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‘‘तो बता देता हूं।’’-वैभव धैर्यपूर्वक बोला-‘‘पहली बात तो ये है कि घटना के शुरू में ही हमें सुसाइड वाली बात पर शक था हालांकि पहली नजर में मामला आत्महत्या का ही लगता था। शक इसलिए था क्योंकि जिस रिवॉल्वर का प्रयोग किया गया था, उस पर साइलेंसर लगा था। आत्महत्या करने का इरादा करने वाले शख्स को दुनिया की परवाह नहीं होती। उसके लिए तो एक पल में दुनिया ही खत्म हो जानी होती है। फिर वो इस बात की परवाह नहीं करता कि वो खुद को शूट कर रहा है तो उससे आवाज होगी या नहीं। गोली की आवाज दबाने की मंशा एक कातिल की हो सकती है, आत्महत्या करने वाले की नहीं। इसके अलावा सुसाइड की जैसी स्टेज सैट की गई थी, उसके अनुसार वकील साहब का खुद गोली चलाना भी जरूरी था।’’ ‘‘तो?’’ ‘‘लेकिन उन्होंने गोली नहीं चलाई थी।’’ ‘‘क्या मतलब?’’ ‘‘रिवॉल्वर बॉडी के पास ही पड़ी मिली थी। उस पर वकील साहब की उंगलियों के निशान भी थे लेकिन’’-इंस्पेक्टर लेकिन शब्द पर जोर देकर एक क्षण के लिए