....
विक्रम – थापा साहब आप प्लीज ये बात सिर्फ मुझे बताइए गा और प्लीज पर्सनली बताइएगा मुझे कॉल पर नहीं...
थापा – ठीक है विक्रम...
बोल के दोनो निकल जाते है जहां पर कौशल की लाश को पेड़ से होटल के स्टाफ के लोग उतार रहे थे जिसके बाद कौशल की लाश को अपने साथियों के साथ थापा लेके निकल गया जबकि विक्रम पेड़ के आस पास देख रहा था तभी विक्रम की नजर घास में पड़े लाइटर पर गई गोर से देखने पर विक्रम को उस लाइटर में कुमार का नाम लिखा दिखाई दिया
विक्रम – हम्ममम कुमार (बोल के अपनी जेब में लाइटर रख दिया)
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जारी रहेगा![]()
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Koi na bhai last update ke bad batana kitna Deep laga aapkoBhai murder par murder Mistry is going more deep now
Bhai samajh me nahi aaraha ki khoon Kumar kar raha hai ya VikramKoi na bhai last update ke bad batana kitna Deep laga aapko
Kumar ka samj me aaya mujhe lekin Vikram ke leye kaise keh rhe ho aapBhai samajh me nahi aaraha ki khoon Kumar kar raha hai ya Vikram
Itni aasaani se samajh jaao to thrill kaisa beBhai samajh me nahi aaraha ki khoon Kumar kar raha hai ya Vikram
Sahil khanna ko nipta diya bataoस्वागत है आपका एक छोटी सी कहानी में जो 2 से 3 अपडेट में समाप्त हो जाएगी कहानी पढ़ के जरूर बताइएगा कैसी लगी आपको ज्यादा देर ना करते हुए शुरू करता हूँ कहानी का पहले अपडेट से
UPDATE 1
ये कहानी शुरू होती है दिवाली के अगले दिन 8 नवंबर दिन शनिवार सन 1980 की जहा मुंबई शहर के एक रेलवे ब्रिज के पास सड़क में एक आदमी काले कपड़े , सिर पे एक काली टोपी पहने एक जगह बैठा अपने हाथ में एक गोल्ड लॉकेट को देख रहा था जिसपर ॐ बना हुआ था अंधेरी रात सिर पर काली टोपी के कारण उसका चेहरा नहीं दिख रहा था लॉकेट को देखते हुए जाने उसे क्यों गुस्सा आने लगा उसकी आंखे लाल होने लगी गुस्से में अपनी मुट्ठी बंद कर खड़ा होके लॉकेट जेब में रख हाथों में काले दस्ताने पहन के निकल पड़ा चलते चलते एक घर की तरफ गाय घर के बाहर खिड़की से उसने देखा अन्दर कमरे में एक लड़का और लड़की बिना कपड़ो के बेड में अपनी रास लीला में लगे हुए थे कुछ देर बाद जाने लड़की को क्या होता है वो बेड से उठ जाती है जिसे देख के....
लड़का – (लड़की से) क्या हुआ कल्पना....
कल्पना – नहीं साहिल रह रह के मुझे कल रात की बात याद आ रही है....
साहिल खन्ना – (गुस्से में) दिमाग खराब है तुम्हारा साला सारा मूड खराब कर दिया तुमने...
बोल के साहिल खन्ना बेड से उठ तैयार होके घर से निकल जाता है साहिल खन्ना के जाते ही कल्पना दरवाजा बंद कर कपड़े पहन ले सिगरेट पीने लगती है तभी वो आदमी घर की बिजली काट देता है जिस कारण कल्पना घबरा जाती है लाइट जाने से तभी उसे बाहर से कुछ गिरने की आवाज आती है बाहर देख....
कल्पना – कौन है कौन है वहां...
बोल के घर के अन्दर आती है तभी उसे पर्दे के पीछे से एक साया दिखता है....
कल्पना – कौन है वहां कौन है....
पास जाके पर्दा हटा के देखती है कोई नहीं है वह पर तभी पीछे से एक हाथ आता है और कल्पना की गर्दन दबाने लगता है किसी तरह हाथ छुड़ा के इधर उधर भागने लगती है कल्पना चली जाती है बाथरूम की तरफ जहां वो आदमी आके इसे बात तब में गिरा देता है उसका गला दबाने लगता है कुछ देर की छठ पट्ठाहट के बाद कल्पना दम तोड़ देती है अगले दिन सुबह पुलिस उस घर में होती है जहां एक आदमी काले सूट बूट में आता है कल्पना की लाश के पास जहां पुलिस और फोरेंसिक लैब का आदमी होता है काले सूट में आदमी को देख..
फोरेंसिक – (काले सूट वाले आदमी से) हैलो विक्रम सर किसी ने गला दबा के इसकी हत्या की है...
एक हवलदार – (एक कागज दिखा के) सर ये कागज मिला है....
विक्रम –(कागज पढ़ते हुए) बंसी , साहिल खन्ना , कौशल , कल्पना बुकिंग इन होटल होराइजन गोवा कल की तारीख में बुकिंग है इनकी इसका मतलब ये चारो को गोवा निकालना था आज होटल होराइजन के लिए...
हवलदार – सर इसी लड़की का नाम कल्पना है....
विक्रम – इसके बाकी साथी शायद अब गोवा में मिलेगे (हवलदार से) इसे पोस्टमार्टम के लिए भेज दो मै पुलिस हेडक्वार्टर जा रहा हूँ बोल के विक्रम निकल के इन चारों के बारे में पता लगाता है और सीधे पुलिस हेडक्वार्टर जा के अपने सीनियर को सारी हालात बताता है साथी ये भी बताता है कि कोई 25 से 26 साल का लड़का ट्रैवल एजेंसी में इन चारों के बारे में जानकारी ले रहा था जब उसे गोवा का पता चला तो उसने भी तुरंत ही गोवा की टिकट करा के निकल गया गोवा...
जिसे सुन CBI OFFICCER विक्रम से उस लड़के का नाम पूछता है...
विक्रम – कुमार नाम है उसका....
जिसे सुन CBI OFFICCER विक्रम को गोवा जाके इन सब के बारे में पता लगाने के लिए बोलता है जिसके बाद विक्रम बस से गोवा के लिए निकल जाता है रस्ते में एक होटल में बस रुकती है जहां एक लड़की 4 गुंडों के साथ विक्रम पर हमला कराती है जिसे विक्रम अच्छे से हैंडल कर लड़की को पकड़ के पूछता है....
विक्रम – क्या नाम है तुम्हारा और क्यों मारना चाहती हो मुझे....
लड़की – मेरा नाम सुनीता है आपको मारने के लिए मुझे एक लड़के ने पैसे दिए थे....
तब विक्रम अपने साथ सुनीता को गोवा ले जाता है होटल होराइजन में जहा सुनीता को कमरे में भेज होटल के मालिक से मिलने जाता है जहां होटल मालिक अपने कमरे मे चश्मा पहन के बैठा था....
होटल मालिक – बताईए मै आपके लिए क्या कर सकता हूँ....
विक्रम – मेरा नाम विक्रम है CBI पुलिस....
होटल मालिक – मेरा नाम ठाकुर वीर सिंह है , तो बताएं विक्रम साहब मै क्या कर सकता हो आपके लिए....
विक्रम – आप किसी कल्पना , बंसी , कौशल और साहिल खन्ना को जानते है...
ठाकुर वीर सिंह – नहीं वैसे बात क्या है....
विक्रम – कल रात किसी ने कल्पना का मर्डर कर दिया है वहां मुझे आपके होटल की बुकिंग का कागज मिला जिसमें इन चारों के नाम थे उसी सिलसिले में यहां आया हूँ....
ठाकुर वीर सिंह – हम्ममम मै नहीं जानता इन चारों को...
विक्रम – ओके ठाकुर साहब अगर कोई जानकारी मिले तो प्लीज कमरा नंबर 307 में मै रुका हूँ मुझे इनफॉर्म कर दीजिएगा....
ठाकुर वीर – ओके इन्स्पेक्टर साहब वैसे आज रात होटल में पार्टी है मेरे जनम दिन की प्लीज आइए गा जरूर आज की रात सभी होटल के गेस्ट के लिए मेरे तरफ से पार्टी और डिनर है....
विक्रम – (मुस्कुरा के) मुबारक हो आपको जन्मदिन की मै जरूर आऊंगा...
बोल के विक्रम निकल जाता है कमरे की तरफ रस्ते में एक आदमी (इसका नाम UNKNOWN है इसके बारे में आगे पता चलेगा) टकराता है विक्रम से जो विक्रम को गोर से देखता है जिसे देख विक्रम अपने कमरे में निकला जाता है जहां सुनीता खिड़की के बाहर देख रही होती है तभी....
सुनीता – विक्रम जल्दी से ये देखो...विक्रम खिड़की के नीचे देख....
सुनीता – ये वही आदमी है जिसने मुझे पैसे दिए थे तुम्हे मारने के लिए....
विक्रम बात सुन तुरंत सुनीता को लेके नीचे जाता है लड़के के पास रस्ते में कुछ समझाते हुए सुनीता को....
सुनीता – (लड़के के पास जाके) हैलो कुमार साहब....
कुमार – तुम यहां तुम्हे मेरा नाम कैसे पता....
सुनीता – होटल में पता चला मुझे वैसे मेरे पति ने आपका काम कर दिया है....
कुमार – VERY GOOD...
विक्रम – वैसे कुमार साहब आपको उस पुलिस वाले से क्या दुश्मनी थी....
कुमार – (हस्ते हुए) दुश्मनी तो दूर मैने उसे देखा तक नहीं हा वो मेरे प्राइवेट मिशन के रस्ते में आ सकता था इसीलिए मैने ये करवाया...
विक्रम – कौन सा प्राइवेट मिशन...
कुमार – ये मेरा जाती मामला है वैसे शुक्रिया आपका आज रात की पार्टी में मिलते है...
बोल के कुमार निकल गया शाम से रात होने को आई विक्रम होटल में घूम रहा था तभी एक कमरे से किसी के बात करने की आवाज सुन विक्रम दरवाजे की की होल से देखने लगा जहा ठाकुर वीर सिंह , साहील खन्ना से कुछ बात कर रहा था जिसके बाद ठाकुर ने कौशल खन्ना को एक चाटा मारा तभी कौशल गुस्से में निकल गया कमरे से और विक्रम ये देख पहले ही हट गया दरवाजे से जबकि साहील खन्ना होटल के बाहर अपने कार से कही निकल गया रस्ते में सुनसान रोड में कार चलाते वक्त अचानक से साहील खन्ना की कार का आगे का कांच टूट गया साहील खन्ना ने तुरंत कार रोक देखने लगा तभी कही से एक पत्थर आया और कार के पीछे का कांच टूट गया जिससे साहील खन्ना घबरा के इधर उधर देखने लगा...
साहील खन्ना –(घबराहट से) कौन है कौन है...
तभी एक एक कर कार के आगे की दोनो हेड लाइट पत्थर लगने से टूट गए जिससे घबरा के साहील कार स्टार्ट करने लगा तभी कार के ऊपर 2 से 3 बड़े पत्थर गिरे जिस कारण साहील डर कर कार से बाहर निकल रोड में तेजी से आगे भागने लगा थक के बगल की झाड़ी में छुप गया और तभी किसी ने पीछे से साहील खन्ना के गले में रस्सी डाल उसका गला दबाने लगा कुछ देर छत पताहट के साथ साहील खन्ना ने अपना दम तोड़ दिया तब वही काले कपड़ों वाला आदमी बाहर आया साहिल खन्ना की लाश की खींचते हुए कही ले जाने लगा कुछ देर बाद वो आदमी साहील खन्ना की लाश को किसी कमरे में एक बड़े ट्रैंक के अन्दर डाल के बंद कर देता है जबकि इस तरफ होटल में पार्टी चल रही थी वहां विक्रम आता है सुनीता के साथ तभी मौका देख सुनीता के कान में कुछ बोलता है...
विक्रम – ध्यान देना तुम यहां पर मै अभी आता हूं...
बोल के विक्रम चुपके से पार्टी से निकल कुमार के कमरे मे जाके तलाशी लेता है जहां उसे एक कागज मिलता है...
विक्रम – (कागज को खोल के पढ़ते हुए) एक आदमी के हाथ में अंग्रेजी में बंसी लिखा हुआ है , दूसरे के आधे बाल सफेद है तीसरे की थूडी पर निशान है और चौथे की एक आंख खराब है...
जिसे पढ़ के विक्रम जेब में कागज रख तुरंत कमरे से बाहर निकल जाता है कुमार के कमरे से और बिना किसी की नजर में आए पार्टी में सबके साथ शामिल हो जाता है सुनीता के साथ पार्टी खत्म होते ही विक्रम और सुनीता कमरे में आते है...
सुनीता – कुछ पता चला तुम्हे...
विक्रम – कुछ खास नहीं बस एक कागज मिला है जिसमें 4 लोगों की पहचान लिखी है एक के हाथ में अंग्रेजी में बंसी लिखा हुआ है दूसरे के सिर के आधे बाल सफेद है तीसरे की एक आंख खराब है और चौथे के थूडी पर निशान है और वही निशान कल्पना की थूडी पर था...
सुनीता – ये वही कल्पना तो नहीं जिसका मर्डर हो गया है....
विक्रम – हम्ममम सही समझी तुम ये वही कल्पना है और बाकी के तीन लोगों की भी जान खतरे में है मुझे लगता है हो ना हो इन चारों का कोई कनेक्शन जरूर कुमार के साथ होगा और शायद कुमार इनलोगों के लिए ही आया होगा गोवा इस होटल में....
सुनीता – कही कुमार ने तो नहीं मारा कल्पना को तुम कुमार को गिरफ्तार क्यों नहीं कर लेते सबूत है ना तुम्हारे पास वो कागज...
विक्रम – (ना में सिर हिलाते हुए) वो कोई सबूत नहीं है सुनीता और अगर मैं ऐसा करू भी तो कुमार कह सकता है कि कमरे में उसकी गैर मौजूदगी में किसी ने वो कागज वहां रख दिया होगा....
सुनीता –अब क्या करोगे तुम....
विक्रम – मै इस होटल में उन तीनों की तलाश करूंगा....
सुनीता – वैसे जब कल्पना का खून हुआ तब कुमार भी बॉम्बे में था....
विक्रम – नहीं सुनीता कल्पना का मर्डर रात में हुआ था जबकि कुमार शाम को ही निकल गया था गोवा के लिए बस से....
सुनीता – ओह्ह मै भूल गई रस्ते में ही कुमार ने मुझे पैसे दिए थे तुम्हे मारने के लिए , तो कौन मार सकता है कल्पना को....
विक्रम – यही तो पता लगाने आया हूँ मैं यहां पर साथ में ये भी पता लगाना है कि ये बाकी के तीनों कौन है समझ नहीं आ रहा कैसे तलाश करू इनको , खेर एक काम करते है कल सुबह मै जल्दी उठ के होटल में घूम के पता करने की कोशिश करता हूँ और तुम भी अपनी नजर बनाए रखना क्या पता कागज में मिली पहचान के जरिए कुछ पता चले , एक काम करो तुम बेड में सो जाओ मैं यहां सोफे पे सोता हूँ....
सुनीता – मेरे साथ सो जाओ ना प्लीज अकेले में डर लगता है मुझे सोने पर...
विक्रम – अच्छा है कुछ रात डर के बिताओ जब तक तुम , अब चलो जाके सो जाओ बहुत रात हो गई है...
ये दोनों इस बात से अंजान की इनके कमरे के बाहर खड़ा इनकी बाते सुन रहा है जिसके बाद वो UNKNOWN वहां से निकल गया
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