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Horror Kala saya. (murder mystry)

gauravrani

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एडवोकेट गिरिराज वर्मा समाज में बेहद प्रतिष्ठित, सम्मानित व्यक्ति के रूप में जाना जाता था। लोग उसके आदर्श चरित्र की मिसालें देते नहीं थकते थे। लेकिन जब एक रात उसी के घर में, बेहद रहस्यमयी ढंग से उसकी हत्या हो गई तो ऐसे-ऐसे चौंकाने वाले राज सामने आए कि लोग हैरान रह गए। कौन थी सनाया गौतम, गिरिराज वर्मा ने मरने से पहले-या यूं कहें कि मारे जाने से पहले-अपनी पूरी जायदाद जिसके नाम कर दी थी। क्या अधेड़ावस्था में एकाकी जीवन बिता रहे गिरिराज वर्मा को अपने जीवन में ‘चीनी कम’ लगने लगी थी, जिसके चलते उसने अपने सिद्धांतों से समझौता कर लिया था? या वो ऐसी जहरीली नागिन के जाल में फंस गया था, जिसके जहर का कोई तोड़ नहीं था।
या फिर गिरिराज वर्मा पर सचमुच किसी चुडै़ल का काला साया था?
 

gauravrani

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मोहित इंटरनेशनल फ्लाइट से दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरा। न्यूयॉर्क से दिल्ली के लम्बे सफर में ज्यादातर समय उसने सोते हुए ही बिताया था। काम की भागदौड़ के कारण पिछली कई रातों से वो पूरी नींद नहीं ले पा रहा था। वो न्यूयॉर्क में काम करता था लेकिन उसका काम ऐसा था कि उसे एक देश से दूसरे देश जाना पड़ता था। यहां भारत में तो उसका घर ही था लेकिन लम्बे अरसे से वो घर नहीं गया था। मोहित करीब तीन साल बाद भारत वापस आ रहा था। दो साल उसने अमेरिका में पढ़ाई की थी और पढ़ाई पूरी करने के बाद वहीं उसकी जॉब लग गई थी। मोहित का प्लान अपना लक्ष्य पूरा करके ही स्वदेश लौटने का था लेकिन हालात कुछ ऐसे बन गए थे कि उसे समय से पहले वापस लौटना पड़ रहा था। एयरपोर्ट पर सिक्योरिटी चैकिंग के दौरान ही एक कस्टम ऑफिसर उसे बुलाकर बाकी यात्रियों से अलग ले गया। उसे एक बड़े रूम में ले जाकर बैठाया गया, जहां कुछ और पैसेंजर्स भी बैठे थे। फिर बाद में उसे पता चला कि वहां कोरोना वायरस के सिलसिले में कुछ यात्रियों की अलग से जांच की जा रही थी। उनमें से वो भी शामिल था। शिट्। आते ही आते दिमाग खराब। इन लोगों को लग रहा है कि मैं वहां अमेरिका से इनके लिए कोरोना वायरस गिफ्ट में लेकर आ रहा हूं। लेकिन जल्द ही मोहित को पता चल गया कि वो कोई बड़ी जांच नहीं हो रही थी। केवल उन पैसेंजर्स को अलग करके उनकी जांच की जा रही थी, जिनका पिछले कुछ महीनों में चीन आना-जाना हुआ था। इत्तेफाक से मोहित भी उनमें शामिल था। अभी तीन महीने पहले ही वो अपनी कंपनी के ही काम के सिलसिले में बीजिंग गया था और वहां उसे करीब 20 दिन रूकना भी पड़ा था। उस बड़े रूम में मोहित को मिलाकर आठ-दस यात्री ही थे। उनके अलावा दो कस्टम ऑफिसर थे। उन लोगों को बारी-बारी से एक रूम में भेजा जा रहा था। उनका सामान भी डबल चैकिंग के लिए ले जाया गया था। मोहित को इसकी उम्मीद नहीं थी। वो चीन से नहीं आया था। वो अमेरिका से आया था। चीन वो तीन महीने पहले गया था। उसने अच्छी तरह सुन रखा था कि एयरपोर्ट पर
 

gauravrani

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होने वाली इस तरह की जांचों में संदिग्ध पाए जाने पर मरीज को क्वारंटाइन में रख दिया जाता है। इतने सालों बाद अपने देश वापस लौटने पर वो इस तरह का स्वागत नहीं चाहता था। उसने कस्टम ऑफिसर से ही पूछा। ‘‘डोंट वरी, सर।’’-ऑफिसर ने उसे तसल्ली दी-‘‘ये बस फॉर्मल जांच है। कोई मेडिकल जांच नहीं है। समझ लीजिए, एक तरह का सर्वे है। आप तो जानते ही हैं, कोरोना वायरस कितना खतरनाक साबित हो रहा है। ऐसे में हर लेवल पर सावधानी बरतनी पड़ रही है।’’ मोहित ने सहमति में सिर हिला दिया। मेडिकल जांच नहीं होने की बात से उसे राहत मिली। अगर मेडिकल जांच होती तो मामला लम्बा खिंच सकता था। कई यात्रियों के बाद उसका नम्बर भी आया। अंदर रूम में दो मेडिकल ऑफिसर टाइप लगने वाले लोग और एक कस्टम ऑफिसर मौजूद था। उन्होंने मोहित से उसकी पिछली चीन यात्रा के सम्बंध में ही सवाल किए। जैसे कि-वो किस काम के सिलसिले में चीन गया था? वहां कितने दिन रूका? कहां-कहां गया? और सबसे ज्यादा उनका जोर इसी बात पर रहा था कि वहां से लौटने के बाद उसे किसी तरह की स्वास्थ्य संबंधी परेशानी तो नहीं हुई थी। अपने चीन प्रवास के दौरान या वहां से वापसी के बाद जुकाम वगैरह जैसे कोई सिम्पटम्स तो नहीं हुए थे। मोहित ने धैर्यपूर्वक उनके सभी सवालों के जवाब दिए, जिनसे वो संतुष्ट भी नजर आए। सबसे ज्यादा संतुष्ट वो लोग इसी बात से हुए कि अपने चीन प्रवास के दौरान मोहित मुख्यत: बीजिंग में ही रूका था। उसे किसी काम के सिलसिले में वुहान तो क्या किसी और शहर नहीं जाना पड़ा था। उसका कंपनी का काम सिर्फ और सिर्फ बीजिंग तक ही सीमित था और काम की व्यस्तता के कारण घूमने-फिरने में भी उसकी ज्यादा दिलचस्पी नहीं रही थी। मोहित को वो सब कुछ सचमुच एक फॉर्मेलिटी जैसा ही लगा। वैसे भी कोरोना वायरस के कारण जो हालात पैदा हो रहे थे, उन्हें देखते हुए तो अगर वो लोग उसे क्वारंटाइन भी कर देते तो भी शायद कोई बड़ी बात नहीं होती। इंस्पेक्शन से फुर्सत मिलने के बाद वो वापस बाहर वाले कमरे में पहुंचा, जहां अब एक ही कस्टम ऑफिसर मौजूद था। उसके अलावा एक बेहद खूबसूरत युवती थी, जो अपना डबल चैकिंग होकर आया हुआ सामान कलेक्ट कर रही थी। युवती का चेहरा गुस्से से तमतमाया हुआ लग रहा था। शायद वो भी बाकी यात्रियों की तरह ही उस जांच में एक्स्ट्रा टाइम लगने से नाराज थी। उसके बगल में ही एक हाथ से धकेली जाने वाली ट्रॉली में मोहित का सामान भी पड़ा था। मोहित उनके पास पहुंचा। ‘‘एनीवे’’-वो युवती कस्टम ऑफिसर से बोली-‘‘यू फॉरगॉट वन प्लेस टू चैक(तुम एक जगह चैक करना भूल गए)।’’ ‘‘व्हाट?’’-कस्टम ऑफिसर आश्चर्य से युवती से बोला। ‘‘माई ऐस।’’-युवती ने अपने दाहिने हाथ के बीच की उंगली खड़ी करके कस्टम ऑफिसर के चेहरे के सामने की, जैसे हवा में खंजर भोंक रही हो-‘‘कोरोना वायरस इज स्टक इन इट (मेरी...। कोरोना वायरस उसमें घुसा हुआ है।)’’ कस्टम ऑफिसर हक्का-बक्का सा उसे देखता रह गया। गुस्से से लाल चेहरा लिए युवती घूमी और बिना मोहित की ओर नजर डाले अपने सामान वाली ट्राली लेकर रूम से बाहर निकल गई। मोहित का मन जोर से ठहाका लगा कर हंसने का कर रहा था लेकिन कुछ पिछले दिनों की टेंशन और कुछ कस्टम ऑफिसर का लिहाज करके वो हंसा नहीं। उसने एक
 

Qaatil

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एडवोकेट गिरिराज वर्मा समाज में बेहद प्रतिष्ठित, सम्मानित व्यक्ति के रूप में जाना जाता था। लोग उसके आदर्श चरित्र की मिसालें देते नहीं थकते थे। लेकिन जब एक रात उसी के घर में, बेहद रहस्यमयी ढंग से उसकी हत्या हो गई तो ऐसे-ऐसे चौंकाने वाले राज सामने आए कि लोग हैरान रह गए। कौन थी सनाया गौतम, गिरिराज वर्मा ने मरने से पहले-या यूं कहें कि मारे जाने से पहले-अपनी पूरी जायदाद जिसके नाम कर दी थी। क्या अधेड़ावस्था में एकाकी जीवन बिता रहे गिरिराज वर्मा को अपने जीवन में ‘चीनी कम’ लगने लगी थी, जिसके चलते उसने अपने सिद्धांतों से समझौता कर लिया था? या वो ऐसी जहरीली नागिन के जाल में फंस गया था, जिसके जहर का कोई तोड़ नहीं था।
या फिर गिरिराज वर्मा पर सचमुच किसी चुडै़ल का काला साया था?
Congratulations For Starting A New Thread ❤️
Nice Updates, Keep Posting ❤️
 

ashish_1982_in

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एडवोकेट गिरिराज वर्मा समाज में बेहद प्रतिष्ठित, सम्मानित व्यक्ति के रूप में जाना जाता था। लोग उसके आदर्श चरित्र की मिसालें देते नहीं थकते थे। लेकिन जब एक रात उसी के घर में, बेहद रहस्यमयी ढंग से उसकी हत्या हो गई तो ऐसे-ऐसे चौंकाने वाले राज सामने आए कि लोग हैरान रह गए। कौन थी सनाया गौतम, गिरिराज वर्मा ने मरने से पहले-या यूं कहें कि मारे जाने से पहले-अपनी पूरी जायदाद जिसके नाम कर दी थी। क्या अधेड़ावस्था में एकाकी जीवन बिता रहे गिरिराज वर्मा को अपने जीवन में ‘चीनी कम’ लगने लगी थी, जिसके चलते उसने अपने सिद्धांतों से समझौता कर लिया था? या वो ऐसी जहरीली नागिन के जाल में फंस गया था, जिसके जहर का कोई तोड़ नहीं था।
या फिर गिरिराज वर्मा पर सचमुच किसी चुडै़ल का काला साया था?
Congregation for new story and nice start
 
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gauravrani

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खेदपूर्ण मुस्कान के साथ कस्टम ऑफिसर की ओर देखा, जो अपने आपको संयत करने की कोशिश कर रहा था। फिर मोहित भी अपना लगेज लेकर वहां से बाहर निकल गया। मोहित वेटिंग लाउंज में पहुंचा। वहां उसकी बड़ी बहन मानसी उसका इंतजार कर रही थी। मोहित को आते देख कर वो सीट पर से उठकर खड़ी हो गई। मोहित उसके पास पहुंचा तो उसने आगे बढक़र मोहित को गले से लगा लिया। ‘‘ठीक हो न, भाई।’’-वो उसकी पीठ थपथपाते हुए बोली। ‘‘हां’’-मोहित बोला-‘‘ठीक ही तो हूं। मुझे क्या होना है भला?’’ ‘‘खाक ठीक हो?’’-वो उससे अलग होते हुए थोड़े नाराजगी भरे स्वर में बोली-‘‘दाढ़ी बढ़ा रखी है। चेहरा भी उड़ा-उड़ा लग रहा है। अमेरिका में खाना-पानी नहीं मिलता क्या?’’ ‘‘ये’’-मोहित ने अपनी दाढ़ी पर हाथ फेरा-‘‘ये तो कुछ नहीं है। आजकल तो दाढ़ी रखने का फैशन चल निकला है न।’’ ‘‘हां। और जैसे मुझे पता नहीं कि मेरा भाई कितना फैशन पसंद है। तुम्हें तो अगर कोई दाढ़ी रखने के लिए एक लाख रूपए दे तो भी तुम दाढ़ी न रखो।’’ मोहित मुस्कुराया। असल बात यही थी कि तीन महीने पहले हुई घटना के बाद से उसकी दिनचर्या काफी गड़बड़ाई हुई थी। मोहित ने कुछ देर इंतजार किया। लेकिन मानसी को वहां से चलने का उपक्रम नहीं करते देख कर उसे हैरानी हुई। ‘‘अब क्या हुआ?’’-उसने पूछा। ‘‘वैशाली का इंतजार कर रही हूं।’’-मानसी बोली। ‘‘वैशाली?’’ ‘‘मेरी ननद। तुम्हारे जीजा की बहन।’’ मोहित ने वैशाली का नाम सुना था। लेकिन उसे कभी देखा नहीं था। उसे बस इतना पता था कि वो अमेरिका में स्टडी कर रही थी। ‘‘लो आ गई वो’’-अचानक मानसी प्रफुल्लित स्वर मे बोली-‘‘वैशाली।’’-फिर उसने ध्यानाकर्षित करने के लिए हाथ हिलाते हुए आवाज लगाई। मोहित ने उसके हाथ हिलाने की दिशा में देखा। उधर से वही युवती ट्रॉली पर अपना सामान लिए उनकी ओर आ रही थी, जिसे मोहित ने अभी कुछ ही देर पहले चैकिंग रूम में देखा था। जो कस्टम ऑफिसर को बता रही थी कि कोरोना वायरस कहां था। ‘‘ओ माई गॉड।’’-मोहित के मुंह से निकल गया।
 
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